#शक्ति स्वरूपा
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havendaxa · 10 months ago
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Maa Chandraghanta तृतीय नवरात्रि - माता चंद्रघंटा
ऊँ देवी चन्द्रघण्टायै नम: या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि शुक्र ग्रह देवी चंद्रघंटा द्वारा शासित है। Maa Chandraghanta देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। भगवान शिव से विवाह के बाद देवी महागौरी ने अपने माथे को आधा चंद्र से सजाना शुरू किया और जिसके कारण देवी पार्वती को देवी चंद्रघंटा के नाम से जाना जाने लगा।
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aliza05 · 23 days ago
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माँ बगलामुखी: अद्भुत शक्ति और उपासना के रहस्य Maa Baglamukhi: The Divine Power and Mysteries of Worship
माँ बगलामुखी कौन हैं? Who is Maa Baglamukhi? माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें ब्रह्मास्त्र स्वरूपा और सभी संकटों का निवारण करने वाली देवी माना जाता है। माँ बगलामुखी को शत्रुनाशिनी और वाणी, बुद्धि, तथा कर्म को स्थिर करने वाली देवी कहा जाता है। वे जीवन में विजय, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। Maa Baglamukhi is one of the ten Mahavidyas and is revered as a goddess of final energy and victory. She is likewise referred to as the "Stambhana Devi," the one who paralyzes enemies, stabilizes mind, and brings achievement, peace, and prosperity in existence.
माँ बगलामुखी की पूजा और अनुष्ठान Baglamukhi Puja and Rituals बगलामुखी हवन (Baglamukhi Havan): हवन के द्वारा नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह शत्रुओं को शांत करने और समस्याओं से छुटकारा पाने का एक प्रभावी माध्यम है। Benefits of Baglamukhi Havan: Removes terrible energies, provides protection, and pacifies enemies. बगलामुखी अनुष्ठान (Baglamukhi Anusthan): यह अनुष्ठान विशेष रूप से शत्रु नाश, न्यायालय मामलों, और बाधाओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। Baglamukhi Anusthan Benefits: Effective for courtroom instances, enemy destruction, and overcoming hurdles. बगलामुखी कवच (Baglamukhi Kavach): देवी का कवच जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बनाता है। Baglamukhi Kavach: Protects the devotee from harm and ensures prosperity. बगलामुखी मंत्र जाप (Baglamukhi Mantra Jaap): मंत्र जाप से आत्मिक शक्ति और मानसिक शांति ��िलती है। Baglamukhi Mantra Jaap: Enhances spiritual energy and mental peace. बगलामुखी यंत्र पूजा (Baglamukhi Yantra Puja): माँ के यंत्र की पूजा धन, वैभव, और समृद्धि प्रदान करती है। Baglamukhi Yantra Worship: Brings wealth, abundance, and achievement.
बगलामुखी साधना के लाभ Benefits of Baglamukhi Sadhana शत्रु नाश (Enemy Destruction): माँ बगलामुखी शत्रुओं को नष्ट करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं। Overcoming Enemies: Overcoming enemies and neutralizing negative influences. न्यायालय मामलों में विजय (Court Case Victory): बगलामुखी पूजा से कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है। Baglamukhi for Court Cases: Ensures success in legal disputes. धन और समृद्धि (Wealth and Prosperity): साधना से धन की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि आती है। Attract Wealth and Prosperity: Attracts monetary growth and prosperity. कार्य और करियर में सफलता (Success in Career and Job): नौकरी और व्यवसाय में तरक्की के लिए बगलामुखी पूजा अत्यंत लाभकारी है। Career Success with Baglamukhi: Helps in attaining career growth and job stability. सुरक्षा और शांति (Protection and Peace): साधना मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करती है। Baglamukhi for Peace: Provides intellectual calmness and safety from harm.
बगलामुखी मंदिर और पूजा स्थल Baglamukhi Temples and Worship Places नलखेड़ा बगलामुखी मंदिर (Nalkheda Baglamukhi Temple): मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित यह मंदिर माँ बगलामुखी का प्रमुख तीर्थस्थल है। Nalkheda Temple: Located in Madhya Pradesh, it is a distinguished place for worship. उज्जैन बगलामुखी मंदिर (Ujjain Baglamukhi Temple): उज्जैन में स्थित यह मंदिर देवी साधना के लिए विख्यात है। Ujjain Baglamukhi Temple: Famous for powerful rituals and sadhanas.
बगलामुखी पूजा और अनुष्ठान की विधि Baglamukhi Puja and Ritual Methods पूजन सामग्री (Puja Samagri): हल्दी, चना दाल, पीले वस्त्र, फूल, दीपक, और यंत्र अनिवार्य हैं। Puja Items: Turmeric, yellow garments, flowers, and a Baglamukhi Yantra are vital. पूजा का समय (Puja Timings): बगलामुखी पूजा अमावस्या या चतुर्दशी के दिन रात में करना सर्वोत्तम है। Best Time for Puja: Best performed on Amavasya or Chaturdashi nights. पूजा विधि (Puja Vidhi): गुरु मंत्र का आह्वान करें। बगलामुखी मंत्र का जाप करें। ��वन करें और यंत्र की स्थापना करें। Puja Methodology: Chant the mantra, invoke the guru, perform havan, and establish the yantra.
