#खून का थक्का
Explore tagged Tumblr posts
Text
10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाई। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगा��े के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
0 notes
Text
0 notes
Text
हार्ट अटैक के लक्षण (Symptoms of Heart Attack in Hindi), कारण, और उपचार
बदलती जीवनशैली और गलत खान-पान के कारण कम उम्र के लोगों को भी दिल का दौरा पड़ सकता है। दिल के दौरे के शुरुआती लक्षणों को पहचानना और तुरंत इलाज कराना बहुत महत्वपूर्ण है, और इससे किसी व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक (Heart Attack Symptoms in Hindi) को मेडिकल भाषा में अनेक नामों से जाना जाता है, जैसे: मायोकार्डियल इन्फेक्शन (Myocardial infarction), कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) या एनजाइना (Angina)। एक्सपर्ट सुझाव के लिए कॉल करें +91 9667064100.
यह एक इमर्जेंसी कंडीशन है जो किसी भी इंसान की जान ले सकती है। अचानक से हार्ट अटैक की स्थिति तभी बनती है जब ह्रदय की माँसपेशियों (Heart muscles) में खून का बहाव कम हो जाता है, और हार्ट को पर्याप्त मात्रा में खून न मिलने के कारण हार्ट को नुकसान पहुँचता है, और कभी ऐसी स्थिति बन जाती है जिसमें हार्ट को खून की सप्लाई न मिले, तो हार्ट अटैक हो सकता है, जिसके कारण इंसान की जान जा सकती है।
आज कल जिस प्रकार से किसी भी उम्र के इंसान को हार्ट अटैक हो रहा है, यह एक खौफनाक स्थिति है।
दिल को दौरा तभी पड़ता है जब धमनियों में रुकावट आती है (Atherosclerosis), और रुकावट तभी आती है जब प्लाक (Plaque) नसों में जम जाता है, और जब ये प्लाक टूटता है, तो खून का थक्का (Blood Clot) बन जाता है, जिसके कारण रक्त की पूर्ति नहीं हो पाती, जिससे हार्ट मसल्स को प्रभाव पड़ता है, और आगे जाकर हार्ट अटैक की स्थिति बन जाती है।
हमारी जानकार कार्डियोलॉजी की टीम आपकी ज़रूरतों और उद्देश्यों के अनुसार आपकी उपयुक्त सहायता करने को सदैव तत्पर है। कार्डियोलॉजी परामर्श बुक करने के लिए अभी फेलिक्स अस्पताल से संपर्क करें। कॉल करें- +91 9667064100.(first aid when heart attack in Hindi)
हार्ट अटैक क्या है ?(First Aid During Heart Attack)
हार्ट अटैक क्या है: मेडिकल भाषा में हार्ट अटैक को “मायोकार्डियल इनफार्क्शन” (Myocardial infarction) के रूप में जाना जाता है। “मायो” शब्द का अर्थ है मांसपेशी जबकि “कार्डियल” हृदय को दर्शाता है। वहीं, दूसरी ओर, “इनफार्क्शन” अपर्याप्त रक्त आपूर्ति के कारण टिश्यू के नष्ट ��ोने को संदर्भित करता है। टिश्यू के नष्ट होने से हृदय की मांसपेशियों को लंबे समय तक ��ुकसान पहुंच सकता है। हार्ट अटैक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आमतौर पर हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी पूरी तरह से अवरुद्ध होने के कारण अचानक खून की सप्लाई बंद कर देती है। इससे हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाएं मर जाती हैं। धमनी में ब्लॉकेज, जो कि अक्सर प्लाक के जमने के कारण होती है, जिसके परिणामस्वरूप कोरोनरी हार्ट डीजिज (सीएचडी) होती है। इस स्थिति को बिना उपचार के छोड़ दिया जाए तो यह किसी भी व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकता है। मायोकार्डियल इंफार्क्शन या दिल के दौरे के कारण दिल के टिश्यू को होने वाले नुकसान की गंभीरता अटैक की अवधि (अटैक कितनी देर के लिए आया है) पर निर्भर करती है। अगर आप पहले ही इस स्थिति का निदान कर लेते हैं और उपाचार प्राप्त कर लेते हैं तो आपको कम ही नुकसान होता है।
माइल्ड हार्ट अटैक और मेजर हार्ट अटैक का क्या मतलब होता है?
