#दुनिया की अद्भुत रहस्य
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worldwidemovies012 · 3 months ago
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'Kanguva' release controversy: Five films of Suriya that were postponed after announcing the release date
Kanguva is one of the highly exciting films in the South Cinema. The upcoming film, featuring Suriya in the lead role and directed by Siva is creating a unique buzz in the industry.
The promotional material have grabbed the interests of the audiences so far and taking the hype to next level, the makers launched the trailer today.
Sharing the trailer, the makers wrote, “The Rise of a King,” on social media.
The trailer introduces the world of Kanguva where many mysteries are hidden. And then, the antagonist Bobby Deol is introduced with his army.
The trailer presents him as a ruthless ruler who will go any extent in the power struggle.
And to put an end to his atrocities, Suriya emerges as the leader and how he battles Bobby Deol forms the story.
The same plot has been envisioned in this amazing trailer cut. The element of revenge is the key for the plot and it has been cleverly induced but kept as an underlying element to hold the suspense.
The film will deal with two different timelines but the present trailer hides the fascinating intrigues of the present timeline.
The clever trailer will satisfy the fans who want Suriya to take up the action mode.
The visuals look grand and Devi Sri Prasad’s score is impressive. Technically, the film looks grand.
Made on a big budget, the film also features Disha Patani,Jagapathi Babu, Natty Natarajan, KS Ravikumar, and Kovai Sarala in pivotal roles. The film is scheduled for a grand release on the 10th of October 2024.
Hindi:- 'कंगुवा' रिलीज विवाद: सूर्या की पांच फिल्में जो रिलीज डेट घोषित होने के बाद स्थगित हो गईं कंगुवा साउथ सिनेमा की बेहद रोमांचक फिल्मों में से एक है।
सूर्या की मुख्य भूमिका वाली और शिवा द्वारा निर्देशित आगामी फिल्म इंडस्ट्री में एक अनोखी चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्रचार सामग्री ने अब तक दर्शकों का ध्यान खींचा है और प्रचार को अगले स्तर पर ले जाते हुए निर्माताओं ने आज ट्रेलर लॉन्च किया।
ट्रेलर को शेयर करते हुए निर्माताओं ने सोशल मीडिया पर लिखा, "द राइज ऑफ ए किंग।" ट्रेलर कंगुवा की दुनिया से परिचय कराता है जहां कई रहस्य छिपे हैं।
और फिर, प्रतिपक्षी बॉबी देओल को उसकी सेना के साथ पेश किया जाता है। ट्रेलर में उसे एक क्रूर शासक के रूप में पेश किया गया है जो सत्ता संघर्ष में किसी भी हद तक जा सकता है।
और उसके अत्याचारों को खत्म करने के लिए, सूर्या नेता के रूप में उभरता है और वह बॉबी देओल से कैसे लड़ता है, यही कहानी है। इस अद्भुत ट्रेलर कट में उसी कथानक की कल्पना की गई है।
बदला लेने का तत्व कथानक की कुंजी है और इसे चतुराई से प्रेरित किया गया है, लेकिन रहस्य को बनाए रखने के लिए इसे एक अंतर्निहित तत्व के रूप में रखा गया है।
फिल्म दो अलग-अलग समयसीमाओं से निपटेगी, लेकिन वर्तमान ट्रेलर वर्तमान समयरेखा की आकर्षक साज़िशों को छुपाता है।
चतुर ट्रेलर उन प्रशंसकों को संतुष्ट करेगा जो चाहते हैं कि सूर्या एक्शन मोड में आए। दृश्य भव्य दिखते हैं और देवी श्री प्रसाद का स्कोर प्रभावशाली है। तकनीकी रूप से, फिल्म भव्य दिखती है।
बड़े बजट पर बनी इस फिल्म में दिशा पटानी, जगपति बाबू, नट्टी नटराजन, केएस रविकुमार और कोवई सरला भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। फिल्म 10 अक्टूबर 2024 को भव्य रिलीज के लिए निर्धारित है।
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kaminimohan · 1 year ago
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1400.
कुटिल सोच और हित साधती वर्जनाएँ 
-© कामिनी मोहन। 
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संस्कार, सभ्यता, अनुशासन, परंपरा, मानवता इनके आवरण की परतों में ढके मनुष्य के गिरेबान में झाँक कर देखा जाए तो उसमें कहाँ खाज है, नज़र नहीं आता है। धर्म संस्कार और सभ्यता ने मनुष्य को विचार दिए हैं।हमारी सारी वर्जनाएँ व्यवस्था के हित के साथ जुड़ी है। कुटिलता इसे रीति बनाकर मनुष्यता से जोड़कर प्र���ारित करती है। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह सब विचार-विमर्श आख़िर है क्या। 
दूसरों के सामने निर्विचार से दिखने वाले दरअसल मानवीयता के दर्पण की तरह होते हैं। धर्म परंपरा और मान्यता की कवच से लैस स्वतंत्र तथा सतत् मंत्रमुग्ध बने रहते हैं। उनमें होता है उड़ने का हौसला। उड़ने में ख़तरे तो बहुत है, उन ख़तरों से बच गए तो ठीक है, न बचे तो हँसी में टालकर फिर से उड़ने का दम भरते हैं। 
स्नेह का अभाव हर शख़्स को खटकता है। जो शीतलता, ममता या मधुरता के दुलार से निशब्द-सी शांति मिलती है। वह अभिमान के छलावे से नहीं मिलती। अंधकार में किसी मैदान, जंगल, आकाश में अर्धवृत्त, आनंद नीलिमा और सवेरा होने से पहले प्रकृति के क्षण-क्षण बदलते रूप के दर्शन होते हैं। यह दर्शन न तो घनी अंधेरी रात में और न तो दिन के उजाले में संभव है। लोगों की सांस्कृतिक मान्यताओं और पहचान के विपरीत जाना वर्जनाओं को तोड़ना है।  क्योंकि यह मान्यताओं परंपराओं और संस्कृति का पर्याय होती है। अनुभव सबसे अच्छा शिक्षक है, और सबसे ख़राब अनुभव हमें सबसे अच्छा सबक सिखाते हैं। 
जीवन में सबसे अच्छी बात किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ना है जो ख़ामियों, ग़लतियों और कमज़ोरियों को जानता है और वो व्यक्ति हम ख़ुद हो, तो यह पूरी तरह से अद्भुत है। जब भी सपनों के सच होने की संभावना बढ़ती है तो जीवन दिलचस्प बनता जाता है। इसलिए अंधेरे को दूर करने के लिए स्वयं की बेहतरी प्रकाशयुक्त होनी चाहिए। अजीब से लगने वाले शब्द विश्वास की सतह पर सच होने चाहिए।
हम, तुम सब अजीब है। इस दुनिया में हर कोई अजीब है, हमारी पीढ़ी सोचती है कि परवाह नहीं करना अच्छा है। लेकिन हम सब जानते हैं यह ग़लत है, यह अजीब है। देख��ाल करना, परवाह करना अच्छा है। अपने कर्तव्य कर्म के प्रति वफ़ादार रहना अच्छा है। ऊँचे पेड़ छोटे बीजों से बनने में सक्षम होते हैं। बीज को वृक्ष बनने के पहले एक पूरी की पूरी देखभाल की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। 
एक रहस्य की कई परतें होती हैं। रहस्य को जानने समझने के बावजूद उनमें बहुत सारे ऐसे रहस्य होंगे, जिनका उद्देश्य हमें पता ही नहीं चल पाता है। ऐसे में आत्म-मूल्य महत्वपूर्ण हो जाता है। यदि आप अपने बारे में अच्छा महसूस नहीं करते हैं, तो किसी और चीज़ के बारे में अच्छा महसूस होना कठिन है।
फिर तो कुटिल सोच का फ़ायदा कोई न कोई वर्जना उठाने की पूरी कोशिश करेगी। तो एक ही तरीका है कि लोग जो सोचते हैं उसे दरकिनार कर समाज संस्कार सभ्यता और संस्कृति को केंद्र में रखकर निरंतर आगे बढ़ते रहा जाए।
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subeshivrain · 15 days ago
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500 साल पहले काशी में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस: जानिए कैसे हुआ यह दिव्य चमत्कार? | Divya Dharma Yagya
कबीर साहेब का दिव्य भंडारा: एक अद्भुत रहस्य और चमत्कार | कबीर परमेश्वर की लीला
नमस्कार दर्शकों!
