#प्लास्टिक कचरे प्रबंधन
Explore tagged Tumblr posts
vlogrush · 5 months ago
Text
प्लास्टिक मुक्त भारत: हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी आज ही संकल्प लें
प्लास्टिक मुक्त भारत प्लास्टिक मुक्त भारत की दिशा में हम सबकी जिम्मेदारी है। जानें कैसे छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं और मिलकर एक स्वच्छ, हरा-भरा भविष्य बना सकते हैं।भारत में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो न केवल हमारे पर्यावरण को बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है। “प्लास्टिक मुक्त भारत हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी” पहल का उद्देश्य इस समस्या से निपटना और एक…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
sharpbharat · 2 years ago
Text
Jamshedpur meeting on bagbera  prboblems : बागबेड़ा क्षेत्र की समस्याओं को लेकर पार्षद ने क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के साथ की बैठक, टैंकर से जलापूर्ति बढ़ाने, कचरा प्रबंधन व प्लास्टिक का प्रयोग रोकने पर हुई चर्चा
जमशेदपुर : बागबेड़ा जिला पार्षद् कार्यालय पर डॉक्टर कविता परमार ने अपने क्षेत्र की आठों पंचायतों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर बागबेड़ा क्षेत्र में पेयजल की समस्या और स्वच्छता पर विस्तृत रूप से चर्चा की. पानी की किल्लत को कुछ हद तक कम करने के लिए टैंकर से पानी की आपूर्ति कराई जा रही है. इस दौरान पंचायत प्रतिनिधियों ने टैंकरों की संख्या बढ़ाने की मांग की. बैठक में डॉ परमार ने क्षेत्र में कचरे की…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
apnahimachalapnishaan · 3 years ago
Text
ज़िला में हर माह दूसरे रविवार को चलेगा विशेष सफाई अभियान: उपायुक्त
31 मार्च तक पूरा करें 2 वर्षों से अधिक लंबित कार्य
चंबा: उपायुक्त डीसी राणा ने कहा कि ज़िला में व्यर्थ प्लास्टिक कचरा प्रबंधन को और प्रभावी बनाने के लिए हर माह दूसरे रविवार को संबंधित खंड विकास अधिकारी की अध्यक्षता में विशेष सफाई अभियान चलाया जाए । उपायुक्त ने यह निर्देश आज ग्रामीण विकास से संबंधित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा को लेकर खंड विकास अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिए । पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से प्लास्टिक कचरे के…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
lok-shakti · 3 years ago
Text
कचरे को मूल्य में बदलने का पाठ, नॉर्वे से कार्बन कैप्चर
कचरे को मूल्य में बदलने का पाठ, नॉर्वे से कार्बन कैप्चर
एक खूबसूरत छोटे देश नॉर्वे ने अच्छे अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों के अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास पर बहुत ध्यान दिया है। द रिसर्च काउंसिल ऑफ नॉर्वे और इनोवेशन नॉर्वे जैसे संस्थानों ने इस कारण से काम करने के लिए विश्वविद्यालयों और निजी संगठनों के साथ सहयोग किया है। नॉर्वे में कचरा प्रबंधन की कार्रवाई इसके स्रोत से शुरू होती है – प्रत्येक घर से। कचरे को मुख्य रूप से खाद्य अपशिष्ट, कागज, प्लास्टिक,…
View On WordPress
0 notes
abhay121996-blog · 3 years ago
Text
अगले साल से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन, जानें कौन सी प्लास्टिक का हो सकेगा यूज Divya Sandesh
#Divyasandesh
अगले साल से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन, जानें कौन सी प्लास्टिक का हो सकेगा यूज
नई दिल्ली केंद्र सरकार ने अगले साल तक भारत को सिंगल-यूज प्लास्टिक-मुक्त बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है। केंद्र ने देश भर में बड़े पैमाने पर प्लास्टिक कचरे के खतरे से निपटने की मांग के बीच गुरुवार को अगले साल 1 जुलाई से ‘सिंगल-यूज प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा सरकार ने पॉलीथीन बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 120 माइक्रोन तक कर दी है। हालांकि, मोटाई संबंधित नियम 30 सितंबर से शुरू होकर दो चरणों में लागू किया जाएगा।