माइल्ड हार्ट अटैक और मेजर हार्ट अटैक: जब हार्ट पम्पिंग 45% से ऊपर होता है तो इसे माइल्ड हार्ट अटैक के रूप में जाना जाता है और जब यह 45% से कम होता है तो इसे मेजर हार्ट अटैक कहा जाता है। हार्ट अटैक के कारण हृदय गति में वृद्धि होती है। हार्ट अटैक मेजर हो या माइल्ड हो हर हार्ट अटैक गंभीर होता है।(first aid when heart attack in Hindi)
हार्ट अटैक के लक्षण क्या है ?(Heart Attack Symptoms In Hindi)
हार्ट अटैक के लक्षण(Heart Attack Symptoms in Hindi) : मायोकार्डियल इनफार्क्शन का सबसे आम लक्षण है छाती में दर्द या किसी प्रकार की परेशानी। हालांकि, हार्ट अटैक के अन्य संकेत भी होते हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण इनमें शामिल हैं।
शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द (Pain in the upper body)
अगर आपके सीने में दर्द, बेचैनी या किसी प्रकार का दबाव है, जो आपकी बाहों (विशेष रूप से बाएं हाथ), जबड़े, गले और कंधे में होता है तो संभावना है कि आपको हार्ट अटैक आ रहा है।
बहुत ज्यादा ठंडा पसीना आना (Excess sweating)
अगर आप अचानक ठंडे पसीने से तरबतर हो जाते हैं तो इसे अनदेखा न करें, खासकर जब आप दिल के दौरे के अन्य लक्षणों से गुजर रहे हों।
अचानक चक्कर आना (Sudden dizziness):खाली पेट से लेकर डिहाइड्रेशन तक बहुत सारी चीजें ऐसी हैं, जिसके कारण चक्कर आ जाते हैं या आपको अपना सिर थोड़ा भारी-भारी सा लगने लगता है। लेकिन अगर आपको छाती में किसी प्रकार की असहजता के साथ सीने में बेचैनी हो रही है तो यह दिल के दौरे का संकेत हो सकता है। साक्ष्य बताते हैं कि दिल के दौरे के दौरान महिलाओं को इस तरह से महसूस होने की अधिक संभावना होती है।
दिल की धड़कन का बढ़ना या कम होना (Abnormal heartbeat)
दिल की तेज धड़कन, कई कारकों का परिणाम हो सकता है जि��में अत्यधिक कैफीन का सेवन और सही से नींद न आना शामिल हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपका दिल सामान्य से कुछ सेकंड के लिए तेजी से धड़क रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलने की जरूरत है।
खांसी और जुकाम का ठीक न होना (Cough and cold do not getting better)
आमतौर पर, ठंड और फ्लू के लक्षण दिल के दौरे के लिए खतरे की घंटी नहीं माने जाते हैं। लेकिन अगर आप हालत के लिए उच्च जोखिम वाले समूह में हैं (परिवार का इतिहास, मोटापे से ग्रस्त हैं, या डायबिटीज से पीड़ित हैं), तो यह सुनिश्चित करने के लिए एक चेतावनी संकेत हो सकता है। अगर आप फ्लू जैसे लक्षण अनुभव करते हैं जो ठीक नहीं हो रहा है, तो अपने बलगम की जांच करवाएं| (Heart Attack Symptoms in Hindi)
हार्ट अटैक के कारण क्या हैं ?(Symptoms Of Heart Attack In Hindi)
जब हार्ट अटैक होता है, तो यह आपके दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन की जरूरत होती है।
यह ऑक्सीजन की जरूरत कोरोनरी धमनियों द्वारा पूरी की जाती है, लेकिन जब धमनियों में प्लाक जमा होता है और नसें संकीर्ण हो जाती हैं, तो रक्त की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है।
जब प्लाक कठोर हो जाती है, तो बाहरी परत कठोर होती है और यह टूट जाती है, जिससे रक्त के थक्के बनते हैं।
अगर रक्त का थक्का धमनी में आ जाता है, तो रक्त की आपूर्ति रुक जाती है, जिससे दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन नहीं मिलता है।
इससे मां��पेशियां मर जाती हैं और दिल को नुकसान पहुंचता है।
नुकसान की गंभीरता, उपचार और अटैक के बीच के समय के अंतराल पर निर्भर करती है।
हार्ट अटैक के बाद हृदय की मांसपेशियां खुद की मरम्मत करती हैं, औसतन इसमें लगभग 2 महीने का समय लगता है।
हार्ट अटैक के जोखिम कारक क्या है ?(Symptoms Of Heart Attack In Hindi)
हार्ट अटैक के जोखिम कारक(Heart Attack Symptoms in Hindi): दिल का दौरा पड़ने के पीछे कई जोखिम कारक हो सकते हैं। यहां, हम आपको सबसे प्रमुख कारकों के बारे में बता रहे हैं:
आयु: दिल के दौरे के आपके जोखिम को बढ़ाने में आपकी उम्र का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अध्ययन से पता चलता है कि 45 साल की उम्र से अधिक पुरुषों और 55 साल की उम्र से अधिक महिलाओं में दिल के दौरे की संभावना अधिक होती है।
लिंग: महिलाओं की तुलना में पुरुषों में दिल के दौरे की संभावना 2 से 3 गुना अधिक होती है। महिला हार्मोन, एस्ट्रोजन, महिलाओं के मामले में ढाल का काम करता है।
आनुवांशिक प्रवृत्ति: अगर आपके परिवार में ह्रदय रोग (माता-पिता, भाई या बहन) का इतिहास है, तो आपकी दिल के दौरे या स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है।
हाई ब्लड प्रेशर: लंबे समय तक अनियंत्रित ब्लड प्रेशर आपके ह्रदय को नुकसान पहुंचा सकता है और दिल के दौरे के जोखिम को बढ़ा सकता है।
खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का उच्च स्तर: खराब कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल का आपकी धमनियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और ट्राइग्लिसराइड के स्तर की बढ़त भी दिल के दौरे की संभावना को बढ़ा सकती है।
For more Information: – हार्ट अटैक के लक्षण (Symptoms of Heart Attack in Hindi), कारण, और उपचार
0 notes
Text
भारतीय मूल के अमेरिकी छात्र की जान काफी मशक्कत के बाद बची, छह बार दिल ने काम करना कर दिया था बंद
लंदन में पढ़ रहे एक भारतीय मूल के अमेरिकी छात्र से जुड़ा अजीबोगरीब मामला सामने आया है। छात्र की छह बार दिल की धड़कने रुकने के बावजूद उसे बचा लिया गया। टेक्सास के बायलर विश्वविद्यालय के छात्र अतुल राव के फेफड़ों में खून का थक्का जम गया था। जिसके कारण हृदय से रक्त का प्रवाह थम गया। खून का संचार रुकने से छात्र को दिल का दौरा पड़ा। लंदन स्थित इंपीरियल कॉलेज हेल्थकेयर एनएचएस ट्रस्ट हैमरस्मिथ हॉस्पिटल…
View On WordPress
0 notes
Text
Alert:खर्राटे बढ़ा रहे बीपी, सोते समय पड़ रहा ब्रेन अटैक, रोगियों की डायग्नोसिस से हुआ खुलासा - Kanpur: Snoring Is Increasing Bp, Brain Attack While Sleeping
Alert:खर्राटे बढ़ा रहे बीपी, सोते समय पड़ रहा ब्रेन अटैक, रोगियों की डायग्नोसिस से हुआ खुलासा – Kanpur: Snoring Is Increasing Bp, Brain Attack While Sleeping
सांकेतिक तस्वीर – फोटो : सोशल मीडिया विस्तार सोते समय खर्राटा लेने में सांस अटकने से शरीर का ऑक्सीजन लेवल गिर जाता है। इसके साथ ही शरीर पर तनाव आने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अचानक बढ़े इस ब्लड प्रेशर से नसों में खून का थक्का जमता है और ब्रेन अटैक पड़ जाता है। हैलट में आए ब्रेन अटैक के रोगियों के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंसेज प्रमुख डॉ. मनीष सिंह ने बताया…
View On WordPress
0 notes
Text
क्या एक हल्का कोरोना भी रक्त के थक्के, हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है?
