#कोटा चक्र
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newschakra · 4 months ago
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7 घंटे की कड़ी मशक्कत, परिजनों ने ली राहत की सांस, सकुशल घर लौटी बेटी
न्यूज़ चक्र कोटपूतली। जिला कोटपूतली बहरोड़ पुलिस ने सरुंड थाना क्षेत्र के नारेहडा से रविवार दोपहर 3 बजे के करीब अपहरण हुई 5 साल की बालिका प्रियांशी को 7 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद देर रात करीब 10 बजे सकुशल दस्तयाब कर लिया है। जानकारी के अनुसार अपहरणकर्ता को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। रात करीब 10:00 बजे नीम का थाना के काला कोटा, दाऊ धाम क्षेत्र के समीप 5 साल की प्रियांशी को छोड़ भागा…
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rightnewshindi · 5 months ago
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UP NEET UG Counseling: यूपी नीट यूजी 2024 की प्रथम चरण की काउंसिलिंग का शेड्यूल जारी, जानें कब से शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन
UP NEET UG Counseling 2024: कार्यालय महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण, उत्तर प्रदेश, लखनऊ की ओर से यूपी नीट यूजी 2024 की प्रथम चक्र की काउंसिलिंग का शेड्यूल जारी कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश स्टेट कोटा काउंसिलिंग में शामिल होने जा रहे अभ्यर्थी इसमें शामिल होने के लिए 20 अगस्त से रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे। प्रथम चरण की काउंसिलिंग की डेट्स की जानकारी अभ्यर्थी ऑफिशियल वेबसाइट upneet.gov.in पर…
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sharpbharat · 5 months ago
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Press Club of Jamshedpur- देश हित में है अग्निवीर योजना : एचपी सिंह, रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल एवं वीर चक्र से अलंकृत सरदार हरबंस परमिंदर सिंह प्रेस क्लब ऑफ़ जमशेदपुर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लिया भाग
जमशेदपुर: रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल एवं वीर चक्र से अलंकृत सरदार हरबंस परमिंदर सिंह ने कहा कि अग्नि वीर योजना देश हित में बनी है. इसका फायदा आने वाले समय में देश को वृहद पैमाने पर मिलेगा. उनके अनुसार पिछले 15 दिनों में कई राज्य सरकारों ने पुलिस में कोटा देने की हामी भरी है. जबकि देशहित में सामान्य नागरिक प्रशासन में अनुशासन प्रिय, कर्तव्य निष्ठ, ईमानदार, राष्ट्र और समाज के लिए प्रतिबद्ध कर्मियों…
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dainiksamachar · 1 year ago
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मछुआरा, धोबी और राजा की बेटी एकसाथ, इन तीन शूटर लड़कियों ने देश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया
हांगझोऊ: तस्वीर के बीच में एक गरीब मछुआरे की बेटी, जिसने हवा में उड़ते लक्ष्य को मार गिराने का धैर्य मछली पकड़कर जीवन यापन करने की कला से विकसित किया। उनके दाहिनी ओर पटियाला शाही परिवार के वंशज की बेटी और बाईं ओर मध्यप्रदेश के इटारसी के एक ड्राई-क्लीनर की बेटी, जो सेना में सबसे कम उम्र की महिला निशानेबाज में से एक है। चीन के हांगझोऊ में जीवन के तीन अलग-अलग चक्र एकसाथ आ गए। मनीषा कीर, राजेश्वरी कुमारी और प्रीति रजक ने मिलकर महिलाओं की टीम शूटिंग ट्रैप इवेंट में भारत का पहला रजत सिल्वर मेडल जीता।