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गर्ल्स विल बी गर्ल्स / Girls will be Girls Shuchi Talati. 2024
School F25X+F5P ShangriLa Mehtab Singh, Road, The Mall Road, Mussoorie, Uttarakhand 248179, India See in map
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मुंबई, ठाणे और भिवंडी में 15% पानी की कटौती
महाराष्ट्र के पीस�� पंपिंग स्टेशन में ट्रांसफार्मर उड़ने की वजह से 6 मोटर पंप बंद हो गए हैं। जिसकी युद्ध स्तर पर रिपेयरिंग का काम चल रहा है। 15 दिसंबर तक कार्य पूरा होने की संभावना है। तबतक मुंबई सहित ठाणे और भिवंडी इलाके में 15% पानी की कटौती रहेगी। Maharashtra news 15% water cut in Mumbai, Thane and Bhiwandi इस्माईल शेखमहाराष्ट्र- पीसे बिजली सबस्टेशन के मुख्य ट्रांसफार्मर क्रमांक 1 बी फेज का…
#Bhiwandi#Fasttrack#fasttrack news#Hindi news#Indian Fasttrack#Indian Fasttrack News#Latest hindi news#Latest News#Maharashtra News#News#News in Hindi#Thane#thane latest news#water cut in bhiwandi#Water cut in mumbai#water cut in thane#अंबिका नगर#आनंदनगर#किसाननगर#कोपरी#गांधीनगर#ठाणे समाचार#नौपाड़ा#पचपाखड़ी#बी-केबिन#भिवंडी न्यूज़#भिवंडी समाचार#महागिरी#महाराष्ट्र न्यूज़#महाराष्ट्र समाचार
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#मंडल आयोग के अध्यक्ष#सामाजिक न्याय के प्रणेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बी. पी. मंडल जी के परिनिर्वाण दिवस पर उन
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What is BO id Number?
What is Bo I’d नंबर( बीओ आईडी)क्या है बेनिफिशियल ऑनर आईडेंटिफिकेशन इसक��� अर्थ ( BO ID) होता है .यानी आप कोई डिमांड खाता खोलते हो या किसी भी स्टॉक या मुद्रा म्युचुअल फंड जैसे इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा फंड के लिए इन्वेट करते हो उनके लिए एक id होती है उनका काम ये BO ID से किया जाता है. यह आपके के इलेक्ट्रॉनिक्स मुद्रा के सभी लेनदेन का रिकॉर्ड रखने में आपकी मदद करता है जैसे की किसी भी स्टॉक शेयर्स में…
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करावल नगर मे स्थित जिला टी बी अस्पताल के डिस्टिक टीबी ऑफिसर डॉ एस रमन ने वर्ल्ड टीबी दिवस के अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए
नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली करावल नगर मे स्थित जिला टी बी अस्पताल के डिस्टिक टीबी ऑफिसर डॉ एस रमन ने वर्ल्ड टीबी दिवस के अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह कहा की टीवी यानी छय रोग का नाम सुनते ही जेहन में एक ब��हद कमजोर एवं खांसते हुए व्यक्ति की तस्वीर दिमाग में उजागर हो जाती है यह बाल एवं नाखून को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है अक्सर लोग टीवी जैसी बीमारी का नाम सुनते ही यह…
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तारक मेहता की दया भाभी का ये अवतार देख उड़े सबके होश ! B ग्रेड फिल्मों में काम कर चुकी हैं Disha Vakani
Disha Vakani HOT Film: मुंबई. टीवी का सबसे ज्यादा लंबा चलने वाला कॉमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ पिछले 15 सालों से लोगों का मनोरंजन कर रहा है. शो में कई बेहतरीन कलाकार हैं, जिन्होंने अपनी जवानी में काम करना शुरू किया और अभी तक इससे जुड़े हुए हैं. चाहे वो जेठालाल का किरदार निभाने वाले दिलीप जोशी हों, या फिर बबीता जी का किरदार निभाने वाली मुनमुन दत्ता या फिर दयाबेन का किरदार निभाने वाली दिशा…
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#Daya Bhabhi ka sexy avata#Daya Bhabhi ka sexy avatar#Disha Vakani HOT Film:#Tarak Mehta ki Disha Vakani Kamsin Film ! Disha Vakani worked in B grade films.#तारक मेहता का उल्टा चश्मा के एक्टर का निधन#तारक मेहता की दया भाभी का ये अवतार देख उड़े सबके होश ! बी ग्रेड फिल्मों में काम कर चुकी हैं Disha Vakani#तारक मेहता की दया भाभी:
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बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों की छंटनी, एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि, मंदी का डर: तकनीकी विशेषज्ञों का क्या होगा'
बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों की छंटनी, एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि, मंदी का डर: तकनीकी विशेषज्ञों का क्या होगा’
पिछले साल अमेजन, सेल्सफोर्स, मेटा, ट्विटर और उबर सहित कई बड़ी टेक कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी की और साथ ही नई भर्तियों पर पूरी तरह रोक लगा दी। 2022 के अंत में कई भारतीय मूल के कर्मचारियों को भी हटा दिया गया था। यह वर्ष बहुत अलग नहीं है, क्योंकि अमेज़ॅन छंटनी के साथ जारी है और अन्य बड़ी टेक फर्म मंदी की आशंकाओं और वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थितियों के बीच पालन करने के लिए तैयार हैं। अमेरिकी…
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#अमेरिकन ड्रीम#अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा#एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि#एच1-बी#बिग टेक छंटनी#मंदी का डर#यूएससीआईएस#वीसा
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Rohini - Power, Beauty and Fame
Degrees: 10°00 Taurus 23°20 Taurus Deities: Brahma, the creator of life Vimshottari Lord: Moon Sounds: ओ o, वा/बा va/ba, वी/बी vi/bi, वु/बु vu/bu The core meaning: the impulse of creation is within you. You radiate beauty, talents and creativity. Your tantalizing magnetism attracts people, luxuries and power. But will your success and desire for opulence appease your hidden anxiety and people's jealousy?... God is the only way. Qualities: beautiful, charming, creative, charismatic, inventive, passionate, artist, hospitality, deftness, determined, resourceful. Affliction: self-conceit, narcissism, possessiveness, restless mind, anxiety, excessive sensuality, fraud, dissatisfaction. Interest in cars, luxury, dance, acting, gardening, other cultures.