दो चरण में लागू होगा बैनफिलहाल देश में 50 माइक्रॉन से कम के पॉलीथीन बैग पर बैन है। नए नियमों के तहत अगले साल 31 दिसंबर से 75 माइक्रोन से कम मोटाई के पॉलीथीन बैग और 120 माइक्रोन से कम के बैग पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टाइनिन और एक्सपैंडेड पॉलीस्टाइनिन सहित सिंगल यूज वाले प्लास्टिक के उत्पादन, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा।
इन चीजों पर लग जाएगा बैनइस तरह की ‘सिंगल यूज वाले प्लास्टिक चीजों में प्लास्टिक स्टिक, गुब्बारे के ��िए प्लास्टिक स्टिक, झंडे और ��ैंडी की प्लास्टिक स्टिक, आइसक्रीम की स्टिक, सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन [थर्मो-कॉल] शामिल हैं। इसके अलावा प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, ट्रे, मिठाई बक्से, निमंत्रण कार्ड, और सिगरेट के पैकेट पर लपेटे जाने वाली प्लास्टिक और 100 माइक्रोन से कम के पीवीसी बैनर शामिल हैं।
…ताकि छोटे व्यवसायी ना हों प्रभावितथिकनेस क्लॉज पर चरणबद्ध तरीके वाली योजना को मंजूरी दी गई है ताकि यह छोटे व्यवसायों और व्यापारियों को प्रभावित न करे। मंत्रालय ने मार्च में मसौदा अधिसूचित किया था। अंतिम निर्णय गुरुवार को मसौदे पर हितधारकों के विचारों पर विचार करने के बाद अधिसूचित किया गया था। अधिसूचना में भी पहली बार ‘एकल उपयोग वाले प्लास्टिक’ को परिभाषित किया गया है।
शहरी स्थानीय निकायों और ‘ग्राम पंचायतों’ की जिम्मेदारी तयइसमें ऐसी वस्तुओं की पहचान की गई है जिन्हें चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंधित किया जाना है। इसमें कहा गया है कि “सिंगल यूज वाली वाली प्लास्टिक वस्तु” का अर्थ है एक प्लास्टिक की वस्तु जिसको डिस्पोज या रिसाइकिल से पहले एक काम के लिए एक ही बार यूज किया जाना है। नोटिफिकेशन के तहत, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की स्थापना और समन्वय और प्लास्टिक कचरे के अलग करना, कलेक्शन, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन, प्रोसेसिंग और डिस्पोजल जैसे संबंधित कार्यों को करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों और ‘ग्राम पंचायतों’ की जिम्मेदारी होगी। .
सीपीसीबी से लेना होगा सर्टिफिकेटकम्पोस्टेबल प्लास्टिक से बने कैरी बैग पर मोटाई का प्रावधान लागू नहीं होगा। कंपोस्टेबल प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माताओं या विक्रेताओं या ब्रांड मालिकों को प्लास्टिक पैकेजिंग सामग्री सहित उन सामानों की मार्केटिंग / बिक्री या उपयोग करने से पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक सर्टिफिकेट लेना होगा।
0 notes
mad4india · 4 years ago
Link
सिग्रेटे पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सिग्रेटे पीने वाले लोग अपने स्वास्थ्य के साथ तो खिलवाड़ करते ही हैं, साथ ही सिग्रेटे का कचरा यहां-वहां फैलाकर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
शायद वह नहीं जानते कि सिग्रेटे पी कर फेंक दिए जाने वाला उसका सिरा या बट अपने आप नष्ट नहीं होता अर्थात वह नॉन बायोडिग्रेडेबल है। उसे नष्ट होने में 10 साल का लंबा समय लगता है। तब तक वह पर्यावरण में रहकर समस्त प्राणी जगत के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता है।
नमन गुप्ता और विपुल गुप्ता द्वारा नोएडा में एक ऐसा स्टार्टअप चलाया जा रहा है जो सिग्रेट वेस्ट को प्रोसेस करके उपयोगी उत्पादों में बदल रहा है। इसके लिए सबसे सुरक्षित पर्यावरणीय प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है। भारत में सिग्रेट वेस्ट के प्रबंधन के लिए कार्य करने वाला यह एकमात्र स्टार्टअप है इसलिए उनका किसी और से कोई कम्पीटीशन नहीं है।
सिग्रेटे वेस्ट पर रिसर्च
नमन गुप्ता ने अपने मित्र के साथ सिग्रेट वेस्ट पर कुछ महीनों तक रिसर्च करने के बाद जाना कि सिग्रेट बट सेल्यूलोस एसीटेट से बने होते हैं, जो प्लास्टिक के समान होता है। सन 2016 में उन दोनों ने मिलकर सिग्रेट वेस्ट को रीसायकल करने का ऑपरेशन शुरू किया। सिग्रेट बेचने वालों के पास V Bin लगाए गए और 1 किलो सिग्रेट वेस्ट उनसे खरीदने पर उन्हें  ₹700 देने का आश्वासन दिया गया।
