#दादा!
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grandgoateefun · 14 days ago
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sushmachhabra · 7 months ago
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new-haryanvi-ragni · 8 months ago
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उमरावत में दादा के धाम पै घी की ज्योत लगावैं | Dharmender Muralipur | Ra...
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balrams-world · 1 year ago
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ashokdube1927 · 2 years ago
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srbachchan · 11 days ago
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DAY 6144
Jalsa, Mumbai Dec 14/15, 2024 Sat/Sun 11:40 pm
🪔 ,
December 15 .. birthday greetings to Ef Vanshika Shrivastava from Mandsaur MP .. Ef Rajeev Bedi from Ambala Cantt .. Ef Rakesh Nanda from New Delhi .. and Ef Tupur Roy from Patna (hope the full name is right , if wrong please correct) .. 🙏🏽❤️🚩
from the Ef family a bouquet of flowers and love ..
🌺
❤️
.. a day to ponder and think of the life of work .. of the pending works and the time to be in the constant account for the doing of the doing to be done ..
.. and even though the vision for the work is evident and known .. in the mind .. the allocation of the time and the 'when' has its uncertainty ..
BUT .. whatever was gotten in the got .. was given sufficient giving to be in condition to give here there and a few other there's !
A friend asked me, after my generous mention to him, about him :
" Sir !! what are you made of .. ?!!! .. in affectionate approbation 😇
I said :
मिट्टी का टेन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय .. ~हरिवंश राय बच्चन
a body made of the mud of the Earth , a mind filled with extravagant joys and happiness .. a moment in LIFE - my introduction ..
and as you age, philosophy takes charge .. in the moments of questioning .. in the moments of query - from others .. in the desire to know and fill the coffers of the unknown with it ..
and then you realise - this should have been addressed several years and decades before .. for, now the time has passed , of the 'been', and what will be known as 'been'
अपने युग में सब को अनुपम ज्ञात हुई अपनी हाला ; अपने युग में सबको अदभुत ज्ञात हुआ अपना प्याला ; फिर भी वृद्धों से जब पूछा, एक यही उत्तर पाया; अब न रहे वो पीने वाले, अब न रही वो मधुशाला !!
in the decade of my time , did all find the wine to be the best ; in the decade of my time , did all find my cup to be remarkable ; even so, when I did ask the elders , did I get just one answer ..
gone , no longer , those days of wine drinkers .. gone are those days of the 'House of Wine'
.. and each passing day the thought crosses the horizon of the cerebrum .. of what be gone , what be left , and what beget ..
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मेरी आशा और पिपासा .. my desire my thirst .. with my love ..
स्नेह पूर्ण सदा आदर 🌹🌹🌺🌺🍂
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Amitabh Bachchan अमिताभ बच्चन
🌺
रात्रि की शुभ घड़ी Sunday 2:28 AM
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एक विचार, जिसे उधार में लिया हुआ है ??
न केवल about Advertising , इश्तेहार विज्ञापन
ये है innovation vs tradition.
Direct communication vs controlled narratives.
Future of Media ??
नयी वस्तुएँ, विचारों या विधियों की रचना करना vs परंपरा, अतीत से वर्तमान तक चली आ रही प्रथा
सीधा संपर्क करना vs नियंत्रण, नियंत्रित संचालन
do we need advertising ; today with direct communication, each human is a BRAND , an Advertising Agency .. a brand that he controls , and has the capacity to exploit .. the Human is the biggest self Brand today .. ???
And there are 8.2 Billion Brands in the World today .. the camera that used to catch a story and a visual for the consumption of billions of news seekers and informative needs , is now the personal property of 8.2 billion populace of the World Humans , which can and have become their own advertisers ... who guide and control public consumption ..
और इस धारणा को प्राथमिकता देने वाले, उसके उपयोग के साधन का आविष्कार करने वाले, समाज में बदलाव लाने वाले, मस्क दादा , को प्रणाम !!
XXX
🤪
वो बदसलूकी वाला 'एक्स' नहीं 🤣
और इसे व्यक्त करना, आज की परंपरा की प्रतिष्ठा !!!
🙏
पत्र, पत्रकारिता, पत्रकार , सर आँखों पर !!!!!
