#निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स
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NSE ने नया निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स लॉन्च किया
NSE ने नया निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स लॉन्च किया
सभी भारत बॉन्ड ईटीएफ के प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति अब बढ़कर 52,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। नई दिल्ली: एनएसई की सहायक कंपनी एनएसई इंडिसेज ने कहा है कि उसने निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स सीरीज के तहत एक और इंडेक्स लॉन्च किया है। भारत बॉन्ड इंडेक्स सीरीज़ एक टारगेट मैच्योरिटी डेट स्ट्रक्चर का अनुसरण करती है, जिसमें सीरीज़ का प्रत्येक इंडेक्स सरकार के स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा जारी ‘एएए’…
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NSE ने नया निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स लॉन्च किया
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सभी भारत बॉन्ड ईटीएफ के प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति अब बढ़कर 52,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। नई दिल्ली: एनएसई की सहायक कंपनी एनएसई इंडिसेज ने कहा है कि उसने निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स सीरीज के तहत एक और इंडेक्स लॉन्च किया है। भारत बॉन्ड इंडेक्स सीरीज़ एक टारगेट मैच्योरिटी डेट स्ट्रक्चर का अनुसरण करती है, जिसमें सीरीज़ का प्रत्येक इंडेक्स सरकार के स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा जारी ‘एएए’…
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इलेक्टोरल बॉन्ड पर देशभर में मचा घमासान, टॉप 10 कंपनियों के खिलाफ उठी कार्यवाही की मांग
इलेक्टोरल बॉन्ड पर देशभर में मचा घमासान, टॉप 10 कंपनियों के खिलाफ उठी कार्यवाही की मांग
SBI Electoral Bonds Latest Data: भारत के चुनाव आयोग की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, बजाज, बिड़ला और महिंद्रा समेत भारत के 10 प्रमुख बिजनेस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों ने 1,306 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. इनमें से केवल कुछ कंपनियां ही बेंचमार्क निफ्टी-50 इंडेक्स यानी 20,000 करोड़ रुपये से अधिक बाजार पूंजी वाली बड़ी कैप कंपनियों में शामिल हैं. कुल मिलाकर, निफ्टी-50 कंपनियों में…
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जुलाई महीने में लॉन्च होगी सरकार की ये स्कीम, आपके पास लाखों कमाने का मौका
जुलाई महीने में लॉन्च होगी सरकार की ये स्कीम, आपके पास लाखों कमाने का मौका
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नई दिल्ली.भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat ETF Bond) जुलाई में दस्तक देने वाला है. म्यूचुअल फंड सहित कई निवेशक ईटीएफ के बारे में बहुत नहीं समझते हैं. ईटीएफ या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शेयरों के एक सेट में निवेश करते हैं. ये अमूमन एक खास इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. ईटीएफ म्यूचुअल फंड जैसे होते हैं. लेकिन, दोनों में बड़ा अंतर यह है कि ईटीएफ को केवल स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा या बेचा जा सकता है. जिस तरह आप…
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#Bharat bond ETF#Business news in hindi#Edelweiss Asset Management#Edelweiss Mutual Fund#investment#NIFTY BHARAT Bond Indices#Personal Finance#एडलवाइज एसेट मैनेजमेंट#एडलवाइज म्यूचुअल फंड#निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स#निवेश#पर्सनल फाइनेंस#भारत बॉन्ड ईटीएफ
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Stock Market : आईटी और ऑटो Stock से बाज़ार में तेजी लौटी!
कार्पोरेट और बाज़ार विशेषज्ञ बसंत पाल की रिपोर्ट
बाजार में लगातार गिरावट के बीच बुधवार को घरेलू शेयर बाजार में खरीदारी देखने को मिली और सेंसेक्स और निफ्टी दोनों इंडेक्स तेज़ी के साथ बंद हुए।
���ेंसेक्स में 550 अंकों से ज्यादा कि बढ़त रही तो NSE का निफ्टी 17100 के पार बंद हुआ। आज के कारोबार में आटो और IT शेयरों में शानदार तेजी दर्ज की गई।
निफ्टी पर दोनों इंडेक्स 2 फीसदी और 1 फीसदी मजबूत हुए हैं। फार्मा और एफएमसीजी इंडेक्स में भी एक फीसदी की तेजी रही है,जबकि रियल्टी इंडेक्स आधे फीसदी से ज्यादा मजबूत रहा। बैंक और फाइनेंशियल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए।
फिलहाल सेंसेक्स में 574 अंकों की तेजी रही है और यह 57,038 के स्तर पर बंद हुआ और निफ्टी 178 अंक बढ़कर 17137 के लेवल पर बंद हुआ है। सेंसेक्स 30 के 21 शेयरों में तेजी रही!
