#त्वचा संबंधी समस्याओं का इलाज
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amaranteclinic · 2 months ago
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नाखून संक्रमण का उपचार: अमरानते क्लिनिक में डॉ. प्रगति बंसल की कहानी
जब आप नाखून संक्रमण का सामना करते हैं, तो यह न केवल शारीरिक समस्याएं पैदा करता है, बल्कि आपके आत्मविश्वास को भी प्रभावित करता है। यह कहानी नंदिता की है, जो नाखून संक्रमण की समस्या से जूझ रही थी और उसे अमरानते क्लिनिक में डॉ. प्रगति बंसल से इलाज मिला।
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प्रारंभ
नंदिता, एक 35 वर्षीय गृहिणी, हमेशा से अपनी व्यक्तिगत देखभाल के प्रति सजग रही हैं। लेकिन कुछ मही��ों पहले, उन्हें अपने बाएं हाथ के नाखून में दर्द और सूजन महसूस हुई। शुरू में, उन्होंने इसे सामान्य समस्या समझकर अनदेखा कर दिया, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, उनकी समस्या बढ़ती गई। नाखून का रंग पीला होने लगा, और दर्द भी बढ़ने लगा।
क्लिनिककीखोज
एक दिन, नंदिता की सहेली ने उसे अमरानते क्लिनिक का सुझाव दिया, जहां डॉ. प्रगति बंसल नाखून संक्रमण के विशेषज्ञ मानी जाती थीं। सहेली ने बताया कि कैसे डॉ. बंसल ने कई मरीजों को इस समस्या से राहत दिलाई है। नंदिता ने तुरंत अपॉइंटमेंट बुक किया और क्लिनिक पहुंची।
पहलीमुलाकात
जब नंदिता क्लिनिक पहुँची, तो उसे वहां का वातावरण बहुत सुखद और स्वागतयोग्य लगा। डॉ. प्रगति बंसल  ने नंदिता का पूरा चिकित्सा इतिहास लिया। उन्होंने नंदिता के नाखून का ध्यानपूर्वक निरीक्षण किया और उसके लक्षणों के बारे में विस्तार से पूछा।
परीक्षणऔरनिदान
डॉ. बंसल ने बताया कि नंदिता को नाखून संक्रमण हुआ है, जिसे "ऑन्कोमायकोसिस" के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि यह संक्रमण अक्सर फंगस के कारण होता है, और इसे जल्द से जल्द उपचारित करना आवश्यक है। इसके लिए, डॉ. बंसल ने कुछ आवश्यक परीक्षण करने की सलाह दी, ताकि संक्रमण की गंभीरता का सही आकलन किया जा सके।
उपचारयोजना
परीक्षणों के परिणाम आने के बाद, डॉ. बंसल ने नंदिता के लिए एक व्यक्तिगत उपचार योजना बनाई:
एंटीफंगलदवाएं: डॉ. ने उसे मौखिक और स्थानीय एंटीफंगल दवाएं निर्धारित कीं, जो संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद करेंगी।
नाखूनकीदेखभाल: नंदिता को अपने नाखूनों की सही देखभाल करने के लिए कुछ टिप्स दिए गए, जैसे नाखूनों को सूखा और साफ रखना।
डाइटमेंबदलाव: डॉ. ने उसे पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने की सलाह दी, जो उसकी त्वचा और नाखूनों को मजबूती प्रदान करे।
नियमितफॉलो-अप: नंदिता को नियमित रूप से क्लिनिक आने और अपने नाखूनों की स्थिति की जांच कराने का निर्देश दिया गया।
उपचारप्रक्रिया
नंदिता ने डॉ. बंसल की सलाह के अनुसार उपचार शुरू किया। पहले कुछ हफ्तों में उसे हल्का दर्द महसूस हुआ, लेकिन धीरे-धीरे उसका नाखून सुधारने लगा। उसने नियमित रूप से दवाएं लीं और अपनी नाखूनों की देखभाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सकारात्मकबदलाव
कुछ महीनों बाद, नंदिता ने देखा कि उसका नाखून न केवल स्वस्थ हो रहा था, बल्कि उसका आत्मविश्वास भी लौट आया था। उसने अपने अनुभव को अपनी सहेलियों के साथ साझा किया और उन्हें भी अमरानते क्लिनिक जाने की सलाह दी। नंदिता ने अपनी कहानी को फेसबुक पर भी साझा किया, जहां उसने डॉ. प्रगति बंसल का धन्यवाद किया।
नयाअध्याय
आज, नंदिता नाखून संक्रमण से पूरी तरह मुक्त है। वह न केवल अपनी नाखूनों की देखभाल करती है, बल्कि अन्य स्वास्थ्य मुद्दों पर भी जागरूक है। उसने अपने अनुभव से सीखा कि समस्या को पहचानना और सही उपचार लेना कितना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
यह कहानी नंदिता की ही नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की है जो नाखून संक्रमण या अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। अमरानते क्लिनिक में डॉ. प्रगति बंसल जैसी विशेषज्ञ से सही सलाह और उपचार प्राप्त करके आप भी अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं।
यदि आप नाखून संक्रमण से जूझ रहे हैं या अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो अमरानते क्लिनिक में एक अपॉइंटमेंट बुक करें। Nail Infection Treatment in East Delhi  सही उपचार और देखभाल से आप भी एक नई शुरुआत कर सकते हैं और अपनी त्वचा को फिर से स्वस्थ और खूबसूरत बना सकते हैं
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astroclasses · 2 months ago
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healthremedeistips · 2 months ago
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एक्जिमा के बारे में आपने भी सुना होगा। यह एक तरह का चर्म रोग है। शरीर में जिस ही स्थान पर एक्जिमा होती। खुजली करते -करते कभी -कभी खून भी निकल आता है। आमतौर पर लोग ऐलोपैथिक दवाओं से एक्जिमा का इलाज करने की कोशिश करते हैं लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि एक्जिमा का पूरी तरह उपचार नहीं हो पाता है। 
ऐसे में आप आयुर्वेदिक उपाय को आजमा सकते हैं। यह ना सिर्फ एक्जिमा को खत्म करने में सहायता करता है बल्कि अनेक तरह के चर्म रोगों में भी काम आता है। 
एक्जिमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा वचा शुष्क होकर फटने लगती है। एक्जिमा होने पर त्वचा लालिमा और लाल रंग के धब्बे नजर आते हैं। इतना ही नहीं इससे कभी -कभी फफोले भी पड़ सकते हैं। एक्जिमा के कारण त्वचा के कुछ हिस्से खुजलीदार फटे और खुरदरे हो जाते हैं। एक्जिमा मुख्य रूप से पीठ ,पेट ,हाथ ,मुंह ,कान के आसपास के हिस्से को प्रभावित करता है। कई बार लोग इसे मामूली खुजली समझकर नजर अंदाज कर देते हैं जिससे ये धीरे -धीरे फैलने लगता है। एक्जिमा का जल्दी उपचार करना बहुत जरूरी है वरना यह बीमारी त्वचा को बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। एक्जिमा के इलाज के लोग दवाओं ,क्रीम और लोशन का सहारा लेते हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी एक्जिमा को ठीक कर सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपाय बता रहे हैं जिससे आप एक्जिमा  इलाज कर सकते हैं। 
एक्जिमा क्या है ?
वास्तव में एक्जिमा एक तरह का खुजली का रोग है लेकिन यह सामान्य खुजली से अलग होता है। यह अपने आप में एक रोग है। त्वचा को कई संक्रमणों का स��मना करना पड़ता है और उसी में से एक एक्जिमा त्वचा रोगों में होने वाली सबसे आम समस्या है  
एक्जिमा होने के क्या कारण है ?
