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#नरेंद्र मोदी जवाब
sharpbharat · 6 days
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pm modi speech in Jamshedpur : जमशेदपुर के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झामुमो पर बड़ा हमला, कहा - क्या चंपाई सोरेन आदिवासी नहीं थे कि बेइज्जत करके सीएम के पद से हटा दिया, सीता सोरेन क्या बाहरी थी, झारखंड की जनता चुनाव में जवाब लेगी, देखिये - video
जमशेदपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारी बारिश के बीच जमशेदपुर रांची से सड़क मार्ग से पहुंचे. उनका यहां आने पर बिष्टुपुर गोपाल मैदान में भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान मंच पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, बाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय…
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kknlive · 24 days
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क्या प्रधानमंत्री मोदी का यूक्रेन दौरा भारत के लिए सही कदम है?
क्या प्रधानमंत्री मोदी का यूक्रेन दौरा भारत के लिए सही कदम है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा क्यों हुआ, और इससे भारत और दुनिया को क्या हासिल हो सकता है? क्या इस दौरे से युद्ध रुक जाएगा या शांति की दिशा में कोई ठोस पहल होगी? इन सवालों के जवाब जानने के लिए देखें ‘खबरों की खबर‘ का यह एपिसोड। यूक्रेन की राजनीति और भारत के साथ उसके रिश्तों को समझिए, और जानिए कि क्यों भारत को हमेशा सावधान रहना चाहिए। अगर वीडियो पसंद आए, तो लाइक, शेयर और चैनल को…
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dainiksamachar · 2 months
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Exclusive: NDA को छोड़ इंडिया के साथ नहीं जा रहे नीतीश कुमार, आ गई तेजस्वी को मायूस करने वाली खबर
नई दिल्ली: 'क्यों पड़े हो चक्कर में, कोई नहीं है टक्कर में।' बिहार में नीतीश के फिर से खेला करने का इंतजार कर रहे विपक्षी नेताओं को JDU की तरफ से साफ संदेश कुछ इसी तरीके से दे दिया गया है। दरअसल केंद्र का बजट आने के पहले और आने के बाद भी बिहार की चर्चा आम रही। क्या बजट में बिहार को प्राथमिकता मिली और JDU उससे संतुष्ट है? क्या अपने राज्य में NDA का चेहरा बने रहेंगे? ऐसे ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर NDA सरकार में सहयोगी JDU के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता संजय कुमार झा से बात की नरेन्द्र नाथ ने। उन्होंंने बजट में बिहार को मिले तोहफों से लेकर सीएम नीतीश कुमार तक पर सवाल पूछे। अपने जवाब से ने बिहार के राजनीति माहौल में अचानक से छाई धुंध को एक झटके में छांट दिया। सवाल- इस बार आम बजट में बिहार पर अधिक फोकस किया गया। कहा गया कि केंद्र सरकार को समर्थन के बदले सौगात मिली है। आप बजट में बिहार की हिस्सेदारी को किस तरह देखते हैं? संजय झा- इस बजट में बिहार जैसे विकास के आकांक्षी राज्य के लिए अब तक की सबसे बड़ी विशेष सहायता की घोषणा की गई है। बिहार में बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान के अलावा सड़क परियोजनाओं, विद्युत उत्पादन परियोजना, एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेज, पर्यटन स्थलों और खेलकूद के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए विशेष सहायता का प्रावधान किया गया है। इससे बिहार को विकसित राज्य बना���े के नीतीश सरकार के प्रयास को नई गति मिलेगी। JDU पहले से ही NDA का हिस्सा है। हमारा प्री-पोल अलायंस था। लोकसभा चुनाव में पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी NDA का सर्वमान्य चेहरा थे। जहां तक समर्थन के बदले सौगात मिलने की बात है, तो यह विपक्ष का फैलाया हुआ शिगूफा है। UPA की केंद्र सरकार ने बजट में बिहार की हमेशा उपेक्षा की थी। बिहार को साजिश के तहत लेबर स्लेवरी करने वाला ‘बीमार राज्य’ बना दिया गया था। हमें विश्वास है कि अब केंद्र सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिए जाने से बिहार अगले पांच वर्षों में विकसित बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर होगा। सवाल- बिहार में बाढ़ रोकने के लिए बांध बनाने की खातिर बजट में बड़े पैकेज का एलान किया गया। पहले भी बाढ़ को लेकर कई पहल की जा चुकी हैं। आपने भी इस मुद्दे को बहुत बार उठाया। क्या लगता है, कब तक बिहार को बाढ़ से मुक्ति मिल पाएगी? संजय झा- बिहार के विकास की राह में एक बड़ी बाधा नेपाल से आने वाली नदियों की बाढ़ भी है। देश के कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 17.2% बिहार में है। राज्य में बाढ़ से सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा पिछले पांच वर्षों के दौरान करीब 7 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। राज्य में बाढ़ पहले भी आती थी, लेकिन तब आपदा राहत में किसी को कुछ नहीं मिलता था। वर्ष 2006 में नीतीश कुमार ने एसओपी बना दिया कि कब किस परिस्थिति में