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#देशभर में सांप्रदायिक दंगे
vedantbhoomi · 6 years
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यूपी सरकार के मंत्री का दावा, भाजपा करा सकती है देशभर में सांप्रदायिक दंगे नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने एक बार फिर अपने सहयोगी भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि‘ भाजपा देश में साम्प्रदायिक दंगे करा सकती है'. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजभर का यह बयान बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाला है. एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने भाजपा पर जमकर हमला बोला. उन्होंने अमेरिका की एक कथित खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा भारत में दंगे करा सकती है. राजभर यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा, 'आगामी 21 फरवरी को साधु राम मंदिर के नाम पर चिमटा बांटेंगे और भाजपा दंगा करायेगी. भाजपा के लोग वोट के लिये कुछ भी करा सकते हैं'. प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राजभर ने लोगों से कहा कि देश में हिंदुओं और मुस्लिमों को मिल जुलकर रहना चाहिये. यूपी के मंत्री बोले- हिंदू मुस्लिम दंगों में नेता क्यों नहीं मरते? अब कोई भी नेता भड़काए तो उसे ही आग लगा दो
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chaitanyabharatnews · 4 years
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अयोध्या में 5 सदी बाद बनेगा भव्य राम मंदिर, जानिए शुरू से लेकर अब तक की कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज अयोध्या. 05 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन होगा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होंगे। 5 अगस्त सुबह 8 बजे से अंतिम अनुष्ठान होगा। अयोध्या में पांच सदी के बाद अब राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। पिछले सप्ताह ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अयोध्या जाकर तैयारियों का जायजा लिया था। माना जाता है कि बाबर के दौर में अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। पिछले पांच सदी से यह विवाद था, जिसने देश की राजनीतिक दशा और दिशा को बदल दिया है। आजादी के बाद से अबतक इस विवाद ने देश की राजनीति को प्रभावित किया है। अयोध्या को लेकर देश भर में आंदोलन किए गए, कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई और सुप्रीम कोर्ट के जरिए राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। माना जाता है कि मुगल राजा बाबर 1526 में भारत आया था और उसके सेनापति मीर बाकी ने करीब 500 साल पहले 1528 में राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद ब��वाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। साल 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। दिसंबर 1949 में इस 'जन्मस्थान' पर भगवान राम और सीता माता की मूर्ति पाई गई। कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई। वहीं हिंदुओं का दावा है कि यह एक चमत्कार था और इसे सबूत के तौर पर पेश करते हैं कि यह सचमुच श्री राम का जन्मस्थान था। मुस्लिमों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया। फिर सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर यहां ताला लगवा दिया। जनवरी 1950 में हिंदू महासभा के गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई। इसी दौरान मस्जिद को 'ढांचा' के रूप में संबोधित किया गया। फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए केस दर्ज किया। वहीं, मुस्लिमों की तरफ से साल 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने केस दर्ज कर मस्जिद पर अपने मालिकाना हक का दावा किया। यह केस 50 साल से अदालतों में चक्कर लगाता रहा। फरवरी 1984 में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। साल 1989 जून में बीजेपी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया। रामलला की तरफ से वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 25 सितंबर 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिससे कि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए और ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए। फिर 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा को रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटे अयोध्या भेजी गईं। इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी। उन्होंने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया, जिसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। साल 1991 जून में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह यादव की सरकार हार गई। फिर उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया और इसी के साथ देश में दंगे शुरू हो गए। 30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए। 16 दिसंबर 1992: मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना जिसके जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस शुरू हुआ। सितंबर 1997: मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए। इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। जनवरी-फरवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मामला सुलझाने के लिए अयोध्या समिति का गठन किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। फिर विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए। 13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। अप्रैल 2002 में हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की। मार्च-अगस्त 2003: हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल के नीचे खुदाई की। इसके बाद पुरातत्वविदों ने कहा कि, मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं। मई 2003: सीबीआई ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लाल कृष्णा आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अगस्त 2003: लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव को ठुकराया। अप्रैल-जुलाई 2004: लालकृष्ण आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की और कहा, मंदिर का निर्माण तो जरूर होगा। 