#त्वचा के लिए सर्दियों के खाद्य पदार्थ
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Wellhealthorganic.com Skin Care Tips in Hindi: आपकी त्वचा को चमकदार और स्वस्थ कैसे बनाएं
Introduction
Maintaining healthy and glowing skin requires dedication and the right skincare practices. With the growing interest in organic and natural solutions, many people are turning to simple, effective methods to achieve beautiful skin. One such platform, It has emerged as a go-to source for organic skincare tips, especially for Hindi-speaking audiences. In this blog, we’ll explore some essential Wellhealthorganic.com skin care tips in Hindi that you can follow daily to enhance your skin’s health and radiance.
1. त्वचा को साफ र��ें (Keep Your Skin Clean)
हर दिन त्वचा की सफाई करना बेहद जरूरी है। खासकर जब आप दिन भर बाहर रहते हैं, तो धूल-मिट्टी और प्रदूषण आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए एक हल्का और प्राकृतिक फेसवॉश का उपयोग करें। कच्चे दूध का भी इस्तेमाल एक बेहतरीन क्लींजर के रूप में किया जा सकता है। Wellhealthorganic.com skin care tips in Hindi यह आपकी त्वचा को गहराई से साफ करता है और नमी बनाए रखता है।
टिप: रात को सोने से पहले मेकअप हटाना न भूलें और चेहरा साफ करें।
2. हाइड्रेशन का ध्यान रखें (Keep Your Skin Hydrated)
हाइड्रेशन न केवल आपके शरीर के लिए बल्कि आपकी त्वचा के लिए भी महत्वपूर्ण है। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। इससे त्वचा में नमी बरकरार रहती है और त्वचा चमकदार बनी रहती है।
टिप: आप चाहें तो गुलाबजल का उपयोग भी कर सकते हैं। यह त्वचा को ताजगी और नमी देता है।
3. प्राकृतिक फेस मास्क का इस्तेमाल करें (Use Natural Face Masks)
रसायनों से भरपूर फेस मास्क की जगह प्राकृतिक तत्वों से बने फेस मास्क का उपयोग करना बेहतर होता है। आप घर पर ही कई प्रकार के फेस मास्क बना सकते हैं:
हल्दी और बेसन का मास्क: एक चुटकी हल्दी, एक चम्मच बेसन और थोड़ा सा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद धो लें। यह त्वचा को चमकदार बनाता है।
मुल्तानी मिट्टी का फेस पैक: मुल्तानी मिट्टी और गुलाबजल मिलाकर लगाने से त्वचा की अशुद्धियाँ दूर होती हैं और त्वचा में निखार आता है।
4. सनस्क्रीन का उपयोग करें (Use Sunscreen)
सूरज की हानिकारक किरणें आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। सनस्क्रीन का उपयोग हर दिन करना बहुत जरूरी है, चाहे आप घर के अंदर हों या बाहर। यह आपकी त्वचा को यूवी किरणों से बचाने के साथ-साथ टैनिंग और समय से पहले बुढ़ापा आने से भी बचाता है।
टिप: बाहर जाने से कम से कम 20 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं।
5. आहार में सुधार करें (Improve Your Diet)
स्वस्थ त्वचा के लिए आपका आहार भी महत्वपूर्ण होता है। अपनी डाइट में फलों और सब्जियों का समावेश करें। विटामिन सी और ए से भरपूर खाद्य पदार्थ त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा, ओमेगा-3 फ��टी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे बादाम, अखरोट और मछली आपकी त्वचा की नमी को बनाए रखते हैं।
टिप: विटामिन ई से भरपूर भोजन जैसे हरी सब्जियां और बादाम आपकी त्वचा को भीतर से पोषण देते हैं।
6. नियमित रूप से मॉइस्चराइज़ करें (Moisturize Regularly)
त्वचा को नमी की हमेशा जरूरत होती है। खासकर सर्दियों के मौसम में त्वचा ज्यादा रूखी हो जाती है। इसके लिए हल्के और प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें। एलोवेरा जेल या नारियल तेल का इस्तेमाल करके भी आप अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज कर सकते हैं।
टिप: नहाने के तुरंत बाद त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना सबसे प्रभावी होता है।
7. नियमित व्यायाम करें (Exercise Regularly)
नियमित व्यायाम करने से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे आपकी त्वचा को जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलता है। यह आपकी त्वचा को ग्लोइंग और युवा बनाए रखने में मदद करता है। Wellhealthorganic.com skin care tips in Hindi योग और ध्यान भी त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं क्योंकि यह तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
टिप: हर दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें।
8. पर्याप्त नींद लें (Get Enough Sleep)
नींद की कमी आपकी त्वचा पर तुरंत असर डालती है। आंखों के नीचे काले घेरे और थकी हुई त्वचा का एक मुख्य कारण पर्याप्त नींद न लेना है। एक स्वस्थ त्वचा के लिए 7-8 घंटे की नींद जरूरी है।
टिप: सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध पीने से नींद बेहतर आती है।
9. तनाव से बचें (Manage Stress)
तनाव आपकी त्वचा के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह एक्ने और अन्य त्वचा समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए, तनाव को नियंत्रित करने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास करें। सही समय पर आराम करना और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आपकी त्वचा के लिए भी फायदेमंद है।
Conclusion
त्वचा की देखभाल एक समर्पण की प्रक्रिया है, जिसमें सही आहार, स्किनकेयर रूटीन, और प्राकृतिक उत्पादों का समावेश होना चाहिए। Wellhealthorganic.com skin care tips in Hindi पर उपलब्ध हिंदी में स्किन केयर टिप्स को अपनाकर आप भी अपनी त्वचा को प्राकृतिक निखार और स्वास्थ्य प्रदान कर सकते हैं। चाहे आप सरल घरेलू उपचार अपना रहे हों या प्राकृतिक स्किनकेयर उत्पादों का उपयोग कर रहे हों, लगातार देखभाल से ही आपको लंबे समय तक स्वस���थ और चमकदार त्वचा मिलेगी।
सभी उपर्युक्त टिप्स को अपने डेली रूटीन में शामिल करें और अपने त्वचा को प्राकृतिक रूप से निखरता देखें।
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स्वस्थ शीतकालीन खाद्य पदार्थ: ब्रोकली से लेकर शकरकंद तक, स्वस्थ दिल के लिए सर्दियों में खाने के लिए शीर्ष खाद्य पदार्थ
स्वस्थ शीतकालीन खाद्य पदार्थ: ब्रोकली से लेकर शकरकंद तक, स्वस्थ दिल के लिए सर्दियों में खाने के लिए शीर्ष खाद्य पदार्थ
सर्दियों में जैसे ही तापमान में गिरावट आती है, यह अपने साथ कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लेकर आता है। बीमारी को दूर रखने और त्वचा, बालों और जोड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मजबूत प्रतिरक्षा महत्वपूर्ण है। गठिया से पीड़ित लोगों के लिए सर्दियां विशेष रूप से कठिन होती हैं क्योंकि जैसे-जैसे तापमान गिरता है, जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। त्वचा की समस्याएं जैसे त्वचा का रूखापन, एक्जिमा और सोरायसिस…
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#गर्म सर्दियों के खाद्य पदार्थ#दिल की सेहत के लिए सर्दियों का खाना#पारंपरिक शीत��ालीन भोजन#भारत में सर्दियों के खाद्य पदार्थ#मौसमी सर्दियों के खाद्य पदार्थ#शीर्ष शीतकालीन खाद्य पदार्थ#सर्दियों का खाना#सर्दियों के खाद्य पदार्थों की सूची#सर्दियों के खाने के लिए खाद्य पदार्थ#सर्वश्रेष्ठ शीतकालीन खाद्य पदार्थ#स्वस्थ शीतकालीन खाद्य पदार्थ
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सर्दी के मौसम में जोड़ों का दर्द? इस सर्दी में स्वस्थ रहने के लिए अपनाएं ये टिप्स
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सर्दियों के मौसम में इम्यूनिटी को बूस्ट करने की जरूरत होती है। तापमान में अचानक गिरावट और कुछ जगहों पर बारिश भी कई बीमारियों का कारण बन सकती है। ऐसे में हेल्दी डाइट जरूरी है। यहां पांच शक्तिशाली शीतकालीन खाद्य पदार्थ हैं जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। तिल के बीज आंखों, त्वचा और हड्डियों के लिए स्वस्थ होते हैं। आप भोजन के बाद भुनी हुई सौंफ और तिल खा सकते हैं। घर का बना मक्खन…
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विंटर स्किन केयर: हेल्दी सलाद बाउल रेसिपी जिसमें आपकी स्किन ग्लोइंग होगी
