#पावन चरण
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माँ के चरण (maa ke charan ) : सबसे ऊँचा स्थान
उस रब को शुक्रिया करने का, जब भी मेरा मन करता है, मैं अपनी माँ के माथे को चूम लेता हूँ, उस रब के सामने झूकने का, जब भी मेरा मन करता है, मैं अपनी माँ के चरण (maa ke charan ) छू लेता हूँ, * * * * * मैं साफ करता हूँ मंदिर की सीढ़ियों को, मैं तीर्थ धाम भी जाता रहता हूँ, मन की शांति के लिए हर दिन, घर की छत पर चिड़ियों को, दाना-पानी भी डालता रहता हूँ, वो रंग-बिरंगे फूलों को देखकर, जब मन-ही-मन मुस्कराती…
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Satsang Ishwar TV | 09-11-2023 | Episode: 2200 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
#Thursday
#GodMorningThursday
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👉🏽100℅ Truth Spiritual Knowledge According To Our Scriptures
🙏👉🏽Must Listen Carefulluy Every Day The Satsangs One Or Two Times For Fully Success Of Your Life, 🙏👉🏽🙏👉🏽Jagatguru Sant Rampal Ji Maharaj Ji Are Providing Us The More Costly Satya Tatva Gyan Roopi Amrit.
🙏👉🏽Only Sat Bhakti Can Complete Our Pure And Supreme AIMS And Good Motives, Our Vedas Fully Clear Us That Supreme Power Is God Kabir.
#KabirIsGod
#सत_भक्ति_संदेश
#हिंदूसाहेबान_नहीं_समझे गीता, वेद पुराण! 📕📗📙🦜
🙏बंदी छोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🙏
🙏सत साहिब जी🙏
परमात्मा आप जी के पावन चरण कमलों में तुच्छ दासी का अनंत कोटि-कोटि करबद्ध दंडवत प्रणाम जी🙏🙏🥀💖🥀💖🥀💖🥀
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श्री यमुना चालीसा (Yamuna Chalisa)
श्री यमुना चालीसा (Yamuna Chalisa) ॥ दोहा ॥ प्रियसंग क्रीड़ा करत नित, सुखनिधि वेद को सार । दरस परस ते पाप मिटे, श्रीकृष्ण प्राण आधार ॥ यमुना पावन विमल सुजस, भक्तिसकल रस खानि । शेष महेश वदंन करत, महिमा न जाय बखानि ॥ पूजित सुरासुर मुकुन्द प्रिया, सेवहि सकल नर-नार । प्रकटी मुक्ति हेतु जग, सेवहि उतरहि पार ॥ बंदि चरण कर जोरी कहो, सुनियों मातु पुकार । भक्ति चरण चित्त देई के, कीजै भव ते पार ॥ ॥ चौपाई…
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परमेश्वर कबीर जी ने बताया कि मैं अमरपुरी नगरी के राजा भोपाल के महल के मध्य में बनी ड्योडी में पहुँचा। उस समय मैंने अपने शरीर का सोलह सूर्यों जितना प्रकाश बनाया। राजा को पता चला तो उठकर महल में आया। मेरे चरण पकड़कर पूछा कि क्या आप ब्रह्मा, विष्णु, शिव में से एक हो या परब्रह्म हो? मैंने कहा कि मैं इनसेे भी ऊपर के स्थान सतलोक से आया हूँ। राजा को विश्वास नहीं हुआ तो मैं अंतर्ध्यान हो गया। राजा पाँच दिन तक विलाप करता रहा। तब पाँचवें दिन मैं फिर उसी प्रकाशमय शरीर में प्रकट हुआ और राजा-रानी ने ज्ञान समझा, दीक्षा ली तथा अपना कल्याण करवाया।
✰कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस✰
इस पावन शुभ अवसर पर दिनांक *20, 21, 22 जून 2024* पर होने वाले विश्व के सबसे ��ड़े नि:शुल्क खुले भंडारे में आप सभी परिवार सहि�� सतलोक आश्रम सोजत, पाली, राजस्थान में सादर आमंत्रित है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 𝟴𝟴𝟴𝟮𝟵𝟭𝟰𝟵𝟰𝟲, 𝟴𝟴𝟴𝟮𝟵𝟭𝟰𝟵𝟰𝟳
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शिव अमृतवाणी लिरिक्स | Shiv Amritvani Lyrics
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शिव अमृतवाणी लिरिक्स
॥ भाग १ ॥ कल्पतरु पुन्यातामा, प्रेम सुधा शिव नाम हितकारक संजीवनी, शिव चिंतन अविराम पतिक पावन जैसे मधुर, शिव रसन के घोलक भक्ति के हंसा ही चुगे, मोती ये अनमोल जैसे तनिक सुहागा, सोने को चमकाए शिव सुमिरन से आत्मा, अद्भुत निखरी जाये जैसे चन्दन वृक्ष को, डसते नहीं है नाग शिव भक्तो के चोले को, कभी लगे न दागॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! दयानिधि भूतेश्वर, शिव है चतुर सुजान कण कण भीतर है बसे, नील कंठ भगवान चंद्रचूड के त्रिनेत्र, उमा पति विश्वास शरणागत के ये सदा, काटे सकल क्लेश शिव द्वारे प्रपंच का, चल नहीं सकता खेल आग और पानी का, जैसे होता नहीं है मेल भय भंजन नटराज है, डमरू वाले नाथ शिव का वंधन जो करे, शिव है उनके साथ ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! लाखो अश्वमेध हो, सौ गंगा स्नान इनसे उत्तम है कही, शिव चरणों का ध्यान अलख निरंजन नाद से, उपजे आत्मज्ञान भटके को रास्ता मिले, मुश्किल हो आसान अमर गुणों की खान है, चित शुद्धि शिव जाप सत्संगति में बैठ कर, करलो पश्चाताप लिंगेश्वर के मनन से, सिद्ध हो जाते काज नमः शिवाय रटता जा, शिव रखेंगे लाज ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ! शिव चरणों को छूने से, तन मन पावन होये शिव के रूप अनूप की, समता करे न कोई महाबलि महादेव है, महाप्रभु महाकाल असुराणखण्डन ��क्त की, पीड़ा हरे तत्काल सर्व व्यापी शिव भोला, धर्म रूप सुख काज अमर अनंता भगवंता, जग के पालन हार शिव करता संसार के, शिव सृष्टि के मूल रोम रोम शिव रमने दो, शिव न जईओ भूल ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! ॥ भाग २ - ३ ॥ शिव अमृत की पावन धारा, धो देती हर कष्ट हमारा शिव का काज सदा सुखदायी, शिव के बिन है कौन सहायी शिव की निसदिन कीजो भक्ति, देंगे शिव हर भय से मुक्ति माथे धरो शिव नाम की धुली, टूट जायेगी यम कि सूली शिव का साधक दुःख ना माने, शिव को हरपल सम्मुख जाने सौंप दी जिसने शिव को डोर, लूटे ना उसको पांचो चोर शिव सागर में जो जन डूबे, संकट से वो हंस के जूझे शिव है जिनके संगी साथी, उन्हें ना विपदा कभी सताती शिव भक्तन का पकडे हाथ, शिव संतन के सदा ही साथ शिव ने है बृह्माण्ड रचाया, तीनो लोक है शिव कि माया जिन पे शिव की करुणा होती, वो कंकड़ बन जाते मोती शिव संग तान प्रेम की जोड़ो, शिव के चरण कभी ना छोडो शिव में मनवा मन को रंग ले, शिव मस्तक की रेखा बदले शिव हर जन की नस-नस जाने, बुरा भला वो सब पहचाने अजर अमर है शिव अविनाशी, शिव पूजन से कटे चौरासी यहाँ-वहाँ शिव सर्व व्यापक, शिव की दया के बनिये याचक शिव को दीजो सच्ची निष्ठा, होने न देना शिव को रुष्टा शिव है श्रद्धा के ही भूखे, भोग लगे चाहे रूखे-सूखे भावना शिव को बस में करती, प्रीत से ही तो प्रीत है बढ़ती शिव कहते है मन से जागो, प्रेम करो अभिमान त्यागो ॥ दोहा ॥ दुनिया का मोह त्याग के शिव में रहिये लीन । सुख-दुःख हानि-लाभ तो शिव के ही है अधीन ॥ भस्म रमैया पार्वती वल्ल्भ, शिव फलदायक शिव है दुर्लभ महा कौतुकी है शिव शंकर, त्रिशूलधारी शिव अभयंकर शिव की रचना धरती अम्बर, देवो के स्वामी शिव है दिगंबर काल दहन शिव रूण्डन पोषित, होने न देते धर्म को दूषित दुर्गापति शिव गिरिजानाथ, देते है सुखों की प्रभात सृष��टिकर्ता त्रिपुरधारी, शिव की महिमा कही ना जाती दिव्य तेज के रवि है शंकर, पूजे हम सब तभी है शंकर शिव सम और कोई और न दानी, शिव की भक्ति है कल्याणी कहते मुनिवर गुणी स्थानी, शिव की बातें शिव ही जाने भक्तों का है शिव प्रिय हलाहल, नेकी का रस बाटँते हर पल सबके मनोरथ सिद्ध कर देते, सबकी चिंता शिव हर लेते बम ��ोला अवधूत सवरूपा, शिव दर्शन है अति अनुपा अनुकम्पा का शिव है झरना, हरने वाले सबकी तृष्णा भूतो के अधिपति है शंकर, निर्मल मन शुभ मति है शंकर काम के शत्रु विष के नाशक, शिव महायोगी भय विनाशक रूद्र रूप शिव महा तेजस्वी, शिव के जैसा कौन तपस्वी हिमगिरी पर्वत शिव का डेरा, शिव सम्मुख न टिके अंधेरा लाखों सूरज की शिव ज्योति, शस्त्रों में शिव उपमान होती शिव है जग के सृजन हारे, बंधु सखा शिव इष्ट हमारे गौ ब्राह्मण के वे हितकारी, कोई न शिव सा पर उपकारी ॥ दोहा ॥ शिव करुणा के स्रोत है शिव से करियो प्रीत । शिव ही परम पुनीत है शिव साचे मन मीत ॥ शिव सर्पो के भूषणधारी, पाप के भक्षण शिव त्रिपुरारी जटाजूट शिव चंद्रशेखर, विश्व के रक्षक कला कलेश्वर शिव की वंदना करने वाला, धन वैभव पा जाये निराला कष्ट निवारक शिव की पूजा, शिव सा दयालु और ना दूजा पंचमुखी जब रूप दिखावे, दानव दल में भय छा जावे डम-डम डमरू जब भी बोले, चोर निशाचर का मन डोले घोट घाट जब भंग चढ़ावे, क्या है लीला समझ ना आवे शिव है योगी शिव सन्यासी, शिव ही है कैलास के वासी शिव का दास सदा निर्भीक, शिव के धाम बड़े रमणीक शिव भृकुटि से भैरव जन्मे, शिव की मूरत राखो मन में शिव का अर्चन मंगलकारी, मुक्ति साधन भव भयहारी भक्त वत्सल दीन दयाला, ज्ञान सुधा है शिव कृपाला शिव नाम की नौका है न्यारी, जिसने सबकी चिंता टारी जीवन सिंधु सहज जो तरना, शिव का हरपल नाम सुमिरना तारकासुर को मारने वाले, शिव है भक्तो के रखवाले शिव की लीला के गुण गाना, शिव को भूल के ना बिसराना अन्धकासुर से देव बचाये, शिव ने अद्भुत खेल दिखाये शिव चरणो से लिपटे रहिये, मुख से शिव शिव जय शिव कहिये भाष्मासुर को वर दे डाला, शिव है कैसा भोला भाला शिव तीर्थो का दर्शन कीजो, मन चाहे वर शिव से लीजो ॥ दोहा ॥ शिव शंकर के जाप से मिट जाते सब रोग । शिव का अनुग्रह होते ही पीड़ा ना देते शोक ॥ ब्र्हमा विष्णु शिव अनुगामी, शिव है दीन हीन के स्वामी निर्बल के बलरूप है शम्भु, प्यासे को जलरूप है शम्भु रावण शिव का भक्त निराला, शिव को दी दस शीश कि माला गर्व से जब कैलाश उठाया, शिव ने अंगूठे से था दबाया दुःख निवारण नाम है शिव का, रत्न है वो बिन दाम शिव का शिव है सबके भाग्यविधाता, शिव का सुमिरन है फलदाता शिव दधीचि के भगवंता, शिव की तरी अमर अनंता शिव का सेवादार सुदर्शन, सांसे कर दी शिव को अर्पण महादेव शिव औघड़��ानी, बायें अंग में सजे भवानी शिव शक्ति का मेल निराला, शिव का हर एक खेल निराला शम्भर नामी भक्त को तारा, चन्द्रसेन का शोक निवारा पिंगला ने जब शिव को ध्याया, देह छूटी और मोक्ष पाया गोकर्ण की चन चूका अनारी, भव सागर से पार उतारी अनसुइया ने किया आराधन, टूटे चिन्ता के सब बंधन बेल पत्तो से पूजा करे चण्डाली, शिव की अनुकम्पा हुई निराली मार्कण्डेय की भक्ति है शिव, दुर्वासा की शक्ति है शिव राम प्रभु ने शिव आराधा, सेतु की हर टल गई बाधा धनुषबाण था पाया शिव से, बल का सागर तब आया शिव से श्री कृष्ण ने जब था ध्याया, दस पुत्रों का वर था पाया हम सेवक तो स्वामी शिव है, अनहद अन्तर्यामी शिव है ॥ दोहा ॥ दीन दयालु शिव मेरे, शिव के रहियो दास । घट घट की शिव जानते, शिव पर रख विश्वास ॥ परशुराम ने शिव गुण गाया, कीन्हा तप और फरसा पाया निर्गुण भी शिव शिव निराकार, शिव है सृष्टि के आधार शिव ही होते मूर्तिमान, शिव ही करते जग कल्याण शिव में व्यापक दुनिया सारी, शिव की सिद्धि है भयहारी शिव है बाहर शिव ही अन्दर, शिव ही रचना सात समुन्द्र शिव है हर इक मन के भीतर, शिव है हर एक कण कण के भीतर तन में बैठा शिव ही बोले, दिल की धड़कन में शिव डोले हम कठपुतली शिव ही नचाता, नयनों को पर नजर ना आता माटी के रंगदार खिलौने, साँवल सुन्दर और सलोने शिव ही जोड़े शिव ही तोड़े, शिव तो किसी को खुला ना छोड़े आत्मा शिव परमात्मा शिव है, दयाभाव धर्मात्मा शिव है शिव ही दीपक शिव ही बाती, शिव जो नहीं तो सब कुछ माटी सब देवो में ज्येष्ठ शिव है, सकल गुणो में श्रेष्ठ शिव है जब ये ताण्डव करने लगता, बृह्माण्ड सारा डरने लगता तीसरा चक्षु जब जब खोले, त्राहि-त्राहि यह जग बोले शिव को तुम प्रसन्न ही रखना, आस्था लग्न बनाये रखना विष्णु ने की शिव की पूजा, कमल चढाऊँ मन में सूझा एक कमल जो कम था पाया, अपना सुंदर नयन चढ़ाया साक्षात तब शिव थे आये, कमल नयन विष्णु कहलाये इन्द्रधनुष के रंगो में शिव, संतो के सत्संगों में शिव ॥ दोहा ॥ महाकाल के भक्त को, मार ना सकता काल । द्वार खड़े यमराज को, शिव है देते टाल ॥ यज्ञ सूदन महा रौद्र शिव है, आनन्द मूरत नटवर शिव है शिव ही है श्मशान के वासी, शिव काटें मृत्युलोक की फांसी व्याघ्र चरम कमर में सोहे, शिव भक्तों के मन को मोहे नन्दी गण पर करे सवारी, आदिनाथ शिव गंगाधारी काल के भी तो काल है शंकर, विषधारी जगपाल है शंकर महासती के पति है शंकर, दीन सखा शुभ मति है शंकर लाखो शशि के सम ��ुख वाले, भंग धतूरे के मतवाले काल भैरव भूतो के स्वामी, शिव से कांपे स��� फलगामी शिव है कपाली शिव भष्मांगी, शिव की दया हर जीव ने मांगी मंगलकर्ता मंगलहारी, देव शिरोमणि महासुखकारी जल तथा विल्व करे जो अर्पण, श्रद्धा भाव से करे समर्पण शिव सदा उनकी करते रक्षा, सत्यकर्म की देते शिक्षा लिंग पर चंदन लेप जो करते, उनके शिव भंडार हैं भरते ६४ योगनी शिव के बस में, शिव है नहाते भक्ति रस में वासुकि नाग कण्ठ की शोभा, आशुतोष है शिव महादेवा विश्वमूर्ति करुणानिधान, महा मृत्युंजय शिव भगवान शिव धारे रुद्राक्ष की माला, नीलेश्वर शिव डमरू वाला पाप का शोधक मुक्ति साधन, शिव करते निर्दयी का मर्दन ॥ दोहा ॥ शिव सुमरिन के नीर से, धूल जाते है पाप । पवन चले शिव नाम की, उड़ते दुख संताप ॥ पंचाक्षर का मंत्र शिव है, साक्षात सर्वेश्वर शिव है शिव को नमन करे जग सारा, शिव का है ये सकल पसारा क्षीर सागर को मथने वाले, ऋद्धि-सिद्धि सुख देने वाले अहंकार के शिव है विनाशक, धर्म-दीप ज्योति प्रकाशक शिव बिछुवन के कुण्डलधारी, शिव की माया सृष्टि सारी महानन्दा ने किया शिव चिन्तन, रुद्राक्ष माला किन्ही धारण भवसिन्धु से शिव ने तारा, शिव अनुकम्पा अपरम्पारा त्रि-जगत के यश है शिवजी, दिव्य तेज गौरीश है शिवजी महाभार को सहने वाले, वैर रहित दया करने वाले गुण स्वरूप है शिव अनूपा, अम्बानाथ है शिव तपरूपा शिव चण्डीश परम सुख ज्योति, शिव करुणा के उज्ज्वल मोती पुण्यात्मा शिव योगेश्वर, महादयालु शिव शरणेश्वर शिव चरणन पे मस्तक धरिये, श्रद्धा भाव से अर्चन करिये मन को शिवाला रूप बना लो, रोम-रोम में शिव को रमा लो माथे जो भक्त धूल धरेंगे, धन और धन से कोष भरेंगे शिव का बाक भी बनना जावे, शिव का दास परम पद पावे दशों दिशाओं मे शिव दृष्टि, सब पर शिव की कृपा दृष्टि शिव को सदा ही सम्मुख जानो, कण-कण बीच बसे ही मानो शिव को सौंपो जीवन नैया, शिव है संकट टाल खिवैया अंजलि बाँध करे जो वंदन, भय जंजाल के टूटे बन्धन ॥ दोहा ॥ जिनकी रक्षा शिव करे, मारे न उसको कोय । आग की नदिया से बचे, बाल ना बांका होय ॥ शिव दाता भोला भण्डारी, शिव कैलाशी कला बिहारी सगुण ब्रह्म कल्याण कर्ता, विघ्न विनाशक बाधा हर्ता शिव स्वरूपिणी सृष्टि सारी, शिव से पृथ्वी है उजियारी गगन दीप भी माया शिव की, कामधेनु है छाया शिव की गंगा में शिव, शिव मे गंगा, शिव के तारे तुरत कुसंगा शिव के कर में सजे त्रिशूला, शिव के बिना ये जग ��िर्मूला स्वर्णमयी शिव जटा निराळी, शिव शम्भू की छटा निराली जो जन शिव की महिमा गाये, शिव से फल मनवांछित पाये शिव पग पँकज सवर्ग समाना, शिव पाये जो तजे अभिमाना शिव का भक्त ना दुःख मे डोलें, शिव का जादू सिर चढ बोले परमानन्द अनन्त स्वरूपा, शिव की शरण पड़े सब कूपा शिव की जपियो हर पल माळा, शिव की नजर मे तीनो क़ाला अन्तर घट मे इसे बसा लो, दिव्य जोत से जोत मिला लो नम: शिवाय जपे जो स्वासा, पूरीं हो हर मन की आसा ॥ दोहा ॥ परमपिता परमात्मा, पूरण सच्चिदानन्द । शिव के दर्शन से मिले, सुखदायक आनन्द ॥ शिव से बेमुख कभी ना होना, शिव सुमिरन के मोती पिरोना जिसने भजन है शिव के सीखे, उसको शिव हर जगह ही दिखे प्रीत में शिव है शिव में प्रीती, शिव सम्मुख न चले अनीति शिव नाम की मधुर सुगन्धी, जिसने मस्त कियो रे नन्दी शिव निर्मल निर्दोष निराले, शिव ही अपना विरद संभाले परम पुरुष शिव ज्ञान पुनीता, भक्तो ने शिव प्रेम से जीता ॥ दोहा ॥ आंठो पहर आराधिए, ज्योतिर्लिंग शिव रूप । नयनं बीच बसाइये, शिव का रूप अनूप ॥ लिंग मय सारा जगत हैं, लिंग धरती आकाश लिंग चिंतन से होत है, सब पापो का नाश लिंग पवन का वेग है, लिंग अग्नि की ज्योत लिंग से पाताल है, लिंग वरुण का स्त्रोत लिंग से हैं वनस्पति, लिंग ही हैं फल फूल लिंग ही रत्न स्वरूप हैं, लिंग माटी निर्धूप ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! लिंग ही जीवन रूप हैं, लिंग मृत्युलिंगकार लिंग मेघा घनघोर हैं, लिंग ही हैं उपचार ज्योतिर्लिंग की साधना, करते हैं तीनो लोग लिंग ही मंत्र जाप हैं, लिंग का रूम श्लोक लिंग से बने पुराण हैं, लिंग वेदो का सार रिधिया सिद्धिया लिंग हैं, लिंग करता करतार प्रातकाल लिंग पूजिये, पूर्ण हो सब काज लिंग पे करो विश्वास तो, लिंग रखेंगे लाज ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! सकल मनोरथ से होत हैं, दुखो का अंत ज्योतिर्लिंग के नाम से, सुमिरत जो भगवंत मानव दानव ऋषिमुनि, ज्योतिर्लिंग के दास सर्व व्यापक लिंग हैं, पूरी करे हर आस शिव रुपी इस लिंग को, पूजे सब अवतार ज्योतिर्लिंगों की दया, सपने करे साकार लिंग पे चढ़ने वैद्य का, जो जन ले परसाद उनके ह्रदय में बजे, शिव करूणा का नाद ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! महिमा ज्योतिर्लिंग की, जाएंगे जो लोग भय से मुक्ति पाएंगे, रोग रहे न शोब शिव के चरण सरोज तू, ज्योतिर्लिंग में देख सर्व व्यापी शिव बदले, भाग्य तीरे डारीं ज्योतिर्लिंग पे, गंगा जल की धार करेंगे गंगाधर तुझे, भव सिंधु से पार चित सिद्धि हो जाए रे, लिंगो का कर ध्यान लिंग ही अमृत कलश हैं, लिंग ही दया निधान ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ! Read the full article
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Dear sir ..
Good morning
You are busy in KBC show..the show is growing episode to episode..it is great news for KBC or Sony TV..
Here I lived busy in art work or in activity of social work for folk art as a supporter .
1. मित्रों शरद पूर्णिमा का पर्व पुरे भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह और उमंग से मनाया जाता है ! हिन्दू धर्म के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की रोशनी से अमृत की वर्षा होती है सो शरद पूर्णिमा के पर्व पर पुरे भारत वर्ष के सभी मंदिरों में ��ात्रि जागरण किया जाता है और दूध से बनी खीर को चाँद की रोशनी में रखा जाता है आकाश और चाँद की रोशनी से बरसने वाले अमृत को संगृहीत करके उसे प्रसाद के रूप मे ग्रहण किया जाता है दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के साथ ! जिसे इस्वर द्वारा प्रदत की जाती है विशेष शरद पूर्णिमा की रात्रि में आसमान से अमृत की वर्षा के रूप में ! जिसे स्वयं विष्णु भगवान् बरसाते है मानव कल्याण के लिए ! ऐसा शास्त्र कहते है ! और अब ये लोक की अवधारणा भी बनचुकी है !
मेरे शहर में भी लगभग सभी मंदिरों में शरद पूर्णिमा की रात्रि को जागरण और खीर का प्रसाद चाँद की रोशनी में रखकर उसे सब को बांटा जाता है ! इस उपक्रम में बीकानेर के श्री रघुनाथ जी के मंदिर में भी शरद पूर्णिमा के इस पावन पर्व को एक उत्सव की भांति मनाया जाता रहा है पिछले 200 साल से भी अधिक समय से ! इस उत्सव में खीर की प्रसादी के साथ ब्रज बोली में रासलीला का आयोजन किया जाता रहा है ( पारम्परिक लोक नृत्य नाटिका ) ! कहते है की श्री रघुनाथ मंदिर परिसर /चौक के मूल निवासियों ने मिलकर इस लोक कला की प्रथा को आरम्भ किया जो आज तक सुचारु है उसी चौक के मूल निवासियों द्वारा ! सो उन सभी गुणीजनों को साधुवाद मेरी आत्म ध्वनि से ! इस लोक संस्कृति को जीवित और संगृहीत साथ में परिष्कृत करने बाबत ! वे सभी सम्मान के अधिकारी भी है !
रासलीला में तीन चरण होते है और ये मध्य रात्रि में आरम्भ होती है पुख्त नक्षत्र की घडी में ! प्रथम चरण में विष्णु और लक्ष्मी के रूप श्रंगार की लीला , दूसरे चरण में बाल लीला श्री कृष्ण भगवान् की और तीसरे चरण में राजा बलि की कथा जिसमे विष्णु वामन अवतार में राजा बलि को मोक्ष देते है उसके दान और वचन की प्रतिबद्धता के उपलक्ष में और राजा बलि को पाताल लोक का राजा भी बनाते है और स्वयं उसके द्वारपाल बन ने का वचन भी देते है राजा बलि को ! ये तीनो लोकनाट्य प्रस्तुति श्री रघुनाथ मंदिर परिसर / चौक के मूल निवासी ही अभिनीत करते है इनमे बच्चे , युवा और वरिष्ठ जन अपनी पूर्ण भूमिका और उत्तरदायित्व निभाते है इतिहास की रीती निति को निभाते हुए या यही उनका सामूहिक धर्म है की श्री रघुनाथ मंदिर चौक की रास परंपरा अनवरत जारी रहे पीढ़ी दर पीढ़ी !
रास लीला मध्य रात्रि से सुबह के 10 बजे तक पूर्णता पाती है और इस बिच कई लोक परंपरा और जातक कथाओं से लबरेज लोक भजन / गीत अभिनय के मध्य प्रस्तुत किये जाते है नगाड़ा और पेटीबाजे की संगीत धुन के साथ !
