#देवी माँ के भजन
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धन प्राप्ति के लिए शुभ मंत्र:- "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः" मास: ज्येष्ठ (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष) तिथि: द्वादशी (शुक्ल पक्ष) वार: शुक्रवार नक्षत्र: आर्द्रा योग: वैधृति करण: बालव
सूर्योदय: 05:30 AM सूर्यास्त: 07:19 PM
व्रत और त्योहार: विवाह पंचमी नील शष्टी व्रत
मुहूर्त: शुभ मुहूर्त: 09:18 AM - 10:50 AM, 04:44 PM - 06:16 PM राहुकाल: 03:01 PM - 04:44 PM यमघंट: 12:05 PM - 01:47 PM गुलिकाकाल: 07:27 AM - 09:10 AM अभिजित मुहूर्त: 12:07 PM - 12:54 PM
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यह जानकारी केवल सामान्य उद्देश्यों के लिए है। पंचांग और शुभ मुहूर्तों की जानकारी के लिए स्थानीय पंडित या ज्योतिषी की सलाह लें।
सुनिये देवी माँ का यह सुन्दर भजन:- youtu.be/Sy4RIja6TVM https://vvlmusic.com/
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जय माता दी पारस परिवार के साथ कुंडली भजन
सनातन धर्म के हृदय में दिव्य मंत्र है: जय माता दी। यह सिर्फ़ अभिवादन से कहीं बढ़कर है; यह एक प्रार्थना है, सार्वभौमिक माँ, माँ का आह्वान है। चाहे वह मंदिरों में गूंजने वाले मधुर भजन हों या हमारे जीवन का मार्गदर्शन करने वाली कुंडली पढ़ना, हिंदू धर्म का सार पारस परिवार की आध्यात्मिक प्रथाओं में जटिल रूप से बुना हुआ है। आइए जानें कि पारस परिवार किस तरह से माँ के सार का जश्न मनाता है और कुंडली पढ़ने, भजन और सनातनी आध्यात्मिकता से इसका क्या संबंध है।
पारस परिवार और जय माता दी का महत्व
जय माता दी का जाप न केवल दिव्य माँ का आह्वान है, बल्कि दुनिया भर के हिंदू भाइयों (हिंदू भाइयों और बहनों) के लिए एक एकीकृत नारा भी है। पारस परिवार, सनातन धर्म में गहराई से निहित एक समुदाय है, जो माँ से जुड़ने के साधन के रूप में इस आध्यात्मिक अभिवादन पर जोर देता है। यह देवी से आशीर्वाद, सुरक्षा और मार्गदर्शन की मांग करते हुए एक हार्दिक प्रार्थना का प्रतिनिधित्व करता है।
सनातन धर्म के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित पारस परिवार आध्यात्मिक एकजुटता का एक मजबूत समर्थक है। समुदाय प्राचीन परंपराओं को कायम रखता है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से हिंदू भाइयों को एक साथ लाता है, जो दिव्य माँ के प्रति अपने प्रेम और भक्ति से एकजुट होते हैं।
सनातन धर्म और पारस परिवार में कुंडली की भूमिका
सनातन धर्म की प्रथाओं में, कुंडली (जन्म कुंडली) का एक प्रमुख स्थान है। ऐसा माना जाता है कि कुंडली जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के आधार पर किसी के जीवन का खाका प्रदान करती है। पारस परिवार, वैदिक परंपराओं की अपनी गहरी समझ के साथ, भक्तों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा पर मार्गदर्शन करने के लिए कुंडली पढ़ने का उपयोग करता है।
हिंदू धर्म में कुंडली का महत्व
कुंडली की अवधारणा ब्रह्मांडीय व्यवस्था से जुड़ी हुई है, जो हिंदू धर्म में एक मुख्य विश्वास है। प्रत्येक ग्रह (ग्रह) का व्यक्ति के जीवन पर एक विशिष्ट प्रभाव होता है। इन प्रभावों को समझकर, व्यक्ति चुनौतियों का सामना कर सकता है और शक्तियों का लाभ उठा सकता है। पारस परिवार कुंडली पढ़ने के माध्यम से आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिससे भक्तों को माँ और ब्रह्मांडीय शक्तियों द्वारा निर्धारित उनके जीवन पथ को समझने में मदद मिलती है।
कुंडली पढ़ना: पारस परिवार की एक परंपरा
पीढ़ियों से, कुंडली पढ़ना हिंदू धर्म में आध्यात्मिक प्रथाओं का हिस्सा रहा है। पारस परिवार इस परंपरा को जारी रखता है, अपने समुदाय के सदस्यों को व्यक्तिगत रीडिंग प्रदान करता है। इस प्राचीन प्रथा को ईश्वरीय इच्छा के साथ अपने कार्यों को संरेखित करने का एक तरीका माना जाता है, जिससे सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए माँ से आशीर्वाद मांगा जा सके। जब पारस परिवार के किसी जानकार मार्गदर्शक द्वारा कुंडली पढ़ी जाती है, तो यह जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे करियर, विवाह, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
पारस परिवार में भजनों की शक्ति
