Pitru Paksha (पितृपक्ष) , पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए? , पितृ पक्ष में जल कैसे दिया जाता है?
Pitru Paksha : Tue, 17 Sept, 2024 – Wed, 2 Oct, 2024
पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए?
पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्धकर्म किए जाते हैं. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. पितृपक्ष में शुभ कार्य वर्जित हैं. यदि आपका भी कोई शुभ कार्य बाकी रह गया है तो पितृपक्ष से पहले पूरा कर लें
पितृ दोष क्यों होता है?
‘पितृ दोष’ शब्द का अर्थ पूर्वजों के नकारात्मक कर्म ऋण…
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कुंडली में पितृ दोष: पितृ दोष पूर्वजों से कोई श्राप होने की स्तिथि नहीं होती है बल्कि पितृ दोष आमतौर पर पूर्वजों का कर्म ऋण होता है।
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पितृ दोष निवारण पूजा, तिथि मुहूर्त, मंत्र, सामग्री, मंदिर और उपाय
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पितृ दोष निवारण विधि, सामग्री, मंत्र, तिथि मुहूर्त, मंदिर और उपाय
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कुंडली में पितृ दोष क्या होता है? इसका निर्वाण कैसे किया जाता है?
कुंडली में "पितृ दोष" एक ज्योतिषीय परंपरागत अवधारित गुण है जिसे किसी के जन्मपत्रिका में पितरों से संबंधित समस्याओं की सूचना के रूप में वर्णित किया जाता है। यह दोष व्यक्ति के पूर्वजों या पितृगण से संबंधित हो सकता है और उसके जीवन में कठिनाएँ उत्पन्न कर सकता है।
पितृ दोष के मुख्य कारणों में शामिल हो सकते हैं:
पितृ शाप: यदि किसी ने अपने पूर्वजों के प्रति अनुशासन न किया हो या किसी ने किसी पूर्वज को अनैतिक तरीके से मारा हो, तो ऐसे पितृ शाप का प्रभाव कुंडली में आ सकता है।
श्राद्ध न करना: श्राद्ध एक पितृ पूजा का रूप है जो पितृगण की आत्माओं की शांति के लिए की जाती है। यदि कोई व्यक्ति श्राद्ध नहीं करता है, तो इससे पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है।
पितृ दोष का निर्वाण करने के लिए व्यक्ति कुछ उपाय कर सकता है:
श्राद्ध और पितृ पूजा: व्यक्ति को श्राद्ध और पितृ पूजा करना चाहिए। इससे पितृगण की आत्माओं को शांति मिलती है और दोष कम होता है।
दान और कर्म करना: व्यक्ति को दान और अच्छे कर्मों का पालन करना चाहिए। यह पितृगण को आत्मिक शांति देने में मदद कर सकता है।
ब्रह्मचर्य और ध्यान: व्यक्ति को ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचरी जीवन) का पालन करना और ध्यान में रहना चाहिए। यह भी पितृ दोष को कम करने में सहायक हो सकता है।
यदि किसी को ऐसा लगता है कि उनकी कुंडली में पितृ दोष है और वह इससे प्रभावित हो रहे हैं, तो वह Kundli Chakra 2022 Professional की मदद ले सकते है। जिसकी मदद से तुम्हे। उपाए और सुझाव का पता चल सकता है। और आप अपनी सम्पूर्ण कुंडली के बारे में जानकरी जान सकते है।
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सपने को सांप को देखना शुभ या अशुभ - Sapne Ka Arth
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका "Sapne Ka Arth" ब्लॉग मे।
आज की इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि सपने में सांप देखना, सपने में सांप का काटना, नागपंचमी के दिन सपने में सांप देखना, सपने में सांप देखना शुभ या अशुभ इन सबकी सच्चाई क्या है।
