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जबलपुर हवाई अड्डे का नाम रानी दुर्गावती के नाम पर रखा जाएगा : Mohan Yadav
प्रतिरूप फोटो ANI मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में जबलपुर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि जबलपुर के हवाई अड्डे का नाम गोंडवाना की प्रसिद्ध रानी दुर्गावती के नाम पर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जबलपुर के मदन महल क्षेत्र में एक फ्लाईओवर का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर रखा जाएगा। जबलपुर । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को…
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Jabalpur News - सी टाइम्स (SEETimes)
जबलपुर न्यूज़ - Stay Updated with the latest Jabalpur News and Headlines in Hindi on Our News Website.हिंदी में भारत और दुनिया की ताज़ा ख़बरें। world news in Hindi,city news.madhya pradesh news.
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Health Scheme Jabalpur Bharti 2023 : स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत निकली लेखापाल सहित अन्य पदों पर बंपर भर्ती
Home Page केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना जबलपुर भर्ती 2023 (Health Scheme Jabalpur Bharti 2023) Health Scheme Jabalpur Bharti 2023 : केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना जबलपुर (Central Government Health Scheme Jabalpur) ने लेखापाल सहित अन्य पदों की पूर्ति के लिए 03 पदों पर भर्ती निकाली हैं। इक्छुक उम्मीदवार दिनांक 20/11/2023 से 08/12/2023 तक आवेदन कर इंटरव्यू में शामिल हो सकते है। सरकारी और प्राईवेट…
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कान्हा टाइगर रिजर्व | Kanha Tiger Reserve in Hindi
कान्हा टाइगर रिजर्व | Kanha Tiger Reserve in Hindi कान्हा टाइगर रिजर्व के बारे में रोचक तथ्य, Interesting Facts About Kanha Tiger Reserve in Hindi – कान्हा टाइगर रिजर्व 940 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह टाइगर रिजर्व सतपुड़ा पहाड़ियों के श्रृंखला में फैला हुआ है। यह टाइगर रिजर्व कोर जोन और बफर जोन मिलाकर 1945 वर्ग किमी में फैला हुआ हैं। Kanha Tiger Reserve in Hindi, History of Kanha…
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CG ACCIDENT NEWS: रायपुर-जबलपुर हाईवे पर तेज रफ्तार डिवाइडर से टकराकर पलटी...
CG ACCIDENT NEWS कवर्धा. रायपुर-जबलपुर नेशनल हाईवे 30 पोंडी बायपास, लेंजाखार के पास तेज रफ्तार स्विफ्ट डिजायर कार अनियंत्रित होकर दुर्घटना का शिकार हो गई. कार डिवाइडर से टकराकर बीच सड़क में कई चक्कर खाकर पलट गई. जिसमें कार के परखच्चे उड़ गए. कार में दो लोग सवार थे. राहत की बात ये है कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुई है. जिससे एक अनहोनी टल गई. ALSO READ- अनवर ढेबर कोर्ट में पेश: 4 दिन की रिमांड…
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17 फरवरी से दौड़ेंगी जबलपुर-गोंदिया-जबलपुर पैसेंजर स्पेशल ट्रेनें
गोंदिया : रेलवे द्वारा दक्षिण मध्य रेलवे के जबलपुर से गोंदिया एवं दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के गोंदिया से जबलपुर के लिए दो दैनिक ट्रेनें जबलपुर – गोंदिया स्पेशल ट्रेन (05715/05716) तथा जबलपुर-गोंदिया पीएसपीसी स्पेशल (05713/05714) की शुरूआत की जा रही है. जबलपुर-गोंदिया स्पेशल ट्रेन (05715) को 17 अप्रैल की सुबह 11 बजे जबलपुर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा. यह ट्रेन शाम 5.30 बजे गोंदिया…
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जबलपुर कोरोनावायरस न्यूज़: 26 दिन बाद हुई कोरोना की वापसी, अमेरिका से लौटी महिला के पॉजिटिव आने के बाद हड़कंप
जबलपुर कोरोनावायरस न्यूज़: 26 दिन बाद हुई कोरोना की वापसी, अमेरिका से लौटी महिला के पॉजिटिव आने के बाद हड़कंप
