#डॉक्टर अजीब
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महाराष्ट्र के इस गांव के लोग अचानक होने लगे गंजे, समस्या से मचा हड़कंप; जानें क्या बोली डॉक्टर
Maharashtra News: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में पिछले कुछ दिनों से एक अजीब समस्या ने ग्रामीणों को परेशान कर दिया है। जिले के कई गांवों के लोग अचानक बाल झड़ने और कुछ ही दिनों में गंजेपन की समस्या से जूझ रहे हैं। यह समस्या इतनी बढ़ गई है कि अब तक दो दर्जन से ज्यादा लोग गंजे हो चुके हैं। इस असामान्य स्वास्थ्य समस्या के कारण लोगों में हड़कंप मच गया है। बुलढाणा जिले के कई गांवों के लोगों ने अचानक…
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Baba Saheb Ambedkar: Know 15 Interesting Things About the Creator of the Constitution
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Introduction
Bhimrao Ramji Ambedkar: संविधान का प्रारूप तैयार करने में कई प्रबुद्ध लोगों का योगदान था, लेकिन डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता माना जाता है. वह संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे. यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी अकेले अंबेडकर पर आ गई थी. यह बात प्रारूप समिति के एक सदस्य टीटी कृष्णामाचारी ने संविधान सभा के सामने स्वीकार भी की थी. टीटी कृष्णामाचारी ने नवंबर, 1948 में संविधान सभा में कबूला था कि मृत्यु, बीमारी और कुछ अन्य वजहों से कमेटी के अधिकतर सदस्यों ने प्रारूप तैयार करने में पर्याप्त योगदान नहीं दिया था. इसके चलते संविधान तैयार करने का बोझ डॉ. अंबेडकर पर आ गया. आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद 26 जनवरी, 1950 को देश में संविधान लागू हुआ. इससे पहले 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपनाया था. इसके बाद 26 नवंबर वह तारीख बन गई, जिसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस दरअसल संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता क्यों कहा जाता है? अंबेडकर पर अक्सर राजनीति क्यों शुरू हो जाती है? इस स्टोरी में जानेंगे हर सवाल का जवाब?
Table of Content
सिर्फ 2.3 साल में पूरी की 8 साल की पढ़ाई
कौन-कौन सी डिग्रियां की हासिल
अंबेडकर ने अकेले ही तैयार किया था संविधान का प्रारूप
यूं बदली अंबेडकर की जिंदगी
जानिये बाबा साहेब के बारे में रोचक और सच्ची बातें
सिर्फ 2.3 साल में पूरी की 8 साल की पढ़ाई
कौन-कौन सी डिग्रियां की हासिल
उन्होंने शुरुआती पढ़ाई यानी प्राथमिक शिक्षा एल्फिंस्टन स्कूल से की. उच्च शिक्षा की कड़ी में उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिज्ञ विज्ञान में डिग्री हासिल की. पढ़ाई की लगन ही उन्हें विदेश यानी अमेरिका और ब्रिटेन तक ले गई. विदेश जाकर उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से एमए और पीएचडी की. इसके बाद डॉ. अंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मात्र दो साल तीन महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी कर ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की डिग्री ली. हैरत की बात है कि यह डिग्री हासिल करने वाले वह दुनिया के प्रथम व्यक्ति थे.
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अंबेडकर ने अकेले ही तैयार किया था संविधान का प्रारूप
यह किसी को सुनने में अजीब लगे लेकिन यह काफी हद तक सच है कि संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी अकेले अंबेडकर पर आ गई थी, लेकिन उन्होंने बिना सकुचाए इस जिम्मेदारी को उठाया. मिली जानकारी के अनुसार, संविधान सभा की प्रारूप समिति में कुल 7 लोगों को रखा गया था. इनमें से एक सदस्य बीमार हो गए. इसी दौरान 2 सदस्य दिल्ली के बाहर थे, जबकि एक विदेश में थे. वहीं, एक सदस्य ने किन्हीं वजहों से बीच में ही इस्तीफा दे दिया. सातवें सदस्य ने तो ज्वाइन ही नहीं किया. ऐसे में नई मुश्किल खड़ी हो गई. जाहिर है ऐसे में 7 सदस्यों वाली कमेटी में केवल अंबेडकर बचे और उनके कंधों पर संविधान का ड्राफ्ट बनाने की पूरी जिम्मेदारी आ गई.
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यूं बदली अंबेडकर की जिंदगी
भीम राव अंबेडकर का जन्म दलित परिवार में हुआ था. ऐसे में उन्हें बचपन से ही बहुत से सामाजिक भेदभाव झेलने पड़े. पढ़ाई में बहुत अच्छा होने के बावजूद दलित वर्ग से होने के कारण उनके साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया जाता था. उन्हें प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक दलित होने के चलते बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जब वह छोटे थे तो छुआछूत जैसी शर्मनाक हरकत उनके साथ हुई थी.
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जानिये बाबा साहेब के बारे में रोचक और सच्ची बातें
भीमराव अंबेडकर अपने माता-पिता की 14वीं और अंतिम संतान थे.
पिता सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश सेना में सूबेदार थे.
बाबासाहेब के पिता संत कबीर दास के अनुयायी थे और एक शिक्षित व्यक्ति थे. इसीलिए उन्होंने भीम राव को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित भी किया.
भीमराव रामजी अंबेडकर लगभग दो वर्ष के थे तब उनके पिता नौकरी से रिटायर्ड हो गए. वहीं, 6 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी मां को भी खो दिया.
स्कूली शिक्षा के दौरान भीम राव अस्पृश्यता के शिकार हुए.
वर्ष 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास होने के बाद उनकी शादी एक बाजार के खुले छप्पर के नीचे हुई.
वर्ष 1913 में डॉ. भीम राव अंबेडकर को हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका जाने वाले एक विद्वान के रूप में चुना गया. यह उनके शैक्षिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.
विदेश से पढ़ाई करके डॉ अंबेडकर मुंबई लौटे तो राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में सिडेनहैम कॉलेज में अध्यापन करने लगे.
