#धन प्राप्ति के लिए मंत्र
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धन प्राप्ति के लिए शुभ मंत्र:- "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः" मास: ज्येष्ठ (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष) तिथि: द्वादशी (शुक्ल पक्ष) वार: शुक्रवार नक्षत्र: आर्द्रा योग: वैधृति करण: बालव
सूर्योदय: 05:30 AM सूर्यास्त: 07:19 PM
व्रत और त्योहार: विवाह पंचमी नील शष्टी व्रत
मुहूर्त: शुभ मुहूर्त: 09:18 AM - 10:50 AM, 04:44 PM - 06:16 PM राहुकाल: 03:01 PM - 04:44 PM यमघंट: 12:05 PM - 01:47 PM गुलिकाकाल: 07:27 AM - 09:10 AM अभिजित मुहूर्त: 12:07 PM - 12:54 PM
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यह जानकारी केवल सामान्य उद्देश्यों के लिए है। पंचांग और शुभ मुहूर्तों की जानकारी के लिए स्थानीय पंडित या ज्योतिषी की सलाह लें।
सुनिये देवी माँ का यह सुन्दर भजन:- youtu.be/Sy4RIja6TVM https://vvlmusic.com/
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त्रिवेणी संगम पितृ दोष पूजा: शांति और समृद्धि का मार्गदर्शन
पितृ दोष, वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण दोष है, जो पूर्वजों के कर्मात्मक असंतुलन या उनके प्रति अपूर्ण कर्तव्यों के कारण उत्पन्न होता है। यह वित्तीय समस्याओं, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों या सफलता में देरी के रूप में प्रकट हो सकता है। त्रिवेणी संगम पितृ दोष पूजा पूर्वजों का आशीर्वाद पाने और जीवन में सामंजस्य बहाल करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यहाँ इस पवित्र पूजा के बारे में सब कुछ जानें और यह कैसे आपके जीवन में शांति ला सकती है।
पितृ दोष क्या है?
पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की वंश परंपरा कर्तव्यों के अपूर्ण होने, अनुष्ठानों के न होने, या नकारात्मक कर्म प्रभावों के कारण बाधित होती है। यह कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और राहु की स्थिति के माध्यम से पहचाना जा सकता है। यह दोष जीवन में समृद्धि, खुशी और विकास को बाधित कर सकता है।इसके प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं:
वित्तीय समस्याएं – आय में अस्थिरता, धन संचय में बाधाएं।
संतान संबंधी समस्याएं – संतान सुख में देरी या संतान की ओर से चिंता।
वैवाहिक और पारिवारिक कलह – दांपत्य जीवन में अस्थिरता और विवाद।
स्वास्थ्य संबंधी परेशानी – लंबे समय तक चलने वाली बीमारियां और मानसिक तनाव।
करियर और व्यवसाय में बाधाएं – नौकरी या व्यापार में निरंतर असफलता।
यह भी पढ़ें: मौनी अमावस्या 2025: जानें तिथि, महत्व, स्नान-दान, तर्पण का समय
कैसे पता करें कि घर में पितृ दोष है?
घर के आंगन, घर की दरारों या टूटे गमलों में बिना आपके लगाए पीपल का पौधा उग रहा है तो यह पितृ दोष का लक्षण है। पितृ दोष के लक्षणों को पहचानकर आप जान सकते हैं कि आपके घर में यह दोष मौजूद है या नहीं। सामान्य संकेत इस प्रकार हो सकते हैं:
स्वप्नों में पूर्वजों का आना – यदि बार-बार सपनों में दिवंगत पूर्वज दिखाई देते हैं और कुछ मांगते हैं।
घर में आर्थिक समस्याएं – धन की कमी बनी रहती है और आय में स्थिरता नहीं होती।
संतान संबंधी दिक्कतें – संतान प्राप्ति में देरी या बच्चों की पढ़ाई और करियर में रुकावटें आती हैं।
परिवार में आपसी मतभेद – घर में अकारण झगड़े और मतभेद बढ़ जाते हैं।
कार्य में असफलता – कार्यों में बार-बार ��ुकावटें आती हैं और सफलता नहीं मिलती।
स्वास्थ्य समस्याएं – परिवार के सदस्यों को लगातार बीमारियां घेर लेती हैं।
यदि आपके जीवन में ये समस्याएं लगातार बनी हुई हैं, तो पितृ दोष निवारण पूजा कराना आवश्यक हो सकता है।
अधिक जानकारी के लिए आप AstroLIve के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।
त्रिवेणी संगम में पितृ दोष निवारण का महत्व
प्रयागराज (इलाहाबाद) में स्थित त्रिवेणी संगम गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती नदियों का पवित्र संगम है। यह भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, जो पितृ दोष निवारण पूजा करने के लिए एक शक्तिशाली स्थान है।
पूर्वजों की मुक्ति: संगम की दिव्य ऊर्जा पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करती है।
कर्म संतुलन: यहाँ अनुष्ठान करने से पितृ दोष के कारण होने वाले कर्मात्मक असंतुलन को समाप्त करने में मदद मिलती है।
आने वाली पीढ़ियों का आशीर्वाद: यह पूजा न केवल दोष को दूर करती है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि और खुशी भी लाती है।
महाकुंभ पितृ दोष शांति पूजा क्या है?
महाकुंभ पितृ दोष शांति पूजा एक भव्य अनुष्ठान है जो महाकुंभ मेले के दौरान त्रिवेणी संगम में आयोजित किया जाता है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है:
पूर्वजों को प्रार्थना और सम्मान अर्पित करने के लिए।
अपूर्ण कर्तव्यों या गलतियों के लिए क्ष मा मांगने के लिए।
शांति, समृद्धि और पितृ दोष के कारण उत्पन्न बाधाओं को दूर करने के लिए।
महाकुंभ इस अनुष्ठान की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है, जिससे यह पितृ दोष के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक बन जाता है।
त्रिवेणी संगम पितृ दोष पूजा कैसे करें?
त्रिवेणी संगम में पितृ दोष शांति पूजा का प्रदर्शन निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:
ज्योतिषीय परामर्श: अपनी कुंडली में पितृ दोष की पुष्टि करने के लिए ज्योतिषी से सलाह लें।
पूजा सामग्री की व्यवस्था: पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्री सुनिश्चित करें, जैसे तिल, चावल और फूल।
पवित्र मंत्र: अनुष्ठान में वेद मंत्रों का उच्चारण शामिल होता है, जो पूर्वजों को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
तर्पण और पिंडदान: ये अर्पण पूर्वजों की आत्मा की शांति सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं।
गायत्री और महामृत्युंजय मंत्र जाप – ग्रह दोष निवारण के लिए जप।
विशेष हवन एवं आहुति – समस्त दोषों को शांत करने हेतु।
अंतिम विसर्जन: अनुष्ठान संगम के पवित्र जल में अर्पण के विसर्जन के साथ समाप्त होता है।
दान एवं गौसेवा – दोष निवारण के लिए अन्न, वस्त्र और गौदान।
पितृ दोष निवारण पूजा के लाभ
1. पूर्वजों का आशीर्वाद: यह पूजा पूर्वजों का आशीर्वाद लाती है, जो जीवन में समृद्धि और खुशी सुनिश्चित करती है।
2. बाधाओं का निवारण: व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में बाधाओं को दूर करता है।
3. पारिवारिक सामंजस्य: पारिवारिक संबंधों में शांति और सामंजस्य बहाल करता है।
4. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है और ग्रहों के प्रभावों को संतुलित करता है।
5. स्वास्थ्य और धन में सुधार: पितृ दोष से जुड़े स्वास्थ्य समस्याओं और वित्तीय अस्थिरता को हल करता है।
यह भी पढ़ें: राहु केतु पीड़ा शांति पूजा का ज्योतिषीय महत्व – पूजा विवरण, समय और ऑनलाइन बुकिंग
पूजा बुकिंग और अधिक जानकारी
यदि आप महाकुंभ पितृ दोष शांति पूजा कराना चाहते हैं, तो AstroLive पर अपनी पूजा बुक करें।हमारी सेवाएं विभिन��न बजट और आवश्यकताओं के अनुसार डिज़ाइन की गई हैं:
व्यक्तिगत (1 व्यक्ति के लिए पैकेज) (₹801): इसमें मानक सामग्री और मंत्र जाप के साथ व्यक्तिगत पूजा शामिल और है पूजा की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग आपके व्हाट्सएप पर शेयर की जाएगी।
कपल (2 व्यक्ति के लिए पैकेज) (₹1251): इसमें मानक सामग्री और मंत्र जाप के साथ व्यक्तिगत पूजा शामिल है और है पूजा की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग आपके व्हाट्सएप पर शेयर की जाएगी।
छोटा परिवार (4 व्यक्तियों के लिए पैकेज) (₹1751): विस्तृत अनुष्ठान, विस्तारित मंत्र जाप एवं प्रसाद अर्पित, गौ-सेवा, अन्नदान, और पूजा की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग आपके व्हाट्सएप पर शेयर की जाएगी।
बड़ा परिवार (6 व्यक्तियों के लिए पैकेज) (₹2001): विस्तृत अनुष्ठान, विस्तारित मंत्र जाप एवं प्रसाद अर्पित, गौ-सेवा, अन्नदान, और पूजा की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग आपके व्हाट्सएप पर शेयर की जाएगी।
पितृ दोष निवारण पूजा बुक करने के लिए यहां क्लिक करें।
पितृ दोष उपायों के लिए AstroLive क्यों चुनें?
