#भगवान का शुक्र है
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शुक्र ✅को कैसे करते है आप खराब ⁉
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मैं आपको एक बहुत स्पष्ट बात बताता हूँ। यदि आप किसी भी रिश्ते में किसी को धोखा देते हैं या किसी को चोट पहुँचाते हैं, तो आप अपने आप ही अपना शुक्र खराब कर लेते हैं। बड़ा शून्य। कोई भगवान, कोई देवता या कोई सनातन धर्म आपको किसी को धोखा देने के लिए नहीं कहता है। अपने रिश्ते को बनाए रखें, उसमें संतुलन बनाएं। अगर कोई समस्या है तो ईमानदार रहें। उस व्यक्ति को सच बताओ। उससे कहो कि किसी का दिल दुखाए नहीं। क्योंकि जब भी किसी व्यक्ति के दिल को चोट लगती है तो उसका शुगर लेवल नीचे चला जाता है। क्योंकि उस इंसान का दिल आपकी वजह से दुख रहा है। जब तक आपके पास पैसा है, जब तक आप अपने शुक्र के स्तर को बनाए रखते हैं लेकिन जिस दिन पैसा आना शुरू हो जाता है, वह बंद हो जाता है। यह चल रहा था, लेकिन यह रुक गया। ऐसा व्यक्ति पतन में आता है। और उसके बाद उठने की हिम्मत नहीं करता। आपने लोगों के कई उदाहरण देखे होंगे। पहले ये था, पहले वो था। लेकिन अब आपके पास क्या है?
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#कबीरखुदा_का_नाम_कबीर
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🔹फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवित्र कुरआन के पश्चात् दूसरे नम्बर पर है। फजाईले आमाल में एक अध्याय फजाईले जिक्र है। उसकी आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में कबीर अल्लाह की महिमा है।
🔹फजाईले जिक्र में आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में स्पष्ट प्रमाण है कि पाक कुरआन का ज्ञान उतारने वाला (अल्लाह) ब्रह्म (काल अर्थात् क्षर पुरूष) कह रहा है कि तुम कबीर अल्लाह कि बड़ाई बयान करो। वह कबीर अल्लाह तमाम पोसीदा और जाहिर चीजों को जानने वाला है और वह कबीर है और आलीशान रूत्बे वाला है। जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे खौफ के मारे घबरा जाते हैं। यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर होती है तो एक दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का क्या हुक्म है। वह कबीर आलीशान मर्तबे वाला है। ये सब आदेश कबीर अल्लाह की तरफ से है जो बड़े आलीशान रूत्बे वाला है।
🔹हजुरे अक्सद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (हजरत मुहम्मद) का इर्शाद (कथन) कहना है कि कोई बंदा ऐसा नहीं है कि ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ कहे उसके लिए आसमानों के दरवाजे न खुल जाएँ, यहाँ तक कि यह कलिमा सीधा अर्श तक पहुँचता है, बशर्ते कि कबीरा गुनाहों से बचाता रहे। दो कलमों का जिक्र है कि एक तो ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ है और दूसरा ‘अल्लाहु अक्बर‘(कबीर)। {यहाँ पर अल्लाहु अक्बर का भाव है भगवान कबीर (कबीर साहेब अर्थात् कविर्देव)।}
🔹फजाइले जिक्र
बल्लत कबीर बूल्लाह आला महादाकुप वाला अल्ला कुम तरकोरून (1)
• और ताकि तुम कबीर अल्लाह की बड़ाई बयान करों, इस बात पर कि तुम को हिदायत फरमायी और ताकि तुम शुक्र करो अल्लाह तआला का���
🔹सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)
आयत नं. 52
अल्लजी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अल्लअर्शि ज अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्।
विवेचन:- (आयत नं. 52) जो अल्लाह कुरआन (मजीद व शरीफ) का ज्ञान हजरत मुहम्मद जी को बता रहा है, वह कह रहा है कि हे पैगम्बर! तुम काफिरों की बात न मानना क्योंकि वे कबीर अल्लाह को नहीं मानते। उनका सामना (संघर्ष) मेरे द्वारा दी गई कुरआन की दलीलों के आधार से बहुत जोर से यानि दृढ़ता के साथ करना अर्थात् वे तुम्हारी न मानें कि कबीर अल्लाह ही समर्थ (कादर) है तो तुम उनकी बातों को न मानना
🔹सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)
आयत नं. 53 से 59 तक उसी कबीर अल्लाह की महिमा (पाकी) ब्यान की गई है। कहा है कि यह कबीर वह कादर अल्लाह है जिसने सब सृष्टि की रचना की है। उसने मानव उत्पन्न किए। फिर उनके संस्कार बनाए। रिश्ते-नाते उसी की कृपा से बने हैं। खारे-मीठे जल की धाराएँ भी उसी ने भिन्न-भिन्न अपनी कुदरत (शक्ति) से बहा रखी हैं। पानी की बूँद से आदमी (मानव=स्त्री-पुरूष) उत्पन्न किया।
🔹सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)आयत नं. 58:- और (ऐ पैगम्बर) उस जिंदा {जो जिंदा बाबा के वेश में तेरे को काबा में मिला था, वह अल्लाह कबीर} पर विश्वास रखो जो कभी मरने वाला नहीं है (अविनाशी परमेश्वर है) और तारीफ (प्रशंसा) के साथ उसकी पाकी ब्यान (पवित्र महिमा का गुणगान) करते रहो और अपने बंदों के गुनाहों (पापों) से वह कबीर परमेश्वर अच्छी तरह परिचित है यानि सत्य साधक के सब पाप नाश कर देता है।
🔹पवित्र कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत नंबर 52 में प्रमाण है
हजरत मोहम्मद जी का खुदा कह रहा है कि ऐ पैगंबर तुम काफिरों का कहा ना मानना जो अन्य देवी देवताओं की उपासना करते हैं और एक कबीर प्रभु को नहीं मानते आप मेरे दिए इस कुरान के ज्ञान पर अटल रहना कबीर ही पूर्ण प्रभु है और उस कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना लड़ना नहीं अर्थात अडिग रहना । इस आयत में परमात्मा को इबादही कबीरा कहकर संबोधित किया गया है
🔹पवित्र कुरान शरीफ में सूरत फुरकान आयत नंबर 59 में हजरत मोहम्मद जी को कुरान ज्ञान दाता अल्लाह कह रहा है
कबीरप्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो कुछ भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना 6 दिन में की तथा 7 वे दिन ऊपर अपने तख्त यानी सतलोक के सिंहासन पर जा बैठा। उसके ��िषय में जानकारी किसी बाखबर यानी तत्वदर्शी संत से पूछो ।
🔹अल्लाह साकार है, बेचून नहीं!
पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है, उसी को अल्लाहु अकबिरू भी कहते हैं।
🔹अल्लाह की सही इबादत करें,
कुरान शरीफ सूरह अल फुरकान 25 आयत 52-59 में कहा है जिसने 6 दिन में सृष्टि रची फिर सातवें दिन तख्त पर जा विराजा वह अल्लाह कबीर है। उसकी खबर किसी बाखबर यानि इल्मवाले/तत्वदर्शी संत से पूछो। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही बाख़बर है जो अल्लाह के पूर्ण जानकार है।
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कड़ाके की ठंड में नवजात बच्ची को कूहल के किनारे छोड़ गई मां, ग्रामीणों ने किया रेस्क्यू; शरीर पर नहीं था एक भी कपड़ा
Bilaspur News: नौ महीने तक महिला ने अपनी कोख में बच्ची को पाला और अब प्रसव के बाद उसे छोड़ दिया. कड़ाके की ठंड में बच्ची को सूखी कूहल के पास छोड़ दिया. वो तो शुक्र है कि ग्रामीणों का, जो बच्ची के लिए भगवान बन कर आए और उसे रेस्क्यू किया. मामला हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले का है. दरअसल, जिले के मलोखर के चड़ाऊ गांव से मां की ममता को शर्मसार करने वाली खबर आई है. शनिवार सुबह कड़ाके की ठंड के बीच…
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दशहरे 2024 का ज्योतिषीय महत्व : नौ देवियों के रूप और आपकी कुंडली में उनके प्रभाव
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दशहरा, जिसे विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है, जब भगवान राम ने रावण का वध किया और माँ दुर्गा ने महिषासुर पर विजय प्राप्त की। इस पर्व का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी है, जो व्यक्ति की कुंडली, ग्रहों की स्थिति और उसके जीवन में आने वाली बाधाओं पर गहरा प्रभाव डालता है।
दशहरे का ज्योतिषीय महत्व:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरे के दिन ग्रहों की स्थिति में विशेष परिवर्तन होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुरे ग्रहों का प्रभाव हो, तो इस दिन की पूजा से उसे शुभ फल प्राप्त होते हैं। खासकर जिनकी जन्मकुंडली में शनि, राहु और केतु का दोष होता है, उन्हें इस दिन माँ दुर्गा की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
इस दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विशेष महत्व है। इन नौ रूपों को समझना और उनकी पूजा करना जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन और सफलता लाने में सहायक होता है।
माँ दुर्गा के नौ रूप और ज्योतिषीय प्रभाव:
शैलपुत्री
माँ दुर्गा का पहला रूप है शैलपुत्री, जो पर्वतों की पुत्री हैं। इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और धैर्य प्राप्त होता है। यदि किसी की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, तो इस देवी की आराधना से चंद्रमा की दशा सुधरती है और मानसिक शांति मिलती है।
ब्रह्मचारिणी
यह देवी तपस्या का प्रतीक हैं। इनकी पूजा से व्यक्ति को अपने कार्यों में संयम और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति मिलती है। इस देवी की पूजा से मंगल ग्रह का प्रभाव सुधरता है, जिससे साहस और शक्ति प्राप्त होती है।
चंद्रघंटा
माँ चंद्रघंटा देवी शक्ति और साहस का प्रतीक हैं। इनकी पूजा से जीवन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास आता है। यदि आपकी कुंडली में मंगल या राहु का दोष हो, तो इस देवी की आराधना से ये दोष दूर होते हैं।
कूष्मांडा
माँ कूष्मांडा की पूजा से सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होता है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य या बुध ग्रह कमजोर हो, तो इस देवी की पूजा करने से लाभ मिलता है।
स्कंदमाता
माँ स्कंदमाता की पूजा से बच्चों के स्वास्थ्य और उनकी शिक्षा में सुधार होता है। यह देवी बुध ग्रह की अशुभ दशाओं को समाप्त करती हैं और बच्चों के लिए ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद लाती हैं।
कात्यायनी
माँ कात्यायनी की पूजा विवाह और प्रेम संबंधों में सफलता लाने के लिए की जाती है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो, तो इस देवी की पूजा से प्रेम संबंधों में सुधार होता है और विवाह के योग बनते हैं।और आप ज्योतिष की सहायता से कुंडली के अनुसार यह भी जान सकेंगे कि आपकी शादी कब होगी / When will I get married |