आज के टॉप गेनर्स में RELIANCE, MARUTI, ULTRACEMCO, ASIANPAINT, TCS, HUL, Airtel और HDFC के शेयर फ़ायदे में रहे। आज के कारोबार में प्रमुख एशियाई बाजारों में मिला जुला रिएक्शन रहा! जबकि, मंगलवार को प्रमुख अमेरिकी बाजार मजबूत होकर बंद हुए।
अमेरिका में 10 साल का बॉन्ड यील्ड 2.94 फीसदी पर पहुंच गया, जो 2018 के बाद सबसे ज्यादा है। वहीं इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड का भाव 108 डॉलर प्रति बैरल के करीब है।
दो दिन में सोना हाजर रुपए घटा
इंटरनेशनल मार्केट में सोना 1950 डॉलर के नीचे आया है। सोना 2 दिनों में 40 डॉलर टूटा है। MCX पर सोना 52400 रुपए के नीचे ट्रेड कर रहा है। सोना 2 दिनों में 1000 रुपए से ज्यादा गिरा है। मजबूत डॉलर और बॉन्ड यील्ड ने यलो मेटल पर दबाव बनाया है। COMEX पर चांदी भी 26 डॉलर के नीचे आ गई है।
Steel क़ीमत 6 महीने के हाई पर
स्टील 6 महीने के हाई पर पहुंच गया है। देश में स्टील का भाव 58000 रुपए के ऊपर है। डिमांड और सप्लाई में अंतर बढ़ा है। चीन ने स्टील का उत्पादन घटाया है।मार्च में चीन का स्टील उत्पादन 6 फीसदी गिरा है। वहीं, जापान ने स्टील प्रोजक्ट्स के दाम 2-3 फीसदी बढ़ाए हैं।
IMF ने घटाया भारत का GDP ग्रोथ अनुमान
इंटनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) अनुमान को घटाकर 8.2 फीसदी कर दिया है। इससे पहने IMF ने वित्त वर्ष 2023 में भारत की GDP ग्रोथ के 9 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया था।
IMF ने कहा कि साल 2022 में भारत दुनिया का तीसरी सबसे तेज ग्रोथ करने वाली अर्थव्यवस्था होगी।भारत का ग्रोथ रेट दर चीन के 4.4 फीसदी के ग्रोथ रेट की तुलना में करीब दोगुना होगा।
IMF ने 'वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक' रिपोर्ट में कहा कि ग्लोबल GDP ग्रोथ रेट मौजूदा साल में 3.6 फीसदी रहने का अनुमान है। यह 2021 में जताए गए अनुमान 6.1 फीसदी से काफी कम है।
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सरकार की Bharat Bond स्कीम में 1 लाख इतने दिन में होंगे डबल! जानिए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब
सरकार की Bharat Bond स्कीम में 1 लाख इतने दिन में होंगे डबल! जानिए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब
मुंबई. सरकार की नई स्कीम भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) निवेशकों के लिए खुल गई है. यह ईटीएफ सरकारी कंपनियों के ‘AAA’ रेटिंग वाले बॉन्डों में निवेश करेगा. इसका बेंचमार्क निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स होगा. इस ईटीएफ के प्रबंधन का जिम्मा एडलवाइज म्यूचुअल (Edelweiss Mutual Fund) फंड पर है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे सामान्य म्यूचुअल फंड की तरह छोटे निवेशक आसानी से पैसा लगा सकते हैं. छोटे निवेशकों…
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कोरोना संक्रमण की वापसी से शेयर बाजार में डर का माहौल, वायदा बाजार में निगेटिव सेंटीमेंट Divya Sandesh
#Divyasandesh
कोरोना संक्रमण की वापसी से शेयर बाजार में डर का माहौल, वायदा बाजार में निगेटिव सेंटीमेंट