पितृ दोष निवारण पूजा के लिए विशेषज्ञता, सटीकता और गहन आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। AstroLive पर, हम प्रदान करते हैं:
व्यक्तिगत पूजा सेवाएं: आपकी कुंडली और विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर तैयार अनुष्ठान।
विशेषज्ञ मार्गदर्शन: हमारे अनुभवी ज्योतिषी और पुजारी यह सुनिश्चित करते हैं कि अनुष्ठान का प्रत्येक चरण सही ढंग से किया जाए।
पवित्र स्थान: हम त्रिवेणी संगम जैसे शक्तिशाली आध्यात्मिक स्थलों पर अनुष्ठान की व्यवस्था करते हैं।
सुविधा: अपनी पितृ दोष पूजा को ऑनलाइन बुक करें और हमारे अनुभवी ज्योतिषियों से नि:शुल्क परामर्श प्राप्त करें।
अधिक जानकारी और अपनी पितृ दोष शांति पूजा निर्धारित करने के लिए एस्ट्रोलाइव की वेबसाइट पर जाएं।
यदि आप पितृ दोष के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो त्रिवेणी संगम पितृ दोष पूजा एक पवित्र और प्रभावी उपाय प्रदान करती है। इस अनुष्ठान को करके, आप न केवल अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं बल्कि अपने जीवन में समृद्धि, सामंजस्य और शांति को भी अनलॉक करते हैं। AstroLive आपके इस आध्यात्मिक मार्ग पर मार्गदर्शन करने में आपकी मदद करेगा और आपके उज्जवल भविष्य के लिए कर्म बाधाओं को समाप्त करेगा।अधिक जानकारी के लिए, हमसे Instagram पर जुड़ें। अपना वार्षिक राशिफल पढ़ें।
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पौष पुत्रदा एकादशी 2025: महत्व, तिथि, पूजा विधि और दान
पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है और माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी 2025 की तिथि और समय
तिथि: पौष पुत्रदा एकादशी 2025, 10 जनवरी को मनाई जाएगी।
समय: एकादशी तिथि 9 जनवरी, 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 10 जनवरी, 2025 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।
पारण समय: 11 जनवरी, 2025 को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट के बीच किया जाएगा।
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व
पुत्र प्राप्ति: यह व्रत मुख्य रूप से पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है।
पापों का नाश: माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
भगवान विष्णु की कृपा: यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली साधन है।
आध्यात्मिक विकास: यह व्रत आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
पूजा का समय: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और फूल चढ़ाएं।
व्रत कथा: पौष पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें।
मंत्र जाप: विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।
दान: गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
पौष पुत्रदा एकादशी में दान का महत्व
दान करना पौष पुत्रदा एकादशी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। माना जाता है कि इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप अन्न, वस्त्र, धन आदि दान कर सकते हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी का निष्कर्ष
पौष पुत्रदा एकादशी एक पवित्र और शुभ अवसर है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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माँ बगलामुखी: अद्भुत शक्ति और उपासना के रहस्य Maa Baglamukhi: The Divine Power and Mysteries of Worship
माँ बगलामुखी कौन हैं? Who is Maa Baglamukhi? माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें ब्रह्मास्त्र स्वरूपा और सभी संकटों का निवारण करने वाली देवी माना जाता है। माँ बगलामुखी को शत्रुनाशिनी और वाणी, बुद्धि, तथा कर्म को स्थिर करने वाली देवी कहा जाता है। वे जीवन में वि��य, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। Maa Baglamukhi is one of the ten Mahavidyas and is revered as a goddess of final energy and victory. She is likewise referred to as the "Stambhana Devi," the one who paralyzes enemies, stabilizes mind, and brings achievement, peace, and prosperity in existence.
माँ बगलामुखी की पूजा और अनुष्ठान Baglamukhi Puja and Rituals बगलामुखी हवन (Baglamukhi Havan): हवन के द्वारा नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह शत्रुओं को शांत करने और समस्याओं से छुटकारा पाने का एक प्रभावी माध्यम है। Benefits of Baglamukhi Havan: Removes terrible energies, provides protection, and pacifies enemies. बगलामुखी अनुष्ठान (Baglamukhi Anusthan): यह अनुष्ठान विशेष रूप से शत्रु नाश, न्यायालय मामलों, और बाधाओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। Baglamukhi Anusthan Benefits: Effective for courtroom instances, enemy destruction, and overcoming hurdles. बगलामुखी कवच (Baglamukhi Kavach): देवी का कवच जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बनाता है। Baglamukhi Kavach: Protects the devotee from harm and ensures prosperity. बगलामुखी मंत्र जाप (Baglamukhi Mantra Jaap): मंत्र जाप से आत्मिक शक्ति और मानसिक शांति मिलती है। Baglamukhi Mantra Jaap: Enhances spiritual energy and mental peace. बगलामुखी यंत्र पूजा (Baglamukhi Yantra Puja): माँ के यंत्र की पूजा धन, वैभव, और समृद्धि प्रदान करती है। Baglamukhi Yantra Worship: Brings wealth, abundance, and achievement.
बगलामुखी साधना के लाभ Benefits of Baglamukhi Sadhana शत्रु नाश (Enemy Destruction): माँ बगलामुखी शत्रुओं को नष्ट करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं। Overcoming Enemies: Overcoming enemies and neutralizing negative influences. न्यायालय मामलों में विजय (Court Case Victory): बगलामुखी पूजा से कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है। Baglamukhi for Court Cases: Ensures success in legal disputes. धन और समृद्धि (Wealth and Prosperity): साधना से धन की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि आती है। Attract Wealth and Prosperity: Attracts monetary growth and prosperity. कार्य और करियर में सफलता (Success in Career and Job): नौकरी और व्यवसाय में तरक्की के लिए बगलामुखी पूजा अत्यंत लाभकारी है। Career Success with Baglamukhi: Helps in attaining career growth and job stability. सुरक्षा और शांति (Protection and Peace): साधना मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करती है। Baglamukhi for Peace: Provides intellectual calmness and safety from harm.
बगलामुखी मंदिर और पूजा स्थल Baglamukhi Temples and Worship Places नलखेड़ा बगलामुखी मंदिर (Nalkheda Baglamukhi Temple): मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित यह मंदिर माँ बगलामुखी का प्रमुख तीर्थस्थल है। Nalkheda Temple: Located in Madhya Pradesh, it is a distinguished place for worship. उज्जैन बगलामुखी मंदिर (Ujjain Baglamukhi Temple): उज्जैन में स्थित यह मंदिर देवी साधना के लिए विख्यात है। Ujjain Baglamukhi Temple: Famous for powerful rituals and sadhanas.
बगलामुखी पूजा और अनुष्ठान की विधि Baglamukhi Puja and Ritual Methods पूजन सामग्री (Puja Samagri): हल्दी, चना दाल, पीले वस्त्र, फूल, दीपक, और यंत्र अनिवार्य हैं। Puja Items: Turmeric, yellow garments, flowers, and a Baglamukhi Yantra are vital. पूजा का समय (Puja Timings): बगलामुखी पूजा अमावस्या या चतुर्दशी के दिन रात में करना सर्वोत्तम है। Best Time for Puja: Best performed on Amavasya or Chaturdashi nights. पूजा विधि (Puja Vidhi): गुरु मंत्र का आह्वान करें। बगलामुखी मंत्र का जाप करें। हवन करें और यंत्र की स्थापना करें। Puja Methodology: Chant the mantra, invoke the guru, perform havan, and establish the yantra.
बगलामुखी मंत्र और जाप Baglamukhi Mantras and Chanting मूल मंत्र (Main Mantra): "ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।" Baglamukhi Main Mantra: To paralyze the speech, movements, and intelligence of enemies. 108 बार जाप (108 Times Chanting): मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। 108 Repetitions of the Mantra: Brings effective benefits and fulfillment.
बगलामुखी पूजा की कीमत और सेवाएँ Baglamukhi Puja Cost and Services पूजा शुल्क (Puja Charges): पूजा और अनुष्ठान की कीमत ₹5,000 से ₹50,000 तक हो सकती है। Puja Cost: Prices range from ₹5,000 to ₹50,000 depending on the ritual. ऑनलाइन बुकिंग (Online Booking): पूजा और अनुष्ठान ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। Online Puja Booking: Available for both online and in-person rituals. विशेषज्ञ पंडित (Specialist Pandits): अनुभवी पंडित पूजा को सही तरीके से संपन्न करते हैं। Experienced Pandits: Experienced priests perform the rituals with precision.
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अपनी राशि के समय के अनुसार शुद्ध मुहूर्त में करें दिपावली का पूजन हो जाएँगे माला - माल साल भर में!