उन्होंने लंदन में अपनी कानून और अर्थशास्त्र की पढ़ाई फिर से शुरू करने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके लिए कोल्हापुर के महाराजा ने उन्हें आर्थिक मदद दी.
1923 में, उन्होंने डीएससी डिग्री के लिए अपनी थीसिस पूरी की, जिसका नाम था- ‘रुपये की समस्या : इसका उद्भव और समाधान’.
वर्ष 1923 में वकीलों के बार में बुलाया गया.
03 अप्रैल, 1927 को उन्होंने दलित वर्गों की समस्याओं को संबोधित करने के लिए ‘बहिस्कृत भारत’ समाचारपत्र की शुरुआत की. वर्ष 1928 में वह गवर्नमेंट लॉ कॉलेज (बॉम्बे) में प्रोफेसर बने.
01 जू��, 1935 को वह उसी कॉलेज के प्रिंसिपल बने. वर्ष 1938 में अपना इस्तीफा देने तक उसी पद पर बने रहे.
वर्ष 1936 में उन्होंने बॉम्बे प्रेसीडेंसी महार सम्मेलन को संबोधित किया और हिंदू धर्म का त्याग करने की वकालत की.
15 अगस्त, 1936 को दलित वर्गों के हितों की रक्षा करने के लिए ‘स्वतंत्र लेबर पार्टी’ का गठन किया.
वर्ष 1938 में कांग्रेस ने अछूतों के नाम में बदलाव करने वाला एक विधेयक प्रस्तुत किया. अंबेडकर ने इसका विरोध किया, क्योंकि उन्हें यह रास्ता ठीक नहीं लगा.
06 दिसंबर, 1956 को उनकी मृत्यु हो गई. डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को पूरे देश में प्रत्येक वर्ष ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
Conclusion
संविधान तैयार करने में भले ही कई प्रबुद्धजनों का योगदान हो, लेकिन इसका श्रेय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को ही जाता है. यही वजह है कि उन्हें संविधान निर्माता कहा जाता है. वर्ष 1990 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था.
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NF Treatment: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey, Gupt Rog Specialist
अगर आप धात सिंड्रोम या स्वप्नदोष से पीड़ित हैं, तो आपको अपनी निजी समस्या अपने माता-पिता या अभिभावकों से साझा करनी चाहिए। हालांकि यह युवाओं में होने वाली एक आम यौन समस्या है, फिर भी यह गुप्त रोग है। आपके अभिभावक या माता-पिता भावनात्मक, आर्थिक और चिकित्सकीय रूप से आपकी मदद करेंगे। वैसे भी भारत में लगभग 23 फीसदी लोग किसी न किसी गुप्त या यौन रोग की समस्या से जूझ रहे है। केवल 5 प्रतिशत लोग ही अपने समस्या के समाधान हेतु सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के क्लिनिक में जाकर इलाज कर���ाते है। यह केवल आपकी ही समस्या नहीं है, जो लोग अपने गुप्त या यौन रोग की समस्या को छुपाते है उनके लिए भी गंभीर स्थिति है।
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अभी आप 21 साल हैं और आपको नाइट डिस्चार्ज की समस्या हो गयी है। आप इस यौन समस्या का सामना हफ़्ते में कई बार करते हैं। आप हमेशा अपनी समस्या सभी से छुपाना चाहते हैं क्योंकि आपको इसके बारे में बात करने में अजीब लगता है। पटना, बिहार में भारत के शीर्ष-स्तरीय गुणात्मक और सर्वश्रेष्ठ क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि किसी को भी अपनी यौन या अन्य किसी भी समस्याओं को अपने माता-पिता से कभी नहीं छुपाना चाहिए। क्योकि वे आपके जनक है और आपका हित उनके लिए सर्वोपरि है।
इस विश्व-प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि युवाओं में नाइट डिस्चार्ज (स्वप्नदोष) एक आम गुप्त या यौन विकार है। भारत में 70% से ज़्यादा युवा लोग अपने जीवन में एक बार इस गुप्त समस्या का सामना कभी न कभी करते हैं। दरअसल, कई बार लोगो को या यौन रोगियों को अपनी समस्या साझा करने और इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श करने की ज़रूरत होती है। वे पटना, बिहार के बेस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक है और उन्होंने पुरुषो व महिलाओं में होने वाले बहुत सारी यौन समस्याओं पर शोध भी किया है।
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स्वप्नदोष के कारणों के बारे में हमारे आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे कहते हैं- दरअसल, युवाओ में स्वप्नदोष होने के बहुत सारे कारण हैं। जैसे कि -
मनोवैज्ञानिक स्थिति के कारण
हार्मोनल परिवर्तन के कारण
यौन निष्क्रियता होने पर
न्यूरोपैथी क्षति होने से
अनजाने में उत्तेजना के कारण
वीर्य का रिसाव होने के कारण
मूत्राशय का भर जाने के कारण
प्रोस्टेट ग्रंथि में जमाव होने पर
अधूरा हस्तमैथुन क्रिया होने पर
