#टकराया
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आज फिर ले आया दिल उस ही मोड़ पर
जहाँ टकराया था दिल उनसे |
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ओ रे केमरे वाले,
खिच ले मेरी तस्वीर यादगार के लिये |
��ैंने तो बसा लिया है तुझे अपनी आँखों में,
अगली मुलाक़ात के लिये |
ना नाम जानू मैं तेरा …
जानू में ना तेरा घर |
बस तेरा फ़ोटोग्राफी का शौक़ मालूम ,
बना कर अपनी मल्लिका …
ले चल मुझे अपने संग |
इस मोहब्बत की मूरत में …
टकराया तू मुझसे ऐसा ,
ले गया तू मेरा नज़ारे देखने का मौक़ा |
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सूरत एक्सप्रेस से टकराया मवेशी, बड़ा हादसा टला
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आज की ताजा खबर: भारतीय नौसेना का एक जहाज मछली पकड़ने वाले जहाज से टकराया
गुयाना में PM मोदी ने जॉर्जटाउन में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एचएसबेदी का निधन हो गया है. वह जस्टिस जसजीत सिंह बेदी के पिता हैं, जो वर्तमान में पंजाब और हरियाणा HC के न्यायाधीश हैं.इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के ऑर्डर पर इजराइल ने कहा कि ये हमारे अधिकार पर हमला है. आंध्र प्रदेश में CPI ने अडानी के साथ हुए सभी समझौतों को रद्द करने की मांग की.…
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227 सीता जी का जन्म
227 सीता जी का जन्मजनकपुर सीताजी के कृपा प्रसाद से सुख पाया है। उनके जन्म से पहले तो भीषण हाहाकार मचा था, वर्षा विहीन भूमि थी, सब प्यास से त्रस्त थे।जनक जी गुरुजी के पास गए, निवेदन किया कि वर्षा कैसे हो? गुरुजी ने जैसा कहा, जनक जी ने वैसा ही किया। तर्क नहीं किया।हल लिया, सुनयना जी को साथ लेकर लगे खेत जोतने, अचानक हल का फल किसी वस्तु से टकराया, देखा एक घट है, उसी घट से सीताजी प्रकट हुईं।बस उनके…
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एनएच 3 पर चलती गाड़ी पर गिरे पत्थर, सवार को बाजू में लगी चोट; गाड़ी का शीशा भी टूटा
एनएच 3 पर चलती गाड़ी पर गिरे पत्थर, सवार को बाजू में लगी चोट; गाड़ी का शीशा भी टूटा #Accident #Hamirpur
Hamirpur News: हमीरपुर अवाहदेवी सरकाघाट वाया टोणी देवी बन रहे एनएच 3 पर ��ड़ा हादसा पेश आया है। यहां एक चलती गाड़ी पर अचानक ऊपर पहाड़ी से पत्थर आ गिरा। पत्थर गाड़ी के शीशे को तोड़कर कार के अंदर आ घुसा। गनिमत ये रही की पत्थर गाड़ी के अंदर बैठ व्यक्ति की बाजू से टकराया, यदि पत्थर सिर पर लगता तो बड़ा हादसा हो सकता था। ढांगू निवासी आचार्य संजीव शर्मा ने बताया कि वो पाठ करने के लिए समीरपुर जा रहे थे।…
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Asteroid Passing Earth: धरती से क्यों नहीं टकराया Asteroid ON 2024? NASA...
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बिजली कटौती के कारण ठप हुई चीन की डिजिटल व्यवस्था, लोगों के पास ब्रेड खरीदने के लिए भी नकदी नहीं
यागी तूफान ने वियतनाम और चीन में तबाही मचा दी, जिसका असर आज भी दिख रहा है। छह सितंबर को यह तूफान चीन के हैनान प्रांत से टकराया था। यागी तूफान के कारण क्षेत्र में भारी बारिश हुई, जिससे आम जनजीवन काफी ज्यादा प्रभावित हुआ। इस तूफान ने चीन जो भारी तबाही मचाई, उसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि तूफान के कारण उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें बिजली…
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Earth and Venus are twin sisters, true
Earth and Venus are twin sisters, true
but Earth has a moon which was formed by a collision with Theia
and how did something collide with Venus and force it to rotate in the opposite direction?
A giant asteroid or other celestial object may have collided with Venus early in the formation of the Solar System, causing it to rotate in the opposite direction of most other planets. This is called retrograde rotation.
Other possible explanations for Venus's retrograde rotation include: The planet's atmosphere and Tidal forces.