जय माता दी का कोई भी उत्सव भजनों की भावपूर्ण प्रस्तुति के बिना पूरा नहीं होता है। भजन ईश्वर की स्तुति में गाए जाने वाले भक्ति गीत हैं, विशेष रूप से माँ की कृपा पर ध्यान केंद्रित करते हुए। पारस परिवार को देवी माँ को समर्पित भजन गाने और रचना करने की अपनी समृद्ध परंपरा पर बहुत गर्व है।
भजन: हिंदू धर्म का आध्यात्मिक संगीत
सनातन धर्म के हृदय में, भजनों को भक्ति का संगीतमय अवतार माना जाता है। माना जाता है कि इन भजनों को गाने से उत्पन्न कंपन ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ प्रतिध्वनित ह��ते हैं, जो गायक को माँ के करीब लाते हैं। पारस परिवार के भजन अपनी सादगी, माधुर्य और गहरे आध्यात्मिक अर्थ के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें हिंदू भाइयों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनाते हैं।
आत्मा पर भजनों का प्रभाव
भजन मन और आत्मा पर शांत प्रभाव डालते हैं। वे तनाव को दूर करने, विचारों को शुद्ध करने और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करते हैं। भजन गाने या सुनने का कार्य, विशेष रूप से जय माता दी के साथ गाया जाने वाला भजन, वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। पारस परिवार की सभाओं में, ये भजन एक शक्तिशाली सामूहिक आध्यात्मिक अनुभव बनाते हैं, जो हिंदू भाइयों की एकता और विश्वास को मजबूत करते हैं।
पारस परिवार के साथ सनातन धर्म का जश्न मनाना
सनातन धर्म को संरक्षित करने और मनाने के लिए पारस परिवार की प्रतिबद्धता इसकी विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों में स्पष्ट है। भव्य नवरात्रि कार्यक्रमों के आयोजन से लेकर नियमित भजन सत्रों की मेजबानी तक, पारस परिवार हिंदू धर्म की परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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*#भूखे_भजन_नहीं_होत_गोपाला पकड़ तेरी कंठी पकड़ तेरी माला*
📯खाना अवश्य खाओ। आवश्यकता से अधिक नहीं खाये। जीने के लिए खाये। खाने के लिए नहीं जिये। ये नियम है। ये सब योग युगत सतगुरु बताते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रानुसार भक्ति बताते हैं।
📯 भूखे भजन नहीं होत गोपाला।
पकड़ तेरी कंठी पकड़ तेरी माला।।
गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में लिखा है कि अर्जुन यह योग न तो अधिक खाने वाले का और न बिल्कुल न खाने वाले का यानी व्रत/रोजा रखने वाले का, कभी सफल नहीं होता।
व्रत में ध्यान सिर्फ रोटी पर ही रहता है। भगवान पर नहीं रहता।
📯भूखे भजन नहीं होत गोपाला।
पकड़ तेरी कंठी पकड़ तेरी माला।।
प्रथम अन्न जल संयम राखै। योग युगत सब सतगुरु भाखै।
सारी योग युक्ति सतगुरु ही बताएगा।
खाना अवश्य खाओ। लेकिन आवश्यकता से ज़्यादा भी नहीं खाना चाहिए। और इतना भी कम नहीं खाना चाहिए कि शरीर ही खराब हो जाये। - संत रामपाल जी महाराज
📯परमात्मा पाने का एक जाप है। भूखा रहने से भगवान नहीं मिलता। ज़्यादा खाने से भी नहीं मिलता।
खाने पीने पर संयम रखें।
प्रथम अन्न जल संयम राखै। योग युगत सब सतगुरु भाखै।
📯भूखे भजन नहीं होत गोपाला
व्रत रखने वालों के विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
व्रत करे से मुक्ति हो तो, अकाल पड़ै क्यों मरते हैं।
अर्थात व्रत (निराहार) रखने से कोई लाभ नहीं होता।
📯भूखे भजन नहीं होत गोपाला।
पकड़ तेरी कंठी पकड़ तेरी माला।।
खाना खाओ, अवश्य खाओ। लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा नहीं खाये। ये सब योग युगत सतगुरु बताते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रानुसार भक्ति बताते हैं।
📯भूखे भजन नहीं होत गोपाला।
पकड़ तेरी कंठी पकड़ तेरी माला।।
गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में भूखे रहने के लिए मना किया है।
भूखे पेट भगवान याद नहीं आता। केवल भोजन का ही ध्यान लगा रहता है। ये क्रियाएं शास्त्रविरुद्ध हैं। जिनसे कोई लाभ प्राप्त नहीं होता।
📯क्या देवी दुर्गा अपने साधक को पूर्णमोक्ष प्रदान करने सकती हैं?
इस नवरात्रि पर गूढ़ रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे।
📯क्या देवी दुर्गा अपने साधक के असाध्य रोग का नाश क��के उसकी आयु भी बढ़ा ��कती है?
इस गूढ़ रहस्य को जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
📯माता दुर्गा (अष्टांगी) 8 भुजा व 64 कलाओं से शक्ति युक्त हैं। फिर वह पूर्ण मोक्षदायक परमात्मा कौन है जो अनंत भुजा व कलाओं का स्वामी है?
