#बगलामुखी साधना विधि
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माँ बगलामुखी: अद्भुत शक्ति और उपासना के रहस्य Maa Baglamukhi: The Divine Power and Mysteries of Worship
माँ बगलामुखी कौन हैं? Who is Maa Baglamukhi? माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें ब्रह्मास्त्र स्वरूपा और सभी संकटों का निवारण करने वाली देवी माना जाता है। माँ बगलामुखी को शत्रुनाशिनी और वाणी, बुद्धि, तथा कर्म को स्थिर करने वाली देवी कहा जाता है। वे जीवन में विजय, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। Maa Baglamukhi is one of the ten Mahavidyas and is revered as a goddess of final energy and victory. She is likewise referred to as the "Stambhana Devi," the one who paralyzes enemies, stabilizes mind, and brings achievement, peace, and prosperity in existence.
माँ बगलामुखी की पूजा और अनुष्ठान Baglamukhi Puja and Rituals बगलामुखी हवन (Baglamukhi Havan): हवन के द्वारा नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह शत्रुओं को शांत करने और समस्याओं से छुटकारा पाने का एक प्रभावी माध्यम है। Benefits of Baglamukhi Havan: Removes terrible energies, provides protection, and pacifies enemies. बगलामुखी अनुष्ठान (Baglamukhi Anusthan): यह अनुष्ठान विशेष रूप से शत्रु नाश, न्यायालय मामलों, और बाधाओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। Baglamukhi Anusthan Benefits: Effective for courtroom instances, enemy destruction, and overcoming hurdles. बगलामुखी कवच (Baglamukhi Kavach): देवी का कवच जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बनाता है। Baglamukhi Kavach: Protects the devotee from harm and ensures prosperity. बगलामुखी मंत्र जाप (Baglamukhi Mantra Jaap): मंत्र जाप से आत्मिक शक्ति और मानसिक शांति मिलती है। Baglamukhi Mantra Jaap: Enhances spiritual energy and mental peace. बगलामुखी यंत्र पूजा (Baglamukhi Yantra Puja): माँ के यंत्र की पूजा धन, वैभव, और समृद्धि प्रदान करती है। Baglamukhi Yantra Worship: Brings wealth, abundance, and achievement.
बगलामुखी साधना के लाभ Benefits of Baglamukhi Sadhana शत्रु नाश (Enemy Destruction): माँ बगलामुखी शत्रुओं को नष्ट करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं। Overcoming Enemies: Overcoming enemies and neutralizing negative influences. न्यायालय मामलों में विजय (Court Case Victory): बगलामुखी पूजा से कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है। Baglamukhi for Court Cases: Ensures success in legal disputes. धन और समृद्धि (Wealth and Prosperity): साधना से धन की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि आती है। Attract Wealth and Prosperity: Attracts monetary growth and prosperity. कार्य और करियर में सफलता (Success in Career and Job): नौकरी और व्यवसाय में तरक्की के लिए बगलामुखी पूजा अत्यंत लाभकारी है। Career Success with Baglamukhi: Helps in attaining career growth and job stability. सुरक्षा और शांति (Protection and Peace): साधना मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करती है। Baglamukhi for Peace: Provides intellectual calmness and safety from harm.
बगलामुखी मंदिर और पूजा स्थल Baglamukhi Temples and Worship Places नलख��ड़ा बगलामुखी मंदिर (Nalkheda Baglamukhi Temple): मध्य प्रदेश के आगर मा��वा जिले में स्थित यह मंदिर माँ बगलामुखी का प्रमुख तीर्थस्थल है। Nalkheda Temple: Located in Madhya Pradesh, it is a distinguished place for worship. उज्जैन बगलामुखी मंदिर (Ujjain Baglamukhi Temple): उज्जैन में स्थित यह मंदिर देवी साधना के लिए विख्यात है। Ujjain Baglamukhi Temple: Famous for powerful rituals and sadhanas.
बगलामुखी पूजा और अनुष्ठान की विधि Baglamukhi Puja and Ritual Methods पूजन सामग्री (Puja Samagri): हल्दी, चना दाल, पीले वस्त्र, फूल, दीपक, और यंत्��� अनिवार्य हैं। Puja Items: Turmeric, yellow garments, flowers, and a Baglamukhi Yantra are vital. पूजा का समय (Puja Timings): बगलामुखी पूजा अमावस्या या चतुर्दशी के दिन रात में करना सर्वोत्तम है। Best Time for Puja: Best performed on Amavasya or Chaturdashi nights. पूजा विधि (Puja Vidhi): गुरु मंत्र का आह्वान करें। बगलामुखी मंत्र का जाप करें। हवन करें और यंत्र की स्थापना करें। Puja Methodology: Chant the mantra, invoke the guru, perform havan, and establish the yantra.
बगलामुखी मंत्र और जाप Baglamukhi Mantras and Chanting मूल मंत्र (Main Mantra): "ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।" Baglamukhi Main Mantra: To paralyze the speech, movements, and intelligence of enemies. 108 बार जाप (108 Times Chanting): मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। 108 Repetitions of the Mantra: Brings effective benefits and fulfillment.
बगलामुखी पूजा की कीमत और सेवाएँ Baglamukhi Puja Cost and Services पूजा शुल्क (Puja Charges): पूजा और अनुष्ठान की कीमत ₹5,000 से ₹50,000 तक हो सकती है। Puja Cost: Prices range from ₹5,000 to ₹50,000 depending on the ritual. ऑनलाइन बुकिंग (Online Booking): पूजा और अनुष्ठान ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। Online Puja Booking: Available for both online and in-person rituals. विशेषज्ञ पंडित (Specialist Pandits): अनुभवी पंडित पूजा को सही तरीके से संपन्न करते हैं। Experienced Pandits: Experienced priests perform the rituals with precision.
