#बृहस्पति के उपाय
Explore tagged Tumblr posts
Text
🚩नवरात्रि का छठा दिन देवी कात्यायनी के नाम, विवाह में रुकावट या धन का है अभाव? आजमाएँ ये उपाय, बन जायेंगे बिगड़े काम !
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
🚩मां दुर्गा की छठवीं शक्ति हैं मां कात्यायनी। नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मो��्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है।
🚩कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।
इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।
भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं।
इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।
इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के भक्त श्रद्धा भाव से जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा करते हैं। इसी कड़ी में बात करें षष्ठी तिथि की तो इस दिन आदिशक्ति मां कात्यायनी की पूजा अर्चना का विधान बताया गया है। इस दिन मां दुर्गा के भक्त श्रद्धा भाव से मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करते हैं।
🚩शारदीय नवरात्रि 2024- षष्ठी तिथि 🚩
👉वर्ष 2024 में नवरात्रि की षष्ठी तिथि नवरात्रि के सातवें दिन यानी 9 अक्टूबर 2024 बुधवार के दिन पड़ रही है। इस दिन माता के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाएगी। बात करें इस दिन के हिंदू पंचांग की तो इस दिन तिथि षष्ठी रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र मूल रहने वाला है, और योग सौभाग्य और शोभन रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो इस दिन का कोई भी अभिजीत मुहूर्त नहीं है।
🚩माँ कात्यायनी का स्वरूप कैसा है ? 🚩
👉मां के स्वरूप की तो मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं जिसमें उन्होंने अस्त्र-शस्त्र और कमल धारण किया हुआ है। माँ कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं। इन्हें ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी का दर्जा प्राप्त है। कहते हैं गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए मां कात्यायनी की ��ी पूजा की थी। इसके अलावा जिन लोगों का विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह में रुकावट आ रही है उन्हें माँ कात्यायनी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। साथ ही योग्य और मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ रहता है।
👉ज्योतिष में मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। मां का वर्ण सुनहरा और चमकीला है। माता की चार भुजाएं हैं और उन्होंने रत्न आभूषण धारण किए हुए हैं। यह देवी खूंखार और झपट पड़ने वाली मुद्रा में रहने वाले सिंह पर सवारी करती हैं। इनका आभामंडल विभिन्न देवों के तेज अंशों से मिश्रित इंद्रधनुषी छटा देता है। मां कात्यायनी के दाहिने और ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है, नीचे वाली भुजा वर देने वाली मुद्रा में है, बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में उन्होंने तलवार धारण की है और नीचे वाली भुजा में कमल का फूल लिया हुआ है।
प्राणियों में मां का वास आज्ञा चक्र में होता है और योग साधक इस दिन अपनी ध्यान आज्ञा चक्र में ही लगाते हैं। मां कात्यायनी पूजा से प्रसन्न होने पर साधक को दैवीय शक्तियाँ प्रदान करती हैं। जिन लोगों की भक्ति से मां कात्यायनी प्रसन्न होती हैं उन्हें देवी कृतार्थ कर देती हैं। ऐसे व्यक्ति इस लोक में रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव को प्राप्त करते हैं।
ऐसे व्यक्तियों के रोग, शोक, संताप, डर के साथ-साथ जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। कहते हैं जो कोई भी भक्त निरंतर देवी कात्यानी की उपासना करता है उन्हें परम पद प्राप्त होता है। यही वजह है कि कहा जाता है की देवी कात्यानी जिस भी व्यक्ति से प्रसन्न हो जाए उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
👉देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर शांतिमय हो जाता है और गृहस्थ जीवन सुखमय बना रहता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा बेहद ही सिद्ध साबित होती है। इसके अलावा देवी नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी मानी गई हैं।
🚩माँ का नाम कात्यायनी ऐसे पड़ा 🚩
कहा जाता है कि मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फल स्वरुप उनके घर में उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थी। अपने इसी स्वरूप में मां ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था और इसी वजह से देवी का नाम मां कात्यायनी पड़ा। कात्यानी देवी को गुप्त रहस्यों का प्रतीक भी माना जाता है।
🚩माँ कात्यायनी पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग 🚩
बात करें मां कात्यायनी की पूजा में शामिल किए जाने वाले मंत्रों की तो इस दिन की पूजा में मां कात्यानी की प्रसन्नता हासिल करने के लिए नीचे दिए गए मित्रों को स्पष्ट उच्चारण पूर्वक पूजा में अवश्य शामिल करें:
1.या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2.चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||
नवरात्रि के सभी 9 दिनों में अलग-अलग भोग चढ़ाने की परंपरा है। ऐसे में बात करें मां कात्यायनी के प्रिय भोग की तो मां कात्यायनी को शहद बहुत ही प्रिय होता है इसीलिए षष्ठी तिथि की पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएँ। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आने लगता है।
