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कामिनी विद्रावण रस टैबलेट
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कामिनी विद्रावण रस टैबलेट: एक आयुर्वेदिक स्वास्थ्य रत्न
आयुर्वेद में शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए कई तरह के औषधीय उत्पादों का उपयोग किया जाता है। उनमें से एक प्रसिद्ध औषधि है कामिनी विद्रावण रस। यह आयुर्वेदिक औषधि विशेष रूप से पाचन तंत्र को सुदृढ़ करने, शरीर में जमा दोषों को बाहर निकालने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है। इस लेख में हम कामिनी विद्रावण रस टैबलेट के लाभ, उपयोग और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।
कामिनी विद्रावण रस क्या है?
कामिनी विद्रावण रस एक आयुर्वेदिक योग है जो विशेष रूप से शरीर में विषाक्त पदार्थों को समाप्त करने (विसर्पण) के लिए तैयार किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर के अंदर जमा कफ और वात दोषों को शांति प्रदान करना और पाचन क्रिया को सुधारना है। यह औषधि विभिन्न जड़ी-बूटियों और खनिजों के मिश्रण से तैयार होती है, जो शरीर के अंदर संचित अवांछनीय तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है।
कामिनी विद्रावण रस के लाभ
पाचन तंत्र को सुधारता है कामिनी विद्रावण रस पेट की समस्याओं जैसे अपच, गैस, कब्ज, और अन्नास रोग को दूर करने में सहायक होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और भोजन के पोषक तत्वों को शरीर द्वारा बेहतर अवशोषित करने में मदद करता है।
विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है यह औषधि शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों और खतरनाक तत्वों को बाहर निकालने के लिए एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफाइंग एजेंट के रूप में काम करती है। यह रक्त को शुद्ध करने और शरीर से अवांछनीय तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है।
शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है कामिनी विद्रावण रस शरीर की सामान्य कार्यक्षमता को बढ़ाता है, जिससे थकान और कमजोरी दूर होती है। यह शरीर में ऊर्जा का स्तर बनाए रखता है और शरीर को सक्रिय रखता है।
प्राकृतिक उपचार कामिनी विद्रावण रस का उपयोग प्राकृतिक तरीके से शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है, बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के। यह प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों से बना होने के कारण शरीर के लिए सुरक्षित है।
कामिनी विद्रावण रस का उपयोग कैसे करें?
कामिनी विद्रावण रस टैबलेट का सेवन सामान्यतः एक निर्धारित मात्रा में किया जाता है, जो आयुर्वेदाचार्य या डॉक्टर के निर्देशानुसार होता है। आमतौर पर इसे दिन में द��� बार, खाने से पहले या बाद में पानी के साथ लिया जाता है। हालांकि, इसे लेने से पहले एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना हमेशा बेहतर होता है, ताकि आपके शरीर की विशेष जरूरतों के अनुसार सही खुराक निर्धारित की जा सके।
निष्कर्ष
कामिनी विद्रावण रस एक बहुपरकारी आयुर्वेदिक औषधि है, जो न केवल पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, बल्कि शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, ऊर्जा बढ़ाने और समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर के विभिन्न दोषों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति का जीवन अधिक स्वस्थ और ऊर्जा से भरा रहता है।
अगर आप भी अपने स्वास्थ्य को प्राकृतिक तरीके से सुधारना चाहते हैं, तो कामिनी विद्रावण रस को एक बार अपनी दिनचर्या में शामिल करके देख सकते हैं।
सुझाव: इस औषधि का सेवन शुरू करने से पहले एक अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
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skinrangeeeee · 1 month ago
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मधुमेह के मरीजों के लिए खुशखबरी! भारत सरकार की इस आयुर्वेदिक दवा ने बदल दी जिंदगियां
मधुमेह के मरीजों को ये बात बहुत अच्छे से पता है कि हर दिन कैसे गुज़रता है — खाना पीना संभालना, शुगर लेवल की लगातार चिंता, और लगातार दवाइयों का सेवन।
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लेकिन अब भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा मधुमेह के मरीजों के लिए एक बड़ी सौगात दी गई है।
एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा, जिसने हजारों लोगों को चौंका दिया है और उनकी जिंदगी को बदल कर रख दिया है — आयुष 82!
पर आप सोच रहे होंगे, “क्या ये सच में असरदार है? क्या ये दवा मेरा भी शुगर कंट्रोल कर सकती है?
क्या है आयुष 82 और कैसे करती है यह काम?
क्या आप मधुमेह से जूझ रहे हैं और हर दिन शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए संघ���्ष कर रहे हैं? क्या आपको हर बार दवाओं के साइड इफेक्ट्स की चिंता होती है?
अगर आपकी जवाब हां है, तो आपके लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है!
भारत सरकार की एक आयुर्वेदिक दवा, आयुष 82, आपकी इस समस्या का सस्ता और प्राकृतिक समाधान पेश कर सकती है। लेकिन क्या ये सच में काम करती है? आइए जानें।
आयुष 82: क्या है यह जादुई दवा?
आयुष 82 एक अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि है, जो मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है।
इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (NIA) द्वारा विकसित किया गया है और इसमें प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ जैसे करेला, जामुन, नीम, और मेथी शामिल हैं।
ये सभी तत्व मिलकर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। लेकिन असली सवाल ये है — क्या ये दवा वाकई काम करती है?
प्राकृतिक उपचार का जादू
आयुष 82 का रहस्य इसके सभी प्राकृतिक घटकों में छिपा है। आइए जानते हैं कि यह कैसे मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक है:
ब्लड शुगर नियंत्रण: आयुष 82 धीरे-धीरे आपके शरीर में शुगर को संतुलित करने में मदद करती है। यह दवा आपके शरीर के प्राकृतिक तंत्र को सक्रिय करती है, जिससे शुगर लेवल स्वाभाविक रूप से नियंत्रित होता है।
जोड़ों और मांसपेशियों की मजबूती: मधुमेह का एक सामान्य लक्षण है जोड़ों में दर्द। आयुष 82 इसमें भी मदद करती है, जिससे आप अधिक सक्रिय रह पाते हैं।
पाचन तंत्र का सुधार: सही पाचन तंत्र भी मधुमेह के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुष 82 आपके पाचन को बेहतर बनाती है, जिससे आपका संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है।
रोगियों की बदलती जिंदगियाँ
अब आइए, बात करते हैं उन मरीजों की जिन्होंने आयुष 82 का उपयोग किया है। वे बताते हैं कि इस दवा के सेवन के बाद उन्होंने अपने शुगर लेवल में महत्वपूर्ण सुधार देखा है।
कई लोग अब बिना किसी तनाव के अपनी पसंदीदा चीजें खा पा रहे हैं।
क्या यह वही समाधान है जिसकी आपको तलाश थी?
कीमत और उपलब्धता
आपको जानकर ख़ुशी होगी कि आयुष 82 की कीमत मात्र 5 रुपये प्रति टैबलेट है।
क्या इससे बेहतर कोई और विकल्प हो सकता है? इस दवा का उपयोग करना न केवल आसान है, बल्कि यह आपके बजट में भी समाहित है।
कहाँ से खरीदें आयुष 82? जानें आसान तरीका!
अगर आप आयुष 82 खरीदना चाहते हैं, तो यह बहुत ही सरल है! आप इसे अपनी नजदीकी आयुर्वेदिक दुकान से या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खरीद सकते हैं।
आपकी सुविधा के लिए, हम आपको हमारी ��ेबसाइट पर ले जाने का सुझाव देते हैं, जहाँ से आप सीधे आयुष 82 ऑर्डर कर सकते हैं।
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अब समय है निर्णय लेने का!
आयुष 82 अब भारत के प्रमुख आयुर्वेदिक स्टोरों और ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर उपलब्ध है। क्या आप भी इस अद्भुत आयुर्वेदिक चमत्कार का हिस्सा बनना चाहते हैं?
