#गेहूं की किस्में
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गेहूं की DBW-187 (करण वंदना): जानिए इस बेहतरीन किस्म के फायदे, बुवाई का सही तरीका और अधिक उत्पादन का राज
Karan Vandana DBW 187 : गेहूं की फसल रबी की प्रमुख फसलों में से एक है, और इस समय देशभर के किसान इसकी बुवाई में जुटे हुए हैं। बुवाई के लिए सही बीज का चुनाव और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल अच्छे उत्पादन का आधार होता है। आज हम बात कर रहे हैं गेहूं की एक बेहतरीन और लोकप्रिय किस्म DBW-187 (करण वंदना) की, जिसे देशभर के किसान अपनी फसल में प्राथमिकता दे रहे हैं। यह किस्म विशेष रूप से उत्तर भारत के किसानों के…
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ICAR ने विकसित की गेहूं की 3 किस्में
किसानों के लिए आयी अच्छी खबर खुशी से उठेंगे झूम, ICAR ने विकसित की गेहूं की 3 नई किस्में, गर्मी के मौसम आने से पहले पक कर तैयार हो जाएग�� फसल अधिक जानकारी: https://vyapartalks.com/good-news-has-come-for-the-farmers-they-will-be/
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सोयाबीन की नई किस्में: ये किस्में किसानों को देंगी ज़्यादा पैदावार और अच्छा मुनाफ़ा
कम समय में पकने वाली, जलवायु अनुकूल और प्रतिरोधक क्षमता में उन्नत
इन नई किस्मों में से एक किस्म ऐसी है जो किसान एक साल में अलग-अलग दो फसलें के साथ लगा सकते हैं। उन किसानों के लिए ये सोयाबीन की नई किस्में पहली पसंद हो सकती है। इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान के भारतीय संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक संजय गुप्ता ने इस किस्म को विकसित किया है।
सोयाबीन की नई किस्में (New Soybean Varieties): देश के किसानों की हालत में सुधार, उनकी आय में वृद्धि के उद्देश्य से कृषि वैज्ञानिक आधुनिक तकनीक और फसलों की उन्नत किस्में लगातार विकसित करते रहे हैं। अभी हाल ही में अलग-अलग फसलों की 35 नई किस्मों की सौगात किसानों को दी गई। ये नई किस्में जलवायु अनुकूल और कुपोषण मुक्त भारत के अभियान को रफ़्तार देने में मददगार होंगी।
देश के अलग-अलग कृषि संस्थानों द्वारा ईज़ाद की गई इन किस्मों में सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए चने की नई किस्म, कम समय में तैयार होने वाली अरहर, जलवायु अनुकूल और रोग प्रतिरोधी धान की किस्में, पोषक तत्वों से भरपूर गेहूं, बाजरा, मक्का की किस्में शामिल हैं। इसके अलावा किनोवो, कुट्टू, विंग्डबीन और बाकला की उन्नत किस्में और उच्च गुणवत्ता वाले सरसों और सोयाबीन की प्रमुख किस्में की वैरायटी भी किसानों को समर्पित की गईं। इस लेख में आगे आप सोयाबीन की नई किस्मों की खासियत और उत्पादन क्षमता ��े बारे में जानेंगे।
सोयाबीन की जो नई किस्में आईं हैं, वो कई मायनों में ज़्यादा उन्नत हैं, जो इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छे उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता भी देंगी। सोयाबीन प्रोटीन की मात्रा से भरपूर होता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा लगभग 40 से 50 फ़ीसदी पाई जाती है। इसके नियमित सेवन से प्रोटीन की कमी से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। सोयाबीन के इन गुणों को देखते हुए ही लोगों के बीच इसकी अच्छी मांग रहती है। इस वजह से किसान अगर उन्नत किस्मों की खेती करेंगे तो उन्हें लाभ की संभावना ज़्यादा रहेगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- सोयाबीन अनुसंधान के भारतीय संस्थान इंदौर (ICAR-IISR) ने सोयाबीन की नई किस्मों को लेकर विस्तार से जानकारी दी है। आइए जानते हैं इन सोयाबीन की नई किस्मों के बारे में।
सोयाबीन किस्म एन. आर. सी. 128
सोयाबीन की एन. आर. सी. 128 किस्म (Soybean Varieties nrc 128) की खासियत है कि ज़्यादा पानी गिरने और जलभराव वाली स्थिति में भी इस किस्म को नुकसान नहीं पहुंचता। इस किस्म में रोए होते हैं जिस कारण कीड़ों का प्रकोप कम होता है। ये किस्म बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए अच्छी है। साथ ही उत्तर मैदानी क्षेत्र पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के लिए भी ये किस्म उपयुक्त है। पूर्वी क्षेत्र और उत्तर मैदानी क्षेत्र के किसानों को इस किस्म की खेती से फ़ायदा होगा। इस किस्म को विकसित करने का श्रेय डॉ. एम. शिवकुमार को जाता है।
