#पत्नी-बेटी
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thebharatexpress · 2 years ago
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BJP नेता की लाश: BJP नेता की सड़क किनारे मिली लाश में बड़ा खुलासा, पत्नी-बेटी समेत पूरा परिवार पुलिस हिरासत में…
BJP नेता की लाश : लोरमी। BJP leader’s dead body found : छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में एक बीजेपी नेता की सड़क किनारे संदिग्ध हालत में लाश मिलने के माम��े में बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस मामले में मृतक भाजपा नेता के परिवार वालों को हिरासत में लिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी नेता के हत्याकांड के मांमले में 5 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। बता दें कल भाजपा…
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satlokashram · 11 months ago
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"भक्त जती तथा सती होना चाहिए" "जति के लक्षण" पुरूष यति (जति) सो जानिये, निज त्रिया तक विचार। माता बहन पुत्री सकल और जग की नार।। भावार्थ:- यति पुरूष उसको कहते हैं जो अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य स्त्री में पति-पत्नी वाला भाव न रखें। परस्त्री को आयु अनुसार माता, बहन या बेटी के भाव से जानें।
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ramnathsblog · 1 year ago
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दहेज के कारण बेटी परिवार पर भार मानी जाने लगी है और उसको गर्भ में ही मारने का सिलसिला शुरू है।जो माता-पिता के लिए महापाप का कारण बनता है। बेटी देवी का स्वरूप है। हमारी कुपरम्पराओं ने बेटी को दुश्मन बना दिया।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज।
💰श्री देवीपुराण के तीसरे स्कंद में प्रमाण है कि इस ब्रह्माण्ड के प्रारम्भ में तीनों देवताओं का जब इनकी माता श्री दुर्गा जी ने विवाह किया, उस समय न कोई बाराती था, न कोई भाती था। न कोई भोजन-भण्डारा किया गया था। न डी.जे बजा था, न कोई नृत्य किया गया था। श्री दुर्गा जी ने अपने बड़े पुत्र श्री ब्रह्मा
जी से कहा कि हे ब्रह्मा! यह सावित्री नाम की लड़की तुझे तेरी पत्नी रूप में दी जाती है। इसे ले जाओ और अपना घर बसाओ। इसी प्रकार अपने बीच वाले पुत्र श्री विष्णु जी से लक्ष्मी जी तथा छोटे बेटे श्री शिव जी को पार्वती जी को देकर कहा ये तुम्हारी पत्नियां हैं। इनको ले जाओ और अपना-अपना घर बसाओ। तीनों अपनी-अपनी पत्नियों को लेकर अपने-अपने लोक में चले गए जिससे विश्व का विस्तार हुआ।
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helputrust · 4 months ago
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|| जय श्री राम ||
लखनऊ 11.07.2024 | राम राज्य के वर्तमान समय में हमें अपने समाज के सबसे निर्धन और असहाय वर्ग की मदद के लिए आगे आना होगा । यह वह समय है जब हम उनके साथ मिलकर, उनकी मदद कर सकते हैं और उन्हें जीवन की आधारभूत जरूरतें प्रदान करने का संकल्प ले सकते हैं । इसी कड़ी में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 'सियाराम की रसोई' अभियान की शुरुआत की गयी जिसका उद्देश्य है प्रतिदिन गरीबों को आपके सहयोग से नि:शुल्क भरपेट भोजन प्रदान कर मानवता की सेवा करना ।
आप अपने “कभी खुशी कभी गम” के यादगार पलों (जन्मदिवस, सालगिरह, पुण्यतिथि आदि) के शुभ अवसर पर निम्नलिखित तरीकों से जनहित में अपना अमूल्य समर्थन प्रदान कर सकते हैं:
1. ऑनलाइन दान करके आर्थिक सहायता प्रदान करना |
2. खाद्य सामग्री, जैसे कि अनाज, दाल, चावल, फल, सब्जियां और ताजा दूध आदि, को संग्रहित करके हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के समृद्धि केंद्र में जमा करना |
उल्लेखनीय हैं कि भोजन वितरण से पहले, आपके यादगार पलों / विशेष दिन के अवसर की घोषणा उपस्थित सभी लोगों के समक्ष की जाएगी, ताकि  आपको आध्यात्मिक साधकों से आशीर्वाद और शुभकामनाएं मिल सकें |
सियाराम की रसोई अभियान के अंतर्गत, श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी, निवासी 68/240, छितवापुर, पजावा, लालकुआं, लखनऊ ने अपने पूज्य पति स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी (मुन्नू) जी के स्वर्गवास को दो माह पूर्ण होने पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की 'सियाराम की रसोई' योजना के अंतर्गत 201 व्यक्तियों के लिए ₹5100/- का दान देकर भोजन की व्यवस्था में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया जिसके लिए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी तथा उनके परिवार का आभार प्रकट करता है और स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।
इस ��वसर पर श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी ने कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी एवं स्वयंसेवकों का हार्दिक आभार प्रकट करती हूँ जिनके सहयोग से मैंने आज अपने पति की दूसरे माह की पुण्यतिथि पर प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया । मैंने यह निश्चय किया है कि मैं हर महीने की 11 तारीख को पूरे लखनऊ के कोने-कोने में भंडारे का आयोजन करूंगी ।"
इस अवसर पर स्वर्गीय श्री प्रकाश चंद्र तिवारी जी की पत्नी श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी एवं श्री उमा शंकर मिश्रा, मित्र, श्रीमती रुचि शुक्ला, बेटी, श्रीमती दीपा दुबे, भांजी, श्रीमती निर्मला तिवारी, रिश्तेदार तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी जी और ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
#पुण्यतिथि #प्रकाशचन्द्रतिवारी
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dharmendrabhati · 4 months ago
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#GodMorningSaturday
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यति पुरूष उसको कहते हैं जो अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य स्त्री में पति-पत्नी वाला भाव न रखें। परस्त्री को आयु अनुसार माता, बहन या बेटी के भाव से जानें।
जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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niranjansharmasblog · 7 months ago
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जति के लक्षण....