अपने मधुमेह को नियंत्रित करने और जीवन की खुशियों का आनंद लेने का यह सुनहरा मौका है।
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indlivebulletin · 1 month ago
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Hing Water: जानिए सुबह खाली पेट हींग का पानी पीने के फायदे, इसे पीने से शरीर रहता है स्वस्थ
हींग का पानी: हींग एक ऐसा मसाला है जो खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य समस्याओं से भी राहत दिला सकता है। आयुर्वेद में हींग के पानी को गुणकारी कहा जाता है। हींग के पानी के बारे में आयुर्वेद में कहा गया है कि अगर आप रोजाना हींग के पानी का सेवन करते हैं तो पाचन तंत्र से लेकर अतिरिक्त वजन तक की समस्याएं दूर हो सकती हैं. अगर हींग का इस्तेमाल खाने में किया जाए तो भी यह शरीर को फायदा पहुंचाता…
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drsunildubeyclinic · 1 month ago
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Ayurveda Specialist Sexologist in Patna, Bihar India | Dr. Sunil Dubey
आयुर्वेद और हमारा जीवन:
भारत की एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली जिसे आयुर्वेदिक उपचार कहा जाता है। प्राचीन समय के अध्ययन से पता चलता है कि आयुर्वेद की उत्पत्ति अथर्ववेद से मानी जाती है, जिसमे कई बीमारियों का उल्लेख उनके उपचारों के साथ किया गया है। आयुर्वेद का मानना ​​है कि पूरा ब्रह्मांड पाँच तत्वों के संयोजन जैसे कि वायु, जल, अंतरिक्ष, पृथ्वी और अग्नि से बना है। ये पाँच तत्व हमेशा पंचमहाभूत को भी संदर्भित करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा भारत का मूल व पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है जो पंचकर्म (5 क्रि��ाएँ) सहित कई तरह के उपचारों का संदर्भित करती है।
पंचकर्म के नाम निम्नलिखित हैं:-
योग
मालिश
एक्यूपंक्चर
हर्बल दवा
स्वास्थ्य संवर्धन
आयुर्वेद का हमारे जीवन में उद्देश्य:
आयुर्वेद एक प्राकृतिक चिकित्सा व उपचार की पद्धति है, जिसकी उत्पत्ति 3000 वर्ष पूर्व भारत में हुई थी। आयुर्वेद शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है- आयुर् का अर्थ है जीवन और वेद का अर्थ है विज्ञान। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि (आयुर् + वेद) आयुर्वेद हमें प्रकृति के माध्यम से जीवन जीने का संपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है। प्रकृति के साधनो व संसाधनों का सदुपयोग करना ही जीवन का मूल उद्देश्य है।
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आयुर्वेद के सात चरण होते है:
वास्तव में, आयुर्वेद के सात चरणों को सप्त धातुएँ भी कहा जाता है। प्रत्येक अवस्था का हमारे जीवन में अपना ही महत्व है। ये चरण निम्नलिखित हैं: -
रस: रस स्वाद से कहीं अधिक एक बड़ी अवधारणा है, जहाँ स्वाद किसी बड़ी अवधारणा में प्रवेश करने वाला पहला उपकरण होता है।
रक्त: "रक्त" शब्द देवनागरी शब्द "राज रंजने" से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है - लाल रंग।
मांस: यह शब्द संस्कृत भाषा "मनसा" से लिया गया है, जिसका आयुर्वेद में अर्थ  होता है - तीसरा ऊतक, मांसपेशी ऊतक है।
मेद: आयुर्वेद चिकित्सा में, यह शब्द धातु ऊतक का प्रतिनिधित्व करता है जो वसा से संबंधित है।
अस्थि: आयुर्वेद में, अस्थि शब्द शरीर रचना के संदर्भ में मानव शरीर के बारे में सीखना को संदर्भित करता है।
मज्जा: यह शब्द तंत्रिका तंत्र से संबंधित है और इसे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में चयापचय प्रक्रियाओं को विनियमित करने वाला माना जाता है।
शुक्र: इसे शरीर में सातवीं धातु माना जाता है। यह शरीर का अंत��म ऊतक तत्व है।
आयुर्वेद के चार स्तंभ:
हमारे विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे जो कि पटना के बेस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है, वे कहते हैं कि जैसे कि हम सभी जानते है कि आयुर्वेद के चार स्तंभ होते हैं जो व्यक्ति को उसके अच्छे स्वास्थ्य को प्रबंधन करना व उसे तंदरुस्त बनाए रखने की कला सिखाते हैं। ये चार स्तंभ निम्नलिखित हैं-
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दिनचर्या: व्यक्ति अपनी दिनचर्या के साथ इस प्रकृति में कैसे रहता हैं, यह हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हमेशा मायने रखता है।
शरीर के लिए पोषण: व्यक्ति क्या खाता हैं और उसकी इंद्रियाँ क्या और कैसे अनुभव करती हैं, यह हमारे स्वस्थ शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ है।
शरीर का पाचन: व्यक्ति जो कुछ भी अपने शरीर में ग्रहण करते हैं, उसे उसका शरीर कैसे पाचन करता है और वे कैसे उसका उत्सर्जन होता हैं, यह हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ है।
ऊर्जा प्रबंधन: मनोवैज्ञानिक, तनाव और कई अन्य घटनाएँ व्यक्ति के दिमाग में चलती रहती हैं। उसका ऊर्जा का स्तर इसे कैसे प्रबंधित करता है, जो व्यक्ति की सोच का संदर्भित करता है।
दरअसल, आज की यह चर्चा आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार और हमारे यौन स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सक (सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर) पर आधारित है। कई लोगों ने दुबे क्लिनिक से आयुर्वेद और व्यक्ति के दैनिक जीवन में इसके महत्व के बारे में कुछ जानकारी साझा करने का अनुरोध किया। यहाँ दुबे क्लिनिक ने व्यक्ति के स्वस्थ जीवन के लिए प्राकृतिक चिकित्सा व उपचार के बारे में कुछ जानकारी साझा करने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद वे लोग अपने यौन स्वास्थ्य के बेहतरी के लिए इस प्राकृतिक चिकित्सा से संतुष्ट होंगे जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
गुप्त व यौन विकारों के इलाज में आयुर्वेदिक चिकित्सा सबसे सफल क्यों है?