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हाइलाइट
शुष्क सर्दियों के मौसम में हमारी त्वचा और होंठ सुस्त और परतदार हो जाते हैं
त्वचा पर चमक को बहाल करने के लिए मौसम के दौरान पर्याप्त पानी का सेवन
मौसमी खाद्य पदार्थ आपकी त्वचा को पोषण देने में समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
हम सभी को निप्पल का मौसम बहुत पसंद है लेकिन यह अक्सर कई स्वास्थ्य संबंधी खतरों को सामने लाता है। यह वर्ष का वह समय है जब ठंड और कोहरे का मौसम हमारी…
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#त्वचा का स्वास्थ्य#त्वचा की देखभाल#त्वचा के लिए सर्दियों के खाद्य पदार्थ#त्वचा के लिए सलाद#सर्दियों की त्वचा की देखभाल#सर्दियों के खाद्य पदार्थ#सर्दी#स्वस्थ सलाद
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विंटर स्किन केयर: हेल्दी सलाद बाउल रेसिपी जिसमें आपकी स्किन ग्लोइंग होगी
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यहां बताया गया है कि कैसे एंटीऑक्सिडेंट त्वचा की मरम्मत और सुरक्षा में मदद करते हैं
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एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आवेदन एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर स्किनकेयर उत्पाद हवा में मुक्त कणों, विषाक्त पदार्थों और प्रदूषकों से लड़ने में भी मदद करता है? सर्दियों का मौसम विशेष रूप से अतिरिक्त लाड़ का स्पर्श देता है क्योंकि त्वचा शुष्क और परतदार हो जाती है। ऐसे में डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ गीतिका मित्तल गुप्ता ने बात की के लिए…
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खीरा खाने के बाद न करें पानी पीने की भूल, सेहत को होगा नुकसान
गर्मी के मौसम के शुरू होते ही लोग खीरा खाना शुरू कर देते हैं। आपको बता दें कि खीरे में पानी और अन्य पोषक तत्व उचित मात्रा में मौजूद होते हैं। इसे खाने से शरीर में पानी की कमी पूरी होती है। साथ ही स्किन में भी ग्लो नजर आने लगता है।शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सभी खाने के साथ सलाद का सेवन करते हैं। सलाद में खीरा बड़े चाव से खाया जाता है। खीरे में विटामिन सी, विटामिन के, कॉपर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, मैंगनीज आदि पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी है।
ये कहना गलत नहीं होगा कि खीरा और गर्मियां साथ-साथ आती हैं। खीरा पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो आपकी डाइट में सबसे हेल्दी माना जाता है। सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में डायरिया और फूड पॉइजनिंग की समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं। यहीं कारण है कि विशषज्ञ गर्मियों में डाइट में खीरा शामिल करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा गर्मियों में शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए भी अधिक पानी पीना चाहिए।
फिर भी, कुछ विशेषज्ञ खीरा खाने के बाद पानी न पीने की सलाह देते हैं। खीरा खाने के बाद पानी पीने से सेहत को ��ुकसान हो सकता है? जी हां, अगर खीरा सेहत के लिए फायदेमंद है तो इसके बाद पानी पीने से सेहत को नुकसान भी होता है।आइए जानते हैं खीरा खाने के बाद पानी पीने से सेहत को क्या-क्या नुकसान होते हैं।
1. खीरे में 95 फीसदी पानी होता है। खीरा विटामिन सी, विटामिन के, कॉपर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, मैंगनीज और सबसे महत्वपूर्ण सिलिका जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है, जो त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में इसे खाने के बाद पानी पीने से आप इन आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित रह सकते हैं।
2. पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण के लिए कच्ची सब्जियां और फल खाने के बाद हमेशा से पानी पीने से बचने की सलाह दी जाती है। न सिर्फ खीरा बल्कि डॉक्टरों की मानें तो पानी से समृद्ध फल और सब्जियां जैसे तरबूज, अनानस और स्ट्रॉबेरी के बाद भी पानी नहीं पानी चाहिए। इसके अलावा खीरे के बाद पानी पीने से जीआई गतिशीलता बढ़ जाती है, जिससे पाचन और अवशोषण की प्राकृतिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचता है।पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण के लिए कच्ची सब्जियां और फल खाने के बाद पानी पीने से बचने की सलाह दी जाती है।
यह भी व्यापक रूप से माना जाता है कि खीरे के साथ या उसके बाद पीने पीने से बॉडी का पीएच लेवल डिस्टर्ब हो सकता है| भोजन पचाने के लिए शरीर को पीएच लेवल की आवश्यकता होती है| बहुत अधिक पानी पीएच स्तर को कमजोर कर सकता है. इसके अलावा खीरे के ऊपर पानी पीने से खाद्य पदार्थों को पचाने के लिए आवश्यक एसिड प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाते, जिससे आपको पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं|
3. अगर आप पाचन और कब्ज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो आपके लिए उच्च पानी वाले खाद्य पदार्थ जैसे खीरा आदर्श सब्जी साबित हो सकती है. यह आपकी आंतों को आराम पहुंचाती है. लेकिन यदि आप खीरे के ऊपर अधिक पानी पीते हैं, तो आपको डायरिया और लूज मोशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
4. आप उच्च पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थ आराम से खा सकते हैं, बस यह सुनिश्चित करें कि आप खीरे खाने और पानी पीने के बीच कम से कम 20 मिनट का अंतराल जरूर रख रहे हों
5. खीरे का वास्तविक लाभ तभी प्राप्त होता है, जब इसे सही समय पर खाया जाए। कई बार पोषक युक्त चीजों का गलत समय पर सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यह बात खीरे के संदर्भ में भी लागू होती है। खीरे का सेवन सुबह या दोपहर के समय ही करना चाहिए। रात्रि के समय इसका सेवन कई तरह की परेशानियों का कारण बन सकता है। दरअसल, खीरे की तासीर ठंडी होती है और जिन लोगों को कफ या सांस संबंधी परेशानी होती है, रात में इसका सेवन करने से उनकी परेशानी कहीं अधिक बढ़ सकती है।
https://kisansatta.com/do-not-forget-to-drink-water-after-eating-cucumber-health-will-be-damaged32309-2/ #CucumberFlavorIsCold, #DoNotForgetToDrinkWaterAfterEatingCucumber, #HealthWillBeDamaged Cucumber flavor is cold, Do not forget to drink water after eating cucumber, health will be damaged Life #Life KISAN SATTA - सच का संकल्प
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रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण, लक्षण और इलाज – Rheumatoid Arthritis Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
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रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण, लक्षण और इलाज – Rheumatoid Arthritis Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण, लक्षण और इलाज – Rheumatoid Arthritis Causes, Symptoms and Treatment in Hindi Somendra Singh Hyderabd040-395603080 October 31, 2019
जैसे-जैस उम्र बढ़ती जाती है, हमारा शरीर बीमारियों की चपेट में आने लगता है। इसके पीछे एक बड़ा कारण रोग-प्रतिरोधक क्षमता का समय के साथ-साथ कमजोर होना है। इन बीमारियों की लिस्ट में एक नाम रूमेटाइड अर्थराइटिस का भी है (1)। जो लोग इस रोग से पीड़ित हैं, वो बेहतर तरीके से इससे होने वाले दर्द को समझ सकते हैं। कभी-कभी तो यह दर्द इस कदर कष्दायक होता है कि उसे बर्दाश्त करना तक मुश्किल हो जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में इसी बीमारी के बारे में बता रहे हैं। इस लेख में आपको यह भी बताया जाएगा कि रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है और रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण क्या-क्या हैं। साथ ही हम बताएंगे क�� रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज कैसे किया जा सकता है।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है?
