चैत्र नवरात्र 2020 की तिथि, समय, माता पूजा #Navratri #LiveSach #Ramnavmi पहला नवरात्र25, मार्च 2020 (बुधवार)- शैलपुत्री माता की पूजा दुसरा नवरात्र26, मार्च 2020 (गुरुवार)- ब्रह्मचारिणी माता की पूजा
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2020 Special भजन Chaitra Navratri Special Bhajans Singers: Anuradha Paudwal, Sonu Nigam, Narendra Chanchal 00:00 ♫ Bhor Bhai Din Chadh Gaya 05:03 ♫ Tujhe Kab Se Pukaare. 10:31 ♫ Aaja Maa Tenu Ankhiyan Udeek Diyaan 15:13 ♫ Aa Maa Aa Tujhe Dil Ne Pukara 22:35 ♫ Subah Savere Utha Karo Jai Mata Di Japa Karo 39:54 ♫ Navdurga Ki Mahima. 35:22 ♫ Patte Patte Mein Hai Basi Mahamaya 41:13 ♫ Om Aim Hrim Klim Chamundai Vichhe Durga Mantra -- चैत्र नवरात्रि 2020 Special भजन Chaitra Navratri Special Bhajans I Devi Bhajans I ANURADHA, CHANCHAL (via T-series Bhakti Sagar)
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गुप्त नवरात्रि 2020: आज से होगी मां भगवती की आराधना, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
नवरात्रि मां भगवती की आराधना का पर्व है। इस पर्व को साल में दो बार धूम-धाम से मनाया जाता है, जिसे सभी चैत्र या वासंतिक नवरात्र और अश्विन या शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसके अतिरिक्त दो और भी नवरात्र हैं जिनमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। हालांकि इस बारे में कम ही लोग जानते हैं, लेकिन कुल मिलाकर वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं। फिलहाल 22 जून यानि कि आज सोमवार से गुप्त नवरात्र की शुरुआत हो गई है। बता दें कि 'नवरात्र' शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर महानवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप, उपवास का प्रतीक है।
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Chaitra Navratri 2020: Navratri Ghat Sthapna Date, Time, Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Kalash Sthapna
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नई दिल्ली:
Chaitra Navratri Ghat Sthapna: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के नौ दिनों में शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इस दौरान भक्त आदि शक्ति की आराधना कर उनको प्रसन्न करने का जतन करते हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से नवरात्रि में मां की पूजा करता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन घट स्थापना (Ghat Sthapna) कर इस महापर्व की…
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अप्रैल 2021: जानें इस महीने के त्यौहार, पर्व व शुभ मुहूर्त
अप्रैल 2021: जानें इस महीने के त्यौहार, पर्व व शुभ मुहूर्त
इसी महीने से शुरू होगी हिंदू नववर्ष 2078 …
साल 2021 का तीसरा महीना यानी मार्च चंद दिनों बाद खत्म होने वाला है, इसके बाद अप्रैल शुरू हो जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, अब अप्रैल 2021 में पापमोचिनी एकादशी, चैत्र नवरात्रि, विनायक चतुर्थी, प्रदोष व्रत के अलावा कामदा एकादशी व चैत्र पूर्णिमा जैसे कई व्रत और त्योहार हैं।
वास्तव में इससे पहले 2020 में कोरोना के कारण त्यौहारों की रौनक फीक रही है, लेकिन…
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आज से देवी पूजा का महापर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है। ये पर्व 25 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। ये महिलाओं के प्रति सम्मान दर्शाने का महापर्व है। इसी पर्व की सीख यही है कि कभी भी महिलाओं का अनादर नहीं करना चाहिए। भगवान शिव और विष्णु महिषासुर का वध नहीं कर सके थे। जो काम देवता नहीं कर पाए, वो काम देवी दुर्गा ने किया था।
अभी आश्विन मास चल रहा है और इस माह की नवरात्रि का महत्व अन्य तीन नवरात्रियों से काफी ज्यादा है। देवी भक्त इन दिनों में व्रत-उपवास करते हैं, कन्याओं को भोजन कराते हैं, कलश स्थापित करते हैं। नवरात्रि से जुड़ी कई मान्यताएं और सभी मान्यताओं के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण मौजूद हैं। जानिए नवरात्रि से जुड़ी ऐसी ही मान्यताओं के बारे में...
कन्या पूजन क्यों किया जाता है?
छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप माना गया है। 2 से 10 साल की कन्याओं को नवरात्रि में भोजन कराया जाता है, दान दिया जाता है, पूजा की जाती है। उम्र के अनुसार छोटी बच्चियों को अलग-अलग देवियों का स्वरूप माना जाता है। 2 साल की कन्या को कुमारिका कहते हैं। 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति, 4 साल की कल्याणी, 5 साल की रोहिणी, 6 साल की कालिका, 7 साल की चंडिका, 8 साल की सांभवी, 9 साल की दुर्गा और 10 साल की कन्या सुभद्रा कहलाती है।
छोटी कन्याओं के मन में किसी भी तरह के बुरे भाव नहीं होते हैं। इनके मन में सभी के लिए प्रेम रहता है। इसीलिए इन्हें देवी स्वरूप मानकर नवरात्रि में पूजा करने की परंपरा है। नवरात्रि में इन्हें भोजन कराने के बाद पैर धुलवाएं और पूजा करें। श्रद्धा अनुसार दक्षिणा दें। फल और वस्त्रों का दान करें। पूजा में कन्याओं और सभी महिलाओं का सम्मान करने का संकल्प लें।
ऋतुओं के संधिकाल में ही क्यों आती है नवरात्रि?
हिंदी पंचांग के अनुसार एक साल में चार नवरात्रियां आती हैं। नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल में शुरू होती है। संधिकाल यानी एक ऋतु के जाने और दूसरी ऋतु आने का समय। दो नवरात्रि सामान्य रहती हैं और दो गुप्त रहती हैं। चैत्र मास और आश्विन मास की सामान्य नवरात्रि मानी गई हैं। माघ और आषाढ़ मास में आने वाली गुप्त नवरात्रि होती हैं। अभी वर्षा ऋतु के जाने का समय है और शीत ऋतु शुरू हो रही है। नवरात्रि के दिनों में पूजा-पाठ करते हुए खान-पान संबंधी सावधानी रखने से हम मौसमी बीमारियों से बच सकते हैं।
नवरात्रि में व्रत क्यों किया जाता है?
ऋतुओं के संधिकाल में काफी लोगों को मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट दर्द, अपच जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आयुर्वेद में रोगों से बचाव के लिए लंघन नाम की एक विधि है। इस विधि के अनुसार व्रत करने से भी रोगों से बचाव हो सकता है।
नवरात्रि में अन्न का त्याग करने से अपच की समस्या नहीं होती है। फलाहार करने से शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती रहती है। फल आसानी से पच भी जाते हैं। देवी पूजा करने वाले भक्तों की दिनचर्या संयमित रहती है, जिससे आलस्य नहीं होता है। सुबह जल्दी उठना और पूजा-पाठ, ध्यान करने से मन शांत रहता है। क्रोध और अन्य बुरे विकार दूर रहते हैं।
काफी लोग जिन्हें मिट्टी का कलश नहीं मिल पाता है, वे धातु के कलश की स्थापना करते है।
नवरात्रि में कलश स्थापना क्यों करते हैं?
कलश को पंच तत्वों का प्रतीक माना जाता है। ये पंच तत्व हैं, आकाश, धरती, पानी, वायु और अग्नि। कलश इन पांचों तत्वों से मिलकर बनता है। मिट्टी में पानी मिलाकर कलश बनाया जाता है। इसके बाद इसे खुले आसमान के नीचे हवा में सूखने के लिए रखते हैं। अग्नि में पकाया जाता है। कलश स्थापना करते समय इसमें जल भरा जाता है औ�� जल में सभी तीर्थों का और सभी नदियों का आह्नवान किया जाता है।
किसी भी शुभ काम में इन सभी की पूजा जरूर की जाती है। पंचतत्वों से ही हमारा शरीर भी बना होता है। कलश के रूप में पंच तत्व, तीर्थ और नदियों का पूजन करते हैं। कलश के मुख पर भगवान विष्णु, कंठ में शिवजी और मूल भाग में ब्रह्माजी का वास माना जाता है। इन तीनों की एक साथ पूजा के लिए कलश स्थापना की जाती है।
देवी दुर्गा का अवतार क्यों हुआ था?