वास्तव में, आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली जड़ी-बूटियों, रसायनों, भस्म आदि प्राकृतिक तत्वों  पर आधारित है। एक अनुभवी आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य इस चिकित्सा प्रणाली में विशेषज्ञ होते हैं। डॉ. सुनील दुबे भारत के एक विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और बिहार के सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट हैं, जिन्हें आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान में साढ़े तीन दशकों से अधिक का अनुभव है। उनका कहना है कि आयुर्वेद में समस्त गुप्त व यौन बीमारी के लिए 100% सटीक इलाज और दवा उपलब्ध है। वे भारत के सबसे सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक है और वे पुरुषों, महिलाओं, युवा और मध्यम आयु वर्ग के सभी गुप्त व यौन रोगियों को अपना व्यापक आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार प्रदान करते हैं।
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उनका कहना है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार एक सुरक्षित इलाज की प्रक्रिया हैं क्योंकि उन्हें प्राकृतिक अवयवों को शुद्ध करने से लेकर निर्माण तक की कई प्रक्रियाओं से गुज़ारने के बाद बनाया जाता है। इन सभी प्रक्रियाओं में मैन्युअल रूप से और गर्मी या अन्य रूपों में बहुत अधिक ऊर्जा लगती है। इसलिए, यह महंगा हो सकता है लेकिन इसे सभी उद्देश्यों के लिए गुणवत्ता-सिद्ध और सत्यापित होना चाहिए। आयुर्वेदिक दवाएं सभी गुप्त व यौन रोगियों (पुरुष और महिला) के लिए सबसे सफल प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया है जो विभिन्न यौन रोगों से पीड़ित हैं।
पुरुष गुप्त रोगियों के लिए: - जो व्यक्ति स्तंभन दोष की समस्याओं, स्खलन विकार, शीघ्रपतन की समस्या, यौन संचारित रोगों, धातु रोग, कामेच्छा की कम��, बांझपन की समस्याओं व अन्य गुप्त रोग से पीड़ित हैं।
महिला यौन रोगियों के लिए:- जो मासिक धर्म संबंधी समस्याओं, यौन विकारों, योनि संबंधी समस्याओं, यौन संचारित संक्रमणों, दर्द विकारों, योनिजन्य दर्द आदि से पीड़ित हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार की विशेषता:
हमारे आयुर्वेदाचार्य आयुर्वेद एवं सेक्सोलॉजी के चिकित्सा संकाय में आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के रूप में एक लम्बे समय से कार्यरत हैं। बिहार के सभी जिलों व भारत के विभिन्न शहरों से गुप्त व यौन रोगी हमेशा दुबे क्लिनिक में परामर्श लेने के लिए जुड़ते हैं, इसलिए वे भारत के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी हैं। उनका कहना है कि चिकित्सा की यह प्राकृतिक प्रणाली गुप्त व यौन रोगियों को हमेशा सुरक्षित, शुद्ध, प्रभावी और विश्वसनीय उपचार प्रदान करती है।
आयुर्वेद उपचार की विशेषताएं निम्नलिखित हैं: -
समग्र गुप्त व यौन समस्याओं का रामबाण इलाज।
स्वाभाविक रूप से एंटीऑक्सीडेंट गुणों में सुधार करता है।
प्रतिरक्षा और रोगाणुरोधी क्षमता का निर्��ाण करता है।
मनोवैज्ञानिक रूप से तनाव प्रबंधन में मदद करता है।
हृदय, त्वचा, जोड़ों, यकृत और शरीर के लिए अच्छा है।
पाचन स्वास्थ्य के लिए हमेशा अच्छा है।
श्वसन स्वास्थ्य में भी सुधार करता है।
कोई भी रोगी इस आयुर्वेदिक दवा का उपयोग कर सकता है।
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दुबे क्लिनिक के बारे में:
दुबे क्लिनिक भारत का विश्वसनीय व  बिहार का पहला आयुर्वेदा व सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है। वर्तमान समय में भारत के अधिकांश गुप्त व यौन रोगियों के लिए सबसे विश्वसनीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय है। यह एक प्रमाणित क्लिनिक है और पिछले 60 वर्षों से सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों को अपनी चिकित्सा व उपचार प्रदान करते आ रही है। यह आयुर्वेदिक क्लिनिक 6 दशकों की विरासत के साथ लाखों लोगों के विश्वास के पर खड़ी है।
डॉ. सुनील दुबे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं, जो विश्व के शीर्ष 10 सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर की सूची में स्थान में सम्मिलित हैं। वे पहले भारतीय सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी हैं, जिन्हें भारत गौरव अवार्ड, गोल्ड मैडल, अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद रत्न अवार्ड और एशिया फेम आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वे दुबे क्लिनिक में प्रतिदिन प्रैक्टिस करते हैं, जहाँ पूरे भारत से सौ के करीबन में प्रतिदिन गुप्त व यौन रोगी हमेशा इस क्लिनिक से फ़ोन पर संपर्क करते हैं। एक तिहाई गुप्त व यौन रोगी पटना के दुबे क्लिनिक में अपना इलाज करवाने प्रतिदिन आते हैं। वे उन सभी रोगियों को उनके समस्याओं के अनुसार चिकित्सा व उपचार प्रदान करते है।
शुभकामनाओं के साथ:
दुबे क्लिनिक
भारत में एक प्रमाणित क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | पीएच.डी. आयुर्वेद में (यूएसए)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थान: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना – 04
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naturopathy76 · 2 months ago
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नींद की बीमारी (अनिद्रा) के उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक उपचार
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आजकल की व्यस्त जीवनशैली और तनावपूर्ण दिनचर्या के कारण नींद की समस्याएं, विशेष रूप से अनिद्रा (Insomnia), बहुत आम हो गई हैं। पर्याप्त नींद न मिलना न केवल मानसिक थकावट का कारण बनता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। आयुर्वेद, जो कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके से इन समस्याओं का समाधान प्रदान करती है।
अनिद्रा के कारण:
आयुर्वेद में नींद न आने की समस्या वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण मानी जाती है। वात दोष के असंतुलन से मस्तिष्क में चिंता, घबराहट और विचारों की अधिकता होती है, जो नींद में बाधा उत्पन्न करते हैं। वहीं पित्त दोष का असंतुलन शरीर में अत्यधिक गर्मी और चिड़चिड़ापन पैदा करता है, जो मानसिक शांति को भंग करता है और नींद की समस्या को बढ़ाता है।
1. अश्वगंधा
अश्वगंधा आयुर्वेद में एक प्रमुख जड़ी-बूटी मानी जाती है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करती है और तनाव को कम करती है, जो कि अनिद्रा का मुख्य कारण होता है। अश्वगंधा का सेवन नियमित रूप से करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है और शरीर में संतुलन बना रहता है।
2. ब्राह्मी
ब्राह्मी एक और अद्भुत जड़ी-बूटी है जो मस्तिष्क को शांत क��ती है और नींद को बढ़ावा देती है। यह मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होत�� है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को भी बढ़ाती है। ब्राह्मी का सेवन चाय या काढ़े के रूप में किया जा सकता है।
3. जटामांसी 
जटामांसी एक प्राकृतिक शांतक के रूप में कार्य करती है और नींद की समस्याओं को दूर करने में बेहद प्रभावी होती है। यह मानसिक अशांति को कम करती है और मस्तिष्क को आराम देती है, जिससे गहरी नींद आने में मदद मिलती है। जटामांसी का तेल सिर पर मालिश के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
4. त्रिफला
त्रिफला शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखता है। स्वस्थ पाचन अच्छी नींद के लिए आवश्यक है। त्रिफला का नियमित सेवन शरीर को संतुलित रखता है और नींद की गुणवत्ता को सुधारता है।
5. चन्दन और गुलाब जल
चन्दन और गुलाब जल मानसिक शांति प्रदान करने में बेहद सहायक होते हैं। सोने से पहले इनका उपयोग करने से मन और शरीर को शांति मिलती है। चन्दन का तेल माथे पर लगाएं और गुलाब जल से चेहरा धोने के बाद नींद जल्दी आती है और मानसिक तनाव कम होता है।
6. स्फटिक
शतावरी भी एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो शारीरिक और मानसिक थकावट को दूर करने में सहायक होती है। इसका उपयोग अनिद्रा के उपचार के लिए किया जाता है क्योंकि यह शरीर को ठंडक प्रदान करती है और मस्तिष्क को शांत करती है।
7. ध्यान और प्राणायाम
आयुर्वेद में नींद की समस्याओं का एक और प्रभावी उपचार ध्यान और प्राणायाम है। रोजाना 10-15 मिनट ध्यान करने से मस्तिष्क शांत होता है और मानसिक तनाव कम होता है, जिससे अच्छी नींद आती है। प्राणायाम, विशेष रूप से अनुलोम-विलोम, तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और गहरी नींद लाने में मदद करता है।