प्रीति रजक और मनीषा कीर को शुरू में एशियाड टीम में जगह नहीं मिली थी, लेकिन ओपनिंग सेरेमनी से चंद रोज पहले बिना किसी स्पष्टीकरण के उन्हें स्क्वॉड में एंट्री मिल गई। चयन में असफलता के कारणों का भले ही आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं किया गया हो, लेकिन निशानेबाजों ने पदक के साथ अपने विरोधियों को गलत साबित कर दिया। मनीषा कीर: मछली पकड़ने से लेकर शॉटगन थामने तक का सफरखासतौर पर मनीषा कीर, जिन्होंने चौथी सीरीज में सारे 25 लक्ष्य भेदकर भारत को पोडियम तक पहुंचाया। 24 वर्षीय यह शूटर वीमेंस सिंगल फाइनल में पहुंचने वाली एकमात्र भारतीय भी थे, लेकिन छठे स्थान पर बाहर हो गई। मगर आखिरी में जगह की निशानेबाजी और टीम के लिए सिल्वर मेडल के साथ-साथ उन्होंने और भी बहुत कुछ हासिल किया। शॉटगन शूटिंग, जिसे राजपरिवार का खेल माना जाता है, वहां एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की आम लड़की का पहुंचना खास बात है।मनीषा को दिग्गज मानशेर सिंह ने दिया मौकामनीषा कीर की निशानेबाजी की शुरुआत आकस्मिक थी। बचपन में वह अपने पिता के साथ मछलियां पकड़ने और बेचने जाया करती थीं। भारतीय निशानेबाजी के दिग्गज मानशेर से हुई अचानक मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी। ओलिंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता, मानशेर पिछड़े बैकग्राउंड से आने वाले ऐसे ही लोगों की तलाश में हैं, जो शूटिंग जैसा महंगा खेल नहीं खेल सकते। एमपी राज्य अकादमी के भोपाल स्थित शूटिंग रेंज में उन्होंने एक ट्रायल के दौरान कोने में पीछे खड़ी मनीषा कीर को बेकार खड़ा देखा और उसे शूटिंग का मौका दिया। उस पल के बाद, मनीषा कीर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वह भारत की सबसे बेहतरीन महिला शॉटगन निशानेबाजों में से एक बन गईं।प्रीति भी एमपी से निकला कोहिनूरमनीषा कीर की ही तरह 20 वर्षीय प्रीति रजक भी मध्यप्रदेश राज्य अकादमी की खान से निकला कोहिनूर हैं, जो बाद में इंदौर के उपनगर महू स्थित आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में सबसे कम उम्र की महिला निशानेबाजों में से एक बन गई। हालांकि तीनों में 31 वर्षीय राजेश्वरी के लिए शूटिंग सबसे स्वाभाविक बात थी, जिन्होंने हाल ही में पेरिस ओलिंपिक के लिए कोटा भी हासिल किया है। एथलीटों और निशानेबाजों के परिवार में जन्में उनके पिता रणधीर, जिनके चाचा यादवेंद्र सिंह पटियाला के आखिरी महाराजा थे, ने 1968 और 1984 के बीच लगातार पांच ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया।राजपरिवार की राजेश्वरीएशिया ओलिंपिक परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष रणधीर कहते हैं, 'उसे शुरू में कारतूसों की आ��ाज बिल्कुल पसंद नहीं थी, उसे तेज आवाजें कभी अच्छी नहीं लगी, लेकिन फिर उसने अचानक शूटिंग शुरू कर दी। हमारी विरासत बहुत पुरानी है। मेरे परदादा, दादा, चाचा, मैं और अब राजेश्वरी। वह मुझसे कहीं अधिक मेहनत करती है।'पिता ने दिया बेटी को मेडलरणधीर के लिए यह पदक सिर्फ इसलिए खास नहीं था क्योंकि यह पदक उनकी बेटी ने जीता था बल्कि इसलिए कि मंच पर इतिहास ने भी खुद को दोहराया था। जब रणधीर ने 1982 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता तो उन्हें यह पदक उनके पिता भालिंदर सिंह से मिला, जो एशियाई खेल महासंघ के अध्यक्ष थे। रविवार को रणधीर ने ही अपनी बेटी को रजत पदक दिया। रणधीर कहते हैं, 'तो इतिहास खुद को दोहरा रहा है और खेल में परिवार की विरासत जारी है। राजेश्वरी अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं, उनके साथी अपना रास्ता खुद बना रहे हैं। http://dlvr.it/Swt39Z
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newswave-kota · 1 year ago