इस वीडियो में हम आपको 500 साल पहले काशी में हुए उस अद्भुत भंडारे के बारे में बताएंगे जिसे स्वयं कबीर परमेश्वर ने किया था। कबीर साहेब, जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान की सीमाओं को चुनौती दी, ने तीन दिवसीय भंडारे में 18 लाख साधु-संतों को भोजन करवाया और दुनिया को चमत्कार का अनुभव कराया।
कैसे परमात्मा अपने भक्त की पुकार सुनते हैं, और कैसे शेखतकी की ईर्ष्या का अंत हुआ, इस पूरे भंडारे की कहानी आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। जानिए कबीर साहेब की दिव्य लीलाएं, उनका भक्ति मार्ग, और कैसे उन्होंने अपना जीवन सरलता से जिया, फिर भी ईश्वरत्व का साक्षात चमत्कार कर दिखाया।
कबीर जी की लीला न केवल भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि यह हमें सिखाती है कि परमात्मा का आशीर्वाद सच्चे भक्तों के लिए कैसे उपलब्ध होता है। इस ऐतिहासिक घटना को अंत तक देखें और जानें कैसे कबीर परमेश्वर ने संसार को भक्ति की अद्वितीय महिमा का अनुभव कराया।
साथ ही, जानिए संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 14-15-16 नवंबर 2024 को होने वाले "दिव्य धर्म यज्ञ दिवस" के बारे में, जिसमें अखंड भंडारा, सत्संग, और दहेज मुक्त आदर्श विवाह का आयोजन होगा।
📍 आयोजन स्थल:
सतलोक आश्रम धनाना धाम, सोनीपत, हरियाणा सहित अन्य 10 आश्रम।
🛑 सीधा प्रसारण देखें: 16 नवंबर को हमारे Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel और Facebook Page पर सुबह 09:15 बजे से।
कबीर साहेब की महिमा, दिव्य भंडारे का रहस्य, और अद्वितीय चमत्कार की लीला जानने के लिए वीडियो को अंत तक जरूर देखें!
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parasparivaarorg · 3 months ago
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Famous Temple in India Mahakal Ujjain
Paras Parivaar Organization: Praised Mahakal Temple (महाकाल मंदिर) in India
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जा��ा है।
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धार्मिक नगरी उज्जैन पूरी दुनिया में काफी मशहूर है। मध्य प्रदेश की तीर्थ नगरी उज्जैन में शिप्रा तट के निकट 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकालेश्वर हैं। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर भारत में भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रतिष्ठित और प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसके अलावा यहाँ हर 12 साल में कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है जो सिंहस्थ के नाम से जाना जाता है।
इस मंदिर में किए जाने वाले अनोखे अनुष्ठानों में से एक भस्म आरती है, जो अद्भुत रहस्य से भरी है इसलिए यह भस्म आरती दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करती है। आज इस ब्लॉग में हम उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के बारे में और महाकाल भस्म आरती के महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकालेश्वर
मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का यह प्रमुख मंदिर है। उज्जैन में भारत के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल मंदिर स्थित है। महाकाल की नगरी उज्जैन को सब तीर्थों में श्रेष्ठ माना जाता है। यहां 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल मंदिर स्थित है।
यह न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि अत्यधिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का स्थल भी है। मंदिर की उत्पत्ति चौथी शताब्दी ईसा पूर्व की मानी जाती है, जिसका उल्लेख मत्स्य पुराण और अवंती खंड जैसे प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में मिलता है।
इस मंदिर में किया जाने वाले सबसे मुख्य ��नुष्ठान भस्म आरती है जो हर किसी का ध्यान अपनी ओर बरबस ही खींचती है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। यह भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास स्थान माना जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि बाबा महाकालेश्वर के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
वास्तुकला
यह मंदिर उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसमें पाँच-स्तरीय शिकारा (शिखर), जटिल नक्काशी और एक विशाल प्रवेश द्वार है। इसके साथ ही मंदिर का आध्यात्मिक माहौल, पास में शिप्रा नदी के शांत घाटों के साथ मिलकर, भक्तों और पर्यटकों के लिए एक शांत वातावरण बनाता है। हिंदू धर्म में उज्जैन शहर का अपना अलग महत्व है। यह प्राचीन धार्मिक नगरी देश के 51 शक्तिपीठों और चार कुंभ स्थलों में से एक है।
क्यों कहा जाता है महाकाल ?
काल के दो अर्थ होते हैं एक समय और दूसरा मृत्यु। भगवान भोलेनाथ की नगरी उज्जैन हमेशा से ही काल-गणना के लिए बेहद उपयोगी एवं महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। देश के नक्शे में यह शहर 23.9 डिग्री उत्तर अक्षांश एवं 74.75 अंश पूर्व रेखांश पर स्थित है।
कर्क रेखा भी इस शहर के ऊपर से गुजरती है। साथ ही उज्जैन ही वह शहर है, जहां कर्क रेखा और भूमध्य रेखा एक-दूसरे को काटती है। इस शहर की इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रख काल-गणना, पंचांग निर्माण और साधना के लिए उज्जैन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
दरअसल महाकाल को महाकाल इसलिए कहा जाता है क्योंकि प्राचीन समय से ज्योतिषाचार्य यहीं से भारत की काल गणना करते आए हैं और यहीं से प्राचीन काल में पूरे विश्व का मानक समय निर्धारित होता था। इसी काल की गणना के कारण ही यहां भगवान शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है और यही वजह है कि इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर पड़ा।
“महाकाल” शब्द यानि “महान समय” है, जो भगवान शिव की शाश्वत प्रकृति को दर्शाता है। कहते हैं काल भी महाकाल के रौद्र रूप महाकाल के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं।
शास्त्रों का एक मंत्र- आकाशे तारकेलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्। मृत्युलोके च महाकालम्, त्रयलिंगम् नमोस्तुते।। यानि सृष्टि में तीन लोक हैं- आकाश, पाताल और मृत्यु लोक। आकाश लोक के स्वामी हैं तारकलिंग, पाताल के स्वामी हैं हाटकेश्वर और मृत्युलोक के स्वामी हैं महाकाल। मृत्युलोक यानी पूरे संसार के स्वामी महाकाल ही हैं।
भस्म आरती
कालों के काल महाकाल के यहाँ हर दिन सुबह भस्म आरती होती है। इस आरती की सबसे विशेष बात यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। ��ानि महाकालेश्वर मंदिर में सबसे अनोखा अनुष्ठान है भस्म आरती। इस अनुष्ठान में शिव लिंगम पर पवित्र राख, या “भस्म” लगाना शामिल है।
मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन का नाम तो हर किसी ने सुना होगा। धार्मिक मान्यताओं के लिए मशहूर यह शहर पूरी दुनिया में दो चीजों के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। इनमें से पहला है यहां स्थित बाबा महाकाल का मंदिर और दूसरा यहां होने वाला कुंभ।
कालों के काल बाबा महाकाल के इस मंदिर के दर्शन करने दूर-दूर से हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुँचते हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि यह स्थल अत्यन्त पुण्यदायी है। भगवान शिव के इस स्वरूप का वर्णन शिव पुराण में भी विस्तार से मिलता है।
भस्म आरती का समय
भस्म आरती के दर्शन करने के नियम कुछ खास होते हैं, इनका आपको पालन करना होता है। आपको बता दें कि यहां आरती करने का अधिकार सिर्फ यहाँ के पुजारियों को ही दिया जाता है अन्य लोग इसे केवल देख सकते हैं।
इस आरती को देखने के लिए पुरुषों को केवल धोती पहननी पड़ती है और महिलाओं को आरती के समय सिर पर घूंघट रखना पड़ता है। भस्म आरती का समय ऋतु परिवर्तन और सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय के साथ थोड़ा बदल जाता है। विशेष रूप से सुबह की भस्म आरती सबसे लोकप्रिय है और इसमें बहुत भीड़ होती है।