मां कात्यायनी के प्रिय रंग की तो देवी को पीला और लाल रंग बहुत ही प्रिय होता है। ऐसे में इस दिन की पूजा में मां कात्यायनी को लाल और पीले रंग के गुलाब पीले और लाल रंग के वस्त्र अवश्य अर्पित करें। इसके साथ ही आप खुद भी इन्हीं रंगों का पूजा में इस्तेमाल करें। इससे मां कात्यानी के प्रसन्नता निश्चित रूप से आप हासिल कर सकेंगे।
🚩नवरात्रि षष्ठी तिथि पर करें सरल और यह अचूक उपाय 🚩
👉नवरात्रि के छठे दिन आपको क्या कुछ उपाय करने हैं जिससे आपके विवाह में आ रही रुकावट दूर हो, साथ ही जीवन से धन का अभाव भी दूर जाने लगे।
👉नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर नारियल लेकर उसके साथ एक लाल, पीले और सफेद रंग का फूल माता को अर्पित कर दें। इसके बाद नवरात्रि की नवमी तिथि की शाम को यह फूल नदी में प्रवाहित कर दें और नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर इसे अपने तिजोरी या पैसे रखने वाली जगह पर रख दें। इस उपाय को करने से जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है और अगर आपका धन कहीं अटका हुआ है तो वह भी आपको मिलने लगता है।
👉नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और पीले वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें। माँ को पीले रंग के फूल अर्पित करें, भोग लगाएँ और सुख समृद्धि की कामना करें। ऐसा करके आप अपने जीवन में सुख शांति लेकर आ सकते हैं। इस दिन की पूजा में यदि आप मां कात्यायनी को शहद अर्पित करते हैं तो इसके वैवाहिक जीवन में मिठास बनी रहती है। साथ ही अविवाहित लोगों को योग्य वर वधु की भी प्राप्ति होती है।
👉नवरात्रि के छठे दिन अगर आप मां कात्यायनी को तीन गांठ हल्दी चढ़ाते हैं और पूजा के बाद इन गांठों को शुद्ध स्थान पर रख देते हैं तो ऐसा करने से आपको अपने शत्रुओं पर विजय हासिल होती है।
👉नवरात्रि के छठे दिन की पूजा में मां कात्यायनी से संबंधित मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति का आभामंडल मजबूत होता है। साथ ही सामाजिक स्तर पर आपको अच्छे परिणाम मिलते हैं और बिगड़े काम बनने लगते हैं।
👉इस दिन की पूजा में दूध में केसर मिलाकर मां कात्यायनी का अभिषेक करें। ऐसा करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर होने लगेगी, आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा, आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और करियर में सफलता प्राप्त होगी।
#motivational motivational jyotishwithakshayg#tumblr milestone#akshayjamdagni#mahakal#panchang#hanumanji#rashifal
0 notes
Text
गुरु चांडाल योग क्या होता है और गुरु चांडाल कैसे बनता है?
गुरु चांडाल योग के बारे में 5 मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
गुरु-राहु/केतु की युति: जब बृहस्पति (गुरु) की युति राहु या केतु के साथ होती है, तब यह योग बनता है। यह किसी भी भाव में हो सकता है।
बृहस्पति के गुणों पर नकारात्मक प्रभाव: बृहस्पति नैतिकता, ज्ञान, और धर्म का ग्रह है, जबकि राहु और केतु भ्रम, माया, और अधर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे बृहस्पति के सकारात्मक गुण बाधित होते हैं।
धार्मिक और नैतिक उलझनें: इस योग के कारण व्यक्ति धार्मिक और नैतिक भ्रम में पड़ सकता है, जिससे गलत निर्णय या नैतिकता में गिरावट की संभावना होती है।
अनैतिक गतिविधियों की प्रवृत्ति: राहु के प्रभाव से व्यक्ति अनैतिक कार्यों या गलत तरीकों से धन, शक्ति, और सफलता पाने की ओर आकर्षित हो सकता है।
उपाय: गुरु और राहु के लिए मंत्र जाप, गुरु का व्रत, और धार्मिक मार्ग पर चलना इस योग के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
गुरु चांडाल योग का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति और बृहस्पति की ताकत पर निर्भर करता है। यदि आपको भी जाना है अपनी कुण्डी के आधार पर तो आप Kundli Chakra 2023 - Astrology App का प्रयोग कर सकते है। जो आपको बेहतर जानकारी दे सकता है।
#astrology#astro observations#numerology#astro community#aries horoscope: star sign dates#birth chart#12th house#astrologer#cancer horoscope: star sign dates#8th house#aries weekly horoscope: what your star sign has in store for october 1 – 7#capricorn horoscope: star sign dates#capricorn weekly horoscope: what your star sign has in store for november 5 – 11#gemini horoscope: star sign dates#gemini weekly horoscope: what your star sign has in store for november 19 25#gemini weekly horoscope: what your star sign has in store for october 22 – 28#horoscope today#leo horoscope: star sign dates#libra horoscope: star sign dates#horoscope#zodiac#transits#zodic signs#Horoscope
0 notes
Text
श्रावण मास में शिव जलाभिषेक का कारण
श्रावण मास में शिव जलाभिषेक का कारण
इतिहास महत्व और करने योग्य उपाय
पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब समुद्र मंथन से हलाहल धरती पर प्रकट हुआ था और समस्त मानव और अन्य जीव जंतुओं के प्राणों पर संकट घिर आया था तब देवों के देव, महादेव ने सम्पूर्ण सृष्टि को जीवनदान दिया था। उन्होंने हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया था। कहा जाता है की यह घटना सावन के महीने में घटित हुई थी। महादेव के विष पान से उनका शरीर गर्म हो गया था और उन्हें परेशानी हो रही थी। अपने प्रभु को परेशानी में देख समस्त देवताओं ने महादेव पर जल अर्पित किया था और इंद्र देव ने ज़ोरों क�� वर्षा की थी। तब से यह चलन बन गया और हर वर्ष सावन के महीने में भगवान शिव के शरीर में विष की गर्मी से उत्पन्न हुई ज्वाला को शांत करने के लिए भक्तगण अपने भोलेनाथ पर जलाभिषेक करते हैं।
सावन का पावन महीना अर्थात् शिव की भक्ति व मनचाहा वरदान पाने का सर्वोत्तम समय है। कैलाशपति शिव जी को कंठ में विष होने के कारण शीतलता अत्यन्त प्रिय है, जिससे उन्हें राहत मिलती है। हरियाली और शीतलता होने के कारण भोलेनाथ को सावन का माह अत्यधिक प्रिय है। अब सावन है तो बारिश होना स्वाभाविक है। वर्षा का जल शुद्ध और ताज़ा होता है, इसलिए वर्षा जल से अभिषेक करने का फल भी अधिक है। हम बताने जा रहे हैं दिनों के अनुसार किसका अभिषेक करने से आपकी इच्छा शीघ्र और सरलता से पूरी हो जाएगी।
रविवार- शत्रुओं पर विजय
सूर्य देव को समर्पित रविवार के दिन सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर वर्षा जल से अर्घ्य दें और श्रीआदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करें। इस उपाय से आपको आपके शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी और आपके घर में सकारात्मकता का संचार होगा।
सोमवार- हर मनोकामना पूर्ण
चंद्र देव को समर्पित दिन सोमवार को शिवलिंग पर द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति पढ़ते हुए अभिषेक करने से सच्चे मन से की गई हर प्रार्थना भोलेनाथ पूर्ण करते हैं और मन व परिवार में सुख-शांति का संचार होता है।
मंगलवार- रोग व कष्टों का नाश
मंगलवार को शिवलिंग या हनुमान जी पर शुद्ध तन व पवित्र मन से “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय नम:” बोलते हुए अभिषेक करने से व्यक्ति के समस्त कष्टों का नाश होता है तथा उसके असाध्य रोग भी समाप्त हो जाते हैं।
बुधवार- सद् बुद्धि एवं शादी-विवाह हेतु
बुद्धि में वृद्धि हेतु या शादी-विवाह में आ रही अड़चन को दूर करने के लिए बुधवार को प्रथम पूज्य गणेश जी का “ॐ गं गणपतये नम:” मंत्र केसाथ अभिषेक करने से शीघ्र लाभ मिलता है। परीक्षा की तैयारी करनी हो या विवाह हेतु अच्छे रिश्ते की कामना हो, गणपति की कृपा से सब निर्विघ्न हो जाता है।
गुरुवार- सुख-समृद्धि की प्राप्ति
बृहस्पति देव को समर्पित दिन गुरुवार या एकादशी को वर्षा जल से श्री विष्णु जी का अभिषेक करना चाहिए और श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिये। जिससे श्री हरि प्रसन्न होकर व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
शुक्रवार- धन-धान्य की वर्षा
सावन में शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी का भाव पूर्वक लक्ष्मी मंत्र के साथ अभिषेक करने उनकी कृपा से आपके पास शीघ्र ही धन लक्ष्मी का शुभागमन होता है। अभिषेक करने वाले भक्त के ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा से धन की वर्षा होती है।
शनिवार- ��ाद-विवाद में सफलता
कर्मफल दाता शनिदेव को समर्पित शनिवार के दिन प्रात: पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने व महादेव का अभिषेक और शाम को शनिदेव का तेल और वर्षा जल से अभिषेक करने से क़ानूनी मामलों, वाद-विवाद व नौकरी में सफलता मिलती है। रुके हुए काम बनने शुरू हो जाते हैं। पीपल पर जल चढ़ाते समय “ॐ नमो भगवते शनैश्चराय” मंत्र का ग्यारह बार जप करना चाहिए।
#astrogurujimayank#astrology#astrology blog#horoscopes#zodiac#zodic signs#12th house#astro tumblr#jyotish#sidereal astrology
1 note
·
View note
Text
ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का खेल समझे
चंद्रमा
नवग्रहों में चंद्रमा को भाव, मन, पोषण, रचनात्मकता, माता, धन, यात्रा, प्रतिक्रिया, संवेदनशीलता और जल का कारक माना गया है। यह आंतरिक जीवन की शक्ति को दर्शाता है और इसके साथ ही व्यक्ति के दूसरों के प्रति व्यवहार और भावनाओं को नियंत्रित करता है। चन्द्रमा व्यक्ति को उसके अवचेतन मन से जुड़ने में मदद करता है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा जन्म के समय जिस राशि में स्थित होता है वह जातक की चंद्र राशि कहलाती है। हरिवंश पुराण के अनुसार चन्द्रमा को ऋषि अत्रि का पु��्र माना गया है जिसका पालन दस दिशाओं द्वारा किया गया। चंद्रमा मन का कारक ग्रह है और यह बहुत ही शांतचित्त है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार चन्द्रमा एक शुभ ग्रह है और चंद्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर व्यक्ति स्वभाव से मृदु, संवेदनशील और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने वाला होता है। चन्द्रमा सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा एक शुभ ग्रह है। चंद्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर व्यक्ति स्वभाव से मृदु, संवेदनशील और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने वाला होता है।
चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी है। हिन्दू ज्योतिष में राशिफल के लिए चंद्र राशि को आ��ार माना जाता है। चन्द्रमा हर व्यक्ति के ऊपर एक विशेष प्रभाव छोड़ता है जो उस व्यक्ति के दिमाग में एक विशेष संवेदनशीलता पैदा कर देता है। चन्द्रमा को ही व्यक्ति के विकास, माँ बनने, मानसिक शांति, स्मृति आदि के लिए जिम्मेदार माना गया है। कुंडली में बैठा चन्द्रमा ही आपको यह बताता है कि व्यक्ति की भावनात्मक जरूरतें क्या हैं और यदि जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में चंद्रमा शुभ स्थिति में बैठा हो तो उस व्यक्ति को अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
इसके प्रभाव से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहता है और साथ ही उस व्यक्ति का मन ज्यादातर अच्छे कार्यों में ही लगता है। वहीं चंद्रमा के कमज़ोर होने पर आपको परेशानी, मानसिक तनाव आदि की समस्या हो सकती है। यदि चन्द्रमा सही स्थान पर न बैठा हो तो उस व्यक्ति को संबंधित क्षेत्र में सचेत रहना चाहिए।
किसी व्यक्ति की कुंडली से उसके चरित्र को देखते समय चंद्रमा की स्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है दरअसल चंद्रमा व्यक्ति के मन तथा भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। चंद्रमा सूर्य और बुध का मित्र है वहीं मंगल, शुक्र, वृहस्पति और शनि के लिए तटस्थ है। व्यक्ति की कल्पना शक्ति चंद्र ग्रह से ही संचालित होती है। कुंडली में जिस स्थान पर चन्द्रमा होता है वह बताता है कि व्यक्ति सुरक्षा पाने के लिए किस दिशा या क्षेत्र में काम करेगा। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा कमजोर है तो उस व्यक्ति को उपाय हेतु भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए , इससे उस व्यक्ति को चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मंगल ग्रह
ज्योतिष में मंगल को अत्यंत तेज और शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। इसी कारण से कुंडली में इसके शुभ और अशुभ योग आपकी जिंदगी कैसी होगी यह तय करते हैं। इसे एक आक्रामक ग्रह माना जाता है। मंगल ग्रह शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष विज्ञान में मंगल को साहस, वीरता, शक्ति, पराक्रम, सेना, क्रोध, उत्तेजना आदि का कारक माना जाता है। साथ ही यह अलावा यह युद्ध, शत्रु, भूमि, अचल संपत्ति, पुलिस आदि का भी कारक होता है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में मंगल की अच्छी दशा कामयाब बनाती है और इस ग्रह की बुरी दशा व्यक्ति से सब कुछ छीन भी लेती है। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में मंगल की अच्छी दशा कामयाब बनाती है और इस ग्रह की बुरी दशा व्यक्ति से सब कुछ छीन भी लेती है। यानि मंगल के बहुत से शुभ और अशुभ योग होते हैं। यह व्यक्ति को सफल होने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और हौसला भी प्रदान करता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार मंगल को भूमि पुत्र के रूप में माना जाता है। यानि उसे धरती माता का पुत्र माना जाता है। मिस्त्र के लोगों ने इसे हार्माकिस और यूनानियों ने इसे अरेस यानी युद्ध का देवता कहा है। हमारे पुराणों के अनुसार मनुष्य के नेत्रों में मंगल ग्रह का वास होता है। मंगल व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है जिससे वह कई तरह की परेशानियों का सफलतापूर्वक सामना कर सके। मंगल की दो राशियां हैं, मेष और वृश्चिक। यह मकर में 28 डिग्री उच्च का है और कर्क में 28 डिग्री नीच का होता है। इसका मूलत्रिकोण राशि मेष है।
यह सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति के लिए अनुकूल है और बुध और शुक्र के लिए प्रतिकूल और शनि के लिए तटस्थ है। मंगल हमारे द्वारा चुने गए कार्य और उसे करने के तरीके को भी दर्शाता है। यह ग्रह किस व्यक्ति पर कैसे अपनी ऊर्जा का प्रभाव कैसे छोड़ेगा यह उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। मंगल की स्थिति आपको बताती है कि आप किस दिशा में सबसे ज्यादा गतिशील है और किस दिशा में आप उलझे हुए हैं।
जिस व्यक्ति का मंगल अच्छा होता है वह स्वभाव से निडर और साहसी व्यक्ति होगा और उसे युद्ध में विजय प्राप्त होगी। वहीं यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में है तो उस व्यक्ति या जातक को जीवन में नकारात्मक परिणाम मिलेंगे। इस स्थिति में आपको इस ग्रह से संबंधित क्षेत्र में सचेत रहने की जरूरत है। मजबूत मंगल आपको अच्छा परिणाम देता है जबकि एक कमजोर मंगल इसी में दोष का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल के शुभ योग में भाग्य चमक उठता है और लक्ष्मी योग मंगल का शुभ योग है। यह योग इंसान को धनवान बनाता है।
किसी कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है और यह यह योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है। अंगारक योग से बचने के लिए मंगलवार का व्रत करना शुभ होता है और साथ ही भगवान भोलेनाथ के पुत्र कुमार कार्तिकेय की पूजा करें। मंगल का एक और अशुभ योग है मंगल दोष। यह दोष आपके रिश्तों को कमजोर बना देता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है। इसी मंगल दोष के कारण जातकों को वैवाहिक जीवन में समस्या का सामना करना पड़ता है और कुंडली में यह स्थिति विवाह संबंधों के लिए बहुत संवेदनशील मानी जाती है।
#devotional#jaimatadi#jaimatarani#parasbhaiji#motivating quotes#daily devotional#parasparivaar#mahadev#krishna#bhaktibhav#astrology#ngo#sprituality#spritualworld#spritualgrowth#spritualjourney
0 notes
Text
जन्म कुंडली में धन योग कारक ग्रह कौन सा है ?