कालरात्रि
माँ कालरात्रि का रूप विनाशकारी और बुरी शक्तियों को नष्ट करने वाला है। इनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में आने वाली बाधाएँ समाप्त होती हैं। यदि आपकी कुंडली में शनि या राहु का दोष हो, तो इस देवी की पूजा विशेष रूप से लाभकारी होती है।
महागौरी
माँ महागौरी की पूजा से जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह देवी शुक्र और चंद्रमा के प्रभाव को संतुलित करती हैं और आर्थिक स्थिति को मजबूत करती हैं।
सिद्धिदात्री
माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं। इनकी पूजा से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है। यह देवी राहु और केतु के दोषों को समाप्त करती हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
निष्कर्ष:
दशहरा न केवल धर्म और संस्कृति का पर्व है, बल्कि ज्योतिष के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक बल मिलता है, बल्कि जीवन की हर कठिनाई से उबरने की शक्ति भी मिलती है। अगर आप अपनी कुंडली के ग्रह दोषों से परेशान हैं, तो इस दशहरे पर माँ दुर्गा के इन रूपों की आराधना अवश्य करें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करें।
Source URL - https://correctionkarma.wordpress.com/2024/10/03/dashahara-2024-ka-jyotish-mahatva/
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*लगातार बारिश के कारण मकान की छत गिरी*
…बीकानेर 22 अगस्त 2024 जुलाई अगस्त के महीने में लगातार हुई बारिश और रिमझिम बारिश में पुरानी गिनान्नी स्थित भागीरथ टॉक का मकान की छत अचानक आज गिर गई। सुबह के कारण भगवान का शुक्र रहा की किसी भी प्रकार की कोई जनहानि नहीं हुई सिर्फ घर में रखा सामान का बेहद नुकसान हुआ। भागीरथ एक मजदूर आदमी है मजदूर वर्ग होने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर है। मोहल्ले वासियों ने बताया मजदूर वर्ग के भागीरथ के…
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart66 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणpart67
"तीर्थ स्थापना के प्रमाण"
1. शुक्र तीर्थ कैसे बना? श्री ब्रह्मा पुराण लेखक कृष्णद्वेपायन अर्थात व्यास जी प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर पृष्ठ 167-168 पर भृगु ऋषि का पुत्र कवि अर्थात शुक्र ने गौतमी नदी के उत्तर तट पर जहाँ भगवान महेश्वर की आराधना करके विद्या पायी थी, वह स्थान शुक्र तीर्थ कहलाता है।
2. सरस्वती संगम तीर्थ तथा पुरूरव तीर्थ श्री ब्रह्मा पुराण पृष्ठ 172-173 पर :- एक दिन राजा पुरूरवा, ब्रह्मा जी की सभा में गये, वहाँ ब्रह्मा जी की पुत्री सरस्वती को देखकर उससे मिलने की इच्छा प्रकट की। सरस्वती ने हाँ कर दी। सरस्वती नदी के तट पर सरस्वती तथा पुरूरवा ने अनेक वर्षों तक संभोग (सैक्स) किया। एक दिन ब्रह्मा ने उनको विलास करते देख लिया। अपनी बेटी को शाप दे दिया। वह नदी रूप में समा गई। जहाँ पर पुरूरवा तथा सरस्वती ने संभोग किया था। वह पवित्र तीर्थ सरस्वती संगम नाम से विख्यात हुआ। जहाँ पर पुरूरवा ने महादेव की भक्ति की वह स्थान पुरूरवा तीर्थ नाम से विख्यात हुआ।
3. वृद्धा संगम तीर्थ श्री ब्रह्मा पुराण पृष्ठ 173 से 175: एक गौतम ऋषि थे। उनका एक हजार वर्ष की आयु तक विवाह नहीं हुआ। वह वेद ज्ञान भी नहीं पढ़ा था केवल गायत्री मंत्र याद था। उसी का जाप करता था। एक दिन वह एक पर्वत पर एक गुफा में गया। वहाँ पर नब्बे हजार वर्ष की आयु की एक वृद्धा स्त्री मिली। दोनों ने विवाह किया। एक दिन वशिष्ठ ऋषि तथा वाम देव ऋषि वहाँ गुफा में अन्य ऋषियों क�� साथ आए। उन्होंने गौतम ऋषि का उपहास किया कहा हे गौतम जी ! यह वृद्धा आप की माँ है या दादी माँ? उनके जाने के पश्चात् दोनों बहुत दुःखी हुए। अगस्त ऋषि की राय से गोदावरी नदी के गौतमी तट पर गये और कठोर तपस्या करने लगे। उन्होंने भगवान शंकर और विष्णु का स्तवन किया तथा पत्नी के लिए गंगा जी को भी खुश किया। गंगा ने उनके तप से प्रसन्न होकर कहा- ब्राह्मण आप मन्त्र पढ़ते हुए मेरे जल से अपनी पत्नी का अभिषेक करो। इससे वह रूपवती हो जाएगी। गंगा जी के आदेश से दोनों ने एक-दूसरे के लिए ऐसा ही किया। दोनों पति-पत्नी सुन्दर रूप वाले हो गये। वह जल जो मन्त्रों का था। उससे वृद्धा नाम नदी बह चली। उसी स्थान पर गौतम ऋषि ने उस वृद्धा के साथ जो युवती हो गई थी। मन भरकर संभोग किया। तब से उस स्थान का नाम "वृद्धा संगम" तीर्थ हो गया। वहीं पर गौतम ऋषि ने साधनार्थ एक शिवलिंग स्थापित किया था। वह भी वृद्धा के नाम पर वृद्धेश्वर कहलाया। इस वृद्धा संगम तीर्थ की कथा सब पापों का नाश करने वाली है। वहाँ किया हुआ स्नान-दान सब मनोरथों को सिद्ध करने वाला है।
4. अश्वतीर्थ अर्थात् भानु तीर्थ तथा पंचवटी आश्रम की स्थापना :- श्री ब्रह्मा पुराण पृष्ठ 162-163 तथा श्री मार्कण्डेय पुराण पृष्ठ 173 से 175 पर लिखा है :- "महर्षि कश्यप के ज्येष्ठ पुत्र आदित्य (सूर्य) है, उनकी पत्नी का नाम उषा है (मार्कण्डेय पुराण में सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा लिखा है जो महर्षि विश्वकर्मा की बेटी है) सूर्य की पत्नी अपने पति सूर्य के तेज को सहन न कर सकने के कारण दुःखी रहती थी। एक दिन अपनी सिद्धि शक्ति से अन्य स्त्री अपनी ही स्वरूप की उत्पन्न की उसे कहा आप मेरे पति की पत्नी बन कर रहो तेरी तथा मेरी शक्ल समान है। आप यह भेद मेरी सन्तान तथा पति को भी नहीं बताना यह कह कर संज्ञा (उषा) तप करने के उद्देश्य से उत्तर कुरूक्षेत्र में चली गई वहाँ घोड़ी का रूप धारण करके तपस्या करने लगी। भेद खुलने पर सूर्य भी घोड़े का रूप धारण करके वहाँ गया जहाँ संज्ञा (उषा) घोड़ी रूप में तपस्या कर रही थी। घोड़े रूप में सूर्य ने घोड़ी रूप धारी संज्ञा से संभोग करना चाहा। उषा (संज्ञा) घोड़ी रूप में वहाँ से भाग कर गौतमी नदी के तट पर आई घोड़ा रूप धारी सूर्य ने भी पीछा किया। वहाँ आकर घोड़ी रूप में अपने पतिव्रत धर्म की रक्षा के लिए घोड़ा रूप धारी पति को न पहचान कर उस की ओर अपना पृष्ठ भाग न करके मुख की ओर से ही सामना किया। दोनों की नासिका मिली। सूर्य वासना के वेग को रोक नहीं सके तथा घोड़ी रूप धारी उषा (संज्ञा) के मुख ओर ही संभोग करने के उद्देश्य से प्रयत्न किया। नासिका द्वारा वीर्य प्रवेश से घोड़ी रूप धारी उषा के मुख से दो पुत्र अश्वनी कुमार (नासत्य तथा दस्��) उत्पन्न हुए तथा शेष वीर्य जमीन पर गिरने से रेवन्त नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। वह स्थान अश्व तीर्थ भानु तीर्थ तथा पंचवटी आश्रम नाम से विख्यात हुआ। उसी स्थान पर सूर्य की बेटियों का अरूणा तथा वरूणा नामक नदियों के रूप में समागम हुआ। उसमें भिन्न-2 देवताओं और तीर्थों का पृथक-पृथक समागम हुआ है। उक्त संगम में सताईस हजार तीर्थों का समुदाय है। वहाँ किया हुआ स्नान व दान अक्षय पुण्य देने वाला है। नारद ! उस तीर्थ के स्मरण से कीर्तन और श्रवण से भी मनुष्य सब पापों से मुक्त हो धर्मवान् और सुखी होता है।
5. जन स्थान तीर्थ की स्थापना: श्री ब्रह्म पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) पृष्ठ 161-162 पर :- ऋषि याज्ञवल्क्य से राजा जनक ने पूछा कि हे द्विजश्रेष्ठ ! बड़े-2 मुनियों ने निर्णय किया है कि भोग और मोक्ष दोनों श्रेष्ठ हैं। आप बताएँ! भोग से भी मुक्ति प्राप्त कैसे होती है? ऋषि याज्ञवल्क्य जी ने कहा इस प्रश्न का उत्तर आप श्वशुर वरूण जी ठीक 2 बता सकते हैं। चलो उनसे पूछते हैं। दोनों भगवान वरूण के पास गए तथा वरूण ने बताया कि "वेद में यह मार्ग निश्चित किया है कि कर्म न करने की उपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है। धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष ये चारों पुरुषार्थ कर्म से बंधे हुए हैं। नृप श्रेष्ठ ! कर्म द्वारा सब प्रकार से साध्यों की सिद्धी होती है, इसलिए मनुष्यों को सब तरह से वैदिक कर्म का अनुष्ठान करना चाहिए। इससे वे इस लोक में भोग तथा मोक्ष दोनों प्राप्त करते हैं। अकर्म से कर्म पवित्र है। इसके पश्चात् राजा जनक ने ऋषि याज्ञवल्क्य को पुरोहित बनाकर गंगा के तट पर अनेकों यज्ञ किए। इसलिए उस स्थान का नाम "जन स्थान" तीर्थ के नाम से विख्यात हुआ। उस तीर्थ का चिन्तन करने, वहाँ जाने और भक्ति पूर्वक उसका सेवन (पूजन) करने से मनुष्य सब अभिलाषित वस्तुओं को पाता है और मोक्ष का भोगी होता है।
उपरोक्त पुराणों के लेखों का निष्कर्ष :-
प्रमाण संख्या 1 में कहा है कि भृगु ऋषि के पुत्र शुक्र ने गौतमी नदी के उत्तर तट पर साधना की थी जिस कारण से वह स्थान शुक्र तीर्थ नाम से विख्यात हुआ।
यदि कोई उस शुक्र तीर्थ में केवल स्नान व वहाँ पर बैठे कामचोर व्यक्तियों को दान करने से ही मोक्ष मानता है वह ज्ञानहीन व्यक्ति है। परमात्मा की साधना जैसे शुक्राचार्य ने की थी। वैसी ही साधना किसी भी स्थान पर कोई साधक करेगा तो शुक्राचार्य को जो लाभ हुआ था वह प्राप्त होगा।
यही स्थिति प्रमाण संख्या 5 की समझें की गंगा के तट पर जिस स्थान पर राजा जनक ने अनेकों अश्वमेघ यज्ञ किए। एक अश्वमेघ यज्ञ में करोंड़ों रूपये (वर्तमान में अरबों रूपये) खर्च हुए थे।
तब राजा जनक को स्वर्ग प्राप्ति हुई थी। यदि कोई अज्ञानी कहे कि उस जन स्थान तीर्थ पर जाने व स्नान करने ��था वहाँ उपस्थित ऐबी (शराब, तम्बाकू व मांस सेवन करने वाले) व्यक्तियों कों दान करने से राजा जनक वाला लाभ मिलेगा। क्या यह बात न्याय संगत है? इतना कुछ करने के पश्चात् भी राजा जनक मुक्त नहीं हो सका। वही आत्मा कलयुग में सन्त नानक जी के रूप में श्री कालु राम महता के घर जन्मा। फिर पूर्ण परमात्मा की भक्ति पूर्ण गुरु कबीर परमेश्वर से नाम प्राप्त करके की तब मोक्ष प्राप्त हुआ।
प्रमाण संख्या 2 में ब्रह्मा की बेटी सरस्वती ने पूरूरवा नामक राजा के साथ अपने पिता से छुपकर सैक्स (संभोग) किया�� जब पिता जी ने उन्हें ऐसा करते देखा तो श्राप दे दिया। वह स्थान जहाँ पर सरस्वती ने तथा राजा पुरूरवा ने दुराचार किया उस स्थान का नाम सरस्वती संगत तीर्थ विख्यात हुआ।
* विचार करें: क्या ऐसे स्थान पर जाने व स्नान करने से कोई लाभ हो सकता है?