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अपनी कठिनाइयों से फाइटर की तरह लडना सीखो - केप्टन योगेंद्र सिंह
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मोटिवेशनल सेशन ‘योद्धा’ : कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों से कहा, अपने सपने को आत्मा से जोडकर पढ़ो और जीयो अरविंद न्यूजवेव @ कोटा परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर ऑनरेरी केप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों से खुले संवाद में कहा कि आप भी एक सैनिक की तरह फाइटर बनकर अपनी परीक्षा की तैयारी करें। हर रोज अपने सपने को पूरे जोश के साथ जीएं। हर कठिनाई से योद्धा की तरह लडना सीखो। एलन कॅरिअर इंस्टीट्यूट के मोटिवेशनल सेशन ‘योद्धा’ (Yodhha) में उन्होंने बताया, मैने कक्षा-6 में फौजी बनकर युद्ध लड़ने का सपना देखा था। मैं आत्मा (Soul) के साथ उस ख्वाब को जीता रहा। हमारी आत्मा में ईश्वर का अंश होता है, जो हमें आगे बढने की शक्ति देता है। मैं 16 साल 5 माह की उम्र में फौजी बन गया। 9 माह की ट्रेनिंग के दौरान कमांडर ने हमें खूब तपाया। 4 जुलाई,1999 को 19 वर्ष की उम्र में मुझे कश्मीर में पहली पोस्टिंग मिली। ऐसा लगा जैसे मुझे मेरा सपना पूरा करने का अवसर मिला हो। उन दिनों पाकिस्तान ��ी शह पर कश्मीर में उग्रवाद और दशहतगर्दी चरम पर थी। केप्टन यादव ने कहा कि आज 24 साल बाद भी हमें कारगिल युद्ध करते हुये 90 डिग्री सीधी और उंची चट्टानें आंखों के सामने दिखाई देती है। युद्ध में रोज नई चुनौतियां पहाड़ जैसी थी। माइनस 20 से माइनस 60 डिग्री तापमान में बस आगे ही बढना था। हम तीन जवान लगातार 22 दिन भूखे रहकर भी हिम्मत नहीं हारे। टाट की बोरियों से लिपटी पूरियों की परतें पानी में घोलकर पी लेते थे। असंभव को ‘हो जायेगा’ कहकर संभव किया
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उन्होंने कहा, एक सैनिक की जीवन रेखा ईसीजी (ECG) की तरह होती है। उसे हर पल नई चुनौतियों से लडते हुये चलना होता है। हमारी टुकड़ी को अपने साथियों को सामान पहुंचाना था। हमारे सामने 17 हजार फीट उंची टाइगर हिल पर विपरीत हालातों में चढ़ते रहने की चुनौती थी। बर्फीली पहाडी के दूसरे छोर से पाक बंकरों से लगातार गोलियों की बौछारें जारी रही। चट्टानों के नीचे बंकरों में छिपे पाक सैनिकों को मारना बडी चुनौती थी। हर असंभव दिखने वाले कार्य को हमने ‘हो जायेगा’ कहकर संभव कर दिखाया। पाक की एक कंपनी में 150 जवान और हमारी कंपनी में 7 जवान ही शेष थे। उस दिन 5 घंटे लगातार युद्ध चला। मेरे साथियों को आंखों के सामने गोलियां लगती रही। एक-एक करके शहीद हो गये। चारों ओर मौत से सामना करना था। मैं हताश नहीं हुआ। युद्ध के दौरान भारतीय सेना की एक टुकडी के 10 में से 9 जवान भी शहीद हो जाये तो 10वां फौजी सीना तानकर अंतिम सांस तक लडता है। 15 गोेलियां खाकर आहत हुआ पर हताश नहीं भारत माता ने अपने सीने पर दूध पिलाकर हमें यौद्धा बनाया था, हम जानते थे कि उस सीने पर गोली खा लेना अच्छा है लेकिन कभी पीठ मत दिखाना। हर भारतीय शहीद को देख लेना, दुश्मन की गोली उसके सीने में लगी होती है, पीठ पर नहीं। मैने वही किया। मन और मस्तिष्क में स���कल्प कर लिया कि मेरे साथियों के बलिदान को देशवासियों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मुझ पर है। युद्ध करते हुये मेरे एक हाथ व पैरों में 15 गोलियां लगी। आहत हुआ पर हताश नहीं। तब मन और मस्तिष्क से सिर्फ आगे बढने का दृढ़ संकल्प याद कर लिया। उसी साहस की बदौलत आज आपके सामने खडा हूं। वो पल आज भी आंखों में तैरते हैं...