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की वापसी ने शेयर बाजार में भी डर का मौहाल बना दिया है। बाजार में हालांकि आज तेजी का रुख रहा और सेंसेक्स 568.38 अंकों की उछाल के साथ बंद हुआ लेकिन वायदा कारोबार में साफ तौर पर सुस्ती नजर आई। स्टॉक मार्केट के वायदा कारोबार में मार्च सीरीज की एक्सपायरी के बाद काफी कम संख्या में कारोबारियों ने अप्रैल सीरीज में अपने सौदों को रोलओवर किया है।
माना जा रहा है कि देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों, डॉलर की कीमत में लगातार हो रही मजबूती और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में आई तेजी ने कई कारोबारियों के नजरियों को प्रभावित किया है। विश्लेषकों के अनुसार कई विदेशी निवेशकों ने भी हालिया समय में बिकवाली शुरू कर दी है, जिससे अप्रैल सीरीज के प्रति कारोबारियों का नजरिया कमजोर हुआ है।
एक दिन पहले गुरुवार को ही विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 3,383.6 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। इतनी बड़ी बिकवाली से शेयर के वायदा कारोबार में निगेटिव सेंटिमेंट्स बना है। माना जा रहा है कि ये भी एक बड़ी वजह है कि भारतीय कारोबारी अप्रैल सीरीज में अपने सौदों को रोलओवर करने से बच रहे हैं।
यह खब�� भी पढ़ें: भारत के इस किले को कहा जाता है ‘कुंवारा’, जानिए इसका इतिहास
मार्केट एक्सपर्ट अनिल तुलस्यान का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड की मजबूती और कोरोना संक्रमण में आई तेजी ने विदेशी निवेशकों के रुझान को नकारात्मक बना दिया है। खासतौर पर बैंक निफ्टी पर तो प्रोप्राइटरी कारोबारी भी इंडेक्स फ्यूचर्स में शॉर्ट पोजिशन बना रहे हैं। इसके साथ ही डॉलर में आई तेजी भी बाजार के लिए अच्छी खबर नहीं है। इससे निवेशकों में निराशा का माहौल बना है।
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भारत बॉन्ड ईटीएफ को करीब दोगुनी बोलियां मिली, छोटे निवेशकों ने भी दिखाई दिलचस्पी
ट्रेड निवेश भारत बॉन्ड ईटीएफ का इश्यू शुक्रवार को सब्सक्रिप्शन के लिए बंद हो गया. यह इश्यू 12 दिसंबर को निवेश के लिए खुला था. इसे अपनी पहली किस्त में 12,000 करोड़ रुपये का सब्सक्रिप्शन मिला. भारत बॉन्ड ईटीएफ रिटेल निवेशकों से पैसा जुटाने का एक सरकारी इंस्ट्रूमेंट हैं.
देश की सबसे बड़े डेट फंड को 1.71 गुना का सब्सक्रिप्शन मिला, जिसमें घरेलू रिटेल और अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) ने जमकर निवेश किया. भारत बॉन्ड ईटीएफ AAA रेटिंग वाली सरकारी कंपनियों बॉन्ड में निवेश करेगा. यह भारत का ऐसा पहला ईटीएफ है.
इस फंड का प्रबंधन एडलवाइज ने किया है. एके कैपिटल भारत सरकार की इकलौती सलाहकार रही. इस फंड ऑफर ने अमीर निवेश���ों, कॉर्पोरेट घरानों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भी आकर्षित किया, जिन्हें सुरक्षा के साथ टॉप कंपनियों में निवेश का अवसर मिला.
विश्लेषकों के अनुसार, इतनी बड़ी रकम को सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए. खासतौर से ऐसे समय में जब निवेशकों सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं. इस इश्यू में निर्धारित मैच्योरिटी तिथि, लिक्विडिटी और 1 पैसे से कम का खर्च अनुपात रखा गया है, जो इसकी मांग बढ़ाता है.