यति पुरूष उसको कहते हैं जो अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य स्त्री में पति-पत्नी वाला भाव न रखें। परस्त्री को आयु अनुसार माता, बहन या बेटी के भाव से जानें।
#GodNightTuesday
#जगत_उद्धारक_संत_रामपालजी
🙏जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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sstkabir-0809 · 1 year ago
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( #MuktiBodh_Part116 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part117
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 229-230
कथा :- शंकर जी का मोहिनी स्त्री के रूप पर मोहित होना
जिसमें दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव जी ऐसा न करने को कहकर घर से बाहर चले गए थे। सीता जी का अपहरण होने के पश्चात् श्रीराम जी अपनी पत्नी के वियोग में विलाप कर रहे थे तो उनको सामान्य मानव जानकर उमा जी ने शंकर भगवान की उस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि ये विष्णु जी ही पृथ्वी पर लीला कर रहे हैं। जब उमा जी सीता जी का रूप बनाकर श्री राम जी के पास गई तो वे बोले, हे दक्ष पुत्र माया! भगवान शंकर को कहाँ छोड़ आई। इस बात को श्री राम जी के मुख से सुनकर उमा जी लज्जित हुई और अपने निवास पर आई। शंकर जी की आत्मा में प्रेरणा हुई कि उमा ने परीक्षा ली है। शंकर जी ने विश्वास के साथ कहा कि परीक्षा ले आई। उमा जी ने कुछ संकोच करके
भय के साथ कहा कि परीक्षा नहीं ली अविनाशी। शंकर जी ने सती जी को हृदय से त्याग दिया था। पत्नी वाला कर्म भी बंद कर दिया। बोलना भी कम कर दिया तो सती जी अपने घर राजा दक्ष के पास चली गई।
राजा दक्ष ने उसका आदर नहीं किया क्योंकि उसने शिव जी के साथ विवाह पिता की इच्छा के विरूद्ध किया था। राजा दक्ष ने हवन कर रखा था। हवन कुण्ड में छलाँग लगाकर सती जी ने प्राणान्त कर दिया था। शंकर जी को पता चला तो अपनी ससुराल आए। राजा दक्ष का सिर काटा, फिर उस पर बकरे का सिर लगाया। अपनी पत्नी के कंकाल को उठाकर दस हजार वर्ष तक उमा-उमा करते हुए पागलों की तरह फिरते रहे। एक दिन भगवान विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उस कंकाल को टुकड़े-टुकड़े कर दिया। जहाँ पर धड़ गिरा, वहाँ पर वैष्णव देवी मंदिर बना। जहाँ पर आँखें गिरी, वहाँ पर नैना देवी मंदिर बना।
जहाँ पर जीभ गिरी, वहाँ पर ज्वाला जी का मंदिर बना तथा पर्वत से अग्नि की लपट निकलने लगी। तब शंकर जी सचेत हुए तथा अपनी दुर्गति का कारण कामदेव (sex) को माना। कामदेव वश हो जाए तो न स्त्री की आवश्यकता हो और न ऐसी परेशानी हो। यह विचार करके हजारों वर्ष काम (sex) का दमन करने के उद्देश्य से तप किया। एक दिन कामदेव उनके निकट आया और शंकर जी की दृष्टि से भस्म हो गया। शंकर जी को अपनी सफलता पर असीम प्रसन्नता हुई। जो भी देव उनके पास आता था तो उससे कहते थे कि मैंने कामदेव को भस्म कर दिया है यानि काम विषय पर विजय प्राप्त कर ली है। मैं कभी भी किसी सुंदरी से प्रभावित नहीं हो सकता। अन्य जो विवाह किए हुए हैं, वे ऊपर से सुखी नजर आते हैं, अंदर से महादुःखी रहते हैं। उनको सदा अपनी पत्नी की रखवाली, समय पर घर पर न आने से डाँटें खाना आदि-आदि परेशानियां सदा बनी रहती हैं। मैंने यह दुःख निकट से देखा है। अब न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
काल ब्रह्म को चिंता बनी कि यदि सब इस प्रकार स्त्री से घृणा करेंगे तो संसार का अंत हो जाएगा। मेरे लिए एक लाख मानव का आहार कहाँ से आएगा? इस उद्देश्य से नारद जी को प्रेरित किया। एक दिन नारद मुनि जी आए। उनके सामने भी अपनी कामदेव पर विजय की कथा सुनाई। नारद जी ने भगवान विष्णु को यथावत सुनाई। श्री विष्णु जी को काल ब्रह्म ने प्रेरणा की। भाई की परीक्षा करनी चाहिए कि ये कितने खरे हैं। काल ब्रह्म की प्रेरणा से एक दिन शिव जी विष्णु जी के घर के आँगन में आकर बैठ गए। सामने बहुत बड़ा फलदार वृक्षों का बाग था। भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले थे। बसंत जैसा मौसम था। श्री विष्णु जी, शिव जी के पास बैठ गए। कुशलमंगल जाना। फिर विष्णु जी ने पूछा, सुना है
