#नवरात्रि का पहला दिन
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lavkusdasrajpt · 1 year ago
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#नवरात्रि_पर_पाएं_ज्ञानगंगा
नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है । नौ दिन व्रत रखने के बाद समापन किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा में
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astrovastukosh · 2 months ago
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नवरात्रि का आज तीसरा दिन, ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा!
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नवरात्रि का आज तीसरा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। मां दुर्गा का पहला शैलपुत्री और दूसरा ब्रह्मचारिणी स्वरूप भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए है, जब माता भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त कर लेती हैं तब वह आदिशक्ति के रूप में प्रकट होती है और चंद्रघंटा बन जाती हैं।
ऐसा है माता का स्वरूप
नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गाजी के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी के वंदन, पूजन और स्तवन करने का विधान है। इन देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला और वाहन सिंह है। इस देवी के दस हाथ माने गए हैं और ये कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि जैसे अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। इनके कंठ में श्वेत पुष्प की माला और शीर्ष पर रत्नजड़ित मुकुट विराजमान है। माता चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में विराजमान रहती है और तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं।
माता की पूजा करने से मिलती है शांति
माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में अपितु परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है। इनके वंदन से मन को परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है, जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। चूंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और ये हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं, इसलिए इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्र��ोग कल्याणकारी माना गया है।
अभय प्रदान करता है माता का स्वरूप
मां दुर्गा का पहला शैलपुत्री और दूसरा ब्रह्मचारिणी स्वरूप भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए है, जब माता भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त कर लेती हैं तब वह आदिशक्ति के रूप में प्रकट होती है और चंद्रघंटा बन जाती हैं। देवी पार्वती के जीवन में तीसरी सबसे बड़ी घटना के रूप में उनको प्रिय वाहन वाघ प्राप्त होता है। इसलिए माता बाघ पर सवार होकर भक्तों को अभय प्रदान करती हैं। माता को लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए माता की पूजा में लाल रंग के वस्त्र पहनें।
मां चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
अर्थात् श्रेष्ठ सिंह पर सवार और चंडकादि अस्त्र शस्त्र से युक्त मां चंद्रघंटा मुझ पर अपनी कृपा करें।
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narmadanchal · 2 months ago
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हाथों में लाल ध्वजा और होठों पर मां के जयकारे लगाते भक्त निकल पड़े माता के दर्शन को
– बैतूल जिले से पहला जत्था सलकनपुर के लिए चार दिन पूर्व रवाना हुआ – चार दिन पैदल चलकर इटारसी तक पहुंचे आधा सैंकड़ा से अधिक मां के भक्त इटारसी। हाथों में जय माता दी लिखी लाल ध्वजा, होठों पर मां के जयकारे और मंजिल सलकनपुर स्थित विंध्यवासिनी माता विजयासन का दरबार। करीब आधा सैंकड़ा से अधिक भक्तों का जत्था पैदल मां के दर्शन और भक्ति के लिए निकल पड़ा है। नवरात्रि के प्रथम दिवस ये सभी माता के दर्शन…
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parasparivaarorg · 3 months ago
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Navratri Festivals in India
Paras Parivaar Organization(पारस परिवार आर्गेनाइजेशन):
नवरात्रि की नौ रातों में हर रात एक अलग अवतार या रूप में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। हर रात को एक अलग रूप या स्वरुप में माँ की उपासना करते हुए, भक्तों को शक्ति, सदभावना और दिव्यता की अनुभूति होती है। ये रातें नवरात्रि का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जिनमें भक्ति और आध्यात्मिकता की भावनाओं को जागृत किया जाता है।
नवरात्रि की नौ रातों में हर रूप का एक अलग अर्थ और महत्व है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार नवरात्रि के इस समय में माँ के हर रूप से भक्तों को माँ दुर्गा की शक्ति, साहस और दया को जानने का अवसर मिलता है। नवरात्रि में हर रात और हर दिन मंत्रों और भजनों के साथ भक्ति में वृद्धि होती है। जिससे व्यक्ति अपने आंतरिक अस्तित्व को महसूस करता है और उनका धार्मिक एवं मानसिक विकास होता है।
नवरात्रि का पर्व सामान्य रूप से माँ दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि माँ शक्ति की पूजा का महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर भक्तों का उद्देश्य माँ दुर्गा की पूजा, स्तुति और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करना है। नवरात्रि भक्ति के महत्व को समझने और अमल में लाने का भी पर्व है।
नवरात्रि का महत्व ये है कि ये त्यौहार माँ दुर्गा की अद्भुत पराक्रम को जानने का अवसर प्रदान करता है। माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के माध्यम से भक्तों को समृद्धि की प्राप्ति की प्रेरणा मिलती है। भक्तों का उद्देश्य माँ दुर्गा की ��ृपा दृष्टि को प्राप्त करना और उनकी शक्ति को प्राप्त करना है। नवरात्रि एक ऐसे समय का प्रतीक है जहाँ पर परिवार और समाज में प्रेम और सद्भावना का संचार होता है।