क्या-क्या काम करना है। कोसी, कमला और बागमती नदी पर नेपाल में हाई डैम के निर्माण के लिए डीटेल्ड प्रॉजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराने को 2004 में ही भारत-नेपाल संयुक्‍त परियोजना कार्यालय खोला गया था, लेकिन इस दिशा में खास प्रगति नहीं हो पाई। हमारी पहल के बाद एक विशेष समिति गठित हुई। इसकी सिफारिशों के आधार पर इस बार के बजट में बिहार में बाढ़ के समाधान, कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना, नदी सुधार योजना और सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए 1100 करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक मदद की घोषणा की गई है। सवाल- बिहार के लिए स्पेशल स्टेटस या विशेष पैकेज की बात थी। बजट के बाद क्या केंद्र सरकार से अपेक्षा पूरी हो गई है? संजय झा- 14वें वित्त आयोग ने ‘विशेष राज्य’ का प्रावधान समाप्त कर दिया। ऐसे में हमारी मांग थी कि बिहार को विशेष दर्जा दिया जाए और यदि नहीं दे सकते तो विशेष सहायता दें। हमें विश्वास है कि केंद्र का फोकस बिहार की ओर शिफ्ट हो गया है, तो आने वाले वर्षों के बजट में भी राज्य की वास्तविक जरूरतों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। सवाल- आपको JDU में संगठन की बड़ी जिम्मेदारी मिली है। अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। आप NDA और JDU में उस भूमिका को किस तरह देखते हैं? संजय झा- BJP और JDU का नैचरल अलायंस है। इस साल झारखंड और अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी NDA के साथ मिलकर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। हमें विश्वास है कि दोनों राज्यों में गठबंधन की बहुमत वाली सरकार आएगी। सवाल- बिहार में नीतीश कुमार NDA का चेहरा हैं। क्या आगे भी वही चेहरा रहेंगे? संजय झा- बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार NDA का सर्वमान्य चेहरा हैं, इसमें किसी तरह का कोई सवाल या संदेह नहीं। सवाल- RJD नेता तेजस्वी यादव बिहार में कानून-व्यवस्था और नौकरी का मुद्दा उठा रहे हैं। उनके आरोप को किस तरह काउंटर करेंगे? संजय झा- राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहतर बनाए रखने के लिए निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। अपराधी… http://dlvr.it/TBNXKn
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manvadhikarabhivyakti · 2 months
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नीतीश कुमार की जेडी(यू) को बड़ा झटका, केंद्र ने बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग खारिज की
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने सोमवार को कहा कि अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता है, जिससे नीतीश कुमार की जनता दल (यू) को बड़ा झटका लगा है, जो भाजपा की प्रमुख सहयोगी है। झंझारपुर लोकसभा सांसद रामप्रीत मंडल को लिखित जवाब में, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, “योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा अतीत…
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news-trust-india · 3 months
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PM Modi in Rajya Sabha : PM मोदी ने पेपरलीक पर विपक्ष को घेरा, युवाओं को किया आश्वस्त
PM Modi in Rajya Sabha : राज्यसभा में बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के हालात, नीट पेपर लीक जैसे मुद्दों पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमने पिछले पांच साल में जितना काम किया है, उतना काम करना होता तो कांग्रेस को 20 साल लग जाते। Hathras Satsang Stampede : हाथरस की घटना के पीछे CM योगी ने जताई साजिश की…
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chunavicharcha · 4 months
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Analysis on the Lok Sabha Election: यह जनादेश किसकी जीत किसकी हार? 10 साल बाद लौट रहा गठबंधन सरकार का दौर
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Analysis of the Lok Sabha Elections: #1 इस जनादेश के क्या मायने हैं?
एनडीए को 400 पार और पार्टी को 370 पार ले जाने की भाजपा की रणनीति कामयाब नहीं हो पाई।.
जनादेश बताता है कि गठबंधन की अहमियत का दौर 10 साल बाद फिर लौट आया है। भाजपा के पास अकेले के बूते अब वह आंकड़ा नहीं है, जिसके सहारे वह अपना एजेंडा आगे बढ़ा सके।
जनादेश ने साफ कर दिया कि सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के भरोसे रहने से भाजपा का काम नहीं चलेगा। उसके निर्वाचित सांसदों और राज्य के नेतृत्व को भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा।
एग्जिट पोल्स की भी हवा निकल गई। 11 एग्जिट पोल्स में एनडीए को 340 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। तीन सर्वेक्षणों में तो एनडीए को 400 लोकसभा सीटें मिलने का अनुमान था। रुझानों/नतीजों में एनडीए उससे तकरीबन 100 सीट पीछे है।
2# क्या इसे सत्ता विरोधी लहर कहेंगे?