बगलामुखी मंत्र और जाप Baglamukhi Mantras and Chanting मूल मंत्र (Main Mantra): "ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।" Baglamukhi Main Mantra: To paralyze the speech, movements, and intelligence of enemies. 108 बार जाप (108 Times Chanting): मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। 108 Repetitions of the Mantra: Brings effective benefits and fulfillment.
बगलामुखी पूजा की कीमत और सेवाएँ Baglamukhi Puja Cost and Services पूजा शुल्क (Puja Charges): पूजा और अनुष्ठान की कीमत ₹5,000 से ₹50,000 तक हो सकती है। Puja Cost: Prices range from ₹5,000 to ₹50,000 depending on the ritual. ऑनलाइन बुकिंग (Online Booking): पूजा और अनुष्ठान ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। Online Puja Booking: Available for both online and in-person rituals. विशेषज्ञ पंडित (Specialist Pandits): अनुभवी पंडित पूजा को सही तरीके से संपन्न करते हैं। Experienced Pandits: Experienced priests perform the rituals with precision.
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jyotis-things · 3 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart115 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart116
पवित्र श्रीमद्देवी महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण
श्रीमद्देवी महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण
ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के माता-पिता
दुर्गा और ब्रह्म के योग से ब्रह्मा, विष्णु और शिव का जन्म
पवित्र श्रीमद्देवी महापुराण तीसरा स्कन्द अध्याय 1.3(गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित, अनुवादकर्ता श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार तथा चिमन लाल गोस्वामी जी, पृष्ठ नं. 114 से)
पृष्ठ नं. 114 से 118 तक विवरण है कि कितने ही आचार्य भवानी को सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण करने वाली बताते हैं। वह प्रकृति कहलाती है तथा ब्रह्म के साथ अभेद सम्बन्ध है जैसे पत्नी को अर्धांगनी भी कहते हैं अर्थात् दुर्गा ब्रह्म (काल) की पत्नी है। एक ब्रह्मण्ड की सृष्टी रचना के विषय में राजा श्री परीक्षित के पूछने पर श्री व्यास जी ने बताया कि मैंने श्री नारद जी से पूछा था कि हे देवर्षे ! इस ब्रह्मण्ड की रचना कैसे हुई? मेरे इस प्रश्न के उत्तर में श्री नारद जी ने कहा कि मैंने अपने पिता श्री ब्रह्मा जी से पूछा था कि हे पिता श्री इस ब्रह्मण्ड की रचना आपने की या श्री विष्णु जी इसके रचयिता हैं या शिव जी ने रचा है? सच-सच बताने की कृपा करें। तब मेरे पूज्य पिता श्री ब्रह्मा जी ने बताया कि बेटा नारद, मैंने अपने आपको कमल के फूल पर बैठा पाया था, मुझे नहीं मालूम इस अगाध जल में मैं कहाँ से उत्पन्न हो गया। एक ��जार वर्ष तक पृथ्वी का अन्वेषण करता रहा, कहीं जल का ओर-छोर नहीं पाया। फिर आकाशवाणी हुई कि तप करो। एक हजार वर्ष तक तप किया। फिर सृष्टी करने की आकाशवाणी हुई। इतने में मधु और कैटभ नाम के दो राक्षस आए, उनके भय से मैं कमल का डण्ठल पकड़ कर नीचे उतरा। वहाँ भगवान विष्णु जी शेष शैय्या पर अचेत पड़े थे। उनमें से एक स्त्री (प्रेतवत प्रविष्ट दुर्गा) निकली। वह आकाश में आभूषण पहने दिखाई देने लगी। तब भगवान विष्णु होश में आए। अब मैं तथा विष्णु जी दो थे। इतने में भगवान शंकर भी आ गए। देवी ने हमें विमान में बैठाया तथा ब्रह्म लोक में ले गई। वहाँ एक ब्रह्मा, एक विष्णु तथा एक शिव और देखा फिर एक देवी देखी,उसे देख कर विष्णु जी ने विवेक पूर्वक निम्न वर्णन किया (ब्रह्म काल ने भगवान विष्णु को चेतना प्रदान कर दी, उसको अपने बाल्यकाल की याद आई तब बचपन की कहानी सुनाई)।
पृष्ठ नं. 119-120 पर भगवान विष्णु जी ने श्री ब्रह्मा जी तथा श्री शिव जी से कहा कि यह हम तीनों की माता है, यही जगत् जननी प्रकृति देवी है। मैंने इस देवी को तब देखा था जब मैं छोटा सा बालक था, यह मुझे पालने में झुला रही थी।
तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 123 पर श्री विष्णु जी ने श्री दुर्गा जी की स्तुति करते हुए कहा - तुम शुद्ध स्वरूपा हो, यह सारा संसार तुम्हीं से उद्भासित हो रहा है, मैं (विष्णु), ब्रह्मा और शंकर हम सभी तुम्हारी कृपा से ही विद्यमान हैं। हमारा आविर्भाव (जन्म) और तिरोभाव (मृत्यु) हुआ करता है अर्थात् हम तीनों देव नाशवान हैं, केवल तुम ही नित्य (अविनाशी) हो, जगत जननी हो, प्रकृति देवी हो।
