#निर्जला एकादशी व्रत कथा।
Explore tagged Tumblr posts
hindistories1 · 1 year ago
Video
youtube
निर्जला एकादशी व्रत कथा।। Nirjala Ekadashi vrat katha ।।
0 notes
astroclasses · 5 months ago
Link
0 notes
hindunidhi · 6 months ago
Text
निर्जला एकादशी का व्रत कैसे रखें? विस्तृत जानकारी
निर्जला एकादशी हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक मानी जाती है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन, श्रद्धालु 24 घंटे का व्रत रखते हैं, जिसमें भोजन और जल दोनों का त्याग किया जाता है।
निर्जला एकादशी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है जो आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह व्रत पापों का नाश करने, मोक्ष प्राप्त करने और मन की शांति पाने का अवसर प्रदान करता है। 'निर्जला' का अर्थ है बिना जल के, इस दिन व्रतधारी अन्न, जल और फल का सेवन नहीं करते।
Tumblr media
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भीमसेन ने इस व्रत को रखा था क्योंकि वे अन्य एकादशियों का पालन नहीं कर पाते थे। निर्जला एकादशी का व्रत करने से साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। व्रतधारी ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर संकल्प लेते हैं और दिनभर व्रत का पालन करते हैं। शाम को विष्णु भगवान की आरती और कथा सुनने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
निर्जला एकादशी का व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
क्यों मनाई जाती है निर्जला एकादशी?
इस व्रत ��े पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं हैं।
पौराणिक कथा:
एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को शयनावस्था ग्रहण की थी।
तब से इस दिन को मोक्ष प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
एक अन्य कथा में, भीष्म पितामह ने निर्जला एकादशी का व्रत मृत्यु शय्या पर रहते हुए रखा था।
धार्मिक महत्व:
निर्जला एकादशी को सभी पापों का नाश करने वाला व्रत माना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
दान-पुण्य क��ने से भी इस दिन पुण्य प्राप्त होता है।
निर्जला एकादशी का महत्व:
पापों का नाश:
निर्जला एकादशी के व्रत से सभी पापों का नाश होता है।
इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से पुण्य प्राप्त होता है।
मोक्ष प्राप्ति:
निर्जला एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति का द्वार खोलता है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मन की शांति:
निर्जला एकादशी का व्रत रखने से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
यह व्रत आत्म-नियंत्रण और संयम की शक्ति प्रदान करता है।
निर्जला एकादशी व्रत विधि:
व्रत की शुरुआत:
दसमी के दिन सूर्यास्त से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है।
व्रत का पालन:
एकादशी के दिन सूर्योदय से पारण तक भोजन और जल ग्रहण नहीं किया जाता है।
दिनभर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
व्रत का पारण:
द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।
पारण में फल, दूध, दही आदि का सेवन किया जाता है।
0 notes
bhaktibharat · 1 year ago
Text
🐚 योगिनी एकादशी व्रत कथा - Yogini Ekadashi Vrat Katha
महाभारत काल की बात है कि एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण कहा: हे त्रिलोकीनाथ! मैंने ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी की कथा सुनी। अब आप कृपा करके आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनाइये। इस एकादशी का नाम तथा माहात्म्य क्या है? सो अब मुझे विस्तारपूर्वक बतायें...
