जॉन्डिस के क्लीनिकल फीचर्स - डॉ. अमित अग्रवाल - अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर
जॉन्डिस यानि पीलिया एक ऐसी स्तिथि है जिसमे रोगी की त्वचा और आंखे पीली हो जाती है। लिवर की कुछ बिमारियों की तरह पीलिया को भी गंभीर बीमारी मन जाता है। यह आपके शरीर में बिलीरुबिन नामक पीले पदार्थ के बनाने के कारण होता है। बच्चे अक्सर इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं, हालांकि इसमें कोई खतरे की बात नहीं है। लेकिन अगर बड़े इस बीमारी की चपेट में आ जाएं तो यह चिंता का विषय बन सकता है। इसे ठीक होने में भी लंबा वक्त लग जाता है। समय पर पीलिया का इलाज नहीं कराने पर सेप्सिस हो सकता है और कुछ मामलों में लिवर फेल भी हो सकता है। इसलिए सही समय पर इसका इलाज करवाना आवश्यक है।
जॉन्डिस के क्लीनिकल फीचर्स | Clinical Features of Jaundice
कभी-कभी किसी व्यक्ति में पीलिया के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जॉन्डिस के कुछ क्लीनिकल फीचर्स में से है यह: –
त्वचा पर और आंखों के सफेद भाग में पीलापन
उल्टी और मतली
तेज़ बुखार आना और शरीर में दर्द होना
गहरे रंग का पेशाब
भूख में कमी
हल्के रंग का मल
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पीलिया से पीड़ित व्यक्ति को क्या खाना चाहिए?
पीलिया तब होता है जब किसी व्यक्ति की त्वचा और आंखें बिलीरुबिन के कारण पीली हो जाती हैं।जब किसी को पीलिया होता है, तो उनके पेशाब का रंग गहरा और उन्हें पेट में दर्द, जोड़ों में दर्द, बहुत थकान महसूस हो सकती है और बुखार भी हो सकता है। जब किसी को पीलिया होता है, तो उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थ खाने की ज़रूरत होती है जो उनके पेट को अच्छा महसूस कराएं और उनके शरीर को बेहतर काम करने में मदद करें। उन्हें यह भी सावधान रहने की जरूरत है कि उनके लीवर को बहुत ज्यादा नुकसान न पहुंचे। हमें ये पता होना चाहिए के पीलिया में क्या खाना चाहिए
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piliya ke lakshan aur ilaaj
पीलिया क्या है ?
पीलिया तब होता है जब शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ बहुत अधिक हो जाता है। बिलीरुबिन की अत्यधिक मात्रा होने से लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है ,और इससे लिवर के काम करने की क्षमता कमजोर पड़ जाती हैं। बिलीरुबिन धीरे -धीरे पूरे शरीर में फैल जाता हैं जिससे व्यक्ति को पीलिया रोग हो जाता है।
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005 बहानेबाजी
एक बार की बात है, पीलिया रोग से ग्रस्त एक रोगी एक वैद्य जी के पास गया। वैद्य जी ने उसकी जाँच कर, उस रोगी को एक काँच की शीशी में, लाल रंग की पीने की दवाई डाल कर दे दी। और सात दिन बाद आने को कहा।सात दिन बाद वह रोगी गिरता पड़ता वैद्य जी के पास आया।वैद्य जी- ‘अब तबीयत कैसी है?’रोगी- ‘पहले से भी खराब है।’वैद्य जी- ‘भाई! दवाई खा ली थी क्या?’रोगी- ‘वैद्य जी, खाली कहाँ थी? दवाई की शीशी तो पूरी भरी…
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क्या आपको पता है?
पीलिया, शरीर की एक बीमारी हैं जिसमे खून में बिलिरुबिन (Bilirubin) की मात्रा बढ़ जाती हैं, यह बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकती है।
लक्षण: पेशाब ,त्वचा और आंखों का पीलापन पेट में दर्द | उल्टी | थकान और भूख कमी अधिक जानकारी के लिए 12 साल से अधिक का अनुभव
डॉ. सोनिका पांडेय
Senior Consultant Medicine
MBBS (Gold Medalist), MD Medicine
Ex Senior Resident (Medicine), GMC Bhopal (2014-2017)
Ex-Consultant Medicine Raj Hospital Ranchi Jharkhand (2017-2019)
12 साल से अधिक का अनुभव
मधुमेह | रक्तचाप | हृदय रोग | थायराइड | दमा | गठिया | बुखार | मलेरिया | टाइफाइड | चिंता नींद में खलल | माइग्रेन | उदर रोग | रक्ताल्पता जैसी बीमारियों के लिए आज ही कॉल करे: +919508253716
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पैंक्रियास का कैंसर क्या है? What is pancreatic cancer?