इस सिग्रेट के कचरे को कुछ दिनों तक, बिना मशीनरी के ही, बायोडिग्रेडेबल केमिकल्स द्वारा प्रोसेस किया जाता है। फिर उसके बाद सॉफ्ट टॉयज, सॉफ्ट पिलौज़, कुशन और बीन बैग का कुछ सामान बनाया जाता है। फिर इन उत्पादों को ऑनलाइन सेल किया जाता है।
नमन गुप्ता कहते हैं कि
“हम जो करते हैं वह पर्यावरण के लिए अच्छा है और साथ ही हम कचरे का मूल्य भी चुकाते हैं।”
रास्ते में आने वाली कठिनाइयां
Code Effort Pvt. Ltd. की पहली समस्या तो सिग्रेटे के कचरे को नियमित रूप से प्राप्त करने की थी। इसके लिए अनुबंध करने का रास्ता अपनाया गया। स्टार्टअप अब एक विशिष्ट अनुबंध द्वारा कम से कम 30 किलोग्राम सिग्रेट वेस्ट प्राप्त करता है। अब Code Effort Pvt. Ltd. के पास पूरे देश में कम से कम 20 से 25 ऐसे अनुबंध हैं जो उनके लिए सिग्रेट वेस्ट की आपूर्ति करते हैं।
तंबाकू कंपनियां और मार्लबोरो जैसी सिग्रेट बनाने वाली कंपनियां भी अपने रिजेक्टेड उत्पादों को उनके पास अनुबंध के आधार पर भेजती हैं। नमन गुप्ता बताते हैं कि कर्नाटक और महाराष्ट्र सिग्रेट के कचरे के सबसे बड़े सप्लायर हैं क्योंकि वहां लोग पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हैं।
Suggested For You Bamboo से बने घरों की परंपरा फिर लाना चाहती हैं Neelam Manjunath, सालों से जारी है संघर्ष
सिग्रेट कचरे को इकट्ठा करना एक चुनौती भरा कार्य है जिसे इस स्टार्टअप की टीम अच्छी प्रकार से मैनेज कर रही है। इस तरह यह स्टार्टअप पर्यावरण को अच्छा करने के लिए कार्य कर रहा है।
Code Effort Pvt. Ltd. की भविष्य की योजनाएं
आने वाले समय में स्टार्टअप की योजना ऐसे उत्पाद बनाने की है जो अधिक से अधिक उपयोगी हो जैसे ��च्छर से बचाने वाली क्रीम, अधिक नरम खिलौने, अधिक नरम तकिए आदि ।
उनकी टीम एक ऐसे इको–फ्रेंडली एयर प्यूरीफायर पर काम कर रही है जो सेल्यूलोस एसीटेट फाइबर से बनी चिमनी के साथ काम कर सके। यह प्यूरीफायर वायु प्रदूषण को कम कर सका तो यह उनके स्टार्टअप द्वारा पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम होगा।
फंडिंग
नमन गुप्ता और उनके भाई के द्वारा चलाया जा रहा यह स्टार्टअप अभी निजी फंडिंग से ही चलाया जा रहा है। इसको अभी किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है। लेकिन यह स्टार्टअप भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के साथ ताल से ताल मिला कर चल रहा है। Code Effort Pvt. Ltd. कोई सरकारी उपक्रम नहीं है, इसे गैर सरकारी कंपनी के रूप में ही रजिस्टर किया गया है।
Code Effort Pvt. Ltd. के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए चेक करें – Facebook, Twitter, Instagram.
Naman Gupta के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए चेक करें – LinkedIn.
अगर आप किसी भी प्रेरणात्मक कहानी के बारे में जानते है, और आप चाहते है की हम उसके बारे में mad4india.com पर लिखे। ऐसी जानकारी शेयर करने के लिए आप हमें Facebook  या LinkedIn पे संपर्क कर सकते है। वो प्रेरणात्मक कहानी किसी भी व्यक्ति, कंपनी, नए आईडिया या सोशल पहल के बारे में हो सकती है।
0 notes
imsaki07 · 5 years ago
Photo
Tumblr media
पहले चरण में 40 पंचायतों होंगी ठोस कचरा मुक्त: रोहिणी चैधरी कुल्लू जिला में स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत अब ठोस-तरल कचरा प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। जिला में ठोस कचरे के सही निष्पादन विशेषकर प्लास्टिक संग्रहण के लिए पंचायत स्तर पर एक प्रभावी व्यवस्था बनाई जाएगी तथा पहले चरण में 40 पंचायतों को ठोस कचरा मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सोमवार को जिला स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला परिषद अध्यक्ष रोहिणी चैधरी ने यह जानकारी दी।
0 notes
bangtober · 5 years ago
Text
कैरेबियन पीईटी पीव का एक उद्यमी समाधान
Tumblr media