विषय सूची
रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है? – What is Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून और सूजन की बीमारी है। इसका मतलब है कि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता आपके शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे शरीर के जोड़ वाले हिस्सों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण इन हिस्सों में सूजन और तेज दर्द शुरू हो जाता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस मुख्य रूप से शरीर के जोड़ों को नुकसान पहुंचाता है। कई बार यह एक ही समय में शरीर के कई जोड़ों को अपनी चपेट में ले लेता है। इस स्थिति में मुख्य रूप से कलाई, हाथों और घुटनों के जोड़ प्रभावित होते हैं। रूमेटाइड अर्थराइटिस पूरे शरीर के अन्य टिश्यू को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे फेफड़ों, हृदय और आंखों में भी समस्या उत्पन्न हो सकती है (1)।
आइए, अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस होने के कारण क्या हो सकते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण – Causes of Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं (2)।
जीन (Gene) के कारण
पर्यावरण की वजह से
हार्मोन के कारण
वहीं, एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, अभी उन ठोस कारणों के बारे में बताना मुश्किल है कि किन कारणों से शरीर के जोड़ों और टिश्यू के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करने लगती है। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि पर्यावरणीय कारक और यौन संबंधी हार्मोन का मिश्रण इस रोग को जन्म दे सकता है (3)।
अब इनके लक्षणों के बारे में नीचे ध्यानपूर्वक पढ़िए।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण – Symptoms of Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं (1)।
शरीर के किसी एक हिस्से में दर्द।
शरीर के एक से अधिक जोड़ों में दर्द।
शरीर के एक से अधिक जोड़ों में अकड़न।
एक से अधिक जोड़ों का मुलायम हो जाना और सूजन बनी रहना।
दोनों हाथों या दोनों घुटनों पर एक समान लक्षण।
वजन घटना।
बुखार बने रहना।
थकान
कमजोरी
आइए, लेख के अगले भाग में अब जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस के जोखिम कारक क्या हो सकते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के जोखिम कारक – Risk Factors of Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के जोखिम कारक में इन्हें शामिल किया जा सकता है (3) :
उम्र – आपको किसी भी उम्र में रूमेटाइड अर्थराइटिस हो सकता है, लेकिन व्यस्क होने पर इसका खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
लिंग- पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह होना आम है।
परिवार से – अगर परिवार के किसी भी सदस्य को रूमेटाइड अर्थराइटिस है, तो आपको भी यह रोग हो सकता है।
धूम्र��ान के कारण – जो लोग लंबे समय तक धूम्रपान करते हैं, उन्हें रूमेटाइड अर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा – अधिक वजन के लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
मसूड़े की बीमारी।
आइए, अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस के उपचार के लिए क्या किया जा सकता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज – Treatment of Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज इसके लक्षणों से आपको राहत दिला सकता है। रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए डॉक्टर निम्न विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं (4):
दवाइयां : रूमेटाइड अर्थराइटिस से होने वाले दर्द, सूजन और जॉइंट डैमेज से राहत दिलाने के लिए डॉक्टर आपको दवाइयां दे सकता है।
सर्जरी के जरिए : यह स्थिति तब आती है, जब जोड़ों में असहनीय दर्द होने लगता है। इस प्रक्रिया में दर्द वाले हिस्से में जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है।
इन उपचार से रूमेटाइड अर्थराइटिस से होने वाले निम्न प्रकार के जोखिम को कम किया जा सकता है:
दर्द से छुटकारा।
सूजन कम होती है
टिश्यू डैमेज होने से राहत मिलती है।
नोट – इलाज के नाम पर किसी भी दवा आदि का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
आइए, अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्या परहेज करना चाहिए?
रूमेटाइड अर्थराइटिस में परहेज – What to Avoid During Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के उपचार के दौरान आप निम्लिखित खाद्य पदार्थों को नजरअंदाज कर सकते हैं (5)।
प्रोसेस्ड फूड (इनमें एडेड शुगर, सोडियम और ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है)
ज्यादा नमक वाले खाद्य पदार्थ
तेल
मक्खन
चीनी
जानवरों से मिलने वाले खाद्य पदार्थ – जैसे मांस, दूध व अण्डा आदि
एक डॉक्टरी रिसर्च के अनुसार, हाई फैट, कोलेस्ट्रोल, उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ और फास्ट फूड का लगातार सेवन मोटापा, चयापचय सिंड्रोम और हृदय रोग को बढ़ावा देता है। इसके कारण ऑटोइम्यून से संबंधित रोग हो सकते हैं। वहीं, ऑटोइम्यून रोग की वजह से रूमेटाइड अर्थराइटिस होता है, जिससे इसका जोखिम और बढ़ सकता है (7)। इसलिए, इन खाद्य पदार्थों का सेवन चिकित्सक की सलाह लेने के बाद ही करें।
आइए, अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्या खाना चाहिए।
रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्या खाना चाहिए – What to eat during Rheumatoid Arthritis in Hindi
अगर आप यह सोच रहें कि रूमेटाइड अर्थराइटिस के दौरान क्या खाना चाहिए, तो उसकी लिस्ट हम नीचे दे रहे हैं। इन खाद्य पदार्थों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो रूमेटाइड अर्थराइटिस के दौरान होने वाले दर्द को रोकने में लाभदायक असर दिखा सकते हैं (5)।
फल- सूखा आलूबुखारा, चकोतरा, अंगूर, ब्लूबेरी, अनार, आम (मौसमी फल), केला, आड़ू और सेब।
अनाज- साबुत द��िया, गेहूं की रोटी और साबुत पोहा।
फलियां- काले सोयाबीन और काले चने।
साबुत अनाज – गेहूं, चावल, ओट्स, मक्का, राई, जौ, बाजरा, सोरगम और कैनरी बीज।
मसाले – अदरक और हल्दी।
जड़ी बूटी – शल्लकी और अश्वगंधा।
तेल – जैतून का तेल, मछली का तेल और बोरेज सीड ऑयल (कम मात्रा में)।
अन्य सामाग्री – दही, ग्रीन टी और तुलसी से बनी चाय।
लेख के इस भाग में जानिए कि रूमेटाइड अर्थराइटिस से हम कैसे बचे रह सकते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचने के उपाय – Prevention Tips for Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचने के लिए नीचे बताए जा रहे उपायों को अपनाया जा सकता है (3)।
धूम्रपान न करें।
मसूड़ों को स्वस्थ बनाए रखें।
मोटापे का शिकार होने से बचें।
सुबह जल्दी उठें।
व्यायाम करें।
पोषण से भरपूर आहार खाएं।
पर्यावरण प्रदूषण से बचें।
उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इसका पालन करना आपको रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचा सकता है।
लेख में ऊपर बताए गए रूमेटाइड अर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस मामले में जरा-सी देरी आपके लिए पूरी जिंदगी कष्टदायक साबित हो सकती है। साथ ही आप संतुलित खान-पान और जीवनशैली का पालन करें, ताकि यह बीमारी आप से हमेशा दूर रहे। अगर आप रूमेटाइड अर्थराइटिस से जुड़ा हुआ कोई अन्य सवाल हमसे पूछना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल कर हम तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
The following two tabs change content below.