जन्म कुंडली में धन योग कारक ग्रह कई अनुभवी ज्योतिषाचार्यों द्वारा अलग-अलग दृष्टिकोण से बताए जाते हैं। हालांकि, धन संबंधी योगों के लिए प्रमुख ग्रह गणेश और लक्ष्मी के प्रतीक होते हैं, जैसे कि बृहस्पति (गुरु) और शुक्र (शुक्रा)।
बृहस्पति (गुरु): गुरु धन, विद्या, धर्म, संस्कार और विश्वास का प्रतीक होता है। उसकी उत्तम स्थिति धन संबंधी योगों को बढ़ावा देती है, और जीवन में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में सहायक होती है।
शुक्र (शुक्रा): शुक्र भगवान लक्ष्मी का प्रतीक है और सौंदर्य, सुख, संतोष, समृद्धि और संतान का संबंध रखता है। शुक्र की उच्च स्थिति और शुभ योगों में सहयोग प्रदान करने की क्षमता होती है।
इन ग्रहों की सजीव और शुभ दशाएं धन, संपत्ति और समृद्धि के लिए शुभ होती हैं। धन संबंधी योगों को विशेष ग्रहों की स्थिति और युति के साथ संबंधित भव की स्थिति और ग्रहों के संयोगों के अनुसार विश्लेषित किया जाता है। कृपया ध्यान दें कि ये उपाय केवल सामान्य सलाह के रूप में दी गई हैं। जिसके लिए आप कुंडली चक्र २०२२ प्रोफेशनल सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
#astrologer#astro#astrology#astro community#horoscope today#matchmaking#astro observations#numerology#love marriage#across the spiderverse#astroloji#astrology readings#astronomy#8th house#astro notes#synastry#12th house#astroblr#astrology signs
0 notes
Text
विष्णु सहस्रनाम जाप के लाभ, महत्त्व और नियम
भगवान विष्णु जो सृष्टि के संचालक हैं, उनके पूजन का विशेष महत्त्व है। विष्णु सहस्रनाम एक प्राचीन स्रोत है और इसका शाब्दिक अर्थ "भगवान विष्णु के हजार नाम" से है। विष्णु भगवान को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है, इसलिए उनकी पूजा- उपासना से आपका जीवन का निर्वाह सहज एवं आसान हो जाता है।
भगवान विष्णु की अपूर्व महिमा है और इन महिमा के विषय में नामों के माध्यम से विस्तृत रूप से बताया गया है "विष्णु सहस्रनाम" में। भगवान विष्णु की उपासना के लिए ''विष्णु सहस्रनाम'' का पा�� सबसे ज्यादा फलदायी, सबसे अधिक शुभ माना जाता है।
इसका पाठ करने से श्रीहरि की कृपा से सारे काम आसानी से बनने लगते हैं और इसमें भगवान के सहस्त्र नामों का उल्लेख किया गया है और हर नाम एक मंत्र है। इसके अद्भुत श्लोक अगर आप पढ़ते हैं तो आप हर नक्षत्र को नियंत्रित कर सकते है।
बुध ग्रह की स्थिति और प्रभाव को ठीक करने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ बहुत ही अच्छा माना जाता है।
विष्णु सहस्त्रनाम का महत्त्व
भगवान विष्णु जीवन के संरक्षक हैं और सबके जीवन की रक्षा करते हैं। भगवान विष्णु की प्रार्थना करने के लिए कई पवित्र श्लोक हैं। उन सब पवित्र श्लोकों में से सबसे प्रभावी ''विष्णु सहस्त्रनाम'' है। ''विष्णु सहस्त्रनाम'' में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन है।
विष्णु सहस्त्रनाम, महाभारत महाकाव्य में भीष्म युधिष्ठिर संवाद के रूप में अनुशासन पर्व में निहित है। विष्णु सहस्त्रनाम हिंदू पौराणिक कथाओं में अत्यंत गहराई से समाहित है तथा अनुष्टुप छंद में इसके लगभग 149 श्लोक हैं।
तनाव मुक्त जीवन से मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ आपके मन को शांति प्रदान करता है। व्यक्ति के जीवन में जब अत्यंत परेशानी चल रही हो और आपके द्वारा किये गए सभी उपाय जब विफल हो जाते हैं तब व्यक्ति ईश्वर की तरफ झुकाव महसूस करता है। लेकिन वास्तव में व्यक्ति को खुशी के समय भी ईश्वर का अनुसरण करना चाहिए।
आपको सच्ची श्रद्धा के साथ विष्णु सहस्त्रनाम का जप करना चाहिए, जो परम विश्वास के साथ भगवान की राह दिखाता है। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना या सिर्फ रोजाना सुनना, हमारी मानसिक शांति और स्थिरता ��ो बनाए रखने में हमारी मदद करता है।
विष्णु सहस्त्रनाम जाप के लाभ
विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से निम्न लाभ प्राप्त हो सकते हैं:
किसी विशेष अवसर या त्यौहार वाले दिन भगवान विष्णु को याद कर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें तो उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाएगी।
पाठ करने से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, सुख-संपदा बनी रहती है।
इसका पाठ करने से संतान पक्ष से सुख की प्राप्ति होगी तथा बृहस्पति से जुड़ी पीड़ा दूर होती है।
यदि आपके विवाह में विलंब हो रहा है तो इसका पाठ (श्रीमद्भगवद्गीता) करना आपके लिए लाभकारी हो सकता है। यदि विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से वैवाहिक दाम्पत्य को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।
यदि आपके पारिवारिक जीवन में कोई समस्या आती है तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से सारी समस्या दूर हो जाएगी।
0 notes
Text
गुरु चांडाल दोष के उपाय क्या हैं?
