#चंद्रग्रहण के लिए उपाय
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aghora · 1 year ago
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सूर्य ग्रहण 25-10-2022 और चंद्र ग्रहण 8-11-2022
एक दीपावली के अगले दिन, तो दूसरा कार्तिकी पूर्णिमा 8 नवंबर 2022 पर
कार्तिक मास की अमावस्या एवं पूर्णिमा पर ग्रहण पड़ रहे हैं। 25 अक्टूबर, 2022 को कार्तिक अमावस्या पर सूर्यग्रहण तथा 08 नवम्बर, 2022 को कार्तिक पूर्णिमा पर चन्द्रग्रहण होगा। दीपावली के अगले दिन 25 अक्टूबर को होने वाला खण्डग्रास सूर्यग्रहण 14:29 से 18:32 बजे तक रहेगा। यह भारत में दृश्य होगा और ग्रस्तास्त होगा अर्थात् ग्रहण की समाप्ति से पूर्व ही सूर्य अस्त हो जाएगा। भारत के अलावा यह ग्रहण यूरोप, मध्य-पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया आदि देशों में दिखाई देगा।
भारत में अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह तथा उत्तर पूर्व के कुछ क्षेत्रों (इम्फाल, ईटानगर, डिब्रूगढ़, कोहिमा, सिलचर आदि) को छोड़कर प��राय: पूरे भारत में यह दिखाई देगा। इसका सूतककाल प्रात: 02:29 बजे से आरम्भ होगा, परन्तु भारत में यह ग्रहण 14:15 बजे से दिखाई देगा, इसलिए अधिकतर पंचांगकारों का मत है कि सूतककाल का निर्धारण भारत में दृश्यावधि के आधार पर किया जाना चाहिए। इसलिए भारत में सूतक का आरम्भ प्रातः 04:15 बजे से होगा। चूँकि यह ग्रहण ग्रस्तास्त है। इसलिए सूर्यास्त तक ही इसका पर्वकाल माना जाएगा। स्नान, पूजा आदि सूर्यास्त के बाद किए जा सकेंगे, परन्तु भोजन आदि का ग्रहण अगले दिन सूर्योदय के पश्चात् किए जाने का विधान है।
सूर्यग्रहण तुला राशि एवं स्वाती नक्षत्र में घटित हो रहा है। फलत: इस राशि एवं नक्षत्र वालों के लिए यह ग्रहण अधिक अशुभ फलप्रद रहेगा। इसके अतिरिक्त मेष, मिथुन, कर्क,सिंह,कन्या,वृश्चिक, कुम्भ एवं मीन राशि वाले जातकों के लिए भी यह ग्रहण शुभ नहीं है।जिनका कार्तिक मास मे जन्म है उनको ज्यादा अशुभ है |
कार्तिक पूर्णिमा पर खग्रास चन्द्रग्रहण 08 नवम्बर, 2022 को 14:39 बजे से 18:19 बजे तक रहेगा। यह चन्द्रग्रहण भारत में ग्रस्तोदय होगा अर्थात् ग्रहण के दौरान ही भारत के सभी क्षेत्रों में चन्द्रोदय होगा। चन्द्रग्रहण ग्रस्तोदय होने के कारण इसका सूतक प्रातः सूर्योदय से ही आरम्भ हो जाएगा।
चन्द्रग्रहण मेष राशि एवं भरणी नक्षत्र में घटित हो रहा है। फलत: इस राशि और नक्षत्र वालों के लिए यह ग्रहण अशुभ फलप्रद है। इसके अतिरिक्त वृषभ, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर एवं मीन राशि वालों के लिए भी यह ग्रहण शुभ फलप्रद नहीं है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक मास में दो ग्रहणों का होना अशुभ फलप्रद माना जाता है। यह न केवल आमजन के लिए वरन् सत्तापक्ष में बैठे राजनेताओं के लिए भी और देश विदेश मे हो रही उथल पुथल और जनजीवन के लिए भी शुभ नहीं कहा जा सकता है। •
उपाय जिनका कार्तिक मास मे जन्म हो उनको इस दिन गेहूं, आटा अवश्य दान करना चाहिए लाभ होगा |
ग्रहणकाल तथा बाद में क्या करें, क्या न करें ?
ग्रहण के सूतक और ग्रहणकाल में स्नान, दान, जप-पाठ, मन्त्र-स्तोत्र पाठ एवं अनुष्ठान, तीर्थस्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कृत्यों का सम्पादन करना कल्याणकारी होता है। जब ग्रहण का प्रारम्भ हो, तो स्नान-जप, मध्यकाल में होम, देवपूजा और ग्रहण का मोक्ष समीप होने पर दान तथा पूर्ण मोक्ष होने पर स्नान करना चाहिए।
सूर्य ग्रहणकाल में भगवान् सूर्य की पूजा, आदित्यहृदय स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्र आदि सूर्य-स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए। पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी ग्रहणकाल में दूषित हो जाते हैं, उन्हें नहीं रखना चाहिए। परन्तु तेल या घी में पका (तला हुआ) अन्न, घी, तेल, दूध, दही, लस्सी, मक्खन, पनीर, आचार, चटनी, मुरब्बा आदि में तेल या कुशातृण रख देने से ये ग्रहणकाल में दूषित नहीं ह��ते। सूखे खाद्य पदार्थों में तिल या कुशा डालने की आवश्यकता नहीं।
ध्यान रहे, ग्रस्त सूर्यबिम्ब को नंगी आँखों से कदापि न देखें। वैल्डिंग वाले काले ग्लास में से इसे देख सकते हैं। ग्रहण के समय तथा ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है |ग्रहणकाल में सोना, खाना-पीना, तैलमर्दन, मैथुन, मूत्र, पुरीषोत्सर्ग निषिद्ध है। नाखून भी नहीं काटने चाहिए।
सूर्य ग्रहण पर हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, प्रयागादि तीर्थों पर स्नान, दान, तर्पणादि का विशेष माहात्म्य होता है।
#ग्रहण #सूर्यग्रहण #चंद्रग्रहण #सूर्यग्रहण25अक्टूबर2022 #चंद्रग्रहण8नवंबर2022 #astrologerashwanijain #JOSHIASTROGYANGANGAGROUP
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karanaram · 4 years ago
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🚩 वास्तव में वैज्ञानिक ही ऋषि-मुनि ही थे.. जानिए उनके दिव्य आविष्कार-27 फरवरी 2021
🚩भारत की धरती को ऋषि, मुनि, सिद्ध और देवताओं की भूमि के नाम से पुकारा जाता है। यह कई तरह के विलक्षण ज्ञान व चमत्कारों से पटी पड़ी है। सनातन धर्म वेदों को मानता है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने घोर तप, कर्म, उपासना, संयम के जर��ए वेदों में छिपे इस गूढ़ ज्ञान व विज्ञान को ही जानकर हजारों साल पहले कुदरत से जुड़े कई रहस्य उजागर करने के साथ कई आविष्कार किये व युक्तियां बताई। ऐसे विलक्षण ज्ञान के आगे आधुनिक विज्ञान भी नतमस्तक होता है।
🚩कई ऋषि-मुनियों ने तो वेदों की मंत्र-शक्ति को कठोर योग व तपोबल से साधकर ऐसे अद्भुत कारनामों को अंजाम दिया कि बड़े-बड़े राजवंश व महाबली राजाओं को भी झुकना पड़ा।
★ भास्कराचार्य :- आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’।
★ आचार्य कणाद :- कणाद परमाणु की अवधारणा के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले महर्षि कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं।
उनके अनासक्त जीवन के बारे में यह रोचक मान्यता भी है कि किसी काम से बाहर जाते तो घर लौटते वक्त रास्तों में पड़ी चीजों या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवनयापन करते थे। इसीलिए उनका नाम कणाद भी प्रसिद्ध हुआ।
★ ऋषि विश्वामित्र :- ऋषि बनने से पहले विश्वामित्र क्षत्रिय थे। ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद तपस्वी हो गए। विश्वामित्र ने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई। इसी कड़ी में माना जाता है कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों साल पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी।
ऋषि विश्वामित्र ही ब्रह्म गायत्री मंत्र के दृष्टा माने जाते हैं। विश्वामित्र का अप्सरा मेनका पर मोहित होकर तपस्या भंग करना भी प्रसिद्ध है। शरीर सहित त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का चमत्कार भी विश्वामित्र ने तपोबल से कर दिखाया।
★ ऋषि भारद्वाज :- आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कई सदियों पहले ही ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जा��े के रहस्य उजागर किए। इस तरह ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता है।
★ गर्ग मुनि :- गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार।
ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बारे में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ। कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे।
★ महर्षि सुश्रुत :- ये शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक (सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द��वारा लिखी गई ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में कई अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है।
जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे।
★ आचार्य चरक :- ‘चरकसंहिता’ जैसा महत्वपूर्ण आयुर्वेद ग्रंथ रचने वाले आचार्य चरक आयुर्वेद विशेषज्ञ व ‘त्वचा चिकित्सक’ भी बताए गए हैं। आचार्य चरक ने शरीरविज्ञान, गर्भविज्ञान, औषधि विज्ञान के बारे में गहन खोज की। आज के दौर में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों जैसे डायबिटीज, हृदय रोग व क्षय रोग के निदान व उपचार की जानकारी बरसों पहले ही उजागर कर दी।
★ पतंजलि :- आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है।
★ बौद्धयन :- भारतीय त्रिकोणमितिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। कई सदियों पहले ही तरह-तरह के आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाने की त्रिकोणमितिय रचना-पद्धति बौद्धयन ने खोजी। दो समकोण समभुज चौकोर के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में बदलना, इस तरह के कई मुश्किल सवालों का ��वाब बौद्धयन ने आसान बनाया।
