#दिल्ली में कोरोना वायरस
Explore tagged Tumblr posts
imranjalna · 1 month ago
Text
भारत में HMPV वायरस के सामने आये 14 केसः स्वास्थ्य मंत्रालय का बडा ऐक्शन, पूरे देश में..
14 cases of HMPV virus reported in India: Big action by the Health Ministry, across the country… दिल्ली। अस्पतालों में HMPV वायरस के अलग वार्ड बनाए जा रहे हैं। कोरोना वायरस जैसे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के देश में कुल 14 मामले हो गए हैं। सबसे ज्यादा 4 मामले गुजरात में हैं। शुक्रवार को राजस्थान और गुजरात में एक-एक केस मिला। बारां में एक 6 महीने की बच्ची HMPV से संक्रमित हुई हैं। वहीं…
0 notes
dainiksamachar · 7 months ago
Text
ताऊ की मर्जी के आगे बनी बाल वधू, पेपर से ठीक पहले हुआ बच्चा... दिल छू लेगी डॉक्टर रूपा यादव की कहानी
नई दिल्ली: आठ साल... हां यही उम्र थी रूपा की, ज��� परिवार के लोगों ने उसकी शादी कर दी। उस वक्त तो शायद उसे शादी शब्द के मायने भी ना पता होंगे। वो उम्र तो उसके लिए खेलने की थी। अपने बचपन को जीने की थी लेकिन उसके ताऊजी ने उसके ससुर से बहुत पहले ही वादा कर दिया था कि रूपा और उसकी बड़ी बहन रुक्मा की शादी उनके दोनों बेटों से ही होगी। पिता तो रूपा को अभी पढ़ाना चाहते थे लेकिन अपने बड़े भाई के वादे के सामने मजबूर थे। और आखिरकार उस छोटी सी उम्र में ही रूपा की शादी कर दी गई। अब रूपा केवल गौना होने तक अपने मायके में रह सकती थी।ये कहानी है राजस्थान में करीरी गांव की रहने वाली रूपा यादव की। उस रूपा की, जिसे कभी बाल वधू कहकर पुकारा गया। वो रूपा, जिसके दिल में अरमान थे कि वो एक एमबीबीएस डॉक्टर बने, लेकिन परीक्षाओं के दिनों में ही वो गर्भवती हो गई। जिसकी पढ़ाई-लिखाई के लिए परिवार को कर्ज तक लेना पड़ गया। और एक दिन यही रूपा अपने गांव में डॉक्टर बनकर लौटी। उन सभी तानों को उसने अपनी सफलता से जवाब दे दिया, जिनमें कहा जाता था कि लड़की है, इसे इतना पढ़ाना ठीक नहीं। 12वीं हो गई, बस काफी है, अब घर बिठाओ। 10वीं में आए इतने नंबर, गांव में मच गया हल्ला हालांकि, एक छोटे से गांव की बाल वधू से डॉक्टर बिटिया बनने तक की उसकी राह भारी मुश्किलों से भरी थी। उनके पिता मालीराम यादव को अपनी बेटी पर शुरुआत से ही नाज था और चाहते थे कि अभी वो बस पढ़ने-लिखने पर ध्यान दे। लेकिन जब सुना कि उनके बड़े भाई ने रूपा की शादी का वादा कर दिया है, तो कुछ ना कह सके। हालांकि, मायके में रहते हुए रूपा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 86 फीसदी नंबरों के साथ 10वीं की परीक्षा पास कर ली। रूपा की इस सफलता पर पूरा गांव हैरान था। इससे पहले लड़की तो छोड़िए, कोई लड़का भी इतने अच्छे नंबर लेकर नहीं आया था। जीजा ने किया वादा, रूपा की पढ़ाई नहीं रुकेगी अलग-अलग संस्थाओं ने रूपा को सम्मानित किया। स्कूल से भी उन्हें पुरस्कार मिले और टीचरों ने सलाह दी कि इस बच्ची को खूब पढ़ाइए। लेकिन उसी दौरान उनके ताऊजी के वादे के मुताबिक, रूपा के गौने का समय आ गया। उसके पिता नहीं चाहते थे कि रूपा अभी से ससुराल चली जाए, लेकिन उसकी बड़ी बहन रुक्मा के पति ने वादा कर दिया कि चाहे जो हो जाए, ससुराल में रूपा की पढ़ाई नहीं रुकेगी। रूपा ससुराल पहुंची, तो उसके जीजा ने अपना वादा निभाया और दो साल बाद ही शानदार नंबरों के साथ उसने 12वीं की परीक्षा भी पास कर ली। परिवार ने लिया कर्ज और आगे बढ़ने लगी रूपा रूपा की सफलता पर उसके स्कूल टीचरों ने ससुराल के लोगों को बुलाया और कहा कि उसे डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए नीट की तैयारी करनी चाहिए। ससुराल के लोग मान गए। रूपा की काबिलियत को देखकर कोचिंग सेंटर ने भी उसे नीट की तैयारी बिना फीस कराने का ऑफर दे दिया। बस फिर क्या था, रूपा ने बीएससी में एडमिशन लिया और साथ ही नीट की तैयारी में जुट गई। अपने पहले प्रयास में रूपा को 22000वीं रैंक मिली। परिवार ने फैसला किया कि उसे अब कोचिंग के लिए कोटा भेजना चाहिए। घर की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी लेकिन परिवार ने कर्ज लेकर रूपा को कोचिंग कराई। रूपा का सपना और परिवार का सपोर्ट हालांकि, इस बीच उन्हें ताने भी सुनने पड़े। लोगों ने कहा कि एक लड़की को इतनी ऊंची पढ़ाई के लिए घर से बाहर नहीं भेजना चाहिए था। लेकिन उनके और जीजा ने रूपा को खूब सपोर्ट किया। यहां तक कि ज्यादा घंटों तक काम भी किया, ताकि रूपा की पढ़ाई में कोई आर्थिक दिक्कत ना आए। उनके परिवार को सपोर्ट रंग लाया और तीन साल की मेहनत के बाद रूपा को साल 2017 में बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया। एमबीबीएस की पढ़ाई के शुरुआती दो साल ठीक से बीते, लेकिन तीसरे साल में कोरोना वायरस महामारी की वजह से देशभर में लॉकडाउन लग गया और रूपा को घर लौटना पड़ा। आधे टाइम में पूरा किया 3 घंटे का पेपर इस बीच प्री-फाइनल परीक्षा से पहले रूपा गर्भवती हो गईं। अब रूपा के सामने दो विकल्प थे - या तो वो मां बनें या अपने करियर को चुनें। रूपा ने फैसला लिया कि वो अपनी इन दोनों जिम्मेदारियों को निभाएगी। रूपा की बेटी महज 25 दिन की थी, जब उसे प्री-फाइनल परीक्षा देनी थी। इस मोड़ पर उसकी बहन और सास ने रूपा की नन्हीं बेटी की देखभाल की और रूपा फिर से बढ़िया नंबर लाने में सफल रही। रूपा बताती हैं कि उनका फाइनल पेपर ठीक उस दिन पड़ा, जिस दिन उनकी बेटी का पहला जन्मदिन था। उन्होंने 3 घंटे का पेपर आधे वक्त में पूरा किया, बस से घर पहुंची और अपनी बेटी का जन्मदिन मनाया।28 अप्रैल 2022 को उनका रिजल्ट घोषित हुआ और गांव की रूपा अब बन गईं। रूपा चाहती हैं कि वो अपने उसी गांव में एक अस्पताल खोलें, जहां उन्होंने डॉक्टर बनने के सपने को साकार किया। उनके इसे सपने को पूरा करने के लिए ससुराल वाले भी पूरी तरह साथ… http://dlvr.it/T92WGw
0 notes
iobnewsnetwork · 2 years ago
Text
Covid-19: देश में कोविड-19 के 3,720 नए मामले।
Tumblr media
नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 3,720 नए मामले सामने आए हैं, वहीं उपचाराधीन मरीजों की संख्या 40,177 है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय द्बारा सुबह आठ बजे अद्यतन किए गए आंकडों के अनुसार संक्रमण से 20 और लोगों की मौत होने से मृतक संख्या 5,31,584 हो गई है। इनमें संक्रमण से मौत के आंकड़ों का पुन:मिलान करते हुए केरल ने वैश्विक महामारी से जान गंवाने वाले मरीजों की सूची में छह नाम जोड़े हैं।आंकडों के अनुसार, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 4,49,56,716 हो गए हैं। मंत्रालय के अनुसार, उपचाराधीन मामले कुल मामलों का 0.09 प्रतिशत है, वहीं संक्रमण से उबरने की राष्ट्रीय दर 98.73 प्रतिशत है।संक्रमण से कुल 4,43,84,955 लोग ठीक हो चुके हैं।मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, देशव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत से अब तक टीकों की कुल 220.66 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं। गौरतलब है कि भारत में सात अगस्त 2020 को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी। संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए थे। देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ से अधिक हो गए थे। चार मई 2021 को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी। पिछले साल 25 जनवरी को संक्रमण के कुल मामले चार करोड़ के पार चले गए थे। Pc:Daily Sabah Read the full article
0 notes
stackumbrella1 · 2 years ago
Text
कोरोना वायरस: देश में मॉकड्रिल के साथ नए निर्देश जारी, जाने किन-किन राज्यों में मास्क अनिवार्य..