क्या एक हल्का कोरोना भी रक्त के थक्के, हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है?
नए सबूत बताते हैं कि शिरापरक थ्रोम्बेम्बोलिज्म या खून का थक्का — लक्षण जो किसी व्यक्ति की नसों में शुरू होते हैं और हृदय, फेफड़े और शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं, उनके हल्के लक्षणों वाले लोगों द्वारा अनुभव किए जाने की संभावना अधिक होती है। कोविड19। कि ज्यादा शोध करना, में प्रकाशित ब्रिटिश मेडिकल जर्नलउन्होंने पाया कि हल्के कोरोनावायरस वाले रोगियों, जिन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं के रूप में…
View On WordPress
#इंडियन एक्सप्रेस#इंडिया एक्सप्रेस डॉट कॉम#खून का थक्का#लाइट कोरोना स्टडी#हल्के कोरोना और हृदय संबंधी समस्याएं#हल्के कोविड से हो सकती है परेशानी
0 notes
Photo
प्रारंभिक रक्त के थक्के परीक्षण गंभीर रूप से बीमार COVID-19 रोगियों को स्ट्रोक से बचाने में मदद कर सकते हैं, अध्ययन से पता चलता है शरीर के प्राकृतिक थक्के कारक बहुत अधिक थक्का बना सकते हैं, या अंततः किसी भी थक्के को प्रभावी ढंग से बनाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, जिससे कई मुद्दे हो सकते हैं। हालांकि, COVID-19 के रोगियों में, शोधकर्ताओं ने कहा, थक्के विशेष रूप से गंभीर प्रतीत होते हैं। । Source link
0 notes
Text
General Knowledge Science GK Quiz
General Knowledge Science GK Quiz
NCERT Solutions General Science GK Quiz in Hindi, Daily Current Affairs Science GK Quiz, Science GK Quiz, Competitive Exam Science GK Quiz
View On WordPress
#cbse class 12 history ncert solutions#general knowledge science GK quiz in Hindi for All India Competitive Exam 2021#IAS IPS GK Quiz in Hindi#NCERT Solutions#new UPSC Exam GK#कंप्यूटर की परमानेंट मैमोरी क्या कहलाती है ?#किस अधिवेशन में कांग्रेस उदारवादी और उग्रवादी नामक दो दलों में विभाजित हो गयी थी ?#किस विटामिन की कमी से खून का थक्का नहीं जमता ?#किस विटामिन में कोबाल्ट होता है ?#कैलसिफिरोल किस विटामिन का रासायनिक नाम है ?#कोशिका का पावरहाउस किसे कहा जाता है ?#तंजौर का वृहदेश्वर मंदिर किसने बनवाया था ?#दूध में कौनसा विटामिन नहीं होता है ?#धावन सोड़ा का रासायनिक नाम क्या है ?#नेत्रदान में नेत्र के किस भाग का दान किया जाता है ?#पीतल किन दो धातुओं का मिश्रण है ?#ब्लडप्रेशर मापने के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है ?#मुगल सम्राट अकबर का जन्म कहाँ हुआ था ?#राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है ?#लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण हमारे शरीर के किस भाग में होता है ?#वसा में घुलनशील विटामिन कौनसे हैं ?#विटामिन B की कमी से कौनसा रोग होता है ?#विटामिन C का रासायनिक नाम क्या है ?#विटामिन C की कमी से कौनसी बीमारी होती है ?#विटामिन D की कमी से कौनसा रोग होता है ?#विटामिन E की कमी से कौनसा रोग होता है ?#साधारण नमक का रासायनिक नाम क्या है ?#हँसाने वाली गैस का रासायनिक नाम क्या है ?