इस गूढ़ रहस्य को जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
📯माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिये उनके मूल मंत्र का जाप करना अनिवार्य होता है जिसकी जानकारी इस धरती पर ���ूर्ण संत प्रदान करता है। पूर्ण संत यानी तत्वदर्शी संत जो भक्ति विधि और मर्यादाएं बताता है उन पर चलने और भक्ति करने से दुर्गा माता एवं अन्य देवी देवताओं तथा ब्रह्मा, विष्णु, महेश को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
📯पूर्ण परमात्मा की जानकारी तत्वदर्शी संत बता सकते हैं जो स्वंय पूर्ण परमात्मा ही होता है। देवी भागवत महापुराण में देवी जी यानि दुर्गा जी अपने से अन्य किसी और भगवान की भक्ति करने के लिये कहती हैं।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯श्रीमद्देवीभागवत पुराण के सातवें स्कन्ध, अध्याय 36 में "देवी दुर्गा जी हिमालय राजा को ज्ञान उपदेश करते हुए कहती हैं कि ब्रह्म की भक्ति करो"। उस ब्रह्म की जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯नवरात्रि के पावन पर्व पर जानिए क्या माँ दुर्गा की भक्ति करने से हमारे जीवन में आने वाले कष्ट समाप्त हो सकते हैं या नहीं ?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯इस नवरात्रि पर जानिए कौन है वह पूर्ण परमेश्वर जो सभी कष्टों को दूर करके दुखों का अंत कर सकता है। उस पूर्ण परमेश्वर की जानकारी के लिये अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯 इस नवरात्रि पर अवश्य जानिए, माता दुर्गा को प्रसन्न करने का वास्तविक मंत्र क्या है?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯इस नवरात्रि पर जानें माता को अष्टंगी क्यों कहते हैं?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯नवरात्रि पर जानिए वह परमात्मा कौन है जिसकी असंख्य भुजाएं हैं।
जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯इस नवरात्रि पर अवश्य जानिये माता दुर्गा को प्रसन्न करने का मूल मंत्र कौनसा है जिससे देवी साधक को मनचाहा लाभ देती है।
जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯जब ब्रह्मा जी ने वेदों को पढ़ा तो बह्मा जी माता दुर्गा जी से पूछते हैं कि हे माते वेद परमेश्वर कृत हैं, मैंने वेदों में पढ़ा है कि कोई और परम शक्ति है।
उस पूर्ण परमेश्वर की जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯क्या त्रिदेव की उत्पत्ति दुर्गा जी से हुई है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
📯इस नवरात्रि पर अवश्य जानिए कि देवी दुर्गा को त्रिदेव जननी क्यों कहा जाता है?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
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जिसने भी तेरा नाम लिया माँ
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नवरात्रि: डांडिया गीत और माता के भजन :-
नवरात्रि, भारत का एक प्रमुख त्योहार, विशेष रूप से हिंदू धर्म में माता दुर्गा की पूजा का समय है। यह नौ दिनों का पर्व, माता के विभिन्न रूपों की आराधना करने का अवसर प्रदान करता है। इस दौरान, डांडिया और गरबा जैसे पारंपरिक नृत्य का आयोजन किया जाता है, जो न केवल धार्मिक भावना को जागृत करता है, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।
नवरात्रि का महत्व:- नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा की शक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इसे विशेष रूप से पश्चिमी भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर, भक्तगण नौ दिनों तक उपवास रखते हैं, देवी की पूजा करते हैं, और सामूहिक नृत्य का आनंद लेते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिसमें माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं।
डांडिया: एक सांस्कृतिक धरोहर -
डांडिया, एक पारंपरिक गुजराती नृत्य है जो विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान किया जाता है। इसे छोटे-छोटे डंडों के साथ खेला जाता है, जहां लोग एक-दूसरे के साथ ताल मिलाते हैं। यह नृत्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है। डांडिया की धुनों पर लोग देवी की आराधना करते हैं, और यह सांस्कृतिक एकता को भी दर्शाता है। डांडिया नृत्य के दौरान गाए जाने वाले गीत मुख्यतः माता की महिमा का गुणगान करते हैं। ये गीत भक्तों को ऊर्जा और उत्साह प्रदान करते हैं, और हर किसी को नृत्य में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं।
माता के भजन:
श्रद्धा और भक्ति का संगम - नवरात्रि के दौरान गाए जाने वाले माता के भजन भक्तों के हृदय में गहरी श्रद्धा और भक्ति की भावना जागृत करते हैं। ये भजन अक्सर देवी के विभिन्न रूपों की विशेषताओं का वर्णन करते हैं। माता के भजनों में भक्त अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और माता से सहायता की प्रार्थना करते हैं।
कई प्रसिद्ध भजन इस दौरान गाए जाते हैं,
जैसे:
1. "जय माता Di" – यह भजन देवी की जयकारा है, जो भक्तों को एकजुट करता है।
2. "माता रानी की जय"– इस भजन में भक्त माता को नमन करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं।
3. "नवरात्रि में माँ का दरबार" – इस भजन में माता के दरबार की महिमा का बखान किया गया है।
इन भजनों की धुनें भक्तों के मन क�� छू जाती हैं और नवरात्रि के उत्सव का आनंद बढ़ाती हैं।
