#चंद्रघंटा माता
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🐅 शारदीय नवरात्रि : तृतीया: माँ चंद्रघंटा [Tuesday, 17 October 2023]
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥
यह देवी पार्वती का विवाहित रूप है। माता अपने माथे पर अर्ध-गोलाकार चंद्रमा धारण किए हुए हैं। उनके माथे पर यह अर्ध चाँद घंटा के समान प्रतीत होता है, अतः माता के इस रूप को माता चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
तिथि: अश्विन शुक्ल तृतीया
सवारी: बाघिन
अत्र-शस्त्र: दस हाथ - त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल तथा वरण मुद्रा। कमल का फूल, तीर, धनुष और जप माला तथा पांचवें अभय मुद्रा में।
मुद्रा: शांतिपूर्ण और अपने भक्तों के कल्याण हेतु।
ग्रह: शुक्र
शुभ रंग: लाल
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किडनी की बीमारियों को दूर रखने में कारगर हैं ये घरेलू उपाय, बाबा रामदेव से जानें बेहतरीन नुस्खें
Image Source : SOCIAL Baba Ramdev Tips आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन हैं। आज के दिन माता चंद्रघंटा की पूजा होती है। इनकी आराधना से शरीर के सभी रोग-दुख दूर होते हैं वैसे भी इन दिनों तो मैं अपने शहर कोलकाता को मिस करने लगता हूं। बंगाल में तो दूर्गा पूजा और पंडाल की बात ही अलग है। माता को चढ़ने वाले इन रंग-बिरंगे फलों का भी बड़ा महत्व है। खासकर सेहत के लिहाज से। अब देखिए नवरात्रि में ज्यादातर लोग…
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मॉं चंद्रघंटा की पूजा करने से सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है - पंड़ित मनीष भारद्वाज
बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन। बागपत नगर के शिव भूमिया मं��िर पर लगी माता की चौकी में तीसरे दिन मॉं चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की गयी। पंड़ित मनीष भारद्वाज और पंड़ित शोभित भारद्वाज ने पूजा को सम्पन्न कराया। पंड़ित मनीष भारद्वाज ने बताया कि नवरात्र के तीसरे दिन मॉं चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मॉं दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। मॉं चन्द्रघंटा शेर की सवारी करती है और वे अपने हाथों में कमल,…
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जिसने भी तेरा नाम लिया माँ
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नवरात्रि: डांडिया गीत और माता के भजन :-
नवरात्रि, भारत का एक प्रमुख त्योहार, विशेष रूप से हिंदू धर्म में माता दुर्गा की पूजा का समय है। यह नौ दिनों का पर्व, माता के विभिन्न रूपों की आराधना करने का अवसर प्रदान करता है। इस दौरान, डांडिया और गरबा जैसे पारंपरिक नृत्य का आयोजन किया जाता है, जो न केवल धार्मिक भावना को जागृत करता है, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।
नवरात्रि का महत्व:- नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा की शक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इसे विशेष रूप से पश्चिमी भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर, भक्तगण नौ दिनों तक उपवास रखते हैं, देवी की पूजा करते हैं, और सामूहिक नृत्य का आनंद लेते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिसमें माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं।
डांडिया: एक सांस्कृतिक धरोहर -
डांडिया, एक पारंपरिक गुजराती नृत्य है जो विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान किया जाता है। इसे छोटे-छोटे डंडों के साथ खेला जाता है, जहां लोग एक-दूसरे के साथ ताल मिलाते हैं। यह नृत्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है। डांडिया की धुनों पर लोग देवी की आराधना करते हैं, और यह सांस्कृतिक ��कता को भी दर्शाता है। डांडिया नृत्य के दौरान गाए जाने वाले गीत मुख्यतः माता की महिमा का गुणगान करते हैं। ये गीत भक्तों को ऊर्जा और उत्साह प्रदान करते हैं, और हर किसी को नृत्य में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं।
माता के भजन:
श्रद्धा और भक्ति का संगम - नवरात्रि के दौरान गाए जाने वाले माता के भजन भक्तों के हृदय में गहरी श्रद्धा और भक्ति की भावना जागृत करते हैं। ये भजन अक्सर देवी के विभिन्न रूपों की विशेषताओं का वर्णन करते हैं। माता के भजनों में भक्त अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और माता से सहायता की प्रार्थना करते हैं।
कई प्रसिद्ध भजन इस दौरान गाए जाते हैं,
जैसे:
1. "जय माता Di" – यह भजन देवी की जयकारा है, जो भक्तों को एकजुट करता है।
2. "माता रानी की जय"– इस भजन में भक्त माता को नमन करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं।
3. "नवरात्रि में माँ का दरबार" – इस भजन में माता के दरबार की महिमा का बखान किया गया है।
इन भजनों की धुनें भक्तों के मन को छू जाती हैं और नवरात्रि के उत्सव का आनंद बढ़ाती हैं।
संगीत और नृत्य का संगम:- नवरात्रि में डांडिया और गरबा नृत्य का आयोजन होता है, जिसमें संगीत और नृत्य का अद्भुत संगम होता है। विभिन्न प्रकार के डांडिया गीतों की धुनें और बोल इस नृत्य को और भी रंगीन बना देते हैं। जैसे-जैसे रात बढ़ती है, भक्त जन उत्साह के साथ नृत्य करते हैं और माता की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दौरान, लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर एक-दूसरे से मिलते हैं, और यह एक अनोखा अनुभव होता है। यह नृत्य न केवल उत्सव का हिस्सा है, बल्कि यह सामाजिक जुड़ाव और भाईचारे का प्रतीक भी है।
नवरात्रि का समापन :-
नवरात्रि का समापन विजयादशमी (दशहरा) के दिन होता है, जो रावण के दहन के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त माता की पूजा के साथ-साथ अपने जीवन में बुराईयों को समाप्त करने का संकल्प लेते हैं। विजयादशमी का पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में अच्छे और बुरे का संघर्ष हमेशा चलता रहता है, लेकिन अंततः सत्य की जीत होती है।
निष्कर्ष:- नवरात्रि का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। डांडिया गीत और माता के भजन इस पर्व को और भी खास बनाते हैं। यह हमें न केवल माता की आराधना करने का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि हमें एकजुट होने और अपने परंपराओं को संरक्षित करने की प्रेरणा भी देते हैं। इस नवरात्रि, हम सब मिलकर माता के चरणों में श्रद्धा निवेदित करें और अपनी भक्ति के साथ इस उत्सव का आनंद लें। माता का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे, यही प्रार्थना है।
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नवरात्रि के तीसरे दिन इस विधि से करें मां चंद्रघंटा की पूजा और उपाय मंगल दोष से चाहिए छुटकारा तो !
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को यह नाम कैसे मिला, उनके इस नाम का अर्थ क्या होता है, मां का स्वरूप कैसा है, मां की पूजा से क्या लाभ मिलता है, मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग, प्रिय फूल, प्रिय भोग और मां का स्वरूप कैसा है यह सभी बातें जानने के लिए पढ़े हमारा यह खास ब्लॉग।
शारदीय नवरात्रि 2024- तीसरा दिन
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन और चौथे दिन तृतीया तिथि रहने वाली है। अर्थात इस वर्ष 5 अक्टूबर 2024 शनिवार और 6 अक्टूबर 2024 रविवार के दिन तृतीया तिथि रहेगी और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। बात करें इस दिन से संबंधित हिंदू पंचांग की तो 5 अक्टूबर को पूर्ण रात्रि तक तृतीया तिथि रहने वाली है। इस दिन शुक्ल पक्ष रहेगा, स्वाति नक्षत्र रहेगा और विश्कुंभ योग रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो 11:45:38 सेकंड से लेकर अभिजीत मुहूर्त 12:32:40 सेकंड तक रहने वाला है।
इसके अलावा रविवार 6 अक्टूबर 2024 को भी इस वर्ष तृतीया तिथि ही पड़ रही है। यह 7:51:44 सेकंड तक रहेगी। इस दिन भी शुक्ल पक्ष है, विशाखा नक्षत्र रहेगा और प्रीति योग पूर्ण रात्रि तक रहने वाला है। इस दिन के अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो इस दिन 11:45:24 सेकंड से लेकर 12:32:19 सेकंड तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।
कैसा है माँ का स्वरूप?
