#चूल्हे
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subhashdagar123 · 8 months ago
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satlokashram · 11 months ago
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कबीर, गृह कारण में पाप बहु, नित लागै सुन लोय। ताहिते दान अवश्य है, दूर ताहिते होय।। कबीर, चक्की चौंकै चूल्ह में, झाड़ू अरू जलपान। गृह आश्रमी को नित्य यह, पाप पाँचै विधि जान।। भावार्थ:- गृहस्थी को चक्की से आटा पीसने में, खाना बनाने में चूल्हे में अग्नि जलाई जाती है। चौंका ��र्थात् स्थान लीपने में तथा झाड़ू लगाने तथा खाने तथा पीने में पाँच प्रकार से पाप लगते हैं। हे संसारी लोगो! सुनो! इन कारणों से आपको नित पाप लगते हैं। इसलिए दान करना आवश्यक है। ये पाप दान करने से ही नाश होंगे।
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vheera · 15 days ago
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परमल का नाम सुनते ही लोग इसे सब्जी समझ लेते है पर में बता दू की इस परमल को चावल को भून कर बनाया जाता है जिसे मुरमुरे (अंग्रेजी में पफेड राइस) भी कहा जाता है I तो आइये जानते है परमल के लड्डू बनाने की विधि :-
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बनाने की विधि :-
इसके लिए सबसे पहले चूल्हे प��� कढ़ाई रखकर परमल को धीमी आंच पर भूनेंगे I
इसको तब तक चलाते रहेंगे जब तक ये क्रिस्पी न हो जाये I
परमल अच्छी तरह भून जाने के बाद इसे एक प्लेट में खली कर लेंगे I
अब गुड़ की चाशनी बनाने के लिए चूल्हे पर दूसरी कढ़ाई रखेंगे I
कढ़ाई में थोड़ा घी डालकर उस पर गुड़ को दाल देंगे
और इसे धीमी आंच में पकाएंगे इसमें पानी नहीं डालेंगे क्योकि पानी डालने से गुड़ को
ज्यादा देर तक पकाना पड़ेगा
चाशनी को ज्यादा देर तक नहीं पकाना है, गुड़ के पिघलने के बाद १ मिनट तक ही
चाशनी को पकाना है ,क्योंकि ज्यादा पकने से लड्डू टाइट बनेंगे I
चाशनी पकने के बाद गैस चूल्हे को बंद कर देंगे और इसमें परमल को दाल देंगे I
आप इसमें थोड़े मूंगफली के दाने भी डाल सकते है इससे इसका स्वाद और भी बढ़ जायेगा
इसे अच्छे से मिला लेंगे , ठंडा होने से पहले ही हाथ में थोड़ा पानी लगाकर इसके लड्डू बना लेंगे
क्योंकि ठंडा होने पर ये टाइट हो जायेगा I
तो तैयार है परमल के लड्डू
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mudraknews01 · 10 months ago
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महिलाओं ने क्यों ? कहा मोदी जय चूल्हे में ...Modi | Rahul | Loksabhaelection2024 | Haryana | india
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बादल क्या खाएगा?
. पानी उबाल कर भाप खिलाऊँगी
पानी उबालोगी चूल्हे पर तो धुएँ से बादल का दम घुट जाएगा
. तो एक थाली में पानी परोस दूँगी
आँगन में कि भरी दोपहरी घाम में पानी से भाप बनती रहेगी, बादल चुगता रहेगा
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not-a-nice-man-to-know · 2 years ago
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कविता तय‌ करती है
कि कब
चूल्हे में जलती लकड़ी को
मशाल की शक्ल में
थाम लिया जाए!
Poetry decides
When
Burning wood in a stove
Shall take the shape of a torch.
- Kumar Mukul
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balwaan · 16 hours ago
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कैसे सर्दियों में इन 3 सब्जियों की खेती दे रही है किसानों को बम्पर कमाई का मौका ?
