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#धार्मिक यात्रा
manisha-123 · 3 months
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मक्कू मठ: एक धार्मिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम
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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित मक्कू मठ एक प्राचीन और पवित्र स्थल है जो धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। यह स्थान न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक गंतव्य है जो शांति और अद्वितीय अनुभव की तलाश में हैं।
मक्कू मठ का धार्मिक महत्व
मक्कू मठ का निर्माण आदि शंकराचार्य ने करवाया था और यह भगवान शिव को समर्पित है। इस मठ में भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा होती है। मान्यता है कि यहाँ आने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति एवं समृद्धि का वास होता है। मठ के अंदरूनी हिस्सों में अद्भुत प्राचीन मूर्तियों और चित्रों की श्रृंखला है जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है।
प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दृश्य
मक्कू मठ के आसपास का क्षेत्र अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के घने जंगल, हिमालय की उंची चोटियाँ और हरे-भरे मैदान एक शांतिपूर्ण और सुकून भरा माहौल प्रदान करते हैं। यहाँ से गढ़वाल हिमालय की सुंदरता को निहारना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है। यह स्थान ट्रेकिंग और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए भी एक आदर्श स्थल है।
कैसे पहुँचें मक्कू मठ?
मक्कू मठ पहुँचने के लिए सबसे पहले रुद्रप्रयाग पहुँचना होता है। रुद्रप्रयाग से मक्कू मठ की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है, जिसे आप बस या टैक्सी द्वारा तय कर सकते हैं। रुद्रप्रयाग निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा देहरादून में स्थित जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है।
मक्कू मठ यात्रा के लिए सुझाव
उचित कपड़े पहनें: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों का मौसम अक्सर बदलता रहता है, इसलिए गर्म कपड़े साथ लेकर चलें।
ट्रेकिंग का आनंद लें: अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं, तो यहाँ के आसपास की ट्रेकिंग रूट्स का आनंद अवश्य लें।
स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें: मठ और उसके आसपास के स्थलों पर स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करें।
स्वच्छता का ध्यान रखें: मक्कू मठ और उसके आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें और कचरा इधर-उधर न फेंके।
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yogi-1988 · 2 months
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सावन शिवरात्रि: व्रत, पूजा और कांवड़ यात्रा की सच्चाई | Sant Rampal Ji L...
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सावन शिवरात्रि: व्रत, पूजा और कांवड़ यात्रा की सच्चाई |
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रविवार 28 जुलाई को सुबह 11 बजे से Live
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helputrust · 3 months
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28.05.2024, शाहजहांपुर | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी ने हनुमत धाम, शाहजहांपुर में प्रभु श्री के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया तथा सभी देशवासियों की सुख एवं समृद्धि हेतु प्रार्थना की | 
हनुमत धाम शाहजहांपुर में बिसरात घाट पर खन्नौत नदी के बीचों-बीच स्थित है । यहां पर 104 फुट ऊंची हनुमान जी की विशालकाय मूर्ति स्थापित है । हनुमत धाम का निर्माण शाहजहांपुर के विधायक श्री सुरेश कुमार खन्ना, माननीय वित्त मंत्री, उत्तर प्रदेश ने उस समय करने का संकल्प लिया था जब वे पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने थे । ऐसा माना जाता है कि यह भारतवर्ष में हनुमान जी की सबसे बड़ी प्रतिमा है |
इस अवसर पर हनुमत धाम मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री विनोद अग्रवाल जी की गरिमामयी उपस्थिति रही |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने बताया कि "हनुमत धाम की यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि हमारा ऐसा मानना है कि पवन पुत्र हनुमान जी की कृपा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के समाजसेवा के कार्यों को भी एक नई दिशा और गति मिलेगी तथा हम समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफल होंगे |
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astrorakesh1726 · 3 months
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नवमांश कुंडली में दूसरे भाव में शनि राहु की युति का फल क्या होता है?
नवमांश कुंडली में दूसरे भाव में शनि राहु की युति का फल इस प्रकार होता है:
विदेश यात्रा: यह युति विदेश यात्राओं को संकेत देती है, विशेषकर धार्मिक यात्राओं और विद्यालयों के संबंध में।
धर्म और उपासना: यह व्यक्ति को धर्म, उपासना और ध्यान में रुचि बढ़ा सकती है, विशेषकर विदेशी धर्मों या उपासना पद्धतियों में।
विदेशी संबंध: यह विदेशी संबंधों को प्राथमिकता देती है, जैसे विदेशी व्यक्ति के साथ विवाह या साझेदारी।
अचानक घटनाएँ: इस युति के कारण अचानक और अप्रत्याशित घटनाएँ हो सकती हैं, जो व्यक्ति को अन्दरूनी उतार-चढ़ाव में डाल सकती हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन: यह युति सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए संकेत दे सकती है, विशेषकर विदेशी संस्कृतियों के प्रभाव में आने की संभावना होती है।
यदि और जानकारी चाहते हो तो आप  kundli chakra 2022 Softwere का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक बेहतर जानकारी दे सकता है।
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sngii1726 · 6 months
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तुला लग्न की कुंडली में धनु राशि के वक्री गुरु का प्रभाव बताऐ?
