#टकराव
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टकराव
टकराव क्यों आज इतना समाज में कोई साजिश चल रही है इंसानों के स्वभाव में कहीं धर्म के नाम पर कहीं जाति के नाम पर इंसान लड़ रहा है अस्तित्व के नाम पर इंसान खुद कानून बन गया है अदालतें भी चुप हैं आशियाने ध्वस्त हो रहे न्याय के नाम पर, एक ऐसा दौर है जिसमें कोई फरियाद नहीं है फैसला सत्ता कर रही प्रशासन के नाम पर ।।
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*💐आज का विचार💐*
*२४।०८।२०२३*
जब तक साँस है टकराव मिलता रहेगा जब तक रिश्ते हैं घाव मिलता रहेगा पीठ पीछे जो बोलते हैं उन्हें पीछे ही रहने दे अगर हमारे कर्म भावना और रास्ता सही है तो गैरों से भी लगाव मिलता रहेगा
*॥ जय श्री राधे कृष्ण ॥*
*🌺🌷सुप्रभात🌷🌺*
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स्वरा भास्कर की शादी के बाद AMU में छात्रों के बीच टकराव
स्वरा भास्कर की शादी के बाद AMU में छात्रों के बीच टकराव #AMU #SwaraBhaskar #FahadAhmed
बॉलीवुड की विवादित अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने अभी हाल ही में समाजवादी पार्टी के नेता फहाद अहमद संग कोर्ट मैरिज की है. जिसकी तस्वीरें उन्होंने Social Media पर डालकर सभी को चौंका दिया था. स्वरा भास्कर ने लग्जरी चीजें छोड़कर एकदम सादे अंदाज में कोर्ट मैरिज की थी. विदित है कि अभिनेत्री की शादी के बाद तमाम सेलेब्स ने उनको शादी की बधाई दी है, जिसमें अभिनेत्री कंगना रणौत का भी नाम शामिल है. वहीं कुछ लोग…
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अगर ईसा मसीह होते तो…ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने क्रिसमस पर किया जंग का जिक्र
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने क्रिसमस पर ईसा मसीह को याद किया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि अगर हजरत ईसा मसीह हमारे बीच होते तो विश्व इम्पीरियलिज्म और जुल्म के सरगनाओं के खिलाफ जंग में एक लम्हा भी देर न करते. उन्होंने आगे लिखा कि वह अरबों इंसानों की भूख और परेशानी को कभी बर्दाश्त न करते, जो बड़ी ताक़तों के शोषण, जंग, भ्रष्टाचार, और टकराव की भेंट चढ़ रहे…
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रामप्रसाद की तेहरवीं फिल्म रिव्यु
परिवार के बनावटी रिश्ते!
रामप्रसाद की तेहरवीं फिल्म के मुख्य फिल्म सितारे प्लॉट: यह फिल्म राम प्रसाद के परिवार पर बनाई गई है जिनका स्वर्गवास हो गया है और उनके सभी 6 बच्चे जिनमें चार बेटे और दो बेटियां अपने पुश्तैनी घर पर अपने पिता की तेहरवीं पर आते हैं लेकिन वह सभी अपने पिता के जाने के दुख को बाँटने के बजाय अपनी ही समस्याओं में उलझ जाते हैं, आपस में ही लड़ने झगड़ने लग जाते हैं जो आज तक अपने माता-पिता को एक बार भी देखने नहीं आए,अब आए हैं तो पिता की तेहरवीं पर आपस में ही झगड़ रहे हैं उनकी मां उन सभी का चुपचाप तमाशा देख रही है पर कुछ नहीं बोलती| अब मां अकेली हो गई कौन सा बेटा उनको अपने साथ लेकर जाएगा? क्या वह अकेली ही इतने बड़े घर में रहेगी? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: इस फिल्म की टोन फैमिली ड्रामा है औरथीम फॅमिली एंड रिलेशनशिप पर है, इस फिल्म को बनाने का उद्देश्य आज के परिवारों की सच्चाई दिख���ना है कि आजकल के बच्चे अपने माता-पिता को नहीं पूछते| यह फिल्म इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करती है और छाप छोड़ने में कामयाब रही| फिल्म हमारे समाज की सच्चाई से रूबरू करवाती है एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: अम्मा के किरदार में सुप्रिया पाठक कपूर ने बहुत ही शानदार अभिनय किया है उन्होंने अपने किरदार को बहुत ही संपूर्णता से निभाया, उनका अभिनय उत्तम द���्जे का कहा जा सकता है पति को खोने का दर्द क्या होता है वह उन्होंने अपने चेहरे पर बखूबी चित्रित किया| राम प्रसाद के किरदार में नसीरुद्दीन शाह का रोल मेहमान भूमिका में है जितना भी उनका स्क्रीन टाइम था उन्होंने अपने रोड को अच्छे से निभा दिया| सीमा के किरदार कोंकणा सेन शर्मा का अभिनय भी अच्छा कहा जा सकता है, उनके अभिनय में बिल्कुल अलग तरह का एक ऐटिटूड, दुख, दर्द पीड़ा और अकेलापन पर्दे पर नजर आया| सपोर्टिंग कास्ट में परमब्रत चट्टोपाध्याय, विक्रांत मैसी, मनोज पाहवा, निनाद कामत, विनय पाठक, दीपिका अमीन, दिव्या जगदाले, सादिया सिद्दीकी, अनुभा फतेहपुरी, सारिका सिंह, बृजेंद्र काला, श्रीकांत वर्मा, राजेंद्र गुप्ता, पुष्पा जोशी, विनीत कुमार, अलका कौशल और यामिनी दास सभी ने अपने किरदारों को ठीक से निभाया है | निर्देशन: इस फिल्म को सीमा पाहवा ने निर्देशित किया है जो की जानी-मानी एक फिल्म अभिनेत्री भी है यह उनकी पहली हिंदी फिल्म डेब्यू Directorial है, उन्होंने कहानी को बहुत अच्छे ढंग से बताने की कोशिश की है फिल्म की गति थोड़ी सी धीमी जरूर है लेकिन फिल्म कहीं से भी पटरी से नहीं उतरती, वह कहानी में सही तरीके से तकरार और टकराव दिखा पाई, पहली फिल्म को ही सीमा पाहवा ने बहुत अच्छे से निर्देशित किया है, सभी चरित्रों को बहुत अच्छे से पर्दे पर चित्रित किया गया है, सभी का अभिनय असल जिंदगी के चरित्रों जैसा लगता है| कहानी-पटकथा: सीमा पाहवा की कहानी भी आज के दौर की है आज समाज में रिश्तों की कोई अहमियत नहीं रह गई है, पटकथा भी बहुत बढ़िया से लिखा गया है डायलॉग: सीमा पाहवा ने सभी चरित्रों के डायलॉग आपस में विश्वसनीय लगने वाले लिखे हैं, जो फिल्म की कहानी के मुताबिक बिल्कुल फिट बैठते हैं सभी के डायलॉग फिल्म की टोन और थीम से मैच करते हैं, फिल्म के कथन में डायलॉग ने सभी चरित्रों के भाव आदि को अच्छे से वर्णित किया हैं| संगीत और बैकग्राउंड स्कोर: इस फिल्म में सागर देसाई का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाया, सभी गीत फिल्म के बैकग्राउंड में ही चलाए गए हैं, बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के मूड और कहानी के हिसाब से sync करता है| लिरिसिस्ट: नीरज पांडे के लिखे सभी गीत भी कहानी के साथ अपने आप को जोड़ते हुए पाते हैं सिनेमैटोग्राफी: सुदीप सेनगुप्ता की पूरी फिल्म की सिनेमैटोग्राफी एक ही घर में फिल्माई गई है तो ज्यादा स्कोप फिल्म में नहीं था पर जितने भी ��ॉट घर के अंदर फिल्माए गए हैं वह बेहतरीन फिल्माए गए हैं साउंड डिजाइन: रेसुल पूकुट्टी और अमृत प्रीतम का साउंड डिजाइन बहुत ही बढ़िया है प्रोडक्शन डिजाइन: परिजात पोद्दार का प्रोडक्शन डिजाइन कहानी के मुताबिक किया गया है एडिटिंग: दीपिका कालरा की एडिटिंग थोड़ी सी कसी हुई हो सकती थी, फिल्म Slow pace की है दृश्यों के बीच की गति कमजोर है कॉस्ट्यूम डिजाइन: दर्शन जालान और मनीष तिवारी के कॉस्ट्यूम डिजाइन फिल्म की थीम और टोन से मेल खाते हैं| ओपिनियन: जो लोग कला फिल्में देखने के शौकीन है वह लोग यह फिल्म एक बार देख सकते हैं मैसेज: आज के परिवारों में रिश्तो और एक दूसरे से लगाव को संजोकर रखना बहुत जरूरी है क्लाइमेक्स: फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत बढ़िया बन पड़ा है| 67th फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: बेस्ट फिल्म, बेस्ट एक्ट्रेस क्रिटिक्स, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर, बेस्ट फिल्म क्रिटिक्स, बेस्ट स्टोरी, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के नॉमिनेशंस प्राप्त हुए थे फिल्म एक बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर सीमा पाहवा जीतने में कामयाब रही| CBFC-U Movietime-1h.53m Genre-Family Drama Backdrop-Lucknow Release-2021 फ़िल्मकास्ट: सुप्रिया पाठक कपूर, कोंकणा सेन शर्मा, परमब्रत चट्टोपाध्याय, विक्रांत मैसी, मनोज पाहवा, निनाद कामत, विनय पाठक, दीपिका अमीन, दिव्या जगदाले, सादिया सिद्दीकी, नुभा फतेहपुरा, सारिका सिंह, बृजेंद्र काला, श्रीकांत वर्मा, राजेंद्र गुप्ता, पुष्पा जोशी, विनीत कुमार, अलका कौशल और यामिनी दास, नसीरुद्दीन शाह (मेहमान भूमिका) प्रोडूसर:मनीष मुंद्रा, जिओ स्टूडियोज, लेखक और डायरेक्टर:सीमा पाहवा, साउंड डिज़ाइन:रेसुल पोकुट्टी अमृत प्रीतम कास्टूम डिज़ाइन:दर्शन जालान, मनीष तिवारी, म्यूजिक एंड बैकग्राउंड स्कोर:समीर देसाई, प्रोडक्शन डिज़ाइन: परिजात पोद्दार, एडिटर:दीपिका कालरा, सिनेमेटोग्राफी:सुदीप सेनगुप्ता, लिरिक्स:नीरज पांडेय, आर्ट डायरेक्शन:कृष्णा स्वैन, कास्टिंग: कास्टिंग बे Read the full article
#कोंकणासेनगुप्ता#ड्रामा#फॅमिलीड्रामा#मनोजपाहवा#रामप्रसादकीतेहरवीं#रामप्रसादकीतेहरवींफिल्म#रामप्रसादकीतेहरवींमूवी#विक्रांतमैसी#विनयपाठक#सीमापाहवा#सुप्रियापाठक
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दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान की समय सीमा तय होने से राजनीतिक बहस छिड़ गई है
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने स्कूलों को अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने, अतिक्रमण खत्म करने और उन्हें जन्म प्रमाण पत्र जारी करने से बचने का निर्देश दिया है। स्कूलों के पास अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए 31 दिसंबर तक का समय है, इस कदम से दिल्ली में अवैध अप्रवासियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच राजनीतिक टकराव बढ़ने की आशंका है।