Tumblr media
..योगिनी एकादशी व्रत कथा को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें ! 📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/yogini-ekadashi-vrat-katha YouTube: https://www.youtube.com/embed/bgdvJwZjxAQ
For Quick Access Download Bhakti Bharat APP: 📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app
🐚 एकादशी - Ekadashi 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/ekadashi
#yogini #ekadashi #yoginiekadashi #katha #harekrishna #ekadashivratkatha #vratkatha #vishnu #shrihari #ashadha #iskcon #vaishnav #haribol
1 note · View note
santoshkukreti04-blog · 1 year ago
Link
आज हम बात करेंगे एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार "निर्जला एकादशी" के बारे में। यह एकादशी त्योहार वर्ष में एक बार मनाया जाता है और इसका महत्व अन्य एकादशी त्योहारों से थोड़ा अलग होता है। निर्जला एकादशी के दिन लोग बिना पानी पिए व्रत रखते हैं और यह व्रत उनकी आध्यात्मिक और शारीरिक पुरिफ़ाई के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस लेख में हम निर्जला एकादशी के महत्व, इसकी कहानी और इतिहास, व्रत रखते समय ध्यान रखने योग्य बातें आदि पर चर्चा करेंगे।
0 notes
everynewsnow · 4 years ago
Text
एकादशी व्रत की हिंदी सूची 2021: वर्ष 2021 में एकादशी व्रत की तिथियों, यहाँ देखें पूर्ण शुभ
एकादशी व्रत की हिंदी सूची 2021: वर्ष 2021 में एकादशी व्रत की तिथियों, यहाँ देखें पूर्ण शुभ
प्रत्येक माह में दो बार एकादशी … वर्ष 2020 समाप्त होने के साथ ही नए साल 2021 आगाज हो चुका है, इस नए साल के शुरू होने के साथ ही नए व्रत और त्योहार भी आने शुरू हो गए हैं। इन्ही में से एकादशी भी एक है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो बार एकादशी आती है। हर एक एकादशी का अपना एक विशेष महत्व होता है। हिंदू हिंदू पौराणिक ग्रंथों में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व बताया गया है। एकादशी को ‘हरि का…
View On WordPress
0 notes
desigyani · 2 years ago
Text
निर्जला एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं..
10 जून 2022 यानी कल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी हैं।
मान्यता हैं की निर्जला एकादशी का व्रत करने से साल भर में आने वाली समस्त एकादशी का पुण्य प्राप्त हो जाता हैं।
निर्जला एकादशी की पूजन विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त जानने के लिए visit karein...
0 notes
chaitanyabharatnews · 3 years ago
Text
योगिनी एकादशी : इस व्रत को करने से एक बार में मिलता है 28 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का पुण्य
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज योगिनी एकादशी का हिन्‍दू धर्म में बड़ा महत्‍व है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की पूजा की जाती है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही योगिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि, इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु का ध्यान किया जाए तो मनुष्य को उसके हर पाप से मुक्ति मिल जाती है। इस बार योगिनी एकादशी 5 जुलाई को है।
Tumblr media
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार कहा गया है कि, योगिनी एकादशी का व्रत करने से 28 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का पुण्य प्राप्त होता है। योगिनी एकादशी को शयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं योगिनी एकादशी की पूजा विधि और महत्व... योगिनी एकादशी की पूजा विधि  एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र जल से स्नान करें। इसके बाद पूजा घर में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की अक्षत्, चंदन, पुष्प, धूप आदि से पूजा करें। भगवान को स्नान कराने के बाद 'विष्णुसहस्त्रनाम' का पाठ करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय महामंत्र' का जाप करें। एकादशी की रात को प्रभु की भक्ति में जागरण करें और उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का भी पाठ करें। द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें।
Tumblr media