Tumblr media
Corona Virus: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आज देशभर में कोरोना की तैयारियों को लेकर मॉकड्रिल की जा रही है। बता दें कि यह मॉकड्रिल 10 और 11 अप्रैल को सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में होगी।
Tumblr media
देशभर में मॉकड्रिल के निर्देश
Corona Virus: राजधानी दिल्ली में सभी अस्पतालों, पॉलिक्लीनिक व डिस्पेंसरियों में जांच बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। इस बीच, कोरोना संक्रमण के चलते किसी भी स्थिति से निपटने के लिए देशभर में सरकारी और निजी अस्पतालों में दो दिन मॉकड्रिल होगी।
0 notes
avantimedia · 2 years ago
Text
देश में पिछले दो दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण के 3  हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और 1 सप्ताह में सक्रिय मामलों की संख्या दोगुनी होकर 15 हजार से अधिक हो गई है। देश में शुक्रवार तक कोरोना वायरस के 7,927 एक्टिव केस थे, जो 31 मार्च को बढ़कर 15,208 हो गए है । एक सप्ताह में दैनिक कोविड संक्रमण दर भी बढ़कर 2.61 प्रतिशत हो गई है। हालांकि ठीक होने वाले मरीजों के प्रतिशत में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जो अब भी हल्का है और ज्यादातर मरीज होम आइसोलेशन में ठीक हो रहे हैं। एक दिन पहले कोरोना वायरस के 3,016 नए मामले सामने आए थे और शुक्रवार को 3,095 नए मामले सामने आए हैं। 
जीनोम परीक्षण में ओमिक्रॉन उप-प्रकार की भिन्नता की पुष्टि 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अभी जो जीनोम टेस्ट के नतीजे सामने आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर इस बात की पुष्टि करते हैं कि एक्स-लिंक्ड बी-सेल लिंफोमा जीन का एक ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट है। इस सब-वैरिएंट के 600 से अधिक मामलों की पुष्टि की जा चुकी है, और उनमें से अधिकांश इस प्रकार क�� हैं। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता का कहना है कि कोविड के मामलों की संख्या जरूर तेजी से बढ़ रही है लेकिन अब घबराने की जरूरत नहीं है। 
अधिकांश रोगी घर पर हो रहे ठीक 
स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि वायरस के ज्यादातर मामले हल्के होते हैं और इन्हें घर पर ही ठीक किया जा सकता है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों का प्रतिशत बहुत कम है, और स्थिति की लगातार निगरानी करना महत्वपूर्ण है। अगर अस्पताल में भर्ती बढ़े तो यह चिंताजनक संकेत है। हालांकि, अभी भी लोगों के लिए जरूरी है कि वे घर से बाहर जाने पर सावधानी बरतें और मास्क का इस्तेमाल करें, खासकर बुजुर्ग और अन्य बीमारियों वाले लोग।
XBB 1.16 के कुछ पचास प्रतिशत मामले दर्ज 
इस बीच शहर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठक कर तैयारियों का जायजा लिया। केजरीवाल ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि दिल्ली सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।  XBB 1.16 वैरिएंट के 48% मामले दिल्ली में आ रहे हैं, लेकिन यह गंभीर नहीं है। हालांकि, यह टीकाकरण के बाद भी संक्रमित करने की क्षमता रखता है, और इसलिए इन्फ्लुएंजा और सांस की बीमारियों से पीड़ित रोगियों को मास्क पहनना चाहिए। देश में पिछले दो दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण के तीन हजार से अधिक मामले सामने आए हैं और एक सप्ताह में सक्रिय मामलों की संख्या दोगुनी होकर 15 हजार से अधिक हो गई है।
अरविंद केजरीवाल - आइसोलेशन वार्ड तैयार रखने के आदेश 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक निर्देश जारी कर कहा कि बीमारी के इलाज के दौरान अगर कोई मरीज कोरोना पॉजिटिव होता है तो उसे उसी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखकर इलाज दिया जाएगा। इससे मरीज को कोरोना और संबंधित बीमारी का इलाज हो सकेगा। सीएम ने इसके लिए आइसोलेशन वार्ड तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। अभी तक इलाज के दौरान अगर मरीज को कोरोना होने के बाद तुरंत कोविड वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता था, जिससे उनकी अपनी बीमारी का इलाज प्रभावित होता था।