4 अगस्त 2005: फैजाबाद की कोर्ट ने विवादित स्थल के पास हुए हमले के आरोप में चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा। जुलाई 2006: सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। 19 मार्च 2007: राहुल गांधी ने कहा था कि, अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। 30 जून-नवंबर 2009: बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में जांच के लिए गठित गठित लिब्रहान आयोग ने 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। 26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। सितंबर 2010: हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की। लेकिन 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इसके खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई। मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझाने की बात कही। साथ ही कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के और कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया। नवंबर-दिसंबर 2017: 8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा था कि, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनना चाहिए और वहां से थोड़ा दूर हटके मस्जिद बनना चाहिए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए कोशिश की। इस मामले में उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की। 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। लेकिन उनकी यह अपील खारिज हो गई। 27 सितंबर 2018: कोर्ट ने 1994 के फैसले जिसमें यह कहा गया था कि 'मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं' को बड़ी बेंच को भेजने से इंकार कर दिया और कहा कि, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा। 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी। 1 जनवरी 2019: पीएम मोदी ने कहा था कि, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है। 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। साथ ही पैनल को 8 हफ्ते के अंदर इस मामले की कार्यवाही खत्म करने का आदेश दिया। अगस्त 2019: 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को कहा कि, मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई होना शुरू हो गई। 16 अक्टूबर : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 09 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया। इसके तहत कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को राम लला विराजमान को देने का आदेश दिया। साथ ही मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन माह के भीतर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया था।  05 फरवरी 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी ने संसद में 15 सदस्यीय श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था और तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने की मियाद तय की थी। मोदी सरकार ने ट्रस्ट को कैबिनेट की मंजूरी दिलाने के बाद बिल संसद में पेश किया। 19 फरवरी 2020 को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक हुई। महंत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष चुना गया, जबकि VHP नेता चंपत राय को महामंत्री बनाया गया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नियुक्त किए गए। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी बने। 19 जुलाई 2020 को राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक हुई, जिसमें पीएमओ को मंदिर के भूमि पूजन के लिए दो तारीखें भेजी गईं। पीएमओ के भेजे प्रस्ताव में 3 और 5 अगस्त में से किसी एक दिन पीएम मोदी को अयोध्या में भूमि पूजन के लिए आने का न्योता दिया गया। साथ ही मंदिर के डिजाइन को लेकर भी इस बैठक में अहम फैसले लिए गए। 25 जुलाई 2020 को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का दौरा कर भूमि पूजन की तैयारियों का जायजा लिया। साथ ही उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि 5 अगस्त को भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीमित संख्या में ही लोग इस भव्य आयोजन में शामिल हो सकेंगे।   Read the full article
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aapnugujarat1 · 5 years
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वांटेड आतंकी युसूफ अब्दुल वहाब गिरफ्तार
देशभर में गोधराकांड बाद जिहादी साजिश के नाम पर सॉफ्ट टारगेट युवकों को आतंकवाद में शामिल करने की साजिश में शामिल कुख्यात आतंकवादी युसूफ अब्दुल वहाब शेख को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच और एटीएस की टीम ने गिरफ्तार किया है । आतंकी संगठन को आर्थिक मदद सहित स्लीपर सेल के साथ शामिल युसूफ अब्दुल वहाब शेख सऊदी अरब के जिहादी से भारत वापस आ रहे होने की जानकारी के आधार पर सुरक्षा एजेंसी ने इसे गिरफ्तार कर लिया । अब्दुल वहाब शेख पाकिस्तान की आईएसआई, लश्कर-ए-तोयबा और जैश-ए मोहम्मद की मदद करके जिहादी साजिश करके हिन्दू नेताओं की हत्या करके बदला लेकर आतंक फैलाना था । वर्ष २००३ में ८२ लोगों के विरूद्ध अपराध दर्ज किया गया । जिसमें से १२ से ज्यादा आरोपी फरार थे, जबकि कई विदेश भागने में सफल हुए । इसके अलावा हरेन पंड्‌या, जयदीप पटेल पर हमले में शामिल था । हरेन पंड्‌या की हत्या बाद वीएचपी के जयदीप पटेल और जगदीश तिवारी को गोली मारी थी लेकिन घातक हमला होने पर भी दोनों की जान बच गई । पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, २००२ में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद कई लोगों को जिहाद के नाम पर पाकिस्तान में चलते आतंकी कैम्प में भेजने के लिए भारत में एक्टिव स्लीपर सेल द्वारा मदद की जाती थी । ऐसे सॉफ्ट टारगेट लोगों को आतंकी प्रवृत्ति तक पहुंचाने के लिए आर्थिक मदद करने वाले गुजरात के युसूफ अब्दुल वहाब शेख २००३ से सऊदी अरब फरार हो गया था । वहां वह अन्य आतंकियों के संपर्क में या किसी संगठन में आया था कि नहीं इसकी और जानकारी अब सामने आये ऐसी जांच एजेंसियों को अपेक्षा है । गुजरात एटीएस और शहर क्राइम ब्रांच की यह बड़ी सफलता को लेकर गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने भी दोनों सुरक्षा एजेंसी की काफी प्रशंसा की । Read the full article
