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भारतीय सेना की ताकत दिखाएंगे अजय देवगन, अब भारत-चीन टकराव पर बनेगी फिल्म
भारतीय सेना की ताकत दिखाएंगे अजय देवगन, अब भारत-चीन टकराव पर बनेगी फिल्म
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अजय देवगन (Photo Credit- ajaydevgn/Instagram) अजय देवगन (Ajay Devgn) अब भारत-चीन (India China) गलवान वैली (Galwan Valley) टकराव पर फिल्म बनाने जा रहे हैं. जिसमें भारतीय सेना (Indian Army) की ताकत दिखाई जाएगी.
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India China Border Dispute Latest News: Border Roads Organization (BRO) Built 3 Bridges In Leh In Just 3 Months | बीआरओ ने रिकॉर्ड 3 महीने में लेह के पास 3 पुल बनाए, चीन के विरोध पर कहा- फर्क नहीं पड़ता, हम अपना काम करते हैं
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India China Border Dispute Latest News: Border Roads Organization (BRO) Built 3 Bridges In Leh In Just 3 Months | बीआरओ ने रिकॉर्ड 3 महीने में लेह के पास 3 पुल बनाए, चीन के विरोध पर कहा- फर्क नहीं पड़ता, हम अपना काम करते हैं
लद्दाख में भारत-चीन के बीच 4 पॉइंट्स पर विवाद, इनमें पीपी-14 (गलवान रिवर वैली), पीपी-15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया शामिल
गलवान की झड़प के 20 दिन बाद चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर 2 किलोमीटर पीछे हट गया है
दैनिक भास्कर
Jul 07, 2020, 02:08 AM IST
लद्दाख. बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने रिकॉर्ड समय में लेह के पास 3 पुलों को बनाया है। इन्हीं पुलों के जरिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत-चीन में चल रहे टकराव के दौरान सेना के टैंकों को सीमा तक आसानी से पहुंचाने मदद मिली थी। बीआरओ के एक अधिकारी ने बताया कि हमने इन पुलों को एनएच-1 के केएम-397 पर तैयार किया है। इन्हें रिकॉर्ड 3 महीने में बनाया गया है।
Ladakh: Border Road Organisation has built 3 bridges near Leh which facilitated Army’s tank movement during stand-off along Line of Actual Control. B Kishan, a BRO officer, says, “We built a bridge at KM 397 on NH-1 in record 3 months. It’s capable of carrying any sort of load.” pic.twitter.com/7VePtjrdW3
— ANI (@ANI) July 6, 2020
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, सड़क निर्माण पर चीन के विरोध के बारे में पूछे जाने पर बीआरओ के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बी किशन ने कहा कि बीआरओ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमें जो भी असाइनमेंट दिए जाते हैं, हमारा फोकस सिर्फ उन पर ही होता है।
प्रधानमंत्री ने 3 जुलाई को अचानक किया था लद्दाख का दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अचानक लद्दाख का दौरा किया था। पोस्ट पर जवानों से मिले, उनका हौसला बढ़ाने के लिए स्पीच दी थी। इसके अलावा लेह के मिलिट्री अस्पताल में भी उन्होंने गलवान झड़प में घायल सैनिकों से मुलाकात की थी।
चीन की सेना सीमा से पीछे हटी गलवान की झड़प के 20 दिन बाद चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर 2 किलोमीटर पीछे हट गया है। उसने टेंट और अस्थाई निर्माण हटा लिए हैं। हालांकि, गलवान के गहराई वाले इलाकों में चीन की बख्तरबंद गाड़ियां अब भी मौजूद हैं। लद्दाख में भारत-चीन के बीच 4 पॉइंट्स पर विवाद है। ये पॉइंट- पीपी-14 (गलवान रिवर वैली), पीपी-15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया हैं। भारतीय सेना सभी पॉइंट पर नजर रख रही है।
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India China Border Dispute: भारत सरकार ने चीन को चेताया, कहा-हटाएं सेना
India China Border Dispute: भारत ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के लिए चीन को चेतावनी दी है। कहा है कि मौजूदा स्थिति के जारी रहने से न केवल दोनों देशों के बीच माहौल खराब होगा बल्कि संबंधों पर भी इसका असर पड़ेगा।
Edited By Sujeet Upadhyay | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 26 Jun 2020, 06:50:00 AM IST
सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
मई के शुरू में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से यह पहली बार है जब भारत ने LAC पर चीनी जमावड़े की बात औपचारिक रूप से मानी
विदेश मंत्रालय ने एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हुए घटनाक्रमों का ब्योरा दिया
विदेश मंत्रालय ने 15 जून को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया
नई दिल्ली भारत ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के लिए चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन मई के शुरू से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सैनिक और युद्ध सामग्री जुटा रहा है। चीनी सैनिकों का रवैया पारस्परिक सहमति वाले नियमों का खुला उल्लंघन है। मौजूदा स्थिति के जारी रहने से न केवल दोनों देशों के बीच माहौल खराब होगा बल्कि संबंधों के विकास पर इसका असर पड़ेगा। मई के शुरू में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से यह पहली बार है जब भारत ने एलएसी पर चीनी जमावड़े की बात औपचारिक रूप से स्वीकार की है। विदेश मंत्रालय ने एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हुए घटनाक्रमों का ब्योरा दिया और 15 जून को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि चीन बॉर्डर वाले इलाके में शांति और स्थिरता की फौरन बहाली करने के लिए सैनिक हटाने पर दोनों पक्षों के बीच बनी समझ का ईमानदारी से पालन करे। प्रवक्ता ने कहा कि मौजूदा स्थिति के जारी रहने से केवल माहौल ही खराब होगा और इसका संबंधों के विकास पर असर पड़ेगा।
चीन ने कर ली जंग की तैयारी, भारत देगा मुंहतोड़ जवाबIndia China army in Galwan Valley : सैटेलाइट इमेज के मुताबिक गलवान वैली के patrolling point 14 पर चीन की सेना भारी तैनाती कर रही है। श्योक और गलवान नदीं की धारा रोक कर सड़क बनाया जा रहा है ताकि असलाह और सैनिक तेजी से भारतीय सीमा पर पहुंच सके. इसे देखते हुए भारतीय सेना भी सीमा की कड़ी चौकसी में जुट गई है। Indian Air Force का Sukhoi MKI , Jaguar , Mirage 2000 , Chinook हवा में लगातार निगरानी रख रहे हैं। उधर कूटनीतिक स्तर पर चीन पहले से ही चारो खाने चित है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस दौरे में चीन को कड़ा संदेश दिया है। साथ ही रूस से S 400 Missile Defence System लेने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। पीएम Narendra Modi पहले ही कह चुके हैं कि भारतीय सेना एक साथ कई सेक्टर में मूव करने के लिए तैयार है.
चीन पर तीखा हमला बोला विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन पर ऐसे समय असामान्य रूप से तीखा हमला बोला है जब एक दिन पहले चीन के विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने गलवान घाटी संघर्ष के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया और भारतीय विदेश मंत्रालय पर घटना के बारे में झूठी सूचना फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मई के शुरू में चीनी पक्ष ने गलवान घाटी क्षेत्र में भारत की ‘सामान्य, पारंपरिक’ गश्त को रोकने वाली कार्रवाई की और मई के मध्य में इसने पश्चिमी सेक्टर के अन्य क्षेत्रों में यथास्थिति को बदलने की कोशिश की।
‘पारस्परिक कदम’ उठाने की बात श्रीवास्तव ने कहा कि यह विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है, खासकर 1993 में सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हुए महत्वपूर्ण समझौते के प्रावधानों के अनुरूप, जो कहता है कि दोनों पक्ष एलएसी से लगते सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने सैन्य बलों की मौजूदगी न्यूनतम स्तर पर रखेंगे। उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में चीन की स्थिति में हालिया बदलाव एक उदाहरण है। श्रीवास्तव ने कहा कि हमने चीन की कार्रवाई को लेकर कूटनीतिक और सैन्य दोनों माध्यमों से अपना विरोध दर्ज कराया था और यह स्पष्ट कर दिया था कि इस तरह का कोई भी बदलाव हमें अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि बाद में, छह जून को वरिष्ठ कमांडरों की बैठक हुई और तनाव कम करने और एलएसी से पीछे हटने पर सहमति बनी जिसमें ‘पारस्परिक कदम’ उठाने की बात शामिल थी।
चीन ने LAC पर 3 राज्यों में बढ़ाए जवान-हथियारलद्दाख के गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद भारत-चीन में तनातनी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर तनाव कम करने के लिए नई दिल्ली और बीजिंग की तरफ से सैन्य और राजनयिक प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बीच चीन एलएसी के इलाकों में अपनी सैन्य मौजूदगी भी बढ़ा रहा है।
एलएसी के बिलकुल पास ढांचे खड़े करने की कोशिश श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्ष एलएसी का सम्मान और नियमों का पालन करने और यथास्थिति को बदलने वाली कोई कार्रवाई न करने पर सहमत हुए थे। उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष एलएसी के संबंध में बनी इस समझ से गलवान घाटी में पीछे हट गया और उसने एलएसी के बिलकुल पास ढांचे खड़े करने की कोशिश की। प्रवक्ता ने कहा कि जब यह कोशिश विफल कर दी गई तो चीनी सैनिकों ने 15 जून को हिंसक कार्रवाई की जिसका परिणाम सैनिकों के हताहत होने के रूप में निकला। इसके बाद, दोनों पक्षों की क्षेत्र में बड़ी संख्या में तैनाती है, हालांकि सैन्य एवं कूटनीतिक संपर्क जारी हैं।
एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक और युद्धक सामग्री जुटा रहा ची���ी श्रीवास्तव ने कहा कि चीनी पक्ष मई के शुरू से ही एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक और युद्धक सामग्री जुटा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि स्पष्ट तौर पर, भारत को भी जवाबी तैनाती करनी पड़ी और उसके बाद से तनाव अपने आप ही दिख रहा है। उन्होंने कहा कि एलएसी का सम्मान और संबंधित नियमों का सख्ती से पालन करना सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता का आधार है जिसे 1993 और बाद के समझौतों में स्पष्ट तौर पर मान्यता दी गई थी। श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय सैनिक भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में एलएसी के संरेखण से भली-भांति परिचित हैं और पूरी ईमानदारी से इसका पालन करते हैं।
लद्दाख: गलवान घाटी में पीछे हटे चीन के सैनिकचीन ने गलवान घाटी में अपने कुछ सैनिक और वाहन अग्रिम मोर्चों से पीछे हटा दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव कम करने के लिए 22 जून को कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी।
भारतीय पक्ष ने कभी एलएसी के पार कोई कार्रवाई नहीं की प्रवक्ता ने कहा कि वे (भारतीय सैनिक) गलवान घाटी सहित एलएसी पर लंबे समय से गश्त कर रहे हैं। भारत द्वारा बनाए गए सभी ढांचे एलएसी के भारतीय क्षेत्र में रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष ने कभी एलएसी के पार कोई कार्रवाई नहीं की और यथास्थिति को कभी भी एकतरफा से ढंग से बदलने की कोशिश नहीं की। हालांकि, चीनी पक्ष की तरफ से ऐसा नहीं होता है और समय-समय पर टकराव की नौबत आती रहती है। प्रवक्ता ने कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विमर्श और समन्वय कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बुधवार को हुई बैठक एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम थी। उन्होंने कहा कि इससे पहले 22 जून को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच चर्चा हुई जो छह जून को उनके बीच बनी समझ को क्रियान्वित करने पर केंद्रित थी। (इनपुट एजेंसी)
Web Title india china border dispute: indian government warns china, says remove army(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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विदेश मंत्रालय ने 15 जून को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया
नई दिल्ली भारत ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के लिए चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन मई के शुरू से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सैनिक और युद्ध सामग्री जुटा रहा है। चीनी सैनिकों का रवैया पारस्परिक सहमति वाले नियमों का खुला उल्लंघन है। मौजूदा स्थिति के जारी रहने से न केवल दोनों देशों के बीच माहौल खराब होगा बल्कि संबंधों के विकास पर इसका असर पड़ेगा। मई के शुरू में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से यह पहली बार है जब भारत ने एलएसी पर चीनी जमावड़े की बात औपचारिक रूप से स्वीकार की है। विदेश मंत्रालय ने एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हुए घटनाक्रमों का ब्योरा दिया और 15 जून को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि चीन बॉर्डर वाले इलाके में शांति और स्थिरता की फौरन बहाली करने के लिए सैनिक हटाने पर दोनों पक्षों के बीच बनी समझ का ईमानदारी से पालन करे। प्रवक्ता ने कहा कि मौजूदा स्थिति के जारी रहने से केवल माहौल ही खराब होगा और इसका संबंधों के विकास पर असर पड़ेगा।
चीन ने कर ली जंग की तैयारी, भारत देगा मुंहतोड़ जवाबIndia China army in Galwan Valley : सैटेलाइट इमेज के मुताबिक गलवान वैली के patrolling point 14 पर चीन की सेना भारी तैनाती कर रही है। श्योक और गलवान नदीं की धारा रोक कर सड़क बनाया जा रहा है ताकि असलाह और सैनिक तेजी से भारतीय सीमा पर पहुंच सके. इसे देखते हुए भारतीय सेना भी सीमा की कड़ी चौकसी में जुट गई है। Indian Air Force का Sukhoi MKI , Jaguar , Mirage 2000 , Chinook हवा में लगातार निगरानी रख रहे हैं। उधर कूटनीतिक स्तर पर चीन पहले से ही चारो खाने चित है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस दौरे में चीन को कड़ा संदेश दिया है। साथ ही रूस से S 400 Missile Defence System लेने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। पीएम Narendra Modi पहले ही कह चुके हैं कि भारतीय सेना एक साथ कई सेक्टर में मूव करने के लिए तैयार है.