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विजयदशमी के पावन अवसर पर आर्ष विद्या समाज के संस्थापक, आचार्य श्री के.आर. मनोज का संदेश
परमशिव, पराशक्ति, महाविष्णु, ब्रह्मा, गणपति, सुब्रह्मण्य, शास्ता, इंद्र, मित्र, अग्नि, नारायण, राम, कृष्ण, परमात्मा – ये सभी नाम परब्रह्म तत्व के विशेषण हैं और सनातन धर्म में इसे श्रीपरमेश्वर कहा जाता है।
यह परम तत्व शुद्धबोधचैतन्यानंद स्वरूपी है और इसका कोई लिंग-भेद नहीं होता। अर्थात् परम तत्व न स्त्री है, न पुरुष। उनके कोई शरीर ही नहीं हैं। परमेश्वर ‘अकाय’ हैं – बिना स्थूल, सूक्ष्म, कारण शरीरवाले। वे ‘निराकार’ हैं (जिनकी आकृति अथवा रूप नहीं है), ‘निरवयव’ हैं (जिनके अंग नहीं हैं) l
प्रकृति के तीन गुण – सत्व (प्रकृति का बोध/क्रम/चैतन्य / consciousness), रजस (प्रकृति की ऊर्जा), तमस (जड़/द्रव्य/matter ) – यह तीनों गुण श्री परमेश्वर के तत्व को सीमित नहीं करते। अतः उन्हें निर्गुण, त्रिगुणातीत, निरञ्जन आदि भी कहा जाता है।
परमेश्वर का एक और नाम है – सनातन। नित्यशुद्ध-नित्यमुक्त-नित्यबुद्ध भाव है सनातनत्व। जब से यह विश्व है, काल है, जीव-जंतु हैं – उन सब से पहले परमेश्वर का अस्तित्व है। उसके बाद जब विश्व, काल और जीवों का आविर्भाव ��र उनका कलानुसृत परिवर्तन हुआ, तब भी परमेश्वर के स्वभाव गुणों या शक्ति अथवा महिमा में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ। इसलिए परमेश्वर ‘अव्यय’ कहलाते हैं। अंततः, सारी सृष्टि को अपने में समेटकर सत्यस्वरूपी बनकर स्थित होने वाले उस एकमात्र तत्व का नाम है – ‘केवल’। इन सभी गुणों के कारण परमेश्वर सनातन हुए।
तदापि सनातन धर्म में परमेश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन और स्वरूप की भी मान्यता है। परमेश्वर पराशक्ति भी है। सभी शक्तियाँ सम्मिलित करने वाले सर्वशक्तित्वभाव को पराशक्ति कहते हैं। यह सर्वशक्तित्वभाव अपनी महिमा और विभुत्व को नष्ट करने के अलावा अन्य सभी कार्यों को संपन्न करने की क्षमता रखता है। इसी सर्वशक्तित्व के कारण परमेश्वर सगुण और साकार भी हो सकते हैं, लेकिन लोक या काल की परिधि और नियम उनके लिए बाधक नहीं होते। ऋषियों के अनुसार, परमेश्वर ने साधकों के लिए और लोकहित के लिए सावयव/साकार प्रत्यक्ष भाव अनेकों बार स्वीकार किया है। सर्वशक्तित्व के बल पर बिना माता-पिता के, बिना जन्म के स्वीकृत ये रूप हैं – प्रत्यक्ष शरीर। इच्छा मात्र से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष होने की क्षमता रखने वाले रूप को भव रूप, दिव्य देह, माया रूप, विभूति शरीर, लिंग शरीर आदि कहा जाता है।
मनुष्य कुल को सनातन धर्म, योगविद्या, तंत्रविद्या, वेदांत, सिद्धांत आदि देने के लिए आर्ष गुरु परंपरा के सामने प्रकट हुए ‘दक्षिणामूर्ति’ ऐसे प्रत्यक्ष मूर्ति हैं। उन्हीं को ज्ञानमूर्ति, वेदमूर्ति, आदिनाथ, आदियोगी, शिवऋषि, ऋषि शिवशंकर, श्रीकण्ठरुद्र, नीलकंठरुद्र, कैलासनाथ इन नामों द्वारा विभिन्न परंपराएं प्रकीर्तित करती हैं। नरसिम्हमूर्ति, गजमुखगणपति, दुर्गा आदि ध्यान श्लोकों में जिन प्रकार की मूर्तियों का वर्णन है, वे यही प्रत्यक्ष रूप हैं।
तांत्रिक पद्धति के साधक और भक्त मातृ-भाव में पराशक्ति का चित्रण करते हैं। परमेश्वर का स्नेहमयी माता के रूप में उपासना करने वाले कई साधक हैं। श्री रामकृष्ण परमहंस जी और श्री परमहंस योगानंद जी प्रारंभ में इस विधि का पालन करते थे।सनातन धर्म में ईश्वर को माता, पिता, गुरु, और सखा के रूप में देखने की परंपरा विशेष है। कला, साहित्यादि विद्याओं की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती, धन-धान्य समृद्धि की मूर्ति महालक्ष्मी, धर्मसंरक्षणार्थ शौर्य पराक्रम रूपी देवी दुर्गा, महाकाली, चण्डिका जैसी कई मातृ देवता स्वरूप हैं।
अश्विन नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि पराशक्ति पूजा के लिए विशेष दिवस माने जाते हैं। आश्विन मास के अमावस के बाद प्रथमा से लेकर दशमी तक के दस दिनों को अश्विन नवरात्रि की साधना करते हैं। (नौ रात और दसवें दिन का प्रभात मिलकर यह व्रत पूर्ण होता है )। इस काल में जगदंबिका, चंडिका, चामुण्डी, दुर्गा, भद्रकाली, सरस्वती, महालक्ष्मी, दश महाविद्याएँ – महाकाली, तारा, बगलामुखी, छिन्नमस्ता, धूमावती, भुवनेश्वरी, षोडशी त्रिपुरसुंदरी, त्रिपुरभैरवी, मातंगी, कमला जैसे विविध भावों की आराधना की जाती है।
आर्ष गुरु परंपरा से साधना रहस्य स्वीकार करके उपासना करना महत्वपूर्ण है। बहुत सारी मूर्खतापूर्ण कथाएँ इस बारे में फैलाई जा रही हैं। स्वाध्याय बुद्धि से सीखने की सनातन धर्म परंपरा अपनाएँ। झूठी कहानियों को अस्वीकार करें और व्यक्ति एवं समाज के लिए जिन तत्वों से लाभ हो उन्हें स्वीकार करें। दुर्गाष्टमी के दिन अपने सभी शस्त्र पराशक्ति को समर्पित करें, आयुध-पूजा करें। विजयदशमी के दिन लोककल्याण के लिए ईश्वर के आशीर्वाद और अनुग्रह से उसे पुनः ग्रहण करना, विद्यारंभ करना – यह सब नवरात्रि की विशेषताएं हैं। केरल निवासियों के लिए यह सरस्वती देवी को समर्पित ओणम है! बुराइयों अथवा दुर्गुणों पर अच्छाइयों की जीत को उद्घोषित करने वाले इस मंगल दिवस पर सभी को विजयदशमी की शुभकामनाएं। संसार को त्रस्त करने वाले सभी आसुरिक शक्तियों को दूर करके धर्म के आत्यंतिक विजय के लिए हमें एकजुट होकर परिश्रम करना है। (आर्ष विद्या समाज)
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गुप्त नवरात्रि दस देवियों के नाम | Gupt Navratri 2024 date
Gupt Navratri 2024 date
Gupt Navratri – गुप्त नवरात्रि वर्ष में दो बार मनाई जाती है - एक बार माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में और दूसरी बार आषाढ़ (जून-जुलाई) महीने में। गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तंत्र साधना और गुप्त साधना के लिए जानी जाती है।
गुप्त नवरात्रि 2024 gupt navratri 2024 date
गुप्त नवरात्री 2024 में 6 जुलाई शनिवार 2024 को पर्व प्रारंभ होकर दिन 16 जुलाई, मंगलवार 2024 तक जारी रहेगा |
नवरात्रि हिंदुओं का एक मुख्य त्यौहार है | साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है जो - चैत्र, माघ, आषाढ़, आश्विन माह में मनाई जाती हैं | गुप्त नवरात्रि की पूजा प्रत्यक्ष नवरात्रि से अलग होती है | प्रत्यक्ष नवरात्री में नो देवियो की पूजा की जाती है | और गुप्त ��वरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है |
गुप्त नवरात्रि दस देवियों के नाम