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प्रिय पाठकों, बलवान कृषि के ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।
सर्दियों का मौसम आते ही मार्केट में सब्जियों की डिमांड गर्मियों के मुकाबले दो गुना बढ़ने लगती है क्योंकि यही वो समय है जब लोग अपने घर में अलाव जलाकर चूल्हे पर गरम खाना एन्जॉय करते है।
इस समय लोग तरह – तरह की सब्जियाँ खाना पसंद करते है जिसके चलते सब्जियों की डिमांड तो बढ़ती ही है बल्कि ये किसानों के लिए एक सुनेहरा मौका साबित होता है जब सब्जियों की खेती उन्हें बहुत ही ज्यादा मुनाफा दे सकती है। 
तो क्या आपके मन में भी यह सवाल है की सर्दियों में कौन सी सब्जी उगाई जाती है जिससे बहुत ही कम समय में ज्यादा मुनाफा मिलता है  ? 
अगर हाँ , तो इस ब्लॉग को ध्यान से पढ़ें ! क्योंकि आज हम आपको बताएंगे कि सर्दियों में कौन-कौन सी सब्जियों की खेती करनी चाहिए, जिससे आप बहुत ही कम समय में लाखों तक की बम्पर कमाई कर सकते है। 
यहाँ पढ़े पूरी स्टोरी : कैसे सर्दियों में इन 3 सब्जियों की खेती दे रही है किसानों को बम्पर कमाई का मौका ?
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acharyasunilsehtani05 · 14 days ago
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वास्तु फॉर किचन: एक संतुलित और समृद्ध रसोई बनाने के विशेषज्ञ टिप्स
रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ हमारा रसोईघर भी घर का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह वह स्थान है जहाँ हम अपने परिवार के लिए खाना पकाते हैं। लेकिन, रसोई केवल खाना पकाने के लिए नहीं है, बल्कि वास्तु शास्त��र के अनुसार, रसोई का डिज़ाइन और स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है। आज के ब्लॉग में हम कुछ विशेषज्ञ टिप्स पर चर्चा करेंगे, जो आपके रसोईघर को वास्तु फॉर किचन सिद्धांतों के अनुसार संतुलित और समृद्ध बना सकते हैं।
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रसोई के लिए वास्तु का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक कमरे में विशिष्ट ऊर्जा और तत्व होते हैं, और रसोई भी इसका एक हिस्सा है। अगर आपकी रसोई को वास्तु फॉर किचन गाइडलाइंस के अनुसार डिज़ाइन किया गया है, तो यह आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकती है, स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है, और समृद्धि और सफलता को आकर्षित कर सकती है। लेकिन अगर रसोई का वास्तु सही नहीं है, तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, वित्तीय अस्थिरता और परिवार में असमंजस जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
अगर आप अपनी रसोई को संतुलित और समृद्ध बनाना चाहते हैं, तो आपको रसोई के लेआउट, दिशा, डिज़ाइन और स्थिति के वास्तु सिद्धांतों को समझना होगा।
1. वास्तु किचन दिशा: रसोई की सही स्थिति
रसोई डिज़ाइन करते समय एक सबसे महत्वपूर्ण तत्व है वास्तु किचन दिशा। वास्तु के अनुसार, रसोई को आदर्श रूप से दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी हुई है, जो रसोई के लिए आवश्यक है। अगर दक्षिण-पूर्व कोना उपलब्ध नहीं है, तो आप उत्तर-पश्चिम दिशा को एक द्वितीय विकल्प के रूप में विचार कर सकते हैं।
उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई रखना पूरी तरह से अवॉयड करना चाहिए, क्योंकि यह जल तत्व से जुड़ी होती है, और यह अग्नि तत्व के साथ टकराती है, जिससे असंतुलन हो सकता है। दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में रसोई रखना भी उचि�� नहीं है, क्योंकि इससे स्वास्थ्य और वित्तीय समस्याएं हो सकती हैं।