पैंक्रियास कैंसर या अग्नाशयी कैंसर यह दर्शाता है कि आपके पैंक्रियास में कैंसर ऊतक बन गये हैं जो कि लगातार म्यूटेशन भी कर रहे हैं। ऐसे में कैंसर ऊतक एक से अधिक की संख्या में मौजूद होते हैं। पैंक्रियास में बनने वाले सभी ऊतक कैंसर युक्त नहीं होते हैं, हालाँकि वह गंभीर लक्षण पैदा कर सकते हैं।
पैंक्रियास क्या है? What is the pancreas?
अग्न्याशय पेट के पीछे स्थित एक छोटी, हॉकी स्टिक के आकार की ग्रंथि है। अग्न्याशय का मुख्य कार्य भोजन के पाचन में सहायता करना और शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना है। अग्न्याशय रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में शामिल है क्योंकि यह इंसुलिन (insulin) और ग्लूकागन (glucagon) बनाता है, दो हार्मोन जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करते हैं।
अग्नाशयी कैंसर कितने प्रकार के होते हैं? What are the types of pancreatic cancer?
पैंक्रियास में बढ़ने वाले ट्यूमर (कैंसर) दो प्रकार के होते हैं: एक्सोक्राइन (exocrine tumors) या न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (neuroendocrine tumors)। देखा जाए तो सभी पैंक्रियाटिक ट्यूमर (pancreatic tumors) के लगभग 93% एक्सोक्राइन ट्यूमर होते हैं, और सबसे आम प्रकार के अग्नाशय के कैंसर को एडेनोकार्सीनोमा (adenocarcinoma) कहा जाता है। पैंक्रियास एडेनोकार्सिनोमा (Pancreatic adenocarcinoma) वह है जो आमतौर पर लोगों का मतलब होता है जब वे कहते हैं कि उन्हें अग्नाशय का कैंसर है। सबसे आम प्रकार पैंक्रियास के नलिकाओं में शुरू होता है और इसे डक्टल एडेनोकार्सीनोमा (ductal adenocarcinoma) कहा जाता है। शेष पैंक्रियास के ट्यूमर कुल का लगभग 7% न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (एनईटी) (neuroendocrine tumors (NETs) होता हैं, जिन्हें अग्नाशय एनईटी (पीएनईटी) (pancreatic NETs (PNETs) भी कहा जाता है।
पैंक्रियास का कैंसर किसे हो सकता है? Who can get cancer of the pancreas?
देखा जाए तो वर्तमान समय में जहाँ हम सभी भागती-दोड़ती जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, जिसकी वजह से हम अपने शरीर का ख्याल रख पाना काफी मुश्किल होता है ऐसे में कैंसर किसी भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का कैंसर हो सकता है, हालाँकि हर कोई इसके जोखिम में नहीं हैं।
अगर बात करें पैंक्रियास कैंसर कि तो अमेरिकन कैंसर सोसायटी (American Cancer Society) के अनुसार, दुनिया भर में 3 प्रतिशत लोग, खासकर जो खराब लाइफस्टाइल व्यतीत करते हैं उन्हें पैंक्रियास कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है। आपको बता दें कि पैंक्रियास कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होता है।
पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण क्या हैं? What are the symptoms of pancreatic cancer?