तुला लग्न की कुंडली में धनु राशि में वक्री गुरु का प्रभाव कुछ इस प्रकार हो सकता है:
धार्मिक और ज्ञान संबंधी प्रवृत्ति: धनु राशि गुरु का नियमक राशि होता है और ज्ञान, धर्म, ध्यान, और विद्या के प्रति आकर्षण को संकेत करता है। वक्री गुरु के कारण, यह प्रवृत्ति और गुरु के संबंध में अव्यवस्थितता की भावना हो सकती है, लेकिन यह भी अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभवों को बढ़ावा देने की संभावना है।
यात्रा और विदेश यात्रा: धनु राशि गुरु के प्रति आकर्षण यात्रा और विदेश यात्रा को सूचित करता है। वक्री गुरु के कारण, यहां पर यात्रा की संभावनाएं और अव्यवस्थितता हो सकती है, लेकिन यह भी नए और अनोखे अनुभवों का अवसर प्रदान कर सकता है।
विद्यालयी शिक्षा और उच्च शिक्षा: व्यक्ति को धनु राशि में वक्री गुरु के कारण विद्यालयी शिक्षा और उच्च शिक्षा में संघर्ष का सामना कर सकता है, लेकिन यह भी उन्हें अत्यधिक ज्ञान और अनुभव का लाभ प्रदान कर सकता है।
वित्तीय स्थिति के उतार-चढ़ाव: धनु राशि में वक्री गुरु के कारण, वित्तीय स्थिति में अव्यवस्थितता हो सकती है। यह व्यक्ति को धन कमाने और निवेश करने के प्रति अत्यधिक उत्साही बना सकता है, लेकिन वित्तीय नुकसान के खतरे का भी संकेत हो सकता है।
संबंधों में आत्मविश्वास: धनु राशि में वक्री गुरु व्यक्ति को अपने संबंधों में आत्मविश्वास का संकेत देता है। वे समाज में अधिक सहजता से आत्मनिर्भरता और आत्मसंतोष की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रह सकते हैं।
यदि आपकी कुंडली में धनु राशि में वक्री गुरु है, तो यहां उपरोक्त प्रभाव के साथ भी आपकी निजी कुंडली के अन्य परिणामों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण होगा। और अधिक जानकरी ले लिए आप कुंडली चक्र प्रोफेशनल २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक सटीक जानकरी दे सकता है।
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narmadanchal · 8 hours
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दतिया: केंद्रीय मंत्री बघेल ने पीतांबरा पीठ पहुंचकर मां बगलामुखी के दर्शन किए
दतिया, 20 सितंबर (हि.स.)। केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल शुक्रवार को दतिया पहु��चे, जहां केंद्रीय मंत्री ने प्रसिद्ध पीतांबरा पीठ पहुंचकर मां बगलामुखी के दर्शन किए। उनकी यह यात्रा धार्मिक आस्था के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास कार्यों की समीक्षा से जुड़ी मानी जा रही है। पीतांबरा पीठ में मंत्रोच्चार और विधिवत पूजा अर्चना के बाद मंत्री ने मंदिर के पुजारियों से आशीर्वाद प्राप्त किया। स्थानीय नेताओं और…
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kathahindi · 2 days
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आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
 आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
कर्मकांड पूजा विधि: एक आध्यात्मिक यात्रा
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र में आपका स्वागत है, जहाँ आप कर्मकांड पूजा विधि सीख सकते हैं। कर्मकांड का अभ्यास भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मिक शांति और संतोष की प्राप्ति में मदद क���ता है। यहाँ पर आप केवल 5 महीनों में कर्मकांड पूजा विधि की विधिवत तैयारी कर सकते हैं।
कर्मकांड का महत्व
कर्मकांड, जिसे हिन्दू धर्म में अनुष्ठान और पूजा विधियों का संग्रह माना जाता है, हमारे जीवन में विशेष स्थान रखता है। यह न केवल व्यक्तिगत भक्ति का साधन है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। कर्मकांड का अध्ययन हमें निम्नलिखित बातों का ज्ञान कराता है:
धार्मिक अनुष्ठान: कर्मकांड पूजा विधि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करने में मदद करती है, जो व्यक्ति को ईश्वर के निकट लाने का कार्य करती है।
सामाजिक एकता: सामूहिक पूजा और अनुष्ठान समुदाय को एकजुट करते हैं और आपसी संबंधों को मजबूत बनाते हैं।
आध्यात्मिक विकास: नियमित पूजा से व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह आत्मा को शुद्ध करने और सकारात्मकता लाने में सहायक है।