निम्नलिखित कारणों से एक्जिमा हो सकता है -
रोग प्रतिरोधक क्षमता आवश्यकता  अधिक कार्य करने लगे 
जेनेटिक कारणों से 
खराब पर्यावरण से 
विटामिन बी -6 की कमी से 
चिंतनमय जीवन जीने से 
असमान्य वातवरणिक ताप से अत्यधिक उच्च ताप व अत्यधिक निच्च ताप एक्जिमा को बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाते है
हार्मोनल बदलाव आने से 
साबुन ,शैम्पू और केमिकल उत्पादों से 
कुछ खाद्य पदार्थों की एलर्जी से 
एक्जिमा के क्या लक्षण है ?
एक्जिमा के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित है -
काफी खुजली होना ( खासकर रात के समय ) 
त���वचा में सूखापन 
लाल और भूरे रंग के थक्के 
त्वचा में पपड़ी सी जमना 
हाथो ,पांवो ,और गले आदि स्थानों को अधिक प्रभावित करती है 
खाज व सूखापन बढ़ जाना 
फ़िसर्स बनना 
छोटे -छोटे फुंसी से हो जाना 
हल्की सूजन हो जाना 
त्वचा के उस हिस्से का रंग बदल जाना 
एक्जिमा का घरेलू उपाय 
हल्दी 
हल्दी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए हल्दी एक प्रभावी घरेलू उपाय है। एक्जिमा के उपचार के लिए हल्दी काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। हल्दी में एंटी -बैक्टीरियल और एंटी -इंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं। इसके लिए हल्दी में गुलाब जल या दूध मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं 15 -20 मिनट के बाद ठंडे पानी से धो लें। 
नीम का तेल 
एक्जिमा के इलाज के लिए नीम का तेल भी बहुत लाभकारी माना जाता है। नीम के तेल में एंटी -बैक्टीरियल और एंटी -एलर्जिक गुण होते हैं जो त्वचा की खुजली और जलन को ठीक करते हैं इसमें मौजूद एंटी -इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की सूजन से राहत दिलाते हैं। इसके लिए आप पानी में नीम के तेल की दो -चार बूंदें मिलाकर नहाएं। इसके अलावा नीम के तेल में नारियल का तेल मिलाकर लगाने से भी प्रभावित त्वचा को राहत मिलती है। 
सरसों का तेल और नीम 
250 ग्राम सरसों का तेल लेकर लोहे की कढ़ाही में चढ़ाकर आग पर रख दें। जब तेल खूब उबलने लगे तब इसमें 50 ग्राम नीम की कोमल कोंपल ( नई पत्तियाँ ) डाल दें। कोपलों के काले पड़ते ही कड़ाही को तुरन्त नीचे उतार लें अन्यथा तेल में आग लगकर तेल जल सकता है। ठण्डा होने पर तेल को छानकर बोतल में भर लें। दिन में चार बार एग्जिमा पर लगाएँ कुछ ही दिनों में एक्जिमा नष्ट हो जायेगा। एक ��र्ष तक लगाते रहें तो फिर यह रोग दोबारा कभी नहीं होगा। 
 चिरायता और कुटकी 
चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के पात्र में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमें भिगो  और ऊपर से ढक कर रख दें। प्रात:काल रात भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथार कर कपड़े से छानकर पी लें और पीने बाद 3 -4 घंटे तक कुछ नहीं खायें और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी और डाल दें। इस प्रकार चार दिन तक वही चिरायता और कुटकी काम देगें। तत्पश्चात उनको फेंककर नया चार -चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोयें और चार -चार दिन के बाद बदलते रहें। यह पानी ( कड़वी चाय ) लगातार दो -चार सप्ताह पीने  एक्जिमा ,फोड़े ,फुन्सी आदि चर्म रोग नष्ट होते हैं मुँहासे निकलना बन्द होते हैं और रक्त साफ होता है।  
एक्जिमा में इस कड़वे पानी को पीने के अलावा इस पानी से एक्जिमा वाले स्थान को धोया करें। 
इस प्रयोग  एक्जिमा और रक्तदोष के अतिरिक्त हड्डी की टी.बी. पेट  के रोग ,अपरस और कैंसर आदि बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं इन कठिन बीमारियों में आवश्यकतानुसार एक -दो महीनों तक चिरायता और कुटकी का पानी पीना चाहिए। इसे भी पढ़े :
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नीम: लाख दुखों की एक दवा
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नीम, जिसे हम सभी ने अपने घरों में देखा है, एक ऐसा पेड़ है जो अपनी अद्भुत औषधीय गुणों के लिए मशहूर है। इसे भारतीय परंपरा में एक वरदान माना जाता है, और यह सदियों से हमारे जीवन का हिस्सा रहा है। आज हम बात करेंगे कि कैसे नीम लाखों बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकता है।
नीम का परिचय
नीम एक सदाबहार पेड़ है जो मुख्य रूप से भारत और दक्षिण एशिया में पाया जाता है। इसके पत्ते, बीज, फल, और यहां तक कि छाल भी औषधीय गुणों से भरे हुए होते हैं। नीम को संस्कृत में "अर्जुन" और "अश्वत्थ" जैसे नामों से भी जाना जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह पेड़ 500 से अधिक बीमारियों के इलाज में मददगार है, इसलिए इसे 'लाख दुखों की एक दवा' कहा जाता है।  पुराने समय में, नीम क�� उपयोग विभिन्न प्रकार के त्वचा रोग, जुखाम, बुखार, और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता था। इसके साथ ही, नीम का उपयोग प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में भी होता है, जिससे खेती में कीड़ों से बचाव किया जा सकता है। नीम के औषधीय गुण
नीमत्वचा की समस्याओं में लाभकारी: नीम का उपयोग त्वचा की समस्याओं के लिए किया जाता है। इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाने से पिंपल्स, एक्ने, और अन्य त्वचा संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है। नीम का तेल भी त्वचा की बीमारियों जैसे एक्जिमा और सोरायसिस में फायदेमंद है।
मुँह और दांतों की देखभाल: नीम की दातून का इ���्तेमाल हमारे पूर्वज सदियों से करते आ रहे हैं। यह दांतों की सड़न, मसूड़ों की सूजन, और अन्य मौखिक समस्याओं में मदद करता है। नीम के एंटी-बैक्टीरियल गुण मुँह की दुर्गंध को भी दूर करते हैं।
मधुमेह में सहायक: नीम की पत्तियों का सेवन रक्त में शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है। मधुमेह के मरीज इसके पत्तियों का रस नियमित रूप से पी सकते हैं, जिससे उनका शुगर लेवल कंट्रोल में रह सकता है।
बालों की देखभाल: नीम का तेल बालों के लिए एक प्राकृतिक कंडीशनर का काम करता है। यह डैंड्रफ और बालों के झड़ने की समस्या को दूर करता है। इसके अलावा, नीम के पत्तों का पेस्ट बालों में लगाने से बाल मजबूत और चमकदार बनते हैं।
इम्यून सिस्टम को मजबूत करना: नीम के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह शरीर को विभिन्न संक्रमणों से बचाने में मदद करता है। नीम के कड़वे स्वाद के बावजूद, यह हमारे शरीर के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है।
मलेरिया और डेंगू से बचाव: नीम के पत्तों और छाल का इस्तेमाल मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से बचाव में किया जाता है। इसके पत्तों का रस पीने से मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
पाचन तंत्र को दुरुस्त रखना: नीम का सेवन पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है। यह अपच, गैस, और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। इसके अलावा, नीम का उपयोग पेट के कीड़ों को मारने में भी किया जाता है।
नीम का उपयोग कैसे करें?