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नवरात्रि माँ दुर्गा को मनाने का अवसर है। नवरात्रि में मन और शरीर शुद्ध हो जाता है। नवरात्रि इस रूप में भी महत्वपूर्ण है कि इस समय बुराई से दूर रहने और अच्छाई को बढ़ावा देने का संकल्प लिया जाता है। इस अवसर पर भक्ति, ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक विकास की दिशा में अग्रसर किया जाता है। यह नवरात्रि का त्यौहार एकता और प्रेम का प्रतीक है। जिसमें परिवार और समाज के लोग एक साथ मिलकर माँ दुर्गा की आराधना करते हैं।
माँ दुर्गा के नौ रूप :
1. माँ शैलपुत्री जी
देवी दुर्गा ने पार्वती के रुप में हिमालय के घर जन्म लिया। इसी कारण देवी का पहला नाम पड़ा शैलपुत्री अर्थात हिमालय की बेटी। शैल का मतलब है पहाड़ या चट्टान। माँ शैलपुत्री सिखाती है कि जीवन में सफलता और जीत प्राप्त करने के लिए अपने लक्ष्यों को चट्टान की तरह मजबूत बनायें।
माँ शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। इस रूप में मां दुर्गा को पर्वतराज हिमालय की बेटी के रूप में पूजा जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ है। मां शैलपुत्री की पूजा, धन-दौलत और अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाती है।
2. माँ ब्रह्मचारिणी जी
इस रूप में मां दुर्गा को तपस्विनी के रूप में पूजा जाता हैं। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है, जो ब्रह्मा के द्वारा बताए गए आचरण पर आगे बढ़े। क्योंकि जीवन में कुछ भी प्राप्त करने के लिए अनुशासन सबसे ज्यादा जरूरी है। इनकी पूजा से आपको आगे बढ़ने की शक्ति मिलती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आपके सभी कार्य पूरे होते हैं और विजय की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है।
3. माँ चंद्रघंटा जी
ये माँ दुर्गा का तीसरा रूप है, जिनके माथे पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा है। मां चंद्रघंटा के हाथों में त्रिशूल, धनुष, गदा और तलवार है। मां चंद्रघंटा शक्ति का वरदान देती हैं और साथ ही भय को भी दूर करती हैं। माँ के दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र सजे हुए हैं। मां युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजमान होती हैं।
4. माँ कूष्माण्डा जी
कुष्मांडा देवी का चौथा स्वरूप है। ग्रंथों के अनुसार इन्हीं देवी की मंद मुस्कान से अंड यानी ब्रह्मांड की रचना हुई थी। इसी कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा। ये देवी भय दूर करती हैं। भय यानी डर ही सफलता की राह में सबसे बड़ी मुश्किल होती है। जिसे जीवन में सभी तरह के भय से मुक्त होकर सुख से जीवन बिताना हो, उसे देवी कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। इनकी साधना करने से जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं।
इनके शरीर की कांति सूर्य के समान तेज है। इनके तेज की तुलना इन्हीं से की जा सकती है। इनकीआठ भुजाएं हैं इसलिए ये अष्टभुजादेवी के नाम से भी जानी जाती हैं।
5. माँ स्कंदमाता जी
भगवान शिव और पार्वती के पहले पुत्र हैं कार्तिकेय और उन्हीं का ही एक नाम है स्कंद। इसलिए कार्तिकेय या स्कंद की माँ होने के कारण देवी के पांचवें रुप को स्कंद माता के नाम से जाना जाता है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।
स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र अर्थात श्वेत है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है। इनकी उपासना से साधक को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।
6. माँ कात्यायनी जी
कात्यायिनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। कात्यायन ऋषि ने देवी दुर्गा की बहुत तपस्या की थी और फिर दुर्गा प्रसन्न हुई तब ऋषि ने वरदान में माँगा कि देवी दुर्गा उनके घर में पुत्री के रुप में जन्म लें। कात्यायन की बेटी होने के कारण ही नाम इनका पड़ा कात्यायिनी पड़ा।
यह नवदुर्गाओं में छठवीं देवी हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को रोग से मुक्ति पाने के लिए देवी कात्यायिनी की पूजा अर्चना करें। ये स्वास्थ्य की देवी हैं।
7. माँ कालरात्रि जी
इस रूप में मां दुर्गा का भयानक स्वरूप होता हैं। इन्हें काली माँ के रूप में पूजा जाता है। माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। काल यानि समय और रात्रि मतलब रात। इसका अर्थ उन सिद्धियों से है जो रात के समय साधना करने से साधक को मिलती हैं।
इनके नाम से दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत, बाधा आदि सभी भयभीत होकर दूर भाग जाते हैं। माँ कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा करने के बाद भक्तों को अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है।
8. माँ महागौरी जी
इस रूप में मां दुर्गा को सुंदर और उज्ज्वल स्वरूप में पूजा जाता हैं। माँ दुर्गा का आठवा स्वरूप है महागौरी। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है यही वजह है कि इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। इसलिए इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदान करने वाली कहा जाता है। इनका जो स्वरूप है वह अत्यंत सौम्य है। मां गौरी का यह रूप बेहद मोहक है। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल है।
9. माँ सिद्धिदात्री जी
इस रूप में मां दुर्गा सभी सिद्धियों की देने वाली माँ के रूप में पूजा जाता हैं। माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। इस दिन पूरी श्रद्धा भाव के साथ साधना करने वाले व्यक्ति को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं।
मां सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर आसीन होती हैं। इनकी उपासना से हर तरह की सिद्धि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। इन्हीं देवी की कृपा से ही महादेव की आधी देह देवी की हो गई थी और वह अर्धनारीश्वर कहलाए।
“पारस परिवार” की ओर से “चैत्र नवरात्रि” की हार्दिक शुभकामनाएं !!
आपका जीवन धन और प्रेम से भरपूर हो
मां दुर्गा आपको सुख और शांति प्रदान करें !!