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Somendra Singh
सोमेंद्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 2019 में बी.वोक इन मीडिया स्टडीज की है। पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने पढ़ाई से अतिरिक्त समय बचाकर काम करना शुरू कर दिया था। इस दौरान सोमेंद्र ने 5 वेबसाइट पर समाचार लेखन से लेकर इन्हें पब्लिश करने का काम भी किया। यह मुख्य रूप से राजनीति, मनोरंजन और लाइफस्टइल पर लिखना पसंद करते हैं। सोमेंद्र को फोटोग्राफी का भी शौक है और इन्होंने इस क्षेत्र में कई पुरस्कार भी जीते हैं। सोमेंद्र को वीडियो एडिटिंग की भी अच्छी जानकारी है। इन्हें एक्शन और डिटेक्टिव टाइप की फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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सर्दियों के मौसम में त्वचा की देखभाल करना बोहोत ही ज़रूरी होता है, खासकर अगर आपकी त्वचा रूखी हो। ऐसे में अगर आपको मिले सर्दियों में त्वचा की देखभाल के लिए कुछ आसान घरेलु नुश्खे (Winter Skin Care Tips in Hindi) तो?? जानने के लिए ज़रूर पढ़े ये लेख…
झड़ते बालों के लिए 15 सबसे अच्छे शैम्पू – Best Anti Hair Fall Shampoos in Hindi
इन दिनों हर कोई झड़ते बालों से परेशान है। इसके लिए काफी हद तक हमारा गलत खान-पान, प्रदूषण व केमिकल युक्त हेयर प्रोडक्ट जिम्मेदार हैं। शायद आप भी झड़ते बालों की परेशानी से गुजर रहे होंगे।
मधुमेह (डायबिटीज) के लिए योग – Yoga For Diabetes in Hindi
भागदौड़ भरी जिंदगी और जीवन में आगे बढ़ने की ललक में कई लोग अपने खान-पान और दैनिक दिनचर्या को बिगाड़ देते हैं। बिगड़ी आहार शैली और दिनचर्या का नतीजा यह होता है कि शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। फलस्वरूप कई गंभीर बीमारियां हावी होने लगती हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है, मधुमेह (डायबिटीज)। डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकती है। कभी-कभी तो यह जन्म के साथ ही जिंदगी में दाखिल हो जाती है, क्योंकि यह एक आनुवंशिक बीमारी भी है (1), लेकिन योग ऐसा विकल्प है, जिसकी मदद से आप इस बीमारी को खुद से दूर रख सकते हैं और इससे होने वाले जोखिमों से बच सकते हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको मधुमेह के लिए योग के कुछ आसान तरीके बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप एक खुशहाल जिंदगी बिता सकते हैं।
खटमल से छुटकारा पाने के आसान घरेलू उपाय – Home Remedies to Get Rid of Bed Bugs in Hindi
क्या आप खटमल के समस्या से परेशान है? आपके लिए हम इस लेख में लाये है खटमल से छुटकारा पाने के कुछ आसान और असरदार घरेलु उपाय जो आपके इस समस्या का समाधान कर सकता है और आपको रात में अच्छी नींद मिल सकती है…
जीरा के 19 फायदे, उपयोग और नुकसान – Cumin (Jeera) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
भाजीरा सिर्फ खाने को ही स्वादिष्ट नहीं बनता बल्कि ये आपके सेहत के लिए भी बोहोत फायदेमंद है। जीरा के फायदे (Cumin benefits in hindi) और उपयोग के बारे में विस्तारित जानने के लिए ज़रूर पढ़े ये लेख…
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/rheumatoid-arthritis-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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प्रदूषण से खराब हो रही त्वचा का समाधान
आज के समय में लगातार बढ़ता हुआ प्रदूषण सभी के लिए एक समस्या बन चुका है। इस प्रदूषण भरे वातावरण में भी किसी न किसी काम से हमें बाहर निकलना ही पड़ता है। जिससे आपकी त्वचा को लगातार नुकसान पहुंचता जा रहा है। अगर आप चाहते हैं कि प्रदूषण से आपकी त्वचा को कोई नुकसान न पहुंचे तो ��स लेख में आपकी त्वचा को सुरक्षित रखने के समाधान बताए गए हैं।
(और पढ़ें - त्वचा की देखभाल कैसे करें)
तो चलिए बताते हैं प्रदूषण से खराब हो रही त्वचा का समाधान –
1. चेहरे को अच्छे से धोएं:
बाहर से आने के बाद आपकी त्वचा पर प्रदूषण के कण लग जाते हैं, तो जब भी आप त्वचा को धोएं तो किसी अच्छे साबुन, फेस वाश या क्लींजर का इस्तेमाल करें, जिसमें प्राकृतिक सामग्रियां मौजूद हो। इसके अलावा आप त्वचा को एक्सफोलिएट भी कर सकते हैं जिससे मृत कोशिकाएं अच्छे से साफ हो सकें।
(और पढ़ें - तैलीय त्वचा के लिए क्लीन्ज़र)
2. ऐसे उत्पादों को खरीदें जिनमें एंटीऑक्सीडेंट्स हो:
एंटीऑक्सीडेंट प्रभावी एंटी-एजिंग एलिमेंट है। एंटीऑक्सीडेंट्स कई एजिंग क्रीम, हेयर सीरम और मॉइस्चराइजर में पाए जाते हैं। कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स खाद्य पदार्थों में भी पाए जाते हैं। अगर आप एंटीऑक्सीडेंट्स युक्त खाद्य पदार्थों को आहार के रूप में लेते हैं तो आपकी त्वचा के लिए यह और भी अच्छा होगा।
(और पढ़ें - तैलीय त्वचा के लिए मॉइस्चराइजर)
3. रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं:
प्रदूषण से आपकी त्वचा रूखी हो सकती है। इसलिए त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। अधिक मात्रा में पानी पीने से न सिर्फ त्वचा हाइड्रेट रहेगी बल्कि शरीर से अशुद्धियां व विषाक्त पदार्थ भी निकलेंगे। इस तरह त्वचा को अंदर से साफ रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आप फलों का जूस भी पी सकते हैं।
(और पढ़ें - शरीर में पानी की कमी के कारण)
4. सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें:
प्रदूषण व सूरज की तेज किरणों से बचने के लिए आप रोजाना सनस्क्रीन भी लगा सकते हैं। सनस्क्रीन लगाने से न सिर्फ त्वचा सूरज की किरणों व प्रदूषण से सुरक्षित रहेगी बल्कि त्वचा से जुड़ी समस्याएं भी कम होंगी। इसलिए जब भी बाहर निकलें हमेशा त्वचा पर सनस्क्रीन जरूर लगाएं।
(और पढ़ें - एक अच्छी सनस्क्रीन कैसे चुनें)
5. फेस मास्क का उपयोग करें:
त्वचा से अशुद्धियों व धूल-मिट्टी को साफ करने के लिए आप पपीते का फेस पैक भी लगा सकते हैं। पपीते में "पपाइन" होता है, य��� एक ऐसा एंजाइम है जो कि प्राकृतिक तरीके से मृत कोशिकाओं को साफ करता है। यह विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट्स और खनिज पदार्थों से समृद्ध होता है जो त्वचा को प्राकृतिक निखार देने में ��दद करता है।
(और पढ़ें - खूबसूरत त्वचा के लिए आहार)
6. त्वचा को मॉइस्चराइज करें:
मॉइस्चराइजर त्वचा को हाइड्रेट करने के अलावा स्किन से जुड़े और भी कई लाभ देने में मदद करता है। रोजाना मॉइस्चराइजर लगाने से त्वचा प्रदूषण के बीच रहकर भी सुरक्षित रहती है और इस तरह मॉइस्चराइजर सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा दिलाता है।
7. प्रदूषण से बचने के लिए त्वचा को ढककर बाहर निकलें:
प्रदूषण से अपनी त्वचा को बचाने के लिए मुंह पर कपड़ा बांधकर भी चेहरे को प्रदूषण के कणों से बचा सकते हैं। इस तरह आपकी त्वचा को ज्यादा नुकसान भी नहीं पहुंचेगा और प्रदूषण से आपकी त्वचा बची रहेगी।
(और पढ़ें - सर्दियों में त्वचा की देखभाल के तरीके)
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/beauty/pradushan-se-kharab-ho-rahi-twacha-ka-samadhan
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सर्दियाें में इस तरह रखेंगे अपना ध्यान ताे नहीं सताएगी खुजली
खुजली की समस्या से कमोबेश सभी का कभी न कभी वास्ता पड़ता ही है। सबसे पहले जानना जरूरी है कि आखिर खुजली है क्या? दरअसल यह हमारी त्वचा की दर्द तंत्रिकाओं की उत्तेजना है।जब हमारी तंत्रिकाएं उत्तेजित होती हैं, तो हमें खुजलाहट का अनुभव होता है, इसमें दर्द का अहसास नहीं होता। त्वचा की दर्द तंत्रिकाएं उत्तेजित क्यों हो जाती हैं? इसके कई कारण हो सकते हैं और कई बार तो खुजली के विचार से ही खुजलाहट होने लगती है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख कारणों के बारे में-