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yarokiyari · 7 years
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बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले आज सुप्रीम कोर्ट में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर सुनवाई शुरू होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले और पक्षकारों की दलीलों के मद्देनजर ये तय करेगी कि आखिर इस मुकदमे का निपटारा करने के लिए सुनवाई को कैसे पूरा किया जाए यानी हाईकोर्ट के फैसले के अलावा और कितने तकनीकी और कानूनी बिंदू हैं जिन पर कोर्ट को सुनवाई करनी है. सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर भी होंगे. इस मुकदमे की सुनवाई के लिए सभी पक्षकार पूरी तैयारी से अदालत में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं. अयोध्या से दिल्ली पहुंचे रामलला विराजमान की ओर से पक्षकार महंत धर्मदास ने दावा किया कि सभी सबूत, रिपोर्ट और भावनाएं मंदिर के पक्ष में हैं. हाईकोर्ट के फैसले में जमीन का बंटवारा किया गया है जो हमारे साथ उचित न्याय नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी कोर्ट में दलील होगी कि यहां ढांचे से पहले भी मंदिर था और जबरन यहां मस्जिद बनाई गई, लेकिन बाद में फिर मंदिर की तरह वहां राम लला की सेवा पूजा होती रही अब वहीं रामजन्मभूमि मंदिर है. लिहाजा हमारा दावा ही बनता है. कोर्ट सबूत और कानून से न्याय करता है और सबूत और कानून हमारे साथ है. यानी रामलला के जन्मस्थान पर सुप्रीम कोर्ट भी सबूतों और कानूनी प्रावधान पर ही न्याय करेगा. शिया वक्फ बोर्ड का क्या है पक्ष दूसरी ओर शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी का कहना है कि कोर्ट में भी वो अपने बोर्ड का रुख ही दोहराएंगे. शिया वक्फ बोर्ड का तो मानना साफ है कि विवादित जगह पर राम मंदिर बने, रही बात मस्जिद की तो लखनऊ या फैजाबाद में मस्जिद अमन बने. वहां मुस्लिम भाई नमाज अदा करें. किसी को इसमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन चंद मुट्ठी भर धर्म के ठेकेदार हैं जिन पर विदेशी ताकतों का दबाव भी है वो नहीं चाहते कि अमन व भाईचारे से ये मामला हल हो. जबकि हमें हिंदू भावनाओं का सम्मान करते हुए भारत की शान बढ़ानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में भी उनका यही रुख रहेगा. यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से जब हमने कमाल फारुकी से संपर्क किया तो उनका कहना था कि अभी वो इस बारे में कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकि देश में वैसे ही माहौल खराब है. ऐसे में कोर्ट में सुनवाई आगे बढ़े तभी उनका बोलना उचित होगा. देश में अमन और भाईचारा रहे इस लिहाज से अभी कुछ भी बोलना उचित नहीं है. फिलहाल पूरे देश और दुनिया की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि सुनवाई की दिशा और रूपरेखा किस तरह आगे बढ़ती है. बता दें कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में दर्ज हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेज़ों को अनुवाद कराने की मांग की थी. तारीख दर तारीख जानें कब-कब क्या-क्या हुआ.... 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया. 1949 में बाबरी मस्जिद में गुप्त रूप से भागवान राम की मूर्ति रख दी गई. 1984 में मंदिर निर्माण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया. 1959 में निर्मोही अखाड़ा की ओर से विवादित स्थल के स्थानांतरण के लिए अर्जी दी थी, जिसके बाद 1961 में यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने भी बाबरी मस्जिद स्थल पर कब्जा के लिए अपील दायर की थी. 1986 में विवादित स्थल को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. 1986 में ही बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया गया. 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने देशव्यापी रथयात्रा की शुरुआत की. 1991 में रथयात्रा की लहर से बीजेपी यूपी की सत्ता में आई. इसी साल मंदिर निर्माण के लिए देशभर के लिए इंटें भेजी गई. 6 दिसंबर, 1992: अयोध्या पहुंचकर हजारों की संख्या में कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया था. इसके बाद हर तरफ सांप्रदायिक दंगे हुए. पुलिस द्वारा लाठी चार्ज और फायरिंग में कई लोगों की मौत हो गई. जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर बनाया गया. प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया. 16 दिसंबर, 1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों की जांच के लिए एमएस लिब्रहान आयोग का गठन किया गया. 1994: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित केस चलना शुरू हुआ. 4 मई, 2001: स्पेशल जज एसके शुक्ला ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित 13 नेताओं से साजिश का आरोप हटा दिया. 1 जनवरी, 2002: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक अयोध्या विभाग शुरू किया. इसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था. 1 अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहबाद हाई कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी. 5 मार्च 2003: इलाहबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को अयोध्या में खुदाई का निर्देश दिया, ताकि मंदिर या मस्जिद का प्रमाण मिल सके. 22 अगस्त, 2003: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई के बाद इलाहबाद हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश किया. इसमें कहा गया कि मस्जिद के नीचे 10वीं सदी के मंदिर के अवशेष प्रमाण मिले हैं. मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे. इस रिपोर्ट को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चैलेंज किया. सितंबर 2003: एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए. जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी. 26 जुलाई, 2010: इस मामले की सुनवाई कर रही इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैसला सुरक्षित किया और सभी पक्षों को आपस में इसका हल निकाले की सलाह दी. लेकिन कोई आगे नहीं आया. 28 सितंबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया. 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा दिया गया. इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला. 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. 21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही. 19 अप्रैल 2017: सुप्रीम को��्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया. 9 नवंबर 2017: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान दिया था. रिजवी ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए, वहां से दूर हटके मस्जिद का निर्माण किया जाए. 16 नवंबर 2017: आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश की, उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की.