अधिकांश लोगों को पैंक्रियास के कैंसर के शुरूआती लक्षणों का अनुभव नहीं होता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वैसे-वैसे रोगी में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :-
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द जो पीठ तक फैल सकता है।
त्वचा का पीला पड़ना और आंखों का सफेद होना (पीलिया)।
थकान।
भूख में कमी।
हल्के रंग का मल।
गहरे रंग का पेशाब।
वजन घटना।
शरीर में खून के थक्के जमना।
त्वचा में खुजली।
नई या बिगड़ती मधुमेह।
मतली और उल्टी।
यदि आपको उपरोक्त कुछ लक्षण दिखाई दे रहे है और आपको हाल में ही डायबिटीज या अग्नाशयशोथ यानि पैंक्रियास में सूजन (inflammation of pancreas) की समस्या हुई है तो आपका डॉक्टर आपको जल्द से जल्द कैंसर जांच की सलाह दे सकते हैं।
अग्नाशयी न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर (pancreatic neuroendocrine cancer) के लक्षण पारंपरिक पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षणों से भिन्न हो सकते हैं, जैसे कि पीलिया या वजन कम होना। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ PNET हार्मोन (PNETs hormones) का अधिक उत्पादन करते हैं।
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Liver cirrhosis symptoms in hindi : Liver Cirrhosis की इन संकेतों से करें पहचान
Liver cirrhosis symptoms in hindi : फैटी लीवर एक ऐसी बीमारी है जिसका अगर समय रहते इलाज नहीं किया गया तो यह बहुत खतरनाक रूप ले सकती है. तो आइए जानते हैं कि इसके क्या-क्या लक्षण होते हैं (Liver cirrhosis symptoms in hindi)
Liver cirrhosis symptoms in hindi : जैसा की हम जानते हैं फैटी लीवर एक ऐसी बीमारी है जो लोगों के खराब लाइफस्टाइल और असंतुलित खान पान के कारण होती है.फैटी लीवर दो तरह के होते हैं, पहला है एल्कोहॉलिक फैटी लीवर और दूसरा है नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर. आज हम आपको बताएंगे कि फैटी लीवर होने के क्या लक्षण होते हैं और आप कैसे इसकी पहचान कर सकते हैं.
सिरोसिस के प्रमुख लक्षण (Liver cirrhosis symptoms in hindi)
- बहुत अधिक थकान महसूस होना
- भूख में कमी होना और वजन का घटना
- पैरों या टखनों में सूजन होना (एडिमा)
- मतली आना और त्वचा में खुजली
- त्वचा में और आंखों में पीलापन होना (पीलिया)
- आपके पेट में द्रव जमा का होना
- आपकी त्वचा पर मकड़ी जैसी रक्त वाहिकाएं
- आपके हाथों की हथेलियों में लाली होना
ये होता है फैटी लीवर
जब हमारे लीवर में बहुत ज्यादा फैट जमा हो जाता है तो इसे हम फैटी लीवर कहते हैं. लिवर पित्त रस को बनाता है जो लीवर से टॉक्सिन्स को दूर करने में हमारी सहायता करता है. इसके अतिरिक्त ये रस बॉडी के लिए प्रोटीन बानाने में भी मदद करता है. इतना ही नहीं ये आयरन और जरूरी न्यूट्रियंट्स को एनर्जी में कन्वर्ट करने का काम करता है. लीवर में फैट की अधिक मात्रा बढ़ जाने पर ये हमारे कामकाज में दिक्कत पैदा करने लगता है.
जानिए क्या होता है एल्कोहॉलिक और नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर
जैसा की हमने बताया फैटी लीवर दो तरह के होते हैं जिनमें से एल्कोहॉलिक फैटी लीवर अत्यधिक शराब पीने की वजह से होता है. जो लोग शराब नहीं पीते और फिर भी उनके लीवर में फैट जमा हो जाता है तो हम उसे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर कहते हैं. इन दोनों ही कंडीशन में लिवर सिरोसिस (Liver cirrhosis symptoms in hindi) का सामना करना पड़ता है.
लीवर सिरोसिस के प्रमुख लक्षण
लीवर सिरोसिस एक बेहद ही गंभीर बीमारी होती है. इसमें लीवर के सेल्स डैमेज हो जाते हैं और इसकी वजह से लीवर सही से अपना काम नहीं कर पाता है. जब ये समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो हम उसे एडवांस सिरोसिस कहते हैं. लीवर सिरोसिस होने पर व्यक्ति को थकान, कम भूख लगना, उल्टी, पैरों में सूजन, वजन कम होना, त्वचा में खुजली लगना आदि लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं.
इस तरह कम कर सकते हैं फैटी लीवर का खतरा
फैटी लीवर के खतरे को कम करने के लिए आप अपनी डाइट में हेल्दी चीजों को लें ,जैसे कि फ्रूट्स, सब्जियां, साबुत अनाज आदि को आप अपने डाइट में शामिल करें. आपका वजन अगर बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है तो एक्सरसाइज करके अपना वजन घटाएं. इससे भी सिरोसिस (Liver cirrhosis symptoms in hindi) के खतरे को कम करने में सहायता मिलेगी.
