#पोस्ट लॉकडाउन
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rightnewshindi · 7 days ago
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HMPV वायरस की वैक्सीन अभी तक नहीं हुई तैयार, जानें लक्षण और बचाव के तरीके
HMPV Symptoms and Precautions: कोरोना महामारी के बाद चीन में एक बार फिर खतरनाक वायरस ह्यूमन मेटापनेउमोवायरस (HMPV) का कहर देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर यह चर्चा हो रही है कि चीन एक और महामारी का सामना कर रहा है। कथित तौर पर कई पोस्ट में दिखाया गया है कि चीन के अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 5 साल पहले कोविड-19 महामारी जिसके चलते पूरी दुनिया में ल��कडाउन और लाखों…
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moviepopcorn-180 · 22 days ago
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भीड़ फिल्म समीक्षा/रिव्यु!
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कोरोना की व्यथा और मानव त्रासदी
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Image of Rajkumar Rao lead in the Reviewed Film प्लॉट: यह फिल्म कोरोना महामारी पर बनी है जब सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था और सबको कहा था कि जो जहां पर है वहीं पर रहे पर विशेष कर मजदूर ऐसा करने में असमर्थ थे और वह पैदल ही अपने गंतव्य की तरफ निकल गए थे बीच में एक जगह पुलिस चेक पोस्ट पर उन सभी को रोक दिया जाता है और आगे क्रॉस करने नहीं दिया जाता? क्या वह चेक पोस्ट क्रॉस कर पाएंगे? क्या वह सभी अपने घर तक पहुंच पाएंगे? जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: यह फिल्म सोशल ड्रामा टोन पर बनाई गई है, फिल्म की थीम मानवता और त्रासदी पर आधारित है, इस यह फिल्म यह सामाजिक संदेश देती है कि समाज में बदलाव के लिए अपना योगदान कैसे दे सकते हैं, जातियों पर भी कटाक्ष किया गया है सामाजिक और जाति भेदभाव भी दिखाया गया है| एक्टि��ग एंड कैरक्टर्स: सूर्यकुमार सिंह की भूमिका में राजकुमार राव ने शानदार अभिनय किया है एक पुलिस इंस्पेक्टर का रोल उन्होंने अत्यंत ईमानदारी से निभाया, उनका अभिनय अव्वल दर्जे का है वह जिस रोल को भी निभाते हैं अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं पूरी फिल्म उनके कंधों पर ही चलती हैं| रेनू शर्मा की भूमिका में भूमि पेडणेकर का अभिनय भी औसत दर्जे का ही कहा जा सकता है उनके रोल की लंबाई ज्यादा लंबी नहीं है पर जितना भी उनको रोल मिला उन्होंने अच्छे से निभा दिया| बलराम त्रिवेदी की भूमिका में पंकज कपूर का अभिनय भी अच्छा है उन्होंने एक क्रोध से भरे ऐसे इंसान का किरदार निभाया है जो किसी भी तरह से अपने घर पहुंचना चाहता है| Supporting Casts में आशुतोष राणा, दिया मिर्जा, कृतिका कामरा, आदित्य श्रीवास्तव, वी���ेंद्र सक्सेना और ओमकार दास मानिकपुरी ने भी फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने में मदद में मदद की| डायरेक्शन: इस फिल्म को अनुभव सिन्हा ने निर्देशित किया है इस फिल्म से पहले इन्होंने मुल्क,आर्टिकल 15 और थप्पड़ जैसी अनेक संवेदनशील फिल्में निर्देशित की है| इसमें कुछ फिल्में सफल रही साथ ही में कुछ फिल्मों को पुरस्कार और कुछ को अवार्ड नॉमिनेशन भी मिले| इस फिल्म को भी उन्होंने बहुत अलग तरह से निर्देशित किया है, उन्होंने एक अलग तरह की कहानी को बहुत अच्छे से और सरल तरीके से बताने का प्रयास किया है, फिल्म की गति भी तेज है, दर्शक फिल्म से शुरू से लेकर अंत तक जुड़ा हुआ रहता है| स्क्रीनप्ले और डायलॉग: अनुभव सिन्हा, सौम्या तिवारी और सोनाली जैन के अच्छे और दमदार हैं, फिल्म की कहानी के अनुसार लिखे गए हैं, पटकथा भी अच्छे से लिखी गई है| सिनेमाटोग्राफी: सौमिक मुखर्जी की अच्छी है एरियल व्यूज दृश्य अच्छे बन पड़े हैं, इतनी भीड़ को कैमरे पर कैद करना इतना आसान नहीं होता पर उन्होंने अच्छे से किया है| प्रोडक्शन डिजाइन: निखिल कोवले का अच्छा है फिल्म की कहानी के अकॉर्डिंग है साउंड डिजाइन: अनिता कुशवाहा का बहुत ही दमदार है आप छोटी-छोटी चीजों को भी भारतीयों से सुन सकते हैं ऑडियो साउंड में बहुत क्लेरिटी है कॉस्ट्यूम डिजाइन: विशाखा विजय कुल्लवार के बढ़िया है ज्यादा स्कोप नहीं था एक्शन:रियाज-हबीब का संतुलित है बैकग्राउंड स्कोर: मंगेश धाकड़े का बहुत मजबूत और दमदार है म्यूजिक: अनुराग सैकिया का ठीक-��ाक है लिरिक्स: शकील आज़मी और डॉ सागर का ठीक-ठाक है क्लाइमैक्स: फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत अच्छा बन पड़ा है ओपिनियन: वन टाइम वॉच! जो ऑफबीट फिल्मों को देखना पसंद करते हैं वह एक बार देख सकते हैं| फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: इस फिल्म को बेस्ट एक्टर, बेस्ट फिल्म क्रिटिक्स, बेस्ट स्टोरी, और बेस्ट साउंड डिजाइन के नॉमिनेशंस मिले थे| Flaws: दिया मिर्जा के रोल की जरूरत नहीं थी उनके रोल को काटा जा सकता था| राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर के इंटिमेसी और फिजिकल रिलेशन वाले दृश्य जबरदस्त ठूँसे गए हैं एक तरफ तो आप ऑफबीटऔर सामाजिक मुद्दे पर फिल्म बना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसे दृश्य डालने की कोई जरूरत नहीं थी माता-पिता इस एक दृश्य के कारण बच्चों के साथ फिल्म नहीं देख सकते, अगर बच्चे छोटे हैं तो बिलकुल भी नहीं| जातीय वाले कांसेप्ट को कहानी में डालकर डायलॉग्स के माध्यम से सही संदेश दिया गया है और कटाक्ष भी किया गया है | मुसलमानों के साथ भेदभाव दिखाया गया है जो कि नहीं दिखाना चाहिए था| मुसलमानों के साथ जोड़कर यह बताया गया है कि कोरोना का कोई धर्म नहीं होता| Filmcast: Rajkumar Rao, Bhumi Padnekar, Dia Mirza, Ashutosh Rana, Aditya Srivastava, Pankaj Kapoor, Kritika Kamra, Veerendra Saxena Producer and Director: Anubhav Sinha, Story: Anubhav Sinha, Screenplay and Dialogues: Anubhav Sinha, Saumya Tiwari, Sonali Jain Cinematography: Soumik Mukherjee, Editor: Atanu Mukherjee, Production Design: Nikhil Kovale, Sound Design: Anita kushwaha Casting Director: Mukesh Chhabra, Costume Design: Visahka Vijay kullarwar, Script Consultant: Anjum Rajabali Action: Riaz-Habib, Background Score: Mangesh Dhakde, Music: Anurag Saikia, Lyrics: Shakeel Azmi, Dr.Sagar CBFC-U/A Movietime-2h.4mins Genre-Social Drama Backdrop-Lucknow (UP) Release Year-2023 Read the full article
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techyloanhelp · 1 year ago
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CC Loan in Hindi | Cash Credit Loan in Hindi | What is CC Loan in Hindi?