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chaitanyabharatnews · 5 years
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पांच सदी पुराना है अयोध्या विवाद, जानें शुरू से लेकर अब तक की कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद स्वामित्व के केस का फैसला जल्द ही आने वाला है। यह विवाद पांच सदियों से चला आ रहा है। माना जाता है कि बाबर ने अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर उस जगह मस्जिद का निर्माण कराया था। तब से लेकर अब तक इस विवाद ने राजनीति को प्रभावित किया है। इस विवाद के कारण कई बार हिंसा भी हुई जिसमें लोग मार गए। इसके लिए जांच आयोग भी बनाया गया। अब देश के सबसे बड़े कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद खत्म होने की कगार पर है। इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला आने की उम्मीद है। अयोध्या में एक ऐसे स्थान पर मस्जिद बनवाई गई है जिसे हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। यह स्थान 0.313 एकड़ जमीन का एक टुकड़ा है जो अब विवादित बन गया है। माना जाता है कि मुगल राजा बाबर 1526 में भारत आया था और उसके सेनापति मीर बाकी ने करीब 500 साल पहले 1528 में राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। साल 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। दिसंबर 1949 में इस 'जन्मस्थान' पर भगवान राम और सीता माता की मूर्ति पाई गई। कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई। वहीं हिंदुओं का दावा है कि यह एक चमत्कार था और इसे सबूत के तौर पर पेश करते हैं कि यह सचमुच श्री राम का जन्मस्थान था। मुस्लिमों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया। फिर सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर यहां ताला लगवा दिया। जनवरी 1950 में हिंदू महासभा के गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई। इसी दौरान मस्जिद को 'ढांचा' के रूप में संबोधित किया गया। फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए केस दर्ज किया। वहीं, मुस्लिमों की तरफ से साल 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने केस दर्ज कर मस्जिद पर अपने मालिकाना हक का दावा किया। यह केस 50 साल से अदालतों में चक्कर लगाता रहा। फरवरी 1984 में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। साल 1989 जून में बीजेपी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया। रामलला की तरफ से वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 25 सितंबर 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिससे कि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए और ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए। फिर 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा को रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटे अयोध्या भेजी गईं। इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी। उन्होंने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया, जिसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। मुलायम सिंह ���ादव की सरकार ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। साल 1991 जून में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह यादव की सरकार हार गई। फिर उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया और इसी के साथ देश में दंगे शुरू हो गए। 30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए। 16 दिसंबर 1992: मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना जिसके जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस शुरू हुआ। सितंबर 1997: मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए। इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। जनवरी-फरवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मामला सुलझाने के लिए अयोध्या समिति का गठन किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। फिर विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए। 13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। अप्रैल 2002 में हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की। मार्च-अगस्त 2003: हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल के नीचे खुदाई की। इसके बाद पुरातत्वविदों ने कहा कि, मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं। मई 2003: सीबीआई ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लाल कृष्णा आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अगस्त 2003: लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव को ठुकराया। अप्रैल-जुलाई 2004: लालकृष्ण आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की और कहा, मंदिर का निर्माण तो जरूर होगा। 4 अगस्त 2005: फैजाबाद की कोर्ट ने विवादित स्थल के पास हुए हमले के आरोप में चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा। जुलाई 2006: सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। 19 मार्च 2007: राहुल गांधी ने कहा था कि, अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। 30 जून-नवंबर 2009: बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में जांच के लिए गठित गठित लिब्रहान आयोग ने 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। 