संस्कारों का पालन: कर्मकांड हमें संस्कारों और परंपराओं को बनाए रखने में मदद करते हैं, जो पीढ़ियों से आगे बढ़ते हैं।
प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य आपको कर्मकांड पूजा विधि का गहन अध्ययन और अभ्यास कराना है। यहाँ पर आप निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं:
विधिवत अध्ययन: आप कर्मकांड की विधियों को विस्तार से समझ सकते हैं और उन्हें सही तरीके से लागू कर सकते हैं।
ऑनलाइन क्लासेस: यह सुविधा आपको घर बैठे सीखने की अनुमति देती है। आप किसी भी समय और स्थान से कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं।
अनुभवी शिक्षक: हमारे प्रशिक्षित शिक्षक आपको पूजा विधियों की विस्तृत जानकारी देंगे, जिससे आप इसे सही तरीके से सीख सकें।
कक्षाओं का विवरण
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र में विभिन्न ऑनलाइन कक्षाएँ निम्नलिखित हैं:
कर्मकांड ऑनलाइन क्लास
समय: 04:00 PM से 05:00 PM
भागवत पुराण मूलपाठ ऑनलाइन क्लास
समय: 06:05 PM से 07:00 PM
भागवत पुराण साप्ताहिक कथा ऑनलाइन क्लास
समय: 07:30 PM से 09:00 PM
राम कथा ऑनलाइन क्लास
समय: 09:05 PM से 10:00 PM
कक्षा में जुड़ने की प्रक्रिया
आप कक्षा में शामिल होने के लिए निम्नलिखित लिंक का उपयोग कर सकते हैं:
Join Zoom Meeting: Join Zoom Meeting
Meeting ID: 419 969 0017
Passcode: Radhe
सभी कक्षाओं में जुड़ने का लिंक वही है, इसलिए बस आपको समय का ध्यान रखना है।
कैसे तैयारी करें
कक्षा में शामिल होने के लिए निम्नलिखित सुझावों का पालन करें:
पंजीकरण: पहले से संपर्क करें और अपनी सीट सुनिश्चित करें।
सामग्री की तैयारी: कक्षा से पहले अध्ययन सामग्री को पढ़ें और किसी भी प्रश्न को नोट करें।
अनुशासन बनाए रखें: कक्षा में भाग लेते समय ध्यान और अनुशासन बनाए रखें ताकि आप बेहतर तरीके से सीख सकें।
कर्मकांड पूजा विधि की मूल बातें
कर्मकांड पूजा विधि में निम्नलिखित महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं:
पूजा की तैयारी: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री का संग्रह करना जैसे फूल, दीपक, धूप, और नैवेद्य।
शुद्धता का ध्यान: पूजा के समय शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। इसे मन, वचन, और क्रिया से पालन करना चाहिए।
मंत्रों का उच्चारण: सही मंत्रों का उच्चारण करना आवश्यक है, क्योंकि मंत्रों की शक्ति विशेष होती है। सही उच्चारण से पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
नैवेद्य अर्पण: भगवान को भोग अर्पित करना और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करना महत्वपूर्ण है।
आरती और प्रार्थना: पूजा के अंत में आरती करना और प्रार्थना करना, ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का एक साधन है।
निष्कर्ष
कर्मकांड पूजा विधि केवल धार्मिक कृत्यों का पालन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो हमें सिखाती है कि जीवन को किस प्रकार से सार्थक बनाया जाए। श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से आप इस अद्भुत विधि का अध्ययन कर सकते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।
इस यात्रा में शामिल होकर आप न केवल कर्मकांड की विधियों को जानेंगे, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव भी करेंगे। हम आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए यहाँ हैं। आइए, इस आध्यात्मिक यात्रा में कदम रखें और अपने जीवन को समर्पित करें।
आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
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Today's Horoscope -
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज किस्मत आपके साथ रहने वाली है। कार्यक्षे��्र में कुछ नया सीखने की कोशिश करेंगे। कार्यालय या घर के काम धीरे-धीरे ही सही लेकिन समय रहते पूरा जरुर हो जाएंगे। लोग आपकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनेंगें। अपनी रचनात्मकता से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेंगे। कोई भी फ़ैसला करने से पहले ठीक से विचार-विमर्श कर लें। आज धार्मिक कार्यक्रम का हिस्सा बन पाओगे व लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। किसी उलझी हुई स्थिति में अपनों से बातचीत करने से समाधान जरूर मिलेगा। व्यस्त रह सकते हो व स्वास्थ्य सुधार होगा।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी , वु , वे, वो)
