रविवार को सूर्यदेव की पूजा करने से सारे संकटों का हो जाएगा नाश, जरूर करें ये उपाय
चैतन्य भारत न्यूज
हिन्दू धर्म में हर दिन का महत्व अलग होता है। हिन्दू धर्म में हर दिन, किसी न किसी भगवान को समर्पित है। मान्यता है कि उस दिन उसी भगवान की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इसी तरह से रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन लोग सूर्यदेव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं। हिन्दू धर्म में रविवार को सर्वश्रेष्ठ वार माना गया है। मान्यता है कि अगर रविवार के दिन व्रत किया जाए और सच्चे मन से अराधना की जाए तो व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है. इन साधारण उपायों को अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
यह हैं उपाय-
विवार को सुबह घर से किसी काम के लिए निकलने से पहले गाय को रोटी दें। संभव हो तो रविवार के दिन गाय की पूजा करें।
रविवार के दिन एक पात्र में जल लेकर उसमें कुमकुम डालकर बरगद के वृक्ष पर चढ़ाएं।
रविवार के दिन सुबह घर से निकलने से पहले घर के सभी सदस्य अपने माथे पर चन्दन तिलक लगाएं।
मछलियों को आटे की गोली बनाकर रविवार के दिन खिलाएं।
चींटियों को खोपरे व शक्कर का बूरा मिलाकर खिलाएं।
शुद्ध कस्तूरी को चमकीले पीले कपड़े में लपेटकर रविवार के दिन अपनी तिजोरी में रखें।
इन उपायों को पूर्ण श्रद्धा के साथ करने से जीवन में समृद्धि व खुशहाली आती है।
व्रत कर एक समय का भोजन बिना नमक का करें।
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रविवार को सूर्य देव को चढ़ाएं जल, होंगे ये अनोखे फायदे
चैतन्य भारत न्यूज
रविवार का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए बेहद खास होता है। मान्यता है कि, जो लोग इस दिन सूर्य की विशेष पूजा करते हैं, उन्हें घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है और दरिद्रता से मुक्ति भी मिल सकती है। हिंदू धर्म के शास्त्रों में सूर्य पूजा के लिए कई मंत्र बताए गए हैं जिनके जाप से आप सूर्य देव को जल्दी प्रसन्न कर सकते हैं।
ऊर्जा की होती है प्राप्ति
सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देने के पीछे माना जाता है कि जो भी मनुष्य सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करता है उसके दिन की शुरुआत अच्छे से होती है। प्राचीन काल में लोग तालाब या नदी में स्नान करते समय सूर्य देवता को अर्घ्य देते थे। धार्मिक मान्यतानुसार, सुबह उठकर सूर्य देवता के दर्शन करने और जल अर्पित करने से व्यक्ति की आत्मा और मन को ऊर्जा मिलती है। यदि यह प्रक्रिया नियमित रूप से की जाए तो ऐसा माना जाता है कि मनुष्य का सौभाग्य बना रहता है। न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिष और विज्ञान में ऐसा करना फायदेमंद बताया गया है चलिए हम आपको बताएंगे कि ज्योतिषीय और वैज्ञानिक आधार पर सूर्य को अर्घ्य देना कितना आवश्यक है।त पता चली। वहीं लिवर, किडनी व अग्नाशय में भी गंभीर चोट होने की बात सामने आई।
सूर्य देव की पूजा-विधि
रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करें।
इस दिन तांबे के लोटे में जल भरें और इसमें चावल-फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
रविवार के दिन गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
रविवार के दिन सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें।
इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
व्रत रखने के दौरान सिर्फ एक समय फलाहार करना चाहिए।
अगर आप प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो यह आपके लिए लाभकारी होगा।
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करें-
ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
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दरिद्रता से मुक्ति पाने के लिए करें रविवार व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
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रविवार का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए बेहद खास होता है। मान्यता है कि, जो लोग इस दिन सूर्य की विशेष पूजा करते हैं, उन्हें घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है और दरिद्रता से मुक्ति भी मिल सकती है। हिंदू धर्म के शास्त्रों में सूर्य पूजा के लिए कई मंत्र बताए गए हैं जिनके जाप से आप सूर्य देव को जल्दी प्रसन्न कर सकते हैं। आइए जानते हैं सूर्य देवता की पूजा-विधि...
