#औरत
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deepjams4 · 1 year ago
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अग्नि परीक्षा!
सही हुआ उसके घर बेटी न हुई बेटी पाने योग्य होता वो कैसे कभी
जिसने स्त्री की मान मर्यादा एवं प्रतिष्ठा का मोल ही न जाना कभी!
उसका साथ निभाने के लिए ही तो पत्नी बसा संसार छोड़ हुई बेघर
डूबी उसके प्रेम में बस चल दी उसके संग भटकने हर बस्ती हर नगर!
ख़ाक छानती रही वो पहाड़ों की जंगलों में घूमती फिरी थी हर डगर
क्या मान सम्मान किया पत्नी का उसने क्या त्याग की हुई थी कदर!
पवित्रता की परीक्षा देकर भी अविश्वास मिला बलिदान हुए विफल
बस त्याग दिया उसने उसे किसी के कुछ व्यंग्य भरे शब्द ही सुनकर!
सिर्फ़ औरत ही लटकी रहती है अधर में उसकी साख रहे कसौटी पर
क्यों उसके बेदाग़ आँचल का निर्णय होगा मर्द की मर्ज़ी पर ही निर्भर!
क्यों प्रश्न नहीं होता मर्द से भी उसकी पवित्रता की परीक्षा को लेकर
क्यों मर्द भी इस पीड़ा से नहीं गुजरता वो भी नहीं कोई पवित्र सरोवर!
उसे श्रापित ही कहूँगा जो बेटी से वंचित रहा ये बात चाहे न मानें सभी
कर्मफल भोगना ही पड़ता है देर भले ही हो चाहे तो कभी यूँ बस अभी!
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ys8854000 · 2 months ago
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kahaniyatoons · 1 year ago
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घर की औरत | Hindi Story | Moral Stories | Kahaniya | Hindi Stories | Hin...
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sapan-ray · 1 year ago
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knowlegeupdate · 2 years ago
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Pooja naam ki ladkiyan kaisi hoti hain, पूजा नाम का मतलब
पूजा नाम का मतलब अगर आप अपने बच्चे का नाम पूजा रखने की सोच रहे हैं तो पहले उसका मतलब जान लेना जरूरी है। आपको बता दें कि पूजा का मतलब मूर्ति पूजा होता है। मूर्ति पूजा होना बहुत अच्छा माना जाता है और इसकी झलक पूजा नाम के लोगों में भी दिखती है। शास्त्रों में पूजा नाम को बहुत अच्छा माना गया है।
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rajpujarajasthan · 2 months ago
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हमारे पति कहते है किसी औरत को दर्द देना मर्द को शोभा नहीं देता पर हम संस्कारी औरतों को दर्द देकर रगड़नेवाले ही असली मर्द लगते है जो जमकर पेले और हमारा पसीना निकाल दे वही असली मर्द है हम संस्कारी औरतों की नजर मैं.. ❤️❤️
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sonikasmeer · 6 months ago
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एक शादी शुदा स्त्री , जब किसी पुरूष से मिलती है ... उसे जाने अनजाने में अपना दोस्त बनाती है .... तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है .... और न ही वो उसका हो सकता है .... वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती .. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है .... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती ? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती ? जी नहीं .... !! वो समाज के नियमो को भी मानती है .... और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है ... मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है ... !! कुछ खट्टा ... कुछ मीठा .... आपस मे बांटना चाहती है .. जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है .वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है ... जो उसके मन के भीतर ही रह गए ��ै कई सालों से ... थोडा हँसना चाहती है . खिलखिलाना चाहती हैं ... वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे ... सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे ... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है ... जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो ... कुछ पल बिताना चाहती है ... जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो , न राशन का जिक्र हो .... न EMI की कोई तारीख हो .... आज क्या बनाना है , ना इसकी कोई तैयारी हो .... बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है .... कभी उल्टी सीधी , बिना सर पैर की बाते ... तो कभी छोटी सी हंसी और कुछ पल की खुशी ... बस इतना ही तो चाहती है .... आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है .. .. जो जिम्मेदारी से मुक्त हो ... ,
एक सुहागन औरत की रणभूमि उसके सुहाग का बिस्तर होता है,
जहा वो हर जीत को भूल बस अपने यद्ध कला का भरपूर प्रदर्शन करती,🔥🔥🔥🔥
अपने यौवन के तीर को कामुकता भरे अंदाज में प्रहार करती है,🔥🔥🔥
अपने वस्त्रों को त्याग कर रणभूमि में निडर हो कर अपने कामवासनाओं के शास्त्रो के साथ रणभुमि में अपने यौवन 🥵का भार पुर जौहर दिखती है,💋
अपने तन के शास्त्रो को एक एक कर ऐसे प्रहार करती है कि रणभुमि भी उसके वीरता की गवाही देने पर मजबूर हो जाती है,
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oyeevarnika · 4 months ago
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जो लोग ये समझ नहीं पाते कि औरत क्या चीज़ है,  उन्हें पहले ये समझने की ज़रूरत है कि औरत चीज़ नहीं है!
