#बच्चों के नैतिक मूल्य
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vlogrush · 2 months ago
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बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां: सीखें मजेदार किस्सों के साथ
कहानी सुनते बच्चे बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां पढ़ें जो मनोरंजन के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी देती हैं। इन कहानियों से बच्चे सीखेंगे अच्छे संस्कार, नैतिक मूल्य और जीवन के महत्वपूर्ण सबक।बच्चों की कहानियां न सिर्फ उनका मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं। इन शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से बच्चे खेल-खेल में नैतिक मूल्य, अच्छे संस्कार और सही व्यवहार सीख सकते हैं। ये…
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bloggerkey · 2 days ago
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Top 50+ Short Moral Stories in Hindi | हिंदी में नैतिक कहानियाँ
कहानियां हमारी संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं। ये न केव�� मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि इनमें जीवन के गहरे संदेश छिपे होते हैं। खासकर small moral stories, जो हमें अच्छे संस्कार, सही मूल्य, और प्रेरणा देने का काम करती हैं। ऐसी कहानियां बच्चों और बड़ों दोनों के लिए उपयोगी होती हैं क्योंकि ये जीवन की सच्चाई और नैतिकता सिखाती हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ बेहतरीन small moral stories in Hindi को…
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digital-morcha · 1 year ago
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Short Hindi Story | Short Hindi Kahaniyan
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Table of Contentsलड़का और स्टार फ़िश : Boy and Star Fish story कौआ और लोमड़ी: Crow and Fox Short Hindi Story "द अग्ली डकलिंग": The Ugly Duckling "द थ्री लिटिल पिग्स" तीन छोटे सुअर Short Hindi Story Other Blogs
लड़का और स्टार फ़िश : Boy and Star Fish story
Short Hindi Story: एक बार, एक शांत तटीय गाँव में, असाधारण करुणा की भावना वाला एक युवा लड़का रहता था। वह हर सुबह समुद्र के किनारे जाता था, जहाँ अनगिनत स्टार फ़िश घटते ज्वार के कारण फँस गई थीं। बड़ी सावधानी से, वह उन्हें एक-एक करके उठाता और वापस विशाल महासागर में फेंक देता। यह एक श्रमसाध्य कार्य था, फिर भी उन्होंने इसे अटूट समर्पण के साथ किया। एक दिन, लड़के के लगातार प्र��ासों से प्रभावित होकर एक बूढ़ा व्यक्ति उसके पास आया। उन्होंने पूछा, "तुम ऐसा क्यों करते हो, मेरे बच्चे? समुद्र तट मीलों तक फैला हुआ है, और वहाँ बहुत सारी स्टार फ़िश हैं। तुम संभवतः उन सभी को नहीं बचा सकते।" लड़का एक क्षण के लिए रुका, उसके हाथ में एक तारामछली थी। दृढ़ दृष्टि से, उसने उसे पानी में फेंक दिया और उत्तर दिया, "आप सही हैं; मैं उन सभी को नहीं बचा सकता। लेकिन मैं इसके लिए बदलाव ला सकता हूँ।" लड़के की बातों की बुद्धिमत्ता से बूढ़ा व्यक्ति आश्चर्यचकित रह गया। उसने समझ में सिर हिलाया और लड़के को अपना ��ाम जारी रखने के लिए छोड़कर चला गया। लड़के और स्टार फ़िश की कहानी हमें सिखाती है कि दुर्गम चुनौतियों के सामने भी, दयालुता और करुणा के हमारे छोटे-छोटे कार्य किसी के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि हमें किसी भी अच्छे काम की शक्ति को कम नहीं आंकना चाहिए।
कौआ और लोमड़ी: Crow and Fox Short Hindi Story
एक हरे-भरे, प्राचीन जंगल में, एक चतुर कौवा अपनी चोंच में स्वादिष्ट पनीर का एक टुकड़ा लेकर एक शाखा पर बैठा था। कौवे को अपने पुरस्कार पर गर्व हुआ। नीचे, एक धूर्त लोमड़ी ने पनीर को देखा, उसके मुँह में पानी आ गया। लोमड़ी, जो अपने चालाक तरीकों के लिए जानी जाती है, कौवे के पास आई और बोली, "ओह, तुम कितने शानदार पक्षी हो! तुम्हारे पंख सबसे अच्छे हैं, और तुम्हारी आवाज़, मैंने सुना है, जंगल में सबसे मधुर है। मैं निश्चित रूप से आपका गायन आपकी उपस्थिति की तरह ही मनमोहक है। क्या आप मुझे एक गीत सुनाकर अनुग्रहित करेंगे?" चापलूसी से खुश होकर कौआ विरोध नहीं कर सका। उसने गाने के लिए अपनी चोंच खोली और उसी क्षण पनीर जमीन पर गिर गया। लोमड़ी ने तेजी से उसे पकड़ लिया और बोली, "प्यारे कौए, तुम कितने चतुर हो, लेकिन सुंदरता और तारीफ ज्ञान जितनी मूल्यवान नहीं हैं।" कहानी का सार स्पष्ट है: चापलूसी और खोखले शब्दों से सावधान रहें, क्योंकि वे आपके नुकसान का कारण बन सकते हैं।
"द अग्ली डकलिंग": The Ugly Duckling
हंस क्रिश्चियन एंडरसन की एक क्लासिक कहानी है। यह बत्तखों के बीच पले हुए एक युवा हंस की कहानी बताती है, जिसे अलग होने के कारण तिरस्कृत किया जाता है और बदसूरत माना जाता है। हालाँकि, जैसे-जैसे मौसम बदलता है, "बदसूरत बत्तख" एक शानदार हंस में विकसित हो जाता है। यह कहानी इस सबक को खूबसूरती से दर्शाती है कि सुंदरता व्यक्तिपरक है और हर किसी के अपने अद्वितीय गुण होते हैं। युवा हंस का परिवर्तन हमें याद दिलाता है कि हमें दूसरों को उनकी उपस्थिति या अंतर के आधार पर नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि ये अंतर उभरने की प्रतीक्षा कर रहे असाधारण गुणों को छिपा सकते हैं। अपने व्यक्तित्व को अपनाना और अपने और दूसरों के भीतर अंतर्निहित सुंदरता को पहचानना एक महत्वपूर्ण सबक है। "द अग्ली डकलिंग" दयालुता, सहानुभूति और विविधता के उत्सव को प्रोत्साहित करती है, जिससे यह बच्चों और वयस्कों दोनों ��े लिए एक कालातीत और शक्तिशाल�� कहानी बन जाती है।
"द थ्री लिटिल पिग्स" तीन छोटे सुअर Short Hindi Story
तीन सुअर भाई-बहनों के बारे में एक प्रिय लोककथा है जो अपना घर बनाने के लिए निकले थे। एक सुअर पुआल का घर बनाता है, दूसरा लकड़ियों का उपयोग करता है, और तीसरा एक मजबूत ईंट का घर बनाता है। एक चालाक भेड़िया उनके घरों को उड़ा देने की धमकी देता है। पहले दो सूअरों के कमज़ोर घर भेड़िये की हड़बड़ाहट और फुसफुसाहट की भेंट चढ़ जाते हैं। हालाँकि, तीसरे सुअर का ईंट का घर सुरक्षित है। कहानी का नैतिक कड़ी मेहनत, दूरदर्शिता और भविष्य के लिए योजना के महत्व पर जोर देता है। तीसरे सुअर की मेहनत और तैयारी रंग लाई, जिसने चुनौतियों का सामना करते समय लचीलेपन और संसाधनशीलता के मूल्य पर प्रकाश डाला। यह क्लासिक कहानी बच्चों को सिखाती है कि बुद्धिमानी से निर्णय लेने और एक मजबूत नींव बनाने के प्रयास से उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिल सकती है और अंततः एक सुरक्षित और सुरक्षित भविष्य प्राप्त हो सकता है।
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readmoralstories · 3 years ago