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में, यह पूरी तरह से इलाज योग्य गुप्त समस्या है और उन्होंने अनगिनत स्वप्नदोष से पीड़ित रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। वह हर दिन दुबे क्लिनिक में अभ्यास करते हैं और पूरे भारत से गुप्त व यौन रोगी दुबे क्लिनिक से संपर्क करते हैं। औसतन करीब चालीस से ज़्यादा गुप्त व यौन रोगी अपनी-अपनी समस्याओं को ठीक करने के लिए दुबे क्लिनिक आते हैं और वह उनकी समस्याओं के अनुसार उनका इलाज करते हैं।
भारत के नंबर 1 सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे ने पुरुषों और महिलाओं के विभिन्न यौन विकारों पर सफल आयुर्वेदिक दवा की खोज भी किया है। जहाँ अब तक 7.6 लाख से अधिक गुप्त व यौन रोगी दुबे क्लिनिक के उपचार से लाभान्वित हो चुके हैं।
अगर आप दुबे क्लिनिक से जुड़ना चाहते हैं, तो हमें +91 98350 92586 पर कॉल करें।
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आवाज़ें
वह जब भी मेरे पास आता था, उसकी एक ही तकलीफ रहती थी। वो मुझसे बार-बार यही कहता था कि डॉक्टर साहब कुछ भी करके ये शोर कम कर दीजिए। मैंने उसे कुछ दवाइयाँ भी दी थी लेकिन लगता है उसने वही किया जिसके लिए मैंने उसे सख्त मना किया था।
राहुल मेरे पास पहली बार तब आया था जब उसका स्कूल खत्म हुआ था और कॉलेज शुरू होने ही वाला था। पहले उसकी तकलीफें कम और शिकायतें ज्यादा थी। जब देखो कहता कान मे दर्द हो रहा है, उसने बताया था कि कोई व्यक्ति अजीब सी वेश भूषा मे उसके सामने आया और भीख मांगते-मांगते कान मे फूँक मारकर चल गया। मुझे ये बात बड़ी अटपटी सी लगी। उसकी माँ तो मानो तुरंत समझ गईं थी कि मेरे लड़के पर किसी ने टोटका कर दिया है और अब उसे एक अच्छे पंडित से मिलना चाहिए। मैंने अपने हासिल किये हुए ज्ञान से यही पाया कि राहुल की मानसिक स्थिति बिगड़ रही थी। उसे तरह तरह की आवाज़ें सुनाई देने लगीं थीं, मानो कोई उसे पुकार रहा हो, चिढ़ा रहा हो, गालियां दे रहा हो। वो हर समय परेशान रहने लगा। उसके दोस्त भी उसे पागल कहते और दूर भागते। मैंने उसे सीधी सलाह दी क�� "राहुल, ये आवाज़ें तुम्हारे दिमाग मे हैं, इन पर ज्यादा ध्यान मत दो और भूल कर भी इनका जवाब बिल्कुल मत देना वरना हालत बिगड़ सकती है"। उसे देखकर ऐसा लगा जैसे उसे मेरी बात समझ मे आ गई हो। लेकिन फिर भी उसने वही किया जिसके लिए मैंने उसे मना किया था, पता नहीं क्यों उसने मेरी बात नहीं मानी।
राहुल के कान का दर्द बढ़ता गया, और अब उसका कॉलेज मे भी ध्यान न लगता। वो जब फिरसे मेरे पास आया तब अपनी माँ और एक पंडित जी को साथ लाया था। पंडित मुझे पैनी आँखों से घूरने लगा और उसकी माँ ने तुरंत मेरे कैबिन के सोफ़े पर उसे लिटा दिया। मेरी असिस्टन्ट उनके पीछे पीछे अंदर आई, उसने मेरी तरफ देखा और मैंने उसे बाहर जाने का इशारा किया। देखने मे लग रहा था कि ये इनका घर है और मैं यहाँ कोई मेहमान हूँ। राहुल की हालत बहुत खराब थी। पंडित ने मुझे नजदीक बुलाया और राहुल का तापमान और दिल की धड़कने मापने को कहा। मैंने अकढ़ मे पहले उन्हे डांटना चाहा लेकिन स्थिति की गंभीरता देखते हुए मैंने कुछ नहीं बोला।
राहुल चिल्लाने लगा। कहता "ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं! इन्हे रोको!"
बाहर मेरे बाकी मरीज ये तमाशा देखकर लौटने लगे। मुझे लगा मेरी बहुत बदनामी हो रही है। राहुल की माँ ने रोना शुरू कर दिया। पर मैंने साहस जुटा कर उनसे कहा कि ये कोई तरीका नहीं हुआ। आप लोग बाहर जाएँ यहाँ से नहीं तो मैं पुलिस को बुला दूंगा, ये मेरा क्लिनिक है। यहाँ मैं इस तमाशे की इजाजत नहीं दूंगा। बोलते ही मुझे लगा शायद नहीं बोलना चाहिए था। पंडित ने तुरंत अपने हाथों से राहुल को उठाया और कोई मंत्र पढ़ते पढ़ते वहाँ से बाहर चला गया। मैं भी उनके साथ बाहर निकला और अपने बाकी मरीजों के सामने ठेठ मे बोलने लगा "न जाने कहाँ से आ जाते हैं"। मेरे बाकी मरीजों को थोड़ी सी तसल्ली हुई और वे सब वापस या गए। खुसुर फुसुर शुरू हुई और मैंने भी हिस्सा लिया। अब सब ठीक लग रहा था। दिन की दिहाड़ी सुरक्षित थी। मैं वापस अपने काम मे लग गया।
कुछ दिनों बाद मुझे राहुल पार्क मे दिखा, वो अब व्हील चेयर पर था। उसके पीछे एक और आदमी खड़ा था जो शायद उसका भाई था। राहुल मुझे देखकर बहुत खुश हो गया। मैं उसके करीब गया, और जाकर घुटनों पर बैठ गया, बोला तुम्हारी अंधविश्वासी माँ ने अगर ठीक तरह से तुम्हारा इलाज कराया होता तो शायद तुम्हें कुछ न हुआ होता।