संगीत और नृत्य का संगम:- नवरात्रि में डांडिया और गरबा नृत्य का आयोजन होता है, जिसमें संगीत और नृत्य का अद्भुत संगम होता है। विभिन्न प्रकार के डांडिया गीतों की धुनें और बोल इस नृत्य को और भी रंगीन बना देते हैं। जैसे-जैसे रात बढ़ती है, भक्त जन उत्साह के साथ नृत्य करते हैं और माता की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दौरान, लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर एक-दूसरे से मिलते हैं, और यह एक अनोखा अनुभव होता है। यह नृत्य न केवल उत्सव का हिस्सा है, बल्कि यह सामाजिक जुड़ाव और भाईचारे का प्रतीक भी है।
नवरात्रि का समापन :-
नवरात्रि का समापन विजयादशमी (दशहरा) के दिन होता है, जो रावण के दहन के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त माता की पूजा के साथ-साथ अपने जीवन में बुराईयों को समाप्त करने का संकल्प लेते हैं। विजयादशमी का पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में अच्छे और बुरे का संघर्ष हमेशा चलता रहता है, लेकिन अंततः सत्य की जीत होती है।
निष्कर्ष:- नवरात्रि का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। डांडिया गीत और माता के भजन इस पर्व को और भी खास बनाते हैं। यह हमें न केवल माता की आराधना करने का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि हमें एकजुट होने और अपने परंपराओं को संरक्षित करने की प्रेरणा भी देते हैं। इस नवरात्रि, हम सब मिलकर माता के चरणों में श्रद्धा निवेदित करें और अपनी भक्ति के साथ इस उत्सव का आनंद लें। माता का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे, यही प्रार्थना है।
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लेके पूजा की थाली भजन लिरिक्स | Leke Pooja Ki Thali Bhajan Lyrics
लेके पूजा की थाली भजन लिरिक्स
लेके पूजा की थाली ज्योत मन की जगा ली, तेरी आरती उतारू भोली माँ, तू जो देदे सहारा सुख जीवन का सारा, तेरे चरणों पे वारु भोली माँ, ओ माँ ओ माँ .. धुल तेरे चरणों की लेकर माथे तिलक लगाया, यही कामना लेकर मैया द्वारे तेरे मै आया, रहु मैं तेरा होके तेरी सेवा में खो के सारा जीवन गुजारु देवी माँ, तू जो दे दे सहारा सुख जीवन का सारा तेरे चरणों पे वारु देवी माँ, सफल हुआ ये जन्म के मैं था जन्मो से कंगाल, तूने भक्ति का धन देके कर दियां मालामाल, रहे जबतक ये प्राण करूँ तेरा ही ध्यान नाम तेरा पुकारू भोली माँ, तू जो दे दे सहारा सुख जीवन का सारा तेरे चरणों पे वारु देवी माँ, Read the full article
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आदरणीय बच्चन जी ,
सादर नमन
जय श्री सीताराम
प्रभू श्री राम जी के अनुग्रह से मेरे द्वारा रामकथा मानस सरल की रचना हुई है जिसका
विमोचन परम् पूज्य जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी
द्वारा किया गया है ।
इसके अलावा ग़ज़ल संग्रह , भजन माला
(तीन भागों में) , बघेली व बृज भाषा में रचनाएं हुईं
हैं ।
|| लता जी ॥
अश्रु पूर्ण श्रद्धांजलि
तुझे गायिका कहें, या कहें माँ तु शारदे।
हमें छोड़ के कहां चली, तु लता बिसार के ॥
स्वर की रही तू देवी, तेरे ज्ञान को नमन।
तेरे गीत अमर हो गए, तेरी तान को नमन ॥
स्वर कोकिला तू आजा कोई रूप धार के।
हमे छोड़ के कहां चली, तु लता बिसार के ॥
संगीत के लिए ही तो जिन्दगी गुजार दी।
अपनी तमाम उम्र, भी सुर लय पे वार दी।
आखे हैं नम हमा���ी तेरी छवि निहार के ।
हमें छोड़ कर कहां चली, तु लता बिसार के ।
जितना विचित्र कण्ठ था, उतनी विचित्र तू |
भारत की शान गंगा के जैसी पवित्र तू॥
स्वर बेसुरे से हो गए वीणा की तार के।
हमें छोड़ के कहां चली. तु लता बिसार के ।।
तेरे नाम मे छुपा हुआ संगीत का पता ।
गर 'ताल' को पलट दें तो हो जाए वो 'लता'।
है आत्मा को रख दिया, सुर से निकाल के।
हमें छोड़ के कहां चली, तु लता बिसार के।
धरती गगन अवाक हैं आवाज खो गई।
युग सहस्त्र बाविस में आप सो गई।
फिर भेजना प्रभू कहें रज्जन पुकार के ।
हमें छोड़कर कहाँ चली, तु लता बिसार के ।
रोने को दी आवाज व हंसने को स्वर दिया ।
दुनियां में तूने राग का वो रस है भर दिया ।।
कुछ अपने लिए रक्खा ना शिवाय प्यार के ।
हमें छोड़ के कहाँ चली तु लता बिसार के ||
रचनाकार : पं० रज्जन सरल
सतना म०प्र०
संपर्क : 7725807011 , 8461084685
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धन प्राप्ति के लिए शुभ मंत्र:- "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः" मास: ज्येष्ठ (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष) तिथि: द्वादशी (शुक्ल पक्ष) वार: शुक्रवार नक्षत्र: आर्द्रा योग: वैधृति करण: बालव
सूर्योदय: 05:30 AM सूर्यास्त: 07:19 PM
व्रत और त्योहार: विवाह पंचमी नील शष्टी व्रत
मुहूर्त: शुभ मुहूर्त: 09:18 AM - 10:50 AM, 04:44 PM - 06:16 PM राहुकाल: 03:01 PM - 04:44 PM यमघंट: 12:05 PM - 01:47 PM गुलिकाकाल: 07:27 AM - 09:10 AM अभिजित मुहूर्त: 12:07 PM - 12:54 PM
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यह जानकारी केवल सामान्य उद्देश्यों के लिए है। पंचांग और शुभ मुहूर्तों की जानकारी के लिए स्थानीय पंडित या ज्योतिषी की सलाह लें।
सुनिये देवी माँ का यह सुन्दर भजन:- https://youtu.be/oR4ZrhwfguA
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मां दुर्गा स्तुति मंत्र से मां दुर्��ा का आह्वान करें | Invoking the Power with Maa Durga Stuti Mantra
हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता की समृद्ध परंपरा में, उग्र और परोपकारी देवी मां दुर्गा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। वह दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतीक है और उसे शक्ति, साहस और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करने वाली देवी माँ के रूप में पूजा जाता है। दुनिया भर में भक्त विभिन्न माध्यमों से उनका आशीर्वाद चाहते हैं और उनसे जुड़ने का एक शक्तिशाली तरीका माँ दुर्गा स्तुति मंत्रों का पाठ है। स्तुति के ये पवित्र भजन न केवल देवी की उपस्थिति का आह्वान करते हैं बल्कि आध्यात्मिक उत्थान और आंतरिक परिवर्तन के लिए एक माध्यम के रूप में भी काम करते हैं।
माँ दुर्गा स्तुति मंत्रों का सार:
हिंदू धर्म में, मां दुर्गा स्तुति मंत्र देवी दुर्गा की स्तुति में रच��त प्राचीन संस्कृत छंदों का एक संग्रह है। ये मंत्र गहन आध्यात्मिक महत्व से ओत-प्रोत हैं और ऐसा माना जाता है कि इनमें कंपनात्मक ऊर्जा होती है जो स्वयं मां दुर्गा की दिव्य चेतना के साथ प्रतिध्वनित होती है। भक्ति और समझ के साथ मां दुर्गा के मंत्रों का जाप या पाठ करने से देवी के साथ एक शक्तिशाली आध्यात्मिक संबंध बनाया जा सकता है और शरीर के भीतर निष्क्रिय ऊर्जा को जागृत किया जा सकता है।
माँ दुर्गा स्तुति मंत्रों की शक्ति और लाभ:
दैवीय सुरक्षा का आह्वान: माँ दुर्गा को सभी बाधाओं की रक्षक और निवारणकर्ता के रूप में जाना जाता है। उनके स्तुति मंत्रों का पाठ करके, भक्त अपने जीवन में उनकी दिव्य शक्ति और सुरक्षा की तलाश करते हैं। ये मंत्र सकारात्मक ऊर्जा का कवच बनाएंगे, नकारात्मकता को दूर करेंगे और सुरक्षा की भावना प्रदान करेंगे।
आंतरिक शक्ति का विकास: माँ दुर्गा आंतरिक शक्ति और निर्भयता का प्रतीक हैं। उनके स्तुति मंत्रों का जाप करने से व्यक्तियों को शक्ति और साहस के अपने आंतरिक भंडार का उपयोग करने में मदद मिल सकती है, जिससे वे लचीलेपन और दृढ़ संकल्प के साथ चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सकते हैं।
आध्यात्मिक विकास को बढ़ाना: माँ दुर्गा स्तुति मंत्रों का पाठ करने से उत्पन्न कंपन किसी की आध्यात्मिक चेतना को उन्नत कर सकता है। वे दिव्य ऊर्जा से जुड़ने, आंतरिक विकास को सुविधाजनक बनाने और आध्यात्मिकता की गहरी भावना का पोषण करने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करते हैं।
बाधाओं पर काबू पाना: माँ दुर्गा को अक्सर विभिन्न बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने के लिए बुलाया जाता है। उनके मंत्रों का बार-बार जप करने से भक्तों को उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में बाधाओं को दूर करने, सफलता और समृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
संतुलन और सद्भाव प्राप्त करना: माँ दुर्गा दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं जो उग्रता और करुणा दोनों को समाहित करती है। उनके स्तुति मंत्रों का पाठ करके, व्यक्ति अपने दिव्य स्त्री गुणों को अपनाकर, अपने भीतर संतुलन और सद्भाव की तलाश कर सकते हैं।
माँ दुर्गा के लोकप्रिय स्तुति मंत्र:
"ओम दम दुर्गायै नमः": यह मंत्र देवी दुर्गा की दिव्य उपस्थिति का आह्वान करता है और उन्हें भय और बाधाओं से सुरक्षा और मुक्ति का आशीर्वाद प्रदान करता है।
"सर्व मंगला मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी, नारायणी नमोस्तुते": यह शक्तिशाली मंत्र मां दुर्गा को सर्वोच्च मानता है जो सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं और भक्तों को शरण देती हैं। उनका आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए इसका जाप किया जाता है।
"या देवी सर्व भूतेषु, शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः": यह मंत्र मां दुर्गा की सार्वभौमिक उपस्थिति का सम्मा�� करता है और उन्हें दिव्य ऊर्जा के अवतार के रूप में सलाम करता है। यह उनकी दिव्य शक्तियों का आह्वान करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए पढ़ा जाता है।
निष्कर्ष
माँ दुर्गा स्तुति मंत्रों में अत्यधिक आध्यात्मिक शक्ति है और यह माँ दुर्गा की दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का प्रवेश द्वार प्रदान करता है। उनके पाठ के माध्यम से, भक्त देवी की सुरक्षा, शक्ति और आशीर्वाद का आह्वान करते हुए एक गहन परिवर्तन का अनुभव कर सकते हैं। जप के अभ्यास में संलग्न होने से शक्ति, परम शक्ति और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त हो सकता है।
Invoking the power with Maa Durga Stuti Mantra
In the rich tapestry of Hindu mythology and spirituality, Maa Durga, the fierce and benevolent goddess, holds a significant place. She embodies the divine feminine energy and she is revered as the mother goddess, representing strength, courage and protection. Devotees across the globe seek her blessings via various means and one powerful way to connect with her is the recitation of Maa Durga Stuti Mantras. These sacred hymns of praise not only invoke the presence of the goddess but also serve as a channel for spiritual elevation and inner transformation.