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सिद्धार्थनगर के डॉक्टर भास्कर शर्मा ने होम्यौपैथिक चिकित्सा पर कही बड़ीबात
सिद्धार्थनगर। होम्योपैथी के सिरमौर सिद्धार्थनगर के डॉक्टर भास्कर शर्मा ने मंगलवार को एक भेंटवार्ता में होम्यौपैथी चिकित्सा पद्धति, बीमारियों का इलाज, परहेज तथा अपनी योग्यता के विषय में विस्तार से बताया। प्रस्तुत है उनसे खास बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अशं।
प्रश्न- चिकित्सा के क्षेत्र में आपके पास कौन-कौन सी डिग्री है?
उत्तर- मेरे पास होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की विश्व की सबसे बड़ी डिग्री है। बीएचएमएस, एमडी (होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका) पीएचडी (होम्योपैथिक)।
प्रश्न- आपने होम्योपैथिक चिकित्सा में अपना रजिस्ट्रेशन किन- किन जगहों पर कराया है और रजिस्ट्रेशन नंबर कितना है?
उत्तर- मेरा रजिस्ट्रेशन होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड उत्तर प्रदेश में जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर एच 028454 तथा केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद नई दिल्ली भारत सरकार में 2539 है।
प्रश्न- अभी तक आपने कितने पुस्तकों का लेखन किया है तथा समाज में इसका क्या प्रभाव रहा है?
उत्तर- मैंने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की 156 पुस्तकों का लेखन किया है। हमारी प्रकाशित पुस्तकों के द्वारा समाज में जागरूकता उत्पन्न हुई है। लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए और समय रहते अपने इलाज के लिए तत्पर हुए हैं।
प्रश्न- आप अब तक कितने निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन कर चुके हैं?
उत्तर- मैं सौ से अधिक ��िशुल्क चिकित्सा शिविर का लगा चुका हूं। विभिन्न स्थानों पर निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाने से वहां के स्थानीय लोगों को जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं उन्हें तत्काल सुविधा मिली।
प्रश्न- क्या आपका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है किसके लिए दर्ज है?
उत्तर- मेरा नाम होम्योपैथिक चिकित्सा क्षेत्र में लार्जेस्ट होम्योपैथी लेशन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। विश्व का एकमात्र चिकित्सक हूं जो मेरा नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में होम्योपैथी के क्षेत्र में दर्ज है। इससे विश्व के तमाम देशों में स्वास्थ्य के प्रति कार्य करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। जिसमें श्रीलंका, जापान, कंबोडिया इत्यादि देशों में एक सकारात्मक संदेश गया।
प्रश्न- क्या आपको गूगल ने भी रिसर्च स्कॉलर का प्रमाण पत्र दिया है?
उत्तर- जी हां राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय रिसर्च पेपर देने से गठिया रोग, अस्थमा, मधुमेह, एनीमिया, गैस्ट्राइटिस, पीलिया, स्किन डीजीज आदि इत्यादि बीमारियों के बारे में सूक्ष्म से सूक्ष्म बातें और उनका उपचार करने की संपूर्ण जानकारी मिलती है।
प्रश्न- आपने होम्योपैथिक चिकित्सा की कौन-कौन सी पुस्तकों का लेखन किया है। कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों का नाम बताएं ?
उत्तर- होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका भाग 1 भाग 2 भाग 3 होम्योपैथिक थैरेपीयूटिक्स, कैंसर एंड होम्योपैथी, होम्योपीडिया मैटेरिया मेडिका।
प्रश्न- होम्योपैथी क्या है?
उत्तर- होम्योपैथी शब्द का अर्थ है ’समान पीड़ा’। जब एक स्वस्थ व्यक्ति को औषधीय रूप से प्रेरित पदार्थों की उच्च खुराक दी जाती है, तो वे कुछ लक्षण विकसित कर सकते हैं।
होम्योपैथिक दवा या होम्योपैथी इस आधार पर काम करती है कि जब एक ही पदार्थ को पतला किया जाता है, तो वे विभिन्न कारणों से उत्पन्न होने वाले समान लक्षणों के उपचार में मदद करते हैं।
होम्योपैथिक दवाएं रोगाणुओं पर हमला करने के लिए नहीं जानी जाती हैं, बल्कि रोग के कारण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती हैं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के अलावा, होम्योपैथिक दवाएं रोगी के मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और शारीरिक कल्याण को बढ़ावा दे सकती हैं, जो उपचार का एक अनिवार्य हिस्सा है।
प्रश्न- क्या होम्योपैथिक दवाओं का साइड इफेक्ट होता है?