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नम आंखों से केप्टन यादव ने बताया कि पाक सैनिकों ने उंची पहाडी पर हमारे मृत सैनिकों को पैरों से कुचलकर देखा कि कोई जिंदा तो नहीं है। वे यह सोचकर पीछे चल गये कि हम सब मर चुके हैं। तभी मैने घायल अवस्था में लडखडाते हुये एक हाथ से पाक बंकर पर हेंड ग्रेनेड फेंका। फिर उसी हाथ से गोलियां चलाकर बैंकर में छिपे पाक सैनिकों को मार गिराया। पीछे हमारी सेना की दूसरी टुकडी गोलियों की बौछारें करती आगे आ रही थी, उन्हें देख पाक सैनिक भाग खडे हुये। पाक बंकर को हमने कब्रिस्तान बना दिया था। फिर हम सब जवानों ने मिलकर सबसे उंची टाइगर हिल्स पर तिरंगा लहराया। याद रहे, कारगिल युद्ध में हमारे 527 वीर शहीदों ने बलिदान दिया है लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के 6500 जवानों को मौत के घाट उतारा भी है। मन टूटने लगे तो अपने आप से कनेक्ट हो जाओ उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, आप शेर और शेरनी की तरह हो। जब भी आपका मन टूटने लगे तो बस, अपने आप से कनेक्ट हो जाओ। जीवन की डोर किसी ओर को नहीं सौंपे। आप यौद्धा बनें। हमारा शरीर तो एक साधन मात्र है। मोबाइल से दूर होकर आत्मा से बात करेंगे तो भावनाओं और संवेदनाओं का सागर उमडने लगेगा। आत्मा से जुडकर आपको आंतरिक उर्जा और आत्मविश्वास मिलेगा। आप पढाई करते समय एक सैनिक को याद करके फाइटर बन जाना, आपकी जीत ही होगी। अंत में ये पंक्तियां सुनाकर उन्होंने युवाओं में देशभक्ति का जज्बा पैदा किया- ‘सांसो के तराने हिंद का नव गान गायेगा, हमारी शौर्य ध्वजा लेकर क्षितिज में वो चंद्रयान गायेगा, हमारे लहू का हर कतरा हिंदुस्तान गायेगा। ’ केप्टन यादव एलन (ALLEN) के 16 प्रेरक सत्रों में 25 हजार से अधिक कोचिंग विद्यार्थियों को देशभक्ति से जोड चुके हैं। वे इन दिनों कोटा में देशभर के 1.25 लाख विद्यार्थियों को सपने सच करने का विजयी मंत्र सिखा रहे हैं। एलन के निदेशक नवीन माहेश्वरी, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट सी.आर. चौधरी, वाइस प्रेसीडेंट विजय सोनी ने उनका अभिनंदन किया। विद्यार्थियों के लिये 10 विजयी मंत्र- परपज (Purpose), पैशन (Passion) और परफॉर्मेंस (Performance )इन तीन ‘P’ के साथ अपने सपने को जीयें। जब चारों ओर से चुनौतियों से घिर जायें तो मन के रथ को सारथी रूपी माता-पिता के हवाले कर दें। वो हर चुनौती से पार करवा देंगे। किसी एक टेस्ट में आउटपुट कम आये तो बॉडी (Body) और ब्रेन (Brain) को बेलेंस करके चलें। शिक्षक नॉलेज को हमारे मस्तिष्क में ट्रांसफार्म (Transform) करते हैं, सवालों के जवाब तो हमारे अंदर ही छिपे होते हैं। समय बेशकीमती है, जो इससे कदम मिलाकर चलता है वो कामयाब होता है। जीवन की डोर किसी अनजान को नहीं सौंपें, आप योद्धा बनकर कठिनाइयों से लडना सीखें। मन टूटने लगे तो खूब रोकर या हंसकर मोबाइल से दूर आत्मा (Soul) से जुडने की कोशिश करो। आत्मा से जुडकर आंतरिक एनर्जी और आत्मविश्वास महसूस करेंगे। हम मोबाइल या रील बनाने से दूर होकर बस अपने सपने से कनेक्ट हो जायें। एक फाइटर बनकर अपनी तैयारी करें, आपकी जीत अवश्य होगी। Read the full article
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mrdevsu · 4 years ago
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Cyclone Yaas Live: गंभीर चक्रवाती तूफान में बदला 'यास', बंगाल में 2 की मौत; सुबह 8.30 से बंद रहेगा कोलकाता एयरपोर्ट
Cyclone Yaas Live: गंभीर चक्रवाती तूफान में बदला ‘यास’, बंगाल में 2 की मौत; सुबह 8.30 से बंद रहेगा कोलकाता एयरपोर्ट
तूफान या तूफान की जानकारी के हर पल की स्थिति की स्थिति ऑफ एसरी इंडिया का नक्शा भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी समग्र) के लिए वृहद रूप में शामिल होने के लिए स्टेट्स इंडिया ने तूफान या परिवर्तन की स्थिति में परिवर्तन किया। चक्र के 26 मौसम में ओड़िशा के मौसम में ऐसा होता है। लाइफ़टाइम अपडेट्स बेहतर अपडेट करने के लिए बेहतर स्थिति में सुधार करने के लिए बेहतर स्थिति में सुधार करेगा, बेहतर स्थिति में सुधार…