नीम की पत्तियों का रस:
नीम की ताजे पत्तियों का रस निकालकर हर रोज सुबह खाली पेट पीने से शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। हालांकि, इसका स्वाद कड़वा होता है, लेकिन इसके फायदे अमूल्य हैं।
नीम का तेल:
नीम का तेल त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे बालों में लगाने से डैंड्रफ से छुटकारा मिलता है और बाल मजबूत होते हैं। त्वचा पर लगाने से खुजली और फंगल इन्फेक्शन से बचाव होता है।
नीम का पेस्ट:
नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाने से त्वचा की चमक बढ़ती है और पिंपल्स जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
नीम की दातून:
नीम की दातून का इस्तेमाल दांतों और मसूड़ों को मजबूत करने में किया जा सकता है। इससे मुँह की दुर्गंध भी दूर होती है।
नीम का ��ेस्ट:
नीम की सूखी पत्तियों से बनी चाय पीने से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह मधुमेह के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होती है।
नीम का पाउडर:
नीम के सूखे पत्तों का पाउडर त्वचा और बालों के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसे फेस पैक या हेयर मास्क के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। नीम का पाउडर खाने में भी उपयोग किया जा सकता है, जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और रक्त शुद्ध होता है।
नीम का ध्यान रखने योग्य बातें
नीम के कई फायदे हैं, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन भी हानिकारक हो सकता है। नीम का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, उल्टी, और कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, इसका सेवन हमेशा डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें।
निष्कर्ष
नीम एक ऐसा पेड़ है जो अपने गुणों से हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह प्रकृति का एक उपहार है, जिसे सही तरीके से उपयोग करने पर हम कई बीमारियों से दूर रह सकते हैं। नीम के कड़वे स्वाद के बावजूद, इसके फायदे मीठे हैं, और इसे अपने जीवन में शामिल करके हम स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
याद रखें, नीम का सही मात्रा में और सही तरीके से उपयोग करना जरूरी है। इसका नियमित सेवन हमें बीमारियों से बचाने के साथ-साथ हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। तो आज से ही नीम को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और इसके अनगिनत फायदों का आनंद लें।Visit Us: https://prakritivedawellness.com/pain-management-treatment-centre-in-prayagraj/
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gsuniversityofficial · 4 months ago
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amarkumar123 · 4 months ago
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बहुत ज्यादा खांसी आना: कारण, लक्षण और इलाज
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बहुत ज्यादा खांसी आना एक आम समस्या है जिसे हम सभी ने कभी न कभी अनुभव किया है। यह कई कारणों से हो सकता है और इसके कई प्रकार के इलाज भी उपलब्ध हैं। इस ब्लॉग में हम खांसी के कारण, लक्षण और घरेलू उपायों के साथ-साथ चिकित्सीय इलाज के बारे में चर्चा करेंगे।
खांसी के कारण
खांसी के कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
सर्दी और जुकाम: यह सबसे सामान्य कारण है। वायरस के संक्रमण से सर्दी और जुकाम हो सकता है, जिससे खांसी होती है।
एलर्जी: धूल, पराग, पालतू जानवरों की त्वचा आदि से एलर्जी होने पर भी खांसी हो सकती है।
धूम्रपान: धूम्रपान करने वालों में खांसी एक आम समस्या है।
अस्थमा: अस्थमा के रोगियों में खांसी एक प्रमुख लक्षण है।
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD): इस स्थिति में पेट का एसिड वापस गले में आ जाता है, जिससे खांसी होती है।
संक्रमण: फेफड़ों का संक्रमण, जैसे निमोनिया या ब्रोंकाइटिस, भी खांसी का कारण हो सकता है।
खांसी के लक्षण
खांसी के साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे:
गले में खराश
बलगम का आना
सांस लेने में कठिनाई
सीने में दर्द
थकान
घरेलू उपाय
खांसी से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं:
शहद और अदरक: एक चम्मच शहद में थोड़ा सा अदरक का रस मिलाकर लेने से खांसी में राहत मिलती है।
हल्दी का दूध: गरम दूध में हल्दी मिलाकर पीने से गले की खराश और खांसी में आराम मिलता है।
भाप लेना: गरम पानी में पुदीना या नीलगिरी का तेल डालकर भाप लेने से बंद नाक और खांसी में आराम मिलता है।
तुलसी और काली मिर्च: तुलसी की पत्तियों का रस और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर लेने से भी खांसी में राहत मिलती है।
चिकित्सीय इलाज
यदि घरेलू उपायों से खांसी में आराम नहीं मिल रहा है, तो चिकित्सीय इलाज की आवश्यकता हो सकती है:
खांसी की दवाएं: डॉक्टरी सलाह के अनुसार खांसी की दवाएं लेनी चाहिए।
एंटीबायोटिक्स: यदि खांसी का कारण बैक्टीरियल ��ंक्रमण है, तो एंटीबायोटिक्स का सेवन किया जा सकता है।
ब्रोंकोडायलेटर्स: अस्थमा या अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए ब्रोंकोडायलेटर्स का उपयोग किया जा सकता है।
एलर्जी की दवाएं: यदि खांसी का कारण एलर्जी है, तो एंटीहिस्टामिन दवाएं प्रभावी हो सकती हैं।
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gotirth · 5 months ago
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Gotirth Digeston Liquid एक आयुर्वेदिक गव्यौषधि है। जो पाचन में सुधार करता है और मेटाबोलिज्म बढ़ाता है। गैस, सूजन, अपच, पेट खराब, भूख न लगना, कब्ज, दस्त जैसी कमजोर पाचन संबंधी समस्याओं का इलाज करता है।
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yashodaivffertilitycentre · 6 months ago
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क्या है पीसीओडी के मुख्य लक्षण? और जाने उपचार (PCOD Symptoms In Hindi)
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पीसीओडी क्या होता है? (What is PCOD?)
क्या आपने कभी पीसीओडी के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो आज हम इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे। पीसीओडी, यानी बहुत्विक अंडाशय रोग, एक सामान्य हार्मोनल समस्या है जो बहुत सी महिलाओं को प्रभावित करती है। इसका प्रभाव महिला के प्रजनन अंगों पर पड़ता है, जिससे कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। पीसीओडी के लक्षणों में पीरियड्स ना आना या अनियमित मासिक चक्र, गर्भधारण में कठिनाई, Mood Swings, चेहरे पर अनचाहे बाल, बाल झड़ना और पतला होना, वजन बढ़ना, त्वचा में परिवर्तन, मुंहासे, पेल्विक दर्द शामिल है और इन बीमारियों मे टाइप 2 डायबिटीज, हृदय की बीमारी, मोटापा और एंडोमेट्रियल कैंसर भी हो सकता है।
पीसीओडी का पूरा नाम हिंदी में (Full Form of PCOD in Hindi)
पीसीओडी का पूरा नाम या फिर full form “Polycystic Ovary Disease” है, जिसे हिंदी में “बहुत्विक अंडाशय व्याधि कहा जाता है। इसे ‘पीसीओडी” के नाम से अधिक जाना जाता है, और यह महिलाओं में बहुत पाया जाता है।
पीसीओडी के कारण (Why PCOD Occurs?)
अब आप सोच रहे होंगे, पीसीओडी आखिर होता कैसे है? चलिए, इसे और अधिक विस्तार से समझते हैं।
पीसीओडी कैसे होता है?
