#एडलवाइज म्यूचुअल फंड
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newsaryavart · 4 years ago
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जुलाई महीने में लॉन्च होगी सरकार की ये स्कीम, आपके पास लाखों कमाने का मौका
जुलाई महीने में लॉन्च होगी सरकार की ये स्कीम, आपके पास लाखों कमाने का मौका
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नई दिल्ली.भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat ETF Bond) जुलाई में दस्तक देने वाला है. म्यूचुअल फंड सहित कई निवेशक ईटीएफ के बारे में बहुत नहीं समझते हैं. ईटीएफ या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शेयरों के एक सेट में निवेश करते हैं. ये अमूमन एक खास इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. ईटीएफ म्यूचुअल फंड जैसे होते हैं. लेकिन, दोनों में बड़ा अंतर यह है कि ईटीएफ को केवल स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा या बेचा जा सकता है. जिस तरह आप…
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divyabhashkar · 3 years ago
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सरकार की Bharat Bond स्कीम में 1 लाख इतने दिन में होंगे डबल! जानिए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब
सरकार की Bharat Bond स्कीम में 1 लाख इतने दिन में होंगे डबल! जानिए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब
मुंबई. सरकार की नई स्कीम भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) निवेशकों के लिए खुल गई है. यह ईटीएफ सरकारी कंपनियों के ‘AAA’ रेटिंग वाले बॉन्डों में निवेश करेगा. इसका बेंचमार्क निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स होगा. इस ईटीएफ के प्रबंधन का जिम्मा एडलवाइज म्यूचुअल (Edelweiss Mutual Fund) फंड पर है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे सामान्य म्यूचुअल फंड की तरह छोटे निवेशक ��सानी से पैसा लगा सकते हैं. छोटे निवेशकों…
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भारत बॉन्ड ईटीएफ को करीब दोगुनी बोलियां मिली, छोटे निवेशकों ने भी दिखाई दिलचस्पी
ट्रेड निवेश भारत बॉन्ड ईटीएफ का इश्यू शुक्रवार को सब्सक्रिप्शन के लिए बंद हो गया. यह इश्यू 12 दिसंबर को निवेश के लिए खुला था. इसे अपनी पहली किस्त में 12,000 करोड़ रुपये का सब्सक्रिप्शन मिला. भारत बॉन्ड ईटीएफ रिटेल निवेशकों से पैसा जुटाने का एक सरकारी इंस्ट्रूमेंट हैं.
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देश की सबसे बड़े डेट फंड को 1.71 गुना का सब्सक्रिप्शन मिला, जिसमें घरेलू रिटेल और अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) ने जमकर निवेश किया. भारत बॉन्ड ईटीएफ AAA रेटिंग वाली सरकारी कंपनियों बॉन्ड में निवेश करेगा. यह भारत का ऐसा पहला ईटीएफ है.
इस फंड का प्रबंधन एडलवाइज ने किया है. एके कैपिटल भारत सरकार की इकलौती सलाहकार रही. इस फंड ऑफर ने अमीर निवेशकों, कॉर्पोरेट घरानों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भी आकर्षित किया, जिन्हें सुरक्षा के साथ टॉप कंपनियों में निवेश का अवसर मिला.
विश्लेषकों के अनुसार, इतनी बड़ी रकम को सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए. खासतौर से ऐसे समय में जब निवेशकों सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं. इस इश्यू में निर्धारित मैच्योरिटी तिथि, लिक्विडिटी और 1 पैसे से कम का खर्च अनुपात रखा गया है, जो इसकी मांग बढ़ाता है.
ईटीएफ की मैच्योरिटी अवधि निर्धारित है. तीन साल की मैच्योरिटी वाले फंड निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स अप्रैल 2023 और 10 साल की मैच्योरिटी वाले फंड निफ्टी भारत बॉन्ड ईटीएफ 2030 के अनुसार चलेंगे. इन बॉन्ड की यील्ड 6.7 फीसदी से 7.6 फीसदी तक बताई जा रही है.
इसकी तीन साल की अवधि पर आपको 6.69 फीसदी, जबकि 10 साल की अवधि पर 7.58 फीसदी का ब्याज मिलेगा, जो भारतीय स्टेट बैंक की फिक्स्ड डिपोजिट की 6.25 फीसदी की ब्याज दर से बेहतर है. आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने कहा, "भारत बॉन्ड ईटीएफ एक टैक्स कुशल दीर्घावधि डेट निवेश विकल्प नजर आता है."
भारत बॉन्ड ईटीएफ पर डेट म्यूचुअल फंडों (3 साल से अधिक रखने पर इंडेक्सेशन के लाभ के साथ 20 फीसदी) की तरह ही टैक्स का नियम लागू होगा, जिसके बाद तीन साल और 10 साल की यील्ड क्रमश: 6.3 फीसदी और 7 फीसदी बनती है.