कैरेबियन के एंडरसन वेलिंगटन दूरदर्शी, एक उद्यमी हैं, और अगली पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ ग्रह छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।   वह उपयुक्त रूप से नामित कंपनी, प्रोटेक्टिंग ऑवर यूनिवर्सल इन्वेस्टमेंट (POUI) के संस्थापक हैं, जो अपने देश में अपशिष्ट प्रबंधन और रीसाइक्लिंग के अग्रणी हैं।  त्रिनिदाद और टोबैगो के द्वीप के आधार पर, कंपनी पीईटी प्लास्टिक के पुनर्चक्रण में माहिर है, जो दुनिया में सबसे अधिक उत्पादित गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री है।
संक्षिप्त कंपनी का नाम, POUI, एक सुंदर स्थानीय फूलों के पेड़ का भी नाम है।   कंपनी की वेबसाइट पर पोस्ट की गई कविता में पौई के पेड़ के बारे में कहा गया है:
पहाड़ियों के पार उत्तरी स्काईगल्डन ह ाइलाइट्स के मुकाबले लंबा खड़ा है। शुष ्क गलियारे आपके गौरव को नहीं हरा सकते हैं। ट्रम्पेट बारिश की कहानी सुनाते हैं
पौई पेड़ की ऊंचाई, ज्वाला और तुरही 37 वर्षीय एंडरसन वेलिंगटन और उनकी कंपनी के लिए एक अद्भुत रूपक है।  अपने विश्वविद्यालय के कार्यकाल के दौरान ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का अध्ययन और अभ्यास करते हुए, लैंडफिल में प्लास्टिक के अतिरिक्त कचरे ने वेलिंगटन को अपने द्वीप के लिए स्थिरता की दृष्टि से जागृत किया और एक व्यावसायिक अवसर के लिए प्रेरित किया: "यह उस समय मेरे सि�� में एक लाइटबुल चला गया, और अवधारणा POUI के पीछे पैदा हुआ था। ”  
कैरेबियन में अन्य समान कंपनियों के बिना, वेलिंगटन ने अकेले अपनी यात्रा शुरू की और जोर दिया कि एक ठेठ उद्यमी का मार्ग ग्लैमर में से एक नहीं है।  “यह गुलाब का बिस्तर नहीं है। इस बारे में कुछ भी आसान नहीं है और आप जो डालते हैं वह आपको वापस मिल जाता है। यह 8-4 तरह की नौकरी नहीं है। आपको हमेशा अगले व्यक्ति से बेहतर होना होगा। ”  
Tumblr media
कैरिबियन के Poui ट्री
स्थिरता को चलाने के लिए एक प्राथमिक उपकरण के रूप में पैसा
वेलिंगटन समझता है कि पर्यावरण संबंधी समस्याएं आम तौर पर बजट के लिए आखिरी होती हैं और बजट की कमी के कारण सबसे पहले कटौती की जाती है। फंडिंग POUI के लिए बहुत बड़ी बाधा रही है, विशेष रूप से स्मॉल एंड मीडियम एंटिटीज़ (SMEs) के लिए उपलब्ध अनुदान की कमी को देखते हुए। पर्यावरण के मुद्दों पर सरकारों की प्रतिक्रियाशील प्रकृति से इसका विस्तार होता है।  वेलिंगटन का मानना है, "जब तक यह एक बड़ी समस्या नहीं है या आप नागरिकों और पर्यटकों से मिलने-जुलने की बात सुनना शुरू कर देते हैं, तब तक इस पर ध्यान या धन नहीं जाता है।"  
उनकी कंपनी इस प्रवृत्ति को बदलने की कोशिश कर रही है, जिससे सरकार और द्वीप समूह के लोगों को रीसाइक्लिंग के लिए अधिक सक्रिय रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। कुछ द्वीप बस उन सेवाओं को वहन नहीं कर सकते हैं जो POUI प्रदान करता है। यह ऐसी आवश्यकता है जो वेलिंगटन को धन प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है, और इसका उपयोग द्वीपों को उनके पुनर्चक्रण और ठोस अपशिष्ट चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए करती है।
सहजीवन प्राप्त करना
POUI उद्योग में दूसरों से अलग बाजार आ रहा है। कंपनी का अनूठा दृष्टिकोण ग्राहकों और द्वीप के मूल निवासियों के साथ जुड़ने पर बनाया गया है, जो सहजीवी मानव संबंधों की सराहना करते हैं जो सफलता की कुंजी हैं। वेलिंगटन ने स्वीकार किया कि यह उनके व्यवसाय के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है: “इन द्वीपों के कुछ देशों में“ बाहरी ”के रूप में संचालन करना अक्सर मुश्किल होता है, क्योंकि वे एक स्थानीय के साथ व्यापार करना पसंद करते हैं। जहां आवश्यक हो, मैं भागीदार बनने और पृष्ठभूमि में बने रहने की कोशिश करता हूं। ”
वेलिंगटन यह भी मानता है कि POUI की सफलता के बावजूद, अनुदान को सुरक्षित करने और रणनीति का विश्लेषण करने में मदद अमूल्य होगी। दुर्भाग्य से, कई उद्यमियों के साथ, "नियम, राजनीति और पदों में लोगों को नहीं पता है जो सहायता कर सकते हैं" विकास के लिए काफी बाधाएं पेश करते हैं और उद्यमी के लिए अकेलेपन में योगदान करते हैं।
Tumblr media
त्रिनिदाद और टोबैगो में प्लास्टिक पीईटी अपशिष्ट
विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए
वेलिंगटन के पास अपने व्यापार और POUI के कैरिबियन पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए एक अविश्वसनीय दृष्टि है।  हालांकि, वह चिंतित है कि इस तरह की नौकरशाही बाधाएं व्यवसाय को उसके लक्ष्यों को प्राप्त करने से रोक सकती हैं।  उन्होंने कहा, "अगर मेरे पास मेरा रास्ता होता है, तो कैरिबियन एक अच्छी जगह पर होगी जो हम पेशकश कर सकते हैं, उसके आधार पर, हालांकि कुछ नेताओं और बजट की बाधाओं के कारण मैं नहीं जानता कि क्या करना है। मैं अपनी 4 वर्षीय बेटी प्रवाल भित्तियों को अब दिखाने की कोशिश कर रहा हूं क्योंकि वास्तविकता 20 वर्षों में है, हमें उन्हें गायब होने की दर पर देखने के लिए दुनिया के दूसरे हिस्से की यात्रा करनी पड़ सकती है ”।   इन प्रतिकूलताओं के बावजूद, वेलिंगटन भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ ग्रह बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।  हम जलवायु परिवर्तन को हल नहीं कर सकते हैं और उनके जैसे नेताओं के बिना प्रवाल भित्तियों को बनाए रख सकते हैं।
एक स्थायी उद्यमी होना गुलाबों का बिस्तर नहीं है, लेकिन पोई ट्री हमें प्रकृति की सुंदरता और भव्यता को रोकने और सराहना करने के लिए याद दिलाता है।  इसी तरह, एंडरसन वेलिंगटन की प्रतिबद्धता हमें रोकती है और सराहना करती है कि दुनिया के भविष्य के लिए कितने महत्वपूर्ण स्थायी उद्यमी हैं।
अपनी वेबसाइट पर POUI Ltd के बारे में अधिक जानें: http://www.poui-tt.com
अपने पुनर्नवीनीकरण किए गए कपड़े, टोपी और सामान खरीदकर अपने मिशन में POUI का समर्थन करें: https://stores.inksoft.com/poui… Read the rest
The post कैरेबियन पीईटी पीव का एक उद्यमी समाधान appeared first on The Heart of Waraba.
source https://heartofwaraba.com/hi/%e0%a4%8f%e0%a4%95-%e0%a4%89%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a8%e0%a5%87/
0 notes
vlogrush · 5 months ago
Text
प्लास्टिक मुक्त भारत: हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी आज ही संकल्प लें
प्लास्टिक मुक्त भारत प्लास्टिक मुक्त भारत की दिशा में हम सबकी जिम्मेदारी है। जानें कैसे छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं और मिलकर एक स्वच्छ, हरा-भरा भविष्य बना सकते हैं।भारत में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो न केवल हमारे पर्यावरण को बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है। “प्लास्टिक मुक्त भारत हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी” पहल का उद्देश्य इस समस्या से निपटना और एक…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
biharkonnection · 4 years ago
Text
सफाई : शहरी तर्ज पर अब गाँवों के भी घर घर से उठाया जाएगा कचरा
शहर की तर्ज पर अब गांव के लोग भी कचरे को यहाँ वहां नहीं फेकेंगे। अब गाँवों के लिए भी कचरा उठाने की व्यवस्था की जा रही है। #BiharNews #Saharsa #बिहार
शहर की तर्ज पर अब गांव के लोग भी कचरे को यहाँ वहां नहीं फेकेंगे। बता दें कि अब गाँवों के लिए भी कचरा उठाने की व्यवस्था की जा रही है। राष्ट्रीय हरित न्याधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की पहल पर अब सरकार ने पंचायतों में भी प्लास्टिक प्रबंधन के लिए घर-घर से कचरा उठाव किया जाएगा ताकि प्लास्टिक और अन्य ठोस कचरा के कारण जमीन की लगातार बिगड़ रही उर्वरा शक्ति को बचाया जा सके। और प्रदूषण…
View On WordPress
0 notes
cristajha · 4 years ago
Link