एयरपोर्ट पर चल रही है रैंडम स्क्रीनिंग
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 2 फीसदी यात्रियों की रैंडम स्क्रीनिंग की जा रही है. उनका कहना है कि सरकार की अपनी सुविधाओं पर प्रति दिन 4,000 परीक्षण करने की क्षमता है, जबकि निजी प्रयोगशालाएँ प्रतिदिन एक लाख से अधिक परीक्षण कर सकती हैं। उनका कहना है, 'अस्पताल में आने वाले सभी मरीज जो किसी भी समस्या या सांस की बीमारी के साथ आ रहे हैं, उन्हें मास्क मुहैया कराया जाएगा और उनकी कोविड जांच की जाएगी. साथ ही, ��स्पताल में आने वाले इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षणों वाले सभी रोगियों में से 5% का परीक्षण किया जाएगा।
0 notes
vedantbhoomidigital · 2 years ago
Text
दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए आज बैठक करेंगे केजरीवाल
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल शहर में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए शुक्रवार को बैठक करेंगे। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। भारद्वाज ने बृहस्पतिवार को स्थिति का जायजा लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मु��ाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
news-trust-india · 2 years ago
Text
Covid-19 Update : भारत में बढ़ते कोरोना के मामलों ने बढ़ाई चिंता, 1,573 नए केस
नई दिल्ली। Covid-19 Update : भारत में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे है, जिससे सरकार और लोगों की चिंता बढ़ती नजर आ रही है। सूत्रों के अनुसार, भारत में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस के 1,573 नए मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, एक्टिव केस बढ़कर 10,981 हो गए हैं। Atiq Ahmed News : उमेश अपहरण केस में अतीक समेत 3 दोषी करार मृत्यु दर पहुंचा 1.19 प्रतिशत मंगलवार को सुबह 8 बजे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
lawspark · 1 year ago
Text
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 
परिचय
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.), 1973 की धारा 144 के तहत, एक जिला मजिस्ट्रेट, एक उप-मंडल (सब डिविजनल) मजिस्ट्रेट, या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत (ऑथोराइज्ड) कोई अन्य प्रशासनिक (एडमिनिस्ट्रेटिव) मजिस्ट्रेट, कथित खतरे या उपद्रव के तत्काल मामलों को रोकने और उनका इलाज करने के आदेश जारी कर सकता है, यह एक औपनिवेशिक (कोलोनियल) युग का क़ानून है, जिसे संहिता में संरक्षित किया गया है। धारा 144, उन मामलों मे लागू होती है जहां आसन्न (इमिनेंट) उपद्रव या किसी घटना के संदिग्ध खतरे की परिस्थितियों में मानव जीवन या उसकी संपत्ति को समस्या या कोई नुकसान पहुंचाया जा सकता है। आम तौर पर सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत सार्वजनिक समारोहों पर रोक लगा दी जाती है। इतिहास में, धारा 144 का इस्तेमाल उन रैलियों को रोकने के प्रयास में कुछ बाधाएं लगाने के लिए किया जाता है जो दंगे या अन्य प्रकार की हिंसा को भड़का सकती हैं। जब कोई आपात स्थिति होती है, तो कार्यकारी (एक्जीक्यूटिव) मजिस्ट्रेट को धारा 144 लागू करने का अधिकार दिया जाता है। इंटरनेट शटडाउन ��र दूरसंचार (टेलीकॉम) सेवाओं पर प्रतिबंध अक्सर धारा 144 के तहत लागू किए जाते हैं। हाल ही की कुछ घटनाओं ने पिछले कुछ वर्षों में इस प्रावधान की लोकप्रियता को और महत्व को और अधिक बढ़ा दिया है। पिछले दो वर्षों में फैली कोविड-19 की बीमारी में वृद्धि के कारण, सी.आर.पी.