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कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु
चैतन्य भारत न्यूज सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में शिवभक्त भोले बाबा के प्रति अपना प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। मान्यता है कि, सावन महीने में जो भी भक्त भगवान शिव के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। आइए जानते है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता के बारे में। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
भगवान शिव के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान तीसरा है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख माना जाता है। काल के दो अर्थ होते हैं- एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था। इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता मान्यता है कि, जो भी भक्त इस ज्योतिर्लिंग की आराधना करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि, यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां सुबह होने वाली भस्म आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां के लोगों का मानना है कि, भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन नगरी की रक्षा कर रहे हैं।
महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहां कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड भी है। वर्तमान में जो ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य के खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। वहीं गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है, ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। महाकालेश्वर का मुख्य आकर्षण यहां का मुख्य आकर्षण भगवान महाकाल की भस्म आरती समेत नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है। प्रतिदिन सुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के ��िए कई महीनों पहले से ही बुकिंग हो जाती है। इस आरती की सबसे खास बात यह है कि, इस आरती में ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है हालांकि आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म ने ले लिया है। कहां है और कैसे पहुंचे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में बसा हुआ है। उज्जैन पहुंचने के लिए इंदौर, रतलाम, भोपाल आदि स्थानों से बस, ट्रेन व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा देवी अहिल्या एयरपोर्ट इंदौर है। बता दें उज्जैन की प्रसिद्धि सदियों से एक पवित्र व धार्मिक नगर के रूप में रही है। लंबे समय तक यहां न्याय के राजा महाराजा विक्रमादित्य का शासन रहा। ये भी पढ़े... ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग..! जानिए भगवान शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ का इतिहास और इसका महत्व 51 शक्तिपीठों में से एक है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जानिए इसका इतिहास और महत्व Read the full article
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कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु
चैतन्य भारत न्यूज सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में शिवभक्त भोले बाबा के प्रति अपना प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। मान्यता है कि, सावन महीने में जो भी भक्त भगवान शिव के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। आइए जानते है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता के बारे में। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
भगवान शिव के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान तीसरा है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख माना जाता है। काल के दो अर्थ होते हैं- एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था। इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। महाकाले���्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता मान्यता है कि, जो भी भक्त इस ज्योतिर्लिंग की आराधना करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि, यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां सुबह होने वाली भस्म आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां के लोगों का मानना है कि, भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन नगरी की रक्षा कर रहे हैं।
महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहां कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड भी है। वर्तमान में जो ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य के खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। वहीं गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है, ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। महाकालेश्वर का मुख्य आकर्षण यहां का मुख्य आकर्षण भगवान महाकाल की भस्म आरती समेत नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है। प्रतिदिन सुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग हो जाती है। इस आरती की सबसे खास बात यह है कि, इस आरती में ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है हालांकि आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म ने ले लिया है। कहां है और कैसे पहुंचे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में बसा हुआ है। उज्जैन पहुंचने के लिए इंदौर, रतलाम, भोपाल आदि स्थानों से बस, ट्रेन व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा देवी अहिल्या एयरपोर्ट इंदौर है। बता दें उज्जैन की प्रसिद्धि सदियों से एक पवित्र व धार्मिक नगर के रूप में रही है। लंबे समय तक यहां न्याय के राजा महाराजा विक्रमादित्य का शासन रहा। ये भी पढ़े... ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग..! जानिए भगवान शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ का इतिहास और इसका महत्व 51 शक्तिपीठों में से एक है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जानिए इसका इतिहास और महत्व Read the full article
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