🌞🌳 🕉दीपावली पूजन के लिये चार विशेष मुहूर्त
👉1- वृश्चिक लग्न- यह लग्न दीपावली के सुबह आती है वृश्चिक लग्न में मंदिर, स्कूल, हॉस्पिटल, कॉलेज आदि में पूजा होती है। राजनीति से जुड़े लोग एवं कलाकार आदि इसी लग्न में पूजा करते हैं।
👉2- कुंभ लग्न- यह दीपावली की दोपहर का लग्न होता है। इस लग्न में प्रायः बीमार लोग अथवा जिन्हें व्यापार में काफी हानि हो रही है, जिनकी शनि की खराब महादशा चल रही हो उन्हें इस लग्न में पूजा करना शुभ रहता है।
👉3- वृषभ लग्न- यह लग्न दीपावली की शाम को प्रायः मिल ही जाता है तथा इस लग्न में गृहस्थ एवं व्यापारियों को पूजा करना सबसे उत्तम माना गया है।
👉4- सिंह लग्न- यह लग्न दीपावली की मध्यरात्रि के आस-पास पड़ता है तथा इस लग्न में तांत्रिक, सन्यासी आदि के लिए पूजा करना शुभ रहता है ।
दिल्ली के अनुसार लग्न की समय अवधि :-
👉वृश्चिक लग्न:- 07:00 से 10 :10 तक 👉कुंभ लग्न:- 13 :57 से 15 : 24 तक 👉वृषभ लग्न:- 18 :24 से 20 :19 तक 👉सिंह लग्न:- 00:59 से 03 :16 तक
🕉🚩महानिशीथ काल:-
महानिशीथ काल में धन लक्ष्मी का आवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य किया जाता है। श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य वैदिक तांत्रिक मंन्त्रों का जपानुष्ठान किया जाता है।
महानिशीथ काल रात्रि में 23:38 से 24:30 मिनट तक रहेगा। इस समयावधि में कर्क लग्न और सिंह लग्न होना शुभस्थ है। इसलिए अशुभ चौघडियों को भुलाकर यदि कोई कार्य प्रदोष काल अथवा निशिथकल में शुरु करके इस महानिशीथ काल में संपन्न हो रहा हो तो भी वह अनुकूल ही माना जाता है। महानिशिथ काल में पूजा समय चर लग्न में कर्क लग्न उसके बाद स्थिर लग्न, सिंह लग्न भी हों, तो विशे�� शुभ माना जाता है। महानिशीथ काल में कर्क लग्न और सिंह लग्न होने के कारण यह समय शुभ हो गया है। जो शास्त्रों के अनुसार दीपावली पूजन करना चाहते हो, वह इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग कर सकते हैं। इसमें किया हुआ तंत्र प्रयोग मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तंभन इत्यादि कर्म तांत्रिकों की ओर से किए जाते हैं। इस समय में किया हुआ कोई भी मंत्र सिद्ध हो जाता है। इस समय में सभी आसुरी शक्तियां जागृत हो जाती हैं। इस समय में घोर, अघोर, डाबर, साबर सभी प्रकार के मंत्रों की सिद्धि हो जाती है। इसी समय उल्लूक तंत्र का प्रयोग साधक लोग करते हैं। पंच प्रकार की पूजा, काली पूजा, तारा, छिन्नमस्ता, बगुलामुखी पूजा इसी समय की जाती है। जो जन शास्त्रों के अनुसार दीपावली पूजन करना चाहते हो, उन्हें इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग करना चाहिए। वृष एवं सिंह लग्न में कनकधारा एवं ललितासहस्त्रनाम का पाठ विशेष लाभदायक माना गया है।
🕉🚩दीपदान मुहूर्त : लक्ष्मी पूजा दीपदान के लिए प्रदोष काल (रात्रि का पंचमांश प्रदोष काल कहलाता है) ही विशेषतया प्रशस्त माना जाता है। दीपावली के दिन प्रदोष काल सायं 05:50 से रात्रि 08:27 बजे तक रहेगा ।
🕉🚩राशियों के अनुसार लक्ष्मी पूजन मेष, सिंह और धनु
ये तीनों अग्नि तत्व प्रधान राशि है इन राशि वालों के लिए धन लक्ष्मी की पूजा विशेष लाभकारी होती है, मां लक्ष्मी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें उनके पास अनाज की ढेरी हो। चावल की ढेरी पर लक्ष्मीजी का स्वरूप स्थापित करें उनके सामने घी का दीपक जलाएं, उनको चांदी का सिक्का अर्पित करें। पूजा के उपरान्त उसी चांदी के सिक्के को अपने धन स्थान पर रख दें।
🕉🚩मिथुन, तुला और कुम्भ राशि
इन राशि वालों के लिए गजलक्ष्मी के स्वरूप की आराधना विशेष होती है, कारोबार में धन की प्राप्ति के लिए गज लक्ष्मी की पूजा, लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें दोनों तरफ उनके साथ हाथी हों, लक्ष्मीजी के समक्ष घी के तीन दीपक जलाएं, मां लक्ष्मी को एक कमल या गुलाब का फूल अर्पित करें, पूजा के उपरान्त उसी फूल को अपनी तिजोरी में रख दें।
🕉🚩वृष, कन्या, और मकर राशि :-
इस राशि के लोगों के लिए ऐश्वर्यलक्ष्मी की पूजा विशेष होती है, नौकरी में धन की बढ़ोतरी के लिए ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा, गणेशजी के साथ लक्ष्मीजी की स्थापना करें, गणेशजी को पीले और लक्ष्मीजी को गुलाबी फूल चढ़ाएं, लक्ष्मीजी को अष्टगंध चरणों में अर्पित करें, नित्य प्रातः स्नान के बाद उसी अष्टगंध का तिलक लगाएं।
🕉🚩कर्क, वृश्चिक और मीन राशि :-
इस राशि के लिए वरलक्ष्मी की पूजा विशेष होती है। धन के नुकसान से बचने के लिए वर जयपुर लक्ष्मी की पूजा में लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें। जिसमें वह खड़ी हों और धन दे रही हों, उनके सामने सिक्के तथा नोट अर्पित करें, पूजन के बाद यही धनराशि अपनी तिजोरी में रखें, इसे खर्च न करें। उपरोक्त विधि-विधान से पूजन करन��� पर भुवनेश्वर महालक्ष्मी आप पर प्रसन्न होगीं जम्मू तथा घर में समृद्धि व प्रसन्नता आयेगी
🕉🚩भारत में दीपावली पूजन का मुहूर्त (31.10.2024):-
👉व्यावसायिक स्थल में पूजन का समय, कुम्भ लग्न:- 13 :57 से 15 : 24 तक
👉घर में पूजन का समय, वृषभ लग्न:- 18 :24 से 20 :19 तक
👉प्रातः काल में पूजन का समय, वृश्चिक लग्न:- 07:00 से 10 :10 तक
👉साधना और सिद्धि का समय, सिंह लग्न:- 00:59 से 03 :16 तक
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Episode : 60 | कबीर साहेब जी द्वारा तैमूरलंग को 7 पीढ़ी का राज देना | San...
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*🌼बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌼*
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23/10/24
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🥀🌺🌼🌸🌺🌼🌸🌺🥀
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1🍀भक्ति से भगवान तक
चार मुक्ति जहाँ चम्पी करती, माया हो रही दासी।
दास गरीब अभय पद परसै, मिले राम अविनाशी।।
सनातन परम धाम में परम शान्ति तथा अत्यधिक सुख है। काल ब्रह्म के लोक चार मुक्ति मानी जाती है, परंतु वे स्थाई नहीं हैं। कुछ समय उपरांत पुण्य समाप्त होते ही फिर 84 लाख प्रकार की योनियों में कष्ट उठाता है। परंतु उस सत्यलोक में चारों मुक्ति वाला सुख सदा बना रहेगा। माया आपकी नौकरानी बनकर रहेगी।
2🍀शास्त्रानुकूल भक्ति से भगवान तक
पूर्ण मोक्ष के लिए शास्त्रानुकूल भक्ति करनी चाहिए जिससे उस भगवान तक जाया जा सकता है।
संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में शास्त्रानुकूल भक्ति बता रहे हैं जिससे साधक का मोक्ष हो जाता है।
3🍀सतभक्ति से भगवान तक
सतगुरू मिलैं तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदे समाना।
चल हंसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
यदि तत्वदर्शी संत सतगुरू मिलें तो तत्वज्ञान बताकर काल ब्रह्म के लोक की सर्व वस्तुओं से तथा पदों से इच्छा समाप्त करके शास्त्रविधि अनुसार साधना बताकर परमेश्वर के उस परम पद क�� प्राप्ति करा देता है जहाँ जाने के पश्चात् फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते। हे भक्त! चल तुझे उस लोक में भेज दूँ जो आदि अमर अस्थान है अर्थात गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में वर्णित सनातन परम धाम है जहाँ पर परम शांति है।
4🍀भक्ति से भगवान तक
केवल परम अक्षर ब्रह्म ही अविनाशी राम अर्थात प्रभु है। इस परमेश्वर की भक्ति से ही परमशांति तथा सनातन परम धाम अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा जहाँ पर चार मुक्ति का सुख सदा रहेगा।
5🍀 शास्त्रविधि अनुसार भक्ति से भगवान
सूक्ष्मवेद में कहा है किः-
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
सर्व सुख-सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का By Product होता है।
सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, धन का अभाव नहीं रहता।
6🍀 ऐसे मिलेगा भगवान
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त, संत प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
यह रहस्य तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने ही बताया है।
7🍀परमेश्वर (परम अक्षर ब्रह्म) को कैसे प्राप्त करेंगे?
परमेश्वर प्राप्ति के लिए नाम का जाप करना होता है।
सूक्ष्मवेद में लिखा है:-
कबीर, कलयुग में जीवन थोड़ा है, कीजे बेग सम्भार।
योग साधना बने नहीं, केवल नाम आधार।।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
8🍀 ऐसे मिलेगा भगवान
कलयुग केवल नाम आधारा, सुमर-सुमर नर उतरे पारा। (रामायण)
पूर्व के युगों में मानव की आयु लम्बी होती थी। ऋषि व साधक हठयोग करके हजारों वर्षों तक तप साधना करते रहते थे। अब कलयुग में मनुष्य
की औसतन आयु लगभग 75-80 वर्ष रह गई है। इतने कम समय में ��ठयोग साधना नहीं कर सकोगे। इसलिए अतिशीघ्र पूर्ण गुरू जी से दीक्षा लेकर अपने जीवन का शेष समय संभाल लें। भक्ति करके इसका सदुपयोग कर लो।
-संत रामपाल जी महाराज
9🍀भक्ति से भगवान तक कैसे पहुँचेंगे?
कबीर, नाम लिय तिन सब लिया सकल बेद का भेद।
बिन नाम नरकै पड़ा, पढ़कर चारों वेद।।
यदि कोई व्यक्ति चारों वेदों को पढ़ता रहा और नाम जाप किया नहीं तो वह भक्ति की शक्ति से रहित होकर नरक में गिरेगा और जिसने विधिवत दीक्षा लेकर नाम का जाप किया तो समझ लो उसने सर्व वेदों का रहस्य जान लिया।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज शास्त्र प्रमाणित मंत्र देते हैं जिससे मोक्ष के साथ यहां भी सर्व सुख मिलते हैं।
10🍀 भक्ति से भगवान तक पहुँचने के लिए मध्यस्थ की आवश्यकता पड़ती है, जिसे मार्गदर्शक या गुरू, सतगुरू कहते हैं।
परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई लाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
11🍀 पूरे गुरू की क्या पहचान है?
सूक्ष्मवेद में गुरू के लक्षण बताए हैं:-
गरीब, सतगुरू के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद छः शास्त्र, कह अठारह बोध।।
सन्त गरीबदास जी ने गुरू की पहचान बताई है कि जो सच्चा गुरू अर्थात सतगुरू होगा, वह ऐसा ज्ञान बताता है कि उसके वचन आत्मा को आनन्दित कर देते हैं, बहुत मधुर लगते हैं क्योंकि वे सत्य पर आधारित होते हैं। कारण है कि सतगुरू चार वेदों तथा सर्व शास्त्रों का ज्ञान विस्तार से कहता है।
वह पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
12🍀 कैसे होगी भगवान प्राप्ति?