सोयाबीन किस्म एन. आर. सी. 127
सोयाबीन की किस्म एन. आर. सी. 127 खाद्य प्रोडक्ट बनाने के लिए बेहद उपयुक्त है। अन्य किस्मों को जहां इस्तेमाल से पहले उबालना पड़ता है। ये किस्म कड़वा मुक्त होने के कारण इसे खाया जा सकता है। ये किस्म 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। ये किस्म मध्य प्र���ेश, गुजरात और महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त है।
सोयाबीन किस्म एन. आर. सी. 130
एन. आर. सी. 130 बहुत ही कम समय में पकने वाली किस्म है। जो किसान एक साल में अलग-अलग तीन फसलें लगाना चाहते हैं, उन किसानों के लिए ये किस्म पहली पसंद हो सकती है। इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान के भारतीय संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक संजय गुप्ता ने इस किस्म को विकसित किया है।
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गेहूं का भाव | मंडी रेट
गेहूं दुनिया भर में सबसे अधिक खेती की जाने वाली फसलों में से एक है। यह एक खुराक फसल होती है, जिसे विभिन्न भागों में बांटा जा सकता है। यह फसल वास्तव में खेती के लिए बहुत आवश्यक होती है| गेहूं दुनिया भर में सबसे अधिक खेती की जाने वाली फसलों में से एक है और यह अन्य फसलों से अलग होने के कई कारण हैं। गेहूं की कई अच्छी किस्में होती हैं, लेकिन इनमें से कुछ प्रमुख गेहूं की किस्में हैं जो उच्च उत्पादकता, अच्छी गुणवत्ता और अधिक रोग प्रतिरोधकता के साथ प्रसिद्ध हैं।
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अब गर्मी में भी होगा गेहूं का बंपर उत्पादन , ICAR के वैज्ञानिकों ने विकसित की गेहूं की नई किस्में एचडी -3385
अब गर्मी में भी होगा गेहूं का बंपर उत्पादन , ICAR के वैज्ञानिकों ने विकसित की गेहूं की नई किस्में एचडी -3385
ICAR’s New Wheat Variety (Gehu ki Nai Kism): जलवायु परिवर्तन का दुष्परिणाम झेल रहे किसानों की परेशानी दूर करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म विकसित की है। गेहूं की नई किस्म अधिक तापमान में भी ज्यादा उत्पादन देगी। गेहूं की इस किस्म का नाम एचडी -3385 दिया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि नई किस्म की पैदावार एचडी-3410 के समान है, जिसका उत्पादन पिछले…
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अ��ेती आलू की बुवाई से किसानों को होगा डबल फायदा, ये हैं प्रमुख किस्में
अगेती आलू की बुवाई से किसानों को होगा डबल फायदा, ये हैं प्रमुख किस्में
Potato Farming: सिर्फ 60-90 दिन में तैयार हो जाती है अगेती आलू की किस्में. इसके बाद रबी की कोई अन्य फसल जैसे पछेता गेहूं की खेती कर सकते हैं किसान. कैसे करें आलू की खेती की तैयारी. अगेती आलू की खेती के बारे में जानिए. Image Credit source: File Photo आय बढ़ाने के लिए अब कुछ किसान एक साल में कई फसलें लेने पर जोर देने लगे हैं. प्रगतिशील किसानों के ���ास्ते पर चलकर आप भी अपनी इनकम बढ़ा सकते हैं. अगर…
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Top Wheat Varieties इस मौसम में रोपित गेहूं की ये 5 सबसे उन्नत किस्में, गेहूं की शीर्ष किस्में
Top Wheat Varieties इस मौसम में रोपित गेहूं की ये 5 सबसे उन्नत किस्में, गेहूं की शीर्ष किस्में
गेहूं की शीर्ष किस्में : Top Wheat Varieties भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है क्योंकि यहां 70% किसान हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग फसलें उगाई जाती हैं। फसलों की पैदावार बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए समय-समय पर नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे किसान नई तरह की खेती कर रहे हैं। खरीफ फसल की कटाई को अवशोषित कर लिया गया है। Top Wheat Varieties गेहूं की शीर्ष किस्में अब किसानों ने…
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असम के चावल की विदेशों में भारी मांग, 84 प्रतिशत बढ़ी डिमांड|