~ मंटो 
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natkhat-sa-shyam · 10 months ago
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कभी कभी मैं बहुत फिक्र करता हूँ तुम्हारी।
फिर मैं रुक कर जाँच करता हूँ अपने फिक्र की-
कि कहीं फिक्र के शक्ल में मैं तुम्हें दबाना तो नहीं चाहता।
मैं पितृसत्ता वाले समाज में बड़ा हुआ हूँ
इसलिए खुद को हमेशा शक के घेरे में रखता हूँ।
अपने उस राक्षस को साध रखता हूँ,
जो तुम्हें बांध मेरी औरत बना देना चाहता है।
तुम्हारी आज़ादी पर मेरा कोई हक़ न हो-
मेरे फिक्र की हरदम इसलिए जांच हो।
कुछ भी हूँ तुम्हारा
आखिर तुम्हारे स्वयं से ज्यादा नहीं हूँ मैं।।
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मेरी भाषा में भगवान को "परमात्मा" कहते हैं | यह दो शब्दों की संधि से बना है: 'परम्' जिसका अर्थ है 'श्रेष्ठतम' और 'आत्मा' जिसका अर्थ है 'स्वयं का स्वरूप' | कितनी सुंदर बात है ना?
क्योंकि मेरी भाषा कहती है कि परमात्मा वही है जो अपने आप में श्रेष्ठ है | परमात्मा वो बूढ़ी औरत है जो इस अस्पताल में अपने पोते अपनी गोद में लिए बैठी है | परमात्मा मेरा वो दोस्त है जो मुझे अपना ध्यान रखने को कह रहा है | परमात्मा मेरी माँ का चिकित्सक है | परमात्मा कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे मैंने देखा हो, जिससे मैंने बात की हो, जिसे मैंने स्पर्श किया हो |
क्या इसका अर्थ है कि मैं परमात्मा से मिल चुका हूँ? क्या मैंने ईश्वर को उसके सबसे अनिर्मित रूप में देखा है? मैं तो सिर्फ ये जानता हूँ कि जब मैं उस अस्पताल से आई थाली से मेरी माँ के लिए खाना निकालता हूँ मुझे मेरे हाथौं में कुछ स्वर्ग से भी अधिक पवित्र अनुभव होता है |
मेरी माँ के बिस्तर के किनारे पर बैठे मुझे भगवान मिल गए हैं |
-माधव, 19|09|23
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shayriara · 1 year ago
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#Nazariya
पुरुष ने औरत को जब भी लिखा उसका हर रूप आम से खास हुआ
औरत ने पुरुष को जब भी लिखा उसका हर रूप खास से ख़ाक हुआ...
Purush ne orat ko jb bhi likha uska har roop aam se khaas hua
Orat ne jb bhi purush ko likha uska har roop khash se khaak hua...
- Krishna sharma ( कृष्णा शर्मा )
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kahanikerang · 1 month ago
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कहानी के रंग: शादीशुदा औरत और रिश्तों की अनकही बातें
कहानी के रंग: शादीशुदा औरत और रिश्तों की अनकही बातें
कहानी "कहानी के रंग" एक शादीशुदा औरत के जीवन की उन भावनाओं और उलझनों को उजागर करती है, जो अकसर छुपी रह जाती हैं। यह हिंदी कहानी पारिवारिक रिश्तों, जिम्मेदारियों, और कुछ अनकहे पलों की बुनावट में रची गई है। मुख्य पात्र लाजवंती, एक ऐसी औरत है जिसका परिवार छोटा है, लेकिन जीवन के अनुभव गहरे हैं।
कहानी का सारांश
लाजवंती का जीवन अपने पति के साथ साधारण और शांत है, लेकिन उनकी गोद अभी तक सूनी है। एक दिन उनके घर की बिजली खराब हो जाती है, और मदद के लिए लाजवंती अपनी दीदी से संपर्क करती है। दीदी के बड़े बेटे मनोहर, जिसे प्यार से "मोनू" कहा जाता है, मदद के लिए आता है। लंबे समय बाद अपने भांजे को देखकर लाजवंती के मन में बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं।
मनोहर का व्यक्तित्व अब पूरी तरह बदल चुका है। वह लंबा-चौड़ा, आत्मविश्वासी और मजाकिया है। उसके और लाजवंती के बीच हुई बातचीत में बचपन की मस्ती और आज की परिपक्वता झलकती है। लेकिन इसी दौरान कुछ अनपेक्षित घटनाएं भी घटती हैं, जो कहानी को एक नया मोड़ देती हैं।
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रिश्तों की गहराई और उलझनें