"लेकिन बीमारी क्या थी?" पीछे खड़े आदमी ने मुसकुराते हुए पूछा। मेरे सामने राहुल का चेहरा लटक गया। मेरे आस पास सब नीला सा हो गया। वो ��दमी मेरे पास आया और मेरे कान ���े कुछ कहने की बजाय, फूँक मारकर राहुल को अपने साथ ले गया।
मेरी आँखें फिर उसी पार्क मे तीन से चार घंटे बाद खुलीं। एक चौकीदार मुझे अपने पैर से मारकर ये भांप रहा था कि मैं जिंदा हूँ या मर गया। शराबियों के लिए बचाया हुआ ताना उसने मुझपर मार दिया और फिर डांट-डपट कर चला गया। मैं भागता हुआ वहाँ से अपने घर चला गया।
कुछ दिनों बाद मैं अपने क्लिनिक पर ही बैठा कुछ काम कर रहा था। सामने से राहुल अंदर आया, जो अब अपने पैरों पर था। मैं थोड़ा चौंका। मैंने उससे हाल चाल पूछे तो उसने बताया कि अब आवाज़ें नहीं आती हैं। मैंने पार्क मे हुए हादसे के बारे मे पूछने की कोशिश की लेकिन न जाने क्यों मुझे शर्मिंदगी सी हुई। राहुल उठकर जाने लगा और दरवाजे के समीप पहुंचते ही क्षण भर के लिए रुका। अपनी जेब टटोलकर शायद फोन निकालना चाह रहा था। मेरा स्वभाव था कि मैं अक्सर अपने मरीजों को गेट तक छोड़कर आता था लेकिन जब मैंने उठने की कोशिश करी तो देखा कि मेरे पैर एक जगह जम से गए हैं। गर्दन के पीछे एक तेज हवा सुनाई दी। मैंने कुर्सी मोड़ कर पीछे देखा तो पार्क वाला आदमी फटे-फूटे कपड़ों मे खड़ा मुस्कुरा रहा था। देखकर लगा कोई भिकारी है। पीछे से राहुल ने कहा "आवाज़ें तो आएंगी, लेकिन उत्तर मत देना डॉक्टर साहब"। दोबारा पीछे मुड़कर देखा तो राहुल जा चुका था और दरवाजा धीरे धीरे अपनी गति से बंद हो रहा था... ------
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फरिश्ता लगा
जहां भी कितना अजीब हे वही ब्लॉक है जो करीब है हमारे तकलीफों में कमी नहीं जब कि डॉक्टर करीब है सोचता हूं कब तक जिंदगी इम्तेहान लेगी मुझ से एक दिन जिंदगी खुद हार जायेगी मेरा मौत करीब है चहता हूं जिंदगी मिल ले जिंदगी से मौत से पहले वह बजिद है हो नही लायक मेरे मेरा दिल मेरे करीब है सुबह देखा उसे फरिश्ता लगा सफेद कोट में कितना जायेगा वह मुझ से दूर मेरे दिल के वह करीब है
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एक लघु कथा…..
एक नर्स लंदन में ऑपरेशन से दो घंटे पहले मरीज़ के कमरे में घुसकर कमरे में रखे गुलदस्ते को संवारने और ठीक करने लगी।
ऐसे ही जब वो अपने पूरे लगन के साथ काम में लगी थी, तभी अचानक उसने मरीज़ से पूछा "सर आपका ऑपरेशन कौन सा डॉक्टर कर रहा है?"
नर्स को देखे बिना मरीज़ ने अनमने से लहजे में कहा "डॉ. जॉनसन।"
नर्स ने डॉक्टर का नाम सुना और आश्चर्य से अपना काम छोड़ते हुये मरीज़ के पास पहुँची और पूछा "सर, क्या डॉ. जॉनसन ने वास्तव में आपके ऑपरेशन को स्वीकार किया हैं?
मरीज़ ने कहा "हाँ, मेरा ऑपरेशन वही कर रहे हैं।"
नर्स ने कहा "बड़ी अजीब बात है, विश्वास नहीं होता"
परेशान होते हुए मरीज़ ने पूछा "लेकिन इसमें ऐसी क्या अजीब बात है?"
नर्स ने कहा "वास्तव में इस डॉक्टर ने अब तक हजारों ऑपरेशन किये हैं उसके ऑपरेशन में सफलता का अनुपात 100 प्रतिशत है । इनकी तीव्र व्यस्तता की वजह से इन्हें समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। मैं हैरान हूँ आपका ऑपरेशन करने के लिए उन्हें फुर्सत कैसे मिली?
मरीज़ ने नर्स से कहा "ये मेरी अच्छी किस्मत है कि डॉ जॉनसन को फुरसत मिली और वह मेरा ऑपरेशन कर रहे हैं ।
नर्स ने एक बार बार कहा "यकीन मानिए, मेरा हैरत अभी भी बरकरार है कि दुनिया का सबसे अच्छा डॉक्टर आपका ऑपरेशन कर रहा है!!"
इस बातचीत के बाद मरीज को ऑपरेशन थिएटर में पहुंचा दिया गया, मरीज़ का सफल ऑपरेशन हुआ और अब मरीज़ हँस कर अपनी जिंदगी जी रहा है।
मरीज़ के कमरे में आई महिला कोई साधारण नर्स नहीं थी, बल्कि उसी अस्पताल की मनोवैज्ञानिक महिला डॉक्टर थी, जिसका काम मरीजों को मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से संचालि�� करना था, जिसके कारण उसे संतुष्ट करना था जिस पर मरीज़ शक भी नहीं कर सकता था। और इस बार इस महिला डॉक्टर ने अपना काम मरीज़ के कमरे में गुलदस्ता सजाते हुये कर दिया था और बहुत खूबसूरती से मरीज़ के दिल और दिमाग में बिठा दिया था कि जो डॉक्टर इसका ऑपरेशन करेगा वो दुनिया का मशहूर और सबसे सफल डॉक्टर है जिसका हर ऑपरेशन सफल ऑपरेशन होता है और इसी पॉजिटिविटी ने मरीज के अन्दर के डर को खत्म कर दिया था। और वह ऑपरेशन थियेटर के अन्दर यह सोचकर गया कि अब तो मेरा आपरेशन सक्सेज होकर रहेगा , मैं बेकार में इतनी चिन्ता कर रहा था।
पॉजिटिविटी दीजिये लोगों को..