आवंटन के 30 दिनों के भीतर ही भुनाने पर 0.10 फीसदी का एग्जिट लोड लागू होगा. हालांकि, यूनिटों के आवंटन के 30 दिन के बाद खरीद-फरोख्त या बदलाव होता है, तो कई शुल्क लागू नहीं होगा. इंडेक्स में शामिल कंपनियों का संतुलन हर तीन महीनों में चेक किया जाएगा और बकाया राशि के आधार पर ही हिस्सेदारी तय होगी.
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dmchandresh · 5 years ago
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सरकार की पैसे डबल करने वाली स्कीम शुरू, जानिए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब
सरकार की पैसे डबल करने वाली स्कीम शुरू, जानिए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब
मुंबई. सरकार की नई स्कीम भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) निवेशकों के लिए खुल गई है. यह ईटीएफ सरकारी कंपनियों के ‘AAA’ रेटिंग वाले बॉन्डों में निवेश करेगा. इसका बेंचमार्क निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स होगा. इस ईटीएफ के प्रबंधन का जिम्मा एडलवाइज म्यूचुअल (Edelweiss Mutual Fund) फंड पर है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे सामान्य म्यूचुअल फंड की तरह छोटे निवेशक आसानी से पैसा लगा सकते हैं. छोटे निवेशकों…
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बेहतरीन शेयरों में खरीदारी का यह शानदार मौका | ट्रेड निवेश
ट्रेड निवेश  : निवेशकों के लिए शेयर बाजार में वैल्यू निवेश करने का बेहतरीन मौका नजर आ रहा है. वैल्यू के लिहाज से लार्जकैप और मिडकैप शेयरों के बीच अंतर बढ़ रहा है. कुछ लार्जकैप शेयरों के बीच की वैल्यू में भी अंतर बढ़ रहा है.
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आंकड़े बताते हैं कि बाजार पूंजीकरण के आधार पर टॉप 15 शेयरों ने 1 जनवरी 2018 के बाद निवेशकों की झोली में 13.44 लाख करो��़ रुपये डाले हैं. इस दौरान बीएसई के 3000 शेयरों ने निवेशकों के 2.6 लाख करोड़ रुपये डूबोए भी हैं. इनमें से हर छह में पांच शेयरों ने गिरावट ही दर्ज की है.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ लार्जकैप और दूसरे दर्जे के शेयरों के बीच ही फासला बढ़ा है, निफ्टी 50 इंडेक्स के शेयरों के बीच भी बैल्यू के लिहाज से काफी अंतर नजर आ रहा है. जनवरी 2018 के बाद से निफ्टी की 10 फीसदी की तेजी में दो-तिहाई हिस्सेदारी टॉप-15 शेयरों की रही.
इन टॉप-15 शेयरों ने 30 फीसदी तक की छलांग लगाई है, जबकि बाकी 35 शेयर 15 फीसदी तक नीचे हैं. यदि निफ्टी 50 इंडेक्स के बाकी 35 शेयरों ने भी टॉप-15 शेयरों जैसी तेजी दिखाई होती, तो आज इंडेक्स 13,700 के स्तर पर होता.
विश्लेषकों का मानना है कि कई सेगमेंट में खरीदारी के अवसर नजर आ रहे हैं. एडलवाइज इंवेस्टर प्रोफेशनल रिसर्च ने अपने नोट में कहा, "निफ्टी के 52 फीसदी शेयरों की वैल्यू सामान्य से नीचे हैं. ये काफी आकर्षक हैं. मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में आकर्षण अधिक है."
इसी तरह, यदि निफ्टी 50 इंडेक्स के 35 शेयरों की कमजोरी बराबर रूप से बांट दी जाए तो इंडेक्स 8,900 से स्तर तक लुढ़क जाएगा. मोतीलाल ओसवाल के राहुल शाह का मानना है कि निफ्टी 50 इंडेक्स के टॉप 15 शेयरों ने काफी अच्छा किया है. HDFC, कोटक महिंद्रा बैंक और ICICI रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं.
ईटी नाउ से उन्होंने कहा, "ये शेयर आगे भी अच्छा करेंगे, मगर निवेशकों को क्वालिटी मिडकैप शेयर जैसे फेडरल बैंक, एल्केम लैब्स और इंडियन होटल्स के बारे में सोचना चाहिए." निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स के टॉप 30 शेयरों की वैल्यू 2 फीसदी ही गिरी है, जबकि बेंचमार्क 22 फीसदी टूटा है.
UTI म्यूचुअल फंड के अजय त्यागी ने कहा, "साल 2012 और 2013 में भी ऐसी ही स्थिति थी. जिन निवेशकों ने उस समय इक्विटी बाजार में निवेश किया, उन्हें शानदार रिटर्न मिला. मगर बेहतरीन रिटर्न देने के बाद जो शेयर साल 2016 और 2017 में गिरे, उन्होंने कोई पैसा नहीं बनाया है."
त्यागी का मानना है कि इस बार भी ऐसा हो सकता है. उनके अनुसार, बाजार आकर्षक है, मगर धीरज बनाए रखने की जरूरत है. मॉर्गन स्टेनले ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "हम क्वालिटी के ऊपर वैल्यू, तेजी और घरेलू कारकों के मद्देजनर लार्जकैप शेयर के बजाय मिडकैप शेयरों की प्राथमिकता देंगे."
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