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magnificentavenuedonut · 8 months ago
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#भूखेबच्चेदेख_मां_कैसे_खुश_हो
नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है । नौ दिन व्रत रखने के बाद समापन किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा में
https://youtu.be/Ie88etTACaQ
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blogy-hub · 8 months ago
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jeevanjali · 8 months ago
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Surya Grahan 2024: कहां कहां दिखाई देगा साल का पहला सूर्यग्रहण , क्या भारत में दिखाई देगा सूर्यग्रहणSurya Grahan 2024: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व है। चंद्रग्रहण के बाद अब साल का पहला सूर्यग्रहण लगने वाला है आपको बता दें ये ग्रहण चैत्र नवरात्रि शुरू होने से ठीक एक दिन पहले लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा
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ketanthakre · 1 year ago
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#नवरात्रि_पर_पाएं_ज्ञानगंगा
नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है । नौ दिन व्रत रखने के बाद समापन किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा में
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karinayadav · 1 year ago
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#नवरात्रि_पर_पाएं_ज्ञानगंगा
नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है । नौ दिन व्रत रखने के बाद समापन किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा में
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astrologergopalshastri · 1 year ago
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Today's Horoscope -
नवरात्रि का पहला दिन~ माँ शैलपुत्री
मेष दैनिक राशिफल (Aries Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए लेनदेन के मामले में अच्छा रहने वाला है। आपको किसी काम को लेकर यदि कोई चिंता सता रही थी, तो आपकी वह चिंता भी दूर होगी। आप अपने खर्चों को लेकर थोड़ा परेशा�� रहेंगे। यदि आप परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर किसी नई योजना को लेकर बातचीत कर सकते हैं। आपके कुछ विरोधी आपको कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आप किसी पर आंख मूंद कर भरोसा ना करें, नहीं तो वह आपके उस भरोसे को तोड़ सकता है।
वृष दैनिक राशिफल (Taurus Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए मेहनत से काम करने के लिए रहेगा। बिजनेस कर रहे लोग अपनी मेहनत में कोई कसर ना छोड़ें, तभी उनके सभी काम पूरे होंगे। सोच समझकर आगे बढ़ना होगा। माता-पिता से आप अपने मन की किसी इच्छा को जाहिर कर सकते हैं। आपकी किसी पुरानी रुकी हुई डील से आपको अच्छा लाभ मिलेगा। यदि आपने किसी से धन उधार लिया था, तो आपको उसे समय रहते चुकाना होगा। आपके आपसी रिश्तों में दरार पैदा हो सकती हैं। कार्यक्षेत्र में अधिकारी आपकी जिम्मेदारियों को बढ़ा सकते हैं।
मिथुन दैनिक राशिफल (Gemini Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए कला व कौशल में सुधार लेकर आएगा। रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे लोगों को कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है। आपको उम्मीद से ज्यादा धन मिलने से आप अपने व्यर्थ के खर्चों को बढ़ा सकते हैं। आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। संतान को संस्कारों व परंपराओं का पाठ पढ़ाएंगे, नहीं तो वह किसी गलत राह पर भटक सकते हैं। मामा पक्ष से आपको धन लाभ मिलता दिख रहा है। अध्ययन व आध्यात्मिक के प्रति आपकी रुचि जागृत होगी। कार्यक्षेत्र में आप अपनी कला का अच्छा प्रदर्शन करेंगे। विद्यार्थियों ने यदि किसी खेल प्रतियोगिता में भाग लिया था, तो आज उसके परिणाम आ सकते हैं। विदेश से व्यापार कर रहे लोगों को कोई निराशाजनक सूचना सुनने को मिल सकती ��ै।
कर्क दैनिक राशिफल (Cancer Daily Horoscope)
आज का दिन आपकी सुख व समृद्धि बढ़ाने वाला रहेगा। निजी जीवन में आप सावधानी बरतें। व्यक्तिगत विषयों पर आपका पूरा फोकस बढ़ेगा। भावनात्मक प्रदर्शन में आप सहज रहेंगे । परिवार में आप लोगों के साथ तालमेल बैठा कर चलेंगे। आप यदि किसी यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे थे, तो उसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दें। आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ किसी पिकनिक आदि पर जाने की योजना बनाएंगे। जीवनसाथी के लिए आप कोई उपहार लेकर आ सकते हैं।
सिंह दैनिक राशिफल (Leo Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए एक से अधिक स्रोतों से आय दिलाने वाला रहेगा। आपको कार्यक्षेत्र में यदि कोई जिम्मेदारी सौंपी जाए, तो आप उसमें ढील ना बरतें। आपको किसी की कहीसुनी बातों में आकर कोई निर्णय ��हीं लेना है, नहीं तो वह आपके लिए गलत साबित हो सकता है। किसी काम को लेकर लंबे समय से परेशान हैं तो परिजनों की सलाह लें।
कन्या दैनिक राशिफल (Virgo Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए बाकी दिनों की तुलना में अच्छा रहने वाला है। आपको अकस्मात धन लाभ मिलने से आपकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहेगा। आप अपनी योग्यता अनुसार काम मिलने से आप प्रसन्न रहेंगे। सरकारी नौकरी में कार्यरत लोगों को प्रमोशन मिलने से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ मिलकर आप भविष्य के लिए कुछ प्लानिंग कर सकते हैं। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई लिखाई में आ रही समस्याओं को लेकर अपने गुरुजनो से बातचीत कर सकते हैं। माता-पिता के आशीर्वाद से आपका कोई रुका हुआ काम पूरा होगा।
तुला दैनिक राशिफल (Libra Daily Horoscope)