कि आपने काम पर विजय प्राप्ति कर ली है। शिव जी बोले, हाँ, मैंने कामदेव का नाश कर दिया है। कुछ देर बाद शिव जी के मन में प्रेरणा हुई कि भगवान मैंने सुना है कि सागर मंथन के समय आप जी ने मोहिनी रूप बनाकर राक्षसों को आकर्षित किया था। आप उस रूप में कैसे लग रहे थे? मैं देखना चाहता हूँ। पहले तो बहुत बार विष्णु जी ने मना किया, परंतु शिव जी के हठ के सामने स्वीकार किया और कहा कि कभी फिर आना। आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से कहीं जाना है। यह कहकर विष्णु जी अपने महल में चले गए। शिव जी ने कहा कि जब तक आप वह रूप नहीं दिखाओगे, मैं भी जाने वाला नहीं हूँ। कुछ ही ��मय के बाद शिव जी की दृष्टि बाग के एक दूर वाले कोने में एक अपसरा पर पड़ी जो सुन्दरता का सूर्य थी। इधर-उधर देखकर शिव जी उसकी ओर चले पड़े, ज्यों-ज्यों निकट गए तो वह सुंदरी अधिक सुंदर लगने लगी और वह अर्धनग्न वस्त्र पहने थी। कभी गुप्तांग वस्त्र से ढ़क जाता तो कभी हवा के झोंके से आधा हट जाता। सुंदरी ऐसे भाव दिखा रही थी कि जैसे उसको कोई नहीं देख रहा। जब शिव जी को निकट देखा तो शर्मशार होकर तेज चाल से चल पड़ी। शिव जी ने भी गति बढ़ा दी। बड़े परिश्रम के पश्चात् तथा घने वृक्षों के बीच मोहिनी का हाथ पकड़ पाए। तब तक शिव जी का शुक्रपात हो चुका था। उसी समय सुंदरी वाला स्वरूप श्री विष्णु रूप था। भगवान विष्णु जी शिव जी की दशा देखकर मुस्काए तथा कहा कि ऐसे उन राक्षसों से अमृत छीनकर लाया था। वे राक्षस ऐसे मोहित हुए थे जैसे मेरा छोटा भाई कामजीत अब काम पराजित हो गया। शिव जी ने उसके पश्चात् हिमालय राजा की बेटी पार्वती से अंतिम बार विवाह किया। पार्वती वाली आत्मा वही है जो सती जी थी। पार्वती रूप में अमरनाथ स्थान पर अमर मंत्रा शिव जी से प्राप्त करके अमर हुई है। इस प्रकार वाणी में कहा है कि शंकर जी की समाधि तो अडिग (न डिगने वाली) थी जैसा पौराणिक मानते हैं। वह भी मोहे गए। माया के वश हो गए।
◆ वाणी नं. 140 में बताया है कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती तीनों लोकों में सबसे सुंदर स्त्रियां में से एक है। शिव राजा ऐसी सुंदर पत्नी को छोड़ मोहिनी स्त्री के पीछे चल पड़े। पहले अठासी हजार वर्ष तप किया। फिर लाख वर्ष तप किया काम (sex) पर विजय पाने के लिए और भर्म भी था कि मैनें काम जीत लिया। फिर हार गया।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 145 :-
गरीब, कष्ण गोपिका भोगि करि, फेरि जती कहलाय। याकी गति पाई नहीं, ऐसे त्रिभुवनराय।। 145।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण के विषय में श्रीमद् भागवत (सुधा सागर) में प्रमाण है कि श्री कृष्ण मथुरा वृंदावन की गोपियों (गोपों की स्त्रियों) के साथ संभोग (sex) किया करते थे। वे फिर भी जती कहलाए। (अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य की स्त्री से कभी संभोग न करने वाला या पूर्ण रूप से ब्रह्मचारी को जती कहते हैं।) उसका भेद ही नहीं पाया। ऐसे ये तीन लोक के मालिक {श्री कृष्ण के अंदर प्रवेश करके काल ब्रह्म गोपियों से सैक्स करता था। स्त्रियों को तो श्री कृष्ण नजर आता था। काल ब्रह्म सब कार्य गुप्त करता है।} हैं।
◆ वाणी नं. 142-144 :-
गरीब, योह बीजक बिस्तार है, मन की झाल किलोल। पुत्र ब्रह्मा देखि करि, हो गय�� डामांडोल।।142।।
गरीब, देह तजी दुनियां तजी, शिब शिर मारी थाप।
ऐसे ब्रह्मा पिता कै, काम लगाया पाप।।143।।
गरीब, फेरि कल्प करुणा करी, ब्रह्मा पिता सुभान।
स्वर्ग समूल जिहांन में, योह मन है शैतान।।144।।
◆ सरलार्थ :- एक समय ब्रह्मा जी देवताओं तथा ऋषियों को वेद ज्ञान समझा रहे थे। मन तथा इंद्रियों पर संयम रखने पर जोर दे रहे थे। ब्रह्मा जी की बेटी सरस्वती पति चुनने के लिए अपने पिता की सभा में गई जिसमें युवा देवता तथा ऋषि विराजमान थे। उनको आकर्षित करने के लिए सब श्रृंगार करके सज-धजकर गई थी। अपनी पुत्र की सुंदरता देखकर काम (sex) के वश होकर संयम खोकर विवेक का नाश करके अपनी बेटी से संभोग (Sex) करने को उतारू हो गया था। ब्रह्मा पाप के भागी बने। मन तो कबीर परमात्मा की भक्ति तथा तत्वज्ञान से काबू में आता है।
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क्रमशः__________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं�� आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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deepjams4 · 11 months ago
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अग्नि परीक्षा!
सही हुआ उसके घर बेटी न हुई बेटी पाने योग्य होता वो कैसे कभी
जिसने स्त्री की मान मर्यादा एवं प्रतिष्ठा का मोल ही न जाना कभी!
उसका साथ निभाने के लिए ही तो पत्नी बसा संसार छोड़ हुई बेघर
डूबी उसके प्रेम में बस चल दी उसके संग भटकने हर बस्ती हर नगर!
ख़ाक छानती रही वो पहाड़ों की जंगलों में घूमती फिरी थी हर डगर
क्या मान सम्मान किया पत्नी का उसने क्या त्याग की हुई थी कदर!