★ महर्षि दधीचि :- महातपोबलि और शिव भक्त ऋषि थे। संसार के लिए कल्याण व त्याग की भावना रख वृत्तासुर का नाश करने के लिए अपनी अस्थियों का दान कर महर्षि दधीचि पूजनीय व स्मरणीय हैं।
इस संबंध में पौराणिक कथा है कि एक बार देवराज इंद्र की सभा में देवगुरु बृहस्पति आए। अहंकार से चूर इंद्र गुरु बृहस्पति के सम्मान में उठकर खड़े नहीं हुए। बृहस्पति ने इसे अपना अपमान समझा और देवताओं को छोड़कर चले गए। देवताओं को विश्वरूप को अपना गुरु बनाकर काम चलाना पड़ा, किंतु विश्वरूप देवताओं से छिपाकर असुरों को भी यज्ञ-भाग दे देता था। इंद्र ने उस पर आवेशित होकर उसका सिर काट दिया। विश्वरूप, त्वष्टा ऋषि का पुत्र था। उन्होंने क्रोधित होकर इंद्र को मारने के लिए महाबली वृत्रासुर पैदा किया। वृत्रासुर के भय से इंद्र अपना सिंहासन छोड़कर देवताओं के साथ इधर-उधर भटकने लगे।
ब्रह्मादेव ने वृत्तासुर को मारने के लिए अस्थियों का वज्र बनाने का उपाय बताकर देवराज इंद्र को तपोबली महर्षि दधीचि के पास उनकी हड्डियां मांगने के लिये भेजा। उन्होंने महर्षि से प्रार्थना करते हुए तीनों लोकों की भलाई के लिए उनकी अस्थियां दान में मांगी। महर्षि दधीचि ने संसार के कल्याण के लिए अपना शरीर दान कर दिया। महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र बना और वृत्रासुर मारा गया। इस तरह एक महान ऋषि के अतुलनीय त्याग से देवराज इंद्र बचे और तीनों लोक सुखी हो गए।
★ महर्षि अगस्त्य :- वैदिक मान्यता के मुताबिक मित्र और वरुण देवताओं का दिव्य तेज यज्ञ कलश में मिलने से उसी कलश के बीच से तेजस्वी महर्षि अगस्त्य प्रकट हुए। महर्षि अगस्त्य घोर तपस्वी ऋषि थे। उनके तपोबल से जुड़ी पौराणिक कथा है कि एक बार जब समुद्री राक्षसों से प्रताड़ित होकर देवता महर्षि अगस्त्य के पास सहायता के लिए पहुंचे तो महर्षि ने देवताओं के दुःख को दूर करने के लिए समुद्र का सारा जल पी लिया। इससे सारे राक्षसों का अंत हुआ।
★ कपिल मुनि :- भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक अवतार माने जाते हैं। इनके पिता कर्दम ऋषि थे। इनकी माता देवहूती ने विष्णु के समान पुत्र की चाहत की। इसलिए भगवान विष्णु खुद उनके गर्भ से पैदा हुए। कपिल मुनि 'सांख्य दर्शन' के प्रवर्तक माने जाते हैं। इससे जुड़ा प्रसंग है कि जब उनके पिता कर्दम संन्यासी बन जंगल में जाने लगे तो देवहूती ने खुद अकेले रह जाने की स्थिति पर दुःख जताया। इस पर ऋषि कर्दम देवहूती को इस बारे में पुत्र से ज्ञान मिलने की बात कही। वक्त आने पर कपिल मुनि ने जो ज्ञान माता को दिया, वही 'सांख्य दर्शन' कहलाता है।
इसी तरह पावन गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतरने के पीछे भी कपिल मुनि का शाप भी संसार के लिए कल्याणकारी ��ना। इससे जुड़ा प्रसंग है कि भगवान राम के पूर्वज रा��ा सगर के द्वारा किए गए यज्ञ का घोड़ा इंद्र ने चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के करीब छोड़ दिया। तब घोड़े को खोजते हुआ वहां पहुंचे राजा सगर के साठ हजार पुत्रों ने कपिल मुनि पर चोरी का आरोप लगाया। इससे कुपित होकर मुनि ने राजा सगर के सभी पुत्रों को शाप देकर भस्म कर दिया। बाद के कालों में राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर स्वर्ग से गंगा को जमीन पर उतारा और पूर्वजों को शापमुक्त किया।
★ शौनक ऋषि :- वैदिक आचार्य और ऋषि शौनक ने गुरु-शिष्य परंपरा व संस्कारों को इतना फैलाया कि उन्हें दस हजार शिष्यों वाले गुरुकुल का कुलपति होने का गौरव मिला। शिष्यों की यह तादाद कई आधुनिक विश्वविद्यालयों की तुलना में भी कहीं ज्यादा थी।
★ ऋषि वशिष्ठ :- वशिष्ठ ऋषि राजा दशरथ के कुलगुरु थे। दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न ने इनसे ही शिक्षा पाई। देवप्राणी व मनचाहा वर देने वाली कामधेनु गाय वशिष्ठ ऋषि के पास ही थी।
★ कण्व ऋषि :- प्राचीन ऋषियों-मुनियों में कण्व का नाम प्रमुख है। इनके आश्रम में ही राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था। माना जाता है कि उसके नाम पर देश का नाम भारत हुआ। सोमयज्ञ परंपरा भी कण्व की देन मानी जाती है। (स्त्रोत : हिन्दू जन जागृति)
🚩विश्व में जितनी भी खोजे हुई हैं वो हमारे ऋषि-मुनियों ने ध्यान की गहराई में जाकर खोजी हैं जिनकी आज के वैज्ञानिक कल्पना भी नही कर सकते हैं ।
🚩आज ऋषि-मुनियों की परम्परा अनुसार साधु-संत चला रहे हैं । उनको राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा षडयंत्र के तहत बदनाम किया जा रहा है और जेल भिजवाया जा रहा है । अतः देशवासी षडयंत्र को समझें और उसका विरोध करें ।
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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4 घंटे 21 मिनट का होगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, इस दौरान भूलकर भी ना करें ये काम
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चैतन्य भारत न्यूज आज यानी 30 नवंबर 2020 को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है। ग्रहण की अवधि 4 घंटे 21 मिनट रहेगी। पौराणिक मान्यताओं की माने तो इसे ग्रहों की चाल से जोड़कर देखा जाता है। सोमवार को चंद्र ग्रहण दोपहर 1:04 मिनट पर शुरू होगा। हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों के मुताबिक, ग्रहण काल में कुछ चीजों को करने की सख्त मनाही होती है। वैसे तो ये एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जिसका बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं होता है, लेकिन फिर भी कुछ सावधानियां बरत लेनी चाहिए। देश और दुनिया पर ग्रहण का प्रभाव ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण यह इतना प्रभावशाली नहीं होगा। देश और दुनिया पर इस ग्रहण का खास प्रभाव नहीं देखा जा सकेगा, लेकिन ग्रहण के कारण लोगों की मानसिक स्थिति में प्रभाव जरूर पड़ेगा। इसके अलावा सेहत पर भी यह विपरीत प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में ग्रहण से बचने के लिए ज्योतिष में बताए गए उपाय जरूर करें। गर्भवती महिलाएं रखें विशेष सावधानी ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक विचार किया जाता है। माना जाता है कि ग्रहण के हानिकारक प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर उसका नकारात्मक असर होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के दौरान खाने-पीने से परहेज चंद्रग्रहण आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं होता है। यह एक खगोलीय स्थिति है और इसका खाने-पीने से कोई ताल्लुक नहीं है। इसलिए आप इस दौरान जो चाहे खा-पी सकते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करें ग्रहण खत्म होने के बाद सुबह घर की साफ-सफाई करने के बाद गंगा जल से स्नान के बाद पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा देने का विधान है। Read the full article
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vilaspatelvlogs · 4 years ago
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Chandra Grahan November 2020: 30 नवंबर को चंद्र ग्रहण इन तीन राशिवालों के लिए है अशुभ, बढ़ेंगी परेशानियां, जानें उपाय
Chandra Grahan November 2020: 30 नवंबर को चंद्र ग्रहण इन तीन राशिवालों के लिए है अशुभ, बढ़ेंगी परेशानियां, जानें उपाय
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चंद्र ग्रहण 2020: साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव – फोटो : अमर उजाला
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Chandra Grahan November 2020: चंद्र ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा के दिन 30 नवंबर को लग रहा है। यह इस साल का आखिरी चंद्रग्रहण होगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार…
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differentlandmaker · 4 years ago
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किसी भी तंत्र कर्म में सफलता दिलाने वाली ग्रहण में की जाने वाली महाकाली शाबर मंत्र साधना
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साल 2020 में 5 june को चन्द्र ग्रहण ( moon eclipse ) लगेगा. इस समय का बहुत से साधको को बेसब्री से इंतजार रहता है क्यों की ग्रहण काल में की गई साधना का प्रभाव बढ़ जाता है और सिद्धि में सफलता मिलती है. इस अवसर पर आप महाकाली शाबर साधना की सिद्धि कर सकते है जो की बेहद आसान उपाय है और कम समय में की जाने वाली साधना है जिसके लाभ बहुत ज्यादा है. महाकाली की सौम्य साधना का ये अभ्यास साधक की लाइफ में किसी भी तरह की बाधा को दूर कर तंत्र के किसी भी कर्म को करने की शक्ति प्रदान करता है.