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श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, को यूएसए की मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा सामाजिक कार्य में पीएचडी (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की गई |
लखनऊ, 6 जनवरी 2025 | सामाजिक कार्य और जनसेवा में अपने अथक योगदान के लिए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल को यूएसए की मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठित मानद उपाधि डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (ऑनोरिस कौसा) प्रदान की गई । यह सम्मान उन्हें 5 जनवरी 2025 को नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित इंडिया इंटेलेक्चुअल कॉन्क्लेव 2025 फेलिसिटेशन एंड फेलोशिप प्रोग्राम के दौरान भव्य समारोह में प्रदान किया गया ।
इस ऐतिहासिक अवसर पर विभिन्न क्ष��त्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तित्यो की उपस्थिति रही, जिन्होंने समारोह की गरिमा बढ़ाई और श्री अग्रवाल को सम्मानित किया। इन गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे जस्टिस जेड. यू. खान, माननीय पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, श्री एस. बी. एस. त्यागी, आईपीएस, पूर्व संयुक्त पुलिस आयुक्त, नई दिल्ली, महामहिम जुआन कार्लोस मार्सन, माननीय राजदूत, भारत में क्यूबा गणराज्य, महामहिम श्री यावो एडेम अक्पेमाडो, उच्चायुक्त/कार्यवाहक, भारत में टोगो गणराज्य, राजदूत डॉ. दीपक वोहरा, माननीय विशेष सलाहकार, अफ्रीका (मेड इन भारत), डॉ. संदीप मारवाह, कुलाधिपति, एएएफटी यूनिवर्सिटी, नोएडा, डॉ. राकेश कुमार खंडल, पूर्व कुलाधिपति, एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी, एवं पूर्व कुलपति, यूपीटीयू, डॉ. एस. एन. पांडेय, माननीय कुलाधिपति, द ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी, नागालैंड, श्री ओरहान गलजस, निदेशक, रेडियो पैट्रिन नेटवर्क, तुर्की, डॉ. देवेंद्र शर्मा, माननीय कुलपति, एचआरआईटी यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर डॉ. आर. के. सूरी, माननीय कुलपति, मोनाड यूनिवर्सिटी और हैप्पीनेस यूनिवर्सिटी, डॉ. आलोक गुप्ता, माननीय उप निदेशक, एनआईओएस, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. अतुल नासा, माननीय प्रो-वाइस चांसलर, एसजीटी यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम, डॉ. अफरोजुल हक, माननीय प्रो-वाइस चांसलर, एमआईयू, डॉ. जैनीस दरबारी, माननीय मानद कौंसुल जनरल, भारत में मोंटेनेग्रो, डॉ. विक गैफनी, स्वतंत्र शैक्षिक विद्वान, ऑस्ट्रेलिया, डॉ. पी. के. राजपूत, पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कैडिला एवं सीयू, इटली के सीनेट सदस्य |
कार्यक्रम ने श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल के समाज के उपेक्षित समुदायों के प्रति उनकी असाधारण सेवा, सामाजिक सुधारों में उनकी दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से उनकी शैक्षिक और स्वास्थ्य सेवा पहलों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को सम्मानित किया ।
समारोह को संबोधित करते हुए, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रति अपनी गहन कृतज्ञता व्यक्त की । उन्होंने इस उपलब्धि को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की टीम और उन अनगिनत जीवनों को समर्पित किया, जिन पर उनकी पहलों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है ।
यह प्रतिष्ठित सम्मान श्री अग्रवाल की सामाजिक सेवा और जनसेवा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी योगदान और नेतृत्व को और सुदृढ़ करता है एवं दुनिया भर में व्यक्तियों और संगठनों को सामाजिक कल्याण ��े लिए प्रेरित करता है ।
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चित्रपटांविषयी
आपल्या आयुष्यात घडणाऱ्या कोणत्याही महत्वाच्या प्रसंगी जर विचारपूर्वक आणि सजगपणे जर आपण आपली कृती,हावभाव ,वर्तन बघितलं तर सहज लक्षात येतं की आपल्यावर चित्रपट या माध्यमाचा किती जास्त प्रभाव पडलेला आहे.प्यार का इजहार किंवा लग्नप्रसंगी वाजणारी गाणी, त्यावर केलं जाणारं नृत्य वगैरे सर्व आठवावं!! बऱ्याचदा आपल्या हालचाली आणि हावभावांवरून तो कोणत्या चित्रपटांवरून प्रभावीत झालेला आहे हे सहज सांगता येऊ शकतं! सध्या चित्रपटांवर समाजातील घटनांचा प्रभाव पडतो की चित्रपटांचा प्रभाव पडून समाजमन तयार होतं हे सांगणं अवघड आहे. बहुधा दोन्ही होत असावं.