हमारी पृथ्वी भीषण दबाव में है, इसका भविष्य बड़ा ही दयनीय है, जिसका कारण प्रत्यक्ष रूप से मानव समुदाय है। यदि 2050 तक विश्‍व की जनसंख्‍या 9.6 अरब तक पहुंचती है तो हमें हर व्‍यक्ति की मौजूदा जीवन शैली को सहारा देने के लिए 3 पृथ्वियों की आवश्‍यकता होगी। हालात ऐसे हैं कि हर वर्ष कुल आहार उत्‍पादन का लगभग एक-तिहाई अर्थात 10 खरब अमरीकी डॉलर मूल्‍य का 1.3 अरब टन आहार उपभोक्‍ताओं और दुकानदारों के कचरों के डिब्‍बों में सड़ता है अथवा परिवहन और फसल कटाई के खराब तरीकों के कारण बर्बाद हो जाता है। एक अरब से अधिक लोगों को ताजा पानी सुलभ नहीं हो पाता है। दुनिया में 3% से भी कम पानी ताजा तथा पीने लायक है और उसमें से 2.5% अंटार्कटिक, आर्कटिक और ग्लेशियर्स में जमा हुआ है। इस प्रकार सभी पारिस्थितिकी तथा ताजे पानी की जरूरतों के लिए हमें सिर्फ 0.5% का ही सहारा है। इसके साथ ही कारखानों के उड़ते धुएँ, लगातार कटते पेड़, नदियों और महासागरों का दूषित होता जल, रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग किया जाने वाला प्लास्टिक, रोज का बर्बाद होता अनाज और ऐसे ही कई विषय प्रकृति को सता रहे हैं जो बेहद गंभीर हैं।
संवहनीय उपभोग और उत्‍पादन का आशय संसाधनों और ऊर्जा के कुशल प्रयोग को प्रोत्‍साहन देना, टिकाऊ बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना, सबके लिए बुनियादी सेवाएं, प्रदूषण रहित और उत्‍कृष्‍ट नौकरियां तथा अधिक गुणवत्‍तापूर्ण जीवन की सुलभता प्रदान करना है। इसके फलस्वरूप विकास योजनाओं को साकार करने में सहायता मिलती है, भविष्‍य की आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लागत कम होती है, आर्थिक स्‍पर्धा क्षमता मजबूत होती है और गरीबी में कमी आती है।
सतत् विकास तभी हासिल किया जा सकता है, जब हम न सिर्फ अपनी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में वृद्धि करें, बल्कि उस प्रक्रिया में बर्बादी को भी कम से कम करें। राष्‍ट्रीय जैव ईंधन नीति ��र राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ ऊर्जा निधि सरकार की कुछ प्रमुख योजनाएं हैं, जिनका उद्देश्‍य संवहनीय खपत और उत्‍पादन हासिल करना तथा प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग का प्रबंधन करना है। #2030 के भारत के संवहनीय उपभोग और उत्‍पादन का उद्देश्‍य कम साधनों से अधिक और बेहतर लाभ उठाना, संसाधनों का उपयोग, विनाश और प्रदूषण कम करके आर्थिक गतिविधियों से जन कल्‍याण के लिए कुल लाभ बढ़ाना और जीवन की गुणवत्‍ता में सुधार करना है। इसके साथ ही उपभोक्ता स्तरों पर भोजन की प्रति व्यक्ति बर्बादी को आधा करना और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान सहित उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में खाद्य पदार्थों की क्षति को कम करना, स्वीकृत अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के अनुसार रसायनों और उनके कचरे का उनके पूरे जीवन चक्र में पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित प्रबंधन हासिल करना, वायु, जल और मिट्टी में उन्हें छोड़े जाने में उल्लेखनीय कमी करना ताकि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर उनका विपरीत प्रभाव कम से कम हो। इसके साथ ही 2030 तक रिसाइक्लिंग और दोबारा इस्तेमाल के जरिए कचरे की उत्पत्ति में उल्लेखनीय कमी करना भी इस लक्ष्य के अंतर्गत सुनिश्चित किया गया है।
0 notes
theshishirkumar · 4 years ago
Text
पृथ्वी प्रोजेक्ट से मिलेगा प्लास्टिक कचरे से छुटकारा
• “प्लास्टिक लाओ, मुखौटा पाओ” अभियान द्वारा फैलाई जाएगी जागरूकता • पटना नगर निगम, यूएनडीपी और एचसीसीबी का है संयुक्त प्रयास • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में मिलेगी मदद
पटना:प्लास्टिक अपशिष्ट से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से हर कोई वाकिफ है. इसके बावजूद हमारे दिनचर्या में प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल निरंतर बढ़ता जा रहा है. प्लास्टिक स्वयं को नष्ट नहीं कर पाता है, जो पर्यावरण के लिए बेहद…
View On WordPress
0 notes
vartha24-blog · 5 years ago
Text
प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरीबैग रखने वालों पर निरीक्षण करते हुए कार्यवाही की।
प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरीबैग रखने वालों पर निरीक्षण करते हुए कार्यवाही की।
भिलाईनगर/ नगर पालिक निगम, भिलाई के उड़नदस्ता की टीम ने जोन क्षेत्र अंतर्गत होटल, रेस्टोरेंट, किराना दुकान, बाजार मे निरीक्षण करते हुए प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरीबैग रखने वालों पर निरीक्षण करते हुए कार्यवाही की।
