#चाट
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चाट खात नव्या नवेली फिरली भोपालच्या गल्ल्या, होतंय कौतुक
चाट खात नव्या नवेली फिरली भोपालच्या गल्ल्या, होतंय कौतुक
चाट खात नव्या नवेली फिरली भोपालच्या गल्ल्या, होतंय कौतुक स्टारकिड काय करतात, कुठे फिरतात याकडे अनेकांचं लक्ष असतं. पण याच स्टारकिडसचा साधेपणा जेव्हा चाहत्यांसमोर येतो तेव्हा त्याचं कौतुक होतं. सध्या अमिताभ बच्चन यांची नात नव्या नवेली नंदा हीदेखील भोपालच्या रस्त्यावर तिचे आवडते स्ट्रीटफूड खात आनंद घेत आहे. तिच्या या साधेपणाचं चांगलचं कौतुक सुरू आहे. स्टारकिड काय करतात, कुठे फिरतात याकडे अनेकांचं…
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आलू की चटपटी चाट: व्यंजनों का राज़
यह आलू की चटपटी चाट रेसिपी आपको एक नए स्वाद के साथ प्रस्तुत करती है। इसमें आलू के गोले, ताजगी धनिया पत्ती, इमली की खटाई, मसाले और चटनी का समावेश है। यह आपके मुख्य व्यंजन को और भी स्वादिष्ट बना देगी। आप इसे अपने भोजन के साथ या फिर स्नैक्स के रूप में आसानी से परिपूर्ण कर सकते हैं। चलिए, इस चटपटी चाट के साथ मस्ती करें!
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Video-एक ही गाड़ी में 4 छात्रों का जानलेवा स्टंट, CG के 'नीबू चाट ले' सॉन्ग में बनाये रिल्स, अब पुलिस के रिल्स में मांग रहे माफी...
Video-एक ही गाड़ी में 4 छात्रों का जानलेवा स्टंट, रायपुर। यातायात नियम तोड़ने में कुछ लोग ज्यादा ही माहिर हो गए हैं। ऐसे लोगों के लिए सड़कों पर ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाना एक आम बात सी बन गई है। आए दिन ऐसे वीडियो वायरल होते हैं जिनमें लोग नियम से ��्यादा सवारी बैठा लेते हैं जिसके वीडियो भी इंटरनेट मीडिया ��र वायरल हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही एक नया वीडियो सामने आया है जहां एक चलती स्कूटी में चार…
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#CG के &039;नीबू चाट ले&039; सॉन्ग में बनाये रिल्स#Video-एक ही गाड़ी में 4 छात्रों का जानलेवा स्टंट#अब पुलिस के रिल्स में मांग रहे माफी...
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दिल्ली स्ट्रीट फूड: मूली की चटनी के साथ स्वादिष्ट राम लड्डू कैसे बनाएं
दिल्ली स्ट्रीट फूड: मूली की चटनी के साथ स्वादिष्ट राम लड्डू कैसे बनाएं
उत्तर भारत में सर्दी का मौसम शुरू हो गया है, तापमान तेजी से गिर रहा है और हवा ठंडी हो रही है। इस दौरान खुद को गर्म और अच्छी तरह से ढक कर रखना जरूरी है। और निश्चित रूप से, हमें मौसम के विशेष आनंद का आनंद लेना चाहिए! दिल्ली के सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड में से एक, राम लड्डू सर्दियों के मौसम में विशेष रूप से पसंद किए जाते हैं। राम लड्डू मूल रूप से एक छोटा कुरकुरे पकोड़ा है जो बाहर से खस्ता और बाहर से…
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#दिल्ली का स्ट्रीट फूड#दिल्ली स्ट्रीट फूड#पारुल के साथ पकाना#मूंग दाल पकोड़ी#मूंग दाल पकौड़ी चाट#राम लड्डू#राम लड्डू चाट#सड़क का भोजन#सर्दियों का खाना#सर्दियों का स्ट्रीट फूड