दस देवियों के नाम क्रम से इस प्रकार है - (1) काली, (2) तारा, (3) त्रिपुर-सुंदरी (सोदासी), (4) भुवनेस्वरी, (5) छिन्नमस्ता, ( 6) भैरवी, (7) धूमावती, (8) बगलामुखी, (9) मातंगी, और (10) कमला। अधिकांश स्रोतों में दस देवियो का वर्णन इस प्रकार किया गया है |
पूजन विधि -
गुप्त नवरात्रि पर्व के दिनों में सुबह जल्द उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
देवी पूजन की सभी सामग्री को एकत्रित करें। पूजा की थाल सजाएं।
मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं।
मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें।
पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें
इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें।
फिर कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें
अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें
फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें
पूरे परिवार सहित माता का स्वागत करें, उनका पूजन, आरती करके भोग लगाएं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।
नौ दिनों तक मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं।
गुप्त नवरात्रि अंतिम दिन दुर्गा पूजा के बाद घट विसर्जन करें।
मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, अक्षत चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।
इस तरह नवरात्रि के पूरे दिनों में मां की आराधना करें।
#गुप्त नवरात्रि#gupt navratri 2024#gupt navratri#गुप्त नवरात्रि दस देवियों के नाम#gupt navratri puja vidhi#gupt navratri das deviyo ke nam
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श्री बगलामुखी स्तोत्र-अर्थ एवं महत्व
श्री बगलामुखी स्तोत्र हिंदी में: दिव्य शक्तियों से सं��न्न होने का मार्ग
सनातन हिंदू धर्म में मंत्रों और स्तोत्रों का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है 'श्री बगलामुखी स्तोत्र'। यह स्तोत्र देवी बगलामुखी की वंदना करता है, जो मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से एक हैं। बगलामुखी शब्द का अर्थ है 'बगली की तरह मुँह वाली'।
इस स्तोत्र में बगलामुखी की विभिन्न शक्तियों और रूपों को वर्णित किया गया है। कहा जाता है कि इस स्तोत्र के पाठ से साधक को सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और उसके अंदर दिव्य शक्तियाँ जागृत होती हैं। साथ ही उसकी बुद्धि तेज होती है और वह संसार के मोह-माया से मुक्त हो जाता है।
बगलामुखी स्तोत्र कुल 34 श्लोकों में विभाजित है। इसके प्रारंभिक श्लोकों में देवी की स्तुति की गई है और उनके विभिन्न रूपों एवं गुणों का वर्णन किया गया है। कुछ श्लोक मन्त्रात्मक हैं जिनका जाप किया जाता है। अंतिम श्लोकों में साधक बगलामुखी से विभिन्न वरदान माँगता है।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का निष्ठापूर्वक पाठ करता है, उसे सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, यह स्तोत्र विशेषकर शनिवार के दिन पढ़ने से लाभ मिलता है। इससे व्यक्ति के आंतरिक और बाह्य बाधाएँ दूर होती हैं और उसकी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
आध्यात्मिक गुरुओं का कहना है कि बगलामुखी स्तोत्र का पाठ सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर पर भी किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि व्यक्ति पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ इसका पाठ करे। साथ ही उचित विधि-विधान का पालन करे जैसे स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना, धूप-दीप जलाना आदि।
इस प्रकार बगलामुखी स्तोत्र हिंदी में एक शक्तिशाली साधना है जिससे साधक को न केवल भौतिक वरदान प्राप्त होते हैं बल्कि वह आध्यात्मिक उन्नति भी कर सकता है। इसलिए हिंदू धर्म में इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। Read More
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श्री बगलामुखी स्तोत्र-अर्थ एवं महत्व
श्री बगलामुखी स्तोत्र हिंदी में: दिव्य शक्तियों से संपन्न होने का मार्ग
सनातन हिंदू धर्म में मंत्रों और स्तोत्रों का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है 'श्री बगलामुखी स्तोत्र'। यह स्तोत्र देवी बगलामुखी की वंदना करता है, जो मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से एक हैं। बगलामुखी शब्द का अर्थ है 'बगली की तरह मुँह वाली'।
इस स्तोत्र में बगलामुखी की विभिन्न शक्तियों और रूपों को वर्णित किया गया है। कहा जाता है कि इस स्तोत्र के पाठ से साधक को सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और उसके अंदर दिव्य शक्तियाँ जागृत होती हैं। साथ ही उसकी बुद्धि तेज होती है और वह संसार के मोह-माया से मुक्त हो जाता है।
बगलामुखी स्तोत्र कुल 34 श्लोकों में विभाजित है। इसके प्रारंभिक श्लोकों में देवी की स्तुति की गई है और उनके विभिन्न रूपों एवं गुणों का वर्णन किया गया है। कुछ श्लोक मन्त्रात्मक हैं जिनका जाप किया जाता है। अंतिम श्लोकों में साधक बगलामुखी से विभिन्न वरदान माँगता है।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का निष्ठापूर्वक पाठ करता है, उसे सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, यह स्तोत्र विशेषकर शनिवार के दिन पढ़ने से लाभ मिलता है। इससे व्यक्ति के आंतरिक और बाह्य बाधाएँ दूर होती हैं और उसकी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
आध्यात्मिक गुरुओं का कहना है कि बगलामुखी स्तोत्र का पाठ सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर पर भी किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि व्यक्ति पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ इसका पाठ करे। साथ ही उचित विधि-विधान का पालन करे जैसे स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना, धूप-दीप जलाना आदि।
इस प्रकार बगलामुखी स्तोत्र हिंदी में एक शक्तिशाली साधना है जिससे साधक को न केवल भौतिक वरदान प्राप्त होते हैं बल्कि वह आध्यात्मिक उन्नति भी कर सकता है। इसलिए हिंदू धर्म में इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। Read More
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धन प्राप्ति के लिए बगलामुखी मंत्र – सबसे प्रभावशाली मंत्र Bagalamukhi Mantra for getting money ph. 85280-57364
धन प्राप्ति के लिए बगलामुखी मंत्र – सबसे प्रभावशाली मंत्र Bagalamukhi Mantra for getting money ph. 85280-57364