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लद्दाख: गलवान घाटी में पीछे हटे चीन के सैनिकचीन ने गलवान घाटी में अपने कुछ सैनिक और वाहन अग्रिम मोर्चों से पीछे हटा दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव कम करने के लिए 22 जून को कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी।
भारतीय पक्ष ने कभी एलएसी के पार कोई कार्रवाई नहीं की प्रवक्ता ने कहा कि वे (भारतीय सैनिक) गलवान घाटी सहित एलएसी पर लंबे समय से गश्त कर रहे हैं। भारत द्वारा बनाए गए सभी ढांचे एलएसी के भारतीय क्षेत्र में रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष ने कभी एलएसी के पार कोई कार्रवाई नहीं की और यथास्थिति को कभी भी एकतरफा से ढंग से बदलने की कोशिश नहीं की। हालांकि, चीनी पक्ष की तरफ से ऐसा नहीं होता है और समय-समय पर टकराव की नौबत आती रहती है। प्रवक्ता ने कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विमर्श और समन्वय कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बुधवार को हुई बैठक एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम थी। उन्होंने कहा कि इससे पहले 22 जून को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच चर्चा हुई जो छह जून को उनके बीच बनी समझ को क्रियान्वित करने पर केंद्रित थी। (इनपुट एजेंसी)
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बाबा रामदेव की कोरोना दवा पर बोले उत्तराखंड के सीएम- कोई प्र..
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पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा, ‘भारत-चीन की झड़प ने 1967 की नाथुला घटना की याद दिलाई’
नई दिल्ली:
लद्दाख में भारत और चीन सैनिकों के बीच ‘हिंसक झड़प’ को पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक (General VP Malik) ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. इस झड़प में भारतीय सेना (Indian Army) का एक कर्नल और दो जवान शहीद हो गए हैं. चीन की ओर से भी कुछ लोगों की हताहत होने की खबर है. लद्दाख इलाके में यह 1962 के बाद पहला ऐसा मौका है जब सैनिक शहीद हुए हैं. पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने एनडीटीवी के विष्णु सोम के साथ साथ बातचीत में इस झड़प को दोनों देशों के बीच पिछले 45 साल में हुई सबसे गंभीर घटना करार दिया है. जनरल (सेवानिवृत्त) मलिक ने कहा, ‘इस घटना में मुझे सितंबर 1967 की नाथुला दर्रे की घटना की याद दिला दी, मैं उस समय मेजर था. गौरतलब है कि सितंबर 1967 को नाथू ला में भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हुआ था. जानकारी के अनुसार, 1967 में टकराव की वजह चीन का भारतीय सीमा में गड्ढा खोदना था, भारतीय जवानों ने चीनी सैनिक से ऐसा न करने के लिए कहा था. इस दौरान हुए हिंसक संघर्ष में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी.
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पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, ‘मैं झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को नमन करता हूं और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.’ उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच गतिरोध के समाधान के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत का दौर जारी है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मैदानी (ग्राउंड लेवल) स्तर पर तनाव व्याप्त है. दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के आमने सामने हैं. अगर गुस्सा दूसरी तरह है तो हमारे सैनिक भी गुस्से से भरे हुए हैं.चीन नहीं चाहता है कि भारत घाटी के आसपास निर्माण कार्य करें. बातचीत के बीच इस तरह की घटना हैरान कर देने वाली ��ै.