आज आपका दिन सुनहरा रहने वाला है। किसी खास काम से आपको यात्रा पर जाना पड़ सकता है। अगर आपके दोस्त परिवार के लोगो से कोई खुशखबरी मिल सकती है। जिससे घर का माहौल खुशनुमा बनेगा। जो लोग अविवाहित हैं उन्हें विवाह का प्रस्ताव मिल सकता है। छात्रों को कम मेहनत से ही सफलता मिल जायेगी। आपको अपने फिजूल खर्चों पर कंट्रोल करना होगा।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आपका दिन अच्छा रहेगा। कामकाज में कई दिनों से चल रहा तनाव खत्म हो जायेगा। इस राशि के मालिकों को कई बुकिंग एक साथ मिल सकती है। किसी उलझी हुई स्थिति में अपनों से बातचीत करने से समाधान जरूर मिलेगा। धनलाभ के कुछ नए अवसर भी मिलेंगे। माता-पिता का आशीर्वाद हमेशा आपके साथ बना रहेगा। इससे आपके सारे काम आसानी से पूरे होंगे।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आपका दिन ठीक-ठाक रहने वाला है। कार्यक्षेत्र में पहले से बनी प्लानिंग किसी अन्य के सामने न रखें। वरना कोई और इसका फायदा उठा सकता है। आप विवादों में पड़ने से बचें वरना बात सुलझने के बजाय उलझ सकती है। उधार के लेन-देन से बचें। विरोधी पक्ष आपका मन काम से दूर करने की कोशिश करेंगे, लेकिन समझदारी आपको इन लोगों से दूर रखेगी।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आपका दिन मिला जुला हो सकता है। रिश्तेदारों के साथ फोन पर बातचीत करते हुए ध्यान रखना होगा की कोई ऐसी बात न कहें जिससे तनाव की स्थिति बने। अपनी सूझ-बूझ से आप सभी व्यावसायिक समस्याओं को आसानी से हल कर सकेंगे। अगर आप नौकरी में हैं तो अधिकारियों से सहयोग मिलेगा। काम के प्रति अपनी एकाग्रता बनाए रखें। कार्यक्षेत्र से जुड़ी आपकी सभी समस्याएं सुलझ जायेगी फिर आपका दिन बेहतर रहेगा। व्यायाम करने से आपकी सेहत अच्छी रहेगी।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज आपका दिन खुशियां लेकर आया है। अगर जीवनसाथी के साथ कई दिनों से मन-मुटाव चल रहा है तो, वो समाप्त हो जायेगा। अपना समय सकारात्मक कामों को करने में लगाएं। ऐसे मामलों में पड़ने से बचें जिनसे आपका कोई लेना-देना नहीं है। संगीत से जुड़े लोगों को किसी बड़ी संस्था में परफॉर्म करने का अवसर मिल सकता है। सच्चे मन से कि गई आपकी मेहनत रंग लायेगी।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आपका दिन मिला जुला रहेगा । सोच-विचार कर ही किसी बड़े फैसले को अंतिम रूप दें। कोई ऐसी बात आपके सामने आ सकती है जिससे आप परेशान हो सकते हैं। फिजूल खर्च करने से बचें। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण कोई जरूरी काम रूक सकता है। इस राशि के छात्रों को पढ़ाई में कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। महिलाओं का दिन राहतपूर्ण रहेगा। परिवार के सारे लोग घर के कामों में एक दूसरे की मदद करेंगे।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आपका दिन खास रहने वाला है। परिवार के लिये कुछ अच्छा करने का दिन है। आपका कार्य अधिकारियों को खुश करने में कामयाब रहेगा। साहित्य से जुड़े लोगों के लिये दिन अच्छा है। कोई कविता या कहानी लिख सकते हैं। आपको जीवनसाथी की ओर से कुछ अच्छा सा उपहार मिल सकता है। जीवन में लोगों का सहयोग मिलता रहेगा। चेहरे का खास ख्याल रखें।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपका दिन फायदेमंद रहने वाला है। पैसों का फायदा होने और कार्यक्षेत्र में कोई उपलब्धि मिलने का योग बन रहा है। आप शांत मन से काम करेंगे तो आपको काफी फायदा होगा। जो लोग प्लास्टिक के व्यापार से जुड़े हैं उनकी किसी बड़े व्यापारी से साझेदारी हो सकती है। विवाहितों के लिये दिन शानदार रहने वाला है। जीवनसाथी से आपको सरप्राइज मिल सकता है।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आपका दिन अच्छा रहेगा। महत्वपूर्ण मामलों में दोस्तों से बातचीत हो सकती है। जिसमें उनका सहयोग आपको प्राप्त होगा। नये विचारों पर काम करने से आपको पूरा फायदा मिलेगा। ऑफिस में वर्कलोड कम रहेगा। परिवारवालों के साथ अधिक समय बीतेगा। इस राशि के जो लोग कपड़ा व्यापारी हैं उन्हें कार्यक्षेत्र में बढ़ोत्तरी के नये आसार मिलेंगे। आर्थिक स्थिति पहले से मजबूत होगी। बाहार का खाने से बचें।
कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आपका दिन बेहतरीन रहने वाला है। अपनी इच्छाएं पूरी करने की कोशिश कारगर साबित होगी। आमतौर पर आप किसी बात का बुरा नहीं मानेंगे। परिवार में उलझा हुआ मामला आसानी से सुलझ जायेगा। छात्रों को करियर संबंधी कोई बड़ी सफलता मिलने वाली है। कार्यक्षेत्र में वरिष्ठ का सहयोग मिलता रहेगा। बच्चों के साथ समय बिताने से परिवारिक रिश्ते बेहतर होंगे और आपको खुशी भी मिलेगी।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आपका दिन शानदार रहने वाला है। पूरे दिन आपके चेहरे पर प्रसन्नता दिखेगी। कोई नया विचार आपको आर्थिक तौर पर फायदा दिलायेगा। बच्चों के साथ कहीं घूमने के लिये जायेंगे। आपकी कोशिशें फलदायी रहेंगी। आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर बनेगी। शाम का समय दोस्तों के साथ बितेगा, आप उनके साथ मिलकर पुरानी यादे भी ताजा कर सकते हैं।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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subkuz00 · 6 days
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श्री रामलला के दर्शन करने के लिए जनवरी से जून के बीच लगभग 11 करोड़ श्रद्धालुओं ने अयोध्या की यात्रा 
अयोध्या ने 11 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का स्वागत किया है! यह उत्तर प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में एक अभूतपूर्व वृद्धि को दर्शाता है, जिसमें अकेले अयोध्या में 10.99 करोड़ पर्यटक पहुँचे हैं। वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा और आगरा जैसे अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों ने भी इस दौरान पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। श्री रामलला के दर्शन के साथ अयोध्या ने एक बार फिर से देश के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में अपना स्थान मजबूत किया हैं।
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digitalramsharma · 8 days
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सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके - 108 बार जाप
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सर्वमंगल मंगल्ये मंत्र: एक अनूठी भक्ति यात्रा:- भारतीय संस्कृति में मंत्रों का विशेष महत्व है। हर मंत्र का विशेष अर्थ और प्रभाव होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक हो सकता है। उनमें से एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली मंत्र है "सर्वमंगल मंगल्ये" मंत्र। इस लेख में, हम इस मंत्र की उत्पत्ति, महत्व, और उपयोग पर विस्तार से चर्चा करेंगे। सर्वमंगल मंगल्ये मंत्र की उत्पत्ति: "सर्वमंगल मंगल्ये" मंत्र हिंदू धर्म के भक्ति साहित्य से जुड़ा हुआ है। यह मंत्र विशेष रूप से देवी भगवती के प्रति समर्पण और भक्तिपूर्ण भावनाओं को प्रकट करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस मंत्र का संबंध मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी से है, जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं।
मंत्र का पाठ: सर्वमंगल मंगल्ये मंत्र इस प्रकार है:
सर्वमंगल मंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥
मंत्र का अर्थ:
* सर्वमंगल मंगल्ये: जो सभी मंगलों की मंगलमयी हैं- *
शिवे: जो शुभ और कल्याणकारी हैं
* सर्वार्थसाधिके: जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली हैं
* शरण्ये: जो आश्रय देने वाली हैं
* त्र्यम्बके: तीन नेत्रों वाली
* गौरी: जो गौरवर्ण वाली हैं
* नारायणि: नारायण की शक्ति
* नमोऽस्तु ते: तुम्हें नमन है इस प्रकार, इस मंत्र का अर्थ होता है कि "सभी मंगलों की मंगलमयी, शुभ और कल्याणकारी देवी, जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं, आश्रय देने वाली, तीन नेत्रों वाली, गौरवर्ण वाली, नारायण की शक्ति, तुम्हें मेरा नमस्कार है।