ईटीएफ की मैच्योरिटी अवधि निर्धारित है. तीन साल की मैच्योरिटी वाले फंड निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स अप्रैल 2023 और 10 साल की मैच्योरिटी वाले फंड निफ्टी भारत बॉन्ड ईटीएफ 2030 के अनुसार चलेंगे. इन बॉन्ड की यील्ड 6.7 फीसदी से 7.6 फीसदी तक बत��ई जा रही है.
इसकी तीन साल की अवधि पर आपको 6.69 फीसदी, जबकि 10 साल की अवधि पर 7.58 फीसदी का ब्याज मिलेगा, जो भारतीय स्टेट बैंक की फिक्स्ड डिपोजिट की 6.25 फीसदी की ब्याज दर से बेहतर है. आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने कहा, "भारत बॉन्ड ईटीएफ एक टैक्स कुशल दीर्घावधि डेट निवेश विकल्प नजर आता है."
भारत बॉन्ड ईटीएफ पर डेट म्यूचुअल फंडों (3 साल से अधिक रखने पर इंडेक्सेशन के लाभ के साथ 20 फीसदी) की तरह ही टैक्स का नियम लागू होगा, जिसके बाद तीन साल और 10 साल की यील्ड क्रमश: 6.3 फीसदी और 7 फीसदी बनती है.
आवंटन के 30 दिनों के भीतर ही भुनाने पर 0.10 फीसदी का एग्जिट लोड लागू होगा. हालांकि, यूनिटों के आवंटन के 30 दिन के बाद खरीद-फरोख्त या बदलाव होता है, तो कई शुल्क लागू नहीं होगा. इंडेक्स में शामिल कंपनियों का संतुलन हर तीन महीनों में चेक किया जाएगा और बकाया राशि के आधार पर ही हिस्सेदारी तय होगी.
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कोरोनावायरस महामारी की वजह से स्टॉक मार्केट्स में जो गिरावट आई थी, उससे बाजार पूरी तरह उबरते नजर आ रहे हैं। दुनियाभर के ज्यादातर स्टॉक मार्केट फरवरी यानी कोरोनावायरस से पहले के दौर में आ चुके हैं, वहीं कुछ तेजी से आ रहे हैं।
भारत के सेंसेक्स और निफ्टी-50 ही नहीं बल्कि अमेरिका के डाउ जोंस इंडस्ट्रीयल इंडेक्स और एसएंडपी 500 इंडेक्स भी 37% तक की गिरावट के बाद 6 महीने के भीतर ही अब अपने पुराने स्तर पर लौट रहे हैं।
दूसरी ओर, सेफ हैवन असेट समझे जाने वाले सोने की कीमतों में गिरावट नजर आ रही है। सात अगस्त को 56 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंचने के बाद सोना लगातार फिसल रहा है। अब तक पांच-छह हजार रुपए तक की गिरावट इसमें आ गई है।
लेकिन, एनालिस्ट कह रहे हैं कि सोने की कीमतों में गिरावट का कारण सिर्फ स्टॉक मार्केट में तेजी नहीं है। बल्कि कई अन्य कारण भी हैं। ऐसे में यदि आपको लग रहा है कि स्टॉक मार्केट में तेजी के साथ सोना और सस्ता होगा, तो आपका ��ंदाजा गलत भी हो सकता है।
कितने गिर गए थे स्टॉक मार्केट, अब क्या है स्थिति?