पवित्रता की परीक्षा देकर भी अविश्व���स मिला बलिदान हुए विफल
बस त्याग दिया उसने उसे किसी के कुछ व्यंग्य भरे शब्द ही सुनकर!
सिर्फ़ औरत ही लटकी रहती है अधर में उसकी साख रहे कसौटी पर
क्यों उसके बेदाग़ आँचल का निर्णय होगा मर्द की मर्ज़ी पर ही निर्भर!
क्यों प्रश्न नहीं होता मर्द से भी उसकी पवित्रता की परीक्षा को लेकर
क्यों मर्द भी इस पीड़ा से नहीं गुजरता वो भी नहीं कोई पवित्र सरोवर!
उसे श्रापित ही कहूँगा जो बेटी से वंचित रहा ये बात चाहे न मानें सभी
कर्मफल भोगना ही पड़ता है देर भले ही हो चाहे तो कभी यूँ बस अभी!
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buzz-london · 2 years ago
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*हर घर में शबरी* पति के लिए जूस बनाया और जूस पीने से पहले ही पति की आंख लग गई थी। नींद टूटी,तब तक एक घंटा हो चुका था। पत्नी को लगा कि इतनी देर से रखा जूस कहीं खराब ना हो गया हो। उसने पहले जरा सा जूस चखा और जब लगा कि स्वाद बिगड़ा नहीं है, तो पति को दे दिया पीने को। सवेरे जब बच्चों के लिए टिफिन बनाया तो सब्जी चख कर देखी। नमक, मसाला ठीक लगा तब खाना पैक कर दिया। स्कूल से वापस आने पर बेटी को संतरा छील कर दिया। एक -एक परत खोल कर चैक करने के बाद कि कहीं कीड़े तो नहीं हैं,खट्टा तो नहीं है, सब देखभाल कर जब संतुष्टि हुई तो बेटी को एक एक करके संतरे की फाँके खाने के लिए दे दीं। दही का रायता बनाते वक्त लगा कि कहीं दही खट्टा तो नहीं हुआ और चम्मच से मामूली दही ले कर चख लिया। "हां ,ठीक है ", जब यह तसल्ली हुई तब ही दही का रायता बनाया। सासु माँ ने सुबह खीर खूब मन भर खाई और रात को फिर खाने मांगी तो झट से बहु ने सूंघी और चख ली कि कहीँ गर्मी में दिन भर की बनी खीर खट्टी ना हो गयी हो। बेटे ने सेंडविच की फरमाईश की तो ककड़ी छील एक टुकड़ा खा कर देखा कि कहीं कड़वी तो नहीं है। ब्रेड को सूंघा और चखा की पुरानी तो नहीं दे दी दुकान वाले ने। संतुष्ट होने के बाद बेटे को गर्मागर्म सेंडविच बनाकर खिलाया। दूध, दही, सब्जी,फल आदि ऐसी कितनी ही चीजें होती हैं जो हम सभी को परोसने से पहले मामूली-सी चख लेते हैं। कभी कभी तो लगता है कि हर मां, हर बीवी, हरेक स्त्री अपने घर वालों के लिए शबरी की तरह ही तो है। जो जब तक खुद संतुष्ट नहीं हो जाती, किसी को खाने को नही देती। और यही कारण तो है कि हमारे घर वाले बेफिक्र होकर इस शबरी के चखे हुए खाने को खाकर स्वस्थ और सुरक्षित महसूस करते हैं। हमारे भारतीय परिवारों की हर स्त्री शबरी की तरह अपने परिवार का ख्याल रखती है और घर के लोग भी शबरी के इन झूठे बेरों को खा कर ही सुखी, सुरक्षित,स्वस्थ और संतुष्ट रहते हैं। हर महिला को समर्पित सब अपने परिवार के लिये *"शबरी"* है। 🙏🙏
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hindisoup · 2 years ago
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Family Gathering Vocabulary
परिवार, खानदान, कुटुंब - family (masculine) * बृहत्तर परिवार - larger, extended family * युगल परिवार - a family of two adults, a couple * सम्मिलित, संयुक्त परिवार - joint family, family of several generations परिवार के दायरे में - within, among the family (adverb) पारिवारिक, कौटुंबिक - family-related (adjective) पारिवारिक सभा - family meeting, get-together (feminine), also परिवार मिलन (masculine) * पारिवारिक सभा / परिवार मिलन करना - to have, hold a family meeting (transitive) रिश्ता, संबध, नाता - relation, relationship (masculine) * relationships can be for example घनिष्ठ (close, intimate) or कठिन (difficult, strained). रिश्तेदार, संबंधी, बांधव - relative, kinsman (masculine) * रक्त संबंधी - blood relative कुटुंबी - relative, kinsman (adjective) उत्सव, त्यौहार, महोत्सव - celebration, festival (masculine) जन्म - birth (masculine) जन्म दिन - birthday (masculine) सालगिरह - anniversary (feminine) मनाना - to celebrate (transitive) आमंत्रित करना - to invite (transitive) को गले लगाना - to hug (transitive) को बधाई देना - to congratulate (transitive) तोहफ़ा, उपहार - gift (masculine) * तोहफ़ा/उपहार देना - to give a gift (transitive) समय व्यतीत करना - to spend time (transitive) भोजन तैयार करना, भोजन बनाना - to prepare a meal, to cook (transitive) भोजन साझा करना - to share a meal (transitive) एक साथ खाना - to eat together (transitive) गृहस्थ - household (masculine) गृहस्थी - household life, taking care of home (feminine) घर का मुखिया - head of household (masculine)
Family Structure and Relations