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CC Loan in Hindi | Cash Credit Loan in Hindi | What is CC Loan in Hindi | Cash Credit Loan | CC Loan kya hai | CC loan kya hai sbi | CC loan full form | सीसी लोन कैसे मिलता है | सीसी अकाउंट कैसे खुलता है | सीसी लिमिट क्या है | CC Limit Kya hai?
हैलो दोस्तों एक बार फिर आप सभी का हमारी वेबसाईट Techy Loan पर आपका स्वागत है, तो दोस्तों आज हम बात करेंगे CC Loan in Hindi के बारे में, CC लोन का मतलव होता है Cash Credit, इसे शोर्ट फॉर्म में CC कहते है, एक प्रकार का लोन होता है जो  Businessman को दिया जाता है.
अब कुछ लोगो के मन में यह सवाल आ रहा होगा की यह Cash Credit Loan क्या है, इसको लेने के लिए Apply कैसे करे, और यह CC लोन कैसे मिलता है, Cc लोन किसको मिलता है, CC Loan के फायदे और नुकसान, और इसको लेने के लिए अकाउंट की जरूत होगी की नहीं, इन सभी सवालों के जवाब आज की इस पोस्ट में बताऊंगा.
तो दोस्तों आप Cash Credit Loan in Hindi समझना चाहते हैं तो आपको हमारा यह आर्टिकल बहुत ही ध्यानपूर्वक पढना होगा तभी आप समझ सकेंगे की ये क्या है और इसे कैसे ले
कैश क्रेडिट लोन लोन क्या है? – What is CC Loan in Hindi?
CC Loan in Hindi: हम सब जानते है की जब से इंडिया [ भारत ] में लॉकडाउन लगा था तो हमारा भारत पूरी तरह से बंद हो गया था जिसके चलते भारत की अर्थव्यवस्ता [ Economy ] को काफी नुकसान पंहुचा था और इसी के साथ साथ भारतीय कारोबारियों को भी काफी नुकशान हुआ और उनका धंधा भी चोपट हो गया था.
तो अब आप अपने बिज़नस को फिर से पटरी पर लाने के लिए यह CC लोन एक वरदान के रूप में आपके गिरे हुए बिज़नस को उपर ला सकता है, CC लोन या कैश क्रेडिट लोन एक प्रकार का शॉर्ट-टर्म बिजनेस लोन है जो बैंकों और Financial institution द्वारा दिया जाता है।
यह लोन एक निश्चित समय सीमा के लिए दिया जाता है, जिसे क्रेडिट लिमिट कहा जाता है, व्यापारी इस सीमा के भीतर किसी भी समय पैसे निकाल या जमा कर सकता है।
कारोबारी इस क्रेडिट लिमिट का यूज़ अपनी बिज़नस की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकता है,जैसे कि कच्चा माल खरीदना हो , कर्मचारियों को सैलरी देना हो, या अचल संपत्ति खरीदना हो .
हम सब लोग यह जानते है हर चीज़ के कुछ-न-कुछ फायदे होते है तो उसी के साथ नुकसान भी होते है वेसे ही कैश क्रेडिट लोन के भी कुछ फायदे है और कुछ नुकसान इसको अच्छे से पड़ने के लिए स्क्रोल करे .
कैश क्रेडिट के लाभ:-
CC लोन के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:
Account Opening: इसका अकाउंट खुलवाने की कोई जरूत नहीं हिया क्योकि जहाँ पर आपका करंट अकाउंट ओपन है वही पर आप कैश क्रेडिट [CC] अकाउंट खोल सकते है.
Instant cash availability: कैश क्रेडिट लोन आपको तुरंत Cash उपलब्ध कराता है, जिससे आप अपने खर्चों को कवर कर सकते हैं या अपनी क्रेडिट कार्ड की सीमा से अधिक खर्च कर सकते हैं।
Less Document: कैश क्रेडिट लोन के लिए आपको कम Document की जरूरत होती है, जिससे आप जल्दी से लोन ले सकते हैं।
Flexible Repayment Plan: इस कैश क्रेडिट लोन एक फायदा है की आप अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पेमेंट कर सकते हैं।
कैश क्रेडिट के नुकसान:-
कैश क्रेडिट लोन के कुछ नुकसान हैं:
High interest rates: कैश क्रेडिट लोन पर interest rates आमतौर पर अन्य प्रकार के लोन की तुलना में अधिक होती हैं।
Minimum Commitment Fee: आपको हर महीने एक minimum amount का Pay करना होगा, भले ही आपने उस महीने कोई पैसा नहीं निकाला हो।
Maximum limit: आपको एक Certain limit तक ही कैश क्रेडिट लोन मिल सकता है। यदि आप इस सीमा से अधिक उधार लेते हैं, तो आपको High interest rates का Pay करना होगा।
Bad Credit Score: यदि आप कैश क्रेडिट लोन नहीं चुक��ते हैं, तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है।
Service Charges:- यदि आपका के पास कैश क्रेडिट का अकाउंट है और आपने इसका यूज़ नहीं किया तब भी आपको इसका Service Charges को pay करना पड़ेगा.
तो दोस्तो यह थे कैश क्रेडिट के लाभ और नुकसान यदि आपको हमारे यह रिसर्च अच्छी लगी तो शेयर करना भूले नहीं अपने दोस्तों के साथ क्योकि पोस्ट लिखने में काफी मेहनत लगती है.
कैश क्रेडिट लोन का उपयोग कैसे करें?
कैश क्रेडिट लोन का उपयोग Business की जरूरतों के लिए यूज़ किया जा सकता है, जैसे:
कच्चे माल की खरीद
इन्वेंट्री बनाए रखना
वेतन और किराए का भुगतान
भंडारण और परिवहन लागत
विज्ञापन और मार्केटिंग
नई मशीनरी या उपकरण खरीदना
कर्ज चुकाना
कैश क्रेडिट लोन किसे मिलता है?
कैश क्रेडिट लोन उन बिज़नस को मिलता है जो अच्छा क्रेडिट कार्ड स्कोर और वित्तीय स्थिति रखते हैं, और उन सभी को जो लोग कंपनी, निर्माण इकाई, व्यवसाय या कारखाने चला रहे है और उनकी बिज़नस की फाइनेंसियल स्थिति ठीक है बैंक आपके लोन आवेदन को मंजूरी देने से पहले आपके क्रेडिट स्कोर, आय और व्यवसाय के फाइनेंसियल स्थिति देखेगा.