" मंत्र का महत्व: "सर्वमंगल मंगल्ये" मंत्र की पूजा और जाप का विशेष महत्व है। यह मंत्र भक्तों को शांति, समृद्धि, और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। यह मंत्र देवी लक्ष्मी की पूजा का अभिन्न हिस्सा है और इसे विशेष अवसरों पर, जैसे कि लक्ष्मी पूजन, दीपावली, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों पर पढ़ा जाता है।
1. शांति और सुख: इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है। यह मंत्र व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाने में मदद करता है।
2. संकटों से मुक्ति: इस मंत्र का नियमित जाप करने से जीवन में आ रही समस्याओं और संकटों से छुटकारा मिलता है। यह व्यक्ति को कष्टों से उबारने और समस्याओं का समाधान करने में सहायक होता है।
3. सर्वश्रेष्ठता की प्राप्ति: इस मंत्र की भक्ति और जाप से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
मंत्र का जाप कैसे करें:
सर्वमंगल मंगल्ये मंत्र का जाप नियमित रूप से किया जाता है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
1. सुनिश्चित स्थान: जाप के लिए एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां आप बिना किसी विघ्न के ध्यान केंद्रित कर सकें।
2. सामग्री: मंत्र जाप के दौरान पूजा की सामग्री जैसे दीपक, फूल, और कपूर का उपयोग करें।
3. समय: सुबह और शाम के समय मंत्र जाप करने की आदत डालें, क्योंकि ये समय विशेष रूप से पूजा और ध्यान के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
4. संघर्ष से मुक्ति: अपने हृदय को शुद्ध रखें और ईश्वर से सच्चे मन से प्रार्थना करें। मानसिक रूप से शांत और समर्पित रहें।
5. माला का उपयोग: जाप के लिए माला का उपयोग करने से मन को स्थिरता और एकाग्रता मिलती है।
समाप्ति और ध्यान: मंत्र जाप की समाप्ति के बाद, ध्यान और प्रार्थना में समय बिताएं। ईश्वर को धन्यवाद दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। इस प्रकार, नियमित रूप से मंत्र जाप करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।
निष्कर्ष: "सर्वमंगल मंगल्ये" मंत्र एक शक्तिशाली साधना है जो व्यक्ति के जीवन को मंगलमयी और समृद्ध बना सकती है। इसकी प्रभावशाली शक्ति और धार्मिक महत्व इसे हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण प्रार्थनाओं में से एक बनाता है। इस मंत्र के जाप और पूजा से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं। अंततः, इस मंत्र की नियमित साधना और भक्ति से आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का अनुभव कर सकते हैं।
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sharpbharat · 12 days
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Horoscope Know Your Day Monday 9th September 2024 - राशिफल, जानें कैसा होगा आपका दिन-सोमवार 9 सितंबर 2024
मेष राशिअगर आप यात्रा पर जाने वाले हैं तो अपने कीमती सामान का ध्यान रखें उसके चोरी होने की संभावना है। खासकर अपने पर्स को आज बहुत संभालकर रखें। आपकी भरपूर ऊर्जा और जबरदस्त उत्साह सकारात्मक परिणाम लाएंगे व घरेलू तनाव दूर करने में मददगार रहेंगे। आप अपने प्रिय की बांहों में आराम महसूस करेंगे। आज धार्मिक कामों में आप अपना खाली समय बिताने का विचार बना सकते हैं। इस दौरान बेवजह की बहसों में आपको नहीं…
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dayaramalok · 12 days
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vikaskumarsposts · 13 days
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#हरि_आये_हरियाणे_नू
8 सितंबर 2024 जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का 74वां अवतरण दिवस है। पूर्ण ब्रह्म/परमेश्वर के अवतार जिन्होंने 17 फरवरी 1988 को अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की और सामाजिक पाखंडवाद की बेड़ियों को तोड़कर लाखों लोगों को आध्यात्म की राह दिखाई। उनके विषय में प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं द्वारा अंतिम मसीहा होने की भविष्यवाणी की गई है जो स्वर्ण युग लाएगा, जिसके नेतृत्व में भारत विश्व गुरु बनेगा।