देवी ने महिषासुर का वध करने के लिए दुर्गा के रूप में अवतार लिया था। दुर्गा सप्तशती में देवी के इस अवतार के बारे में बताया गया है। कहानी है कि महिषासुर नाम के असुर ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया और सभी देवताओं को वहां से निकाल दिया। महिष का अर्थ भैंसा होता है। महिषासुर अपनी इच्छा के अनुसार भैंसे का रूप धारण कर सकता था। उसने ब्रह्माजी को प्रसन्न करके वरदान लिया था कि कोई भी देवता और दानव उसे पराजित नहीं कर सकेगा।
सभी देवता मिलकर भी महिषासुर का सामना नहीं कर पा रहे थे, तब वे शिवजी और विष्णुजी के पास पहुंचे। लेकिन, ब्रह्माजी के वरदान की वजह से भगवान शिव और विष्णु भी महिषासुर को मार नहीं सकते थे। तब सभी देवताओं के तेज से देवी दुर्गा प्रकट हुईं।
शिव के तेज से मुख, यमराज के तेज से केश, विष्णुजी से भुजाएं, चंद्रमा से वक्षस्थल, सूर्य से पैरों की उंगलियां, कुबेर से नाक, प्रजापति से दांत, अग्नि से तीनों नेत्र, संध्या से भृकुटि और वायु से कानों की उत्पत्ति हुई। इसी तरह देवताओं ने देवी को अपनी-अपनी शक्तियां भी दीं। भगवान शिव ने त्रिशूल दिया। अग्निदेव ने अपनी शक्ति देवी को प्रदान की। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र, वरुणदेव ने शंख, पवनदेव ने धनुष और बाण, देवराज इंद्र ने वज्र और घंटा, यमराज ने कालदंड भेंट किया। प्रजापति दक्ष ने स्फटिक की माला, ब्रह्माजी ने कमंडल, सूर्यदेव ने अपना तेज प्रदान किया। समुद्रदेव ने आभूषण भेंट किए।
सरोवरों ने कभी न मुरझाने वाली माला, कुबेरदेव ने शहद से भरा पात्र, पर्वतराज हिमालय ने सवारी करने के लिए सिंह भेंट में दिया। देवताओं से मिलीं इन शक्तियों से दुर्गाजी ने महिषासुर का वध कर दिया। महिषासुर का वध करने की वजह से ही देवी को महिषासुरमर्दिनी कहा जाता है।
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Shardiya Navratri 2020: Upwas Scientific Reason | Know Why Do We Do Kanya Puja, Kalash Sthapana In Navratri? Navratri Fasting Rules - Scientific Reason For Fasting On Navratri
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Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि के इस ख़ास पर्व पर अपने करीबियों को दे शुभकामनाएं इन कोट्स और तस्वीरों के जरिए
Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि के इस ख़ास पर्व पर अपने करीबियों को दे शुभकामनाएं इन कोट्स और तस्वीरों के जरिए
Shardiya Navratri Wishes 2020: शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) का प्रारम्भ शनिवार 17 अक्तूबर को हो रहा है। नवरात्री का त्योहार हिंदू धर्म (Hindu Religion) के मुख्य त्योहारों में से एक हैं। नवरात्री के नौ दिन माँ दुर्गा की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती हैं। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग नौ शक्ति स्वरूपों को विधि के साथ पूजा जाता है। बता दें कि हर साल चार बार पौष, चैत्र, आषाढ और…
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बात 2014 की है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार 26 सितंबर को अमरीका पहुंचे। इससे ठीक एक दिन पहले शारदीय नवरात्र शुरू हो चुके थे और प्रधानमंत्री पिछले करीब 35 सालों की तरह इस बार भी पूरे 9 दिन के उपवास पर थे। 30 सितंबर को राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री के सम्मान में भोज दिया, मगर मोदी ने केवल गुनगुना पानी पिया।
अमरीकी मीडिया प्रधानमंत्री की इस बात से बेहद प्रभावित था। ज्यादातर अमरीकी अखबारों में उनके इस श्रद्धाभाव पर कई खबरें छपीं। यह लगभग स्पष्ट है कि पिछले करीब 40 वर्षों की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी पूरे 9 दिन उपवास पर रहेंगे।
एक बार उन्होंने अपने ब्लॉग और कविता संग्रह 'साक्षी भाव' में लिखा था, नवरात्रि के उपवास उनका वार्षिक आत्मशुद्धि व्यायाम है, जो उन्हें हर रात अम्बे मां के साथ बातचीत करने की शक्ति और क्षमता प्रदान करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चैत्र और शारदीय, दोनों ही नवरात्रि पर व्रत रखते हैं।