पीसीओडी तब होता है जब अंडाशय में अनेक छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। ये सिस्ट वास्तव में अंडाणु होते हैं जो सही तरह से परिपक्व नहीं हो पाते हैं।
पीसीओडी क्यों होता है?
इसका मुख्य कारण हार्मोन्स का असंतुलन होता है। जब एक महिला के शरीर में विशेष प्रकार का हार्मोन अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है, तो यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD)
पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवरी रोग अंडाशय हार्मोन का एक विकार है जो प्रजनन आयु की महिलाओं में आम है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए ऐसे लक्षण हैं जो किसी भी महिला में दिखाई दे सकते हैं।
पीसीओडी के प्रमुख लक्षण (Main Symptoms of PCOD)
अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म चक्र में लंबे समय तक रुकावट या इसमें देरी।
ओवर हेयर: पीठ, पेट और चेहरे पर प्रचुर मात्रा में बाल।
 व��न बढ़ना: अचानक वजन बढ़ना या वजन घटाने में कठिनाई।
त्वचा समस्याएँ: मुँहासे और चेहरे पर तेलीयपन।
अधिक थकान महसूस होना: बिना किसी कारण के थकान महसूस करना।
पीसीओडी महिलाओं में कैसे पहचानें (Identifying PCOD in Females)
यह सवाल लगभक सभी महिलाओं के मन में आता है की, “क्या मुझे पीसीओडी है हुआ है?” तो आइए जानते हैं ऐसे कुछ लक्षण जिनसे आप इस समस्या को जान सकते हैं।
जानिए पीसीओडी की समस्या और उसके लक्षण (Know PCOD Issues and Their Indications)
•                  उल्टी की भावना: बहुत बार उल्टी आने जैसा feel हो सकता हैं।
•                  सीने में जलन होना: भोजन के बाद सीने में जलन होना ये भी कई बार हो सकता है।
•                  बालों का झड़ना या फिर कम होना: इसमे बालों का झड़ना, कम होना और पतला होना ये भी शामिल है।
•                  अधिक थकान याफिर नींद की भावना: रोज के दिनकर्म में भी अधिक थकान जैसा लगना या फिर नींद जैसा feel होना।
पीसीओडी और पीसीओएस में अंतर (Difference between PCOD and PCOS)
अधिकतर लोग पीसीओडी और पीसीओएस को एक ही समस्या मानते हैं, लेकिन ये दोनों अलग होते हैं। पीसीओडी (Polycystic Ovary Disease) एक स्थिति है जहां अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट होते हैं। पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) एक अधिक गंभीर विकार है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन, मेटाबोलिक समस्याएं, और प्रजनन संबंधी जटिलताएं शामिल होती हैं।
उपचार और सलाह (Treatment and Advice)
पीसीओडी का समय पर इलाज और सही सलाह से प्रबंधन संभव है। अगर आपको पीसीओडी के लक्षण महसूस होते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर: पीसीओडी और प्रजनन संबंधी अन्य समस्याओं के लिए सही परामर्श और उपचार के लिए, नवी मुंबई के यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर से संपर्क करें। यहां के विशेषज्ञ डॉक्टर आपको उचित मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करेंगे। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 8655442184.
पीसीओडी का परीक्षण (PCOD Testing)
स्वस्थ जीवन की कुंजी है सही जानकारी और सही समय पर उचित उपचार। पीसीओडी, जो महिलाओं में होने वाली एक सामान्य समस्या है, का पता लगाने के लिए परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जानिए PCOD परीक्षण कैसे होता है? (Know How is PCOD Testing Done?)
जब आप इस समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाती हैं, तो वह कुछ प्रकार की जाँचें की सलाह देते है:
•                  अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): इसमें डॉक्टर आपके अंडाशय की स्थिति की जाँच करते हैं और सिस्ट्स  ��ै या नही ये को जांच करते हैं।
•                  रक्त परीक्षण (Blood test): इससे डॉक्टर अंडा उत्सर्जन संबंधित हार्मोन्स की मात्रा की जाँच करते है।
•                  शारीरिक परीक्षण: इसमें डॉक्टर आपके शरीर के सारे हिस्सों, जैसे त्वचा, बाल आदि की जाँच करते है।
जानिए क्या है PCOD परीक्षण में ध्यान देने योग्य बातें (Know Things to Consider in PCOD Testing)
जब आप डॉक्टर के पास PCOD के परीक्षण के लिए जाती हैं, तो कुछ बातों का हमे अच्छे से ध्यान रखना चाहिए:
•                  डॉक्टर से सलाह: अच्छे डॉक्टर से सलाह लेने से आपको अच्छे से सहायता मिलती है।
•                  परीक्षण का समय: डॉक्टर से सलाह ले की किस महीने मे परीक्षण या जांच करनी है।
•                  जाँच की सटीकता: अगर आपको पहिली जांच मै कुछ गडबड जैसा लगा तो आप दुबारा जांच कर सकते हैं
क्या है पीसीओडी का इलाज (What is Treatment for PCOD)
पीसीओडी समस्या की पहचान होने के बाद आवश्यक हैं की उसका जल्द से जल्द इलाज किया जाए।
जानिए पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज का उपचार (Polycystic Ovarian Disease Treatment)
•                  हार्मोन थेरेपी: इसमें डॉक्टर हार्मोन्स की मात्रा को संतुलित करते है।
•                  औषधियां: कुछ प्रकार की दवाओं से हार्मोन असंतुलन को दूर किया जा सकता है।
•                  लाइफस्टाइल परिवर्तन: संतुलित आहार और व्यायाम से भी PCOD पर नियंत्रण पाया जाता है।
जानिए PCOD की समस्या का समाधान या निवारण क्या है (Solution to PCOD Problem)
PCOD  ऐसी समस्या है जिसका निवारण या समाधान सिर्फ और सिर्फ औषधियों में नहीं है  हमे अपने जीवनशैली में सुधार करना चाहिए, संतुलित आहार लेना चाहिए और नियमित व्यायाम करना चाहिए, तो हम PCOD से मुक्ति पा सकते हैं।
हमारे की विशेषज्ञ सहायता प्राप्त करें (Seek Our Expert Help)
आज के टाईम मै महिलाओं में पीसीओडी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अगर इसका सही समय पर और सही तरीके से इलाज नहीं होता, तो ये समस्या और भी बढ़ सकती है या जटिल हो सकती है। इसके लिए हमारे आईवीएफ और विशेषज्ञों की सलाह ले और सही उपचार जल्द ही करे।यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर
यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर पीसीओडी और प्रजनन संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए Best IVF Centre In Navi Mumbai माना जाता है। यहां के अनुभवी डॉक्टर आपको सही मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करते हैं। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 8655442184.