1999 में 182 सीटें जीतने वाली भाजपा जब 2004 में 138 सीटों पर आ गई तो उसने सत्ता गंवा दी। उसके पास स्पष्ट बहुमत 1999 में भी नहीं था और उससे पहले भी नहीं था। 2009 में कांग्रेस इससे बढ़कर 206 सीटों पर पहुंच गई, लेकिन 2014 में 44 पर सिमट गई। इसे स्पष्ट तौर पर यूपीए के लिए सत्ता विरोधी लहर माना गया। फिर भी यह माना गया कि जनादेश भाजपा के 'फील गुड फैक्टर' के विरोध में था।वहीं, 2004 में भाजपा से महज सात सीटें ज्यादा यानी 145 सीटें जीतकर कांग्रेस ने यूपीए की सरकार बना ली। 
हालांकि,यहां भाजपा 34-35 सीटों पर सिमटती दिख रही है, जबकि 2014 में यहां भाजपा ने 71 और 2019 में 62 सीटें जीती थीं। जब उत्तर प्रदेश जैसे सबसे अहम राज्य के नतीजे देखते हैं तो तस्वीर इस बार अलग नजर आती है।   सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को इसी राज्य से हुआ है।
3# क्या कम मतदान ने भाजपा की सीटें घटा दीं और कांग्रेस-सपा की बढ़ा दीं?
वैसे तो इस बार लोकसभा चुनाव के शुरुआती छह चरण में ही पिछली बार के मुकाबले ढाई करोड़ से ज्यादा वोटरों ने मतदान किया था।क्योंकि भाजपा को पसंद करने वाले वोटरों ने तेज गर्मी के बीच संभवत: खुद ही यह मान लिया कि इस बार भाजपा की जीत आसान रहने वाली है।  फिर भी मतदान का प्रतिशत कम रहा। इसके ये मायने निकाले जा रहे हैं|इसलिए वोटरों का एक बड़ा तबका वोट देने के लिए निकला ही नहीं। कि भाजपा अब की पार 400 पार के नारे में खुद ही उलझ गई। उसके वोट इसलिए नहीं बढ़े |
4# तो यह किसकी जीत, किसकी हार? यह BJP की स्पष्ट जीत नहीं है। यह NDA की जीत ज्यादा है। आंकड़ों की दोपहर तक की स्थिति को देखें तो यह माना जा सकता है|  नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू, दोनों ही अतीत में एनडीए से अलग हो चुके हैं।इंडी गठबंधन की बात करें तो यह उसकी स्पष्ट जीत कम और बड़ी कामयाबी ज्यादा है। इन दोनों दलों के बारे में यह कहना मुश्किल है कि ये भाजपा के साथ पूरे पांच साल बने रहेंगे या नहीं। कि पूरे पांच साल भाजपा गठबंधन के सहयोगियों खासकर जदयू और तेदेपा के भरोसे रहेगी।  राज्य के लिए विशेष पैकेज और केंद्र और प्रदेश की सत्ता में भागीदारी के मुद्दे पर इनके भाजपा से मतभेद के आसार ज्यादा रहेंगे।  यह गठबंधन 200 का आंकड़ा आसानी से पार कर रहा है। इसके ये सीधे तौर पर मायने हैं कि अगले पांच साल विपक्ष केंद्र की राजनीति में मजबूती से बना रहेगा। क्षेत्रीय दल देश की राजनीति में अपरिहार्य बने रहेंगे।
5# मुकाबला भाजपा बनाम विपक्ष था या मोदी बनाम मोदी?
आंकड़ों की मानें तो इसका जवाब है हां, लेकिन इसका दूसरा जवाब यह भी है  पहली बार में ही वह अकेले के बूते 282 सीटों पर पहुंी। In 2019, 303 सीटें जीतीं। कि यह मुकाबला 2014 और 2019 में मोदी की लोकप्रियता बनाम 2024 में मोदी की लोकप्रियता का रहा। भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर पहली बार 2014 का लोकसाा चुनाव लड़ा था। भाजपा ने इस बार भाजपा की अपनी सीटें 240 के आसपास हैं। यानी वह 2014 से 40 सीटें और 2019 से 60 सीटें पीछे है।
6# तो क्या गठबंधन की राजनीति लौट रही है?
बिल्कुल, भाजपा ने 10 साल स्पष्ट बहुमत से सरकार चलाई, लेकिन अब गठबंधन सरकार का दौर लौटेगा। भाजपा को भले ही पांच साल तक आसानी से सरकार चला लेने का भरोसा हो, लेकिन उसकी निर्भरता जदयू और तेदेपा जैसे दलों पर रहेगी।
7# पिछली गठबंधन सरकारों के मुकाबले भाजपा किस स्थिति में रहेगी?
डॉ. मनमोहन सिंह के समय कांग्रेस ने इससे भी कम सीटें लाकर गठबंधन की सरकार चलाई। अटल-आडवाणी भी भाजपा को अधिकतम 182 सीटों पर पहुंचा सके थे, लेकिन सरकार चला पाए। भाजपा की 2024 की स्थिति इससे बेहतर है।
8# यह जनादेश कबकी याद दिलाता है?