ऐसी है प्रधानमंत्री की व्रत पद्धति
नौ दिन उपवास के दौरान के वे दिन में केवल एक बार फल खाते हैं।
मोदी शाम को नींबू पानी पीते हैं।
गुजरात में उनके करीब रहे जानकारों का कहना है कि गुजरात में नवरात्रि के दौरान साबूदाने से बनी डिश खाने की अनुमति रहती है, लेकिन मोदी यह भी नहीं खाते।
इस दौरान हमेशा की तरह प्रधानमंत्री रोज सुबह योग करते हैं और ध्यान भी लगाते हैं।
व्रत के दौरान व्यस्त दिनचर्या के बावजूद प्रधानमंत्री रोज सुबह पूजा जरूर करते हैं।
मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो नवरात्रि के दौरान आमदिनों की तुलना में एक घंटे पहले रात करीब 10 बजे ही काम निपटा लिया करते थे, मगर बतौर प्रधानमंत्री अब वे ऐसी कोई छूट नहीं लेते।
अपने उपवास को लेकर प्रधानमंत्री ज्यादा बात नहीं करते। उन्होंने 2012 में अपने ब्लॉग में पहली बार अपने नवरात्रि के व्रत के बारे में बताया था।
विजयादशमी के दौरान मोदी शस्त्रपूजन में भी हिस्सा लेते रहे हैं।
गुजरात के सीएम के रूप में वे गांधीनगर स्थित आवास पर पुलिस व सुरक्षाकर्मियों के बीच विजयादशमी पर स्वयं शस्त्रपूजन करते थे।
कामाख्या देवी के मंदिर में पीएम मोदी।
कई बड़े मौकों पर व्रत में रहे मोदी
2019 के आमचुनाव का पहला चरण
पिछले वर्ष चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू होकर 14 अप्रैल तक थे। लोकसभा चुनाव का पहला चरण 11 अप्रैल से शुरू हुआ था। इस दौरान प्रधान���ंत्री हजारों किलोमीटर का हवाई सफर करके लगातार चुनाव प्रचार में करते रहे। भीषण गर्मी में भी मोदी केवल पानी और नींबू पानी पीते थे।
असम चुनाव प्रचार
2015 में नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि के पहले दिन असम के कामाख्या देवी के मंदिर में पूजा-अर्चना कर व्रत की शुरुआत की थी। इसके बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान शुरू किया था। पहली बार पूर्वोत्तर के किसी राज्य में भाजपा सरकार बनी थी।
जीएसटी बिल का पारित होना
29 मार्च 2017 में जीएसटी बिल के लोकसभा में पारित होने के दौरान प्रधानमंत्री चैत्र नवरात्र के उपवास पर थे। जीएसटी बिल को आजादी के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार कहा जाता है। इस मौके पर संसद को स्वतंत्रता दिवस की तर्ज पर सजाकर विशेष समारोह भी हुआ था।
उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार शुरुआत
प्रधानमंत्री ने 2016 में नवरात्र के व्रत के बाद दशहरा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मनाया था। यहीं से उन्होंने यूपी में चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की। मई 2017 में हुए चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। राज्य की सत्ता में 15 वर्षों बाद भाजपा की वापसी हुई थी।
अमरीकी-ब्रिटिश अखबारों ने कुछ ऐसे जताई थी हैरानी
भारत के नए पीएम ने केवल गर्म पानी पिया: वाशिंगटन पोस्ट
अमरीकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा, भारत के नए प्रधानमंत्री ने ओबामा के साथ डिनर में केवल गर्म पानी पिया। मोदी पिछले 30 वर्षों से नवरात्रि में उपवास रखते हैं। वहीं, मेहमानों ने बकरी के दूध का पनीर, एवाकाडो और शिमला मिर्च, बासमती चावल के साथ क्रिस्प हेलिबट (एक प्रकार की मछली) और मैंगो क्रीम ब्रुली (खाने के बाद की मीठी डिश ) का आनंद लिया।
भारत के प्रधानमंत्री ने व्हाइट हाउस के डिनर में किया उपवास: वॉल स्ट्रीट जनरल
वॉल स्ट्रीट जनरल ने लिखा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति ओबामा के साथ रात्रिभोज और उपराष्ट्रपति जो बिडेन के साथ दोपहर का भोज किया। इस दौरान कोई उलझन नहीं हुई क्योंकि उन्होंने कुछ खाया ही नहीं। ऐसे आयोजनों को बेहद सावधानीपूर्वक तैयार किया जाता है। इसमें महीनों लगते हैं। मेहमानों के बारे में तमाम जानकारियों का आदान प्रदान होता है। ऐसे में यह उपवास बेहद अप्रत्याशित चुनौती था।
धर्मनिष्ठ हिन्दू नरेंद्र मोदी उपवास पर रहेंगे: द गार्जियन