प्रमाण संख्या 3 में कहा है कि एक गौतम नामक ऋषि ने एक हजार वर्ष की आयु में नब्बे हजार वर्ष की आयु की वृद्धा से विवाह किया।
अपने को युवा बनाने के उद्देश्य से दोनों ने गोदावरी नदी के गौतमी तट पर कठोर तप किया। पश्चात् मन्त्रों से जल मन्त्रित करके एक-दूसरे पर डाला। दोनों युवा हो गये। तत्पश्चात् उस स्थान पर दोनों ने मन भर कर संभोग अर्थात् विलास (सेक्स) किया। वह स्थान वृद्धा संगम तीर्थ कहलाया। विचार करने योग्य बात है कि ऐसे स्थानों पर जाने से आत्म कल्याण के स्थान पर पतन ही होगा। आत्म उद्वार नहीं।
अपने को युवा बनाने के उद्देश्य से दोनों ने गोदावरी नदी के गौतमी तट पर कठोर तप किया। पश्चात् मन्त्रों से जल मन्त्रित करके एक-दूसरे पर डाला। दोनों युवा हो गये। तत्पश्चात् उस स्थान पर दोनों ने मन भर कर संभोग अर्थात् विलास (सेक्स) किया। वह स्थान वृद्धा संगम तीर्थ कहलाया।
विचार करने योग्य बात है कि ऐसे स्थानों पर जाने से आत्म कल्याण के स्थान पर पतन ही होगा। आत्म उद्वार नहीं।
प्रमाण संख्या 4 में कहा है कि सूर्य की पत्नी घोड़ी का रूप धारण करके तपस्या कर रही थी। सूर्य काम वासना (सेक्स प्रेसर) के वश होकर घोड़ा रूप धारण करके घोड़ी रूप धारी अपनी पत्नी के पास गया। घोड़ी ने उसे अपने पृष्ठ भाग (पीछे) की ओर नहीं जाने दिया। सूर्य इतना सैक्स प्रेसर (काम वासना के दबाव) में था कि उसने घोड़ी के मुख की ओर ही संभोग क्रिया प्रारम्भ की जिस कारण से उन्हें तीन पुत्र प्राप्त हुए। वह स्थान अश्व तीर्थ नाम से विख्यात हुआ।
वहीं पर सूर्य की दो बेटियाँ जाकर नदी बन कर बहने लगी। जिस कारण से वही स्थान पंचवटी आश्रम नाम से भी प्रसिद्ध हुआ। उसी स्थान को भानू तीर्थ भी कहा जाता है। इस तीर्थ का लाभ लिखा है कि इसके स्मरण से तथा कीर्तन करने से तथा इसकी कथा श्रवण करने से सब पापों से मुक्त होकर धर्मवान और सुखी होता है।
विचार करो पुण्यात्माओं! क्या ऐसी कथाओं को सुनने तथा ऐसे स्थान पर जाने से आत्म कल्याण सम्भव है? इसलिए शास्त्रों (पाचों वेदों, गीता जी) के अनुसार भक्ति करने से सर्व पापों से मुक्त होकर पूर्ण मोक्ष सम्भव है।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन ��फल बनाएं।
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणpart67
"तीर्थ स्थापना के प्रमाण"
1. शुक्र तीर्थ कैसे बना? श्री ब्रह्मा पुराण लेखक कृष्णद्वेपायन अर्थात व्यास जी प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर पृष्ठ 167-168 पर भृगु ऋषि का पुत्र कवि अर्थात शुक्र ने गौतमी नदी के उत्तर तट पर जहाँ भगवान महेश्वर की आराधना करके विद्या पायी थी, वह स्थान शुक्र तीर्थ कहलाता है।
2. सरस्वती संगम तीर्थ तथा पुरूरव तीर्थ श्री ब्रह्मा पुराण पृष्ठ 172-173 पर :- एक दिन राजा पुरूरवा, ब्रह्मा जी की सभा में गये, वहाँ ब्रह्मा जी की पुत्री सरस्वती को देखकर उससे मिलने की इच्छा प्रकट की। सरस्वती ने हाँ कर दी। सरस्वती नदी के तट पर सरस्वती तथा पुरूरवा ने अनेक वर्षों तक संभोग (सैक्स) किया। एक दिन ब्रह्मा ने उनको विलास करते देख लिया। अपनी बेटी को शाप दे दिया। वह नदी रूप में समा गई। जहाँ पर पुरूरवा तथा सरस्वती ने संभोग किया था। वह पवित्र तीर्थ सरस्वती संगम नाम से विख्यात हुआ। जहाँ पर पुरूरवा ने महादेव की भक्ति की वह स्थान पुरूरवा तीर्थ नाम से विख्यात हुआ।
3. वृद्धा संगम तीर्थ श्री ब्रह्मा पुराण पृष्ठ 173 से 175: एक गौतम ऋषि थे। उनका एक हजार वर्ष की आयु तक विवाह नहीं हुआ। वह वेद ज्ञान भी नहीं पढ़ा था केवल गायत्री मंत्र याद था। उसी का जाप करता था। एक दिन वह एक पर्वत पर एक गुफा में गया। वहाँ पर नब्बे हजार वर्ष की आयु की एक वृद्धा स्त्री मिली। दोनों ने विवाह किया। एक दिन वशिष्ठ ऋषि तथा वाम देव ऋषि वहाँ गुफा में अन्य ऋषियों के साथ आए। उन्होंने गौतम ऋषि का उपहास किया कहा हे गौतम जी ! यह वृद्धा आप की माँ है या दादी माँ? उनके जाने के पश्चात् दोनों बहुत दुःखी हुए। अगस्त ऋषि की राय से गोदावरी नदी के गौतमी तट पर गये और कठोर तपस्या करने लगे। उन्होंने भगवान शंकर और विष्णु का स्तवन किया तथा पत्नी के लिए गंगा जी को भी खुश किया। गंगा ने उनके तप से प्रसन्न होकर कहा- ब्राह्मण आप मन्त्र पढ़ते हुए मेरे जल से अपनी पत्नी का अभिषेक करो। इससे वह रूपवती हो जाएगी। गंगा जी के आदेश से दोनों ने एक-दूसरे के लिए ऐसा ही किया। दोनों पति-पत्नी सुन्दर रूप वाले हो गये। वह जल जो मन्त्रों का था। उससे वृद्धा नाम नदी बह चली। उसी स्थान पर गौतम ऋषि ने उस वृद्धा के साथ जो युवती हो गई थी। मन भरकर संभोग किया। तब से उस स्थान का नाम "वृद्धा संगम" तीर्थ हो गया। वहीं पर गौतम ऋषि ने साधनार्थ एक शिवलिंग स्थापित किया था। वह भी वृद्धा के नाम पर वृद्धेश्वर कहलाया। इस वृद्धा संगम तीर्थ की कथा सब पापों का नाश करने वाली है। वहाँ किया हुआ स्नान-दान सब मनोरथों को सिद्ध करने वाला है।
4. अश्वतीर्थ अर्थात् भानु तीर्थ तथा पंचवटी आश्रम की स्थापना :- श्री ब्रह्मा पुराण पृष्ठ 162-163 तथा श्री मार्कण्डेय पुराण पृष्ठ 173 से 175 पर लिखा है :- "महर्षि कश्यप के ज्येष्ठ पुत्र आदित्य (सूर्य) है, उनकी पत्नी का नाम उषा है (मार्कण्डेय पुराण में सूर्य की प��्नी का नाम संज्ञा लिखा है जो महर्षि विश्वकर्मा की बेटी है) सूर्य की पत्नी अपने पति सूर्य के तेज को सहन न कर सकने के कारण दुःखी रहती थी। एक दिन अपनी सिद्धि शक्ति से अन्य स्त्री अपनी ही स्वरूप की उत्पन्न की उसे कहा आप मेरे पति की पत्नी बन कर रहो तेरी तथा मेरी शक्ल समान है। आप यह भेद मेरी सन्तान तथा पति को भी नहीं बताना यह कह कर संज्ञा (उषा) तप करने के उद्देश्य से उत्तर कुरूक्षेत्र में चली गई वहाँ घोड़ी का रूप धारण करके तपस्या करने लगी। भेद खुलने पर सूर्य भी घोड़े का रूप धारण करके वहाँ गया जहाँ संज्ञा (उषा) घोड़ी रूप में तपस्या कर रही थी। घोड़े रूप में सूर्य ने घोड़ी रूप धारी संज्ञा से संभोग करना चाहा। उषा (संज्ञा) घोड़ी रूप में वहाँ से भाग कर गौतमी नदी के तट पर आई घोड़ा रूप धारी सूर्य ने भी पीछा किया। वहाँ आकर घोड़ी रूप में अपने पतिव्रत धर्म की रक्षा के लिए घोड़ा रूप धारी पति को न पहचान कर उस की ओर अपना पृष्ठ भाग न करके मुख की ओर से ही सामना किया। दोनों की नासिका मिली। सूर्य वासना के वेग को रोक नहीं सके तथा घोड़ी रूप धारी उषा (संज्ञा) के मुख ओर ही संभोग करने के उद्देश्य से प्रयत्न किया। नासिका द्वारा वीर्य प्रवेश से घोड़ी रूप धारी उषा के मुख से दो पुत्र अश्वनी कुमार (नासत्य तथा दस्र) उत्पन्न हुए तथा शेष वीर्य जमीन पर गिरने से रेवन्त नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। वह स्थान अश्व तीर्थ भानु तीर्थ तथा पंचवटी आश्रम नाम से विख्यात हुआ। उसी स्थान पर सूर्य की बेटियों का अरूणा तथा वरूणा नामक नदियों के रूप में समागम हुआ। उसमें भिन्न-2 देवताओं और तीर्थों का पृथक-पृथक समागम हुआ है। उक्त संगम में सताईस हजार तीर्थों का समुदाय है। वहाँ किया हुआ स्नान व दान अक्षय पुण्य देने वाला है। नारद ! उस तीर्थ के स्मरण से कीर्तन और श्रवण से भी मनुष्य सब पापों से मुक्त हो धर्मवान् और सुखी होता है।