कारण किसी खाद्य पदार्थ या दवा से एलर्जी, त्वचा का रूखा होना, ठीक से न नहाना, गंदे कपड़े पहनना, किसी विष का प्रभाव, रंगों से किसी तरह की एलर्जी, गुर्दे की कोई बीमारी, कैंसर, छपाकी ( शरीर पर लाल धब्बे उभरना ), मच्छर या अन्य कीट के काटने पर, कोई चर्म रोग या पेट में कीड़े होने पर खुजली की समस्या हो सकती है।
प्रभाव कई बार एक स्थान पर खुजलाने से थोड़ी सी राहत तो मिल जाती है, लेकिन तभी वह त्वचा के दूसरे स्थान पर शुरू हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खुजली वाले स्थान की दर्द तंत्रिकाएं इतनी ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं कि वे दूसरी जगहों पर फैल जाती हैं और यह अहसास फैलते ही शरीर के दूसरे हिस्सों में भी खुजली होने लग जाती है। कई बार व्यक्ति अपने शरीर को इस कदर खुजलाता है कि त्वचा छिल जाती है और उससे खून निकलने लगता है।
बचाव – खुजली वाले ��ंग पर दो मिनट तक बर्फ रगड़ें। इससे त्वचा का तंत्रिका तंत्र क��छ समय के लिए शांत हो जाएगा और आपको राहत मिल जाएगी। – यदि मच्छर के काटने से खुजली हो, तो सीधे काटे हुए स्थान पर खुजलाने की बजाय उसके चारों ओर खुजा लें। इससे खुजलाहट फैलेगी नहीं। – सर्दियों में त्वचा को फटने से बचाने के लिए वैसलीन, पेट्रोलियम जैली या बॉडी लोशन लगाएं। – यदि घर में किसी सदस्य को खुजली की बीमारी हो, तो उसका रूमाल, तौलिया, चादर आदि का इस्तेमाल न करें। – विज्ञापनों में दिखाई जाने वाले मलहम या लोशन का अपने मन से इस्तेमाल न करें। – कई लोगों को सर्दी के दिनों में रूखी त्वचा होने के कारण खुजली हो जाती है। इससे बचने के लिए ज्यादा देर तक न नहाएं और अधिक गर्म पानी के बजाय गुनगुने पानी का प्रयोग करें। – खुजली से राहत नहीं मिल रही हो, तो चर्म रोग विशेषज्ञ को अवश्य दिखाएं।
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Top 10 Ayurvedic Treatments For Dry Skin | रुखी त्वचा के लिए घरेलू उपाय
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Top 10 Ayurvedic Treatments For Dry Skin | रुखी त्वचा के लिए घरेलू उपाय
त्वचा शुष्क होने के कई कारणों में से एक कारण आसपास का वातावरण है। सर्दियों में ठंडी हवा चलने पर त्वचा शुष्क होती है। त्वचा की कई बीमारियाँ जैसे एक्जीमा भी बढ़ने लगती है। किसी दवाई को लंबे समय तक लेने से भी त्वची शुष्क हो सकती है। कीटाणुओं के संक्रमण से भी त्वचा शुष्क होती है।
यह समस्या आमतौर पर सर्दियों के मौसम में देखी जाती है जब तेज़ हवाओं के चलने की वजह से आपकी त्वचा अनाकर्षक हो जाती है। क्योंकि इस समय आपके त्वचा की नमी खोने लगती है, अतः आपको अपनी त्वचा के स्वरुप पर खुजली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे त्वचा की कई गंभीर बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं और एलर्जी (allergy) तथा चिडचिडापन भी पैदा होता है।
केले का मास्क (Banana Mask se dry skin ke liye gharelu nuskhe)
केले में त्वचा के स्वास्थ सम्बन्धी कई गुण होते है | एक पका केले ले और ��से मेश कर ले | अब इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर लगाये और 20 मिनट तक रहने दे | 20 मिनट बाद चहरे को गर्म पानी से धो लीजिये |
बादाम का तेल (Almond oil)
रुखी त्वचा (Dry Skin) के लिये विटामिन इ (Vitamin E) काफी महत्वपूर्ण होती है | बादाम के तेल में काफी मात्रा में विटामिन इ होता है जो रुखी और अनाकर्षक त्वचा को नमी प्रदान करता है इसके लिए एक कटोरी में थोडा सा बादाम का तेल ले और इसे थोडा सा गुनगुना कर ले | अब इस गुनगुने तेल को अपने हाथ, पैर और चेहरे पर लगाये | नमी प्रदान करने के लिए इसका रोज इस्तेमाल करें |
नारियल (Coconut)
नारियल से तेल निकाल कर भी इसका प्रयोग अपने चेहरे और त्वचा के अन्य भागो पर कर सकते है | क्योंकी नारियल के दूध में एक फैटी एसिड (Fatty Acid) होता है | नारियल के तेल की मालिश करने से भी त्वचा की परत पर काफी मात्रा में नमी का सृजन होता है | आप स्नान करने के बाद नारियल के तेल का प्रयोग अपने पूरे शरीर पर भी कर सकते है |
दूध की मलाई (Milk cream)
अगर आप रुखी त्वचा से परेशान है तो आपके लिये त्वचा की मृत कोशिकाए निकालना काफी आवश्यक है | दूध की मलाई में मौजूद लैक्टिक एसिड (Lactic acid) त्वचा को एक्स्फोलिएट (exfoliate) करके इसकी मृत कोशिकाओं को निकालने में मदद करता है | इस उत्पाद से त्वचा का पैक बनाने के लिये एक छोटे पात्र में नीबू के रस की कुछ बूंदे डाले और इसमें 2 चम्मच दूध की मलाई को भी मिक्स करे | इन्हें अच्छे से मिलाये और अपने चेहरे तथा गले पर लगाये | इसके बाद इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दे और पानी से अच्छे से धो ले |
शहद (Honey)
रुखी त्वचा का घरेलू इलाज शहद भी है | शहद त्वचा को चमकदार व् सुन्दर बनाता है | एक चुटकी शहद ले कर इसे पूरे चेहरे पर लगाये | इसे कुछ देर तक त्वचा पर सूखने दे और फिर अपना चेहरा धो ले |
शुष्क त्वचा – प्राक्रतिक उपाय (Go natural)
जिनकी त्वचा रुखी होती है उन्हें अधिक मात्रा में क्लीजिंग एजेंट युक्त साबुनो का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए| इससे त्वचा में रुखापन और बढ़ता है |और वह सूखी पड़ने लगती है | त्वचा की सफाई करने वाले प्राक्रतिक तत्व जैसे बेसन के पाउडर का त्वचा को नमी प्रदान करने के लिए करे |
मकई का आटा (Cornstarch)
जब नहाने जाये तो नहाने के पानी में 2 चम्मच मकई का आटा मिला लीजिये | यह रुखी और खुजली वाली त्वचा पर तुरंत असर करता है |
शुष्क त्वचा-ड्राई स्किन के कारण (Causes for dry skin)
विटामिन की कमी (Vitamin deficiency) – आवश्यक विटामिन जैसे विटामिन ए, सी और इ की कमी से त्वचा शुष्क होती है। ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जिनमे इन विटामिन की मात्रा अधिक हो।
पर्यावरण (Environment) – ठण्ड के मौसम में ��्वचा की नमी चली जाती है और त्वचा को रूखा बना देती है।तापमान और नमी के स्तर से रूखी त्वचा होती है। सर्दियों में त्वचा के लिए मॉइस्चराइजर इस्तेमाल करें।
लम्बे समय तक और गर्म पानी से नहाना (Long bath and hot baths) – इस प्रकार नहाने से भी त्वचा रूखी हो जाती है। कुछ लोगों को दिन में 3-4 बार नहाने के आदत होती है। गर्म पानी त्वचा से नमी सोखकर उसे शुष्क बनाता है।
लम्बे समय तक सूरज के संपर्क में रहना (Long exposure to sun) – धूप में ज़्यादा देर तक रहने से त्वचा शुष्क और इसकी रंगत फीकी पड़ जाती है। सूरज की UV किरणें त्वचा की नमी छीन लेती हैं। धुप में ज्यादा देर त्वचा खुली रहने से सूर्य के अल्ट्रावायलेट किरण त्वचा को शुष्क बनाते हैं।
ब्यूटी प्रॉडक्ट्स (Beauty Products) – बाल काटने के या बालों को निकालने के मशीन भी त्वचा को शुष्क बना सकते हैं।
पानी की कमी (Dehydration) – शरीर में पानी का स्तर कम होने पर भी रूखी त्वचा होती है।
आनुवांशिक (Hereditary) – अगर आपके माता या पिता की त्वचा शुष्क हो तो आपको भी जन्म से वैसी त्वचा होने की संभावना बढती है। अगर आपके परिवारजनों और रिश्तेदारों की त्वचा रूखी है, तो आपकी त्वचा भी रूखी होने की काफी संभावना होती है। अतः अगर आपने अपने पूर्वजों से रूखी त्वचा पाई है तो कुछ घरेलू नुस्खों का पालन करना सबसे अच्छा रहेगा।
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भारत के रसोइयों के लिए सरसों तेल क्यों खास है ?
भारत के रसोइयों के लिए सरसों तेल क्यों है खास?