भले ही भारत के पूर्वोत्तर राज्य विकास की मुख्यधारा में अन्य राज्यों की तरह न जुड़ पाए हों, लेकिन इन राज्यों ने अब वो कर दिखाया है जो खेती-किसानी के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है। दरअसल, अब असम राज्य की मुख्य फसल विदेशों में नाम कमाने लगी है जो राज्य के निवासियों के लिए कमाल की खबर है। गौर करने वाली बात है कि उत्तर भारतीय राज्यों के इतर असम में किसान मुख्यतौर पर गेहूं की बजाय धान उगाते हैं।ये भी पढ़ें:धान की किस्म पूसा बासमती 1718, किसान कमा पाएंगे अब ज्यादा मुनाफा
यहां के चावल की खूशबू और स्वाद कमाल का होता है जिसके चलते देशभर में, यहां से आए चावलों को लोग बड़े चाव से खाते हैं और खपत भी काफी है। चूंकि, लोगों के बीच असम से आने वाले चावल खासे पसंद किए जाते हैं, यही वजह है कि पिछले सालों के दौरान यहां कि कुछ किस्मों को जीआई टैग दिया गया था। अब हाल ही में असम के चावल की कुछ किस्में दुबई भेजी गईं। इन चावलों को APEDA के सहयोग से भेजा गया। दुबई भेजी जाने वाली किस्मों का नाम जोह�� और एजुंग (Izong rice) हैं।
गौर करने वाली बात है कि असम का जोहा चावल (Joha Rice) बासमती से कम नहीं है। इसकी विशेषता के कारण ही इसे जीआई टैग दिया गया है। वैसे इसकी सुगंध बासमती जैसी नहीं है बल्कि थोड़ी अलग है। लेकिन जोहा अपने स्वाद, खुशबू और खास तरह के आनाज को लेकर जाना जाता है। इसकी विदेशों में मांग बासमती से कम नहीं है। यह खबर असम के किसानों को उत्साहित करने वाली है।ये भी पढ़ें:धान की लोकप्रिय किस्म पूसा-1509 : कम समय और कम पानी में अधिक पैदावार : किसान होंगे मालामाल
APEDA के अध्यक्ष एम अंगमुथु ने कहा है कि जिस तरह का मौसम असम का रहता है, उसे देखते हुए यहां सभी तरह की बागवानी फसलें उगाई जा सकती हैं। साथ ही यहां से निर्यात भी आसानी से किया जा सकता है क्योंकि बगल से भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार और चीन जैसे देश हैं जो राज्य से अपनी सीमा साझा करते हैं। वैसे चावल ही असम की एकमात्र फसल नहीं है जिसकी विदेशों में मांग है। बल्कि यहां के नींबुओं की मांग मिडिल ईस्ट और ब्रिटेन में बहुत है। यही वजह है कि यहां से अब तक 50 मीट्रिक टन नींबू का एक्सपोर्ट पहले ही किया जा चुका है।
यही नहीं, यहां ��े कद्दू और लीची भी बाहर भेजे जा रहे हैं और लोग इनके स्वाद को खासा पसंद भी कर रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्यों ने पिछले छह सालों में खेती में अपना नया मुकाम स्थापित किया है, जो इन राज्यों की सफलता की कहानी कहता है। एक आंकड़े के मुताबिक, पिछले छह सालों में यहां उगने वाले कृषि उत्पादों के निर्यात में करीब 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। जाहिर है कि आने वाले सालों में इन राज्यों का कृषि में योगदान और बढ़ेगा और जिसका असर देश की जीडीपी में होगा, जो सुखद बात है।
Source असम के चावल की विदेशों में भारी मांग, 84 प्रतिशत बढ़ी डिमांड
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संतुलित आहार के लिए पूसा संस्थान की उन्नत किस्में
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली जिसे पूसा संस्थान के नाम से जाना जाता है ने अपने 115 वर्षों के सफर में देश की कृषि को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हरित क्रांति के जनक के रूप में पूसा संस्थान में विभिन्न फसलों की बहुत सारी किस्में निकाली हैं जिनसे हम अपने देश की जनता को संतुलित आहार दे सकते हैं और अपने किसानों के लिए खेती को लाभदायक बना सकते हैं। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए पूसा सस्थान द्वारा निकाली गई कुछ फसलों की मुख्य किस्में व उनकी विशेषताओं के विषय में हम आपको बता रहे हैं।
धान
1-पूसा बासमती 1 जिस की पैदावार 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर है 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
2-पूसा बासमती 1121 जिसकी पैदावार 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर है एवं 140 दिन में पक जाती है। पकाने के दौरान चावल 4 गुना लंबा हो जाता है।
3-पूसा बासमती 6 की पैदावार 55 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। आप पकने में 150 दिन का समय लेती है।
4-पूसा बासमती 1509 का उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. यह पत्नी है 120 दिन का समय लेती है. जल्दी पकने के कारण बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है.