मां चंद्रघंटा के स्वरूप की बात करें तो यह बेहद ही शांति दायक और कल्याणकारी है। माता ने मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र धारण किया हुआ है जिसकी वजह से माँ को चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है। मां चंद्रघंटा शेर पर सवारी करती हैं। मां के 10 हाथों में कमल और कमंडल के अलावा शास्त्र हैं। मां के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है। मां के कंठ में श्वेत पुष्प की माला और रत्न जड़ित मुकुट विराजमान है। मां चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में नजर आती हैं।
मान्यता है कि जो कोई भी भक्त मां चंद्रघंटा की पूजा करता है उन्हें शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप अर्थात चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को परम शक्ति का अनुभव होता है। इसके साथ ही जो कोई भी भक्त मां चंद्रघंटा की भक्ति पूर्वक पूजा करता है उनके जीवन में सौम्यता और शांति बनी रहती है, कष्टों का निवारण होता है। ऐसे साधक परम पराक्रमी और निर्भीक स्वभाव के हो जाते हैं।
मां का यह स्वरूप अपने भक्तों की प्रेत बाधा से रक्षा करता है। साथ ही ऐसे साधक चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न जीवन का सुख भोगते हैं। अगर आपका स्वभाव क्रोधी है या आप छोटी-छोटी बात���ं पर भी क्रोध करने लगते हैं, छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाते हैं, तनाव लेने लगते हैं या पित्त प्रकृति के हैं तो आपको मां चंद्रघंटा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
…तो ऐसे पड़ा माँ का नाम चंद्रघण्टा
मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों की शक्तियां समाहित है। चूंकि मां के माथे पर घंटे के आकार में अर्थ चंद्र सुशोभित होता है यही वजह है की मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा।
माँ चंद्रघण्टा पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग अब बात करें मां के पूजा मंत्र, प्रिय भोग और शुभ रंग की तो इस दिन की पूजा में इस मंत्र को अवश्य शामिल करें
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।”
पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
बीजमंत्र- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
मां के प्रिय भोग की बात करें तो जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों के लिए अलग-अलग भोग निर्धारित किए गए हैं। ऐसे में अगर आप मां चंद्रघंटा की प्रसन्नता हासिल करना चाहते हैं तो इन्हें केसर की खीर और दूध से बनी हुई मिठाई अवश्य अर्पित करें।
इसके अलावा पंचामृत, चीनी और मिश्री भी माता रानी को बेहद प्रिय होती है। आप चाहे तो नवरात्रि की तृतीया तिथि की पूजा में आप माँ को इन चीजों का भी भोग अवश्य लगाएँ।
मां के प्रिय रंग की तो इस दिन की पूजा में आप सुनहरे या फिर पीले रंग के वस्त्र अवश्य धारण करें। इसे बेहद शुभ माना गया है। इसके अलावा मां चंद्रघंटा की पूजा में सफेद कमल या फिर पीले गुलाब की माला अगर आप शामिल करते हैं तो आपकी मनोकामना शीघ्र और अवश्य पूरी होने लगती है।
शारदीय नवरात्रि तीसरा दिन- अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय
अब बात करें शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन किए जाने वाले उपायों की तो यहां हम आपको कुछ राशि अनुसार उपाय बता रहे हैं जिन्हें करने से आप अपनी मनोकामना पूर्ति करवा सकते हैं।
मेष राशि- मेष राशि के जातक मां को दूध से बनी मिठाई और लाल रंग के फूल चढ़ाएँ।
वृषभ राशि- वृषभ राशि के जातक मां को सफेद फूल और सफेद चंदन अवश्य अर्पित करें।
मिथुन राशि- मिथुन राशि के जातक माता को खुद खीर बनाकर उसका भोग लगाएँ।
कर्क राशि- कर्क राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि पर मां को दही चावल और बताशे का भोग लगाएँ।
सिंह राशि- सिंह राशि के जातक मां को रोली और केसर अवश्य अर्पित करें।
कन्या राशि- कन्या राशि के जातक मां को दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाएँ।