उत्तर- होम्योपैथी एक पूरी तरह सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है। एलोपैथी के तरह इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। अंग्रेजी मेडिसिन में आप जिस भी बीमारी के इलाज के लिए जिस भी दवा का सेवन करते हैं, उसका कोई न कोई साइड इफेक्ट जरूर होता है।
ट्यूबरकुलोसिस की दवा टीबी का इलाज तो करती है, लेकिन साथ ही लिवर पर भी नकारात्मक असर डालती है। माइग्रेन के लिए ली जा रही दवा का साइड इफेक्ट ये है कि ये रक्त को पतला करती है।
किसी भी तरह के दर्द के लिए हम जो पेनकिलर लेते हैं, वो पेनकिलर शरीर की इम्युनिटी को कमजोर कर रहा होता है। लेकिन होम्योपैथी के साथ ऐसा नहीं है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. यह दवा सिर्फ उस बीमारी और कष्ट का ही निवारण करती है, जिसके लिए वह दी जा रही है।
प्रश्न-क्या होम्योपैथी द्वारा सभी रोगों का इलाज किया जा सकता है?
उत्तर- चिकित्सा की किसी भी अन्य प्रणाली की तरह, होम्योपैथी की भी अपनी सीमाएँ हैं। होम्योपैथी द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज किया जा सकता है।
सिर्फ ऐसे मामलों के सिवाए जिसमें शल्य-चिकित्सा की आवश्यकता है। इसके अलावा, कुछ तथा-कथित शल्य-चिकित्सीय रोग जैसे कि बढ़े हुए टॉन्सिल, किडनी स्टोन, बवासीर, गर्भाशय के ट्यूमर इत्यादि का भी होम्योपैथी द्वारा इलाज किया जा सकता है।
प्रश्न- होम्योपैथी गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है?
उत्तर- होम्योपैथिक दवाएं अपनी प्रकृति में चूंकि आक्रामक नहीं होतीं, इसलिए यह गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, शिशुओं और बुजुर्गों के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित हैं। कमजोर शरीर पर इनका कोई नकारात्मक असर नहीं होता।
प्रश्न- होम्योपैथिक दवा कितने दिन में काम करता है?
उत्तर- होम्योपैथिक दवाओं के असर करने का समय कई कारकों पर निर्भर करता है। अगर रोग की हाल ही में उत्पत्ति हुई है तो इलाज कम समय में ही पूरा किया जा सकता है। ऐसे में, अगर दवा का चयन, प्रभावशीलता एवं पुनरावृत्ति का समय सही हो तो होम्योपैथिक दवाएं जल्द असर करती हैं।
प्रश्न- क्या यह सच है कि होम्योपैथिक इलाज के दौरान चाय, प्याज, लहसुन आदि का सेवन करना मना होता है?
उत्तर- नहीं यह सच नहीं है, होम्योपैथिक इलाज के दौरान प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी, पान इत्यादि का सेवन करना मना नहीं होता है।
प्रश्न- क्या मधुमेह के रोगी ऐसी होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं जिसमें चीनी होती है?
उत्तर- हाँ, मधुमेह के रोगी चीनी युक्त होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इन दवाओं में चीनी की मात्रा बहुत कम होती है। जरूरत अनुसार, यह दवाइयां आसुत जल के साथ भी ली जा सकती है।
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Home Remedies For Jaundice By Dr. Siddharth Gupta
Home Remedies For Jaundice By Dr. Siddharth Gupta
परिचय:
क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो अचानक पीला दिखने लगा? उनकी पीली/पीली आंखें या नाखून होने की संभावना है। पीलिया सबसे संभावित कारण हो सकता है।
पीलिया आम लीवर विकारों में से एक है। इसमें अतिरिक्त बिलीरुबिन का संचार शरीर में होता है। बिलीरुबिन एक पीला-नारंगी पित्त वर्णक है जो तब बनता है जब हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं से टूट जाता है। पीलिया श्लेष्मा झिल्ली, त्वचा, नाखून और आंखों के…
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जानिये फैटी लिवर के बारे में सब कुछ
फैटी लिवर रोग क्या है?