इस पवित्र समारोह को देखने और इसमें भाग लेने के लिए भक्त भोर से पहले ही जाग जाते हैं। भस्म आरती में अनुष्ठानों की एक श्रृंखला शामिल होती है, जिसमें वैदिक मंत्रों का जाप, पवित्र जल (अभिषेकम) की पेशकश और शिव पर विभूति का अनुप्रयोग शामिल है। पुजारी इन अनुष्ठानों को विधि विधान और समर्पण के साथ करते हैं।
भस्म आरती का समय
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती एक दैनिक अनुष्ठान है जो सुबह जल्दी शुरू होती है। भस्म आरती का समय निम्न है-
प्रातः भस्म आरती
यह भस्म आरती प्रातः 4:00 बजे से प्रातः 6:00 बजे तक होती है। यह सबसे प्रसिद्ध भस्म आरती है, इस पवित्र भस्म आरती के दर्शन के लिए भक्त बड़ी संख्या में आते हैं।
मध्याह्न भस्म आरती
यह भस्म आरती सुबह 10:30 से 11:00 बजे तक होती है।
संध्या भस्म आरती
इसका समय शाम 7:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक है। इसका समय सूर्यास्त के समय के साथ बदलता रहता है।
महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि भस्म आरती देखना और भगवान शिव का आशीर्वाद लेना बेहद शुभ होता है। आरती के बाद, भक्तों को प्रसाद के रूप में पवित्र राख दी जाती है। ऐसा माना जाता ​​है कि इस राख को अपने माथे या शरीर पर लगाने से आध्यात्मिक शुद्धि और सुरक्षा मिलती है।
मंदिर का वैज्ञानिक महत्व
हम सबने भगवान शिव के इस मंदिर की पौराणिक कथाओं के बारे में सुना है लेकिन इस मंदिर का वैज्ञानिक महत्व शायद आपको पता न हो। खगोल शास्त्री मान��े हैं कि मध्य प्रदेश का शहर उज्जैन ही पृथ्वी का केंद्र बिंदु है।
खगोल शास्त्रियों के अनुसार मध्य प्रदेश का यह प्राचीन शहर धरती और आकाश के बीच में स्थित है। इसके अलावा शास्त्रों में भी उज्जैन को देश का नाभि स्थल बताया गया है। यहाँ तक कि वराह पुराण में भी उज्जैन नगरी को शरीर का नाभि स्थल और बाबा महाकालेश्वर को इसका देवता कहा बताया गया है
उज्जैन के कुंभ को क्यों कहा जाता है सिंहस्थ
यहां हर 12 साल में पूर्ण कुंभ तथा हर 6 साल में अर्द्धकुंभ मेला लगता है। उज्जैन में होने वाले कुंभ मेले को सिंहस्थ कहा जाता है। आपको बता दें कि सिंहस्थ का संबंध सिंह राशि से है। जब सिंह राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तो तब उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है इसलिए उज्जैन के कुंभ को सिंहस्थ कहा जाता है।
दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है महाकाल
उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर का पौराणिक महत्व भी बहुत अधिक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां दूषण नामक राक्षस का वध कर अपने भक्तों की रक्षा की थी, जिसके बाद भक्तों के आग्रह के बाद भोलेबाबा यहां विराजमान हुए थे। दूषण का वध करने के पश्चात् भगवान शिव को कालों के काल महाकाल या भगवान महाकालेश्वर नाम से पुकारा जाने लगा।
यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा ज्योतिर्लिंग है। ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ, मल्लिकार्जुन के बाद तीसरे नंबर पर महाकालेश्वर मंदिर आता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिणमुखी है।
इसलिए तंत्र साधना के लिए इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल तंत्र साधना के लिए दक्षिणमुखी होना जरूरी है। इस मंदिर को लेकर ये भी मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे।
ज्योतिर्लिंग यानी शिव जी ज्योति स्वरूप में विराजित हैं। देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इन 12 जगहों पर शिव जी प्रकट हुए थे और भक्तों की इच्छा पूरी करने के लिए इन जगहों पर ज्योति रूप में विराजमान हो गए।
यह मंदिर हिंदुओं के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस मंदिर की तीर्थयात्रा करने से आपके सभी पाप धुल जाते हैं और आपको जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। महाकाल को उज्जैन का महाराज भी कहते हैं, माना जाता है कि किसी भी शुभ चीज को करने से पहले महाकाल का आशीर्वाद लेना बहुत ही शुभ फल देता है।
इन नामों से भी जाना जाता है उज्जैन को
शिप्रा, जिसे क्षिप्रा के नाम से भी जाना जाता है यह मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य की एक नदी है। क्षिप्रा नदी के तट पर बसे होने की वजह से इस शहर को शिप्रा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा यह शहर संस्कृत के महान कवि कालिदास की नगरी के नाम से भी काफी प्रचलित है।
यह मध्य प्रदेश के पांचवें सबसे बड़े शहरों में से है, जो अपनी धार्मिक मान्यातों के चलते दुनियाभर में पर्यटन का प्रमुख स्थल है। प्राचीन समय में उज्जैन को अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा के नाम से भी जाना जाता था।
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beenews4u · 9 months ago
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श्री विपिन खुटैल ने दिल्ली में भारत के शीर्ष गुप्त विज्ञान के उत्साही लोगों को संबोधित किया
श्री विपिन खुटैल ने दिल्ली में भारत के शीर्ष गुप्त विज्ञान के उत्साही लोगों को संबोधित किया
भारत के शीर्ष गुप्त विज्ञान के उत्साही नई दिल्ली में आयोजित अज्ञातOnSearch— पुरस्कार और संगोष्ठी में एकत्रित हुए
28 फरवरी, 2023 को, नई दिल्ली ने संविधान क्लब ऑफ इंडिया में राजेन विजय बब्बुता , अंजली कपूर धमेजा , नेहा भट्ट सूरी द्वारा आयोजित एक अनोखे कार्यक्रम #अज्ञात OnSearch— पुरस्कार और संगोष्ठी की मेजबानी की।
यह संगोष्ठी, जिसका उद्देश्य गुप्त विज्ञान और अध्ययन के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा देना और चर्चा करना था, को भारत के प्रमुख डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञ और प्रशिक्षक, “बीइंग टॉपर” के संस्थापक विपिन खुटेल द्वारा समर्थित किया गया था।
कार्यक्रम को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित किया गया था, जिसे जानबूझकर दुनिया को यह संदेश देने के लिए चुना गया था कि गुप्त अभ्यास पूरी तरह से वैज्ञानिक आधारित हैं, और यह कि सभी पश्चिमी प्रथाओं की जड़ें भारत के वैदिक काल में हैं, जिन्हें पश्चिम द्वारा विपणन किया गया था, जबकि भारतीय प्रथाओं को जानबूझकर झूठे प्रचार द्वारा घृणा के स्तर तक बदनाम किया गया था, जैसा कि श्री विपिन खुटेल ने बताया।
श्री विपिन खुटैल भारत के एक प्रसिद्ध डिजिटल मार्केटर और उद्यमी हैं। सामाजिक कारणों और सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने के प्रति जुनून के साथ, उन्होंने उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में खुद को स्थापित किया है। अपनी पहल और कार्यक्रमों के माध्यम से, श्री विपिन खुटैल सामाजिक सुधार की दिशा में काम करने वाले व्यक्तियों को मान्यता और उत्सव के अवसर बनाना जारी रखते हैं।
भारत का संविधान सभागार तालियों से गूँझ उठा जब एक युवा नेता विपिन खुटेल ने सनातन के पक्ष में हूंकार भरी 
“शास्त्रों की शक्तियों पर खोज- अनुसंधान का,
अज्ञात on Search एक विषय है विज्ञान का।
भारतीय ज्ञान-विज्ञान को बदनाम यूँ किया गया, अंधविश्वास, पाखंड, कभी रहस्य नाम दिया गया।
ज्योतिष, अंक शास्त्र, ये सब भारतीय विधाएं हैं,
विज्ञान का अति प्रखर रूप, ये अपने में समाए हैं।
जरूरत है बस, इन्हें फिर से जगाने की,
भारतीय यह ज्ञान, सारी दुनिया में फैलाने की।
आ गया अब समय, प्राचीन ज्ञान को जगाने का, शास्त्रों की अद्भुत शक्तियों से दुनिया को हिलाने का।”
इन शब्दों के साथ श्री विपिन खुटेल के उस एतिहासिक भाषड़ की सुरुआत हुई आइए पढ़ते सम्पूर्ण भाषड़ जिसने युवा पीढ़ी को नयी दिशा दी 
उन्होंने कहा : “ मैं, विपिन कुटैल, फाउंडर- बीइंग टॉपर इंस्टिट्यूट, आज कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम, अज्ञानOnSearch-23 में आ�� सभी गरिमामय एवं गणमान्य अतिथियों का स्वागत करता हूं तथा आप सभी आदरणीयों को यह आश्वस्त करता हूं कि आज का यह कार्यक्रम एक अति विशेष कार्यक्रम होने जा रहा है। आज के इस कार्यक्रम की दर्शक-दीर्घा, कोई आम दर्शक दीर्घा नहीं है। आज, यहाँ सभी अति विशिष्ट व्यक्तित्व इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पधारे हैं। बेहद नामी-गिरामी, उच्च पदों पर आसीन, विलक्षण प्रतिभाएं आज हमारे साथ इस कार्यक्रम का हिस्सा हैं, इसके लिए हम सब स्वयं को गौरवांवित महसूस करते हुए एक बार सभी की विशेष उपस्थिति के लिए करतल ध्वनि से स्वागत करते हैं।