1991 नतीजे के लोकसभा चुनाव जैसे हैं। 232 सीटें जीतीं और पीवी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पूरे पांच साल अन्य दलों के समर्थन से सरकार चलाई। इस बार भाजपा भी 240 के आसपास है। गठबंधन अब उसकी मजबूरी है।
9# यह चुनाव किसके लिए उत्साहजनक हैं?
इसके पीछे कई चेहरे हैं। जैसे राहुल गांधी। कांग्रेस 2014 में 44 और 2019 में 52 सीटों पर थी तो उन्हें जिम्मेदार माना गया। इस बार वह 100 सीटों के करीब है। देशभर में भाजपा को सबसे बड़ा झटका सपा ने ही दिया है। सपा ने पिछली बार बसपा के साथ गठबंधन किया। यानी पिछली बार के मुकाबले लगभग दोगुनी सीटों पर वह जीत रही है।दूसरा बड़ा नाम है अखिलेश यादव।बसपा को 10 सीटें मिली थीं, लेकिन सपा पांच ही सीटें जीत पाई थी। इस बार सपा ने कांग्रेस से हाथ मिलाया। । 2004 के लोकसभा चुनाव में उसे 35 सीटें मिली थीं। वह 34 से ज्यादा सीटों पर जीत रही है। यह लोकसभा चुनावों में वोट शेयर के लिहाज से सपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन हो सकता है वहीं, वोट शेयर के लिहाज  पार्टी का सबसे बेहतर प्रदर्शन 1998 में था जब उसे करीब 29 फीसदी वोट मिले थे। इस बार यह आंकड़ा 33 फीसदी से ज्यादा हो सकता है।
तीसरा बड़ा नाम हैं चंद्रबाबू नायडू। उनकी तेदेपा आंध्र प्रदेश में सरकार बनने के करीब है और एनडीए के सबसे अहम घटक दलों में से एक रहेगी।
ऐसा ही एक नाम उद्धव ठाकरे का है। यह उनके लिए अस्तित्व की लड़ाई थी। शिंदे गुट से ज्यादा सीटें जीतकर उद्धव ठाकरे यह कहने की स्थिति में होंगे कि उनकी शिवसेना ही असली शिवसेना है।
10# इस बार क्या रिकॉर्ड बन सकते हैं?
इस बार का लोकसभा चुनाव भले ही सुस्त नजर आया, लेकिन जनादेश ऐतिहासिक हो सकता है। अगर भाजपा ही सरकार बनाती है तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैट्रिक होगी। पीएम मोदी पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वे ऐसे दूसरे नेता होंगे, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। 1947 में पंडित नेहरू पहली बार प्रधानमंत्री जरूर बने, लेकिन चुनावी राजनीति शुरू होने के बाद उन्होंने 1951-52, 1957, 1962 का चुनाव जीता और लगातार प्रधानमंत्री रहे। वहीं, शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अटलजी की भी बराबरी कर लेंगे। अटलजी का कार्यकाल कम रहा, लेकिन उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। more.
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dainiksatik · 4 months
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अब बीजेपी और जेडीयू में प्रधानमंत्री पद को लेकर खेचतान।
जेडी(यू) नेताओं ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया भारतीय जनता पार्टी के नेता सुशील मोदी ने जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नरेंद्र मोदी के अलावा कोई नहीं है भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक, समावेशी गठबंधन (इंडिया) विपक्षी ब्लॉक की पहली समन्वय समिति की बैठक की पूर्व संध्या पर, बिहार के जनता दल (यूनाइटेड) नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2024 के…
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jkstvnews · 4 months
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कुरुक्षेत्र:- PM मोदी के विकसित भारत का दावा, बनाम राहुल गांधी के पांच न्याय’ का चुनाव
लोकसभा चुनावों के तीन चरण पूरे हो चुके हैं और अब चुनाव अपने चौथे चरण की ओर है।तीन चरणों के मतदान को लेकर चुनाव आयोग के शुरुआती आंकड़े बदलने के बावजूद पिछले चुनावों से मतदान का प्रतिशत कम रहा है। जमीन पर भी चुनाव बेहद ठंडा और अनपेक्षित सा दिख रहा है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र को मुस्लिम लीग का बताने से लेकर आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर महिलाओं के मंगलसूत्र, संपत्ति और पिछड़ों दलितों का आरक्षण छीनकर उसे मुसलमानों में बांट देने का आरोप लगाते हुए चुनाव को गरमाने की पूरी कोशिश की है और अब तो खुद प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना की चुनावी सभा में आरोप लगाया कि जो राहुल गांधी पिछले पांच साल से रोज अंबानी अदाणी के नाम की माला जपते थे, अब उनका नाम क्यों नहीं ले रहे हैं। क्या उनके साथ कोई डील हो गई है और क्या बोरों में भरकर टेंपों में लाद कर काला धन उनके पास आ गया है। 