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने एक दिन पहले लिखा कि अमरीकी उपराष्ट्रपति बिडेन के साथ लंच और राष्ट्रपति ओबामा के साथ डिनर बेहद मितव्ययी होगा, क्योंकि धर्मनिष्ठ हिन्दू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवरात्रि के उपवास पर रहेंगे।
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navratri 2020 special story on PM Narendra Modi how he is fasting for 40 years and what he eat during navratri
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सूर्य के चारों और पृथ्वी के घूमने के कारण 23 सितंबर को सूर्य विषुवत रेखा पर लंबवत स्थिति पर था। इस खगोलीय घटना के कारण 23 सितंबर को दिन और रात की बराबर 12-12 घंटे के रहे। उज्जैन की जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि सूर्य के विषुवत रेखा पर लंबवत होने को शरद संपात भी कहते हैं। ये सर्दियों के आने का संकेत होता है।
23 सितंबर के बाद सूर्य दक्षिणी गोलार्ध और तुला राशि में प्रवेश करेगा। दिन धीरे-धीरे छोटे और रातें बड़ी होने लगेंगी। ये स्थिति 22 दिसंबर तक रहेगी। 22 दिसंबर को भारत सहित उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे छोटा और रात सबसे बड़ी होगी। पृथ्वी अपनी ही धूरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई होने से साल भर में वसंत संपात (20-21 मार्च) और शरद संपात (22-23) सितंबर को ही ये स्थिति बनती है। इससे पहले 21 मार्च को वसंत संपात हुआ था।
सूर्य से बदलती है ऋतु और चंद्रमा के हिसाब से त्योहार
पं. गणेश मिश्र ने बताया कि शरद के बीच में आने वाला शरद संपात ऋतुओं के लिहाज से भी खास है। सूर्य की राशि के अनुसार ऋतुओं में बदलाव होता है। जबकि चंद्रमास के मुताबिक त्योहार मनाए जाते हैं। आमतौर पर बसंत संपात के बाद वसंत नवरात्र या चैत्र नवरात्र होते हैं। वहीं, शरद संपात के बाद शारदीय नवरात्र आते हैं। लेकिन इस बार अधिक मास होने से शारदीय नवरात्र शरद ऋतु के आखिरी दिनों में रहेंगे। इसलिए नवरात्रि के 7 दिन शरद ऋतु में और आखिरी 2 दिन हेमंत ऋतु में रहेंगे। इस बार नवरात्र 17 अक्टूबर को शुरू होंगे।
ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक आमतौर पर यह योग या स्थिति तब बनती है जब सूर्य कन्या या तुला राशि में होता है। ज्योतिषाचार्य पं. मिश्र बताते हैं ऐसी मान्यता है कि शरद विषुव में शक्तिपात होता है। यह पृथ्वी पर दैवीय शक्ति के आने का भी संकेत माना जाता है। आचार्य वराहमिहिर ने अपने ज्योतिष ग्रंथ बृहत्संहिता में भी बताया है कि सूर्य की चाल में बदलाव होने से मनुष्य सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।
खगोलीय और ज्योतिषीय घटना एक ही दिन
शरद संपात के साथ ही साल की बड़ी ज्योतिषीय घटना हुई यानी राहु-केतु ने अपनी राशियां बदल ली है। बुधवार को राहु ने वृष राशि और केतु ने वृश्चिक राशि में प्रवेश किया है। पं. मिश्र बताते हैं कि महर्षि पराशर के मुताबिक ये राहु-केतु की उच्च राशियां है। इसलिए ये ग्रह अब देश के लिए शुभ फल देने वाले रहेंगे। इन ग्रहों के शुभ प्रभाव से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत हो सकती है और देश में कुछ बड़े बदलाव भी हो सकते हैं।
राहु के कारण देश की सीमाओं से जुड़े विवाद दूर हो सकते हैं। पड़ोसी देशों से भारत के संबंध अच्छे होंगे। कूटनीति से देश के दुश्मनों पर जीत मिल सकती है। दुश्मनों के लिए भ्रम की स्थिति बनेगी। कुछ दुश्मन देश गलत फैसले भी ले सकते हैं।
वृश्चिक राशि का केतु देश के दुश्मनों के मन में डर पैदा करेगा। हालांकि कुछ हिस्सों में उपद्रव और विवाद होने की आशंका जरूर है लेकिन राजनैतिक उठापटक के चलते फिर भी देश में कहीं भी ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
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Astronomical event: autumnal equinox 2020; Sharad Sampat on September 22, now days will start getting shorter and nights will be bigger, Hemant season will also be there during the Navratri coming in autumn.