धन प्राप्ति के लिए बगलामुखी मंत्र – सबसे प्रभावशाली मंत्र
धन प्राप्ति के लिए बगलामुखी मंत्र – सबसे प्रभावशाली मंत्र Bagalamukhi Mantra for getting money जय माई महारानी की भक्तों को मेरा नमस्कार हमने अभी तक आप सभी को मां के कई अध्याय के बारे में बताएं। हम आपको भगवती साधारण तंत्र प्रयोग के बारे में बताएंगे जो सभी अत्यंत प्रभावकारी हैं और बगलामुखी का कोई भी साधना इन प्रयोगों को आसानी से कर सकता है। उन्हें बताने जा रहा हु आपको बता दूं कि इस प्रयोग से मंत्र जप से धन ऐश्वर्या को प्राप्त करोगे। यद्यपि देवी का मंत्र पिछली कई पोस्ट में हम ने आपको दिया है।
लेकिन आज मैं एक बार फिर वह मंत्र वापस आपके लिए दोहरा रहे मंत्र इस प्रकार है
धन प्राप्ति के लिए बगलामुखी मंत्र – सबसे प्रभावशाली मंत्र Bagalamukhi Mantra for getting money
ओम् हलीं बगलामुखि सर्वदशनां वाचं मखं पदं स्तम्भय जिहवां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम स्वाहा
धन प्राप्ति के लिए बगलामुखी मंत्र Bagalamukhi Mantra for getting money- सबसे प्रभावशाली मंत्र साधना विधि
बगलामुखी देवी के मंत्र का सवा लाख जाप कर शकर के मधु गुड़ में शक्कर मिला के कर लिया जाए सरसों से हवन करने से अभीष्ट व्यक्ति वशीभूत हो जाता है, दूध मिश्रय चावलों हवन करने से धन संपति ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है।
तेल में भिगोकर नीम की पत्तियों के हवन से विद्वेषण किरया हो सफल बनाया जा सकता है
तथा तेल नमक और हल्दी के हवन से सतंभन होता ४ लाख जपसे करके दशांश हवन गग्गल तिल के द्वारा हवन करने से जेल से छुटकारा मिलता है।
मंत्र का सवा लाख शब्द करने के बाद कुम्हार के चौक की मिट्टी 4 अंगुल की अरंड की लकड़ी और मीठा लास यानी मधु और शक्कर से बनाया हुआ भुने चावलों के द्वारा लाजा से हवन करने से शरीर के समस्त रूपरोग नष्ट हो जाते है
इस साधना को बिना गुरु के मार्गदर्शन और आज्ञा से न करे
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नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा जाती है। ये नौ स्वरूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। अलग-अलग दिनों में इनकी पूजा की जाती है। इनके अलावा देवी के विशेष साधक दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। इन महाविद्याओं की साधना अधूरे ज्ञान के साथ नहीं करना चाहिए, वरना पूजा का विपरीत फल भी मिल सकता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार देवी सती के 10 स्वरूपों को दस महाविद्याओं के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के दिनों में इन अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए अलग-अलग विद्याओं की साधना की जाती है। इन महाविद्याओं की साधना पूरे विधि-विधान के साथ ही की जाती है। अगर साधना में कुछ गलती हो जाती है तो पूजा-पाठ का उल्टा असर भी हो सकता है। इसीलिए इन महाविद्याओं की साधना किसी विशेषज्ञ पंडित के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए। इनके मंत्रों का जाप बिल्कुल सही उच्चारण के साथ ही करना चाहिए।
ये हैं दस महाविद्याओं के नाम
इनमें पहली विद्या हैं देवी काली, दूसरी हैं देवी तारा, तीसरी त्रिपुरा सुंदरी, चौथी भुवनेश्वरी, पांचवीं छिन्नमस्ता, छठी त्रिपुरा भैरवी, सातवीं धूमावती, आठवीं बगलामुखी, नौवीं मातंगी और दसवीं विद्या हैं देवी कमला।
इन दस महाविद्याओं के तीन समूह हैं। पहले समूह में सौम्य कोटि की प्रकृति की त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला शाम��ल हैं। दूसरे समूह में उग्र कोटि की काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी माता शामिल हैं। तीसरे समूह में सौम्य उग्र प्रकृति की तारा और त्रिपुरा भैरवी शामिल हैं।
ये है महाविद्याओं की उत्पत्ति की कथा
पं. शर्मा के अनुसार दस महाविद्याओं की उत्पत्ति देवी सती से मानी गई है। इस संबंध में कथा प्रचलित है कि सती के पिता दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में शिवजी और सती को आमंत्रित नहीं किया गया था। क्योंकि, दक्ष शिवजी को पसंद नहीं करते थे।
जब ये बात देवी सती को मालूम हुई तो वे भी दक्ष के यहां जाना चाहती थीं। लेकिन, शिवजी ने देवी को वहां न जाने के लिए समझाया। शिवजी ने कहा कि हमें आमंत्रण नहीं मिला है, इसीलिए हमें वहां नहीं जाना चाहिए। सती अपने पिता के यहां जाना चाहती थीं। शिवजी के मना करने पर वे क्रोधित हो गईं।
सती क्रोधित हो गईं। इसके बाद दसों दिशाओं से दस शक्तियां प्रकट हुईं। देवी विकराल रूप और दस शक्तियों को देखकर शिवजी ने इन स्वरूपों के बारे में पूछा। तब देवी ने बताया कि काली, तारा, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला, ये सभी मेरी स्वरूप दस महाविद्याएं हैं।
इसके बाद देवी सती शिवजी के मना करने के बाद भी पिता दक्ष के यहां यज्ञ में पहुंच गईं। वहां अपने पति शिवजी का अपमान होते देख, उन्होंने अग्निकुंड में कूदकर देह त्याग दी। अगले जन्म में देवी ने हिमालय के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया था। बाद में शिवजी और पार्वती का विवाह हुआ।
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Kali maa, devi Tara, mata Kamala, there are ten Mahavidyas in the form of Goddess, navratri 2020, significance of dus mahavidyas of goddess
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Chants of Baglamukhi Mantras on Secret Navratri, get rid of debt problem - Baglamukhi Temple Nalkheda.
जाप के शुभ फल :-
धन की प्राप्ति होती है।
संता�� सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ऐश्वर्य से जीवन परिपूर्ण होता है।
अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
नियंत्रण क्षति से छुटकारा मिलता है।
गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से तंत्र साधना को महत्व दिया जाता है। इन दिनों मंत्रों का जाप करने से देवी बहुत प्रसन्न होती है तथा अपने श्रद्धालुओं की सभी कामनाओं को पूर्ण करती है। गुप्त नवरात्रि के समय दस महाविद्याओं की आराधना की जाती है। इन देवियों में माँ बगलामुखी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या है। इन्हे पीला रंग बहुत पसंद है , इसलिए इन्हे देवी पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है। देवी ने अपनी मूर्ति में भी पीले रंग के वस्त्र ही धारण किए रहतें है।
बगलामुखी मंत्रों का जाप क्यों अनिवार्य है ?