आज का दिन आपकी साख व सम्मान में वृद्धि लेकर आने वाला है। विद्यार्थियों की पढ़ाई के साथ-साथ किसी दूसरे काम के प्रति रुचि जागृत हो सकती है। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। आप कुछ नए लोगों से मेलजोल बढ़ाने में कामयाब रहेंगे। आपके कुछ विरोधी आपसे किसी मुद्दे को लेकर सलाह मश्वरा कर सकते हैं। अविवाहित जातकों के लिए उत्तम विवाह के प्रस्ताव आएंगे। आपकी आधुनिक विषयों के प्रति रुचि जागृत होगी। कुछ नए अनुबंधों का आपको लाभ मिलेगा।
वृश्चिक दैनिक राशिफल (Scorpio Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए कामकाज के मामले में अच्छा रहने वाला है। यदि आपने किसी अजनबी पर भरोसा किया, तो वह आपके लिए कोई नहीं समस्या खड़ी कर सकते है। अपने कामों को आप धैर्य रखकर निपटाएं, तभी वह समय से पूरा हो सकता है। यदि आपका कोई संपत्ति संबंधित विवाद लंबे समय से चल रहा था, तो उसमें आपको सावधानी बरतनी होगी। आपकी किसी पुरानी गलती से पर्दा उठ सकता है, जिसके बाद जीवनसाथी आपसे नाराज हो सकती है। आप परिवार के सदस्यों के साथ किसी मांगलिक कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे।
धनु दैनिक राशिफल (Sagittarius Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए लाभदायक रहने वाला है। आपके मन में नकारात्मक विचारों को लाने से बचना होगा, नहीं तो समस्या आ सकती है। वरिष्ठ जनों का आपको पूरा सहयोग मिलेगा। आपका कोई बड़ा लक्ष्य यदि लंबे समय से लटका हुआ था, तो वह पूरा हो सकता है। माताजी से आप किसी बात को लेकर बातचीत कर सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आप अपने जूनियर्स की मदद से किसी काम को समय से पहले पूरा करके देंगे। यदि आपने किसी से धन उधार लिया था, तो आप उसे भी काफी हद तक उतार सकते हैं।
मकर दैनिक राशिफल (Capricorn Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए तरक्की दिलाने वाला रहेगा। आपको कार्य क्षेत्र में कोई अहम जिम्मेदारी मिल सकती है, जिसके बाद आपकी पद में भी वृद्धि होगी, जो लोग नौकरी में बदलाव की योजना बना रहे थे, तो उन्हें कोई अच्छा अवसर आ सकता है। कार्य क्षेत्र में आप अपनी वाणी की मधुरता के कारण अधिकारियों से प्रिय बनेंगे। सामाजिक क्षेत्रो में कार्यरत लोग किसी काम को लेकर थोड़ा परेशान रहेंगे। आप यदि क���सी महत्वपूर्ण चर्चा में सम्मिलित हो, तो उसमें बहुत ही तोल-मोल कर बोले। आपके कुछ शत्रु आप पर हावी होने की कोशिश करेंगे।
कुंभ दैनिक राशिफल (Aquarius Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए धार्मिक कार्यों के प्रति अग्रसर होने के लिए रहेगा। आपको दीर्घकालीन योजनाओं को गति मिलेगी। आप कुछ कामों की सूची बनाकर आगे बढ़ें, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। आपकी कुछ योजना यदि लंबे समय से रुकी हुई थी, तो वह शुरू हो सकती है। व्यापार में वृद्धि होने से आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। आध्यात्मिक विषयों में आपकी पूरी रुचि रहेगी। आप विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग प्रशस्त होंगे। यदि आपने किसी नए काम को करने का सोचा है, तो आपका वह काम पूरा हो सकता है।
मीन दैनिक राशिफल (Pisces Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए बहुत ही सूझबूझ दिखा कर आगे बढ़ाने के लिए रहेगा। किसी जोखिम भरे काम को करने से बचे, नहीं तो समस्या हो सकती है। अपने खान-पान में अत्यधिक तले भुने भोजन से परहेज रखें, नहीं तो आपको कोई पेट संबंधित समस्या परेशान कर सकती है। परिवार में यदि किसी बात को लेकर कोई वाद विवाद की स्थिति उत्पन्न हो, तो आपस में चुप लगाए। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लोग अपने प्रयासों में कोई कमी ना छोड़े, नहीं तो बाद में उनका पछतावा हो सकता है।
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astrovastukosh · 1 year ago
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💥नवरात्रि विशेष 💥
कल रविवार 15 अक्टूबर से देवी दुर्गा का नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है. कल रविवार को घट कलश स्थापना होगी. ये पर्व 23 अक्टूबर तक चलेगा. इस साल देवी दुर्गा का वाहन हाथी है. शास्त्रों की मान्यता है कि नवरात्रि में जब देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं, तब ज्यादा बारिश के योग बनते हैं. आइए जानते हैं इस पर्व की संपूर्ण जानकारी-
🌞नवरात्रि पर योग🌞
👉 इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों का होगा और 30 साल बाद दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. शारदीय नवरात्रि पर बुधादित्य योग, शश राजयोग और भद्र राजयोग का निर्माण हो रहा है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ रविवार 15 अक्टूबर 2023 से हो रहा है।
👉देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं. जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं।
👉माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा. वैसे तो देवी दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन नवरात्रि की शुरुआत में वार के अनुसार देवी का वाहन बदल जाता है।
👉इस बार नवरात्रि रविवार से शुरू हो रही है, इस कारण देवी का वाहन हाथी रहेगा. देवी के इस वाहन का संदेश ये है कि आने वाले समय में देश को लाभ हो सकता है. लोगों को सुख-समृद्धि मिलेगी।
👉 हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है. जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है।
👉शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की ��्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. नवरात्रि की शुरुआत कल रविवार 15 अक्टूबर 2023 से होगी. 23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समाप्त होगी।
👉24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
👉धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ये बेहद शुभ माना जाता है. हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं. मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है. इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी. साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी. हाथी को शुभ का प्रतीक माना गया है. ऐसे में आने वाला यह साल बहुत ही शुभ कार्य होगा. लोगों के बिगड़े काम बनेंगे. माता रानी की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों पर विशेष कृपा बरसेगी.