5. जन स्थान तीर्थ की स्थापना: श्री ब्रह्म पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) पृष्ठ 161-162 पर :- ऋषि याज्ञवल्क्य से राजा जनक ने पूछा कि हे द्विजश्रेष्ठ ! बड़े-2 मुनियों ने निर्णय किया है कि भोग और मोक्ष दोनों श्रेष्ठ हैं। आप बताएँ! भोग से भी मुक्ति प्राप्त कैसे होती है? ऋषि याज्ञवल्क्य जी ने कहा इस प्रश्न का उत्तर आप श्वशुर वरूण जी ठीक 2 बता सकते हैं। चलो उनसे पूछते हैं। दोनों भगवान वरूण के पास गए तथा वरूण ने बताया कि "वेद में यह मार्ग निश्चित किया है कि कर्म न करने की उपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है। धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष ये चारों पुरुषार्थ कर्म से बंधे हुए हैं। नृप श्रेष्ठ ! कर्म द्वारा सब प्रकार से साध्यों की सिद्धी होती है, इसलिए मनुष्यों को सब तरह से वैदिक कर्म का अनुष्ठान करना चाहिए। इससे वे इस लोक में भोग तथा मोक्ष दोनों प्राप्त करते हैं। अकर्म से कर्म पवित्र है। इसके पश्चात् राजा जनक ने ऋषि याज्ञवल्क्य को पुरोहित बनाकर गंगा के तट पर अनेकों यज्ञ किए। इसलिए उस स्थान का नाम "जन स्थान" तीर्थ के नाम से विख्यात हुआ। उस तीर्थ का चिन्तन करने, वहाँ जाने और भक्ति पूर्वक उसका सेवन (पूजन) करने से मनुष्य सब अभिलाषित वस्तुओं को पाता है और मोक्ष का भोगी होता है।
उपरोक्त पुराणों के लेखों का निष्कर्ष :-
प्रमाण संख्या 1 में कहा है कि भृगु ऋषि के पुत्र शुक्र ने गौतमी नदी के उत्तर तट पर साधना की थी जिस कारण से वह स्थान शुक्र तीर्थ नाम से विख्यात हुआ।
यदि कोई उस शुक्र तीर्थ में केवल स्नान व वहाँ पर बैठे कामचोर व्यक्तियों को दान करने से ही मोक्ष मानता है वह ज्ञानहीन व्यक्ति है। परमात्मा की साधना जैसे शुक्राचार्य ने की थी। वैसी ही साधना किसी भी स्थान पर कोई साधक करेगा तो शुक्राचार्य को जो लाभ हुआ था वह प्राप्त होगा।
यही स्थिति प्रमाण संख्या 5 की समझें की गंगा के तट पर जिस स्थान पर राजा जनक ने अनेकों अश्वमेघ यज्ञ किए। एक अश्वमेघ यज्ञ में करोंड़ों रूपये (वर्तमान में अरबों रूपये) खर्च हुए थे।
तब राजा जनक को स्वर्ग प्राप्ति हुई थी। यदि कोई अज्ञानी कहे कि उस जन स्थान तीर्थ पर जाने व स्नान करने तथा वहाँ उपस्थित ऐबी (शराब, तम्बाकू व मांस सेवन करने वाले) व्यक्तियों कों दान करने से राजा जनक वाला लाभ मिलेगा। क्या यह बात न्याय संगत है? इतना कुछ करने के पश्चात् भी राजा जनक मुक्त नहीं हो सका। वही आत्मा कलयुग में सन्त नानक जी के रूप में श्री कालु राम महता के घर जन्मा। फिर पूर्ण परमात्मा की भक्ति पूर्ण गुरु कबीर परमेश्वर से नाम प्राप्त करके की तब मोक्ष प्राप्त हुआ।
प्रमाण संख्या 2 में ब्रह्मा की बेटी सरस्वती ने पूरूरवा नामक राजा के साथ अपने पिता से छुपकर सैक्स (संभोग) किया। जब पिता जी ने उन्हें ऐसा करते देखा तो श्राप दे दिया। वह स्थान जहाँ पर सरस्वती ने तथा राजा पुरूरवा ने दुराचार किया उस स्थान का नाम सरस्वती संगत तीर्थ विख्यात हुआ।
* विचार करें: क्या ऐसे स्थान पर जाने व स्नान करने से कोई लाभ हो सकता है?
प्रमाण संख्या 3 में कहा है कि एक गौतम नामक ऋषि ने एक हजार वर्ष की आयु में नब्बे हजार वर्ष की आयु की वृद्धा से विवाह किया।
अपने को युवा बनाने के उद्देश्य से दोनों ने गोदावरी नदी के गौतमी तट पर कठोर तप किया। पश्चात् मन्त्रों से जल मन्त्रित करके एक-दूसरे पर डाला। दोनों युवा हो गये। तत्पश्चात् उस स्थान पर दोनों ने मन भर कर संभोग अर्थात् विलास (सेक्स) किया। वह स्थान वृद्धा संगम तीर्थ कहलाया। विचार करने योग्य बात है कि ऐसे स्थानों पर जाने से आत्म कल्याण के स्थान पर पतन ही होगा। आत्म उद्वार नहीं।
अपने को युवा बनाने के उद्देश्य से दोनों ने गोदावरी नदी के गौतमी तट पर कठोर तप किया। पश्चात् मन्त्रों से जल मन्त्रित करके एक-दूसरे पर डाला। दोनों युवा हो गये। तत्पश्चात् उस स्थान पर दोनों ने मन भर कर संभोग अर्थात् विलास (सेक्स) किया। वह स्थान वृद्धा संगम तीर्थ कहलाया।
विचार करने योग्य बात है कि ऐसे स्थानों पर जाने से आत्म कल्याण के स्थान पर पतन ही होगा। आत्म उद्वार नहीं।
प्रमाण संख्या 4 में कहा है कि सूर्य की पत्नी घोड़ी का रूप धारण करके तपस्या कर रही थी। सूर्य काम वासना (सेक्स प्रेसर) के वश होकर घोड़ा रूप धारण करके घोड़ी रूप धारी अपनी पत्नी के पास गया। घोड़ी ने उसे अपने पृष्ठ भाग (पीछे) की ओर नहीं जाने दिया। सूर्य इतना सैक्स प्रेसर (काम वासना के दबाव) में था कि उसने घोड़ी के मुख की ओर ही संभोग क्रिया प्रारम्भ की जिस कारण से उन्हें तीन पुत्र प्राप्त हुए। वह स्थान अश्व तीर्थ नाम से विख्यात हुआ।
वहीं पर सूर्य की दो बेटियाँ जाकर नदी बन कर बहने लगी। जिस कारण से वही स्थान पंचवटी आश्रम नाम से भी प्रसिद्ध हुआ। उसी स्थान को भानू तीर्थ भी कहा जाता है। इस तीर्थ का लाभ लिखा है कि इसके स्मरण से तथा कीर्तन करने से तथा इसकी कथा श्रवण करने से सब पापों से मुक्त होकर धर्मवान और सुखी होता है।
विचार करो पुण्यात्माओं! क्या ऐसी कथाओं को सुनने तथा ऐसे स्थान पर जाने से आत्म कल्याण सम्भव है? इसलिए शास्त्रों (पाचों वेदों, गीता जी) के अनुसार भक्ति करने से सर्व पापों से मुक्त होकर पूर्ण मोक्ष सम्भव है।
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Motivational Quotes In Hindi | बेस्ट 278+ मोटिवेशनल कोट्स हिंदी में
Motivational Quotes In Hindi: नमस्कार दोस्तों, आप सब कैसे हैं? मुझे उम्मीद है कि आप अच्छे और स्वस्थ होंगे। आज हम आपके लिए हिंदी में प्रेरक उद्धरणों का संग्रह लेकर आए हैं, Motivational Quotes In Hindi with Images. प्रेरणा एक शक्तिशाली बूस्टर के रूप में कार्य करती है, जिससे हर कार्य संभव लगता है। यह शरीर और मन दोनों में नई आशा और ऊर्जा भरती है, जिससे हर प्रयास संभव लगता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।. ��ब प्रेरणा मिलती है, तो मस्तिष्क विशिष्ट हार्मोन जारी करता है जो हमें खुश और सकारात्मक महसूस कराते हैं। आज, कई लोग प्रेरक वक्ताओं या अनगिनत ऑनलाइन वीडियो से प्रेरणा ले रहे हैं।. हमारा दृढ़ विश्वास है कि हिंदी में हमारे प्रेरक उद्धरण पढ़ने से आपका उत्साह बढ़ेगा और आप नए जोश के साथ कार्यों को करने के लिए प्रेरित होंगे। इन उद्धरणों में आपके जीवन को बदलने की क्षमता है, जो इसे सकारात्मकता और दृढ़ संकल्प से भर देते हैं।. हमें उम्मीद है कि आपको हमारा संग्रह अच्छा लगेगा। यदि आपके कोई प्रश्न या सुझाव हैं, तो बेझिझक हमें लिखें।. इन प्रेरक उद्धरणों को पढ़ने का आनंद लें, और Shayari संग्रह समुदाय का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद। इन उद्धरणों को अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ साझा करना न भूलें। आपका दिन शुभ हो! जय श्री राम!.