कोरोनावायरस के मामले फरवरी में सामने आने लगे थे। तब तक सरकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन अमेरिका जैसे देशों में बढ़ते मामलों का असर शेयर बाजारों पर भी दिखा। जो शेयर बाजार फरवरी में अपने ऑलटाइम हाई पर थे, 14 फरवरी के बाद फिसलते चले गए। दुनियाभर के ज्यादातर शेयर बाजारों ने 20 से 23 मार्च के बीच बॉटम छू लिया था।
यह गिरावट इतनी तेज थी कि कोई संभल ही नहीं सका। जापान के निक्केई 225 को ही लें, 20 मार्च को वह अपने एक जनवरी के स्तर से करीब 28.67% नीचे था। इसी तरह अमेरिका का एसएंडपी 500 इंडेक्स 30.75%, सेंसेक्स 37.02%, निफ्टी 37.46%, यूके का एफटीएसई 100 इंडेक्स 33.79% तक गिर गए थे।
चीन का शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स सबसे कम गिरा था। उसमें 23 मार्च को एक जनवरी के मुकाबले महज 12.78% की गिरावट आई थी। अच्छी बात यह है कि एसएंडपी 500 इंडेक्स, निक्केई 225 और शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स अब इस साल की शुरुआत से ऊपर के स्तर पर है। हालांकि, अब भी उनका इस साल के शिखर पर लौटना बाकी है।
किन वजहों से आई शेयर मार्केट्स में तेजी?
जब कोरोनावायरस की वजह से अनिश्चितता का माहौल बना, तब बाजार में आई गिरावट को रोकने के लिए सरकारें भी सक्रिय हुईं। भारत में भी केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की। इसी तरह, अमेरिका सहित अन्य देशों में स्टिमुलस उपायों से गिरते बाजारों को उम्मीद बंधी।
भारत में रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की घोषणा की। ब्याज दरें घटाईं। केडिया कैपिटल के डायरेक्टर और रिसर्च हेड अजय केडिया का कहना है कि स्टिमुलस पैकेज ने शेयर बाजारों के लिए स्टेरॉइड का काम किया। इससे जो तेजी आई, उसे नेचरल तेजी नहीं कह सकते। जब कोरोना महामारी भारत में आई तो मार्केट गिरने लगे थे।
अब जब भारत दुनिया का नंबर दो देश बन चुका है, तब मार्केट ऊपर आ रहे हैं। आप खुद ही समझ सकते हैं कि यदि कोरोना की स्थिति नहीं सुधरी तो सरकार को फिर स्टिमुलस पैकेज लाना होगा। जिसकी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। इससे बाजार में लिक्विडिटी तो आएगी, लेकिन यह दावा नहीं किया जा सकता कि कोरोना का संकट टल गया है और अब बाजार में सब अच्छा ही अच्छा होने वाला है।
तो क्या सोने की तेजी की वजह यही थी?
एंजेल ब्रोकरेज की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल में सेंसेक्स और निफ्टी ने 9.05% और 8.5% के सालाना औसत से वृद्धि दर्ज की है। 2010 और 2015 के बीच 2012 की मं��ी के बाद भी वृद्धि देखी गई। फरवरी 2016 से फरवरी 2020 तक सेंसेक्स की वृद्धि देखें तो वह 17,500 से बढ़कर 40,000 अंकों तक पहुंच गया। साफ है कि रिस्क होने के बाद भी इक्विटी में निवेश का ट्रेंड बढ़ा है।
दूसरी ओर, 2007 में सोना 9 हजार रुपए प्रति दस ग्राम के आसपास था, जो 2016 में 31 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया था। यानी नौ साल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी। यह भी समझना होगा कि जब-जब ब्याज दरें घटती हैं, तब सोने में निवेश बढ़ता है।
इसी तरह का संबंध है शेयर मार्केट और सोने का। जब-जब शेयर मार्केट में गिरावट दर्ज होती है या मंदी की आहट होती है, पीली धातु की रफ्तार बढ़ जाती है। ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म डेलोइट ने अप्रैल के आउटलुक में कहा था कि ब्याज दरों में गिरावट होगी। ऐसा ही हुआ।
आज देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बैंक की ब्याज दरें एक दशक में सबसे कम हैं। आज की तारीख में भारत की बात करें तो रेपो रेट सिर्फ 4 प्रतिशत के आसपास है। ब्याज दरें कम हैं, ऐसे में लोगों के लिए सोना ही निवेश का बेहतर विकल्प बना हुआ है।
आगे क्या… क्या सोने में निवेश करना अब भी आकर्षक विकल्प है?