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आज से गुप्त नवरात्रि शुरू, सभी शक्तिपीठों की होगी विशेष पूजा -अर्चना
हिन्दू माह के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। यह चार माह है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं। चैत्र या वासंतिक नवरात्र और अश्विन या शारदीय नवरात्रों के बारे में सभी जानते हैं | लेकिन इसके अतिरिक्त दो और भी नवरात्र हैं जिनमे विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है | कम लोगों को इसके बारे में जानकारी होने और इसके पीछे छिपे रहस्यमयी कारणों की वजह से इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं | गुप्त नवरात्र इस बार 22 जून यानी आज से शुरू हो रहे हैंआज सोमवार से गुप्त नवरात्रि की शुरू हो गई है। गुप्त नवरात्रि 22 जून से शुरू होकर 29 जून 2020, तक जारी रहेगी।
बेशक कोरोना वायरस के कारण शक्तिपीठों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद हों, लेकिन सोमवार शुरू हुए गुप्त नवरात्र में पुजारी नौ दिन तक चलने वाले पर्व में मां की विशेष पूजा करेंगे। इसके लिए तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस वर्ष इन गुप्त नवरात्र में किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान में कितने पुजारी भाग लेंगे यह तय नहीं हो पाया है। श्रद्धालुओं के आने जाने पर प्रतिबंध ही रहेगा।
जानकारी के अनुसार बता दें की मां के शक्तिपीठों में साल भर में पांच नवरात्र का आयोजन किया जाता है। चैत्र माह के नवरात्र मुख्यत: मार्च-अप्रैल में होते हैं। श्रावण अष्टमी का आयोजन जुलाई-अगस्त में जबकि अश्विन नवरात्र सितंबर-अक्टूबर में होते हैं। इसके इलावा फरवरी व जून में विशेष गुप्त नवरात्रों का आयोजन होता है।
गुप्त नवरात्र सिद्धि प्राप्त करने व पूजा पाठ, जप, तप के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। इन्हीं नवरात्र में बड़े-बड़े साधक यज्ञ अनुष्ठान करके मां को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। बताया जाता है कि गुप्त नवरात्र में किए जाने वाले जप में एक मंत्र का जाप करने से लाखों गुणा लाभ मिलता है।
पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हें मां ज्वालामुखी की पूजा पाठ की सेवा का सौभाग्य मिला है। मुगल काल से लेकर ब्रिटिश काल यहां तक कि युद्ध व आपातकाल के दौरे में भी इतना बुरा वक्त नहीं आया कि मंदिरों के कपाट बंद हुए हों, कोरोना के कारण व्यवस्थाएं हिली हैं।
गुप्त नवरात्र के दौरान मां का अनुष्ठान सरकार द्वारा तय नियमों का पालन करते हुए किया जाएगा। अष्टमी के अवसर पर मैया के जन्मदिवस पर भी सूक्ष्म आयोजन होगा। इस दिन मां की विशेष पूजा अर्चना के बाद हर दिन की तरह भोग लगाया जाएगा। कोरोना के कारण किसी तरह के भंडारे का मंदिर में कोई आयोजन नहीं होगा। -जगदीश शर्मा, मंदिर अधिकारी, ज्वालामुखी।
वर्ष में दो बार होते हैं गुप्त नवरात्र
कुल मिलाकर वर्ष में चार नवरात्र होते हैं | यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं | महाकाल संहिता और तमाम शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है | इसमें विशेष तरह की इच्छा की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किया जाता है |
क्या होगी गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा विधि?
– नौ दिनों के लिए कलश की स्थापना की जा सकती है
– अगर कलश की स्थापना की है तो दोनों वेला मंत्र जाप,चालीसा या सप्तशती का पाठ करन�� चाहिए.