लिवर में अतिरिक्त चिकनाई का बनना फैटी लिवर की बीमारी है।
फैटी लिवर की बीमारी शराब के अत्यधिक सेवन से हो सकती है और यदि व्यक्ति अतिरिक्त शराब पीना जारी रखे तो उससे लिवर को गंभीर क्षति हो सकती है. पिछले 30 वर्षों में, डॉक्टरों को यह लगने लगा है/अहसास हुआ है कि बड़ी संख्या में ऐसे रोगी हैं जो बहुत कम शराब पीते हैं या शराब नहीं पीते हैं, लेकिन फिर भी उनके लिवर में अतिरिक्त चर्बी है. इस विकार को नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के फैटी लिवर से लिवर में सूजन (सूजन), लिवर स्कारिंग (सिरोसिस), लिवर कैंसर, लिवर की विफलता और मृत्यु भी हो सकती है। फैटी लिवर एक बेहद सामान्य लिवर की बीमारी है और इससे 5-20 प्रतिशत तक भारतीयों के प्रभावित होने का अनुमान है।
कौन NAFLD से ग्रसित हो सकते है ?
NAFLD पुरुषों, महिलाओं और सभी उम्र के बच्चों को प्रभावित कर सकता है, मगर अधिक वजन वाले लोगों का इससे ग्रसित होना आम है. चिकनाई से भरपूर आहार, कैलोरी और फ्रुक्टोज भी फैटी लिवर रोग का कारण हो सकते हैं. भारत के शहरों में मोटापा एक खतरनाक दर से बढ़ रहा है। वर्तमान में अधिक से अधिक लोगों में मधुमेह का निदान किया जा रहा है। चूंकि मोटापा और मधुमेह फैटी लिवर के लिए प्रमुख खतरा हैं, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 10-20 वर्षों में इन रोगियों के मौत का एक प्रमुख कारण भीषण प्रकार का फैटी लिवर रोग बनने वाला है।
फैटी लिवर रोग के कितने चरण हैं?
फैटी लिवर आमतौर पर निम्नलिखित चरणों के माध्यम से आगे बढ़ता है:
साधारण फैटी लिवर
सूजन के साथ फैटी लिवर (NASH या नॉन-अल्कोहिलक स्टेटोहेपेटाइटिस के रूप में जाना जाता है)
फैटी लिवर जिसमे लिवर की स्कार्रिंग हो या लिवर सख्त हो जाये (जिसे लिवर सिरोसिस भी कहा जाता है)
यह अनुमान है कि साधारण फैटी लिवर 5-20 प्रतिशत भारतीयों को प्रभावित कर सकता है। अच्छी खबर यह है कि अधिकांश साधारण फैटी लिवर से ग्रसित लोगों को गंभीर लिवर क्षति नहीं होती । फिर भी, कुछ व्यक्तियों, विशेष रूप से कई खतरों वाले कारकों, लिवर सिरोसिस की ओर अग्रसर होंगे। एक बार जब लिवर सिरोसिस विकसित हो जाता है, तो लिवर की विफलता, लिवर कैंसर और मृत्यु का प्रमुख खतरा होता है।
फैटी लिवर के क्या लक्षण हैं ?
फैटी लिवर वाले अधिकांश व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, हालांकि कुछ को लिवर के बढ़ने के कारण पेट के दाहिनी ओर दर्द का अनुभव हो सकता है। अन्य लक्षण सामान्य थकान, मतली और भूख न लगना है। एक बार सिरोसिस विकसित हो जाता है, और लिवर की विफलता की शुरुआत हो जाए, तब आँखों का पीलापन (पीलिया), पेट में पानी भरना (एडिमा), खून की उल्टी, मानसिक भ्रम और पीलिया हो सकता है।
फैटी लिवर रोग का निदान कैसे किया जाता है?
फैटी लिवर आमतौर पर रुटीन चेकअप के दौरान पाया जाता है, जब डॉक्टर को बढ़े हुए लिवर का पता चलता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन लिवर में फैट दिखा सकती है , जब लिवर का रक्त परीक्षण सामान्य ��हीं हो। कुछ नए परीक्षण "फाइब्रोस्कैन" और "फाइब्रोटेस्ट" के रूप में जाने जाते हैं जो अधिक विश्वसनीय हैं। फैटी लिवर के लिए खतरे के कारकों को पहचानना और अपने चिकित्सक के साथ वार्षिक जांच करना महत्वपूर्ण है ताकि रोग का जल्द पता चल सके।
फैटी लिवर रोग खतरनाक क्यों है?