भगवान शंकर बोले - देवी यदि महाभाग विष्णु तुम्हीं से प्रकट (उत्पन्न) हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा भी तुम्हारे ही बालक हुए। फिर मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम्हीं हो।
विचार करें:- उपरोक्त विवरण से सिद्ध हुआ कि ���्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी नाशवान हैं। मृत्युंजय (अजर-अमर) व सर्वेश्वर नहीं हैं तथा दुर्गा (प्रकृति) के पुत्र हैं तथा ब्रह्म (काल-सदाशिव) इनका पिता है।
तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 125 पर ब्रह्मा जी के पूछने पर कि हे माता! वेदों में जो ब्रह्म कहा है वह आप ही हैं या कोई अन्य प्रभु है ? इसके उत्तर में यहाँ तो दुर्गा कह रही है कि मैं तथा ब्रह्म एक ही हैं। फिर इसी स्कंद अ. 6 के पृष्ठ नं. 129 पर कहा है कि अब मेरा कार्य सिद्ध करने के लिए विमान पर बैठ कर तुम लोग शीघ्र पधारो (जाओ)। कोई कठिन कार्य उपस्थित होने पर जब तुम मुझे ��ाद करोगे, तब मैं सामने आ जाऊँगी। देवताओं मेरा (दुर्गा का) तथा ब्रह्म का ध्यान तुम्हें सदा करते रहना चाहिए। हम दोनों का स्मरण करते रहोगे तो तुम्हारे कार्य सिद्ध होने में तनिक भी संदेह नहीं है।
उपरोक्त व्याख्या से स्वसिद्ध है कि दुर्गा (प्रकृति) तथा ब्रह्म (काल) ही तीनों देवताओं के माता-पिता हैं तथा ब्रह्मा, विष्णु व शिव जी नाशवान हैं व पूर्ण शक्ति युक्त नहीं हैं।
तीनों देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी) की शादी दुर्गा (प्रकृति देवी) ने की। पृष्ठ नं. 128-129 पर, तीसरे स्कंद में।
गीता अध्याय नं. 7 का श्लोक नं. 12
ये, च, एव, सात्विकाः, भावाः, राजसाः, तामसाः, च, ये, मतः, एव, इति, तान्, विद्धि, न, तु, अहम्, तेषु, ते, मयि।।
अनुवाद: (च) और (एव) भी (ये) जो (सात्विकाः) सत्वगुण विष्णु जी से स्थिति (भावाः) भाव हैं और (ये) जो (राजसाः) रजोगुण ब्रह्मा जी से उत्पत्ति (च) तथा (तामसाः) तमोगुण शिव से संहार हैं (तान्) उन सबको तू (मतः,एव) मेरे द्वारा सुनियोजित नियमानुसार ही होने वाले हैं (इति) ऐसा (विद्धि) जान (तु) परन्तु वास्तवमें (तेषु) उनमें (अहम्) मैं और (ते) वे (मयि) मुझमें (न) नहीं हैं।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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subeshivrain · 3 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart115 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart116
पवित्र श्रीमद्देवी महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण
श्रीमद्देवी महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण
ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के माता-पिता
दुर्गा और ब्रह्म के योग से ब्रह्मा, विष्णु और शिव का जन्म
पवित्र श्रीमद्देवी महापुराण तीसरा स्कन्द अध्याय 1.3(गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित, अनुवादकर्ता श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार तथा चिमन लाल गोस्वामी जी, पृष्ठ नं. 114 से)
पृष्ठ नं. 114 से 118 तक विवरण है कि कितने ही आचार्य भवानी को सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण करने वाली बताते हैं। वह प्रकृति कहलाती है तथा ब्रह्म के साथ अभेद सम्बन्ध है जैसे पत्नी को अर्धांगनी भी कहते हैं अर्थात् दुर्गा ब्रह्म (काल) की पत्नी है। एक ब्रह्मण्ड की सृष्टी रचना के विषय में राजा श्री परीक्षित के पूछने पर श्री व्यास जी ने बताया कि मैंने श्री नारद जी से पूछा था कि हे देवर्षे ! इस ब्रह्मण्ड की रचना कैसे हुई? मेरे इस प्रश्न के उत्तर में श्री नारद जी ने कहा कि मैंने अपने पिता श्री ब्रह्मा जी से पूछा था कि हे पिता श्री इस ब्रह्मण्ड की रचना आपने की या श्री विष्णु जी इसके रचयिता हैं या शिव जी ने रचा है? सच-सच बताने की कृपा करें। तब मेरे पूज्य पिता श्री ब्रह्मा जी ने बताया कि बेटा नारद, मैंने अपने आपको कमल के फूल पर बैठा पाया था, मुझे नहीं मालूम इस अगाध जल में मैं कहाँ से उत्पन्न हो गया। एक हजार वर्ष तक पृथ्वी का अन्वेषण करता रहा, कहीं जल का ओर-छोर नहीं पाया। फिर आकाशवाणी हुई कि तप करो। एक हजार वर्ष तक तप किया। फिर सृष्टी करने की