गुरु चांडाल दोष एक ज्योतिषीय योग है जो कुंडली में गुरु (बृहस्पति) और चांडाल योग के संयोजन से बनता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में कठिनाईयों का कारण बन सकता है और उसे धन, सम्पत्ति, या संबंधों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
इस दोष को शांत करने के कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं:
गुरु मन्त्र का जाप: "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" यह मंत्र गुरु को समर्पित है और उसके द्वारा गुरु चांडाल दोष की शांति करता है। इस मंत्र को नियमित रूप से जप करने से लाभ हो सकता है।
गुरु पूजा और दान: गुरु की पूजा और दान करने से भी इसकी शांति हो सकती है। इसके लिए गुरुवार को पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर गुरु मंत्र का जाप करें और गुरु को दान करें।
गुरु के पूजा स्थल की सफाई: अपने घर में गुरु के पूजा स्थल को स्वच्छ और सुंदर रखें।
सेवा और दान: गुरु को समर्पित सेवा और दान करें। यह गुरु चांडाल दोष को शांत करने में मदद कर सकता है।
विवाह योग्य मंगलिक के साथ विवाह: कुछ ज्योतिषीय ग्रंथों में गुरु चांडाल दोष के उपाय के रूप में मंगलिक व्यक्ति के साथ विवाह का सुझाव दिया गया है। यह उपाय भी व्यक्ति को इस दोष के प्रभाव से मुक्ति प्रदान कर सकता है।
यदि आपको गुरु चांडाल दोष के बारे में अधिक जानकारी चाहिए या आप इसे ठीक करने के लिए आप टोना टोटक सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
#astrology#astro#horoscope today#matchmaking#astroworld#astro placements#marriage#numerology#astrology observations#vivah#astro notes#astro tumblr#astro boy#astro chart#astro community#astro observations#astro memes#astro posts#astronaut#astroblr#astronomy#astrophotography#follow astro girls#astronetwrk#houston astros#astrophysics
1 note
·
View note
Text
गुरु चांडाल योग के लाभ व हानि क्या हैं?
गुरु चांडाल योग एक ज्योतिषीय योग है जो किसी के जन्मकुंडली में बनता है जब गुरु (बृहस्पति) और शुक्र (शुक्र) ग्रह एक ही भाव में स्थित होते हैं, और चंद्रमा (मून) किसी भी घर में स्थित हो, जिसे चांडाल योग कहा जाता है।
गुरु चांडाल योग के लाभ:
धन लाभ: इस योग को मिलने पर व्यक्ति को धन की प्राप्ति में सहायक हो सकता है।
सामाजिक स्थान: यह योग व्यक्ति को सामाजिक स्थान में वृद्धि दिला सकता है और उसे अच्छे समाज में स्थान प्रदान कर सकता है।
कार्यक्षेत्र में सफलता: इस योग का प्रभाव कर्म और पेशेवर क्षेत्र में सफलता प्रदान करने में मदद कर सकता है।
गुरु चांडाल योग के हानि:
धार्मिक क्रियाओं में बाधा: कुछ ज्योतिषीय साहित्यों में यह कहा जाता है कि गुरु चांडाल योग व्यक्ति को धार्मिक क्रियाओं में बाधा पहुँचा सकता है।
व्यक्ति के आत्मविश्वास में कमी: यह योग किसी के आत्मविश्वास को कम कर सकता है और उसे अवसाद में डाल सकता है।
सामाजिक संबंधों में कठिनाईयाँ: कुछ विचारक यह मानते हैं कि गुरु चांडाल योग से सामाजिक संबंधों में कठिनाईयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
इसे समझना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष एक विशेष दृष्टिकोण से चीजों को देखता है और इसमें व्यक्ति की कई पहलुओं का समावेश होता है। इसलिए, किसी भी योग का समूल्यांकन केवल एक हिस्से के रूप में नहीं किया जा सकता है, और इसका समाधान या प्रभाव व्यक्ति की पूर्ण कुंडली के साथ होना चा��िए। अच्छी समझ और विश्��ेषण के लिए आप कुंडली चक्र सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल २०२२ का प्रयोग कर के व्यक्ति के जीवन की विभिन्न पहलुओं को समझ सकता है और उचित सुझाव और उपाय प्रदान कर सकता है।
#astro#astro observations#astrology#astrologer#astrophotography#astrology community#numerology#matchmaking#numero#astro community#astro notes#astrology observations#astronomy#numero magazine#astro tumblr#astrology compatibility
0 notes
Text
*🌞~ आज दिनांक 11 जनवरी 2024 बृहस्पतिवार का हिन्दू पंचांग ~🌞*
https://youtube.com/shorts/NYq4Q0cHMCU?si=lpAxFR-TFLBYjPv8
*⛅दिनांक - 11 जनवरी 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमाव���्या शाम 05:26 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढा शाम 05:39 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*⛅योग - व्याघात शाम 05:49 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:09 से 03:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:12*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:14 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - पौष अमावस्या*
*⛅विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹पौष अमावस्या - 11 जनवरी 2024🔹*
*🔸10 जनवरी रात्रि 08:10 से 11 जनवरी शाम 05:26 तक अमावस्या ।*
*🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹*
*🔹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