एक बहुत जरुरी बात आपको कभी भी इस कैश क्रेडिट लोन का यूज़ अपने उपर खर्च नहीं करने है यदि आप ऐसा करते है तो आपको भारी नुकसान हो सकता है या आपको इसके लिए फाइन भी भरना पड़ सकता है.
कैश क्रेडिट लोन कैसे मिलेगा? – सीसी लोन कैसे मिलता है
CC लोन प्राप्त करने के लिए, इन सभी दिए पॉइंट को पड़े
एक बैंक या Financial institution से संपर्क करें जो CC लोन Provide करता हो ।
लोन के लिए आवेदन करें और जरुरी Document जमा करें।
बैंक या Financial institution आपके आवेदन को मंजूरी देगा या अस्वीकार कर देगा।
अगर आपका आवेदन मंजूर हो जाता है, तो आपको लोन मिल जाएगा ।
यह भी जरुर पड़े
कैश क्रेडिट लोन प्राप्त करने के लिए, आपको Eligibiliy criteria को पूरा करना होगा:
आपका बिज़नस कम से कम एक साल पुराना होना चाहिए।
आपके पास एक अच्छा क्रेडिट स्कोर होना चाहिए।
आपके पास पर्याप्त आय होनी चाहिए जो लोन की किश्तों का भुगतान करने में सक्षम हो।
कैश क्रेडिट लोन के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं:
बिजनेस रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
आधार कार्ड
पैन कार्ड
बैंक स्टेटमेंट
इनकम प्रूफ
अन्य दस्तावेज जो बैंक द्वारा मांगे जा सकते हैं
सावधानियां: कैश क्रेडिट लोन लेते समय
लोन की Duration और Rate of interest को ध्यान से समझें।
आप अपनी लोन की किश्तों का पेमेंट समय पर कर सकेंगे।
केवल तभी लोन लें जब आपको वास्तव में इसकी जरुरत हो।
इन सभी बातो ध्यान देना वरना आपको बाद में पछताना भी पड़ सकता है.
कैश क्रेडिट लोन पर ब्याज दर क्या है? – Cash Credit Loan Interest Rate
Cash Credit Loan Interest Rate कितना होगा यह केवल बैंक और Financial institution अपने अनुसार तय करते है और सभी बैंको अपना अलग अलग Interest Rate हो सकता है जो आमतौर पर 1.20% से 4.99% प्रति माह के बीच होती है। हालांकि, कुछ बैंकों में कैश क्रेडिट लोन की Interest Rate इस से कम या ज्यादा भी हो सकती है।BankInterest Rate (Per Month)HDFC Bank3.4%ICICI Bank3.2%SBI Card2.9%Kotak Mahindra Bank3.1%Axis Bank3.0%Yes Bank1.20% – 2.40% IndusInd Bank3.83% RBL Bank3.99%CitiBank3.75% 
सीसी लोन कैसे काम करता है?
जब एक Business को CC Loan in Hindi मिलता है, तो बैंक एक Current Account खोलता है, जिसमें लोन की राशि जमा की जाती है। Business इस खाते से अपनी जरूरतों हिसाब से धन निकाल सकता है। जब भी बिज़नस को धन की आवश्यकता होती है, तो वह बैंक से लोन ले सकता है और जब भी वह धन वापस कर देता है, तो बैंक उस पर ब्याज लेता है।
कैश क्रेडिट लोन को एक उदाहरण से समझते हैं
मान लीजिए कि एक कपड़े की दुकान को अपनी cash की जरूरतों को पूरा करने के लिए 10 लाख रुपये का कैश क्रेडिट लोन मिलता है। बैंक एक चालू खाता खोलता है, जिसमें 10 लाख रुपये जमा किए जाते हैं। दुकान इस खाते से अपनी Cash की जरूरतों के लिए धन निकाल सकता है।
उदाहरण के लिए, दुकान कच्चा माल खरीदने के लिए धन निकाल सकती है, या कर्मचारियों को वेतन दे सकती है। जब भी दुकान को धन की आवश्यकता होती है, तो वह बैंक से लोन ले सकता है। जब भी दुकान धन वापस कर देती है, तो बैंक उस पर ब्याज लेता है।
इस तरह से Cash Credit Loan in Hindi का अपना काम करता है मुझे आशा है आपको यह अच्छे से समझ में आया होगा.
सीसी लिमिट क्या है? – Cash Credit Limit क्या है?
सीसी लिमिट (Cash Credit Limit) एक बैंक द्वारा किसी कंपनी को दी जाने वाली short term loan limit है। सीसी लोन को एक वर्ष के लिए दिया जाता है और कंपनी को अपनी Credit History के आधार पर दिया जाता है।
सीसी लिमिट को एक उदाहरण से समझते हैं
मान लीजिए एक कंपनी को 10 लाख रुपये की सीसी लिमिट दी गई है। इसका मतलब है कि कंपनी को बैंक से 10 लाख रुपये तक का लोन ले सकता है और इसे एक वर्ष के भीतर चुकाना होगा। कंपनी इस Loan का उपयोग अपनी Daily Cash Flow की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकता है।
यदि कंपनी को एक महीने में 5 लाख रुपये की Cash की आवश्यकता है, तो यह बैंक से 5 लाख रुपये का लोन ले सकती है और इसे अगले महीने के अंत तक चुका सकती है। इस तरह, कंपनी अपनी Daily Cash Flow की जरूरतों को पूरा कर सकती है और अपनी लोन सीमा का पूरी तरह से उपयोग कर सकती है।
कैश क्रेडिट या बिजनेस लोन में से कोन सा अच्छा है ?
बिजनेस को चलाना और बढ़ान��� आसान नहीं होता है, खासकर जब आपके पास कम पैसा होती है। इस समस्या का समाधान है “कैश क्रेडिट” या “बिजनेस लोन” का यूज़ करना। यह आपके बिजनेस को आर्थिक सहायता प्रदान करने का एक तरीका हो सकता है।
कैश क्रेडिट या बिजनेस लोन में से कौन सा बेहतर है? यह आपके बिजनेस की जरूरत पर निर्भर करता है। अगर आपको एक Fixed amount की जरूरत है जो आप एक specific objective के लिए उपयोग करना चाहते हैं, तो एक बिजनेस लोन बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन अगर आपको एक Need flexible credit facility जिसे आप अपनी requirement के हिसाब से उपयोग कर सकते हैं, तो कैश क्रेडिट बेहतर विकल्प हो सकता है।
यह आप पर निर्भर करता है की आपको कोनसा लोन लेना है, और हम आपको पहले ही बता दे की हमारी वेबसाइट से किसी भी टाइप का लोन नहीं दिया जाता है हम केवल Information प्रोवाइड कराते है|
Conclusion
दोस्तों आप यहा तक आये तो आपको समज में आ गया हो की CC Loan in Hindi दोस्तों आज इस आर्टिकल में हमने हर एक टॉपिक समझाया है, Cash Credit Loan in Hindi | What is CC Loan in Hindi | Cash Credit Loan | CC Loan kya hai | CC loan kya hai sbi | CC loan full form | सीसी लोन कैसे मिलता है | सीसी अकाउंट कैसे खुलता है | सीसी लिमिट क्या है | CC Limit Kya hai?