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ashokgehlotofficial · 2 years ago
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कोविड-19 महामारी के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों से शुक्रवार को (दीपावली के अवसर पर) मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात की। प्रदेशभर से आए 200 से अधिक बच्चों के साथ आत्मीय संवाद करते हुए उनका हाल-चाल जाना तथा उनकी समस्याओं को सुना। राज्य सरकार कोविड से अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की सार-सम्भाल पूरी प्रतिबद्धता से कर रही है। बच्चों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए खूब पढ़ाई व मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। राज्य सरकार हर घड़ी में आपके साथ खड़ी है। जीवन में चुनौतियां आती रहती है। सुख-दुःख का चक्र भी चलता रहता है। ��में फिर भी आगे बढ़ना होगा और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करने होंगे।
बच्चों से संवाद कर कोविड के बाद की स्थिति के बारे में जानकारी ली। बच्चों ने अनुभव साझा करते हुए राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सहायता के लिए आभार व्यक्त किया। इस मौके पर अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन बच्चों के जनाधार कार्ड नए सिरे से बनाएं, ताकि उन्हें योजनाओं का लाभ समय पर मिलें। साथ ही, बच्चों और उनके परिवार को आ रही समस्याओं का त्वरित समाधान कराने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर बच्चों के लिए संगीत, डांस, बैण्ड वादन, मैजिक शो व अन्य कई मनोरंजन के कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। बच्चों के साथ मनोरंजन का आनन्द लिया व विभिन्न खेलों का लुत्फ भी उठाया। बच्चों के साथ भोजन किया और उपहार भेंट किये।
अलवर से प्रिया और पायल ने कहा: ‘मुख्यमंत्री आवास पर आकर बहुत खुशी हुई। आपने हमारी कठिन परिस्थितियों को समझकर जो सहायता दी, हमारा सपोर्ट किया उसके लिए आपको लाख लाख शुक्रिया। मम्मी-पापा के जाने के बाद हम अकेले हो गए थे। लेकिन हमें गवर्नमेंट ने सपोर्ट किया, हमें जीने की राह दिखाई और हमारी शिक्षा के लिए खर्चा उठाकर हमें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके लिए हम मुख्यमंत्री का धन्यवाद देना चाहेंगे। सरकार द्वारा 1 लाख रूपये की तत्काल एकमुश्त सहायता हमें समय पर मिल गई थी। कुछ समय पहले 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर 5 लाख रूपये की सहायता भी मिल गई है।’
टोंक से सोनू बैरवा ने कहा: ‘मैं प्रथम वर्ष का छात्र हूं और फौजी बनना चाहता हूं। अधिकारियों द्वारा जब मुझे बताया गया कि आपने मुख्यमंत्री निवास पर दीपावली पर्व के लिए आमंत्रण भेजा है तो मुझे बहुत खुशी हुई। आपके द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं की जानकारी मुझे सोशल मीडिया द्वारा मिली है। आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई।’
डूंगरपुर से दिव्यांशी ने बताया कि ‘माननीय मुख्यमंत्री जी आपकी बनाई गई योजनाओं से हमें बहुत मदद मिली हैं। मुझे उम्मीद है कि आगे भी आप हमारी इसी तरह सहायता करते रहेंगे।
इसी तरह पाली से जया राठौड़, कोटा से महावीर सिंह, भीलवाड़ा से साहिबा व जानिया सिंधी, अजमेर से आशीष साहू व युक्ति शर्मा ने भी अपने अनुभव साझा किये।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार ने अनाथ हुए बच्चों, विधवाओं एवं उनके बच्चों को आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक संबल प्रदान करने के लिए ��ंवेदनशीलता दर्शाते हुए मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना की घोषणा की थी, जिसे 25 जून 2021 से सम्पूर्ण प्रदेश में लागू किया गया।
योजना के अन्तर्गत प्रत्येक अनाथ बालक/बालिकाओं को तत्कालिक सहायता के रूप में 1 लाख रूपये की एकमुश्त व अन्य सहायता राशि तथा उसके 18 वर्ष की आयु होने पर 5 लाख रूपये की एकमुश्त सहायता राशि दी गई है। इस योजनान्तर्गत विधवा महिलाओं को 1 लाख रूपये की तत्कालिक सहायता के साथ ही 1500 रूपये प्रति माह पेंशन भी दी जा रही हैं। इसी तरह विधवा के बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक 1000 रूपये प्रतिमाह एवं 2000 रूपये वार्षिक दिये जा रहे हैं।