सौभाग्य से मेरा बच्चपन भी श्री रघुनाथ मंदिर के आस पास ही गुजरा ��ै सो रासलीला में उपस्थिति शरद पूर्णिमा पर रहती ही है ! या ये कोई इस्वर का आदेश इस्वर ही जाने !
हर बार मैं किसी न किसी रूप में वहाँ उपस्थित रहा हूँ कभी फोटोग्राफर , कभी दर्शक , कभी श्रोता के रूप में उस रास लीला का रसास्वादन करने को या ईस्वरीय प्रसाद पाने को और वो मुझे मिलता रहा है हरबार ! कल भी शरद पूर्णिमा 2024 की रात्रि में , मैं उपस्थित रहा श्री रघुनाथ मंदिर परिसर की उस अध्भुत रास लीला की प्रस्तुति का रसा स्वादन करने को ! पर कल मेरी भूमिका रही एक चित्रकार की क्यों की मैंने वहाँ बैठकर पूरी रात रासलीला के रेपिड स्केच उकेरे मेरी स्केच बुक में ! जो मेरे लिए तो आनंद की अनुभूति और अध्ययन रहा ही साथ में श्री रघुनाथ मंदिर परिसर / चौक के बच्चों के लिए भी आनंद और अधययन का विषय रहा ! बच्चों ने रासलीला को कलाकार /चित्रकार की दृष्टि से देखने की गूढ़ता को समझा प्रायोगिक कला उपक्रम की उस जिवंत कला गतिविधि से !जो रही लाइव / रेपिड स्केच मेरी स्केच बुक में ! जिसे वहा उपस्थित लगभग सभी बच्चों ने देखा साथ में कई अन्य कला रसिकों ने भी देखा ! जो की दर्शक बने थे रघुनाथ मंदिर की रासलीला के वे श्री बांके बिहारी जी की कृपा से मेरे दर्शक भी बने और मेरे द्वारा रचित कला ( सर्व उपयोगी धन ) चित्र का उपयोग किया अपनी कला दृष्टि को और समृद्ध करने को !
बोलो मोरमुकट वाले की जय , बांके बिहारी लाल जी की जय !
यहाँ कुछ छाया चित्र मेरे द्वारा रचित श्री रघुनाथ मंदिर परिसर की रास लीला के जिवंत पलों के स्केच आप के अवलोकन हेतु !
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2 .मित्रों आज श्याम का समय बिता महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी के केम्पस में ! जहाँ चल रहे " विकसित भारत 2047 " अंतराष्ट्रीय सेमिनार के प्रथम दिन के सांस्कृतिक समारोह में बीकानेर की लोक सांस्कृतिक झलक का प्रस्तुति करण किया लोक संस्कृति के लोक कलाकार मास्टर गोपाल बिस्सा ने अपने निर्देशन में !
उस पुरे सांस्कृतिक आयोजन का संयोजन किया महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. बिठल बिस्सा जी ने !
मुझे आमंत्रित ��िया मित्र और लोक कलाकार मास्टर गोपाल बिस्सा ने , मेरी उपस्थिति उसे ऊर्जा की अनुभूति करवाती है ऐसा मास्टर गोपाल बिस्सा मानते है सो मित्र के आग्रह की रक्षा करने को मैं वहां उपस्थित था !
वहाँ प्रवेश पाते ही मैंने देखा की महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी का कैंपस मुझे जवाहर कला केंद्र के शिल्प ग्राम और उसमे लगने वाले कला मेले की यादें ताजा करवा गया !भव्य प्रांगण में 3000 से भी अधिक कुर्सियां सेमिनार में आये हुए प्रत्येक भागीदार के लिए साथ ही लोक वाद्य लिए हुए कलाकार , चौपड़ पासा की बिषाद तो मिटटी के दीपक बनाने वाला कुम्हार अपनी चौक के साथ , बैगपाइपर बजाते लोक कलाकार , विशाल कठपुतली के साथ एक भव्य मंच जि��� पर राजस्थानी लोक संगीत प्रस्तुत किया संगीतकार मार्कण्डेय रंगा जी ने आप ने अपनी लोक गायन की प्रस्तुति के साथ मंच संचालन भी किया और लोक नृत्य प्रस्तुत करने वाले कलाकारों को मंच उपलब्ध करवाया अपने सुन्दर सञ्चालन से !
मंच के अगल बगल दोनों तरफ स्टॉल लगायी गई जिसमे , बीकानेर की नमकीन, रस्गुल्ले , कड़ाई का बीकानेरी दूध और गरम कचोरी तो दूसरी तरफ बीकानेरी पेंटिंग जिसमे मथेरन पेंटिंग , आर्टिसन / कलाकार श्री मूलचंद महात्मा , बीकानेरी गोल्डन आर्ट आर्टिसन मास्टर राम कुमार भदानी के साथ बीकानेरी हैंडलूम की प्रदर्शनी मास्टर अशोक बिश्नोई जी ने लगाई उनके अलावा बीकानेरी ज्वैलरी आर्ट की स्टाल और बीकानेरी पगड़ी स्टॉल भी लगायी गयी मास्टर गोपाल बिस्सा के द्वारा , एक मिनी बीकानेर की झलक विकसित भारत में आये हुए सभी करीब 3000 अतिथियों को महाराजा यूनिवर्सिटी में ही अवलोकित करवाया गया डॉ, बिठाल बिस्सा जी और वी सी महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी द्वारा और इस परिकल्पना को साकार किया लोक कलाकार मास्टर गोपाल बिस्सा ने !
विकसित भारत 2047 में अतिथियों ने श्याम 6 रात्रि 9 बजे तक इस सांस्कृतिक समारोह में आनंद की अनुभूति ली ! फिर वी सी महाराजा गंगा सिंह युनिवेर्सिटी और विकसित भारत 2047 के संयोजक बिठल बिस्सा जी ने मंच से सभी लोक कलाकारों को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मान भी किया ! उसके
तुरंत बाद स्वादिष्ट बीकानेरी खाने की दावत भी, जिसमे मास्टर गोपाल बिस्सा ने मुझे भी आमंत्रित किया और मैंने बीकानेर की लोक कहावत को याद करते हुए जिसमे कहा गया है की नानाने माँ पुरसारी फेर क्यों भूखो रेवे ,उस दावत निमंत्रण को स्वीकार किया और मास्टर गोपाल बिस्सा , मास्टर मार्कण्डेय रंगा जी , श्री मूलचंद महात्मा जी मथेरी और मास्टर रामकुमार भादाणी के संग दावते नोश फ़रमाया और फिर घर को आया लोक कलाकारों का संबल बनकर अपनी उपस्थिति देकर !
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कुछ फोटो भी उस विहंगम विकसित भारत 2024 के सांस्कृतिक परिदृश्य के जिसे आप के लिए साझा कर रहा हूँ अवलोकन हेतु !