साधारणपणे विसाव्या शतकाच्या उत्तरार्धापासून जसे चित्रपट निर्मितीचे तंत्रज्ञान अधिकाधिक विकसित होत गेले तसे तसे चित्रपट या माध्यमाने मानवी मनाची पकड घेतलेली आहे आणि मनोरंजनाचे साधन म्हणून आपल्या आयुष्यात महत्वाचे स्थान पटकावले आहे.त्याआधीच्या काळात लोककला सोडल्या तर पुस्तकं ही ज्ञानोपासनेचं माध्यम असण्याब���ोबरच मनोरंजनाचं देखील सहज उपलब्ध असलेलं माध्यम असावीत.
या दोन माध्यमांमध्ये एक समान दुवा आहे.जर तुम्हाला वाचनाची आवड असेल तर तुम्ही हे अनुभवलं असेल की जसजसे तुम्ही वाचक म्हणून उन्नत होत जाता तसं तसं तुम्हाला आधी जे वाचलं असेल त्यापेक्षा काहीतरी अधिक चांगलं, तुमच्या मनाचा, बुद्धीचा पैस रूंदावणारं, बुद्धीला आव्हान देणारं,जाणीवा समृद्ध करणारं,आत्मोन्नतीकडे नेणारं काहीतरी हवं असतं मग मनोरंजन हे एवढंच कारण त्यामागे राहत नाही.
मराठी मध्ये तुम्ही वाचनाची सुरुवात भलेही फास्टर फेणे, बोकया सातबंडे नी केली असली तरीही मग पुढे पु .लं. देशपांडे, व. पु . काळे, गो. नी . दांडेकर ,व्यंकटेश माडगूळकर इ. वाचत तुम्ही भालचंद्र नेमाडे, श्याम मनोहर,जी ए कुलकर्णी,जयवंत दळवी,नरहर कुरूंदकर, दुर्गा भागवत वगैरे लेखकांची पुस्तकं वाचू लागता. इंग्रजीमध्ये सुरवात चेतन भगत वगैरेच्या पुस्तकाने केली असली तरीही त्यापुढे जाऊन मग इतर लेखक जसे की खुशवंत सिंग, किरण नगरकर, जे के रोलिंग,डॅन ब्राऊन इत्यादी आणि मग अगाथा ख्रिस्ती, मार्क ट्वेन, शेक्सपियर, हेमिंग्वे पासून ते काफ्का, कामू इत्यादी लेखकांकडे वळता.चित्रपटांचं सुध्दा असंच काहीसं आहे. किंवा असायला हवं.
मनोरंजन या शब्दाचा एक फारच उद्बोधक अर्थ माझ्या अलीकडेच वाचनात आला. एक म्हणजे जो प्रचलित अर्थ आहे तो की ज्यामुळे मनाचं रंजन होतं अर्थात विरंगुळा मिळतो, पण यात रंजन हा शब्द दोन अर्थांनी वापरता येतो. रक्तरंजित या शब्दात जे "रंजित" हे रंजन या शब्दाचे एक रूप आहे त्याचा अर्थ डाग असा आहे.
आपलं चित्रपट बघण्यामागे सर्वात मुख्य कारण म्हणजे आपल्याला रोजच्या कामामधून विरंगुळा म्हणून काहीतरी मनोरंजन हवं असतं पण मला मात्र तेवढ्याच कारणासाठी चित्रपट बघावा असं काही वाटत नाही.पण तेवढ्याच एका कारणासाठी आपल्याकडे अनेक जण चित्रपट बघतात आणि त्यामुळे देमार बाष्कळ बॉलीवुड, हॉलिवुड किंवा टॉलीवुड चित्रपट तयार होतात आणि होतच राहतात.