तुला राशि- अगर आपकी राशि तुला है तो इस दिन मां को लाल चुनरी अवश्य अर्पित करें।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के जातक दोनों पहर की पूजा में आरती अवश्य करें और मां को गुड़हल के पुष्प अर्पित करें।
धनु राशि- धनु राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि ��े दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
मकर राशि- मकर राशि के जातक माता को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाएँ।
कुंभ राशि- कुंभ राशि के जातक माता रानी को हलवे का भोग लगाएँ और देवी कवच का पाठ करें।
मीन राशि- मीन राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां को केले और फूल अर्पित करें।
इसके अलावा अगर आपको मंगल ग्रह से संबंधित दोष अपने जीवन में उठाने पड़ रहे हैं तो नवरात्रि के तीसरे दिन मां को लाल रंग के फूल, एक तांबे का सिक्का, हलवा और सुख मेवे अर्पित करें।
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तीसरे तिथि माता चंद्रघंटा
माता चंद्रघंटा का स्वरूप
देवी दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. दुर्गा पूजा के तीसरे दिन आदि-शक्ति दुर्गा के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है. देवी चन्द्रघण्टा भक्त को सभी प्रकार की बाधाओं एवं संकटों से उबारने वाली हैं. इस दिन का दुर्गा पूजा में विशेष महत्व बताया गया है इस दिन साधक का मन 'मणिपूर' चक्र में प्रविष्ट होता है यह क्षण साधक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं.
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ।।
Pandit Gopal Shastri Ji
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
*🌹सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (तृतीया तिथि)*📖
※══❖═══▩जय माता दी▩═══❖══※
*तृतीयं चंद्रघंटा पूजन (तृतीय दिवस) :-*
*चन्द्रघन्टा : मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप :-*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्र उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन और आराधना की जाती है। इनका स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी कारण इन देवी का नाम चंद्रघंटा पड़ा है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनका वाहन सिंह है। मन, वचन, कर्म एवं शरीर से शुद्ध होकर विधि-विधान के अनुसार मां चंद्रघंटा की शरण लेकर उनकी उपासना एवं आराधना में तत्पर होना चाहिए। इनकी उपासना से समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-05-अक्टूबर-2024
वार:-------शनिवार
तिथि :---03तृतिया (अहोरात्र)
पक्ष:---------शुक्लपक्ष
माह:---------आश्विन
नक्षत्र:-------स्वाती:-21:33
योग:-------विष्कुंभ:-30:07
करण:-------तैतिल:-18:42
चन्द्रमा:-------तुला
सूर्योदय:-------06:36
सूर्यास्त:-------18:16
दिशा शूल-------पूर्व
निवारण उपाय:---उङद या वाह्वारंग का सेवन
ऋतु :--------शरद् ऋतु
गुलिक काल:---06:36से 08:04
राहू काल:---09:32से11:00
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:---कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-08:04से09:32तक
चंचल:-12:28से13:56तक
लाभ:-13:56से15:24तक
अमृत:-15:24से16:52तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-18:16से19:48तक
शुभ:-21:20से22:52तक
अमृत:-22:52से00:24तक
चंचल:-00:24से01:56तक
लाभ:-05:04से06:36तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का 180वा दिन, सिद्बियोग सूर्योदय से 21:33, रवियोग प्रारंभ 21:33
🌺👉टिप्स 👈🌺
नवरात्रा में सुहाग का समान दान करें।
सुविचार
जिस व्यक्ति का मन का भाव सच्चा होता है, उस व्यक्ति का हर काम अच्छा होता है।👍🏻 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*नवदुर्गा के औषधि रूप :-*
*तृतीय चंद्रघंटा (चन्दुसूर) -*
दुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चनदुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी भी बनाई जाती है। ये कल्याणकारी है। इस औषधि से मोटापा दूर होता है। इसलिये इसको चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, रक्त को शुद्ध करने वाली एवं हृदयरोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए।
चंद्रसूर वात, बलगम, और दस्त को ठीक करता है | यह बलवर्धक और पुष्टिकारी है |
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
नई योजना में लाभ प्राप्ति के योग हैं। पराक्रम की वृद्धि होगी। समाज, परिवार में आदर मिलेगा। पूंजी निवेश बढ़ेगा। वाहन सावधानी से चलाएं।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
कार्यक्षेत्र में हितकारकों की पूर्ण कृपा रहेगी। क्रोध पर संयम आवश्यक है। आपको कई आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिल सकेगा।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। साहित्यिक रुचि बढ़ेगी। आय-व्यय बराबर रहेंगे। सुसंगति से लाभ होगा। अनावश्यक कार्यों से दूर रहें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
संतान की ओर से अच्छे समाचार मिलेंगे। किसी समस्या का हल आपके प्रयत्नों से निकलेगा। किसी अच्छे मित्र से भेंट होगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
परिवार में सुख-शांति बढ़ेगी। आपकी बुद्धि एवं तर्क से आपके कार्य में सफलता मिलने के योग हैं। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा से दूर रहें।
👩🏻🏫 *राशि फलादेश कन्या* :-
आर्थिक स्थिति मनोबल में वृद्धि करेगी। दृढ़ निश्चय से कठिन कार्य भी हल होंगे। प्रेम संबंधों में सफलता मिलने के योग बनेंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
नवीन कार्य के अवसर बनेंगे। परिवार के सदस्यों पर विशेष ध्यान दें। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के कारण मन में शांति रहेगी। वाहन सावधानी से चलाएं।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
पारिवारिक जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी। व्यापार-व्यवसाय मध्यम रहेगा। महत्वपूर्ण कार्यों को टालना ही ठीक रहेगा। आर्थिक हानि हो सकती है।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
स्��ास्थ्य पर ध्यान दें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायी रहेगा। कार्य में व्यस्तता बढ़ेगी। घरेलू उलझनें आपके प्रयासों से ही सुलझेंगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
कार्य व्यवसाय में विशेष लाभ मिलने की संभावना है। आमदनी से अधिक खर्च नहीं करें। धन संबंधी मामलों में अधिक सचेत रहना आवश्यक है।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
दिन उत्साहवर्धक एवं मनोरंजनमयी रहेगा। कई दिनों के रुके कार्य पूर्ण होने के अवसर हैं। पारिवारिक संबंध मधुर एवं प्रगाढ़ होंगे।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
अधिकारी वर्ग विशेष सहयोग करेंगे। आपकी बुद्धिमत्ता सामाजिक सम्मान दिलाएगी। परिवार में कलह का माहौल रहेगा। ऋण लेना पड़ सकता है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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🔔नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा माता का स्वागत करें
🔔नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा माता का स्वागत करें। उनका आशीर्वाद हमें शक्ति और साहस दे। 💖✨ #Chandraghanta #MaaDurga
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Chaitra Navratri Day 3 Puja | Know The Method, Praise & Mantra of Maa Chandraghanta | Bhakti Aanand
There is a tradition of worshiping Goddess Chandraghanta Devi on the third day of Navratri. It is said in Devi Bhagwat Purana that this form of Mother Durga is a symbol of peace, victory and prosperity. On the third day of Navratri, we will tell you how Goddess Chandraghanta is worshipped, what are her praises and mantras and why the mother was named Chandraghanta.