Venus's rotation is very slow, taking about 243 Earth days to complete one spin.
In the crowded Solar System with fast objects like comets, there's a theory that something as big as Venus might have hit it, making it spin in the opposite direction. So, Venus's strange rotation might be from a cosmic collision during its early days.9 Jan 2024
Venus, backwards rotation and orbital period
BIRA-IASB
https://www.aeronomie.be › encyclopedia › venus-back...
Venus, backwards rotation and orbital period
Venus orbit around the Sun compared to Earth
Venus rotates around the sun in an elliptic orbit that is the most circular of any of the planets. The difference between its aphelion and its perihelion is only 1.5 million kilometres, which means its orbital eccentricity is only 0.007. For comparison, that of the Earth is 0.0167.
The inclination of Venus’ orbit to the ecliptic plane is about 3° 24'. Venus orbits the sun in the same direction as all the other planets and the time for one full tour is 224.70096 Earth days.
Venus retrograde rotation (on its own axis)
The rotational period of Venus on its own axis was unknown for a long time. Astronomers perceived small details in Venus’ atmosphere that implied that the clouds rotated in about 4 days, in the opposite direction to Venus’ orbital direction.
Finally, in 1962, radar penetrated the clouds and allowed us to measure the rotational period of the planet. Venus’ rotational speed is very slow : it turns once in 243.0185 Earth days, whereas the Earth turns in one. The planet rotates clockwise if viewed from the north pole. The sun rises in the west. We call this retrograde rotation (backwards compared to the Earth and most other planets).
Day night cycle and length of a year on Venus
So, the planet takes 243 days to turn on its axis and 224.7 days to orbit the Sun : a year on Venus is therefore shorter than a sidereal day (0.924 days to be exact).
The cause of this retrograde rotation is still poorly understood. The most likely explanation if a giant collision with another large body during the planet formation phase. The venusian atmosphere could also have played a role: heated by solar radiation, it would thicken; the tidal forces acting on Venus could then have slowed its rotation to the point of stopping the planet and even make it turn in the other direction.
This slow retrograde rotation is the origin of the solar day being shorter than the sidereal day. The latter are longer for planets characterized by anterograde rotation. The Earth, for example, has a solar day average of 24 hours and a sidereal day of 23h 56min 4.09s.
On Venus the solar day is a little less than half of the sidereal day i.e. 116 and ¾ Earth days (116d 18h). This means a little more than 2 complete solar days in one sidereal day! Venusian days and nights last almost 2 terrestrial months (58d 9h). However the thick atmosphere probably produces very gradual dusks and dawns.
Both are twins but there is a huge difference in their temperature. Earth has a maximum of 40 to 60 degrees but Venus has a temperature of 460 degrees.
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पृथ्वी और शुक्र जुड़वा बहन है सही
मगर पृथ्वी का एक चंद्रमाँ है जो थिया से टकराकर बने है
और मगर कैसे शुक्र से कोई टकराकर शुक्र को विपरीत दिशा में घुमने मे मजबूर किया है
सौरमंडल के निर्माण के आरंभ में शुक्र ग्रह से एक विशाल क्षुद्रग्रह या अन्य खगोलीय पिंड टकराया होगा, जिसके कारण यह अधिकांश अन्य ग्रहों की विपरीत दिशा में घूम रहा है। इसे प्रतिगामी घूर्णन कहते हैं। शुक्र के प्रतिगामी घूर्णन के लिए अन्य संभावित स्पष्टीकरणों में शामिल हैं: ग्रह का वायुमंडल और ज्वारीय बल। शुक्र का घूर्णन बहुत धीमा है, एक चक्कर पूरा करने में लगभग 243 पृथ्वी दिन लगते हैं। धूमकेतु जैसी तेज़ वस्तुओं से भरे सौरमंडल में, एक सिद्धांत है कि शुक्र जितनी बड़ी कोई चीज़ इससे टकराई होगी, जिससे यह विपरीत दिशा में घूम गया होगा। इसलिए, शुक्र का अजीबोगरीब चक्कर ��सके शुरुआती दिनों में ब्रह्मांडीय टकराव से हो सकता है।9 जनवरी 2024
शुक्र, पीछे की ओर घूमना और परिक्रमा अवधि
BIRA-IASB
https://www.aeronomie.be › encyclopedia › venus-back...