दोस्तों यदि आज का पोस्ट आपको अच्छा लगा हो तो सोशल मीडिया पर अपने मित्रो के साथ इस पोस्ट शेयर जरुर करे ताकि हम ऐसा कंटेंट और ला सके।
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nationalnewsindia · 2 years ago
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detaildesk · 5 years ago
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उत्पादन पर सुरक्षा: एमएचए विनिर्माण इकाइयों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी करता है चित्र स्रोत: AP सरकार विनिर्माण इकाइयों को परीक्षण अवधि के रूप में पहले सप्ताह पर विचार करने के लिए पुनरारंभ करने के लिए कहती है
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lok-shakti · 3 years ago
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रेलवे बोर्ड ने 'स्पेशल ट्रेन' का टैग हटाने का आदेश जारी किया, पूर्व-कोविड किराए पर वापस जाएं
रेलवे बोर्ड ने ‘स्पेशल ट्रेन’ का टैग हटाने का आदेश जारी किया, पूर्व-कोविड किराए पर वापस जाएं
किराए में बढ़ोतरी को लेकर यात्रियों के दबाव में, रेलवे ने शुक्रवार को मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए ‘विशेष’ टैग को बंद करने और तत्काल प्रभाव से पूर्व-महामारी टिकट की कीमतों पर वापस जाने का आदेश जारी किया। जब से कोरोनावायरस-ट्रिगर लॉकडाउन में ढील दी गई थी, रेलवे केवल विशेष ट्रेनें चला रहा है�� इसकी शुरुआत लंबी दूरी की ट्रेनों से हुई थी और अब, यहां तक ​​कि कम दूरी की यात्री सेवाओं को “थोड़ा अधिक…
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everynewsnow · 4 years ago
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जन्मदिन पर घर जाने के लिए मुंबई पुलिस ने 'जिम्मेदार नागरिक' को केक खिलाया
जन्मदिन पर घर जाने के लिए मुंबई पुलिस ने ‘जिम्मेदार नागरिक’ को केक खिलाया
जैसे ही कोरोनवायरस की दूसरी लहर पूरे देश में फैलती है, अधिकारियों और सरकारों से लोगों को मास्क लगाने और घर में रहने का आग्रह किया जाता है। हालांकि, बाहर जाने और जश्न मनाने का आग्रह कई बार लुभावना हो सकता है, विशेष रूप से विशेष अवसरों जैसे जन्मदिन और वर्षगांठ पर। जब 22 अप्रैल 2021 को मुम्बई निवासी समिता पाटिल अपने जन्मदिन के मौके पर आईं, तो उनके दोस्तों ने तुरंत उनसे एक पार्टी मांग��। हालांकि, उसने…
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newsaryavart · 5 years ago
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लॉकडाउन में इस एक्ट्रेस को अपने घर में दिखावा? वीडियो शेयर कर बताई हकीकत। अभिनेत्री नम्रता शिरोडकर साक्षी लॉकडाउन के दौरान घर पर कुछ अपसामान्य गतिविधि देखती हैं, सभा में कहते हैं महेश बाबू बेटी | बॉलीवुड - समाचार हिंदी में
लॉकडाउन में इस एक्ट्रेस को अपने घर में दिखावा? वीडियो शेयर कर बताई हकीकत। अभिनेत्री नम्रता शिरोडकर साक्षी लॉकडाउन के दौरान घर पर कुछ अपसामान्य गतिविधि देखती हैं, सभा में कहते हैं महेश बाबू बेटी | बॉलीवुड – समाचार हिंदी में
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नम्रता शिरोडकर ने शेयर किया वीडियो (क्रेडिट- namratashirodkar / Instagram) एक्ट्रेस नम्रता शिरोडकर (नम्रता शिरोडकर) ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसे देखकर पहले तो आप बुरी तरह डर जाएंगे।
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hindinewshub · 5 years ago
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Himachal Pradesh hotels to reopen after June 8 but…: CM Jai Ram Thakur चित्र स्रोत: FILE PHOTO, PTI हिमाचल प्रदेश में होटल 8 जून के बाद फिर से खुलने वाले हैं लेकिन केवल राज्य के लोगों के लिए।
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unitysamachar · 5 years ago
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लॉकडाउन में प्रियंका चोपड़ा का मजेदार पोस्ट, उम्मीद वर्सेज रिएलिटी के बीच यूं बताया फर्क
लॉकडाउन में प्रियंका चोपड़ा का मजेदार पोस्ट, उम्मीद वर्सेज रिएलिटी के बीच यूं बताया फर्क
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Image Source : INSTAGRAM: @PRIYANKACHOPRA प्रियंका चोपड़ा ने शेयर की अपनी मजेदार फोटोज
इस समय पूरा देश कोरोना वायरससे जूझ रहा है। इस घातक महामारी को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है। ऐसे में जानी-मानी हस्तियां सोशल मीडिया के जरिए फैंस से जुड़ी हुई हैं। एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने हाल ही में दो फोटो पोस्ट की है, जो वायरल हो रही ह��। इसमें…
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abhay121996-blog · 4 years ago
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जॉन अब्राहम की OTT से दूरी, ऐक्‍टर्स से बोले- जिन चीजों के बारे में पता ना हो, उस पर ज्ञान ना दें Divya Sandesh
#Divyasandesh
जॉन अब्राहम की OTT से दूरी, ऐक्‍टर्स से बोले- जिन चीजों के बारे में पता ना हो, उस पर ज्ञान ना दें
कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के कारण लंबे वक्‍त तक सिनेमाघर बंद रहे। इस दौरान अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan), अक्षय कुमार (Akshay Kumar), वरुण धवन (Varun Dhawan) जैसे बड़े-बड़े स्टार्स की फिल्में ओटीटी प्‍लैटफॉर्म्‍स (OTT Platforms) पर रिलीज हुईं लेकिन ऐक्टर जॉन अब्राहम (John Abraham) ने इसके बदले थिअटर्स को चुना। उन्‍होंने इंतजार किया और अब उनकी फिल्‍में बड़ी स्‍क्रीन पर आ रही हैं। इसका आगाज इस शुक्रवार यानी 19 मार्च को फिल्म ‘मुंबई सागा’ (Mumbai Saga) से हुआ। नवभारत टाइम्‍स से खास मुलाकात में जॉन ने फिल्म को थिअटर्स में रिलीज करने, ओटीटी प्‍लैटफॉर्म्‍स, कोविड में शूटिंग जैसे कई विषयों पर बात की। बातचीत के अंश:
बीते साल बड़े-बड़े स्टार्स ने अपनी फिल्में ओटीटी पर रिलीज कीं लेकिन आपकी सभी फिल्में ‘मुंबई सागा’, ‘सत्यमेव जयते 2’, ‘अटैक’ थिअटर्स में ही आ रही हैं। इसके पीछे क्या सोच रही? ‘वे लोग (ओटीटी पर फिल्म लाने वाले) शायद कॉन्फिडेंट नहीं थे अपनी फिल्म को लेकर। अगर आप ट्रैक रेकॉर्ड देखो तो जो फिल्में ओटीटी प्‍लैटफॉर्म्‍स पर आईं, सब खराब फिल्में थीं। मुझमें इतना कॉन्फिडेंस है कि मेरी फिल्म बिग स्क्रीन के लिए है। मुंबई सागा में हीरोइजम है, बिग स्केल है तो मैंने बहुत साफ तौर पर ठान लिया था कि यह बड़े पर्दे पर ही आएगी। हालांकि, रिजल्ट कुछ भी हो सकता है। हो सकता है कि हमें नुकसान उठाना पड़े या हो सकता है कि लोग थिअटर (Theatre) में फिल्म देखने आएं लेकिन मुझे डर नहीं है। पिक्चर एक करोड़ कमाए या सौ करोड़, मुझे फर्क नहीं पड़ता है। मेरे लिए यह बड़ी बात है कि यह बिग स्क्रीन की फिल्म थी, बिग स्क्रीन पर ही आई क्योंकि मुझे स्क्रिप्ट लेवल से पता था कि यह फिल्म बड़े पर्दे के लिए है। यह ओटीटी की फिल्म नहीं थी। इसलिए हमने तय किया कि हम इसे बिग स्क्रीन (Big Screen) पर ही लाएंगे। इसी तरह, सत्यमेव जयते 2, अटैक, एक विलन रिटर्न्‍स जैसी सभी फिल्‍में खुशकिस्मती से बिग स्क्रीन वाली फिल्में हैं तो मै चाहता हूं कि मैं बिग स्क्रीन पर ही आऊं।’
आजकल रिऐलिस्टिक फिल्मों का दौर चल रहा है जबकि ‘मुंबई सागा’ 80-90 के दशक के गैंगस्टर वाली कमर्शल फिल्म है। क्या लोग इससे रिलेट करेंगे? आपने यह फिल्म करने का फैसला क्यों किया? ‘मेरे हिसाब से ऑडियंस को हर तरह की फिल्में चाहिए। मैं भी शायद कोई रिऐलिस्टिक फिल्म करूं पर अभी मैं लार्जर दैन लाइफ फिल्में कर रहा हूं। सत्यमेव जयते 2 में इससे भी बड़ा कैरक्टर है। उसमें अवेंजर्स के सारे सुपरपावर हैं। क्या है कि हर प्लैटफॉर्म की ऑडियंस अलग होती है। जैसे ओटीटी की ऑडियंस हर कोने से नुक्ताचीनी करके फिल्म देखती है कि यह ऐसे बननी चाहिए। थिअटर में अलग तरह की फिल्में चलती हैं जो मास फिल्में होती हैं तो अभी मैं मास फिल्में कर रहा हूं। वैसे मैं पहले भी गैंगस्टर फिल्म कर चुका हूं, शूटआउट ऐट वडाला लेकिन वह आठ साल पहले की थी। मुझे गैंगस्टर फिल्में बहुत अच्छी लगती हैं। संजय गुप्ता (Sanjya Gupta) के साथ काम करना मुझे बहुत अच्छा लगता है। फिर यह शूटआउट ऐट वडाला से भी ज्यादा कंप्लीट फिल्म है क्योंकि इसमें इमरान (Emraan Hashmi) का किरदार एक मजेदार कॉन्‍फ्लिक्‍ट लेकर आता है।’
इधर बहुत से ऐक्टर्स ओटीटी पर भी आ रहे हैं। आपका इस ओर क्या रूझान है? आपको ऑफर्स तो आए होंगे? ‘हां, ऑफर्स तो आए लेकिन मैंने सबको मना कर दिया। मैं अपनी फिल्मों में बहुत बिजी हूं। अपनी फिल्मों पर ध्यान दे रहा हूं। अगर ओटीटी पर कुछ अच्छा मिले तो शायद मैं उसके बारे में सोचूं लेकिन आज की तारीख में मैं केवल बिग स्क्रीन फिल्में ही कर रहा हूं। मैं वे बड़ी फिल्में करके बहुत खुश हूं।’
आप लॉकडाउन के बाद से लगातार शूट कर रहे हैं। ‘सत्यमेव जयते 2’ के सेट पर पॉजिटिव केस भी आया, इसे लेकर मन में डर नहीं था? ‘डर तो था ना, क्यों नहीं था लेकिन मेरे डायरेक्टर ने बोला कि जॉन लखनऊ में महामारी का असर है ही नहीं। हालांकि, वहां हमारे सेट पर केस भी हो गया लेकिन सच बोलूं तो वहां लोग काफी लापरवाही भी बरतते हैं। मास्क-वास्क लगाते नहीं हैं। हमने तो सारे प्रोटोकॉल फॉलो किए। हमारा पूरा यूनिट बबल में रहता था, जितने ��क्स्ट्रा थे, वे टेस्ट करके आते थे। हम हर दस दिन में कोविड टेस्ट करते थे। मैंने इतने सारे टेस्ट किए हैं पर टचवुड सारे नेगेटिव रहे।’
सोशल मीडिया के दौर में ऐक्टर्स के लिए अपनी पर्सनल लाइफ छिपाना मुश्किल हो चुका है। ज्यादातर ऐक्टर्स तो खुद अपनी निजी जिंदगी की बातें शेयर करते रहते हैं। वहीं, आप अपनी पर्सनल लाइफ काफी सीक्रेट रखते हैं। ऐसा क्यों? ‘मेरी सोच थोड़ी अलग है। जो दूसरे ऐक्टर्स शेयर करते हैं, वह भी गलत नहीं हैं। वह उनका चॉइस है। उनको अच्छा लगता है ऑडियंस को बताना कि क्या खा रहे हैं, कब टॉइलट जा रहे हैं, कब बाहर आ रहे हैं, वे इंजॉय करते हैं। मैं बहुत ही प्राइवेट इंसान हूं। मैं मानता हूं कि मेरी निजी जिंदगी अलग होनी चाहिए। बाकी मेरी जो स्क्रीन इमेज है, जो स्क्रीन पर दिखती है, फिटनेस, फुटबॉल, मोटसाइकिल, मैं उनके बारे में ही पोस्ट करता हूं। फिर ट्रेंडिंग कल्चर से तो मुझे बहुत डर लगता है। मैं देखता हूं कि ये जो सारे ट्रेंड होते हैं और जो ट्रेंड करते हैं, सारे जोकर्स और बेवकूफ हैं। आप देखो, ये सारे ट्रेंड, सब मजाक लगता है। इसलिए मैं ट्रेंड नहीं होना चाहता तो मैं उससे भी अलग रहता हूं।’
बीता साल इंडस्ट्री के लिए भी काफी मुश्किल रहा, हर मायने में। इस इंडस्ट्री के बारे में कोई ऐसी चीज है, जो मौका मिले तो आप बदलना चाहेंगे? ‘इंडस्ट्री अच्छी जगह है��� बस मैं अपने इंडस्ट्रीवालों से इतना ही कहूंगा कि अभी सोशल मीडिया (Social Media) आ गया है तो प्लीज जिन चीजों पर आपकी जानकारी नहीं है, उस पर कॉमेंट न करें। जैसे, आपको सीएए (CAA), एनआरसी (NRC) या किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) के बारे में पता नहीं है तो उस बारे में कॉमेंट ना करें। वह कम से कम आपको एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक बनाएगा। आधा ज्ञान बहुत ही खतरनाक होता है तो मैं अपने को-ऐक्टर्स से ये दरख्वास्त करूंगा कि इस पर थोड़ा कंट्रोल करें।’