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2. वास्तु फॉर किचन लेआउट: ऊर्जा प्रवाह के लिए व्यवस्थित करें
रसोई का लेआउट भी ऊर्जा के प्रवाह को निर्धारित करता है। वास्तु फॉर किचन लेआउट के कुछ दिशानिर्देशों का पालन करके आप रसोई में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं:
कुकिंग एरिया: चूल्हे को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए, और खाना पकाने के समय आपको पूर्व दिशा में मुख करके खाना बनाना चाहिए। यह स्थिति अग्नि तत्व के साथ संरेखित होती है, और इससे समृद्धि और स्वास्थ्य मिलता है। अगर दक्षिण-पूर्व दिशा उपलब्ध नहीं है, तो आप दक्षिण दिशा को भी विचार कर सकते हैं, लेकिन चूल्हे को रसोई के मध्य में या खिड़की के ठीक नीचे न रखें, क्योंकि इससे अस्थिरता हो सकती है।
सिंक एरिया: सिंक को उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह जल तत्व को संतुलित करता है और अग्नि के साथ सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित करता है। चूल्हे और सिंक को एक साथ रखने से बचें, क्योंकि जल और अग्नि के बीच टकराव हो सकता है।
फ्रिज और स्टोरिज: फ्रिज को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए, और रसोई की स्टोरिज को पश्चिम या दक्षिण दीवारों पर रखा जाना चाहिए। इस स्थिति से ऊर्जा प्रवाह अवरुद्ध नहीं होगा।
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3. वास्तु फॉर कुकिंग एरिया: रसोई का दिल
वास्तु फॉर कुकिंग एरिया चूल्हे और अन्य कुकिंग उपकरणों के विशिष्ट स्थान पर ध्यान केंद्रित करता है। चूल्हा रसोई का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, जो अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। अपनी रसोई को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखने के लिए:
हमेशा चूल्हे को पूर्व दिशा में रखें। इससे समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है।
चूल्हे को कभी भी ऊपर की बीम के नीचे न रखें, क्योंकि इससे दबाव महसूस होता है और खाना पकाने में भी परेशानी हो सकती है।
अगर आपके पास माइक्रोवेव या ओवन है, तो इन्हें चूल्हे के पास न रखें, ताकि चूल्हे की ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा न हो।
4. वास्तु फॉर किचन डिज़ाइन: रंग, सामग्री और प्रकाश
वास्तु फॉर किचन डिज़ाइन में रंगों, सामग्री और प्रकाश का चयन भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि लेआउट। रसोई के डिज़ाइन को संतु��ित और सकारात्मक रखने के लिए निम्नलिखित टिप्स अपनाएं:
रंग: हल्के रंग जैसे सफेद, क्रीम, पीला और हल्का नारंगी रसोई में इस्तेमाल किए जाने चाहिए, क्योंकि ये सकारात्मक ऊर्जा को उत्तेजित करते हैं। काले और गहरे नीले रंगों से बचें, क्योंकि ये ठहरे हुए और भारी ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
सामग्री: वास्तु में लकड़ी की सतहें शुभ मानी जाती हैं, लेकिन आप काउंटरटॉप्स के लिए स्टेनलेस स्टील या ग्रेनाइट का भी उपयोग कर सकते हैं। आप फर्श में संगमरमर का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन चूल्हे के आसपास संगमरमर का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करता है।
प्रकाश: रसोई में उचित प्रकाश महत्वपूर्ण है ताकि वातावरण जीवंत और ऊर्जा से भरपूर रहे। प्राकृतिक प्रकाश सबसे अच्छा होता है, इसलिए रसोई में खिड़कियाँ या वेंटिलेशन होना चाहिए। अगर आप कृत्रिम प्रकाश का उपयोग कर रहे हैं, तो उज्ज्वल और गर्म रोशनी का उपयोग करें।
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5. समृद्ध रसोई के लिए अतिरिक्त टिप्स