आकाशवाणी हुई। इतने में मधु और कैटभ नाम के दो राक्षस आए, उनके भय से मैं कमल का डण्ठल पकड़ कर नीचे उतरा। वहाँ भगवान विष्णु जी शेष शैय्या पर अचेत पड़े थे। उनमें से एक स्त्री (प्रेतवत प्रविष्ट दुर्गा) निकली। वह आकाश में आभूषण पहने दिखाई देने लगी। तब भगवान विष्णु होश में आए। अब मैं तथा विष्णु जी दो थे। इतने में भगवान शंकर भी आ गए। देवी ने हमें विमान में बैठाया तथा ब्रह्म लोक में ले गई। वहाँ एक ब्रह्मा, एक विष्णु तथा एक शिव और देखा फिर एक देवी देखी,उसे देख कर विष्णु जी ने विवेक पूर्वक निम्न वर्णन किया (ब्रह्म काल ने भगवान विष्णु को चेतना प्रदान कर दी, उसको अपने बाल्यकाल की याद आई तब बचपन की कहानी सुनाई)।
पृष्ठ नं. 119-120 पर भगवान विष्णु जी ने श्री ब्रह्मा जी तथा श्री शिव जी से कहा कि यह हम तीनों की माता है, यही जगत् जननी प्रकृति देवी है। मैंने इस देवी को तब देखा था जब मैं छोटा सा बालक था, यह मुझे पालने में झुला रही थी।
तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 123 पर श्री विष्णु जी ने श्री दुर्गा जी की स्तुति करते हुए कहा - तुम शुद्ध स्वरूपा हो, यह सारा संसार तुम्हीं से उद्भासित हो रहा है, मैं (विष्णु), ब्रह्मा और शंकर हम सभी तुम्हारी कृपा से ही विद्यमान हैं। हमारा आविर्भाव (जन्म) और तिरोभाव (मृत्यु) हुआ करता है अर्थात् हम तीनों देव नाशवान हैं, केवल तुम ही नित्य (अविनाशी) हो, जगत जननी हो, प्रकृति देवी हो।
भगवान शंकर बोले - देवी यदि महाभाग विष्णु तुम्हीं से प्रकट (उत्पन्न) हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा भी तुम्हारे ही बालक हुए। फिर मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम्हीं हो।
विचार करें:- उपरोक्त विवरण से सिद्ध हुआ कि श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी नाशवान हैं। मृत्युंजय (अजर-अमर) व सर्वेश्वर नहीं हैं तथा दुर्गा (प्रकृति) के पुत्र हैं तथा ब्रह्म (काल-सदाशिव) इनका पिता है।
तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 125 पर ब्रह्मा जी के पूछने पर कि हे माता! वेदों में जो ब्रह्म कहा है वह आप ही हैं या कोई अन्य प्रभु है ? इसके उत्तर में यहाँ तो दुर्गा कह रही है कि मैं तथा ब्रह्म एक ही हैं। फिर इसी स्कंद अ. 6 के पृष्ठ नं. 129 पर कहा है कि अब मेरा कार्य सिद्ध करने के लिए विमान पर बैठ कर तुम लोग शीघ्र पधारो (जाओ)। कोई कठिन कार्य उपस्थित होने पर जब तुम मुझे याद करोगे, तब मैं सामने आ जाऊँगी। देवताओं मेरा (दुर्गा का) तथा ब्रह्म का ध्यान तुम्हें सदा करते रहना चाहिए। हम दोनों का स्मरण करते रहोगे तो तुम्हारे कार्य सिद्ध होने में तनिक भी संदेह नहीं है।
उपरोक्त व्याख्या से स्वसिद्ध है कि दुर्गा (प्रकृति) तथा ब्रह्म (काल) ही तीनों देवताओं के माता-पिता हैं तथा ब्रह्मा, विष्णु व शिव जी नाशवान हैं व पूर्ण शक्ति युक्त नहीं हैं।
तीनों देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी) की शादी दुर्गा (प्रकृति देवी) ने की। पृष्ठ नं. 128-129 पर, तीसरे स्कंद में।
गीता अध्याय नं. 7 का श्लोक नं. 12
ये, च, एव, सात्विकाः, भावाः, राजसाः, तामसाः, च, ये, मतः, एव, इति, तान्, विद्धि, न, तु, अहम्, तेषु, ते, मयि।।
अनुवाद: (च) और (एव) भी (ये) जो (सात्विकाः) सत्वगुण विष्णु जी से स्थिति (भावाः) भाव हैं और (ये) जो (राजसाः) रजोगुण ब्रह्मा जी से उत्पत्ति (च) तथा (तामसाः) तमोगुण शिव से संहार हैं (तान्) उन सबको तू (मतः,एव) मेरे द्वारा सुनियोजित नियमानुसार ही होने वाले हैं (इति) ऐसा (विद्धि) जान (तु) परन्तु वास्तवमें (तेषु) उनमें (अहम्) मैं और (ते) वे (मयि) मुझमें (न) नहीं हैं।
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monusinghbestu · 4 months ago
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"पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता,
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।"
परम शांतिदायक व कल्याणकारी एवं माँ भगवती की तृतीय स्वरूपा माँ चंद्रघंटा जी आप सभी के जीवन में बाधाओं से लड़ने की शक्ति एवं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें।
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astrovastukosh · 4 months ago
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माता दुर्गा के 5 रहस्य जानकर आप रह जाएंगे हैरान!