सांप को ज्ञान सत्य और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है इसे अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों में अलग-अलग तरीकों से समझा जाता है। हिंदू धर्म में सांप को अज्ञान और अंधविश्वास का प्रतीक माना जाता है जबकि अन्य धर्मों में सांप को ज्ञान और सत्य का प्रतीक माना जाता है।
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सपने में सांप देखने के शुभ और अशुभ संकेतों के बारे में जाने- Sapne KA Arth
सपने में सांप देखना 12 शुभ संकेत
दोस्तों यदि आपको सपने में सांप मरा हुआ दिखाई देता है तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपके अच्छे दिन आने वाले हैं आप राहु नामक दोष से मुक्ति पाने वाले हैं आपके सारे कष्ट एवं दुख दूर होने वाले हैं।
रात में सपने में चमकीला सांप दिखाई देना इस बात की ओर संकेत करता है कि आपकी किस्मत खुलने वाली है और आपके पूर्वज आप पर मेहरबान होने वाले हैं।
दोस्तों यदि आप सपने में कहीं पर जा रहे हैं और आप को सपने में सांप जाता हुआ दिखाई देता है फिर वह आपको देखकर कहीं पर छुप जाता है तो यह संकेत इस बात की ओर संकेत करता है की आपके पूर्वज आपकी रक्षा कर रहे हैं।
दोस्तों यदि आपको सपने में सांप फन उठाए हुए दिखाई दे तो इसका मतलब है कि आपके घर में धन दौलत की बरसात होने वाली है।
दोस्तों यदि आप सपने में किसी जगह पर खुदाई कर रहे हैं और खुदाई में से सांप निकलता है तो इसका मतलब है कि आपके धन प्राप्ति के योग हैं।
सपने में सफेद सांप को देखने का मतलब है कि आपको ढेर सारे धन की प्राप्ति होने वाली है।
सपने में सांप के काटने का मतलब है की लंबी आयु तक जीवित रहने वाले है।
दोस्तों यदि आप सपने में कहीं पर जा रहे हैं और सांप आपका रास्ता काट लें तो यह संकेत है कि आपकी विजय और आपके शत्रुओं की पराजय होने वाली है।
सपने में सिर पर सांप का बैठा हुआ दिखाई देने मतलब है कि आप जहां कहीं भी जाएंगे आपको हर तरफ से मान सम्मान और इज्जत की प्राप्ति होगी।
दोस्तों यदि आपको सपने में सांप खा जाए मतलब कि निगल जाए तो इसका मतलब है कि आपके व्यापार में उन्नति होने वाली है।
सपने में सांप को बिल में जाते हुए देखना का मतलब है कि आपको अचानक धन की प्राप्ति होगी आप खुद हैरान कर रह जाएंगे।
दोस्तों यदि आपको सपने में कोई सफेद सांप दिखाई देता है तो इसका मतलब है कि आप बहुत भाग्यवान है आपका भविष्य बहुत सुनहरा होने वाला है।
दोस्तों नाग पंचमी के दिन सपने में सांप देखने का मतलब है कि जल्द ही आप उन्नति की सीढ़ियां चढ़ने वाले हैं।
सपने में सांप के बच्चे को मारते हुए देखने का मतलब है कि आपके घर में से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा
सपने में सांप दिखाई देना 10 अशुभ संकेत
दोस्तों यदि आपको सपने में ढेर सारे सांप दिखाई दे रहे हैं तो यह अशुभ है लेकिन इसका तोड़ भी है यदि आप उन सांपों को सपने में मार देते हैं तो आप आने वाले सभी संकट को हरा देंगे और जीत आपकी ही होगी।
दोस्तों यदि आप सपने में कहीं पर जा रहे हैं और सांप आपका पीछा करने लग जाए तो इसका मतलब है कि आप अपने भविष्य के प्रति डरे हुए हैं आपको डर लग रहा है कि मेरा भविष्य कैसा होगा आप अपने भविष्य को लेकर के हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है या आपको किसी राज के खुल जाने का डर है।