वेंटिलेशन: रसोई में उचित वेंटिलेशन होना चाहिए, ताकि ताजा हवा circulate हो सके और नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल सके।
अव्यवस्था से बचें: रसोई को अव्यवस्था से मुक्त रखें। अव्यवस्था ठहरी हुई ऊर्जा उत्पन्न करती है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
आइने: रसोई में आइने लगाने से बचें, विशेष रूप से चूल्हे के पास। वास्तु के अनुसार, यह अशुभ माना जाता है।
निष्कर्ष
वास्तु फॉर किचन सिद्धांतों को अपनाकर आप अपनी रसोई को स्वास्थ्य, सामंजस्य और समृद्धि का स्रोत बना सकते हैं। वास्तु किचन दिशा, वास्तु फॉर किचन लेआउट और वास्तु फॉर कुकिंग एरिया पर ध्यान देकर, आप अपनी रसोई में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित कर सकते हैं। छोटे डिज़ाइन परिवर्तनों के साथ, आप अपने जीवन में सकारात्मक परिणाम ला सकते हैं और अपने घर को एक अच्छा, समृद्ध और शांतिपूर्ण वातावरण दे सकते हैं।
सुझाए गए लिंक:-https://www.askacharya.com/
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rightnewshindi · 17 days ago
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देश को 60 फीसदी चूल्हे उपलब्ध करवाने वाले 98 फीसदी उद्योगों ने परवाणु से किया पलायन, जानें वजह
Himachal News: हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र परवाणू से चूल्हा उद्योगों का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो गया है। देश को 60 फीसदी चूल्हा उपलब्ध करवाने वाले क्षेत्र में अब केवल दो उद्योग रह गए हैं। कारण यह है कि 2015 के बाद से अब तक प्रदेश को औद्योगिक पैकेज नहीं मिल पाया है। कोरोना के बाद हालात और खराब हो गए। ऐसे में परवाणू में लगे 98 फीसदी चूल्हा उद्योग दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं। आलम…
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rawatpahadi108 · 1 month ago
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हल्दी राम और मिठास की जलेबी आज जंगल में जाके लकड़ी के चूल्हे में बना दी |...
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maakavita · 1 month ago
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मात-पिता का मुख (maat-pita ka mukh ) प्यारा-सा
मात-पिता हैं दूध के जैसे, फिर तेरा रंग क्यों अंधियारा-सा, क्यों उदास-सा मुख है तेरा, तेरे मात-पिता का मुख तो है प्यारा-सा, * * * * * * माँ डाले नयनों में काजल, उसको पसंद हैं काले-काले बादल, काले रंग के पेड़ पसंद हैं, वो गले में डाले काला धागा, सब रंगों से प्यार है माँ को, पर काले रंग से सबसे ज्यादा, माँ जिस चूल्हे पर रोटी बनाएं, उस चूल्हे का तवा है काला, मेरी मुख पर काला तिल देखकर, माँ मुझे बोले…
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subhashdagar123 · 8 months ago
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indlivebulletin · 2 months ago
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मिट्टी के चूल्हे के गर्म पानी और गैस गीजर के गर्म पानी में होता है कोई अंतर? जानें यहां
मिट्टी के चूल्हे में गर्म किए गए पानी और गैस गीजर में गर्म किए गए पानी के बीच कुछ अंतर होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य, त्वचा, और पानी के गुणों पर असर डाल सकते हैं. यहां जानिए दोनों में क्या अंतर है. पानी का तापमान और स्थिरता मिट्टी का चूल्हा: इसमें पानी धीरे-धीरे गर्म होता है और एक समान तापमान पर रहता है. इस प्रक्रिया में पानी का तापमान ज्यादा नहीं बढ़ता, जिससे यह त्वचा और स्वास्थ्य के लिए बेहतर…
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vheera · 15 days ago