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चालक बन्दर और मुर्ख बिल्लियाँ हिंदी मोरल स्टोरी | Clever Monkey And Foolish Cats Panchtantra Hindi Moral Story | Readmoralsories
कहानियां बच्चों को सही और गलत के बीच का अंतर सिखाने का एक शानदार तरीका हैं। इसके अतिरिक्त, वे उन्हें बुनियादी मानवीय नैतिकता और व्यवहार पैटर्न की सामान्य समझ हासिल करने में मदद करते हैं। बच्चों के रूप में, हम जातक कथाओं के साथ-साथ पंचतंत्र की कहानियों, टिंकल, अमर चित्र कथा की लोक कथाओं को पढ़ते और सुनते हुए बड़े हुए हैं और हमें इसका एहसास नहीं हो सकता है, लेकिन बच्चों के लिए उन छोटी नैतिक कहानियों ने हमें यह बनाने में एक आवश्यक भूमिका निभाई है कि हम कौन हैं आज। बच्चों के लिए इन उपदेशात्मक कहानियों द्वारा प्रदान किए गए मूल्य, विश्वा�� और नैतिकता हमारे व्यक्तित्व की नींव हैं। इसलिए बच्चों को अच्छी तरह से गोल व्यक्ति बनाने के लिए इन लघु कथाओं को नैतिकता के साथ आगे ब���़ाना महत्वपूर्ण है।
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lokkesari · 4 years ago
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भ्रष्टाचार के असुर ने सरकारी विभागों में गड़ाए पंजे / डॉ राजे नेगी
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भ्रष्टाचार के असुर ने सरकारी विभागों में गड़ाए पंजे / डॉ राजे नेगी
ऋषिकेश दिनांक 9 फरवरी 2021_ भारत में भ्रष्टाचार का रोग बढ़ता ही जा रहा है। हमारे जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं बचा, जहां भ्रष्टाचार के असुर ने अपने पंजे न गड़ाए हों। भारत नैतिक मूल्यों और आदर्शों का कब्रिस्तान बन गया है। देश की सबसे छोटी इकाई पंचायत से लेकर शीर्ष स्तर के कार्यालयों और क्लर्क से लेकर बड़े अफसर तक, बिना घूस के आज सरकारी फाइल आगे ही नहीं सरकती।
यह कहना है आम आदमी पार्टी के नेता डॉ राजे सिंह नेगी का । ‘आप ‘के नेता डॉ नेगी के अनुसार भ्रष्टाचार की दीमकें हमारी सारी व्यवस्था को खोखला कर रही हैं। कभी सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत आज भ्रष्टाचार के कीचड़ में धंस चुका है। हमारे नैतिक मूल्य और आदर्श सब स्वाहा हो चुके हैं। बढ़ता हुआ भ्रष्टाचार आचरण दोष का ही परिणाम है।उन्होंने कहा कि आज के समय में ईमानदारी तो महज कागज का एक टुकड़ा बनकर रह गई है। हर क्षेत्र में जब तक जेब से हरे-हरे नोटों की उष्णता नहीं दिखाई जाए, तब तक हर काम कछुआ चाल से ही चलता है।इस गर्मी के प्रकोप से बड़े-बड़ों का ईमान पिघलने लगता है। बच्चों का शिक्षण संस्थान में दाखिला करवाना हो, या किसी का सरकारी विभाग मेें काम कराना हो, बिना मुट्ठी गरम किए काम होता नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद भष्टाचार पर नकैल कसने की बाात कही थी लेेेकिन इसका कुछ भी असर अब तक देेेखने को नही मिला है।
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ashokgehlotofficial · 5 years ago
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20 अप्रेल से शुरू होने वाले मॉडिफाइड लॉकडाउन का यह कतई मतलब नहीं कि लोग घरों से बाहर निकल सकते हैं। लोग किसी सूरत में अपना जीवन खतरे में न डालें। लॉकडाउन की उसी तरह पालना करें, जैसे वे अब तक करते रहे हैं। आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त कोई बाहर निकला तो कार्रवाई होगी। इसी महीने शुरू होने वाले रमजान एवं अक्षय तृतीया के अवसर पर लोग लॉकडाउन की पूरी तरह पालना करें। धर्मगुरूओं, जनप्रतिनिधियों, एनजीओ आदि से अपील है कि वे लॉकडाउन की पालना करवाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पत्रकारों के साथ वार्ता की। प्रदेश में जब लॉकडाउन की शुरूआत की गई थी, तब राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, धर्मगुरूओं, एनजीओ सहित सभी वर्गों को साथ लिया गया था। उन्हें हम फिर आग्रह करेंगे कि वे मॉडिफाइड लॉकडाउन को सफल बनाने में अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाएं। आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सरकारी कार्यालयों में 20 अप्रेल से 33 प्रतिशत कार्मिकों को रोटेशन के आधार पर बुलाने के निर्णय को फिलहाल टाल दिया गया है। अभी केवल सचिव, विभागाध्यक्ष और उप सचिव स्तर के अधिकारी एवं उनका निजी स्टाफ ही दफ्तर आएंगे। आगे इस संबंध में चरणबद्ध रूप से निर्णय लिया जाएगा। मॉडिफाइड लॉकडाउन में नगरपालिका के बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग शुरू हो सकेंगें। शहरी क्षेत्रों में उन्हीं उद्योगों को सीमित छूट दी गई है, जिनमें श्रमिकों को फैक्ट्री में रखने की उचित व्यवस्था उपलब्ध है। आवश्यक सेवाओं के लिए पूर्व में जो पास जारी किए गए हैं, वे आगे भी मान्य होंगे। नए ई-पास ऑनलाइन बनाए जाएंगे। भारत सरकार ने प्रदेश के अंदर विभिन्न जिलों में कैम्पों में अटके श्रमिकों को राज्य में स्थित उनके कार्यस्थलों पर पहुंचने की छूट दे दी है, लेकिन इससे पूरी तरह समस्या हल नहीं होगी। राजस्थान की समस्या अन्य राज्यों से भिन्न है। बड़ी संख्या में यहां के श्रमिक देश के लगभग सभी राज्यों में मौजूद हैं। वे कोरोना महामारी के कारण तनाव में हैं और एक बार अपने-अपने घर जाना चाहते हैं। ऐसे में भारत सरकार को राजस्थान की परिस्थिति को ध्यान में रखकर उन्हें अपने घर पहुंचाने की छूट देनी चाहिए, ताकि उनका कॉन्फिडेंस मजबूत हो सके और वे कुछ समय बाद फिर अपने-अपने काम पर लौट सकें। इसके लिए हम भारत सरकार को पुनः पत्र लिखकर छूट देने का आग्रह करेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार कोटा में पढ़ रहे कोचिंग स्टूडेंट्स को अपने राज्य में लेकर गई है। अन्य राज्य भी इस दिशा में पहल करें, ताकि बच्चों का तनाव दूर हो सके और संकट की इस घड़ी में वे परिवार के साथ रह सकें।
कोरोना के कारण राज्य की आय एवं राजस्व संग्रहण में 60 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। आर्थिक मंदी और कोरोना के कारण राजस्थान को इस वर्ष करीब 18 हजार करोड़ रूपए के राजस्व की हानि हुई है। मार्च के अंतिम सप्ताह में ही करीब 3500 करोड़ रूपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। इस स्थिति का सामना करने के लिए केंद्र सरकार को विशेष पैकेज देना चाहिए।