फैटी लिवर एक मूक रोग ’है। हो सकता है की यह तब तक कोई लक्षण न दिखाए जब तक कि स्थिति लिवर सिरोसिस और लिवर की विफलता की ओर नहीं बढ़ जाती है। प्रारंभिक चरण में इस बीमारी का पता लगाना महत्वपूर्ण है जब इसकी प्रगति को रोका जा सकता है या धीमा किया जा सकता है।
फैटी लिवर का इलाज कैसे किया जाता है?
वर्तमान में, फैटी लिवर के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। प्रारंभिक फैटी लिवर आमतौर पर आहार परिवर्तन, वजन घटाने, व्यायाम और मधुमेह जैसे खतरे के कारकों के नियंत्रण से आसानी से उलट जाता है। जैसे-जैसे लिवर की क्षति अधिक गंभीर होती जाती है, सिरोसिस और लिवर की विफलता विकसित हो सकती है और इस स्तर पर केवल लिवर प्रत्यारोपण से रोगी के जीवन को बचाया जा सकता है। कुछ रोगी जो मोटे हैं और जिन्हे फैटी लिवर भी है, वे वजन घटाने की (बेरिएट्रिक) सर्जरी से लाभान्वित हो सकते हैं।
फैटी लिवर के रोग को कैसे पलटें और रोकें?
अपनावजन मैनेज करें। वजन कम करें, यदि आप अधिक वजन वाले हैं (तेजी से वजन कम करने से बचें)। डाइट कार्यक्रमों से दूर रहें जो भूखे रहने की सलाह देते हैं।
प्रतिदिनकम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
आहारमें चिकनाई की मात्रा कम करें।
कार्बोहाइड्रेटयुक्त आहार (सफेद चावल, आलू, सफेद ब्रेड) को ना कहें। ये हमारी आंतों से जल्दी से अवशोषित हो जाते हैं/सोख लिए जाते हैं और लिवर फैट में परिवर्तित हो जाते हैं। खाद्य पदार्थ जो धीरे-धीरे अवशोषित हो जाते हैं, जैसे कि अनाज, दालें, नट्स, सेब और संतरे सहित असंसाधित फल फायदेमंद होते हैं।
फ्रुक्टोजसे भरपूर कई जूस और कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें। इसके अलावा, बहुत ज़्यादा फल खाने से सावधान रहें।
एंटीऑक्सिडेंटजैसे सिलीमारिन, विटामिन सी और ई के कुछ लाभ हो सकते हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
एंटीऑक्सिडेंटजैसे सिलीमारिन, विटामिन सी और ई के कुछ लाभ हो सकते हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
वार्षिकस्वास्थ्य जांच करें। हर साल अपने लिवर एंजाइम, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच करें।
अगरआपको उच्च रक्तचाप और मधुमेह है, तो इसका प्रभावी उपचार करें।
अगरआप मध्यम या काम मात्रा में शराब पीने वाले हैं, तब भी शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करने की सलाह दी जाती है।
लिवर ट्रांसप्लांट हेल्पलाइन +91-7705002277
निष्कर्ष
फैटी लिवर महामारी का खतरा मूक है लेकिन आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए वास्तविक है। मोटापे, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसे फैटी लिवर रोगों का खतरा भारत के शहरों में खतरनाक दर से बढ़ रहा हैं। हालाँकि शायद ही कभी इस बारे में बात की जाती है कि लिवर 500 से अधिक कार्य करता है और यह दिल से भी बड़ा काम करता है। इसलिए, लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखना सभी के लिए प्राथमिक चिंता का विषय होना चाहिए। ऐसा न करना मृत्युदंड जैसा है। फैटी लिवर का जल्द से जल्द इलाज कराने में सक्रिय रहें और इलाज शुरू करने के लिए इसके खराब होने का इंतजार न करें, चूँकि तब तक बहुत देर हो सकती है|
Originally Published at - https://lucknow.apollohospitals.com/
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पीलिया होने का मुख्य कारण क्या है?