~PPG~
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मल्टीवर्स ऑफ़ मैडनेस में डॉक्टर स्ट्रेंज का नया ट्रेलर देखें
मल्टीवर्स ऑफ़ मैडनेस में डॉक्टर स्ट्रेंज का नया ट्रेलर देखें
डॉक्टर स्ट्रेंज इन द मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस का लेटेस्ट टीजर ट्रेलर आउट हो गया है। आगामी प्रमुख मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स एडवेंचर, जिसका नेतृत्व बेनेडिक्ट कंबरबैच ने डॉ। स्टीफन स्ट्रेंज / डॉक्टर स्ट्रेंज और एलिजाबेथ ऑलसेन के रूप में वांडा मैक्सिमॉफ / स्कारलेट विच के रूप में किया है, ठीक एक महीने में बाहर हो गया है – यह फिल्म भारत और दुनिया भर में 6 मई को रिलीज होगी। डॉक्टर स्ट्रेंज इन द मल्टीवर्स ऑफ…
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#एमसीयू#एलिजाबेथ ऑलसेन#चमत्कार#चिवेटेल इजीओफ़ोर#डिज्नी#डॉक्टर अजीब#डॉक्टर अजीब पागलपन के मल्टीवर्स में रिलीज की तारीख#डॉक्टर अजीब मल्टीवर्स पागलपन ट्रेलर टीज़र सपना रिलीज की तारीख भारत 6 टिकट पागलपन के मल्टीवर्स#पागलपन की बहुलता में अजीब डॉक्टर#बेनेडिक्ट काम्वारबेच#बेनेडिक्ट वोंग#भारत में मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस रिलीज की तारीख में डॉक्टर अजीब#मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस ट्रेलर में डॉक्टर अजीब#लाल सुर्ख जादूगरनी
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क्या मार्वल स्टूडियोज की मल्टीवर्स वास्तव में मौजूद हो सकती है? एक भौतिक विज्ञानी बताते हैं
क्या मार्वल स्टूडियोज की मल्टीवर्स वास्तव में मौजूद हो सकती है? एक भौतिक विज्ञानी बताते हैं
“मल्टीवर्स एक अवधारणा है जिसके बारे में हम बहुत कम जानते हैं”: डॉक्टर स्ट्रेंज द्वारा पीटर पार्कर को हाल ही में जारी स्पाइडर-मैन: नो वे होम में ये शब्द बिल्कुल गलत नहीं हैं। पिछले हफ्ते भी, डॉक्टर स्ट्रेंज इन द मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस का टीज़र भी कई ब्रह्मांडों की इस अवधारणा को दर्शाता है। तो, क्या इस कल्पना का कोई वैज्ञानिक समर्थन है? हालांकि कुछ भौतिकविदों ने प्रस्तावित किया है कि हमारा ब्रह्मांड…
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#आईआईएसईआर मोहाली#इंडियन एक्सप्रेस न्यूज&039;#कॉपरनिकन सिद्धांत#क्या भौतिकी मल्टीवर्स की व्याख्या करती है#क्या मल्टीवर्स मौजूद हो सकते हैं#डॉ. किंजलक लोचन#डॉक्टर अजीब#भौतिक विज्ञान#मल्टीवर्स#मल्टीवर्स क्या है?#मल्टीवर्स रियल है#विज्ञान समाचार#स्ट्रिंग सिद्धांत#स्पाइडर मैन
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स्पाइडर-मैन: नो वे होम मूवी रिव्यू: स्पाइडी के प्रशंसकों को एक श्रद्धांजलि!
स्पाइडर-मैन: नो वे होम मूवी रिव्यू: स्पाइडी के प्रशंसकों को एक श्रद्धांजलि!
निस्संदेह अब तक की सबसे अधिक भीड़-भाड़ वाली स्पाइडर-मैन फिल्म, ‘नो वे होम’ आपके मित्रवत पड़ोस एवेंजर का उत्सव है। .
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#Zendaya#अल्फ्रेड मोलिना#जेमी फॉक्सएक्स#टॉम हॉलैंड#डॉक्टर अजीब#पीटर पार्कर#बदला लेनेवाला#बेनेडिक्ट काम्वारबेच#विलेम डेफो#स्पाइडर मैन
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11 अगस्त को मार्वल की व्हाट इफ...? का ट्रेलर देखें
11 अगस्त को मार्वल की व्हाट इफ…? का ट्रेलर देखें
मार्वल व्हाट इफ…? एक नया ट्रेलर, एक नया पोस्टर और एक रिलीज की तारीख है। गुरुवार को, मार्वल स्टूडियोज ने घोषणा की कि इसकी पहली एनिमेटेड श्रृंखला – मार्वल का मोडोक एक मार्वल टेलीविजन परियोजना के रूप में शुरू हुई, इसलिए मुझे लगता है कि यह गिनती नहीं है – बुधवार, 11 अगस्त को डिज्नी + और डिज्नी + हॉटस्टार पर प्रीमियर होगा। हालांकि (हिंदी, तमिल या तेलुगु में) कोई भी स्थानीय भाषा में डब नहीं होगा, जिसका…
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#एसी ब्राडली#कप्तान अमेरिका#कप्तान चमत्कार#काला चीता#केविन फीगे#क्या होगा अगर मार्वल रिलीज की तारीख ट्रेलर कास्ट एपिसोड पोस्टर श्रृंखला ब्लैक पैंथर कप्तान का#गार्डियंस ऑफ़ गैलेक्सी#चमत्कार#चींटी आदमी#जेफरी राइट#डिज्नी#डिज्नी प्लस#डिज्नी प्लस हॉटस्टार hot#डिज्नी प्लस हॉटस्टार प्रीमियम#डॉक्टर अजीब#थोर#बड़ा जहाज़#बदला लेने वाले#ब्रायन एंड्रयूज#लोकी#लौह पुरुष#सर्दी का सिपाही#हॉकआई
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'डॉक्टर स्ट्रेंज इन द मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस' भारत में बड़े वीकेंड के लिए तैयार; अग्रिम संग्रह 20 करोड़ का आंकड़ा पार करता है - टाइम्स ऑफ इंडिया
‘डॉक्टर स्ट्रेंज इन द मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस’ भारत में बड़े वीकेंड के लिए तैयार; अग्रिम संग्रह 20 करोड़ का आंकड़ा पार करता है – टाइम्स ऑफ इंडिया
बेनेडिक्ट कंबरबैच की ‘डॉक्टर स्ट्रेंज’ रिलीज करने के लिए तैयार हैपागलपन की विविधता‘ और अग्रिम संग्रहों को देखते हुए, सभी भारतीय मार्वल प्रशंसक पहले सप्ताहांत में सभी कार्रवाई को पकड़ना चाहते हैं। जैसा कि फिल्म 6 मई की शुरुआत के लिए तैयार है, यह बताया गया है कि सुपरहीरो फिल्म पहले ही अग्रिम बुकिंग संग्रह में 20 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है। बॉक्स ऑफिस इंडिया में एक रिपोर्ट के तुरंत बाद कहा…
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#ज़ोचिटल गोमेज़#टॉम हॉलैंड#डॉक्टर अजीब टिकट#डॉक्टर स्ट्रेंज इन द मल्टीवर्स ऑफ़ मैडनेस#डॉक्टर स्ट्रेंज बॉक्स ऑफिस#पागलपन की विविधता#बेनेडिक्ट काम्वारबेच#वाना मैक्सिमॉफ#सैम राइमी#स्पाइडर मैन
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Is Loki the Best Marvel TV Show So Far?