Understanding the Essence of Maa Durga Stuti Mantras:
In Hinduism, Maa Durga Stuti Mantras are a collection of ancient Sanskrit verses composed in praise of the goddess Durga. These mantras are infused with profound spiritual significance and it is believed to hold the vibrational energy that resonates with the divine consciousness of Maa Durga herself. Chanting or reciting Maa Durga mantras with devotion and understanding can create a powerful spiritual connection with the goddess and awaken the inactive energies within the body.
The Power and Benefits of Maa Durga Stuti Mantras:
Invoking Divine Protection: Maa Durga is known as the protector and remover of all obstacles. By reciting her stuti mantras, devotees seek her divine power and protection in their lives. These mantras will create a shield of positive energy, dispelling negativity and offering a sense of security.
Cultivating Inner Strength: Maa Durga symbolizes inner strength and fearlessness. Chanting her stuti mantras can help individuals to tap into their inner reservoirs of strength and courage, enabling them to face challenges with resilience and determination.
Enhancing Spiritual Growth: The vibrations generated by reciting Maa Durga Stuti Mantras can elevate one's spiritual consciousness. They serve as a conduit for connecting with the divine energy, facilitating inner growth and nurturing a deeper sense of spirituality.
Overcoming Obstacles: Maa Durga is often called upon to overcome various hurdles and difficulties. The repetitive chanting of her mantras can help devotees to overcome obstacles in their personal and professional lives, promoting success and prosperity.
Attaining Balance and Harmony: Maa Durga represents the divine feminine energy that encompasses both ferocity and compassion. By reciting her stuti mantras, individuals can seek the balance and harmony within themselves, embracing their own divine feminine qualities.
Popular Maa Durga Stuti Mantras:
"Om Dum Durgayei Namaha": This mantra invokes the goddess Durga's divine presence and provides her blessings for protection and liberation from fears and obstacles.
"Sarva Mangala Mangalye, Shive Sarvartha Sadhike, Sharanye Tryambake Gauri, Narayani Namostute": This powerful mantra hails Maa Durga as the supreme who fulfills all desires and grants refuge to devotees. It is chanted to seek her blessings and grace.
"Ya Devi Sarva Bhuteshu, Shakti Rupena Samsthita, Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namaha": This mantra honors the universal presence of Maa Durga and salutes her as the embodiment of divine energy. It is recited to invoke her divine powers and get her blessings.
Conclusion
Maa Durga Stuti Mantras hold immense spiritual potency and offer a gateway to connect with the divine energy of Maa Durga. Through their recitation, devotees can experience a profound transformation, invoking the goddess's protection, strength and blessings. Engaging in the practice of chanting.
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नवरात्रि विशेष - Navratri Specials 2023 [22 March - 30 March]
नवरात्रि विशेष - Navratri Specials 2023 [22 March - 30 March] नवरात्रि कब, कैसे और क्यों?❀ चैत्र नवरात्रि ❀ घटस्थापना❀ राम नवमी❀ चेटी चंड ❀ मत्स्य जयंती
❀ नवरात्रि ग्रीटिंग
माता की आरतियाँ:❀ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी❀ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी❀ अम्बे तू है जगदम्बे काली❀ माँ दुर्गा, माँ काली
चालीसा:❀ दुर्गा चालीसा❀ विन्ध्येश्वरी चालीसा
नवरात्रि मंत्र:❀ दुर्गा पूजा पुष्पांजली❀ महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि❀ माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं❀ सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम्❀ श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्❀ स्वस्ति / स्वस्तिक मंत्र❀ दैनिक हवन-यज्ञ विधि
नामावली:❀ श्री दुर्गा माँ के 108 नाम❀ अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला - श्री दुर्गा द्वात्रिंशत नाम माला❀ श्री लक्ष्मी के 108 नाम - श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः❀ अन्नपूर्णा स्तोत्रम् - नित्यानन्दकरी वराभयकरी
नवरात्रि भजन:❀ नवरात्रि मे माता रानी के भजन❀ तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये❀ मैं बालक तू माता शेरां वालिए❀ आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा❀ चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है❀ मन लेके आया, माता रानी के भवन में❀ मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की❀ बड़ा प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी❀ दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ❀ भजन: मेरी अखियों के सामने ही रहना, माँ जगदम्बे❀ बेटा जो बुलाए माँ को आना चाहिए❀ सावन की बरसे बदरिया...