यदि आप कार्य में बाधाओं से परेशान हैं।
बनते बनते काम बिगड़ जाते हैं।
रोग पीछा नहीं छोड़ रहे हैं।
शत्रुओं से घिरे हुए हैं।
ऐसे में शास्त्र दस महाविद्याओं में प्रचंड वडवानल सी बाधाओं को नष्ट करने वाली मां बगलामुखी की उपासना और पूजा करने के लिए निर्देश देते हैं।
कहतें है की गुप्त नवरात्रि के समय माँ बगलामुखी के मंत्रों का जाप करने से घर - परिवार में सम्पन्नता आती है। यह शत्रुओं को नष्ट करने वाली देवी के रूप में जानी जाती है। जो कोई भी इनके आशीर्वाद को प्राप्त कर लेता है , उसे फिर किसी भी प्रकार की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है। देवी उसके मार्ग में आ रही समस्त बाधाओं का नाशकर , उसके सुख - समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है।
हमारी सेवाएं :- अनुष्ठान से पहले हमारे युगान्तरित पंडित जी द्वारा फ़ोन पर आपको संकल्प करवाया जाएगा , तथा पूर्ण विधि -विधान से मंत्रों का जाप किया जाएगा।
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#गुप्त_नवरात्रि_विशेष 22 जून से 29 2020 तक देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार (4) वार नवरात्र आते है एक वर्ष में (2) बार प्रकट नवरात्र चैत्र मास शुक्ल पक्ष (श्री राम जन्म वाले ) व आशिवन मास शुक्ल पक्ष में (दशहरे वाले ) आते है , ज़िन्हे आप सब जानते हें और पूजा करते है ll दो (2) बार गुप्त नवरात्र भी आते है आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को ‘गुप्त नवरात्र’ कहा जाता है , अब माघ मास के नवरात्र हैं l हालांकि इस नवरात्रि के बारे में लोगों को कम जानकारी है l ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्र के दौरान भी अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा व अर्चना करनी चाहिए। पूरे नौ (9) दिनों के उपवास का संकल्प लेना चाहिए और साथ ही प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना भी ज़रूर से करनी चाहिए l यही नहीं, घटस्थापना के बाद रोजाना सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए और फिर अष्टमी या नवमी के दिन आप कन्या का पूजन करें #महत्व जिस प्रकार नवरात्र�� में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में #दस महाविद्याओं की साधना की जाती है l गुप्त नवरात्रि खासतौर से तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है ,इस समय भक्त माँ के साक्षत्कार व भक्ती प्राप्ती के लिये पूजा करते है गौरतलब है कि इस दौरान देवी भगवती के साधक बड़े ही कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं , साथ ही साथ इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का भी प्रयास करते हैं। कौन सी हैं गुप्त नवरात्रि की 10 प्रमुख देवियां आपको बता दें कि गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या व तंत्र साधना के लिए #माँ_काली#तारा #त्रिपुर_सुंदरी #भुवनेश्वरी#छिन्नमस्ता#त्रिपुर_भैरवी #ध्रूमावती#बगलामुखी#मातंगी #कमला_देवी माता की पूजा बड़े ही श्रद्धा से करते हैं। #पूजा_की_विधि लोगों की यही कामना रहती है कि मां दुर्गा की पूजा बिना किसी विध्न व रोक-टोक के साथ कुशलता-पूर्वक संपन्न हो जाएं और मां अपनी कृपा हम सभी पर बनाएं रखें l समान्य पुजन करने के लिये सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं। जैसे लाल फूल, पेठे की मिठाई या अन्य ��ोई मीठी वस्तु , फल, माता ज़ी के वस्त्र , मोली ,मोली , सिन्दूर, फल , फूल , पंच मेवा , गंगा जल ,नारियल, लाल चंदन, घी का दीपक , धूपवत्ती और आरती के लिये कपूर । (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CBuGyKNAzZw/?igshid=1npihmvrwecb0
#गुप्त_नवरात्रि_विशेष#महत्व#दस#माँ_काली#तारा#त्रिपुर_सुंदरी#भुवनेश्वरी#छिन्नमस्ता#त्रिपुर_भैरवी#ध्रूमावती#बगलामुखी#मातंगी#कमला_देवी#पूजा_की_विधि
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आज से शुरू हुई गुप्त नवरात्रि, 9 की बजाय 10 देवियों की होती है साधना, जानिए महत्व और पूजन-विधि
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में एक साल में कुल 4 बार नवरात्रि आती हैं, जिनमें से दो गुप्त रूप से और दो सार्वजनिक रूप से मनाई जाती है। माघ मास की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि है जिसे माघी नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस बार गुप्त माघी नवरात्रि 25 जनवरी से शुरू हो रही है। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
गुप्त नवरात्रि का महत्व आम तौर पर जहां नवरात्र में नौ देवियों की विशेष पूजा का प्रावधान है, वहीं गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्र में पूजी जाने वाली 10 महाविद्याओं में मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी हैं। इस नवरात्र में तंत्र और मंत्र दोनों के माध्यम से भगवती की पूजा की जाती है। इन गुप्त साधनाओं के लिए कठिन नियमों का पालन करना होता है। वहीं इससे जुड़ी साधना-आर���धना को भी लोगों से गुप्त रखा जाता है। मान्यता है कि साधक जितनी गुप्त र���प से देवी की साधना करता है, उस पर भगवती की उतनी ही कृपा बरसती है।
गुप्त नवरात्रि की पूजन-विधि गुप्त नवरात्रि में विभिन्न स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना करें। गुप्त नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक माता के 32 नाम के साथ उनके मंत्र का 108 बार जाप भी करें। इसके अलावा सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 18 बार पाठ कीजिए। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि आएगी। हो सके तो गुप्त नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का एक पाठ प्रातः और एक रात्रि में कीजिए। मान्यता है कि इन दिनों ब्रम्ह मुहूर्त में श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करने से दैहिक, दैविक और भौतिक तापों का नाश होता है। ये भी पढ़े... 150 साल बाद ऐसा संयोग, मकर राशि में शनि का प्रवेश इन राशियों के लिए रहेगा शुभ शनि के दोषों से बचने के लिए रोजाना अपनाएं ये उपाय, हमेशा बरसेगी कृपा 2020 में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरे साल की लिस्ट Read the full article
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मां बंगलामुखी जयंती विशेष –चमत्कारी मंत्र
मां बगलामुखी यंत्र चमत्कारी सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं इस मंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है।
माहात्म्य- सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पीले वस्त्र धारण करें।
- एक समय भोजन करें।
- बाल नहीं कटवाए।
- मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
- दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
- साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।
- साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।
मंत्र- सिद्ध करने की विधि
- साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है।
- अगर सक्षम हो तो ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।
- बगलामुखी यंत्र एवं इसकी संपूर्ण साधना यहां देना संभव नहीं है। किंतु आवश्यक मंत्र को संक्षिप्त में दिया जा रहा है ताकि जब साधक मंत्र संपन्न करें तब उसे सुविधा रहे
प्रभावशाली मंत्र माँ बगलामुखी
विनियोग -
अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
आवाहन
ॐऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
ध्यान
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
मंत्र
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।
इन छत्तीस अक्षरों वाले मंत्र में अद्भुत प्रभाव है। इसको एक लाख जाप द्वारा सिद्ध किया जाता है। अधिक सिद्धि हेतु 5 लाख जप भी किए जा सकते हैं। जप की संपूर्णता के पश्चात् दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण भी आवश्यक है।
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माँ बगलामुखी: अद्भुत शक्ति और उपासना के रहस्य Maa Baglamukhi: The Divine Power and Mysteries of Worship
माँ बगलामुखी कौन हैं? Who is Maa Baglamukhi? माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें ब्रह्मास्त्र स्वरूपा और सभी संकटों का निवारण करने वाली देवी माना जाता है। माँ बगलामुखी को शत्रुनाशिनी और वाणी, बुद्धि, तथा कर्म को स्थिर करने वाली देवी कहा जाता है। वे जीवन में विजय, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। Maa Baglamukhi is one of the ten Mahavidyas and is revered as a goddess of final energy and victory. She is likewise referred to as the "Stambhana Devi," the one who paralyzes enemies, stabilizes mind, and brings achievement, peace, and prosperity in existence.
माँ बगलामुखी की पूजा और अनुष्ठान Baglamukhi Puja and Rituals बगलामुखी हवन (Baglamukhi Havan): हवन के द्वारा नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह शत्रुओं को शांत करने और समस्याओं से छुटकारा पाने का एक प्रभावी माध्यम है। Benefits of Baglamukhi Havan: Removes terrible energies, provides protection, and pacifies enemies. बगलामुखी अनुष्ठान (Baglamukhi Anusthan): यह अनुष्ठान विशेष रूप से शत्रु नाश, न्यायालय मामलों, और बाधाओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। Baglamukhi Anusthan Benefits: Effective for courtroom instances, enemy destruction, and overcoming hurdles. बगलामुखी कवच (Baglamukhi Kavach): देवी का कवच जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बनाता है। Baglamukhi Kavach: Protects the devotee from harm and ensures prosperity. बगलामुखी मंत्र जाप (Baglamukhi Mantra Jaap): मंत्र जाप से आत्मिक शक्ति और मानसिक शांति मिलती है। Baglamukhi Mantra Jaap: Enhances spiritual energy and mental peace. बगलामुखी यंत्र पूजा (Baglamukhi Yantra Puja): माँ के यंत्र की पूजा धन, वैभव, और समृद्धि प्रदान करती है। Baglamukhi Yantra Worship: Brings wealth, abundance, and achievement.