Is Loki the Best Marvel TV Show So Far?
लोकीमार्वल स्टूडियोज की नवीनतम टीवी श्रृंखला, ने इस सप्ताह की शुरुआत में छह एपिसोड वाले अपने पहले सीज़न को समाप्त कर दिया। पहले सीज़न ने तकनीकी रूप से मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स के बाकी हिस्सों के साथ निरंतरता साझा की, लेकिन यह लोकी का एक पुराना संस्करण लाया – द गॉड ऑफ मिसचीफ – टॉम हिडलेस्टन द्वारा स्क्रीन पर प्रतिनिधित्व किया – द एवेंजर्स से। गैजेट्स 360 पॉडकास्ट ऑर्बिटल के इस हफ्ते के एपिसोड…
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#एमसीयू#ओवेन विल्सन#कक्षा का#कांग#केट हेरॉन#गैजेट्स 360 पॉडकास्ट#चमत्कार#टॉम हिडलस्टन#डिज्नी#डिज्नी प्लस#डिज्नी प्लस हॉटस्टार hot#नताली होल्ट#पॉडकास्ट#माइकल वाल्ड्रोन#मोबिउस#लोकी रिव्यू सीज़न 1 2 एंडिंग ने समझाया मार्वल मल्टीवर्स कांग एंट मैन स्पाइडर 3 डॉक्टर अजीब ऑर्बि#लोकी सीजन 1#लोकी सीजन 2#विजेता कांग#सिल्वी
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8 Memorable Moments from the Marvel Cinematic Universe
8 Memorable Moments from the Marvel Cinematic Universe
जबकि मार्वल टेलिविज़न यूनिवर्स वांडा विजन और द फाल्कन और विंटर सोल्जर की सफलता और लोकप्रियता के आधार पर आधारित है, सिनेमाई ब्रह्मांड के चरण 4 में महामारी के कारण देरी हुई है। चौथे चरण को ब्लैक विडो के साथ किकस्टार्ट करने की आवश्यकता थी, लेकिन मार्वल स्टूडियो ने हाल के एक वीडियो में आगामी फिल्मों की तारीखों का खुलासा किया। इसलिए जब हम फ़िल्मों के रिलीज़ होने का इंतज़ार करते हैं, यहाँ एक बार फिर से…
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कीटो डाइट और बंगाली अभिनेत्री - एक बंगाली अभिनेत्री की 27 साल में निधन हो जाता है और इसकी वजह कीटो डाइट बताई जा रही है |ये अभिनेत्री मिष्टी मुखर्जी है जिनके देहांत की खबर 2 अक्टूबर को सबको लगी बताया जाता है की इनकी मौत का कारन किडनी का फेल हो जाना बताया जा रहा है |और किडनी के फेल होने का कारण कीटो डाइट बताया जा रहा है | क्योकि एक 27 साल की अभिनेत्री को इस तरह सेचला जाना अजीब के साथ -साथ रहस्य्मयी भी है | और इसलिए लोगों में ये भी क���तुहल हुआ की आखिर ये कीटो डाइट है की लोग इसे क्यों लेते है |इसका पूरा इतिहास आपको बताते है | क्योकि कोई डाइट अगर आप बिना डॉक्टर के सलाह के लेते है तो वो नुकसान करता ही है | कोई की कई ऐसी कम्पनिया है जो इसके बहुत ही भ्रामक प्रचार करते है |
#वजन घटाने#यूनानीचिकित्सकों#मीडियाकाअटैंशन#मिष्टीमुखर्जीकादेहांत#मिष्टीमुखर्जी#महिलाओंपरज्यादाप्रभाव#मिर्गी#बॉडीस्ट्रक्चर#फिल्मइंडस्ट्री#फैट#बंगालीअभिनेत्री#बॉडी#तुंरतवज़नघटाने#डाइट#चिटफ़ंडस्कैम#डायटीशियन#ग्लैमरऔरबाज़ारवादकादबाव#ग्लैमरवर्ल्ड#क्विकवेटलॉसप्रोग्राम#खाद्यसामग्री#कीटोडाइटचार्ट#कीटोन#कीटोडाइटproblem#mishtimukharjee#acetone
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कविता - प्रेम विवाह का चक्रव्यूह
*पिता और बेटी की अग्निपरीक्षा*
*प्रेम विवाह का चक्रव्यूह*
जब एक माता-पिता की लाड़ली को,
किसी से प्रेम हो जाता है,
घर में भूचाल,
और रिश्तों में भूकम्प आ जाता है,
इमोशनल ब्लैकमेल का,
सिलसिला पहले शुरू होता है,
मरने की धमकी के साथ,
यह सिलसिला चलता रहता है।
बेटी कहती है...