🌞कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त🌞
👉प��चांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक है. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 48 मिनट ही रहेगा।
💥शारदीय नवरात्रि की तिथियां💥
👉15 अक्टूबर 2023 मां शैलपुत्री पहला दिन प्रतिपदा तिथि
👉16 अक्टूबर 2023 मां ब्रह्मचारिणी दूसरा दिन द्वितीया तिथि
👉17 अक्टूबर 2023 मां चंद्रघंटा तीसरा दिन तृतीया तिथि
👉18 अक्टूबर 2023 मां कुष्मांडा चौथा दिन चतुर्थी तिथि
👉19 अक्टूबर 2023 मां स्कंदमाता पांचवा दिन पंचमी तिथि
👉20 अक्टूबर 2023 मां कात्यायनी छठा दिन षष्ठी तिथि
👉21 अक्टूबर 2023 मां कालरात्रि सातवां दिन सप्तमी तिथि
👉22 अक्टूबर 2023 मां महागौरी आठवां दिन दुर्गा अष्टमी
👉23 अक्टूबर 2023 महानवमी नौवां दिन शरद नवरात्र व्रत पारण
👉24 अक्टूबर 2023 दशहरा मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन
💥कलश स्थापना की सामग्री💥
👉मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।
💥कैसे करें कलश स्थापना💥
👉नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं. कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें.
👉अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल ��पड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें.
फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं
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gurujitmshastri · 1 year ago
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Today's Horoscope -
नवरात्रि का पहला दिन- माँ शैलपुत्री
मेष (चु, चे, चो, ला, लि, लु, ले, लो, अ) :-आज का दिन आपके लिए उत्तम रहेगा। आज सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देंगे। कार्यक्षेत्र में उम्मीद के अनुसार कामयाबी हासिल होगी। पारिवारिक मामलों में किसी बात को लेकर जीवनसाथी से बात होगी। आज का दिन आपके लिए शानदार रहने वाला है। आज जो भी काम शुरू करेंगे उसमें आपको सफलता मिलेगी। संतान की करियर को बेहतर दिशा देने के लिए आज आप किसी अनुभवी व्यक्ति से सलाह लेंगे।
वृषभ (इ, उ, ए, ओ, वा, वि, वु, वे, वो) :-आज का दिन आपको बहुत से नए अवसर मिल रहे हैं, जिनसे आपके जीवन में उन्नति होगी और अध्यात्मिक रूप से आपकी वृद्धि होगी। मुश्किलों से लड़ने का आपका स्वभाव आपको जिंदगी में कामयाबी दिलाएगाा। कहीं भी व्यर्थ धन ख़र्च करने से बचना अच्छा रहेगा। किसी विशेष क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने की इच्छा रहेगी। प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि होगी। शादी-विवाह से संबंधित वार्ता में थोड़ा और विलंब होगा। सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे और दान-पुण्य भी करेंगे।
��िथुन (का, कि, कु, घ, ङ, छ, के, को, हा) :-निजी व व्यावसायिक जीवन में तरक्की की राह पर आगे बढ़ेंगे। संघर्ष के एक अंतराल के बाद चीजें सकारात्मक होंगी व योजनाएं आकार लेंगी। रचनात्मकता से कार्यक्षेत्र में सफलता हासिल करेंगे। जमीन-जायदाद से संबंधित कार्य में आपको सफलता मिल सकती है। राजनीति में कार्य कर रहे लोगों को दुश्मनों से परेशानी रह सकती है। मनोरंजन वाले कार्य करें। भाइयों और मित्रों के साथ संबंधों में मधुरता आएगी।
कर्क (हि, हु, हे, हो, डा, डि, डु, डे, डो) :-सम्मान, प्रतिष्ठा और हैसियत बढ़ाने की दिशा में आप सक्रिय हो सकते हैं। जो चीजें कारगर न हों उनको छोड़ते हुए आपको आगे बढ़ना चाहिए। खुद में कुछ बदलाव ला कर आप अपने आपको बेहतरीन और मजबूत बनाएंगे। किसी के साथ टकराव इस समय आपके हित में नहीं है, यह आपको अनावश्यक तनाव और उपेक्षा ही प्रदान करेगा। घर के किसी वरिष्ठ सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी।
सिंह (मा, मि, मु, मे, मो, टा, टि, टु, टे):-आज भावनाओं की अधिकता रहेगी। प्रेम संबंधों में निराशा महसूस करेंगे। व्यापारियों को आज कोई भी रिस्क भरा कार्य करने से आपको परहेज करना चाहिए। बिना मतलब की मुसीबत गले पड़ सकती है। जुए, सट्टे, शेयर मार्केट इत्यादि जैसे कार्यों से दूरी बनाकर रखें। राजनीतिक क्षेत्र में आपका प्रभाव बढ़ेगा।
कन्या (टो, पा, पि, पु, ष, ण, ठ, पे, पो) :-समाजिक स्तर पर आपके मान सम्मान में वृद्धि होगी। आज आप अधिक संवेदनशील और भावनात्मक होंगे। छोटी-छोटी बातों से आपका मन दुखी हो सकता है। कार्यस्थल पर आज आप काम का दबाव महसूस करेंगे। कोशिश करें आज आपको काम के साथ-साथ आराम के लिए भी पूरा समय मिले। पुराने मित्रों से बातचीत करके मन को सुकून मिलेगा। धार्मिक स्थल की यात्रा का प्रोग्राम बन सकता है।
तुला (रा, रि, रु, रे, रो, ता, ति, तु, ते) :-आशावादी रहकर अपने रुके हुए कार्यों को गति प्रदान करें। यह आपके कार्य क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा। परिवारिक सदस्यों के साथ किसी बात को लेकर बहस हो सकती है। छोटी-छोटी समस्याओं को सूझबूझ से सुलझाने की कोशिश करें। खानपान में सावधानी रखें अन्यथा पेट संबंधी परेशानी उत्पन्न हो सकती है।
वृश्चिक (तो, ना, नि, नु, ने, नो, या, यि, यु) :-आज आपके लिए कुछ अच्छे संकेतों वाला दिन रह सकता है। आपको लाभ के मौके आसानी से मिलेंगे। विदेश यात्रा से संबंधित कार्यों को पूरा करने में सफलता मिलेगी। मेहनत फल लाएगी और उन्नति ��ा मार्ग प्रशस्त करेगी। मन में नए-नए विचार बनेंगे। पुराने रुके हुए कार्यों को शिद्दत से पूरा करेंगे। यात्रा का प्रोग्राम बना रहे हैं तो मौके पर कैंसिल हो सकता है। रुके हुए कार्यों को तहे दिल से पूरा करें, इससे आपको मानसिक शांति अनुभव होगी।
धनु (ये, यो, भा, भि, भु, धा, फा, ढा, भे):-बिना सोचे-समझे कोई काम शुरू न करें। जोश में आकर किसी से कोई वादा भी न करें। किसी के भरोसे रहना आप के अंदर निराशा पैदा करेगा। आप अपने काम को खुद करने का प्रयास करें आपको सफलता शीघ्र प्राप्त होगी। आपको भय उत्पन्न हो सकता है। आपके स्वभाव में भावुकता होने की वजह से छोटी सी नकारात्मक बात भी आपको दुखी कर सकती हैं।
मकर(भो,जा,जि,जु,जे,जो,ख,खि,खु,खे,खो,गा,गि) :-किसी बात को लेकर आपके मन में बेचैनी हो सकती है। किसी की कही हुई बात पर भरोसा न करें। व्यर्थ चिंताओं में आज का दिन खराब न करें। अपनी ऊर्जा और आइडियाज को उचित दिशा में लगाएं। पुरानी बातों को सोचने से कोई लाभ नहीं। सामाजिक तथा अन्य क्षेत्रों में ख्याति या सम्मान प्राप्त होगा। आप अपनी जीवनशैली को पहले से बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने की दिशा में कार्य करेंगे।
कुम्भ (गु, गे, गो, सा, सि, सु, से, सो, दा) :-घर में किसी शुभ, मांगलिक अथवा धार्मिक कार्य के आयोजन की चर्चा हो सकती है। आज आप अपने पसंद की वस्तु की खरीदारी करेंगे। जिससे आपके मन में खुशी और रोमांच रहेगा। छोटी-छोटी खुशियों को इकट्ठा करने की कोशिश करें। परिवार के सदस्यों के साथ तालमेल की कमी के कारण मन में अस्थिरता बनी रहेगी। कुछ बातों को इग्नोर करेंगे तो दिन अच्छे से बीतेगा। सकारात्मक बातों का सहारा लेकर आप अपने दिन को खुशनुमा बना सकते हैं।
मीन (दि, दु, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, चि) :-सायंकाल के समय आज आपके घर अतिथि आगमन हो सकता है, जिसमें कुछ खर्चा भी करना पड़ सकता है। आज आपको अपनी आय और व्यय में संतुलन बना कर रखना होगा। कार्य क्षेत्र में आपको निरंतर परिश्रम करने की आवश्यकता है, तभी आप सफलता की सीढ़ी चढेंगे। राजनीतिक दिशा में कार्य कार्य कर रहे जातकों के लिए पिछले कुछ समय से जो असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, वह आज समाप्त होगी। विदेश यात्रा से संबंधित कार्यों को पूरा करने में सफलता मिलेगी।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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29chanda · 2 years ago
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नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है । नौ दिन व्रत रखने के बाद समापन किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा में
चैत्र नवरात्रि
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abhinews1 · 2 years ago
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आचार्य हरिओम त्रिपाठी से जाने चैत्र नवरात्री में घट स्थापना-मुहूर्त एवं पूजन विधि
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आचार्य हरिओम त्रिपाठी से जाने चैत्र नवरात्री में घट स्थापना-मुहूर्त एवं पूजन विधि
प्रतिवर्ष की भांति इसवर्ष भी हिंदुओ के प्रमुख त्योहारो में से एक चैत्र नवरात्रि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाएगा। इस वर्ष 2023 में चैत्र नवरात्रों का आरंभ 22 मार्च (बुधवार) से होगा और 30 मार्च तक व्रत उपासना का पर्व मनाया जाएगा। इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने से नवरात्र का महोत्सव पूरे नौ दिन का होगा तथा 31 मार्च दशमी के दिन श्रीदुर्गा विसर्जन किया जाएगा। दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है अत: यह नवरात्र घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को 22 मार्च (बुधवार) के दिन की जाएगी।इस बार नवरात्रि महासंयोग लेकर आ रही है। इस बार नवरात्रों में शुभ योग बन रहा है |इस बार मां का आगमन (नौका) नाव पर हो रहा है। देवी भागवत में नवरात्रि के प्रारंभ व समापन के वार अनुसार माताजी के आगमन प्रस्थान के वाहन इस प्रकार बताए गए हैं: आगमन वाहन "शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥" देवीभाग्वत पुराण के इस श्लोक में बताया गया है कि माता का वाहन क्या होगा यह दिन के अनुसार तय होता है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो रहा है तो माता का आगमन हाथी पर होगा। शनिवार और ��ंगलवार को माता का आगमन होने पर उनका वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार को आगमन होने पर माता डोली में आती हैं जबकि बुधवार को नवरात्र का आरंभ होने पर माता का वाहन नाव होता है। माँ के वाहन का फल इन तथ्यों को बाकायदा देवी भागवत के एक श्लोक के जरिए ब��ाया गया है। शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।। अर्थात जब मां हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं तो ज्यादा पानी बरसता है, घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो युद्ध के हालात पैदा होते हैं, नौका पर सवार होकर आती हैं तो सब अच्छा होता है और शुभ फलदायी होता है। अगर मां डोली में बैठकर आती हैं तो महामारी, संहार का अंदेशा होता है। प्रस्थान वाहन देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है कि "शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा, शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला। बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा, सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥ इस श्लोक से स्पष्ट है कि इस वर्ष माता (गज) हाथी वाहन पर जा रही हैं। माँ के प्रस्थान वाहन का फल रविवार या सोमवार को देवी मां भैंसे की सवारी से प्रस्थान करती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है।शनिवार या मंगलवार को देवी मां मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं तो जनता में दुख और कष्ट बढ़ता है |बुधवार या शुक्रवार को देवी मां हाथी पर सवार होकर विदा लेती हैं तो ज्यादा बारिश ज्यादा होती है।गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं और इसका तात्पर्य ये हुआ कि मनुष्यता बढ़ेगी, सुख शांति बनी रहेगी। साधक भाई बहन जो ब्राह्मण द्वारा पूजन करवाने में असमर्थ है एवं जो सामर्थ्यवान होने पर भी समयाभाव के कारण पूजा नही कर पाते उनके लिये अत्यंत साधरण लौकिन मंत्रो से पंचोपचार विधि द्वारा सम्पूर्ण पूजन विधि बताई जा रही है आशा है आप सभी साधक इसका लाभ उठाकर माता के कृपा पात्र बनेंगे। घट स्थापना एवं माँ दुर्गा पूजन शुभ मुहूर्त नवरात्रि में घट स्थापना का बहुत महत्त्व होता है। कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु , गले में रूद्र , मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है। नवरात्री की पहली तिथि पर सभी भक्त अपने घर के मंदिर में कलश स्थापना करते हैं। इस कलश स्थापना की भी अपनी एक विधि, एक मुहूर्त होता है। परंतु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा स्वयं सिद्ध साढ़े तीन मुहूर्त में से प्र��म है इसलिये इस दिन किसी भी प्रकार के मुहूर्त देखने की आवश्यकता नही होती फिर भी संभव हो तो इस वर्ष घट स्थापना प्रातः 06 बजकर 23 मिनट से लेकर 07 बजकर 32 मिनट तक कर लें। यह घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव मीन लग्न के समय है। इसके पश्चात केवल राहुकाल के समय दिन 12:24 से 01:55 तक के समय को छोड़कर अपनी सुविधानुसार दिन में कभी भी घटस्थापना की जा सकती है। शारदीय नवरात्रि 2023 की महत्वपूर्ण तारीखें 1 22 मार्च बुधवार - प्रतिपदा - पहला दिन, घट या कलश स्थापना। इस दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होगी। 