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वास्तु फॉर किचन: एक संतुलित और समृद्ध रसोई बनाने के विशेषज्ञ टिप्स
रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ हमारा रसोईघर भी घर का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह वह स्थान है जहाँ हम अपने परिवार के लिए खाना पकाते हैं। लेकिन, रसोई केवल खाना पकाने के लिए नहीं है, बल्कि वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई का डिज़ाइन और स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है। आज के ब्लॉग में हम कुछ विशेषज्ञ टिप्स पर चर्चा करेंगे, जो आपके रसोईघर को वास्तु फॉर किचन सिद्धांतों के अनुसार संतुलित और समृद्ध बना सकते हैं।
रसोई के लिए वास्तु का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक कमरे में विशिष्ट ऊर्जा और तत्व होते हैं, और रसोई भी इसका एक हिस्सा है। अगर आपकी रसोई को वास्तु फॉर किचन गाइडलाइंस के अनुसार डिज़ाइन किया गया है, तो यह आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकती है, स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है, और समृद्धि और सफलता को आकर्षित कर सकती है। लेकिन अगर रसोई का वास्तु सही नहीं है, तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, वित्तीय अस्थिरता और परिवार में असमंजस जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
अगर आप अपनी रसोई को संतुलित और समृद्ध बनाना चाहते हैं, तो आपको रसोई के लेआउट, दिशा, डिज़ाइन और स्थिति के वास्तु सिद्धांतों को समझना होगा।
1. वास्तु किचन दिशा: रसोई की सही स्थिति
रसोई डिज़ाइन करते समय एक सबसे महत्वपूर्ण तत्व है वास्तु किचन दिशा। वास्तु के अनुसार, रसोई को आदर्श रूप से दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी हुई है, जो रसोई के लिए आवश्यक है। अगर दक्षिण-पूर्व कोना उपलब्ध नहीं है, तो आप उत्तर-पश्चिम दिशा को एक द्वितीय विकल्प के रूप में विचार कर सकते हैं।
उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई रखना पूरी तरह से अवॉयड करना चाहिए, क्योंकि यह जल तत्व से जुड़ी होती है, और यह अग्नि तत्व के साथ टकराती है, जिससे असंतुलन हो सकता है। दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में रसोई रखना भी उचित नहीं है, क्योंकि इससे स्वास्थ्य और वित्तीय समस्याएं हो सकती हैं।
2. वास्तु फॉर किचन लेआउट: ऊर्जा प्रवाह के लिए व्यवस्थित करें
रसोई का लेआउट भी ऊर्जा के प्रवाह को निर्धारित करता है। वास्तु फॉर किचन लेआउट के कुछ दिशानिर्देशों का पालन करके आप रसोई में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं:
कु��िंग एरिया: चूल्हे को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए, और खाना पकाने के समय आपको पूर्व दिशा में मुख करके खाना बनाना चाहिए। यह स्थिति अग्नि तत्व के साथ संरेखित होती है, और इससे समृद्धि और स्वास्थ्य मिलता है। अगर दक्षिण-पूर्व दिशा उपलब्ध नहीं है, तो आप दक्षिण दिशा को भी विचार कर सकते हैं, लेकिन चूल्हे को रसोई के मध्य में या खिड़की के ठीक नीचे न रखें, क्योंकि इससे अस्थिरता हो सकती है।
सिंक एरिया: सिंक को उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह जल तत्व को संतुलित करता है और अग्नि के साथ सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित करता है। चूल्हे और सिंक को एक साथ रखने से बचें, क्योंकि जल और अग्नि के बीच टकराव हो सकता है।
फ्रिज और स्टोरिज: फ्रिज को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए, और रसोई की स्टोरिज को पश्चिम या दक्षिण दीवारों पर रखा जाना चाहिए। इस स्थिति से ऊर्जा प्रवाह अवरुद्ध नहीं होगा।
3. वास्तु फॉर कुकिंग एरिया: रसोई का दिल
वास्तु फॉर कुकिंग एरिया चूल्हे और अन्य कुकिंग उपकरणों के विशिष्ट स्थान पर ध्यान केंद्रित करता है। चूल्हा रसोई का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, जो अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। अपनी रसोई को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखने के लिए:
हमेशा चूल्हे को पूर्व दिशा में रखें। इससे समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है।
चूल्हे को कभी भी ऊपर की बीम के नीचे न रखें, क्योंकि इससे दबाव महसूस होता है और खाना पकाने में भी परेशानी हो सकती है।
अगर आपके पास माइक्रोवेव या ओवन है, तो इन्हें चूल्हे के पास न रखें, ताकि चूल्हे की ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा न हो।