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trendingnews-100 · 7 months ago
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10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के
सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के कई चमत्कारी फायदे हैं। यह एक प्राचीन और प्रमुख आदत है जो धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक भी है। नीचे कुछ चमत्कारी फायदे दिए गए हैं:
विटामिन डी की उत्पत्ति: सूर्य के प्रकाश में जल का चढ़ाना विटामिन डी की उत्पत्ति में मदद करता है। यह विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
प्राचीन धार्मिक परंपरा: सूर्य को जल चढ़ाना धार्मिकता का प्रतीक है, जो समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माना जाता है।
शारीरिक स्वास्थ्य: सूर्य के प्रकाश में जल का चढ़ाना त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और कई त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।
मानसिक शा��ति: सूर्य को जल चढ़ाना मानसिक शांति और ध्यान में स्थिरता को बढ़ावा देता है, जो चिंता और तनाव को कम करता है।
ऊर्जा का बढ़ावा: सूर्य के प्रकाश में जल का चढ़ाना सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और दिनभर की क्रियाशीलता को बढ़ाता है।
आयुर्वेदिक लाभ: यह आयुर्वेदिक द्रव्य बनाने में मदद करता है, जो कई रोगों के इलाज में उपयोगी है।
जल परिशुद्धि: सूर्य के प्रकाश में जल का चढ़ाना जल परिशुद्धि को बढ़ावा देता है और उसे स्वास्थ्यप्रद बनाता है।
प्रकृति से जुड़ाव: यह एक आदत है जो हमें प्रकृति से जोड़ती है और हमें उसके संरक्षण की ओर प्रेरित करती है।
संगीत और मनोरंजन: इस क्रिया को करने के दौरान आस-पास के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना संगीत और मनोरंजन का अच्छा साधन हो सकता है।
ध्यान और आध्यात्मिकता: सूर्य को जल चढ़ाने की प्रक्रिया ध्यान और आध्यात्मिक अनुभव का एक भाग बना सकती है, जो चिंता से मुक्ति और आनंद प्रदान करता है।
इस तरह, सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के इन चमत्कारी फायदों से हमें स्वास्थ्य, शांति, और आध्यात्मिक उत्थान में मदद मिलती है।
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personalcare-nheal · 1 year ago
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Clindamycin Phosphate Gel USP के उपयोग: हिंदी में अर्थ और फायदे
Clindamycin Phosphate Gel USP (क्लिंडामाइसिन फॉस्फेट जेल यूएसपी) एक प्रमुख दवा है जिसे त्वचा संबंधित समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है। यह त्वचा के अनुकरणीय इन्फेक्शन, दाग और अन्य त्वचा समस्याओं के लिए सामग्री के रूप में उपयोग होता है। इस ब्लॉग में, हम Clindamycin Phosphate Gel USP के हिंदी में अर्थ और उपयोगों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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Clindamycin Phosphate Gel USP का उपयोग:
त्वचा के अनुकरणीय इन्फेक्शन के इलाज में: Clindamycin Phosphate Gel USP आमतौर पर त्वचा के अनुकरणीय इन्फेक्शन के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें खुजली, जलन, सूजन, और दर्द का समावेश हो सकता है। यह ग्रीसी त्वचा, मुहासे, दाग और फोड़ों के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है।
अक्ने के इलाज में: Clindamycin Phosphate Gel USP अक्ने (पिंपल्स) के इलाज के लिए भी उपयोगी होता है। इसके एंटीबायोटिक गुण त्वचा की मैकेनिज्म को नष्ट करने में मदद कर सकते हैं और इस प्रकार से त्वचा पर मुहासे और डॉक्टर के निर्देशानुसार बदलती हैं।
दाग और काले धब्बों के इलाज में: Clindamycin Phosphate Gel USP के नियमित उपयोग से त्वचा पर होने वाले दाग और काले धब्बे कम हो सकते हैं। यह त्वचा के अनुकरणीय इन्फेक्शन को नष्ट करने में मदद करता है और त्वचा को साफ़ और स्वस्थ बनाने में सहायता प्रदान कर सकता है।
Clindamycin Phosphate Gel USP के लाभ:
विरोधी संक्रमण गुण: Clindamycin Phosphate Gel USP एक प्रमुख विरोधी संक्रमण गुण होता है, जो त्वचा के बैक्टीरिया को ��ष्ट करने में मदद कर सकता है। यह त्वचा की स्वस्थता को बढ़ावा देता है और समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
त्वचा को शुद्ध रखने का कार्य: Clindamycin Phosphate Gel USP त्वचा को ताजगी और स्वच्छता से भरपूर रखने में मदद कर सकता है। यह त्वचा के अनुकरणीय इन्फेक्शन को नष्ट करके त्वचा को स्वस्थ बनाए रखता है।
सुरक्षित और प्रभावी उपयोग: Clindamycin Phosphate Gel USP को आमतौर पर डॉक्टर के परामर्श के अनुसार उपयोग करना सुरक्षित और प्रभावी होता है। इसे निर्दिष्ट मात्रा और उपयोग संबंधी निर्देशों के अनुसार ही उपयोग करना चाहिए।
Clindamycin Phosphate Gel USP का हिंदी में उपयोग:
Clindamycin Phosphate Gel USP (क्लिंडामाइसिन फॉस्फेट जेल यूएसपी) एक उत्कृष्ट औषधि है जिसे हमेशा डॉक्टर के परामर्शानुसार उपयोग करना चाहिए। यह दवा त्वचा संबंधित समस्याओं के इलाज में मदद कर सकती है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रख सकती है।
सभी उपयोगों से पहले डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है, और हिंदी में clindamycin phosphate gel usp uses in hindi (क्लिंडामाइसिन फॉस्फेट जेल यूएसपी) के उपयोग और फायदों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। इससे सुनिश्चित किया जा सकता है कि उपयोगकर्ता सही तरीके से इसका उपयोग करते हैं और किसी तरह की संभावित साइड इफेक्ट्स से बचें।
सावधानीपूर्वक और सचेत रहें और संशय होने पर त्वचा के विशेषज्ञ से परामर्श लें। Clindamycin Phosphate Gel USP को निर्धारित मात्रा में और सही तरीके से उपयोग करने से त्वचा संबंधी समस्याओं का उपचार संभव होता है और आपको स्वस्थ त्वचा का आनंद उठाने में मदद मिलती है।
सावधानी बरतें, अच्छी तरह से सलाह लें, और Clindamycin Phosphate Gel USP के उपयोग के बारे में अच्छी जानकारी हासिल करें, ताकि आप इसके सही फायदों का उपयोग कर सकें और स्वस्थ और खुशहाल त्वचा के साथ अपना संबंध बनाए रखें।
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drmongaclinicdelhi · 2 years ago
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सामान्य त्वचा की समस्याएं - जानें कि कैसे आयुर्वेद आपकी मदद कर सकता है! | Common Skin Problems - Learn How Ayurveda Can Help You!