Now a greeting
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You have a great day sir..
Warm regards
Yogendra Kumar Purohit
Master of fine arts
Bikaner, India
DAY 6088
Jalsa, Mumbai Oct 19, 2024/Oct 20 Sat/Sun 3:18 am
🪔 ,
October 20 .. birthday greetings to Ef Ayesha Ali Hamzah from Pakistan 🇵🇰 .. and Ef Kavin Bhatt from London 🇬🇧 .. 🙏🏻❤️🚩
October 19 .. birthday greetings to Ef Nrupa from Ahmedabad , Gujarat .. 🙏🏻❤️🚩
Apologies for missing the birthdays of Ef Nandini Rai Minashi from Assam and Ef Neil Jani from USA 🇺🇲 .. for October 18 .. belated birthday greetings .. but ever with sincere affection and love from all the Ef .. 🙏🏻❤️🚩
Work is the essence of life .. and life is the essence of work !!
Work, and be fulfilled .. live, and may work be its essence ..
At times difficult to comprehend .. but there is no other way of giving it explanation .. try, and it shall defile you .. test your forbearance and stability , with fortitude ..
Struggle , be the nucleus of the marrow .. well maybe an unethical example for the non vegetarians .. but many of the other shall give it due understanding ..
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for them a tribute, that come and spend time and energy at the Show .. and I do feel not uncomfortable ..
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... happy ladies ..
and some ..
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.. and a few smiling men too ..
Love .. tired and to bed
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Amitabh Bachchan
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( #Muktibodh_part191 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part192
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 366-367
‘‘कबीर परमेश्वर जी का अन्य वेश में छठे दिन मिलना’’
◆ चौपाई
दिवस पाँच जब ऐसहि बीता।
निपट विकल हिय व्यापेउ चिन्ता।।
छठयें दिन अस्नान कहँ गयऊ।
करि अस्नान चिंतवन कियऊ।।
पुहुप वाटिका प्रेम सोहावन।
बहु शोभा सुन्दर शुठि पावन।।
तहां जाय पूजा अनुसारा।
प्रतिमा देव सेव विस्तारा।।
खोलि पेटारी मूर्ति निकारी।
ठाँव ठाँव धरि प्रगट पसारी।।
आनेउ तोरि पुहुप बहु भाँती।
चौका विस्तार कीन्ही यहि भाँती।।
भेष छिपाय तहाँ प्रभु आये।
चौका निकटहिं आसन लाये।।
धर्मदास पूजा मन लाये।
निपट प्रीति अधिक चित चाये।।
मन अनुहारि ध्यान लौलावई।
कहि कहि मंत्रा पुहुप चढ़ावई।।
चन्दन पुष्प अच्छत कर लेही।
निमित होय प्रतिमा पर देही।।
चवर डोलावहिं घण्ट बजायी।
स्तुति देव की पढ़ैं चित लायी।।
करि पूजा प्रथमहि शिर नावा।
डारि पेटारी मूर्ति छिपावा।।
◆ सतगुरू बचन
अहो सन्त यह का तुम करहूँ।
पौवा सेर छटंकी धरहूँ।।
केहि कारण तुम प्रगट खिडायहु।
डारि पेटारी काहे छिपायेहु।।
◆ धर्मदास बचन
बुद्धि तुम्हार जान नहि जाई।
कस अज्ञानता बोलहु भाई।।
हम ठाकुर कर सेवा कीन्हा।
हम कहँ गुरू सिखावन दीन्हा।।
ता कहँ सेर छटंकी कहहूँ।
पाहन रूप ना देव अनुसरहूँ।।
◆ सतगुरू बचन
अहो संत तुम नीक सिखावा।
हमरे चित यक संशय आवा।।
एक दिन हम सुनेउ पुराना।
विप्रन कहे ज्ञान सुनिधाना।।
वेद वाणि तिन्ह मोहि सुनावा।
प्रभु कै लीला सुनि मन भावा।।
कहे प्रभु वह अगम अपारा।
अगम गहे नहि आव अकारा।।
सुनेउँ शीश प्रभुकेर अकाशा।
पग पताल तेहि अपर निवाशा।।
एकै पुरूष जगत कै ईसा।
अमित रूप वह लोचन अमीसा।।
सोकित पोटली माहि समाहीं।
अहो सन्त यह अचरज आहीं।।
औ गुरू गम्य मैं सुना रे भाई।
अहैं संग प्रभु लखौ न जाई।।
अहो सन्त मैं पूछहुँ तोहीं।
बात एक जो भाषो मोहीं।।
यहि घटमहँ को बोलत आही।
ज्ञानदृष्टि नहि सन्त चिन्हाही।।
जौ लगि ताहि न चीन्हहुँ भाई।
पाहन पूजि मुक्ति नहिं पाई।।
कोटि कोटि जो तीर्थ नहाओ।
सत्यनाम विन मुक्ति न पाओ।।
जिन सुन्दर यह साज बनाया।
नाना रंग रूप उपजाया।।
ताहि न खोजहु साहु के पूता।
का पाहन पूजहु अजगूता।।
धर्मदास सुनि चक्रित भयऊ।
पूजा पाती बिसरि सब गयऊ।।
एक टक मुख जो चितवत रहाई। पलकौ सुरति ना आनौ जाई।।
प्रिय लागै सुनि ब्रह्मका ज्ञाना।
विनय कीन्ह बहु प्रीति प्रमाना।।
◆ धर्मदास वचन (ज्ञान प्रकाश पृष्ठ 16)
अहो साहब तब बात पियारी।
चरण टेकि बहु विनय उचारी।।
अहो साहब जस तुम्ह उपदेशा। ब्रह्मज्ञान गुरू अगम संदेशा।।
छठयें दिवस साधु एक आये।
प्रीय बात पुनि उनहु सुनाये।।
अगम अगाधि बात उन भाखा।
कृत्रिम कला एक नहिं राखा।।
तीरथ व्रत त्रिगुण कर सेवा।
पाप पुण्य वह करम करेवा।।
सो सब उन्हहि एक नहिं भावै।
सबते श्रेष्ठ जो तेहि गुण गावै।।
जस तुम कहेहु बि��ोई बिलोई।
अस उनहूँ मोहि कहा सँजोई।।
गुप्त भये पुनि हम कहँ त्यागी।
तिन्ह दरशन के हम बैरागी।।
मोरे चित अस परचै आवा।
तुम्ह वै एक कीन्ह दुइ भावा।।
तुम कहाँ रहो कहो सो बाता।
का उन्ह साहब कहँ जानहु ताता।।
केहि प्रभु कै तुम सुमिरण करहू।
कहहु बिलोइ गोइ जनि धरहू।।
◆ सतगुरू वचन
अहो धर्मदास तुम सन्त सयाना।
देखौ तोहि में निरमल ज्ञाना।।
धर्मदास मैं उनकर सेवक।
जहँहि सो भव सार पद भेवक।।
जिन कहा तुमहिं अस ज्ञाना।
तिन साहेब कै मोहि स���िदाना।।
वे प्रभु सत्यलोकके वासी।
आये यहि जग रहहि उदासी।।