4. वास्तु फॉर किचन डिज़ाइन: रंग, सामग्री और प्रकाश
वास्तु फॉर किचन डिज़ाइन में रंगों, सामग्री और प्रकाश का चयन भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि लेआउट। रसोई के डिज़ाइन को संतुलित और सकारात्मक रखने के लिए निम्नलिखित टिप्स अपनाएं:
रंग: हल्के रंग जैसे सफेद, क्रीम, पीला और हल्का नारंगी रसोई में इस्तेमाल किए जाने चाहिए, क्योंकि ये सकारात्मक ��र्जा को उत्तेजित करते हैं। काले और गहरे नीले रंगों से बचें, क्योंकि ये ठहरे हुए और भारी ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
सामग्री: वास्तु में लकड़ी की सतहें शुभ मानी जाती हैं, लेकिन आप काउंटरटॉप्स के लिए स्टेनलेस स्टील या ग्रेनाइट का भी उपयोग कर सकते हैं। आप फर्श में संगमरमर का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन चूल्हे के आसपास संगमरमर का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करता है।
प्रकाश: रसोई में उचित प्रकाश महत्वपूर्ण है ताकि वातावरण जीवंत और ऊर्जा से भरपूर रहे। प्राकृतिक प्रकाश सबसे अच्छा होता है, इसलिए रसोई में खिड़कियाँ या वेंटिलेशन होना चाहिए। अगर आप कृत्रिम प्रकाश का उपयोग कर रहे हैं, तो उज्ज्वल और गर्म रोशनी का उपयोग करें।
5. समृद्ध रसोई के लिए अतिरिक्त टिप्स
वेंटिलेशन: रसोई में उचित वेंटिलेशन होना चाहिए, ताकि ताजा हवा circulate हो सके और नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल सके।
अव्यवस्था से बचें: रसोई को अव्यवस्था से मुक्त रखें। अव्यवस्था ठहरी हुई ऊर्जा उत्पन्न करती है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
आइने: रसोई में आइने लगाने से बचें, विशेष रूप से चूल्हे के पास। वास्तु के अनुसार, यह अशुभ माना जाता है।
निष्कर्ष
वास्तु फॉर किचन सिद्धांतों को अपनाकर आप अपनी रसोई को स्वास्थ्य, सामंजस्य और समृद्धि का स्रोत बना सकते हैं। वास्तु किचन दिशा, वास्तु फॉर किचन लेआउट और वास्तु फॉर कुकिंग एरिया पर ध्यान देकर, आप अपनी रसोई में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित कर सकते हैं। छोटे डिज़ाइन परिवर्तनों के साथ, आप अपने जीवन में सकारात्मक परिणाम ला सकते हैं और अपने घर को एक अच्छा, समृद्ध और शांतिपूर्ण वातावरण दे सकते हैं।
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सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल के दौरान नीतीश राणा-आयुष बडोनी के बीच तीखी नोकझोंक हुई। देखो | क्रिकेट समाचार
नितीश राणा और आयुष बडोनी। (तस्वीर साभार-एक्स) नई दिल्ली: द सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल में दिल्ली के पूर्व खिलाड़ी के रूप में एक उग्र क्षण देखा गया नितीश राणाअब के लिए खेल रहे हैं उतार प्रदेश।और दिल्ली के कप्तान आयुष बडोनी बुधवार को बेंगलुरु में मैदान पर तीखी नोकझोंक हुई।मैच के दौरान मौखिक टकराव बढ़ गया, जिससे खिलाड़ियों और अंपायरों का ध्यान आकर्षित हुआ। दोनों क्रिकेटर, जो अपनी…
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Aadivasiyon ka British van Kanunon ke Khilaph Vidroha
अठारवी सदी ��ें अंग्रेजों ने जब से वन क्षेत्र में घुसपैठ करनी शुरू कर दी जो आदिवासियों के वास स्थल थे और इस कारण उनके बीच सीधा टकराव शुरू हुआ। भारत में आदिवासी विद्रोहों के पहले 100 सालों (1760 के दशक से लेकर 1860 के दशक तक) में वन कानून नहीं थे और इस दौरान जंगलों से इमारती लकड़ी और अन्य संसाधनों का अनियंत्रित दोहन हुआ। इस सौ साल के दरमियान सैकड़ों आदिवासी विद्रोह हुए। इसमें से तिलका मांझी (1770-85) के नेतृत्व में जो विद्रोह हुआ उसके बाद अंग्रेजों के सामने वन क्षेत्र के रहने वाले आदिवासियों के संदर्भ में गंभीर सवाल खड़ा हुआ।
Click to Read More: https://www.deshbandhu.co.in/vichar/adivasis-revolt-against-british-forest-laws-86698-2
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विपक्ष ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाया अविश्वास प्रस्ताव, जानें क्या लगाए आरोप
Delhi News: राज्यसभा (Rajya Sabha) में जारी टकराव के बीच विपक्ष की तरफ से सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहले ही दावा किया गया था कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए जरूरी संख्या उनके पास है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन (Ranjeet Ranjan) ने मंगलवार को एनडीटीवी के साथ बात करते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी को उपराष्ट्रपति…
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𝑨𝒍𝒍𝒂𝒉 𝒌 𝑵𝒂𝒂𝒎 𝒔𝒆, 𝑨𝒍𝒍𝒂𝒉 𝒌 𝑾𝒂𝒔'𝒕𝒆.