सी. की धारा 144 को भारत भर के कई स्थानों पर लागू किया गया था। कुछ हालिया उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:- पश्चिमी तट पर संभावित आतंकवादी खतरे के बारे में खुफिया रिपोर्टों के परिणामस्वरूप, 12 फरवरी, 2020 कोउत्तरी गोवा क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई थी। एक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) में, उत्तरी गोवा के जिला मजिस्ट्रेट ने कहा था कि यह धारा, 11 फरवरी से 10 अप्रैल तक 60 दिनों तक के लिए प्रभाव में रहेगी। - मकबूल भट और अफजल गुरु और मकबूल भट की संबंधित वर्षगांठ (एनिवर्सरी) के सम्मान में, जम्मू और कश्मीरमें 8 से 10 फरवरी, 2022 तक इंटरनेट बंद रहा और धारा 144 लागू की गई थी। - कोरोना वायरस के प्रसार (स्प्रेड) को रोकने के लिए, जिसने पहले ही दुनिया भर में हजारों लोगों की जान ले ली थी, दिल्लीसरकार ने 23 मार्च, 2020 को धारा 144 लागू की थी। जैसे जैसे ही पूरे भारत में वायरस का विस्तार हुआ, वैसे ही कुछ राज्यों ने दिल्ली सरकार की तरह धारा 144 को लागू करना शुरू कर दिया, ताकि कोविड-19 महामारी के स्थानीय प्रसार को रोका जा सके। - मुंबई शहर में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार वृद्धि होने के कारण 17 सितंबर, 2020 कोमुंबई में धारा 144 के तहत प्रतिबंध लागू किए गए थे। 2020 की शुरुआत से पूरी दुनिया में कोविड -19 महामारी की चपेट में आने के साथ, मुंबई भारत के सबसे ज्यादा प्रभावी शहरों में से एक रहा है और यह कार्य प्रसार को कम करने के लिए किया गया था, जैसा कि कई अन्य शहरों में किया गया था। - धारा 144 का मूल लक्ष्य उन जगहों पर कानून और व्यवस्था को बनाए रखना है जहां अशांति भड़क सकती है और रोज के जीवन में परेशानियां ला सकती है। - यह निर्दिष्ट अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिस्डिकशन) के भीतर किसी भी प्रकार के हथियारों को रखने और ले जाने पर सीमाएं लगाता है। इस तरह के अपराध के लिए अधिकतम सजा तीन साल की जेल है। - इस प्रतिबंध के प्रभावी होने के दौरान सभी सार्वजनिक समारोहों और विरोध प्रदर्शनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहता है। - इसके प्रभावी होने तक सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहते है और इस खंड के तहत जारी आदेश के अनुसार कोई सार्वजनिक आंदोलन नहीं किया जाता है। - कानून अधिकारियों को एक अवैध सभा को तोड़ने से रोकने के कार्य को एक दंडनीय अपराध मा��ा जाता है। - क्षेत्र में इंटरनेट के उपयोग को प्रतिबंधित करने की क्षमता भी अधिकारियों को दी गई है। - अधिकारियों को जल्द से जल्द तैनात किया जाना चाहिए ताकि सार्वजनिक शांति और सद्भाव की रक्षा की जा सके। - ऐसी स्थितियों में जहां सार्वजनिक हित और निजी अधिकारों के बीच कुछ असंगति होती है, वहां निजी अधिकारों को अस्थायी रूप से निलंबित (सस्पेंडेड) किया जा सकता है। - धारा 144 के तहत एक कार्यवाही में, संपत्ति के मालिकाना हक, अधिकारों की पात्रता, या नागरिक मुद्दों के संबंध में कोई समाधान नहीं किया जा सकता है। - मजिस्ट्रेट को धारा 144 के तहत उन अधिकारों के समर्थन में और उन लोगों के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए जो उनके कानूनी अभ्यास में बाधा डालते हैं, जहां उन प्रश्नों को पहले ही दीवानी अदालतों या न्यायिक घोषणाओं द्वारा हल किया जा चुका है। यह उसे आपात स्थितियों के दौरान उस कार्य को प्रभावी ढंग से करने की अनुमति देगा। - सार्वजनिक अशांति को तुरंत रोक सकते हैं, या - एक संभावित खतरे को जल्दी से संबोधित कर सकते हैं। - कानूनी रूप से नियोजित किसी व्यक्ति को बाधा, परेशानी या चोट;  - मानव जीवन, स्वास्थ्य, या सुरक्षा के लिए खतरा; या - सार्वजनिक शांति में अशांति, जैसे दंगा, जो एक निर्देश को जारी करने की अनुमति देता है। - मजिस्ट्रेट के पास इस खंड के तहत एकतरफा आदेश जारी करने का अधिकार होता है, लेकिन आम तौर पर उस व्यक्ति को नोटिस दिया जाता है जिसके खिलाफ आदेश जारी किया जा रहा है। मजिस्ट्रेट को केवल विकट परिस्थितियों में एक पक्षीय आदेश जारी करना चाहिए। - जिन लोगों के साथ आदेश के द्वारा गलत किया गया था, उन्हें भी उपयुक्त आधार पर इसके लिए लड़ने का अधिकार है। यह इस विचार को बल देता है कि इस खंड द्वारा प्रदान किए गए अधिकार मनमाने नहीं है। - मजिस्ट्रेट के आदेश का विरोध करने वाले व्यक्ति को भी सुनवाई का मौका दिया जाता है और उपरोक्त का समर्थन करने के लिए कारण दिखाने का मौका दिया जाता है। नतीजतन, यह हिस्सा प्राकृतिक न्याय के मानदंडों (नॉर्म) का भी अनुपालन (कॉम्प्लाइ) करता है। - न्यायालय ने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट की कार्रवाई अधिक उचित और ठोस कारण पर आधारित थी क्योंकि पीड़ित पक्ष को निर्णय की वैधता का विरोध