– दोनों ही समय आरती भी करना अच्छा होगा |
– मां को दोनों वेला भोग भी लगायें , सबसे सरल और उत्तम भोग है लौंग और बताशा |
– मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है पर मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिलकुल न चढ़ाएं |
– पूरे नौ दिन अपना खान पान और आहार सात्विक रखें |
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#गुप्त_नवरात्रि_विशेष 22 जून से 29 2020 तक देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार (4) वार नवरात्र आते है एक वर्ष में (2) बार प्रकट नवरात्र चैत्र मास शुक्ल पक्ष (श्री राम जन्म वाले ) व आशिवन मास शुक्ल पक्ष में (दशहरे वाले ) आते है , ज़िन्हे आप सब जानते हें और पूजा करते है ll दो (2) बार गुप्त नवरात्र भी आते है आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को ‘गुप्त नवरात्र’ कहा जाता है , अब माघ मास के नवरात्र हैं l हालांकि इस नवरात्रि के बारे में लोगों को कम जानकारी है l ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्र के दौरान भी अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा व अर्चना करनी चाहिए। पूरे नौ (9) दिनों के उपवास का संकल्प लेना चाहिए और साथ ही प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना भी ज़रूर से करनी चाहिए l यही नहीं, घटस्थापना के बाद रोजाना सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए और फिर अष्टमी या नवमी के दिन आप कन्या का पूजन करें #महत्व जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में #दस महाविद्याओं की साधना की जाती है l गुप्त नवरात्रि खासतौर से तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है ,इस समय भक्त माँ के साक्षत्कार व भक्ती प्राप्ती के लिये पूजा करते है गौरतलब है कि इस दौरान देवी भगवती के साधक बड़े ही कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं , साथ ही साथ इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का भी प्रयास करते हैं। कौन सी हैं गुप्त नवरात्रि की 10 प्रमुख देवियां आपको बता दें कि गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या व तंत्र साधना के लिए #माँ_काली#तारा #त्रिपुर_सुंदरी #भुवनेश्वरी#छिन्नमस्ता#त्रिपुर_भैरवी #ध्रूमावती#बगलामुखी#मातंगी #कमला_देवी माता की पूजा बड़े ही श्रद्धा से करते हैं। #पूजा_की_विधि लोगों की यही कामना रहती है कि मां दुर्गा की पूजा बिना किसी विध्न व रोक-टोक के साथ कुशलता-पूर्वक संपन्न हो जाएं और मां अपनी कृपा हम सभी पर बनाएं रखें l समान्य पुजन करने के लिये सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं। जैसे लाल फूल, पेठे की मिठाई या अन्य कोई मीठी वस्तु , फल, माता ज़ी के वस्त्र , मोली ,मोली , सिन्दूर, फल , फूल , पंच मेवा , गंगा जल ,नारियल, लाल चंदन, घी का दीपक , धूपवत्ती और आरती के लिये कपूर । (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CBuGyKNAzZw/?igshid=1npihmvrwecb0
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अप्रैल महीने में पड़ने वाले हैं ये खास व्रत और त्योहार, यहां देखे पूरी लिस्ट
चैतन्य भारत न्यूज
अप्रैल माह की शुरुआत हो चुकी है। इसी के साथ हिंदू धर्म के पर्व व त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। इन त्योहारों में राम नवमी, नवरात्रि का समापन, हनुमान जयंती, अक्षय तृतीय जैसे अन्य बड़े त्योहार भी शामिल हैं। आइए जानते हैं इस माह में कौन-कौन से प्रमुख तीज-त्योहार आने वाले हैं।
अप्रैल माह के व्रत और पर्व
2 अप्रैल 2020 राम नवमी
3 अप्रैल 2020 चैत्र नवरात्रि पारणा
4 अप्रैल 2020 कामदा एकादशी
5 अप्रैल 2020 प्रदोष व्रत (शुक्ल)
8 अप्रैल 2020 हनुमान जयंती
8 अप्रैल 2020 चैत्र पूर्णिमा व्रत
11 अप्रैल 2020 संकष्टी चतुर्थी
13 अप्रैल 2020 बैसाखी
13 अप्रैल 2020 मेष संक्रांति
18 अप्रैल 2020 वरुथिनी एकादशी
20 अप्रैल 2020 प्रदोष व्रत (कृष्ण)
21 अप्रैल 2020 मासिक शिवरात्रि
22 अप्रैल 2020 वैशाख अमावस्या
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श्रीराम पूजा के लिए दिनभर में रहेंगे 3 मुहूर्त, पूरे दिन रहेगी नवमी तिथि
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श्रीराम पूजा के लिए दिनभर में रहेंगे 3 मुहूर्त, पूरे दिन रहेगी नवमी तिथि
विनय भट्ट
Apr 02, 2020, 09:17 AM IST