शुक्र, पीछे की ओर घूमना और परिक्रमा अवधि
पृथ्वी की तुलना में शुक्र सूर्य की परिक्रमा करता है
शुक्र सूर्य के चारों ओर एक अण्डाकार कक्षा में घूमता है जो किसी भी ग्रह की तुलना में सबसे अधिक गोलाकार है। इसके अपसौर और उपसौर के बीच का अंतर केवल 1.5 मिलियन किलोमीटर है, जिसका अर्थ है कि इसकी कक्षीय उत्केन्द्रता केवल 0.007 है। तुलना के लिए, पृथ्वी की उत्केन्द्रता 0.0167 है।
अण्डाकार तल पर शुक्र की कक्षा का झुकाव लगभग 3° 24' है। शुक्र सूर्य की परिक्रमा उसी दिशा में करता है जिस दिशा में अन्य सभी ग्रह करते हैं और एक पूर्ण चक्कर लगाने में 224.70096 पृथ्वी दिन लगते हैं।
शुक्र का प्रतिगामी घूर्णन (अपनी धुरी पर)
शुक्र का अपनी धुरी पर घूमने का काल लंबे समय तक अज्ञात था। खगोलविदों ने शुक्र के वायुमंडल में छोटे-छोटे विवरणों को देखा, जिससे पता चला कि बादल लगभग 4 दिनों में घूमते हैं, शुक्र की परिक्रमा दिशा के विपरीत दिशा में।
अंत में, 1962 में, रडार ने बादलों को भेद दिया और हमें ग्रह की घूर्णन अवधि को मापने की अनुमति दी। शुक्र की घूर्णन गति बहुत धीमी है: यह 243.0185 पृथ्वी दिनों में एक बार घूमता है, जबकि पृथ्वी एक दिन में घूमती है। उत्तरी ध्रुव से देखने पर ग्रह दक्षिणावर्त घूमता है। सूर्य पश्चिम में उगता है। हम इसे प्रतिगामी घूर्णन (पृथ्वी और अधिकांश अन्य ग्रहों की तुलना में पीछे की ओर) कहते हैं।
शुक्र पर दिन-रात का चक्र और एक वर्ष की लंबाई
इसलिए, ग्रह को अपनी धुरी पर घूमने में 243 दिन और सूर्य की परिक्रमा करने में 224.7 दिन लगते हैं: इसलिए शुक्र पर एक वर्ष एक नक्षत्र दिवस (सटीक रूप से 0.924 दिन) से छोटा होता है।
इस प्रतिगामी घूर्णन का कारण अभी भी कम ही समझा गया है। सबसे संभावित व्याख्या यह है कि ग्रह निर्माण चरण के दौरान किसी अन्य बड़े पिंड से विशालकाय टक्कर हुई होगी। शुक्र के वायुमंडल ने भी इसमें भूमिका निभाई होगी: सौर विकिरण से गर्म होकर यह घना हो गया होगा; शुक्र पर कार्य करने वाले ज्वारीय बलों ने इसके घूर्णन को इस हद तक धीमा कर दिया होगा कि ग्रह रुक गया होगा और यहां तक कि इसे दूसरी दिशा में मोड़ भी दिया होगा।
यह धीमा प्रतिगामी घूर्णन सौर दिवस के नाक्षत्र दिवस से छोटे होने का मूल है। ग्रहों के लिए उत्तरार्द्ध लंबे होते हैं, जिनकी विशेषता प्रतिगामी घूर्णन है। उदाहरण के लिए, पृथ्वी का सौर दिवस औसतन 24 घंटे का होता है और नाक्षत्र दिवस 23 घंटे 56 मिनट 4.09 सेकंड का होता है।
शुक्र पर सौर दिवस नाक्षत्र दिवस के आधे से थोड़ा कम होता है यानी 116 और ¾ पृथ्वी दिवस (116 दिन 18 घंटे)। इसका मतलब ��ै कि एक नाक्षत्र दिवस में 2 पूर्ण सौर दिवस से थोड़ा अधिक! शुक्र के दिन और रात लगभग 2 स्थलीय महीने (58 दिन 9 घंटे) तक चलते हैं। हालांकि घना वायुमंडल संभवतः बहुत धीरे-धीरे शाम और सुबह पैदा करता है।
जूड़वे जरूर है दोनों मगर तापमान में फर्क है बहुत
पृथ्वी ज्यादा से ज्यादा 40 से 60 है लेकिन शुक्र की 460
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कलेक्ट्रेट के सामने पुलिया से टकराया कंटेनर से भरा ट्रेलर, सड़क पर मच गई अफरा तफरी