नवमी स्पेशल:❀ श्री राम स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन❀ भए प्रगट कृपाला दीनदयाला❀ श्री राम रक्षा स्तोत्रम्❀ श्री राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे माता के मंदिर:❀ दिल्ली मे प्रसिद्ध माता रानी के मंदिर❀ दिल्ली के प्रमुख कालीबाड़ी मंदिर❀ श्री चंद्रभागा शक्ति ��ीठ, सोमनाथ❀ माँ ब्रह्माणी मंदिर, इटावा❀ श्री महालक्ष्मी मंदिर, पुणे❀ श्री महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई❀ श्री मुंबा देवी मंदिर, मुंबई
ब्लॉग:❀ चैत्र नवरात्रि तिथियों में कैसे करें विधान से पूजा?❀ चैत्र नवरात्रि 2023 व्रत के आहार और लाभ❀ नवरात्रि में कन्या पूजन की विधि❀ भारत में सात शीर्ष माँ दुर्गा मंदिर❀ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नवरात्रि कैसे मनाते हैं?❀ चैत्र नवरात्रि के शुभ ज्योतिषीय उपाय 📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/chaitra-navratri-specials
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Chhatapur : प्रखंड क्षेत्र में बसंत पंचमी के अवसर पर गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच धूमधाम से माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की गई। प्रखंड क्षेत्र के सरकारी व गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों तथा बिभिन्न पूजा समितियों सहित विभिन्न स्थानों में माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गई। व्यापक रूप से साज सज्जा कर पूजा पंडालों को सजाया गया है। विभिन्न पूजा समितियों द्वारा निर्धारित समय में माँ सरस्वती की पूजा पंडित विद्वान के नेतृत्व किया गया। इस मौके पर विभिन्न स्थानों में संध्या काल मे कीर्तन भजन का भी आयोजन किया गया। क्षेत्र के रामपुर पंचायत स्थित पनोरमा पब्लिक स्कूल समेत अन्य स्थानों समेत आयोजन स्थलों पर मां शारदे की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रही है। आयोजन स्थलों पर विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा अर्चना कर स्कूली बच्चों ने विद्या बुद्धि देने की मांग मां शारदे से की। छातापुर के दुर्गा मंदिर में भी युवाओं ने भव्य रूप से मां शारदे की पूजा अर्चना में जुटे है। जबकि पीएसडी हब नामक कम्प्यूटर सेंटर, जीएस कोचिंग सेंटर, संकल्प स्कूल, मां शारदे पब्लिक स्कूल में भी भक्तिमय माहौल में पूजा अर्चना क�� आयोजन किया गया
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भक्त करे है पूजा माँ | devi maa ka sundar bhajan | Nistha Dhawani
भक्त करे है पूजा माँ | devi maa ka sundar bhajan | Nistha Dhawani
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मासिक पंचांग - 30 जून 2023 (शुक्रवार):
तिथि: शुक्ल पक्ष द्वादशी वार: शुक्रवार नक्षत्र: हस्ता (पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र के अंतर्गत) करण: बालव योग: सौभाग्य सूर्योदय: 5:31 AM सूर्यास्त: 7:23 PM चंद्रोदय: 11:14 PM चंद्रास्त: 11:37 AM
व्रत और त्योहार:
योगिनी एकादशी व्रत
शुभ मुहूर्त:
विवाह मुहूर्त: 7:10 AM - 8:49 AM ग्रह प्रवेश मुहूर्त: 12:33 PM - 2:17 PM
शुभ रंग:
पीला रंग शुभ होगा इस दिन। ज्योतिष संबंधी महत्वपूर्ण तिथियां:
हस्ता नक्षत्र में सूर्य अस्त होगा, इसलिए कार्यों के लिए यह शुभ मुहूर्त होगा। योगिनी एकादशी व्रत भी इस दिन मनाया जाएगा जो धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
सुनिये देवी माँ का यह सुन्दर भजन:- https://youtu.be/Sy4RIja6TVM
यह पंचांग केवल सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चंद्रास्त और कुछ महत्वपूर्ण तिथियों को शामिल करता है। पूर्ण पंचांग के लिए आप स्थानीय पंचांग या कैलेंडर से संपर्क कर सकते हैं जो आपके क्षेत्र में उपलब
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मनसा माता की आरती I ॐ जय मनसा माता, मैया जय मनसा माता
मनसा माता की आरती I ॐ जय मनसा माता, मैया जय मनसा माता
श्री मनसा देवी की आरती हिंदी में मनसा माता की आरती : मनसा देवी भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं । इनकी उत्पति भगवान शिव के मस्तक से हुई है ! इस वजह से इनका नाम मनसा पड़ा ! महाभारत के अनुसार मनसा देवी का वास्तविक नाम जरत्कारु है ! -: अन्य आरती संग्रह :- जीवदानी माता की आरती हिंगलाज माता की आरती माँ कामाख्या की आरती माँ बगलामुखी की आरती ********************** श्री मनसा माता की…
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🚩गंगा दशहरा प्रारम्भ 31 मई से 9 जून तक,इन 10 दिनों के पर्व में गंगा स्नान का विशेष महत्व - 31 मई 2022
🚩जैसे मंत्रो में ॐ कार, स्त्रियों में गोरी देवी, तत्वों में गुरुतत्व और विद्याओं में आत्म विद्या उत्तम हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण तीर्थो में गंगातीर्थ विशेष माना जाता हैं।