26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। सितंबर 2010: हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की। लेकिन 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इसके खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई। मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझाने की बात कही। साथ ही कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के और कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया। नवंबर-दिसंबर 2017: 8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा था कि, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनना चाहिए और वहां से थोड़ा दूर हटके मस्जिद बनना चाहिए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए कोशिश की। इस मामले में उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की। 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। लेकिन उनकी यह अपील खारिज हो गई। 27 सितंबर 2018: कोर्ट ने 1994 के फैसले जिसमें यह कहा गया था कि 'मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं' को बड़ी बेंच को भेजने से इंकार कर दिया और कहा कि, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा। 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी। 1 जनवरी 2019: पीएम मोदी ने कहा था कि, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है। 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। साथ ही पैनल को 8 हफ्ते के अंदर इस मामले की कार्यवाही खत्म करने का आदेश दिया। अगस्त 2019: 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को कहा कि, मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई होना शुरू हो गई। 16 अक्टूबर : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 17 नवंबर से पहले अयोध्या मामले में कभी भी फैसला आ सकता है। ये भी पढ़े... मुस्लिम पक्ष के वकील द्वारा अयोध्या का नक्शा फाड़ने पर बवाल, भड़के वेदांती ने कहा- दर्ज कराऊंगा केस 12 पक्षदार, 14 अपील यहां जानें अयोध्या विवाद से जुड़ी अहम जानकारी अयोध्या मामले में अपना केस वापस लेना चाहता है सुन्नी वक्फ बोर्ड! दाखिल किया हलफनामा   Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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पांच सदी पुराना है अयोध्या विवाद, जानें शुरू से लेकर अब तक की कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद स्वामित्व के केस का फैसला जल्द ही आने वाला है। यह विवाद पांच सदियों से चला आ रहा है। माना जाता है कि बाबर ने अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर उस जगह मस्जिद का निर्माण कराया था। तब से लेकर अब तक इस विवाद ने राजनीति को प्रभावित किया है। इस विवाद के कारण कई बार हिंसा भी हुई जिसमें लोग मार गए। इसके लिए जांच आयोग भी बनाया गया। अब देश के सबसे बड़े कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद खत्म होने की कगार पर है। इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला आने की उम्मीद है। अयोध्या में एक ऐसे स्थान पर मस्जिद बनवाई गई है जिसे हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। यह स्थान 0.313 एकड़ जमीन का एक टुकड़ा है जो अब विवादित बन गया है। माना जाता है कि मुगल राजा बाबर 1526 में भारत आया था और उसके सेनापति मीर बाकी ने करीब 500 साल पहले 1528 में राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। साल 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। दिसंबर 1949 में इस 'जन्मस्थान' पर भगवान राम और सीता माता की मूर्ति पाई गई। कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई। वहीं हिंदुओं का दावा है कि यह एक चमत्कार था और इसे सबूत के तौर पर पेश करते हैं कि यह सचमुच श्री राम का जन्मस्थान था। मुस्लिमों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया। फिर सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर यहां ताला लगवा दिया। जनवरी 1950 में हिंदू महासभा के गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई। इसी दौरान मस्जिद को 'ढांचा' के रूप में संबोधित किया गया। फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए केस दर्ज किया। वहीं, मुस्लिमों की तरफ से साल 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने केस दर्ज कर मस्जिद पर अपने मालिकाना हक का दावा किया। यह केस 50 साल से अदालतों में चक्कर लगाता रहा। फरवरी 1984 में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। साल 1989 जून में बीजेपी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया। रामलला की तरफ से वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 25 सितंबर 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिससे कि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए और ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए। फिर 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा को रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटे अयोध्या भेजी गईं। इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी। उन्होंने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया, जिसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। साल 1991 जून में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह यादव की सरकार हार गई। फिर उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया और इसी के साथ देश में दंगे शुरू हो गए। 30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए। 16 दिसंबर 1992: मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना जिसके जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस शुरू हुआ। सितंबर 1997: मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए। इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। जनवरी-फरवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मामला सुलझाने के लिए अयोध्या समिति का गठन किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश वि���ानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। फिर विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए। 