केडिया कैपिटल के अजय केडिया कहते हैं कि सोने में ग्रोथ साइकिल में होती है। 2008 से 2013 की साइकिल हो या 2018 से अब तक की साइकिल। सोने के रेट्स अचानक नह���ं बढ़े हैं। सितंबर 2018 से इसमें तेजी आने लगी थी। यदि आप 2008 से 2013 तक की अवधि को समझेंगे तो पाएंगे कि आज की स्थिति बहुत ज्यादा अलग नहीं है।
ब्याज दरें कम हुई थी। मंदी का खतरा था, इसलिए सरकारों ने स्टिमुलस पैकेज घोषित किए थे। जियो-पॉलिटिकल टेंशन उस समय यूएस, ईरान और मिडिल ईस्ट में थे, आज भारत-चीन, अमेरिका-चीन और अमेरिका-ईरान में दिख रहे हैं। यह सब सोने के लिए फेवरेबल है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से इकोनॉमी ठप थी। हमारे यहां तो जीडीपी ही निगेटिव में चली गई। यदि आप निवेशक हैं तो कहां निवेश करना चाहेंगे? आपके सामने दो ही ऑप्शन हैं- इक्विटी और सोना। अगस्त की ही बात करें तो एफआईआई ने भारत में 5,500 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।
यह बताता है कि भारत से उम्मीदें बढ़ गई हैं। वहीं, यदि भारतीयों की मानसिकता समझने की कोशिश करेंगे तो उन्हें सोना ही आकर्षक विकल्प लगता है। हमारे यहां तो सोने में निवेश लोग तभी करते हैं जब इसके दाम बढ़ते हैं। इसका सीधा-सीधा उदाहरण है गोल्ड सोवरिन बॉन्ड में बढ़ रहा निवेश।
वह कहते हैं कि सोने की कीमतों में जो गिरावट आई है, उसकी वजह है पिछले दो महीनों में रुपए में आई मजबूती। रुपया अभी 73-74 रुपए प्रति डॉलर की रेंज में है। कुछ महीनों पहले 76-77 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया था। इससे भी ��ोने की कीमत कम हुई है।
लेकिन, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि डॉलर में तेजी आएगी तो लॉन्ग टर्म में सोने के दाम और तेजी से बढ़ेंगे। यानी अगले साल तक सोना 60 से 70 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच सकता है।
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Stock markets are recovering even after falling by 37%; But gold does not return at last year's rate, know why
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सरकार की पैसे डबल करने वाली स्कीम शुरू, जानिए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब
सरकार की पैसे डबल करने वाली स्कीम शुरू, जानिए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब
मुंबई. सरकार की नई स्कीम भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) निवेशकों के लिए खुल गई है. यह ईटीएफ सरकारी कंपनियों के ‘AAA’ रेटिंग वाले बॉन्डों में निवेश करेगा. इसका बेंचमार्क निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स होगा. इस ईटीएफ के प्रबंधन का जिम्मा एडलवाइज म्यूचुअल (Edelweiss Mutual Fund) फंड पर है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे सामान्य म्यूचुअल फंड की तरह छोटे निवेशक आसानी से पैसा लगा सकते हैं. छोटे निवेशकों…
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कोरोना संक्रमण की वापसी से शेयर बाजार में डर का माहौल, वायदा बाजार में निगेटिव सेंटीमेंट Divya Sandesh
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कोरोना संक्रमण की वापसी से शेयर बाजार में डर का माहौल, वायदा बाजार में निगेटिव सेंटीमेंट
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की वापसी ने शेयर बाजार में भी डर का मौहाल बना दिया है। बाजार में हालांकि आज तेजी का रुख रहा और सेंसेक्स 568.38 अंकों की उछाल के साथ बंद हुआ लेकिन वायदा कारोबार में साफ तौर पर सुस्ती नजर आई। स्टॉक मार्केट के वायदा कारोबार में मार्च सीरीज की एक्सपायरी के बाद काफी कम संख्या में कारोबारियों ने अप्रैल सीरीज में अपने सौदों को रोलओवर किया है।
माना जा रहा है कि देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों, डॉलर की कीमत में लगातार हो रही मजबूती और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में आई तेजी ने कई कारोबारियों के नजरियों को प्रभावित किया है। विश्लेषकों के अनुसार कई विदेशी निवेशकों ने भी हालिया समय में बिकवाली शुरू कर दी है, जिससे अप्रैल सीरीज के प्रति कारोबारियों का नजरिया कमजोर हुआ है।