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bakaity-poetry · 5 years ago
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पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव को उनके साप्ताहिक कॉल�� ‘कातते-बीनते’ में
उस रात कलकत्ता में ज़बरदस्त बरसात हुई थी। दिन भर से रह-रह कर बरस रहा था। प्रोफेसर शशांक राय अपनी बालकनी में कुर्सी पर बैठे बूंदों को ऐसे देख रहे थे जैसे कोई बच्चा पहली बार बारिश देख रहा हो। शाम सात बजे के आसपास बादल कुछ थमे। वे भीतर कमरे में आये। काग़ज़ पर कुछ लिखा। सदरी पहनी। फोन नंबरों वाली छोटी डायरी जेब के सुपुर्द की। पत्नी से कहा, “मैं आता हूं।” पत्नी ने क्षण भर को रोका। वे नहीं रुके। निकल गये। फिर कभी नहीं घर लौटे।
ये फ्लैशबैक में हमें बताया गया है। वरना पहले ही दृश्य से ही फिल्म में उसका नायक यानी रिटायर्ड प्रोफेसर फ्रेम से गायब है। बावजूद इसके, पूरी फिल्म इस प्रोफेसर के चरित्र का पंचनामा है। मृणाल सेन के सिनेमा की यही खूबी है। “एक दिन अचानक” 1989 में आयी थी। मृणाल सेन ने बाद में दिये एक साक्षात्कार में कहा था कि यह फिल्म उनकी “पर्सनल” है। प्रोफेसर राय का किरदार बुढ़ाते हुए मृणाल सेन की एक छाया हो सकता है, जिस उम्र में यह अहसास सघन होता है कि “जीवन क्या जिया, अब तक क्या किया”।
वही दौर था जब इस देश के चार महानगरों में सिमटे मध्यवर्गीय बौद्धिक ने बाकी हिस्सों में पैर पसारे। इलाहाबाद, पटना, बनारस, भोपाल का बौद्धिक दिल्ली और बॉम्बे की ओर बढ़ चला। छोटे शहरों में उच्च शिक्षा पहुंची, बाज़ार पहुंचा, पूंजी पहुंची, अवसर पहुंचे। मध्यवर्ग का विस्तार हुआ। मध्यवर्ग के एक छोटे से हिस्से यानी बुद्धिजीवी वर्ग का भी उसी अनुपात में विस्तार हुआ। यह अकारण नहीं है कि उदारवाद के आने से पहले गोविंद निहलानी 1984 में अघाये मध्यवर्गीय बौद्धिकों पर “पार्टी” बना चुके थे। पुरानी पार्टी खत्म हो रही थी। नयी शुरू।
उदारवाद की पैदाइश इस मध्यवर्ग की नयी पार्टी तीस साल से लगातार चल रही थी। पहली बार उस पर लगाम लगी मार्च में। जैसा मैंने पिछले हफ्ते के स्तम्भ में ज़िक्र किया था, मोटे तौर पर पूरे मध्यवर्ग को छह दिन काम और एक दिन आराम के हिसाब से कंडीशन कर दिया गया था। मृणाल सेन के यहां से उधार लेकर कहें, तो यह मध्यवर्ग “सफलता” नामक मंत्र को केंद्र में रखकर ज़िंदगी जी रहा था। इसका एक हिस्सा बेशक हमेशा की तरह भीतर किसी कोने में हर जगह मौजूद रहा, जिसने प्रोफेसर राय की तरह सफलता की जगह “डेडिकेशन” को अपनी ज़िंदगी का मंत्र बनाया।
 यह मध्यवर्गीय बौद्धिक था- लेखक, पत्रकार, अकादमिक, इतिहासकार, संस्कृतिकर्मी, कलाकार, आंदोलनकारी, सिद्धांतकार, आलोचक, कवि, रंगकर्मी, इत्यादि। दरअसल, इस छोटे से तबके की पैदाइश ही नौ से पांच की नौकरी बजाने के प्रति अवमानना से हुई थी। इसे गुलाम बनाना थोड़ा मुश्किल था।
जब पार्टी रुकी, तो सबकी रुकी। एक दिन अचानक सब कुछ ठहर गया। शायद वैसे ही, जैसे किसी एक दिन प्रोफेसर राय रिटायर हुए रहे होंगे और घर बैठ गये होंगे। ज़ाहिर है, जो बौद्धिक तबका नियमित नौ से पांच की नौकरी में बंधा नहीं था, वह अब तक आत्मानुशासन के तहत ही रच रहा था। एक किस्म के स्व-आरोपित लॉकडाउन में था, जैसे प्रोफेसर राय, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद न तो एक्सटेंशन लिया न ही बाहर कोचिंग क्लास ली। अवकाश की अवधि में प्रोफेसर का सारा उद्यम इस पर केंद्रित रहा कि वे कैसे कुछ अलग कर के दिखाएं। कुछ बड़ा करें। कुछ हटकर करें। यह बौद्धिकों की विशिष्ट समस्या है, कि वे अवकाश को उत्कृष्ट रचना या उत्पादन के किसी दैवीय कर्तव्य की तरह देखने लगते हैं। फिर अपनी ही पूंछ का पीछा करते कुत्ते की तरह रह-रह कर भौंकते जाते हैं।
मसलन, बौद्धिक दायरे में आजकल लोग एक-दूसरे को फोन करते हैं तो इस बात का ज़िक्र करते हैं कि उन्होंने क्या रचा। क्या अलग किया। क्या लिखा। क्या पढ़ा। फेसबुक पर सबसे सामान्य तस्वीर शुरुआती दिनों में यह दिखी कि ये लोग अपनी पुरानी किताबें छांटने और साफ़ करने में लगे रहे। कुछ अचानक हाथ लग जाये ऐसा जिसका प्रचार मूल्य हो, तो उसे पोस्ट करने में तनिक भी देर किसी ने नहीं की। किसी ने बड़ी मेहनत से किसी क्लासिक का तर्जुमा कर डाला। किसी ने किताब लिख डाली। कोई चुप मार कर किसी गुप्त अध्ययन में लगा हुआ है। कुछ ज्यादा गंभीर बौद्धिक सोशल मीडिया से कट लिए हैं। वे एकान्त में जाने क्या पका रहे हैं। ये सब वास्तव में “डेडिकेटेड” लोग हैं (सफलता के मारे हैं या नहीं, इस पर पक्का कुछ कहना मुश्किल है) लेकिन ये सब किसी अनसुने-अदृश्य फ़रमान पर खुद से ही होड़ में लगे हुए हैं ताकि इसी बीच अपना सबसे बेहतर पैदा कर दें। प्रोफेसर राय भी इसी विशिष्टताबोध और उत्कृष्टताबोध के मारे थे।
फिल्म भले उनकी गैर-मौजूदगी में आगे बढ़ती है, लेकिन परिवार के दूसरे सदस्यों के माध्यम से प्रोफेसर के व्यक्तित्व की परतें लगातार खुलती जाती हैं। छोटी बेटी तो शुरू से ही मानती थी कि पिता अहंकारी हैं। बेटे से खटपट चलती ही रहती थी। पत्नी ने भी एक दिन खुल के कह दिया था, “तुमने आज तक हमारे लिए किया ही क्या?” केवल बड़ी बेटी नीता (शबाना आज़मी) है जिसने अपनी बुद्धिजीवी पिता पर अंत तक पूरी आस्था जतायी, लेकिन एक रात उसने अपने पिता के व्यक्तित्व का अचानक विखंडन कर डालाः “कहीं वे सामान्य आदमी तो नहीं थे और हम ही लोग उन्हें बड़ा बनाये हुए थे?” यह सवाल चौंकाता है। वह कहती है कि शायद पिता उतने ही काबिल थे जितना उन्होंने किया, वे उससे बड़े नहीं थे। ये सब कह कर वह ग्लानि में भी डूब जाती है, कि पिता के बारे में उसने ऐसा सोचा भी कैसे!