13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। अप्रैल 2002 में हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की। मार्च-अगस्त 2003: हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल के नीचे खुदाई की। इसके बाद पुरातत्वविदों ने कहा कि, मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं। मई 2003: सीबीआई ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लाल कृष्णा आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अगस्त 2003: लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव को ठुकराया। अप्रैल-जुलाई 2004: लालकृष्ण आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की और कहा, मंदिर का निर्माण तो जरूर होगा। 4 अगस्त 2005: फैजाबाद की कोर्ट ने विवादित स्थल के पास हुए हमले के आरोप में चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा। जुलाई 2006: सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। 19 मार्च 2007: राहुल गांधी ने कहा था कि, अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। 30 जून-नवंबर 2009: बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में जांच के लिए गठित गठित लिब्रहान आयोग ने 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। 26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। सितंबर 2010: हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की। लेकिन 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इसके खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई। मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझाने की बात कही। साथ ही कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के और कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया। नवंबर-दिसंबर 2017: 8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा था कि, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनना चाहिए और वहां से थोड़ा दूर हटके मस्जिद बनना चाहिए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए कोशिश की। इस मामले में उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की। 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। लेकिन उनकी यह अपील खारिज हो गई। 27 सितंबर 2018: कोर्ट ने 1994 के फैसले जिसमें यह कहा गया था कि 'मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं' को बड़ी बेंच को भेजने से इंकार कर दिया और कहा कि, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा। 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी। 1 जनवरी 2019: पीएम मोदी ने कहा था कि, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है। 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। साथ ही पैनल को 8 हफ्ते के अंदर इस मामले की कार्यवाही खत्म करने का आदेश दिया। अगस्त 2019: 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को कहा कि, मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई होना शुरू हो गई। 16 अक्टूबर : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 17 नवंबर से पहले अयोध्या मामले में कभी भी फैसला आ सकता है। ये भी पढ़े... मुस्लिम पक्ष के वकील द्वारा अयोध्या का नक्शा फाड़ने पर बवाल, भड़के वेदा��ती ने कहा- दर्ज कराऊंगा केस 12 पक्षदार, 14 अपील यहां जानें अयोध्या विवाद से जुड़ी अहम जानकारी अयोध्या मामले में अपना केस वापस लेना चाहता है सुन्नी वक्फ बोर्ड! दाखिल किया हलफनामा   Read the full article
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पांच सदी पुराना है अयोध्या विवाद, जानें शुरू से लेकर अब तक की कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद स्वामित्व के केस का फैसला जल्द ही आने वाला है। यह विवाद पांच सदियों से चला आ रहा है। माना जाता है कि बाबर ने अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर उस जगह मस्जिद का निर्माण कराया था। तब से लेकर अब तक इस विवाद ने राजनीति को प्रभावित किया है। इस विवाद के कारण कई बार हिंसा भी हुई जिसमें लोग मार गए। इसके लिए जांच आयोग भी बनाया गया। अब देश के सबसे बड़े कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद खत्म होने की कगार पर है। इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला आने की उम्मीद है। अयोध्या में एक ऐसे स्थान पर मस्जिद बनवाई गई है जिसे हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। यह स्थान 0.313 एकड़ जमीन का एक टुकड़ा है जो अब विवादित बन गया है। माना जाता है कि मुगल राजा बाबर 1526 में भारत आया था और उसके सेनापति मीर बाकी ने करीब 500 साल पहले 1528 में राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। साल 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। दिसंबर 1949 में इस 'जन्मस्थान' पर भगवान राम और सीता माता की मूर्ति पाई गई। कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई। वहीं हिंदुओं का दावा है कि यह एक चमत्कार था और इसे सबूत के तौर पर पेश करते हैं कि यह सचमुच श्री राम का जन्मस्थान था। मुस्लिमों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया। फिर सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर यहां ताला लगवा दिया। जनवरी 1950 में हिंदू महासभा के गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई। इसी दौरान मस्जिद को 'ढांचा' के रूप में संबोधित किया गया। फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए केस दर्ज किया। वहीं, मुस्लिमों की तरफ से साल 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने केस दर्ज कर मस्जिद पर अपने मालिकाना हक का दावा किया। यह केस 50 साल से अदालतों में चक्कर लगाता रहा। फरवरी 1984 में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। साल 1989 जून में बीजेपी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया। रामलला की तरफ से वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 25 सितंबर 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिससे कि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए और ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए। फिर 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा को रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटे अयोध्या भेजी गईं। इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी। उन्होंने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया, जिसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। साल 1991 जून में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह यादव की सरकार हार गई। फिर उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया और इसी के साथ देश में दंगे शुरू हो गए। 