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तीसरा दिन माता चंद्रघंटामां चंद्रघंटाका स्वरूपमां दुर्गा का तीसरा रूप चंद्रघंटा है। नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का यह स्वरूप बेहद ही सुंदर, मोहक, अलौकिक, कल्याणकारी व शांतिदायक है। माता चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्रमां विराजमान है, जिस कारण इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।मां चंद्रघंटा का पूजा मंत्र उं देवी चंद्रघंटायै नमःखीर का लगाएं भोग।Guru Ji TM Shastri JiCall : - +91-9872539511
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किडनी की बीमारियों को दूर रखने में कारगर हैं ये घरेलू उपाय, बाबा रामदेव से जानें बेहतरीन नुस्खें
Image Source : SOCIAL Baba Ramdev Tips आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन हैं। आज के दिन माता चंद्रघंटा की पूजा होती है। इनकी आराधना से शरीर के सभी रोग-दुख दूर होते हैं वैसे भी इन दिनों तो मैं अपने शहर कोलकाता को मिस करने लगता हूं। बंगाल में तो दूर्गा पूजा और पंडाल की बात ही अलग है। माता को चढ़ने वाले इन रंग-बिरंगे फलों का भी बड़ा महत्व है। खासकर सेहत के लिहाज से। अब देखिए नवरात्रि में ज्यादातर लोग…
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Maa Chandraghanta तृतीय नवरात्रि - माता चंद्रघंटा
ऊँ देवी चन्द्रघण्टायै नम: या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि शुक्र ग्रह देवी चंद्रघंटा द्वारा शासित है। Maa Chandraghanta देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। भगवान शिव से विवाह के बाद देवी महागौरी ने अपने माथे को आधा चंद्र से सजाना शुरू किया और जिसके कारण देवी पार्वती को देवी चंद्रघंटा के नाम से जाना जाने लगा।
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आज देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप भयनाशिनी मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष दिन है। मेरी कामना है कि वे अपने भक्तों को साहस, संयम और सफलता का आशीर्वाद दें। उनसे जुड़ी एक स्तुति...
जय माता दी 🚩
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मां अंबिका के 9 रूप : कौन सा रूप देता है क्या वरदान!
शैल पुत्री- मां दुर्गा का प्रथम रूप है शैल पुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहां जन���म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं।
ब्रह्मचारिणी- मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। मां दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।
चंद्रघंटा- मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आ��र्षण बढ़ता है।
कुष्मांडा- चतुर्थी के दिन मांं कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों, निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है।
स्कंदमाता- नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।
कात्यायनी- मां का छठवां रूप कात्यायनी है। छठ��� दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूली बेला में करना होता है।
कालरात्रि- नवरात्रि की सप्तमी के दिन मांं काली रात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। तेज बढ़ता है।
महागौरी- देवी का आठवांं रूप मांं गौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। महागौरी की पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर चेहरे की कांति बढ़ती है। सुख में वृद्धि होती है। शत्रु-शमन होता है।
सिद्धिदात्री- मां सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है। इनकी आराधना से जातक अणिमा, लघिमा, प्राप्ति,प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसांयिता, दूर श्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व, भावना सिद्धि आदि समस्तनव-निधियों की प्राप्ति होती है।
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तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
माता चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। मां की दस भुजाएं अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं। घंटे के आकार का अर्धचंद्र मां के माथे पर सुशोभित होता है। इसलिए मां को चंद्रघंटा कहा जाता है। मां राक्षसों का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं। इनमें त्रिदेव की शक्तियां समाहित हैं। मां का स्वरूप अलौकिक और अतुलनीय है, जो वात्सल्य की प्रतिमूर्ति है।
ॐ देवी चन्द्रघंटाय नमः ॥
Pandit Gopal Shastri Ji
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