सरसों के तेल का उपयोग सदियों से खाने में किया जाता है और उत्तर भारत की रसोई में यह प्रमुख रूप से इस्तेमाल होने वाला तेल है. दैनिक आहार में सरसों तेल को शामिल करना हृदय रोग से बचाव के लिए जाना जाता है.
सरसों का तेल मोनोअनसचुरेटेटेड वसा और पॉलीअनसैचुरेटेड वसा से समृद्ध है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद करते हैं और अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, ताकि कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बना रहे. इससे हृदय की कार्यप्रणाली स्वस्थ बनी रहती है.
ताज महल होटल के कार्यकारी शेफ अरुण सुंदरराज ने आईएएनएस को बताया, "सरसों का तेल एक जीवाणुरोधी, वायरसरोधी और फंफूद रोधी एजेंट के रूप में भी अच्छी तरह काम करता है और पाचन तंत्र में बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है"
उन्होंने कहा, "स्वाद के लिहाज से, सरसों का तेल ज्यादातर लोगों को पसंद है. तीखे स्वाद के कारण सरसों का तेल किसी भी पकवान का स्वाद जबरदस्त तरीके से बढ़ा देता है. मेरा मानना है कि कोई अन्य घटक इसके जैसा नहीं है. सरसों तेल का अद्वितीय बनावट है. ताज महल होटल, नई दिल्ली में हम सरसों के तेल का उपयोग मस्टर्ड प्रॉन्स और भट्टी मुर्ग जैसे व्यंजनों में करते हैं."
सुंदरराज कहते हैं, "यह सलाह दी जाती है कि सरसों के तेल को खाना पकाने के लिए एकमात्र माध्यम के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और इसके बजाय आप व्यंजन के आधार पर विभिन्न तेलों के संयोजन का उपयोग कर सकते हैं. सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट ज्यादा होता है, इसलिए यह डीप फ्राइंग के लिए आदर्श है."
शेफ सोनू कोइथारा का भी सरसों तेल के बारे में कुछ ऐसी ही राय है. उल्लेखनीय है कि सरसों तेल खाना बनाने के साथ-साथ चिकित्सा में भी उपयोगी है. कोइथारा ने आईएएनएस को बताया, "ओमेगा-3 और ओमेगा-6 वसा अम्ल के सर्वोत्तम अनुपात और संतृप्त वसा की कम मात्रा के कारण अन्य तेलों से यह बेहतर है. इसमें करीब 60 फीसदी मोनोसैचुरेटेड वसा (एमयूएफए), साथ ही पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (पीयूएफए), और संतृप्त वसा होती है. ये वसा अम्ल 'उपयुक्त वसा' माने जाते हैं."
उन्होंने एक शोध के हवाले से कहा, "सरसों के तेल में कैंसर से लड़ने वाले तत्व काफी अधिक होते हैं और इसमें भारी मात्रा में लिनोलिनिक एसिड होता है, जो ओमेगा-3 वसा अम्ल में परिवर्तित हो जाता है और कैंसर को रोकने में मदद करता है."
सुपरबग को रखें रसोई से दूर
सूअर से घर तक
औद्योगिक स्तर पर की जा रही जानवरों की ब्रीडिंग में एंटीबायोटिक्स का खूब इस्तेमाल होता है. इन्हीं जानवरों का कच्चा मांस जब पैक होकर हमारे नजदीकी सुपरमार्केट की रैक पर पहुंचता है, तब उसमें कई सारे जिद्दी एंटीबायोटिकरोधी बैक्टीरिया पनप चुके होते हैं. यह सुपरबग हमें गंभीर रूप से बीमार कर सकते हैं.
कोइथारा ने कहा, "सरसों का तेल दिल के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें एमयूएफए और पीयूएफए के साथ ही ओमेगा-3 और ओमेगा-6 वसा अम्ल होते हैं. ये उपयुक्त वसा हृदय रोगों के विकास के जोखिम को कम करते हैं और यह एक बेहद शक्तिशाली प्राकृतिक उत्तेजक है, जो पाचन में सुधार करता है और पाचन रसों को तैयार करने में मदद कर भूख बढ़ाता है."
पी मार्क सरसों के तेल के निर्माता पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड के डीजीएम (कॉपोर्रेट कम्युनिकेशंस) उमेश वर्मा ने कहा, "पारंपरिक भारतीय व्यंजनों में सरसों के तेल का उपयोग रसोइये कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं, जो कश्मीर, पंजाब और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है, क्योंकि यह भोजन का स्वाद बढ़ा देता है."
वह कहते हैं, "भारतीय लोग जिस भी देश में जाते हैं, वहां वे भारत का स्वाद पसंद करते हैं, और उन देशों में वे अपने पसंदीदा ब्रांड ढूंढ़ते रहते हैं. हमें अपने सरसों तेल के अमेरिका और विभिन्न यूरोपीय शहरों में उपलब्ध होने की खबरें मिलती रहती हैं."
क्या कोई खाद्य पदार्थ है, जो ��ासतौर से केवल सरसों तेल में ही पकाया जा सकता है?
सुंदरराज ने कहा कि यह तेल अपने बहुमुखी गुणों के कारण भारतीय घरों के लिए सर्वश्रेष्ठ है, और यह भारतीय मसाले का पूरक है, जो हमारे भोजन के स्वादों को खूबसूरती से उभारता है.
सुंदरराज ने कहा, "जबकि सरसों का तेल शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही व्यंजनों का पूरक है, लेकिन सभी तरह के अचार का स्वाद सरसों तेल में सबसे बेहतर होता है. इसके अलावा सरसों का तेल नींबू और शहद के साथ एक सलाद ड्रेसिंग के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है."
उन्होंने कहा, "इसके अलावा बंगाली भोजन में खासतौर से बहुत सारे मछली के व्यंजनों में सरसों का इस्तेमाल अपरिहार्य है, जिसमें सरसों बाटा माछ, पटुरी मछली और अन्य व्यंजन जैसे मांगसाओ (मटन), मुर्गीर झोल (चिकन) शामिल हैं. इन व्यंजनों का स्वाद तभी उभर कर आता है, जब उसे सरसों के तेल में पकाया जाता है."
कोइथारा के अनुसार, "बंगाली भोजन में सरसों के तेल का अत्यधिक उपयोग होता है, जो बंगाली स्वाद का पूरक है. शोरशे बाटा इलिश और चिंगरी भापा जैसे खाद्य पदार्थ सरसों तेल के प्रचुर उपयोग के बिना इतने स्वादिष्ट बन ही नहीं सकते."
सुंदरराज ने कहा, "कुछ ऐसे तत्व हैं, जिन्हें भारतीय रसोई में कभी बदला नहीं जा सकता और सरसों का तेल इसमें से एक है, जो अपने अनूठे और तीक्ष्ण स्वाद के कारण अत्यावश्यक है."
सरसों का तेल
सरसों के तेल के अपरिमित स्वास्थ्य लाभों के बारे में कोइथारा ने कहा कि सर्दी के दौरान यह मालिश के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि यह शरीर में गर्मी पैदा करता है और ठंड से शरीर को बचाता है.
उन्होंने कहा, "इसी कारण, राजस्थान के लोग सर्दियों के दौरान अपने शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करते हैं, ताकि त्वचा को साफ और खुद को स्वस्थ बनाए रख सकें। साथ ही, सरसों का तेल सर्दी खांसी के इलाज के रूप में सदियों से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता रहा है."