एक दिन पहले गुरुवार को ही विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 3,383.6 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। इतनी बड़ी बिकवाली से शेयर के वायदा कारोबार में निगेटिव सेंटिमेंट्स बना है। माना जा रहा है कि ये भी एक बड़ी वजह है कि भारतीय कारोबारी अप्रैल सीरीज में अपने सौदों को रोलओवर करने से बच रहे हैं।
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मार्केट एक्सपर्ट अनिल तुलस्यान का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड की मजबूती और कोरोना संक्रमण में आई तेजी ने विदेशी निवेशकों के रुझान को नकारात्मक बना दिया है। खासतौर पर बैंक निफ्टी पर तो प्रोप्राइटरी कारोबारी भी इंडेक्स फ्यूचर्स में शॉर्ट पोजिशन बना रहे हैं। इसके साथ ही डॉलर में आई तेजी भी बाजार के लिए अच्छी खबर नहीं है। इससे निवेशकों में निराशा का माहौल बना है।
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दबाव में शेयर बाजार, अगले हफ्ते भी बनी रह सकती है चुनौतियां Divya Sandesh
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दबाव में शेयर बाजार, अगले हफ्ते भी बनी रह सकती है चुनौतियां
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार के लिए पिछला कारोबारी सप्ताह काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा लेकिन सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को कई दिनों की बिकवाली के बाद बाजार पर तेजड़िये हावी होते नजर आए। लगातार गिरावट के बाद शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों चढ़कर बंद हुए, लेकिन मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के ये दोनों सूचकांक अपने सपोर्ट लेवल के नीचे बंद हुए, जिसकी वजह से जानकार इस बात की आशंका जता रहे हैं कि एक बार फिर शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव बना रह सकता है। अगर ऐसा हुआ तो शेयर बाजार के लुढ़कने का सिलसिला जारी रह सकता है।
पिछले कारोबारी सप्ताह में सेंसेक्स में 1.8 फीसदी और निफ्टी में 1.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस ओवरऑल गिरावट की बात अगर छोड़ भी दें, तो छोटे और मंझोले शेयरों में तुलनात्मक तौर पर ज्यादा बड़ी गिरावट दर्ज की गई। जहां बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 2.59 फीसदी लुढ़क गया, वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स में 3.4 फीसदी की नरमी दर्ज की गई।
ओवरऑल परफारमेंस को देखें तो बीएसई 500 इंडेक्स में करीब 30 स्टॉक ऐसे रहे, जिनमें 10 से 30 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। इनमें डिश टीवी, बैंक ऑफ इंडिया, रेमंड्स, आईडीबीआई बैंक और फ्यूचर रिटेल जैसी कंपनियों के स्टॉक्स शामिल हैं।
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धनी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट संजीव धनी के मुताबिक पिछले हफ्ते शेयर बाजार में लगातार आई गिरावट और उतार-चढ़ाव की वजह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों रही हैं। भारत सहित दुनिया भर में कोरोना के बढ़ते मामलों ने बाजार पर काफी नकारात्मक असर डाला है। इसके साथ ही यूएस बॉन्ड यील्ड के लगातार पांच कारोबारी सप्ताह से बढ़त बनाए रखने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में दबाव की स्थिति बन गई है। इन बॉन्ड्स को आमतौर पर निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
सामान्य तौर पर मंदी के दौरान निवेशक बांड में ही पैसा लगाना ज्यादा पसंद करते हैं। जब अर्थव्यवस्था में स्थिरता की स्थिति बनती है, तो लोग शेयर बाजार जैसे ज्यादा जोखिम वाले निवेश विकल्प की ओर जाते हैं। अभी कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण दुनिया भर की अर्थव्यवस्था दबाव में है। खासकर अमेरिका इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसलिए अमेरिकी निवेशक बांड जैसे सुरक्षित निवेश को तरजीह दे रहे हैं। ऐसा होने से शेयर बाजार पर दबाव की स्थिति बनती जा रही है।