🌹🌹 𝗖𝗛𝗢𝗢𝗦𝗘 𝗧𝗛𝗘 𝗘𝗔𝗦𝗬 𝗪𝗔𝗬:
♦️"𝘼 𝙟𝙤𝙪𝙧𝙣𝙚𝙮 𝙩��𝙬𝙖𝙧𝙙𝙨 𝙚𝙭𝙘𝙚𝙡𝙡𝙚𝙣𝙘𝙚".♦️
✨ 𝗦𝗲𝘁 𝘆𝗼𝘂𝗿 𝘀𝘁𝗮𝗻𝗱𝗮𝗿𝗱 𝗶𝗻 𝘁𝗵𝗲 𝗿𝗲𝗮𝗹𝗺 𝗼𝗳
𝗹𝗼𝘃𝗲 ❗
*(اپنا مقام پیدا کر...)*
؏ *تم جو نہ اٹھے تو کروٹ نہ لے گی سحر.....*
🔹𝟭𝟬𝟬 𝗣𝗥𝗜𝗡𝗖𝗜𝗣𝗟𝗘𝗦 𝗙𝗢𝗥
𝗣𝗨𝗥𝗣𝗢𝗦𝗘𝗙𝗨𝗟 𝗟𝗜𝗩𝗜𝗡𝗚. 🔹
(ENGLISH/اردو/हिंदी)
9️⃣8️⃣ 𝗢𝗙 1️⃣0️⃣0️⃣
💠 𝗖𝗛𝗢𝗢𝗦𝗘 𝗧𝗛𝗘 𝗘𝗔𝗦𝗬 𝗪𝗔𝗬:
𝗛𝗮𝘇𝗿𝗮𝘁 𝗔𝗶𝘀𝗵𝗮 (𝗿.𝗮.), 𝘁𝗵𝗲 𝘄𝗶𝗳𝗲 𝗼𝗳 𝘁𝗵𝗲 𝗣𝗿𝗼𝗽𝗵𝗲𝘁 𝗼𝗳 𝗜𝘀𝗹𝗮𝗺ﷺ, 𝗽𝗿𝗼𝘃𝗶𝗱𝗲𝘀 𝗮 𝗴𝘂𝗶𝗱𝗶𝗻𝗴 𝗽𝗿𝗶𝗻𝗰𝗶𝗽𝗹𝗲. 𝗦𝗵𝗲 𝘀𝗮𝗶𝗱: "𝗪𝗵𝗲𝗻𝗲𝘃𝗲𝗿 𝘁𝗵𝗲 𝗣𝗿𝗼𝗽𝗵𝗲𝘁ﷺ 𝗵𝗮𝗱 𝘁𝗼 𝗰𝗵𝗼𝗼𝘀𝗲 𝗯𝗲𝘁𝘄𝗲𝗲𝗻 𝘁𝘄𝗼 𝗰𝗼𝘂𝗿𝘀𝗲𝘀, 𝗛𝗲ﷺ 𝘄𝗼𝘂𝗹𝗱 𝗮𝗹𝘄𝗮𝘆𝘀 𝗼𝗽𝘁 𝗳𝗼𝗿 𝘁𝗵𝗲 𝗲𝗮𝘀𝗶𝗲𝗿 𝗼𝗻𝗲."
(Sahih al-Bukhari, Hadith, No. 3560)
● This means that whenever the Prophetﷺ had two options before Himﷺ in any matter, Heﷺ would always abandon the harder option in favor of the easier one.
● Thus, whenever the Prophetﷺ had to choose between avoidance and confrontation, Heﷺ always abandoned the method of confrontation and opted for the method of avoidance.
● Similarly, when Heﷺ had the opportunity to choose between war and peace, Heﷺ would always opt for peace.
● This is wisdom.
● The advantage of this wisdom is that one can save oneself from further harm and can manage his affairs successfully.
● In every situation, both methods are always available.
● But wisdom lies in following the example we find in the life of the Prophet of Islamﷺ.
🌹🌹And Our ( Apni ) Journey Continues...