राज्य सरकार के ऐसे प्रयास हैं कि प्रदेश में एपीएल हो चुका कोई परिवार कोरोना के कारण बीपीएल में नहीं आए। आर्थिक सलाहकार सेवानिवृत्त आईएएस श्री अरविंद मायाराम की अध्यक्षता में गठित कमेटी इस संबंध में विशेषज्ञों से सलाह ले रही है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उचित निर्णय लिए जाएंगे। केंद्र सरकार को इसके लिए पैकेज देना चाहिए ताकि किसी भी छोटे व्यापारी, दुकानदार या अन्य व्यक्ति की आर्थिक स्थिति नहीं बिगडे़। राजस्थान में हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना हमारी स��्वोच्च प्राथमिकता है। इसमें धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। कोरोना के टेस्ट की पेंडेंसी नहीं रहे, इसके लिए हमारी सरकार ने करीब चार हजार सैम्पल्स जांच के लिए दिल्ली भिजवाए हैं। राजस्थान में कोरोना के सबसे ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं। इसी दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार ने करीब चार हजार सैम्पल्स को जांच के लिए दिल्ली लैब में भेजा है। ऐसी पहल करने वाला राजस्थान पहला राज्य है। इससे कोरोना की रिपोर्ट के लिए बैकलॉग एवं इंतजार खत्म होगा। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि मंडियों में कृषि जिंसों की खरीद में सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल की पालना हो। साथ ही किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य भी मिले। करीब 400 मंडियों एवं गौण मंडियों, करीब 500 ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियों तथा करीब 1500 कृषि प्रसंस्करण इकाइयों के जरिए जिंसों की खरीद की व्यवस्था की गई है। किसानों से कृषि जिंसों की सीधी खरीद के लिए कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को भी लाइसेंस जारी किए गए हैं। कोटा संभाग में रबी जिंसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद प्रारंभ हो गई है।
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imsaki07 · 5 years ago
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'शिक्षा के प्रचार प्रसार के साथ नैतिकता के पतन भी बढ़ा है : नित्यानन्द महाराज' परागपुर।आज की शिक्षा व्यवस्था बहुत सुवयवस्थित हो गयी है, किताबें, गणवेश, भोजन, बैग, सहित और भी सुविधाएं बच्चों को आज मिल रही हैं।धड़ाधड़ डिग्रियां बच्चे ले रहे हैं।लेकिन शिक्षा के प्रचार-प्रसार के साथ साथ देश समाज मे अराजकता, अभिमान, दुराचार, रिश्वत व नैतिक पतन बढ़ता जा रहा है। इसका मूल कारण है, मूल्य आधारित व संस्कार युक्त शिक्षा का न दिया जाना। यह बात ऋषिकेश से आये प्रख्यात संत स्वामी नित्यानन्द जी महाराज ने कही। परागपुर बल्ला में भागवत प्रवचन के अंतर्गत किये अपने वयाख्यान में उन्होंने कहा कि संस्कार देने का सर्वप्रथम कर्तव्य मां का होता है। प्रह्लाद को शिक्षा मां कमाधु से ही मिली थी गुरु या पिता से नही। मां ही संसार मे सर्वश्रेष्ठ गुरु मानी गई है। उन्होंने उपस्थित माताओं से आह्वान किया कि बच्चों को संस्कारी बनाएं उन्हें प्रह्लाद व ध्रुव चरित्र सुनाएं।
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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बुढ़ापे में माता-पिता को घर से न निकालें, यह बात बच्चों को सिखा रहे बुजुर्ग
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चैतन्य भारत न्यूज भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कोलार क्षेत्र में स्थित वृद्धाश्रम "अपना घर" में रहने वाले बुजुर्ग हर गुरुवार को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने के लिए बच्चों की पाठशाला लगाते हैं। इसकी खास बात यह है कि इसमें छह से 16 साल तक के बच्चों को किताबी ज्ञान नहीं बल्कि समाज, परिवार और उससे जुड़े नैतिक मूल्य सिखाए जाते हैं। इसमें ऐसे बुजुर्ग, जिन्हें बेटे-बेटियों और बहुओं ने घर से निकाल दिया है, वे बच्चों को अपनों से दूर होने का दर्द बताते हैं।
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वे बच्चों को समझाते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए बुढ़ापे में माता-पिता को घर से निकाल देना  बहुत ही दुखदायी है। इस खास पाठशाला का उद्देश्य समाज में आए नकारात्मक बदलाव को रोकना है, जिससे बच्चे बड़े होकर अपने माता-पिता का सम्मान करें और उन्हें घर से निकालकर वृद्धाश्रम में न छोड़ें। "अपना घर" में करीब 20 साल से रहे बुजुर्ग प्रेम नारायण सोनी और साधना पाठक ने मीडिया को बताया कि हमने अपने बच्चों की बेहतर ढंग से देखभाल की। उन्हें पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया, लेकिन जब हम बूढ़े हो गए तो उन्होंने हमें घर से निकाल दिया और यहां छोड़ दिया। बुढ़ापे में ऐसी स्थिति किसी के भी साथ न बने, इसलिए नई पीढ़ी के बच्चों की बाल चौपाल लगा रहे हैं, जिससे बच्चे संस्कारवान बनें और जन्म देने वाले माता-पिता का सम्मान करें। उन्हें बेसहारा न करें। उनकी आंखों में आंसू न आने दें। नैतिक मूल्यों की दी जाती है शिक्षा आश्रम में 24 बुजुर्ग हैं। इनमें 12 महिलाएं व 12 पुरुष हैं। पाठशाला में सभी बुजुर्ग उपस्थित रहते हैं। यहां आने वाले 60 से 70 बच्चों के साथ खो-खो, सांप-सीढ़ी, कैरम, सितोलिया सहित अन्य परंपरागत खेल भी खेले जाते हैं। इसी के साथ बच्चों को जीवनभर माता-पिता का सम्मान करना, उनकी बात मानना, बुढ़ापे में उनका सहारा बनने के बारे में बताते हैं। इतना ही नहीं, सप्ताह में किसी दिन बच्चों के घर भी जाते हैं, उनके माता-पिता से बच्चों में आए बदलाव के बारे में पूछते हैं। माता-पिता से भी कहते हैं कि बच्चों को साथ तालमेल बैठा कर चलें। सराहनीय यह भी है कि स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद आश्रम के बुजुर्ग समाज में बदलाव लाने के लिए नई पीढ़ी के बच्चों की पाठशाला लगाते हैं। Read the full article
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vlogrush · 2 months ago
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बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां: सीखें मजेदार किस्सों के साथ
कहानी सुनते बच्चे बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां पढ़ें जो मनोरंजन के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी देती हैं। इन कहानियों से बच्चे सीखेंगे अच्छे संस्कार, नैतिक मूल्य और जीवन के महत्वपूर्ण सबक।बच्चों की कहानियां न सिर्फ उनका मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं। इन शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से बच्चे खेल-खेल में नैतिक मूल्य, अच्छे संस्कार और सही व्यवहार सीख सकते हैं। ये…
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nmrampuria · 5 years ago
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रानी पद्मिनी
एक शौर्य गाथा )
वीर वीरांगनाओं की धरती राजपूताना...जहाँ के इतिहास में आन बान शान या कहें कि सत्य पर बलिदान होने वालों की अनेक गाथाएं अंकित है। एक कवि ने राजस्थान के वीरों के लिए कहा है :
"पूत जण्या जामण इस्या मरण जठे असकेल
सूँघा सिर, मूंघा करया पण सतियाँ नारेल"
{ वहां ऐसे पुत्रों को माताओं ने जन्म दिया था जिनका उदेश्य के लिए म़र जाना खेल जैसा था ...जहाँ की सतियों अर्थात वीर बालाओं ने सिरों को सस्ता और नारियलों को महंगा कर दिया था...(यह रानी पद्मिनी के जौहर को इंगित करता है)...}
आज दिल कर रहा है मेवाड़ की महारानी पद्मिनी की गाथा आप सब से शेयर करने का...