मग आपण मनोरंजनाच्या नावाखाली जी काही सामग्री बघतो त्यातून मनावर डाग पडणार नाहीत याची काळजी देखील घ्यायला हवी. बॉलीवुड, हॉलीवुड ,टॉलीवुड मधल्या मुख्य प्रवाहातल्या तद्दन मसाला चित्रपटांबद्दल दुसऱ्या अर्थाने मनोरंजन हा शब्द लागू पडतो असं बऱ्याचदा वाटतं !
माझी चित्रपट पाहण्याची सुरुवात दूरदर्शनवर शनिवारी लागणाऱ्या, ज्याला सुपरहिट मराठी चित्रपट म्हटलं जायचं ते अशोक सराफ,लक्ष्मीकांत बेर्डे ,सचिन पिळगावकर, महेश कोठारे इत्यादींचे चित्रपट पाहण्यापासून झाली. मग केव्हातरी शुक्रवारी रात्री लागणारे हिंदी चित्रपट पाहायला लागलो त्यामध्ये सलमान,शाहरुख,आमिर वगैरेंचे चित्रपट लागायचे, रविवारी दुपारी जुने हिंदी चित्रपट लागायचे त्यात दिलीपकुमार, देव आनंद, राज कपूर, राजेंद्र कुमार, अमिताभ आदींचे चित्रपट लागायचे. पण एकूण चित्रपट बघण्यासाठी तेव्हा साधनंच कमी होती. फक्त टीव्ही हे एकच माध्यम,त्यातसुध्दा केवळ दूरदर्शन हे एकच चॅनल, कारण तेव्हा अभ्यास होणार नाही म्हणून आमच्याकडे केबल फक्त उन्हाळ्याच्या सुट्टीत लावली जायची. मग त्या उन्हाळ्याच्या सुट्टीचं वर्णन काय सांगावं !
मग उन्हाळयात डोरेमॉन, शिन-चॅन,बेन-टेन अशा वेगवेगळ्या कार्टून्स पासून ते स्टार उत्सवला लागणारं बी आर चोप्रा यांचं महाभारत, रामानंद सागर यांचं श्रीकृष्ण, रामायण किंवा शक्तिमान, सोनी वरच्या सी आय डी पासून मग अमिताभ, सलमान, शाहरुख च्या एक्शन चित्रपटांपर्यंत सगळं काही बघून काढलं जायचं आणि वर्षभराचा अनुशेष भरून काढला जायचा. त्यावेळी मराठी माध्यमाच्या ��ाळेत शिकत असल्यामुळे इंग्रजी चित्रपट काही फारसे बघितले जायचे नाहीत किंवा बघितले तरी ते हिंदी डब असायचे आणि बरेचसे सुपरहीरोचे तद्दन मारझोडयुक्त चित्रपट असायचे.
नंतर सातवी-आठवीत "अभ्यासघर" नावाच्या विद्यार्थ्यांचा सर्वांगीण विकास व्हावा म्हणून काढलेल्या विक्रम वाळींबे सरांच्या क्लासला जाऊ लागलो तिथे चांगल्या इंग्रजी चित्रपटांची ओळख झाली. तिथे सरांनी आम्हाला इंडियाना जोन्स, व्हर्टिकल लिमिट, टू ब्रदर्स, थ्री हंड्रेड, रॅटाटोईल, मादागास्कर, द कराटे किड असे अनेक उत्तम चित्रपट दाखवले. तिथे चांगल्या इंग्रजी चित्रपटांबद्दल रुची निर्माण झाली.
याच सुमारास मग घरी डीव्हीडी आणि कंप्यूटर आल्यावर सीडीज आणून जॅकी चॅनचे वेगवेगळ्या कुंगफू स्टाईलवरचे रिवेंज या थीमवर बेतलेले अनेक चित्रपट बघितले. यातच एकदा एका आत्तेभावाने नववीच्या की दहावीच्या उन्हाळयाच्या सुट्टीत जवळपास २०-२५ वेगवेगळे इंग्रजी चित्रपट असलेला एक पेनड्राइव आणून दिला. त्यामध्ये इन्सेप्शन, बॅटमॅन ट्रीलॉजी, टायटॅनिक, प्लॅनेट ऑफ एप्स वगैरे भन्नाट चित्रपट होते. त्यातले तेव्हा किती समजले हा भाग जाऊ दे पण बघायला मजा आली, एकूणच हे पाश्चात्य चित्रपट म्हणजे काहीतरी वेगळं प्रकरण आहे एवढं फक्त कळत होतं.