जीवन मंत्र डेस्क.. वाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेतायुग में चैत्र माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को दोपहर में श्रीराम का जन्म हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार ये पर्व 2 अप्रैल, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के साथ ही भगवान हनुमान की भी पूजा की जाती है। श्रीराम भगवान विष्णु का सातवां अवतार हैं। ये बात रामायण के साथ ही लिंग, नारद और ब्रह्मपुराण में भी बताई गई है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। यही कारण है कि इस दिन श्रीराम के साथ-साथ मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्र की समाप्ति का दिन
नौ दिन के चैत्र नवरात्रि उत्सव का अंतिम दिन राम नवमी है। इस पर्व को लोग भगवान राम के जन्म की खुशी के रूप में मनाते हैं, इस दिन भक्त रामायण का पाठ भी करते हैं। इस दिन को लेकर ऐसा माना जाता है कि बिना किसी मुहूर्त के सभी प्रकार के मांगलिक कार्य इस दिन संपन्न किए जा सकते हैं। इस महापर्व पर श्रीराम दरबार की पूजा की जाती है। जिसमें माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी भी शामिल है। रामनवमी पर पारिवारिक सुख शांति और समृद्धि के लिये व्रत भी रखा जाता है।
वाल्मीकि रामायण में राम जन्म
ततो यज्ञे समाप्ते तु ऋतूनां षट्समत्ययु:।
ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ।।1.18.8।।
नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु।
ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।1.18.9।।
प्रोद्यमाने जगन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम्।
कौसल्याऽजनयद्रामं सर्वलक्षणसंयुतम्।।1.18.10।।
ये तीनों श्लाेक वाल्मीकि रामायण के बालकांड के 18 वें सर्ग के हैं। इनमें भगवान राम के जन्म से जुड़ी जानकारी दी गई है। बताया गया है कि चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में देवी कौशल्या ने दिव्य लक्षणों से युक्त श्रीराम को जन्म दिया। यानी जिस दिन भगवान राम का जन्म हुआ, उस दिन की ग्रह-स्थिति का साफ-साफ जिक्र है। जिसमें बताया कि कर्क लग्न में श्रीराम का जन्म हुआ था और अन्य ग्रहों की स्थिति कुछ ऐसी थी –
सूर्य मेष राशि (उच्च स्थान) में।
शुक्र मीन राशि (उच्च स्थान) में।
मंगल मकर राशि (उच्च स्थान) में।
शनि तुला राशि (उच्च स्थान) में।
बृहस्पति कर्क राशि (उच्च स्थान) में।
चंद्रमा पुनर्वसु से पुष्य नक्षत्र की और बढ़ रहा था।
व्रत और पूजा विधि
रामनवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर के नहाकर व्रत का संकल्प करना चाहिए। घर, पूजाघर या मंदिर को ध्वजा, पताका और बंदनवार आदि से सजाया जा सकता है। इसके साथ ही घर के आंगन में रंगोली भी बनाई जाती है।
रामनवमी की पूजा में पहले राम दरबार यानी सभी देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ाया जाता है। इसके बाद मूर्तियों पर अक्षत चढ़ाएं जाते हैं। फिर सभी सुगंधित पूजन सामग्री चढ़ाने के बाद आरती की जाती है। इसके बाद श्रीराम जन्मकथा सुननी चाहिए। जिस समय व्रत कथा सुनें उस समय हाथ में गेंहू या बाजरा आदि अन्न के दाने रखें और कथा पूरी होने के बाद उनमें और अनाज मिलाकर आर्थिक क्षमता व श्रद्धानुसार दान करें।
रामनवमी पर पूजा के लिये पूजा सामग्री में रोली, चंदन, चावल, स्वच्छ जल, फूल, घंटी और शंख के साथ श्रद्धा अनुसार अन्य पूजन सामग्री भी ले सकते हैं।
रामनवमी पूजा में भगवान राम और माता सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों पर जल चढ़ाएं। इसके बाद चंदन एवं रोली अर्पित करें।
फिर चावल और फूल चढाएं एवं अन्य सुगंधित पूजन सामग्री भी चढ़ाएं।
इसके बाद भगवान को धूप-दीप समर्पित करें।
फिर भगवान राम की आरती, रामचालीसा या राम रक्षास्तोत्र का पाठ करें।
इसके बाद आरती करें एवं नैवेद्य लगाकर उसका प्रसाद चढ़ाएं।
आरती के बाद पवित्र जल को आरती में सम्मिलत सभी जनों पर छिड़कें।
रामनवमी पूजा के शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारंभ – 2 अप्रैल, सुबह 4.05 पर
नवमी तिथि समाप्त – 3 अप्रैल, रात 2.50 तक
सुबह 06.20 से 7.40 तक
सुबह 11.10 से दोपहर 1.40 तक
शाम 5.10 से 6.30 तक
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Happy Ram Navami 2020 Wishes Images, HD Photos, Status, Quotes, GIF Pics, Messages:रामनवमी भारत के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है जो चैत्र माह के नौवें दिन, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च/ अप्रैल के के महीने में आता है। यह वसंत नवरात्रि का आखिरी दिन भी है। इस साल चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरु हो रही है। 25 मार्च से शुरु हो रही चैत्र नवरात्रि में 2 अप्रैल को रामनवमी के साथ…
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चैत्र नवरात्रि - Chaitra Navratri 2020
गुलमोहर शिवालय - Gulmohar Shivalay, Vaishali Ghaziabad
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