इस अवसर पर पीसीसी अध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री श्री बी.डी. कल्ला, स्वायत्त शासन मंत्री श्री शांति धारीवाल, स्वास्थ्य मंत्री श्री परसादी लाल मीणा, जलदाय मंत्री श्री महेश जोशी, सार्वजनिक निर्माण मंत्री श्री भजनलाल जाटव, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती ममता भूपेश, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री टीकाराम जूली, गृह राज्यमंत्री श्री राजेंद्र सिंह यादव, तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री सुभाष गर्ग, आरसीए अध्यक्ष श्री वैभव गहलोत, कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया, विधायक श्री अमीन कागजी, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा श्रीमती संगीता बेनीवाल सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं बच्चों के अभिभावक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना
कोविड-19 के कारण राज्य में अनाथ हुए बच्चों, विधवा महिलाओं और उनके बच्चों को आर्थिक सामाजिक और शिक्षा की दृष्टि से संम्बल देने के लिए मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना 25 जून 2021 से संपूर्ण राज्य में लागू की।
प्रत्येक बालक/बालिका को 1 लाख रूपये की तत्काल एकमुश्त सहायता।
18 वर्ष की आयु तक 2500 रूपये मासिक सहायता।
18 वर्ष की आयु पूरी होने पर 5 लाख रूपये की सहायता।
अनाथ बच्चों को निःशुल्क सहायता/आवासीय विद्यालय/छात्रावास।
कॉलेज छात्राओं को समाज कल्याण के छात्रावासों में प्रवेश में प्राथमिकता।
कॉलेज जाने वाले छात्रों को आवास सुविधा हेतु अंबेडकर डीबीटी वाउचर योजना का लाभ और मुख्यमंत्री युवा संबल योजना में बेरोजगारी भत्ते में प्राथमिकता।
विधवा महिलाओं को 1 लाख रूपये तत्काल सहायता के साथ 1500 रूपये प्रतिमाह पेंशन।
विधवा के बच्चों को 18 वर्ष आयु तक 1000 रूपये प्रतिमाह और 2000 रूपये वार्षिक देय।
अब तक दी गई सुविधाएं
अक्टूबर 2022 तक 231 अनाथ बच्चों को 2.99 करोड़ रूपये की सहायता दी गई। 8329 विधवाओं के बच्चों पर 8.62 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं।
12601 विधवा महिलाओं पर 143.09 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं।
कोरोना सहायता योजना के तहत 1.55 करोड़ रूपये खर्च किए गए हैं।
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lok-shakti · 3 years ago
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NEET-PG: SC ने ओबीसी के लिए 27%, EWS के लिए 10% कोटा के साथ प्रवेश की अनुमति दी
NEET-PG: SC ने ओबीसी के लिए 27%, EWS के लिए 10% कोटा के साथ प्रवेश की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ओबीसी के लिए 27%, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 2021-22 के लिए 10% कोटा के साथ NEET-PG प्रवेश को मंजूरी दे दी है। इसने अजय भूषण पांडे समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने और वर्तमान प्रवेश चक्र के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की पहचान के लिए 8 लाख रुपये के मानदंड पर टिके रहने का भी निर्णय लिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने…
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kisansatta · 5 years ago
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10 से ज्यादा केस मिलने वाले जनपद पूरी तरह रहेंगे लॉकडाउन: मुख्यमंत्री