पुढे इंजिनीअरिंगला गेल्यावर नवीन स्मार्टफोन हातात आला होता आणि नुकतंच अंबानींनी मोफत इंटर��ेट जाहीर केलं होतं. अशा दोन्ही गोष्टी बरोबर पथ्यावर पडल्यामुळे, एखादा खजिनाच सापडल्यासारखं झालं ! तरीसुद्धा तेव्हा ओटीटी माध्यम फारसं प्रचलित नसल्यामुळे मोफत असलेलं टॉरेंट हाच एक पर्याय उपलब्ध होता. त्याचं तंत्र एकदा अवगत झाल्यावर मग मात्र भरमसाठ वेब सीरिज आणि इंग्रजी चित्रपट डाउनलोड करून पाहण्याचा एक कार्यक्रम सुरू झाला. म्हणजे त्या वेळी दिवसाला किमान एक चित्रपट, किंवा मग वेब सीरीजचे ४-५ एपिसोड बघितल्याशिवाय दिवस संपत नसे. सुरुवातीच्या काळात तिथे सुद्धा डब्ड चित्रपट बघितले पण हळूहळू सबटायटल्स वाचून चित्रपट बघण्याची सवय झाली.
तिथे सुद्धा सुरुवात झाली ती एक्शन, क्राइम, सुपरहीरो वगैरे प्रकारातले चित्रपट बघण्यापासून. त्यात मग Marvel, DC चे अनेक चित्रपट,Mad Max Fury Road, Harry Potter, Lord of the Rings, Hobbit यांसारख्या चित्रपट शृंखला, Flash, Arrow वगैरे सीरिज हे सगळं झपाटल्यासारखं बघून काढलं. पण ते सगळे ३-४ महिन्यातच सफाचट झालं. मग जरा गूगल केल्यानंतर IMDb टॉप २५० चित्रपटांची नावं बघितल्यावर लक्षात आलं की आपण तर अजून या चित्रपट क्षेत्राच्या महासागरात किनाऱ्यावरच आहोत, काहीच बघितलं नाही,अजून पूर्ण डुबकी मारली नाही. तेव्हा कोणत्या निकषांवर सीरीज,चित्रपट बघावेत असं काही ठरलं नव्हतं. मग एक ठरलं की IMDb वर ज्यांचं रेटिंग ७ च्या वर असेल किंवा Rotten Tomatoes चं रेटिंग जर ८५% च्या वर असेल तर त्यात मग Genre साठी कोणतं अनमान न करता सीरीज,चित्रपट बघायचे.
इंजिनीरिंगच्या त्या ४ वर्षांच्या काळात अनेकदा रात्र रात्र जागून अक्षरशः झपाटल्यासारखे १५०-२०० चित्रपट आणि २० -२२ सीरीज बघितल्या. त्यात लक्षणीय म्हणाव्या अशा या :
Breaking Bad
Game of Thrones
House of Cards
Mindhunter
Fleabag
Dark
Friends
The Big Bang Theory
Young Sheldon
The Marvelous Mrs. Maisel
Narcos
आणि हे जे काही आदल्या दिवशी बघितलं असेल त्यावर मग दुसऱ्या दिवशी वर्गात गरमागरम चर्चा व्हायची. आता मागे वळून त्या दिवसांकडे बघितलं की माझी मलाच शंका येते की मी नक्की इंजिनीरिंग कॉलेजला गेलो होतो की फिल्म इन्स्टिट्यूट मध्ये !!सुरुवातीच्या काळात नावाजलेल्या अभिनेत्यांचे चित्रपट बघण्याकडे कल होता. पण हळूहळू एक लक्षात आलं की दिग्दर्शक जर चांगला असेल तर चित्रपट चांगला असण्याची शक्यता जास्त ! त्यातूनच मग हॉलीवुडच्या चांगल्या दिग्दर्शकांची नावं शोधून त्यांचे चित्रपट बघण्याचा सपाटा लावला . त्यात अर्था��च मग
Steven Spielberg
Christopher Nolan
Quentin Tarantino
David Fincher
George Lucas
Martin Scorsese
Alfred Hitchcock
Stanley Kubrick
Ridley Scott
Clint Eastwood
Roman Polanski
Francis Ford Coppola
Ron Howard
charlie Chaplin
या आणि अशा नावाजलेल्या दिग्दर्शकांचे बऱ्यापैकी सगळे चित्रपट बघून काढले. त्यानंतर मग साहजिकच मोर्चा वळला Academy Awards अर्थात Oscar मिळालेले किंवा त्यासाठी नामांकन मिळालेले चित्रपट, Cannes Film Festival Awards मध्ये प्रदर्शित झालेले चित्रपट यांच्याकडे. त्यामुळे पुढे दिलेल्या विषयांवरील अनेक चित्रपट बघितले गेले.
पहिले व दुसरे विश्वयुद्ध
वेगवेगळ्या क्षेत्रातल्या महान लोकांचे बायोपिक्स
धर्म-तत्वज्ञान -पौराणिक गोष्टी
खेळ
पत्रकरिता
अनेक उत्तमोत्तम कालातीत कादंबऱ्यांची चित्रपटात केलेली रूपांतरे,
पीरियड ड्रामाज
मूलभूत मानवी प्रवृत्तींचे व भावभावनांचे दर्शन
गुन्हेगारी प्रवृत्तींचे वास्तववादी दर्शन
लैंगिकता
कोर्टरूम ड्रामाज
प्रेमाचं वेगवेगळ्या स्थल-कालातले आणि वयाच्या वेगवेगळ्या टप्प्यांवरचे दर्शन
माणसाच्या मनात विशिष्ट परिस्थितीत चालणार��� वेगवेगळ्या विचारांचे आणि भावनांचे द्वंद्व.