इसी दिन प्रधानमंत्री ने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के भारत की विवधता को लेकर रंग और चेहरों पर दिए गए एक बयान को निशाना बनाते हुए भी कांग्रेस पर हमला करते हुए देश को रंग और नस्ल के आधार पर बांटने का आरोप लगाया है।अपने नेता के इस चुनावी राग में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत सभी भाजपा नेताओं ने अपनी आवाज़ उठाकर इन मुद्दों को लगतार उठाया है।
कुरुक्षेत्र:- PM मोदी के विकसित भारत का दावा, बनाम राहुल गांधी के पांच न्याय’ का चुनावउधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा के जीतने पर संविधान बदलने ,लोकतंत्र खत्म करने और पिछड़ों दलितों वंचितों और गरीब सवर्णों के अधिकार छीनकर सब कुछ चंद उद्योगपति मित्रों को देने का आरोप भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार लगा रहे हैं। भले ही मोदी ने राहुल पर अंबानी-अदाणी का नाम लेने की बात कही हो, लेकिन राहुल न सिर्फ अदाणी का नाम ले रहे, बल्कि मोदी के आरोप का जवाब देते हुए भी अंबानी-अदाणी का नाम लेते हुए उनके यहां ईडी सीबीआई भेजने की बात कही है। राहुल के इस चुनावी नाद में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव प्रियंका गांधी समेत सभी कांग्रेस नेता अपनी आवाज दे रहे हैं।
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सवाल है कि चुनाव किस ओर जा रहा है। क्या हर चुनाव में अपना विमर्श चलाकर माहौलबंदी करने वाले PM नरेंद्र मोदी इस चुनाव को भी हिंदुत्व और धार्मिक ध्रुवीकरण के अपने पुराने बहु परीक्षित सियासी एजेंडे को लेकर उसे केंद्रित करने में कामयाब हो रहे हैं या फिर चुनाव पूरी तरह से विकेंद्रित होकर स्थानीय समीकरणों, मुद्दों और राहुल गांधी द्वारा उठाए जा रहे जातीय जनगणना, पांच न्याय जैसे वादों
चुनाव प्रचार प्रसार रैलियों और रोड शो में सारे दल एक से बढ़कर एक दिखाई दे रहे है , लेकिन दूसरी तरफ पिछले दो चरणों में मतदाता उदासीन दिख रहे है । जमीन पर भी चुनावों में इस बार वैसी लहर नजर नहीं आ रही है जो 2014 और 2019 में साफ दिखाई देती थी और जिस पर सवार होकर BJP व नरेंद्र मोदी ने दो बार सरकार बनाई है । जहां पिछले दोनों लोकसभा चुनावों में बदलाव, राष्ट्रीय सुरक्षा, हिंदुत्व की चाशनी में राष्ट्रवाद की घुट्टी और हिंदू मुस्लिम ध्रुवण जैसे राष्ट्रीय विमर्श और केंद्रीय मुद्दों पर जोर रहा। उन दोनों चुनावों में मतदाताओं ने न जाति देखी न दल सिर्फ देखा तो नरेंद्र मोदी का चेहरा और भरोसा किया तो उनके वादों पर, लेकिन इस बार का चुनाव किसी एक या दो राष्ट्रीय मुद्दों पर न होकर पूरी तरह फ़ैल गया है। हर राज्य हर लोकसभा क्षेत्र में अलग अलग मुद्दे अलग अलग समीकरण और परिस्थितियों का पूरा जोर है। कहीं सांसदों के खिलाफ गुस्सा है तो कहीं जातीय समीकरण भारी हैं।
यह भी पड़े :- शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा | इनकी सही जगह भारत नहीं, इटली है
यह भी पड़े :- ईवीएम: सुरक्षित, विश्वसनीय और छेड़छाड़ बाधक, चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में स्‍पष्‍ट जवाब
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abhi12-3 · 6 months
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प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना
                                                 PM Surya Ghar Yojana: पीएम सूर्य घर योजना में  बिजली का बिल कैसे हो जाएगा जीरो? जानें कैसे मिलेगी मुफ्त बिजली
PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana:
पीएम सूर्य घर योजना का जिक्र पीएम मोदी अपनी हर चुनावी रैली में कर रहे हैं, सरकार का दावा है कि इससे आम आदमी का बिल जीरो हो जाएगा
पिछले कुछ दिनों से एक सरकारी योजना की खूब चर्चा है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे लेकर ट्वीट करते हैं और अब चुनावी रैलियों में भी इसका जिक्र हो रहा है. हाल ही में एक रैली के दौरान पीएम ने कहा कि अब इस योजना के जरिए मुफ्त बिजली देने की तैयारी हो रही है. यहां हम पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की बात कर रहे हैं. अब लोगों के मन में सवाल है कि क्या वाकई सोलर पैनल लगाने के बाद उनका बिजली बिल जीरो हो जाएगा? साथ ही कई लोगों का ये सवाल है कि मुफ्त बिजली कैसे मिलेगी... आज हम इन तमाम सवालों का जवाब आपको दे रहे हैं.
                                                     
क्या है सूर्य घर योजना?