अलग रहना - to live separately (transitive) अविवाहित - single, unmarried (adjective) सगाई - engagement (feminine) विवाह - marriage (masculine), also शादी (feminine) * विवाह/शादी करना - to get married (transitive) विवाहित, शादीशुदा - married (adjective) दंपति - married couple (feminine) विवाह-विच्छेद - divorce (masculine), also तलाक़ (feminine) तलाकशुदा - divorced (adjective) विधवा - widow (feminine), विधुर - widower (masculine) उत्तराधिकारी - heir (masculine) विरासत - heritage (feminine) पुनर्विवाह - remarriage (masculine) पीढ़ी - generation (feminine) बड़े लोग - adults, elders (masculine) संतान, औलाद - children, offspring (feminine), also बाल-बच्चे बच्चा - child (masculine), बच्ची (feminine) * ज्येष्ठ, सबसे बड़ा - eldest, eldest * बीच का बच्चा - middle child * सबसे छोटा - youngest गर्भावस्था - pregnancy (feminine) * गर्भवती, माँ बननेवाली - expectant, pregnant (adjective) * उसका छह महीने का गर्भ है - she is 6 months pregnant * उसे बच्चा हुआ - she had a baby * बच्चा पैदा करना - to have a child, to give birth (transitive) शिशु - baby, infant (masculine) गोद - adoption (feminine) बच्चा गोद लेना - to adopt a child (transitive) पालन-पोषण - upbringing (masculine) * बच्चों का पालन पोषण करना - to raise children (transitive) बच्चों की देख रेख करना - to care for, look after children (transitive)
Family Members
पति-पत्नी - husband and wife माता-पिता - parents, mother and father, also मम्मी and बाप दादा-दादी - paternal grandfather and grandmother नाना-नानी - maternal grandfather and grandmother परदादा-परदादी - paternal great grandparents परनाना-परनानी - maternal great grandparents बेटा-बेटी - son and daughter, also पुत्र-पुत्री पोता-पोती - grandchildren (son's children), also पौत्र-पौत्री नाती-नातिन - grandchildren (daughter's children) भाई-बहन - brother and sister * बड़ा भाई, भैया - big brother * बड़ी बहन, दीदी - big sister * छोटा भाई / छोटी बहन - little brother / sister भतीजा-भतीजी - nephew and niece (brother's children) भांजा-भांजी - nephew and niece (sister's children) ताऊ-ताई - uncle (father's elder brother) and his wife चाचा-चाची - uncle (father's younger brother) and his wife फूफा-फूफी**- aunt (father's sister and her husband), also बुआ (feminine) * बड़ी फूफी/बुआ - father's elder sister * छोटी फूफी/बुआ - father's younger sister मामा-मामी - uncle (mother's brother) and his wife * बड़ा मामा - mother's elder brother * छोटा मामा - mother's younger brother मौसा-मौसी** - aunt (mother's sister) and her husband * बड़ी मामा - mother's elder brother * छोटी मामा - mother's younger brother सौतेला - half-, step- (adjective) * सौतेला भाई / सौतेली बहन - step-brother / step-sister * सौतेले पिता / सौतेली माँ - step-father / step-mother
Extended Family
मायका, पीहर - wife's parents' house (masculine) ससुराल - husband's parents' house (feminine) सास-ससुर - parents-in-law, mother- and father-in-law बहू - daughter-in-law (son's wife) दामाद, जमाई - son-in-law (daughter's husband) जीजा - brother-in-law (elder sister's husband) बहनोई - brother-in-law (younger sister's husband) भाभी - sister-in-law (elder brother's wife) भयो - sister-in-law (younger brother's wife) जेठ-जेठानी - brother in-law (husband's elder brother) and his wife देवर-देवरानी - brother-in-law (husband's younger brother) and his wife ननद-नंदोई - sister-in-law (husband's sister) and her husband साढ़ू-साली** - sister-in-law (wife's sister) and her husband साला-सलहज - brother-in-law (wife's brother) and his wife
Nb. in all family member compounds the male word is written before the female word, even if I've occasionally written the translation the other way around**. Exceptions are माता-पिता, सास-ससुर and ननद-नंदोई where female is mentioned first.
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thebharatexpress · 2 years ago
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CG NEWS: लिपिक ने किया खुदकुशी: पत्नी और बेटी के गैरमौजूदगी में ये कांड कर गया शख्स
जांजगीर चांपा। जिले के बलौदा BEO ऑफिस में पदस्थ लिपिक पंचराम यादव ने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। फिलहाल, मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, वहीं खुदकुशी का कारण अज्ञात बताया जा रहा है। पंतोरा निवासी पंचराम यादव, बलौदा के BEO ऑफिस में पोस्टेड थे। बताया जा रहा है कि गुरुवार की शाम 6 बजे वह घर में अकेला था। पत्नी मायके गई हुई थी और उसकी बेटी, दुकान गई थी। लिपिक पंचराम यादव के द्वारा…
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kabirparmatma7531 · 2 years ago
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#GodMorningMonday
यति पुरूष (जति) सो जानिये, निज त्रिया तक विचार | माता बहन पुत्री सकल और जग की नार ||यति पुरूष 'उसको कहते हैं जो अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य स्त्री में पति-पत्नी वाला भाव न रखें। परस्त्री को आयु अनुसार माता, बहन या बेटी के भाव से जानें।
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sujit-kumar · 2 years ago
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कबीर बड़ा या कृष्ण Part 126