वार्ड 60 रिसाली के प्रदीप हास्पिटल में हास्पिटल प्रबंधन द्वारा हास्पिटल का वेस्ट मटेरियल सिरिंज तथा अन्य कचरे को निगम के रिक्शे में डाला जा रहा था जिस पर प्रबंधन को समझाईस देकर 5 हजार…
View On WordPress
0 notes
news-trust-india · 5 years ago
Text
प्लास्टिक कचरे का प्रबंध न करने वाली 83 कंपनियों पर लगा 40 करोड़ रुपये का जुर्माना
प्लास्टिक कचरे का प्रबंध न करने वाली 83 कंपनियों पर लगा 40 करोड़ रुपये का जुर्माना
लखनऊ,पॉलीथिन पर प्रतिबंध के बाद अब सरकार की नजर पैकिंग मैटीरियल पर है। प्लास्टिक कचरे का समुचित प्रबंधन न करने वाली 83 कंपनियों पर 40 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। इनमें दालमोठ, बिस्कुट, चिप्स, नूडल्स आदि बनाने वाली कई मल्टी नेशनल कंपनियां भी शामिल हैं। ऑनलाइन शॉपिंग की कंपनियों पर भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जुर्माना लगाया है।
जम्मू में मारे गए आतंकी ओसामा बिन का था कानपुर…
View On WordPress
0 notes
mad4india · 4 years ago
Link
सिग्रेटे पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सिग्रेटे पीने वाले लोग अपने स्वास्थ्य के साथ तो खिलवाड़ करते ही हैं, साथ ही सिग्रेटे का कचरा यहां-वहां फैलाकर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। शायद वह नहीं जानते कि सिग्रेटे पी कर फेंक दिए जाने वाला उसका सिरा या बट अपने आप नष्ट नहीं होता अर्थात वह नॉन बायोडिग्रेडेबल है। उसे नष्ट होने में 10 साल का लंबा समय लगता है। तब तक वह पर्यावरण में रहकर समस्त प्राणी जगत के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता है।
नमन गुप्ता और विशाल गुप्ता द्वारा नोएडा में एक ऐसा स्टार्टअप चलाया जा रहा है जो सिग्रेट वेस्ट को प्रोसेस करके उपयोगी उत्पादों में बदल रहा है। इसके लिए सबसे सुरक्षित पर्यावरणीय प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है। भारत में सिग्रेट वेस्ट के प्रबंधन के लिए कार्य करने वाला यह एकमात्र स्टार्टअप है इसलिए उनका किसी और से कोई कम्पीटीशन नहीं है।
सिग्रेटे वेस्ट पर रिसर्च
नमन गुप्ता ने अपने मित्र के साथ सिग्रेट वेस्ट पर कुछ महीनों तक रिसर्च करने के बाद जाना कि सिग्रेट बट सेल्यूलोस एसीटेट से बने होते हैं, जो प्लास्टिक के समान होता है। सन 2016 में उन दोनों ने मिलकर सिग्रेट वेस्ट को रीसायकल करने का ऑपरेशन शुरू किया। सिग्रेट बेचने वालों के पास V Bin लगाए गए और 1 किलो सिग्रेट वेस्ट उनसे खरीदने पर उन्हें  ₹700 देने का आश्वासन दिया गया।
इस सिग्रेट के कचरे को कुछ दिनों तक, बिना मशीनरी के ही, बायोडिग्रेडेबल केमिकल्स द्वारा प्रोसेस किया जाता है। फिर उसके बाद सॉफ्ट टॉयज, सॉफ्ट पिलौज़, कुशन और बीन बैग का कुछ सामान बनाया जाता है। फिर इन उत्पादों को ऑनलाइन सेल किया जाता है।
नमन गुप्ता कहते हैं कि
“हम जो करते हैं वह पर्यावरण के लिए अच्छा है और साथ ही हम कचरे का मूल्य भी चुकाते हैं।”
रास्ते में आने वाली कठिनाइयां
Code Effort Pvt. Ltd. की पहली समस्या तो सिग्रेटे के कचरे को नियमित रूप से प्राप्त करने की थी। इसके लिए अनुबंध करने का रास्ता अपनाया गया। स्टार्टअप अब एक विशिष्ट अनुबंध द्वारा कम से कम 30 किलोग्राम सिग्रेट वेस्ट प्राप्त करता है। अब Code Effort Pvt. Ltd. के पास पूरे देश में कम से कम 20 से 25 ऐसे अनुबंध हैं जो उनके लिए सिग्रेट वेस्ट की आपूर्ति करते हैं।
Suggested For You केरल के इस गांव को देखकर स्विजरलैंड, यूरोप भूल जाएंगे - Vagbhatananda Park हुआ सोशल मीडिया पर वायरल
तंबाकू कंपनियां और मार्लबोरो जैसी सिग्रेट बनाने वाली कंपनियां भी अपने रिजेक्टेड उत्पादों को उनके पास अनुबंध के आधार पर भेजती हैं। नमन गुप्ता बताते हैं कि कर्नाटक और महाराष्ट्र सिग्रेट के कचरे के सबसे बड़े सप्लायर हैं क्योंकि वहां लोग पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हैं।
सिग्रेट कचरे को इकट्ठा करना एक चुनौती भरा कार्य है जिसे इस स्टार्टअप की टीम अच्छी प्रकार से मैनेज कर रही है। इस तरह यह स्टार्टअप पर्यावरण को अच्छा करने के लिए कार्य कर रहा है।