0 notes
Text
7 Reasons to See a Pulmonologist
Oएक पल्मोनोलॉजिस्ट सांस लेने में समस्या और फेफड़ों की बीमारियों वाले लोगों की देखभाल करने में माहिर है। वे श्वासनली, नाक और गले सहित पूरे श्वसन पथ के स्वास्थ्य का भी आकलन करते हैं। अधिकांश लोग एक पल्मोनोलॉजिस्ट को देखते हैं, जिसे फेफड़े के डॉक्टर के रूप में भी जाना जाता है, जब उनका प्राथमिक देखभाल चिकित्सक उन्हें मूल्यांकन या उपचार के लिए संदर्भित करता है। हालाँकि, आप इस डॉक्टर को देख सकते हैं यदि आप फेफड़ों की गंभीर स्थिति के लिए अस्पताल में हैं। यहां कुछ सामान्य कारणों पर एक नज़र डालें, जिनकी आपको पल्मोनोलॉजिस्ट के पास जाने की आवश्यकता हो सकती है।
Pulmonologist in Jaipur
दमा अस्थमा एक पुरानी, सूजन संबंधी फेफड़ों की बीमारी है। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन ज्यादातर बच्चों में होता है। अस्थमा से पीड़ित लोगों के पास प्रतिक्रियाशील वायुमार्ग होते हैं - उनके वायुमार्ग संकीर्ण, कसते हैं और कुछ ट्रिगर्स, जैसे पालतू जानवरों की रूसी, पराग, सिगर��ट के धुएं और शारीरिक गतिविधि के जवाब में सूजन करते हैं:
अस्थमा के दौरे के लक्षणों में खांसी, घरघराहट, सांस की तकलीफ और सीने में जकड़न शामिल हैं। उपचार में रोग का प्रबंधन करने के लिए दीर्घकालिक नियंत्रण दवाएं और भड़कने के इलाज के लिए त्वरित राहत या बचाव दवाएं शामिल हैं।
सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) सीओपीडी में क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और वातस्फीति दोनों शामिल हैं। यह आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करता है जिन्होंने कई वर्षों से भारी धूम्रपान किया है। सीओपीडी एक प्रगतिशील बीमारी है और विकलांगता का एक प्रमुख कारण है। सीओपीडी के साथ, फेफड़ों और वायुमार्ग में पुराने परिवर्तनों के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है। लक्षणों में सांस की तकलीफ, घरघराहट, सीने में जकड़न और एक पुरानी खांसी शामिल है, जो अक्सर बहुत अधिक बलगम पैदा करती है।
सीओपीडी के प्रबंधन के लिए धूम्रपान बंद करना महत्वपूर्ण है। दवाएं लक्षणों को नियंत्रण में रखने में मदद करती हैं। कुछ लोगों को दैनिक गतिविधियों को करने के लिए या सोते समय पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस सिस्टिक फाइब्रोसिस - या सीएफ - शरीर की स्रावी ग्रंथियों को प्रभावित करता है, जो बलगम या पसीना बनाती हैं। इसमें फेफड़े, ऊपरी श्वसन पथ, पाचन तंत्र, यौन अंग और त्वचा में ग्रंथियां शामिल हैं। यह एक अनुवांशिक बीमारी है- बच्चों को अपने माता-पिता से दोषपूर्ण जीन विरासत में मिलते हैं। श्वसन पथ में, लक्षण गाढ़ा, चिपचिपा बलगम होने के परिणामस्वरूप होते हैं। लक्षणों में बार-बार खांसी आना शामिल है जो गाढ़ा बलगम और आवर्तक श्वसन संक्रमण लाता है, जो समय के साथ फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। चूंकि फेफड़े की बीमारी गंभीर और जानलेवा हो सकती है, इसलिए एक पल्मोनोलॉजिस्ट को सीएफ का इलाज करना चाहिए।
फेफड़ों का कैंसर फेफड़ों का कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में तीसरा सबसे आम कैंसर है। धूम्रपान इसे विकसित करने के लिए नंबर एक जोखिम कारक है। वास्तव में, फेफड़ों के कैंसर के 90% मामले सिगरेट, सिगार या पाइप पीने के कारण होते हैं।
फेफड़े के कैंसर के ट्यूमर बिना दर्द या परेशानी के बढ़ सकते हैं। फेफड़े का कैंसर आमतौर पर काफी उन्नत होता है जब लक्षण ध्यान देने योग्य होते हैं। उनमें शामिल हो सकते हैं:
एक खांसी जो दूर नहीं होती है या खराब हो जाती है, या पुरानी खांसी में परिवर्तन होता है
सीने में दर्द जो गहरी सांस लेने, खांसने या हंसने से बढ़ जाता है
खूनी खाँसी
स्वर बैठना
सांस लेने में कठिनाई
एक पल्मोनोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट कैंसर के उपचार के दौरान और बाद में फेफड़ों के लक्षणों का प्रबंधन करने के लिए रोगियों के साथ मिलकर काम करते हैं।
फेफड़ों में संक्रमण आपका प्राथमिक देखभाल चिकित्सक आमतौर पर ब्रोंकाइटिस जैसे साधारण संक्रमणों को संभाल सकता है। हालांकि, जटिल फेफड़ों के संक्रमण के लिए अक्सर पल्मोनोलॉजिस्ट की विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। इसमें तपेदिक और निमोनिया जैसे संक्रमण शामिल हैं। इसमें ब्रोंकाइटिस भी शामिल है यदि इसका इलाज करना मुश्किल है या आपको अन्य पुरानी बीमारियां हैं, जैसे सीओपीडी या हृदय रोग।