परमात्मा कबीर जी की भक्ति से हुए भक्तों को लाभ‘‘
’’परमात्मा ने की जीवन रक्षा‘‘
।। बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय ।।
मुझ दास का नाम रोहित दास पुत्र श्री रामबाबू दास ग्राम उदयपुरा जिला-रायसेन (मध्यप्रदेश) है। सतगुरु देव जी से नाम-उपदेश लेने से पहले मेरे घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। मेरी पत्नी बीमार रहती थी। इतनी परेशानियाँ होने के बावजूद भी हम देवी-देवताओं की भक्ति करते रहते थे। हम जयगुरुदेव पंथ से जुड़े हुए थे। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मेरी माता जी ने जयगुरुदेव पंथ में परमात्मा को पाने के लिए बहुत ही कठिन साधना की। 72 दिन तक भोजन नहीं किया। उनके हाथ-पैर पूर्ण रूप से काम करना बंद कर गए। उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि वह अपने हाथों से खाना भी नहीं खा पाती थी।
एक बार हम जयगुरूदेव मथुरा गए हुए थे। वहाँ पर संत रामपाल जी के भक्तों ने पुस्तकें वितरित की। कार्यक्रम के दौरान वहाँ पर उस पुस्तक के बारे में बताया कि कोई भी सदस्य इस पुस्तक को खोलकर न पढ़े। इसको पढ़ने से आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी। ऐसा उन लोगों ने बोला और जो संत रामपाल जी के शिष्य जो वहाँ पुस्तक वितरित कर रहे थे, बाबा जयगुरूदेव के भक्तों ने उनको पकड़कर पीटा। सारी पुस्तकों को इकठ्ठा करके जला दिया। उसी समय दास के मन में आया कि आखिर इस पुस्तक में ऐसा क्या है? लेकिन मुझे वो पुस्तक प्राप्त नहीं हो पाई थी। कुछ समय बाद गाँव के एक भक्त ने ज्ञान गंगा पुस्तक लाकर दी। टी.वी. पर सत्संग भी दिखाया। ज्ञान समझकर दास उनके साथ सतलोक आश्रम बरवाला में आया और नाम-दीक्षा ली। दीक्षा लेने के बाद लाभ ही लाभ बढ़ते गए।
एक बार मेरी पत्नी (भक्तमति राधा) के सीने में तेज दर्द हुआ। मैंने कहा उपदेश लेने का, लेकिन उनको परमात्मा पर विश्वास नहीं था, परंतु दर्द बढ़ने पर उन्होंने सतलोक आश्रम बरवाला जाने का विचार किया। ठंड के दिन थे। ट्रेन में बहुत तेज ठण्ड लग रही थी। मेरी पत्नी ने मन ही मन कहा कि यदि परमात्मा हैं तो मुझे ठंड से बचाये। कुछ देर के बाद एक सफेद कंबल मेरी पत्नी के ऊपर ��कर गिरा। मैंने पूछा कि यह कंबल किसका है? जितने भी लोग केबिन में बैठे थे, सभी ने मना कर दिया। मैंने कहा कि यह कंबल परमात्मा ने दिया है।
तब मेरी पत्नी को बरवाला आश्रम पहुँचने से पहले ही परमात्मा पर पूर्ण विश्वास हो गया और सतलोक आश्रम बरवाला पहँुचते ही उन्होंने नाम-उपदेश ले लिया। नाम-उपदेश के पश्चात् ही उनके सीने का दर्द भी ठीक हो गया।
सबसे बड़ा लाभ परमात्मा ने मेरे छोटे बेटे अरूण दास को नया जीवन दान देकर किया। उसे एक रात 10-11 बजे के आसपास अचानक सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वह पूरा पसीने से भीग गया और बैड से नीचे गिर गया। बेटे की हालत देखकर तो मैंने उसे मृत ही मान लिया था। मेरी बेटी ने कहा कि सतगुरु देव जी से अरदास लगा लो। मैंने कहा कि रात 11ः00 बजे अरदास नहीं लगती और मेरे पास आश्रम में अरदास लगाने का नम्बर भी नहीं है। मेरी बेटी ने मोबाइल से संभाग काॅर्डिनेटर से अरदास का मोबाइल नंबर लेकर सतगुरु देव जी से अरदास लगाई। अरदास लगाने के बाद बेटा सांस लेने लगा। हम उसे तुरंत हाॅस्पिटल लेकर गये। उन्होंने कहा कि आपके पास 1 घंटा है।
यह कहकर दूसरे हाॅस्पिटल में रैफर कर दिया। लेकिन वहाँ पर भी एक बोतल लगाकर तीसरे हाॅस्पिटल में रैफर कर दिया। वहाँ पर 15 दिन तक मेरे बेटे को आॅक्सीजन लगी रही। उसके बाद सारी रिपोर्ट नाॅर्मल आ रही थी। डाॅक्टर भी हैरान थे। उनको समझ नहीं आ रहा था कि बीमारी क्या है?
रिपोर्ट सारी नाॅर्मल आ रही हैं। यह बहुत बड़ा चमत्कार मालिक ने किया, लड़का पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया।
सतगुरु जो चाहे सो करहीं, चैदह कोटि दूत जम डरहीं।
ऊत भूत जम त्रास निवारैं, चित्र-गुप्त के कागज फारैं।।
एक बार मेरा बड़ा बेटा तरूण दास काॅलेज से घर आ रहा था। उसकी बस का एक्सीडेन्ट हो गया जिसमें तीन बच्चों की मृत्यु हो गयी। लेकिन मेरे बेटे को मामूली खरोंचें ही आई और मेरे बेटे को परमात्मा ने नया जीवन दान दिया।
सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम-उपदेश लेने के बाद अब मेरी माता जी के भी हाथ काम करने लगे हैं। अब वे अपने हाथों से खाना खा पाती हैं। आज परमात्मा से नाम-उपदेश लेने के पश्चात् हमारी आर्थिक स्थिति बिल्कुल ठीक है तथा हम सपरिवार पूर्ण रूप से ठीक हैं तथा परमात्मा की भक्ति कर रहे हैं। आप सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि पूर्ण परमात्मा धरती पर सतगुरु रामपाल जी महाराज के रूप में आए हुए हैं। उन्हें पहचानें तथा नाम-उपदेश लेकर अपना कल्याण कराएँ तथा जन्म-मरण से छुटकारा पाएँ।
।। सत साहिब ।।
भक्त रोहित दास
ग्राम-उदयपुरा, जिला रायसेन (मध्यप्रदेश)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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siddharthsaket · 2 years ago
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🕋 *मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन* 🕋
*(Part - 94)*
के आगे पढिए.....)