प्रेम तो जाति-पाति,
देखकर नहीं होता,
प्रेम तो अमीरी-ग़रीबी,
देखकर नहीं होता,
प्रेम तो शरीर,
देखकर नहीं होता
पहली नज़र में,
प्यार हो जाता है,
या किसी की अच्छाईयों पर,
दिल फ़िदा हो जाता है।
भावनात्मक जुड़ाव तो,
दूसरे विपरीत लिंग से,
हॉर्मोनल बदलाव के कारण,
कभी न कभी आता ही है,
इस युवा उम्र में,
मनचाहा जीवनसाथी,
हर एक युवा दिल चाहता है,
जिसके साथ जीवन बिताना होता है।
भारत में विवाह,
वर चुनने का अधिकार,
कन्या को कभी मिला ही नहीं,
राजा-महाराजाओं ने भी,
राजकुमारी की खुशियों के लिए स्वयंवर रचा नहीं,
राजनीतिक लाभ हेतु ही,
सदा स्वयंवर रचा गया,
तरह तरह की प्रतियोगिता का,
स्वयंवर में आयोजन किया गया,
जीते हुए प्रतियोगी को,
राजकुमारी पुरस्कार स्वरूप दिया गया।
बाद में...आम जनता ने...
जाति-पाति और ऊंच नीच के चक्कर में,
विवाह व्यवस्था को और ज्यादा जटिल बना दिया,
दहेज़ प्रथा और ख़र्चीली शादी को,
सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़ दिया,
अपनी जाति में विवाह की प्रतिबद्धता ने,
लड़कियों की मुसीबतों को बढ़ा दिया।
अजीब कशमकश है.....
प्रेम बेटी को माता-पिता से भरपूर है,
लेक़िन बेटी को,
अब प्रेम किसी और से भी हो गया,
लोग क्या कहेंगे,
उसे इसकी परवाह नहीं।
उसका दिल तो बस यह चाहता है,
माता-पिता की सहमति और आशीर्वाद से,
यह प्रेम विवाह हो।
पिता को प्रेम तो बेटी से भरपूर है,
लेक़िन सामाजिक मान प्रतिष्ठा का ख्याल भी है,
लोग क्या कहेंगे,
इसकी जरूरत से ज्यादा परवाह भी है,
रिश्तेदार नातेदार मुहल्ले के बीच,
ऊँची नाक रखना भी है,
साथ मे दिल से,
बेटी को खुश रखने की चाह भी है,
पिता की बस चाहत है,
सामाजिक प्रतिष्ठा बनी रहे,
बेटी भी खुश रहे,
ऐसा बेटी का विवाह हो।
अब चयन करना है...
बेटी को,
अपने पिता के प्रेम में,
और अपने प्रेमी के बीच,
अब चयन करना है...
पिता को,
अपनी बेटी की खुशियों,
और अपने मान प्रतिष्ठा के बीच,
बड़ा कठिन धर्म युद्ध है,
दिल दिमाग़ में उठा भूकंप है।
पिता सत्य समझने को तैयार नहीं...
जन्म से सभी निम्न हैं,
कर्म से बनते सब श्रेष्ठ हैं,
जन्म से जब कोई डॉक्टर-इंजीनियर-वकील,
जब नहीं बन सकता,
तो फ़िर जन्म पाकर,
कोई श्रेष्ठ कैसे बन सकता है?
👇🏻
��े पिता!
कर्म प्रधान,
विधाता ने यह सृष्टि रची है,
कर्मफलों ने,
सबकी क़िस्मत रची है,
फ़िर बेटी के वर के,
वर्तमान कर्म को छोड़ के,
उसके जन्मजात कुल खानदान की,
परवाह क्यों है?
हाथ में स्मार्टफ़ोन,
और दिल में सड़ी गली रूढ़िवादी सोच क्योँ है?
👇🏻
हे बेटी!
कहीं तू कोई,
जल्दबाज़ी में तो निर्णय नहीं कर रही,
बचपना और खिलौना मांगने जैसी,
ज़िद और हरकत तो नहीं कर रही है।
👇🏻
हे बेटी!
क्या विवेक की कसौटी से,
तूने अपने अपने प्रेम को समझा है,
ठण्डे दिमाग़ से,
क्या इसे गहराई से परखा है।
जिस गुड़िया गुड्डे,
और खिलौने की कार के लिए,
बचपन मे तूने जिद की थी,
वो 10 वर्षों बाद,
अब महत्त्व खो चुके हैं,
क्या यह तुम्हारा चयनित प्रेम,
आज से 10 वर्षो बाद भी,
तुम्हारे लिए,
इतना ही मायने रखेगा?
कहीं ऐसा तो नहीं,
जो हाल बचपन में,
खिलौनो का हुआ,
वही हाल इस रिश्ते का,
तो नहीं होगा न?
लव इन फर्स्ट साइट,
और डिवोर्स इन फर्स्ट फाइट,
तो नहीं होगा न?
👇🏻👇🏻👇🏻
विवेक दृष्टि से,
और खुले दिमाग से,
माता-पिता और बेटी को,
प्रेम के इस नए रिश्ते पर,
विचार करना चाहिए,
झूठी समाजिक प्रतिष्ठा के लिए,
हे पिता,
बेटी की खुशियों का गला नहीं घोंटना चाहिए,
हे बेटी,
जल्दबाजी में निंर्णय नहीं करना चाहिए,
प्रेम में भी विवेकपूर्वक विचार करना चाहिए।
👇🏻
हे पिता,
जमाना बदल रहा है,
सोच भी बदल लो,
वैज्ञानिक अध्यात्म की कसौटी से,
जाति-पाती और वर्ण व्यवस्था को समझ लो,
लोग क्या कहेंगे,
इसकी परवाह मत करो,
बेटी की खुशियों के लिए,
सही रिश्ता हो तो,
खुले मन से स्वीकार लो।
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"पोंछू और बड्डी"
मैं बड्डी हु! समाज की नज़रो में, मैं एक आलिशान मकान में रहती हु, मेरे साथ रहने वाले मेरे सगे-संमंधी सब मेरा ख्याल रखते है! मेरी सारी ख्वाइश हमेशा पूरी करते है, मेरे साथ समय भी बिताते है और गलती हो जाने पर, प्यार से मुझे डाट भी लगा देते है, सही कहु तो मैं उनको बहुत परेशान करती हु उनके साथ खेलती हु मस्ती करती हु!