कहानी में लाजवंती और मनोहर के रिश्ते के बीच की मासूमियत और भावनात्मक पहलुओं को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है। मनोहर की छोटी-छोटी बातें और उसकी हरकतें लाजवंती के मन को एक नई दिशा देती हैं। लेकिन कहानी में एक ऐसा क्षण भी आता है, जहां लाजवंती उलझन में पड़ जाती है कि क्या जो हुआ वह सही था या गलत।
पारिवारिक रिश्तों की झलक
यह कहानी केवल लाजवंती और मनोहर के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें परिवार के अन्य सदस्यों की अहमियत भी झलकती है। लाजवंती की दीदी, उनके पति और मनोहर का पारिवारिक बंधन कहानी को और गहराई देता है।
हिंदी कहानियों का महत्व
"कहानी के रंग" जैसी कहानियां भारतीय समाज की भावनाओं, सं��र्षों और रिश्तों को उभारती हैं। ऐसी कहानियां हिंदी साहित्य में अपने अनूठे अंदाज और पारिवारिक मूल्यों के लिए जानी जाती हैं।
के लिए हिंदी कीवर्ड्स:
हिंदी कहानी
पारिवारिक रिश्तों की कहानी
शादीशुदा औरत की कहानी
रिश्तों की गहराई
कहानी के रंग
हिंदी साहित्य
अनकही बातें
भावनात्मक कहानी
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rajpujarajasthan · 3 months ago
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पति चाहे कितना भी ओपन माइंड हो लेकिन फिर भी औरत ग़ैर मर्द की बाहों में एकदम ओपन फ़ील करती है वाह उसे जज करने जैसी फ़ीलिंग नहीं आती…वो खुलके बोल सकती है की वो कितनी बड़ी चुद्दक्क*ड है और उसे ल*ड से कितना प्यार है.. ग़ैर मर्द के झटके खाते हुए वो उसे चिल्ला के कह सकती है की और ज़ोर से मारो जबकि यही बात पति से कहने में हिचकिचाती है क्यूँकि उसे डर होता है की ऐसा कहने से पति क्या सोचेगा या फिर चुद्दक्क*ड समझेगा तो डाउट करेगा..ये डर उसे ग़ैर मर्द के साथ नहीं होता बस यही कारण है की औरात की मन पसंद चुदा*ई अक्सर ग़ैर मर्द के साथ होती है.. इसपे अगर वो मर्द उसे अपनी पसंद का मिल जाए और उसे भी वो मर्द प्यार करता हो सच्चे दिल से तो फिर एक औरत के लिए इससे बड़कर कुछ नहीं.. लेकिन ऐसी ख़ुशक़िस्मत औरतें बहुत कम होती हैं।।
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sonikasmeer · 6 months ago
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MARRIED SWINGER CPL INDIAN
M28-F26 BEAUTIFUL HOTWIFE SONIKA SINGH STAG HUBBY SMEER SINGH
PING US UR FULL INTRODUCTION WITH COUPLES REFERANCE
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ऐसे अपने जिस्म पर हक जताने का अधिकार औरत हर मर्द को नहीं देती।
इस हक के लिए मर्द को अपनी मर्दांगी साबित करनी पड़ती हैं।
जब औरत पूरी तरह से संतुष्ट हो जाती हैं तभी मर्द को अपने जिस्म पर पूरा अधिकार देती हैं और फिर उसकी हो जाती हैं।
एक औरत का बिस्तर किसी मर्द के बिना रेगिस्तान है,
हर औरत को एक मर्द की जरूरत होती है,
जो अपने पानी उसे हरी भरी बना सके।
मर्द के बिना बिस्तर कांटो ��े सेज समान है,
उस��र न तो सुकून की नींद आयेगी न जिस्म को शांति मिलेगी
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shabdforwriting · 2 months ago
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जब टूटा गुरूर by Kanchan Shukla
किताब के बारे में... इस उपन्यास में औरत के अहंकार से होने वाली पारिवारिक तबाही को दर्शाने की कोशिश की है। औरत अहंकार में आकर दूसरों के साथ साथ अपना भी जीवन बर्बाद कर लेती है, पर इसका अहसास उसे बहुत बाद में होता है तब कुछ नहीं किया जा सकता सिवाय पश्चाताप के...
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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ladieslusty · 4 months ago
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जवान औरत का जिस्म वो बगीचा है जिसे,
वह हर दिन मर्द के पानी से सींचना चाह्ती है...🍑🍑
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