30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए। 16 दिसंबर 1992: मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना जिसके जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस शुरू हुआ। सितंबर 1997: मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए। इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। जनवरी-फरवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मामला सुलझाने के लिए अयोध्या समिति का गठन किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। फिर विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए। 13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। अप्रैल 2002 में हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की। मार्च-अगस्त 2003: हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल के नीचे खुदाई की। इसके बाद पुरातत्वविदों ने कहा कि, मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं। मई 2003: सीबीआई ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लाल कृष्णा आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अगस्त 2003: लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव को ठुकराया। अप्रैल-जुलाई 2004: लालकृष्ण आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की और कहा, मंदिर का निर्माण तो जरूर होगा। 4 अगस्त 2005: फैजाबाद की कोर्ट ने विवादित स��थल के पास हुए हमले के आरोप में चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा। जुलाई 2006: सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। 19 मार्च 2007: राहुल गांधी ने कहा था कि, अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। 30 जून-नवंबर 2009: बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में जांच के लिए गठित गठित लिब्रहान आयोग ने 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। 26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। सितंबर 2010: हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की। लेकिन 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इसके खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई। मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझाने की बात कही। साथ ही कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के और कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया। नवंबर-दिसंबर 2017: 8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा था कि, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनना चाहिए और वहां से थोड़ा दूर हटके मस्जिद बनना चाहिए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए कोशिश की। इस मामले में उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की। 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। लेकिन उनकी यह अपील खारिज हो गई। 27 सितंबर 2018: कोर्ट ने 1994 के फैसले जिसमें यह कहा गया था कि 'मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं' को बड़ी बेंच को भेजने से इंकार कर दिया और कहा कि, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा। 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी। 1 जनवरी 2019: पीएम मोदी ने कहा था कि, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है। 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। साथ ही पैनल को 8 हफ्ते के अंदर इस मामले की कार्यवाही खत्म करने का आदेश दिया। अगस्त 2019: 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को कहा कि, मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई होना शुरू हो गई। 16 अक्टूबर : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 17 नवंबर से पहले अयोध्या मामले में कभी भी फैसला आ सकता है। ये भी पढ़े... मुस्लिम पक्ष के वकील द्वारा अयोध्या का नक्शा फाड़ने पर बवाल, भड़के वेदांती ने कहा- दर्ज कराऊंगा केस 12 पक्षदार, 14 अपील यहां जानें अयोध्या विवाद से जुड़ी अहम जानकारी अयोध्या मामले में अपना केस वापस लेना चाहता है सुन्नी वक्फ बोर्ड! दाखिल किया हलफनामा   Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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पांच सदी पुराना है अयोध्या विवाद, जानें शुरू से लेकर अब तक की कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद स्वामित्व के केस का फैसला जल्द ही आने वाला है। यह विवाद पांच सदियों से चला आ रहा है। माना जाता है कि बाबर ने अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर उस जगह मस्जिद का निर्माण कराया था। तब से लेकर अब तक इस विवाद ने राजनीति को प्रभावित किया है। इस विवाद के कारण कई बार हिंसा भी हुई जिसमें लोग मार गए। इसके लिए जांच आयोग भी बनाया गया। अब देश के सबसे बड़े कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद खत्म होने की कगार पर है। इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला आने की उम्मीद है। अयोध्या में एक ऐसे स्थान पर मस्जिद बनवाई गई है जिसे हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। यह स्थान 0.313 एकड़ जमीन का एक टुकड़ा है जो अब विवादित बन गया है। माना जाता है कि मुगल राजा बाबर 1526 में भारत आया था और उसके सेनापति मीर बाकी ने करीब 500 साल पहले 1528 में राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। साल 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। दिसंबर 1949 में इस 'जन्मस्थान' पर