फुफ्फुसीय अंतःशल्यता पल्मोनरी एम्बोलिज्म (पीई) तब होता है जब रक्त का थक्का फेफड़ों में धमनी को अवरुद्ध कर देता है। आमतौर पर, रक्त का थक्का पैर की नस में विकसित होता है। यह टूट जाता है और रक्त प्रवाह के माध्यम से फेफड़ों तक जाता है, जहां यह दर्ज हो जाता है। लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और खांसी शामिल हो सकते हैं, जिससे खून आ सकता है। पीई आपातकालीन उपचार के बिना घातक हो सकता है। पीई वाले लोगों को छह महीने या उससे अधिक समय तक दवाएं और अन्य उपचार जारी रखने की आवश्यकता हो सकती है। पल्मोनोलॉजिस्ट पीई के बाद किसी भी सांस लेने की समस्या का आकलन और प्रबंधन करने के लिए सबसे योग्य हैं।
स्लीप एप्निया अगर आपको स्लीप एपनिया है, तो रात में आपकी सांस कई बार रुक जाती है। विराम सेकंड से लेकर मिनटों तक रह सकते हैं। श्वास आमतौर पर एक खर्राटे या घुटन की आवाज के साथ फिर से शुरू होता है। यह एक सामान्य नींद विकार है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे नहीं जानते हैं। स्लीप एपनिया के कई कारण होते हैं। वे सभी आपके फेफड़ों में और फिर आपके रक्त में कम ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं। अधिकांश लोग स्लीप एपनिया को विशेष माउथपीस और श्वास उपकरणों के साथ प्रबंधित कर सकते हैं। कुछ लोगों को सर्जरी से फायदा हो सकता है।
डॉक्टर आपके लक्षण इतिहास, एक शारीरिक परीक्षा और संभवतः एक नींद मूल्यांकन के आधार पर स्लीप एपनिया का निदान करते हैं।
0 notes
Text
ब्रेन स्ट्रोक क्या होता है जानिए इसके लक्षण ब्रेन स्ट्रोक क्या होता है जानिए इसके लक्षण
ब्रेन स्ट्रोक को मस्तिष्क का दोरा भी कहा जाता है जिसका मुख्य कारण हमारे मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति ना होना होता है ऑक्सीजन युक्त रक्त की कमी हमारी रक्त वाहिकाएं में खून का थक्का जम जाने के कारण होती है ऑक्सीजन नहीं मिल पाने के कारण हमारी दिमाग की कोशिकाएं एक एक करके मरने लग जाती है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते है|
(brain stroke specialist) ब्रेन स्ट्रोक स्पेशलिस्ट इससे बचाव के लिए एवं समय पर इलाज के लिए इसके लक्षणों को पहचानने की सलाह देते है, ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण निम्नलिखित है
· अचानक सिर में तेज़ दर्द होना
· बोलने में असमर्था एवं कठिनता होना
· चलने में कठिनाई होना और चलते समय संतुलन खो बैठना
· शरीर के एक तरफ सुन्नता महसूस करना
ब्रेन स्ट्रोक के इलाज के लिए इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट डॉ अरविन्द नंदा से संपर्क करे
For brain stroke treatment in Delhi consult with interventional radiologist Dr. Arvind Nanda
0 notes
Text
Health news watching tv for more than 4 hours a day raises blood clot risk study nav
Health news watching tv for more than 4 hours a day raises blood clot risk study nav
TV watching linked with potentially fatal blood clots : ज्यादा देर तक टीवी देखने के नुकसान तो हमेशा से ही बताए जाते रहे हैं, लेकिन अब ब्रिटेन के साइंटिस्टों ने एक नई स्टडी में पाया है कि रोजाना ढाई घंटे के मुकाबले चार घंटे या उससे ज्यादा देर तक टीवी देखने से खून का थक्का (Blood Clot) बनने का खतरा 35% तक बढ़ जाता है. ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल (University of Bristol) के रिसर्चर्स द्वारा की…
View On WordPress
0 notes
Text
एक बार जरूर पढ़े यह story दिल छू लेगी
गाँव में कॉलेज नही था इस कारण पढ़ने के लिए में शहर आया था । यह किसी रिश्तेदार का एक कमरे का मकान था।
बिना किराए का था।
आस-पास सब गरीब लोगो के घर थे।
और में अकेला था सब काम मुजे खुद ही करने पड़ते थे। खाना-बनाना, कपड़े धोना, घर की साफ़-सफाई करना।
कु��� दिन बाद एक गरीब लडकी अपने छोटे भाई के साथ मेरे घर पर आई।
आते ही सवाल किया:-" तुम मेरे भाई को ट्यूशन करा सकते हो कयां?"
मेंने कुछ देर सोचा फीर कहा "नही"
उसने कहा "क्यूँ?
मेने कहा "टाइम नही है। मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी।"
उसने कहा "बदले में मैं तुम्हारा खाना बना दूँगी।"
शायद उसे पता था की में खाना खुद पकाता हुँ
मैंने कोई जवाब नही दिया तो वह और लालच दे कर बोली:-बर्तन भी साफ़ कर दूंगी।"
अब मुझे भी लालच आ ही गया: मेने कहा-"कपड़े भी धो दो तो पढ़ा दूँगा।"
वो मान गई।
इस तरह से उसका रोज घर में आना-जाना होने लगा।
वो काम करती रहती और मैं उसके भाई को पढ़ा रहा होता। ज्यादा बात नही होती। उसका भाई 8वीं कक्षा में था। खूब होशियार था। इस कारण ज्यादा माथा-पच्ची नही करनी पड़ती थी। कभी-कभी वह घर की सफाई भी कर दिया करती थी।
दिन गुजरने लगे। एक रोज शाम को वो मेरे घर आई तो उसके हाथ में एक बड़ी सी कुल्फी थी।
मुझे दी तो मैंने पूछ लिया:-" कहाँ से लाई हो'?
उसने कहा "घर से।
आज बरसात हो गई तो कुल्फियां नही बिकी।"
इतना कह कर वह उदास हो गई।
मैंने फिर कहा:-" मग़र तुम्हारे पापा तो समोसे-कचोरी का ठेला लगाते हैं?