मप्र के जबलपुर में 26 दिन बाद कोरोना का एक नया मरीज मिला है। अमेरिका से लौटी महिला की रि��ोर्ट पॉजिटिव आई है। वैरिएंट का पता लगाने के लिए उसका सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जा रहा है। महिला को घर में आइसोलेट करने के साथ ही उसके पति व बच्चे की भी जांच की जाएगी। हाइलाइट अमेरिका से लौटी महिला जबलपुर में कोरोना पॉजिटिव पाई गई जिले में 26 दिन बाद कोरोना का नया मामला मिला है इससे पहले 3 दिसंबर…
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RTI Appeal Analysis: Lack of Response from Cyber Crime PIO
Welcome : UPICR20240000149Registration Number : A-20240100130File Number : S01/A/0061/2024 UTTAR PRADESH INFORMATION COMMISSIONDiary Number – D-241120240001Citizen DetailsName Yogi M P SinghMobile Number 7379105911Email [email protected] सुरेकापुरम कॉलोनी जबलपुर रोड मिर्जापुर सिटीPublic Information Officer DetailsPIO जन सूचना अधिकारीAddress Public Information Officer Office – CYBER…
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जबलपुर: अंकिता-हसनैन शादी विवाद, HC के आदेश को SC में चुनौती देने की तैयारी
जबलपुर का बहुचर्चित अंकिता-हसनैन शादी विवाद में हाईकोर्ट ने भले ही शादी का रास्ता साफ कर दिया हो . लेकिन प्रदेश के बहुचर्चित शादी विवाद को लेकर अब हिंदू संगठन सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं तेलंगाना के गोशामहल सीट से भाजपा विधायक टी राजा ने मध्य प्रदेश सरकार से भी शादी रुकवाने की अपील की है. और अंकिता राठौर को टी राजा ने ��हा है कि अभी भी समय है अपना फैसला बदल लो, तुम्हारे भले के…
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10वीं कक्षा की छात्रा ने शराब पीकर किया गाली-गलौच, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो; जानें क्या बोले लोग
Madhya Pradesh News: जबलपुर जिले के पनागर क्षेत्र से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें सीएम राइज स्कूल सिगोद की 10वीं कक्षा की एक छात्रा शराब के नशे में सड़क पर घूमते हुए नजर आ रही है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू करने की बात कही है। घटना का विवरण वीडियो में छात्रा स्कूल ड्रेस में बिना बैग के लड़खड़ाते हुए सड़क पर चलती…
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Osho Rajneesh Biography: History, Beliefs and Facts
Introduction
Osho Rajneesh: कहा जाता है कि किसी व्यक्ति का पर्सोना उसका स्वभाव अथवा चरित्र होता है जिसे वह दूसरों यानी जमाने के सामने पेश करता है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति ही रहस्य की खान बन जाए तो स्वाभाविक तौर पर उसे जानना, समझना और परखना बहुत कठिन-जटिल हो जाता है. ऐसे व्यक्ति को परखना इसलिए भी मुश्किल है कि वह अपने भीतर और बाहर दोनों तरफ रहस्य का आवरण ओढ़े होता है. कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति बिना प्रयास के ही रहस्यमयी शख्सियत बन जाता है.
अपने विवादास्पद बयानों के लिए मशहूर ओशो प्रशंसकों के लिए आध्यात्मिक गुरु थे तो कुछ के लिए सेक्स गुरु. वह आध्यात्मिक गुरु जो अंधकार से निकलने से पहले उसे भुगतने और परखने को कहता है. व्यावहारिक दृष्टिकोण के चलते रजनीश उर्फ ओशो को प्रशंसकों के साथ आलोचक भी सराहते हैं, क्योंकि वह सच को कटुता के साथ कहते थे, फिर चाहे किसी को बुरा लगे या भला. यही वजह है कि ओशो को शुरुआती दिनों में भगवान रजनीश के नाम से पहचान मिली. 11 दिसंबर, 1939 को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा गांव में जन्में ओशो के जितने प्रशंसक हैं उससे ज्यादा आलोचक.
यही वजह है कि आज भी जब कभी ओशो का जिक्र आता है तो दुनिया दो धड़ों में साफ-साफ बंट जाती है. जाहिर तौर पर इनमें एक धड़ा ओशो को भगवान मानता है तो वहीं, दूसरा उन्हें खलनायक कहने में संकोच नहीं करता. विवादों के स्वामी बन चुके ओशो को दुनिया के 21 देशों में बैन तक कर दिया गया था. इतना ही नहीं, ओशो को वर्ष 1985 में जर्मनी में गिरफ्तार कर लिया गया था. विवाद और रहस्य से घिरे ओशो पर कभी इसका फर्क नहीं पड़ा कि कौन उनके साथ खड़ा है और कौन उनके खिलाफ है. लाइव टाइम्स की इस स्टोरी में आध्यात्मिक गुरु ओशो के बारे में वह बातें बताने जा रहे हैं, जो आपने शायद ही सुनीं हों.