दोस्तों यदि आपको सपने में कोई सांप डस ले तो इसका मतलब है कि आपको कोई बड़ी बीमारी होने वाली है आपको अभी से आगाह हो जाना चाहिए और अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए।
दोस्तों यदि आपको सपने में कोई काला सांप दिखाई देता है तो यह सपना आपको किसी आने वाले खतरे की ओर संकेत कर रहा है।
दोस्तों यदि आपको सपने में आपके ऊपर कोई सांप गिरता हुआ दिखाई देता है यह तो इसका मतलब है कि आप गंभीर रूप से बीमार होने वाले हैं आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए अपने घर के आसपास की सफाई अच्छे से करनी चाहिए अच्छा भोजन करना चाहिए।
दोस्तों यदि आपको अपने सपने में कोई सांप बिल में से निकलता हुआ दिखाई दे तो यह संकेत है कि आपको धन हानि हो सकती है।
दोस्तों यदि आपको अपने सपने में बार बार सांप दिखाई देता है तो यह संकेत है कि आपको पितृ दोष है आपके पूर्वज आपसे नाराज हैं आपको अपने घर में पूजा पाठ, हवन कराना चाहिए।
दोस्तों यदि आपको सपने में सांप और नेवले की लड़ाई होती हुई दिखाई देती हैं तो यह इस बात का संकेत है कि आप को कानूनी मामले में पड़ना पड़ सकते हैं।
दोस्तों यदि आपको सपने में सांप आपको दांत दिखाता है तो आपको समझ जाना चाहिए की आपके रिश्तेदार, दोस्त या ऑफिस के कर्मचारियों में से कोई धोखा दे सकता है।
दोस्तों यदि आप सपने में नाग नागिन को साथ में देख लेते हैं तो यह सपना आपको किसी आने वाले संकट की ओर संकेत कर रहा है आप सावधान हो जाइए।
सपने में सांप देखने से संबंधित अक्सर पुछे जाने वाले सवाल
Q.1. सांप के सपने क्यों आते है?
ज्योतिषियों का मत है कि जिन व्यक्तियों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है या राहु केतु का काल चल रहा होता है उन्हें साँप का सपना आता है वहीं अगर हम स्वप्न शास्त्र की माने तो सांप के सपने हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देते हैं।
Q.2. सपने में सांप देखना शुभ है या अशुभ?
सपने में सांप देखना शुभ और अशुभ दोनों ही तरह के संकेत देता है।
Q.3. सपने में काले सांप को देखने से क्या होता है?
सपने में यदि आपको कोई काला सांप दिखाई देता है तो यह किसी आने वाले खतरे की तरफ संकेत कर रहा है।
Q.4. सपने में चमकीला सांप दिखाई देने से क्या होता है?
सपने में चमकीला सांप दिखाई देना इस बात की ओर संकेत करता है कि आपकी किस्मत खुलने वाली है और आपके पूर्वज आप पर मेहरबान होने वाले हैं।
Q.5. सपने में बहुत सारे सांपों को देखने से क्या होता है?
यदि आपको सपने में ढेर सारे सांप दिखाई दे रहे हैं तो यह अशुभ है लेकिन यदि आप उन सांपों को सपने में मार देते हैं तो आप आने वाले सभी संकट को हरा देंगे और जीत आपकी ही होगी।
Q.6. सांप को किसका प्रतीक माना जाता है?
हिंदू धर्म में सांप को अज्ञान और अंधविश्वास का प्रतीक माना जाता है।
Q.7. नागपंचमी के दिन सपने में सांप देखने से क्या होता है?
नाग पंचमी के दिन सपने में सांप देखने का मतलब है कि आप उन्नति की सीढ़ियां चढ़ने वाले हैं।
Q.8. सपने में सांप का जोड़ा देखने का क्या मतलब है?
- सपने में सांप का जोड़ा देखने का मतलब है कि जल्द ही आपको कहीं से अच्छा समाचार सुनने को मिल सकता है अथवा आपके हाथ कोई खजाना लग सकता है।
Q.9. सपने में सांप को भागते हुए देखने का क्या मतलब है?