उसने कहा- वो:-" सर्दियों में समोसे-कचोरी और गर्मियों में कुल्फी।"
और:- आज"बरसात हो गई तो कुल्फी नही बिकी मतलब " ठण्ड के कारण लोग कुल्फी नही खाते।"
"ओह" मैंने गहरी साँस छोड़ी।
मैंने आज उसे गौर से देखा था। गम्भीर मुद्रा में वो उम्र से बडी लगी। समझदार भी, मासूम भी।
धीरे-धीरे वक़्त गुजरने लगा।
मैं कभी-कभार उसके घर भी जाने लगा। विशेषतौर पर किसी त्यौहार या उत्सव पर। कई बार उससे नजरें मिलत�� तो मिली ही रह जाती। पता नही क्यूँ?
एसे ही समय बीतता गया इस बीस
कुछ बातें मैंने उसकी भी जानली। की वो ; बूंदी बाँधने का काम करती है। बूंदी मतलब किसी ओढ़नी या चुनरी पर धागे से गोल-गोल बिंदु बनाना। बिंदु बनाने के बाद चुनरी की रंगाई करने पर डिजाइन तैयार हो जाती है।
मैंने बूंदी बाँधने का काम करते उसे बहुत बार देखा था।
एक दिन मेंने उसे पूछ लिया:-" ये काम तुम क्यूँ करती हो?"
वह बोली:-"पैसे मिलते हैं।"
"क्या करोगी पैसों का?"
"इकठ्ठे करती हूँ।"
"कितने हो गए?"
"यही कोई छः-सात हजार।"
"मुझे हजार रुपये उधार चाहिए।
जल्दी लौटा दूंगा।" मैंने मांग लिए।
उसने सवाल किया:-"किस लिए चाहिए?"
"कारण पूछोगी तो रहने दो।" मैंने मायूसी के साथ कहा।
वो बोली अरे मेंने तो "ऐसे ही पूछ लिया। तू माँगे तो सारे दे दूँ।" उसकी ये आवाज़ अलग सी जान पड़ी। मग़र मैं उस वक़्त कुछ समझ नही पाया। पैसे मिल रहे थे उन्ही में खोकर रह गया। एक दोस्त से उदार लिए थे । कमबख्त दो -तीन बार माँग चूका था।
एक रोज मेरी जेब में गुलाब की टूटी पंखुड़ियाँ निकली। मग़र तब भी मैं यही सोच कर रह गया कि कॉलेज के किसी दोस्त ने चुपके से डाल दी होगी।
उस समय इतनी समझ भी नही थी।
एक दिन कॉलेज की मेरी एक दोस्त मेरे घर आई कुछ नोट्स लेने। मैंने दे दिए।
और वो मेरे घर के बाहर खडी थी और मेरी दोस्त को देखकर बाहर से ही तुरंत वापीस घर चली गई।
और फ़िर दूसरे दिन दो पहर में ही आ धमकी।
आते ही कहा:-" मैं कल से तुम्हारा कोई काम नही करूंगी।"
मैने कहा "क्यूँ?
काफी देर तो उसने जवाब नही दिया। फिर धोने के लिए मेरे बिखरे कपड़े समेटने लगी।
मैने कहा "कहीं जा रही हो?"
उसने कहा "नही। बस काम नही करूंगी।
और मेरे भाई को भी मत पढ़ाना कल से।"
मैने कहा अरे"तुम्हारे हजार रूपये कल दे दूंगा। कल घर से पैसे आ रहे हैं।" मुझे पैसे को लेकर शंका हुई थी।इस कारण पक्का आश्वासन दे दिया।
उसने कहो "पैसे नही चाहिए मुजे।"
मेने कहा "तो फिर ?"
मैने आँखे उसके चेहरे पर रखी और
उसने एक बार मुजसे नज़र मिलाई तो लगा हजारों प्रश्न है उसकी आँखों में। मग़र मेरी समझ से बाहर थे।
उसने कोई जवाब नही दिया।
मेरे कपड़े लेकर चली गई।
अपने घर से ही घोकर लाया करती थी।
दूसरे दिन वह नही आई।
न उसका भाई आया।
मैंने जैसे-तैसे खाना बनाया। फिर खाकर कॉलेज चला गया। दोपहर को आया तो सीधा उसके घर चला गया। यह सोचकर की कारण तो जानू काम नही करने का।
उसके घर पहुंचा तो पता चला की वो बीमार है।
��क छप्पर में चारपाई पर लेटी थी अकेली। घर में उसकी मम्मी थी जो काम में लगी थी।
मैं उसके पास पहुंचा तो उसने मुँह फेर लिया करवट लेकर।
मैंने पूछा:-" दवाई ली क्या?"
"नही।" छोटा सा जवाब दिया बिना मेरी तरफ देखे।
मैने कहा "क्यों नही ली?
उसने कहा "मेरी मर्ज़ी। तुझे क्या?
"मुझसे नाराज़ क्यूँ हो ये तो बतादो।"
"तुम सब समझते जवाब दिया बिना मेरी तरफ देखे।
मैने कहा "क्यों नही ली?
उसने कहा "मेरी मर्ज़ी। तुझे क्या?