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लखनऊ। प्रतिदिन बढ़ रहे कोरोना के मरीज से हर राज्य की सरकार सर्तक है, वहीं आज यूपी के सीएम योगी ने कहा कि 10 ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मिलने वाले जनपदों में लॉकडाउन व्यवस्था को पूरी तरह जारी रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण को नियन्त्रित करने के लिए लॉकडाउन के नियमों तथा सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में लॉकडाउन व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि कोटा, राजस्थान से प्रदेश वापस लौटे सभी बच्चों को होम क्वारंटीन में रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि इन बच्चों द्वारा ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड करने के बाद ही उन्हें घर भेजा जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में सुरक्षा चक्र न टूटने पाए इसके लिए पूरी सतर्कता बरतना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुलिस बल तथा पूरी मेडिकल टीम को हर हाल में संक्रमण से सुरक्षित रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलिस कर्मी सुरक्षा के उपकरण लगाकर ही ड्यूटी पर जाएं। मास्क, दस्ताने तथा शील्ड का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करें। कोविड-19 के रोगियों के उपचार में लगे डॉक्टरों तथा अन्य चिकित्सा कर्मियों को प्रत्येक दशा में संक्रमण से बचाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में कोविड-19 के सैम्पल की टेस्टिंग सुविधा उपलब्ध नहीं है वहां टेस्टिंग लैब स्थापित की जाए। राजकीय मेडिकल कॉलेज विहीन मण्डल मुख्यालय के जिला चिकित्सालय में टेस्टिंग लैब स्थापित की जाए। चिकित्सा कर्मियों के कोविड नियंत्रण प्रशिक्षण एवं अस्पतालों में संक्रमण से सुरक्षा के सभी उपाय करते हुए इमरजेन्सी सेवाओं का संचालन प्रारम्भ किया जाए।
उन्होंने कहा कि मास्टर ट्रेनर्स के माध्यम से आम जनता को भी उपचार की प्राथमिक विधि के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि डोर स्टेप डिलीवरी में लगे लोगों की भी जांच की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि यह लोग मास्क आदि लगाकर सामग्री की आपूर्ति करें।
https://kisansatta.com/districts-receiving-more-than-10-cases-will-be-fully-locked-down-chief-minister/ #DistrictsReceivingMoreThan10CasesWillBeFullyLockedDownChiefMinister Districts receiving more than 10 cases will be fully locked down: Chief Minister State, Top, Trending #State, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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newschakra · 2 months ago
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राजस्थान की बड़ी खबरें फटाफट:जयपुर में ट्रेन की चपेट में आई युवती, मौत; अलवर में पटाखे की चिंगारी से घर में आग लगी​​​​​​​
न्यूज़ चक्र। नमस्कार, ये है, राजस्थान की बड़ी खबरें फटाफट…। अब आप एक ही जगह पर प्रदेश के 8 बड़े शहरों की खबरें पढ़ सकते हैं। जयपुर, जोधपुर, अजमेर, सीकर, अलवर, बीकानेर, उदयपुर और कोटा में कब क्या हुआ, इसकी सबसे पहले जानकारी यहां मिलेंगी। आठों जिलों की राजनीति से लेकर, हर दिन होने वाले बड़े इवेंट, कार्यक्रम और हादसों की खबरें दिनभर अपडेट होती रहेंगी। आइए, शुरुआत करते हैं जयपुर से 1. ट्रेन की चपेट में आई…
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essentiallyoutsider · 7 years ago
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ओरिजेन एदेमेंतियोस*
कुछ करने की अदम्‍य इच्‍छा और निपट अनिच्‍छा के बीच मैं झूल रहा हूं   बहुत ज्‍यादा बोलते हुए अचानक घुप्‍प मौन में चले जाना सोना, सोते रहना और चौंक कर उठ जाना सहसा सपने को समझ लेना सच फिर सच को देख कर सपने में छले जाना   सच के ताप से झुलसी अनिद्रा और स्‍वप्‍नभंग के बीच मैं खुद को भूल रहा हूं   अनगिनत हादसों की रंग-बिरंगी तस्‍वीर टँकी है मानस में जल चुका एक घर, काली दीवारें, गिरी हुई शहतीर जम चुका खून का थक्‍का किसी के कुचले गए चेहरे से रिस कर विशालकाय ट्रक के नीचे दो हिस्‍से में कटी हुई लड़की की जवान देह लबे सड़क अपनी ही गली में चलते-चलते जैसे दिख गया था पड़ोसी के पालतू कुत्‍ते की निगहबानी में एक दिन परनुंचा कबूतर।   