- सपने में सांप को भागते हुए देखना अच्छा संकेत है इसका मत��ब है कि आपके काम की सराहना की जाएगी।
Q.10. सपने में सांप को मारते हुए देखने का क्या मतलब है?
- सपने में सांप को मारते हुए देखने का मतलब है कि आप अपने शत्रुओं को हरा देंगे।
Q.11. सपने में सांप को पानी में देखने का क्या मतलब है?
- सपने में सांप को पानी में देखने का मतलब है कि भविष्य में आपको सतर्क रहना पड़ेगा लापरवाही ना करें। एक भी लापरवाही आपको नुकसान पहुंचा सकती है।
Q.12. सपने में सांप के अंडे देखने का क्या मतलब है?
- सपने में सांप के अंडे देखने का मतलब है कि आपके जीवन में सुख और वैभव बना रहेगा।
निष्कर्ष
तो दोस्तों आज की इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हमने जाना कि सपने में सांप देखना, सपने में सांप का काटना, नागपंचमी के दिन सपने में सांप देखना, सपने में सांप देखना शुभ या अशुभ है इन सबकी सच्चाई क्या है।
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको अपने सभी सवालों का जवाब मिल गया होगा यदि अभी भी आपके मन में "सपने में सांप देखना" से संबंधित कोई सवाल है तो उसे कमेंट बॉ��्स में कमेंट करके पूछ लीजिएगा।
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कुछ लोग पितृ दोष आदि को समाप्त करने के लिए नकली धर्मगुरुओं द्वारा बताए गए श्राद्ध संबंधित कर्मकांड करते है, जिससे यजमान सुख प्राप्त करने के बजाय इन शास्त्र विरुद्ध मनमुखी क्रियाओं के दुष्चक्र में आगे से आगे उलझता ही जाता है।
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पितृ दोष क्या है और क्या करना चाहिए
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पारस: हिंदू धर्म में शंख का क्यों है इतना महत्व ?
पारस: हिंदू धर्म में शंख का महत्व
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी शंख के महत्व के बारे में बताते हैं कि जिस घर में शंख होता है, वहां हमेशा देवी लक्ष्मी का वास होता है। शंख की पवित्रता और शुद्धता को आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि इसे सभी देवताओं ने स्वयं अपने हाथों में धारण किया है।
सनातन धर्म या हिंदू धर्म में शंख का विशेष महत्व है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हिंदू धर्म में शंख को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है। क्योंकि सनातन परंपरा में जब भी कोई शुभ कार्य, पूजा पाठ, हवन आदि होता है तो शंख अवश्य बजाया जाता है। चलिये आज इस आर्टिकल में हम आपको शंख के महत्व और इसके लाभ के बारे में बताते हैं।
भगवान विष्णु को शंख अत्यंत प्रिय है
मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले 14 कीमती रत्नों से शंख की उत्पत्ति हुई थी। शंख समुद्र मंथन में से निकले 14 रत्नों में से एक है। भगवान विष्णु को शंख अत्यंत प्रिय है इसलिए भगवान श्री नारायण की पूजा में शंखनाद जरूर होता है। उत्तर पूर्व दिशा में शंख रखने से घर में खुशहाली आती है। भगवान विष्णु हमेशा अपने दाहिने हाथ में शंख पकड़े हुए दिखाई देते हैं। शंख हिंदू धर्म और धार्मिक परंपरा का एक अभिन्न अंग है। जब शंख बजाया जाता है तो ऐसा कहा जाता है कि इससे वातावरण की सारी नकारात्मकता दूर होती है और शंख की ध्वनि से वातावरण बुरे प्रभावों से मुक्त हो जाता है।