Motivational Quotes In Hindi
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अगर जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो मेहनत पर विश्वास करो, किस्मत की आजमाईश तो जुए में होती हैं! दर्द, गम, डर जो भी है बस तेरे अंदर हैं, खुद के बनाये पिंजरे से निकल कर देख, तू भी एक सिकंदर हैं! वक्त का काम तो गुजरना है, अच्छा है तो शुक्र करो, बुरा है तो सब्र! सिर्फ पढ़ाई ही आपको सफल नहीं बना सकती, लगन, मेहनत और सही दिशा से चलने की क्षमता भी ज़रूरी है! अभी तो असली उड़ान बाकी है, परिंदे का इम्तिहान बाकी है, अभी अभी तो लांघा है समुंदर, अभी तो पूरा असमान बाकी है!
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इंतेज़ार करने वालो को सिर्फ उतना मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है! मैं वो खेल नहीं खेलता जिसमे जीतना फिक्स हो, क्योंकि जीतने का मजा तब हैं जब हारने का रिस्क हो! गिरना अच्छा है, औकात का पता चलता है, हाथ थामे रखने वाले कितने है, इस बात का पता चलता है! जिंदगी में सिर्फ पढ़ाई ही ज्ञान नहीं, तुम्हारे अनुभव भी तुम्हें सफल बनाते हैं! जिंदगी एक बार मिलती है, बिल्कुल गलत है, सिर्फ मौत एक बार मिलती है, जिंदगी हर रोज मिलती है!
Struggle Motivational Quotes In Hindi
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जो अपनी जिंदगी में कुछ पाना चाहते हैं, वो समंदर में भी पत्थरों के पुल बना लेते हैं! संघर्ष इंसान को मजबूत बनाता है, फिर चाहे वो कितना भी कमजोर क्यों न हो! एक क्षण के लिए भी ये मत सोचो की तुम कमजोर हो, हम सभी के भीतर आंतरिक शक्ति का भण्डार छिपा है! जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर करती है, मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी! जिंदगी का सफर जितना मुश्किल होगा, मंजिल उतनी ही हसीन ��ोगी!
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इंसान असफल तब नहीं होता जब वह हार जाता है, असफल तब होता है जब वो ये सोच ले कि अब वो जीत नहीं सकता! इतिहास में कभी भी आसानी से जीवन जीने वाले किसी आदमी ने याद रखने लायक नाम नहीं छोड़ा है! किसी के पैरों में गिरकर प्रतिष्ठा पाने के बदले, अपने पैरों पर चलकर कुछ बनने की ठान लो! ना थके है पैर अभी ना हारी है हिम्मत, हौसला है कुछ बड़ा करने का इसे अभी भी सफर जारी है! सपनो को सफल बनाने के लिए बातो से नहीं, रातो से लड़ना पड़ता है!
Life Reality Motivational Quotes In Hindi
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जब आप अपने सपनों की ओर बढ़ते हैं, तो जिंदगी आपके साथ भी खड़ी होती है! मुश्किल वक्त में सबसे बड़ा सहारा है उम्मीद, जो यह विश्वास दिलाती है कि सब अच्छा होगा! जिंदगी किसी की आसान नहीं होती है, इंसान का हौसला उसे जीने की राह देता है! बस अपने मन को मजबूत रखिये , ज़िंदगी खुद-ब-खुद हलकी लगने लगेगी! इंसान नहीं उसका वक्त बोलता है और जब वक्त खराब हो तो, इंसान भले कितना ही बोल ले उसकी कोई नही सुनता!
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अगर जीवन में खुश रहना है, तो तारीफ़ सुने और बेहतर होना है तो निंदा! जिंदगी के सबसे बड़े रिश्ते हमारे, सपनों और मेहनत से होते हैं! जिंदगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है, और आसान करने के लिए समझना पड़ता है! बस आपको अपने कदमो पर भरोसा होना चाहिए , क्यूंकि इस दुनिया की तो राह में रोड़ा अटकाने की आदत है! जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आएगा, जब तुमसे जलने वाले खुद ही जलकर राख हो जाएंगे!
Motivational Quotes In Hindi For Success
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सक्सेस की सबसे खास बात है की, वो मेहनत करने वालों पर फ़िदा हो जाती है! भगवान के भरोसे कभी मत बैठो, क्या पता भगवान तुम्हारे भरोसे बैठा हो! कभी कभी आपको गिराने वाले को यह पता नही होता, की आपकी वज़ह से ही वह खड़ा है! जीवन का सबसे बड़ा गुरू वक्त होता है क्योंकी, जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सिखा पाता! सफलता के मैदान में वही विजयी होता है, जिसके पास मेहनत रूपी ब्रह्मास्त्र होता है!
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जब रास्तों पर चलते चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो आप सही रास्ते पर है! छोटे रास्ते पर नहीं बल्कि हमेशा सही रास्ते पर चलने का प्रयास करें! काबिलियत इतनी बढ़ाओ, की तुम्हे हराने के लिए कोशिश नही साजिश करनी पड़े! जिनके उपर जिम्मेदारियों का बोझ होता है, उनके पास रूठने और टूटने का वक्त नहीं होता है! हार मत मानना जो कर रहे हो करते रहो दिल से, सफलता पाने के लिए कई बार असफलता का स्वाद चखना पड़ता है!
Best Motivational Quotes In Hindi
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बुरे वक्त में जो आपसे जुदा न हो, उसे गौर से देखो कही खुदा न हो! महानता कभी ना गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है! इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की, आप कितने धीरे चलते हैं, ज़रूरी ये है की आप रुके नहीं! सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है, और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है! खुद से जीतने की जिद है मुझे खुद को ही हराना है, मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की मेरे अंदर एक ज़माना है!
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अगर आज के दौर में अपने मार्ग से भटक गए, तो आने वाला कल तुम्हे जीने नहीं देगा! जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी! वो मुश्किल दौर ही होता है जो इंसान को मज़बूत बना देता है ताकी वो हीरे की तरह चमक सके! अपने रास्ते खुद चुनिए क्योंकि, आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता! मालूम है कि ख़्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशें अधूरी हैं, पर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमी भी जरूरी है!
Motivational Quotes In Hindi For Students
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धैर्य बनाकर रखें और मेहनत करते रहें, आपका किस्सा नहीं एक दिन कहानी बनेगी! ज्ञान आपके दिमाग की एक ऐसी दवा है, जो आपको हर मुश्किल मे या परेशानी मे आपको अकेला नहीं छोड़ती! पढ़ाई के समय आपने निश्चित लक्ष्य को याद रखें, ताकि सफलता की दिशा में बिना भटके आगे बढ़ सकें! मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है! समय और शिक्षा का सही उपयोग ही व्यक्ति को सफल बनाता है!
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जब लोगो की फितरत बदल सकती है, तो किस्मत क्या चीज़ है! अपने सपनों को पूरा करने के लिए पढ़ाई के पंख चुनो! अगर ख्वाईश कुछ अलग करने की है, तो दिल और दिमाग के बीच बगावत लाजमी है! इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं, हम वों सब कर सकते है जो हम सोच सकते है! अच्छे लोग और अच्छी किताबें, तुरंत समझ में नहीं आते, उन्हें पढ़ना पड़ता है!
Life Motivational Quotes In Hindi
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जमाने में वही लोग हम पर उंगली उठाते हैं, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती! रिश्ते चाहे कोई भी हो, हीरे की तरह होना चाहिए, दिखने मे छोटा सा परंतु कीमती और अनमोल! सफलता वही पाते हैं, जो हारने का डर नहीं रखते! जीवन की सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में हैं, जिसे लोग कहते हैं की तुम नहीं कर सकते हो! कुछ अलग करना है तो भीड़ से हट कर चलो, भीड़ साहस तो देती है पर पहचान छिन लेती है!
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कामयाब होने के लिए अकेले ही आगे बढ़ना पड़ता है, लोग तो पीछे तब आते हैं जब आप कामयाब होने लगते हैं! अगर भाग्य पर भरोसा हैं तो जो तक़दीर मे लिखा हैं वही पाओगे, और अगर खुद पर भरोसा है तो जो चाहोगे वही पाओगे! जब आप अपने सपनों की ओर बढ़ते हैं, तो जिंदगी आपके साथ भी खड़ी होती है! अपने हौसलों को ये मत बताओ कि तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है, बल्कि अपनी परेशानी को ये बताओ कि तुम्हारा हौसला कितना बड़ा है! सफल सिर्फ सपनों के लिए मत बनो, बल्कि उनके लिए भी बनो जो तुम्हारा मजाक उड़ाते हैं!
Good Morning Motivational Quotes In Hindi
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जिंदगी एक आइने की तरह होती है, जब आप मुस्कुराओगे तभी वो मुस्कुराएगी! ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अमीर वो इंसान होता है जो दूसरों का दिल, अपनी एक मुस्कुराहट देकर जीत लेता है! टूटे को बनाना और रूठे को मनाना, जिसे आता है वो खुद में सफल होता है! जीवन मे प्रयास सदैव कीजिए. लक्ष्य मिले या अनुभव दोनों ही अमूल्य है!
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कोशिश यह होनी चाहिए कि हम सदैव समाधान का हिस्सा बने, समस्या का नहीं! मुस्कुराने का असर सेहत पर होता है, इसलिए मुस्कुराकर खुद ��ो सेहतमंद बनाएं! एक अच्छी शुरुआत करने के लिए, कोई भी दिन चुन लो बुरा नही होता! तू भी थोड़ी अपने हिस्से की सुबह से थोड़ी उमंग ले, ऊर्जा की नई किरण ले! कल चाहे कितना भी बुरा था बीत गया, आपको नई सुबह की शुभकामनाएं!
Study Motivational Quotes In Hindi
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यूं जमीन पर बैठ क्यों आसमान देखता है, खोल पंखों को ये जमाना उड़ान देखता है! अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार मत मानो, क्योंकि हारते वही हैं जो कोशिश नहीं करते! जिंदगी बहुत हसीन है कभी हंसाती है तो कभी रुलाती है, लेकिन जो जिंदगी की भीड़ में खुश रहता है, जिंदगी उसी के आगे सिर झुकाती है! सफलता का कोई रहस्य नहीं हैं, यह तैयारी, कड़ी मेहनत और विफलता से सीखने का परिणाम है! समय शिक्षा और ज्ञान का सही उपयोग, हर इंसान को सफल बनाने के लिए ज़रूरी है!