करने का अधिकार दिया गया था। - अंत में, तथ्य यह है कि धारा 144 के तहत आदेश अपील के अधीन नहीं है, उच्च न्यायालय द्वारा संहिता कीधारा 435 के तहत संशोधित करने के अधिकार के लिए क्षतिपूर्ति की जाती है जब इसे संहिता की धारा 439 के साथ संयोजन (कंजंक्शन) में पढ़ा जाता है। उच्च न्यायालय या तो निर्णय को उलट सकता है या मजिस्ट्रेट से प्रासंगिक तथ्यों का अनुरोध कर सकता है। - मुद्दा यह है कि यह बहुत व्यापक है और इस धारा की भाषा इतनी अस्पष्ट है कि यह एक मजिस्ट्रेट को पूर्ण अधिकार प्रदान कर सकती है और ��िसका दुरुपयोग उसके द्वारा किया जा सकता है। - प्रभावित पक्षों ने अक्सर दावा किया है कि यह खंड बहुत अधिक व्यापक है और मजिस्ट्रेट को अनुचित बिना किसी सीमा की शक्ति देता है। आदेश के खिलाफ प्रारंभिक कानूनी बचाव एक संशोधन आवेदन है, जिसे मूल जारीकर्ता प्राधिकारी (इश्यूइंग अथॉरिटी) को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। - इसके अतिरिक्त, यह सुझाव दिया गया है कि एक बहुत बड़े क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करना अनुचित है क्योंकि विभिन्न स्थानों में अलग-अलग सुरक्षा स्थितियां होती हैं और अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है। - यदि आदेश किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो वे उच्च न्याया��य में एक रिट याचिका दायर कर सकते हैं। हालांकि, जो लोग इसे गलत महसूस करते हैं, उनका तर्क है कि उच्च न्यायालय के शामिल होने से पहले ही राज्य ने अक्सर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया होगा। - स्वयं मजिस्ट्रेट के लिए एक पुनरीक्षण आवेदन इस तरह के आदेश का सबसे तत्काल प्रतिवाद (काउंटरमेजर) है।
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 की प्रयोज्यता (एप्लीकेबिलिटी) में सुधार के लिए सुझाव 
आपात स्थिति से निपटने के लिए सी.आर.पी.सी. की धारा 144 का उपयोग बहुत सहायक साबित हो सकता है। कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) शाखा दुरुपयोग की चपेट में है क्योंकि कोई विशेष न्यायिक निगरानी नहीं है और विशिष्ट उद्देश्यों के साथ व्यापक कार्यकारी शक्तियों का कोई सटीक तत्व मौजूद नहीं है। उसी के आलोक में, मजिस्ट्रेट को इस धारा के अनुसार कार्य करने से पहले एक जांच करनी चाहिए और स्थिति की तात्कालिकता पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, विधायिका को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत व्यक्तियों को दी गई अन्य स्वतंत्रताओं को बनाए रखने की आवश्यकता और तत्काल संवेदनशील स्थितियों से निपटने के लिए पूर्ण शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता के बीच एक संतुलन बनाना चाहिए।
निष्कर्ष
यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, संभावित रूप से मनमानी और विवेकाधीन होने के बावजूद, धारा 144 संकेतकों की सरणी (एरे ऑफ़ इंडिकेटर) का एक अनिवार्य घटक है जो किसी भी जिले के कार्यकारी निकाय द्वारा शुरू किया जाता है ताकि न्यायिक घोषणाओं और अकादमिक टिप्पणियों के आलोक में संबंधित धारा के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद तत्काल स्थितियों से बचने के साथ-साथ प्रबंधन भी किया जा सके। इस धारा की संवैधानिकता पर सवाल उठाने के खिलाफ कई कानूनी कार्रवाइयां भी की गई हैं, और इसे बनाए रखने वाले कई फैसले भी हुए हैं। हालांकि इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को कई विवेकाधीन शक्तियां दी गई हैं, लेकिन किसी भी मनमानी या अन्यायपूर्ण आदेश को रोकने के लिए वे शक्तियां कई प्रतिबंधों के अधीन होती हैं। इस शक्ति का उपयोग अधिक तार्किक (लॉजिकल) है क्योंकि उच्च न्यायालय के पास इस खंड के तहत मजिस्ट्रेट के निर्णय की समीक्षा करने का अधिकार है।इसके अलावा, दंगों में वृद्धि और सार्वजनिक शांति के लिए खतरा पैदा करने वाली अन्य स्थितियों के कारण मजिस्ट्रेटों के पास इन शक्तियों का होना आवश्यक हो गया है। यह, ये सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि आम लोगों को वह सुरक्षा और शांति मिल सके, जो उनके जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि, इस बिंदु पर, यह तर्क दिया जा सकता है कि तत्काल स्थितियों को संबोधित करने के लिए विधायिका के पूर्ण शक्तियों के अनुदान (ग्रांट) और संविधान के मौलिक अधिकार, विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, जब तक कि तत्काल या असामान्य परिस्थितियां मौजूद न हों, के तहत नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अन्य स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।