इस कार्यक्रम के शीर्षक में हमने हिंदी को अंग्रेजी से पहले वरीयता दी है, इसके पीछे भी यह विशेष कारण है कि आज का यह कार्यक्रम देश-गर्व का एक कार्यक्रम बन सके। आज के इस विशेष कार्यक्रम में हम जानेंगे कि भारतीय शास्त्रों में छिपे गूढ़ ज्ञान-विज्ञान को पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करने वालों ने किस प्रकार पाखंड व अंधविश्वास का नाम देकर दरकिनार कर दिया और किस प्रकार वैज्ञानिकता एवं विज्ञान के प्रचार-प्रसार का सारा श्रेय, पश्चिमी देशों ने हमसे छीन लिया। भारत, एक ऐसा देश जो सदा से ही विश्वगुरु कहलाता आया है, एक ऐसा देश जहां सभ्यता सबसे पहले पनपी, एक ऐसा देश जहां रामायण और महाभारत काल में भी विज्ञान अपने सर्वोत्तम शिखर पर था और इस बात के बहुत से साक्ष्य और सबूत हमें आज भी पुरातत्व-विभाग के माध्यम से मिलते रहते हैं। ऐसे में भारत के शास्त्रों में वर्णित गूढ़ ज्ञान-विज्ञान के गहन विषयों जैसे कि ज्योतिष, अंक शास्त्र, नाड़ी विज्ञान, रहस्य शास्त्र आदि को हम भला किस प्रकार पाखंड का दर्जा दे सकते हैं ??? जबकि यह स्वयं में विज्ञान का चरम रूप हैं। यह भारतीय वैज्ञानिकों की प्रकांडता, उच्चकोटि की उनकी दूरदर्शिता व विलक्षण प्रतिभा का प्रतीक ही है कि भारतीय ज्योतिष विज्ञान एक बालक के जन्म के समय पर या उससे भी कहीं पहले, उसके भावी जीवन में होने वाली समस्त महत्वपूर्ण घटनाओं को पूरे विस्तार के साथ वर्णित करने की क्षमता रखता है, यह विज्ञान का सर्वोत्तम रूप नहीं तो और क्या है? दक्षिण भारत में प्रचलित नाड़ी ज्योतिष विज्ञान केवल किसी व्यक्ति के अंगूठे के चिह्न भर के माध्यम से उसके जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का लेखा-जोखा ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर देता है, यह भारतीय विज्ञान का अद्भुत रूप नहीं तो और क्या है? पाश्चात्य देशों का विज्ञान यहाँ तक अभी पहुंच ही नहीं पाया है और जिसे वे समझ नहीं पाते, उसे वे पाखंड का नाम दे देते हैं।
तो आज का यह कार्यक्रम इसी शोध की श्रृंखला में एक कदम है ताकि हम भारतीय शास्त्रों में वर्णित ज्ञान- विज्ञान को पूरे विश्व में स्थापित कर सकें और आज ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ पर पूरे विश्व को एक संदेश दे सकें कि भारत बाकी सभी क्षेत्रों की तरह विज्ञान के क्षेत्र में भी दुनिया का एक अग्रणी देश तबसे है, जब दुनिया के बाकी देशों में विज्ञान का सूर्योदय हुआ भी नहीं था।
तो आप सभी से मेरा अनुरोध है कि आज के इस विशेष कार्यक्रम को और अधिक विशेष बनाने के लिए हम सब इस कार्यक्रम एवं विषय की गंभीरता को समझते हुए ही अपने आख्यान ���हाँ प्रस्तुत करें और साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आज हम सभी के सामने सामान्य दर्शक नहीं हैं, हम सभी को सुनने के लिए सभी बेहद विशिष्ट व्यक्तित्व आज यहां हमारे सामने मौजूद हैं। तो आइए इस ख़ास कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हैं- “
संगोष्ठी में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें श्री राज कुमार गोयल, आत्मनिर्भर भारत फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक, सुश्री सुनीता दुग्गल लोकसभा सांसद (सीरसा), श्री प्रदीप गांधी पूर्व सांसद, छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ज्योतिषी और अभिनेता डॉ. सुदीप कोचर, हिंदू विद्वान ज्योतिषी के रूप में मीडिया चैनलों के साथ काम करने वाली प्रियंका टंडन, न्यूज़ नेशन, इंडिया न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, गायन सनसनी श्री शंकर सहनी, सेलिब्रिटी ब्यूटी पेजेंट कोच और विश्व रिकॉर्ड धारक लेफ्टिनेंट रीता गंगवानी, और पूरे भारत के कई महान ज्योतिषियों, हीलरों, अंकशास्त्रियों और टैरो कार्ड रीडर्स ने भाग लिया।
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sprasadsworld · 10 months ago
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🔸संत रामपाल जी महाराज जी के 37वें बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य🔸
संत रामपालजी महाराज एक सच्चे संत हैं।
गीता ज्ञान के अनुसार तत्वदर्शी संत हैं जो एक समय में पूरे विश्व में एक ही होता है.
जिसकी पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई है।
विश्व के सभी सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी के अनुसार, वो महापुरुष जगत का तारणहार संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है। जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है। विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है।
कबीर साहेब की वाणी है:-
कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वयं कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं। जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्वगुरु हो कर, एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि, सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें। और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
#SantRampalJiBodhDiwas
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#TheMission_Of_SantRampalJi
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shinybanditathletealmond · 10 months ago
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🔸संत रामपाल जी महाराज जी के 37वें बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य🔸
संत रामपालजी महाराज एक सच्चे संत हैं।
गीता ज्ञान के अनुसार तत्वदर्शी संत हैं जो एक समय में पूरे विश्व में एक ही होता है.
जिसकी पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई है।
विश्व के सभी सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी के अनुसार, वो महापुरुष जगत का तारणहार संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है। जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है। विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है।
कबीर साहेब की वाणी है:-
कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वयं कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं। जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्वगुरु हो कर, एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि, सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें। और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
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sewakpatel · 10 months ago
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🔸संत रामपाल जी महाराज जी के 37वें बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य🔸
संत रामपालजी महाराज एक सच्चे संत हैं।
गीता ज्ञान के अनुसार तत्वदर्शी संत हैं जो एक समय में पूरे विश्व में एक ही होता है.
जिसकी पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई है।
विश्व के सभी सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी के अनुसार, वो महापुरुष जगत का तारणहार संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है। जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है। विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है।
कबीर साहेब की वाणी है:-
कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वयं कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं। जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्वगुरु हो कर, एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि, सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें। और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
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vipin42 · 10 months ago
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🔸संत रामपाल जी महाराज जी के 37वें बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य🔸
संत रामपालजी महाराज एक सच्चे संत हैं।
गीता ज्ञान के अनुसार तत्वदर्शी संत हैं जो एक समय में पूरे विश्व में एक ही होता है.