दरअसल कुछ महीने पहले पीएम मोदी ने इस योजना का ऐलान किया था, ये एक सोलर पैनल स्कीम है. सरकार की तरफ से बताया गया कि इस योजना के तहत कुल एक करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाए जाएंगे, कुछ दिन बात ये जानकारी सामने आई कि सरकार हर एक परिवार को 300 यूनिट बिजली हर महीने मुफ्त दी जाएगी. हालांकि ये साफ नहीं हुआ है कि ये बिजली प्रोड्यूस की गई बिजली के साथ माफ होगी या फिर अलग से सरकार इतनी यूनिट फ्री दे रही है.
क्या वाकई जीरो हो जाएगा बिल?
अब बात करते हैं कि कैसे आपका बिल जीरो हो जाएगा. दरअसल अगर आप 3kw का सोलर प्लांट लगाते है तो वह आपको 300 यूनिट बना कर देगा ऐसे में आपका बिल जीरो या फिर बिल्कुल कम हो सकता है. वहीं सोलर पैनल से भी हर महीने 300 से 350 यूनिट तक बिजली प्रोड्यूस हो सकती है, ऐसे में आपको करीब 350 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिल सकती है.
अगर आप एक महीने में 400 यूनिट की बिजली का प्रयोग करते है और आपके द्वारा लगवाया गए 3KW के सोलर प्लांट 300 यूनिट प्रोड्यूस करता है तो ऐसे मैं आपका बिजली का बिल जीरो होना नामुमकिन है ऐसे में आपको बाकी बचे हुए 100 यूनिट का बिल चुकाना होगा | बिजली का बिल जीरो करने के लिए आपको और अधिक किलोवाट का सोलर पैनल लगाना होगा | तब जाके आपका बिजली का बिल जीरो होगा और अगर सोलर प्लांट से प्रोड्यूस की गयी यूनिट बचती है तो आप UPCL को 4.64 रूपए पर यूनिट बेच सकते है 
मुफ्त नहीं मिलेगा सोलर पैनल
यहां ये बात साफ करनी जरूरी है कि सरकार की तरफ से सोलर पैनल फ्री में नहीं लगाए जा रहे हैं,  3 KW सोलर प्लांट लगाने पर उत्तराखंड सरकार सब्सिडी दे रही ह जिसमे केंद्र सरकार 78000 रूपए और राज्य सरकार 51000 रूपए की सब्सिडी दी जाएगी | उत्तराखंड सरकार द्वारा 3KW से लेकर 10KW तक एक सामान सब्सिडी रखी गयी है
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे:-
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sharpbharat · 2 months
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niti aayog meeting-नीति आयोग की बैठक में सीएम हेमंत सोरेन नहीं हुए शामिल, बीच बैठक में ही बाहर निकली ममता बनर्जी
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक हुई. इस बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शामिल नहीं हुए. सुबह तक ऐसी चर्चा थी कि वे बैठक में शामिल हो सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसस�� पहले, 24 जुलाई को कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए सीएम ने इस बात का खंडन नहीं किया था कि वह नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे.…
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rightnewshindi · 29 days
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को लगाया गले, पश्चिम का मीडिया भड़का; एस जयशंकर ने दिया यह जबाव
PM Modi Ukraine visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन दौरे पर है। यहां पहुंचने पर प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से पीएम मोदी ने गले लगकर आत्मीय संबंधों का परिचय दिया। हालांकि, प्रधानमंत्री के रूस दौरे पर प्रेसिडेंट पुतिन के गले लगने पर पश्चिमी मीडिया द्वारा की गई आलोचना पर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति…
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telnews-in · 7 months
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After Trinamool's "Anti-Bengali" Attack, BJP's "Go To Sandeshkhali" Retort
कोलकाता: आगामी लोकसभा चुनाव में आसनसोल निर्वाचन क्षेत्र से भोजपुरी गायक पवन सिंह को मैदान में उतारने के लिए भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते हुए, तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाली विरोधी हैं और भाजपा उन्हें टिकट दे रही है। ‘महिलाओं के बारे में कौन बुरा बोलता है’ हालांकि, बीजेपी ने अपने जवाब में कहा कि टीएमसी नेताओं को ऐसी टिप्पणी करने से…
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gaange · 7 months
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नीतीश कुमार को साथ लेकर Bjp ने कर दी बड़ी भूल ?