विभिन्न नकली धर्मगुरुओं, समकालीन संतों और महंतों से हर कदम पर कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद पूरी मानव जाति के कल्याण के उद्देश्य से संत रामपाल जी महाराज जनता तक पहुंचने और सत्य भक्ति करने वाले प्रत्येक भक्त के दिल में जगह बनाने में सफल रहे हैं और उनके प्रत्येक भक्त प्रतिदिन लाभ प्राप्त कर रहे हैं। भक्तों को संत रामपाल जी महाराज के सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान को सुनने से रोकने के लिए नकली बिकाऊ मीडिया और धार्मिक गुरुओं ने उनके नाम को गलत तरीके से उछाला और जनता के बीच एक नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश की। लेकिन उनके द्वारा प्रदान की गई सत्य भक्ति ने दुनिया भर में उन लाखों भक्तों के जीवन को बदल दिया है जो दलदल की ज़िन्दगी से निकलकर अब सुख और आराम की ज़िन्दगी बिता रहे हैं, चाहे मुश्किलें लोगों के स्वास्थ से सम्बंधित हों, वित्तीय अस्थिरता हो, पारिवारिक बंधन हों संत रामपाल जी ने सभी भक्तों के दुखों को दूर किया है और इस तरह, नकली गुरुओं के उनके प्रति नफरत और अविश्वास फैलाने के सभी प्रयास व्यर्थ हो गए। केवल एक पूर्ण संत जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रतिनिधि होते हैं और जिनके पास पवित्र शास्त्रों में प्रमाणित ज्ञान होता है उनमें ही यह गुण होता है।
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helputrust · 10 months
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09.11.2023, मथुरा | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री के.पी.एस. चौहान ने जिला मथुरा के बरसाना - नंदगाँव स्थित श्री नंद बाबा मंदिर श्री नन्द भवन मे, प्रभु श्री कृष्ण के दर्शन किए तथा सभी के कल्याण और समृद्धि की प्रार्थना की | इस अवसर पर लखनऊ के प्रमुख व्यवसायी तथा समाजसेवी श्री सुधीर हलवासिया से भेट भी हुई | श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने नंदगाँव की धार्मिक यात्रा तथा प्रभु श्री कृष्ण के दिव्य दर्शन के लिए श्री अरस्तु उपाध्याय के प्रति आभार व्यक्त किया है ।
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cycleagarbatti · 17 days
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी : कब, क्यों और कैसे मनाई जाती है
यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी या भाद्रपद महीने के आठवें दिन पड़ता है। इसे गोकुल अष्टमी भी कहा जाता है।
ऐसा मानते हैं कि , भगवान कृष्ण का जन्म वर्तमान समय के मथुरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका जन्म एक कालकोठरी में और कृष्ण पक्ष की अंधियारी आधी  रात को हुआ था ।
मान्यताओं के अनुसार, कंस मथुरा का शासक था। उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव जी को कारागार में डालकर रखा था क्योंकि उसे यह श्राप मिला था कि देवकी की कोख से उत्पन्न होने वाली आठवीं सन्तान एक पुत्र रूप में होगी जो कंस का वध करेगी। अतः आठवें पुत्र के इंतजार में उसने जेल में ही उत्पन्न देवकी के सात सन्तानों की हत्या कर दी थी। दैवीय लीला से जब आठवें पुत्र श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो योगमाया ने वहां उपस्थित सभी पहरेदारों को गहन निद्रा में डाल दिया और वासुदेव जी को निर्देश दिया कि अभी ही वह कारागार से बाहर निकल कर पुत्र को यमुना जी के रास्ते से ले जाकर गोकुल पहुंचा दें। 
वासुदेव व देवकी को सारी बात समझ में आ चुकी थी कि यही प्रभु अवतरण हैं जिनके हाथों कंस का वध होगा। वैसा ही सब कुछ हुआ। समय आने पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के हाथों कंस का अंत हुआ। 
इसी कारण इस दिन का बहुत ही महत्व माना जाता है और देश भर में इस दिवस को उत्सव की भांति मनाया जाता है।
मथुरा और वृन्दावन में कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
  जन्माष्टमी से 10 दिन पहले रासलीला, भजन, कीर्तन और प्रवचन जैसे विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ शुरू होता है यह उत्सव । रासलीलाएं कृष्ण और राधा के जीवन और प्रेम कहानियों के साथ-साथ उनकी अन्य गोपियों की नाटकीय रूपांतर पेश किए जाते हैं। पेशेवर कलाकार और स्थानीय उपासक दोनों ही मथुरा और वृन्दावन में विभिन्न स्थानों पर इसका प्रदर्शन करते हैं। भक्त जनमाष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण मंदिरों में आते हैं, विशेषकर वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में, जहां माना जाता है कि उनका जन्म हुआ था। मंदिरों को मनमोहक फूलों की सजावट और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया है।