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शीतकालीन त्वचा की देखभाल: मुँहासे से छुटकारा पाने के लिए सब कुछ करने की कोशिश की? इन खाद्य पदार्थों को खाएं अंत में इसे मारो
शीतकालीन त्वचा की देखभाल: मुँहासे से छुटकारा पाने के लिए सब कुछ करने की कोशिश की? इन खाद्य पदार्थों को खाएं अंत में इसे मारो
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स्वस्थ आहार के साथ मुँहासे से लड़ें।
हाइलाइट
मुँहासे कई लोगों के लिए एक साल की समस्या हो सकती है।
मुँहासे और अन्य त्वचा समस्याओं से लड़ने के लिए अपने सर्दियों के आहार को फिर से बनाएं।
इन सर्दियों-विशेष खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
हम में से कई के लिए, मुँहासे एक सतत, वर्ष दौर की समस्या है। इसे आमतौर पर गर्मियों की समस्या माना जाता है, जब आपकी त्वचा तैलीय हो जाती है और टूट…
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#चमकती त्वचा के लिए सर्दियों का आहार#त्वचा और बालों के लिए शीतकालीन आहार#पिंपल्स के लिए खाद्य पदार्थ#मुँहासे आहार#मुँहासे मुक्त त्वचा के लिए खाद्य पदार्थ#मुँहासे से लड़ने के लिए कैसे#सर्दियों की त्वचा की देखभाल#स्वस्थ त्वचा के लिए खाद्य पदार्थ
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शीतकालीन त्वचा की देखभाल: मुँहासे से छुटकारा पाने के लिए सब कुछ करने की कोशिश की? इन खाद्य पदार्थों को खाएं अंत में इसे मारो
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स्वस्थ आहार के साथ मुँहासे से लड़ें।
हाइलाइट
मुँहासे कई लोगों के लिए एक साल की समस्या हो सकती है।
मुँहासे और अन्य त्वचा समस्याओं से लड़ने के लिए अपने सर्दियों के आहार को फिर से बनाएं।
इन सर्दियों-विशेष खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
हम में से कई के लिए, मुँहासे एक सतत, वर्ष दौर की समस्या है। इसे आमतौर पर गर्मियों की समस्या माना जाता है, जब आपकी त्वचा तैलीय हो जाती है और…
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स्त्रियों के योन रोग : कारण लक्षण और उपचार स्त्रियों में योनिदोष - यह रोग स्त्रियों को गलत तरीके से या दूषित भोजन के कारण होता है इस रोग को सूचिकावक्र योनिरोग कहते हैं। कई बार बच्चे पैदा करने के बाद बहुत सी स्त्रियों की योनि फैल जाती है जिसे महतायोनि दोष कहते हैं। कुछ स्त्रियों की योनि से पुरुष-सहवास के समय असाधारण रूप से पानी निकला करता है जिसमें कभी-कभी बदबू भी आती है। प्रसव के बाद दो से तीन महीने के अंदर ही स्त्री यदि पुरुष से सहवास क्रिया करती है तो स्त्रियों के योनि में रोग उत्पन्न हो जाता है जिसे त्रिमुखायोनि दोष कहते हैं। कुछ स्त्रियों को पुरुषों के साथ सहवास क्रिया करने पर तृप्ति ही नहीं होती है। इस रोग को अत्यानन्दायोनि दोष कहते हैं। कुछ स्त्रियां सहवास के समय में पुरुषों से पहले ही रस्खलित हो जाती है इस रोग को आनन्दचरणयोनि दोष कहते हैं। कुछ स्त्रियां सहवास के समय में पुरुष के रस्खलित होने के बहुत देर बाद रस्खलित होती हैं ऐसे रोग को अनिचरणायोनि दोष कहते हैं। अधिकांश महिला व पुरुष ऐसे होते हैं, जो संक्रमण के कारण इन रोगों की चपेट में आते हैं। सर्दियों की शुरुआत से ही ऐसे मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ जाती है। सर्दियों में लोग शरीर की सफाई ठीक से नहीं रखते। कपड़े कई दिनों तक नहीं बदले जाते हैं। लोग नहाने से परहेज करते हैं। नहाने से परहेज करने और कपड़ों के लगातार न बदलने के कारण संक्रमण से फैलने वाले गुप्त रोगों की संभावना बढ़ जाती है।सर्दियों में शरीर की सफाई न रखने और नहाने से परहेज करने के कारण लोगों में गुप्त रोग की संभावना बढ़ जाती हैं। स्त्रियों के गुप्त रोगों की चिकित्सा गुप्तांगों के रोग-गुप्तांगों में रोग अधिकतर संक्रमण के कारण होता है: जानिये इसका इलाज परिचय:- गुप्तांगों में रोग अधिकतर संक्रमण के कारण होता है। वैसे देखा जाए तो गुप्तांगों में कई रोग हो सकते हैं जिनमें मुख्य दो रोग होते हैं जो इस प्रकार हैं- आतशक (सिफलस)- इस रोग में स्त्री-पुरुषों के गुप्तांगों (स्त्रियों में योनिद्वार तथा पुरुषों में लिंग) के पास एक छोटी सी फुंसी होकर पक जाती है तथा उसमें मवाद पड़ जाती है। इस रोग की दूसरी अवस्था में योनि ��ंग सूज जाते हैं। शरीर के दूसरे अंगों पर भी लाल चकते, घाव, सूजन तथा फुंसियां हो जाती हैं। तीसरी अवस्था में यह त्वचा तथा हडि्डयों के जोड़, हृदय तथा स्नायु संस्थान को प्रभावित कर रोगी को अन्धा, बहरा बना देता है। इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण संक्रमण होना है जो इस रोग से पीड़ित किसी रोगी के साथ संभोग या चुम्बन करने से फैलता है। इस रोग से पीड़ित रोगी जिन चीजों को इस्तेमाल करता है उस चीजों को यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इस्तेमाल करता है तो उसे भी यह रोग हो सकता है। सुजाक (गिनोरिया)-इस रोग के हो जाने पर रोगी के मूत्रमार्ग में खुजली होना, पेशाब करते हुए बहुत दर्द तथा जलन होना, पेशाब के साथ पीला पदार्थ या मवाद बाहर आना, अण्डकोष में सूजन होना आदि लक्षण पैदा हो जाते हैं। जब यह रोग स्त्रियों को हो जाता है तो पहले उसकी योनि से पीला स्राव निकलने लगता है तथा जब वह पेशाब करती है तो उस समय बहुत तेज दर्द होता है। उसकी योनि की मांसपेशियां सूज जाती हैं। यह सूजन बढ़ते-बढ़ते गर्भाशय तक पंहुच जाती है। ऐसी अवस्था में यदि स्त्री गर्भवती होती है तो उसका गर्भपात हो सकता है। पहले यह रोग योनि तथा लिंग तक सीमित रहता है और बाद में यह शरीर के अन्य भागों में भी हो जाता है। आतशक में घाव बाहरी होते हैं तथा सुजाक में घाव आंतरिक होते हैं। गुप्तांग रोगों का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-इस रोग से पीड़ित रोगी को कभी भी किसी दूसरे के साथ संभोग से दूर रहना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को कभी-भी अपने वस्त्र तथा अपने द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों को किसी दूसरे व्यक्ति को इस्तेमाल न करने देने चाहिए नहीं तो यह रोग दूसरे व्यक्तियों में भी फैल सकता है।इस रोग से पीड़ित रोगी को अपना भोजन दूसरों को नहीं खिलाना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को अपना उपचार करने के लिए सबसे पहले अपने शरीर के खून को शुद्ध करने तथा दूषित विष को शरीर से बाहर करने के लिए उपवास करना बहुत जरूरी है जो आवश्यकतानुसार 7 से 14 दिन तक किया जा सकता है।गुप्तांगों के रोग से पीड़ित रोगी को रसाहार पदार्थों जैसे- पालक, सफेद पेठे का रस, हरी सब्जियों का रस, तरबूज, खीरा, गाजर, चुकन्दर का रस आदि का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। नारियल का पानी प्रतिदिन पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को इस रोग का उपचार कराने के साथ-साथ अधिक मात्रा में फल, सलाद, अंकुरित चीजें खानी चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को गेहूं के जवारे का रस पीना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। चौलाई के साग के पत्ते 25-25 ग्राम दिन में 2-3 बार खाने से गुप्तांग रोग से पीड़ित रोगी का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। आंवले के रस में थोड़ी सी हल्दी तथा शहद मिलाकर सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। गुप्तांगों के रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले पेट को साफ करना चाहिए और पेट को साफ करने के लिए रोगी व्यक्ति को एनिमा क्रिया करनी चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी को नीम की पत्तियों को उबालकर उस ��ानी से घाव को धोना चाहिए। इस रोग के कारण हुए घाव तथा सूजन और फुंसी वाले स्थान पर प्रतिदिन मिट्टी की पट्टी रखने से गुप्तांगों के रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार इस रोग से पीड़ित रोगी को गर्म कटिस्नान प्रतिदिन करने से अधिक लाभ मत हैसफेद कपड़ा, लाल कपड़ा प्रतिमास दो-चार बार होना, पेट में तकलीफ होना तथा कमर में दर्द बढ़ जाना आदि के उपचार में कच्चा पुदीना एक कट्टा लेकर दो गिलास पानी में उबालकर एक कप जूस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह (निराहार) एक