जानिए त्वचा संबंधी समस्याओं का आयुर्वेदिक इलाज डॉ मोंगा मेडी क्लिनिक के साथ। अपनाएं आयुर्वेदिक उपचार और पाएं सुंदर और स्वस्थ त्वचा। 1- डॉ मोंगा मेडी क्लिनिक में त्वचा संबंधी समस्याओं का आयुर्वेदिक इलाज उपलब्ध है। 2- आप डॉक्टर की सलाह पर अपनाएं विभिन्न आयुर्वेदिक उपचार और दवाएं। 3- त्वचा की समस्याओं में शामिल हैं पिम्पल्स, एक्जिमा, ब्लैकहेड्स, एक्ने, सुन-तन, रूसी और चर्म रोग। 4- आयुर्वेदिक इलाज के फायदे में हैं स्वस्थ त्वचा, जल्दी से उपचार, साइड इफेक्ट्स की कमी, और रोग के दोबारा न होने की संभावना। 5-त्वचा संबंधी समस्याओं को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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astroclasses · 4 months ago
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doonitedin · 3 years ago
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Skin care tips: खूबसूरत दिखने के लिए सर्दियों के मौसम में करें ये काम, हमेशा चमकता रहेगा चेहरा
Skin care tips: खूबसूरत दिखने के लिए सर्दियों के मौसम में करें ये काम, हमेशा चमकता रहेगा चेहरा
Skin care tips: ठंड के मौसम ने पूरी तरह से दस्तक दे दी है. इस मौसम में महिला हो या फिर पुरुष सभी को त्वचा का खास ख्याल रखना पड़ता है, क्योंकि इस दौरान शुष्क वातावरण और ठंडी हवा का सबसे ज्यादा प्रभाव त्वचा पर पड़ता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ठंड के दौरान स्किन में नमी कम होने के कारण वह ड्राई हो जाती है, साथ ही कुछ लोगों का तो रंग भी काला पड़ने लगता है. लिहाजा आपको इस मौसम में अपनी स्किन का…
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onlinedeshiupchaar · 3 years ago
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स्किन इन्फेक्शन को दूर करने के 8 घरेलू उपाय - skin Infection ko door karane ke gharelu upaay
Skin Infection ko door karane ke gharelu upaay:
गर्मी हो या सर्दी हमारी स्किन पर कई प्रकार इन्फेक्शन हो ही जाते है जिसकी वजह से त्वचा पर लाल निशान, लाल चकत्ते, खुजली आदि की परेशानी होने लगती है। इन सभी प्रकार की समस्या से छुटकारा पाने लिए आप कुछ उपाय को कर सकते हैं। आज हम आपको स्किन इन्फेक्शन से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय के बारे में बताएंगें।
त्वचा संक्रमण होना एक आम बात है जो किसी को भी हो सकता है। लेकिन इससे बचने के घरेलू उपाय आपको पता बहुत जरूरी है, क्योंकि हर बार ओवर-द-काउंटर दवाओं का सेवन भी बाद में नुकसानदायक होता है। स्किन इन्फेक्शन होने का मुख्य कारण साफ सफाई का ध्यान न रखना, चोट लगना और स्किन पर कट लग जाना आदि होता है।
स्किन इन्फेक्शन कई प्रकार के होते हैं जैसे कि  बैक्टेरियल स्किन इन्फेक्शन, फंगल स्किन इन्फेक्शन, वायरल स्किन इन्फेक्शन, पैरासिटिक स्किन इन्फेक्शन आदि। आज के इस आर्टिकल में हम आपको स्किन इन्फेक्शन से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय के बारे में बताएंगे। आइये इसे विस्तार से जानते है।
स्किन इन्फेक्शन क्या है – What is a skin infection
आपकी त्वचा आपके शरीर का सबसे बड़ा अंग है। इसका कार्य आपके शरीर को संक्रमण से बचाना है। कभी-कभी त्वचा ही संक्रमित हो जाती है। त्वचा के संक्रमण कीटाणुओं की एक विस्तृत विविधता के कारण होते हैं, और इसके लक्षण सामान्य से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। ओवर-द-काउंटर दवाओं और घरेलू उपचार के साथ हल्के संक्रमण का इलाज किया जा सकता है, जबकि अन्य संक्रमणों में चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है।
स्किन इन्फेक्शन को दूर करने के 8 घरेलू उपाय - Skin Infection ko door karane ke gharelu upaay
त्वचा संक्रमण को ठीक करने लिए आप निम्न घरेलू उपाय को करें।
नारियल तेल के फायदे स्किन इन्फेक्शन में – Coconut oil To Get Rid Of Skin Infection
आप नारियल तेल का इस्तेमाल स्किन इन्फेक्शन से छुटकारा के लिए कर सकते है। नारियल का तेल एक फैटी तेल (fatty oil) है, जिसमें एंटीबैक्‍टीरियल और एंटीऑक्‍सीडेंट गुण पाए जाते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि नारियल का तेल कैंडिडा अल्बिकन्स (Candida albicans) के लिए प्रभावी उपचार है। नारियल तेल के एंटीफंगल गुण फंगल इन्फेक्शन और योनि खमीर संक्रमण का इलाज करने में मदद करते है। इसे गुनगुना करके सीधे तरीके से प्रभावित क्षेत्र में लगा सकते हैं।
स्किन इन्फेक्शन से छुटकारा पाने का घरेलू उपाय लहसुन – Garlic To Get Rid Of Skin Infection
त्वचा संक्रमण से राहत पाने के लिए आप लहसुन का उपयोग भी कर सकते हैं। लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीवायरल और एंटी पैरासेप्टिक गुण पाए जाते हैं जो दाद और खुजली आदि से छुटकारा पा पाने में मदद करता है। स्किन से जुड़ी सभी समस्याओं को दूर करने के लिए आप सबसे पहले लहसुन को कुचलकर इसमें नारियल का तेल मिला लें। अब इसे प्रभावित त्वचा पर लगाएं, इससे आपको जल्दी राहत मिलेगी।
हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर करें स्किन इन्फेक्शन दूर – Skin Infection Se Chutkara Pane Ke liye Haldi aur Sarso ka tel
हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से लाभदायक होती है। हल्दी में एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो स्किन इन्फेक्शन को दूर करने में मदद करता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप सबसे पहले थोड़ी सी हल्दी लेकर इसमें गुनगुना सरसों का तेल मिलाकर एक पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को संक्रमण से प्रभावित त्वचा पर लगाएं, इससे आपको काफी मदद मिल सकती है।
त्वचा संक्रमण का घरेलू उपाय शहद – Skin Infection ka Gharelu upay shahad
शहद के द्वारा भी आप त्वचा संक्रमण को दूर कर सकते है। क्‍योंकि शहद में एंटीऑक्‍सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। ये आपकी त्‍वचा की सूजन को कम करने के साथ ही त्‍वचा में मौजूद संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं। इसके लिए आप 2 चम्‍मच शहद लें और इसे हल्‍का गर्म करें। इस गुनगुने शहद को अपनी खुजली प्रभावित जगह पर लगाएं और लगभग 15 मिनिट के बाद धो लें। शहद आपकी त्‍वचा में नमी को बनाए रखने में मदद करती है। इसके अलावा आपकी त्‍वचा में मौजूद संक्रामक कीटाणुओं को नष्‍ट करने में भी अहम योगदान देती है।
स्किन इन्फेक्शन से छुटकारा पाने का घरेलू उपाय नीम – Skin Infection Se Chutkara Pane Ka Gharelu Upay Neem
नीम एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग प्राचीन काल से ही त्वचा संबंधी रोगों के लिए किया जा रहा है। आप इसका इस्तेमाल त्वचा संक्रमण से मुक्ति पाने के लिए भी कर सकते हैं। नीम की पत्तियों में एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-इर्रिटेंट (anti-irritant), एंटीफंगल और एंटीबैक्‍टीरियल गुण होते हैं। इन गुणों की उपस्थिति के कारण नीम का उपयोग एक्जिमा, चकते, मुंहासे आदि के लिए किया जाता है। खुजली, सोरायसिस और अन्‍य त्‍वचा संक्रमण के लिए भी नींम का उपयोग फायदेमंद होता है।
स्किन इन्फेक्शन का उपचार करने के लिए आप नीम की कुछ पत्तियों ��ो पानी में उबालें और इस पानी को ठंडा होने दें। फिर इस पानी में खुजली प्रभावित क्षेत्र को 10 से 15 मिनिट ��क डुबों कर रखें। ऐसा करने से आपको त्वचा संक्रमण के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। यह एक सुरक्षित प्राकृतिक उपाय है, जिसका इस्तेमाल आप कर सकते हैं।