१३०२ इश्वी में मेवाड़ के राजसिंहासन पर रावल रतन सिंह आरूढ़ हुए. उनकी रानियों में एक थी पद्मिनी जो श्री लंका के राजवंश की राजकुँवरी थी. रानी पद्मिनी का अनिन्द्य सौन्दर्य यायावर गायकों (चारण/भाट/कवियों) के गीतों का विषय बन गया था। दिल्ली के तात्कालिक सुल्तान अल्ला-उ-द्दीन खिलज़ी ने पद्मिनी के अप्रतिम सौन्दर्य का वर्णन सुना और वह पिपासु हो गया उस सुंदरी को अपने हरम में शामिल करने के लिए। अल्ला-उ-द्दीन ने चित्तौड़ (मेवाड़ की राजधानी) की ओर कूच किया अपनी अत्याधुनिक हथियारों से लेश सेना के साथ। मकसद था चित्तौड़ पर चढ़ाई कर उसे जीतना और रानी पद्मिनी को हासिल करना। ज़ालिम सुलतान बढा जा रहा था, चित्तौड़गढ़ के नज़दीक आये जा रहा था। उसने चित्तौड़गढ़ में अपने दूत को इस पैगाम के साथ भेजा कि अगर उसको रानी पद्मिनी को सुपुर्द कर दिया जाये तो वह मेवाड़ पर आक्रमण नहीं करेगा।
रणबाँकुरे राजपूत���ं के लिए यह सन्देश बहुत शर्मनाक था। उनकी बहादुरी कितनी ही उच्चस्तरीय क्यों ना हो, उनके हौसले कितने ही बुलंद क्यों ना हो, सुलतान की फौजी ताक़त उनसे कहीं ज्यादा थी। रणथम्भोर के किले को सुलतान हाल ही में फतह कर लिया था ऐसे में बहुत ही गहरे सोच का विषय हो गया था सुल्तान का यह घृणित प्रस्ताव, जो सुल्तान की कामुकता और दुष्टता का प्रतीक था। कैसे मानी जा सकती थी यह शर्मनाक शर्त।
नारी के प्रति एक कामुक नराधम का यह रवैय्या क्षत्रियों के खून खौला देने के लिए काफी था। रतन सिंह जी ने सभी सरदारों से मंत्रणा की, कैसे सामना किया जाय इस नीच लुटेरे का जो बादशाह के जामे में लिपटा हुआ था। कोई आसान रास्ता नहीं सूझ रहा था। मरने मारने का विकल्प तो अंतिम था। क्यों ना कोई चतुराईपूर्ण राजनीतिक कूटनीतिक समाधान समस्या का निकाला जाय ?
रानी पद्मिनी न केवल अनुपम सौन्दर्य की स्वामिनी थी, वह एक बुद्धिमता नारी भी थी। उसने अपने विवेक से स्थिति पर गौर किया और एक संभावित हल समस्या का सुझाया। अल्ला-उ-द्दीन को जवाब भेजा गया कि वह अकेला निरस्त्र गढ़ (किले) में प्रवेश कर सकता है, बिना किसी को साथ लिए, राजपूतों का वचन है कि उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जायेगा....हाँ वह केवल रानी पद्मिनी को देख सकता है...बस. उसके पश्चात् उसे चले जाना होगा चित्तौड़ को छोड़ कर... जहाँ कहीं भी, उम्मीद कम थी कि इस प्रस्ताव को सुल्तान मानेगा। किन्तु आश्चर्य हुआ जब दिल्ली के आका ने इस बात को मान लिया। निश्चित दिन को अल्ला-उ-द्दीन पूर्व के चढ़ाईदार मार्ग से किले के मुख्य दरवाज़े तक चढ़ा, और उसके बाद पूर्व दिशा में स्थित सूरजपोल तक पहुंचा। अपने वादे के मुताबिक वह नितान्त अकेला और निरस्त्र था, पद्मिनी के पति रावल रतन सिंह ने महल तक उसकी अगवानी की। महल के उपरी मंजिल पर स्थित एक कक्ष कि पिछली दीवार पर एक दर्पण लगाया गया, जिसके ठीक सामने एक दूसरे कक्ष की खिड़की खुल रही थी...उस खिड़की के पीछे झील में स्थित एक मंडपनुमा महल था जिसे रानी अपने ग्रीष्म विश्राम के लिए उपयोग करती थी। रानी मंडपनुमा महल में थी जिसका बिम्ब खिडकियों से होकर उस दर्पण में पड़ रहा था अल्लाउद्दीन को कहा गया कि दर्पण में झांके। हक्केबक्के सुलतान ने आईने की जानिब अपनी नज़र की और उसमें रानी का अक्स उसे दिख गया ...तकनीकी ��ौर पर उसे रानी साहिबा को दिखा दिया गया था..सुल्तान को एहसास हो गया कि उसके साथ चालबाजी की गयी है, किन्तु बोल भी नहीं पा रहा था, मेवाड़ नरेश ने रानी के दर्शन कराने का अपना वादा जो पूरा किया था......और उस पर वह नितान्त अकेला और निरस्त्र भी था।
परिस्थितियां असमान्य थी, किन्तु एक राजपूत मेजबान की गरिमा को अपनाते हुए, दुश्मन अल्लाउद्दीन को ससम्मान वापस पहुँचाने मुख्य द्वार तक स्वयं रावल रतन सिंह ���ी गये थे .....अल्लाउद्दीन ने तो पहले से ही धोखे की योजना बना रखी थी। उसके सिपाही दरवाज़े के बाहर छिपे हुए थे...दरवाज़ा खुला....रावल साहब को जकड लिया गया और उन्हें पकड़ कर शत्रु सेना के खेमे में कैद कर दिया गया।
रावल रतन सिंह दुश्मन की कैद में थे। अल्लाउद्दीन ने फिर से पैगाम भेजा गढ़ में कि राणाजी को वापस गढ़ में सुपुर्द कर दिया जायेगा, अगर रानी पद्मिनी को उसे सौंप दिया जाय। चतुर रानी ने काकोसा गोरा और उनके १२ वर्षीय भतीजे बादल से मशविरा किया और एक चातुर्यपूर्ण योजना राणाजी को मुक्त करने के लिए तैयार की।
अल्लाउद्दीन को सन्देश भेजा गया कि अगले दिन सुबह रानी पद्मिनी उसकी खिदमत में हाज़िर हो जाएगी, दिल्ली में चूँकि उसकी देखभाल के लिए उसकी खास दसियों की ज़रुरत भी होगी, उन्हें भी वह अपने साथ लिवा लाएगी। प्रमुदित अल्लाउद्दीन सारी रात्रि सो न सका...कब रानी पद्मिनी आये उसके हुज़ूर में, कब वह विजेता की तरह उसे भी जीते.....कल्पना करता रहा रात भर पद्मिनी के सुन्दर तन की....प्रभात बेला में उसने देखा कि एक जुलुस सा सात सौ बंद पालकियों का चला आ रहा है। खिलज़ी अपनी जीत पर इतरा रहा था। खिलज़ी ने सोचा था कि ज्योंही पद्मिनी उसकी गिरफ्त में आ जाएगी, रावल रतन सिंह का वध कर दिया जायेगा...और चित्तौड़ पर हमला कर उस पर कब्ज़ा कर लिया जायेगा। कुटिल हमलावर इस से ज्यादा सोच भी क्या सकता था। खिलज़ी के खेमे में इस अनूठे जुलूस ने प्रवेश किया...और तुरंत अस्तव्यस्तता का माहौल बन गया...पालकियों से नहीं उतरी थी अनिन्द्य सुंदरी रानी पद्मिनी और उसकी दासियों का झुण्ड....बल्कि पालकियों से कूद पड़े थे हथियारों से लेश रणबांकुरे राजपूत योद्धा ....जो अपनी जान पर खेल कर अपने राजा को छुड़ा लेने का ज़ज्बा लिए हुए थे। गोरा और बादल भी इन में सम्मिलित थे, मुसलमानों ने तुरत अपने सुल्तान को सुरक्षा घेरे में लिया। रतन सिंह जी को उनके आदमियों ने खोज निकाला और सुरक्षा के साथ किले में वापस ले गये। घमासान युद्ध हुआ, जहाँ दया करुणा को कोई स्थान नहीं था। मेवाड़ी और मुसलमान दोनों ही रण-खे�� रहे, मैदान इंसानी लाल खून से सुर्ख हो गया था। शहीदों में गोरा और बादल भी थे, जिन्होंने मेवाड़ के भगवा ध्वज की रक्षा के लिए अपनी आहुति दे दी थी।