बार और रात में सोते समय दूसरी बार पी लेना चाहिए। इस प्रकार 40 दिनों तक करते रहें। पथ्य में अचार, बैंगन, मुर्गी, अंडे तथा मछली आदि का प्रयोग न करें। स्त्रियों के इन रोगों को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार- योनिदोष से पीड़ित रोगी स्त्री का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी स्त्री को कम से कम एक महीने तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए तथा उपवास के समय में रोगी स्त्री को प्रतिदिन गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप कुछ ही दिनों में रोग ठीक हो जाता है। योनिदोष से पीड़ित रोगी स्त्री को उपवास समाप्त करने के बाद सादे तथा पचने वाले भोजन का सेवन करना चाहिए तथा प्रतिदिन घर्षणस्नान, मेहनस्नान, सांस लेने वाले व्यायाम तथा शरीर के अन्य व्यायाम करने चाहिए तथा सुबह के समय में साफ तथा स्वच्छ जगह पर टहलना चाहिए। योनिदोष से पीड़ित रोगी स्त्री को प्रतिदिन गुनगुने पानी में रूई को भिगोकर, इससे अपनी योनि तथा गर्भाशय को साफ करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है। योनिदोष से सम्बंधित रोग को ठीक करने के लिए धनिये का पानी, जौ का पानी, कच्चे नारियल का पानी कुछ दिनों तक स्त्रियों को पिलाना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है और मासिकधर्म सही समय पर होने लगता है। कुछ दिनों तक चुकन्दर का रस कम से कम 100 मिलीलीटर दिन में दो से तीन बार पीने से स्त्रियों के योनिदोष से संबन्धित रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। योनिदोष से संबन्धित रोग से पीड़ित स्त्रियों को मिर्च-मसाले, दूषित भोजन, अधिक चाय, कॉफी, मैदे के खाद्य पदार्थ, केक, चीनी, तली-भुनी चीज तथा डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों को सेवन नहीं करना चाहिए। योनिदोष से संबन्धित रोग को ठीक करने के लिए स्त्री को सुबह के समय में आंवले का रस शहद में मिलाकर पीना चाहिए। एक चम्मच तुलसी के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर फिर उसमें एक चुटकी कालीमिर्च मिलाकर इसको दिन में दो बार प्रतिदिन चाटने से स्त्रियों के योनिदोष से संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। धनिये के बीज को उबालकर फिर इसको छानकर इसके पानी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम पीने से स्त्रियों के योनिदोष से संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। अदरक को पानी में उबालकर फिर इसको छानकर इसके पानी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम पीने से स्त्रियों के योनिदोष से संबन्धित रोग को ठीक हो जाते हैं। बथुए को उबालकर फिर इसको छानकर इसके पानी को पीने से स्त्रियों के योनिदोष से संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। तुलसी की जड़ को सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें फिर इस चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर प्रतिदिन दिन में दो बार सेवन करने से स्त्रियों के योनिदोष से संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। स्त्रियों के योनिदोष से संबन्धित रोगों को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन है जिनको करने से ये रोग तुरंत ठीक हो जाते हैं। ये आसन इस प्रकार हैं- अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन, शलभासन, पश्चिमोत्तानासन, त्रिकानासन,, बज्रासन, भुजंगासन तथा योगनिद्रा आदि। योनिदोष से संबन्धित रोगों को ठीक करने के लिए स्त्रियों के पेड़ू पर मिट्टी की ��ीली पट्टी का लेप करना चाहिए तथा स्त्रियों को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। इसके बाद स्त्री को अपने शरीर पर सूखा घर्षण करना चाहिए तथा कटिस्नान करना चाहिए फिर इसके बाद स्त्री को अपने कमर पर गीली पट्टी लपेटनी चाहिए और स्त्री को खाली पेट रहना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का उपचार करने से योनिदोष से संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। योनिदोष से संबन्धित रोग से पीड़ित स्त्री को जब योनि में जलन तथा दर्द हो रहा हो उस समय उसे कटिस्नान कराना चाहिए तथा उसके पेड़ू पर मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए और कमर पर लाल तेल की मालिश करनी चाहिए। फिर उसकी कमर पर गीले कपड़े की पट्टी लपेटनी चाहिए। लेकिन इस उपचार को करते समय स्त्रियों को योगासन नहीं करना चाहिए। यदि रोगी स्त्री का मासिकस्राव आना बंद हो गया हो तो रोगी स्त्री को सुबह के समय में गर्म पानी से कटिस्नान करना चाहिए तथा रात को सोते समय एक बार फिर से कटिस्नान करना चाहिए। फिर रोगी स्त्री को दूसरे दिन गर्म तथा ठंडे पानी में बारी-बारी से सिट्ज बाथ कम से कम दो बार कराना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कम से कम एक महीने तक करने से योनिदोष से संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। यदि स्त्री को योनि में तेज दर्द है तो रोगी स्त्री को सुबह के समय में गर्म पानी में कटिस्नान और रात को सोने से पहले एक बार गर्म तथा दूसरी बार ठंडे पानी से कटिस्नान करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप योनिदोष से संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। स्त्री को यदि योनि में तेज दर्द हो रहा हो तो अजवायन का पाउडर बनाकर, एक चम्मच पाउडर गर्म दूध में मिलाकर प्रतिदिन दिन अजवायन का पाउडर बनाकर, एक चम्मच पाउडर गर्म दूध में मिलाकर प्रतिदिन दिन में दो बार रोगी स्त्री को सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। तुलसी की पत्तियां सभी प्रकार के मासिकधर्म के रोगों को ठीक कर सकती हैं। इसलिए योनिदोष से संबन्धित रोग से पीड़ित रोगी स्त्री को प्रतिदिन दो चम्मच तुलसी की पत्तियों का रस पीना चाहिए। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है। आधा गिलास अनार का रस प्रतिदिन सुबह के समय में नाश्ते के बाद पीने से योनिदोष से संबन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। एक गिलास गाजर के रस में चुकन्दर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर दो महीने तक पीने से ठीक हो जाता है ।मासिक धर्म का रुक जाना :तीन-तीन महीने तक मासिक धर्म का न होना तथा पेट में पीड़ा होना आदि के लिए एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह निराहार पेट रात में भोजनोपरांत सोते समय पी लेना चाहिए। इस प्रकार सेवन एक महीने तक करते रहें। आलू तथा बैंगन वर्जित हैं। पेशाब में जलन मूत्र नलियों में रक्त संचार सुचारू रूप से न होना और पेशाब से रक्त का जाना आदि में एक कप मौसम्मी का जूस लेकर उसमें आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर उसका सेवन करें। सुबह एक बार और दूसरी बार रात में सोने से पूर्व। दस दिन तक इस इलाज को जारी रखिए। खाने में गर्मी पैदा करने वाली वस्तुएं, मिर्च और खट्टी वस्तुओं का उपयोग कम करना चाहिए। बवासीर का मस्सा *एक चम्मच सिरके में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में दो बार मस्से की जगह पर लगाएं। क्या सावधानी रखें गुप्त रोग होने पर *नहाने से परहेज न करें। *प्रतिदिन अंत: वस्त्र व अन्य कपड़ों को बदलें। *शौच के बाद शरीर के अंदरुनी अंगों को ठीक से साफ करें। *पूर्व में संक्रमण से पीड़ित या एलर्जी वाले लोगों को अधिक सतर्क होने की है जरूरत। जब त्वचा की सतह पर जलन का एहसास होता है और त्वचा को खरोंचने का मन करता है तो उस बोध को खुजली कहते हैं। खुजली के कई कारण होते हैं जैसे कि तनाव और चिंता, शुष्क त्वचा, अधिक समय तक धूप में रहना, ��षधि की विपरीत प्रतिक्रिया, मच्छर या किसी और जंतु का दंश, फंफुदीय संक्रमण, अवैध यौन संबंध के कारण, संक्रमित रोग की वजह से, या त्वचा पर फुंसियाँ, सिर या शरीर के अन्य हिस्सों में जुओं की मौजूदगी इत्यादि से। *खुजली वाली जगह पर चन्दन का तेल लगाने से काफी राहत मिलती है। *दशांग लेप, जो आयुर्वेद की 10 जड़ी बूटियों से तैयार किया गया है, खुजली से काफी हद तक आराम दिलाता है। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर उसे छुपाने की बजाय चिकित्सक से संपर्क करें।
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