विज्ञान कथा
या इतक्या वैविध्यपूर्ण विषयांवर बनलेले आशयसंपन्न चित्रपट बघितल्यानंतर आता भाषेचं आणि विषयाचं बंधन राहिलं नव्हतं.फक्त चित्रपटाचं दिग्दर्शन,संगीत, अभिनय,कथा,संवाद चांगले असायला हवेत.आता ऑस्कर जिंकलेले, नामांकन मिळालेले, त्याचबरोबर ज्याला World cinema म्हणतात ते, म्हणजे खऱ्या अर्थाने वैश्विक मानवी मूल्यांवर भाष्य करणारे असे चित्रपट बघण्यात मजा येऊ लागली. यातून मग विविध भाषांमधले चित्रपट बघितले:
फ्रेंच चित्रपट (French New Wave मधले चित्रपट , Ingmar Bergman वगैरेंचे चित्रपट)
ईटालियन चित्रपट(Vittorio De Sica, Federico Fellini, Giuseppe Tornatore इ. दिग्दर्शकांचे चित्रपट)
जपानी चित्रपट (Akira Kurosawa या महान दिग्दर्शकाचे चित्रपट)
इराणी चित्रपट (Asghar Farhadi, Abbas Kiarostami,Majid Majdi, Jafar Panahi इ. दिग्दर्शकांचे चित्रपट)
कोरियन चित्रपट(Bong Joon-ho,Park Chan-wook इ. दिग्दर्शकांचे)
चिनी चित्रपट (Wong Kor Wai,Zhang Yimou,Huo Jianqi इ. दिग्दर्शकांचे)
बंगाली चित्रपट (Satyajit Ray,Ritwik Ghatak, Mrunal Sen, Tapan Sinha,Rituparna Ghosh इ. दिग्दर्शकांचे चित्रपट)
मल्याळम चित्रपट (G Arvindan, Adoor Gopalkrishnan इ. दिग्दर्शकांचे चित्रपट)
तामिळ चित्रपट (Maniratnam, Kamal Haasan,Vetrimaaran, S shankar इ. दिग्दर्शकांचे )
हिन्दी चित्रपट(विशेषत: समांतर चित्रपटांमध्ये गणले जाणारे श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, सुधीर मिश्रा, दीबाकर बॅनर्जी इ. दिग्दर्शकांचे,(नसीरउद्दीन शाह,ओंम पुरी,अमरिश पुरी,स्मिता पाटील,शबाना आझमी इ अभिनेत्यांनी काम केलेले) चित्रपट.
मराठी चित्रपट (सुमित्रा भावे -सुनील सुकथनकर ,जब्बार पटेल ,उमेश कुलकर्णी )
अशा विविध भाषांमधील विविध विषयांवर बनलेले चित्रपट बघितले. त्यातून हे लक्षात आलं की चित्रपट जेवढा स्थानिक आणि मुळात, तिथल्या मातीत रुजलेला असेल तेवढा तो वैश्विक होतो.
प्रत्येक चांगला चित्रपट हा चांगल्या पुस्तकाप्रमाणे तुम्हाला काहीतरी देऊन जातो, तुम्हाला भावनिक दृष्ट्या ,जाणिवेच्या, नेणिवेच्या पातळीवर अधिक समृद्ध करतो. प्रत्येक चित्रपट बघताना तुम्ही स्वतः त्यातल्या अनेक पात्रांशी समरस होऊन जाता आणि त्यांचं आयुष्य जगत असता,अनुभवसमृद्ध होत असता.चांगल्या पुस्तकांप्रमाणेच, चांगल्या चित्रपटांमुळे सुद्धा एकाच आयुष्यात अनेक आयुष्यं सखोलतेने- सजगतेने जगण्याची,अनुभव घेण्याची संधी मिळते.
खरं तर एखादं पुस्तक आणि त्याचं चांगलं चित्रीय रूपांतर यात वेळेच्या अभावी निवड करायची झाली तर चित्रपटाची निवड सोयीस्कर ठरते. त्या पुस्तकातला सगळा आशय २-३ तासांमध्ये दिग्दर्शक आपल्यापर्यंत पोहोचवतो. आणि तो अधिक प्रभावी ठरतो कारण घडणाऱ्या गोष्टीच्या दिसणाऱ्या चित्रासोबत उत्तम संवादफेक,चांगला अभिनय, पार्श्वभूमीला चांगल्या संगीताची जोड असते त्यामुळे कथेचा आशय अधिक जिवंतपणे, समर्पकपणे आणि समर्थपणे प्रेक्षकांपर्यंत पोहोचतो.