"मुझसे नाराज़ क्यूँ हो ये तो बतादो।"
"तुम सब समझते हो, फिर मैं क्यूँ बताऊँ।"
"कुछ नही पता। तुम्हारी कसम। सुबह से परेसान हूँ। बता दो।"
" नही बताउंगी। जाओ यहाँ से।" इस बार आवाज़ रोने की थी।
मुझे जरा घबराहट सी हुई। डरते-डरते उसके हाथ को छूकर देखा तो मैं उछल कर रह गया। बहुत गर्म था।
मैंने उसकी मम्मी को पास बुलाकर बताया।
फिर हम दोनों उसे हॉस्पिटल ले गए।
डॉक्टर ने दवा दी और एडमिट कर लिया।
कुछ जाँच वगेरह होनी थी।
क्यूंकि शहर में एक दो डेंगू के मामले आ चुके थे।
मुझे अब चिंता सी होने लगी थी।
उसकी माँ घर चली गई। उसके पापा को बुलाने।
मैं उसके पास अकेला था।
बुखार जरा कम हो गया था। वह गुमसुम सी लेटी थी। दीवार को घुर रही थी एकटक!!
मैंने उसके चैहरे को सहलाया तो उसकी आँखों में आँसू आ गए और मेरे भी।
मैंने भरे गले से पूछा:- "बताओगी नही?"
उसने आँखों में आँसू लिए मुस्कराकर कहा:-" अब बताने की जरूरत नही है। पता चल गया है कि तुझे मेरी परवाह है। है ना?"
मेरे होठों से अपने आप ही एक अल्फ़ाज़ निकला:-
" बहुत।"
उसने कहा "बस! अब में मर भी जाऊँ तो कोई गिला नही।" उसने मेरे हाथ को कस कर दबाते हुए कहा।
उसके इस वाक्य का कोई जवाब मेरे लबों से नही निकला। मग़र आँखे थी जो जवाब को संभाल न सकी। बरस पड़ी।
वह उठ कर बैठ गई और बोली रोता क्यूँ है पागल? मैने जिस दिन पहली बार तेरे लिए रोटी बनाई थी उसी दिन से चाहती हूँ तुजे। एक तू था पागल । कुछ समझने में इतना वक़्त ले गया।"
फिर उसने अपने साथ मेरे आँसू भी पोछे।
फीर थोडी देर बाद उसके घर वाले आ गए।
रात हो गई थी। उसकी हालत में कोई सुधार नही हुआ।
फिर देर रात तक उसकी बीमारी की रिपोर्ट आ गई।
बताया गया की उसे डेंगू है।
और ए जान कर आग सी लग गई मेरे सीने में।
खून की कमी हो गई थी उसे। पर खुदा का शुक्र है की मेरा खून मैच हो गया ब
था उसका भी। दो बोतल खून दिया मैंने तो जरा शकून सा मिला दिल को।
उस रात वह अचे�� सी रही।
बार-बार अचेत अवस्था में उल्टियाँ कर देती थी।
मैं एक मिनिट भी नही सोया उस रात।
डॉक्टरों ने दूसरे दिन बताया कि रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम हो रही है। खून और देना होगा। डेंगू का वायरस खून का थक्का बनाने वाली प्लेटलेट्स पर हमला करता हैं । अगर प्लेटलेट्स खत्म तो पुरे शरीर के अंदरुनी अंगों से ख़ून का रिसाव शुरू हो जाता है। फिर बचने का कोई चांस नही।
मैंने अपना और खून देने का आग्रह किया मग़र रात को दिया था इस कारण डोक्टर ने मना कर दिया ।
फीर मैंने मेरे कॉलेज के दो चार दोस्तों को बुलाया। साले दस एक साथ आ गए। खून दिया। हिम्मत बंधाई। पैसों की जरूरत हो तो देने का आश्वासन दिया और चले गए। उस वक़्त पता चला दोस्त होना भी कितना जरूरी है। पैसों की कमी नही थी। घर से आ गए थे।
दूसरे दिन की रात को वो कुछ ठीक दिखी। बातें भी करने लगी।
रात को सब सोए थे। मैं उसके पास बैठा जाग रहा था।
उसने मुजे कहा:- " पागल बीमार मैं हूँ तू नही। फिर ऐसी हालत क्यों बनाली है तुमने?"
मैंने कहा:-" तू ठीक हो जा। मैं तो नहाते ही ठीक हो जाऊंगा।"
उसने उदास होकर पूछा ।:-" एक बात बता?"
मैने कहा"क्यां?"
उसने कहा "मैंने एक दिन तुम्हारी जेब में गुलाब डाला था तुजे मिला?
मैने कहा "सिर्फ पंखुड़ियाँ मिली थी "हाँ"
उसने कहा "कुछ समझे थे?"
"नही।"
"क्यूँ?"
"सोचा था कॉलेज के किसी दोस्त की मज़ाक है।"
"और वो रोटियाँ?"
"कौनसी?"
"दिल के आकार वाली।"
"अब समझ में आ रहा है।"
"बुद्दू हो"
"हाँ"
फिर वह हँसी। काफी देर तक। निश्छल मासूम हंसी।
"कल सोए थे क्या?"
"नही।"
"अब सो जाओ। मैं ठीक हूँ मुझे कुछ न होगा।"
सचमुच नींद आ रही थीं।
मग़र मैं सोया नही।
मग़र वह सो गई।
फिर घंटेभर बाद वापस जाग गई।
मैं ऊंघ रहा था।
"सुनो।"
"हाँ।मैं नींद में ही बोला।
"ये बताओ ये बीमारी छूने से किसी को लग सकती है क्या?"