सामवेद मंत्र संख्या 822 के अनुसार, तीन मंत्रों के जाप से परमात्मा की प्राप्ति होती है जिसका संकेत पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में "ॐ, तत्, सत्" के रूप में किया गया है। जिन्हें वर्तमान में केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान किया जाता है।
13🍀ऐसे मिलेगा भगवान
कुरआन मजीद, सूरः अश् शूरा-42 आयत नं. 2 में अैन, सीन, काफ, गीता अध्याय 17 श्लोक 23 के ओम्, तत्, सत् वाले ही सांकेतिक मंत्र (कलमा) हैं। इस तीन मंत्र के जाप से सब पाप नाश हो जाते हैं। कर्म का दंड समाप्त हो जाता है और पूर्ण ��रमात्मा (कादिर अल्लाह) की प्राप्ति होती है।
14🍀ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 और यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की तलाश करनी चाहिए। जिनके द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति से साधक को ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 49 मंत्र 1 में वर्णित सुख और मोक्ष के साथ-साथ परमात्मा की प्राप्ति होती है।
15🍀कैसे मिलेगा भगवान?
ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मंत्र 3, अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7 के मुताबिक, सनातन परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) जी हैं। जिन्होंने सर्व ब्रह्मांडों की रचना की है। जिनकी प्राप्ति यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार तत्वदर्शी संत द्वारा बताई सतभक्ति से ही संभव है।
16🍀गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा गया है कि उत्तम पुरुष यानि पूर्ण परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है। उस परमात्मा को प्राप्त करने की विधि क्या है? जानने के लिए देखिए
17🍀ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 व अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाने के पश्चात् गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में वर्णित उस परमेश्वर के परम पद को भलीभाँति खोजना चाहिए जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है। अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की प्राप्ति तत्वदर्शी संत के द्वारा बताई भक्ति से ही संभव है।
18🍀ऐसे मिलेगा भगवान
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 86 मंत्र 26-27 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) जी हैं। जिनकी प्राप्ति पूर्ण संत द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से ही हो सकती है।
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🍀भक्ति से भगवान तक
चार मुक्ति जहाँ चम्पी करती, माया हो रही दासी।
दास गरीब अभय पद परसै, मिले राम अविनाशी।।
सनातन परम धाम में परम शान्ति तथा अत्यधिक सुख है। काल ब्रह्म के लोक चार मुक्ति मानी जाती है, परंतु वे स्थाई नहीं हैं। कुछ समय उपरांत पुण्य समाप्त होते ही फिर 84 लाख प्रकार की योनियों में कष्ट उठाता है। परंतु उस सत्यलोक में चारों मुक्ति वाला सुख सदा बना रहेगा। माया आपकी नौकरानी बनकर रहेगी।
🍀शास्त्रानुकूल भक्ति से भगवान तक
पूर्ण मोक्ष के लिए शास्त्रानुकूल भक्ति करनी चाहिए जिससे उस भगवान तक जाया जा सकता है।
संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में शास्त्रानुकूल भक्ति बता रहे हैं जिससे साधक का मोक्ष हो जाता है।
🍀सतभक्ति से भगवान तक
सतगुरू मिलैं तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदे समाना।
चल हंसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
यदि तत्वदर्शी संत सतगुरू मिलें तो तत्वज्ञान बताकर काल ब्रह्म के लोक की सर्व वस्तुओं से तथा पदों से इच्छा समाप्त करके शास्त्रविधि अनुसार साधना बताकर परमेश्वर के उस परम पद की प्राप्ति करा देता है जहाँ जाने के पश्चात् फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते। हे भक्त! चल तुझे उस लोक में भेज दूँ जो आदि अमर अस्थान है अर्थात गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में वर्णित सनातन परम धाम है जहाँ पर परम शांति है।
🍀भक्ति से भगवान तक
केवल परम अक्षर ब्रह्म ही अविनाशी राम अर्थात प्रभु है। इस परमेश्वर की भक्ति से ही परमशांति तथा सनातन परम धाम अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा जहाँ पर चार मुक्ति का सुख सदा रहेगा।
🍀 शास्त्रविधि अनुसार भक्ति से भगवान
सूक्ष्मवेद में कहा है किः-
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
सर्व सुख-सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का By Product होता है।
सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, धन का अभाव नहीं रहता।
🍀 ऐसे मिलेगा भगवान
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त, संत प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
यह रहस्य तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने ही बताया है।
🍀परमेश्वर (परम अक्षर ब्रह्म) को कैसे प्राप्त करेंगे?
परमेश्वर प्राप्ति के लिए नाम का जाप करना होता है।
सूक्ष्मवेद में लिखा है:-
कबीर, कलयुग में जीवन थोड़ा है, कीजे बेग सम्भार।
योग साधना बने नहीं, केवल नाम आधार।।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
🍀 ऐसे मिलेगा भगवान
कलयुग केवल नाम आधारा, सुमर-सुमर नर उतरे पारा। (रामायण)
पूर्व के युगों में मानव की आयु लम्बी होती थी। ऋषि व साधक हठयोग करके हजारों वर्षों तक तप साधना करते रहते थे। अब कलयुग में मनुष्य
की औसतन आयु लगभग 75-80 वर्ष रह गई है। इतने कम समय में हठयोग साधना नहीं कर सकोगे। इसलिए अतिशीघ्र पूर्ण गुरू जी से दीक्षा लेकर अपने जीवन का शेष समय संभाल लें। भक्ति करके इसका सदुपयोग कर लो।
-संत रामपाल जी महाराज
🍀भक्ति से भगवान तक कैसे पहुँचेंगे?
कबीर, नाम लिय तिन सब लिया सकल बेद का भेद।
बिन नाम नरकै पड़ा, पढ़कर चारों वेद।।
यदि कोई व्यक्ति चारों वेदों को पढ़ता रहा और नाम जाप किया नहीं तो वह भक्ति की शक्ति से रहित होकर नरक में गिरेगा और जिसने विधिवत दीक्षा लेकर नाम का जाप किया तो समझ लो उसने सर्व वेदों का रहस्य जान लिया।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज शास्त्र प्रमाणित मंत्र देते हैं जिससे मोक्ष के साथ यहां भी सर्व सुख मिलते हैं।
🍀 भक्ति से भगवान तक पहुँचने के लिए मध्यस्थ की आवश्यकता पड़ती है, जिसे मार्गदर्शक या गुरू, सतगुरू कहते हैं।
परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई लाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
🍀 पूरे गुरू की क्या पहचान है?
सूक्ष्मवेद में गुरू के लक्षण बताए हैं:-
गरीब, सतगुरू के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद छः शास्त्र, कह अठारह बोध।।
सन्त गरीबदास जी ने गुरू की पहचान बताई है कि जो सच्चा गुरू अर्थात सतगुरू होगा, वह ऐसा ज्ञान बताता है कि उसके वचन आत्मा को आनन्दित कर देते हैं, बहुत मधुर लगते हैं क्योंकि वे सत्य पर आधारित होते हैं। कारण है कि सतगुरू चार वेदों तथा सर्व शास्त्रों का ज्ञान विस्तार से कहता है।
वह पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
🍀 कैसे होगी भगवान प्राप्ति?
सामवेद मंत्र संख्या 822 के अनुसार, तीन मंत्रों के जाप से परमात्मा की प्राप्ति होती है जिसका संकेत पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में "ॐ, तत्, सत्" के रूप में किया गया है। जिन्हें वर्तमान में केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान किया जाता है।
🍀ऐसे मिलेगा भगवान
कुरआन मजीद, सूरः अश् शूरा-42 आयत नं. 2 में अैन, सीन, काफ, गीता अध्याय 17 श्लोक 23 के ओम्, तत्, सत् वाले ही सांकेतिक मंत्र (कलमा) हैं। इस तीन मंत्र के जाप से सब पाप नाश हो जाते हैं। कर्म का दंड समाप्त हो जाता है और पूर्ण परमात्मा (कादिर अल्लाह) की प्राप्ति होती है।
🍀ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 और यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की तलाश करनी चाहिए। ज��नके द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति से साधक को ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 49 मंत्र 1 में वर्णित सुख और मोक्ष के साथ-साथ परमात्मा की प्राप्ति होती है।
🍀कैसे मिलेगा भगवान?
ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मंत्र 3, अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7 के मुताबिक, सनातन परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) जी हैं। जिन्होंने सर्व ब्रह्मांडों की रचना की है। जिनकी प्राप्ति यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार तत्वदर्शी संत द्वारा बताई सतभक्ति से ही संभव है।
🍀गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा गया है कि उत्तम पुरुष यानि पूर्ण परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है। उस परमात्मा को प्राप्त करने की विधि क्या है? जानने के लिए देखिए
🍀ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 व अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाने के पश्चात् गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में वर्णित उस परमेश्वर के परम पद को भलीभाँति खोजना चाहिए जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है। अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की प्राप्ति तत्वदर्शी संत के द्वारा बताई भक्ति से ही संभव है।
🍀ऐसे मिलेगा भगवान
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 86 मंत्र 26-27 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) जी हैं। जिनकी प्राप्ति पूर्ण संत द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से ही हो सकती है।
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*🌲बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌲*
🎈🎈
22/10/24
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🍀भक्ति से भगवान तक
चार मुक्ति जहाँ चम्पी करती, माया हो रही दासी।
दास गरीब अभय पद परसै, मिले राम अविनाशी।।
सनातन परम धाम में परम शान्ति तथा अत्यधिक सुख है। काल ब्रह्म के लोक चार मुक्ति मानी जाती है, परंतु वे स्थाई नहीं हैं। कुछ समय उपरांत पुण्य समाप्त होते ही फिर 84 लाख प्रकार की योनियों में कष्ट उठाता है। परंतु उस सत्यलोक में चारों मुक्ति वाला सुख सदा बना रहेगा। माया आपकी नौकरानी बनकर रहेगी।
🍀शास्त्रानुकूल भक्ति से भगवान तक
पूर्ण मोक्ष के लिए शास्त्रानुकूल भक्ति करनी चाहिए जिससे उस भगवान तक जाया जा सकता है।
संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में शास्त्रानुकूल भक्ति बता रहे हैं जिससे साधक का मोक्ष हो जाता है।
🍀सतभक्ति से भगवान तक
सतगुरू मिलैं तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदे समाना।
चल हंसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
यदि तत्वदर्शी संत सतगुरू मिलें तो तत्वज्ञान बताकर काल ब्रह्म के लोक की सर्व वस्तुओं से तथा पदों से इच्छा समाप्त करके शास्त्रविधि अनुसार साधना बताकर परमेश्वर के उस परम पद की प्राप्ति करा देता है जहाँ जाने के पश्चात् फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते। हे भक्त! चल तुझे उस लोक में भेज दूँ जो आदि ��मर अस्थान है अर्थात गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में वर्णित सनातन परम धाम है जहाँ पर परम शांति है।
🍀भक्ति से भगवान तक
केवल परम अक्षर ब्रह्म ही अविनाशी राम अर्थात प्रभु है। इस परमेश्वर की भक्ति से ही परमशांति तथा सनातन परम धाम अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा जहाँ पर चार मुक्ति का सुख सदा रहेगा।
🍀 शास्त्रविधि अनुसार भक्ति से भगवान
सूक्ष्मवेद में कहा है किः-
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
सर्व सुख-सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का By Product होता है।
सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, धन का अभाव नहीं रहता।
🍀 ऐसे मिलेगा भगवान
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त, संत प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
यह रहस्य तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने ही बताया है।
🍀परमेश्वर (परम अक्षर ब्रह्म) को कैसे प्राप्त करेंगे?