5-पूसा बासमती 1612 का उत्पादन 51 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है . पकने में 120 दिन का समय लेती है . यह ब्लास्ट प्रतिरोधी किस्म है।
6-पूसा बासमती 1592 का उत्पादन 47.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है .यह पकने में 120 दिन का समय लेती है .बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है.
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धान की उन्नत खेती कैसे करें एवं धान की खेती का सही समय क्या है
7-पूसा बासमती 1609 का उत्पादन 46 कुंटल पकने का समय 120 दिन व बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रति प्रतिरोधी है।
8-पूसा बासमती 1637 का उत्पादन 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अवधि 130 दिन है । यह ब्लाइट प्रतिरोधी है.
9-पूसा बासमती 1728 का उत्पादन 41.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पकाव अवधि 140 दिन है। वह किसी भी बैक्टीरियल ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है।
10-पूसा बासमती 1718 का उत्पादन 46.4 कुंटल प्रति हेक्टेयर बोकारो अवधि 135 दिन है। यह किस्म बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोध ही है।
11-पूसा बासमती 1692 का उत्पादन 52.6 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। यह पकने में 115 दिन का समय लेती है। उच्च उत्पादन जल्दी पकने वाली किस्म है।
गेहूं
1-एचडी 3059 का उत्पादन 42.6 कुंतल प्रति हेक्टेयर व पकाव अवधि 121 दिन है। यह पछेती की किस्में है।
2-एचडी 3086 का उत्पादन 56.3 कुंटल एवं पकाव अवधि 145 दिन है।
3-एचडी 2967 का उत्पादन 45.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर। वह पकने में 145 से लेती है।
4-एच डी सीएसडब्ल्यू 18 का उत्पादन 62.8 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। पीला रतुआ प्रतिरोधी 150 दिन में पकती है।
5-एचडी 3117 से 47.9 कुंटल उत्पादन 110 दिन में मिल जाता है । यह किस्म करनाल बंट रतुआ प्रतिरोधी पछेती किस्म है।
6-एचडी 3226 से 57.5 कुंटल उत्पादन 142 दिन में मिल जाता है।
7-एचडी 3237 से 4 कुंतल उत्पादन 145 दिन में मिलता है।
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सर्दी में पाल���, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल
8-एच आई 1620 से 49.1 कुंदन उत्पादन के 40 दिन में मिलता है। यह कंम पानी वाली किस्म है।
9-एच आई 1628 से 50.4 कुंतल उत्पादन 147 में मिलता है।
10-एच आई 1621 से 32.8 कुंतल उत्पादन 102 दिन में मिल जाता है यह पछेती किस्म है।
11-एचडी 3271 किस्म से कुंतल उत्���ादन 104 दिन में मिलता है यह अति पछेती किस्म है पीला रतुआ प्रतिरोधी है।
12-एचडी 3298 से 39 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन 104 दिन में मिल जाता है।
मक्का
1-पूसा एच एम 4 संकर किस्म से 64.2 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है । यह पकने में 87 दिन का समय देती है और इसमें प्रोटीन अत्यधिक है।
2-पूसा सुपर स्वीट कॉर्न संकर सै 93 कुंतल उत्पादन 75 दिन में मिल जाता है।
3-पूसा एचक्यूपीएम 5 संकर 64.7 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन 92 दिन में मिलता है।
बाजरा (खरीफ)
1-पूसा कंपोजिट 701 से , 80 दिन में 23.5 कुंतल उत्पादन मिलता है।
2-पूसा 1201 संकर से 28.1 कुंतल उत्पादन 80 दिन में मिलता है।
चना
1-पूसा 372 से 125 दिन में 19 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है।
2-पूसा 547 से 130 दिन में 18 कुंतल उत्पादन मिलता है।