📖📖📖
*(Part - 95)*
हम पढ़ रहे है पुस्तक *"मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन"*
पेज नंबर 238-240
*‘‘राजा बड़ा है या भक्त राज‘‘*
📜एक बार सुल्तान अधम अपने बलख शहर के बाहर एक तालाब पर जाकर बैठ गया। उसका पुत्र राजा था। पता चला तो हाथी पर चढ़कर बैंड-बाजे के साथ तालाब पर पहुँचा। पिता जी से घर चलने को कहा। सुल्तान ने साफ शब्दों में मना कर दिया। लड़के ने कहा कि आपने यह क्या हुलिया बना रखा है? आप यहाँ ठाठ से रहो। आप भिखारी बनकर कष्ट उठा रहे हो। मेरी आज्ञा से आज सब कुछ हो जाता है। सुल्तान ने कहा कि जो परमात्मा कर सकता है, वह राजा नहीं कर सकता। लड़के ने कहा कि आप आज्ञा दो, वही कर दूँगा।आपको हमारे पास रहना
होगा। सुल्तानी ने कहा कि ठीक है, स्वीकार है। मैं हाथ से कपड़े सीने की एक सूई इस तालाब में डालता हूँ। यह सूई जल से निकालकर मेरे को लौटा दे।राजा ने सिपाहियों, गोताखोरों तथा जाल डालने वालों को बुलाया। सब
प्रयत्न किया, परंतुव्यर्थ। लड़के ने कहा, पिताजी! एक सूई के बदले हजार सूईयाँ ला देता हूँ। क्या आपका
अल्लाह यह सूई निकाल देगा? तब सुल्तान ने कहा कि हे पुत्र! यदि मेरा अल्लाह यही सूईनिकाल देगा तो क्या तुम भक्ति करोगे? क्या सन्यास ले लोगे? लड़के ने कहा कि आप पहले यह सूई अपने प्रभु से निकलवाओ, फिर सोचूँगा। इब्राहिम ने कहा कि परमात्मा की बेटी मछलियों! मुझ दास की एक सूई आपके तालाब में गिर गई है। मेरी सूई निकालकर मुझे देने की कृपा करें। कुछ ही क्षणों के उपरांत एक मछली मुख में सूई लिए इब्राहिम के पास किनारे पर आई। इब्राहिम ने सूई पकड़ ली और मछलियों का हाथ जोड़कर धन्यवाद किया। तब सुल्तानी ने कहा, बेटा! देख परमात्मा जो कर सकता है, वह मानव चाहे राजा भी क्यों न हो, नहीं कर सकता। अब क्या भक्ति करेगा? पुत्रा ने कहा कि भगवान ने आपको सूई ही तो दी है, मैं तो आपको हीरे-मोती दे सकता हूँ। भक्ति तो वृद्धावस्था में करूंगा। भक्त इब्राहिम उठकर चल पड़ा। अपनी गुफा में चला गया।
‘‘विकार जैसे काम, मोह, क्रोध, वासना नष्ट नहीं होते, शांत हो जाते हैं‘‘
विकार मरे ना जानियो, ज्यों भूभ�� में आग। जब करेल्लै धधकही, सतगुरू शरणा लाग।।
एक समय इब्राहिम सुल्तान मक्का शहर में गया हुआ था। उसका उद्देश्य था कि भ्रमित मुसलमान श्रद्धालु मक्का में हज के लिए या वैसे भी आते रहते हैं। उनको समझाना था। उनको समझाने के लिए वहाँ कुछ दिन रहे। कुछ शिष्य भी बने। किसी हज यात्री ने बलख शहर में जाकर बताया कि सुल्तान इब्राहिम मक्का में रहता है। छोटे लड़के ने पिता जी के दर्शन की जिद की तो उसकी माता-लड़का तथा नगर के कुछ स्त्री-पुरूष भी साथ चले और
मक्का में जाकर इब्राहिम से मिले। इब्राहिम अपने शिष्यों को शिक्षा देता था कि बिना दाढ़ी-मूछ वाले लड़के तथा परस्त्री की ओर अधिक देर नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से उनके प्रति मोह बन जाता है। अपने लड़के को देखकर इब्राहिम से रहा नहीं गया, एकटक बच्चे को देखता रहा। लड़के की आयु लगभग 13 वर्ष थी। शिष्यों ने कहा कि गुरूदेव आप हमें तो शिक्षा देते हो कि बिना दाढ़ी-मूछ वाले बच्चे की ओर ज्यादा देर नहीं देखना चाहिए,
स्वयं देख रहे हो। इब्राहिम ने कहा, पता नहीं मेरा आकर्षण इसकी ओर क्यों हो रहा है? उसी समय एक वृद्ध ने कहा, राजा जी! यह आपकी (बेगम) पत्नी है और यह आपका पुत्र है। आप राज्य त्यागकर आए, उस समय यह गर्भ में था। आपसे मिलने आए हैं। उसी समय लड़का पिता के चरणों को छूकर गोदी में बैठ गया। इब्राहिम की आँखों में ममता के आँसूं छलक आए। परमेश्वर की ओर से आकाशवाणी हुई कि हे सुल्तानी! तेरे को मेरे से प्रेम नहीं रहा।
अपने परिवार से प्रेम है। अपने घर चला जा। उसी समय इब्राहिम को झटका लगा तथा आँखें बंद करके प्रार्थना की कि हे परमात्मा! मेरे वश से बाहर की बात है, या तो मेरी मृत्यु कर दो या इस लड़के की। उसी समय लड़के की मृत्यु हो गई। इब्राहिम उठकर चल पड़ा। बलख से आए व्यक्ति लड़के के अंतिम संस्कार करने की तैयारी करने लगे। परमात्मा पाने के लिए भक्त को प्रत्येक कसौटी पर खरा उतरना पड़ता है। तब सफलता मिलती है। उस लड़के के जीव को परमात्मा ने तुरंत मानव जीवन दिया और अपने भक्त के घर में लड़के को उत्पन्न किया। बचपन से ही उस आत्मा को परमात्मा का मार्ग मिला। एक बार सब भक्त बाबा जिन्दा के आश्रम में सत्संग में इकट्ठे हुए। वह लड़का उस समय 4 वर्ष की आयु का था। परमेश्वर की कृपा से उसका बिस्तर तथा इब्राहिम का बिस्तर साथ-साथ लगा था।