परमेश्वर प्राप्ति के लिए नाम का जाप करना होता है।
सूक्ष्मवेद में लिखा है:-
कबीर, कलयुग में जीवन थोड़ा है, कीजे बेग सम्भार।
योग साधना बने नहीं, केवल नाम आधार।।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
🍀 ऐसे मिलेगा भगवान
कलयुग केवल नाम आधारा, सुमर-सुमर नर उतरे पारा। (रामायण)
पूर्व के युगों में मानव की आयु लम्बी होती थी। ऋषि व साधक हठयोग करके हजारों वर्षों तक तप साधना करते रहते थे। अब कलयुग में मनुष्य
की औसतन आयु लगभग 75-80 वर्ष रह गई है। इतने कम समय में हठयोग साधना नहीं कर सकोगे। इसलिए अतिशीघ्र पूर्ण गुरू जी से दीक्षा लेकर अपने जीवन का शेष समय संभाल लें। भक्ति करके इसका सदुपयोग कर लो।
-संत रामपाल जी महाराज
🍀भक्ति से भगवान तक कैसे पहुँचेंगे?
कबीर, नाम लिय तिन सब लिया सकल बेद का भेद।
बिन नाम नरकै पड़ा, पढ़कर चारों वेद।।
यदि कोई व्यक्ति चारों वेदों को पढ़ता रहा और नाम जाप किया नहीं तो वह भक्ति की शक्ति से रहित होकर नरक में गिरेगा और जिसने विधिवत दीक्षा लेकर नाम का जाप किया तो समझ लो उसने सर्व वेदों का रहस्य जान लिया।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज शास्त्र प्रमाणित मंत्र देते हैं जिससे मोक्ष के साथ यहां भी सर्व सुख मिलते हैं।
🍀 भक्ति से भगवान तक पहुँचने के लिए मध्यस्थ की आवश्यकता पड़ती है, जिसे मार्गदर्शक या गुरू, सतगुरू कहते हैं।
परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई लाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
🍀 पूरे गुरू की क्या पहचान है?
सूक्ष्मवेद में गुरू के लक्षण बताए हैं:-
गरीब, सतगुरू के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद छः शास्त्र, कह अठारह बोध।।
सन्त गरीबदास जी ने गुरू की पहचान बताई है कि जो सच्चा गुरू अर्थात सतगुरू होगा, वह ऐसा ज्ञान बताता है कि उसके वचन आत्मा को आनन्दित कर देते हैं, बहुत मधुर लगते हैं क्योंकि वे सत्य पर आधारित होते हैं। कारण है कि सतगुरू चार वेदों तथा सर्व शास्त्रों का ज्ञान विस्तार से कहता है।
वह पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
🍀 कैसे होगी भगवान प्राप्ति?
सामवेद मंत्र संख्या 822 के अनुसार, तीन मंत्रों के जाप से परमात्मा की प्राप्ति होती है जिसका संकेत पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में "ॐ, तत्, सत्" के रूप में किया गया है। जिन्हें वर्तमान में केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान किया जाता है।
🍀ऐसे मिलेगा भगवान
कुरआन मजीद, सूरः अश् शूरा-42 आयत नं. 2 में अैन, सीन, काफ, गीता अध्याय 17 श्लोक 23 के ओम्, तत्, सत् वाले ही सांकेतिक मंत्र (कलमा) हैं। इस तीन मंत्र के जाप से सब पाप नाश हो जाते हैं। कर्म का दंड समाप्त हो जाता है और पूर्ण परमात्मा (कादिर अल्लाह) की प्राप्ति होती है।
🍀ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 और यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की तलाश करनी चाहिए। जिनके द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति से साधक को ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 49 मंत्र 1 में वर्णित सुख और मोक्ष के साथ-साथ परमात्मा की प्राप्ति होती है।
🍀कैसे मिलेगा भगवान?
ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मंत्र 3, अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7 के मुताबिक, सनातन परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) जी हैं। जिन्होंने सर्व ब्रह्मांडों की रचना की है। जिनकी प्राप्ति यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार तत्वदर्शी संत द्वारा बताई सतभक्ति से ही संभव है।
🍀गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा गया है कि उत्तम पुरुष यानि पूर्ण परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है। उस परमात्मा को प्राप्त करने की विधि क्या है? जानने के लिए देखिए
🍀ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 व अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाने के पश्चात् गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में वर्णित उस परमेश्वर के परम पद को भलीभाँति खोजना चाहिए जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है। अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की प्राप्ति तत्वदर्शी संत के द्वारा बताई भक्ति से ही संभव है।
🍀ऐसे मिलेगा भगवान
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 86 मंत्र 26-27 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) जी हैं। जिनकी प्राप्ति पूर्ण संत द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से ही हो सकती है।
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कर्म और मोक्ष की यात्रा
शनि देव, राहु और केतु: जीवन में उनके कर्म संबंध और आत्मज्ञान की यात्रा
वेदिक ज्योतिष में, शनि देव, राहु और केतु का मानव जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव है।
ये तीनों ग्रह हमारे कर्मों को प्रभावित करते हैं और हमें आत्मज्ञान की ओर ले जाने का कार्य करते हैं।
शनि देव :- कर्म के न्यायाधीश
शनि देव को न्याय का प्रतीक माना जाता है। वे हमारे पिछले कर्मों के आधार पर हमें सुख और दुख प्रदान करते हैं।
शनि का प्रभाव हमें धैर्य, अनुशासन और मेहनत की सीख देता है। उनका उद्देश्य हमारे कर्मों का हिसाब लेना और हमें सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है।
राहु :- माया का प्रतीक
राहु, भ्रम और इच्छाओं का प्रतीक है। राहु हमें भौतिक सुख-सुविधाओं में उलझा देता है और हमें जीवन की माया में फंसा देता है।
हालांकि राहु हमें धन, शक्ति और सफलता दिला सकता है, अंततः वह हमें आंतरिक संतोष से वंचित करता है। राहु का कर्मिक उद्देश्य है हमें माया से गुजरने और आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करना।
केतु :- आत्मज्ञान का मार्गदर्शक
केतु, राहु का विपरीत ध्रुव है। यह त्याग, म��क्ष और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
जहां राहु हमें भौतिकता में फंसाता है, वहीं केतु हमें आंतरिक शांति और आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाता है। केतु का प्रभाव हमें अहंकार से मुक्त करके हमारे वास्तविक आत्म को पहचानने में मदद करता है।
कर्म और मोक्ष की यात्रा
शनि, राहु और केतु मिलकर हमारे कर्म और मोक्ष की यात्रा को संतुलित करते हैं। शनि हमें हमारे कर्मों का सामना कराते हैं, राहु हमें भौतिक इच्छाओं में उलझाते हैं, और केतु हमें उनसे मुक्त कराते हैं।
इन तीनों ग्रहों का अंतिम उद्देश्य हमें मोक्ष यानी आत्मज्ञान की प्राप्ति की ओर ले जाना है।इस ग्रहों के सामंजस्य से हमें अपने जीवन के उद्देश्य और मोक्ष की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
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अष्टलक्ष्मी मंत्र जाप से होगी धन वर्षा
अष्टलक्ष्मी मंत्र: देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों का महत्त्व
हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को समृद्धि, धन, सुख, और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। अष्टलक्ष्मी उन आठ स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो विभिन्न प्रकार की समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। अष्टलक्ष्मी मंत्र का जप न केवल आर्थिक समृद्धि के लिए, बल्कि मानसिक शांति और समृद्धि के लिए भी अत्यंत प्रभावी है।
अष्टलक्ष्मी के स्वरूप:- अष्टलक्ष्मी का अर्थ है "आठ देवी लक्ष्मी,"
जो निम्नलिखित हैं: 1. धन लक्ष्मी: धन और ऐश्वर्य की देवी।
2. ध्यान लक्ष्मी: ध्यान और समर्पण की देवी।
3. वीर लक्ष्मी: साहस और बल की देवी।
4. सिद्धि लक्ष्मी: ज्ञान और सफलता की देवी।
5. श्री लक्ष्मी: सामर्थ्य और यश की देवी।
6. राज लक्ष्मी: शासन और सत्ता की देवी।
7. जल लक्ष्मी: जल से संबंधित समृद्धि की देवी।
8. संपत्ति लक्ष्मी: भौतिक संपत्ति की देवी। इन देवियों की उपासना करने से व्यक्ति को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
*अष्टलक्ष्मी मंत्र* अष्टलक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की समृद्धि, धन, और मानसिक शांति मिलती है। इस मंत्र का सही उच्चारण और विधि का पालन करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
यहाँ पर अष्टलक्ष्मी मंत्र प्रस्तुत है: **ॐ ह्लीं श्रीं अष्टलक्ष्म्यै नमः।**
इस मंत्र का अर्थ है कि हम अष्टलक्ष्मी को साक्षात् अपने जीवन में आमंत्रित करते हैं, ताकि वे हमें समृद्धि और वैभव से भर दें।
मंत्र जाप की विधि:-
1. **स्थान का चयन**: पूजा के लिए एक पवित्र स्थान का चयन करें।
2. **स्वच्छता**: स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
3. **पूजा सामग्री**: चावल, फूल, दीपक, अगरबत्ती, और फल इत्यादि इकट्ठा करें।
4. **मंडल बनाना**: पूजा स्थान पर चावल से मंडल बनाएं और अष्टलक्ष्मी की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
5. **मंत्र का जाप**: ध्यानपूर्वक और श्रद्धा के साथ मंत्र का जाप करें। मंत्र का महत्व :- अष्टलक्ष्मी मंत्र का महत्व सिर्फ धन और समृद्धि में नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के मन को भी शांति और स्थिरता प्रदान करता है। इसका नियमित जाप करने से व्यक्ति में धैर्य, साहस, और सकारात्मक सोच का विकास होता है।
1. **धन की वृद्धि**: यह मंत्र धन की कमी को दूर करता है और आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाता है।
2. **सकारात्मकता**: मंत्र का जाप घर में सकारात्मकता का संचार करता है।
3. **सफलता की प्राप्ति**: जीवन में आने वाली बाधाओं को पार करने में मदद करता है। 4. **आध्यात्मिक विकास**: यह व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
अष्टलक्ष्मी की पूजा का महत्व: अष्टलक्ष्मी की पूजा का महत्व विशेष रूप से त्योहारों के दौरान बढ़ जाता है। विशेषकर दीवाली के समय, जब लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, तब अष्टलक्ष्मी मंत्र का जाप करके अपने घर में लक्ष्मी का वास सुनिश्चित किया जा सकता है।
पूजा के समय की विशेषताएँ: - **शुभ मुहूर्त**: पूजा का समय हमेशा शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। -
**विशेष सामग्री**: पूजा में तुलसी, चावल, और फल का विशेष महत्व है। -
**दीप जलाना**: पूजा के समय दीप जलाना अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंधकार को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
अष्टलक्ष्मी के लाभ:
1. **धन लाभ**: इस मंत्र का जप करने से धन की प्राप्यता में वृद्धि होती है।
2. **सुख-शांति**: मानसिक तनाव कम होता है और व्यक्ति में स्थिरता आती है।
3. **समाज में प्रतिष्ठा**: व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान प्राप्त होता है।
4. **व्यापार में लाभ**: व्यापारी वर्ग के लिए यह मंत्र अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होता है।
निष्कर्ष: अष्टलक्ष्मी मंत्र का जाप एक आध्यात्मिक साधन है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इस मंत्र का नियमित उच्चारण करने से न केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। इस मंत्र के माध्यम से आप न केवल देवी अष्टलक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन को एक नई दिशा भी दे सकते हैं।
उपसंहार: अंत में, यह कहना उचित होगा कि अष्टलक्ष्मी मंत्र एक दिव्य साधन है, जो सभी प्रकार की समृद्धि, धन, और मानसिक शांति प्रदान करता है। इस मंत्र का ��ाप करते समय मन में श्रद्धा और विश्वास होना आवश्यक है, जिससे देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके।
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विजया एकादशी क्या है पारस जी से जाने?