बाजार विश्लेषकों का ये भी कहना है कि भारतीय शेयर बाजार इस समय रोटेशन के दौर से गुजर रहा है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से बाजार पर दबाव की स्थिति बनी हुई है लेकिन अगर हालात सामान्य रहे और अर्थव्यवस्था की रिकवरी जारी रही, तो आने वाले दिनों में दबाव में चल रहे सेक्टर्स में तेजी का रुख बन सकता है। ऐसा होने पर जिन स्टॉक्स में हाल के दिनों में दबाव दिखा है, उनमें खरीदारी बढ़ सकती है।
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दबाव में शेयर बाजार, अगले हफ्ते भी बनी रह सकती है चुनौतियां Divya Sandesh
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दबाव में शेयर बाजार, अगले हफ्ते भी बनी रह सकती है चुनौतियां
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार के लिए पिछला कारोबारी सप्ताह काफी उता��-चढ़ाव वाला रहा लेकिन सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को कई दिनों की बिकवाली के बाद बाजार पर तेजड़िये हावी होते नजर आए। लगातार गिरावट के बाद शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों चढ़कर बंद हुए, लेकिन मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के ये दोनों सूचकांक अपने सपोर्ट लेवल के नीचे बंद हुए, जिसकी वजह से जानकार इस बात की आशंका जता रहे हैं कि एक बार फिर शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव बना रह सकता है। अगर ऐसा हुआ तो शेयर बाजार के लुढ़कने का सिलसिला जारी रह सकता है।
पिछले कारोबारी सप्ताह में सेंसेक्स में 1.8 फीसदी और निफ्टी में 1.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस ओवरऑल गिरावट की बात अगर छोड़ भी दें, तो छोटे और मंझोले शेयरों में तुलनात्मक तौर पर ज्यादा बड़ी गिरावट दर्ज की गई। जहां बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 2.59 फीसदी लुढ़क गया, वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स में 3.4 फीसदी की नरमी दर्ज की गई।
ओवरऑल परफारमेंस को देखें तो बीएसई 500 इंडेक्स में करीब 30 स्टॉक ऐसे रहे, जिनमें 10 से 30 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। इनमें डिश टीवी, बैंक ऑफ इंडिया, रेमंड्स, आईडीबीआई बैंक और फ्यूचर रिटेल जैसी कंपनियों के स्टॉक्स शामिल हैं।
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धनी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट संजीव धनी के मुताबिक पिछले हफ्ते शेयर बाजार में लगातार आई गिरावट और उतार-चढ़ाव की वजह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों रही हैं। भारत सहित दुनिया भर में कोरोना के बढ़ते मामलों ने बाजार पर काफी नकारात्मक असर डाला है। इसके साथ ही यूएस बॉन्ड यील्ड के लगातार पांच कारोबारी सप्ताह से बढ़त बनाए रखने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में दबाव की स्थिति बन गई है। इन बॉन्ड्स को आमतौर पर निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
सामान्य तौर पर मंदी के दौरान निवेशक बांड में ही पैसा लगाना ज्यादा पसंद करते हैं। जब अर्थव्यवस्था में स्थिरता की स्थिति बनती है, तो लोग शेयर बाजार जैसे ज्यादा जोखिम वाले निवेश विकल्प की ओर जाते हैं। अभी कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण दुनिया भर की अर्थव्यवस्था दबाव में है। खासकर अमेरिका इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसलिए अमेरिकी निवेशक बांड जैसे सुरक्षित निवेश को तरजीह दे रहे हैं। ऐसा होने से शेयर बाजार पर दबाव की स्थिति बनती जा रही है।
बाजार विश्लेषकों का ये भी कहना है कि भारतीय शेयर बाजार इस समय रोटेशन के दौर से गुजर रहा है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से बाजार पर दबाव की स्थिति बनी हुई है लेकिन अगर हालात सामान्य रहे और अर्थव्यवस्था की रिकवरी जारी रही, तो आने वाले दिनों में दबाव में चल रहे सेक्टर्स में तेजी का रुख बन सकता है। ऐसा होने पर जिन स्टॉक्स में हाल के दिनों में दबाव दिखा है, उनमें खरीदारी बढ़ सकती है।
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