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इस साधना में गुरु की अनिवार्यता है इसके बगैर अभ्यास कर रहे है तो शरीर सुरक्षा कवच और गणेश पूजन का पता ह��ना चाहिए. साधना से पहले ये उपाय जरुर करना है. साधना में सिद्धि प्राप्त करने के बाद साधक इसका प्रयोग कर सकता है जिसके लिए पूजन सामग्री, यंत्र और आवश्यक जानकारी इस पोस्ट में share की है. इस शाबर मंत्र साधना के प्रभाव से साधक का पूरा जीवन बदल सकता है. 5 जून की रात्रि को 11 बजकर 15 मिनट से  6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक ये ग्रहण लागू रहेगा और ये भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और आस्ट्रेलिया जैसी जगहों पर दिखाई देगा. इस दौरान की गई साधना का फल 100 गुना बढ़ जाता है इसलिए आप अपने घर पर mahakali shabar mantra sadhna का अभ्यास करे. इस साधना की पूरी विधि यहाँ share की गई है.
महाकाली शाबर साधना
किसी भी तरह की सफलता और तंत्र कार्य में सफलता के लिए आप इस महाकाली शाबर साधना को कर सकते है. ये mahakali tantra sadhana in hindi किसी भी शुभ समय के अनुसार की जा सकती है और सिद्ध कर लेने के बाद तंत्र मंत्र के कार्य को किया जा सकता है. सात पूनम काल का, बारह बरस कवार एको देवी जानिए, चौदह भुवन द्वार द्वि पक्षे निर्मलिए, तेरह देवन देव अष्ट-भुजी परमेश्वरी, ग्यारह रूद्र देव सोलह कला सम्पूर्ण, तीन नयन भरपूर दसो द्वारी तू ही माँ, पांचो बाजे नूर नव निधि षड-दर्शनी, पंद्रह तिथि जान चारो युग में काल का, कर काली कल्याण इस mahakali mantra sadhana में आपको किसी भी तरह की तंत्र सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है. जो भी सामग्री का जिक्र किया गया है उन्हें आप आसानी से किसी भी पंसारी की दुकान से हासिल कर सकते है. सामग्री काली चित्र काली यंत्र 7 भट कटैया का फूल 5 पीला कनेर का फूल 5 लौंग 5 इलायची पांच मेवा 3 निम्बू 1 ग्राम सिन्दूर 108 काले केवाच के बीज दीपक अगरबत्ती या फिर धूप एक नारियल महाकाली तंत्र साधना की विधि के लिए आप किसी भी खास समय का चुनाव कर सकते है. इस महाकाली शाबर साधना में आपको ज्यादा जप की आवश्यकता नहीं है बल्कि सिर्फ एक माला का जप मंत्र सिद्धि के लिए काफी है. दिन : होली, दीपावली, ग्रहण, अमावस या फिर पूर्णिमा जप : 108 बार समय : रात के 10 बजे बाद का समय ये mahakal siddhi sadhana पूर्ण रूप से सात्विक है और साधक के लिए साधना के बाद किसी भी तरह के तंत्र प्रयोग के लिए आवश्यक सामग्री मिल जाती है. पूजन के दौरान जो सामग्री काम में ली जाती है उन्हें हम अलग अलग तंत्र कर्म में काम में लेते है. महाकाली साधना ��े पहले की तैयारी mahakali siddhi sadhna में आपको पहले गुरु स्थापना मंत्र का उपाय करना चाहिए. किसी भी तांत्रिक साधना से पहले आपको 5 बत्ती वाला दीपक लेना है और निम्न मंत्र का जप करना है. गुरु दिन गुरु बाती गुरु सहे सारी राती वासतीक दीवना बार के गुरु के उतारो आरती 5 बत्ती वाले दीपक को अपने सामने जला ले और इस मंत्र का 7 बार जप करना है. इस गुरु स्थापना की क्रिया पूर्ण होती है और माना जाता है की जो लोग बिना गुरु के साधना कर रहे है उन्हें इससे फायदा होता है. शरीर सुरक्षा कवच मंत्र का जप करना भी साधना में आवश्यक है. बिना किसी सुरक्षा कवच के साधना करना साधक को भयभीत करता है इसलिए महाकाली शाबर साधना के अभ्यास से पहले आपको शरीर सुरक्षा कवच मंत्र body protection shield spell का उपाय भी कर लेना चाहिए. ॐ नमो आदेश गुरु का  जय हनुमान वीर हनुमान मै करथ हौ तोला प्रनाम भूत प्रेत मरी मसान भाग जाय तोर सुन के नाम मोर शरीर के रक्ष्या करिबे नहीं तो सीता मैया के सैयां पर पग ला धरबे ! मोर फूंके मोर गुरु के फूंके गुरु कौन ? गौरा महा-देव के फूंके जा रे शरीर बंधा जा इस मंत्र का 11 बार जप कर अपने शरीर के चारो और एक गोल घेरा बना ले. इससे किसी भी तरह के बाधा से साधक की रक्षा होती है. पढ़े : इस पूर्ण चंद्रग्रहण की रात्री का एक प्रयोग और कर पाओगे powerful vashikaran महाकाली साधना की विधि ये साधना भगवती देवी के मंदिर में की जाए तो उत्तम है लेकिन ऐसा ना हो तो एकांत या फिर घर पर भी की जा सकती है. सबसे पहले तो गणेश, गुरु और आत्म-रक्षा मंत्र का पूजन और जप करे. सबसे पहले साफ़ जगह पर एक बजोट के ऊपर लाल कपड़ा रखे और उस पर महाकाली यंत्र और फोटो की स्थापना करे. घी का चार मुखी दिया जलाए और पंचोपचार पूजन से पूजन करे.
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                                        महाकाली शाबर साधना यंत्र अष्ट गंध से उक्त चोंतिसा यंत्र का भी इसी विधि से पूजन करे. पूजन के दौरान भट कटैया के फूल का अर्पण करे. तीन निम्बू ले और उनपर सिन्दूर का टिका या बिंदी लगाए और अर्पित करे. अब नारियल, पांच मेवा और लौंग इलायची का भोग लगाए. काली मंत्र जप करते समय हर मंत्र जप के बाद केवाच के बीज को फोटो के सामने रखते जाए. जब मंत्र जप पूर्ण हो जाए तब 11 मंत्र आहुति घी और गुग्गल की दे. इसके बाद एक निम्बू काट ले और अपनी अनामिका अंगुली के रक्त को मिलाकर हवन में निचोड़ दे. हवन की राख, मेवा, केवाच के बीज, फूल और निम्बू को संभाल कर रखे. नारियल और अगरबत्ती को भगवती मंदिर में चढ़ा दे. एक ब्राह्मण को भोजन करवाए. महाकाली साधना पूर्ण हो जाएगी. पढ़े : बेताल साधना से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी और अगिया बेताल की मुख्य 2 विधि मंत्र साधना प्रयोग विधि जब भी mahakal siddhi sadhana का प्रयोग करना हो 21 बार मंत्र का जप करे और आपकी मनचाही मनोकामना पूर्ण होती है. महाकाली शाबर साधना के प्रभाव से साधक की मनोकामना पूर्ण होती है और उसका घर धन धान्य से परिपूर्ण रहता है. हर तरह की बाधा अपने आप दूर हो जाती है और साधक की उम्र में वृद्धि होती है. इस महाकाली शाबर साधना के कई प्रयोग है जिन्हें साधक कर सकते है जैसे की वशीकरण या मोहन का उपाय महाकाली मंत्र का 11 बार जप कर सिंदूर और हवन की भस्म को मिलाकर अभिमंत्रित कर माथे पर लगा ले. जो भी आपको देखेगा आप पर मोहित हो जाएगा. अगर आप लम्बे समय से easy love spell का इन्तजार कर रहे थे तो आपको ये उपाय जरुर करना चाहिए. खिला पिलाकर वशीकरण का उपाय पूजा में लिए गए पांच मेवे में से थोड़ा सा मेवा ले और 21 बार मंत्र का जप कर अभिमंत्रित कर ले. इस मेवे को जिस स्त्री या पुरुष को खिलाएंगे वो वशीकरण के प्रभाव में आ जायेगा. उच्चाटन का उपाय भट-कटैया के फूल में से एक फूल ले, केवाच का बीज और सिंदूर को 11 बार मंत्र पढ़ कर अभिमंत्रित कर ले. सिंदूर लगे इस फूल और बीज को जिसके घर पर भी फेकेंगे उसका उच्चाटन हो जायेगा. महाकाली साधना के जरिये स्तम्भन का उपाय हवन की भस्म, चिता की राख और 3 लौंग को 21 बार मंत्र जप पढ़कर अभिमंत्रित कर ले. जिसके घर में गाड़ देंगे उसका स्तम्भन हो जायेगा. 2 लोगो या परिवार के बिच झगडा करवाने का उपाय शमशान की राख, कलिहारी का फूल और केवाच के 3 बीज पर 21 बार मंत्र जप कर अभिमंत्रित कर ले. इसे काले कपड़े में बांध कर पोटली बना ले और इसे दुश्मन के आने जाने के रास्ते या घर के ज��ह पर गाड़ दे. इससे वहा रहने वाले लोगो के बिच मतभेद और झगड़ा होना शुरू हो जायेगा. पारलौकिक समस्याओ का समाधान शत्रु बाधा का निवारण अमावस के दिन निम्बू पर सिंदूर से दुश्मन का नाम लिखे. 