न्यूज़ चक्र। कोटपूतली शहर की सर्विस लाइनों पर भारी वाहनों की आवाजाही पर स्थानीय प्रशासन रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। गुरुवार सुबह कलेक्ट्रेट दफ्तर के सामने एक ओवरलोडेड कंटेनर से भरा ट्रेलर पुलिया से टकरा गया, जिसके बाद कंटेनर सड़क पर बिखर गए। सर्विस लाइन पर जाम लग गया और लोग दहशत में आ गए। गनिमत रही कि सुबह का वक्त होने के चलते सर्विस लाइन पर ज्यादा आवाजाही नहीं थी और बड़ा हादसा टल…
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Best 50+ Dosti Breakup Shayari in Hindi | दोस्ती ब्रेकअप शायरी
हम आपके लिए हिंदी में Dosti Breakup Shayari in Hindi का अपना दिल को छू लेने वाला संग्रह पेश करते हैं, जो उन लोगों को समर्पित है जो अपने सच्चे दोस्तों से बिछड़ने का दुख महसूस करते हैं।. यहाँ प्रत्येक शायरी आपकी भावनाओं के साथ गहराई से जुड़ने के लिए तैयार की गई है।. ये विशेष Dosti Breakup Shayari आपको अपने दोस्तों के सामने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करने के लिए हैं, जिससे उन्हें आपकी अनुपस्थिति का एहसास हो। इसके अलावा, उन्हें पढ़ने से आपको सांत्वना और समझ का एहसास भी होगा। तो, आइए इन मार्मिक छंदों में एक साथ गोता लगाएँ और साझा भावनाओं में आराम पाएँ।.
Dosti Breakup Shayari Collection in Hindi हिंदी में दोस्ती ब्रेकअप शायरी
तुझे याद है ना दोस्त, तेरे कई वादों में एक वादा उम्र भर साथ निभाने का भी था…! कुछ पैसे बचा कर रक्खे है मैने, ख्वाब टूटे तो दोस्तो के साथ शराब पियूंगा…!
मैं जानता हु अपने साथ बुरा कर रहा हु, मेरे बस में होता तो मैं खुद को बचा लेता दोस्त…!
सबकी असलियत से वाकिफ है हम, खामोश है अंधे नही…!
दर्द की बात मत करो जनाब, जिसने भी दिया है बेमिसाल दिया है…!
एक शख्स ऐसा टकराया जिंदगी में, जिसने जान भी लेली और जिंदा भी छोड़ दिया…!
बोहोत थे मेरे भी इस दुनिया में, फिर हुआ इश्क और मैं लावारिस हो गया..!
सुना है सब कुछ मिल जाता है गूगल पर, अगर वफा मिले तो मुझे भी बताना..!
मैं डूबा तो समुन्दर को भी हैरत हुई, अजीब सक्स है किसी को पुकारा भी नही…!
Best Dosti Breakup Shayari in with image दोस्ती ब्रेकअप शायरी
परेशानियां तो हर किसी की जिंदगी में है साहब, उदासिया चेहरे पर दिखाई दे ये जरूरी तो नहीं…!
जब भी पीछे मुड़कर देखता हूँ, कुछ सपने दम तोड़ते हुए नज़र आते हैं…!
मेरी हसी पे ज्यादा ध्यान मत देना, मैं खुद को बरबाद करके बैठा हु…!
मेरे बारे में जितनी भी अफवाये सुनी सब सच है, मैं जो भी अपनी सफाई में में कह रहा हु सब झूठ है…!
कैसे करू मैं खुद को तेरे काबिल ए जिंदगी, जब भी मैं आदतें बदलता हु तू सरते बदल देती है…!
बोहोत बुरे दिन चल रहे है, आज अच्छा होगा कल अच्छा होगा, यही सोच सोच कर समय काट रहे है…!
वक्त ने छीन ली चेहरे की चमक, अब हम वैसे नही रहे जैसे पहले दिखते थे…!
2 Line Dosti Breakup Shayari
पता नही मेरी किस्मत किसने लिखी है, हर चीज अधूरी छोड़ रक्खी है…!
मजबूरियां देर रात तक जगती है, और जिम्मेदारियां शुभा जल्दी उठा देती है…!
पता नही कब खत्म होगी ज़िंदगी, सच में अब जीने का मन नहीं करता…!
इतनी लंबी उम्र की दुआ मत मांग मेरे लिए, ऐसा ना हो के तू भी छोड़ दे और मौत भी ना आए…!