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मंज़िल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न हो, रास्ते हमेशा पैरों के नीचे ही रहते हैं! बिना मेहनत के तरक्की नहीं होती, और तरक्की के लिए अध्ययन करना बहुत जरूरी होता है! क्यों हारता है गैर साथ नहीं है, ��्या खुद का साया भी तेरे पास नहीं, ये हाथ जो तेरे साथी है तो एक अकेला काफी है! जिंदगी छोटी है, जी लो, भय स्वाभाविक है, सामना करो, स्मृति शक्तिशाली है, इसका इस्तेमाल करो! सही करने की हिम्मत उसी में आती है, जो गलती करने से नहीं डरते है!
Positive Thinking Motivational Quotes In Hindi
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सीखने की कोई उम्र नहीं होती है, इसलिए रोज कुछ न कुछ नया सीखते रहें! दुआएं कभी खाली नहीं जाती हैं, बस सही वक्त पर कबूल होती है! आप दुखो को गिनने बैठ जाओगे, जाहिर है खुशियों की गिनती भूल जाओगे! सब्र कोई कमज़ोरी नही होती है, ये वो ताकत होती है जो सब में नहीं होती! मेहनत करने का कोई मौसम नहीं होता, जब करना शुरू करो वही मौसम हसीं बन जाती है!
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अपने अंदर का शेर जगाओ, चलो उठो अब अपनी पहचान बनाओ! मंजर बुरा हो सकता है, मजिंल नहीं, दौर बुरा हो सकता है लेकिन जिंदगी नहीं! मुश्किलें कमजोर पड़ जाती है, जब आपको मजबूत पाती है! मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता हैं, जैसा वो विश्वास करता हैं वैसा वो बन जाता हैं! वक्त, हालत, मौसम कैसे भी हों, तू लड़ना सीख, तू चलना सीख, तू आगे बढ़ना सीख!
Sad Motivational Quotes In Hindi
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जिसकी जैसी सोच वह वैसी कहानी रखना है, कोई परिंदे के लिए बंदूक तो कोई पानी रखता है! अभी धूप निकलने के बाद भी जो सोया है, वो ज़रूर तेरी याद में रातभर रोया है! खामोशियां बेवजह नहीं होती, कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते है! रोज पूछते थे मुझसे मेरा हाल, आज कल किसी और से पूछ रही है! जिनकी सबसे बनती है, वो भरोसे के लायक नही होते!
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ज़िंदगी जब कठिन समय पर नाच नचाती है, तो ढोलक बजाने वाले अपनी जान पहचान के होते है! धोखा देने के लिए शुक्रिया तेरा, तुम न मिलती तो दुनिया की समझ न आती! जो लोग अंदर से मर जाते हैं, वो लोग दूसरों को जीना सिखाते हैं! मोहब्बत के बारे में उस इंसान से पूछो, जिसने दिल टूटने के बाद भी उस शख्स से नफरत नहीं की! अगर आज के दौर में अपने मार्ग से भटक गए, तो आने वाला कल तुम्हे जीने नहीं देगा!
Love Motivational Quotes In Hindi
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मैं नासमझ ��ी सही पर वो तारा हूं जो तेरी एक ख्वाहिश के लिए सौ बार टूंट जाऊँ! आज खुदा ने मुझसे कहा भुला क्यों नहीं देते उसे, मैंने कहा इतनी फिक्र है तो मिला क्यों नहीं देते! तेरे सिवा किसी और की चाहत नहीं, तेरे सिवा किसी और से मोहब्बत नहीं! तुम कुछ भी सोचो मेरे बारे में, पर ये दिल तुम्हें याद किये बिना धड़क नहीं सकता! तुम किसी के ��ी बनकर रहो पर, मेरे लिए तुम हमेशा मेरे ही रहोगे!
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ना चांद की चाहत ना सितारों की फरमाइश, हर जन्म में तू मिले मेरी बस यही ख्वाहिश! याद वो नही जो अकेले में आये, याद वो है जो महफ़िल में आये और अकेला कर जाये! अगर निभाने की चाहत दोनों तरफ से हो, कोई रिश्ता कभी टूट नहीं सकता! तू पूछ लेना सुबह से, न यकीन हो तो शाम से, ये दिल धड़कता है बस तेरे ही नाम से! जीने में सुकून सिर्फ तेरे होने से आया है, तेरी मोहब्बत ने मुझपे कुछ रंग ऐसा चढ़ाया है!
Attitude Motivational Quotes In Hindi
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मेरी नर्मी को मेरी कमज़ोरी मत समझना, मै सर झुकाकर चलता हूँ तो सिर्फ खुदा के डर से! ��गर लोग आपको नीचे गिराना चाहते हैं, तो इसका मतलब आप उनसे ऊपर हैं! जिंदगी का कोई रिमोट नहीं होता, जागो उठो और इसे खुद बदलो! जीतने का मजा तब ही आता है, जब सभी आपके हारने का इंतजार कर रहे हो! मुझे समझना इतना आसान नहीं, मैं वह किताब हूँ जो हर किसी को पढ़ना नहीं आता!
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मुझे चाहने वालो की तादाद बढ़ती जा रही है, नफरत करने वालो अपनी दुआओं में असर लाओ! हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ, जब भी मिलेंगे अंदाज़ पुराना ही होगा! बस वक्त की बात है जनाब, पंछी के साथ पिजरा भी उड़ा देंगे! बात करना है तो इज्जत से कर, वरना तेरी औकात नहीं मुझसे बात करने की!
Hard Work Struggle Motivational Quotes In Hindi
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जो सही वक्त पर मेहनत नहीं करते, वो जिंदगी भर दूसरों की गुलामी करतें है! सीढ़ियाँ सिर्फ उनके लिए बनी हैं जिन्हें छत पर जाना है, जिनकी मंज़िल आसमान हो उनको तो रास्ता ख़ुद ब��ाना पड़ता है! जो हर दिन कुछ न कुछ सीखता है, वो हमेशा जीतता है! वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदल जाता है, लोग भी और रास्ते भी अहसास भी! हिम्मत ना हार एक बार फिर अपने आप को तैयार कर, मेहनत होती है हमेशा वफ़ादार बस तू ख़ुद पर ऐतबार कर!
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योजनाएं केवल अच्छे इरादे हैं, जब तक की उन्हें तुरंत कड़ी मेहनत में ना बदला जाये! लगन और मेहनत से हर, असम्भव काम को संभव किया जा सकता है! पैसे को दिमाग में नही जेब मे रखना चाहये, रिश्तों को खुले में नही दिलों में रखना चाहिये! जीवन में ख़ामोशी से मेहनत करते रहो, आपकी सफलता ख़ुद ब ख़ुद शोर मचा देगी! किस्मत सिर्फ मेहनत से बदलती है, बैठ कर सोचते रहने से नहीं!
Morning Motivational Quotes In Hindi
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ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का खेल समझे
चंद्रमा
नवग्रहों में चंद्रमा को भाव, मन, पोषण, रचनात्मकता, माता, धन, यात्रा, प्रतिक्रिया, संवेदनशीलता और जल का कारक माना गया है। यह आंतरिक जीवन की शक्ति को दर्शाता है और इसके साथ ही व्यक्ति के दूसरों के प्रति व्यवहार और भावनाओं को नियंत्रित करता है। चन्द्रमा व्यक्ति को उसके अवचेतन मन से जुड़ने में मदद करता है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा जन्म के समय जिस राशि में स्थित होता है वह जातक की चंद्र राशि कहलाती है। हरिवंश पुराण के अनुसार चन्द्रमा को ऋषि अत्रि का पुत्र माना गया है जिसका पालन दस दिशाओं द्वारा किया गया। चंद्रमा मन का कारक ग्रह है और यह बहुत ही शांतचित्त है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार चन्द्रमा ��क शुभ ग्रह है और चंद्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर व्यक्ति स्वभाव से मृदु, संवेदनशील और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने वाला होता है। चन्द्रमा सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा एक शुभ ग्रह है। चंद्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर व्यक्ति स्वभाव से मृदु, संवेदनशील और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने वाला होता है।
चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी है। हिन्दू ज्योतिष में राशिफल के लिए चंद्र राशि को आधार माना जाता है। चन्द्रमा हर व्यक्ति के ऊपर एक विशेष प्रभाव छोड़ता है जो उस व्यक्ति के दिमाग में एक विशेष संवेदनशीलता पैदा कर देता है। चन्द्रमा को ही व्यक्ति के विकास, माँ बनने, मानसिक शांति, स्मृति आदि के लिए जिम्मेदार माना गया है। कुंडली में बैठा चन्द्रमा ही आपको यह बताता है कि व्यक्ति की भावनात्मक जरूरतें क्या हैं और यदि जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में चंद्रमा शुभ स्थिति में बैठा हो तो उस व्यक्ति को अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
इसके प्रभाव से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहता है और साथ ही उस व्यक्ति का मन ज्यादातर अच्छे कार्यों में ही लगता है। वहीं चंद्रमा के कमज़ोर होने पर आपको परेशानी, मानसिक तनाव आदि की समस्या हो सकती है। यदि चन्द्रमा सही स्थान पर न बैठा हो तो उस व्यक्ति को संबंधित क्षेत्र में सचेत रहना चाहिए।