सूर्य देव की पूजा-विधि
रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करें।
इस दिन तांबे के लोटे में जल भरें और इसमें चावल-फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
रविवार के दिन गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
रविवार के दिन सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें।
इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
व्रत रखने के दौरान सिर्फ एक समय फलाहार करना चाहिए।
अगर आप प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो यह आपके लिए लाभकारी होगा।
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करें-
ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
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सूर्य देव की पूजा-विधि
रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करें।
इस दिन तांबे के लोटे में जल भरें और इसमें चावल-फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
रविवार के दिन गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
रविवार के दिन सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें।
इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
व्रत रखने के दौरान सिर्फ एक समय फलाहार करना चाहिए।
अगर आप प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो यह आपके लिए लाभकारी होगा।
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करें-
ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
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सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देने के पीछे माना जाता है कि जो भी मनुष्य सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करता है उसके दिन की शुरुआत अच्छे से होती है। प्राचीन काल में लोग तालाब या नदी में स्नान करते समय सूर्य देवता को अर्घ्य देते थे। धार्मिक मान्यतानुसार, सुबह उठकर सूर्य देवता के दर्शन करने और जल अर्पित करने से व्यक्ति की आत्मा और मन को ऊर्जा मिलती है। यदि यह प्रक्रिया नियमित रूप से की जाए तो ऐसा माना जाता है कि मनुष्य का सौभाग्य बना रहता है। न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिष और विज्ञान में ऐसा करना फायदेमंद बताया गया है चलिए हम आपको बताएंगे कि ज्योतिषीय और वैज्ञानिक आधार पर सूर्य को अर्घ्य देना कितना आवश्यक है।त पता चली। वहीं लिवर, किडनी व अग्नाशय में भी गंभीर चोट होने की बात सामने आई।
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रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करें।
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इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
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अगर आप प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो यह आपके लिए लाभकारी होगा।
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करें-
ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
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रविवार का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए बेहद खास होता है। मान्यता है कि, जो लोग इस दिन सूर्य की विशेष पूजा करते हैं, उन्हें घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है और दरिद्रता से मुक्ति भी मिल सकती है। हिंदू धर्म के शास्त्रों में सूर्य पूजा के लिए कई मंत्र बताए गए हैं जिनके जाप से आप सूर्य देव को जल्दी प्रसन्न कर सकते हैं। आइए जानते हैं सूर्य देवता की पूजा-विधि...
सूर्य देव की पूजा-विधि
रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करें।
इस दिन तांबे के लोटे में जल भरें और इसमें चावल-फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
रविवार के दिन गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
रविवार के दिन सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें।
इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
व्रत रखने के दौरान सिर्फ एक समय फलाहार करना चाहिए।
अगर आप प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो यह आपके लिए लाभकारी होगा।
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करें-
ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपि���े।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
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रथ सप्तमी पर सूर्य देव की आराधना से मिलेगा शुभ फल, जानिए व्रत का महत्व और पूजन-विधि
चैतन्य भारत न्यूज
माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है। इस सप्तमी को अचला सप्तमी और मानु सप्तमी भी कहा जाता है। इस बार यह 19 फरवरी को यानी आज है। इस दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। आइए जानते हैं रथ सप्तमी का महत्व और पूजा-विधि।
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रथ सप्तमी का महत्व
शास्त्रों के मुताबिक रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य नारायण का जन्म हुआ था। उनकी पूजा करने से आरोग्यता प्राप्त होती है। भगवान सूर्य को समर्पित यह व्रत संतान की उन्नति के लिए भी लाभप्रद है। इस दिन सूर्य का पूजन सेहत के लिए खास महत्व रखता है। माना जाता है कि जिन्हें कोई भी शारीरिक विकार हो, वे लोग अगर पूरे मन से सूर्यदेव की पूजा करें तो सारे शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। सूर्य पूजा विशेषकर चर्मरोगों को दूर करती है। ग्रहों के कष्ट दूर करने में भी सूर्य पूजा का महत्व है, इससे ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।
रथ सप्तमी की पूजा-विधि
रथ सप्तमी के दिन प्रातःकाल उठकर गंगा जल का प्रयोग कर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
पूजा घर की साफ-सफाई कर वहां कुश या उचित आसान लगाकर घी का दीपक जलाएं।
श्री गणेश उपासना के बाद सूर्य पूजा प्रारम्भ करें।
भगवान सूर्य देव के सभी नामों का जप करें।
उसके बाद गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। यदि संभव हो तो पांच माला गायत्री का जप करना श्रेयस्कर है।
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दरिद्रता से मुक्ति पाने के लिए करें रविवार व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
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रविवार को इस विशेष विधि से पूजा कर सूर्य देव को करें प्रसन्न, रिद्रता से मिलेगी मुक्ति, इस मंत्र का जरूर करें जाप
चैतन्य भारत न्यूज
रविवार का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए बेहद खास होता है। मान्यता है कि, जो लोग इस दिन सूर्य की विशेष पूजा करते हैं, उन्हें घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है और दरिद्रता से मुक्ति भी मिल सकती है। हिंदू धर्म के शास्त्रों में सूर्य पूजा के लिए कई मंत्र बताए गए हैं जिनके जाप से आप सूर्य देव को जल्दी प्रसन्न कर सकते हैं। आइए जानते हैं सूर्य देवता की पूजा-विधि...