यदि मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को कोई खतरा होता है, या किसी दंगे या विवाद की संभावना होती है, तो राज्य सरकार आधिकारिक राजपत्र (ऑफिशियल गैजेट) में प्रकाशन द्वारा अन्य निर्देश जारी कर सकती है। मजिस्ट्रेट के आदेश को कानूनी बल के बिना एक आदेश के रूप में माना जाना चाहिए और उसमें निहित राय की अभिव्यक्ति को किसी भी कानूनी बल या प्रभाव के बिना माना जाना चाहिए, यदि अधिकार क्षेत्र को मानने के लिए यह महत्वपूर्ण शर्त मौजूद नहीं है। इस खंड का उपयोग केवल आपातकालीन स्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इसके तहत किसी भी अन्य कानूनी प्रावधानों को बदलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो अधिक उपयुक्त हो सकते हैं और मजिस्ट्रेट को एक जांच करनी चाहिए और इस खंड के तहत आगे बढ़ने से पहले स्थिति की तात्कालिकता को भी नोट करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ.ए.क्यू.)
1. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 क्या है?
1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.) की धारा 144 किसी भी राज्य या क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट को किसी विशेष स्थान पर चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने का आदेश देने की शक्ति दे सकती है।
2. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत अपराध की प्रकृति क्या है?
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत अपराध प्रकृति में आपराधिक, संज्ञेय और जमानती होता है।
3. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 लागू करने का क्या कारण है?
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 को लागू करना वैध है जब इसका उपयोग परेशानी, मानव जीवन को चोट पहुंचाने और सार्वजनिक शांति में अशांति को प्रतिबंधित करने के लिए किया जा रहा है। इस धारा के तहत आदेश एक पक्ष को दूसरे पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं लगाया जाना चाहिए।
4. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 की आलोचना क्यों की गई है?
इस धारा के साथ कुछ मुद्दे यह भी हैं कि यह अत्यधिक व्यापक, अस्पष्ट है, और इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है। इसके अलावा, राहत मिलने की प्रक्रिया बेहद धीमी है। इसके अतिरिक्त, एक बहुत बड़े क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करना अनुचित है।  Read the full article
0 notes
bijayssnews · 4 years ago
Text
Railway Covid Care Center: दिल्ली के लोगों के लिए रेलवे ने बनाए 50 आइसोलेशन कोच, इनमें है 800 बेड की व्यवस्था
Railway Covid Care Center: दिल्ली के लोगों के लिए रेलवे ने बनाए 50 आइसोलेशन कोच, इनमें है 800 बेड की व्यवस्था
हाइलाइट्स: उत्तर रेलवे ने शकूरबस्ती में 50 आइसोलेशन कोच की व्यवस्था की है, जो कोविड केयर सेंटर के 800 बेड के बराबर हैं। दिल्ली सरकार ने लोगों को मदद मुहैया कराने के लिए भारतीय रेलवे से गुहार की थी। उत्तर रेलवे ने कहा है कि वह कोरोना के खिलाफ जंग में हर संभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। नई दिल्लीRailway Covid Care Center: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
newsyatra · 4 years ago
Text
Delhi Covid-19 News: Union Home Ministry Reviewed The Situation Of Covid In Delhi - Coronavirus: दिल्ली में 57 फीसदी कोरोना बेड खाली, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और निगरानी पर ध्यान
Delhi Covid-19 News: Union Home Ministry Reviewed The Situation Of Covid In Delhi – Coronavirus: दिल्ली में 57 फीसदी कोरोना बेड खाली, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और निगरानी पर ध्यान