वीर सावरकरांनी सुद्धा सिनेमाला २० व्या शतकाची सुंदर देणगी आणि एक महान कला असं एके ठिकाणी म्हटलं आहे त्याम���गे हेच कारण आहे.
यात फक्त तोटा असा होतो की जी कथा आपण पडद्यावर बघतो ती दिग्दर्शकाच्या नजरेतून बघतो त्यामुळे आपल्या कल्पनाशक्तीला थोडी कमी चालना मिळते आणि पात्रांच्या मनात चाललेले विचार पडद्यावर दाखवण्यास मर्यादा असतात.
हे सगळं बघत असतानाच चांगल्या सिनेमा बद्दल अधिक माहिती देणारी, उत्तम चित्रपट कोणता, तो कसा बघावा याची दृष्टी देणारी ही काही चांगली मराठी पुस्तकं माझ्या वाचनात आली:
लाईमलाइट (अच्युत गोडबोले- नीलांबरी जोशी)
पडद्यावरचे विश्वभान(संजय भास्कर जोशी)
सिनेमा पराडिसो ( नंदू मूलमुले)
नॉट गॉन विथ द विंड (विश्वास पाटील).
तसेच persistence.of.cinema, inthemood.forcinema,jump.cut.to यासारखी उत्तम recommendations देणारी Instagram पेजेस देखील आहेत. ChalchitraTalks नावाच्या Podcast मधून देखील उत्तम recommendations मिळतात.
त्याशिवाय कोणताही चित्रपट बघितल्यानंतर त्यावर
Roger Ebert
Senses of Cinema
सारख्या वेगवेगळ्या समीक्षकांची समीक्षा वाचण्याची सवय लागली. त्यामुळे चित्रपटाचा आपल्याला लागलाय तो आणि तेवढाच अर्थ आहे की आणखीही काही अर्थ आहे हे समजू लागले.
या सगळ्यात जसजसे आपण अधिकाधिक आणि दर्जेदार चित्रपट पाहू लागतो तसतसे काहीतरी अधिक नाविन्यपूर्ण, समृद्ध करणारं आपल्याला हवं असतं. मग सरळसोट चित्रपटांकडून जटिल विषय हाताळणाऱ्या, वेगवेगळ्या स्तरांवर मानवी भावभावना हाताळणाऱ्या, ज्यांचे एकापेक्षा अधिक अर्थ लागू शकतात अशा चित्रपटांकडे आपण जाऊ लागतो. पण त्याचा अर्थ असा नव्हे की मग साधे सरळ चित्रपट बघणे बंद करावे. त्याचा अर्थ एवढाच की जाणकार प्रेक्षक म्हणून आपली इयत्ता वाढलेली आहे.
जेव्हा आपण वेगवेगळ्या भाषांमधले,प्रांतांमधले,देशांमधले, वेगवेगळ्या विषयांवरचे चित्रपट पाहतो तेव्हा आपण एक प्रकारे वैश्विक नागरिक बनतो. त्या देशांमधली संस्कृति,तिथले आचार विचार, वागण्या बोलण्याची पद्धत, तिथलं खानपान हे सगळे अप्रत्यक्षपणे अनुभवल्यामुळे आपल्या विचारात, वागण्यात ख���लेपणा येतो.एवढ्या सगळ्या भावभावना अनुभवल्यानंतर शेवटी माणूस प्रेमाचा भुकेला आहे ही मौल्यवान गोष्ट,हे सत्य इतक्या विविध रुपांतून, घटनांमधून आपल्या समोर येतं, मनावर ठसतं.याहून अधिक माणसाला काय हवं !!