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Being desi is your mom randomly bringing कच्चा पनीर और चाट मसाला for you and your siblings to snack on
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प्रताप की तलवार
राणा चढ चेतक़ पर तलवार उठा,
रख़ता था भूतल पानीं को।
राणा प्रताप सर क़ाट क़ाट,
क़रता था सफ़ल ज़वानी को।।
क़लकल ब़हती थी रणगंगा,
अरिदल् को डूब़ नहानें को।
तलवार वीर क़ी नाव बनीं,
चटपट उस पार लगानें को।।
बैरी दल को ललक़ार गिरी,
वह नागिन सी फुफ़कार गिरी।
था शोंर मौंत से बचों बचों,
तलवार गिरीं तलवार गिरीं।।
पैंदल, हयदल, गज़दल मे,
छप छप क़रती वह निकल गयी।
क्षण कहां गयी कुछ पता न फ़िर,
देख़ो चम-चम वह निक़ल गयी।।
क्षण ईधर गई क्षण ऊधर गयी,
क्षण चढी बाढ सी उतर गयी।
था प्रलय चमक़ती जिधर गयी,
क्षण शोर हो ग़या क़िधर गयी।।
लहराती थी सर क़ाट क़ाट,
बलख़ाती थी भू पाट पाट।
बिख़राती अव्यव बांट बांट,
तनती थीं लहू चाट चाट।।
क्षण भींषण हलचल मचा मचा,
राणा क़र की तलवार बढी।
था शोर रक्त पीनें को यह,
रण-चन्डी जीभ़ पसार बढी।।
~श्यामनारायण पाण्डेय
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1405.
शाकाहार या माँसाहार
Veg or Non-veg
शिक्षा-चिकित्सा वार्ता
शिक्षार्थ प्रस्तुति - कामिनी मोहन पाण्डेय।
जो खाना हम खाते हैं, वो प्राण है। प्राण ही हमारा जीवन है। जीवन को बनाये रखने के लिये प्राण रूपी भोजन अति आवश्यक है। दूसरे जीवन के प्राण को समाप्त कर जो भजन ग्रहण किया जाता है, उस भोजन के साथ हम मनुष्यों का शरीर सही ढंग से व्यवहार नहीं करता है। जितना हमारा शरीर भोजन के साथ संवेदनशील है, उतना ही प्रकृति में उत्पन्न होने वाले उद्भिज यानी पेड़-पौधे, शाक-सब्जियों, फल और फूल भी संवेदनशील है। हमारा प्रकृति के प्रति व्यवहार और भावना सही ढंग का होना चाहिए, यह वही सही ढंग है, जिस ढंग से ईश्वर ने मनुष्य के शरीर और प्रकृति को रचा है।
जिनके भी कान बाहर दिखाई देते हैं, वे पिण्डज यानी (गर्भ से उत्पन्न होनेवाले) होते हैं ये सभी बच्चे को जन्म देते हैं और जिन जीवों के कान बाहर नहीं दिखाई देते हैं वे अंडे देते हैं। जिन जीवों की आँखों की ऊपरी संरचना गोल होती है, वे सब माँसाहारी होते हैं, जैसे- कुत्ता, बिल्ली, बाज, चिड़िया, शेर, भेड़िया, चील आदि, त��� ऐसे जीव जिसकी आँखे गोल हैं वे माँसाहारी ही होते हैं। ठीक उसी तरह जिनकी आँखों की बाहरी संरचना लंबी या लम्बाई में होती है। वे सभी जीव शाकाहारी होते हैं। जैसे - भैंस, हिरण, खरगोश, नीलगाय, गाय, हाथी, बैल, भैंस, बकरी कबूतर आदि। इनकी आँखों की बनावट गोल नहीं होती है। मनुष्य की भी आँखें गोल नहीं बल्कि लंबाई में होती है।