��ोई क्या लगाएगा मेरे बरदास करने का अंदाजा, मैने मर जाने जैसा वक्त जी के गुजारा है…!
किसी और से नही मैं खुद से खफा हु, अपने इस हाल की मैं खुद ही वजा हु…!
जिन लोगो के पास तुम्हारे लिए टाइम नही, उनकी खास लिस्ट में तुम्हारा नाम नही…!
तेरी चाहत भी ए दोस्त बेमिसाल थी, मुझे मौत से पहले मारने की अच्छी चाल थी…!
Dosti Breakup Shayari Video
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Lakhimpur Kheri: विद्युत लाइन से ताजिया टकराने से लोग झुलस गए, करंट उतरने से ताजिया में आग लग गई, 10 से अधिक लोग झुलस
Lakhimpur Kheri: 180 फुट ऊंचा ताजिए को करीब 100 लोग लेकर जा रहे थे. 33 केवी लाइन में ताजिये का गुंबद टकराने से लोग झुलस गए. आठ लोगों को गम्भीर हालात में राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. एक की मौत हो गई. Lakhimpur Kheri जिले के अमीरनगर क्षेत्र में मुहर्रम पर जुलूस के दौरान दर्दनाक घटना हो गई. गरदहा गांव में गुरुवार को सुबह ताजिया निकाला जा रहा था. इस दौरान हाई टेंशन विद्युत लाइन से ताजिया टकराया गया.
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ओडिशा में चक्रवात दाना और बाढ़ से 14 जिलें प्रभावित, 5,840 घर पूरी तरह हुए क्षतिग्रस्त
ओडिशा और पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को आए चक्रवात दाना ने भारी तबाही मचाई. चक्रवात दाना करीब 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ओडिशा के पास धामरा तट से टकराया, जिसके बाद करीब 3 घंटे तक लगातार भूस्खलन होता रहा. वहीं, इस लैण्डफॉल से प्रभावित इलाकों में काफी नुकसान भी हुआ. ओडिशा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री ने रविवार को कहा कि चक्रवात दाना से कुल 35.95 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. राजस्व एवं…
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Saraikela kharsawan accident: सरायकेला- खरसावां मार्ग पर बाइक अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकराया, युवक गंभीर
सरायकेला : शनिवार देर शाम करीब 7:00 बजे के आसपास सरायकेला- खरसावां मार्ग पर बुरुडीह ओवरब्रिज पर एक बाइक अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गया जिसमें बाइक सवार 19 वर्षीय सुमित बेसरा गंभीर रूप से घायल हो गया. घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने घायल युवक को एंबुलेंस के माध्यम से सरायकेला सदर अस्पताल भेजा जहां से चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद एमजीएम रेफर कर दिया. मिली जानकारी के अनुसार घायल युवक…
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बिजली के पोल से जा टकराया बेकाबू ट्रक, भोजपुर समेत कई इलाकों की बिजली हुई गुल
Mandi News: सुंदरनगर शहर के भोजपुर में हाईवे पर शनिवार शाम को मंडी की ओर जा रहा एक ट्रक अचानक बेकाबू हो गया और बिजली के पोल से जा टकराया। पोल के साथ टक्कर होने से बिजली की लाइन भी टूट गई। इस कारण शहर के भोजपुर बाजार स्थित आसपास के क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति गुल हो गई। सूचना मिलने पर विद्युत विभाग के अधिकारियों ने मौका पर पहुंच कर लाइनों को दुरुस्त कराने का कार्य शुरू कर दिया, लेकिन इस टक्कर के…
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The story of Hanuman's rescue of Magri Apsara:
*🌳 हनुमान जी द्वारा मगरी अप्सरा का उद्धार की कथा 🌳*
राम और रावण की सेनाओं में भयंकर युद्ध चल रहा था। रावण का पुत्र मेघनाथ लक्ष्मण के सम्मुख युद्ध में रत था। तभी मेघनाथ ने लक्ष्मण पर अमोघ शक्ति नामक शस्त्र का प्रयोग किया, जो सीधा लक्ष्मण की छाती से टकराया।इससे लक्ष्मण मूच्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़े। जैसे ही हनुमान जी ने लक्ष्मण को देखा, वे तुरंत उनकी सहायता को दौड़ पड़े और उन्हें बांहों में उठाकर श्रीराम के शिविर की ओर चल दिए।
जब श्रीराम ने हनुमान जी द्वारा लक्ष्मण को लाते देखा उनका मुख मलीन हो उठा। उन्होंने आतुरता से हनुमान जी से पूछा – लक्ष्मण को क्या हुआ पवनपुत्र?”