बगलामुखी साधना के लाभ Benefits of Baglamukhi Sadhana शत्रु नाश (Enemy Destruction): माँ बगलामुखी शत्रुओं को नष्ट करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं। Overcoming Enemies: Overcoming enemies and neutralizing negative influences. न्यायालय मामलों में विजय (Court Case Victory): बगलामुखी पूजा से कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है। Baglamukhi for Court Cases: Ensures success in legal disputes. धन और समृद्धि (Wealth and Prosperity): साधना से धन की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि आती है। Attract Wealth and Prosperity: Attracts monetary growth and prosperity. कार्य और करियर में सफलता (Success in Career and Job): नौकरी और व्यवसाय में तरक्की के लिए बगलामुखी पूजा अत्यंत लाभकारी है। Career Success with Baglamukhi: Helps in attaining career growth and job stability. सुरक्षा और शांति (Protection and Peace): साधना मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करती है। Baglamukhi for Peace: Provides intellectual calmness and safety from harm.
बगलामुखी मंदिर और पूजा स्थल Baglamukhi Temples and Worship Places नलखेड़ा बगलामुखी मंदिर (Nalkheda Baglamukhi Temple): मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित यह मंदिर माँ बगलामुखी का प्रमुख तीर्थस्थल है। Nalkheda Temple: Located in Madhya Pradesh, it is a distinguished place for worship. उज्जैन बगलामुखी मंदिर (Ujjain Baglamukhi Temple): उज्जैन में स्थित यह मंदिर देवी साधना के लिए विख्यात है। Ujjain Baglamukhi Temple: Famous for powerful rituals and sadhanas.
बगलामुखी पूजा और अनुष्ठान की विधि Baglamukhi Puja and Ritual Methods पूजन सामग्री (Puja Samagri): हल्दी, चना दाल, पीले वस्त्र, फूल, दीपक, और यंत्र अनिवार्य हैं। Puja Items: Turmeric, yellow garments, flowers, and a Baglamukhi Yantra are vital. पूजा का समय (Puja Timings): बगलामुखी पूजा अमावस्या या चतुर्दशी के दिन रात में करना सर्वोत्तम है। Best Time for Puja: Best performed on Amavasya or Chaturdashi nights. पूजा विधि (Puja Vidhi): गुरु मंत्र का आह्वान करें। बगलामुखी मंत्र का जाप करें। हवन करें और यंत्र की स्थापना करें। Puja Methodology: Chant the mantra, invoke the guru, perform havan, and establish the yantra.
बगलामुखी मंत्र और जाप Baglamukhi Mantras and Chanting मूल मंत्र (Main Mantra): "ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।" Baglamukhi Main Mantra: To paralyze the speech, movements, and intelligence of enemies. 108 बार जाप (108 Times Chanting): मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। 108 Repetitions of the Mantra: Brings effective benefits and fulfillment.
बगलामुखी पूजा की कीमत और सेवाएँ Baglamukhi Puja Cost and Services पूजा शुल्क (Puja Charges): पूजा और अनुष्ठान की कीमत ₹5,000 से ₹50,000 तक हो सकती है। Puja Cost: Prices range from ₹5,000 to ₹50,000 depending on the ritual. ऑनलाइन बुकिंग (Online Booking): पूजा और अनुष्ठान ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। Online Puja Booking: Available for both online and in-person rituals. विशेषज्ञ पंडित (Specialist Pandits): अनुभवी पंडित पूजा को सही तरीके से संपन्न करते हैं। Experienced Pandits: Experienced priests perform the rituals with precision.
बगलामुखी साधना के अनुभव और महत्व Experiences and Significance अनुभव (Experiences): भक्तों का कहना है कि पूजा के बाद शत्रुओं से मुक्ति और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। Devotee Experiences: Brings freedom from enemies and major positive changes in life. महत्व (Significance): यह साधना आध्यात्मिक उन्नति और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है। Significance of Baglamukhi Sadhana: Enhances spiritual growth and confidence.
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साल में कुल चार बार आते हैं नवरात्रि पर्व। दो नवरात्र सामान्य होती है और दो गुप्त होती है। तांत्रिक पूजा और मनोकामना पूरी करने में चैत्र और आश्विन मास में आने वाली नवरात्र से ज्या��ा महत्व गुप्त नवरात्र का माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में दस दिनों तक गुप्त रूप से देवी की विशे। साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रियां माघ मास और आषाढ़ मास में आती है। गुप्त नवरात्र में विशेष रूप से तंत्र साधनाएं की जाती है। कामना पूर्ति के लिए जप लें इनमें से कोई भी एक दुर्गा तांत्रिक मंत्र इन 10 देवियों की होती है विशेष साधना गुप्त नवरात्र में की गई तांत्रिक साधनाएं सफल और सिद्धिदायक होती है और सामान्य से पूजन का भी 9 गुना अधिक फल प्राप्त होता है। गुप्त नवरात्र में की जाने वाली साधना को गुप्त रखा जाता है। इस साधना से देवी जल्दी प्रसन्न होती है। गुप्त नवरात्रि में दस (10) महाविद्याओं का पूजन किया जाता है। ये हैं दस महाविद्या काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला। गुप्त नवरात्रि : अपनी राशि अनुसार करें माँ दुर्गा की ऐसे पूजा गुप्त नवरात्र की पौराणिक कथा गुप्त नवरात्र के महत्व को बताने वाली एक कथा भी पौराणिक ग्रंथों में मिलती है कथा के अनुसार एक समय की बात है कि श्रंगी ऋषि एक बार अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे कि भीड़ में से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि से बोली हे गुरुवर मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं जिसके कारण मैं किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य व्रत उपवास अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती। मैं माँ भी दुर्गा की शरण लेना चाहती हूं लेकिन मेरे पति के पापाचारों से माँ की कृपा नहीं हो पा रही मेरा मार्गदर्शन करें। गुप्त नवरात्रिः इस मंत्र के जप से हर अच्छा पूरी करेगी माँ दुर्गा श्रंगी ऋषि बोले हे पुत्री वासंतिक और शारदीय नवरात्र में तो हर कोई पूजा करता है सभी इससे परिचित हैं। लेकिन इनके अलावा वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं इनमें 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। यदि तुम विधिवत ऐसा कर सको तो माँ दुर्गा की कृपा से तुम्हारा जीवन खुशियों से परिपूर्ण होगा। ऋषि के प्रवचनों को सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में श्रंगी ऋषि के बताये अनुसार माँ दुर्गा की कठोर साधना की। स्त्री की श्रद्धा व भक्ति से माता प्रसन्न हुई और कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ और उसका घर खुशियों से संपन्न होने लगा। गाय माता के इन नामों के जप से प्रसन्न हो जाते हैं भगवान श्रीकृष्ण गुप्त नवरात्र में पूजा विधि गुप्त नवरात्र के पहले दिन, नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेकर घटस्थापना कर प्रतिदिन सुबह शाम माँ दुर्गा की पूजा और माता के मंत्रों का जप करें। तंत्र साधना वाले साधक इन दिनों में माता के नवरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। ये दस महाविद्याएं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं। बगलामुखी माता की ये स्तुति बना देगी बिगड़े सारे काम 1- गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा देर रात में करें। 2- म��र्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर, लाल चुन्नी चढ़ाएं। 3- नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू, बताशे चढ़ाएं और लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करें। 4- गुप्त नवरात्रि में सरसों के तेल के ही दीपक जलाएं। 5- इस बीज मंत्र सुबह-शाम 27 माला का जप करें। मंत्र- "ॐ दुं दुर्गायै नमः" ********* source https://www.patrika.com/dharma-karma/gupt-navratri-2020-10-devi-durga-puja-in-hindi-5695071/
http://www.poojakamahatva.site/2020/01/blog-post_214.html
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Gupt navratri
सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है. वहीं गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में साधना को गोपनीय रखा जाता है. साधक को ��ेवल अपने गुरू से ही साधना की चर्चा करने की अनुमति होती है. गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी अपनी मनोकामना पूरी करने और शक्ति हासिल करने के लिए ख़ास विधि से मां की पूजा करते हैं. इस दौरान तांत्रिक गुप्त तरीके से सबकी नजरों से बचाकर मां की पूजा करते हैं.