"नही, सिर्फ एडीज मच्छर के काटने से लगती है।"
"इधर आओ।"
मैं उसके करीब आ गया।
"एक बार गले लग जाओ। अगर मर गई तो ये आरज़ू बाकी न रह जाए।"
"ऐसा ना कहो प्लीज।" मैं इतना ही कह पाया।
फिर वो मुझसे काफी देर तक लिपटी रही और सो गई।
फिर उसे ढंग से लिटाकर मैं भी एक खाली बेड पर सो गया।
मग़र सुबह मैं तो उठ गया। और वो नही उठी। सदा के लिए सो गई। मैंने उसे जगाने की बहुत कोशिश की थी।पर आँखे न खोली उसने।वो इस सँसार को मुझे छोडकर इस दुनिया से जा चुकी थी। मुझे रो��ा बिलखता छोड़kar #niraj #lifestyle
0 notes
Photo
#कीवी_फल_के_फायदे कीवी फल बाहर से भूरा और अंदर से मुलायम व हरे रंग का होता है। इसके अंदर काले रंग के छोटे-छोटे बीज होते हैं, जिन्हें खाया जा सकता है। इसका स्वाद मीठा होता है। यह फल बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है। कीवी फल में एंटीऑक्सीडेंट गुण शामिल होते हैं। इसमें मौजूद विटामिन-सी और ई के एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में सहायक हो सकते हैं। कीवी में एंटीथ्रोम्बोटिक (Antithrombotic) यानी खून का थक्का न जमने देने का गुण होता है। इसलिए कीवी का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। कीवी फ्रूट हृदय रोग की समस्या को रोकने के लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर इस फल का 28 दिन तक सेवन किया जाए, तो प्लेटलेट हाइपरएक्टिविटी, प्लाज्मा लिपिड व रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। वेट मैनेजमेंट स्ट्रेटजी के तहत कीवी फल को अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है। इससे वजन बढ़ने का जोखिम भी नहीं हो सकता है, क्योंकि कीवी फ्रूट में कैलोरी कम और फाइबर ज्यादा होता है। कीवी फल में विटामिन-सी, कैरोटिनॉइड, पॉलीफेनोल और फाइबर ���ाए जाते हैं। ये तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं। इसमें विटामिन-सी और फोलेट प्रचुर मात्रा में होता है। वहीं, गर्भवती महिला के लिए फोलेट जरूरी होता है। गर्भावस्था के दौरान फोलेट का सेवन न सिर्फ बच्चे में न्यूरल ट्यूब विकार (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की बीमारी) के जोखिम को कम कर सकता है, बल��कि गर्भपात के खतरे को भी कम कर सकता है। इसमें मौजूद विटामिन-सी, पॉलीफेनोल्स, एंटीट्यूमर और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह कैंसर से बचाव में सहायक हो सकता है। इसमें एंटी-एलर्जिक व एंटी-ऑक्सीडेंट के साथ-साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी पाए जाते हैं। दरअसल, इसमें मौजूद किसस्पेर (Kissper), जो कि एक पेप्टाइड है, उसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है। इस एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण ही कीवी शरीर में सूजन की समस्या को रोकने का काम कर सकता है खासतौर से आंतों में सूजन से जुड़ी समस्या के लिए यह लाभकारी हो सकता है।
Call: +91 7982053511 or Visit https://www.thanksayurveda.com/product-category/hashmi-dawakhana/
0 notes
Text
कोवीशील्ड पर स्वास्थ्य मंत्रालय की आशंका: कहा- यह वैक्सीन लगने के बाद ब्लीडिंग और खून का थक्का जमने के 26 संदिग्ध मामले सामने आए
कोवीशील्ड पर स्वास्थ्य मंत्रालय की आशंका: कहा- यह वैक्सीन लगने के बाद ब्लीडिंग और खून का थक्का जमने के 26 संदिग्ध मामले सामने आए
Hindi News National Health Ministry Say Bleeding, Clotting Cases From Corona Vaccine Covishield AstraZeneca In India Covid 19 Vaccination Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप नई दिल्ली6 मिनट पहले कॉपी लिंक स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अब तक करीब 16.4 करोड़ वैक्सीन लगाई गई हैं। इनमें सिर्फ 26 ही ऐसे संदिग्ध मामले सामने आए हैं। आज दुनियाभर में कोरोना से लड़ने का…
View On WordPress
0 notes
Photo
कोविड-19 महज फेफड़े की बीमारी नहीं है जैसा कि पहले की अवधारणा थी, बल्कि इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है जिसे तुरंत हटाने की जरूरत होगी ताकि कुछ मामलों में अंगों को बचाया जा सके। यह बात विशेषज्ञों ने कही है। विशेषज्ञों ने बताया कि संक्रमण फेफड़े के साथ रक्त कोशिकाओं से भी जुड़ा हुआ है। #nationalnews #coronavirus #lungsdisease #coronapatient #bodypart #experts #Bloodcells #The24Time — view on Instagram https://ift.tt/3nXa0uB
0 notes
Text
कोरोना मरीजों के लिए खून का थक्का क्यों बन रहे मुसीबत?
कोरोना मरीजों के लिए खून का थक्का क्यों बन रहे मुसीबत?
कोरोना महज फेफड़े की बीमारी नहीं है, जैसा कि पहले की अवधारणा थी। बल्कि इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है, जिसे तुरंत हटाने की जरूरत होगी। ताकि कुछ मामलों में अंगों को बचाया जा सके। यह बात विशेषज्ञों ने कही है। ‘ब्ल्ड सेल्स से भी जुड़ा है संक्रमण’ वैश्विक स्तर पर किए गए शोध में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 14 से 28 फीसदी मरीजों में खून का थक्का जमने की बात सामने आई…
View On WordPress
#Ambarish Satwik#Blood Clots#corona patient#coronavirus#COVID-19#Delhi#DVT#latest news#Sir Ganga Ram Hospital#Study on Corona
0 notes