हनुमान जी बोले – “प्रभु! दुष्ट मेघनाथ ने इन पर अमोघ शक्ति का प्रयोग किया है। जिसके कारण लक्ष्मण की चेतना लुप्त हो गई है।”
सुनकर श्रीराम की आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने भाव-विह्वलता से अपने चारों ओर खड़े अंगद, हनुमान, जांबवंत, नल-नील आदि की ओर देखा।
फिर सुग्रीव से बोले – ‘सुग्रिव जी! लक्ष्मण को मूर्छित हुए काफी देर हो चुकी है। अभी तक इन्हें होश नहीं आया। क्या आपकी सेना में ऐसा व्यक्ति नहीं है, जो इन्हें ठीक कर सके?”
श्रीराम का विलाप सुनकर हनुमान जी से न रहा गया। उन्होंने विभीषण से पूछा – “विभीषण जी! क्या लंका में कोई ऐसा वैद्य है, जो लक्ष्मण को ठीक कर सके?
विभीषण ने कहा – “राजवैद्य सुषेण बहुत ही योग्य वैद्य हैं। वह लक्ष्मण जी को ठीक कर सकते हैं, लेकिन समस्या यह है कि उनको यहां लाया कैसे जाए?”
हनुमान जी ने कहा – “आप मझे सिर्फ उनके घर की स्थिति समझा दीजिए।उन्हें लाना मेरे जिम्मे है।”
विभीषण ने उन्हें सुषेण वैद्य के घर की स्थिति बताई। हनुमान जी उसी क्षण लंका रवाना हो गए और जल्दी ही सुषेण वैद्य के मकान में जा पहुंचे।उन्होंने सोते हुए सुषेण को उठाया और सारी स्थिति समझाकर घर सहित अपने साथ ले आए। सुषेण ने लक्ष्मण की नाड़ी देखी और विविध ढंग से उनका परीक्षण करके चिंतायुक्त स्वर में कहा – “इनके समूचे जिस्म में विष फैल चुका है, इसलिए इनकी चेतना विलुप्त होती जा रही है। कल सूर्योदय तक उपचार न हुआ तो स्थिति और भी खराब हो सकती है।”
हनुमान जी ने कहा – “तभी तो आपको यहां लाया गया है वैद्य जी!आप इनका उपचार कीजिए और जैसे भी हो सके इन्हें होश में लाइए।”
सुषेण बोले – “उपचार दवाओं के बिना असंभव है। वे जड़ी बूटियां, जिनसे लक्ष्मण जी ठीक हो सकते हैं, मेरे पास उपलब्ध नहीं हैं।”
हनुमान जी बोले – “कहां मिलेगी ये जड़ी बूटियां वैद्यजी?”
सुषेण ने कहा – “बहुत दूर हिमालय पर्वत पर कैलाश और मान सरोवर झील के मध्य द्रोणाचल पर्वत पर। वे पांच जड़ी-बूटियां हैं, जिनका मिश्रण बनाकर लक्ष्मण जी को पिलाना पड़ेगा। जिसमें संजीवनी नामक बूटी प्रमुख है।”
सुषेण की बात सुनकर वानर दल में सन्ना��ा छा गया। इतनी दूर से जड़ी-बूटियां लाना, वह भी सूर्योदय से पहले। सभी को यह कार्य असंभव लगा। तभी हनुमान जी आगे बढ़े।उन्होंने श्रीराम को धैर्य बंधाते हुए कहा – “आप चिंतित न हों प्रभु! मैं आपका सेवक इस कार्य को पूरा करूंगा।”
यह सुनकर श्रीराम ने हनुमान जी को भाव-विभोर होकर छाती से लगा लिया। हनुमान जी ने श्रीराम के चरण स्पर्श किए और एक लंबी छलांग लगाकर आकाश मार्ग में उड़ चले।
उधर लंका में रावण के दूतों ने आकर बताया कि हनुमान जी लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर करने के लिए संजीवनी बूटी लाने द्रोणाचल गए हैं तो वह चिंतित हो उठा। उसने तत्काल अपने सहायक कालनेमि राक्षस को बुलाकर आदेश दिया – “कालनेमि! तुरंत द्रोणाचल की ओर प्रस्थान करो।बहनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणाचल पर्वत पर गया है। तुम अपनी माया से उससे पहले वहां पहुंचो और किसी तरह सूर्योदय से पहले तक उसे उलझाए रहो। हो सके तो उसे मार डालो।”