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''।।या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।'' भाग 1
हिन्दू धर्म में माता रानी का देवियों में सर्वोच्च स्थान है। उन्हें अम्बे, जगदम्बे, शेरावाली, पहाड़ावाली आदि नामों से पुकारा जाता है। संपूर्ण भारत भूमि पर उनके सैंकड़ों मंदिर है। ज्योतिर्लिंग से ज्यादा शक्तिपीठ है। सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती ये त्रिदेव की पत्नियां हैं। इनकी कथा के बारे में पुराणों में भिन्न भिन्न जानकारियां मिलती है। पुराणों में देवी पुराण देवी में देवी के रहस्य के बारे में खुलासा होता है।
आखिर उन अम्बा, जगदम्बा, सर्वेश्वरी आदि के बारे में क्या रहस्य है? यह जानना भी जरूरी है। माता रानी के बारे में संपूर्ण जानकारी रखने वाले ही उनका सच्चा भक्त होता है। हालांकि यह भी सच है कि यहां इस लेख में उनके बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं दी जा सकती, लेकिन हम इतना तो बता ही सकते हैं कि आपको क्या क्या जानना चाहिए?
माता रानी कौन है? :
1.अम्बिका :
शिवपुराण के अनुसार उस अविनाशी परब्रह्म (काल) ने कुछ काल के बाद द्वितीय की इच्छा प्रकट की। उसके भीतर एक से अनेक होने का संकल्प उदित हुआ। तब उस निराकार परमात्मा ने अपनी लीला शक्ति से आकार की कल्पना की, जो मूर्तिरहित परम ब्रह्म है। परम ब्रह्म अर्थात एकाक्षर ब्रह्म। परम अक्षर ब्रह्म। वह परम ब्रह्म भगवान सदाशिव है। एकांकी रहकर स्वेच्छा से सभी ओर विहार करने वाले उस सदाशिव ने अपने विग्रह (शरीर) से शक्ति की सृष्टि की, जो उनके अपने श्रीअंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी। सदाशिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धि तत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है।
वह शक्ति अम्बिका (पार्वती या सती नहीं) कही गई है। उसको प्रकृति, सर्वेश्वरी, त्रिदेव जननी (ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता), नित्या और मूल कारण भी कहते हैं। सदाशिव द्वारा प्रकट की गई उस शक्ति की 8 भुजाएं हैं। पराशक्ति जगतजननी वह देवी नाना प्रकार की गतियों से संपन्न है और अनेक प्रकार के अस्त्र शक्ति धारण करती है। एकांकिनी होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवशात अनेक हो जाती है। उस कालरूप सदाशिव की अर्द्धांगिनी हैं यह शक्ति जिसे जगदम्बा भी कहते हैं।
2.देवी दुर्गा :
हिरण्याक्ष के वंश में उत्पन्न एक महा शक्तिशाली दैत्य हुआ, जो रुरु का पुत्र था जिसका नाम दुर्गमासुर था। दुर्गमासुर से सभी देवता त्रस्त हो चले थे। उसने इंद्र की नगरी अमरावती को घेर लिया था। देवता शक्ति से हीन हो गए थे, फलस्वरूप उन्होंने स्वर्ग से भाग जाना ही श्रेष्ठ समझा। भागकर वे पर्वतों की कंदरा और गुफाओं में जाकर छिप गए और सहायता हेतु आदि शक्ति अम्बिका की आराधना करने लगे। देवी ने प्रकट होकर देवताओं को निर्भिक हो जाने का आशीर्वाद दिया। एक दूत ने दुर्गमासुर को यह सभी गाथा बताई और देवताओं की रक्षक के अवतार लेने की बात कहीं। तक्षण ही दुर्गमासुर क्रोधित होकर अपने समस्त अस्त्र-शस्त्र और अपनी सेना को साथ ले युद्ध के लिए चल पड़ा। घोर युद्ध हुआ और देवी ने दुर्गमासुर सहित उसकी समस्त सेना को नष्ट कर दिया। तभी से यह देवी दुर्गा कहलाने लगी।
3.माता सती :
भगवान शंकर को महेश और महादेव भी कहते हैं। उन्हीं शंकर ने सर्वप्रथम दक्ष राजा की पुत्री दक्षायनी से विवाह किया था। इन दक्षायनी को ही सती कहा जाता है। अपने पति शंकर का अपमान होने के कारण सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में कूदकर अपनी देहलीला समाप्त कर ली थी। माता सती की देह को लेकर ही भगवान शंकर जगह-जगह घूमते रहे। जहां-जहां देवी सती के अंग और आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित होते गए। इसके बाद माता सती ने पार्वती के रूप में हिमालयराज के यहां जन्म लेकर भगवान शिव की घोर तपस्या की और फिर से शिव को प्राप्त कर पार्वती के रूप में जगत में विख्यात हुईं।
4.माता पार्वती :
माता पार्वती शंकर की दूसरी पत्नीं थीं जो पूर्वजन्म में सती थी। देवी पार्वती के पिता का नाम हिमवान और माता का नाम रानी मैनावती था। माता पार्वती को ही गौरी, महागौरी, पहाड़ोंवाली और शेरावाली कहा जाता है। माता पार्वती को भी दुर्गा स्वरूपा माना गया है, लेकिन वे दुर्गा नहीं है। इन्हीं माता पार्वती के दो पुत्र प्रमुख रूप से माने गए हैं एक श्रीगणेश और दूसरे कार्तिकेय।
5.कैटभा :
पद्मपुराण के अनुसार देवासुर संग्राम में मधु और कैटभ नाम के दोनों भाई हिरण्याक्ष की ओर थे। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार उमा ने कैटभ को मारा था, जिससे वे 'कैटभा' कहलाईं। दुर्गा सप्तसती अनुसार अम्बिका की शक्ति महामाया ने अपने योग बल से दोनों का वध किया था।
6.काली :