2 23 मार्च गुरुवार- द्वितीया - दूसरा दिन। इस दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। 3 24 मार्च शुक्रवार- तृतीया - तीसरा दिन। इस दिन दुर्गा जी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी। 4 25 मार्च शनिवार- चतुर्थी - चौथा दिन। माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा-अर्चना होगी। 5 26 मार्च रविवार- पंचमी - पांचवां दिन- इस दिन मां भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। 6 27 मार्च सोमवार- षष्ठी- छठा दिन- इस दिन माता दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है। 7 28 मार्च मंगलवार- सप्तमी- सातवां दिन- इस दिन माता दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की आराधना की जाती है। 8 29 मार्च बुधवार- अष्टमी - आठवां दिन- दुर्गा अष्टमी पूजन। इस दिन माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। 9 30 मार्च गुरुवार- नवमी - नौवां दिन- इस दिन माता के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजन तथा नवमी हवन होगा, नवरात्रि पारण। 10 31 मार्च शुक्रवार- दशमी के दिन जिन लोगों ने माता दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की होगी, वे विधि विधान से माता का विसर्जन करेंगे। घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की सामग्री जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।  जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।  पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )। घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )।  कलश में भरने के लिए शुद्ध जल।  नर्मदा या गंगाजल या फिर अन्य साफ जल।  रोली,मौली।  इत्र, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )।  पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )।  पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )।  कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )।  ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल।  नारियल, लाल कपडा, फूल माला,फल तथा मिठाई, दीपक , धूप , अगरबत्ती। भगवती मंडल स्थापना विधि जिस जगह पुजन करना है उसे एक दिन पहले ही साफ सुथरा कर लें। गौमुत्र गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र कर लें। सबसे पहले गौरी-गणेश जी का पुजन करें। भगवती का चित्र बीच में उनके दाहिने ओर हनुमान जी और बायीं ओर बटुक भैरव को स्थापित करें। भैरव जी के सामने शिवलिंग और हनुमान जी के बगल में रामदरबार या लक्ष्मीनारायण को रखें। गौरी गणेश चावल के पुंज पर भगवती के समक्ष स्थान दें। मैं एक चित्र बना कर संलग्न किये दे रहा हूं कि कैसे रखना है सारा चीज। मैं एक एक कर विधि दे रहा हूं। आप बिल्कुल आराम से कर सकेंगे। दुर्गा पूजन सामग्री पंचमेवा पंच​मिठाई रूई कलावा, रोली, सिंदूर, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, 5 सुपारी, लौंग,  पान के पत्ते 5 , घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शर्करा ), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी की गांठ , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, , आरती की थाली. कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन, जौ, ​तिल, माँ की प्रतिमा, आभूषण व श्रृंगार का सामान, फूल माला। गणपति पूजन विधि किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है.हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें। गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। आवाहन:👉  हाथ में अक्षत लेकर आगच्छ देव देवेश, गौरीपुत्र ​विनायक। तवपूजा करोमद्य, अत्रतिष्ठ परमेश्वर॥ ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इहागच्छ इह तिष्ठ कहकर अक्षत गणेश जी पर चढा़ दें। हाथ में फूल लेकर ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आसनं समर्पया​मि, अर्घ्य👉 अर्घा में जल लेकर बोलें ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः अर्घ्यं समर्पया​मि, आचमनीय-स्नानीयं👉  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आचमनीयं समर्पया​मि वस्त्र👉  लेकर ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः वस्त्रं समर्पया​मि, यज्ञोपवीत👉 ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः यज्ञोपवीतं समर्पया​मि, पुनराचमनीयम्👉 दोबारा पात्र में जल छोड़ें। ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः  रक्त चंदन लगाएं:👉  इदम रक्त चंदनम् लेपनम्  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः , इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं "इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः, दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। पूजन के बाद गणेश जी को प्र��ाद अर्पित करें: ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इदं नानाविधि नैवेद्यानि समर्पयामि, मिष्ठान अर्पित करने के लिए मंत्र👉 शर्करा खण्ड खाद्या​नि द​धि क्षीर घृता​नि च, आहारो भक्ष्य भोज्यं गृह्यतां गणनायक। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनीयं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें👉 ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः ताम्बूलं समर्पयामि। अब फल लेकर गणपति को चढ़ाएं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः फलं समर्पयामि, अब दक्षिणा चढ़ाये ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः द्रव्य दक्षिणां समर्पया​मि, अब ​विषम संख्या में दीपक जलाकर ​निराजन करें और भगवान की आरती गायें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी को अर्पित करें, ​फिर तीन प्रद​क्षिणा करें। इसी प्रकार से अन्य सभी देवताओं की पूजा करें। जिस देवता की पूजा करनी हो गणेश के स्थान पर उस देवता का नाम लें। घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की विधि सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए । पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिटटी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनायें। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें। कलश में साबुत सुपारी , फूल और दूर्वा डालें। कलश में इत्र , पंचरत्न तथा सिक्का डालें। अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें। कुछ पत्ते  थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएँ। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें। इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें। नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते है , पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते है। नारियल का मुंह वह होता है जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है। अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें। अब देवी देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ” हे समस्त देवी देवता आप सभी नौ दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों “। आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवता गण कलश में विराजमान है। कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें , अक्षत चढ़ाएं , फूल माला अर्पित करें , इत्र अर्पित करें , नैवेद्य यानि फल मिठाई आदि अर्पित करें। घट स्थापना या कलश स्थापना के बाद दुर्गा पूजन शुरू करने से पूर्व चौकी को धोकर माता की चौकी सजायें। आसन बिछाकर गणपति एवं दुर्गा माता की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं. इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें  "ॐ अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥" इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें  नीचे दिए मंत्र से आचमन करें - ॐ केशवाय नम: ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ गो​विन्दाय नम:, फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें :- ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यव�� विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए. अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें- चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।  दुर्गा पूजन हेतु संकल्प पंचोपचार करने बाद किसी भी पूजन को आरम्भ करने से पहले पूजा की पूर्ण सफलता के लिये संकल्प करना चाहिए. संकल्प में पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें : ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य  ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2077, तमेऽब्दे प्रमादि नाम संवत्सरे श्रीसूर्य दक्षिणायने दक्षिण गोले शरद ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे आश्विन मासे शुक्ल पक्षे प्र​तिपदायां तिथौ शनि वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री दुर्गा पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये। दुर्गा पूजन विधि सबसे पहले माता दुर्गा का ध्यान करें- सर्व मंगल मागंल्ये ​शिवे सर्वार्थ सा​धिके । शरण्येत्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥ आवाहन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दुर्गादेवीमावाहया​मि॥ आसन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आसानार्थे पुष्पाणि समर्पया​मि॥ अर्घ्य👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। हस्तयो: अर्घ्यं समर्पया​मि॥ आचमन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आचमनं समर्पया​मि॥ स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। स्नानार्थं जलं समर्पया​मि॥ स्नानांग आचमन- स्नानान्ते पुनराचमनीयं जलं समर्पया​मि। स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े। पंचामृत स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पंचामृतस्नानं समर्पया​मि॥ पंचामृत स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े। गन्धोदक-स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। गन्धोदकस्नानं समर्पया​मि॥ गंधोदक स्नान (रोली Read the full article
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prakhar-pravakta · 2 years ago
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नवरात्रि के पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए संपूर्ण विधि और मंत्र
आज यानी 22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। आज चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है। हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना की जाती है। साथ ही नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा उपासना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। देवी शैलपुत्री वृषभ पर सवार होती हैं। इनके दाहिने हाथ…
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abhishek21 · 2 years ago
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How should share market traders celebrate Dussehra?
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इस दशहरे पर रावण दहन के साथ अपनी बुरी वित्तीय आदतों को भी जलाएं जो आपकी वित्तीय सफलता के लिए हानिकारक हैं।
नौ दिनों का 'नवरात्रि' पर्व हम सभी ने बड़े ही उत्साह से मनाया। नवरात्रि के प्रत्येक दिन नौ रंगो को मनाते हुए हमें इस नवरात्रि उत्सव ने कुछ उपयोगी सबक सिखाये है जैसे,
पहला दिन - हमने इस दिन को पीले रंग के साथ मनाया और पीला आशावाद को दर्शाता है। आशावादी बनें और समझदारी से व्यापार करें! शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से आपको निराश नहीं होना चाहिए। हर एक मुश्किल आपको कुछ न कुछ सिखाती है। यह सिख आपको बेहतर व्यापार करने और अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगी ।
दूसरा दिन - हमने इस दिन को हरे रंग के साथ मनाया है और हरा रंग विकास को दर्शाता है। वित्तीय विकास का लक्ष्य रखें और अपना पोर्टफोलियो बनाएं! ट्रेडिंग करते समय, पूरी तरह से शोध करें और उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करें जिनमें क्षमता है। आखिर में आपके पोर्टफोलियो का विकास आपकी वित्तीय वृद्धि को निर्धारित करता है!
तीसरा दिन - हमने इस दिन को ग्रे रंग के साथ मनाया और ग्रे संतुलन को दर्शाता है। जोखिम और इनाम के बीच संतुलन बनाए रखें! व्यापार करते समय जोखिम और इनाम के बीच संतुलन रखना आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
refer our detailed blog to learn more options strategy
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