7 सुई ले और इन्हें 21 बार निम्बू में मंत्र से अभिमंत्रित कर चुभो दे. इस निम्बू को शमशान में गाड़ दे और मघ की धार दे. आने वाले 3 दिन में शत्रु बाधा दूर होती है. भूत प्रेत बाधा का उपाय भूत प्रेत की बाधा होने की स्थिति में हवन की राख को 7 बार अभिमंत्रित कर माथे पर टिका लगा दे. चोतिंसा यंत्र को भोजपत्र पर बना ले और ताम्बे के ताबीज में भरकर पहना दे. हमेशा हमेशा के लिए भूत प्रेत बाधा दूर हो जाएगी. आर्थिक बाधा का निवारण महाकाली यंत्र को घर में स्थापित कर ले और इसके सामने घी का दीपक जलाकर 21 दिन तक 21 बार मंत्र का जप करे. इससे महाकाली की कृपा बढती है और आर्थिक तंगी दूर होती है. शारीरिक पीड़ा और रोग नाशक हवन की भस्म को 7 बार अभिमंत्रित कर ले. रोगी पर फूंक मारे और चौसठ के यंत्र को अष्ट गंध से भोजपत्र पर लिख ले. इसे धारण करने से रोगी को रोग और शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है. विशेष : अगर महाकाली मंत्र के साथ साथ निचे दिए गए मंत्र का भी जाप होता है तो मंत्र का प्रभाव एयर भी ज्यादा बढ़ जाता है और ये उग्र होकर काम करता है. ॐ कंकाली महाकाली केलि कलाभ्यां स्वाहा इस मंत्र का एक माला जप हर रोज करने से आपको इसके दोगुने लाभ मिलना शुरू हो जाते है. पढ़े : आकर्षण के लिए मोहिनी वशीकरण मंत्र साधना Mahakali shabar mantra sadhna benefit महाकाली शाबर मंत्र साधना के कई फायदे है जिन्हें सिद्धि प���रयोग के बाद साधक की लाइफ में देखने को मिलते है जैसे की किसी भी तरह की आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है. बड़े से बड़े तंत्र कर्म के प्रभाव को दूर किया जा सकता है. तंत्र कर्म के किसी भी कर्म को किया जा सकता है जैसे की वशीकरण, मोहन, मारण, स्तम्भन और उच्चाटन पारलौकिक समस्याओ यानि Paranormal activity को दूर किया जा सकता है. बड़े से बड़े शत्रु का शमन किया जा सकता है. Mahakali tantra sadhna siddhi in Hindi की ये साधना साधक के जीवन में कई बदलाव लाती है और साधक के लाइफ में आ रही किसी भी बाधा का निवारण करना आसान बन जाता है. महाकाली शाबर सिद्धि मंत्र पर मेरे अंतिम विचार साल 2020 में 5 जून को जो ग्रहण लग रहा है वो तंत्र साधना के लिए सही समय माना जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है की ग्रहण में की गई साधना का प्रभाव 100 गुना बढ़ जाता है इसलिए इस दौरान आप पीर की साधना, वशीकरण की साधना या फिर तंत्र सिद्धि साधना कर सकते है. इस article में share की गई महाकाली शाबर साधना का विधान सरल शाबर साधनाओ में से एक है जिन्हें आप किसी मंदिर, एकांत जगह या फिर घर में कर सकते है. ये साधना आसान है लेकिन इसके लाभ साधक की लाइफ बदलने वाले है. अगर आप ये साधना करना चाहते है तो विधान से पहले गुरु, गणेश और देह सुरक्षा कवच का विधान जरुर कर ले. किसी भी शाबर मंत्र की साधना को सिद्ध करने के लिए असावरी देवी की साधना करना जरुरी माना जाता है. जल्दी ही हम इनके बारे में जानकारी आपके साथ share करेंगे. Read the full article
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संतान प्राप्ति का योग कुंडली में--
संतान सुख से वंचित हैं तो करें यह उपाय ...
आइए सबसे पहले जानते हैं कि संतान बाधा के कारक क्या हैं? जन्मकुंडली में पांचवां भाव संतान का भाव होता है. यदि पांचवें भाव में शुभ ग्रह स्थिति हों अथवा शुभ्र ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक स्वस्थ और बुद्धिमान संतान से युक्त होता है.
किंतु यदि पंचम भाव अगर पीड़ित हो तो दंपत्ती को संतान प्राप्ति में बहुत सी बाधाएं आती हैं.
कई बार तो दंपत्ती संतानहीन रह जाते हैं. शास्त्रों में संतान की कामना पूरा करने के कुछ कारगर और सरल उपाय बताए गए हैं जिनसे संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और दंपत्ती को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है.
आज मैं इसके दो सरल उपायों पर चर्चा करूंगा. विवाह बाधा और संतान बाधा दो ऐसे प्रश्न हैं जो कई कारकों से प्रभावित होते हैं. आज प्रश्न भी सबसे ज्यादा इसी से जुड़े होते हैं.
एक उपाय ही सबके लिए फलदायी हो ही जाए यह आवश्यक नहीं फिर भी आज मैं उस उपाय की चर्चा करूंगा जो व्यापक है. सबसे पहले संक्षेप में यह समझने का प्रयास करते हैं कि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार संतान की बाधा का कारण क्या है.
यदि पति-पत्नी दोनों या किसी एक की भी कुंडली का पंचम भाव यदि पापग्रह से पीड़ित हो तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है. पंचम भाव लग्न से या चंद्रमा से पीड़ित हो अथवा पंचम भाव से पंचम भाव और बृहस्पति की स्थिति अच्छी न हो तो भी संतान प्राप्ति में बाधा आती है.
तो फिर क्या है उपाय :
संतान बाधा दूर करने के उपाय ..
पंचम भाव को जो ग्रह पीड़ित कर रहे हों सबसे पहले उनकी शांति करानी चाहिए. उन ग्रहों की शांति किसी अच्छे ज्योतिषी के परामर्श पर वैदिक मंत्र, बीज मंत्र और तंत्र-मंत्र से करा लेनी चाहिए.
यदि बृहस्पति के दोष के कारण बाधा आ रही है तो उसके लिए बृहस्पति को प्रसन्न करने के उपाय स्वयं भी करने चाहिए. इसके लिए केले में जल देना, गुरूवार को व्रत रखना, पीला वस्त्र धारण करना और बृहस्पति के बीज मंत्र की साधना स्वयं पति-पत्नी को करना चाहिए.
– इन उपायों के साथ-साथ एक और कारगर उपाय बताया गया है संतान प्राप्ति का- संतान गोपाल मन्त्र का जप– छोटा सा संतान गोपाल मंत्र बहुत प्रभावशाली कहा गया है.
– इस मंत्र का सवा लाख जप या यथासंभव जप करके इसे सिद्ध करने का प्रयास करना चाहिए. यदि स्वयं संभव न हो तो किसी वैदिक ब्राह्मण से कराना चाहिए
.– स्वस्थ्य, सुंदर संतान प्राप्ति के लिए यह मंत्र पति-पत्नी दोनों के द्वारा किया जाए तो परिणाम सुंदर होता है.
संतान गोपाल मंत्र ...
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुतं गोविन्द
वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं
कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।
संतान गोपाल मंत्र के जप की विधि :
– पति-पत्नी दोनों सुबह स्नानकर पूरी पवित्रता के साथ उपरोक्त मंत्र के एक निश्चित अवधि में जप का संकल्प लें
– जप के लिए तुलसी की माला का प्रयोग करें.
– पूजाघर में या मंदिर देवालय में भगवान श्रीकृष्ण की बालस्वरूप मूर्ति या चित्र की चन्दन, अक्षत, फूल, तुलसी दल और माखन का भोग लगाकर घी के दीपक जलाएं एवं कर्पूर से आरती करें.
– भगवान की पूजा के बाद या आरती के पहले उपरोक्त संतान गोपाल मंत्र का जप करें. मंत्रजप के बाद भगवान से समर्पित भाव से निरोग, दीर्घजीवी, अच्छे चरित्रवाला, सेहतमंद पुत्र की कामना करें
– यह मंत्र जप पति-पत्नी साथ में या अकेले भी कर सकते हैं.
– संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ भी कराए जाते हैं. पु���्रेष्टि यज्ञ एवं संतान गोपाल यंत्र के द्वारा अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है.
संतान गोपाल यंत्र का उपयोग ..
संतान गोपाल यंत्र की गुरुपुष्य नक्षत्र में पूजन एवं प्रतिष्ठा करें.
– उसके पश्चात् संतान गोपाल स्त्रोत्र का पाठ करने से शीघ्र ही गृह में कुलीन एवं अच्छे गुणों से युक्त संतान की उत्पत्ति होती है तथा माता पिता की सेवा में ऐसी संतानें हमेशा तत्पर रहती हैं.
– संतान गोपाल यंत्र को गोशाला में प्रतिष्ठित करके गोपालकृष्ण का मंत्र का जप श्रद्धापूर्वक करने से वध्या को भी शीघ्र ही पुत्ररत्न उत्पन्न होता है तथा सभी गुणों से सम्पन्न होता है.
गर्भाधान में रखें ध्यानः
काम की बातें :मनुष्य धन-सम्पत्ति बढ़ाने में जितना ध्यान देता है उतना संतान पैदा करने में नहींदेता यदि शास्त्रोक्त रीति से शुभ मुहूर्त में गर्भाधान कर संतानप्राप्ति की जाय तो संतान परिवार का यश बढ़ाने वाली होती है.