सूर्य देव की पूजा-विधि
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भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
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इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
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अगर आप प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो यह आपके लिए लाभकारी होगा।
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करें-
ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
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इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
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रविवार को इस विधि से करें सूर्य देवता की पूजा, चमक जाएगा आपका भाग्य
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इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
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इस दिन तांबे के लोटे में जल भरें और इसमें चावल-फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
रविवार के दिन गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
रविवार के दिन सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें।
इसके अलावा रविवार के दिन व्रत रखें और सुबह के समय धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
व्रत रखने के दौरान सिर्फ एक समय फलाहार करना चाहिए।
अगर आप प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो यह आपके लिए लाभकारी होगा।
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करें-
ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
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आज रथ सप्तमी, इस विधि से करें सूर्य देव की आराधना, मिलेगा शुभ फल
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फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है। इस सप्तमी को अचला सप्तमी और मानु सप्तमी भी कहा जाता है। इस बार यह 1 मार्च दिन रविवार को है। इस दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। इस बार रथ सप्तमी रविवार को पड़ने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं रथ सप्तमी का महत्व और पूजा-विधि।
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रथ सप्तमी का महत्व
शास्त्रों के मुताबिक, रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य नारायण का जन्म हुआ था। उनकी पूजा करने से आरोग्यता प्राप्त होती है। भगवान सूर्य को समर्पित यह व्रत संतान की उन्नति के लिए भी लाभप्रद है। इस दिन सूर्य का पूजन सेहत के लिए खास महत्व रखता है। माना जाता है कि जिन्ह��ं कोई भी शारीरिक विकार हो, वे लोग अगर पूरे मन से सूर्यदेव की पूजा करें तो सारे शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। सूर्य पूजा विशेषकर चर्मरोगों को दूर करती है। ग्रहों के कष्ट दूर करने में भी सूर्य पूजा का महत्व है, इससे ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।
रथ सप्तमी की पूजा-विधि
रथ सप्तमी के दिन प्रातःकाल उठकर गंगा जल का प्रयोग कर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
पूजा घर की साफ-सफाई कर वहां कुश या उचित आसान लगाकर घी का दीपक जलाएं।
श्री गणेश उपासना के बाद सूर्य पूजा प्रारम्भ करें।
भगवान सूर्य देव के सभी नामों का जप करें।
उसके बाद गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। यदि संभव हो तो पांच माला गायत्री का जप करना श्रेयस्कर है।
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रविवार का दिन भगवान सूर्य को अर्पित है। सूर्य यश और वैभव के देवता माने जाते हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त रविवार के दिन सूर्य देवता को जल चढाते हैं उन्हें धन, वैभव और यश में वृद्धि होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य देव की पूजा का महत्व और रविवार व्रत की पूजा विधि।
सूर्य देव की पूजा का महत्व
रविवार के दिन सूर्य का पूजन, जल से अर्घ्य तथा सूर्य मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व हैं। सूर्य देवता को नव ग्रहों का राजा माना जाता है और सूर्य की उपासना करने से व्यक्ति के सभी ग्रह शांत हो जाते हैं। सूर्य देव का व्रत सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह व्रत सुख और शांति देता है। पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भी भगवान सूर्य के अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है।
सूर्य देवता की पूजा-विधि
प्रतिदिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए।
नहाने के बाद सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें।
सुबह तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चावल डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
इस दिन सूर्य मंत्रों का 108 बार जाप करने से सभी मनोकामना की पूर्ति होती है।
शाम को सूर्यास्त से पहले गुड़ का हलवा बनाकर सूर्य देवता को चढ़ाएं और इसे प्रसाद के रूप में बांटें।
सूर्य देव की पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना गया है।
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