योगिनी एकादशी पर दान का महत्व इस दिन दान करने का अधिक महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन जल और अन्न का दान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिन भर अन्न नहीं खाना चाहिए, वह फलाहार ले सकते हैं। आप चाहे तो निर्जला व्रत भी रख सकते हैं। इस दिन पीपल का पौधा लगाएं और निर्धनों को वस्त्र या धन का दान करें।   Read the full article
0 notes
bhaktigroupofficial · 3 years ago
Text
जय जय श्री राधे राधे
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ग्रुप के सभी सदस्यों को निर्जला एकादशी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 🌹🙏🌹
( ❤️निर्जला_एकादशी ❤️)
निर्जला एकादशी व्रत 21, जून 2021, व्रत के नियम, पूजा विधि व कथा❗
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। यही कारण है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। व्रती सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है।
हर माह में दो एकादशी तिथि आती हैं। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में।
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन शिव योग के साथ सिद्धि योग भी बन रहा है। शिव योग 21 जून को शाम 05 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सिद्धि योग लग जाएगा।
🌿 एकादशी व्रत नियम-🌺
निर्जला एकादशी व्रत में जल का त्याग करना होता है। इस व्रत में व्रती पानी का सेवन नहीं कर सकता है। इसीलिए इस व्रत को निर्जला एकादशी व्रत कहते हैं, व्रत का पारण करने के बाद ही व्रती जल का सेवन कर सकता है।
🌿 एकादशी पूजा विधि-🌺
1 = सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
2 = घर के मंदिर में शुद्ध देशी घी का दीप प्रज्वलित करें।
3 = यदि घर में भगवान विष्णु की प्रतिमा है तो भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें,यदि
चित्र है तो गंगाजल के छीटे मारें ।
4 = भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
5 = अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
6 = भगवान की आरती करें।
7 = भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
8 = भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
9 = इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
10 = इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
💥 ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी भीमसेनी/ पांडव एकादशी व्रत कथा 🌷
भीमसेन व्यासजी से कहने लगे कि हे पितामह! भ्राता युधिष्ठिर, माता कुंती, द्रोपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव आदि सब एकादशी का व्रत करने को कहते हैं, परंतु महाराज मैं उनसे कहता हूं कि भाई मैं भगवान की शक्ति पूजा आदि तो कर सकता हूं, दान भी दे सकता हूं परंतु भोजन के बिना नहीं रह सकता।
इस पर व्यासजी कहने लगे कि हे भीमसेन! यदि तुम नरक को बुरा और स्वर्ग को अच्छा समझते हो तो प्रति मा�� की दोनों एक‍ा‍दशियों को अन्न मत खाया करो। भीम कहने लगे कि हे पितामह! मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि मैं भूख सहन नहीं कर सकता। यदि वर्षभर में कोई एक ही व्रत हो तो वह मैं रख सकता हूं, क्योंकि मेरे पेट में वृक नाम वाली अग्नि है सो मैं भोजन किए बिना नहीं रह सकता। भोजन करने से वह शांत रहती है, इसलिए पूरा उपवास तो क्या एक समय भी बिना भोजन किए रहना कठिन है।
अत: आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताइए जो वर्ष में केवल एक बार ही करना पड़े और मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए।
श्री व्यासजी कहने लगे कि हे पुत्र! बड़े-बड़े ऋषियों ने बहुत शास्त्र आदि बनाए हैं जिनसे बिना धन के थोड़े परिश्रम से ही स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। इसी प्रकार शास्त्रों में दोनों पक्षों की एका‍दशी का व्रत मुक्ति के लिए रखा जाता है।
व्यासजी के वचन सुनकर भीमसेन नरक में जाने के नाम से भयभीत हो गए और कांपकर कहने लगे कि अब क्या करूं? मास में दो व्रत तो मैं कर नहीं सकता, हां वर्ष में एक व्रत करने का प्रयत्न अवश्य कर सकता हूं। अत: वर्ष में एक दिन व्रत करने से यदि मेरी मुक्ति हो जाए तो ऐसा कोई व्रत बताइए।