टी-ट्री ऑयल है स्किन इन्फेक्शन का रामबाण उपाय – Tea tree oil hai skin infection ka rambaan upay
यदि आप स्किन इन्फेक्शन से तुरंत छुटकारा पाना चाहते हैं तो टी-ट्री ऑयल का इस्तेमाल करें। इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटीफंगल, एंटीसेप्टिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा संक्रमण और फंगल इन्फेक्शन के कारण होने वाली सूजन, लालिमा और सूक्ष्म बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप आधा चम्मच टी ट्री ऑयल और एक चम्मच नारियल के तेल को मिला लें। अब इसे स्किन इन्फेक्शन पर लगाएं।
त्वचा संक्रमण से छुटकारा दिलाता है सेब का सिरका – Twacha sankraman se chuthkara dilata hai seb ka sirka
सेब साइडर सिरका स्किन इन्फेक्शन की वजह से होने वाली खुजली और चकते आदि का इलाज करने का अच्छा घरेलू उपाय है। सेब के सिरका में मौजूद एसिटिक एसिड त्वचा में मौजूद संक्रमण और बैक्‍टीरिया के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। इसके लिए आप 1 चम्मच में सेब के सिरका को लें और त्वचा संक्रमण वाली जगह पर रखें। जलन होने पर आप सेब के सिरका में पानी भी मिला सकते हैं।
स्किन इन्फेक्शन का घरेलू उपाय कपूर – Skin Infection Ka Gharelu Upay Camphor
ठंडा और शांत प्रभाव के कारण कपूर का उपयोग कई त्वचा से सम्बंधित समस्याओं को दूर करने में किया जाता है। कपूर फंगल और बैक्‍टीरिया संक्रमण (bacterial infection) के उपचार के लिए लाभकारी होता है। इसके लिए आप 5 ग्राम कपूर को लेकर इसमें 100 ग्राम नारियल तेल मिला लें। अब इस मिश्रण को अपनी इन्फेक्शन वाली स्किन पर लगाएं। इससे आपको राहत मिलेगी।
स्किन इन्फेक्शन से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय (Skin Infection Se Chutkara Pane Ke Gharelu Upay) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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abhay121996-blog · 4 years ago
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कई सेहत समस्याओं को दूर करने के लिए अमृत है करेला, जानिए फायदे Divya Sandesh
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कई सेहत समस्याओं को दूर करने के लिए अमृत है करेला, जानिए फायदे
हरी सब्जियों की बात की जाए तो कम ही लोगों को करेले पसंद होते है। अगर आप भी अब तक करेले खाना पसंद नहीं करते, तो इसके सेहत लाभ जानकर जरूर खाना शुरू कर देंगे….1. करेले में फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह कफ, कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। इसके सेवन से भोजन का पाचन ठीक तरह से होता है, और भूख भी खुलकर लगती है।2. अस्थमा की शि‍कायत होने पर करेला बेहद फायदेमंद होता है। दमा रोग में करेले की बगैर मसाले सब्जी खाने से लाभ मिलता है।3. पेट में गैस बनने और अपच होने पर करेले के रस का सेवन करना अच्छा होता है, जिससे लंबे समय के लिए यह बीमारी दूर हो जाती है।4. करेले का जूस पीने से लीवर मजबूत होता है और लीवर की सभी समस्याएं खत्म हो जाती है। प्रतिदिन इसके सेवन से एक सप्ताह में परिणाम प्राप्त होने लगते हैं। इससे पीलिया में भी लाभ मिलता है।5. करेले की पत्त‍ियों या फल को पानी में उबालकर इस���ा सेवन करने से, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और किसी भी प्रकार का संक्रमण ठीक हो जाता है।6. उल्टी-दस्त या हैजा हो जाने पर करेले के रस में काला नमक मिलाकर पीने से तुरंत आराम मिलता है। जलोदर की समस्या होने पर भी दो चम्मच करेले का रस पनी में मिलाकर पीने से लाभ होता है।7. लकवा या पैरालिसिस में भी करेला बहुत कारगर ��पाय है। इसमें कच्चा करेला खाने से रोगी के लिए लाभदायक होता है।8. खून साफ करने के लिए भी करेला अमृत के समान है। मधुमेह में यह बेहद असरकारक माना जाता है। मधुमेह में एक चौथाई कप करेले का रस, उतने ही गाजर के रस के साथ पीने पर लाभ मिलता है।9. खूनी बवासीर में करेला अत्यंत लाभदायक है। एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मच शक्कर लिाकर पीने से इसमें आराम होता है।10. गठिया व हाथ पैरों में जलन होने पर करेले के रस की मालिश करना लाभप्रद होता है।11. किडनी की समस्याओं में करेले का उबला पानी व करेले का रस दोनों ही बेहद लाभकारी होते हैं।यह किडनी को सक्रिय कर, हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर करने में मदद करता है।12. ह्दय संबंधी समस्याओं के लिए करेला एक बेहतर इलाज है। यह हानिकारक वसा को ह्दय की धमनियों में जमने नहीं देता जिससे रक्तसंचार व्यवस्थित बना रहता है, और हार्ट अटैक की संभावना नहीं होती।13. नींबू के रस के साथ करेले के रस को चेहरे पर लगाने से मुंहासे ठीक हो जाते हैं और त्वचा रोग नहीं होते।14. कैंसर से लड़ने के लिए करेले के रस का सेवन बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है।
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yashodaivffertilitycentre · 6 months ago
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पीसीओएस क्यों और कैसे होता है? जानिए विस्तार मै (PCOS kya hai in Hindi)
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पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) तब होता है जब आपके अंडाशय, आपके शरीर का वह हिस्सा जो अंडे बनाता है, बहुत अधिक हार्मोन द्वारा अवरुद्ध हो जाता है। सामान्य महिला हार्मोन के बजाय, आपका शरीर अधिक पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) बनाने लगता है, जिससे आपके अंडाशय में छोटे तरल पदार्थ से भरी थैली, जिन्हें सिस्ट कहा जाता है, बनने लगती हैं। इससे आपके हार्मोन का संतुलन गड़बड़ा जाता है और गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। हालाँकि, पीसीओएस केवल अंडाशय के बारे में नहीं है; इसका चयापचय स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता और मनोवैज्ञानिक कल्याण पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
पीसीओएस का अर्थ (The Meaning of PCOS)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी स्थिति है जो एक महिला के हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है, जिससे मासिक धर्म चक्र में अनियमितताएं और ��िम्बग्रंथि अल्सर सहित कई अन्य लक्षण हो सकते हैं। सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन शीघ्र निदान और उपचार, साथ ही वजन घटाने से टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग जैसी दीर्घकालिक जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।
पीसीओएस अंडाशय और हार्मोन को कैसे प्रभावित करता है (How PCOS affects ovaries and hormones)
पीसीओएस क्या होता है ये तो अभी आपने जान ही लिया है तो अब इस स्थिति की विशेषता अंडाशय पर कई छोटे रोमों की वृद्धि है। यह हार्मोन असंतुलन का कारण बनता है, जिससे कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे अनियमित मासिक धर्म, मुँहासा और हिर्सुटिज़्म (शरीर पर अत्यधिक बाल)।
पीसीओएस के लक्षण (Symptoms of PCOS)
पीसीओएस के लक्षण अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:
•        मासिक धर्म की अनियमितता या अनुपस्थिति
•        ओव्यूलेशन की कमी या अनियमित ओव्यूलेशन के कारण गर्भवती होने में कठिनाई
•        चेहरे या शरीर पर अत्यधिक बाल उगना, जिसे हिर्सुटिज़्म कहा जाता है
•        वजन बढ़ना
•        बालों का पतला होना और सिर के बालों का झड़ना
•        मुँहासे और तैलीय त्वचा