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best restaurant in rudrapur
परमल का नाम सुनते ही लोग इसे सब्जी समझ लेते है पर में बता दू की इस परमल को चावल को भून कर बनाया जाता है जिसे मुरमुरे (अंग्रेजी में पफेड राइस) भी कहा जाता है I तो आइये जानते है परमल के लड्डू बनाने की विधि :-
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बनाने की विधि :-
इसके लिए सबसे पहले चूल्हे पर कढ़ाई रखकर परमल को धीमी आंच पर भूनेंगे I
इसको तब तक चलाते रहेंगे जब तक ये क्रिस्पी न हो जाये I
परमल अच्छी तरह भून जाने के बाद इसे एक प्लेट में खली कर लेंगे I
अब गुड़ की चाशनी बनाने के लिए चूल्हे पर दूसरी कढ़ाई रखेंगे I
कढ़ाई में थोड़ा घी डालकर उस पर गुड़ को दाल देंगे
और इसे धीमी आंच में पकाएंगे इसमें पानी नहीं डालेंगे क्योकि पानी डालने से गुड़ को
ज्यादा देर तक पकाना पड़ेगा
चाशनी को ज्यादा देर तक नहीं पकाना है, गुड़ के पिघलने के बाद १ मिनट तक ही
चाशनी को पकाना है ,क्योंकि ज्यादा पकने से लड्डू टाइट बनेंगे I
चाशनी पकने के बाद गैस चूल्हे को बंद कर देंगे और इसमें परमल को दाल देंगे I
आप इसमें थोड़े मूंगफली के दाने भी डाल सकते है इससे इसका स्वाद और भी बढ़ जायेगा
इसे अच्छे से मिला लेंगे , ठंडा होने से पहले ही हाथ में थोड़ा पानी लगाकर इसके लड्डू बना लेंगे
क्योंकि ठंडा होने पर ये टाइट हो जायेगा I
तो तैयार है परमल के लड्डू
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deshbandhu · 2 months ago
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Aastha Aur Suryopaasana ke Mahaaparv Chhath Mein Shuddhata va Svachchhata ka Rakha Jaata hai Pura Khyaal
पटना। भगवान भास्कर के उपासना का पर्व छठ को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इस पर्व में शुद्धता और स्वच्छता का पूरा ख्याल रखा जाता है। सूर्योपासना का यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है।
इस पर्व में व्रतियों के घरों के अलावा गलियों से लेकर सड़कों तक की सफाई की जाती है। इस कार्य मे प्रशासन ही नही मोहल्ले, कस्बों के लोग भी मनोयोग से जुटते हैं। घर से लेकर छठ घाटों तक साफ सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा इस अवसर पर बनने वाले महाप्रसाद मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी को जलाकर तैयार किया जाता है। आम की लकड़ी और मिट्टी के चूल्हे को शुद्ध माना जाता है। सनातन धर्म में आम की लकड़ी का खास महत्व है।
Read More: https://www.deshbandhu.co.in/vichar/complete-care-is-taken-of-purity-and-cleanliness-in-chhath-the-great-festival-of-faith-and-sun-worship-508226-2
For more update: https://epaper.deshbandhu.co.in/view/6533/deshbandhu-jabalpur
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sharpbharat · 2 months ago
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jamshedpur incident-बर्मामाइंस में खाने बनाने के दौरान ग्रेजुएट कॉलेज की छात्रा झुलसी, एमजीएम में भर्ती
जमशेदपुर: जमशेदपुर के बर्मामाइंस थाना अंतर्गत गांधी नगर बस्ती में रविवार की सुबह साकची ग्रेजुएट कॉलेज की छात्रा ज्योति कुमारी लकड़ी के चूल्हे में खाना बना रही थी. इसी दौरान चूल्हे की आग कपड़ों में पकड़ ली. ज्योति ने आगे से बचने की कोशिश की. लेकिन आग की चपेट में आ गयी, जिससे वह गंभीर रूप से झुलस गईं.घटना की जानकारी मिलते ही परिवार के लोग आग को बुझाने का प्रयास किया.तब तक वह बुरी तरह झुलस गयी थी.…
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