माँसाहारी जीवों के दाँत नुकीले होते है, जबकि शाकाहारी जीवों के दाँत चपटे होते हैं। जिन जीवों के नाखून तीखे नुकीले होते हैं, वे सभी माँसाहारी होते हैं, जैसे- शेर, चीता, सांप, बिल्ली, कुत्ता, बाज, गिद्ध आदि और जिन जीवों के नाखून चौड़े चपटे होते हैं वे सब के सब शाकाहारी होते हैं, जैसे - मनुष्य, गाय, घोड़ा, गधा, बैल, हाथी, ऊँट, हिरण, बकरी आदि। मनुष्य के नाखून तीखे नुकीले नहीं होते हैं बल्कि ये चौड़े एवं चपटे होते हैं।
मांसाहारियों के लार अम्लीय (acidic) होते हैं, जबकि शाकाहारियों के मुँह के लार क्षारीय (alkaline) होते हैं। मांसाहारियों में कार्बोहाईड्रेट नहीं होता इस कारण मांसाहारियों की आंतों में बैक्टीरिया की किण्वन (Fermentation) क्रिया नहीं होती हैं। शाकाहारियों के आंतों में (Fermentation) होते हैं, जो कार्बोहाइडेट के पाचन में सहायक होते हैं। मांसाहारियों का रक्त अम्लीय (acidic) होता है, जबकि शाकाहारियों का रक्त क्षारीय (alkaline) होता है।
जिन जीवों को पसीना आता है, वे सभी जीव शाकाहारी होते हैं, जैसे- घोड़ा, बैल, गाय, भैंस, खच्चर आदि, जबकि माँसाहारी जीवों को पसीना नहीं आता है, इसलिए कुदरती तौर पर वे जीव अपनी जीभ निकाल कर लार टपकाते हुए हाँफते रहते हैं। इस प्रकार वे अपनी शरीर की गर्मी को नियंत्रित करते हैं। मनुष्य को भी पसीना आता है और वह अपने तापमान को जीभ निकालकर संतुलित नहीं करता है, इसका अर्थ है कि मनुष्य का शरीर पूर्ण रूप से शाकाहार के लिए सृजित किया गया है।
मांसाहारियों के खून के लिपो प्रोटीन अलग होते हैं। जबकि शाकाहारियों और मनुष्य के खून के लिपो प्रोटीन (lipo – protein) एक जैसे होते हैं।
मांसाहारियों की रीढ़ (spinal cord) की बनावट ऐसी होती है कि वे पीठ पर भार नहीं ढो सकते, जबकि शाकाहारी पीठ पर भार ढो सकते हैं।मांसाहारियों के श्वास की रफ्तार अधिक होती है जबकि शाकाहारियों की कम। मांसाहारी पानी भी कम पीते हैं, जबकि शाकाहारी ज़्यादा पानी पीते हैं।
शाकाहारी प्राणी रात में सोते हैं, दिन में जागते हैं जबकि मांसाहारी प्राणी ऐसा नहीं करते।
मांसाहार क्रूरता की निशानी है। जरूरत पड़ने पर मांसाहार जानवर अपने बच्चे को मारकर खा सकता है। शाकाहारी ऐसा नहीं करते। गुर्राने वाले सभी जानवर मांसाहारी होते हैं, जबकि शाकाहारी गुर्राते नहीं है। शाकाहारी घूंट-घूंट कर होठ बंद कर पानी पीते हैं जबकि मांसाहारी जीभ से चाट-चाट कर पानी पीते हैं। शाकाहारियों के संतान की आँखें पैदा होते ही खुलती हैं, बंद नहीं रहती, जबकि मांसाहारियों की दो से ��ीन दिनों तक बंद रहती है। सारे तथ्य मांसाहार और शाकाहार की प्रकृति को स्पष्ट करते हैं। वेज या नॉनवेज के टेस्ट की बात करें तो पता चलता है कि टेस्ट मांस का नहीं उसमें प्रयोग किए जाने वाले प्याज, लहसुन और विभिन्न प्रकार के मसालों के मिश्रण का स्वाद होता है, जो हमारे जीभ में पाए जाने वाले चार प्रकार के स्वाद कालिकाओं द्वारा ग्रहण किया जाता है।
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Chaat Masala Recipe | चाट मसाला पाउडर | Homemade Chaat Masala Recipe | ...
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Quick & Easy Bread Chaat Recipe |झटपट बनाएं ब्रेड चाट|Best Evening Snack...