कालनेमि ने तुरंत रावण की आज्ञा का पालन किया। उसने अपनी माया फैलाई और हनुमान जी से पहले उनके मार्ग में जा पहुंचा। उसने एक जगह एक मायावी आश्रम बनाया – और स्वयं एक संन्यासी का रूप धारण करके हनुमान की प्रतीक्षा में बैठ गया।हनुमान को प्यास लगी हुई थी, आकाश मार्ग से उड़ते हुए उन्होंने नीचे तालाब के किनारे स्थित आश्रम देखा तो पानी पीने की इच्छा से वे नीचे उतर गए।उन्होंने साधु वेशधारी कालनेमि को प्रणाम किया और पानी पीने की इच्छा प्रकट की।
साधू बोला – “पवनपुत्र! यात्रा के तुरंत बाद पानी पी लेना हानिकारक होता है। इस तालाब में नहाकर थोड़ी थकान मिटा लो। फिर जल पीकर यात्रा पर रवाना हो जाना।”
हनुमान जी कालनेमि की योजनानुसार तालाब में स्नान करने लगे।बअभी उन्होंने पहली ही डुबकी लगाई थी कि एक विशाल मगर ने उनका पैर पकड़ लिया और जल में खींचने लगा।वास्तव में वह एक मादा मगरी थी। हनुमान जी ने पैर को झटका दिया तो उनका पैर मादा मगरी के मुंह से स्वतंत्र हो गया।साथ ही उन्होंने दूसरे पैर से लात भी मार दी। लात की मार से मगरी उलट गई। हनुमान जी ने उसके दोनों जबड़े पकड़े और नीचे से चीर डाला। तत्काल मगरी के प्राण पखेरू उड़ गए।तभी एक चमत्कार हुआ। उस मादा मगरी के स्थान पर एक अति सुंदरी अप्सरा प्रकट हो गई।
अप्सरा दोनों हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। हनुमान जी ने उससे पूछा – “तुम कौन हो सुंदरी और मगरी से एकाएक इस रूप में कैसे परिवर्तित हो गईं?”
अप्सरा ने कहा – “हे रामदूत! मैं अत्यंत आभारी हूं कि आपने मुझे इस योनि से मुक्ति दिला दी। मैं ब्र��्मलोक की अप्सरा धान्य मालिनी हूं।बएक बार महर्षि अंगिरा ने मुझसे कुपित होकर मगरी होने का शाप दिया था।मेरे अनुनय-विनय करने पर उन्होंने बताया था कि त्रेता युग में एक रामदूत के द्वारा तेरा उद्धार होगा। तभी से मैं इस तालाब में पड़ी अपने शाप मुक्त होने की प्रतीक्षा कर रही थी।वआज आपके प्रताप से शापमुक्त हो गई हूं।”
अप्सरा की बात सुनकर हनुमान जी बोले – “आज तो आश्चर्य पर आश्चर्य हो रहे हैं। पहले एक महात्मा मिले और अब आप। मैं तो आश्रम को देखकर अपनी प्यास बुझाने के लिए नीचे उतरा था।”
अप्सरा बोली – “पवनपुत्र! वह आश्रम एक धोखा है और उसके अंदर जो साधु है, वह दुर्दांत मायावी राक्षस कालनेमि है। वह रावण का गुप्तचर है।वह तुम्हें धोखे से मार डालना चाहता है। सावधान रहना और उसके कमंडलु का जल तो बिल्कुल भी मत पीना।उस जल में तीव्र विष है। जिसे पीते ही तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। तुमने मुझ पर उपकार किया है, इसलिए चाहती हूं कि इस उपकार का कुछ तो बदला चुका सकूं।” यह कहकर वह अप्सरा अदृश्य हो गई।
जब हनुमान जी आश्रम में पहुंचे तो कालनेमि ने मुस्कुराते हुए कमंडलु उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा – “नहाने से निवृत्त हो गए हो तो लो अब जल पीकर अपनी प्यास शांत कर लो।”
हनुमान जी ने कमंडलु लेने के बजाय उसके पेट में एक जोरदार घुसा दे मारा, जिससे वह राक्षस हाय करके नीचे गिर पड़ा।फिर उन्होंने उसे अपनी पूंछ में लपेटकर घुमाना आरंभ कर दिया। फिर जोर से भूमि पर पटक दिया। भूमि पर पड़ते ही कालनेमि की हड्डी-पसली टूट गई। उसके मुंह से एक तेज चीख निकली और उसने दम तोड़ दिया।