~ अब
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friend-shaped-but · 23 days ago
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माळरानावरील गोंधळ ऐकून कान्हा  धावतच पुढे गेला. दादा त्याला हाका मारत त्याच्या मागे जात होता, पण गोंधळाच्या आवाजामुळे त्याला बहुतेक काही ऐकू येत नसावं, म्हणून अजून मोठ्या आवाजात बालरामाने त्याला बोलावण्याचा प्रयत्न केला. खरंतर कान्हाला दादाचा आवाज ऐकू येत होता. पण त्याला त्या गोंधळाच्या दिशेने एक आवाज जणू ओढून आणत होता. मोहन त्या भयानक प्राण्याच्या तावडीत सापडला होता, आणि ते दोघे एकमेकांविरुद्व आपली सगळी शक्ती वापरून लढत होते. पण त्याच्या मित्रानी आपली सर्व शक्ती काय, आपले प्राण पणाला लावले, तरी त्या भयानक प्राण्याच्या शक्ती त्याच्यापेक्षा कायम जास्तच असणार होती! 
"मोहन!" तो किंचाळला. "मोहना, हे काय करतोयस तू , सोड त्याला! मी येतोय!" 
कान्हा पुढे पळेल तेवढ्यात त्याच्या दंडावर कोणीतरी हात घट्ट धरला होता. पण मोहनला मृत्यूच्या जबड्यात आकडकलेलं त्याला बघवत नव्हतं. 
"सोड मला!" 
"कान्हा, थांब" जरा दातओठ खातच स्नेह म्हणाला. "घाई करू नकोस!" 
"स्नेह, सोड!" 
स्नेहल बोचकारून त्यानी स्वतःचा हात सोडवून घेतला, आणि पळत सुटला. 
 नखं मारून, लाथा मारत, बोचकारतंच तो मोहनापर्यंत पोचू शकला. धेनुकासुराच्या सापळ्यात सापडलेल्या मोहनमध्ये मदत मागण्याइतका, ओरडण्याइतका पण त्राण राहिला नव्हता. गाढवाच्या रुपातला तो राक्षस जवळजवळ दोन पायांवर उभा राहिला होता, पण घामानी चिंब भिजलेला मोहन त्याच्या लाथा घालणाऱ्या पुढच्या दोन पायांना घट्ट धरून त्याला थांबवायचा प्रयत्न करत होता. त्याचे स्नायू ताणलेले स्पष्ट दिसत होते, आणि त्या झटापटीत मोहनची शक्ती कमी पडतीये हेही त्याच्या चेहऱ्यावर स्पष्ट दिसत होतं. 
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hi-avathisside · 5 months ago
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तुम्हारा कोई हमसफ़र क्यों नहीं है?
पता नहीं, शायद इसलिए क्योंकि मुझे प्यार चाहिए, इस शेहवत के जमाने में, सच्चा वाला प्यार चाहिए, शायद इसलिए क्योंकि मुझे इस कलयुग में, दिल-से-दिल वाला प्यार चाहिए, शायद क्योंकि मुझे इस नए समय में, अपने दादा-दादी के ज़माने वाला प्यार चाहिए। शायद इसलिए क्योंकि इस टाइमपास के जमाने में मुझे लंबा, सालों- साल वाला प्यार चाहिए, दिलों का कनेक्शन चाहिए, जिस्म से प्यार करने के जमाने में, कोई आंखों से मद्य पीने वाला चाहिए, जहां औरतों को अपने से नीचे माना जाता है, वहां अपने हमसफर हमदर्द की तरह इज्जत करने वाला चाहिए धरम, जात-पात, के जमाने में मुझे मुझसे प्यार करने वाला चाहिए, शरीर से नहीं, रूह से प्यार करने वाला चाहिए ।
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buzz-london · 8 months ago
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*मजे लीजिए और* *पढ़ने के बाद आगे धकेल दीजिए...😉🤪* ●○●○●○●○●○ बर्बाद होने के लिए जरूरी नहीं कि शराब या जुआ खेला जाय! बर्बाद होने के लिए आप 2024 में Congress को वोट भी दे सकते है ! ●○●○●○●○●○ पागल वो नहीं जिसे भूत पिशाच दिखाई देते हैं! पागल तो वो है जिसे राहुल गाँधी में देश का भविष्य दिखाई देता है! ●○●○●○●○●○ "भारत रत्न" का मज़ाक तो तब बना था जब नेहरू ने चीन से युद्ध हारने के बाद भी खुद को भारत रत्न दिया था! ●○●○●○●○●○ आपका एक गलत वोट आपके घर तक आतंकवादी ला सकता है ! और एक सही वोट उन्हें सीमा पर ही निबटा सकता है ! जीवन आपका और निर्णय भी आपका! ●○●○●○●○●○ "प्रियंका" विश्व की पहली ऐसी नेता हैं, जिसका "मायका" और "ससुराल" दोनों जमानत पर चल रहे हैं! मगर फिर भी उनकी पार्टी नारे लगाती है कि चौकीदार चोर है! ●○●○●○●○●○ बाबर का