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि ��स तरह की घटना गलवान वैली में पहले कभी नहीं देखी गई थी. दोनों देशों के बीच असहमति से इस घटना का रूप ले लिया. उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि ऐसी घटना फिर से सामने आए. मैं चाहता हूं कि सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये तनाव कम करने के उपाय हो. सैन्य स्तर पर बातचीत की अपनी सीमाएं हैं, ऐसे में कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये हालात सुधारने की कोशिश होनी चाहिए.
दोनों पक्षों की ओर से फायरिंग नहीं होने के बावजूद भारत के तीन सैनिकों के शहीद होने संबंधी प्रश्न के जवाब में जनरल मलिक ने कहा, ‘मैं कहना चाहता कि पत्थर भी इंसान को मार सकता है. स्टिक के इस्तेमाल की रिपोर्ट भी सामने आई है. तथ्य यह है कि हमारे सैनिक शहीद हुए हैं. यह सही है एलएसी के आसपास दोनों पक्षों का जमावड़ा है और रहेगा. आर्मी जहां है, वहां उसे फर्म रहना चाहिए लेकिन कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत के जरिये मामला हल होना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘इस घटना के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान आया, मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी सरकार की ओर से इस बारे में कोई बयान आएगा.’
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पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा, ‘भारत-चीन की झड़प ने 1967 की नाथुला घटना की याद दिलाई’
नई दिल्ली:
लद्दाख में भारत और चीन सैनिकों के बीच ‘हिंसक झड़प’ को पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक (General VP Malik) ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. इस झड़प में भारतीय सेना (Indian Army) का एक कर्नल और दो जवान शहीद हो गए हैं. चीन की ओर से भी कुछ लोगों की हताहत होने की खबर है. लद्दाख इलाके में यह 1962 के बाद पहला ऐसा मौका है जब सैनिक शहीद हुए हैं. पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने एनडीटीवी के विष्णु सोम के साथ साथ बातचीत में इस झड़प को दोनों देशों के बीच पिछले 45 साल में हुई सबसे गंभीर घटना करार दिया है. जनरल (सेवानिवृत्त) मलिक ने कहा, ‘इस घटना में मुझे सितंबर 1967 की नाथुला दर्रे की घटना की याद दिला दी, मैं उस समय मेजर था. गौरतलब है कि सितंबर 1967 को नाथू ला में भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हुआ था. जानकारी के अनुसार, 1967 में टकराव की वजह चीन का भारतीय सीमा में गड्ढा खोदना था, भारतीय जवानों ने चीनी सैनिक से ऐसा न करने के लिए कहा था. इस दौरान हुए हिंसक संघर्ष में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी.
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पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, ‘मैं झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को नमन करता हूं और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.’ उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच गतिरोध के समाधान के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत का दौर जारी है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मैदानी (ग्राउंड लेवल) स्तर पर तनाव व्याप्त है. दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के आमने सामने हैं. अगर गुस्सा दूसरी तरह है तो हमारे सैनिक भी गुस्से से भरे हुए हैं.चीन नहीं चाहता है कि भारत घाटी के आसपास निर्माण कार्य करें. बातचीत के बीच इस तरह की घटना हैरान कर देने वाली है.
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि इस तरह की घटना गलवान वैली में पहले कभी नहीं देखी गई थी. दोनों देशों के बीच असहमति से इस घटना का रूप ले लिया. उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि ऐसी घटना फिर से सामने आए. मैं चाहता हूं कि सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये तनाव कम करने के उपाय हो. सैन्य स्तर पर बातचीत की अपनी सीमाएं हैं, ऐसे में कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये हालात सुधारने की कोशिश होनी चाहिए.
दोनों पक्षों की ओर से फायरिंग नहीं होने के बावजूद भारत के तीन सैनिकों के शहीद होने संबंधी प्रश्न के जवाब में जनरल मलिक ने कहा, ‘मैं कहना चाहता कि पत्थर भी इंसान को मार सकता है. स्टिक के इस्तेमाल की रिपोर्ट भी सामने आई है. तथ्य यह है कि हमारे सैनिक शहीद हुए हैं. यह सही है एलएसी के आसपास दोनों पक्षों का जमावड़ा है और रहेगा. आर्मी जहां है, वहां उसे फर्म रहना चाहिए लेकिन कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत के जरिये मामला हल होना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘इस घटना के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान आया, मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी सरकार की ओर से इस बारे में कोई बयान आएगा.’
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