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मिठास से भरा गन्ना अगर फल नहीं है तो क्या है? जानें इससे जुड़ी रोचक बातें
मिठास से भरा गन्ना अगर फल नहीं है तो क्या है? जानें इससे जुड़ी रोचक बातें
अगर हम कहें कि गन्ने की मिठास ऐतिहासिक नहीं बल्कि पौराणिक है, तो यह हवाई बात नहीं मानी जाएगी. जिस तरह मिठास का स्वाद हजारों साल पुराना है, वैसे ही गन्ने की मिठास भी सालों से अपनी ताजगी बिखेर रही है. गन्ने का रस गुणों से भरपूर है और पीलिया जैसी गंभीर बीमारी में इसका रस बेहद फायदेमंद है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करता है. आपको बता दें कि गन्ना फल की श्रेणी में नहीं आता है. तो फिर क्या है…
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एक स्त्री को पीलिया हो गया। वैद्य जी ने पंद्रह दिन तक पूरा आराम करने को कहा। वह स्त्री यह सुन कर सोच में पड़ गई। घर का बाकी काम तो जैसे तैसे हो जाता, पर उसकी चिंता का मूल कारण यह था कि उसे अपने बगीचे से बहुत प्यार था। जून का गर्म महीना था, "पंद्रह दिन कौन मेरे बगीचे में पानी देगा?" यह सोच उसे परेशान कर रही थी। उसके बारह साल के बेटे ने कहा- माँ! तूं चिंता ना कर। बगीचा मैं संभाल लूंगा। पंद्रह दिन तक उस बेटे ने सुबह दोपहर शाम बगीचे में बिता दिए। माँ जब भी आवाज लगाती कि बेटे तूं कहाँ है? बाहर से बेटे की आवाज आती- बगीचे में हूँ माँ! आखिर पंद्रह दिन बीते। तब तक उसका पीलिया भी ठीक हो गया था। इतने दिनों बाद आज वह अपने बगीचे में आई। बगीचा देखते ही उसकी चीख निकल गई। ��ूरा बगीचा सूख चुका था। उसने अपने बेटे से पूछा- आखिर तूने इतने दिन इस बगीचे में किया क्या? बेटा रोने लगा, बोला- माँ! मालूम नहीं ऐसा कैसे हुआ? मैंने तो हर एक टहनी को पानी दिया, हर पत्ते पर पानी छिड़का। फिर भी एक एक दिन बीतता गया और बगीचा सूखता गया। माँ ने पूछा- मूर्ख! तूने इन पौधों की जड़ों को पानी दिया या नहीं? बेटा बोला- जड़? वो क्या चीज होती है? कहाँ होती है? मैंने तो कभी नहीं देखी। मुझे तो इस बारे में कुछ भी नहीं मालूम। लोकेशानन्द कहता है कि हमें उस बच्चे की नादानी पर हैरान नहीं होना चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि वह बच्चा मूर्ख था, जो इतना भी नहीं जानता था कि जड़ क्या होती है? और पानी पत्तों को नहीं, जड़ को दिया जाता है। हम भी उतने ही मूर्ख हैं। बल्कि हम तो महामूर्ख हैं। कारण कि वह तो बच्चा था। हम तो पचपन में हैं, तब भी बचपन में ही हैं। जगत वृक्ष है, परमात्मा इस वृक्ष की जड़ है। हम भी जगत ही संभालते हैं, परमात्मा नहीं संभालते। हमें भी इतनी तक जानकारी नहीं है की जगत रूपी वृक्ष, परमात्मा रूपी जड़ को सींचने से ही लहलहाता है। तब हमारे भी जीवन का बगीचा सूख जाए तो इसमें हैरानी की कौन सी बात है? https://www.instagram.com/p/CeH9N3thXeQ/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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सामान्य शरीर में कैंसर कोशिकाएं सक्रिय होने का क्या कारण है? - टाइम्स ऑफ इंडिया
सामान्य शरीर में कैंसर कोशिकाएं सक्रिय होने का क्या कारण है? – टाइम्स ऑफ इंडिया
क्या आपने कभी सोचा है कि आजकल हमारे आस-पास इतने सारे लोग कैंसर से पीड़ित क्यों हो रहे हैं? बड़े होकर, हमने मलेरिया, पीलिया, दिल के दौरे जैसी चिंताजनक बीमारियों के बारे में सुना था, लेकिन कैंसर को एक ऐसी बीमारी माना जाता था जो कुछ लोगों को होती है। तो क्या कैंसर के मामले अचानक बढ़ गए हैं या बेहतर निदान उपलब्ध हैं? वैसे, सत्यापित डेटा है जो बताता है कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में कैंसर से होने…
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