‘व्यर्थ में इतना समय नष्ट हुआ।’ यह सोचकर अब पवनपुत्र और वेग से द्रोणाचल की ओर उड़ चले। कुछ देर में ही वे द्रोणाचल पर जा पहुंचे।परंतु वहां पहुंचकर वे चकराकर रह गए और खड़े-खड़े सोचने लगे – ‘हे प्रभु! यहां तो सारे पर्वत पर प्रकाश फैला है। कैसे पहचानूं कि इनमें से संजीवनी बूटी कौन-सी है?’ हनुमान जी कुछ क्षण इसी परेशानी में खड़े रहे।फिर उन्होंने निश्चय किया – ‘यहां रुककर बूटी छांटने में समय नष्ट होगा। पहले ही मायावी चक्कर में समय नष्ट हो चुका है। मैं यह सारा पर्वत ही उखाड़े लेता हूं।वैद्य जी इसमें से खुद ही संजीवनी बूटी खोज लेंगे।’
यह निश्चय कर हनुमान जी ने सारा पर्वत ही उखाड़कर अपने दाएं हाथ में टिका लिया और पवन वेग से पर्वत लिए लौट पड़े। जब वे अयोध्या के ऊपर ��े उड़ रहे थे तो नीचे बैठे भरत ने उन्हें राक्षस समझा और धनुष पर तीर चढ़ाकर हनुमान की ओर ��ोड़ दिया।तीर के लगते ही हनुमान जी घायल होकर धरती पर गिर पड़े और ‘हे राम, हे राम’ कहने लगे।
राम का नाम सुनकर भरत चौकन्ने हुए।उन्होंने हनुमान जी के निकट जाकर पूछा – “कौन हो तुम? और राम का नाम किसलिए रट रहे हो,क्या तुम श्रीराम को जानते हो?”
हनुमान जी ने कहा – “हां, श्रीराम मेरे स्वामी हैं। मैं उनका दूत हनुमान हूं।”
हनुमान जी की बात सुनकर भरत ने दुखी होकर कहा – “मैं राम का छोटा भाई भरत हूं। मैंने तुम्हें कोई राक्षस समझकर तीर चलाया था। मुझे क्षमा कर दो। लेकिन यह बताओ कि भैया राम,भाभी सीता,और छोटे भाई लक्ष्मण कहां हैं?”
हनुमान जी ने कहा – “वे कुशल से नहीं हैं। लंका में राम-रावण में युद्ध चल रहा है। लक्ष्मण मुर्च्छित हो गए हैं।यह संजीवनी बूटी उन्हीं के लिए है।”
यह सुनकर भरत दुखी हुए और साथ चलने की इच्छा प्रकट की, जिसे हनुमान जी ने बड़ी विनम्रता से अस्वीकार करते हुए कहा – आप निश्चित रहिए आर्यश्रेष्ठ। धर्म और अधर्म के इस युद्ध में जीत प्रभु श्रीराम की ही होगी। समूची वानर सेना उनके लिए प्राणपण से जूझ रही है। अब रावण का अंत निकट है।”
भरत ने कहा – “पवनपुत्र! तुम तो घायल हो। सूर्योदय होने को है, इससे पहले संजीवनी पाना आवश्यक है।तुम मेरे तीर पर बैठ जाओ, मै��� तुम्हें पर्वत सहित कुछ ही पलों में लंकापुरी पहुंचा देता हूं।”
हनुमान जी बोले – “आपके तीर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।प्रभु राम के आशीर्वाद से में इतना बल है कि द्रोणाचल तो क्या इससे कई गुना ज्यादा भारी पर्वतों को कन्नी उंगली पर उठाकर लाखों योजन दूर फेंक सकता हूं।”
हनुमान जी की बात सुनकर भरत ने उन्हें भरे दिल से विदा किया। हनुमान जी अपने पिता का स्मरण करते हुए तीव्र गति से उड़ चले और सूर्योदय होने से पहले ही संजीवनी सहित लका में आ पहुंचे। उन्हें देखकर सारे वानरों में उत्साह छा गया। वे सब खुशी से नाचने लगे।सुषेण वैद्य बूटियां छांटकर लक्ष्मण के उपचार में जुट गए। कुछ समय बाद लक्ष्मण ने आंखें खोलीं और राम नाम जपते हुए उठ गए। श्रीराम ने हनुमान जी को छाती से लगा लिया, क्योंकि यह चमत्कार हनुमान जी के कारण ही संभव हो सका था..!!
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