शंख सुख-समृद्धि और शुभता का कारक
पूजा पाठ या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में शंख का उपयोग किया जाता है। शंख की ध्वनि जीवन में आशा का संचार करके बाधाओं को दूर करती है। पूजा करते समय शंख में रखा जल छिड़क कर स्थान की शुद्धि की जाती है। सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ के पहले और आखिरी में शंखनाद जरूर किया जाता है। पूजा-पाठ के साथ हर मांगलिक कार्यों के दौरान भी शंख बजाया जाता है। शंख को सुख-समृद्धि और शुभता का कारक माना गया है। शंख बजाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
शंख के लाभ
शंख बजाने से हमारी सेहत भी अच्छी बनी रहती है।
हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं और सांस लेने की समस्या दूर होती है।
नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और वातावरण शुद्ध होता है।
वास्तु शास्त्र में शंख का विशेष महत्व है।
शंख को घर में रखने से यश, उन्नति, कीर्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इससे आरोग्य वृद्धि, पुत्र प्राप्ति, पितृ दोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है।
शंखनाद से अद्भुत शौर्य और शक्ति का अनुभव होता है इसलिए योद्धाओं द्रारा इसका प्रयोग किया जाता था।
शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
महत्व
पूजा-पाठ में शंख का विशेष महत्व माना जाता है। शंख का प्रयोग वास्तु दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। इसके साथ ही शंख बजाने का संबंध स्वास्थ्य से भी है। शंख की पूजा के बारे में महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि तीर्थों में जाकर दर्शन करने से जो शुभ फल प्राप्त होता है, वह शंख को घर में रखने और दर्शन करने मात्र से ही पूरा हो जाता है। धार्मिक कार्यों में शंख बजाना बहुत ही अच्छा माना जाता है।
माना जाता है कि देवताओं को शंख की आवाज बहुत पसंद होती है इसलिए शंख की आवाज से प्रसन्न होकर भगवान भक्तों की हर इच्छा को पूरी करते हैं। वास्तु के अनुसार शंख बजाने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में पूजा में न केवल शंख का इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि शंख की भी पूजा की जाती है।
महंत पारस भाई जी ने बताया कि अथर्ववेद में शंख को पापों का नाश करने वाला, लंबी आयु का दाता और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला बताया गया है।
महंत श्री पारस भाई जी बताते हैं कि शंख से घर में पॉजिटिव वाइब्स आती है। शंख से निकलने वाली ध्वनि से बीमारियों के कीटाणु खत्म होते हैं, जिससे आप स्वस्थ रहते हैं।
ध्वनि का प्रतीक माना जाता है शंख
शंख नाद ध्वनि का प्रतीक माना जाता है। शंख की ध्वनि आत्म नाद यानि आत्मा की आवाज की शिक्षा देती है। अध्यात्म में शंख ध्वनि, ओम ध्वनि के समान ही मानी गई है। शंख एकता, व्यवस्था और अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। शंख बजाने से घर की सभी बुराईयां नष्ट होती हैं और घर का वातावरण अच्छा रहता है। शंख जीव को आत्मा से जुड़ने का ज्ञान देता है।
पूजा में क्यों जरूरी माना जाता है शंख?