8. गर्म दूध और हल्दी
रात को सोने से पहले हल्दी और गर्म दूध का सेवन आयुर्वेद में नींद बढ़ाने के लिए एक उत्कृष्ट उपाय माना जाता है। यह न केवल शरीर को आराम देता है, बल्कि यह नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करता है।
9. योग और प्राणायाम
आयुर्वेद में योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास नींद की गुणवत्ता सुधारने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। योगासनों से शरीर की थकान दूर होती है और प्राणायाम से मस्तिष्क शांत होता है, जिससे नींद बेहतर होती है। नियमित रूप से ध्यान और श्वास संबंधी अभ्यास करने से मन को शांति मिलती है और अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
10. जीवनशैली में बदलाव
आयुर्वेद में जीवनशैली को नींद के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। दिनचर्या में अनुशासन, जैसे सोने और जागने का एक नियमित समय निर्धारित करना, नींद की गुणवत्ता को सुधारता है। साथ ही, सोने से पहले मोबाइल, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कम से कम करना चाहिए क्योंकि इनसे नींद में बाधा उत्पन्न होती है।
निष्कर्ष
अनिद्रा का आयुर्वेदिक उपचार पूरी तरह से प्राकृतिक और बिना किसी दुष्प्रभाव के होता है। आयुर्वेद में यह माना जाता है कि नींद की समस्या सिर्फ शरीर की नहीं, बल्कि मन की भी होती है। इसलिए, आयुर्वेद शरीर और मन दोनों को संतुलित कर नींद की समस्या का समाधान करता है। जड़ी-बूटियों के सेवन, जीवनशैली में बदलाव, योग और प्राणायाम के नियमित अभ्यास से नींद की समस्या का स्थायी समाधान किया जा सकता है। आयुर्वेद के इन उपायों को अपनाकर आप भी बिना किसी ��ाइड इफेक्ट के बेहतर नींद का आनंद ले सकते हैं। Visit Us:https://prakritivedawellness.com/customised-healing-centre-in-prayagraj/
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importantparadisefest · 3 months ago
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बवासीर को कैसे ठीक करें: आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपाय
बवासीर (Piles) एक आम ��मस्या है, जो आजकल की जीवनशैली और खान-पान के कारण बढ़ती जा रही है। यह बीमारी मुख्य रूप से मलद्वार की नसों में सूजन और दर्द का कारण बनती है। बवासीर को कैसे ठीक करें अगर इसे समय पर ठीक नहीं किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। यहां हम आपको कुछ आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपाय बता रहे हैं, जो बवासीर को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
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1. त्रिफला चूर्ण का सेवन
त्रिफला चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो पेट साफ रखने और पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करती है। इसे नियमि�� रूप से गर्म पानी के साथ लेने से बवासीर में राहत मिलती है।
2. जीरा और सौंफ का मिश्रण
जीरा और सौंफ को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को खाने के बाद पानी के साथ लेने से पाचन सुधरता है और बवासीर के लक्षणों में कमी आती है।
3. छाछ का सेवन
छाछ एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। बवासीर के रोगी छाछ में अजवाइन और काला नमक मिलाकर सेवन कर सकते हैं।4. एलोवेरा जेल
एलोवेरा जेल को प्रभावित स्थान पर लगाने से सूजन और जलन में राहत मिलती है। बवासीर को कैसे ठीक करें। यह एक प्राकृतिक उपाय है जो बिना किसी साइड इफेक्ट के काम करता है।
5. फाइबर युक्त आहार
बवासीर के उपचार के लिए फाइबर युक्त आहार जैसे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज का सेवन बढ़ाएं। यह मल को नरम रखता है और कब्ज से बचाव करता है, जिससे बवासीर के लक्षणों में राहत मिलती है।
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6. नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम से शरीर की गतिशीलता बढ़ती है और पाचन तंत्र में सुधार होता है। यह बवासीर को ठीक करने में सहायक हो सकता है।
7. पानी का भरपूर सेवन
दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और मल को नरम करता है, जिससे बवासीर में राहत मिलती है। 8. आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में बवासीर के लिए कई उपचार हैं, जैसे कि कचनार गुग्गुल, अरशकु, और पंचतिक्त घृत। यह औषधियां बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। 
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आयुर्वेद और मन, शरीर स्वास्थ्य: संबंध की खोज
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आयुर्वेद, जो कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, एक समग्र प्रणाली है जो न केवल शरीर को ठीक करने पर केंद्रित है, बल्कि मन और आत्मा को भी सुदृढ़ करने का काम करती है। यह विज्ञान हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंध को समझने में मदद करता है। हम आयुर्वेद के माध्यम से मन और शरीर के स्वास्थ्य के बीच के इस अनोखे संबंध की खोज करेंगे।
आयुर्वेद का परिचय
आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ है "जीवन का विज्ञान" (आयु = जीवन, वेद = ज्ञान)। यह लगभग 5000 साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है जो हमारे शरीर और मन के बीच के संतुलन को बनाए रखने पर जोर देती है। आयुर्वेद मानता है कि स्वास्थ्य का मतलब केवल बीमारी का न होना नहीं है, बल्कि मन, शरीर और आत्मा के बीच के संतुलन को बनाए रखना है।
पांच तत्व और तीन दोष
आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, सृष्टि और मानव शरीर पांच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश—से बने होते हैं। ये तत्व मिलकर शरीर में तीन दोषों—वात, पित्त, और कफ—का निर्माण करते हैं, जो हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति को ��ियंत्रित करते हैं।
वात दोष वायु और आकाश तत्वों से बनता है, जो शरीर की गति और संचार का संचालन करता है। पित्त दोष अग्नि और जल स��� उत्पन्न होता है, जो पाचन और तापमान संतुलन को नियंत्रित करता है। कफ दोष पृथ्वी और जल से बनता है, जो शरीर की संरचना और स्नेहन को बनाए रखता है।
इन तीन दोषों का संतुलन बनाए रखना ही आयुर्वेद में स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र है।
मन और शरीर का संबंध
आयुर्वेद के अनुसार, मन और शरीर के बीच गहरा संबंध है। मन की स्थिति सीधे शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। यदि मन शांत और संतुलित है, तो शरीर स्वस्थ रहता है, और अगर मन अशांत या तनावग्रस्त है, तो शरीर में विभिन्न बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं।
यह समग्र दृष्टिकोण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच की कड़ी को समझने में मदद करता है, जिससे हम अपने जीवन में संतुलन और समृद्धि ला सकते हैं। आयुर्वेद मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य के समान महत्वपूर्ण मानता है, इसलिए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य और आयुर्वेद
मानसिक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में कई उपाय बताए गए हैं।
ध्यान (Meditation): ध्यान करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक संतुलन बना रहता है। यह तनाव को कम करने और आत्म-चेतना को बढ़ाने में मदद करता है।
योग: योग शरीर और मन के बीच के संबंध को मजबूत करता है। विभिन्न योगासन और प्राणायाम मन और शरीर के संतुलन को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
औषधियाँ और हर्बल उपचार: आयुर्वेद में मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए कई प्रकार की औषधियों और हर्बल उपचारों का उपयोग किया जाता है। जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, और शंखपुष्पी जैसे हर्ब्स का सेवन मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होता है।
शारीरिक स्वास्थ्य और आयुर्वेद
शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में आहार, दिनचर्या, और जीवनशैली को विशेष महत्व दिया गया है।
आहार: आयुर्वेद में आहार को दवा के रूप में माना जाता है। सही समय पर सही भोजन करना, और भोजन में संतुलित पोषक तत्वों का होना शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर व्यक्ति की प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के अनुसार अलग-अलग आहार योजना होनी चाहिए।