बाप उजबेकिस्तान का, मां मंगोलिया की, वह मरा अफगानिस्तान में और उसका मकबरा काबुल में मगर "बाबरी मस्जिद चाहिये अयोध्या में ? मजे की बात ये कि समर्थन भी काग्रेस ही कर रही है! ●○●○●○●‍○●○ रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलयुग आएगा! माँ बाप की शादी चर्च में होगी और बेटा "ब्राह्मण” कहलाएगा ! ●○●○●○●○●○ धर्म बदला, जाति बदली, बदल दिया है गोत्र! "दादा गड़े कब्र में, पंडित बन गया पौत्र! ●○●○●○●○●○ एक जमाना था जब जनता आंदोलन करती थी, और नेता घर बैठ के मजे लेते थे! मगर आज मोदी जी ने एसी परिस्थिती कर दी है की भ्रष्ट नेता आंदोलन कर रहे हैं, और जनता शाँत बैठकर घर पर मज़े ले रही है ! इसे कहते हैं अच्छे दिन ! ●○●○●○●○●○ विदेश के नेता मोदी के पीछे पागल हैं, और भारत के नेता मोदी के कारण पागल हैं ! कोई शक ! ●○●○●○●○●○ केवल फेविकोल ही नहीं जोड़ता, मोदी का डर भी जोड़ता हैं ! ●○●○●○●○●○ चौकीदार को वोट देना पक्का नही था, लेकिन जिस तरह चोरों को इकठ्ठा होते हुए देखा, तो प्रण कर लिया कि चौकीदार रखना जरूरी है। ●○●○●○●○●○ गद्दारी के किले ढह गए राष्ट्रवाद की तोप से, सां��� - नेवले एक हो गए, मोदी तेरे खौफ से ! देश बेचने वाले एक हो सकते हैं, तो देश बचाने वाले क्यों नहीं एक हो सकते ? ●○●○●○●○●○ 77-इमर्जेंसी, 84-सिक्ख , 90-कश्मीरी हिंदु नरसंहार तब तक संविधान सुरक्षित था! 7 वर्षों में 1300 आतंकी मरने से संविधान खतरे में आ गया! ●○●○●○●○●○ जिस प्रियंका वाड्रा को कांग्रेसी माँ दुर्गा का अवतार बता रहे हैं, उसके बच्चों का नाम 'रेहान और मारिया' है! सोचा सबको बता ही दें ! ●○●○●○●○●○ भाजपा का विरोध करने वाले 22 दलों की कुल पारिवारिक संपत्ति सिर्फ-300 लाख करोड़ रुपये है, जो कि देश का 10 साल का बजट है ! सोचा बता दूँ… ●○●○●○●○●○ एक बार गलती की थी, तो 10 साल के लिए बिना आवाज का प्रधानमंत्री मिला था! इस बार गलती करेंगे, तो बिन दिमाग का प्रधानमंत्री मिलेगा ! ●○●○●○●○●○ विकास पागल हो सकता है, परन्तु पागल का विकास नहीं हो सकता! इसलिए मोदी और योगी है देश के लिए उपयोगी... ●○●○●○●○●○ नमो को वोट दिया जा सकता है, परन्तु नमूने को नहीं! ●○●○●○●○●○ हमारे प्रधानमंत्री के चाहे कितने ही कार्टून बना लो, कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन एक कार्टून को प्रधानमंत्री कभी नहीं बनाया जा सकता है। मैसेज को डकारना नहीं है,आगे भेजना है... *नए भारत का वैश्विक संकल्प...* *सनातन वैदिक धर्म...विश्व धर्म* *अखंड हिंदु राष्ट्र भारत...विश्व गुरु भारत* *धर्मो रक्षति रक्षितः...*🚩
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radhadasi26363 · 2 days ago
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+ईसा जी में फरिश्ते प्रवेश कर बोलते थेएक स्थान पर ईसा जी ने कहा कि मैं याकूबसे भी पहले था। संसार की दृष्टि से याकूबईसा जी का दादा था। यदि ईसा जी कीआत्मा होती तो यह नहीं कहती कि मैं याकूब(अपने दादा) से भी पहले था। सिद्ध होता हैईसा जी में कोई अन्य फरिश्ता बोल रहा थाजो प्रेतवत प्रवेश कर जाता था।
#बाइबल_अनुसारपरमात्मा_कैसा_है
#KabirIsGod #rapture
#heisrisen #holy #christmas #god #cross #jesus #bible #bibleverse #gospel #jesuschrist #salvation
#SantRampalJiMaharaj
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natkhat-sa-shyam · 11 months ago
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एक लड़का जिसे प्रेम की ज़रा समझ नहीं है मगर उसे तुमसे प्रेम हो गया। वो भी सिर्फ तीन दिनों में और वो ये सोच कर कि, "अगर नहीं कह पाया अभी तो ज़िंदगी में कभी नहीं कह पाउँगा" थोड़ा डर और थोड़ी झिझक के साथ बिना कोई बाउंड्री बनाये तुम्हें कह देता है, 'I Love You!