Table Of Content
साधना खत्म होने से 3 दिन पहले मौत
ओशो को था नहाने का शौक
बचपन में जाया करते थे श्मशान
ओशो एक, नाम कई
प्रभावशाली प्रवक्ता के तौर पर शुरुआत
मौत का रहस्य कायम
दिल का दौरा लिखने के लिए डाला था दबाव
अंतिम संस्कार पर टूटा नियम
20वीं सदी के सबसे महान आध्यात्मिक गुरु
पुणे से अमेरिका का रुख
साधना खत्म होने से 3 दिन पहले मौत
‘मुसीबतों से निखरती है शख्सियत यारों, जो चट्टानों से न उलझे वो झरना किस काम का…’ ऐसा लगता है यह पंक्ति ओशो के लिए ही लिखी गई है. 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा गांव में जन्में ओशो का असली नाम चंद्रमोहन जैन था. उनका जन्म अपनी नानी के घर हुआ था. बचपन से ओशो का स्वभाव और व्यवहार सामान्य बच्चों से अलग था. कहा तो यहां तक जाता है कि जब वह पैदा हुए थे तो 3 दिन तक न हंसे थे और न ही रोए थे.
ओशो को था नहाने का शौक
बचपन में जाया करते थे श्मशान
ओशो एक, नाम कई
प्रभावशाली प्रवक्ता के तौर पर शुरुआत
जब ओशो बड़े हुए तब उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1957 में रायपुर (तब मध्य प्रदेश और अब छत्तीसगढ़ में है) के संस्कृत विश्वविद्यालय में बतौर प्रवक्ता की. उन्हें जानकार प्रवक्ता माना जाता था. वर्ष 1960 में वह जबलपुर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बन गए. दर्शनशास्त्र का अध्ययन करने के दौरान उनका आध्यात्म की ओर गहरा लगाव शुरू हो गया. इसके बाद आध्यात्मिक गुरु के रूप में उन्होंने अपना करियर शुरू किया. इसके अगले चरण में उन्होंने पूरे भारत का दौरा कर राजनीति, धर्म और सेक्स पर विवादास्पद व्याखयान देना शुरू कर दिया.
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मौत का रहस्य कायम
युवावस्था में रजनीश को हमेशा सिरदर्द की शिकायत रही. पढ़ाई के दौरान भी उन्हें सिरदर्द रहता था. एक बार जब उनका सिरदर्द बहुत ज्यादा बढ़ गया तो उनके फुफेरे भाई क्रांति और अरविंद चिंतित हो गए. तंग आकर ओशो के पिता को बुलवाना पड़ा. ओशो के पिता का मानना था कि ज्यादा पढ़ाई करने के कारण रजनीश के सिर में दर्द होता है. स्कूल के दिनों से ही रजनीश अपने माथे पर बाम लगाकर पढ़ा करते थे.
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‘दिल का दौरा पड़ा है’ लिखने के लिए डाला था दबाव
अंतिम संस्कार पर टूटा नियम
इससे भी बड़ी बात यह है कि ओशो के आश्रम में किसी संन्यासी की मृत्यु को उत्सव की तरह मनाने का चलन था. पहले भी कई बार मृत्यु पर उत्सव ही मनाया गया था, लेकिन ओशो के निधन पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. निधन की घोषणा के एक घंटे के भीतर ही ओशो का अंतिम संस्कार कर दिया गया और उनके निर्वाण का उत्सव भी संक्षिप्त रखा गया. यह कुछ सवाल हैं जो उनकी मृत्यु को रहस्य बनाते हैं. 19 जनवरी, 1990 को महाराष्ट्र के पुणे में रजनीश ‘ओशो’ का निधन हुआ था. कुल मिलाकर 20वीं सदी में हुई ओशो की मृत्यु के कारणों का रहस्य 21 वीं सदी में भी बरकरार है. यह भी कम रोचक नहीं है कि ओशो की मां आश्रम में ही रहती थीं, लेकिन उन्हें भी बेटे के निधन की जानकारी देर से दी गई.
20वीं सदी के सबसे महान आध्यात्मिक गुरु
इसमें कोई शक नहीं है कि रजनीश ओशो महान दार्शनिक थे. उनके विरोधी भी दर्शन को लेकर उनका लोहा मानते थे. एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में रजनीश ने सदियों से चली आ रही धार्मिक धारणाओं और कर्मकांडों के ख���िलाफ़ अपनी आवाज उठाई. इसके साथ ही ओशो ने धर्म और राजनीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इन दोनों का एक ही मकदस है और वो है लोगों पर नियंत्रण करना. जाने-माने लेखक खुशवंत सिंह ने उनकी प्रशंसा करते हुए लिखा था- ‘ओशो भारत में पैदा हुए सबसे मौलिक विचारकों में से एक थे.