Code Effort Pvt. Ltd. की भविष्य की योजनाएं
आने वाले समय में स्टार्टअप की योजना ऐसे उत्पाद बनाने की है जो अधिक से अधिक उपयोगी हो जैसे मच्छर से बचाने वाली क्रीम, अधिक नरम खिलौने, अधिक नरम तकिए आदि ।
उनकी टीम एक ऐसे इको–फ्रेंडली एयर प्यूरीफायर पर काम कर रही है जो सेल्यूलोस एसीटेट फाइबर से बनी चिमनी के साथ काम कर सके। यह प्यूरीफायर वायु प्रदूषण को कम कर सका तो यह उनके स्टार्टअप द्वारा पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम होगा।
फंडिंग
नमन गुप्ता और उनके भाई के द्वारा चलाया जा रहा यह स्टार्टअप अभी निजी फंडिंग से ही चलाया जा रहा है। इसको अभी किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है। लेकिन यह स्टार्टअप भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के साथ ताल से ताल मिला कर चल रहा है। Code Effort Pvt. Ltd. कोई सरकारी उपक्रम नहीं है, इसे गैर सरकारी कंपनी के रूप में ही रजिस्टर किया गया है।
Code Effort Pvt. Ltd. के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए चेक करें – Facebook, Twitter, Instagram.
Naman Gupta के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए चेक करें – LinkedIn.
अगर आप किसी भी प्रेरणात्मक कहानी के बारे में जानते है, और आप चाहते है की हम उसके बारे में mad4india.com पर लिखे। ऐसी जानकारी शेयर करने के लिए आप हमें Facebook  या LinkedIn पे संपर्क कर सकते है। वो प्रेरणात्मक कहानी किसी भी व्यक्ति, कंपनी, नए आईडिया या सोशल पहल के बारे में हो सकती है।
0 notes
imsaki07 · 5 years ago
Photo
Tumblr media
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष पर आज विकास खंड मैहला की ग्राम पंचायत मैहला में स्वच्छता ही सेवा अभियान के समापन समारोह का आयोजन किया गया राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष पर आज विकास खंड मैहला की ग्राम पंचायत मैहला में स्वच्छता ही सेवा अभियान के समापन समारोह का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उपमंडल अधिकारी चंबा श्रीमती दीप्ति मंढोतरा द्वारा की गई । इस कार्यक्रम में उपमंडल अधिकारी चंबा द्वारा स्कूली बच्चों व लोगों को प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, कचरे का उचित प्रबंधन करने तथा नशे का उपयोग न करने बारे विस्तृत जानकारी दी गई इसके अतिरिक्त खंड विकास अधिकारी विकास खंड मैहला किशन चंद ठाकुर द्वारा सभी को 70 माइक्रोन से नीचे प्लास्टिक का उपयोग न करने तथा अपने आसपास के कचरे उचित निपटान करने बारे जानकारी दी गई इसके साथ उन्होंने सभी को यह भी जानकारी दी की इस कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा प्लास्टिक के लिए प्रति किलोग्राम रुपये 75 मूल्य निर्धारित किया गया है । इसमें एक लीटर की बोतल जो पूरी तरह से प्लास्टिक से भरी हो के रुपये 10 प्रति बोतल, 2 लीटर की बोतल हेतु रुपये 20 प्रति बोत्तल के ��िसाब से पंचायत द्वारा खरीदा जाएगा तथा इसके पश्चात पंचायत यह सभी बोतल पी डब्ल्यू डिपार्टमेंट को हैंडओवर करेगी व पी डब्ल्यू डी विभाग इनका उपयोग सड़क बनाने हेतु करेगा । इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य विभाग से आए मेडिकल अफसर द्वारा स्कूली बच्चों व अन्य अधिकारी व कर्मचारियों को टी बी के लक्षण व इलाज के बारे में विस्तृत जसनकारी दी । इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों, शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों , आंगनवाड़ी वर���कर ,हेल्थ वर्कर आशा वर्कर व विकासखंड मैहला के समस्त स्टाफ सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में उपमंडल अधिकारी चंबा, खंड विकास अधिकारी मैहला द्वारा स्वच्छता रैली में भाग लिया गया। यह रैली ग्राम पंचायत मैहला से होती हुई कस्तूरबा गांधी कन्या हॉस्टल तक निकाली गई । इस रैली के दौरान सभी बच्चों, अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा रास्ते की सफाई की गई वह सड़क पर पड़े हुए समस्त कूड़े को उठाकर एक स्थान पर एकत्रित किया गया तथा पंचायत के माध्यम से उसका उचित निपटान किया गया।
0 notes