और तुम ब्लैंक हो जाती हो कि क्या जवाब दूँ उसे। ऐसे कैसे दो दिन में किसी को प्यार हो जायेगा? तुम कंफ्यूज रहती हो। उसे कोई जवाब नहीं देती। वो भी तुमसे कोई जवाब नहीं मांगता और देता है वक़्त तुम्हें। करता है इंतज़ार तुम्हारे हाँ का।
तुम अब भी कंफ्यूज ही रहती हो, क्यूंकि न तो वो रोमांटिक हैं, नहीं उसे आता है प्यार भरी बातें बनाना। फोन पर भी चार बातों के बाद चुप हो जाता है, ���्यूंकि उसकी बातें ख़त्म हो जाती है। वो सुनता रहता है तुम्हें। तुम्हारी होप्लेस-रोमांटिक कहानियों को, बे-सिर-पैर वाले सपनों को। तुम बिना किसी परवाह के अपनी रौ में बहते हुए उसे अपने पहले क्रश से लेकर, कॉलेज में कितने लड़कों ने प्रपोज़ किया बताती जाती हो। तुम अपने अमरुद के पेड़ से लेकर, दादा जी और दाई जी के गौने के किस्से सुबह के तीन बजे सुनाती हो और वो सुनता रहता है।
और ऐसे ही किसी सुबह के तीन बजे तुम्हें एहसास हो जाता है कि, 'He is the One!
यहाँ से शुरू होती है असली कहानी। वो लड़का जिसे प्रेम की समझ नहीं है पड़ चूका है ऐसी लड़की के प्रेम में जिसे चाँद, तारे, बादल, फ़राज़ और न जाने किन-किन शहरों से इश्क है। जो हर शै में रोमांस ढूंढ लेती है। जो हर गाने में से एक लाइन चुरा कर लड़के को भेजती है और फिर सोचती है कि लड़का भी यही करेगा।
मगर लड़का तो ख़ब्ती है। उसे इन मुलायम बातों की समझ कहाँ है! ऐसे में वो कोशिश करता है,
अपने बेसुरे आवाज़ में गाने का,
तुम्हारे लिए बे-सिर-पैर वाली कविताओं को लिखने का, फ़राज़ को पढ़ने का और फिर उनकी ग़ज़लों को रिसाइट करके भेजने का, चाँद को देख कर फ़ोन करता है और तुम्हें बुलाता है बॉलकनी में चाँद दिखाने को,
और बनाता है चाय रात के तीन बजे कि जग कर और देर तक बतिया सके,
तो तुमसे ज़्यादा क़िस्मत वाली और कोई लड़की नहीं है। यही प्रेम है और उस झक्की लड़के से ज़्यादा तुम्हें कोई नहीं चाह सकता। समझी बालिके!
- अनु✨️🦋
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brijpal · 3 months ago
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#पितरों_का_उद्धार_कैसे_करें
श्राद्ध की शास्त्र अनुकूल विधि मार्कण्डेय पुराण में "रौच्य ऋषि के जन्म" की कथा में लिखा है कि एक रुची ऋषि था। वह वेदों अनुसार साधना करता था। रुची ऋषि के पिता, दादा, परदादा तथा तीसरे दादा सब पितर (भूत) योनि में भूखे-प्यासे भटक रहे थे। एक दिन उन चारों ने रुची ऋषि को दर्शन दिए तथा कहा कि बेटा! आप विवाह करके हमारे श्राद्ध करना। तब रुची ऋषि ने कहा कि हे पितामहो! वेद में इस श्राद्ध आदि कर्म को अविद्या अर्थात मूर्खी का कार्य कहा है।
Sant Rampal Ji Maharaj
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new-haryanvi-ragni · 8 months ago
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ताऊ सत्यनारायण ने गाई दादा देवां महिमा | बुपनियाँ | New Haryanvi Ragni |...