नहिं वौ भग दुवार होइ आये।
नहिं वो भग माहिं समाये।।
उनके पाँच तत्त्व तन नाहीं।
इच्छा रूप सो देह नहिं आहिं।।
निःइच्छा सदा रहँहीं सोई।
गुप्त रहहिं जग लखै न कोई।।
नाम कबीर सन्त कहलाये।
रामानन्द को ज्ञान सुनाये।।
हिन्दू तुर्क दोउ उपदेशैं।
मेटैं जीवन केर काल कलेशैं।।
माया ठगन आइ बहु बारी।
रहैं अतीत माया गइ हारी।।
तिनहि पठावा मोहे तोहि पाही।
निश्चय उन्ह सेवक हम आही।।
अहो सन्त जो तुम कारज चहहू।
तो हमार सिखावन चित दे गहहू।।
उनकर सुमिरण जो तुम करिहौ। एकोतर सौ वंशा लै तरिहौ।।
वो प्रभु अविगत अविनाशी।
दास कहाय प्रगट भे काशी।।
भाषत निरगुण ज्ञान निनारा।
वेद कितेब कोइ पाव न पारा।।
तीन लोक महँ महतो काला।
जीवन कहँ यम करै जंजाला।।
वे यमके सिर मर्दन हारे।
उनहि गहै सो उतरै पारे।।
जहाँ वो रहहि काल तहँ नाहीं।
हंसन सुखद एक यह आही।।
क्रमशः_______________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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Jharkhand cm in khunti : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन खूंटी के आपकी योजना-आपकी सरकार-आपके द्वार कार्यक्रम में हुए शामिल, कार्यक्रम में 437 करोड़ 48 लाख रुपए की 76 योजनाओं ��ा शिलान्यास एवं 406 करोड़ 20 लाख रुपए की 27 योजनाओं का उद्घाटन हुआ, 11,841 लाभुक के बीच 88 करोड़ 64 लाख रुपए की परिसंपत्ति का हुआ वितरण
रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य में वर्ष 2021 से “आपकी योजना-आपकी सरकार-आपके द्वार” कार्यक्रम का आयोजन शुरू हुआ है. इस कार्यक्रम का शुभारंभ खूंटी के इस पावन भूमि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जन्म स्थल उलिहातु से हुआ था. वर्ष 2022 में भी इसका आयोजन किया गया और अब 2023 में तीसरे चरण के तहत राज्य के सभी पंचायत और गांव में इसका आयोजन उत्सव के रूप में किया जा रहा है. मैंने…
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एकेएस में पड़े जैन आचार्य मुनि अर्हम प्रणम्य सागर जी के चरण योग प्रणेता मुनि श्री का चार्तुमास सम्पन्न
सतना। जैन आचार्य विद्यासागर महराज जी के परम शिष्य प्रणम्य सागर जी के चरण एकेएस की भूमि पर पड़ने से विश्वविद्यालय की भूमि पावन हो गई। मुनि जी का संताना चार्तुमास अभी सम्पन्न हुआ है। चाडै मास उपरांत उनका नागौद की तरफ विहार के लिए जाते समय एकेएस वि.वि.प्रबंधन के निवेदन पर आगमन हुआ। वि. वि. में पधारे मुनिश्री ने मंगलआशीष सहित उद्वोधन भी दिया उन्होंने बताया की योग प्राचीन श्रवण पद्धतियों पर आधारित एक…
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मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने बरहेट, से "आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार " कार्यक्रम के तीसरे चरण का किया शुभारंभ
एडिटर इन चीफ- मकसूद आलम साहेबगंज। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अमर वीर शहीद सिदो- कान्हू, चांद -भैरव और वीरांगना फूलो -झानो को नमन कर “आपकी योजना- आपकी सरकार- आपके द्वार” अभियान के तीसरे चरण का शुभारंभ किया। इन वीर शहीदों की पावन धरती बरहेट, साहिबगंज में इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी तमाम कल्याणकारी योजनाओं की पोटली बनाकर आपके दरवाजे पर जाएंगे एवं पूरे…
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Live : Nepal 1 TV 08-11-2023 || Episode: 1385 || Sant Rampal Ji Maharaj ...
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एकमात्र पूर्ण सतगुरु रूप संत रामपाल जी महाराज विश्व की सभी आत्माओं को शास्त्र अनुकूल सतभक्ति प्रदान करते हैं 🙏
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
👉🏽26,27,28 नवंबर, 2023_सतलोक आश्रम धनाना धाम, हरियाणा सोनीपत
फिर एक बार विशाल भंडारा संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 🙏
विश्व की सभी आत्माओं को सादर आमंत्रित किया जाता है🙏
परमात्मा के पवित्र दिवस का लाभ उठाएं जरूर आएं🙏
#santrampaljimaharaj
#SantRampalJiMaharaj
#SpiritualLeaderSantRampalJiMaharaj
"संत शरण में आने से आई टले बला | जै मस्तक में शूली हो,कांटे में टल जा"||🙏
बंदी छोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🙏 परमात्मा सत साहिब जी🙏 परमात्मा आप जी के पावन चरण कमलों में तुच्छ दासी का अनंत कोटि-कोटि करबद्ध दंडवत प्रणाम जी🙏🙏🥀💖🥀💖🥀💖🥀
@SatlokChannel
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अहल्या उद्धार
आश्रम एक दीख मग माहीं । खग मृग जीव जंतु तहँ नाहीं ॥
पूछा मुनिहि सिला प्रभु देखी । सकल कथा मुनि कहा बिसेषी॥
मार्ग में एक आश्रम दिखाई पड़ा । वहाँ पशु-पक्षी, को भी जीव-जन्तु नहीं था । पत्थर की एक शिला को देखकर प्रभु ने पूछा, तब मुनि ने विस्तारपूर्वक सब कथा कही॥6॥
दोहा:
गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर । चरन कमल रज चाहति कृपा करहु रघुबीर ॥210॥
गौतम मुनि की स्त्री अहल्या शापवश पत्थर की देह धारण किए बड़े धीरज से आपके चरणकमलों की धूलि चाहती है । हे रघुवीर! इस पर कृपा कीजिए ॥210॥
छन्द :
परसत पद पावन सोकनसावन प्रगट भई तपपुंज सही । देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि रही ॥
अति प्रेम अधीरा पुलक शरीरा मुख नहिं आवइ बचन कही । अतिसय बड़भागी चरनन्हि लागी जुगल नयन जलधार बही॥