जिसकी पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई है।
विश्व के सभी सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी के अनुसार, वो महापुरुष जगत का तारणहार संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है। जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है। विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है।
कबीर साहेब की वाणी है:-
कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वयं कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं। जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्वगुरु हो कर, एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि, सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें। और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
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mohabbat7748 · 10 months ago
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🔸संत रामपाल जी महाराज जी के 37वें बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य🔸
संत रामपालजी महाराज एक सच्चे संत हैं।
गीता ज्ञान के अनुसार तत्वदर्शी संत हैं जो एक समय में पूरे विश्व में एक ही होता है.
जिसकी पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई है।
विश्व के सभी सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी के अनुसार, वो महापुरुष जगत का तारणहार संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है। जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है। विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है।
कबीर साहेब की वाणी है:-
कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वयं कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं। जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्वगुरु हो कर, एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि, सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें। और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
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sagar-jaybhay · 1 year ago
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Achieve Radiant Skin with These Simple Makeup Tips
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Achieve Radiant Skin with These Simple Makeup Tips
नमस्कार, प्यारे पाठकों! क्या आप कभी अपने मेकअप रूटीन को पूरा करने में बहुत अधिक समय लगाने से थक चुके हैं? खैर, अच्छी खबर! निर्दोष त्वचा प्राप्त करना एक लंबी प्रक्रिया नहीं है। सही टिप्स, एक चुटकी जादुई स्पर्श और कुछ आवश्यक उत्पादों के साथ, आप आसानी से उस चमकदार, बिना मेकअप के मेकअप लुक को प्राप्त कर सकते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, मैं आपको कम से कम मेकअप के साथ निर्दोष त्वचा प्राप्त करने के रहस्य बताऊँगी। तो, आइए अंदर कूदें और प्राकृतिक रूप से निर्दोष रूप पाने की कुंजी खोजें!
त्वचा की देखभाल को प्राथमिकता दें: निर्दोष त्वचा की यात्रा एक विश्वसनीय त्वचा देखभाल दिनचर्या से शुरू होती है। स्वस्थ और चमकती त्वचा बनाए रखने के लिए सफाई, टोनिंग और मॉइस्चराइजिंग को अपना दैनिक अनुष्ठान बनाएं। ऐसे उत्पादों का चयन करें जो आपकी त्वचा के प्रकार से मेल खाते हों, और ताज़ा, चमकदार रंगत के लिए नियमित रूप से एक्सफोलिएट करना न भूलें। याद रखें, अच्छी तरह से तैयार त्वचा ��ेकअप के लिए आदर्श कैनवास है! हाइड्रेटेड रहें: पानी आपकी त्वचा का सबसे अच्छा दोस्त है। मोटा, स्वस्थ त्वचा के लिए पूरे दिन खुद को हाइड्रेटेड रखें। यह सरल कदम आपकी त्वचा की बनावट और समग्र रूप को बढ़ाने में चमत्कार कर सकता है। उस पानी की बोतल को पकड़ें और उस चमकदार चमक को बनाए रखें! हल्का फाउंडेशन चुनें: कम से कम मेकअप के लिए लाइटवेट फाउंडेशन या टिंटेड मॉइस्चराइज़र की आवश्यकता होती है। प्राकृतिक, निर्दोष फिनिश के लिए बिल्डेबल कवरेज प्रदान करने वाले उत्पादों की तलाश करें। भारी नींव से दूर रहें जो आपको नीचे गिरा सकती हैं और आपकी त्वचा को प्राकृतिक से कम दिखा सकती हैं।
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Model in light makeup holding spring flower सटीक कंसीलिंग: जब खामियों को ढंकने की बात आती है, तो आपकी त्वचा की टोन से मेल खाना वाला एक मलाईदार कंसीलर आपका गुप्त हथियार है। इसे ब्लेमिश, डार्क सर्कल्स या लालिमा पर कम से कम लगाएं, इसे सहज रूप से निर्दोष लुक के लिए ब्लेंड करें। याद रखें, जब आपकी प्राकृतिक सुंदरता को चमकने देने की बात आती है तो कम ज्यादा होता है! ब्लश ब्रिलियंस: अपने रंग को तुरंत चमकाने और एक युवा चमक देने के लिए थोड़ा सा ब्लश लगाएं। ऐसी पीची या गुलाबी छाया चुनें जो आपकी त्वचा की टोन के अनुकूल हो और इसे गालों के सेब पर उस सूक्ष्म रंग के लिए लगाएं। अपनी चमकती त्वचा के साथ दुनिया को जीतने के लिए तैयार! आंखें जो बोलती हैं: कम से कम मेकअप का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी आंखों की उपेक्षा करें। काजल के कुछ कोट और प्राकृतिक-टोंड आईशैडो का एक टुकड़ा अद्भुत काम कर सकता है। अपनी आंखों को खोलने के लिए लंबा करने वाले मस्कारा के साथ अपनी पलकों को परिभाषित करें, और अपने प्राकृतिक आंखों के रंग को बढ़ाने के लिए एक तटस्थ आईशैडो शेड जोड़ें। सरल लेकिन आश्चर्यजनक! Achieve Radiant Skin with These Simple Makeup Tips परफेक्ट पाउट: अपने प्राकृतिक होंठों के रंग को बढ़ाने वाले लिप प्रोडक्ट के साथ अपने न्यूनतम मेकअप लुक को पूरा करें। अपने होंठों में ताजगी और हाइड्रेशन जोड़ने के लिए टिंटेड लिप बाम या न्यूड लिपस्टिक चुनें। यह सहज Achieve Radiant Skin with These Simple Makeup Tips
बेहतरीन त्वचा पाने के लिए शीर्ष 10 ब्रांड:
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Glossierhttps://www.insider.com/guides/beauty/glossier-review Fenty Beauty
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“The Adventures of Sherlock Holmes” by Arthur Conan Doyle Audiobook- Audicate
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शीर्षक: "आर्थर कोनन डॉयल द्वारा 'शर्लॉक होल्म्स के साहसी अद्भुत किस्से': ध्वनि के माध्यम से पहेलियों का खुलासा"
परिचय
सर आर्थर कोनन डॉयल द्वारा लिखी गई "शर्लॉक होल्म्स के साहसी अद्भुत किस्से" एक साहित्यिक महाकाव्य है जिसने पीढ़ियों से अपनी ओर मोहित किया है। इस डिटेक्टिव कहानी संग्रह में ब्रिलियंट शर्लॉक होल्म्स और उनके वफादार दोस्त डॉ. जॉन वॉटसन का साथ एक ही ध्वनि के रूप में उपलब्ध है, यह न केवल साहित्य की दुनिया में एक श्रेष्ठ कृति है, बल्कि Audicate एप पर एक मोहक ऑडियोबुक के रूप में भी उपलब्ध है, जिससे सुनने वाले लोग विक्टोरियन लंदन की दुनिया और रहस्यों की रहमानी में डूब सकते हैं।
कहानियाँ
यह संग्रह शर्लॉक होल्म्स के कुछ प्रमुख किस्सों को एक साथ लाता है, जिसमें हर किस्से में संवाद, तर्कपूर्ण तर्क, और होल्म्स की अद्वितीय क्षमता है कि वह सबसे पेचीदा मामले को भी हल कर सकते हैं। "आ स्कैंडल इन बोहेमिया" से "द स्पेकल्ड बैंड के अद्भुत किस्से" तक, पाठकों को एक रोमांचक यात्रा पर ले जाया जाता है, जबकि होल्म्स और वॉटसन चिटठीभर के पहेलियों का खुलासा करते हैं और धूर्त अपराधियों से मुख करते हैं।
शर्लॉक होल्म्स: मास्टर डिटेक्टिव