[ad_1]
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 02 Nov 2020 06:17 PM IST
कोरोना से बचने के लिए मास्क लगाए लोग – फोटो : पीटीआई (फाइल)
Tumblr media
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
केंद्रीय गृह…
View On WordPress
0 notes
dainiksamachar · 9 months ago
Text
10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बना��। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
0 notes
iobnewsnetwork · 2 years ago
Text
Corona update : भारत में पिछले 24 घंटे में मिले 9,355 नए कोरोना मरीज, राजस्थान में तीन लोगों की मौत  
Tumblr media
इंटरनेट डेस्क। भारत में एक बार फिर से कोरोना वायरस परेशानी का कारण बन गया है। देश में फिर से बड़ी संख्या में कोरोना मरीज मिल रहे हैं। खबरों के अनुसार, भारत में पिछले 24 घंटे में 9,355 नए कोरोना मरीज मिले हैं। इससे देश में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 57,410 हो चुकी है। देश में भी रिकवरी रेट 98.69 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में 12,932 मरीज कोरोना के खिलाफ जंग जीतने में सफल हुए हुए हैं। अब तक 4,43,35,977 मरीज कोरोना से ठीक हो चुके हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को 1,040 नए कोरोना मरीज मिले हैं। वहीं राजस्थान में कोरोना के 498 नए केस मिले हैं। जबकि इस वायरस के कारण तीन और लोगों ने अपनी जान गंवाई है। बुधवार को कोरोना के कारण राजस्थान के बाड़मेर, भरतपुर और दौसा में एक-एक मरीज की मौत हुई है। Read the full article
0 notes
newsyaari · 4 years ago
Text
Union House Ministry Reviewed The Scenario Of Covid In Delhi - Covid-19: दिल्ली में 57 फीसदी कोरोना बेड खाली, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और निगरानी पर ध्यान
Union House Ministry Reviewed The Scenario Of Covid In Delhi – Covid-19: दिल्ली में 57 फीसदी कोरोना बेड खाली, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और निगरानी पर ध्यान
[ad_1]
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 02 Nov 2020 05:07 PM IST
कोरोना से बचने के लिए मास्क लगाए लोग – फोटो : पीटीआई (फाइल)
Tumblr media
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
केंद्रीय गृह…
View On WordPress
0 notes
vilaspatelvlogs · 4 years ago
Text
बंद होगा दिल्ली का अरुण जेटली स्टेडियम, DDCA का एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव
बंद होगा दिल्ली का अरुण जेटली स्टेडियम, DDCA का एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव
[ad_1]
Delhi arun jaitley cricket stadium
कोरोना वायरस की मार अब राजधानी दिल्ली के अरुण जेटली क्रिकेट स्टेडियम को भी झेलनी पड़ रही है. दरअसल डीडीसीए के एक कर्मचारी के कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने से अगले आदेश तक स्टेडियम को बंद किया जाएगा. 
कोरोना के चलते स्टेडियम होगा बंद (फाइल फोटो)
[ad_2] Source link
View On WordPress
0 notes
ddtvnews · 5 years ago
Photo
Tumblr media
Coronavirus in Delhi: राजधानी में कोरोना के 1195 नए केस, 27 की मौत Edited By Chandra Pandey | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 31 Jul 2020, 05:38:00 PM IST हाइलाइट्स दिल्ली में शुक्रवार को कोरोना के 1195 नए मामले सामने आए, 27 की मौत
0 notes
rnewsworld · 5 years ago
Text
दिल्‍ली: आर्मी हेडक्‍वार्टर में कोरोना का मरीज, सेना भवन का एक हिस्‍सा बंद
दिल्‍ली: आर्मी हेडक्‍वार्टर में कोरोना का मरीज, सेना भवन का एक हिस्‍सा बंद
Tumblr media
[ad_1]
Coronavirus cases in Indian Army : सेना भवन से कोरोना वायरस का एक कन्‍फर्म और एक संदिग्‍ध केस सामने आया है। ऐहतियात के तौर पर, बिल्डिंग के एक हिस्‍से को बंद कर दिया गया है।
Edited By Deepak Verma | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 15 May 2020, 01:35:00 PM IST
भारतीय सेना (सांकेतिक तस्‍वीर) हाइलाइट्स
इंडियन आर्मी के हेडक्‍वार्टर्स में मिला कोरोना वायरस का मरीज, बिल्डिंग का एक हिस्‍सा किया…
View On WordPress
0 notes