जैसे-जैसे आज के दौर में समाज बदल रहा है सबकी सुरक्षा की बाते होती रहती है फिर भी मेरे घरवालों ने मुझे कभी बाहर जाने से, कभी मना नहीं किया! मैं बचपन से ही अपनी इच्छा से बाहर चली जाया करती थी और थोड़ी बहुत देर बाद आ जाया करती! बचपन से उन लोगो ने मेरा पालन पोषण किया है हमेशा सबने मुझे समझा है और मैंने उनको! लेकिन हा कभी कभी जब में बाहर से आने में लेट हो जाती थी तो वो हमेशा मुझे डाट लागते थे, लेकिन कुछ समय बाद प्यार से मेरे माथे पर अपना हाथ रख कर मुझे समझाते थे! मैं भी उनको इशारो-इशारो में कह दिया करती थी कि आगे से ध्यान रखूगी! सब लोगो की मैं प्यारी थी, सबकी आँखों की दुलारी थी!
एक बार की बात थी अचानक मेरी तबीयत बहुत खराब हो गयी, ना ही मैं कुछ खा-पी रही थी और ना ही आज में किसी के साथ मस्ती कर पा रही थी! शायद कोई वायरस(कीटाणु) मेरे शरीर में प्रवेश कर गए थे जिसकी वजह से मैं अपने ���पको बहुत कमज़ोर महसूस कर रही थी! मेरी ऐसी हालत देख कर ��र के सब लोग बहुत परेशान हो गए! मैं खा नहीं पा रही थी और कोई खा नहीं रहा था घर का माहौल आज ऐसा था जैसा मैंने आजतक अपने सामने नहीं देखा था फिर तभी किसी ने मुझे अपनी गौद में उठाया और सीधा एक डॉक्टर के पास ले गए, तब मुझे इतना भी होश नहीं था कि मैं पहचान पाती, किसने मुझे गौद में उठाया है! डॉक्टर साहब ने जाते ही मुझे अच्छे से चेक किया और मेरे मुँह में कुछ दवाई डाली तब थोड़ी देर बाद मुझे होश आया फिर वो मुझे एक इंजेक्शन लगाने लगे! मैं आँखों में आंसू छीपाये अपने घर वालो को देखने लगी लेकिन वो कुछ नहीं बोले लेकिन उनकी आँखें सब बोल गयी! और मैं इंजेक्शन का डर अंदर ही अंदर दबा कर अपने घर वालो को ही देखती रही तब तक इंजेक्शन लग चुका था! मुझसे, डॉक्टर साहब बोले सही हो जाएगी अब कोई दिक्कत नहीं है फिर हम सब लोग घर वापस आ गए! फिर लगभग एक घंटे बाद मुझे दूध पिलाया गया और मैंने पी लिया कुछ ही दिनों में मैं एक दम पहले जैसी अच्छी स्वाथ्य हो गई!
मैं ऐसे ही मस्ती-मस्ती में पूरे मकान में उछलती कूदती रहती थी कभी इस कमरे में, कभी रसोई में और कभी छत्त पर, ऊपर-नीचे सब जगह में हमेशा खेलती रहती! एक दिन मुझ मेरेे शरीर में कुछ अजीब की हल चल महसूस हुई शायद एक हमसफर की तलाश थी मुझे! कुछ ही रोज़ बाद मुझे एक हमसफर की आवाज़े आने लगी शायद जिसकी मुझे अब जरूरत थी मैं अब ज्यादा तो नहीं लेकिन काफ़ी बड़ी हो गयी थी फिर एक दिन मैं ऐसे ही घर की छत पर घूम रही थी तब मैंने देखा एक हट्टा-खट्टा, फौजीयों के सामान तंदरुस्त एक दम भारी आवाज़ वाला मेरा हमसफर! जब मैंने उसे देखा तो मैं देखती रह गयी! उसने भी मुझे एक झलक देखा और कुछ समय मुझे घूरता रहा! मैं कुछ नहीं बोली बस उसे देखे जा रही थी तभी एक खूबसूरत लड़की छत्त पर आई और उसे जोर से आवाज़ दी "पुच्चु"..... और तभी वो उस खूबसूरत लड़की के पास चला गया! ये वो पल था जब मैंने उसे पहली बार देखा था
उसी दिन की शाम को मैं इतनी बेचैन हो उठी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैं उस सामने वाले मकान का दरवाजा खुलते ही उस घर में घुस गयी! तब मैंने उसे इतने नजदीक से पहली बार देखा! मैं उससे जाकर गले लगी वो भी मेरे चारो तरफ चक्कर लगाने लगा! मैं बहुत खुश थी उस समय! चाह रही थी कि उसके साथ और वक्त बिताऊ लेकिन मेरे सम्बन्धी मुझे बड्डी कह कर वहा से ले आये! फिर अक्सर में उससे मिलने,मौका देख कर निकल जाया करती थी लेकिन सच कहु वो बड़ा ज़ालिम था मुझे अक्सर देख कर भाव खाने लगता था फिर तो मैं उसे हमेशा लगे लगाती लेकिन वो शायद ��ेरे साथ खुश नहीं था ऐसा बार मुझे अनुभव हुआ!खैर ये सिलसिला काफ़ी महीनों तक चला, उसने शायद मेरे प्यार को महसूस नहीं किया या कर नहीं पाया! और एक समय हमारे लिए ऐसा आया कि मेरे घर वालो ने वो आशियाना बदल दिया और मेरा पहला प्यार सिर्फ मेरा ही रह कर रह गया! मैं फिर कभी उससे मिल नहीं पायी! इंसानी दुनिया मे उसे लैब्राडोर जाति का माना जाता है और मुझे जर्मन शेफर्ड! शायद यही वो वज़ह हो जिसकी वज़ह से हम एक नहीं हो पाए! या कुछ और, मैं समझ नहीं पायी! आज मेरी उम्र काफ़ी हो चुकी है लगभग 9-10 साल!
अब में बूढ़ी हो गयी हु! ना अब मैं पहले जैसे ऊपर नीचे घूमती हु,ना मैं ज्यादा मस्ती करती हु, ना किसी को परेशान करती हु और ना ही अब कोई ख्वाईश है लेकिन हाँ, एक लालसा जरूर है अंदर, मेरा पहला हमसफर मैं आज भी नहीं भूल पाई हु!
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