शर्लॉक होल्म्स, उनकी चुरायी हुई बुद्धिमत्ता और तेज दृष्टिकोण कौशल के साथ एक पात्र है जिसने डिटेक्टिव फिक्शन के साथ साथ अपने आप को जोड़ लिया है। उनके असामान्य तरीके, जैसे फॉरेंसिक साइंस और तर्क
पूर्ण तर्क, उन्हें अन्य सबसे बेहतरीन डिटेक्टिव के रूप में स्थापित किया है। डॉ. जॉन वॉटसन की वफादार वर्णन ने पाठकों को इस असामान्य डिटेक्टिव के मन की दुनिया के अंदर की ओक़ात दी है।
थीम्स और महत्व
"शर्लॉक होल्म्स के साहसी अद्भुत किस्से" विभिन्न थीम्स का पता लगाते हैं:
रहस्य और संवाद: प्रत्येक किस्सा एक अनूठी पहेली प्रस्तुत करता है जो पाठकों को उनकी सीटों क�� क़ीन में बैठा देती है, होल्म्स की तर्कशक्ति की महानता का प्रदर्शन करती है।
दोस्ती और वफादारी: होल्म्स और वॉटसन की चिरस्थायी दोस्ती एक महत्वपूर्ण थीम है, जो वफादारी और मित्रभाव के महत्व को हाइलाइट करती है।
न्याय और नैतिकता: होल्म्स का न्याय की पुरस्कृति के पीछे भाग्य के समय भी मामले के गहरे नैतिक संघर्षों को जोड़ने का आदान-प्रदान करता है।
मानव स्वभाव: अपने मामलों के माध्यम से, होल्म्स मानव व्यवहार और मानसिकता की जटिलताओं के बारे में दृष्टि प्रदान करते हैं।
Audicate पर ऑडियोबुक अनुभव
Audicate ऐप पर "शर्लॉक होल्म्स के साहसी अद्भुत किस्से" के रूप में ऑडियोबुक के रूप में उपलब्ध होने से पाठन अनुभव को समृद्ध करता है:
रंगीन वर्णन: ऑडियोबुक को विशेषज्ञता से वर्णन देता है, जिससे पाठकों को व्यक्तिगतता और किस्सों की ध्वनि अभिनय के साथ जीवंत होने में मदद मिलती है।
रसीला अनुभव: सुनने वाले लोग विक्टोरियन लंदन की दुनिया में डूब सकते हैं, जिसमें समय की वातावरण, उच्चारण, और युग की विशेषताएँ शामिल हैं।
सुविधाजनक पहुंच: ऑडियोबुक अनुभव को आने जाने में सुविधा प्रदान करते हैं, विशेष रूप से उनके लिए जिन्होंने शर्लॉक होल्म्स की दुनिया में नई शुरुआत की है।
समझने में मदद: ऑडियोबुक प्रारूप किस्सों की जटिलताओं को समझने में मदद कर सकता है, विशेष रूप से उन्हें जो शर्लॉक होल्म्स की दुनिया के नए हैं।
**निष्क
र्षण**
आर्थर कोनन डॉयल द्वारा लिखी गई "शर्लॉक होल्म्स के साहसी अद्भुत किस्से" एक ऐसा डिटेक्टिव कहानी संग्रह है जो दुनिया भर के पाठकों को लुभाने और मनोरंजन प्रदान करता है। Audicate ऐप पर ऑडियोबुक के रूप में उपलब्ध होने से होल्म्स के रहस्यों और विक्टोरियन लंदन की चार्म में एक नई और मोहक तरीके से जीवन आता है। चाहे आप शर्लॉक होल्म्स के प्रति पुराने प्रेमिका हों या उनके अद्भुत किस्सों के नए प्रशंसक हों, Audicate पर ऑडियोबुक एक रोमांचक और आवश्यक अनुभव प्रदान करता है, जो आपको पुजे से गाइड करने तक के सुनहरे रास्तों पर बढ़ते रहने में रुचि रखेगा।
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maddyfeed-blog · 8 years ago
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Bharat ki rochak baaten : भारत का नाम इंडिया इंडस नदी के नाम से लिया गया है
Bharat ki rochak baaten
Bharat ki rochak baaten: aaj hum aapko btange Bharat ki rochak baaten or hume yakin hai ki aapne asi Bharat ki rochak baaten phele kabhi nahi suni hogi to chaliye shuru kre hain Bharat ki rochak baaten
Bharat ki rochak baaten
Bharat ki rochak baaten
सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है इसलिए भारत दुनिया की सबसे पुरानी सबसे उन्नत और सदियों से चलती आ रही है
सब…
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dewchan7865-blog · 6 years ago
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Love shayari in hindi for girlfriend with image hindi
हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में, हम अपने काम करने में इतने व्यस्त हैं कि हम अक्सर अपने प्रियजनों को विशेष महसूस करना भूल जाते हैं। हमारे पास यह समय-सारणी है, नियमित रूप से पालन करने के लिए और हम ऐसा करने में ��्यस्त हैं कि हम धीमा करना भूल जाते हैं।
अधिक बार नहीं, हम अपने काम को अपने साथ घर लाते हैं। हममें से अधिकांश ने अपने साथी को प्यार का एहसास कराने के लिए कभी भी प्रयास नहीं किया। हम अक्सर दी हुई चीजों को लेना शुरू कर देते हैं।
शादी में, अपने साथी को अभी और फिर प्यार और खास महसूस कराना महत्वपूर्ण है। प्रेम को जीवित रखने का रहस्य उन प्रयासों को सामने रखना है जो आपने तब किया था जब प्रेम नया था। अधिकांश समय, पति अन्य प्रतिबद्धताओं की खेती में इतने व्यस्त होते हैं कि वे भूल जाते हैं कि उनकी एक सुंदर पत्नी है, जिसे उन्हें विशेष महसूस कराया जाना चाहिए।
हाँ, हम जानते हैं कि हर दिन क्रिसमस नहीं है और हर रात धन्यवाद नहीं है। लेकिन, अपनी शादी में चिंगारी को जीवित रखने के लिए, यह आवश्यक है कि आप अपनी पत्नी को अधिक बार प्यार करें और उसे बताएं कि वह आपके लिए क्या मायने रखती है। अक्सर उसे यह न बताने के लिए दोषी महसूस कर रही है? चिंता मत करो। अभी इतनी देर नहीं हुई है।
एक अच्छे पति को अपनी शादी की सालगिरह या वेलेंटाइन डे या अपनी प्यारी पत्नी के जन्मदिन का इंतजार नहीं करना चाहिए कि मैं आपको प्यार करता हूं या केवल इन विशेष अवसरों पर प्रेम संदेश भेजें। यद्यपि आपके पास एक व्यस्त जीवन है, आपकी पत्नी कुछ रोमांटिक शब्दों की हकदार है।
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1. "मैं अक्सर यह देखने के लिए खुद को चुटकी लेता हूं कि क्या मैं सपना देख रहा हूं क्योंकि यह आपके जैसी आदर्श पत्नी और आपके द्वारा दिए गए पूर्ण जीवन के लिए अविश्वसनीय है। मैं आपसे प्यार करता हूँ प्रिय।"
2. "डेटिंग से लेकर शादी तक, बच्चों को गिरवी रखने से लेकर, जीवन एक अद्भुत सवारी रहा है क्योंकि आप मेरी तरफ से थे, यह सब कुछ था। मैं तुम्हें हमेशा प्यार करूंगा।"
3. "मैं एक मजबूत शरीर पाने के लिए सालों से जिम कर रहा हूं। मैं अथक प्रयास कर रहा हूं ताकि स्पोर्ट्स कार का खर्च उठा सकूं। लेकिन सभी चीजों में से, कुछ भी मेरे अहंकार को बढ़ावा नहीं दिया है जैसे कि मेरी बाहों में एक सुंदर और सेक्सी महिला थी। वाइफ, आई लव यू। ”
4. "शायद हर रोज की एकरसता ने हमें वह आकर्षण खो ��िया है जो हम दो के पास था, लेकिन मैं चाहता हूं कि आप यह जानें कि आप मेरे सपनों की महिला हैं और मुझे नहीं पता कि मैं आपके बिना क्या करूंगा। । आप वही हैं जिसकी मुझे तलाश थी। मुझे पता है कि मैं आपको यह अक्सर नहीं बताता, लेकिन मैं वास्तव में आपसे प्यार करता हूं। ”
5. “दुनिया की सभी मीठी चीजों में, आप निस्संदेह सबसे प्यारी हैं। किसी और ने भी मुझे ऐसा महसूस नहीं कराया होगा जैसा आप करते हैं। आपने मेरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है और आप इसे जानते हैं। मैं आपसे प्यार करता हूं और मैं हमेशा करता हूं। Xoxo! "
6. "आपको प्यार करना सबसे अच्छी बात है जो मैंने कभी किया है; यदि जीवन बाधाओं से भरा है, तो यदि आप मेरी तरफ हैं तो मैं इसे पार करने के लिए तैयार हूं। मुझे और प्यार करो और मुझे अपने दिल में रखो, यही मैं चाहता हूं। तुम मेरे जीवन का प्यार और मेरे मुस्कुराने का कारण हो। ”
7. "अपने हाथों को छोड़कर मैं अपना पूरा जीवन कैसे बिताना चाहता हूं; यह मुझे जीने का प्यार और होने की खुशी देता है; आपकी दृष्टि मुझे शांति देती है और दुनिया को इससे कहीं अधिक सुंदर बनाती है। मुझे तुमसे प्यार है, मेरी जान।"
8. “तुम मेरे लायक हो; तुम मेरे जीवन के हर पल के लायक हो - सुबह, दोपहर और रात। तुम मेरे आज और कल के योग्य हो क्योंकि तुम एक और एक ही पत्नी हो! मैं तुमसे प्यार करता हूँ!"