दिनचर्या: आयुर्वेद में एक स्वस्थ दिनचर्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें सुबह जल्दी उठना, समय पर भोजन करना, और उचित समय पर सोने जैसी आदतें शामिल हैं। यह शरीर को प्राकृतिक रूप से संतुलित रखने में मदद करती है।
विहार (जीवनशैली): जीवनशैली में सुधार लाकर हम आयुर्वेदिक तरीके से स्वस्थ रह सकते हैं। जैसे नियमित रूप से व्यायाम करना, प्राकृतिक वातावरण में समय बिताना, और अपने विचारों को सकारात्मक रखना।
मन-शरीर के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में मन और शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए कई प्रभावी उपचार और उपाय सुझाए गए हैं।
पंचकर्म: पंचकर्म आयुर्वेदिक उपचार की एक विधि है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर मन और शरीर के संतुलन को बहाल करने के लिए पांच विशिष्ट प्रक्रियाओं का उपयोग करती है। शिरोधारा: शिरोधारा एक आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें तेल या अन्य तरल पदार्थ को धीरे-धीरे माथे पर डाला जाता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और शरीर में स��तुलन आता है। अभ्यंग: आयुर्वेदिक उपचार में अभ्यंग, यानी तैल मालिश, महत्वपूर्ण है। यह शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, विषैले तत्वों को निकालता है, और मन-शरीर के संतुलन को पुनर्स्थापित करता है। संतुलित मन-शरीर संबंध के लाभ
संतुलित मन-शरीर संबंध हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल बीमारियों से बचाव होता है, बल्कि मानसिक शांति और शारीरिक स्फूर्ति भी मिलती है। यह जीवन में सकारात्मकता, बेहतर निर्णय लेने की क्षमता, और स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार, जब मन और शरीर संतुलित होते हैं, तो हम अपने जीवन में संतोष और आनंद की अनुभूति कर सकते हैं।
  निष्कर्ष
आयुर्वेद हमें सिखाता है कि मन और शरीर के बीच एक गहरा और अविभाज्य संबंध है। दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने से ही हम पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति कर सकते हैं। यदि हम आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन करें और अपनी जीवनशैली को उसके अनुरूप ढालें, तो हम न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी स्वस्थ रह सकते हैं।
आपके लिए  यह समझना महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य केवल शारीरिक ताकत से नहीं आता, बल्कि मन और आत्मा की शांति से भी आता है। इसीलिए, आयुर्वेद के इस ज्ञान को अपनाकर हम एक स्वस्थ, खुशहाल, और संतुलित जीवन की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। Visit Us: https://prakritivedawellness.com/pain-management-treatment-centre-in-prayagraj/
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chandigarhayurved · 5 months ago
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आयुर्वेद दिनचर्या (Daily Routine in Ayurveda)
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आयुर्वेद में दिनचर्या को स्वस्थ जीवन शैली के महत्वपूर्ण अंग के रूप में देखा जाता है। सही दिनचर्या का पालन करके व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है। यहाँ कुछ प्रमुख तत्व दिए गए हैं:
1. प्रातःकालीन क्रियाएँ (Morning Routine):
- जल नेति: नाक की सफाई के लिए नमक के पानी से नासिका धोना।
- कब्ज़ से बचाव: गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीना।
- मल त्याग: स्वाभाविक रूप से मल त्याग करना।
2. दन्तधावन (Oral Hygiene):
- दांतों की सफाई के लिए हर्बल पेस्ट या दातून का उपयोग।
- जिव्हा साफ करने के लिए टंग क्लीनर का उपयोग।
3. आभ्यंग (Oil Massage):
- तिल या नारियल तेल से पूरे शरीर की मालिश करना।
- यह तनाव को कम करता है, त्वचा को पोषण देता है और शरीर को शुद्ध करता है।
4. स्नान (Bathing):
- गर्म पानी से स्नान करना, इससे रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर ताजगी महसूस करता है।
5. योग और ध्यान (Yoga and Meditation):
- नियमित योगासन और प्राणायाम करना।
- ध्यान का अभ्यास मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने के लिए करना।
6. आहार (Diet):
- संतुलित और सात्विक आहार का सेवन।
- मौसम और शारीरिक प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के अनुसार आहार का चय��।
- भोजन के पहले और बाद में पानी का सेवन।
आयुर्वेद चिकित्सा (Ayurvedic Treatment)
आयुर्वेद में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए प्राकृतिक और हर्बल उपचारों का उपयोग किया जाता है। कुछ मुख्य चिकित्सा विधियाँ निम्नलिखित हैं:
1. पंचकर्म (Panchakarma):
- वमन: शरीर से कफ दोष को निकालने के लिए वमन (उल्टी) का उपयोग।
- विरेचन: पित्त दोष को निकालने के लिए जुलाब का उपयोग।
- बस्ती: वात दोष को संतुलित करने के लिए औषधीय एनीमा का उपयोग।
- नस्य: नाक के माध्यम से औषधियों का प्रशासन।
- रक्तमोक्षण: रक्त की शुद्धि के लिए रक्त निकालना।
2. हर्बल औषधियाँ (Herbal Medicines):
- अश्वगंधा (Ashwagandha): तनाव और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए।
- त्रिफला: पाचन और शुद्धिकरण के लिए।
- गिलोय (Giloy): इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए।
- शतावरी: महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए।
3. आहार और पोषण (Diet and Nutrition):
- रोगानुसार विशेष आहार और पोषण का परामर्श।
- सात्विक आहार और हर्बल चाय का सेवन।
4. योग और प्राणायाम (Yoga and Pranayama):
- विभिन्न रोगों के लिए विशेष योगासन और श्वास क्रियाएँ।
- मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक लचीलापन को बढ़ाने के लिए।
5. लाइफस्टाइल और दिनचर्या (Lifestyle and Daily Routine):
- दैनिक दिनचर्या का पालन।
- ऋतुचर्या (मौसम के अनुसार दिनचर्या) का पालन।
निष्कर्ष (Conclusion)
आयुर्वेदिक दिनचर्या और चिकित्सा, स्वस्थ जीवन शैली और रोग मुक्त जीवन के लिए एक संपूर्ण और प्राचीन पद्धति है। यह शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन को बढ़ावा देती है और व्यक्ति को समग्र स्वास्थ्य प्रदान करती है। व्यक्तिगत प्रकृति और आवश्यकताओं के अनुसार, एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना उचित होता है।
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doctorforcervical1 · 7 months ago
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स्वास्थ्य और सुंदरता के लिए प्राकृतिक उपचार
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स्वास्थ्य और सुंदरता, दोनों ही हमारे जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं। आज के व्यस्त जीवन में, हम अक्सर अपने स्वास्थ्य और सुंदरता की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते। हालांकि, प्रकृति ने हमें अनेक ऐसे उपाय दिए हैं जो न केवल हमें स्वस्थ रखते हैं बल्कि हमारी सुंदरता को भी बढ़ाते हैं। आयुर्वेद, योग, और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे उपाय सदियों से हमारे स्वास्थ्य और सुंदरता को बनाए रखने में सहायक रहे हैं। आइए, हम इन प्राकृतिक उपायों पर विस्तार से चर्चा करें।
आयुर्वेदिक उपचार
आहार और पोषण:
आयुर्वेदिक चिकित्सा में आहार का महत्वपूर्ण स्थान है। संतुलित और पोषक आहार न केवल हम���रे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, बल्कि यह हमारी त्वचा की चमक और स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है। आयुर्वेदिक आहार में ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और डेयरी उत्पाद शामिल होते हैं। इसके अलावा मसाले जैसे हल्दी, अदरक और दालचीनी का उपयोग भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
औषधीय पौधे:
आयुर्वेद में कई ऐसे औषधीय पौधे हैं जो स्वास्थ्य और सुंदरता के लिए उपयोगी होते हैं। जैसे कि नीम, तुलसी और आंवला। नीम का तेल त्वचा के लिए अत्यंत लाभकारी होता है, यह मुंहासों को कम करता है और त्वचा को साफ और चमकदार बनाता है। आंवला बालों की सेहत के लिए अच्छा होता है, यह बालों को मजबूत और चमकदार बनाता है।
योग और ध्यान
शारीरिक योगासन:
योग न केवल हमारे शरीर को फिट और तंदुरुस्त रखता है, बल्कि यह हमारी त्वचा और बालों की सुंदरता को भी बढ़ाता है। योगासन जैसे सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन और शीर्षासन शरीर में रक्त संचार को बढ़ाते हैं, जिससे त्वचा को अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं। यह त्वचा को प्राकृतिक रूप से चमकदार और स्वस्थ बनाता है।