संतान प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम पति-पत्नी का तन-मन स्वस्थ होना चाहिए. वर्षमें केवल एक ही बार संतानोत्पत्ति हेतु समागम करना हितकारी है. गर्भाधान के लिए समय के विचार पर ध्यान देना बहुत आवश्यक होता है. इससे मनोनुकूल संतान प्राप्त होती है.
गर्भाधान के लिए समागम के श्रेष्ठ समय का विचार :
-ॠतुकाल की उत्तरोत्तर रात्रियों में गर्भाधान श्रेष्ठ है लेकिन 11वीं व 13वीं रात्रि वर्जित है.
-यदि पुत्र की इच्छा हो तो पत्नी को ॠतुकाल की 8, 10, 12, 14 व 16वीं रात्रि में से किसी एक रात्रि ��े शुभ मुहूर्त में समागम करना चाहिए.
-यदि पुत्री की इच्छा हो तो ॠतुकाल की 5, 7, 9 या15वीं रात्रि में से किसी एक रात्रि का शुभ मुहूर्त पसंद करना चाहिए.
-कृष्णपक्ष के दिनों में गर्भ रहे तो पुत्र वशुक्लपक्ष में गर्भ रहे तो पुत्री पैदा होती है.
-रजोदर्शन दिन को हो तो वह प्रथम दिन गिनना चाहिए
-सूर्यास्त के बाद हो तो सूर्यास्त से सूर्योदय तक के समय के तीन समान भाग कर प्रथम दो भागों में हुआ हो तो उसी दिन को प्रथम दिन गिनना चाहिए.
-रात्रि के तीसरे भाग में रजोदर्शन हुआ हो तोदूसरे दिन को प्रथम दिन गिनना चाहिए
-हस्त, स्वाति, अश्विनी, मृगशीर्ष, अनुराधा, धनिष्ठा, ध्रुव संज्ञक (तीनों उत्तरा एवं रोहिणी) एवं ज्येष्ठा नक्षत्रों में शुभतिथियों एवं शुभवारों को ऋतुमति स्त्री को स्नान करना चाहिए.
-मृगशीर्ष, रेवती, स्वाती, हस्त, अश्विनी एवं रोहिणी नक्षत्रों में स्नान करने से स्त्री अतिशीघ्र गर्भधारण करती है.डाण्त, नक्षत्र गडाण्त और लग्न गडाण्त का विचार अवश्य करना चाहिए
समागम के लिए निषिद्ध रात्रियां ..
पूर्णिमा, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, ऊत्तरायण, जन्माष्टमी, रामनवमी, होली, शिवरात्रि, नवरात्रि आदि पर्वों की रात्रि, श्राद्ध के दिन गर्भाधान के लिए समागम नहीं करना चाहिए
.– चतुर्मास, प्रदोषकाल, क्षयतिथि (दो तिथियों का समन्वय काल) एवं मासिक धर्म के चार दिन तक गर्भधारण की कामना से समागम नहीं चाहिए.
– शास्त्रवर्णित मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए
– तिथिगंड मूल, भरणी, अश्विनी, रेवती, मघा नक्षत्रों में गर्भाधान यज्ञ यानी गर्मधारण के लिए समागम नहीं करना चाहिए.
– नक्षत्रों की संधिकाल में भी समागम नहीं करना चाहिए
.– माता पिता की मृत्यु तिथि, स्वयं की जन्म तिथि को भी संतान प्राप्ति की कामना से समागमनहीं करें. दिन में समागम करने से आयु व बल का बहुत ह्रास होता है.
संतान प्राप्ति हेतु समागम के लिए शैय्या पर जाने का विधान
:गर्भाधान को शास्त्रों में संतान प्राप्ति यज्ञ कहा गया है इसलिए संतान प्राप्ति की कामना के साथ किए समागम में विलास नहीं बल्किएक यज्ञ की भावना रखनी चाहिए.
पति-पत्नी को समागम से पूर्व देवताओं एवं उत्तम आत्माओं की प्रार्थना के बाद उनका आह्वान करना चाहिए:हे ब्रह्माण्ड में विचरण कर रहीं सूक्ष्म रूपधारी पवित्र आत्माओं!
हम दोंनो पति-पत्नी आपकी प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर में जन्म धारण कर कृतार्थ करें. हम दोनों अपने शरीर, मन, प्राण व बुद्धि को आपके योग्य बनाएंगे.
-इस प्रार्थना के बाद पहले पुरुष शय्या पर जाए. उसे दायां पैर पहले रखना चाहिए. स्त्री बायें पैर से पति के दाहिनी ओर शय्या पर चढ़े फिर शय्या पर यह मंत्र पढ़ना चाहिए :
अहिरसि आयुरसि सर्वतः प्रतिष्ठासि धाता त्वां दधातु विधाता त्वां दधातु ब्रह्मवर्चसा ��वेति ब्रह्मा बृहस्पति र्विष्णुः सोम सूर्यस्तथाऽश्विनौ भगोऽथ मित्रावरुणौ वीरं ददतु मे सुतम्
(हे गर्भ ! तुम सूर्य के समान हो तुम मेरी आयु हो, तुम सब प्रकार से मेरी प्रतिष्ठा हो धाता (सबके पोषक ईश्वर) तुम्हारी रक्षा करें, विधाता (विश्व के निर्माता ब्रह्मा) तुम्हारी रक्षा करें.
तुम ब्रह्मतेज से युक्त होकर ब्रह्मा, बृहस्पति, विष्णु, सोम, सूर्य, अश्विनीकुमार और मित्रावरुण जो दिव्य शक्तिरूप हैं, वे मुझे वीर पुत्र प्रदान करें.)
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astropatrika · 5 years ago
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👉 सूर्य ग्रहण 2 जुलाई को, भारत में प्रभाव नहीं-ग्रहण पृथ्वी पर किसी भी देश में हो, लेकिन 12 राशियों पर इसका असर जरूर पड़ता है। 
जुलाई में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों पड़ रहे हैं। आषाढ कृष्ण पक्ष अमावस्या 2 जुलाई 2019 मंगलवार को खग्रास सूर्य ग्रहण लगेगा जो साल का दूसरा सूर्य ग्रहण है। चूंकि भारत में इस ग्रहण का कोई बड़ा प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा,लेकिन जिन देशों में ये ग्रहण दिखाई देगा वहां इसका सूतक माना जाएगा। 2 जुलाई को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर और दक्षिणमध्य अमेरिका एवं अर्जेंटीना में दिखायी देगा। इस पूर्ण सूर्य ग्रहण का मोक्ष अटलांटिका में होगा। यह सूर्य ग्रहण भारतीय मानक समयानुसार 2 जुलाई की रात लगभग 10 बजकर 25 मिनट पर प्रारंभ होगा। रात में 12 बजकर 53 मिनट पर ग्रहण का मध्य होगा तथा मोक्ष रात 3 बजकर 21 मिनट पर होगा। रात में लगाने वाले सूर्य ग्रहण का कोई विशेष धार्मिक महत्व नही होता परंतु  राशि एवं  ग्रहों की  दृष्टि से इसका पूर्ण महत्त्व होता है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य ,चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है।
👉 किन देशों में दिखेगा ग्रहण-
ला सेरेना, सैन जुआन, ब्रागाडो, जूनिन औररियो कुआर्टो, चिली और ��र्जेंटीना के कुछ शहर हैं जहाँ से खग्रास सूर्यग्रहण दिखाई देगा। चिली में सैंटियागो, ब्राजील में साओ पाउलो, अर्जेंटीना में ब्यूनस आयर्स, पेरू में लीमा, उरुग्वे में मोंटेवीडियो और पैराग्वे में असुनसियन कुछ लोकप्रिय शहर हैं, जहाँ आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
👉 सूर्यग्रहण  क्या होता है ?
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाती है। दूसरी ओर, चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगता है, इसलि ए, जब भी चंद्रमा चक्कर काटते-काटते सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब पृथ्वी पर सूर्य आंशि क या पूर्ण रूप से दि खना बंद हो जाता है। इसी घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है। इस खगोलीय स्थिति में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं। सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन होता है, जबकि 
चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन पड़ता है।भारत में प्रभावी नहींइस बार के सूर्यग्रहण का भारत में प्रभावी नहीं है, लेकिन इसका असर राशियों पर होगा।
जो लोग ग्रहण को मानते हैं उन्हें पूजा-अर्चना करने के बाद गरीबों को दान करना चाहिए और गाय को रोटी खिलानी चाहिए क्योंकि इससे उन्हें सुख और धन-लाभ होगा।
👉 इन पर पड़ेगा दुष्प्रभाव-
इस ग्रहण का असर दुनिया के विभिन्न भूभाग पर पड़ेगा। राशियों में इसके प्रभाव की बात करें मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, धनु, मकर और कुंभ राशि वाले लोगों पर इसका अशुभ प्रभाव पड़ेगा। ग्रहण के कारण इन जातकों के बनते काम अटक सकते हैं। शारीरिक परेशानियां और धन हानि भी हो सकती है।
👉 बचने के उपाय-
✅ सूर्य ग्रहण के असर से बचने के लिए प्रभावित राशियों के जातकों को ग्रहण काल के दौरान शिव चालीसा का पाठ या भगवान शिव के नामों का जाप करना चाहिए।
✅ गरीबों को अनाज दान करें।
✅ इस वक्त तुलसी का पत्ता खाना भी अच्छा रहेगा। 👉 विशेष ,,,,,,
सूर्यग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मेरे विचार से गौशाला में दान इसलिए अच्छा है क्योंकि गाय में १२ आदित्य ( सूर्य ) हैअतः पाप के दुष्प्रभाव से धर्म के देवता सूर्यदेव  से सम्बंधित खाद्य पदार्थ को बचाने के लिए गाय का दूध भी सूर्यदेव से सम्बंधित है हम उसमे तुलसी डालते है !  अतः  ग्रहण के समय  गौशाला में अपनी सामर्थ्यानुसार  चाहे  न्यूनतम राशि का दान अवश्य करे !