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बिहार में नीतीश कुमार को लेकर जनता का मूड ठीक नहीं है। बिहार में भारतीय जनता पार्टी यानी की बीजेपी ने नीतीश कुमार को फिर से साथ लेकर बड़ी भूल कर दी। ये हम नहीं कह रहे ये जनता कह रही है। इंडिया टुडे सी वोटर के सर्वे के मुताबिक नीतीश कुमार ने पलटी मारकर अपनी छवि धूमल कर ली है। दूसरी तरह बीजेपी ने एक बार फिर नीतीश कुमार को एनडीए में ले लिया, जिसका नुकसान होता हुआ एनडीए को दिख रहा है। क्या है जनता का मूड़ नीतिश कुमार के बार - बार पलटी मारने से चुनाव पर क्या असर पड़ता है
क्या है जनता का मूड़
मूड ऑफ़ दी नेशन में जनता से सवाल पूछा गया कि क्या बार बार पलटी मारने से नीतीश की छवि खराब होती है? इस सवाल के जवाब में 71% लोगों ने कहा है यानी कि जितनी बार नीतीश ने पलटी मारी, उतनी बार उनकी छवि खराब हो रही है, जबकि 17% लोगों का मानना है कि बार बार पलटी मारने से नीतीश की छवि पर कोई असर नहीं पड़ता। अब ये 71% लोगों का जो जवाब है वो बेहद महत्वपूर्ण है। ये नतीजे बेहद चौंकाने वाले है। इस लिहाज से आप इसको देखिए कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए का दरवाजा बंद करने वाली बीजेपी ने ऐलान तो खूब किया लेकिन अंत में नीतीश की ऐसी जरूरत पड़ी कि बीजेपी ने बंद दरवाजा खोल दिया और बाहे फैला कर नीतीश का दिल खोल कर स्वागत किया।
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नीतीश कुमार को साथ लेकर Bjp ने कर दी बड़ी भूल ? कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देना बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा था। कहा जा रहा था कि इसके जरिए बीजेपी ने बिहार में जाती जनगणना का तोड़ निकाल लिया। पिछड़ा अति पिछड़ा वोट बैंक अपने पाले में कर लिया लेकिन अंत में बीजेपी ने नीतीश एनडीए में शामिल करके बहुत बड़ी भूल कर बैठी । इंडिया टुडे ने सी वोटर के साथ मिलकर मूड ऑफ़ दी नेशन सर्वे किया। उसमें नीतीश को लेकर जो लोगों का जवाब आया उससे यही लगता है नीतीश कुमार को लेकर बीजेपी ने कहीं ना कहीं भूल कर दी है। हालांकि असल नतीजे तो चुनाव के वक्त ही देखने को मिलेंगे, लेकिन फिलहाल ज़रा इन आंकड़ों को भी आप नजर डालिये जितनी बार नीतीश कुमार ने पलटी मारा, उतनी बार नीतीश के परफॉरमेंस में कितना फर्क पड़ा है?
नीतिश कुमार के बार - बार पलटी मारने से चुनाव पर क्या असर पड़ता है
नीतीश कुमार इतनी बार पलटी मारी हैं उतनी ही बार उनकी लोकप्रियता कम हुआ है। साल 2013 में बीजेपी ने जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश कुमार नाराज़ हो गए। उन्होंने 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया 2014 का लोकसभा चुनाव जेडीयु ने सीपीएम के साथ मिलकर लड़ा वही बीजेपी और एलजेपी का गठबंधन हुआ इस चुनाव में जेडीयु सिर्फ दो सीट ही जीत सकी जबकि बीजेपी एलजेपी गठबंधन ने 31 सीटों पर जीत दर्ज की। बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने। वही 2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयु ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा। इस बार जेडीयु ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा और 71 सीटों पर उन्हें जीत मिली जबकि 2010 का चुनाव जेडीयु ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था तब नीतीश। कुमार की पार्टी ने 115 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन पाला बदलने के बाद जब नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ चुनाव लड़ा तो उनकी लोकप्रियता घटकर 115 से 71 पर आ गई। वहीं 2020 में फिर से आरजेडी के साथ छोड़कर जब बीजेपी के साथ पाला बदलकर नीतीश कुमार ने चुनाव लड़ा तो उनकी लोकप्रियता 71 से घटकर 43 पर आ गई। अब देखना 2024 के चुनाव में नितिश कुमार को BJP में आने के बाद BJP को कितना नुकसार उठाना पड़ता है क्योकीं जनता का मूंढ कुछ नहीं लग रहा है । Read the full article
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dainiksamachar · 2 months
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अपग्रेड कवच, ज्‍यादा जनरल कोच, वंदे मेट्रो... अश्विनी वैष्णव ने बता दिया रेलवे का पूरा प्‍लान
नई दिल्ली : लोकसभा में दो दिनों से के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा रेलवे की सुरक्षा और अन्य मामलों को लेकर लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देते हुए ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि के नेतृत्व में पिछले 10 सालों में रेलवे में बेहतरीन कार्य हुए हैं। उन्होंने रेलवे में सुरक्षा को लेकर कवच सिस्टम पर कहा कि 17 जुलाई को अप्रूव हो गया है। रेलवे देश के पूरे रेल नेटवर्क में कवच सिस्टम को लगाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगा।रेल मंत्री ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों पर झूठ की दुकान चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि चूंकि रेलवे साधारण लोगों की सवारी है और जनरल कोच की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इस बात का ध्यान रखते हुए करीब 2500 अतिरिक्त सामान्य डिब्बे बनाए जाएंगे। आगामी कुछ सालों में 10 हजार जनरल कोच बनाने का काम और हाथ में लिया है। कहीं भी जनरल कोच की कमी नहीं रहेगी। 