अल्लाउद्दीन की खूब मिटटी पलीद हुई. खिसियाता, क्रोध में आग बबूला होता हुआ, लौमड़ी सा चालाक और कुटिल सुल्तान दिल्ली को लौट गया। उसे चैन कहाँ था, जुगुप्सा का दावानल उसे लगातार जलाए जा रहा था। एक औरत ने उस अधिपति को अपने चातुर्य और शौर्य से मुंह के बल पटक गिराया था। उसका पुरुष चित्त उसे कैसे स्वीकार का सकता था। उसके अहंकार को करारी चोट लगी थी, मेवाड़ का राज्य उसकी आँख की किरकिरी बन गया था।
कुछ महीनों के बाद वह फिर चढ़ बैठा था चित्तौडगढ़ पर, ज्यादा फौज और तैय्यारी के साथ। उसने चित्तौड़गढ़ के पास मैदान में अपना खेमा डाला, किले को घेर लिया गया....किसी का भी बाहर निकलना सम्भव नहीं था..दुश्मन कि फौज के सामने मेवाड़ के सिपाहियों की तादाद और ताक़त बहुत कम थी। थोड़े बहुत आक्रमण शत्रु सेना पर बहादुर राजपूत कर पाते थे लेकिन उनको कहा जा सकता था ऊंट के मुंह में जीरा। सुल्तान की फौजें वहां अपना पड़ाव डाले बैठी थी, इंतज़ार में. छः महीने बीत गये, किले में संगृहीत रसद ख़त्म होने को आई। अब एक ही चारा बचा था, "करो या मरो" या "घुटने टेको" आत्मसमर्पण या शत्रु के सामने घुटने टेक देना बहादुर राजपूतों के गौरव लिए अभिशाप तुल्य था, ऐसे में बस एक ही विकल्प बचा था झूझना...युद्ध करना...शत्रु का यथासंभव संहार करते हुए वीरगति को पाना।
बहुत बड़ी विडंबना थी कि शत्रु के कोई नैतिक मूल्य नहीं थे। वे न केवल पुरुषों को मारते काटते, नारियों से बलात्कार करते और उन्हें भी मार डालते। यही चिंता समायी थी धर्म परायण शिशोदिया वंश के राजपूतों में....और मेवाड़ियों ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया।
किले के बीच स्थित मैदान में लकड़ियों, नारियलों एवम् अन्य इंधनों का ढेर लगाया गया.....सारी स्त्रियों ने, रानी से दासी तक, अपने बच्चों के साथ गोमुख कुन्ड में विधिवत पवित्र स्नान किया....सजी हुई चित्ता को घी, तेल और धूप से सींचा गया....और पलीता लगाया गया. चित्ता से उठती लपटें आकाश को छू रही थी। नारियां अपने श्रेष्ठतम वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित थी, अपने पुरुषों को अश्रुपूरित विदाई दे रही थी....अंत्येष्टि के शोकगीत गाये जा रही थी. अफीम अथवा ऐसे ही किसी अन्य ��ामक औषधियों के प्रभाव से प्रशांत हुई, महिलाओं ने रानी पद्मावती के नेतृत्व में चित्ता कि ओर प्रस्थान किया....और कूद पड़ी धधकती चित्ता में....अपने आत्मदाह के लिए....जौहर के लिए....देशभक्ति और गौरव के उस महान यज्ञ में अपनी पवित्र आहुति देने के लिए।
जय एकलिंग, हर हर महादेव के उदघोषों से गगन गुंजरित हो उठा था. आत्माओं का परमात्मा से विलय हो रहा था।
अगस्त २५, १३०३ कि भोर थी, आत्मसंयमी दुखसुख को समान रूप से स्वीकार करनेवाला भाव लिए, पुरुष खड़े थे उस हवन कुन्ड के निकट, कोमलता से भगवद गीता के श्लोकों का कोमल स्वर में पाठ करते हुए.....अपनी अंतिम श्रद्धा अर्पित करते हुए.... प्रतीक्षा में कि वह विशाल अग्नि उपशांत हो। पौ फट गयी.....सूरज कि लालिमा ताम्रवर्ण लिए आकाश में आच्छादित हुई.....पुरुषों ने केसरिया बागे पहन लिए....अपने अपने भाल पर जौहर की पवित्र भभूत से टीका किया....मुंह में प्रत्येक ने तुलसी का पता रखा....दुर्ग के द्वार खोल दिए गये। जय एकलिंग....हर हर महादेव कि हुंकार लगते रणबांकुरे मेवाड़ी टूट पड़े शत्रु सेना पर...मरने मारने का ज़ज्बा था....आखरी दम तक अपनी तलवारों को शत्रु का रक्त पिलाया...और स्वयं लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गये।
अल्लाउद्दीन खिलज़ी की जीत उसकी हार थी, क्योंकि उसे रानी पद्मिनी का शरीर हासिल नहीं हुआ, न मेवाड़ कि पगड़ी उसके कदमों में गिरी।

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readmoralstories · 3 years ago
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कहानियां बच्चों को सही और गलत के बीच का अंतर सिखाने का एक शानदार तरीका हैं। इसके अतिरिक्त, वे उन्हें बुनियादी मानवीय नैतिकता और व्यवहार पैटर्न की सामान्य समझ हासिल करने में मदद करते हैं। बच्चों के रूप में, हम जातक कथाओं के साथ-साथ पंचतंत्र की कहानियों, टिंकल, अमर चित्र कथा की लोक कथाओं को पढ़ते और सुनते हुए बड़े हुए हैं और हमें इसका एहसास नहीं हो सकता है, लेकिन बच्चों के लिए उन छोटी नैतिक कहानियों ने हमें यह बनाने में एक आवश्यक भूमिका निभाई है कि हम कौन हैं आज। बच्चों के लिए इन उपदेशात्मक कहानियों द्वारा प्रदान किए गए मूल्य, विश्वास और नैतिकता हमारे व्यक्तित्व की नींव हैं। इसलिए बच्चों को अच्छी तरह से गोल व्यक्ति बनाने के लिए इन लघु कथाओं को नैतिकता के साथ आगे बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
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vaanishree · 7 years ago