पंचांमृत अभिषेक
अभिषेक के नाम से जाना जाने वाला एक विशिष्ट अनुष्ठान आधी रात को होता है, जो कृष्ण के जन्म का सटीक क्षण माना जाता है। इस दौरान कृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और पानी से स्नान कराया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के अभिषेक के दौरान शंख बजाए जाते हैं, घंटियां बजाई जाती हैं और वैदिक मंत्रो का पाठ किया जाता है। इसके बाद भक्त श्रीकृष्ण को 56 अलग-अलग भोग (जिन्हें छप्पन भोग के नाम से जाना जाता है) अर्पित करते हैं। उनके लड्डू गोपाल स्वरूप को जन्म के बाद झूला झुलाते हैं और जन्म के गीत गाये जाते हैं। 
नंदोत्सव
जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाने वाला नंदोत्सव एक खास कार्यक्रम है। कहते हैं कि जब कृष्ण के पालक पिता, नंद बाबा ने उनके जन्म की खुशी में गोकुल (कृष्ण का गाँव) में सभी को उपहार और मिठाइयां दीं। इस दिन, भक्त प्रार्थना करने और जरूरतमंदों को दान देने के लिए नंद बाबा के जन्मस्थान नंदगांव की यात्रा करते हैं। इसके अलावा वे विभिन्न प्रकार के समारोहों और खेलों में भाग लेते हैं जो कृष्ण के चंचल स्वभाव का सम्मान में आयोजित किए जाते हैं।
दही हांडी पर्व का महत्व 
दही हांडी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है । महाराष्ट्र, गुजरात , उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन और गोकुल में इसकी अलग धूम देखने को मिलती है। इस दौरान गोविंदाओं की टोली ऊंचाई पर बंधी दही से भरी मटकी फोड़ने की कोशिश करती है ।
जन्माष्टमी पर दही हांडी का खास महत्व होता है । भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की झांकिया दर्शाने के लिए दही हांडी पर्व मनाया जाता है।
दही हांडी कार्यक्रम
दही हांडी कार्यक्रम, जो कृष्ण की मां यशोदा द्वारा ऊंचे रखे गए मिट्टी के बर्तनों से मक्खन चुराने की बचपन की शरारत से प्रेरित एक कार्यक्रम है। मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी समारोह का एक और ��ुख्य आकर्षण है। इस कार्यक्रम में युवा, पुरुषों के समूह ऊंचाई से लटके हुए एक बर्तन तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जिसमें दही या मक्खन होता है। यह अवसर वफादारी, बहादुरी और टीम वर्क को दर्शाता है। इसमें बड़ी संख्या में दर्शक भी शामिल होते हैं, जो तालियां बजाते हैं और इस दृश्य का आनंद लेते हैं।
दरअसल, भगवान श्री कृष्ण बचपन में दही और मक्खन घर से चोरी करते थे और उसके साथ ही गोपियों की मटकियां भी फोड़ देते थे ।  यही कारण है कि गोपियों ने माखन और दही की हांडियों को ऊंचाई पर टांगना शुरू कर दिया था लेकिन कान्हा इतने नटखट थे कि अपने सखाओं की मदद से एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर  हांडी को फोड़कर माखन और दही खा जाते थे । भगवान कृष्ण की इन्हीं बाल लीलाओं का स्मरण करते हुए दही हांडी का उत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी । 
प्रभु की लीला कभी व्यर्थ नहीं होती है। उसका कोई न कोई कारण अवश्य होता है। 
ऐसा मानते हैं कि पैसों के लिए गोपियाँ अपने घर के सारे दूध , दही और माखन मथुरा में जाकर कंस की राजधानी में बेच आतीं थीं। वे सब बलवान हो जाते थे जबकि ग्वाल बाल सीमित रूप में इसे प्राप्त कर पाते थे। तब प्रभु की बाल लीला ने माखन चोरी करने का निर्णय किया था ताकि ये सभी हृष्ट पुष्ट रहें और मथुरा तक ये न पहुंच सके।
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ritika-25 · 17 days
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नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे चैनल पर, जहाँ हम आपको लेकर चलेंगे मथुरा और वृंदावन की अद्भुत यात्रा पर। अगर आप भी धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहर में रुचि रखते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए ही है! 🚀
🔹 कृष्ण जन्मभूमि (Krishna Janmabhoomi)
🔹 कंस महल (Kans Mahal)
🔹 विश्राम घाट (Vishram Ghat)
🔹 द्वारकाधीश मंदिर (Dwarkadhish Temple)
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