गुप्त नवरात्र से जुड़ी पौराणिक कथा, इस कथा को नवरात्रि के दौरान किसी भी समय पढ़ा जा सकता है। विशेषकर प्रथम दिन इसका वाचन एवं श्रवण किया जाता है।
कथा के अनुसार एक बार ऋषि श्रंगी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे। इसी दौरान भीड़ से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि के सामने आई और अपनी समस्या बताने लगी। स्त्री ने कहा कि उनके पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं और इसलिए वह किसी भी प्रकार का व्रत, धार्मिक अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती। स्त्री ने साथ ही कहा कि वह मां दुर्गा के शरण में जाना चाहती है लेकिन पति के पापाचार के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।
यह सुन ऋषि ने बताया कि शारदीय और चैत्र नवरात्र में तो हर कोई मां दुर्गा की पूजा करता है और इससे सब परिचित भी हैं लेकिन इसके अलावा भी दो और नवरात्र हैं। ऋषि ने बताया कि दो गुप्त नवरात्र में 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। ऋषि ने स्त्री से कहा कि इसे करने से सभी प्रकार के दुख दूर होंगे और जीवन खुशियों से भर जाएगा। ऐसा सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में गुप्त रूप से ऋषि के अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की। मां दुर्गा इस श्रद्धा और भक्ति से हुईं और इसका असर ये हुआ कि कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ। साथ ही स्त्री का घर भी खुशियों से भर गया।
Gupt Navratri वैसे तो साल में 4 नवरात्रि आती हैं लेकिन जिनमें से 2 प्रकट होती हैं और दो गुप्त होती हैं। इस बार की आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई से शुरु होकर 10 जुलाई तक रहेगी। हिंदू धर्म में दूर्गा पूजा का विशेष महत्व होता है। इसलिए नवरात्रि का पर्व विशेष रुप से मनाया जाता है। इन दिनों भक्त व्रत रखकर मां की उपासना करते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार साल के चैत्र, आषाढ़, आश्विन, और माघ महीनों में यानि की चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। प्रकट नवरात्रियों की तरह ही इन गुप्त नवरात्रि का भी काफी महत्व होता है।
इन दिन��ं देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है। इन दिनों दस महाविद्याओं की भी विशेष पूजा की जाती है। ये हैं दस महाविद्या काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला। मान्यता है कि इन महाविद्याओं की साधना करके समस्त प्रकार के सांसारिक सुख , ऐश्वर्य, मान-सम्मान, पद- प्रतिष्ठा, भूमि, संपत्ति इत्यादि की प्राप्ति होती है।
मुख्यतः इस नवरात्र में शक्तिपीठ योगिनी की साधना होती है, 51 शक्तिपीठ में 64 योगिनी स्थित हैं, जिनकी आराधना-पूजा इसी नवरात्रि में सिद्ध मानी गई है। साधकों को गुप्त नवरात्र में 51 शक्ति, 64 योगिनी एवं षोडश (16) मात्रकाओं की मन्त्र सिद्धी प्राप्त होती है। इस नवरात्र को देवी शक्ति के लिए न���ड़ता नाम दिया गया है। इसका मूलतः व्यावहारिक संबंध योग शक्ति से है।
पूजन विधि: गुप्त नवरात्रि में भी प्रकट नवरात्रि की तरह ही कलश की स्थापना की जा सकती है। लेकिन ऐसा सिर्फ विशेष साधना के लिए किया जाता है। सामान्य साधक के लिए ऐसा करना जरूरी नहीं है।
– जिस साधक ने कलश की स्थापना की है उसे सुबह-शाम में देवी का मंत्र जाप, चालीसा या सप्तशती का पाठ करना चाहिए। साथ ही माता की आरती और दोनों ही समय भोग भी लगाना चाहिए। भोग के लिए लौंग और बताशे का उपयोग कर सकते हैं। पूजाघर में मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. देवी को लाल रंग की चुनरी सिन्दूर, लाल चूड़ी बिंदी और सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
– देवी मां को प्रतिदिन पूजा के समय लाल फूल जरूर अर्पित करें। इन नौ दिनों में अपना खान -पान सात्विक रखें।
देवी दुर्गा के सामान्य मंत्र ऊं दुं दुर्गायै नम: मंत्र की नौ माला प्रतिदिन जाप करें।
आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि में कैसे करें मां दुर्गा की पूजा और महाउपाय ताकि आपको मिले मनचाहा फल:
गुप्त नवरात्र में करें ये उपाय:
-गुप्त नवरात्रि के दिन विशेष साधना कर मां की कृपा हासिल कर किसी भी असाध्य काम को पूरा किया जा सकता है. इस दिन शाम के समय पूजाघर में मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने गाय के घी का दिया जलाकर और इसे तांबे के कलश में पानी भरकर उसके ऊपर रख दें. इसके बाद लाल रंग के आसन पर बैठकर देवी की उपासना और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. जब पाठ पूरा हो जाए तो दुर्गा मां को घर में बने हलवे या मिठाई का भोग लगाना चाहिए. मान्यता है कि मां दुर्गा को हलवा प्रसाद काफी प्रिय है. इसके बाद ये भोग कुंवारी कन्याओं को दे देना चाहिए. इसके बाद कलश के जल से पूरी घर में, ऑफिस में और तिजोरी के पास पवित्रीकरण करना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तेजी से बढ़ता है और मां दुर्गा की कृपा से जॉब में आ रही परेशानी भी हल हो जाती है. इसके बाद रुद्राक्ष की माला से 108 बार 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे' मंत्र का जाप करें.
गुप्त नवरात्रि में मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए करें ये उपाय-
-विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए-
- पूरे नौ दिन देवी को पीले फूलों की माला अर्पित करें. इसके अलावा निम्न मंत्र का जाप करें -
""कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी |
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः||"
संतान प्राप्ति में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए करें ये उपाय-
- नौ दिन देवी को पान का पत्ता अर्पित करें. इसके अलावा निम्न मंत्र का जाप करने से भी फायदा मिलता है.
“नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा।
ततस्तौ नाशय���ष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी”
नौकरी में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए करें ये उपाय-
-नौ दिन देवी को बताशे पर लौंग रखकर अर्पित करें. मां के सामने निम्न मंत्र का जाप करें -
"सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः||
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ||"
- अगर स्वास्थ्य की लगातार समस्याएं रहती हों तो-
-नौ दिन देवी को लाल फूल अर्पित करें ,मां के निम्न मंत्र का जाप करें -
"ॐ क्रीं कालिकायै नमः"
अगर मुक़दमे, शत्रु या कर्जे की समस्या हो तो-
-नौ दिन देवी के समक्ष गुग्गल की सुगंध का धूप जलाएं. देवी के निम्न मंत्र का जाप करें -
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे"
- सामान्य रूप से गुप्त नवरात्रि में देवी की कृपा के लिए-
-नौ दिन देवी के सामने अखंड दीपक जलाएं और मां के निम्न मंत्र का जाप करें -
"ॐ दुं दुर्गाय नमः"
गुप्त नवरात्रि के दौरान बरतें ये सावधानियां-
- नवरात्रि से एक दिन पहले घर के मंदिर की साफ सफाई कर लें.
- देवी को अर्पण करने के लिए रोली मौली साबुत चावल, धूप, दीप, लौंग, इलायची, सुपारी, जायफल, कुमकुम, मेहंदी, लाल और पीला वस्त्र आदि समस्त सामग्री को पहले से ही लाकर घर के पवित्र स्थल पर रख लें.
-घर मे प्याज लहसुन तामसिक चीजों का प्रयोग गुप्त नवरात्रि के दौरान बिल्कुल न करें. गुप्त नवरात्रि के दौरान किसी भी असम्भव काम को देवी की कृपा से सम्भव किया जा सकता है.
- गुप्त नवरात्रि के दौरान शाम के समय किसी भी लाल आसन पर बैठकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
- पाठ करने से पहले देवी के समक्ष गाय के घी का एक दीया जलाएं और तांबे के लोटे में जल भरकर रखें.
- पाठ पूरा होने के बाद देवी को मिष्ठान का भोग लगाकर छोटी कन्याओं को बांटे तथा पूजा-अर्चना में रखा हुआ जल समस्त घर और व्यापारिक स्थान में छिड़क दें.
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Baglamukhi vashikaran mantra | Baglamukhi pati/patni vashikaran mantra, " Maa Baglamukhi Yantra Court Case Me Safalta Aur Sabhi Prkaar Ki Unatti Ke Liye Sarvsresth Maana Gaya Hai. Kehte Hai Ki Is Yantra Me Itni Samta Hai Ki Yeh Bhayankar Tufan Se Bhi Takar Lene Me Samarth Hai. Satyug Me Ek Samyaa Bhishan Tofan Uthaa. Iske Parinamo Se Chintit Ho Bhagwan Vishno Ne Tap Karne Ki Thaani. Unhone Sorastra Pardesh Me Haridrha Namak Sarowar Ke Kinaare Kathoor Tap Kiya. Isi Tap Ke Falsawroop Sarowar Me Se Bhagwati Baglamukhi Ka Avtaran Hua. BBaglamukhi vashikaran mantra | Baglamukhi pati/patni vashikaran mantra
Baglamukhi vashikaran mantra | Baglamukhi pati/patni vashikaran mantra
रुद्रमाला तन्त्र के अनुसार माता बगलामुखी शिव की अर्धागनि है तथा पितवरण(पिले रूप में) इन्हें बगलामुखी और शिव को बागलेश्वर कहा जाता है ।
शास्त्रों के अनुसार माता बगलामुखी का सम्बन्ध वृहस्पति ग्रह से है ।देवी बगलामुखी का वर्ण पिला है जो गुरु वृहस्पति को सम्बोधित करता है ।ऐसी मान्यता है की देवी बगला मुखी की साधना शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए की जाती है।कालपुरुष सिद्धान्त के अनुसार ��ातक की कुंडली में देव गुरु बृहस्पति का स्थान 12बां है और वेधा स्थान 6बां है तथा 8बें स्थान में अनिष्ठकारी फल देता है अतःये तीनो भाव कुंडली के निक भाव कहे गये है।कुंडली का 12बां स्थान व्यक्ति के खर्चों और गुप्त शत्रुओं को सम्बोधित करता है ।कुंडली का 6बां स्थान शत्रु और रोगों को सम्बोधित करता है तथा कुंडली का 8बां स्थान मृत्यु को सम्बोधित करता है।
देवी बगलामुखी साधना से व्यक्ति को शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।धन-हानि से छुटकारा मिलता है और रोगों का शमन होता है तथा प्राणों की रक्षा होती है।
Baglamukhi vashikaran mantra | Baglamukhi pati/patni vashikaran mantra
देवी बगलामुखी के चित्र के आगे पीले कनेर के फूल चढ़ाएं।
गुरुवार के दिन 8 ब्राह्मणों को इच्छानुसार चने की दाल दान करेँ।
सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर देवी बगलामुखी के आगे दीपक जलाये।
सेंधे नमक से देवी बगलामुखी "ह्रीं शत्रु नाशय" मंत्र से हवन करें।
लाल धागे में 8नींबू पिरोकर देवी बगलामुखी के चित्र पर चढ़ायें।
देवी बगलामुखी के चित्र के आगे पिली सरसों के दाने कपूर मिलाकर जलायें।
गुरुवार के दिन सफेद शिवलिंग पर "'ह्रीं बागलेश्वराय "मंत्र बोलते हुये पिले आम के फूल चढ़ायें।
शनिवार के दिन काले रंग के शिवलिंग पर हल्दी मिले पानी का अभिषेक करें।
सफेद शिवलिंग पर ""ॐ ह्रीं नमः"" का उच्चारण करते हुये शहद का अभिषेक करें।
देवी का बीज मंत्र ""ह्रीं""है इसी बीज से देवी दुश्मनों का पतन करती है।
देवी बगलामुखी साधना दुश्मनो का सफाया करने के लिये सबसे उत्तम साधना माना जाता है।
साधनाकाल की सावधानियाँ
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
पीले वस्त्र धारण करें।
एक समय भोजन करें
बाल नहीं कटवाए।
व्रहमचर्य का पालन करें।
मनसे कर्मसे बच्चनसे सुद्ध रहें।
साधना के दौरान जमीन पर ही सोयें।
कमजोर दिलवाले वीमार डरपोक इस साधना को न करे मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिये।
मन्त्र सिद्धि की विधि
साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है।
अगर सक्षम हो तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।
विनियोग
"" अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि। त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये। ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:। ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:""।
आवाहन
""ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा""।
ध्यान
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम् हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
जप मंत्र
""ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं फट् स्वाहा"" ।।
इस मंत्र में अद्भुत प्रभाव है। इसको एक लाख जाप द्वारा सिद्ध किया जाता है। अधिक सिद्धि हेतु पाँच लाख जप भी किए जा सकते हैं। जप की संपूर्णता के पश्चात् दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण भी आवश्यक है।
Baglamukhi vashikaran mantra | Baglamukhi pati/patni vashikaran mantra
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