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؏ منزل سے آگے بڑھ کر منزل تلاش کر
مل جائے تجھکو دریا تو سمندر تلاش کر
8️⃣9️⃣ آسان طریقہ کا انتخاب کریں:
پیغمبر اسلامﷺ کی اہلیہ حضرت عائشہ رضی اللہ عنہ ایک رہنما اصول فراہم کرتی ہیں۔ انہوں نے کہا: "جب بھی نبی صلی اللہ علیہ وسلم کو دو کام میں سے ایک کا انتخاب کرنا ہوتا تو اپﷺ ہمیشہ آسان کام کو اختیار کرتے۔"
(صحیح البخاری، حدیث نمبر 3560)
● اس کا مطلب یہ ہے کہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم کے سامنے جب بھی کسی معاملے میں دو آپشن ہوتے تو آپﷺ ہمیشہ مشکل کو آسان کے حق میں چھوڑ دیتے تھے۔
● چنانچہ جب بھی نبی صلی اللہ علیہ وسلم کو اجتناب اور تصادم میں سے کسی ایک کا انتخاب کرنا پڑا تو اپﷺ نے ہمیشہ تصادم کا طریقہ ترک کیا اور اجتناب کا طریقہ اختیار کیا۔
● اسی طرح جب اپﷺ کو جنگ اور امن میں سے کسی ایک کو چننے کا موقع ملتا تو اپﷺ ہمیشہ امن کا انتخاب کرتے۔
● یہ حکمت ہے۔
● اس حکمت کا فائدہ یہ ہے کہ انسان اپنے آپ کو مزید نقصان سے بچا سکتا ہے اور اپنے معاملات کو کامیابی سے چلا سکتا ہے۔
● ہر صورت میں، دونوں طریقے ہمیشہ دستیاب ہوتے ہیں۔
● لیکن حکمت اس مثال کی پیروی میں مضمر ہے جو ہمیں پیغمبر اسلامﷺ کی زندگی میں ملتی ہے۔
🌹🌹اور ہمارا سفر جاری ہے...
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9️⃣8️⃣ आसान रास्ता चुनें:
इस्लाम के पैगम्बरﷺ की पत्नी हजरत आयशा (र.अ.) एक मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा: "जब भी पैगम्बरﷺ को दो रास्तों में से एक को चुनना होता था, तो पैगम्बरﷺ हमेशा आसान रास्ता चुनते थे।"
(साहिह अल-बुखारी, हदीस, नंबर 3560)
● इसका अर्थ यह है कि जब भी किसी मामले में पैगम्बरﷺ के सामने दो विकल्प होते थे तो पैगम्बरﷺ हमेशा कठिन विकल्प को छोड़कर आसान विकल्प को अपना लेते थे।
● इस प्रकार, जब भी पैगम्बरﷺ को टालने और टकराव के बीच चयन करना पड़ा, तो उन्होंनेﷺ हमेशा टकराव का रास्ता छोड़ दिया और टालने का रास्ता चुना।
● इसी प्रकार, जब भी आपकेﷺ सामने युद्ध और शांति के बीच चयन करने का अवसर आया, तो आप��ेﷺ हमेशा शांति का ही चुनाव किया।
● यह बुद्धिमत्ता है.
● इस बुद्धि का लाभ यह है कि व्यक्ति स्वयं को आगे होने वाली हानि से बचा सकता है तथा अपने मामलों का सफलतापूर्वक प्रबंधन कर सकता है।
● हर स्थिति में, दोनों रास्ते सदैव उपलब्ध रहते हैं।
● लेकिन बुद्धिमत्ता इस बात में है कि हम इस्लाम के पैगम्बरﷺ के जीवन में जो उदाहरण पाते हैं उसका अनुसरण करें।
🌹🌹और हमारा सफर जारी है...
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PE Therapy: Best Sexologist Patna, Bihar India | Dr. Sunil Dubey
दुबे क्लिनिक में आप सभी का स्वागत है। आज का यह टॉपिक उन सभी लोगो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है जो अपने यौन क्रिया में समय से पहले होने वाले स्खलन से परेशान है। वैसे तो यह कोई गुप्त या यौन समस्या नहीं है लेकिन यह किसी व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बन सकता है जब दोनों पार्टनर्स अपने-अपने यौन क्रिया से संतुष्ट नहीं है। शीघ्रपतन का शाब्दिक अर्थ है - किसी भी क्रिया को करते समय कम समय में स्खलित हो जाना। यह शब्द मुख्य रूप से यौन क्रिया से जुड़ा है जो पुरुषों के स्खलन से संबंधित है जिसमें समय का अभाव होता है।
शीघ्रपतन पुरुषों में होने वाला यौन सह मनोवैज्ञानिक समस्या है ...