पौराणिक मान्यता अनुसार भगवान शिव की चार पत्नियां थीं। पहली सती जिसने यज्ञ में कूद कर अपनी जान दे दी थी। यही सती दूसरे जन्म में पार्वती बनकर आई, जिनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय हैं। फिर शिव की एक तीसरी फिर शिव की एक तीसरी पत्नी थीं जिन्हें उमा कहा जाता था। देवी उमा को भूमि की देवी भी कहा गया है। उत्तराखंड में इनका एकमात्र मंदिर है। भगवान शिव की चौथी पत्नी मां काली है। उन्होंने इस पृथ्वी पर भयानक दानवों का सं��ार किया था। काली माता ने ही असुर रक्तबीज का वध किया था। इन्हें दस महाविद्याओं में से प्रमुख माना जाता है। काली भी देवी अम्बा की पुत्री थीं।
7.महिषासुर मर्दिनी :
नवदुर्गा में से एक कात्यायन ऋषि की कन्या ने ही रम्भासुर के पुत्र महिषासुर का वध किया था। उसे ब्रह्मा का वरदान था कि वह स्त्री के हाथों ही मारा जाएगा। उसका वध करने के बाद माता महिषसुर मर्दिनी कहलाई। एक अन्य कथा के अनुसार जब सभी देवता उससे युद्ध करने के बाद भी नहीं जीत पाए तो भगवान विष्णु ने कहा ने सभी देवताओं के साथ मिलकर सबकी आदि कारण भगवती महाशक्ति की आराधना की जाए। सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य तेज निकलकर एक परम सुन्दरी स्त्री के रूप में प्रकट हुआ। हिमवान ने भगवती की सवारी के लिए सिंह दिया तथा सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र महामाया की सेवा में प्रस्तुत किए। भगवती ने देवताओं पर प्रसन्न होकर उन्हें शीघ्र ही महिषासुर के भय से मुक्त करने का आश्वासन दिया और भयंकर युद्ध के बाद उसका वध कर दिया।
तुलजा भवानी और चामुण्डा माता :
देशभर में कई जगह पर माता तुलजा भवानी और चामुण्डा माता की पूजा का प्रचलन है। खासकर यह महाराष्ट्र में अधिक है। दरअसल माता अम्बिका ही चंड और मुंड नामक असुरों का वध करने के कारण चामुंडा कहलाई। तुलजा भवानी माता को महिषसुर मर्दिनी भी कहा जाता है। महिषसुर मर्दिनी के बारे में हम ऊपर पहले ही लिख आए हैं।
9.दस महाविद्याएं :
दस महाविद्याओं में से कुछ देवी अम्बा है तो कुछ सती या पार्वती हैं तो कुछ राजा दक्ष की अन्य पुत्री। हालांकि सभी को माता काली से जोड़कर देखा जाता है। दस महाविद्याओं ने नाम निम्नलिखित हैं। काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला। कहीं कहीं इनके नाम इस क्रम में मिलते हैं:-1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला।
नवरात्रि :
वर्ष में दो बार नवरात्रि उत्सव का आयोजन होता है। पहले को चैत्र नवरात्रि और दूसरे को आश्‍विन माह की शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस तरह पूरे वर्ष में 18 दिन ही दुर्गा के होते हैं जिसमें से शारदीय नवरात्रि के नौ दिन ही उत्सव मनाया जाता है, जिसे दुर्गोत्सव कहा जाता है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि शैव तांत्रिकों के लिए होती है। इसके अंतर्गत तांत्रिक अनुष्ठान और कठिन साधनाएं की जाती है तथा दूसी शारदीय नवरात्रि सात्विक लोगों के लिए होती है जो सिर्फ मां की भक्ति तथा उत्सव हेतु है।
नौ दुर्गा के नौ मंत्र :-
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।' मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।' मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।' मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।' मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।' मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्��ायनायै नम:।' मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।' मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।' मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।'
नवरात्रि व्रत :
नवरात्रि में पूरे नौ दिनों के लिए शराब, मांस और सहवास के साथ की अन्न का त्याग कर दिया जाता है। उक्त नौ दिनों में यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह से माता का जाने या अंजाने अपमान करता है तो उसे कड़ी सजा भुगतना होती है। कई लोगों को गरबा उत्सव के नाम पर डिस्को और फिल्मी गीतों पर नाचते देखा गया है। यह माता का घोर अपमान ही है।
नवदुर्गा रहस्य :
ये नवदुर्गा हैं- 1.शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3.चंद्रघंटा 4.कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7.कालरात्रि 8.महागौरी 9.सिद्धिदात्री। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण पार्वती माता को शैलपुत्री भी कहा जाता है। ब्रह्मचारिणी अर्थात जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था। चंद्रघंटा अर्थात जिनके मस्तक पर चंद्र के आकार का तिलक है। ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें कुष्मांडा कहा जाने लगा। उदर से अंड तक वे अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, इसीलिए कुष्‍मांडा कहलाती हैं। कुछ लोगों अनुसार कुष्मांडा नाम के एक समाज द्वारा पूजीत होने के कारण कुष्मांड कहलाई। पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है इसीलिए वे स्कंद की माता कहलाती हैं।
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writerss-blog · 4 months ago