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न्यू इंडिया बजट से संतुलित विकास को मिलेगी रफ्तार आलेख : कमलेश पांडे, वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार। 'सबका साथ-सबका विकास' चाहने वाली और 'नए भारत' का सपना संजोने वाली मोदी सरकार ने संसद में पेश अपने  आखिरी पूर्ण बजट के सहारे देशवासियों में यह एहसास जगाने में कामयाब रही कि उसकी स्वच्छ-पारदर्शी नीतियों व उदार पहल से राष्ट्रव्यापी सन्तुलित विकास को जो गति मिली है, वह आगे भी जारी रहेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को न्यू इंडिया का आम बजट 2018-19 प्रस्तुत करके जिस नए भारत की प्रगतिशीलता का खाका स्पष्ट किया, उसके गहरे राजनैतिक और आर्थिक निहितार्थ हैं। इस बात से सभी वाकिफ हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद का यह पहला और नोटबन्दी के बाद का दूसरा आम बजट है जिसमें सरकार जनहित और राष्ट्रहित दोनों का समान रूप से ख्याल रखने में सफल रही है। यही नहीं, समाज के विभिन्न वर्गों, पेशेवर समूहों और अर्थव्यवस्था के सभी महत्वपूर्ण घटकों के बीच उन्होंने जैसी बारीक आर्थिक कारीगरी की है, उससे सभी प्रसन्नचित्त हैं कि सरकार ने ��न्हें कम या ज्यादा नहीं, बल्कि  सही तवज्जो दी है। कहना न होगा कि देश के संघात्मक स्वरूप की नैतिक व आर्थिक जिम्मेवारियों को समझते हुए सभी राज्यों व केंद्रशासित क्षेत्रों बीच परस्पर हितसाधक संतुलन बनाये रखने की जो उन्होंने पहल की और इस हेतु अपेक्षित बजट तारतम्यता बनाये रखने के लिये समुचित बजटीय प्रावधान किए, उससे  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गदगद हो गए। उनके मंत्रिमंडल के अन्य लोगों को भी जेटली की यह आर्थिक कारीगरी बहुत पसन्द आई। विपक्ष के औपचारिक विरोध को छोड़कर बीजेपी और उसके गठबंधन साथियों ने भी इसे सराहनीय बताया। कइयों ने तो खुले तौर पर इसका इजहार भी किया। इस बात में कोई दो राय नहीं कि सबके लिये रोटी, कपड़ा और मकान तथा शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीक की जरूरतों को भी सरकार समझ रही है। उसने जिस तरह से कृषि, रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य को आशातीत बढ़ावा दिया और परिवहन, उद्यमिता, बिजली, पेयजल, स्वच्छता और ईंधन की भावी आवश्यकता को समझते हुए इस क्षेत्र में विज्ञान और तकनीक को बढ़ावा देने की ठानी है, उसका विशेष महत्व है। उसने बाजारू उत्पादन से जुड़ी इच्छाओं, कतिपय विशेष अपेक्षाओं पर भी फोकस किया है। यह सब महत्वपूर्ण निर्णय है। इससे मंहगाई नियंत्रित होगी और आधारभूत संरचनाओं समेत विविध क्षेत्रों में समावेशी और टिकाऊ विकास को बल मिलेगा। कहना न होगा कि मोदी सरकार का यह अंतिम पूर्ण बजट था, इसलिये मिशन 2019 की छाया भी स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हुई। सच कहा जाये तो केंद्र सरकार की बदली कार्यसंस्कृति, व्यवहारिक व दूरदर्शी आर्थिक नीति और आक्रामक विदेश नीति का अतिरिक्त असर भी ताजा बजट में देखा गया। विगत लगभग चार वर्षों में सरकार ने जिस तरीके से नौकरशाही की तमाम बारीकियों को समझते हुए उसकी अधिकांश उलझनों को सुलझाने की सफल कोशिश की और नए भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता जताई, उससे भी समग्र सोच और समयबद्ध विकास को गति मिली है। लोग सरकार की दूरदर्शिता और नेकनीयती से अनुप्राणित हैं, और राष्ट्र के नवोत्थान हेतु हर तरह की कुर्बानियों के लिये तैयार भी। इस बात की झलक भी ताजा बजट से मिलती है। यह सही है कि कुछेक नई योजनाओं, प्रावधानों को छोड़कर नए बजट में भी सरकार विगत तीन वर्षों में अपने द्वारा चलाई हुई कतिपय महत्वपूर्ण योजनाओं के इर्दगिर्द ही घूमती नजर आई। लेकिन ��िस तरह से उसने इसकी उपयोगिता बताई और उपलब्धि के आंकड़े प्रस्तुत किये तथा पूर्व के तय कार्य लक्ष्यों में आशातीत बढोत्तरी की, उससे यह स्पष्ट हो गया कि सरकार के विकास-दर्पण में सभी को अपना चेहरा दिखाई पड़ रहा है। न तो उनकी खुशी छिप रही है और न ही अक्स ओझल हो रहा है। फिर भी जो, जहाँ, जैसे व जिस भी हाल में है, सन्तोष करके सुनहरे भविष्य के प्रति आशान्वित नजर आ रहा है। जरा सोचिए, सरकार ने आयकर सीमा में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 40 हज़ार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी दे दिया, यानी कि जिसका जितना वेतन है उसमें से 40 हज़ार रुपये घटाकर जो रकम बचेगी, सिर्फ  उस पर ही टैक्स लगेगा। साथ ही, शिक्षा और स्वास्थ्य पर सेस 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया। स्वाभाविक है कि सरकार एक हाथ से देने और दूसरे से लेने में माहिर हो चुकी है। इसलिये एक लाख रुपये से अधिक के निवेश पर 10 प्रतिशत कैपिटल गेन टैक्स भी थोप दिया। अब भले ही मोबाइल व टीवी उपकरणों पर कस्टम ड्यूटी 15 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे मोबाइल व टीवी महंगे होंगे। स्वाभाविक है कि इससे युवा वर्ग की जेब ढीली होगी, लेकिन सरकार ने 70 लाख नई नौकरियां बनाने का लक्ष्य घोषित करके लगभग उन्हें शांत रखने की पहल कर डाली। बेशक, आठ करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने, नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का हेल्थ बीमा देने का फैसला करके सरकार ने गरीबों को लुभाने की पहल की है। साथ ही, किसानों को भी उनकी फसल पर लागत का डेढ़ गुना दाम देने की चाल चलके उन्हें रिझा ली है। बजट मसौदे के मुताबिक, अब राष्ट्रपति की तनख्वाह पाँच लाख रुपये, उपराष्ट्रपति की चार लाख रुपये और राज्यपाल की तनख्वाह साढ़े तीन लाख होगी। इतना ही नहीं, सांसदों का वेतन भी बढ़ेगा तथा हर पांच साल में सांसदों के भत्ते की समीक्षा भी  होगी। इसका मकसद है कि जब जनप्रतिनिधियों को उचित वेतन व सुविधाएं मिलेंगी तो वो लोकसेवा में मन लगाएंगे और भ्रष्टाचार