~ चैतन्य कुलकर्णी
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पक्षी-संसद
तूफान के ठहरे समय में
बड़े गड्ढे से, छोटे तालाब पर
बैठे है पंछी हरी दूब पर
पंखों को छाता बनाए।
लगता है आपदा में
जम गयी है पक्षी-संसद
कुछ श्वेत कुछ श्याम
कुछ रक्तवर्णी भी
कोई कोई अकेला-सा
अपने रंग में
आपदा में समावेशी
धरती,जंगल , घोंसलों
की चिंता में।
दूर वृक्षों पर छितराए
बैठे हैं पेड़ों पर
पक्षी-संसद की दर्शक दीर्घा में।
कोई नहीं है शोर
कोई नहीं है गर्म-गृह
एक स्वर एक चिंता में लीन
कभी वक्तव्य सी आवाज
कभी फड़फड़ाती उड़ान ।
कोई डर नहीं है
सर्दी में भीगे पंखों का
फड़फड़ा कर सुखा देंगे।
न छाता, न रैन कोट
न गरमागरम चाय
न हेलीकोप्टर से गिरे पैकेट
फिर भी चुनौती देंगे
नाप लेंगे आकाश ।
- सुविख्यात व्यंग्यकार व आलोचक प्रो. बी. एल. आच्छा
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let me type in hindi exactly what it says in kannada letter by letter. this is not a translation. this is literally what it reads in kannada complete with spelling mistakes
टर्निंग अन्नदातस (not दाता, but दातस ) इंटू उरजडाटस (literally says urja DATAS with the ट sound and not त ) एथेनॉल ब्लेनडेड (yep it says bleh-na-dead, not blended) पेट्रोल (ई बी पी) प्रोग्राम
absolutely no kannada word there. all words are english but written in kannada script
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Manual of Chest X-Ray | Dr Rajendra Prasad | Dr Nikhil Gupta | Dr Kiran V Narayan | Brajesh Pathak
09.09.2024, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा डॉ बी सी रॉय नेशनल अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, निदेशक, चिकित्सा शिक्षा, एरा यून��वर्सिटी लखनऊ, डॉ निखिल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ तथा डॉ किरण विष्णु नारायण, एडिशनल प्रोफेसर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, त्रिवेंद्रपुरम, केरल द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन रेनेसां लखनऊ होटल, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया | मुख्य अतिथि के रूप में श्री बृजेश पाठक जी, माननीय उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम में शिरकत की जबकि विशिष्ट अतिथियों में श्री विद्यासागर गुप्ता जी, पूर्व अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन, उत्तर प्रदेश, श्री बृजलाल जी, माननीय सांसद, राज्यसभा, श्री अशोक बाजपेई जी, माननीय पूर्व सांसद, राज्यसभा, श्री श्याम नंदन सिंह जी, पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग, श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय एम.एल.सी., श्री बृजेश महेश्वरी जी, शिक्षाविद एवं प्रेरक वक्ता शामिल हुए | कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में डॉ. संजीव मिश्रा जी, उप कुलपति, अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, डॉ CM सिंह जी, निदेशक, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ, डॉ सूर्य कांत जी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, डॉ गिरीश गुप्ता, होम्योपैथिक चिकित्सक, लखनऊ, प्रोफेसर अमरिका सिंह, प्रो चांसलर, निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान तथा अन्य गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी, विशिष्ट अतिथियों एवं विशेष अतिथियों को परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत की मुहिम "एक पेड़ मां के नाम" के अंतर्गत पौधा प्रदान करके सम्मानित किया |
पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डॉ राजेंद्र प्रसाद को बधाई दी तथा कहा कि, "भारत का चिकित्सा विज्ञान नित नए आविष्कारों के साथ दुनि��ा में कमाल कर रहा है एवं किसी भी मामले में पीछे ��हीं है क्योंकि आज जो अमेरिका में हो सकता है, जो इंग्लैंड में हो सकता है, वह भारत में भी हो सकता है | डॉ राजेंद्र प्रसाद ने चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किया है | उनके द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" निश्चय ही पलमोनरी चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी | मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल का जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया | मेरा ऐसा मानना है की नर सेवा ही सच्ची नारायण सेवा है और धरती पर जो नारायण के रूप में हम सब की सेवा करते हैं वह डॉक्टर हैं | अतः हमें सभी डॉक्टरों का शुक्रगुजार होना चाहिए कि वह दिन रात मानवता की सेवा में लगे रहते हैं | भगवान ने हम सभी को धरती पर लोगों की मदद करने के लिए भेजा है, अतः हम सबका या कर्तव्य है कि जिस तरह से भी संभव हो निर्बल और असहाय लोगों की मदद करें तथा मानवता की सच्ची सेवा करें |"
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "आज का यह अवसर हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम समाज के महत्वपूर्ण चिकित्सक डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X Ray" के विमोचन के साक्षी बन रहे हैं । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट देश भर मे अपनी जन सेवाए देने के लिए प्रयासरत है, 2012 में स्थापित, यह ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक उन्नति में महत्वपूर्ण एवं प्रभावी योगदान दे रहा है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रगति में हमारे मुख्य अतिथि, श्री ब्रजेश पाठक जी भाईसाहब की प्रेरणा और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है । डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य है और यह हमारे लिए गर्व की बात है | डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक मे Chest X Ray को देखना इतनी सरलता से समझाया है कि एक आम व्यक्ति भी इस Manual of Chest X Ray पुस्तक को पढ़ कर समझ सकता है |
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी का धन्यवाद किया तथा कहा कि, "‘मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' मेरी 12वीं पुस्तक है। आज मेरी 12वीं पुस्तक 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' का 2 खंडों में माननीय उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक द्वारा लोकार्पण किया जा रहा है, जो मेरे लिए अत्यंत गर्व और खुशी की बात है । 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' पूरी तरह से हमारे भारतीय मरीज़ और मेरे लगभग पांच दशकों के लंबे शिक्षण और नैदानिक अनुभव पर आधारित है । डॉ प्रसाद ने बताया कि यह पुस्तक यूजी, पीजी छात्रों, चिकित्सा अधिकारियों, जिला टीबी अधिकारियों (डीटीओ) और आयुष चिकित्सकों सहित सभी चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी ।
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