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पुणे से अमेरिका का रुख
कहा जाता है कि लंबे समय तक पुणे में रहने के बाद वहां से भी ओशो का दिल भर गया. इसके बाद उन्होंने अमेरिका के ओरेगन में एक आश्रम बनाने की योजना बनाई. उनका इरादा था कि आश्रम ऐसा हो जिसमें हजारों लोग एक साथ रह सकें. 31 मई, 1981 को वो मुंबई से अपने नए आश्रम के लिए रवाना हुए. कहा जाता है कि उनके 2000 से अधिक आश्रमवासी भी अमेरिका के लिए रवाना हुए. इनमें मशहूर फ़िल्म अभिनेता विनोद खन्ना भी थे, जिन्होंने ओशो से मिलने के बाद फिल्मों से संन्यास ले लिया था.
ओशो साल 1981 से 1985 के बीच अमेरिका में रहे. अमेरिकी प्रांत ओरेगॉन में उन्होंने आश्रम की स्थापना की. ये आश्रम 65 हज़ार एकड़ में फैला था. ओशो ने यहां पर 93 रोल्स रॉइस कारें खरीदीं. हालांकि, अमेरिका ओशो के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ. उन पर नियमों का उल्लंघन करने के लिए मुकदमा चलाया गया. इस दौरान ओशो को 17 दिन अमेरिकी जेल में रहना पड़ा. जेल से निकले तो उन्होंने अमेरिका छोड़ने का मन बना लिया.
इसके बाद ओशो ने कई देशों में शरण लेने की कोशिश की, लेकिन एक के बाद एक सबने उन्ह��ं अपने यहां लेने से इन्कार कर दिया. कहा जाता है कि 21 देशों ने उन्हें अपनी शरण देने से मना किया था. आखिरकार वो अपने देश भारत वापस आने के लिए मजबूर हुए. भारत लौटने के बाद वे पुणे के कोरेगांव पार्क इलाके में स्थित अपने आश्रम लौट आए. उनकी मृत्यु 19 जनवरी, 1990 में हो गई. उनकी मौत के बाद पुणे आश्रम का नियंत्रण ओशो के क़रीबी शिष्यों ने अपने हाथ में ले लिया. आश्रम की संपत्ति करोड़ों रुपये की मानी जाती है और इस बात को लेकर उनके शिष्यों के बीच विवाद भी है, जो अब भी जारी है.
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NIRTH Jabalpur MP Bharti 2023 : राष्ट्रीय जनजाति स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान जबलपुर में निकली डायरेक्ट भर्ती, जाने इंटरव्यू तिथि
स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान जबलपुर भर्ती 2023 (NIRTH Jabalpur MP Bharti 2023) NIRTH Jabalpur MP Bharti 2023 : राष्ट्रीय जनजाति स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान जबलपुर (National Tribal Health Research Institute Jabalpur) ने प्रोजेक्ट रिसर्च साइंटिस्ट-I (नॉनमेडिकल) (Project Research Scientist-I) (NonMedical) पदों की पूर्ति के लिए 01 पद पर डायरेक्ट भर्ती निकाली हैं। इक्छुक उम्मीदवार दिनांक नीचे…
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GST ने जब्त की 50 लाख से अधिक का लोहा, बिना दस्तावेज के ट्रक से ले जाया जा रहा था जबलपुर रायपुर से जबलपुर जा रही है लोहे से भरे ट्रक को GST की टीम ने बेमेतरा के पास पकड़ा है. बताया जा रहा है ट्रक में करीब 50 लाख के लोहा भरी हुई है.ट्रक को जब्त कर बेमेतरा के रक्षित केंद्र में खड़ा किया गया है. वहीं GST की टीम इस मामले में जांच कर रही है। जानकारी के मुताबिक GST टीम ने बीती रात रायपुर से जबलपुर ले जा रहे लोहे
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नीरज प्रताप सिंह - रीवा का धोखेबाज़ बिल्डर
रीवा और जबलपुर के रियल एस्टेट सेक्टर में एक बड़े घोटाले ने लोगों को हिलाकर रख दिया है। नीरज प्रताप सिंह, जो अर्थ बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के मालिक हैं, पर सैकड़ों लोगों को ठगने और उनकी मेहनत की कमाई लूटने का आरोप है। लगभग ₹10-20 अरब रुपये (करोड़ों) के इस घोटाले में नीरज ने मासूम लोगों के साथ उनकी जमीन और सपनों के नाम पर धोखाधड़ी की है।