से गुरेज करेंगे। लगता है कि इसकी भरपाई के लिये सरकार ने 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत टैक्स निर्धारित कर दिया है। वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि उनकी सरकार की नेक पहल से  बाजार में कैश का प्रचलन कम हुआ है, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर है और भारत दुनिया की पांचवीं ��ड़ी अर्थव्यवस्था बनेगी। स्वाभाविक है कि यह नोटबंदी और जीएसटी की सफलता है। सरकार ने कुछ और नए उपाय किये ताकि अर्थव्यवस्था को गति मिले। अब वह नए कर्मचारियों के ईपीएफ में 12 फीसदी अंशदान देगी और 70 लाख नई नौकरियां भी पैदा करेगी। सरकार को अपनी नीतियों पर फक्र है कि पिछले 3 सालों में औसत विकास दर 7.5 प्रतिशत पहुंची है और भारतीय अर्थव्यवस्था 2.5 ट्रिलियन डॉलर की हो गई है। टैक्स पेयर बेस 2014-15 के 6.47 करोड़ से बढ़कर 2016-17 में 8.27 करोड़ हो गया है, जिससे सरकार उत्साहित है। 2018-19 में वित्तिय घाटा जीडीपी का��3.3% रहने का अनुमान है। सरकार ने अब यह भी स्पष्ट कर दिया कि बिटक्वाइन जैसी करेंसी अब नहीं चलेगी और क्रिप्टोकरेंसी की जगह ब्लॉकचेन की तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा। यही नहीं, सरकार 2022 तक किसानों की आय भी दोगुनी करेगी। इसके लिये न्यूनतन समर्थन मूल्य 1.5 गुना बढ़ाने का एलान किया गया है। खरीफ का समर्थन मूल्य भी उत्पादन लागत से डेढ़ गुना होगा। नया ग्रामीण बाजार ई-नैम बनाने का एलान किया गया है। किसानों को पूरा एमएसपी देने का भी लक्ष्य है, जबकि जिलेवार खेती का मॉडल भी तैयार किया जाएगा। सरकार द्वारा 42 मेगा फूड पार्क भी बनाए जाएंगे। आलू, टमाटर और प्याज के लिए सरकार 500 करोड़ रुपए देगी। अब पशुपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड मिलेगा। 1290 करोड़ रुपए से बांस मिशन चलाया जाएगा। खेती के कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ मिलेंगे। सरकार 4 करोड़ गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन देंगी और 2 करोड़ शौचालय भी बनाए जाएंगे। आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य स्कूल खोलेंगी सरकरा। प्री-नर्सरी से 12वीं तक पढ़ाई के लिए एक नीति होगी। सरकार द्वारा 24 नए मेडिकल कॉलेज भी खोले जाएंगे। जबकि, टीबी मरीजों के लिए 600 करोड़ रुपए की स्कीम चलाई गई जिसके तहत टीबी मरीज को हर महीने 500 रुपए देंगे। सरकार ने व्यापार शुरू करने के लिए मुद्रा योजना में 3 लाख करोड़ का फंड दिया, जिसमें से छोटे उद्योगों के लिए 3,794 करोड़ रुपए खर्च होंगे। अब उज्जवला स्कीम के तहत 8 करोड़ महिलाओं को गैस कनेक्शन मिलेगा और 2 करोड़ शौचालय बनवाने का लक्ष्य भी रखा गया है ताकि स्वच्छता मिशन पूरा हो।सरकार 2022 तक सबको घर देने को भी प्रतिबद्ध है। स्मार्ट सिटी के लिए 99 शहर चुने गए हैं। सीमा पर सड़कें बनाने पर भी जोर है। धार्मिक-पर्यटन शहरों के लिए हेरिटेज सिटी की योजना है। सरकार अनुसूचित जाति कल्याण के लिए 56,619 रुपए, अनुसूचित जनजाती के लिए 39,135 रुपए की राशि का भी आवंटन करेगी, ताकि इस वर्ग की भी उन्नति हो। न�� घोषणा के मुताबिक, अब 99% एमएसएमई को मात्र 25% टैक्स ही देना होगा। जबकि, 100 करोड़ के टर्नओवर वाली कृषि उत्पाद बनाने वाली कंपनियों का 100% टैक्स माफ किया जाएगा। अरुणाचल प्रदेश में सी-ला पास के पास टनल बनाने के भी प्रस्ताव है। अब देशभर में आयकर का आकलन ऑनलाइन होगा। साथ ही, गोल्ड डिपॉज़िट अकाउंट खोलने में लोगों को आ रही दिक्कतों को भी दूर किया जाएगा। इसके लिये मुद्रीकरण स्कीम को भी नए सिरे से ठीक किया जा रहा है। औद्योगिक विकास को गति देने के लिये देशे में दो इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर बनाए जाएंगे, जिसके जरिए पब्लिक-प्राइवेट दोनों ही सेक्टर्स में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि ख़ुशहाली निरन्तर बढ़ती रहे।
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pragatitimes2016-blog · 7 years ago
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उप्र : योगी ने अखिलेश पर साधा निशाना, गिनाई 6 महीने की उपलब्धियां has been published on PRAGATI TIMES
उप्र : योगी ने अखिलेश पर साधा निशाना, गिनाई 6 महीने की उपलब्धियां
लखनऊ, (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को एक ओर जहां अपने सरकार की छह महीने की उपलब्धियों का बखान किया, वहीं पिछली सरकारों पर भी जमकर पलटवार किया।
उन्होंने किसान फसल ऋणमोचन योजना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक ट्वीट पर चुटकी लेते हुए कहा कि अखिलेश को किसान की सही परिभाषा न���ीं मालूम है, इसीलिए वह उनका मजाक उड़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी मंगलवार को लोकभवन में अपनी सरकार के कार्यकाल का छह माह पूरा होने के बाद ब्यौरा पेश कर रहे थे। उनके साथ उप मुख्यमंत्री डॉ़ दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य भी थे। योगी ने कहा, “भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश में सुरक्षा का माहौल बेहतर हो गया है। अब यहां पर जनमानस अपने को सुरक्षित महसूस कर रहा है। हमारे कार्यकाल में पुलिस का मनोबल बढ़ा और बदमाशों पर शिकंजा कसा गया। पुलिस की उनसे आमने-सामने मुठभेड़ होने लगी। दर्जनभर से अधिक बदमाश मारे गए हैं और दो दर्जन से अधिक जेल में बंद हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रदेश में पुलिस का मनोबल बढ़ाना चुनौती थी। हमने इसको स्वीकार किया और आज यहां