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चाट पापडीसह स्ट्रीट फूडचा आस्वाद,सर्वसामान्यांप्रमाणे छोट्या दुकानात कापले केस ! अमिताभ यांच्या नातीचा अंदाज चाहत्यांना आवडला
चाट पापडीसह स्ट्रीट फूडचा आस्वाद,सर्वसामान्यांप्रमाणे छोट्या दुकानात कापले केस ! अमिताभ यांच्या नातीचा अंदाज चाहत्यांना आवडला
चाट पापडीसह स्ट्रीट फूडचा आस्वाद,सर्वसामान्यांप्रमाणे छोट्या दुकानात कापले केस ! अमिताभ यांच्या नातीचा अंदाज चाहत्यांना आवडला मुंबई – बॉलिवूडचे महानायक अमिताभ बच्चन जितके मोठे स्टार आहेत तितकेच ते ग्राउंड टू अर्थ देखील आहेत. बहुदा हा त्यांचा गुण त्यांची नात नव्या नवेली नंदाने देखील घेतल्याचे दिसून येते. नव्या सध्या भोपाळमध्ये फिरत आहे. भोपाळमधील छोट्या छोट्या गल्ली बोळात जाऊन तेथील प्रत्येक…
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Kachori Chaat || कचौरी चाट || Neelam Ki Cooking Diary #shorts #kachorich...
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5 Tasty और Spicy Chaat Recipes | Quick Indian Street Food Snacks
चाट भारतीय स्ट्रीट फूड की दुनिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर चाट की अपनी एक विशेषता होती है जो इसे अद्वितीय और स्वादिष्ट बनाती है। खासकर जब बात आती है Spicy Chaat Recipes की, तो आपको विभिन्न स्वादों का अनुभव होता है: तीखा, मीठा, खट्टा और कुरकुरा। चाट न केवल खाने के लिए मजेदार होती है, बल्कि इसे बनाना भी बेहद सरल होता है। इस लेख में हम आपको 5 ऐसी चाट रेसिपीज़ बताएंगे जो जल्दी बनती हैं और हर…
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jamshedpur chunav kurukshetra- चुनाव कुरुक्षेत्र: गरज कर बोला बूढ़ा शेर, लो मेरे कर्ण और अर्जुन आ गये
बहरागोड़ा के नेताजी सुभाष पार्क के पास पुटूस और अमोरी फूलों की माला पहने जमुरे एक बेंच पर बैठा मोबाइल पर कुछ देख रहा था. तभी पास के ठेला पर चाट खा रहे उस्ताद की नजर उस पर पड़ी. उस्ताद उसके पास पहुंचे और बोले. अरे जमुरे बचवा! आज मोबाइल पर बहुते व्यस्त क्यों है? जमुरे बोला. इस चुनाव कुरुक्षेत्र तो मोबाइले पर लड़ा जा रहा है. हम अपने मोबाइल पर बहरागोड़ा के बूढ़े शेर अपने डॉ साहब की गर्जन को लाइव सुन…
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Co s šatstvem páni bohatí v úmorném letním dni? Po vedru mráz se navrátí: kožich neodvrhni. Vetší je světa rozpětí než náruč uchopí; kdo chce mít všechno v objetí, ždibec jen pochopí.
שִׁ֥יר הַֽמַּֽעֲל֗וֹת לְדָ֫וִ֥ד שָׂ֖מַחְתִּי בְּאֹֽמְרִ֣ים לִ֑י בֵּ֖ית יְהֹוָ֣ה נֵלֵֽךְ: עֹֽמְדוֹת הָי֣וּ רַגְלֵ֑ינוּ בִּ֜שְׁעָרַ֗יִךְ יְרֽוּשָׁלִָֽם: יְרֽוּשָׁלִַ֥ם הַבְּנוּיָ֑ה כְּ֜עִ֗יר שֶׁחֻבְּרָה־לָּ֥הּ יַחְדָּֽו: שֶׁשָּׁ֨ם עָל֪וּ שְׁבָטִ֡ים שִׁבְטֵי־יָ֖הּ: עֵד֣וּת לְיִשְׂרָאֵ֑ל לְ֜הֹד֗וֹת לְשֵׁ֣ם יְהֹוָֽה: כִּ֚י
שָׁ֨מָּה | יָֽשְׁב֣וּ כִסְא֣וֹת לְמִשְׁפָּ֑ט כִּ֜סְא֗וֹת לְבֵ֣ית דָּוִֽד: שַֽׁאֲלוּ שְׁל֣וֹם יְרֽוּשָׁלִָ֑ם יִ֜שְׁלָ֗יוּ אֹֽהֲבָֽיִךְ: יְהִֽי־שָׁל֥וֹם בְּחֵילֵ֑ךְ שַׁ֜לְוָ֗ה בְּאַרְמְנוֹתָֽיִךְ
:לְמַֽעַן־אַחַ֥י וְרֵעָ֑י אֲדַבְּרָה־נָּ֖א שָׁל֣וֹם בָּֽךְ: לְמַעַן בֵּית־יְהֹוָ֣ה אֱלֹהֵ֑ינוּ אֲבַקְשָׁ֖ה ט֣וֹב לָֽך
אויר הרים צלול כיין וריח אורנים נישא ברוח הערביים עם קול פעמונים.