*🌹पूज्य बापूजी - रजोकरी, ३० नवम्बर २०१०*
*🔹अमावस्या विशेष🔹*
*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*
*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*
*🌹4. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*
*🌹5. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*
*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*
*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*
*🔹सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*
*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर���तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*
*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*
*🔹गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*
https://t.me/asharamjiashram/6490
*🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞*
0 notes
Text
Guruwar Ke Upay: गुरुवार के दिन जरूर करें उपाय, भगवान विष्णु की कृपा Guruwar Ke Upay: वीरवार का दिन जगत के पालन हार भगवान विष्णु को समर्पित है भगवान विष्णु को जगत का पालन हार माना जाता है। इसके साथ ही ये दिन देव गुरु बृहस्पति को भी समर्पित है
#Guruwar ke upay#guruwar ke upay totke#guruwar#guruwar upay#guruwar ke totke#guruvar ke totke#guruvar ke upay#guruwar katha#guruwar totke#guruwar totka#Dharm News in Hindi#Dharm Hindi News
0 notes
Text
*🔹पौष अमावस्या - 11 जनवरी 2024,अमावस्या विशेष🔹*
*🔸10 जनवरी रात्रि 08:10 से 11 जनवरी शाम 05:26 तक अमावस्या ।*
*🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹*
*🔹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
*🔹अमावस्या विशेष🔹*
*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*
*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*
*🌹4. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*
*🌹5. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*
*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*
*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*
*🔹सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*
*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*
*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*
*🔹गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
#akshayjamdagni #hindu #Hinduism #bharat #hindi #panchang #vedicastrology #astrology #hindusm #rashifal #astrologypost #ram #rammandirinayodhya
1 note
·
View note
Text
Astrobhoomi-ग्रह के अनुसार व्यवसाय और करें उपाय, पाएं लाभ part IV
बृहस्पति ग्रह से संबंधित व्यापार बृहस्पति को समस्त ग्रहों में शुभ ग्रह माना गया है। इसी के साथ इन्हें ज्ञान, विवेक और धन का कारक माना जाता है। ब्राह्मण का कार्य, धर्मोपदेश का कार्य, धर्मार्थ संस्थान, धार्मिक व्यवसाय, कर्मकाण्ड, ज्योतिष, राजनीति, न्यायालय संबंधित कार्य, नयायाधीश, कानून, वकील, बैंकिंग कार्य, कोषाध्यक्ष, राजनीति, अर्थशास्त्र, पुराण, मांगलिक कार्य, अध्यापन कार्य, शिक्षक, शिक्षण संस्थाएं, पुस्तकालय, प्रकाशन, प्रबंधन, पुरोहित, शिक्षण संस्थाएं, किताबों से संबंधित कार्य, परामर्श कार्य, पीले पदार्थ, स्वर्ण, संपादन, छपाई, कागज से संबंधित कार्य, ब्याज कार्य, गृह निर्माण, उत्तम फर्नीचर, शयन उपकरण, खाने पीने की वस्तुएं, स्वर्ण कार्य, वस्त्रों से संबंधित, लकड़ी से संबंधित कार्य, सभी प्रकार के फल, मिठाइयाँ, मोम, घी, किराना इत्यादि से जुड़े कार्य बृहस्पति ग्रह से संबंधित माने गए है।
यदि आप संपादन कार्य, थोक विक्रेता, पूजन भण्डार, पान की दुकान, मिठाई की दुकान, इत्र का कार्य, फिल्म मेकर, भूमि का क्रय व विक्रय, आभूषण के विक्रेता, पीली वस्तुओं का व्यापार, वक्ता, नेता, शिक्षा और शेयर आदि का व्यवसाय करना चाहते है तो गुरु ग्रह का कुण्डली में मजबूत होना जरूरी है। जब कुण्डली में बृहस्पति द्वितीयेश व एकादश भावों का स्वामी होकर लग्न , लग्नेश पर प्रभाव डालता हुआ दशम भाव से संबंध बनाता हो तो व्यक्ति बैंक अधिकारी , चल सम्पत्ति का से जुडा़ काम करके पैसा कमा सकता है अथवा किराया , सूद ब्याज द्वारा जीविकोपार्जन कर सकता है ।
बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के आसान उपाय 1) गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए जातक को भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए, रोज सुबह शिवजी को सफेद या पीले फूल चढ़ाएं। इसके बाद ‘ऊं आशुतोषाय नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही साथ अपने कार्यस्थल का रंग हल्का पीला या सफेद रखने से भी जातक को लाभ मिलता है।
2) गुरु ग्रह को मजबूत करने और गुरु के शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए जातक को भगवान कृष्ण की उपासना करना चाहिए। रोज सुबह-शाम क्लीं कृष्ण क्लीं मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