ध्यान और प्राणायाम:ध्यान और प्राणायाम मानसिक शांति प्रदान करते हैं, जिससे तनाव कम होता है। तनाव का कम होना त्वचा की सेहत के लिए लाभकारी होता है, क्योंकि तनाव से मुंहासे और अन्य त्वचा समस्याएं बढ़ सकती हैं। प्राणायाम से श्वास प्रणाली मजबूत होती है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे त्वचा और बालों की सेहत में सुधार होता है।
प्राकृतिक त्वचा और बालों की देखभाल
शहद और एलोवेरा:
शहद और एलोवेरा त्वचा और बालों के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में प्रसिद्ध हैं। शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा को साफ रखते हैं और मुंहासों को कम करते हैं। एलोवेरा का जेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और जलन और सूजन को कम करता है। बालों के लिए, एलोवेरा का उपयोग कंडीशनर के रूप में किया जा सकता है, यह बालों को नरम और चमकदार बनाता है।
नारियल तेल और आंवला तेल:नारियल तेल और आंवला तेल बालों के लिए अत्यधिक लाभकारी होते हैं। नारियल तेल बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है और उन्हें पोषण देता है। यह डैंड्रफ को भी कम करता है। आंवला तेल बालों को काला और घना बनाता है और उन्हें समय से पहले सफेद होने से रोकता है।
आयुर्वेदिक औषधियाँ
त्रिफला चूर्ण:
त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण औषधि है, जो तीन फलों - आंवला, बिभीतक और हरितकी - से बनी होती है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। इससे त्वचा और बाल दोनों की सेहत में सुधार होता है।
संतुलित जीवनशैली
पर्याप्त नींद:
स्वास्थ्य और सुंदरता के लिए पर्याप्त नींद आवश्यक है। नींद के दौरान, हमारा शरीर खुद को पुनर्जीवित करता है और त्वचा की मरम्मत करता है। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 7-8 घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए।
व्यायाम:नियमित व्यायाम न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि यह हमारी त्वचा की चमक और बालों की सेहत को भी सुधारता है। व्यायाम से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे त्वचा को अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।
हाइड्रेशन:पर्याप्त ��ानी पीना त्वचा और बालों की सेहत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है।
निष्कर्ष
प्राकृतिक उपचार न केवल स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं, बल्कि सुंदरता को भी बढ़ाते हैं। आयुर्वेद, योग, और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे उपाय हमारे शरीर और मन को स्वस्थ और संतुलित रखते हैं। इन उपायों को अपनाकर, हम न केवल एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं, बल्कि अपनी सुंदरता को भी बनाए रख सकते हैं।प्रकृति ने हमें अनेक ऐसे उपाय दिए हैं, जिन्हें अपनाकर हम अपने स्वास्थ्य और सुंदरता को प्राकृतिक रूप से बढ़ा सकते हैं। इसलिए, आइए हम इन प्राकृतिक उपायों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और एक स्वस्थ और सुंदर जीवन जीएं।Visit us-https://prakritivedawellness.com/beauty-and-fitness/
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4rtheyenews · 7 months ago
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आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में 1256 बच्चों का स्वर्णप्राशन
रायपुर। बच्चों के व्याधिक्षमत्व, पाचन शक्ति, स्मरण शक्ति, शारीरिक शक्तिवर्धन एवं रोगों से बचाव के लिए शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय रायपुर में सोमवार को 1256 बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया गया। आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय के कौमारभृत्य विभाग द्वारा हर पुष्य नक्षत्र तिथि में शून्य से 16 वर्ष के बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया जाता है। स्वर्णप्राशन के साथ ही डॉ. लवकेश चंद्रवंशी ने बच्चों के…
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dubeyclinic · 7 months ago
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आयुर्वेद और हमारा जीवन:
आयुर्वेद प्रकृति का अनमोल उपहार जिसकी उत्पत्ति का सारा श्रेय अथर्ववेद को जाता है, जहाँ कई बीमारियों का उल्लेख और उनके उपचारों की सभी जानकारी इस वेद में दिया गया है। आयुर्वेद का मूल सार यह है कि पुरे ब्रह्मांडके जीवित प्राणी का समावेश पाँच तत्वों जैसे वायु, जल, अंतरिक्ष, पृथ्वी और अग्नि से बना है। ये पाँच तत्व हमेशा पंचमहाभूत को भी संदर्भित करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा भारत की मूल एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें पंचकर्म (5 क्रियाएँ) सहित कई प्रकार के उपचारों का उपयोग किया जाता है।
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 पंचकर्म के नाम निम्नलिखित हैं:- 1. योग 2. मालिश 3. एक्यूपंक्चर 4. हर्बल मेडिसिन 5. स्वास्थ्य को बढ़ावा। आयुर्वेद चिकित्सा की एक प्राकृतिक प्रणाली है, जिसकी उत्पत्ति भारत में 3000 वर्ष से भी पहले हुई थी। आयुर्वेद शब्द संस्कृत शब्दों (आयुर् एवं वेद) से लिया गया एक शब्द है आयुर् जिसका अर्थ है जीवन और वेद जिसका अर्थ है विज्ञान। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि आयुर्वेद हमें प्रकृति के माध्यम से जीवन का संपूर्ण ज्ञान सिखाता है।
आयुर्वेद के सात चरण: दरअसल, आयुर्वेद के इन सात चरणों को सप्त धातु कहा जाता है। प्रत्येक चरण का हमारे जीवन के लिए अपना महत्व है। ये निम्नलिखित हैं:-
रस: रस स्वाद से कहीं अधिक बड़ी अवधारणा है, जहाँ स्वाद किसी बड़ी अवधारणा में प्रवेश करने वाला पहला उपकरण है। जिससे की जीवित प्राणी इस रस का आनंद लेता है।
रक्त: "रक्त" शब्द देवनागरी शब्द "राज रंजने" से लिया गया है, जिसका अर्थ लाल रंग होता है।
मांस: यह संस्कृत शब्द "मनसा" से लिया गया है, जो आयुर्वेद में तीसरे ऊतक, मांसपेशी ऊतक को दर्शाता है।
मेद: आयुर्वेद चिकित्सा में, यह धातु ऊतक का प्रतिनिधित्व करता है जो वसा का प्रतिनिधित्व करता है।
अस्थि: आयुर्वेद में, अस्थि शरीर रचना के संदर्भ में मानव शरीर के बारे में दर्शाता है।
मज्जा: यह तंत्रिका तंत्र से संबंधित है और मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में चयापचय प्रक्रियाओं को विनियमित करने वाला होता है।
शुक्र: इसे शरीर में सातवीं धातु माना जाता है। यह शरीर का अंतिम ऊतक तत्व है।
आयुर्वेद के चार स्तंभ:
हमारे विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे बताते हैं कि आयुर्वेद के चार स्तंभ होते हैं जो हमें अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में हमारी मदद करते हैं। ये चार स्तंभ निम्न���िखित हैं-
1. हमारी दिनचर्या: हम अपनी दिनचर्या के साथ इस प्रकृति में कैसे रहते हैं, यह हमेशा हमारे शरीर के लिए मायने रखता है। यह हमारी प्रकृति को भी व्यक्त करता है।
2. शरीर के लिए पोषण: हम क्या खाते हैं और हमारी इंद्रियाँ क्या अनुभव करती हैं, यह हमारे स्वस्थ शरीर के लिए महत्वपूर्ण है। एक कहावत है कि हम जैसा खाते है, वैसे ही बनते है।
3. शरीर का पाचन: हम जो कुछ भी अपने शरीर में ग्रहण करते हैं, उसे हम कैसे पचाते और उत्सर्जित करते हैं, यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है।
4. ऊर्जा प्रबंधन: मनोवैज्ञानिक, तनाव और कई अन्य घटनाएँ हमारे दिमाग में चलती रहती हैं। हमारा ऊर्जा स्तर इसे कैसे प्रबंधित करता है, यह हमारी सोच का संकेत है। ऊर्जा का संचयन व सकारात्��क व्यय हमारे शरीर में एक प्रतिफल के रूप में होता है।
आज की हमारी चर्चा का मुख्य बिंदु आयुर्वेदिक चिकित्सा और हमारे यौन स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सक पर आधारित है। भारत के विभिन्न शहरों से कई लोगों ने हमसे आयुर्वेद और हमारे दैनिक जीवन में इसके महत्व के बारे में कुछ जानकारी साझा करने का अनुरोध किया। यहाँ दुबे क्लिनिक ने स्वस्थ जीवन के लिए प्राकृतिक प्रद्धति एवं इसके दवाओं के बारे में कुछ जानकारी साझा करने की कोशिश की है। हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद वे लोग इस प्राकृतिक चिकित्सा की पद्धति से संतुष्ट होंगे जो हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बहुत सारे लोगो ने यह पूछा कि यौन रोगियों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा सबसे सफल क्यों है?