ובתרדמת אילן ואבן שבויה בחלומה העיר אשר בדד יושבת ובליבה חומה
ירושלים של זהב ושל נחושת ושל אור הלא לכל שירייך אני כינור ירושלים של זהב ושל נחושת ושל אור הלא לכל שירייך אני כינור
איכה יבשו בורות המים כיכר השוק ריקה ואין פוקד את הר הבית בעיר העתיקה.
ובמערות אשר בסלע מייללות רוחות ואין יורד אל ים המלח בדרך יריחו.
ירושלים של זהב…
אך בבואי היום לשיר לך ולך לקשור כתרים קטונתי מצעיר בנייך ומאחרון המשוררים.
כי שמך צורב את השפתיים כנשיקת שרף אם אשכחך ירושלים אשר כולה זהב
ירושלים של זהב…
חזרנו אל בורות המים לשוק ולכיכר שופר קורא בהר הבית בעיר העתיקה.
ובמערות אשר בסלע אלפי שמשות זורחות נשוב נרד אל ים המלח בדרך יריחו.
ירושלים של זהב… אָדָם זָקוּק לְפָחוֹת לְדֶלֶת אַחַת לִפְתֹּחַ אֶת מָה שֶׁסָּגַר לְהִכָּנֵס כְּדֵי לְגַלּוֹת לָצֵאת בִּשְׁבִיל לְחַפֵּשׂ לִסְגֹּר עַל מְנַת לְהָנִיחַ אָדָם זָקוּק לְדֶלֶת אַחַת לִתְלוֹת עָלֶיהָ שֶׁלֶט לִקְרֹא לָהּ בְּשֵׁם אָדָם זָקוּק לְדֶלֶת כְּדֵי שֶׁיּוּכַל לִנְקֹשׁ עָלֶיהָ בְּיָד רַכָּה לִשְׁמֹעַ מִישֶׁהוּ בְּצִדָּהּ הַשֵּׁנִי עוֹנֶה לוֹ: יָבוֹא
تُسَرِّحُ اسطنبولُ الصبيّةُ شَعرها
على مرآةِ اسطنبولَ العجوز.
تطير في هذي القصيدةِ خِصْلةٌ
تغازلُ الإيقاع تحرّكهُ.
في برزخِ العشقِ كأني
أو في برزخِ الموت أنام.
أنسى زمانًا كان لي
ينساني زمانٌ ليس لي.
أصحو فأسالُ:
أين الدربَ يا حُرَّاسَ مدائنِ الفضّة؟
वह आता– दो टूक कलेजे को करता, पछताता पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक, चल रहा लकुटिया टेक, मुट्ठी भर दाने को — भूख मिटाने को मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता — दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए, बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते, और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाए। भूख से सूख ओठ जब जाते दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते? घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते। चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए, और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए ! به كجا چنين شتابان؟” گون از نسيم پرسيد. “دل من گرفته زينجا، هوس سفر نداري ز غبار اين بيابان؟” “همه آرزويم؛ اما چه كنم كه بسته پايم”… “به كجا چنين شتابان؟” “به هر آن كجا كه باشد به جز اين سرا سرايم “… “سفرت به خير؛ اما، تو و دوستي، خدا را چو از اين كوير وحشت به سلامتي گذشتي، به شكوفهها، به باران، برسان سلام ما را “.