हर महीने में दो बार एकादशी व्रत किया जाता है और इस तरह एक साल में 24 एकादशी व्रत किए जाते हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते ��ैं। यदि आप चाहते हैं कि आपको किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त हो तो इसके लिए विजया एकादशी का व्रत रखें। इस व्रत को रखने से और भगवान विष्णु की पूजा करने से आपको जीवन में अवश्य सफलता मिलती है। इसी कड़ी में आइये जानते हैं कब है विजया एकादशी का व्रत और क्या है इस व्रत का महत्व ?
कब है विजया एकादशी 2024 ?
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है। उदयातिथि के आधार पर विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च बुधवार को है। क्योंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 6 मार्च को होगा इसलिए यह व्रत इसी दिन किया जायेगा। यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री राम ने रावण से युद्ध करने से पहले विजया एकादशी का व्रत रखा था, जिसके प्रभाव से उन्होंने रावण का वध किया था इसलिए इस दिन व्रत रखना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
विजया एकादशी व्रत की पूजा विधि
विजया एकादशी के दिन सबसे पहले सवेरे उठकर स्नान आदि करें और फिर सच्चे मन से भगवान विष्णु का नाम लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फिर भगवान को अक्षत, फल, पुष्प, चंदन, मिठाई, रोली, मोली आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल जरूर अर्पित करें क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी अत्यधिक प्रिय है। श्रद्धा-भाव से पूजा कर अंत में भगवान विष्णु की आरती करने के बाद सबको प्रसाद ��ांटें।
इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी शुभ होता है क्योंकि इस पाठ को करने से लक्ष्मी जी आपके घर में वास करती हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि विजया एकादशी के शुभ दिन किसी गोशाला में गायों के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार धन का दान करें। विजया एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। गरीबों व जरूरतमंदों को अन्न , वस्त्र, दक्षिणा आदि दान करें।
विजया एकादशी पारण
विजया एकादशी व्रत के दूसरे दिन पारण किया जाता है। एकादशी व्रत में दूसरे दिन विधि-विधान से व्रत को पूर्ण किया जाता है। विजया एकादशी व्रत का पारण 7 मार्च, गुरुवार को किया जाएगा। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस व्रत का पारण करने से पहले आप ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करायें और साथ ही अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद को दान करें और इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।
विजया एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है। साल में जो 24 एकादशी आती हैं, हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति की मुश्किलें दूर होती हैं और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। महंत श्री पारस भाई जी का कहना है कि भगवान विष्णु के आशीर्वाद से पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विजया एकादशी जिसके नाम से ही पता चलता है कि इस एकादशी के प्रभाव से आपको विजय की प्राप्ति होती है। यानि विजय प्राप्ति के लिए इस दिन श्रीहरि की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है उस मनुष्य के पितृ स्वर्ग लोक में जाते हैं।
पूजा के समय इस मंत्र का जाप करें- कृं कृष्णाय नम:, ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:। महंत श्री पारस भाई जी ने इस व्रत के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी इस व्रत का वर्णन मिलता है। विजया एकादशी का व्रत भी बाकी एकादशियों की तरह बहुत ही कल्याणकारी है।
महंत श्री पारस भाई जी आगे कहते हैं कि यदि आप शत्रुओं से घिरे हो और कैसी भी विकट परिस्थिति क्यों न हो, तब विजया एकादशी के व्रत से आपकी जीत निश्चित है।
इस दिन ये उपाय होते हैं बहुत ख़ास
तुलसी की पूजा विजया एकादशी के दिन तुलसी पूजा को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। इस तुलसी के पौधे को जल अर्पित कर दीपक जलाएं। इसके अलावा तुलसी का प्रसाद भी ग्रहण करें। ऐसा करने से घर से दुःख दूर होते हैं और घर में खुशालीआती है ।
शंख की पूजा
विजया एकादशी के दिन तुलसी पूजा की तरह शंख पूजा का भी अत्यधिक महत्व है। इस दिन शंख को तिलक लगाने के बाद शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक कर शंख बजाएं। शंख से ��भिषेक कर बजाना भी फलदायी माना जाता है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पीला चंदन प्रयोग करें
महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि विजया एकादशी के दिन पीले चंदन का अत्यंत महत्व होता है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को और स्वयं भी पीले चंदन का टीका अवश्य लगाएं। पीले चंदन का टीका लगाने से आपको कभी असफलता नहीं मिलेगी और आपकी सदैव जीत होगी।
ॐ श्री विष्णवे नम: “पारस परिवार” की ओर से विजया एकादशी 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं !!!
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श्रावण मास में शिव जलाभिषेक का कारण
श्रावण मास में शिव जलाभिषेक का कारण
इतिहास महत्व और करने योग्य उपाय
पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब समुद्र मंथन से हलाहल धरती पर प्रकट हुआ था और समस्त मानव और अन्य जीव जंतुओं के प्राणों पर संकट घिर आया था तब देवों के देव, महादेव ने सम्पूर्ण सृष्टि को जीवनदान दिया था। उन्होंने हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया था। कहा जाता है की यह घटना सावन के महीने में घटित हुई थी। महादेव के विष पान से उनका शरीर गर्म हो गया था और उन्हें परेशानी हो रही थी। अपने प्रभु को परेशानी में देख समस्त देवताओं ने महादेव पर जल अर्पित किया था और इंद्र देव ने ज़ोरों की वर्षा की थी। तब से यह चलन बन गया और हर वर्ष सावन के महीने में भगवान शिव के शरीर में विष की गर्मी से उत्पन्न हुई ज्वाला को शांत करने के लिए भक्तगण अपने भोलेनाथ पर जलाभिषेक करते हैं।
सावन का पावन महीना अर्थात् शिव की भक्ति व मनचाहा वरदान पाने का सर्वोत्तम समय है। कैलाशपति शिव जी को कंठ में विष होने के कारण शीतलता अत्यन्त प्रिय है, जिससे उन्हें राहत मिलती है। हरियाली और शीतलता होने के कारण भोलेनाथ को सावन का माह अत्यधिक प्रिय है। अब सावन है तो बारिश होना स्वाभाविक है। वर्षा का जल शुद्ध और ताज़ा होता है, इसलिए वर्षा जल से अभिषेक करने का फल भी अधिक है। हम बताने जा रहे हैं दिनों के अनुसार किसका अभिषेक करने से आपकी इच्छा शीघ्र और सरलता से पूरी हो जाएगी।
रविवार- शत्रुओं पर विजय
सूर्य देव को समर्पित रविवार के दिन सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर वर्षा जल से अर्घ्य दें और श्रीआदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करें। इस उपाय से आपको आपके शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी और आपके घर में सकारात्मकता का संचार होगा।
सोमवार- हर मनोकामना पूर्ण
चंद्र देव को समर्पित दिन सोमवार को शिवलिंग पर द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति पढ़ते हुए अभिषेक करने से सच्चे मन से की गई हर प्रार्थना भोलेनाथ पूर्ण करते हैं और मन व परिवार में सुख-शांति का संचार होता है।
मंगलवार- रोग व कष्टों का नाश
मंगलवार को शिवलिंग या हनुमान जी पर शुद्ध तन व पवित्र मन से “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय नम:” ��ोलते हुए अभिषेक करने से व्यक्ति के समस्त कष्टों का नाश होता है तथा उसके असाध्य रोग भी समाप्त हो जाते हैं।
बुधवार- सद् बुद्धि एवं शादी-विवाह हेतु
बुद्धि में वृद्धि हेतु या शादी-विवाह में आ रही अड़चन को दूर करने के लिए बुधवार को प्रथम पूज्य गणेश जी का “ॐ गं गणपतये नम:” मंत्र केसाथ अभिषेक करने से शीघ्र लाभ मिलता है। परीक्षा की तैयारी करनी हो या विवाह हेतु अच्छे रिश्ते की कामना हो, गणपति की कृपा से सब निर्विघ्न हो जाता है।
गुरुवार- सुख-समृद्धि की प्राप्ति
बृहस्पति देव को समर्पित दिन गुरुवार या एकादशी को वर्षा जल से श्री विष्णु जी का अभिषेक करना चाहिए और श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिये। जिससे श्री हरि प्रसन्न होकर व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
शुक्रवार- धन-धान्य की वर्षा
सावन में शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी का भाव पूर्वक लक्ष्मी मंत्र के साथ अभिषेक करने उनकी कृपा से आपके पास शीघ्र ही धन लक्ष्मी का शुभागमन होता है। अभिषेक करने वाले भक्त के ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा से धन की वर्षा होती है।
शनिवार- वाद-विवाद में सफलता
कर्मफल दाता शनिदेव को समर्पित शनिवार के दिन प्रात: पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने व महादेव का अभिषेक और शाम को शनिदेव का तेल और वर्षा जल से अभिषेक करने से क़ानूनी मामलों, वाद-विवाद व नौकरी में सफलता मिलती है। रुके हुए काम बनने शुरू हो जाते हैं। पीपल पर जल चढ़ाते समय “ॐ नमो भगवते शनैश्चराय” मंत्र का ग्यारह बार जप करना चाहिए।
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माँ बगलामुखी: अद्भुत शक्ति और उपासना के रहस्य Maa Baglamukhi: The Divine Power and Mysteries of Worship
माँ बगलामुखी कौन हैं? Who is Maa Baglamukhi? माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें ब्रह्मास्त्र स्वरूपा और सभी संकटों का निवारण करने वाली देवी माना जाता है। माँ बगलामुखी को शत्रुनाशिनी और वाणी, बुद्धि, तथा कर्म को स्थिर करने वाली देवी कहा जाता है। वे जीवन में विजय, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। Maa Baglamukhi is one of the ten Mahavidyas and is revered as a goddess of final energy and victory. She is likewise referred to as the "Stambhana Devi," the one who paralyzes enemies, stabilizes mind, and brings achievement, peace, and prosperity in existence.