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है क्योकि बहुत सारे लोग जो लोग आयुर्वेदिक उपचार को हल्के में लेते है। निश्चित ही, आयुर्वेदिक उपचार के वास्तविकता को समझेंगे तो उन्हें बहुत फायदा होगा। वास्तव में, आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली जड़ी-बूटियों, रस - रसायनों, भस्मो  आदि जैसे प्राकृतिक पदार्थों पर आधारित है। आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य इस चिकित्सा प्रणाली में विशेषज्ञता रखते हैं। डॉ. सुनील दुबे एक विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और पटना में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं, जिन्हें आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान में साढ़े तीन दशकों से भी अधिक समय का अनुभव है।
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उनका मानना है कि आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का 100% सटीक व शुद्ध उपचार और दवा उपलब्ध है। वे भारत में एक वरिष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के रूप में दुबे क्लिनिक में कार्यरत हैं साथ-ही-साथ वे पुरुषों, महिलाओं, युवा और मध्यम आयु वर्ग के सभी प्रकार के यौन रोगियों को अपना आयुर्वेदिक उपचार और दवा प्रदान करते हैं।
उनका कहना है कि आयुर्वेदिक दवाएँ महंगी हो सकती हैं क्योंकि वे शुद्धिकरण से लेकर निर्माण तक की कई प्रक्रियाओं के लिए प्राकृतिक अवयवों के अधीन होने के बाद बनाई जाती हैं। इन सभी प्रक्रियाओं में मैन्युअल रूप से और गर्मी या अन्य रूपों में बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है। यही कारण है कि यह महंगा हो सकता है लेकिन इसे सभी उद्देश्यों के लिए गुणवत्ता-सिद्ध और ��त्यापित होना चाहिए। आजकल के प्रतिस्पर्धा में सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर ने गुणवत्ता कम मात्रा पर अधिक ध्यान दिया है जिससे वे मरीज को तो बेवकूफ बना देते है, परन्तु इस पेशे के वास्तविक्ता को नहीं।
आयुर्वेदिक दवाएं उन सभी यौन रोगियों (पुरुषों व महिलाओं) के लिए सबसे सफल उपचार प्रक्रिया है जो विभिन्न प्रकार के यौन रोगों से पीड़ित हैं।
पुरुष यौन रोगियों के लिए:-  जो पुरुष इरेक्शन की समस्या (कमजोर इरेक्शन, कभी-कभार इरेक्शन व  इरेक्शन न की स्थिति), स्खलन विकार (शीघ्रपतन, प्रतिगामी स्खलन, व विलम्बित स्खलन), यौन संचारित रोग, धातु रोग, कामेच्छा और बांझपन की समस्याओं से पीड़ित हैं।
 महिला यौन रोगियों के लिए:- जो मासिक धर्म की समस्याओं, यौन विकार, योनि संबंधी समस्याओं, यौन संचारित संक्रमण, दर्द विकार, वैजिनिस्मस आदि से पीड़ित हैं।
आयुर्वेद की विशेषता: हमारे आयुर्वेदाचार्य आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी के चिकित्सा संकाय में भारत के नंबर वन आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनसे इलाज के लिए भारत के साथ-साथ बिहार के पूरे जिलों से यौन रोगी हमेशा दुबे क्लिनिक आते हैं, इसलिए; वे उन सभी के लिए बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट हैं। उनका लोगो से यही कहना है कि चिकित्सा की यह प्राकृतिक प्रणाली हमेशा यौन रोगियों को सुरक्षित, शुद्ध, प्रभावी और विश्वसनीय उपचार प्रदान करती है। यह रोगो को जड़ से ख़त्म करती है जिससे कि यौन या गुप्त रोगी को आजीवन उसके परेशानी से छुटकारा मिल जाता है।
आयुर्वेद चिकित्सा की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:-
संपूर्ण यौन समस्याओं से राहत मिलती है।
प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट गुणों में सुधार करता है।
प्रतिरक्षा और रोगाणुरोधी गुणों का निर्माण करता है।
मनोवैज्ञानिक रूप से तनाव प्रबंधन में मदद करता है।
हृदय, त्वचा, जोड़, यकृत और शरीर के लिए अच्छा है।
पाचन स्वास्थ्य के लिए हमेशा अच्छा है।
श्वसन स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता ���ै।
कोई भी रोगी इस आयुर्वेदिक दवा का उपयोग कर सकता है।
दुबे क्लिनिक के बारे में:
दुबे क्लिनिक बिहार का पहला आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक ��ै जो कि पटना के लंगर टोली, चौराहा के नजदीक स्थित है। वर्तमान समय में सभी भारतीय यौन रोगियों के लिए यह आयुर्वेदिक क्लिनिक सबसे विश्वसनीय स्थान है। यह एक प्रमाणित क्लिनिक है जो कि 60 वर्षों से यौन रोगियों की सेवा व उनका इलाज करते आ रहा है। वास्तव में, इस आयुर्वेदिक क्लिनिक की 6 दशकों की विरासत लाखों लोगों के विश्वास के साथ खड़ी है। यह चिकित्सालय अपने प्राकृतिक दवा व इलाज के गुणवत्ता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है।
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 डॉ. सुनील दुबे एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं जो दुनिया के शीर्ष-5 वरिष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर की सूची में स्थान रखते हैं। वे पहले भारतीय सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी हैं जिनको कि भारत गौरव पुरस्कार, स्वर्ण पदक, अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद रत्न पुरस्कार और एशिया फेम आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से सम्मानित किया गया है। वह दुबे क्लिनिक नित्य-दिन प्रैक्टिस करते हैं, जहाँ पूरे भारत से सौ से अधिक यौन रोगी प्रतिदिन उनसे फ़ोन पर संपर्क करते हैं। एक तिहाई यौन रोगी पटना के दुबे क्लिनिक में अपना इलाज करवाने आते हैं। वह उन सभी की उचित प्रतिक्रिया देते हैं और उन्हें उनका इलाज और दवाएँ देने में मदद करते है।
शुभकामनाओं के साथ:
दुबे क्लिनिक
भारत में एक प्रमाणित क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | आयुर्वेद में पी.एच.डी. (यू.एस.ए.)