यदि आप पुरुष है और आप शीघ्रपतन से पीड़ित हैं, तो आपको इस गुप्त व यौन समस्या के बारे में निश्चित रूप से जानना चाहिए। वास्तव में, भारत के 35-40% लोग (18 वर्ष से ऊपर) इस मनोवैज्ञानिक यौन विकार से प्रभावित हैं। पुरे दुनिया में, 30-35% लोग अपने यौन जीवन में इस शीघ्रपतन समस्या की रिपोर्ट करते हैं। पुरुषों में होने वाले इस गुप्त व यौन समस्या (शीघ्रपतन) के दो अर्थ निकलते हैं। सबसे पहले, यह एक गुप्त समस्या नहीं है, बल्कि यौन शिक्षा का अभाव और आत्म-जागरूकता में कमी के कारण, यह व्यक्ति के यौन जीवन में घटित होती है। दूसरे, यह एक मनोवैज्ञानिक यौन समस्या है और यह व्यक्ति के यौन जीवन को प्रभावित करती है, जिससे पति-पत्नी (जोड़े) के बीच संघर्ष होता है।
शीघ्रपतन की परिभाषा: पुरुषों में होने वाले शीघ्रपतन एक ऐसी स्थिति है जिसमें उसका स्खलन अपेक्षित समय से पहले होता है, अक्सर प्रवेश के 1-2 मिनट के भीतर, ज��ससे व्यक्ति के यौन जीवन या युगल की अंतरंगता में निराशा और परेशानी होती है। भविष्य में, यह समस्या जोड़े के बीच रिश्तों के टकराव का कारण बनता है। पुरुषों में यह स्खलन अपने साथी में प्रवेश के पहले, के दौरान, या तुरंत बाद होता है जो कि उनके संभोग के लिए पर्याप्त समय के अभाव को दर्शाता है। विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे जो कि पटना के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं, बताते हैं कि भारत में अधिकांश सेक्सोलॉजिस्ट शीघ्रपतन के इलाज के नाम पर लोगों को ठगते हैं। दरअसल, भारत में 10 में से 4 पुरुष इस गुप्त व यौन समस्या से संघर्ष करते हैं और वे अपने लिए सही यौन स्वास्थ्य चिकित्सक चुनने में भ्रमित हो जाते हैं और परिणाम यह होता है कि लोग आयुर्वेद और इसके चिकित्सा व उपचार पर उंगली उठाते हैं।
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सही सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर का चुनाव ...
जैसा कि हम सभी लोग जानते है कि किसी भी गुप्त या यौन समस्या का समाधान केवल और केवल आयुर्वेद चिकित्सा व उपचार में ही मौजूद है। आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ व सेक्सोलॉजिस्ट शीघ्रपतन व किसी भी तरह के गुप्त व यौन रोगी के लिए सटीक इलाज प्रदान करते हैं। इसके पीछे का वास्तविक कारण यह है कि शीघ्रपतन के प्रकार और प्रकृति के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसकी दवा तैयार की जाती है, जिसे आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी में विशेषज्ञता रखने वाले सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर ही सही से पहचान कर सकते हैं। शीघ्रपतन का इलाज एक लंबी प्रक्रिया है जहां बहुत सारे लोग विज्ञापनों या झोला-झाप नीम-हकीम के झांसे में आ जाते हैं और घंटों और मिनटों में इलाज की प्रक्रिया देखकर वहां चले जाते हैं। इस स्थिति में, वे प्रामाणिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर को चुनने से चूक जाते हैं जो उनका सही तरीके से इलाज कर सकते थे और उनकी समस्या को स्थायी रूप से ठीक कर सकते थे।
पुरुषों में शीघ्रपतन के प्रकार ...
समस्या के प्रकृति के अनुसार, पुरुषों में होने वाले शीघ्रपतन को तीन भागों में बांटा गया है -
प्राथमिक शीघ्रपतन: आजीवन स्थिति।
द्वितीयक शीघ्रपतन: अधिग्रहित स्थिति।
प्राकृतिक परिवर्तनशील शीघ्रपतन: ��रिवर्तनशील स्थिति।
निम्नलिखित कारणों से व्यक्ति शीघ्रपतन से संघर्ष कर सकता है –
डॉ. सुनील दुबे जो कि बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी हैं, उन्होंने अपने आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी के करियर में, अपने पांच साल का नेतृत्व पुरुषों और महिलाओं के विभिन्न गुप्त व यौन विकारों के आयुर्वदिक उपचार हेतु शोध में बिताए। वे दुबे क्लिनिक में प्रतिदिन अभ्यास करते हैं जो पटना के लंगर टोली, चौराहा में स्थित है। यह आयुर्वेदिक क्लिनिक अपने प्रमाणित और गुणवत्ता-सिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार के लिए पुरे भारत में प्रसिद्ध है। अपने दैनिक अभ्यास व अनुभव के आधार पर, वे कहते हैं कि अधिकांश पुरुष गुप्त व यौन रोगी अपने शीघ्रपतन और स्तंभन दोष के इलाज के लिए इस क्लिनिक में आते हैं। उनका कहना है कि आमतौर पर शीघ्रपतन एक मनोवैज्ञानिक यौन विकार है, लेकिन कुछ अन्य कारक भी इस यौन विकार से पीड़ित व्यक्ति को प्रभावित करते हैं।
मनोवैज्ञानिक कारक: चिंता, तनाव और अवसाद ये सारे मनोवैज्ञानिक कारक हैं, जिसके कारण व्यक्ति अत्यधिक या दीर्घकालिक तनाव के कारण शीघ्रपतन की समस्या से पीड़ित हो सकता है।
न्यूरोलॉजिकल कारक: न्यूरोलॉजिकल कारकों के मामले में, व्यक्ति शीघ्रपतन से संघर्ष कर सकता है। ये न्यूरोलॉजिकल कारक के वजह से तंत्रिका क्षति और न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन हो सकते हैं।
हार्मोनल कारक: कम सेरोटोनिन और उच्च डोपामाइन दोनों हार्मोनल कारक हैं जो पुरुष की उसकी यौन गतिविधि में शीघ्रपतन का कारण बन सकते हैं।
शारीरिक कारक: प्रोस्टेट की समस्याएं, मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) और स्तंभन दोष ये सारे शारीरिक कारक हैं जो किसी पुरुष के यौन गतिविधि में शीघ्रपतन का कारण बन सकते हैं।
जीवनशैली कारक: व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जीवनशैली हमेशा मायने रखती है। धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन और नींद की गुणवत्ता में कमी वे सभी जीवनशैली कारक हैं जो किसी व्यक्ति को शीघ्रपतन की ओर ले जा सकते हैं।
शीघ्रपतन की समस्या से स्थाई समाधान ...
डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से शीघ्रपतन वीर्य, जीवन शक्ति और मन का विकार का प्राकृतिक समाधान मौजूद है। दरअसल, शीघ्रपतन की स्थिति में व्यक्ति यौन ऊर्जा की कमी, कमजोरी और भावनात्मक और मानसिक स्थिति में गड़बड़ी से ग्रस्त होता है। उनका कहना है कि हर्बल उपचार, आयुर्वेदिक नुस्खे, आहार संबंधी सलाह, पंचकर्म चिकित्सा, घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव किसी भी गुप्त व यौन समस्याओं को सुधारने के लिए प्रभावी और प्राकृतिक प्रक्रियाएं हैं।
अपने चिकित्सा व उपचार में, वे सभी तरह के गुप्त व यौन समस्याओं के समाधान करने के लिए आवश्यक प्राकृतिक प्रक्रियाएं प्रदान करते हैं। सर्वोत्तम परिणाम के लिए, यौन रोगी को दुबे क्लिनिक में जाना चाहिए जो भारत का प्रमुख आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक है। पुरे भारत से गुप्त व यौन रोगी इस क्लिनिक से अपने-अपने इलाज व उपचार के लिए इस अपॉइंटमेंट लेते है।
अधिक जानकारी के लिए:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, सीनियर और गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट
आयुर्वेद में पीएचडी (यूएसए), बी.ए.एम.एस. (रांची), एम.आर.एस.एच. (लंदन)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
वेन्यू: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
क्लिनिक खुलने-बंद होने का समय: सुबह 08:00 बजे से शाम 08:00 बजे तक (प्रतिदिन)
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UP: दबंग मुस्लिमों ने तोड़ी थी मजार, बनवाने के लिए आगे आए हिंदू; 150 साल है पुरानी
उत्तर प्रदेश में एक ओर जहां मंदिर-मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर इन सब विवादों से परे हिंदू-मुस्लिम मिलकर सांप्रदायिक सौहार्द की एक अनोखी मिसाल पेश करते हुए दिख रहे हैं. ये मिशाल देखने को मिल रही है मुजफ्फरनगर जिले के उसी बुढ़ाना इलाके में, जहां कुछ महीने पहले हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच टकराव स्थिति बनी थी. बुढ़ाना में तीन दिन पूर्व मुस्लिम समाज के ही कुछ लोगों द्वारा तोड़ी गई…
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Bhopal gas Tragedy | आखिर गलती किसकी 1984
भोपाल गैस त्रासदी ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक बड़ी चिंतन प्रक्रिया को जन्म दिया। इस त्रासदी को लेकर आज भी कई पहलू हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए। अधिक गहराई में जाने पर ��र भी महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं, जो हमें यह समझने में मदद करते हैं कि यह त्रासदी कैसे घटित हुई और किसकी जिम्मेदारी थी।
विकास और पर्यावरण
विकास और पर्यावरण: एक गंभीर टकराव
विकास की कीमत: भोपाल गैस त्रासदी एक उदाहरण बन गई कि कैसे विकास और पर्यावरण के ब���च संतुलन नहीं बनाए रखने से विनाश हो सकता है। इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि तेज़ी से बढ़ते औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण और सुरक्षा मानकों की अनदेखी से बड़े हादसों की संभावना बढ़ जाती है।
पर्यावरणीय प्रभाव: गैस के रिसाव के बाद पर्यावरण पर गहरा असर पड़ा। केवल मनुष्यों की ही नहीं, बल्कि आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र की भी भारी क्षति हुई। पशु और पौधे भी इस गैस के प्रभाव से प्रभावित हुए थे।
: एक गंभीर टकराव
विकास की कीमत: भोपाल गैस त्रासदी एक उदाहरण बन गई कि कैसे विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन नहीं बनाए रखने से विनाश हो सकता है। इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि तेज़ी से बढ़ते औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण और सुरक्षा मानकों की अनदेखी से बड़े हादसों की संभावना बढ़ जाती है।
पर्यावरणीय प्रभाव: गैस के रिसाव के बाद पर्यावरण पर गहरा असर पड़ा। केवल मनुष्यों की ही नहीं, बल्कि आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र की भी भारी क्षति हुई। पशु और पौधे भी इस गैस के प्रभाव से प्रभावित हुए थे।
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