یآدم اعضای یک پیکرند که در آفرينش ز یک گوهرند
چو عضوى بهدرد آورَد روزگار دگر عضوها را نمانَد قرار
تو کز محنت دیگران بیغمی نشاید که نامت نهند آدمی banī ādam a’zā-ye yek peykar-and ke dar āfarīn-aš ze yek gowhar-and čo ‘ozvī be dard āvarad rūzgār degar ‘ozvhā-rā na-mānad qarār to k-az mehnat-ē dīgarān bīqam-ī na-šāyad ke nām-at nahand ādamī
یا تا گل برافشانیم و می در ساغر اندازیم
فلک را سقف بشکافیم و طرحی نو دراندازیم
اگر غم لشکر انگیزد که خون عاشقان ریزد
من و ساقی به هم تازیم و بنیادش براندازیم
شراب ارغوانی را گلاب اندر قدح ریزیم
نسیم عطرگردان را شِکَر در مجمر اندازیم
چو در دست است رودی خوش بزن مطرب سرودی خوش
که دست افشان غزل خوانیم و پاکوبان سر اندازیم
صبا خاک وجود ما بدان عالی جناب انداز
بود کان شاه خوبان را نظر بر منظر اندازیم
یکی از عقل میلافد یکی طامات میبافد
بیا کاین داوریها را به پیش داور اندازیم
بهشت عدن اگر خواهی بیا با ما به میخانه
که از پای خمت روزی به حوض کوثر اندازیم
سخندانیّ و خوشخوانی نمیورزند در شیراز
بیا حافظ که تا خود را به ملکی دیگر انداز Beni bu güzel havalar mahvetti, Böyle havada istifa ettim Evkaftaki memuriyetimden. Tütüne böyle havada alıştım Böyle havada aşık oldum; Eve ekmekle tuz götürmeyi Böyle havalarda unuttum; Şiir yazma hastalığım Hep böyle havalarda nüksetti; Beni bu güzel havalar mahvetti.
Hak cihana doludur, Kimseler Hakk’ı bilmez. Onu sen senden iste, O senden ayrı olmaz.
Dünyaya inanırsın, Rızka benimdir dersin. Niçin yalan söylersin? Çün sen dediğin olmaz.
Ahret yavlak ıraktır, Doğruluk tek azıktır Ayrılık sarp firaktır Hiç varan geri gelmez.
Dünyaya gelen göçer, Bir bir şerbetin içer, Bu bir köprüdür geçer, Cahiller onu bilmez.
Gelin tanış olalım, İşi kolay kılalım, Sevelim sevilelim, Dünya kimseye kalmaz.
Yunus sözün anlarsan, Ma’nisini dinlersen, Sana bir amel gerek. Bunda kimse ne kalmaz.
Büyük insanlık gemide güverte yolcusu tirende üçüncü mevki şosede yayan büyük insanlık.
Büyük insanlık sekizinde işe gider yirmisinde evlenir kırkında ölür büyük insanlık.
Ekmek büyük insanlıktan başka herkese yeter pirinç de öyle şeker de öyle kumaş da öyle kitap da öyle büyük insanlıktan başka herkese yeter.
Büyük insanlığın toprağında gölge yok sokağında fener penceresinde cam ama umudu var büyük insanlığın umutsuz yaşanmıyor.
Her şey birdenbire oldu. Birdenbire vurdu gün ışığı yere; Gökyüzü birdenbire oldu; Mavi birdenbire. Her şey birdenbire oldu; Birdenbire tütmeye başladı duman topraktan; Filiz birdenbire oldu, tomurcuk birdenbire. Yemiş birdenbire oldu.
Birdenbire, Birdenbire; Her şey birdenbire oldu. Kız birdenbire, oğlan birdenbire; Yollar, kırlar, kediler, insanlar… Aşk birdenbire oldu, Sevinç birdenbire.
Матмусанинг эшаги Айниб қолди дафъатан. Яқинлашиб бўлмайди На олддан, на орқадан.
Қўшқават арқонни ҳам Узар бўлди ҳароми. Ҳанграганда оламни Бузар бўлди ҳароми.
Миниб бўлмас устига, Кўпток қилиб отади. Бўлди энди. Матмуса Эшагини сотади.
Лекин қадимдан қолган Бозордаги қоида: Нима сотсанг, айбини Айтиш керак жойида.
Ҳеч кимса Матмусадек Қийин ҳолга қолмайди. Баччағарнинг айбини Айтсанг, биров олмайди.
Айтмасанг — яна гуноҳ! Матмуса кўп ўйлади. Уйлаб-ўйлаб бозорда Шундай дея сўйлади:
«Эшагим — арзон эшак, Келаберсин харидор. Ўзи эшак бўлса ҳам Ўнта отнинг кучи бор.
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