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bksandayala-blog · 5 years ago
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सूर्य ग्र��ण 2 जुलाई को, भारत में प्रभाव नहीं-
ग्रहण पृथ्वी पर किसी भी देश में हो, लेकिन 12 राशियों पर इसका असर जरूर पड़ता है।
जुलाई में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों पड़ रहे हैं। आषाढ कृष्ण पक्ष अमावस्या 2 जुलाई 2019 मंगलवार को खग्रास सूर्य ग्रहण लगेगा जो साल का दूसरा सूर्य ग्रहण है। चूंकि भारत में इस ग्रहण का कोई बड़ा प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा,लेकिन जिन देशों में ये ग्रहण दिखाई देगा वहां इसका सूतक माना जाएगा।
2 जुलाई को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर और दक्षिणमध्य अमेरिका एवं अर्जेंटीना में दिखायी देगा। इस पूर्ण सूर्य ग्रहण का मोक्ष अटलांटिका में होगा। यह सूर्य ग्रहण भारतीय मानक समयानुसार 2 जुलाई की रात लगभग 10 बजकर 25 मिनट पर प्रारंभ होगा। रात में 12 बजकर 53 मिनट पर ग्रहण का मध्य होगा तथा मोक्ष रात 3 बजकर 21 मिनट पर होगा। रात में लगाने वाले सूर्य ग्रहण का कोई विशेष धार्मिक महत्व नही होता परंतु  राशि एवं  ग्रहों की  दृष्टि से इसका पूर्ण महत्त्व होता है।
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य ,चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है।
 किन देशों में दिखेगा ग्रहण-
ला सेरेना, सैन जुआन, ब्रागाडो, जूनिन औररियो कुआर्टो, चिली और अर्जेंटीना के कुछ शहर हैं जहाँ से खग्रास सूर्यग्रहण दिखाई देगा। चिली में सैंटियागो, ब्राजील में साओ पाउलो, अर्जेंटीना में ब्यूनस आयर्स, पेरू में लीमा, उरुग्वे में मोंटेवीडियो और पैराग्वे में असुनसियन कुछ लोकप्रिय शहर हैं, जहाँ आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
 सूर्यग्रहण  क्या होता है ?
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाती है। दूसरी ओर, चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगता है, इसलि ए, जब भी चंद्रमा चक्कर काटते-काटते सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब पृथ्वी पर सूर्य आंशि क या पूर्ण रूप से दि खना बंद हो जाता है। इसी घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है। इस खगोलीय स्थिति में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं। सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन होता है, जबकि चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन पड़ता है।भारत में प्रभावी नहीं
इस बार के सूर्यग्रहण का भारत में प्रभावी नहीं है, लेकिन इसका असर राशियों पर होगा।
 जो लोग ग्रहण को मानते हैं उन्हें पूजा-अर्चना करने के बाद गरीबों को दान करना चाहिए और गाय को रोटी खिलानी चाहिए क्योंकि इससे उन्हें सुख और धन-लाभ होगा।
 इन पर पड़ेगा दुष्प्रभाव-
इस ग्रहण का असर दुनिया के विभिन्न भूभाग पर पड़ेगा। राशियों में इसके प्रभाव की बात करें मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, धनु, मकर और कुंभ राशि वाले लोगों पर इसका अशुभ प्रभाव पड़ेगा। ग्रहण के कारण इन जातकों के बनते काम अटक सकते हैं। शारीरिक परेशानियां और धन हानि भी हो सकती है।
 बचने के उपाय-
1-सूर्य ग्रहण के असर से बचने के लिए प्रभावित राशियों के जातकों को ग्रहण काल के दौरान शिव चालीसा का पाठ या भगवान शिव के नामों का जाप करना चाहिए।
2-गरीबों को अनाज दान करें।
3-इस वक्त तुलसी का पत्ता खाना भी अच्छा रहेगा।
 विशेष ,,,,,,
सूर्यग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मेरे विचार से गौशाला में दान इसलिए अच्छा है क्योंकि गाय में १२ आदित्य ( सूर्य ) है
अतः पाप के दुष्प्रभाव से धर्म के देवता सूर्यदेव  से सम्बंधित खाद्य पदार्थ को बचाने के लिए गाय का दूध भी सूर्यदेव से सम्बंधित है हम उसमे तुलसी डालते है !  अतः  ग्रहण के समय  गौशाला में अपनी सामर्थ्यानुसार  चाहे  न्यूनतम राशि का दान अवश्य करे !
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moneycontrolnews · 5 years ago
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वैसे तो पूर्णिमा तिथि हर महीने आती है, लेकिन कुछ महीनों की पूर्णिमा बहुत ही खास एवं धन प्राप्ति के लिए अति लाभकारी मानी जाती है। ऐसी पूर्णिमा पौष मास की पूर्णिमा तिथि मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार, इस पूर्णिमा को किए गए उपायों से जीवन की सभी अपूर्णताएं पूर्ण हो जाती है। जानें पौष पूर्णिमा तिथि के दिन कौन से टोटके करने से अचानक धन आवक में होने लगती है वृद्धि।   चंद्रग्रहण 10 जनवरीः इस मंत्र का जप करेगा हर काम पूरे   1- पौष पूर्णिमा के दिन अपार धन की प्राप्ति के लिए सुबह उठकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करके दीपक जलाएं। 2- सफल दाम्पत्य जीवन के लिए पौष पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी दोनो मिलकर पूर्ण चन्द्रमा को गाय के दूध का अर्ध्य दें। इससे दाम्पत्य जीवन में जीवन भर मधुरता बनी रहेगी। 3- चन्द्र से अगर शुभ ग्रह छः, सात और आठ राशि में हो तो यह एक बहुत ही शुभ स्थिति है। शुभ ग्रह शुक्र, बुध और बृहस्पति माने जाते हैं। यह योग मनुष्य जीवन सुखी, ऐश्वर्या वस्तुओं से भरपूर, शत्रुओं पर विजयी, स्वास्थ्य, लम्बी आयु कई प्रकार से सुखी बनाता है।   पौष पूर्णिमा : अगर चाहते हैं हर काम में मिले पूर्णता तो जरूर करें यह काम   4- जिस भी व्यक्ति को जीवन में धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है वे पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय पूरण चन्द्रमा को गाय के कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर इस मंत्र- "ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:" का उच्चारण करते हुये अर्घ्य दें। 5- धन संबंधित आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए पूर्ण चंद्रमा को देखते हुए उपरोक्त मंत्र का 108 बार जप करें, ऐसा करने से धीरे धीरे आर्थिक समस्या खत्म हो जायेगी। 6- पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें। अगले दिन सुबह सभी कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें, इस उपाय से घर में धन की कोई भी कमी जीवन भर नहीं रहेगी। *************** source https://www.patrika.com/dharma-karma/paush-purnima-2020-chamatkari-totke-in-hindi-5618594/
http://poojakamahatva.blogspot.com/2020/01/blog-post_30.html
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crazyindia · 6 years ago
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(via चंद्रग्रहण के बाद आज कर लो ये 1 उपाय, 5 दिन में दिखेगा असर,हो जाओगे धनवान बन जायेंगे सारे बिगड़े काम – Only in Ayurveda)
चंद्रग्रहण के बाद आज कर लो ये 1 उपाय, 5 दिन में दिखेगा असर,हो जाओगे धनवान बन जायेंगे सारे बिगड़े काम दोस्तों आज हम आपके लिए इस महासयोंग पर एक ऐसा अद्धभुत उपाय लेकर आये है जिसको करने के बाद आपके सभी प्रकार के काम बन जायेंगे और आपके जीवन में जो भी दुःख दर्द हो इस उपाय को करने से शनिदेव आपके सभी प्रकार के दुःखों को हर लेंगे तो दोस्तों देर किस बात की है आज ही इस उपाय को करे और अपने लिए फायदा उठाये #shanidev#vastutips#religion#lifestyle#astrologytips#astronomy#wealth#money#totke#vastutipsformoney##ChandraGrahan -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- For more Health Tips, Beauty Tips and Home Remedies Please Subscribe to our YouTube channel Crazy India with This Link :- https://youtube.com/crazyindiahealth.