🚩गंगा दशहरा जिसे गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है, यह एक हिन्दू त्योहार है, जो गंगा के अवतार (अवतरण) के नाम से जाना जाता है ।
🚩गंगा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है,गंगा दशहरा के 10 दिनों में स्नान और दान का विशेष महत्व है।
🚩 इस दिन मां गंगा सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से निकल प�� पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, राजा भागीरथ के कठोर तपस्या के चलते मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था, पृथ्वी पर अवतार से पहले गंगा नदी स्वर्ग का हिस्सा थीं।
🚩गंगा दशहरा के दिन भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं और दान-पुण्य, उपवास, भजन और गंगा आरती का आयोजन करते हैं। मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
🚩हिन्दू धर्म में गंगा माँ को बहुत ऊँचा दर्जा दिया गया है। यह माना जाता है कि जब मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं तो वह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी, तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
🚩वर्तमान समय में भौतिक जीवन जी रहे मनुष्य से जाने अनजाने जो पाप कर्म हो जाते हैं उनकी मुक्ति के लिए मां गंगा की साधना करनी चाहिए। कहने का तात्पर्य है कि जिस किसी ने भी पापकर्म किये हैं और जिसे अपने किये का पश्चाताप है और पाप मुक्ति पाना चाहते है तो उसे सच्चे मन से मां गंगा की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिये।
🚩इन दिनों में गंगा नदी में दीपदान किये जाते,गंगा माँ की मूर्ति की पूजा की जाती है,महाआरती की जाती है,गंगा दशहरा हिंदुओं द्वारा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में मनाया जाता है ,जहां गंगा नदी बहती है। हरिद्वार , वाराणसी , गढ़मुक्तेश्वर , ऋषिकेश , इलाहाबाद और पटना उत्सव के मुख्य स्थान हैं।
🚩जहां भक्त गंगा के तट पर इकट्ठा होते हैं और आरती करते हैं (एक धार्मिक अनुष्ठान जिसमें एक प्रकाश दीपक को दक्षिणावर्त घुमाया जाता है। एक देवता की प्रार्थना के एक भाग के रूप में) नदी के लिए। माना जाता है कि इन दिनों में गंगा नदी में डुबकी लगाने से भक्त की मनो कामना पूर्ण होती है, गंगा स्नान शुद्धिकरण के साथ उसके किसी भी प्रकार के शारीरिक रोग को भी ठीक करता है।
🚩संस्कृत में , दशा का अर्थ है दस और हारा का अर्थ है नष्ट करना; इस प्रकार इन दस दिनों के दौरान नदी में स्नान करने से व्यक्ति को दस पापों या वैकल्पिक रूप से दस जन्मों के पापों से छुटकारा मिलता है।
🚩इन दिनों में , जो गंगा नदी तक नही पहुँच पाए तो वे गंगा का स्मरण करते हुए नर्मदा,यमुना,सरस्वती ,कावेरी,गोदावरी, सिंधु,ब्रह्मपुत्र आदि नदियों में जाकर या अपने नजदीक किसी मे नदी के तट पर जाकर गंगा का स्मरण करते हुए स्नान कर सकते है।
🚩जो गंगा घाट जैसे हरिद्वार, प्रयागराज, काशी नही जा पाए तो घर मे ही स्वच्छ जल में थोड़ा गंगा जल मिलाकर मां गंगा का स्मरण कर उससे भी स्नान कर सकते हैं।
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यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ मत पूछो कहाँ कहाँ भजन लिरिक्स | yaha waha jaha taha mat pucho kaha kaha bhajan lyrics
यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ मत पूछो कहाँ कहाँ भजन लिरिक्स | yaha waha jaha taha mat pucho kaha kaha bhajan lyrics
यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ मत पूछो कहाँ कहाँ भजन लिरिक्स yaha waha jaha taha mat pucho kaha kaha santoshi mata ke bhajan lyrics ।। दोहा ।। मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है, माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है। ~ अपनी संतोषी माँ ~ यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ , मत पूछो कहाँ कहाँ। है संतोषी माँ, अपनी संतोषी माँ। बड़ी मन भावना, निर्मल पावन, प्रेम की ये प्रतिमा। है संतोषी माँ, अपनी संतोषी माँ। इस देवी की…
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चैत्र नवरात्रि 2021 दिन 1: माँ शैलपुत्री पूजा विधी, समय, मंत्र और समाग्री
चैत्र नवरात्रि 2021 दिन 1: माँ शैलपुत्री पूजा विधी, समय, मंत्र और समाग्री
चैत्र नवरात्रि 2021 दिन 1, माँ शैलपुत्री पूजा विधान: चैत्र नवरात्रि हिंदू समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। नौ दिनों तक चलने वाले इस शुभ काल के दौरान, भक्त उपवास करते हैं और गाते हैं भजन देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों या अवतारों का आह्वान करने के लिए। वसंत नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है, इस अवधि के दौरान, भक्त एक दिन के आधार पर नौ रूपों की पूजा करते हैं – एक…
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