भगवान राम और सीता माता की मूर्ति पाई गई। कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई। वहीं हिंदुओं का दावा है कि यह एक चमत्कार था और इसे सबूत के तौर पर पेश करते हैं कि यह सचमुच श्री राम का जन्मस्थान था। मुस्लिमों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया। फिर सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर यहां ताला लगवा दिया। जनवरी 1950 में हिंदू महासभा के गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई। इसी दौरान मस्जिद को 'ढांचा' के रूप में संबोधित किया गया। फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए केस दर्ज किया। वहीं, मुस्लिमों की तरफ से साल 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने केस दर्ज कर मस्जिद पर अपने मालिकाना हक का दावा किया। यह केस 50 साल से अदालतों में चक्कर लगाता रहा। फरवरी 1984 में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। साल 1989 जून में बीजेपी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया। रामलला की तरफ से वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 25 सितंबर 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिससे कि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए और ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए। फिर 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा को रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटे अयोध्या भेजी गईं। इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी। उन्होंने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया, जिसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। साल 1991 जून में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह यादव की सरकार हार गई। फिर उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया और इसी के साथ देश में दंगे शुरू हो गए। 30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए। 16 दिसंबर 1992: मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना जिसके जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस शुरू हुआ। सितंबर 1997: मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए। इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। जनवरी-फरवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मामला सुलझाने के लिए अयोध्या समिति का गठन किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। फिर विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए। 13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। अप्रैल 2002 में हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की। मार्च-अगस्त 2003: हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल के नीचे खुदाई की। इसके बाद पुरातत्वविदों ने कहा कि, मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं। मई 2003: सीबीआई ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लाल कृष्णा आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अगस्त 2003: लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव को ठुकराया। अप्रैल-जुलाई 2004: लालकृष्ण आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की और कहा, मंदिर का निर्माण तो जरूर होगा। 4 अगस्त 2005: फैजाबाद की कोर्ट ने विवादित स्थल के पास हुए हमले के आरोप में चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा। जुलाई 2006: सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। 19 मार्च 2007: राहुल गांधी ने कहा था कि, अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। 30 जून-नवंबर 2009: बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में जांच के लिए गठित गठित लिब्रहान आयोग ने 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। 26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। सितंबर 2010: हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की। लेकिन 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इसके खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई। मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझाने की बात कही। साथ ही कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी औ��� आरएसएस के और कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया। नवंबर-दिसंबर 2017: 8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा था कि, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनना चाहिए और वहां से थोड़ा दूर हटके मस्जिद बनना चाहिए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए कोशिश की। इस मामले में उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की। 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। लेकिन उनकी यह अपील खारिज हो गई। 27 सितंबर 2018: कोर्ट ने 1994 के फैसले जिसमें यह कहा गया था कि 'मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं' को बड़ी बेंच को भेजने से इंकार कर दिया और कहा कि, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा। 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी। 1 जनवरी 2019: पीएम मोदी ने कहा था कि, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है। 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। साथ ही पैनल को 8 हफ्ते के अंदर इस मामले की कार्यवाही खत्म करने का आदेश दिया। अगस्त 2019: 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को कहा कि, मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई होना शुरू हो गई। 16 अक्टूबर : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 17 नवंबर से पहले अयोध्या मामले में कभी भी फैसला आ सकता है। ये भी पढ़े... मुस्लिम पक्ष के वकील द्वारा अयोध्या का नक्शा फाड़ने पर बवाल, भड़के वेदांती ने कहा- दर्ज कराऊंगा केस 12 पक्षदार, 14 अपील यहां जानें अयोध्या विवाद से जुड़ी अहम जानकारी अयोध्या मामले में अपना केस वापस लेना चाहता है सुन्नी वक्फ बोर्ड! दाखिल किया हलफनामा   Read the full article
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