•        अवसाद, चिंता और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो चिकित्सकीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। किफायती उपचार विकल्पों के लिए नवी मुंबई के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र best IVF centre in Navi Mumbai पर जाएँ।
संभावित भावनात्मक लक्षण (Possible Emotional Symptoms)
पीसीओएस सिर्फ एक प्रजनन स्वास्थ्य समस्या नहीं है; यह किसी महिला की भावनात्मक भलाई पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। पीसीओएस से पीड़ित कई महिलाएं अवसाद, कम आत्मसम्मान, चिंता और खाने संबंधी विकारों का अनुभव करती हैं।
डॉक्टर क�� पास कब जाना चाहिए? (When to See a Doctor)
आपको डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? यदि आप ऐसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं जो पीसीओएस का संकेत दे सकते हैं, तो चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है। शीघ्र निदान और इलाज कराने से लक्षणों को प्रबंधित करने और मधुमेह और हृदय रोग जैसी संभावित दीर्घकालिक समस्याओं से बचने में बड़ा अंतर आ सकता है। साथ ही जाने पीसीओडी क्या है और कैसे होता है। यदि अनियमित मासिक धर्म, बालों का अत्यधिक बढ़ना या गर्भधारण करने में कठिनाई जैसे लक्षण आपके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से मिलने में संकोच न करें। बेहतर उपचार विकल्पों के लिए, नवी मुंबई में हमारे विशेषज्ञ आईवीएफ विशेषज्ञों (IVF specialists in Navi Mumbai) से परामर्श करने पर विचार करें।
पीसीओएस के कारण (Causes of PCOS)
पीसीओएस का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन कई कारक इसमें भूमिका निभा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
•        अतिरिक्त इंसुलिन: इंसुलिन वह हार्मोन है जो अग्न्याशय द्वारा स्रावित होता है और कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए चीनी का उपयोग करने की अनुमति देता है; जाहिर तौर पर आपने यह पहले भी सुना होगा, लेकिन वास्तव में इसका मतलब क्या है? आनुवंशिकता: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि शायद पीसीओएस का विकास आनुवंशिक कारकों पर आधारित है। जब इंसुलिन कोशिकाओं में ठीक से काम नहीं कर पाता है, तो रक्त शर्करा के साथ-साथ इंसुलिन का उत्पादन भी बढ़ सकता है। इंसुलिन का असामान्य उत्पादन तब एण्ड्रोजन का उत्पादन भी शुरू कर सकता है, जो संभवतः ओव्यूलेशन समस्या में योगदान दे सकता है।
•        निम्न-श्रेणी की सूजन: यह तब होता है जब श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण से लड़ने के लिए पदार्थों का उत्पादन करती हैं। यह सूजन एण्ड्रोजन के स्तर को बढ़ाने में योगदान कर सकती है।
•        आनुवंशिकता: अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ विशेष जीन पीसीओएस का कारण बन सकते हैं।
पीसीओएस का निदान और उपचार (Diagnosis and treatment of PCOS)
पीसीओएस का निदान करने के लिए, डॉक्टरों को अन्य स्थितियों को बाहर करने की आवश्यकता होती है जो समान लक्षण पैदा कर सकती हैं। यह आमतौर पर मासिक धर्म चक्र और लक्षणों सहित एक विस्तृत चिकित्सा इतिहास लेने और पीसीओएस के लक्षणों, जैसे शरीर पर अतिरिक्त बाल और उच्च रक्तचाप, को देखने के लिए एक शारीरिक परीक्षा करके किया जाता है। तो, यदि आप नवी मुंबई में हैं और सर्वोत्तम देखभाल की तलाश में हैं, तो शहर में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र की जांच करने पर विचार क्यों न करें? हमारा यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर बिल्कुल वही हो सकता है जिसकी आपको विशेषज्ञ मार्गदर्शन और सहायता के लिए आवश्यकता है।
सामान्य उपचार दृष्टिकोण (General Treatment Approach)
हालाँकि पीसीओएस (PCOS) का कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। उपचार व्यक्ति की चिंताओं के आधार पर भिन्न हो सकता है, जैसे कि बांझपन, बालों का झड़ना, मुँहासा, या मोटापा। सामान्य उपचारों में शामिल हैं:
•        मासिक धर्म को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं
•        एण्ड्रोजन स्तर को कम करने के लिए जन्म नियंत्रण गोलियाँ
•        त्वचा पर एण्ड्रोजन के प्रभाव को रोकने के लिए एंटी-एण्ड्रोजन दवाएं
•        इंसुलिन के स्तर को प्रबंधित करने के लिए मेटफॉर्मिन
•        यदि गर्भावस्था वांछित हो तो प्रजनन उपचार
•        आहार और व्यायाम सहित जीवनशैली में संशोधन
पीसीओएस के लिए प्रतिबंध रणनीतियाँ (Prevention Strategies for PCOS)
हालाँकि आप पीसीओएस को रोकने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन आप पीसीओएस के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद के लिए कदम उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए:
•        हृदय-स्वस्थ आहार लें
•        नियमित व्यायाम की आदत लगाए और स्वस्थ वजन पर स्थित ��हे
•        धूम्रपान से बचें
•        अपने स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए नियमित जांच कराते रहें
•        जोखिम कारकों को शीघ्र पहचानें और उनका उपचार करें
पीसीओएस के प्रकार (Types of PCOS)
पीसीओएस क्या है और पीसीओएस कई प्रकार के होते हैं, और ये विविधताएं लक्षणों और उपचार विकल्पों को प्रभावित कर सकती हैं। यह समझने से कि आपकी स्थिति किस प्रकार की हो सकती है, आपकी स्थिति को प्रबंधित करने के लिए अधिक अनुकूलित दृष्टिकोण में मदद मिल सकती है:
•        इंसुलिन प्रतिरोधी पीसीओएस
•        अधिवृक्क पीसीओएस
•        सूजन संबंधी पीसीओएस
पीसीओएस विविधताएँ लक्षणों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं (How PCOS variations can affect traits)
पीसीओएस से पीड़ित कुछ महिलाओं में इस स्थिति का पारिवारिक इतिहास होता है, जो आनुवंशिक प्रवृत्ति का संकेत देता है। कुछ लोगों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम या इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जिससे अन्य स्थितियों के अलावा मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
पीसीओएस और आहार (PCOS and Diet)
अच्छा पोषण पीसीओएस के प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभा सकता है। एक स्वस्थ आहार इंसुलिन के नियमन में सुधार कर सकता है और वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ फलों, सब्जियों और दुबले प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार फायदेमंद होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
निष्कर्ष में पीसीओएस (PCOS) सामान्य होने के साथ-साथ बहुत जटिल स्थिति है जो महिलाओं के जीवन पर भारी प्रभाव डाल सकती है। इस गाइड में साझा की गई जानकारी पीसीओएस को समझने और उससे प्रबंधन की शुरुआत मात्र है। यदि आपको लगता है कि आपको पीसीओएस हो सकता है, तो व्यक्तिगत योजना के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
अतिरिक्त सहायता और संसाधनों के लिए, अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें या पीसीओएस समुदाय से जुड़ें। याद रखें, आप इस यात्रा में अकेले नहीं हैं, और सही ज्ञान और समर्थन के साथ, पीसीओएस का प्रबंधन संभव है।
इसके अलावा, किफायती उपचार और विशेषज्ञ देखभाल चाहने वालों के लिए, नवी मुंबई में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF centre in Navi Mumbai) के रूप में मान्यता प्राप्त यशोदा आईवीएफ सेंटर का दौरा करने पर विचार करें। डॉक्टरों की हमारी विशेष और अनुभवी टीम आपको पीसीओएस में चुनौतियों से उबरने और प्रजनन के संबंध में अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी।
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