50 और अमृत भारत ट्रेन बनाने का निर्णय उन्होंने कहा कि दो अमृत भारत ट्रेन की कामयाबी के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 50 और अमृत भारत ट्रेन बनाने का निर्णय लिया है। यह नई अमृत भारत 13 नए बदलावों के साथ तैयार होंगी। जिनका फीडबैक पटरियों पर दौड़ रही दो अमृत भारत ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों से लिया गया। उन्होंने वंदे भारत ट्रेनों में कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा भेदभाव से चलाने के लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा की इसकी बेहतरीन कामयाबी के बाद इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा। फिलहाल वंदे भारत केरल से असम और जम्मू से तमिलनाडु, देश के हर कोने में बिना भेदभाव के 100 से अधिक रूटों पर दौड़ रही है। उन्होंने कहा कि कम दूरी वाले शहरों के बीच वंदे मेट्रो और अधिक दूरी वाले शहरों के बीच वंदे स्लीपर चलाई जाएंगी। कोई राजनीति नहीं करना चाहते... रेलवे की सेफ्टी के मामले में लोकसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा नारेबाजी करते हुए लगाए गए आरोपों पर गुस्से में आए रेल मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस के 58 साल के कार्यकाल में देश के एक भी किलोमीटर रेलवे नेटवर्क पर स्वचालित रेलगाड़ी सुरक्षा (ATP) सिस्टम नहीं लगाया जा सका। हम मानते हैं कि कांग्रेस के समय रेलवे में कई प्रयोग किए गए, लेकिन जिस संवेदना के साथ काम होना चाहिए था, वह नहीं किया गया। इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के कुछ सदस्यों द्वारा ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान लागू टक्कर रोधी उपकरण सिस्टम का भी उल्लेख करते हुए बताया कि 2006 में देश के करीब 1500 किलोमीटर रेल मार्ग पर यह सिस्टम लगाया गया था। लेकिन इसका कोई सिक्योरिटी सर्टिफिकेट नहीं था, नतीजा 2012 में इस सिस्टम को फेल साबित कर दिया गया।रेल मंत्री ने कहा कि वह कोई राजनीति नहीं करना चाहते। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद कवच प्रणाली के बारे में विचार किया गया। 2016 में इसे लागू करने का निर्णय लिया गया और 2019 में कवच के लिए सबसे बेस्ट सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया गया। 2022 में तीन हजार किलोमीटर रेल नेटवर्क में कवच का क्रियान्वयन किया गया। इस दौरान काफी कुछ सीखने को मिला। अब कवच के लेटेस्ट वर्जन को लगाने में हम कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। यूपीए काल में होते थे हर साल औसतन 171 रेल एक्सीडेंट उन्होंने मानवरहित रेलवे फाटकों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 2019 में करीब नौ हजार मानव रहित रेलवे फाटक थे। इन सभी को जरूरत के मुताबिक गेट लगाकर, अंडरपास या आरओबी बनाकर पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रेलवे स्टेशनों को आपस में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के माध्यम से कनेक्ट किया जा रहा है। उन्होंने यूपीए और एनडीए सरकार की 10 साल के कार्य करने के बारे में रेल पटरियों को बिछाने, इलेक्ट्रिफिकेशन करने और अन्य जरूरतों को पूरा करने के बारे में बताया कि यूपीए शासनकाल में यह कार्य बहुत धीमे हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि यूपीए काल में हर साल औसतन 171 रेल एक्सीडेंट होते थे। इसमें मोदी सरकार के समय करीब 68 फीसदी की कमी आई। उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के कुछ आरोपों के संदर्भ में कहा कि विपक्ष ने सोशल मीडिया पर अपनी ट्रोल आर्मी के माध्यम से कई विषय उठाए हैं। जिससे यह रोजाना ट्रेनों में यात्रा करने वाले दो करोड़ लोगों के मन में भय पैदा करना चाहते हैं।उन्होंने लोको पायलटों की डयूटी, रेस्ट और अन्य सुविधाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि रेलवे के 12 लाख रेलकर्मी दिन-रात मेहनत करते हैं। हमें उनकी ताली बजाकर हिम्मत बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जो झूठ की दुकान लगाने में लगी है, वह दुकान चलेगी नहीं। http://dlvr.it/TBMPXQ
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manvadhikarabhivyakti · 2 months
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अमेरिका ने यूक्रेन में शांति के लिए भारत से की समर्थन की मांग; पीएम मोदी के रूस दौरे के बाद की यह टिप्पणी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे के बाद अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी। रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के बीच अमेरिका चाहता है कि भारत यूक्रेन के लिए शांति हासिल करने के उनके प्रयासों का समर्थन करे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने यह टिप्पणी हाल ही में पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बैठक को लेकर किए गए सवाल के जवाब में की। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका…
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news-trust-india · 3 months
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Parliament Session 2024 : राहुल गांधी के बयान पर हगांमा, BJP सांसद ने लोकसभा में दिया नोटिस
नई दिल्ली। Parliament Session 2024 :  आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने आज पहली बार NDA के सांसदों के साथ बैठक की। Three criminal laws : तीन नए आपराधिक कानूनों का मुख्यमंत्री धामी ने किया औपचारिक शुभारंभ वहीं, एक दिन पहले, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भगवान शिव का चित्र दिखाते हुए सत्ता…
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