अरहर
1-अरहर की पूसा 991 किस्म 142 दिन में तैयार होती है व 16.5 कुंदन उत्पादन मिलता है।
2- पूसा 2001 से 18.7 कुंतल उत्पादन 140 दिन में मिलता है।
3- पूसा 2002 किस्म से 143 दिन में 17.7 कुंतल उपज मिलती है।
4-पूसा अरहर 16 से 120 दिन में 19.8 कुंतल उपज मिलती है।
मूंग (खरीफ)
1-पूसा विशाल 65 दिन में 11.5 कुंतल उपज देती है। यह किस्मत एक साथ पकने वाली है।
2- पूसा 9531 से 65 दिन में 11.5 कुंटल उत्पादन मिलता है। यह भी एक साथ पकने वाली किस्म है।
3- पूसा 1431 किस्म से 66 दिन में 12.9 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है।
मसूर
1- एल 4076 किस्म 125 दिन में पकने वाली है । इससे 13.5 कुंतल उत्पादन मिलता है।
2- एवं 4147 से ,125 दिन में 15 कुंतल उपज मिलती है। दोनों किस्म फ्म्यूजेरियम बिल्ट रोग प्रतिरोधी है।
सरसों(रबी)
1-जल्द पकने वाली पीएम 25 किस्म से 105 दिन में 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है।
2-प्रीति बाई के लिए उपयुक्त पीएम 26 किस्म से 126 दिन में 16.4 कुंतल तक उपज मिलती है।
3-41.5% की उच्च तेल मात्रा वाली पीएम 28 किस्म 107 दिन में 19.9 कुंतल तक उपज दे जाती है।
4-कुछ तेल प्रतिशत वाली पीएम 3100 किस्म से 23.3 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिलती है ।यह पकने में 142 दिन का समय लेती है।
5- पीएम 32 किस्म से 145 दिन में 27.1 कुंतल उपज दे ती है।
सोयाबीन (खरीफ)
1-पुसा सोयाबीन 9712 किस्म पीला मोजेक प्रतिरोधी है। 115 दिन में 22.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।
2-पूसा 12 किस्म 128 दिन मैं 22.9 कुंतल उपज देती है।
लेखक
राजवीर यादव, फिरोज हुसैन, देवेंद्र के यादव एवं अशोक के सिंह
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अप्रैल में बोई जाने वाली फसल। april me boi jane wali sabji। april me konsi kheti kare।
अप्रैल में बोई जाने वाली फसल। april me boi jane wali sabji। april me konsi kheti kare।
अप्रैल में बोई जाने वाली फसल। april me boi jane wali sabji। april me konsi kheti kare। April ki kheti इस महीने में लगाएं ये फसलें, होगा तगड़ा मुनाफा 1. मूंग : यह 67 दिनों में तैयार हो जाएगी (Moong ki kheti) गेहूं की कटाई के बाद April ki kheti में पूसा बैसाखी मूंग और मास 338 और टी9 उड़द की किस्में लगाई जा सकती हैं। मूंग 67 दिनों में और 90 दिनों में पक जाती है. 3-4 क्विंटल उपज देती है। 8 किलो मूंग…
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हैफेड से ले सकते हैं उच्च गुणवत्ता का गेहूं का बीज; जानिए कौन-कौन सी किस्में हैं उपलब्ध
हैफेड से ले सकते हैं उच्च गुणवत्ता का गेहूं का बीज; जानिए कौन-कौन सी किस्में हैं उपलब्ध
चण्डीगढ, 10 नवंबर/ एग्रोमीडिया हरियाणा में चालू रबी सीजन के दौरान किसानों को राज्य सरकार द्वारा रियायती दर पर हैफेड के माध्यम से उच्च गुणवत्ता का प्रमाणित गेहूं बीज 1000 रुपये प्रति 40 किलो बैग उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस संबंध में जानकारी देते हुए सहकारिता मंत्री डॉ बनवारी लाल बताया कि गेहूं की उच्च गुणवत्ता किस्मों नामतः डब्ल्यूएच-1105, एचडी-3086, एचडी-2967, एचडी-3226 और डब्ल्यूएच -1124 के…
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जिंक के साथ चावल, प्रोटीन के साथ गेहूं कुपोषण से लड़ने के लिए
जिंक के साथ चावल, प्रोटीन के साथ गेहूं कुपोषण से लड़ने के लिए