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spiritualraja · 3 months ago
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समाज में परंपराएं और अंधविश्वास: एक सोचने योग्य विषय
हमारा समाज विभिन्न परंपराओं और मान्यताओं से भरा हुआ है। कई बार ऐसा लगता है कि कुछ चीजें केवल इसलिए चली आ रही हैं क्योंकि वे सदियों से चली आ रही हैं। पर क्या हमने कभी गंभीरता से सोचा ��ै कि इनमें से कितनी चीजें वास्तव में आज के दौर में प्रासंगिक हैं? क्या जाति व्यवस्था की अब भी आवश्यकता है? क्या महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग नियम वास्तव में सही हैं? क्या अंधविश्वासों को बिना प्रश्न किए मानते जाना उचित है?
मेरा नाम राजा है, और मेरी उम्र 22 वर्ष है। मैं यह दावा नहीं करूंगा कि मेरे पास ज्ञान का विशाल भंडार है, लेकिन अपने जीवन के इस मोड़ पर इतना जरूर समझ चुका हूं कि कई सामाजिक मान्यताएं केवल परंपराओं का अनुसरण हैं, जिनका तर्क से कोई लेना-देना नहीं है। ये सवाल मैंने खुद से भी पूछे थे, और लंबे समय तक सोचने और पढ़ने के बाद मुझे यह महसूस हुआ कि ये परंपराएं और अंधविश्वास सिर्फ सामाजिक नियमों का हिस्सा बन गए हैं जिन्हें हम बिना सोचे-समझे मानते जा रहे हैं।
हम अपने आस-पास के समाज में इन चीजों को होते हुए देखते हैं—बाजारों में, गलियों में, और हमारे सामाजिक ढांचे के हर हिस्से में। फिर भी, हम में से बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इन परंपराओं और मान्यताओं पर सवाल उठाते हैं। जब मैं देखता हूं कि आज भी समाज में जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव हो रहा है, तो मुझे सच में अचरज होता है कि हम अब भी इन चीजों को क्यों स्वीकार कर रहे हैं। क्या वाकई इनकी अब कोई जरूरत है?
मैं यह समझता हूं कि शायद समाज के कुछ हिस्से मेरी बातों से सहमत न हों। लेकिन फिर भी, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि एक बार अपने आप से और अपने समाज से इन सवालों को पूछिए। क्या ये परंपराएं और अंधविश्वास अब भी जरूरी हैं? क्या इनका कोई तार्किक आधार है?
जवाब शायद यही मिलेगा: "हमारे दादा-दादी ने किया, इसलिए हम भी कर रहे हैं।"लेकिन क��या यह पर्याप्त कारण है?
समाज को आगे बढ़ाने के लिए हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। अगर हम अतीत के केवल अनुकरण करते रहेंगे, तो विकास कैसे होगा? यह जरूरी है कि हम इन सवालों को खुद से पूछें और उन पर विचार करें, ताकि हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ सकें जो तर्कसंगत, न्यायसंगत और आधुनिक हो।
- राजा
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mala-dasi · 1 year ago
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#Is_Jesus_God
ईसा जी में फरिश्ते प्रवेश कर बोलते थे
एक स्थान पर ईसा जी ने कहा कि मैं याकूब से भी पहले था। संसार की दृष्टि से याकूब ईसा जी का दादा था। यदि ईसा जी की आत्मा होती तो यह नहीं कहती कि मैं याकूब (अपने दादा) से भी पहले था। सिद्ध होता है ईसा जी में कोई अन्य फरिश्ता बोल रहा था जो प्रेतवत प्रवेश कर जाता था।
Kabir Is SupremeGod
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pushpendrakum79 · 5 months ago
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बुजुर्ग दादा जी अपनी समस्या लेकर आए समस्या पीएम किसान सम्मन निधि नहीं आ रही थी।
बुजुर्ग दादा जी की समस्या को ध्यानपूर्वक सुनकर समस्या का किया समाधान।
हमें हमेशा अपने बुजुर्गों के साथ खड़े रहना चाहिए।
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