जो नहीं है, जैसे कि प्रोफेसर, उसका ग़म तो है। यह ग़म ही उसके बारे में सोचने की मोहलत देता है और साथ रहने वालों को सच के थोड़ा और करीब लाता है। प्रोफेसर के घर से जाने के ठीक साल भर बाद वैसी ही बरसात की एक रात में सब अपने-अपने सच को लेकर साथ बैठते हैं। दोनों बेटियां और बेटा याद करते हैं कि उन्होंने पिता के बारे में अब तक क्या-क्या कहा। पिता की विखंडित होती तस्वीर को अचानक पत्नी आकर संभालती है अंतिम दृश्य में। पत्नी सुधा कहती है कि घर से जाने के एक रात पहले प्रोफेसर राय ने उससे एक बात कही थी। उन्हें सबसे बड़ा दुख इस बात का था एक आदमी को एक ही ज़िंदगी मिलती है।
प्रोफेसर का यह दुख दरअसल मृणाल सेन का “पर्सनल” दुख है। मृणाल सेन का दुख दरअसल एक बौद्धिक, एक कलाकार का दुख है। हर रचनाकार अपने बेहतरीन कामों में पड़ी दरारों को जानता है, समझता है। उसे एक अवकाश चाहिए होता है जिसमें वह खुद को उत्कृष्ट तरीके से पेश कर सके। अपनी गलतियों को दुरुस्त कर सके। रचना में ही सही, प्रायश्चित कर सके। इसे अज्ञेय ने “शेखरः एक जीवनी” में बड़ी खूबसूरती से कहा है कि हर व्यक्ति अपने जीवन में की गयी रुखाई की कीमत कभी न कभी अवश्य चुकाता है। खुद को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ने की यह उत्कण्ठा जानलेवा हो सकती है।
प्रोफेसर शशांक राय को लगा कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में जो बेरुख़ी की है- अपने “डेडिकेशन” के चक्कर में “सफलता” की कुंजी से चूक गये जिसका ख़मियाज़ा परिवार को भुगतना पड़ा- उसका हर्ज़ाना इस ज़िंदगी में भर पाना मुमकिन नहीं तो वे अपना दुख लिए कहीं निकल लिए। निकलने के फैसले से पहले तक वे खुद से ही होड़ में लगे रहे। मुक्तिबोध और गोरख पांडे की दिमागी बीमारी से मौत, स्वदेश दीपक का घर छोड़ना, शैलेश मटियानी… लंबी फेहरिस्त है जहां हम ��्रोफेसर शशांक राय के किरदार को पा सकते हैं। लॉकडाउन में बौद्धिकों के साथ तकरीबन यही हो रहा है, अलग-अलग रूपों में।
यह अवकाश जो हमें मिला है, उत्पादन में प्रतिस्पर्धा ठानने के लिए नहीं है। ढेर सारा या उत्कृष्टतम पैदा करने के लिए नहीं है। अगर आपको लगता है कि आपने इतना सारा वक्त “खराब” कर दिया, तो आप गलत लीक पर हैं। अगर आपको लगता है कि आप वह नहीं कर सके जो कर सकते थे, तो आप गलत लीक पर हैं। आप जो कर सकते थे, आपने वही और उतना ही किया है। इसे मान लें। हर कोई अपने सामर्थ्य के बराबर ही उत्पादन करता है, न उससे ज्यादा, न कम। और बेचैनी में घर से भागने, ख़ुदकुशी करने या मानसिक विक्षिप्तता पालने से कहीं बेहतर यह नहीं है कि यह समय बरबाद ही चला जाय?
हर मनुष्य को ज़िंदगी एक ही मिली है। दूसरी ज़िंदगी की सदिच्छा या इस ज़िंदगी से शिकवा का कोई मतलब नहीं है। एक आदमी के पास एक ज़िंदगी होना दुख की बात नहीं है। कतई नहीं। इसका मतलब यह भी नहीं निकाला जाना चाहिए कि “ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा” की तर्ज़ पर सब करम यहीं कर डालो। यह बात सबसे ज्यादा उनके समझने की है जो कुछ रचते हैं।
बाकी के समझने के लिए केवल एक बात है कि आपके आसपास जो रच रहा है, कलाकार है, बौद्धिक है, उसे बेमतलब झाड़ पर न चढ़ाएं। सामान्य मनुष्य होने का अहसास उसे भी होने दें। दूसरों की अपेक्षा को तोड़ना तो फिर भी सुख दे सकता है, अपनी अपेक्षाओं के प्रति अपर्याप्तता का बोध आत्मघाती है। इस दौर में संवेदनशील और रचनात्मक लोगों के आसानी से निकल लेने को ऐसे भी देखा जाना चाहिए।
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aekirana-blog · 5 years ago
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डिजिटल हो ना : भारतीय रिटेल बाजार के लिए एकमात्र विकल्प
एक लंबे समय के लिए, रोलेक्स से रोल्स रॉयस और लुइस वुइटन से लेम्बोर्गिनी तक के लक्जरी ब्रांड 'इंटरनेट ' से दुरी बनाये रखे है। पर अब यह क्षेत्र डिजिटलीकरण को गले लगाने वाला अंतिम क्षेत्र है। लेकिन, कोविद -19 के प्रकोप के साथ, इस उद्योग के नियम निश्चित रूप से बदलने के लिए बाध्य हैं।
कोविद -19 वैश्विक स्तर पर लक्जरी बिक्री के लिए एक गंभीर झटका है और भारत इसके लिए कोई अपवाद नहीं है। लक्जरी बाजार, हालांकि भारत में तेजी से बढ़ रहा है, पर अभी भी एक बहुत ही नवजात अवस्था में है। और इस प्रकार, इस महामारी जैसी अप्रत्याक्षित घटनाएं लक्जरी ब्रांडों को सभी मोर्चों में कदम उठाते हुए उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर कर रही है। एक ऐसा कदम जिसे ब्रांड ने पिछले कुछ वर्षों में अपेक्षाकृत नजरअंदाज किया है, वह है ऑनलाइन रिटेल।
हम सभी जानते हैं कि डिजिटल क्षेत्र में ऑफ़लाइन खरीदारी अनुभव को दोहराने के लिए लक्जरी सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में से एक है। लक्जरी ब्रांडों के लिए अद्वितीय, जादुई और अद्वितीय खरीदारी का अनुभव ऑनलाइन बनाने का कार्य एक लंबा, चुनौतीपूर्ण मार्ग है। ��ारत में लक्जरी ब्रांडों को इन परेशान समयों के दौरान दुरी बनायें रहने के लिए नेविगेट करना होगा।
हमने इस घटना को हाल ही में चीन में देखा है जहां हेमीज़ ने अपने प्रमुख स्टोर पोस्ट कोविद -19 लॉकडाउन को फिर से खोलने के दौरान $ 2.7 मिलियन की रिकॉर्ड एक दिन की बिक्री हासिल की।