3) रोजाना अपने माथे पर सफेद या पीले रंग का चंदन लगाएं, साथ ही ��ोज अपने पास पीले रंग का एक रेशमी रुमाल रखें।
4) गुरु ग्रह के दोष कम करने के लिए गुरुवार का व्रत रखें, जिसमें पीले वस्त्र पहनें व बिना नमक का भोजन करें। भोजन में पीले रंग की चीजें जैसे बेसन के लड्डू आदि का सेवन करें।
youtube
0 notes
Text
11 नवम्बर 2023 : आपका जन्मदिन
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_��हिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*मंगल के मंत्र*
'ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम। कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम।। '
'ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:'
*मंगल ग्रह को मजबूत करने के उपाय*
१. मंगलवार कर दिन सुबह स्नान कर लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
२. इस दिन हनुमान जी की पूजा करें।
३. हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।
४. मूंगा रत्न धारण करें।
५. मंगलवार का व्रत करें।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👍🏻आध्यात्मिक गुरु 👍🏻राधे राधे 8764415587, 9610752236
जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आपका स्वागत है #वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स की विशेष प्रस्तुति में। यह कॉलम नियमित रूप से उन पाठकों के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी देगा जिनका उस दिनांक को जन्मदिन होगा। पेश है दिनांक 11 को जन्मे व्यक्तियों के बारे में जानकारी : दिनांक 11 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा, इस मूलांक को चंद्र ग्रह संचालित करता है। चंद्र ग्रह मन का कारक होता है। आप अत्यधिक भावुक होते हैं। ग्यारह की संख्या आपस में मिलकर दो होती है इस तरह आपका मूलांक दो होगा। आप स्वभाव से शंकालु भी होते हैं। दूसरों के दु:ख दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के हैं।
आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता। चंद्र के समान आपके स्वभाव में भी उतार-चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दें तो आप जीवन में बहुत सफल होते हैं। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ हैं लेकिन शारीरिक रूप से आप कमजोर हैं।
शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 23, 25, 29
शुभ अंक : 2, 11, 20, 25, 27, 29, 56, 65, 92
शुभ वर्ष : 2024, 2027, 2029, 2031, 2036
ईष्टदेव : बृहस्पति भगवान की पूजा, बटुक भैरव
शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला, सिल्वर ग्रे, पीला
कैसा रहेगा यह वर्ष
किसी नवीन कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ों की सलाह लें। बगैर देखे किसी कागजात पर हस्ताक्षर ना करें। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति ठीक-ठीक रहेगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आप��ी मेलजोल से ही सुलझाएं। दखलअंदाजी ठीक नहीं रहेगी। लेखन से संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
0 notes
Text
सूर्य ग्रह और लाल किताब by Puja Sharma | Lal Kitab Astrology
"सूर्य: ग्रहों के राजा, सूर्य पिता, सरकार और हमारी सेहत के कारक"
इस वीडियो में हम सूर्य ग्रह के महत्वपूर्ण गुणों और उसके प्रभाव को जानेंगे। सूर्य एक महत्वपूर्ण ग्रह है, जो व्यक्ति के जीवन पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालता है। हम सूर्य को पिता के रूप में भी जानते हैं, क्योंकि वह हमारे जीवन के उद्दीपक हैं और विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके साथ ही सरकारी और आर्थिक स्तर पर भी इसका महत्व होता है। सूर्य के गुणों के बारे में जानने के लिए हमें उसके मित्र ग्रहों जैसे बृहस्पति, चंद्र, और मंगल के संबंध पर भी विचार करना पड़ता है, जिससे हम इसके प्रभाव को समझ सकें। विपरीत रूप में, शुक्र, राहु, और शनि सूर्य के दुश्मन ग्रह होते हैं और उनके संबंध में हमें भी ध्यान देना चाहिए।
इस वीडियो में हम जानेंगे कि सूर्य हमारी कुंडली में कैसे प्रभाव डालता है। सूर्य की गोलाई बुध से देखी जाती है और उसकी किरणें मंगल से समान होती हैं, इसलिए हम उनके प्रभाव को भी ध्यान में रखते हैं। दूसरी ओर, राहु और केतु भी सूर्य के प्रभाव को बढ़ाते हैं, इसलिए हमें उनके संबंध में भी विचार करना महत्वपूर्ण है।
सूर्य का संबंध राहु या शनि के साथ बन जाए तो सूर्य कुंडली में कमजोर हो जाता है। इस वीडियो में हम देखेंगे कि सूर्य पहले घर से 12 घर तक कैसे प्रभाव डालता है और कौन-कौन से पहले के प्रभाव ज्यादा शुभ या ��शुभ होते हैं। इससे हम अपनी कुंडली में सूर्य के प्रभाव को समझ सकते हैं और अपने जीवन को समृद्ध, समर्थ, और समान समृद्धि से भरने के उपाय जान सकते हैं।
youtube
#lalkitab#astrology#lalkitabastrology#learnastrology#astrologer#jyotish#pujasharma#remedies#astrologycourse#astrologyhindi#astrologyvideo#sun#planet#saptarishisastrology#lalkitabexpert#jyotishshastra#astrologyclasses#Youtube
0 notes
Text
0 notes