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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26 दिसंबर को है साल का आखिरी सूर्यग्रहण, 12 घंटे पहले शुरू हो जाएगा सूतक काल
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चैतन्य भारत न्यूज साल 2019 का आखिरी सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को है। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण सुबह 8 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 57 मिनट तक प्रभावी रहेगा। इस बार यह दुर्लभ ग्रह-स्थिति में हो रहा है। वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में हो रहे इस ग्रहण के दौरान गुरुवार और अमावस्या का संयोग बन रहा है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); साल का तीसरा सूर्यग्रहण शास्त्रों के मुताबिक, यह साल का अंतिम और तीसरा सूर्यग्रहण है। लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण के रूप में यह साल का पहला ग्रहण होगा। इससे पहले इस साल पूर्व में दो सूर्यग्रहण पड़ चुके हैं। इसमें 6 जनवरी को पहला और 2 जुलाई को दूसरा सूर्यग्रहण पड़ा था। ये आंशिक सूर्यग्रहण थे, जो भारत में दिखाई नहीं दिए। साल का आखिरी ग्रहण भारत ही नहीं, बल्कि अन्य देशों पर भी प्रभावी रहेगा।
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कब लगेगा सूतक काल? 26 दिसंबर को पड़ने जा रहे सूर्यग्रहण की खास बात यह है कि इस बार ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। यानी 25 दिसंबर की शाम से ही सूतक काल प्रभावी हो जाएगा, जो कि 26 दिसंबर तक जारी रहेगी। जानकारी के मुताबिक, 2 घंटे 40 मिनट तक चलने वाले इस ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। 12 देशों में सूर्य ग्रहण दिखेगा यह सूर्य ग्रहण भारत, श्रीलंका, सऊदी अरब, सुमात्रा, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और बोर्नियो में दिखाई देगा। ऊटी, कोयंबटूर, शिवगंगा, तिरुचिरापल्ली, अल होफुफ और सिंगाप��र के कुछ प्रसिद्ध शहरों में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। वहीं मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली, चेन्नई, मैसूर, कन्याकुमारी, रियाद, दोहा, अबू धाबी, मस्कट, कुवैत सिटी, कराची, कुआलालंपुर, जकार्ता और भारत के कुछ प्रसिद्ध शहरों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
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बेहद खास है इस बार का सूर्यग्रहण ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, लगभग तीन सदी के बाद ऐसा सूर्य ग्रहण है, जिसका अशुभ से ज्यादा शुभ असर देखने को मिल सकता है। जहां-जहां भी ये ग्रहण दिखाई देगा, वहां-वहां आर्थिक और राजनीतिक रूप से बेहतर स्थितियां बनेंगी। इसके अलावा अच्छी बारिश और खुशहाली रहेगी। ये बहुत विचित्र संयोग भी है कि लगभग 300 साल के अंतर में ऐसा ग्रहण हो रहा है जिसके प्रभाव में सभी 9 ग्रह होंगे। जिनमें से 7 ग्रह सीधे सूर्य के संपर्क में हैं। ये भी पढ़े... साल के पहले पूर्ण सूर्यग्रहण का दिखा अद्भुत नजारा, नासा ने जारी की खूबसूरत तस्वीरें सूर्यग्रहण 2019 : इन राशियों के लिए बुरा साबित होगा साल का दूसरा सूर्यग्रहण, जानिए इससे बचने के उपाय 16 जुलाई को था साल का अंतिम चंद्रग्रहण, 149 साल बाद बना यह दुर्लभ संयोग Read the full article
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vissaacademy · 6 years ago
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साल का दूसरा चंद्रग्रहण 27 जुलाई को, इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए करें कुछ खास उपाय https://ift.tt/2Oj9XXT
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differentlandmaker · 5 years ago
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hajrat sadhna ऐसी जादुई गुप्त साधना जो साधक को दिव्य नजर प्रदान करती है -2019 गुप्त सिद्धि विधान
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इस्लाम धर्म में सुलेमानी ताबीज और पीर पैगम्बर साधना बहुत महत्व रखती है। सुलेमानी तंत्र साधना में से एक है हाजरात साधना जो भविष्य दिखाने के साथ साथ कई ऐसे काम करती है जिनकी आम इंसान कल्पना भी नहीं कर सकता है। simple sulemani tantra sadhna में hajrat sadhna करने वालो की कमी नहीं है। क्यों की ये एक ऐसी स��धना है जो साधक को ऐश्वर्य और ज्ञान के मामले में परिपूर्ण करती है। saral pari apsra sadhna करने वाले साधक tantra vigyan में इसका नाम जरूर सुनते है। काजल लगाए हुए बालक को अंगूठे में भूत और भविष्य से जुड़ी घटनाए साफ़ दिखाई देती है या दिखाई जाती है.
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ऐसी कई sabar mantra pdf है जिनमे sulemani hajrat sadhna का जिक्र है। hajrat sadhna करने वाले साधक का नियम पालन करना और साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद जरुरी है। ऐसी कई साधना है जो काल दर्शन और अदृश्य चीजों को देखने के लिए सिद्ध की जाती है इनमे ही एक है हजरत साधना जिसके बारे में आज हम यहाँ बात करने वाले है। आपने अलिफ़ लैला देखा तो होगा ही जिसमे हीरो एक सुरमा आँखों में लगाता है तो उसे दिव्य नजर प्राप्त हो जाती है। वो गायब चीजों को देख सकता है, मायाजाल को समझ सकता है साथ ही गड़े खजाने को देख सकता है। हाजरात की साधना भी बिलकुल ऐसी ही है।
hajrat sadhna - हाजरात की साधना क्या है ?
भविष्य देखने या फिर अपने सवालों का जवाब पाने के लिए पुराने समय से ही कई प्रयोग करते आ रहे है इनमे सबसे ज्यादा फेमस है एस्ट्रोलॉजी, हस्त-रेखा विज्ञान और टैरो कार्ड रीडर लेकिन क्या आप जानते है की चमत्कारी अंगूठी और नगीने के अलावा त्रिकाल दर्शी दर्पण जैसी कई ऐसी साधना है जो हमारे अतीत और भविष्य से जुड़ी जानकारी मिल सकती है। hajrat sadhna भी ऐसी ही है आत्माओ का आकर्षण कहो चाहे पहरेदार हमें इस साधना के माध्यम से रहस्यों को समझने में मदद मिलती है। कुछ तांत्रिक इसे अंजन के रूप में बनाते है। चमत्कारी सुरमा और काजल जिसे आँखों पर लगाने के बाद हम अदृश्य चीजों को देख पाते है। गड़े खजाने देखने के लिए ऐसे ही सुरमे का निर्माण किया जाता है। हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म में है ये साधना : हम सबको लगता है की हाजरात साधना एक मुसलमानी साधना है लेकिन ऐसा नहीं है दोनों ही रिलिजन में इसका जिक्र है और कोई भी इसे कर सकता है यही नहीं ये साधना ज्यादा मुश्किल भी नहीं है। हाजरात की साधना का अमल किसी भी मौलाना से मिल सकता है लेकिन इसे सिद्ध करने के लिए आपको मार्गदर्शन की जरूरत पड़ेगी। सुलेमानी शाबर मंत्र के जानकार इस साधना को आसानी सिद्ध कर लेते है। हाजरात साधना का प्रयोग और साधना लाभ : hajrat sadhna का amal एक छोटे बालक पर किया जाता है। एक ऐसा माध्यम जिसके जरिये हम हाजरात से बात कर अपने मनचाहे सवालों का जवाब पा सकते है। इस साधना द्वारा गड़े खजाने का पता करना, अतीत की घटनाओ का पता करना, जवाब पाना और भविष्य की झलकियां देखने और उससे रिलेटेड सवालों के जवाब पाने में मदद करती है। hajrat sadhna और भविष्य दर्शन : हाजरात साधना में एक ऐस�� बालक का चयन किया जाता है जो मन का साफ़ हो और पवित्र हो। उम्र ज्यादा से ज्यादा 8 साल हो। उस बालक को अपने सामने बैठा-कर उसकी आँखों में देखते हुए उसे भावना दे की उसकी आंखे बंद हो रही है और वो ऐसी जगह जा रहा है जो साफ़ सुथरी है। उस जगह पर चार पहरेदार होंगे आप उन्ही में से एक को बुलाकर उसका नाम ले जिससे आपको बात करनी है। थोड़ी देर बाद ही वो उस आदमी को ले आते है जिससे आपको बात करनी है। ये विधि आप आत्माओ से बात करने की खास विधिया में पढ़ सकते है। करामाती अंगूठी के रक्षक और हाजरात का प्रयोग एक जैसा ही है। हाजरात और प्लेनचिट दोनों एक जैसे ही प्रयोग है hajrat sadhna और plainchit दोनों में एक खास बात है और वो ये है की इनमे मेस्मेरिज्म विद्या का प्रयोग होता है। मेस्मेरिज्म आकर्षण में फंस कर माध्यम प्रयोगकर्ता के आदेश के अनुसार ही काम करने लगता है। साधक का माध्यम पर आकर्षण होना बेहद जरुरी है। इसलिए आप ऐसी कुछ चीजों का इस्तेमाल कर सकते है जो माध्यम को शिथिल करने का काम करती हो साथ ही माध्यम का साधक पर विश्वास बढ़ाए रखने और उसके निर्देश का बिना किसी हिचकिचाहट के मान लेने के लिए पूरी तरह तैयार हो। हजरत की साधना में पूर्णता की शर्ते इस तरह की साधना मुख्य रूप से साधक के निर्भय होने के साथ साथ उसके बल और ब्रह्मचर्य की परीक्षा लेती है। इसलिए