9. "मैं कभी भी आपके लिए पर्याप्त नहीं हो सकता, भले ही मैंने आपके साथ हर एक सेकंड बिताया हो। सच में, जितना अधिक हम एक दूसरे को देखते हैं, उतना ही मैं आपकी कंपनी को पसंद करता हूं। मैं तुम्हें प्यार करती हूं जानू।"
10. "सारा दिन मैं लोगों की बातें सुनता हूं। लेकिन जैसे ही मुझे तुम्हारी मीठी आवाज़ सुनने को मिलती है, मेरे आस-पास के अन्य सभी शोर अनुपयोगी लगते हैं - मैं जो सुन सकता हूँ वह सब मीठी आवाज़ है।
11. "जैसे शराब पुरानी होती जाती है, वैसे ही आप उम्र के साथ सुंदर होते जाते हैं। मैं हर गुजरते दिन के साथ आपके प्यार में थोड़ा पड़ जाता हूं। ”
12. "मेरे लिए आपके मतलब के शब्दों का वर्णन करने के लिए पर्याप्त नहीं है।" मुझे पता है कि आप मेरी दुनिया और मेरे पूरे दिल के केंद्र हैं। मैं तुम्हें सच में प्यार करता हूँ।"
13. “तुम्हारा प्यार मेरे लिए अनमोल है; मैं नहीं जानता कि मैं कैसे अपने जीवन भर दिए गए प्रेम और स्नेह को पुनः प्राप्त कर सकूंगा। सहनशीलता के लिए, देखभाल के लिए, स्नेह के लिए और मुझे समझने के लिए, दुनिया को जीने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए धन्यवाद। मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"
14. "टेडी को सारी कडलिंग मिलती है, और यह उचित नहीं है अपनी पत्नी को बताएं कि आप वह बनना चाहती हैं जो वह रात मे�� या जब वह दुखी होती है।
15. "रात में, सितारों से भरा थैस्की, आप वही हैं जो इतना उज्ज्वल चमकता है। मेरे चंद्रमा होने और मेरे सबसे गहरे घंटों को रोशन करने के लिए धन्यवाद। ”
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karanaram · 3 years ago
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वास्तव में वैज्ञानिक ही ऋषि-मुनि ही थे.. जानिए उनके दिव्य आविष्कार 21 मार्च 202
भारत की धरती को ऋषि, मुनि, सिद्ध और देवताओं की भूमि के नाम से पुकारा जाता है। यह कई तरह के विलक्षण ज्ञान व चमत्कारों से पटी पड़ी है। सनातन धर्म वेदों को मानता है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने घोर तप, कर्म, उपासना, संयम के जरिए वेदों में छिपे इस गूढ़ ज्ञान व विज्ञान को ही जानकर हजारों साल पहले कुदरत से जुड़े कई रहस्य उजागर करने के साथ कई आविष्कार किये व युक्तियां बताई। ऐसे विलक्षण ज्ञान के आगे आधुनिक विज्ञान भी नतमस्तक होता है।
कई ऋषि-मुनियों ने तो वेदों की मंत्र-शक्ति को कठोर योग व तपोबल से साधकर ऐसे अद्भुत कारनामों को अंजाम दिया कि बड़े-बड़े राजवंश व महाबली राजाओं को भी झुकना पड़ा।
★ भास्कराचार्य :- आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है'।
★ आचार्य कणाद :- कणाद परमाणु की अवधारणा के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले महर्षि कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं।
उनके अनासक्त जीवन के बारे में यह रोचक मान्यता भी है कि किसी काम से बाहर जाते तो घर लौटते वक्त रास्तों में पड़ी चीजों या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवनयापन करते थे। इसीलिए उनका नाम कणाद भी प्रसिद्ध हुआ।
★ ऋषि विश्वामित्र :- ऋषि बनने से पहले विश्वामित्र क्षत्रिय थे। ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद तपस्वी हो गए। विश्वामित्र ने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई। इसी कड़ी में माना जाता है कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों साल पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी।
ऋषि विश्वामित्र ही ब्रह्म गायत्री मंत्र के दृष्टा माने जाते हैं। विश्वामित्र का अप्सरा मेनका पर मोहित होकर तपस्या भंग करना भी प्रसिद्ध है। शरीर सहित त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का चमत्कार भी विश्वामित्र ने तपोबल से कर दिखाया।
★ ऋषि भारद्वाज :- आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कई सदियों पहले ही ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण वि��ार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के रहस्य उजागर किए। इस तरह ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता है।
★ गर्ग मुनि :- गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार।
ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बारे में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ। कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे।
★ महर्षि सुश्रुत :- ये शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक (सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी गई ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में कई अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है। जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे।
★ आचार्य चरक :- ‘चरकसंहिता’ जैसा महत्वपूर्ण आयुर्वेद ग्रंथ रचने वाले आचार्य चरक आयुर्वेद विशेषज्ञ व ‘त्वचा चिकित्सक’ भी बताए गए हैं। आचार्य चरक ने शरीरविज्ञान, गर्भविज्ञान, औषधि विज्ञान के बारे में गहन खोज की। आज के दौर में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों जैसे डायबिटीज, हृदय रोग व क्षय रोग के निदान व उपचार की जानकारी बरसों पहले ही उजागर कर दी।
★ पतंजलि :- आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है।
★ बौद्धयन :- भारतीय त्रिकोणमितिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। कई सदियों पहले ही तरह-तरह के आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाने की त्रिकोणमितिय रचना-पद्धति बौद्धयन ने खोजी। दो समकोण समभुज चौकोर के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आ��गी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में बदलना, इस तरह के कई मुश्किल सवालों का जवाब बौद्धयन ने आसान बनाया।
★ महर्षि दधीचि :- महातपोबलि और शिव भक्त ऋषि थे। संसार के लिए कल्याण व त्याग की भावना रख वृत्तासुर का नाश करने के लिए अपनी अस्थियों का दान कर महर्षि दधीचि पूजनीय व स्मरणीय हैं।
इस संबंध में पौराणिक कथा है कि एक बार देवराज इंद्र की सभा में देवगुरु बृहस्पति आए। अहंकार से चूर इंद्र गुरु बृहस्पति के सम्मान में उठकर खड़े नहीं हुए। बृहस्पति ने इसे अपना अपमान समझा और देवताओं को छोड़कर चले गए। देवताओं को विश्वरूप को अपना गुरु बनाकर काम चलाना पड़ा, किंतु विश्वरूप देवताओं से छिपाकर असुरों को भी यज्ञ-भाग दे देता था। इंद्र ने उस पर आवेशित होकर उसका सिर काट दिया। विश्वरूप, त्वष्टा ऋषि का पुत्र था। उन्होंने क्रोधित होकर इंद्र को मारने के लिए महाबली वृत्रासुर पैदा किया। वृत्रासुर के भय से इंद्र अपना सिंहासन छोड़कर देवताओं के साथ इधर-उधर भटकने लगे।
ब्रह्मादेव ने वृत्तासुर को मारने के लिए अस्थियों का वज्र बनाने का उपाय बताकर देवराज इंद्र को तपोबली महर्षि दधीचि के पास उनकी हड्डियां मांगने के लिये भेजा। उन्होंने महर्षि से प्रार्थना करते हुए तीनों लोकों की भलाई के लिए उनकी अस्थियां दान में मांगी। महर्षि दधीचि ने संसार के कल्याण के लिए अपना शरीर दान कर दिया। महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र बना और वृत्रासुर मारा गया। इस तरह एक महान ऋषि के अतुलनीय त्याग से देवराज इंद्र बचे और तीनों लोक सुखी हो गए।