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मां अम्बे आरती
सौजन्य गूगल तेरी अम्बे मईया करेंगी उद्धार उदासी मनवा काहे ना धीर धरे शक्ति स्वरूपा मां अम्बे जगत जननी जग की पालक अपने आंचल की छाया में सबका करती कष्ट निवारण अपने बच्चों की करती बेड़ा पार उदासी मनवा काहे ना धीर धरे । उनकी छाया में विश्व समाया सब दुखों से पार लगाया उनकी भक्ति से होगी सारी उम्मीदें साकार उदासी मनवा काहे ना धीर धरे तेरा जीवन होगा साकार मां पर श्रद्धा विश्वास जो करे ।।
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helpukiranagarwal · 10 months ago
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"पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता,
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।"
परम शांतिदायक व कल्याणकारी एवं माँ भगवती की तृतीय स्वरूपा माँ चंद्रघंटा जी सभी के जीवन में बाधाओं से लड़ने की शक्ति एवं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें ।
#MaaChandraghanta
#KiranAgarwal
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havendaxa · 10 months ago
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वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
नवरात्रि के प्रथम दिन की आप सबको ढेरों शुभकामनाएं। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। देवी शैलपुत्री वृषभ पर सवार होती हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं।
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aliza05 · 23 days ago
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माँ बगलामुखी: अद्भुत शक्ति और उपासना के रहस्य Maa Baglamukhi: The Divine Power and Mysteries of Worship
माँ बगलामुखी कौन हैं? Who is Maa Baglamukhi? माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें ब्रह्मास्त्र स्वरूपा और सभी संकटों का निवारण करने वाली देवी माना जाता है। माँ बगलामुखी को शत्रुनाशिनी और वाणी, बुद्धि, तथा कर्म को स्थिर करने वाली देवी कहा जाता है। वे जीवन में विजय, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। Maa Baglamukhi is one of the ten Mahavidyas and is revered as a goddess of final energy and victory. She is likewise referred to as the "Stambhana Devi," the one who paralyzes enemies, stabilizes mind, and brings achievement, peace, and prosperity in existence.
माँ बगलामुखी की पूजा और अनुष्ठान Baglamukhi Puja and Rituals बगलामुखी हवन (Baglamukhi Havan): हवन के द्वारा नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह शत्रुओं को शांत करने और समस्याओं से छुटकारा पाने का एक प्रभावी माध्यम है। Benefits of Baglamukhi Havan: Removes terrible energies, provides protection, and pacifies enemies. बगलामुखी अनुष्ठान (Baglamukhi Anusthan): यह अनुष्ठान विशेष रूप से शत्रु नाश, न्यायालय मामलों, और बाधाओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। Baglamukhi Anusthan Benefits: Effective for courtroom instances, enemy destruction, and overcoming hurdles. बगलामुखी कवच (Baglamukhi Kavach): देवी का कवच जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बनाता है। Baglamukhi Kavach: Protects the devotee from harm and ensures prosperity. बगलामुखी मंत्र जाप (Baglamukhi Mantra Jaap): मंत्र जाप से आत्मिक शक्ति और मानसिक शांति मिलती है। Baglamukhi Mantra Jaap: Enhances spiritual energy and mental peace. बगलामुखी यंत्र पूजा (Baglamukhi Yantra Puja): माँ के यंत्र की पूजा धन, वैभव, और समृद्धि प्रदान करती है। Baglamukhi Yantra Worship: Brings wealth, abundance, and achievement.
बगलामुखी साधना के लाभ Benefits of Baglamukhi Sadhana शत्रु नाश (Enemy Destruction): माँ बगलामुखी शत्रुओं को नष्ट करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं। Overcoming Enemies: Overcoming enemies and neutralizing negative influences. न्यायालय मामलों में विजय (Court Case Victory): बगलामुखी पूजा से कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है। Baglamukhi for Court Cases: Ensures success in legal disputes. धन और समृद्धि (Wealth and Prosperity): साधना से धन की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि आती है। Attract Wealth and Prosperity: Attracts monetary growth and prosperity. कार्य और करियर में सफलता (Success in Career and Job): नौकरी और व्यवसाय में तरक्की के लिए बगलामुखी पूजा अत्यंत लाभकारी है। Career Success with Baglamukhi: Helps in attaining career growth and job stability. सुरक्षा और शांति (Protection and Peace): साधना मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करती है। Baglamukhi for Peace: Provides intellectual calmness and safety from harm.