धोखाधड़ी का तरीका
नीरज प्रताप सिंह का ऑपरेशन बेहद चालाकी से चलता है। वह लोगों को मीठी-मीठी बातों में फंसा कर उनसे बड़ी रकम ए��वांस में लेता है। शुरुआत में वह जमीन की रजिस्ट्री और शीघ्र हैंडओवर का वादा करता है। लेकिन एक बार पैसे मिल जाने के बाद, वह और अधिक धनराशि की मांग करने लगता है।
जब खरीदार पूरी रकम चुका देते हैं, तब नीरज अचानक से गायब हो जाता है। वह फोन कॉल्स का जवाब देना बंद कर देता है और किसी से मिलने से इनकार कर देता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह कोई कानूनी एग्रीमेंट नहीं देता, जिससे पीड़ितों के पास कानूनी कार्रवाई के लिए ठोस आधार नहीं रहता।
धोखाधड़ी की प्रमुख बातें
कानूनी दस्तावेजों की अनुपस्थिति: पीड़ितों ने बताया कि नीरज कभी भी कोई फॉर्मल एग्रीमेंट या कॉन्ट्रैक्ट नहीं देता।
भुगतान के बाद गायब: पूरी राशि मिलने के बाद वह कॉल्स और मीटिंग्स से बचने लगता है।
स्टाफ में बदलाव: हर महीने स्टाफ बदलकर वह जवाबदेही से बचने की कोशिश करता है।
पीड़ितों की व्यथा
रीवा के एक पीड़ित ने अपनी कहानी साझा की: "मैंने अपनी जिंदगी भर की कमाई नीरज प्रताप सिंह पर भरोसा करके उसे दी। उसने मुझे जमीन देने का वादा किया और कहा कि तीन महीने में रजिस्ट्री हो जाएगी। लेकिन पैसे मिलने के बाद उसने फोन उठाना बंद कर दिया। दो साल हो गए हैं, न मुझे जमीन मिली और न ही मेरे पैसे वापस हुए।"
जबलपुर के एक अन्य पीड़ित ने कहा: "मैंने सोचा था कि मैं अपने परिवार के भविष्य के लिए निवेश कर रहा हूं। लेकिन इसके बजाय मुझे एक ऐसे घोटाले का शिकार होना पड़ा जिसने मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी। नीरज की धोखेबाजी पूरी तरह से आपराधिक है।"
घोटाले का असर
यह घोटाला इतना बड़ा है कि इसके शिकार सैकड़ों परिवार हैं। लोगों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई गवां दी है और आर्थिक संकट में फंस गए हैं। इस घटना ने रीवा और जबलपुर में रियल एस्टेट सेक्टर पर लोगों का भरोसा तोड़ दिया है, जिससे ईमानदार बिल्डर्स की छवि भी खराब हुई है।
प्रशासन पर बढ़ा दबाव
जैसे-जैसे यह मामला सार्वजनिक हो रहा है, नीरज प्रताप सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज होती जा रही है। पीड़ित और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशासन से मामले की जांच करने, उसकी संपत्तियां जब्त करने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की अपील कर रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों ने भी रियल एस्टेट में धोखाधड़ी रोकने के लिए कड़े नियम लागू करने की आवश्यकता जताई है।
खरीदारों के लिए चेतावनी
यह मामला संभावित खरीदारों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि:
कानूनी एग्रीमेंट लें: हर लेन-देन को कानूनी दस्तावेजों से सुरक्षित करें।
बैकग्राउंड चेक करें: बिल्डर के ट्रैक रिकॉर्ड और प्रमाणिकता की जांच करें।
पूरी राशि एडवांस में न दें: बिना रजिस्ट्री या कानूनी गारंटी के पूरा भुगतान न करें।
आगे का रास्ता
पीड़ितों को न्याय दिलाना फिलहाल दूर की बात लगती है, लेकिन जागरूकता और सतर्कता से अन्य लोग ऐसे धोखेबाजों के चंगुल से बच सकते हैं। रीवा और जबलपुर के लोग अब केवल यही आशा कर सकते हैं कि प्रशासन जल्द कार्रवाई करे, इस कथित घोटालेबाज को कानून के दायरे में लाए, और क्षेत्र के रियल एस्टेट सेक्टर में भरोसा बहाल करे।
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