यह सुनकर व्यासजी कहने लगे कि वृषभ और मिथुन की संक्रां‍‍ति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी आती है, उसका नाम निर्जला है। तुम उस एकादशी का व्रत करो। इस एकादशी के व्रत में स्नान और आचमन के सिवा जल वर्जित है। आचमन में छ: मासे से अधिक जल नहीं होना चाहिए अन्यथा वह मद्यपान के सदृश हो जाता है। इस दिन भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि भोजन करने से व्रत नष्ट हो जाता है।
यदि एकादशी को सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक जल ग्रहण न करे तो उसे सारी एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है। द्वादशी को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके ब्राह्मणों का दान आदि देना चाहिए। इसके पश्चात भूखे और सत्पात्र ब्राह्मण को भोजन कराकर फिर आप भोजन कर लेना चाहिए। इसका फल पूरे एक वर्ष की संपूर्ण एकादशियों के बराबर होता है।
व्यासजी कहने लगे कि हे भीमसेन! यह मुझको स्वयं भगवान ने बताया है। इस एकादशी का पुण्य समस्त तीर्थों और दानों से अधिक है। केवल एक दिन मनुष्य निर्जल रहने से पापों से मुक्त हो जाता है।।
जो मनुष्य निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं उनकी मृत्यु के समय यमदूत आकर नहीं घेरते वरन भगवान के पार्षद उसे पुष्पक विमान में बिठाकर स्वर्ग को ले जाते हैं। अत: संसार में सबसे श्रेष्ठ निर्जला एकादशी का व्रत है। इसलिए यत्न के साथ इस व्रत को करना चाहिए। उस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और गौदान करना चाहिए।
इस प्रकार व्यासजी की आज्ञानुसार भीमसेन ने इस व्रत को किया। इसलिए इस एकादशी को भीमसेनी या पांडव एकादशी भी कहते हैं। निर्जला व्रत करने से पूर्व भगवान से प्रार्थना करें कि हे भगवन! आज मैं निर्जला व्रत करता हूं, दूसरे दिन भोजन करूंगा। मैं इस व्रत को श्रद्धापूर्वक ��रूंगा, अत: आपकी कृपा से मेरे सब पाप नष्ट हो जाएं। इस दिन जल से भरा हुआ एक घड़ा वस्त्र से ढंक कर स्वर्ण सहित दान करना चाहिए।
जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं उनको करोड़ पल सोने के दान का फल मिलता है और जो इस दिन यज्ञादिक करते हैं उनका फल तो वर्णन ही नहीं किया जा सकता। इस एकादशी के व्रत से मनुष्य विष्णुलोक को प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस दिन अन्न खाते हैं, ‍वे चांडाल के समान हैं। वे अंत में नरक में जाते हैं।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
❉‼श्री‼❉
❉🌹Զเधे Զเधे🌹❉
💝꧁"श्री राधा विजेयते नमः"꧂💝
🙏। श्रीमत्कुंजविहारिणेनमः। 🙏
🙏।।श्रीजी दास।।🙏
🌹𝓙𝓪𝓲 𝓑𝓲𝓱𝓪𝓻𝓲 𝓙𝓲 𝓚𝓲 🌹
🙏ℐᗅⅈ Տℍℛⅈ ℛᗅⅅℍℰ ℛᗅⅅℍℰ 🙏
💝 आप सभी स्वास्थ रहें 💝
🦚🌈 श्री भक्ति ग्रुप मंदिर 🦚🌈
🙏🌹🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏🌹🙏
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
☎️🪀 +91-7509730537 🪀☎️
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
Tumblr media
0 notes
astroclasses · 5 months ago
Link
0 notes
bhagyachakra · 3 years ago
Photo
Tumblr media
।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पंचांग :- संवत :- २०७८ ( आनंद ) दिनांक :- 21 जून 2021 मास :- ज्येष्ठ तिथि :- एकादशी ( निर्जला एकादशी ) वार :- चंद्रवार नक्षत्र :- स्वाति योग :- शिव करण :- विष्टि अयन:- उत्तरायण पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- ग्रीष्म लाभ :- 15:52 - 17:33 अमृत:- 17:34 - 19:15 शुभ :- 09:06 - 10:46 राहु काल :- 07:23 - 09:05 जय श्री महाकाल :- *न‍िर्जला एकादशी:-* सनातन धर्म में २४ एकादशी होती हैं। सभी का अपना-अपना महत्‍व होता है। लेक‍िन ��्‍येष्‍ठ मास की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी त‍िथि को पड़ने वाली न‍िर्जला एकादशी का व‍िशेष महत्‍व माना गया है। इस एकादशी में पानी पीना पूर्णतया वर्जित है। यही वजह है क‍ि इस एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्‍यता है क‍ि इस एकादशी का व्रत करने से सभी २४ एकादश‍ियों का फल म‍िल जाता है। न‍िर्जला एकादशी पूजन व‍िध‍ि :- सर्वप्रथम स्नानादि के पश्चात सूर्य नारायण भगवान को जल अर्पित करें, जल अर्पित करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा पीले पुष्प, फल, अक्षत, दूर्वा और चंदन से करें। फिर ""ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"" मंत्र का जप करें। इसके बाद निर्जला एकादशी की कथा करके आरती करें। इस दिन निर्जला उपवास रखने का विधान है। द्वादशी के दिन शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें। सबसे पहले भगवान विष्णुजी को मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सबसे पहले भगवान का प्रसाद सबको बांट दें। ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान-द���्षिणा देकर स्‍वयं प्रसाद ग्रहण करें। ध्यान रहे, व्रत खोलने के बाद ही आपको जल का सेवन करना है। मान्‍यता है क‍ि इस दिन जो स्वयं निर्जल रहकर ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा पात्र दान करता है। उसे जीवन में कभी भी क‍िसी बात की कमी नहीं होती।उसके घर परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। आज का मंत्र :- ""|| ॐ नमः शिवाय।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय श्री महाकाल। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय श्री महाकाल🌹🙏 श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 21 जून 2021 ( चंद्रवार ) जय श्री महाकाल। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 [email protected] https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CQXQ47BMHTi/?utm_medium=tumblr
1 note · View note
bhaktibharat · 1 year ago
Text
🐚 पाण्डव निर्जला एकादशी व्रत कथा - Nirjala Ekadashi Vrat Katha
Tumblr media
एकादशी व्रत हिन्दुओ में सबसे अधिक प्रचलित व्रत माना जाता है। वर्ष में चौबीस एकादशियाँ आती हैं, किन्तु इन सब एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली समझी जाती है क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी का व्रत अत्यन्त संयम साध्य है। इस युग में यह व्रत सम्पूर्ण सुख़ भोग और अन्त में मोक्ष कहा गया है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष ��ोनों पक्षों की एकादशी में अन्न खाना वर्जित है।
निर्जला एकादशी व्रत का पौराणिक महत्त्व और व्याख्यान भी कम रोचक नहीं है। जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ: धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया था,
तब युधिष्ठिर ने कहा: जनार्दन! ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी पड़ती हो, कृपया उसका वर्णन कीजिये।..
..निर्जला एकादशी व्रत कथा को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 👇 📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/nirjala-ekadashi-vrat-katha YouTube: https://www.youtube.com/watch?v=IPtmzwuGcRo
For Quick Access Download Bhakti Bharat APP: 📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app
🐚 रुक्मिणी हरण एकादशी - Rukmini Harana Ekadashi 📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/rukmini-harana-ekadashi
#Nirjala #NirjalaEkadashi #Ekadashi #Katha #EkadashiVratKatha #VratKatha #JyaisthaShukla #Jyaistha #iskcon #iskconEent #Haribol #HareKrishna
1 note · View note
lokkesari · 3 years ago
Text
आज 21 जून को है निर्जला एकादशी,इस एकादशी के व्रत को रखने से मिलता है समस्त एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त
New Post has been published on https://lokkesari.com/today-21st-june-is-nirjala-ekadashi-this-ekadasi-fast-meets-the-fast-of-the-fast-of-all-moneys-fasts.html
आज 21 जून को है निर्जला एकादशी,इस एकादशी के व्रत को रखने से मिलता है समस्त एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त
हिन्दू धर्म मान्यता अनुसार प्रत्येक वर्ष 24 एकार्दाशयां पड़ती है।परन्तु अधिक मास होने पर इनकी संख्या 26 हो जाती है। ज्येष्ठ मास की  शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है।  इस एकादशी पर निर्जल यानी बिना पानी पिये व्रत रखा जाता है।इसीलिए इसे निर्जला एकादशी कहा गया है।
माना जाता है कि यह व्रत करना सभी तीथों में स्नान करने के समान है। इस एकादशी का संबंध महाभारत काल से माना गया है।