पुलिस फ्रंट पर आकर काम कर रही है। भाजपा की सरकार सरकार बनने के बाद प्रदेश में निवेश का माहौल बना है। प्रदेश में निवेश फ्रेंडली माहौल नहीं था। उत्तर प्रदेश में बीते 15 वर्ष से अराजकता थी। छह महीने में 431 से अधिक मुठभेड़ हुईं, जिनमें 17 अपराधी मार गिराए गए। इसके साथ ही 69 अपराधियों की संपत्ति जब्त की गई।” उन्होंने कहा, “आम जनमानस आज सुरक्षित महसूस कर रहा है। यहां पर हमारे छह महीने के कार्यकाल में एक भी दंगा नहीं हुआ है। प्रचंड बहुमत के अनुरूप हमारी कार्य पद्धति हो, ऐसी कार्यप्रणाली की जरूरत थी। उसको करके दिखाया है। हमने नैतिक जिम्मेदारी के साथ छह माह की सरकार का लेखा जोखा पेश किया है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक 33 लाख अपात्र रा��न कार्डो को निरस्त कर पात्रों को राशन कार्ड दिया। इसके साथ ही 5000 से ज्यादा क्रय केंद्र खोले हैं। 33 लाख अपात्र राशन कार्डो को निरस्त कर पात्रों को राशन कार्ड दिया। मुख्यमंत्री ने कहा, “इस वर्ष 10 लाख नौजवानों को रोजगार-स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा। युवाओं को प्रदेश में नौकरी के लिए काम किया जा रहा है। रोजगार के लिए छह महीने में पुलिस भर्ती प्रक्रिया बढ़ाई गई है। प्रदेश में इससे पहले तक नौकरियों में धांधली और अराजकता का माहौल था। हम आने वाले समय में पुलिस विभाग में 1़5 लाख भर्तियां करेंगे।” उन्होंने दावा करते हुए कहा, “हम प्रदेश में एक अक्टूबर से सचिवालयों को ई-ऑफिस से जोड़ने जा रहे हैं। जो आम जन के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। हमने हर किसान को ट्यूबवेल कनेक्शन देने का ऐलान किया है। हमने दस हजार सोलर पंप दिया है। प्रदेश में गन्ना किसानों का 95 फीसदी से अधिक भुगतान हो चुका है।” योगी ने कहा कि प्रदेश में किसानों के लिए आलू का पहली बार समर्थन मूल्य जारी हुआ है। किसानों के लिए सरकार ने काफी काम किया है, किसानों का विश्वास जाग्रत किया है। सरकार 22 करोड़ जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए एयर कनेक्टिविटी पर काम किया जा रहा है। पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण लिए काम चल रहा है। दवा खरीद की केंद्रीय व्यवस्था की गई है, जिससे सरकारी अस्पतालों में होने वाली दवा खरीद में लूटपाट दूर होगी। आदित्यनाथ ने कहा कि पूर्वी यूपी के 38 जिलों में 92 लाख बच्चों को इंसेफेलाइटिस की वैक्सीन दी गई है। स्कूली बच्चों को जूते-मोजे दिए गए हैं और आने वाली सर्दियों में स्कूली बच्चों को स्वेटर भी दिए जाएंगे। उन्होंने कहा, “हमने 16 लाख परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया, जिसमें 6 लाख गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार हैं। 6 महीनों में यूपी देश में सबसे अधिक राजस्व वृद्धि वाला राज्य बना है।” योगी ने कहा, “पिछले छह महीने में यूपी में एक भी दंगा नहीं हुआ। इससे पहले हर जिले में दंगे होते रहते थे। हमने किसानों के लिए ऋण माफी का ऐलान किया, उन्हें सर्टिफिकेट तक दे दिए।” मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति, अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश और जनोन्मुखी कार्य संस्कृति की पुरजोर हिमायत कर प्रदेश ने अपनी एक नई छवि गढ़ी है।
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vlogrush · 5 months ago
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बच्चों के लिए 30 कविताएं [Kavita] हिंदी में। Chote bachhon ke liye poem Hindi me
बच्चों के लिए 30 कविता बच्चों के लिए ये 30 हिंदी कविताएं उनकी कल्पनाशक्ति को उड़ान देने और उनके दिमाग को सकारात्मक विचारों से भरने के लिए लिखी गई हैं। ये रोचक और मनोरंजक कविताएं बच्चों को नैतिक मूल्यों और अच्छे व्यवहार को सीखने में मदद करेंगी।बच्चों की मासूम दुनिया में कविताएं एक खास स्थान रखती हैं। वे उनके दिमाग को विकसित करने और उनकी भावनाओं को समृद्ध करने में मदद करती हैं। यह संग्रह 30…
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vlogrush · 5 months ago
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बच्चों के लिए 30 कविताएं [Kavita] हिंदी में। Chote bachhon ke liye poem Hindi me
बच्चों के लिए 30 कविता बच्चों के लिए ये 30 हिंदी कविताएं उनकी कल्पनाशक्ति को उड़ान देने और उनके दिमाग को सकारात्मक विचारों से भरने के लिए लिखी गई हैं। ये रोचक और मनोरंजक कविताएं बच्चों को नैतिक मूल्यों और अच्छे व्यवहार को सीखने में मदद करेंगी।बच्चों की मासूम दुनिया में कविताएं एक खास स्थान रखती हैं। वे उनके दिमाग को विकसित करने और उनकी भावनाओं को समृद्ध करने में मदद करती हैं। यह संग्रह 30…
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vlogrush · 6 months ago
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बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियां: नैतिकता का ज्ञान पाएं
नैतिक मूल्यों को शिक्षित करने के लिए रोचक बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियां। बच्चों को सही गलत की समझ विकसित करने में मदद करने के साथ-साथ उनके चरित्र निर्माण में योगदान देने वाली अनूठी 15 कहानियों संग्रह, खुद भी पढ़े बच्चों को सभी सुनाएं।बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है। उनके जीवन के शुरुआती वर्षों से ही उन्हें अच्छे और बुरे के बीच अंत�� समझना चाहिए। इसके लिए सरल और आकर्षक कहानियों…
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