बगलामुखी मंदिर और पूजा स्थल Baglamukhi Temples and Worship Places नलखेड़ा बगलामुखी मंदिर (Nalkheda Baglamukhi Temple): मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित यह मंदिर माँ बगलामुखी का प्रमुख तीर्थस्थल है। Nalkheda Temple: Located in Madhya Pradesh, it is a distinguished place for worship. उज्जैन बगलामुखी मंदिर (Ujjain Baglamukhi Temple): उज्जैन में स्थित यह मंदिर देवी साधना के लिए विख्यात है। Ujjain Baglamukhi Temple: Famous for powerful rituals and sadhanas.
बगलामुखी पूजा और अनुष्ठान की विधि Baglamukhi Puja and Ritual Methods पूजन सामग्री (Puja Samagri): हल्दी, चना दाल, पीले वस्त्र, फूल, दीपक, और यंत्र अनिवार्य हैं। Puja Items: Turmeric, yellow garments, flowers, and a Baglamukhi Yantra are vital. पूजा का समय (Puja Timings): बगलामुखी पूजा अमावस्या या चतुर्दशी के दिन रात में करना सर्वोत्तम है। Best Time for Puja: Best performed on Amavasya or Chaturdashi nights. पूजा विधि (Puja Vidhi): गुरु मंत्र का आह्वान करें। बगलामुखी मंत्र का जाप करें। हवन करें और यंत्र की स्थापना करें। Puja Methodology: Chant the mantra, invoke the guru, perform havan, and establish the yantra.
बगलामुखी मंत्र और जाप Baglamukhi Mantras and Chanting मूल मंत्र (Main Mantra): "ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।" Baglamukhi Main Mantra: To paralyze the speech, movements, and intelligence of enemies. 108 बार जाप (108 Times Chanting): मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। 108 Repetitions of the Mantra: Brings effective benefits and fulfillment.
बगलामुखी पूजा की कीमत और सेवाएँ Baglamukhi Puja Cost and Services पूजा शुल्क (Puja Charges): पूजा और अनुष्ठान की कीमत ₹5,000 से ₹50,000 तक हो सकती है। Puja Cost: Prices range from ₹5,000 to ₹50,000 depending on the ritual. ऑनलाइन बुकिंग (Online Booking): पूजा और अनुष्ठान ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। Online Puja Booking: Available for both online and in-person rituals. विशेषज्ञ पंडित (Specialist Pandits): अनुभवी पंडित पूजा को सही तरीके से संपन्न करते हैं। Experienced Pandits: Experienced priests perform the rituals with precision.
बगलामुखी साधना के अनुभव और महत्व Experiences and Significance अनुभव (Experiences): भक्तों का कहना है कि पूजा के बाद शत्रुओं से मुक्ति और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। Devotee Experiences: Brings freedom from enemies and major positive changes in life. महत्व (Significance): यह साधना आध्यात्मिक उन्नति और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है। Significance of Baglamukhi Sadhana: Enhances spiritual growth and confidence.
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helputrust · 10 months ago
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"पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता,
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।"
परम शांतिदायक व कल्याणकारी एवं माँ भगवती की तृतीय स्वरूपा माँ चंद्रघंटा जी सभी के जीवन में बाधाओं से लड़ने की शक्ति एवं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें ।
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drrupal-helputrust · 10 months ago
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"पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता,
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।"
परम शांतिदायक व कल्याणकारी एवं माँ भगवती की तृतीय स्वरूपा माँ चंद्रघंटा जी सभी के जीवन में बाधाओं से लड़ने की शक्ति एवं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें ।
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helputrust-drrupal · 10 months ago
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"पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता,
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।"
परम शांतिदायक व कल्याणकारी एवं माँ भगवती की तृतीय स्वरूपा माँ चंद्रघंटा जी सभी के जीवन में बाधाओं से लड़ने की शक्ति एवं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें ।
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monusinghbestu · 4 months ago
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या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पर्वतराज हिमालय की पुत्री व माँ जगदम्बा की प्रथम स्वरूपा माँ शैलपुत्री से आप सभी भक्तगणों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ।
#शारदीय_नवरात्रि
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helputrust-harsh · 10 months ago
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"पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता,
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।"
परम शांतिदायक व कल्याणकारी एवं माँ भगवती की तृतीय स्वरूपा माँ चंद्रघंटा जी सभी के जीवन में बाधाओं से लड़ने की शक्ति एवं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें ।
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sharpbharat · 10 months ago
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jamshedpur bar association : जमशेदपुर जिला बार एसोसिएशन में मना " हिंन्दू नव वर्ष चैत्र प्रतिपदा ", अधिवक्ताओं को सम्मानित भी किया गया,
जमशेदपुर : जमशेदपुर जिला बार संघ के अधिवक्ताओं ने मंगलवार को बार एसोसिएशन के प्रथम तल्ला पर ‘ हिंदू नव वर्ष चैत्र प्रतिपदा ” के रूप में  मनाया. इस कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता अखिलेश सिंह राठौड़ ने किया. कार्यक्रम में सर्वप्रथम भारत माता की वंदना एवं आरती की गई. उसके बाद नारी शक्ति स्वरूपा महिला अधिवक्ता में अमरजीत कौर विश्वास, अनुराधा चौधरी, कोमल कुमारी, विनीता सिंह, संगीता झा, बी उमा कामेश्वरी…
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