कथा के अनुसार जब महर्षि बेदव्यास ने पांडवों को धर्म व मोक्ष देने वाले व्रत का संकल्प कराया, तो भीम ने कहा कि आप तो 24 एकादर्शियों का व्रत रखने का संकल्प करवा रहे हैं, मैं तो एक दिन भी भूखा नहीं रह सकता। इस पर महर्षि ने उनकी समस्या का निदान करते हुए कहा कि आप निर्जला एकादशी का व्रत रखो। इससे समस्त एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होगा। तभी से हिंदू धर्म में यह व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी और पांडव एकादशी भी तभी से कहा जाने लगा। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन खुद प्यासा रहकर दूसरों की जल पिलाएगा, वह धन्य कहलाएगा और उसको पुण्यफल की प्राप्ति होगी।
व्रत विधान
इस दिन भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व है। सूर्योदय से पहले उठें और भगवान विष्णु की मूर्ति-प्रतिमा को पंचामृत –  दूध, दही, घी, शहद व शक्कर से स्नान कराएं या चित्र के आगे ज्योति जलाकर तुलसी,फल  नये वरत्र अर्पित आदि अर्पित करते हुए आराधना करें।  या किसी मंदिर म॑ भगवान विष्णु के दर्शन करें। निर्जल व्रत रखें। ओम नमो भगवते वासुदेवाय: आदि भगवान विष्णु मंत्रो का जाप करें।
इस दिन जल, वस्त्र, छाता, घड़ा, खरबूजा, फल, शरबत आदि का दान करना लाभकारी रहता है।गर्मी से बचने की सामग्री दान करें. अगले दिन सूर्योदय के बाद जल ग्रहण करके व्रत का समापन करें। ब्राह्मण को दान – दक्षिणा देकर भोजन करवाकर फिर खुद भोजन करना चाहिये।
0 notes
blogswamiji · 3 years ago
Link
0 notes
nisthadhawani · 3 years ago
Text
जानिए कब हैं निर्जला एकादशी।। निर्जला एकादशी व्रत कथा || Nirjala Ekadashi 2021||
जानिए कब हैं निर्जला एकादशी।। निर्जला एकादशी व्रत कथा || Nirjala Ekadashi 2021||
हिन्दू धर्म से जुड़े लोग तीज, त्यौहार ,व्रत आदि का महत्त्व भली प्रकार से जानते हैं।  सभी व्रतों में से एकादशी के व्रत को अधिक पावन बताया गया हैं।  साल में पड़ने वाली मूलतः 24 एकादशियो में से ज्येष्ठ  मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी जिसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता हैं इसका अधिक लाभ देखने को मिलता हैं।  ऐसा भी कहा जाता हैं की इस एक एकादशी के व्रत को कर लेने से आपको सभी एकदशी व्रत का…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
chaitanyabharatnews · 3 years ago
Text
योगिनी एकादशी : इस व्रत को करने से एक बार में मिलता है 28 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का पुण्य
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज योगिनी एकादशी का हिन्‍दू धर्म में बड़ा महत्‍व है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की पूजा की जाती है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही योगिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि, इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु का ध्यान किया जाए तो मनुष्य को उसके हर पाप से मुक्ति मिल जाती है। इस बार योगिनी एकादशी 5 जुलाई को है।
Tumblr media
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार कहा गया है कि, योगिनी एकादशी का व्रत करने से 28 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का पुण्य प्राप्त होता है। योगिनी एकादशी को शयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं योगिनी एकादशी की पूजा विधि और महत्व... योगिनी एकादशी की पूजा विधि  एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र जल से स्नान करें। इसके बाद पूजा घर में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की अक्षत्, चंदन, पुष्प, धूप आदि से पूजा करें। भगवान को स्नान कराने के बाद 'विष्णुसहस्त्रनाम' का पाठ करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय महामंत्र' का जाप करें। एकादशी की रात को प्रभु की भक्ति में जागरण करें और उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का भी पाठ करें। द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें।
Tumblr media
योगिनी एकादशी पर दान का महत्व इस दिन दान करने का अधिक महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन जल और अन्न का दान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिन भर अन्न नहीं खाना चाहिए, वह फलाहार ले सकते हैं। आप चाहे तो निर्जला व्रत भी रख सकते हैं। इस दिन पीपल का पौधा लगाएं और निर्धनों को वस्त्र या धन का दान करें।   Read the full article
0 notes