माँ बगलामुखी की पूजा और अनुष्ठान Baglamukhi Puja and Rituals बगलामुखी हवन (Baglamukhi Havan): हवन के द्वारा नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह शत्रुओं को शांत करने और समस्याओं से छुटकारा पाने का एक प्रभावी माध्यम है। Benefits of Baglamukhi Havan: Removes terrible energies, provides protection, and pacifies enemies. बगलामुखी अनुष्ठान (Baglamukhi Anusthan): यह अनुष्ठान विशेष रूप से शत्रु नाश, न्यायालय मामलों, और बाधाओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। Baglamukhi Anusthan Benefits: Effective for courtroom instances, enemy destruction, and overcoming hurdles. बगलामुखी कवच (Baglamukhi Kavach): देवी का कवच जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बनाता है। Baglamukhi Kavach: Protects the devotee from harm and ensures prosperity. बगलामुखी मंत्र जाप (Baglamukhi Mantra Jaap): मंत्र जाप से आत्मिक शक्ति और मानसिक शांति मिलती है। Baglamukhi Mantra Jaap: Enhances spiritual energy and mental peace. बगलामुखी यंत्र पूजा (Baglamukhi Yantra Puja): माँ के यंत्र की पूजा धन, वैभव, और समृद्धि प्रदान करती है। Baglamukhi Yantra Worship: Brings wealth, abundance, and achievement.
बगलामुखी साधना के लाभ Benefits of Baglamukhi Sadhana शत्रु नाश (Enemy Destruction): माँ बगलामुखी शत्रुओं को नष्ट करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं। Overcoming Enemies: Overcoming enemies and neutralizing negative influences. न्यायालय मामलों में विजय (Court Case Victory): बगलामुखी पूजा से कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है। Baglamukhi for Court Cases: Ensures success in legal disputes. धन और समृद्धि (Wealth and Prosperity): साधना से धन की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि आती है। Attract Wealth and Prosperity: Attracts monetary growth and prosperity. कार्य और करियर में सफलता (Success in Career and Job): नौकरी और व्यवसाय में तरक्की के लिए बगलामुखी पूजा अत्यंत लाभकारी है। Career Success with Baglamukhi: Helps in attaining career growth and job stability. सुरक्षा और शांति (Protection and Peace): साधना मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करती है। Baglamukhi for Peace: Provides intellectual calmness and safety from harm.
बगलामुखी मंदिर और पूजा स्थल Baglamukhi Temples and Worship Places नलखेड़ा बगलामुखी मंदिर (Nalkheda Baglamukhi Temple): मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित यह मंदिर माँ बगलामुखी का प्रमुख तीर्थस्थल है। Nalkheda Temple: Located in Madhya Pradesh, it is a distinguished place for worship. उज्जैन बगलामुखी मंदिर (Ujjain Baglamukhi Temple): उज्जैन में स्थित यह मंदिर देवी साधना के लिए विख्यात है। Ujjain Baglamukhi Temple: Famous for powerful rituals and sadhanas.
बगलामुखी पूजा और अनुष्ठान की विधि Baglamukhi Puja and Ritual Methods पूजन सामग्री (Puja Samagri): हल्दी, चना दाल, पीले वस्त्र, फूल, दीपक, और यंत्र अनिवार्य हैं। Puja Items: Turmeric, yellow garments, flowers, and a Baglamukhi Yantra are vital. पूजा का समय (Puja Timings): बगलामुखी पूजा अमावस्या या चतुर्दशी के दिन रात में करना सर्वोत्तम है। Best Time for Puja: Best performed on Amavasya or Chaturdashi nights. पूजा विधि (Puja Vidhi): गुरु मंत्र का आह्वान करें। बगलामुखी मंत्र का जाप करें। हवन करें और यंत्र की स्थापना करें। Puja Methodology: Chant the mantra, invoke the guru, perform havan, and establish the yantra.
बगलामुखी मंत्र और जाप Baglamukhi Mantras and Chanting मूल मंत्र (Main Mantra): "ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।" Baglamukhi Main Mantra: To paralyze the speech, movements, and intelligence of enemies. 108 बार जाप (108 Times Chanting): मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। 108 Repetitions of the Mantra: Brings effective benefits and fulfillment.
बगलामुखी पूजा की कीमत और सेवाएँ Baglamukhi Puja Cost and Services पूजा शुल्क (Puja Charges): पूजा और अनुष्ठान की कीमत ₹5,000 से ₹50,000 तक हो सकती है। Puja Cost: Prices range from ₹5,000 to ₹50,000 depending on the ritual. ऑनलाइन बुकिंग (Online Booking): पूजा और अनुष्ठान ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। Online Puja Booking: Available for both online and in-person rituals. विशेषज्ञ पंडित (Specialist Pandits): अनुभवी पंडित पूजा को सही तरीके से संपन्न करते हैं। Experienced Pandits: Experienced priests perform the rituals with precision.
बगलामुखी साधना के अनुभव और महत्व Experiences and Significance अनुभव (Experiences): भक्तों का कहना है कि पूजा के बाद शत्रुओं से मुक्ति और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। Devotee Experiences: Brings freedom from enemies and major positive changes in life. महत्व (Significance): यह साधना आध्यात्मिक उन्नति और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है। Significance of Baglamukhi Sadhana: Enhances spiritual growth and confidence.