पूजा घर में दक्षिणावर्ती शंख रखना और बजाना अत्यंत शुभ माना जाता है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनि, पूजा या यज्ञ में शंख का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। शंख बजाने के बाद ही कोई भी पूजा सफल मानी जाती है। शंख बजाने से ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।
सुबह-शाम शंख बजाने से आपका परिवार बुरी नजर से बचा रहता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि सभी समस्याओं और दोषों को दूर करती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां पर माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
शंख का पूजन कैसे करें
घर में नया शंख लाने के बाद उसे सबसे पहले किसी साफ बर्तन में रखकर अच्छी तरह से जल से साफ कर लें। इसके बाद शंख का गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। अब शंख को पोंछकर चंदन, पुष्प, धूप और दीप से पूजन करें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्मरण करें और हाथ जोड़कर निवेदन करें कि वो हमारे घर में आयें और इस शंख में आकर वास करें।
महान ज्योतिष महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हर दिन इसी तरह शंख की सच्चे भाव से पूजा करने के बाद ही इसे बजायें। क्योंकि ऐसा करने पर आपको अवश्य ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
दूर होती हैं कई बीमारियां
कहते हैं रोजाना शंख बजाने से हमारी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। जिस कारण पेट, छाती और गर्दन से जुड़ी बीमारियां दूर होती हैं। साथ ही शंखनाद से श्वास लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। शंख बजाने से सांस की समस्याएं भी खत्म होती हैं। सांस की प्रक्रिया सही तरीके से चलती है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा इससे थायराइड या बोलने संबंधित बीमारियों में राहत मिलती है।
जब हम शंख बजाते हैं तो तब हमारी मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिसकी वजह से झुर्रियों की समस्या भी दूर होती है। शंख में कैल्शियम होता है। यदि आपको त्वचा से संबंधित कोई रोग है तो रात को शंख में पानी भरकर रख दें और फिर सुबह उस पानी से त्वचा पर मालिश करें। ऐसा करने पर त्वचा से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। शंख बजाने से हृदय रोग भी दूर होते हैं।
शंख बजाने से तनाव तो दूर होता ही है, साथ ही मन शांत रहता है। माना जाता है कि यदि आप प्रतिदिन शंख बजाते हैं तो दिल का दौरा पड़ने की संभावना काफी कम हो जाती है।
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पितृ दोष निवारण शांति के उपाय और पूजा त्र्यंबकेश्वर, नासिक
पितृ दोष निवारण शांति : पितृ दोष भारतीय ज्योतिषी के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण दोषों में से एक है। हालांकि, यह आमतौर पर पूर्वजों के अभिशाप के कारण समझा जाता है। लेकिन, यह तथ्य भ्रमित करने वाला है। जैसा कि कहा भी जाता है कि अधूरा ज्ञान समस्या का कारण होता है | इसलिए ‘पितृ दोष’ के बारे में भी विस्तृत जानकारी होनी आवश्यक है।
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भाद्रपद पूर्णिमा 2024: धार्मिक महत्व और पूजा विधि
भाद्रपद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष महत्व रखती हैं।
2024 में भाद्रपद पूर्णिमा की तारीख:
तिथि: 17 सितंबर, 2024
शुभ मुहूर्त: (यहाँ आप विशिष्ट शुभ मुहूर्त का उल्लेख कर सकते हैं, जैसे कि पूजा का समय, स्नान का समय आदि)
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व:
धार्मिक महत्व: इस दिन पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। इसलिए, पितरों का श्राद्ध करना और दान करना विशेष महत्व रखता है।
ज्योतिषीय महत्व: चंद्रमा की किरणें इस दिन विशेष प्रभाव डालती हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आध्यात्मिक महत्व: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि:
स्नान: सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान करना शुभ माना जाता है।
पूजा: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को स्नान कराकर शुद्ध करें। उन्हें फूल, चंदन, अक्षत, रोली और धूप-दीप अर्पित करें।
व्रत: इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है।
दान: गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
कथा: भाद्रपद पूर्णिमा की कथा का पाठ करना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा पर क्या करें:
चंद्र दर्शन: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दें।
मंत्र जाप: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
धार्मिक ग्रंथों ��ा पाठ: भगवद गीता, श्रीमद् भागवत गीता आदि धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
भाद्रपद पूर्णिमा पर क्या न करें:
अशुभ कार्य: इस दिन कोई भी अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
झूठ बोलना: झूठ बोलने से बचना चाहिए।
क्रोध करना: क्रोध करने से बचना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा के लाभ:
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
रोगों से छुटकारा मिलता है।
नारायण सेवा संस्थान के स्वयंसेवक इस दिन जरूरतमंद लोगों की सेवा में जुट जाते हैं। वे भोजन, कपड़े, दवाइयाँ और अन्य आवश्यक चीज़ें वितरित करते हैं। इसके अलावा, वे गरीब बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ���य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए भी कार्य करते हैं।
निष्कर्ष:
भाद्रपद पूर्णिमा एक पवित्र त्योहार है जो धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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*🪷कामिका एकादशी महत्व एवं पूजा विधि और कामिका एकादशी व्रत कथा🪷*
सनातन धर्म में सावन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी मनाई जाती है। इस साल 31 जुलाई बुधवार को कामिका एकादशी है। यह विशेष दिन श्रीहरि विष्णुजी को समर्पित माना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलता है। यह चातुर्मास महीने की पहली एकादशी होती है।
कहा जाता है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने से साधक पर विष्णुजी की कृपा बनी रहती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त : इस दिन सुबह 05 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में कामिका एकादशी मनाई जाएगी।
व्रत के दिन स्नानादि के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े धारण करें।
विष्णुजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद छोटी चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। चौकी पर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। अब मां लक्ष्मी और विष्णुजी के समक्ष दीपक जलाएं। उन्हें फल, फूल, धूप, दीप और नेवैद्य अर्पित करें। विष्णुजी की आरती उतारें और उनके मंत्रों का जाप करें। तत्पश्चात कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। अंत में सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें और पूजा समाप्त करें।
कामिका एकादशी का व्रत हरि विष्णु जी को समर्पित है। कामिका एकादशी का महत्व इसलिए भी अधिक रहता है क्योंकि, यह सावन मास में आती है। कामिका एकादशी सावन मास में आने वाली पहली एकादशी है। इसलिए कामिका एकादशी के दिन पद्म पुराण में बताए गए उपाय अपनाने से व्यक्ति को भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही यह उपाय मोक्ष दिलाने वाले और धन संपत्ति लाभ दिलाने वाले हैं। कामिका एकादशी के यह उपाय मोक्ष दिलाने के साथ ही सुख समृद्धि भी बढ़ाएंगे।
*सावन में कामिका एकादशी पर करें ये 6 उपाय, धन संपत्ति से होंगे मालामाल*
पद्मपुराण के अनुसार, कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा तुलसी की मंजरी से करें ऐसे करने से जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। यमलोक नहीं जाना पड़ता है।
कामिका एकादशी पर पूजा के समय तिल के तेल से या घी का दीपक भगवान विष्णु को दिखाएं। पद्मपुराण के अनुसार, इस उपाय से पितृ लोक में पितृ संतुष्ट होते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
*मोक्ष के लिए करें ये उपाय*
इसके अलावा कामिका एकादशी पर आप गौसेवा करें गौमाताओं को भोजन कराएं एवं श्री कृष्ण की लीलाओं का पाठ करें। इसके अलावा विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें ऐसा करने से आपको मोक्ष मिलती है।
एकादशी के दिन तुलसी पीढ़ा को मिट्टी से लेपें। साथ ही तुलसी माता को दीपक दिखाना चाहिए और तुलसी पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य पाप मुक्त होता है और उन्हें सुखों समृद्धि की प्राप्ति होती है।
*कामिका एकादशी पर धन संपत्ति के लिए करें ये उपाय*
एकादशी के दिन गौमाताओं के निमित्त कुछ न कुछ दान अवश्य करें गौसेवा करने से धन संपत्ति में वृद्धि होती है। यदि किसी के जीवन में आर्थिक दिक्कतें चल रही हैं तो वह भी समाप्त हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त घर मे हल्दी मिलाकर जल का छिड़काव करें और स्वास्तिक बनाएं ऐसे करने से घर मे देवी लक्ष्मी का वास होता है।
*कामिका एकादशी पर आरोग्य प्राप्ति के लिए उपाय*
कामिका एकादशी सावन की पहली एकादशी होती है। भगवान विष्णु के पूजन के साथ ही भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए ऐसे करने से आरोग्य और धन वैभव की प्राप्ति होती है।
*🪷 कामिका एकादशी व्रत कथा 🪷*
एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।
इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं।
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Darsha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान-दान का होता है विशेष महत्व, इन उपायों से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक साल में 12 अमावस्या पड़ती हैं। इनमें से ज्येष्ठ माह की अमावस्या शामिल है। इस साल 06 जून को ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पड़ रही है। इसे दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी किया जाता है।
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