इब्राहिम को देखकर लड़का बोला, पिताजी! आप मुझे मक्का में क्यों छोड़ आए थे? मैं अब भक्त के घर जन्मा हूँ।देख न अल्लाह ने मुझे आप से फिर मिला दिया। यह बात गुरू जी जिन्दा बाबा (परमेश्वर कबीर जी) के पास गई तो जिन्दा बाबा ने बताया कि यह इब्राहिम का लड़का है जो मक्का में मर गया था। अब परमात्मा ने इस जीव को भक्त के घर जन्म दिया है। इब्राहिम को लड़के के ��रने का दुःख बहुत था, परंतु किसी को साझा नहीं करता था। उस दिन उसने कहा, कृपासागर! तू अन्तर्यामी है। आज मेरा कलेजा (दिल) हल्का हो गया। मेरे मन में रह-रहकर आ रहा था कि परमात्मा ने यह क्या किया? इसकी माँ घर पर किस मुँह से जाएगी? आज मेरी आत्मा पूर्ण रूप से शांत है।
जिन्दा बाबा ने उस लड़की पूर्व वाली माता यानि इब्राहिम की पत्नी को संदेश भिजवाया कि वह आश्रम आए। लड़के तथा उसके नए माता-पिता तथा इब्राहिम को भी बुलाया। उस लड़के को पहले वाली माता से मिलाया। लड़का देखते ही बोला, अम्मा जान! आप मेरे को मक्का छोड़कर चली गई। वहाँ पर अल्लाह आए, देखो ये बैठे (जिन्दा बाबा की ओर हाथ करके बोला) और मेरे को साथ लेकर इनके घर छोड़ गए। मैं इस माई के पेट में चला गया। फिर मेरा जन्म हुआ। अब मैं दीक्षा ले चुका हूँ। प्रथम मंत्र का जाप करता हूँ। हे माता जी! आप भी गुरू जी से दीक्षा ले लो, कल्याण हो जाएगा। इब्राहिम की पत्नी ने दीक्षा ली और कहा कि इस लड़के को मेरे साथ भेज दो। परमेश्वर कबीर जी (जिन्दा बाबा) ने कहा कि यदि उस नरक में (राज की चकाचौंध में) रखना होता तो इसकी मृत्यु क्यों होती? अब तो आप आश्रम आया करो और महीने में सत्संग में बच्चे के दर्शन कर जाया करो। इब्राहिम को उस लड़के में अपनापन नहीं लगा क्योंकि वह किसी ��न्य के शरीर से जन्मा था। परंतु उसके भ्रम, मन की मूर्खता का नाश हो गया। जो वह मन-मन में कहा करता कि अल्लाह ने यह नहीं करना चाहिए था। अब उसे पता चला कि परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है। भले ही उस समय अपने को अच्छा न लगे। अल्लाह के सब जीव हैं, वह सबके हित की सोचता है। हम अपने-अपने हित की सोचते हैं। रानी को भी उस लड़के में वह भाव नहीं था, परंतु आत्मा वही थी। इसलिए माता वाली ममता दिल में जाग्रत थी। इसलिए उसको देखकर शांति मिलती थी। यह कारण बनाकर परमेश्वर जी ने उस रानी का भी उद्धार किया और बालक का भी।
( शेष भाग कल )
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
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jantanow · 1 day ago
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बेटी के जन्म देने पर विवाहिता के साथ मारपीट, मौत
अलीगढ के मदरची मोहल्ला निवासी किश्वर पत्नी आमिर उम्र 27 वर्ष ने आठ दिन पूर्व बेटी को जन्म दिया था। बेटी होते ही महिला के ससुरालजन भड़क गए, और किश्वर के साथ मारपीट कर घायल कर दिया जिससे उसकी तबियत ख़राब हो गई। किश्वर की हालत बिगड़ने पर ससुरालीजन उसे मायके के बाहर छोड़कर भाग गए । उसका मायका रसूलपुर टंकी के पास फिरोज़ाबाद में है। किश्वर का पिता उसे उपचार के लिए सरकारी ट्रॉमा सेंटर लेकर गए। पिता का कहना…
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sharpbharat · 2 days ago
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Adityapur clash : आदित्यपुर के सातबहिनी में भाजपा व कांग्रेस के समर्थन को लेकर आपस में भिड़े दो पड़ोसी, मामला पहुंचा थाना, एक-दूसरे पर लगाये मारपीट सहित कई गंभीर आरोप
आदित्यपुर : सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर थाना अंतर्गत सातबहिनी निवासी कृष्ण बिहारी दुबे ने अपने पड़ोसी कांग्रेसी नेता अखिलेश तिवारी, उनके पुत्र गोलू तिवारी, समर्थक अतुल दुबे एवं सुजीत तिवारी पर बीजेपी की टोपी और बैज लगाकर गृहमंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में शामिल होने पर आपत्ति जताने और उन्हें एवं उनकी बेटी व पत्नी के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए सतबहिनी…
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