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Today's Horoscope -
10 अगस्त 2024 शनिवार : आज क्या कहते हैं आपके सितारे जाने अपना राशिफल
मेष - आज लाभ में वृद्धि होगी। व्यापार अच्छा रहेगा। नौक���ी में चैन रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होगा। बेचैनी रहेगी। चोट व रोग से बचें। व���वेक से कार्य करें। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के काम बनेंगे। अध्यात्म में रुचि बढ़ेगी। मान-सम्मान मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।
वृषभ - कोर्ट व कचहरी में लाभ की स्थिति बनेगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। पिछले लंबे समय से रुके कार्य बनेंगे। प्रसन्नता रहेगी। दूसरों से अपेक्षा न करें। घर-परिवार की चिंता रहेगी। अज्ञात भय सताएगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। व्यापार लाभदायक रहेगा। प्रयास करें।
मिथुन - भूमि-भवन संबंधित कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। निवेश शुभ रहेगा। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यापार अच्छा चलेगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। मातहतों का सहयोग मिलेगा। कर्ज की रकम चुका पाएंगे। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। आलस्य न करें।
कर्क - रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। शत्रु परास्त होंगे। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। वाणी पर संयम रखें। अनहोनी की आशंका रहेगी। पारिवारिक जीवन सुख-शांति से बीतेगा। प्रसन्नता रहेगी।
सिंह - आय बनी रहेगी। बेवजह दौड़धूप रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कोई शोक समाचार मिल सकता है। अपेक्षित कार्यों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। पार्टनरों से मतभेद संभव है। व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। दूसरों को कार्य में हस्तक्षेप न करें। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं।
कन्या - आज सामाजिक कार्य करने का मन बनेगा। मेहनत का फल मिलेगा। मान-सम्मान मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। नए काम करने की इच्छा बनेगी। प्रसन्नता रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। मनोरंजन का वक्त मिलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें।
तुला - पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। मित्रों तथा पारिवारिक सदस्यों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। शत्रुओं का पराभव होगा। प्रमाद न करें।
वृश्चिक- नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। रोजगार प्राप्ति होगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा लाभदायक रहेगी। किसी बड़ी समस्या का हल निकलेगा। प्रसन्नता रहेगी। भाग्य अनुकूल है। लाभ लें। प्रमाद न करें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
धनु - कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। यात्रा में कोई चीज भूलें नहीं। फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। लापरवाही न करें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। विवेक का प्रयोग करें। लाभ होगा। लाभ में कमी रह सकती है। नौकरी में कार्यभार रहेगा। आलस्य न करें।
मकर - डू��ी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। यात्रा लाभदायक रहेगी। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। व्यवसाय में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। किसी अपने का व्यवहार दु:ख पहुंचाएगा। कानूनी समस्या हो सकती है।
कुंभ- आय में वृद्धि होगी। सुख के साधनों पर व्यय होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। योजना फलीभूत होगी। किसी बड़ी समस्या का हल एकाएक हो सकता है। प्रसन्नता रहेगी। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। प्रमाद न करें।
मीन - रुके कार्यों में गति आएगी। तंत्र-मंत्र में रुचि बढ़ेगी। कानूनी सहयोग मिलेगा। लाभ में वृद्धि होगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। शेयर मार्केट से लाभ होगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यापार में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ रहेगा। थकान महसूस हो सकती है। आलस्य हावी रहेगा।
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🌞 *~आज दिनांक -22 जुलाई 2024का वैदिक पंचांग ~* 🌞
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🌤️ *दिनांक -22 जुलाई 2024*
🌤️ *दिन - सोमवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - वर्षा ॠतु*
🌤️ *मास - श्रावण (गुजरात महाराष्ट्र अनुसार आषाढ)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - प्रतिपदा दोपहर 01:11 तक तत्पश्चात द्वितीया*
🌤️ *नक्षत्र - श्रवण रात्रि 10:21 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
🌤️ *योग - प्रीति शाम 05:58 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 07:48 से सुबह 09:27 तक*
🌤️ *सूर्योदय -06:09*
🌤️ *सूर्यास्त- 19:20*
👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण- पूर्णिमांत*
*श्रावण मास आरंभ,अशून्य शयन व्रत*
💥 *विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *श्रावणमास* 🌷
🙏🏻 *भगवान शिव का पवित्र श्रावण (सावन) मास 22 जुलाई 2024 सोमवार से शुरू हो रहा है, (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अषाढ़ मास चल रहा है वहा 05 अगस्त, सोमवार से श्रावण (सावन) मास आरंभ होगा)*
🙏🏻 *श्रावण हिन्दू धर्म का पञ्चम महीना है। श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है । भोलेनाथ ने स्वयं कहा है—*
🌷 *द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: । श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।।*
*श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:। यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।*
➡ *अर्थात मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके माहात्म्य के श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है।*
🙏🏻 *श्रावण मास में शिवजी की पूजाकी जाती है | “अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम्” श्रावण मास में अकालमृत्यु दूर कर दीर्घायु की प्राप्ति के लिए तथा सभी व्याधियों को दूर करने के लिए विशेष पूजा की जाती है। मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए श्रावण माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।*
🙏🏻 *श्रावण मास में मनुष्य को नियमपूर्वक नक्त भोजन करना चाहिए ।*
➡ *श्रावण मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व है*
🌷 *“स्वस्य यद्रोचतेऽत्यन्तं भोज्यं वा भोग्यमेव वा। सङ्कल्पय द्विजवर्याय दत्वा मासे स्वयं त्यजेत् ।।”*
🙏🏻 *श्रावण में सङ्कल्प लेकर अपनी सबसे प्रिय वस्तु (खाने का पदार्थ अथवा सुखोपभोग) का त्याग कर देना चाहिए और उसको ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।*
🌷 *“केवलं भूमिशायी तु कैलासे वा समाप्नुयात”*
🙏🏻 *श्रावण मास में भूमि पर शयन का विशेष महत्व है। ऐसा करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है।*
➡ *शिवपुराण के अनुसार श्रावण में घी का दान पुष्टिदायक है।*
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Sadhna TV Satsang || 22-10-2024 || Episode: 3064 || Sant Rampal Ji Mahar...
*🌼बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌼*
♦♦♦
22/10/24
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1🍀भक्ति से भगवान तक
चार मुक्ति जहाँ चम्पी करती, माया हो रही दासी।
दास गरीब अभय पद परसै, मिले राम अविनाशी।।
सनातन परम धाम में परम शान्ति तथा अत्यधिक सुख है। काल ब्रह्म के लोक चार मुक्ति मानी जाती है, परंतु वे स्थाई नहीं हैं। कुछ समय उपरांत पुण्य समाप्त होते ही फिर 84 लाख प्रकार की योनियों में कष्ट उठाता है। परंतु उस सत्यलोक में चारों मुक्ति वाला सुख सदा बना रहेगा। माया आपकी नौकरानी बनकर रहेगी।
2🍀शास्त्रानुकूल भक्ति से भगवान तक
पूर्ण मोक्ष के लिए शास्त्रानुकूल भक्ति करनी चाहिए जिससे उस भगवान तक जाया जा सकता है।
संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में शास्त्रानुकूल भक्ति बता रहे हैं जिससे साधक का मोक्ष हो जाता है।
3🍀सतभक्ति से भगवान तक
सतगुरू मिलैं तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदे समाना।
चल हंसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
यदि तत्वदर्शी संत सतगुरू मिलें तो तत्वज्ञान बताकर काल ब्रह्म के लोक की सर्व वस्तुओं से तथा पदों से इच्छा समाप्त करके शास्त्रविधि अनुसार साधना बताकर परमेश्वर के उस परम पद की प्राप्ति करा देता है जहाँ जाने के पश्चात् फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते। हे भक्त! चल तुझे उस लोक में भेज दूँ जो आदि अमर अस्थान है अर्थात गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में वर्णित सनातन परम धाम है जहाँ पर परम शांति है।
4🍀भक्ति से भगवान तक
केवल परम अक्षर ब्रह्म ही अविनाशी राम अर्थात प्रभु है। इस परमेश्वर की भक्ति से ही परमशांति तथा सनातन परम धाम अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा जहाँ पर चार मुक्ति का सुख सदा रहेगा।
5🍀 शास्त्रविधि अनुसार भक्ति से भगवान
सूक्ष्मवेद में कहा है किः-
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
सर्व सुख-सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का By Product होता है।
सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, धन का अभाव नहीं रहता।
6🍀 ऐसे मिलेगा भगवान
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त, संत प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
यह रहस्य तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने ही बताया है।
7🍀परमेश्वर (परम अक्षर ब्रह्म) को कैसे प्राप्त करेंगे?
परमेश्वर प्राप्ति के लिए नाम का जाप करना होता है।
सूक्ष्मवेद में लिखा है:-
कबीर, कलयुग में जीवन थोड़ा है, कीजे बेग सम्भार।
योग साधना बने नहीं, केवल नाम आधार।।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
8🍀 ऐसे मिलेगा भगवान
कलयुग केवल नाम आधारा, सुमर-सुमर नर उतरे पारा। (रामायण)
पूर्व के युगों में मानव की आयु लम्बी होती थी। ऋषि व साधक हठयोग करके हजारों वर्षों तक तप साधना करते रहते थे। अब कलयुग में मनुष्य
की औसतन आयु लगभग 75-80 वर्ष रह गई है। इतने कम समय में हठयोग साधना नहीं कर सकोगे। इसलिए अतिशीघ्र पूर्ण गुरू जी से दीक्षा लेकर अपने जीवन का शेष समय संभाल लें। भक्ति करके इसका सदुपयोग कर लो।
-संत रामपाल जी महाराज
9🍀भक्ति से भगवान तक कैसे पहुँचेंगे?
कबीर, नाम लिय तिन सब लिया सकल बेद का भेद।
बिन नाम नरकै पड़ा, पढ़कर चारों वेद।।
यदि कोई व्यक्ति चारों वेदों को पढ़ता रहा और नाम जाप किया नहीं तो वह भक्ति की शक्ति से रहित होकर नरक में गिरेगा और जिसने विधिवत दीक्षा लेकर नाम का जाप किया तो समझ लो उसने सर्व वेदों का रहस्य जान लिया।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज शास्त्र प्रमाणित मंत्र देते हैं जिससे मोक्ष के साथ यहां भी सर्व सुख मिलते हैं।
10🍀 भक्ति से भगवान तक पहुँचने के लिए मध्यस्थ की आवश्यकता पड़ती है, जिसे मार्गदर्शक या गुरू, सतगुरू कहते हैं।
परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई लाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
11🍀 पूरे गुरू की क्या पहचान है?
सूक्ष्मवेद में गुरू के लक्षण बताए हैं:-
गरीब, सतगुरू के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद छः ���ास्त्र, कह अठारह बोध।।
सन्त गरीबदास जी ने गुरू की पहचान बताई है कि जो सच्चा गुरू अर्थात सतगुरू होगा, वह ऐसा ज्ञान बताता है कि उसके वचन आत्मा को आनन्दित कर देते हैं, बहुत मधुर लगते हैं क्योंकि वे सत्य पर आधारित होते हैं। कारण है कि सतगुरू चार वेदों तथा सर्व शास्त्रों का ज्ञान विस्तार से कहता है।
वह पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
12🍀 कैसे होगी भगवान प्राप्ति?
सामवेद मंत्र संख्या 822 के अनुसार, तीन मंत्रों के जाप से परमात्मा की प्राप्ति होती है जिसका संकेत पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में "ॐ, तत्, सत्" के रूप में किया गया है। जिन्हें वर्तमान में केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान किया जाता है।
13🍀ऐसे मिलेगा भगवान
कुरआन मजीद, सूरः अश् शूरा-42 आयत नं. 2 में अैन, सीन, काफ, गीता अध्याय 17 श्लोक 23 के ओम्, तत्, सत् वाले ही सांकेतिक मंत्र (कलमा) हैं। इस तीन मंत्र के जाप से सब पाप नाश हो जाते हैं। कर्म का दंड समाप्त हो जाता है और पूर्ण परमात्मा (कादिर अल्लाह) की प्राप्ति होती है।
14🍀ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 और यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की तलाश करनी चाहिए। जिनके द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति से साधक को ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 49 मंत्र 1 में वर्णित सुख और मोक्ष के साथ-साथ परमात्मा की प्राप्ति होती है।
15🍀कैसे मिलेगा भगवान?
ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मंत्र 3, अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7 के मुताबिक, सनातन परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) जी हैं। जिन्होंने सर्व ब्रह्मांडों की रचना की है। जिनकी प्राप्ति यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार तत्वदर्शी संत द्वारा बताई सतभक्ति से ही संभव है।
16🍀गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा गया है कि उत्तम पुरुष यानि पूर्ण परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है। उस परमात्मा को प्राप्त करने की विधि क्या है? जानने के लिए देखिए
17🍀ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 व अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाने के पश्चात् गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में वर्णित उस परमेश्वर के परम पद को भलीभाँति खोजना चाहिए जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है। अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की प्राप्ति तत्वदर्शी संत के द्वारा बताई भक्ति से ही संभव है।
18🍀ऐसे मिलेगा भगवान
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 86 मंत्र 26-27 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) जी हैं। जिनकी प्राप्ति पूर्ण संत द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से ही हो सकती है।
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