नई दिल्ली: चावल में जिंक की अधिकता और प्रोटीन और आयरन से भरपूर गेहूं, फसलों की 17 नई बायोफोर्टिफाइड किस्मों में से हैं, जिन्हें खेती के लिए विकसित और जारी किया गया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को कहा कि 16 विभिन्न फसलों की ये नई किस्में कुपोषण को कम करना चाहती हैं क्योंकि ये सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर मुख्य आहार का स्रोत हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत संस्थानों द्वारा…
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जिंक के साथ चावल, प्रोटीन के साथ गेहूं कुपोषण से लड़ने के लिए | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
जिंक के साथ चावल, प्रोटीन के साथ गेहूं कुपोषण से लड़ने के लिए | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: चावल में जिंक की अधिकता और प्रोटीन और आयरन से भरपूर गेहूं, फसलों की 17 नई बायोफोर्टिफाइड किस्मों में से हैं, जिन्हें खेती के लिए विकसित और जारी किया गया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को कहा कि 16 विभिन्न फसलों की ये नई किस्में कुपोषण को कम करना चाहती हैं क्योंकि ये ��ूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर मुख्य आहार का स्रोत हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत संस्थानों द्वारा…
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#आज की खबर#गूगल समाचार#जस्ता के साथ चावल#ताज़ा खबर#प्रोटीन के साथ गेहूं#बायोफोर्टिफाइड गेहूं#बायोफोर्टिफाइड चावल#भारत#भारत बायोफोर्टिफाइड फसलें#भारत समाचार#भारत समाचार आज
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Check out this post… "गेहूं की पांच उन्नत किस्में top high yielding wheat varieties, रोग कम और उत्पादन ज्यादा।".
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Wheat Farming: तराई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए ये हैं गेहूं की अच्छी किस्में
Wheat Farming: तराई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए ये हैं गेहूं की अच्छी किस्में
अगेती किस्मों की बुवाई किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है. क्योंकि उन्हें लू से बचने की संभावना ज्यादा रहती है. नवंबर से दिसंबर तक बोई जाने वाली क्षेत्रवार गेहूं की किस्मों के बारे में जानिए. गेहूं की खेती के लिए बीज का सही चयन है जरूरी. Image Credit source: File Photo देश के कई हिस्सों में धान की कटाई चल रही है. इसके बाद रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई शुरू हो जाएगी. लेकिन, उससे…
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गेहूं, धान, मक्का इत्यादि फसलों की क्रांतिक अवस्थाएं एवं सिंचाई की आवश्कता लिखिए फसल एवं पेड़ पौधों की वृद्धि के लिए सिंचाई जल की आपूर्ति करनी आवश्यक होती है वृद्धि की इन अवस्थाओं को क्रांतिक अवस्थाएं (critical stages in hindi) कहते हैं ।
गेहूं में की जाने वाली सिंचाई को लिखिए सरसों की उन्नत किस्में क्रांतिक अवस्था किसे कहते हैं फसलों का कुल के आधार पर वर्गीकरण कीजिए गेहूं में दूसरा पानी कितने दिन बाद लगाएं गेहूं की फसल कब काटी जाती है गेहूं में की जाने वाली सिंचाई को लिखिए गेहूं की फसल कब बोई जाती है गेहूं में पोटाश की मात्रा गेहूं में दूसरा पानी कितने दिन बाद लगाएं गेहूं की फसल कब काटी जाती है गेहूं का वर्गीकरण एक बीघा में गेहूं कितना डालना चाहिए भारत में गेहूं अथवा कपास के उत्पादन एवं वितरण का विवरण दीजिए खेती की जानकारी हिंदी में गेहूं की खेती pdf
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