स्थान: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना - 04
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586; +91 91555 55112
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publickart · 8 months ago
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खाना जल्दी हजम करने और पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए इस हरे पत्ते का ऐसे करें इस्तेमाल, झटपट मिलेगा आराम
Kabj Ka Ramban Ilaj: इंडियन कल्चर में पान के पत्तों का आध्यात्मिक महत्व है. इसका इतिहास लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व का है. विभिन्न प्राचीन और धार्मिक ग्रंथों में भी पान के पत्ते का उल्लेख मिलता है. हिंदी शब्द ‘पान’ की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘पर्ना’ से हुई है जिसका मतलब है ‘पत्ता’. अपने सांस्कृतिक महत्व और मुखशुद्धि के अलावा, पान के पत्तों के चमत्कारी स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. इनका आयुर्वेद में…
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gacrewa · 9 months ago
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पित्ताशय की पथरी - Government Autonomous Ayurveda College and Hospital , Nipaniya Rewa
पित्ताशय की पथरी एक गंभीर आयुर्वेदिक समस्या है जिसमें पित्ताशय में पथरी का बनना होता है। यह समस्या अक्सर बदहजमी, उल्टी, पेट फुलना, एसिडिटी, खट्टी डकार, और बहुत ज्यादा पसीना आने के साथ जुड़ी होती है।
बदहजमी, उल्टी, और पेट फुलना जैसे लक्षण पाचन के संबंधित समस्याओं को सुझाते हैं जो पित्ताशय की पथरी के कारण हो सकती हैं। एसिडिटी और खट्टी डकार भी इस समस्या के परिणाम स्वरूप हो सकती हैं। इसके अलावा, बहुत ज्यादा पसीना आना भी पित्ताशय की समस्याओं का संकेत हो सकता है।
यदि आप इन लक्षणों से पीड़ित हैं, इन लक्षणों को अनदेखा न करें और इस समस्या के समाधान के लिए आज ही रीवा के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के विशेषज्ञों से सलाह लें।
शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा (म.प्र.)
फोन : +91 9575522246, 07662299159
वेबसाइट :- https://gacrewa.org.in/
पता :- निपनिया, रीवा मध्य प्रदेश 486001
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martandstore · 10 months ago
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हमारा खानपान और जीवनशैली बदल रही है, लेकिन इसके साथ ही पेट संबंधित समस्याएं भी बढ़ रही हैं। स्वस्थ पाचन प्रक्रिया हमारे सारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर इसमें कोई असमर्थि होता है तो यह समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आयुर्वेद में इस समस्या का समाधान पाचक गोलियों में है, और इसमें Martand एक विशेष ब्रांड है जो आपकी सेहत के लिए सर्वोत्तम है।
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arogyadoot · 10 months ago
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पाचन तंत्र मजबूत करने के लिए आयुर्वेदिक दवा | Ayurvedic medicine to digestive system
पाचन तंत्र हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह हमारे शरीर में भोजन को पचाता है और हमें ऊर्जा प्रदान करता है। एक स्वस्थ पाचन तंत्र भोजन को ठीक से पचाता है और शरीर के हर हिस्से को अधिकतम पोषक तत्व प्रदान करता है।
पाचन तंत्र मजबूत करने के लिए आयुर्वेदिक दवा | Ayurvedic medicine to strengthen digestive system
आयुर्वेद में पाचन तंत्र को अग्नि माना गया है। पाचन तंत्र को शरीर की ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। शरीर में उत्पन्न होने वाली प्रत्येक ऊर्जा इसी पाचन तंत्र से प्राप्त होती है। आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियाँ उपलब्ध हैं जो पाचन में सहायता कर सकती हैं और पाचन विकारों का इलाज कर सकती हैं। यहां पाचन समस्याओं के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां दी गई हैं Read More for Info
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lawyer-usa · 11 months ago
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सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए
प्रिय पाठकों अक्सर लोग यह सोचते है, कि हमें सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए?  रात को सोते समय अक्सर हम सभी के दिमाग में यही रहता है। कि सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए। और सुबह के समय में ऐसा क्या खाएं जिससे शरीर को पूरा पोषण मिले। सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए
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सुबह का समय एक नए दिन की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है। और सही आहार से शुरुआत करना हमारे स्वास्थ्य और ऊर्जा को पोषण पहुँचाने में मदद कर सकता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि सुबह उठते ही कौन से आहार का सेवन करना चाहिए ताकि हम दिनभर ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ सकें।
शरीर की आवश्यकताएं:
सुबह का आहार हमारे शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता है जिससे हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है। सुबह उठने के बाद, हमारे शरीर को ताजगी और ऊर्जा की आवश्यकता होती है ताकि हम दिनभर की चुनौतियों का सामना कर सकें।
हम अक्सर भागदौड़ भरी जिंदगी में अच्छा नाश्ता नहीं कर पाते हैं। यह सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अगर आप भी इसी तरह के सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं। तो इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि किन -किन चीजों को सुबह उठकर सबसे पहले खाना चाहिए। 
यह चीजें आयुर्वेद में वर्णित है। आयुर्वेद के अनुसार इन चीजों का सेवन आपको सवस्थ रखता है। सुबह उठकर इन्हें खाने से जल्द ही सेहत भी बन जाती हैं। केवल शर्त यह है। कि इन चीजों को अपनी खाली पेट खाना है। 
गुड़ (Jaggery)
गुड़ आयुर्वेद के अनुसार खाली पेट गुड़ खाना चाहिए।  क्योंकि सुबह उठकर सबसे पहले गुड़ खाना बेहद फायदेमंद माना जाता है। गुड़ के साथ अगर गुनगुना पानी हो तो क्या कहना, इसके अलावा अब गुड के साथ चने भी मिलाकर खा सकते हैं। 
इससे शरीर को बहुत अधिक ऊर्जा मिलती है, खून साफ होता है, कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। इससे दिनभर एसिडिटी भी नहीं होती है।
चने 
भीगे हुए काले चने में बादाम की तुलना में अधिक पोषक तत्व है। यह महिलाओं एंव पुरूषों के लिए प्रोटीन, फाइबर, खनीज और विटामिन के लिए सबसे अच्छा स्रोत है। दिन की शुरुआत में ��से खाने से शरीर में दिनभर उर्जा का संचार होता है। 
एक शोध के अनुसार अगर रोज़ सुबह एक मुट्ठी भीगे हुए चने को शहद या गुड़ के साथ खाया जाए तो यह प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है।अगर आप बिना नमक डालें रोजाना एक मुट्ठी चना खाते हैं। तो इससे आपकी त्वचा भी साफ और ग्लोइंग हो जाती है।
किशमिश
सुबह उठकर खाली पेट किशमिश खाएं। अगर आप बासी मुँह भीगे हुए किशमिश खाते हैं तो यह ज्यादा फायदेमंद होती है कि इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। 
दूध
एक गिलास दूध में प्रोटीन होता है और एक अध्ययन से यह भी पता चला है, कि रोजाना दूध पीने से याददाश्त भी तेज होती है। दूध एक एनर्जी बूस्टर है। यह त्वचा बालों और हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद है। सुबह उठकर ​प्रतिदिन एक गिलास दूध पीने वाले लोग अन्य लोगों की तुलना में कम बीमार पड़ते है। 
खासतौर पर उन महिलाओं एंव बच्चों के लिए दूध बहुत जरूरी हैं। जो माँ बन चुकी है और उनका बच्चा माँ का दूध पीता है। 
लहसुन
लहसुन सुबह खाली पेट लहसुन खाने से कई फायदे होते हैं। सुबह उठकर खाली पेट लहसुन की कली खाएं। यह पाचन के लिए रामबाण औषधि है। अगर आपका पेट फूलने की समस्या है। तो यह बहुत फायदेमंद होगा। सुबह खाली पेट एक गिलास पानी के साथ कच्चा लहसुन खाने से आपकी सेहत को कई तरह के फायदे होते है। लहसुन खाने से खून का जमाव नहीं होता और हार्ट अटैक का खतरा भी कम किया जा सकता है। 
पुरुषों के लिए कच्चे लहसुन खाने का लाभ उनकी मर्दाना ताकत को बढ़ाता है। लहसुन को चाहे आप कच्चा खाएं भूनकर खाएं। यह हर तरह से सेहत को लाभ पहुंचाता है।
बादाम
बादाम सुबह उठकर सबसे पहले भीगे हुए बादाम खाएं।
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