साधना-काल में कुछ बातो का ध्यान जरूर रखे जैसे की सादा और सात्विक लेकिन हल्का भोजन करना चाहिए जिससे की मन साफ बना रहे। ब्रह्मचर्य का खास ध्यान रखना चाहिए जिसके लिए कोशिश करे आप ज्यादा समय साधना में बिताए। आप दिन में अपना ज्यादा से ज्यादा समय भक्ति में बिता सकते है। साधना में पूर्णता से पहले हमें आभास होता है की जैसे साधना पूर्ण हो गई है और अभ्यास की जरुरत नहीं लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है। ये एक परीक्षा होती है ताकि साधक भटक जाए। साधना के बाद समय समय पर इस साधना को दोहराते रहना चाहिए। ताकि इसका असर बना रहे। खासतौर से ग्रहण, खास मुहूर्त में। हर साधना की तरह इस साधना में भी साधक को कई सावधानिया रखनी चाहिए जैसे की संयम, क्रोध पर नियंत्रण और ज्यादा समय में साधना में बिताना इसकी वजह है ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक बनना ताकि सही परिणाम मिल सके। hajrat sadhna ritual process अगर आप hajrat muslmani sadhna करने के लिए इच्छुक है तो इसके लिए आपको इस मुसलमानी साधना को सिद्ध करना होगा. इसका प्रयोग 21 दिन का है और 21 दिन में ये साधना सिद्ध हो जाती है जिसमे हम एक पीर को सिद्ध करते है और वही हमारे सवालों का जवाब देता है. साधक आधी रात या फिर सुबह के समय पश्चिम द��शा की ओर मुह कर बैठ जाइये. एक हकिक की माला ले और ��स माला से उलटे जाप की विधि से निम्न मंत्र का जाप करे. ख्वाजा खिज्र जिन्द पीर मैदर मादर दस्तगीर मेरा पीरान पीर करो घोड़े पर भीड़ चढो हजरत पीर हाजर सो हाजर इंग्लिश में Khwaja Khijr Jind Peer Maidar Maadar Dastgeer Mera Peeran Peer Karo Ghode Par Bheed Chadho Hajrat Peer Hajar So Hajar 21 दिन तक हर रोज सिर्फ एक माला के जप करने से ये मंत्र सिद्ध हो जाता है. नोट : जिन साधको को उलटी माला के जाप के बारे में पता नहीं है उन्हें बता दे की हिन्दू रीति से जप में सीधे माला जप को मानते है जिसमे जाप के समय माला के मनके आगे की तरफ निकाले जाते है जबकि मुसलमानी रीति में कुछ साधना है जिसमे उलटे तरीके से यानि माला के मनके को पीछे की तरफ ले जाते हुए जप किया जाता है. हाजरात को देखने की विधि एक बार मंत्र साधना सिद्ध हो जाने के बाद इसके प्रयोग को किया जा सकता है. एक 7-8 साल के बच्चे को माध्यम के तौर पर ले. बच्चा व्यव्हार से सीधा और सच्चा होना चाहिए और जब प्रयोग किया जाना हो तब वो नहाया हुआ हो. सुबह 8 बजे से पहले उस बच्चे के दाहिने हाथ के अंगूठे पर काली स्याही या कजली लगा दे. अब उस बालक को अंगूठे में अपने मुह को देखने को कहे. कुछ देर बाद जब वो कहे की मुह दिखाई देने लग गया है तब उसे एक चोगन देखने को कहे. कुछ देर बाद उसे चोगान ( चोराहा जैसा मार्ग ) दिखने लगे तब दो व्यक्ति को देखने को कहे. कुछ देर बाद उसे दो व्यक्ति दिखने लगेंगे फिर उसे कहे 2 व्यक्ति को और बुलाकर लाये और फिर 2 व्यक्ति को और इस तरह कुल 8 व्यक्ति उसे दिखाई देने लगते है. अब झाड़ू वाले को बुलाकर झाड़ू लगाने को कहे और इसी तरह इसके बाद पानी वाले को पानी का छिडकाव करने को कहे. ऐसा होने के बाद फर्श पर चटाई और गद्दे तथा तख़्त लगाने के लिए कहे. ये सब हो जाने के बाद बारी आती है पीरान पीर को अर्ज किया जाता है. hajrat sadhna में पीर से सवाल जवाब करना ये पूरी विधि इसी तरह की जानी चाहिए और जब ये सब हो जाए तब पीरान पीर को बुलाने के लिए अर्ज किया जाना चाहिए और उस बालक से कहे की जाओ पीर साहब से कहो की उनका भक्त उनसे कुछ अर्ज करना चाहता है इसलिए अपने मुंशी को साथ में लेकर वहा रखे कुर्सी पर पधारे. कई बार ऐसा होता है की कुछ बातो को वो लड़का समझ नहीं पाता है ऐसे में साधक मुंशी से अर्ज कर सकता है की वो उसे उसकी भाषा में लिखकर जवाब दे. आप उनसे जो कुछ भी पूछते है आपको उसका जवाब मिलेगा. जब आपका काम पूरा हो जाये तो पीर से तकलीफ के लिए माफ़ी मांगते हुए अंगूठे की स्याही को धो ले. ध्यान देने योग्य बाते : जिस समय मुस्लिम हजरत पीर की साधना सिद्धि की जाती है और बालक के जरिये सवाल जवाब किये जाते है उस दौरान लौंग, इलायची और लोबान की धूप देना चाहिए. ऐसा पुरे साधना काल और कजली चढाने की प्रोसेस के दौरान होना चाहिए. साध��ा और तंत्र में विश्वास रखते है तो इन पोस्ट पर भी नजर डाले इस पूर्ण चंद्रग्रहण की रात्री का एक प्रयोग और कर पाओगे सबसे शक्तिशाली वशीकरण जुआ जीतने और lottery and lotto number के लिए घर बैठे करे ये उपाय सफलता जरुर मिलेगी क्या आप भी मानते है की बिल्ली वास्तव में अपशकुन और मनहूसियत का प्रतिक है – hidden secret hamjad sadhna के बारे में जुड़ी ये खास जानकारिया आपकी साधना को बना देगी आसान हमजाद साधना करने से पहले जान ले इन 5 खास बातो को fortune telling hajrat sadhna - last word : दोस्तों हजरत साधना एक ऐसी साधना है जो साधक को अपने लाइफ में सफल बनाने में मदद करती है। इसके द्वारा आप जीवन की हर ख़ुशी को हासिल कर सकते है। हाजरात की साधना एक सुलेमानी तंत्र साधना है जिसके अपने कड़े नियम है तो ढेरो लाभ भी। आपको आज की पोस्ट कैसी लगी हमें जरूर बताए ताकि हम आपके लिए आगे भी आपके इंटरेस्ट के अनुसार आर्टिकल ला सके। अब आप हमें अपनी मनपसन्द पोस्ट और आर्टिकल के लिए सुझाव भी दे सकते है। हमें सब्सक्राइब करना ना भूले। जल्द ही वशीकरण और इस्लामी साधनाओ को आपके सामने सरल तरीके और स्वरूप में लाया जायेगा। Read the full article
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thekitabwala-blog · 7 years ago
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साल के पहला खग्रास चंद्रग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आखिर क्या करें
साल के पहला खग्रास चंद्रग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आखिर क्या करें  दैनिक जागरण
कल लगेगा 2018 का पहला चन्द्र ग्रहण: ग्रहों की चाल के साथ जानें समय  पंजाब केसरी
चंद्रग्रहण: क्या है सूतक का समय और इसके दुष्प्रभाव से बचने के उपाय  Firstpost Hindi
Lunar Eclipse 2018: कहां दिखेगा पहले चन्द्रग्रहण, किस राशि पर अधिक असर  नवभारत टाइम्स
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lovedisputewazifa-blog · 7 years ago
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Visit: http://www.lovedisputewazifa.com/2017/04/11/naqsh-get-ex-back/
चंद्र ग्रहण 2018: 108 दिन रहता है ग्रहण का असर, जरूर करें ये उपाय
साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 31 जनवरी यानी बुधवार क�� पड़ने जा रहा। इस ग्रहण को सुपर मून, ब्लू मून और ब्लडी मून भी नाम दिया गया है क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार, यह अलग- अलग स्थानों में तीन रंगों में दिखाई देगा। भारत में यह चंद्र ग्रहण बुधवार को शाम 6 बजकर 22 मिनट से रात 8 बजकर 42 मिनट के बीच देखा जा सकेगा।
चंद्रग्रहण को लेकर लोगों में उत्साह जरूर है कि लेकिन इसे अशुभ माना जाता है। कहा जा रहा है कि चंद्र ग्रहण का असर 108 दिन तक रहता है। ऐसे में यदि कुछ जरूरी उपाय किए जाएं तो चंद्रग्रहण के असर को कम किया जा सकता है।
वैसे तो चंद्र ग्रहण का असर हर राशि और रह इंसान पर पड़ता है लेकिन गर्भवती स्त्री और उसके होने वाले बच्‍चे के लिए इसे काफी नकारात्मक माना जाता। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को लेकर ज्‍यादा सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
गर्भवती मिहलाएं करें ये उपाय-
ग्रहण के दौरान घर की देहरी पार न करें गर्भवती महिलाओं के कमरे में गाय के गोबर से स्वास्तिक का निशान बनाएं गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दिन सब्जी या कोई अन्य जीच नहीं काटनी चाहिए गर्भवती महिलाओं को आज के दिन सुई धागे का प्रयोग नहीं करना चाहिए गर्भवती महिलाओं को नंगी आंख से ग्रहण नहीं देखना चाहिए, कहा जाता है कि इससे पैदा होने वाले बच्चे पर असर पड़ता है।
मान्यता है कि ग्रहण के दिन यदि कुछ उपाय अपनाए जाएं तो किस्मत चमक सकती है। ये उपाय कोई भी कर सकता है।
उपाय- - ग्रहण से कुछ देर पहले किसी जरूरमंद या गरीब को दान करें, यो भोजन कराएं - ग्रहण के समय शिवलिंग के सामने बैठकर ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें - ग्रहण के बाद स्नान कर पूजा करें और अपने इष्टदेव की अराधना करें - ग्रहण के बाद भगवान शिव को पंचगव्य से स्नान कराएं। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। - ग्रहण के दौरान अपने इष्टदेव का स्मरण या मंत्रजाप करते रहें।
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