श्री रामजी के पवित्र और शोक को नाश करने वाले चरणों का स्पर्श पाते ही सचमुच वह तपोमूर्ति अहल्या प्रकट हो गई । भक्तों को सुख देने वाले श्री रघुनाथजी को देखकर वह हाथ जोड़कर सामने खड़ी रह गई । अत्यन्त प्रेम के कारण वह अधीर हो गई । उसका शरीर पुलकित हो उठा, मुख से वचन कहने में नहीं आते थे । वह अत्यन्त बड़भागिनी अहल्या प्रभु के चरणों से लिपट गई और उसके दोनों नेत्रों से जल (प्रेम और आनंद क�� आँसुओं) की धारा बहने लगी॥1॥
धीरजु मन कीन्हा प्रभु कहुँ चीन्हा रघुपति कृपाँ भगति पाई । अति निर्मल बानी अस्तुति ठानी ग्यानगम्य जय रघुराई ॥
मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन रावन रिपु जन सुखदाई । राजीव बिलोचन भव भय मोचन पाहि पाहि सरनहिं आई॥2॥
फिर उसने मन में धीरज धरकर प्रभु को पहचाना और श्री रघुनाथजी की कृपा से भक्ति प्राप्त की । तब अत्यन्त निर्मल वाणी से उसने (इस प्रकार) स्तुति प्रारंभ की- हे ज्ञान से जानने योग्य श्री रघुनाथजी! आपकी जय हो! मैं (सहज ही) अपवित्र स्त्री हूँ, और हे प्रभो! आप जगत को पवित्र करने वाले, भक्तों को सुख देने वाले और रावण के शत्रु हैं । हे कमलनयन! हे संसार (जन्म-मृत्यु) के भय से छुड़ाने वाले! मैं आपकी शरण आई हूँ, (मेरी) रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए॥2॥
मुनि श्राप जो दीन्हा अति भल कीन्हा परम अनुग्रह मैं माना । देखेउँ भरि लोचन हरि भव मोचन इहइ लाभ संकर जाना ॥
बिनती प्रभु मोरी मैं मति भोरी नाथ न मागउँ बर आना । पद कमल परागा रस अनुरागा मम मन मधुप करै पाना॥3॥
जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी । सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी ॥
एहि भाँति सिधारी गौतम नारी बार बार हरि चरन परी । जो अति मन भावा सो बरु पावा गै पति लोक अनंद भरी॥4॥
जिन चरणों से परमपवित्र देवनदी गंगाजी प्रकट हुईं, जिन्हें शिवजी ने सिर पर धारण किया और जिन चरणकमलों को ब्रह्माजी पूजते हैं, कृपालु हरि (आप) ने उन्हीं को मेरे सिर पर रखा । इस प्रकार (स्तुति करती हुई) बार-बार भगवान के चरणों में गिरकर, जो मन को बहुत ही अच्छा लगा, उस वर को पाकर गौतम की स्त्री अहल्या आनंद में भरी हुई पतिलोक को चली गई॥4॥
मुनि ने जो मुझे शाप दिया, सो बहुत ही अच्छा किया । मैं उसे अत्यन्त अनुग्रह (करके) मानती हूँ कि जिसके कारण मैंने संसार से छुड़ाने वाले श्री हरि (आप) को नेत्र भरकर देखा । इसी (आपके दर्शन) को शंकरजी सबसे बड़ा लाभ समझते हैं । हे प्रभो! मैं बुद्धि की बड़ी भोली हूँ, मेरी एक विनती है । हे नाथ ! मैं और कोई वर नहीं माँगती, केवल यही चाहती हूँ कि मेरा मन रूपी भौंरा आपके चरण-कमल की रज के प्रेमरूपी रस का सदा पान करता रहे॥3॥
जय श्री राम🚩🏹🙏
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51+ Navratri Wishes HD Images | नवरात्री की शुभकामनाएं
51+ Navratri Wishes HD Images | नवरात्री की शुभकामनाएं
Download नव दीप जले नव फूल खिलेरोज नई बहार मिलेनवरात्रि के इस पावन अवसर पर आपको माँ का आशीर्वाद मिले नवरात्रि क हार्दिक शुभकामनाएं Download जगत पालन हार है माँमुक्ति का धाम है माँभक्ति का आधार है माँसब की रक्षा की अवतार है माँनवरात्रि की शुभकामनाएं Download जिसकी शरण में नमन हैउस माता के चरण में बनेउस माता के चरणो की धूलआओ मिल कर चढ़ायेश्रद्धा के फूलजय माता दी Download मां कि ज्योति से…
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परमेश्वर कबीर जी राजा भोपाल के चौंक में जिंदा बाबा के रूप में प्रकट हुए और परमेश्वर ने राजा का महल सोने का बना दिया। इस चमत्कार को देख राजा ने जिन्दा बाबा के चरण छूए और अपनी शरण में लेने की इच्छा व्यक्त की। तब परमेश्वर ने उसे ज्ञान समझाया और राजा को सतलोक लेकर गए। इस तरह राजा भोपाल के पूरे परिवार के सर्व सदस्यों ने नाम लिया, मोक्ष करवाया।
✰कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस✰
इस पावन शुभ अवसर पर दिनांक *20, 21, 22 जून 2024* पर होने वाले विश्व के सबसे बड़े नि:शुल्क खुले भंडारे में आप सभी परिवार सहित सतलोक आश्रम सोजत, पाली, राजस्थान में सादर आमंत्रित है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 𝟴𝟴𝟴𝟮𝟵𝟭𝟰𝟵𝟰𝟲, 𝟴𝟴𝟴𝟮𝟵𝟭𝟰𝟵𝟰𝟳
#कबीरभगवान_के_राजा_बने_शिष्य
#Kabir_Is_SupremeGod
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सारा जहान है जिसकी शरण में , मन है उस मां के चरण में। हम हैं माँ के चरणों की धूल, आओ माँ को चढ़ाएं श्रद्धा के फूल।। नवरात्रि की पावन शुभकामनाएं... #navratri #navratrispecial #india #durga #jaimatadi #devi #durgapuja #love #garbalover #maa #garbadance #hinduism #maadurga #festival #hindu
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"शिक्षक"
मनुज रूप श्रेष्ठ गुरु समाना
निरंतर काल में आना जाना
ऊर्जा, तरंग, प्रकाश दिखाना
भ्रमित को पतित-पावन कर जाना
उनकी महिमा का न कोई बखाना
नमन प्रथम गुरु चरण नहाना
तदोपरांत प्रभु ध्यान लगाना
दुर्लभ सागर सहज पार कर जाना
शिष्य बीज बो पौधा पेड़ बनाना
अटल स्मरणीय जगत का होना
दुर्व्यवहार, दुर्बुद्धि न होना
देशहित सच शिक्षक कहलाना
-दिनेश
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकम���ाएँ
Happy Teacher's Day 🙏😊
PC: YourQuote
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