★ महर्षि अगस्त्य :- वैदिक मान्यता के मुताबिक मित्र और वरुण देवताओं का दिव्य तेज यज्ञ कलश में मिलने से उसी कलश के बीच से तेजस्वी महर्षि अगस्त्य प्रकट हुए। महर्षि अगस्त्य घोर तपस्वी ऋषि थे। उनके तपोबल से जुड़ी पौराणिक कथा है कि एक बार जब समुद्री राक्षसों से प्रताड़ित होकर देवता महर्षि अगस्त्य के पास सहायता के लिए पहुंचे तो महर्षि ने देवताओं के दुःख को दूर करने के लिए समुद्र का सारा जल पी लिया। इससे सारे राक्षसों का अंत हुआ।
★ कपिल मुनि :- भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक अवतार माने जाते हैं। इनके पिता कर्दम ऋषि थे। इनकी माता देवहूती ने विष्णु के समान पुत्र की चाहत की। इसलिए भगवान विष्णु खुद उनके गर्भ से पैदा हुए। कपिल मुनि ‘सांख्य दर्शन’ के प्रवर्तक माने जाते हैं। इससे जुड़ा प्रसंग है कि जब उनके पिता कर्दम संन्यासी बन जंगल में जाने लगे तो देवहूती ने खुद अकेले रह जाने की स्थिति पर दुःख जताया। इस पर ऋषि कर्दम देवहूती को इस बारे में पुत्र से ज्ञान मिलने की बात कही। वक्त आने पर ��पिल मुनि ने जो ज्ञान माता को दिया, वही ‘सांख्य दर्शन’ कहलाता है।
इसी तरह पावन गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतरने के पीछे भी कपिल मुनि का शाप भी संसार के लिए कल्याणकारी बना। इससे जुड़ा प्रसंग है कि भगवान राम के पूर्वज राजा सगर के द्वारा किए गए ���ज्ञ का घोड़ा इंद्र ने चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के करीब छोड़ दिया। तब घोड़े को खोजते हुआ वहां पहुंचे राजा सगर के साठ हजार पुत्रों ने कपिल मुनि पर चोरी का आरोप लगाया। इससे कुपित होकर मुनि ने राजा सगर के सभी पुत्रों को शाप देकर भस्म कर दिया। बाद के कालों में राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर स्वर्ग से गंगा को जमीन पर उतारा और पूर्वजों को शापमुक्त किया।
★ शौनक ऋषि :- वैदिक आचार्य और ऋषि शौनक ने गुरु-शिष्य परंपरा व संस्कारों को इतना फैलाया कि उन्हें दस हजार शिष्यों वाले गुरुकुल का कुलपति होने का गौरव मिला। शिष्यों की यह तादाद कई आधुनिक विश्वविद्यालयों की तुलना में भी कहीं ज्यादा थी।
★ ऋषि वशिष्ठ :- वशिष्ठ ऋषि राजा दशरथ के कुलगुरु थे। दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न ने इनसे ही शिक्षा पाई। देवप्राणी व मनचाहा वर देने वाली कामधेनु गाय वशिष्ठ ऋषि के पास ही थी।
★ कण्व ऋषि :- प्राचीन ऋषियों-मुनियों में कण्व का नाम प्रमुख है। इनके आश्रम में ही राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था। माना जाता है कि उसके नाम पर देश का नाम भारत हुआ। सोमयज्ञ परंपरा भी कण्व की देन मानी जाती है। (स्त्रोत : हिन्दू जन जागृति)
विश्व में जितनी भी खोजे हुई हैं वो हमारे ऋषि-मुनियों ने ध्यान की गहराई में जाकर खोजी हैं जिनकी आज के वैज्ञानिक कल्पना भी नही कर सकते हैं।
आज ऋषि-मुनियों की परम्परा अनुसार साधु-संत चला रहे हैं । उनको राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा षडयंत्र के तहत बदनाम किया जा रहा है और जेल भिजवाया जा रहा है । अतः देशवासी षडयंत्र को समझें और उसका विरोध करें ।
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onlybrijesh · 3 years ago
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*बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11 रहस्य*
1. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराज��ान हैं। दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर) रूप में विराजमान हैं। इसीलिए काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है।.....
. देवी भगवती के दाहिनी ओर विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग केवल काशी में ही खुलता है। यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है और दोबारा गर्भधारण नहीं करना होता है। भगवान शिव खुद यहां तारक मंत्र देकर लोगों को तारते हैं। अकाल मृत्यु से मरा मनुष्य बिना शिव अराधना के मुक्ति नहीं पा सकता।.... श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं। इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं, जो अद्भुत है। ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है।
4. विश्वनाथ दरबार में गर्भ गृह का शिखर है। इसमें ऊपर की ओर गुंबद श्री यंत्र से मंडित है।
....तांत्रिक सिद्धि के लिए ये उपयुक्त स्थान है। इसे श्री यंत्र-तंत्र साधना के लिए प्रमुख माना जाता है।
5. बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार इस प्रकार हैं :-
1. शांति द्वार. 2. कला द्वार 3. प्रतिष्ठा द्वार 4. निवृत्ति द्वार...इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही स्थान है। पूरी दुनिया में ऐसा कोई जगह नहीं है जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और तंत्र द्वार भी हो।
6. बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है। इस कोण का मतलब होता है, संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार।....तंत्र की 10 महा विद्याओं का अद्भुत दरबार, जहां भगवान शंकर का नाम ही ईशान है।
7. मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है। इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है। इसीलिए सबसे पहले बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है।....यहां से प्रवेश करते ही पूर्व कृत पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं
8.भौगोलिक दृष्टि से बाबा को त्रिकंटक विराजते यानि त्रिशूल पर विराजमान माना जाता है। मैदागिन क्षेत्र जहां कभी मंदाकिनी नदीऔर गौदोलिया क्षेत्र जहां गोदावरी नदी बहतीथी।इन दोनों के बीच मेंज्ञानवापी में बाबा स्वयं विराजते हैं मैदागिन-गौदौलिया के बीच में ज्ञानवापी से नीचे है, जो त्रिशूल की तरह ग्राफ पर बनता है। इसीलिए कहा जाता है कि काशी में कभी प्रलय नहीं आ सकता।
9. बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराजमान है। वह दिनभर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं।.... नौ बजे जब बाबा का श्रृंगार आरती किया जाता है तो वह राज वेश में होते हैं। इसीलिए शिव को राजराजेश्वर भी कहते हैं।
10. बाबा विश्वनाथ और मां भगवती काशी में प्रतिज्ञाबद्ध हैं। मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में हर काशी में रहने वालों को पेट भरती हैं। वहीं, बाबा मृत्यु के पश्चात....तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं।बाबा को इसीलिए ताड़केश्वर भी कहते हैं।
11.बाबा विश्वनाथ के अघोर दर्शन मात्र से ही जन्मजन्मांतर के पाप धुल जाते हैं।शिवरात्रि में बाबा विश्वनाथऔघड़ रूप में भी विचरण करते हैं।उनके बारात मेंभूत,प्रेत,जानवर,देवता, पशु और पक्षी सभी शामिल होते हैं। 🙏
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं
भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।
💞ॐ नमः शिवाय🌹🚩
🙏💐संध्या वंदन💐🙏
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