तो, क्या यह घटना भारत में भी हो सकती है-बिल्कुल हां! इस होड़ को चलाने वाले लक्ज़री दुकानदारों की संख्या सीमित हो सकती है, लेकिन जो खरीदेंगे वे संभवतः ओवरस्पीड करेंगे क्योंकि उन्हें इतने हफ्तों के बाद पहली बार फुर्सत मिलेगी। इसके अलावा, सहस्राब्दी की आबादी भौतिक दुकानों पर जाने के बजाय डिजिटल खरीदारी करने के लिए अधिक इच्छुक होगी। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर वायरस आने का भय के कारक लक्जरी खरीदारों को पहले से कहीं अधिक ऑनलाइन लक्जरी खरीदारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर करेगा।
हालाँकि, आसानी से कहा जाता है, भारत में रिटेल ब्रांडों के लिए डिजिटल की दिशा में रणनीतिक सोच और सामरिक योजनाओं की बहुत आवश्यकता है। ऑफ़लाइन स्टोर्स में अद्वितीय, वैयक्तिकृत लक्ज़री खरीदने के अनुभव की प्रतिकृति बनाने के कार्य को विश्व स्तरीय डिजिटल तकनीकों में निवेश की आवश्यकता होगी। उपभोक्ताओं को लाड़ प्यार और अच्छी तरह से उनके खरीदी अनुभव के लिए मानवतावादी तत्व को डिजिटल उपकरणों के साथ चतुराई से जोड़ा जाना चाहिए।
हाल के शोध के अनुसार, 30% वैश्विक औसत की तुलना में 57% भारतीय उपभोक्ता सोशल मीडिया के माध्यम से खरीदारी करते हैं। इसलिए, रिटेल ब्रांडों को सोशल मीडिया का उपयोग अपने सर्वोत्तम उपयोग के लिए करना चाहिए और अपनी डिजिटल रणनीतियों में सामाजिक वाणिज्य को एकीकृत करने के लिए सभी रणनीति को तयार करना चाहिए।
ब्रांडों को भी बहुत ही चयनात्मक होने और डिजिटल संचार, ऑनलाइन जनसंपर्क और संबद्ध सामग्री रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी। आज, उपभोक्ता निरंतरता मितव्ययी जीवन शैली पर ध्यान केंद्रित करते हैं और विवेकाधीन व्यय से बचते हैं। इसलिए, कंपनियों को स्पष्ट रूप से अपने ब्रांडों में स्थिरता तत्व और लक्जरी खरीदारों के लिए पीढ़ियों पर दीर्घकालिक मूल्य प्रस्ताव के प्रति अपनी प्रतिबद्धता देने की आवश्यकता है।
हाल ही में McKinsey रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा डिजिटल आधार है। वर्तमान में लगभग 600 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता है, और यह 2023 तक 800 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने का अनुमान है। इंटरनेट के लोकतंत्रीकरण के साथ, ब्रांड चेतना बढ़ रही है और नए युग के उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ानी है। भारतीय रिटेल ब्रांड क�� डिजिटल मार्ग में लेने का समय आ गया है। डिजिटल आगे का रास्ता है, लेकिन डिजिटलीकरण चुनौतियों वाला रास्ता है, फिर भी इस चुनौतीपूर्ण मार्ग को नेविगेट करने के लिए सही कदम उठाएं।
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bhaskarhindinews · 5 years ago
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Coronavirus: लॉकडाउन के बीच ताहिरा कश्यप लेकर आईं ऑनलाइन सीरीज 'The Lockdown Tales'
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ताहिरा कश्यप ने शुक्रवार को नई ऑनलाइन सीरीज 'द लॉकडाउन टेल्स' की शुरूआत की
इस वीडियो सीरीज को ताहिरा के सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया जाएगा
हाल ही में इसकी पहली कहानी पोस्ट की है, जिसका टाइटल रहा '6 फीट दूर'
राइटर और फिल्ममेकर ताहिरा कश्यप ने शुक्रवार को अपने एक नई ऑनलाइन सीरीज की शुरूआत की, जिसका टाइटल 'द लॉकडाउन टेल्स' है। कोरोनावायरस की कड़ी को तोड़ने के लिए देशभर में सरकार द्वारा लगाए गए 21 दिन के लॉकडाउन में लोगों के मूड को कुछ ठीक करना ही इस सीरीज का मकसद है।
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newsaryavart · 5 years ago
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उर्वशी रौतेला को सता रही है बीच की याद, समुद्र किनारे बिकिनी में कुछ यूं पोज देते आईं नजर। लॉकिंग में उर्वशी रौतेला मिसिंग बीच बिकनी ps में शेयर की हॉट फोटो | बॉलीवुड - समाचार हिंदी में
उर्वशी रौतेला को सता रही है बीच की याद, समुद्र किनारे बिकिनी में कुछ यूं पोज देते आईं नजर। लॉकिंग में उर्वशी रौतेला मिसिंग बीच बिकनी ps में शेयर की हॉट फोटो | बॉलीवुड – समाचार हिंदी में
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उर्वशी रौतेला ने शेयर की फोटो उर्वशी रौतेला (उर्वशी रौतेला) ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी एक तस्वीर शेयर की है, जो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रही है।
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hindinewshub · 5 years ago
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Automakers expect rise in demand for personal vehicles due to COVID-19 चित्र स्रोत: AP होंडा कारों को एक संयंत्र में प्रदर्शित किया जाता है। मारुति सुजुकी, होंडा, टोयोटा और ��ाटा मोटर्स जैसे वाहन निर्माता उम्मीद करते हैं कि देश में निजी वाहनों की मांग बढ़ेगी क्योंकि सार्वजनिक परिवहन से दूर COVID-19 वीर लोगों के साथ सामाजिक भेदभाव और भय जुड़ा हुआ है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (MSI) को उम्मीद है कि लॉक-डाउन परिदृश्य में कम कीमत वाली कारों की ओर रुख किया जाएगा।
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