किसी व्यक्ति की कुंडली से उसके चरित्र को देखते समय चंद्रमा की स्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है दरअसल चंद्रमा व्यक्ति के मन तथा भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। चंद्रमा सूर्य और बुध का मित्र है वहीं मंगल, शुक्र, वृहस्पति और शनि के लिए तटस्थ है। व्यक्ति की कल्पना शक्ति चंद्र ग्रह से ही संचालित होती है। कुंडली में जिस स्थान पर चन्द्रमा होता है वह बताता है कि व्यक्ति सुरक्षा पाने के लिए किस दिशा या क्षेत्र में काम करेगा। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा कमजोर है तो उस व्यक्ति को उपाय हेतु भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए , इससे उस व्यक्ति को चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मंगल ग्रह
ज्योतिष में मंगल ��ो अत्यंत तेज और शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। इसी कारण से कुंडली में इसके शुभ और अशुभ योग आपकी जिंदगी कैसी होगी यह तय करते हैं। इसे एक आक्रामक ग्रह माना जाता है। मंगल ग्रह शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष विज्ञान में मंगल को साहस, वीरता, शक्ति, पराक्रम, सेना, क्रोध, उत्तेजना आदि का कारक माना जाता है। साथ ही यह अलावा यह युद्ध, शत्रु, भूमि, अचल संपत्ति, पुलिस आदि का भी कारक होता है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में मंगल की अच्छी दशा कामयाब बनाती है और इस ग्रह की बुरी दशा व्यक्ति से सब कुछ छीन भी लेती है। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में मंगल की अच्छी दशा कामयाब बनाती है और इस ग्रह की बुरी दशा व्यक्ति से सब कुछ छीन भी लेती है। यानि मंगल के बहुत से शुभ और अशुभ योग होते हैं। यह व्यक्ति को सफल होने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और हौसला भी प्रदान करता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार मंगल को भूमि पुत्र के रूप में माना जाता है। यानि उसे धरती माता का पुत्र माना जाता है। मिस्त्र के लोगों ने इसे हार्माकिस और यूनानियों ने इसे अरेस यानी युद्ध का देवता कहा है। हमारे पुराणों के अनुसार मनुष्य के नेत्रों में मंगल ग्रह का वास होता है। मंगल व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है जिससे वह कई तरह की परेशानियों का सफलतापूर्वक सामना कर सके। मंगल की दो राशियां हैं, मेष और वृश्चिक। यह मकर में 28 डिग्री उच्च का है और कर्क में 28 डिग्री नीच का होता है। इसका मूलत्रिकोण राशि मेष है।
यह सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति के लिए अनुकूल है और बुध और शुक्र के लिए प्रतिकूल और शनि के लिए तटस्थ है। मंगल हमारे द्वारा चुने गए कार्य और उसे करने के तरीके को भी दर्शाता है। यह ग्रह किस व्यक्ति पर कैसे अपनी ऊर्जा का प्रभाव कैसे छोड़ेगा यह उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। मंगल की स्थिति आपको बताती है कि आप किस दिशा में सबसे ज्यादा गतिशील है और किस दिशा में आप उलझे हुए हैं।
जिस व्यक्ति का मंगल अच्छा होता है वह स्वभाव से निडर और साहसी व्यक्ति होगा और उसे युद्ध में विजय प्राप्त होगी। वहीं यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में है तो उस व्यक्ति या जातक को जीवन में नकारात्मक परिणाम मिलेंगे। इस स्थिति में आपको इस ग्रह से सं��ंधित क्षेत्र में सचेत रहने की जरूरत है। मजबूत मंगल आपको अच्छा परिणाम देता है जबकि एक कमजोर मंगल इसी में दोष का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल के शुभ योग में भाग्य चमक उठता है और लक्ष्मी योग मंगल का शुभ योग है। यह योग इंसान को धनवान बनाता है।
किसी कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है और यह यह योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है। अंगारक योग से बचने के लिए मंगलवार का व्रत करना शुभ होता है और साथ ही भगवान भोलेनाथ के पुत्र कुमार कार्तिकेय की पूजा करें। मंगल का एक और अशुभ योग है मंगल दोष। यह दोष आपके रिश्तों को कमजोर बना देता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है। इसी मंगल दोष के कारण जातकों को वैवाहिक जीवन में समस्या का सामना करना पड़ता है और कुंडली में यह स्थिति विवाह संबंधों के लिए बहुत संवेदनशील मानी जाती है।
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🔹फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवित्र कुरआन के पश्चात् दूसरे नम्बर पर है। फजाईले आमाल में एक अध्याय फजाईले जिक्र है। उसकी आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में कबीर अल्लाह की महिमा है।
🔹फजाईले जिक्र में आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में स्पष्ट प्रमाण है कि पाक कुरआन का ज्ञान उतारने वाला (अल्लाह) ब्रह्म (काल अर्थात् क्षर पुरूष) कह रहा है कि तुम कबीर अल्लाह कि बड़ाई बयान करो। वह कबीर अल्लाह तमाम पोसीदा और जाहिर चीजों को जानने वाला है और वह कबीर है और आलीशान रूत्बे वाला है। जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे खौफ के मारे घबरा जाते हैं। यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर होती है तो एक दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का क्या हुक्म है। वह कबीर आलीशान मर्तबे वाला है। ये सब आदेश कबीर अल्लाह की तरफ से है जो बड़े आलीशान रूत्बे वाला है।
🔹हजुरे अक्सद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (हजरत मुहम्मद) का इर्शाद (कथन) कहना है कि कोई बंदा ऐसा नहीं है कि ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ कहे उसके लिए आसमानों के दरवाजे न खुल जाएँ, यहाँ तक कि यह कलिमा सीधा अर्श तक पहुँचता है, बशर्ते कि कबीरा गुनाहों से बचाता रहे। दो कलमों का जिक्र है कि एक तो ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ है और दूसरा ‘अल्लाहु अक्बर‘(कबीर)। {यहाँ पर अल्लाहु अक्बर का भाव है भगवान कबीर (कबीर साहेब अर्थात् कविर्देव)।}
🔹फजाइले जिक्र
बल्लत कबीर बूल्लाह आला महादाकुप वाला अल्ला कुम तरकोरून (1)
• और ताकि तुम कबीर अल्लाह की बड़ाई बयान करों, इस बात पर कि तुम को हिदायत फरमायी और ताकि तुम शुक्र करो अल्लाह तआला का।
🔹सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)
आयत नं. 52
अल्लजी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अल्लअर्शि ज अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्।
विवेचन:- (आयत नं. 52) जो अल्लाह कुरआन (मजीद व शरीफ) का ज्ञान हजरत मुहम्मद जी को बता रहा है, वह कह रहा है कि हे पैगम्बर! तुम काफिरों की बात न मानना क्योंकि वे कबीर अल्लाह को नहीं मानते। उनका सामना (संघर्ष) मेरे द्वारा दी गई कुरआन की दलीलों के आधार से बहुत जोर से यानि दृढ़ता के साथ करना अर्थात् वे तुम्हारी न मानें कि कबीर अल्लाह ही समर्थ (कादर) है तो तुम उनकी बातों को न मानना
🔹सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)
आयत नं. 53 से 59 तक उसी कबीर अल्लाह की महिमा (पाकी) ब्यान की गई है। कहा है कि यह कबीर वह कादर अल्लाह है जिसने सब सृष्टि की रचना की है। उसने मानव उत्पन्न किए। फिर उनके संस्कार बनाए। रिश्ते-नाते उसी की कृपा से बने हैं। खारे-मीठे जल की धाराएँ भी उसी ने भिन्न-भिन्न अपनी कुदरत (शक्ति) से बहा रखी हैं। पानी की बूँद से आदमी (मानव=स्त्री-पुरूष) उत्पन्न किया।
🔹सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)आयत नं. 58:- और (ऐ पैगम्बर) उस जिंदा {जो जिंदा बाबा के वेश में तेरे को काबा में मिला था, वह अल्लाह कबीर} पर विश्वास रखो जो कभी मरने वाला नहीं है (अविनाशी परमेश्वर है) और तारीफ (प्रशंसा) के साथ उसकी पाकी ब्यान (पवित्र महिमा का गुणगान) करते रहो और अपने बंदों के गुनाहों (पापों) से वह कबीर परमेश्वर अच्छी तरह परिचित है यानि सत्य साधक के सब पाप नाश कर देता है।
🔹पवित्र कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत नंबर 52 में प्रमाण है
हजरत मोहम्मद जी का खुदा कह रहा है कि ऐ पैगंबर तुम काफिरों का कहा ना मानना जो अन्य देवी देवताओं की उपासना करते हैं और एक कबीर प्रभु को नहीं मानते आप मेरे दिए इस कुरान के ज्ञान पर अटल रहना कबीर ही पूर्ण प्रभु है और उस कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना लड़ना नहीं अर्थात अडिग रहना । इस आयत में परमात्मा को इबादही कबीरा कहकर संबोधित किया गया है
🔹पवित्र कुरान शरीफ में सूरत फुरकान आयत नंबर 59 में हजरत मोहम्मद जी को कुरान ज्ञान दाता अल्लाह कह रहा है
कबीरप्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो कुछ भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना 6 दिन में की तथा 7 वे दिन ऊपर अपने तख्त यानी सतलोक के सिंहासन पर जा बैठा। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर यानी तत्वदर्शी संत से पूछो ।
🔹अल्लाह साकार है, बेचून नहीं!
पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है, उसी को अल्लाहु अकबिरू भी कहते हैं।
🔹अल्लाह की सही इबादत करें,
कुरान शरीफ सूरह अल फुरकान 25 आयत 52-59 में कहा है जिसने 6 दिन में सृष्टि रची फिर सातवें दिन तख्त पर जा विराजा वह अल्लाह कबीर है। उसकी खबर किसी बाखबर यानि इल्मवाले/तत्वदर्शी संत से पूछो। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही बाख़बर है जो अल्लाह के पूर्ण जानकार है।
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एक लाख किमी की रफ्तार से पृथ्वी के पास से गुजरा 'तबाही का देवता', 2036 में होगी वापसी; नासा ने जारी किया अपडेट
Earth Asteroid Collision Latest Update: शुक्र है भगवान का कि आफत टल गई। धरती पर बीती रात भूकंप और तूफान आने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन वह ‘काली’ रात गुजर गई। अमेरिका की स्पेस एजेंसी ने उस एस्ट्रॉयड को लेकर ताजा अपडेट दिया है, जो कल 15 सितंबर की रात को धरती से टकराने वाला था। 25000 मील यानी करीब एक लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ON 2024 नामक एस्ट्रॉयड धरती से करीब 620000 मील दूर से गुजरा,…
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
11/06/24
*🎉Facebook सेवा🎉*
🌿 *मालिक की दया से अब सदग्रन्थों में प्रमाण है, कबीर साहेब भगवान हैं। इससे सम्बंधित Facebook पर सेवा करेंगे जी।*
*टैग हैं*
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https://www.satsaheb.org/kabir-is-god-hindi/
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*🔮सेवा Points🔮* ⬇️
🔹फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवित्र कुरआन के पश्चात् दूसरे नम्बर पर है। फजाईले आमाल में एक अध्याय फजाईले जिक्र है। उसकी आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में कबीर अल्लाह की महिमा है।
🔹फजाईले जिक्र में आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में स्पष्ट प्रमाण है कि पाक कुरआन का ज्ञान उतारने वाला (अल्लाह) ब्रह्म (काल अर्थात् क्षर पुरूष) कह रहा है कि तुम कबीर अल्लाह कि बड़ाई बयान करो। वह कबीर अल्लाह तमाम पोसीदा और जाहिर चीजों को जानने वाला है और वह कबीर है और आलीशान रूत्बे वाला है। जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे खौफ के मारे घबरा जाते हैं। यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर होती है तो एक दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का क्या हुक्म है। वह कबीर आलीशान मर्तबे वाला है। ये सब आदेश कबीर अल्लाह की तरफ से है जो बड़े आलीशान रूत्बे वाला है।
🔹हजुरे अक्सद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (हजरत मुहम्मद) का इर्शाद (कथन) कहना है कि कोई बंदा ऐसा नहीं है कि ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ कहे उसके लिए आसमानों के दरवाजे न खुल जाएँ, यहाँ तक कि यह कलिमा सीधा अर्श तक पहुँचता है, बशर्ते कि कबीरा गुनाहों से बचाता रहे। दो कलमों का जिक्र है कि एक तो ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ है और दूसरा ‘अल्लाहु अक्बर‘(कबीर)। {यहाँ पर अल्लाहु अक्बर का भाव है भगवान कबीर (कबीर साहेब अर्थात् कविर्देव)।}
🔹फजाइले जिक्र
बल्लत कबीर बूल्लाह आला महादाकुप वाला अल्ला कुम तरकोरून (1)
* और ताकि तुम कबीर अल्लाह की बड़ाई बयान करों, इस बात पर कि तुम को हिदायत फरमायी और ताकि तुम शुक्र करो अल्लाह तआला का।
सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)
आयत नं. 52
🔹अल्लजी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अल्लअर्शि ज अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्।
विवेचन:- (आयत नं. 52) जो अल्लाह कुरआन (मजीद व शरीफ) का ज्ञान हजरत मुहम्मद जी को बता रहा है, वह कह रहा है कि हे पैगम्बर! तुम काफिरों की बात न मानना क्योंकि वे कबीर अल्लाह को नहीं मानते। उनका सामना (संघर्ष) मेरे द्वारा दी गई कुरआन की दलीलों के आधार से बहुत ���ोर से यानि दृढ़ता के साथ करना अर्थात् वे तुम्हारी न मानें कि कबीर अल्लाह ही समर्थ (कादर) है तो तुम उनकी बातों को न मानना
🔹सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)
आयत नं. 53 से 59 तक उसी कबीर अल्लाह की महिमा (पाकी) ब्यान की गई है। कहा है कि यह कबीर वह कादर अल्लाह है जिसने सब सृष्टि की रचना की है। उसने मानव उत्पन्न किए। फिर उनके संस्कार बनाए। रिश्ते-नाते उसी की कृपा से बने हैं। खारे-मीठे जल की धाराएँ भी उसी ने भिन्न-भिन्न अपनी कुदरत (शक्ति) से बहा रखी हैं। पानी की बूँद से आदमी (मानव=स्त्री-पुरूष) उत्पन्न किया।
🔹सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)आयत नं. 58:- और (ऐ पैगम्बर) उस जिंदा {जो जिंदा बाबा के वेश में तेरे को काबा में मिला था, वह अल्लाह कबीर} पर विश्वास रखो जो कभी मरने वाला नहीं है (अविनाशी परमेश्वर है) और तारीफ (प्रशंसा) के साथ उसकी पाकी ब्यान (पवित्र महिमा का गुणगान) करते रहो और अपने बंदों के गुनाहों (पापों) से वह कबीर परमेश्वर अच्छी तरह परिचित है यानि सत्य साधक के सब पाप नाश कर देता है।
🔹धर्मदास जी की वाणी में प्रमाण, कबीर साहेब ही भगवान:-
रहे नल-नील यत्न कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।।धन-धन सतगुरू सत कबीर भक्त की पीर मिटाने वाले।
🔹आदरणीय दादू साहेब जी (अमृत वाणी में प्रमाण) कबीर परमेश्वर के साक्षी:-
आदरणीय दादू साहेब जी जब सात वर्ष के बालक थे तब पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले तथा सत्यलोक ले गए। तीन दिन तक दादू जी बेहोश रहे। होश में आने के पश्चात् परमेश्वर की महिमा की आँखों देखी बहुत-सी अमृतवाणी उच्चारण की:-
जिन मोकूँ निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।
🔹आदरणीय मलूक दास साहेब जी कविर्देव के साक्षी:-
42 वर्ष की आयु में श्री मलूक दास साहेब जी को पूर्ण परमात्मा मिले तथा दो दिन तक श्री मलूक दास जी अचेत रहे। फिर निम्न वाणी उच्चारण कीः-
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
दास मलूक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।
🔹आदरणीय गरीबदास साहेब जी छुड़ानी जिला-झज्जर, हरियाणा वाले
प्रभु कबीर (कविर्देव) का आँखों देखा विवरण अपनी अमृत वाणी में ‘‘सद्ग्रन्थ‘‘ नाम से ग्रन्थ की रचना की। अमृत वाणी में प्रमाण:
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार।।
🔹गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।
नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक”
🔹पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मं. 8 में है कि कविर् मनीषि स्वयम्भूः परिभू व्यवधाता, भावार्थ है कि कवीर परमात्मा सर्वज्ञ है (मनीषि का अर्थ सर्वज्ञ होता है) तथा अपने आप प्रकट होता है। वह (परिभू) सनातन अर्थात् सर्वप्रथम वाला प्रभु है। वह सर्व ब्रह्मण्डों का (व्यवधाता) भिन्न-भिन्न अर्थात् सर्व लोकों का रचनहार है।
🔹पवित्र यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25:-
जिस समय भक्त समाज को शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण (पूजा) कराया जा रहा होता है। उस समय कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्व ज्ञान को प्रकट करते हैं।
🔹 पवित्र सामवेद संख्या 1400 में
संख्या न. 359 सामवेद अध्याय न. 4 के खण्ड न. 25 का श्लोक न. 8 -
जो कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है। वह सर्वशक्तिमान है तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाला है वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पुजा करने योग्य है।
🔹ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17
वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि पूर्ण परमात्मा विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर कविर्देव अपने वास्तविक ज्ञानको अपनी कबीर बाणी के द्वारा निर्मल ज्ञान अपने हंसात्माओं अर्थात् पुण्यात्मा अनुयायियों को कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा सम्बोधन करके अर्थात् उच्चारण करके वर्णन करता है।
🔹ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में एक गुम्बज में रहता है।
🔹अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक न. 1, मन्त्र नं. 7 (संत रामपाल जी महाराज द्वारा भाषा भाष्य):-
योऽथर्वाणं पित्तरं देवबन्धुं बृहस्पतिं नमसाव च गच्छात्।
त्वं विश्वेषां जनिता यथासः कविर्देवो न दभायत् स्वधावान्।।7।।
जिस परमेश्वर के विषय में कहा जाता है - त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव, त्वमेव विद्या च द्रविणम्, त्वमेव सर्वम् मम् देव देव।। वह जो अविनाशी सर्व का माता पिता तथा भाई व सखा व जगत गुरु रूप में सर्व को सत्य भक्ति प्रदान करके सतलोक ले जाने वाला, काल की तरह धोखा न देने वाला, सर्व ब्रह्मण्डों की रचना करने वाला कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है।
🔹पवित्र बाइबिल अय्यूब 36:5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB)के अनुसार पूर्ण परमात्मा
परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है।
परमेश्वर कबीर (सामर्थी) है और विवेकपूर्ण है।
बाइबल ने भी स्पष्ट किया है की प्रभु का नाम कबीर है।
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#ग्रंथोंमेंप्रमाण_कबीरजीभगवान
Sant Rampal Ji Maharaj
🔹हजुरे अक्सद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (हजरत मुहम्मद) का इर्शाद (कथन) कहना है कि कोई बंदा ऐसा नहीं है कि ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ कहे उसके लिए आसमानों के दरवाजे न खुल जाएँ, यहाँ तक कि यह कलिमा सीधा अर्श तक पहुँचता है, बशर्ते कि कबीरा गुनाहों से बचाता रहे। दो कलमों का जिक्र है कि एक तो ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ है और दूसरा ‘अल्लाहु अक्बर‘(कबीर)। {यहाँ पर अल्लाहु अक्बर का भाव है भगवान कबीर (कबीर साहेब अर्थात् कविर्देव)।}
🔹फजाईले जिक्र में आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में स्पष्ट प्रमाण है कि पाक कुरआन का ज्ञान उतारने वाला (अल्लाह) ब्रह्म (काल अर्थात् क्षर पुरूष) कह रहा है कि तुम कबीर अल्लाह कि बड़ाई बयान करो। वह कबीर अल्लाह तमाम पोसीदा और जाहिर चीजों को जानने वाला है और वह कबीर है और आलीशान रूत्बे वाला है। जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे खौफ के मारे घबरा जाते हैं। यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर होती है तो एक दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का क्या हुक्म है। वह कबीर आलीशान मर्तबे वाला है। ये सब आदेश कबीर अल्लाह की तरफ से है जो बड़े आलीशान रूत्बे वाला है
🔹फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवित्र कुरआन के पश्चात् दूसरे नम्बर पर है। फजाईले आमाल में एक अध्याय फजाईले जिक्र है। उसकी आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में कबीर अल्लाह की महिमा है।
🔹फजाइले जिक्र
बल्लत कबीर बूल्लाह आला महादाकुप वाला अल्ला कुम तरकोरून (1)
• और ताकि तुम कबीर अल्लाह की बड़ाई बयान करों, इस बात पर कि तुम को हिदायत फरमायी और ताकि तुम शुक्र करो अल्लाह तआला का।
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आयत नं. 52
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‼️ 13 Mukhi Rudraksha :आइये जानते हैं तेरह मुखी रुद्राक्ष के रोचक तथ्य, और लाभ ‼️
📍13 मुखी रुद्राक्ष का महत्व :
इस रुद्राक्ष को पहनने से महिलाओं के प्रजनन संबंधित समस्याओं से छुटकरा मिलता है
3 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भाग्योदय होता है और व्यक्ति को जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं।
मानसिक विकारों को ठीक करने और मंगल और शुक्र ग्रहों के अशुभ प्रभावों को दूर करने में मदद करता है।
कमर दर्द से राहत मिलती है और मानसिक रूप से मजबूती मिलती है।
चुनौतियों का सामना करने और जीत हासिल करने के लिए भी आप इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
यह स्वस्थ मन और शरीर प्राप्त करने और जीवन की विभिन्न विलासिता का आनंद लेने में मदद करता है।
इसे पहनने वाला धन और शक्ति जैसे सभी भौतिक सुखों का आनंद लेता है।
चूंकि 13 मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह शुक्र है, इसलिए यह पहनने वाले को आकर्षण और लोकप्रियता प्रदान करता है। यह रुद्राक्ष अपने पहनने वाले को सभी भौतिक सुखों के साथ-साथ आध्यात्मिक प्रगति भी देता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष यह सुनिश्चित करता है कि पहनने वाला चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में विजयी हो और उसका भाग्य अपनी पूरी क्षमता के साथ उसके लिए उपलब्ध हो।
भगवान कामदेव भी पहनने वाले पर कृपा करते हैं और उसकी सभी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करते हैं।
यह रुद्राक्ष उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जिन्हें नेताओं, विपणन पेशेवरों, कंपनी अध्यक्षों आदि जैसे लोगों के साथ बातचीत करनी होती है।
यह रुद्राक्ष अपने आकर्षण को बढ़ाने की की लिए अच्छा माना जाते है। इसलिए यह रुद्राक्ष उन लोगों के लिए भी बहुत अच्छा है जो अपने जीवन में सच्चे प्यार की तलाश में हैं।
▪︎ Contact: +91 98714 16581
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