बाहर बारिश होती है भीतर सीलन रहती है हादसे रुकते नहीं और छवियां जमती जाती हैं फॉसिल के जैसी छाती के बहुत भीतर या शायद दिमाग में, भारीपन दोनों जगह बराबर है   मैं टीवी नहीं देखता और अखबार पढ़ना भी छोड़ दिया है मैंने एक बात नहीं आती है समझ में कि लोगों से बात करना आजकल उन्‍हें आज़माने जैसा क्‍यों हो चला है मसलन कोई पाला खिंचा हो दिमाग में और किसी एक में धकेलने की पुरज़ोर कोशिश हो रही है दोनों तरफ़ से बात वहीं होती है मुकम्‍मल जहां ��ात करने की सूरत हो जाती है खत्‍म गोया हर बात, बात नहीं आघात हो सुनियोजित सिलसिलेवार।   लोगों में बहुत बेचैनी है और मुझमें भी यह बेचैनी हमें मार डालेगी एक दिन फड़फड़ाते हुए राणाजी के चबूतरे पर पड़े कबूतरे की तरह गिर पड़ेंगे देख कर भी नहीं देखेगा कोई जैसा मैंने किया था क्‍योंकि मेरे ऊपर पड़ोसी के कुत्‍ते की नज़र थी जो वैसे तो छोटू कहने पर दुलराता है लेकिन उसकी आंखों में मैंने देखा था खून और निकल लिया था चुपचाप उस दिन।   वह जला हुआ घर अबूझमाड़ के किसी कोने में होता तो छवि उतनी जीवंत न बन पाती या वह लड़की मारी गई होती विश्‍व बैंक की बनवाई उड़ीसा की किसी निर्जन आदिवासी सड़क पर और खून रिसा होता तो थक्‍का जमते ही ले उड़ता कोई कौवा या कुचले गए चेहरे पर डाल जाता कोई सफ़ेद चादर फोटोग्राफरों के आने से पहले ही? कुछ भी मुमकिन था इस देश में और कहीं भी हर जगह बराबर हुई नाइंसाफ़ी क्‍या बराबर असर करती है हम पर?   मुझे जागी आंखों से दिखाई देते हैं मरे हुए लोग दिमाग में अचानक कौंधता है किसी बुजुर्ग का चेहरा और पूछ बैठता हूं सामने वाले से वो हैं कि चले गए और हर बार ही एक सा जवाब मिलता है ऐसा एक आदमी नहीं निकलता जिससे मिले बहुत दिन हुआ अरसा हुआ जिसका जि़क्र आए और अचानक जब आया हो याद तो जि़ंदा बरामद हो। हम जिनसे मिलते हैं अगर सिर्फ वे ही जि़ंदा हैं तो यह बुरी बात होनी चाहिए।   रोज़ एक या दो मौत से ज्‍यादा बुरा है किसी का मरा पाया जाना एक दिन जबकि आप उसे जीवित मानकर चल रहे हों और शामिल करने की कोशिश में हों किसी वृहद् योजना में जिंदा लोगों के हित।   मैं अब कहीं नहीं जाऊंगा रोज़ यह ख़याल आता है मन में न जलते हुए गांवों में जाऊंगा और न मरती हुई बस्तियों की ओर लेकिन कैसे छोड़ दूं अपना किराये का मकान और यह गली जहां कोई कुत्‍ता दिनदहाड़े नोंच लेता है किसी उड़ते हुए कबूतर को बेवजह केवल इसलिए कि उसके पास पैने दांत हैं, तेज़ नाक है और फुर्ती का हुनर और इसलिए कि उसका मालिक रहता है गाफि़ल हरकतों से उसकी जब दिन में अपनी दुकान पर बैठा सुनाता रहता है अपने छोटू के किस्‍से दूसरों को कि कैसे पकड़ के लाता वह गेंद एक झटके में कहते ही ''छोटू शू'' और छोटू ��ानी उसका पालतू पशु बिना ललकारे ही किसी के दबोच लाया है जबड़े में एक पक्षी हृष्‍ट-पुष्‍ट कर रहा है तैयारी उसे चीरने की चढ़ती दोपहर जब लोग गलियों में निकलना बंद कर देते हैं   अकेले मैंने उसे भरी दोपहर देखा है योजना बनाते उसकी आंखों में खून था, पूंछ खड़ी थी और ऊपरी जबड़ा थोड़ा और ऊपर उठकर दांतों को हिंस्र बना रहा था।   मैंने टीवी देखना छोड़ दिया अखबार पढ़ना छोड़ दिया लोगों से मिलना-जुलना छोड़ दिया अब गली में भरी दोपहर निकलना भी छोड़ चुका हूं। हिंस्र छवियों से बचने के सारे जतन कर लिए हैं मैंने लेकिन छवियां हैं कि धंसती जा रही हैं मन में दिन-ब-दिन अनगिनत हादसों की रंग-बिरंगी तस्‍वीरें फिक्‍स डिपॉजि़ट के जैसी आदिम बैंक के ज़ंग लगे लॉकर में फंसी हुई हैं और सरकार ने कह दिया है कि लॉकरों की सुरक्षा का जिम्‍मा अब उसका नहीं है   जैसे अटक जाती है डकार मेरी मां की हलक में आजकल जो खाने के बाद गरम पानी पीने पर ही निकलती है उसे गैस की दिक्‍कत है पुरानी और अनुवांशिकी ने भी क्‍या रंग दिखाया है कि मेरे पेट में नहीं दिमाग में चढ़ गई है गैस मेरा सर फूल रहा है लगातार और कभी-कभार कुछ भाप सा भी उठता है वहां से पता चलता है छूकर उस जगह जहां कहते हैं होता है ब्रह्म चक्र जो उठ गया था दो इंच ऊपर बुद्ध में और महावीर में रह-रह कर कुछ करने की बलवती होती इच्‍छा और कोशिश डूब जाती है अचानक गहरे गर्त में कि खोजे नहीं मिलता सिरा सारा बोध और सारा वीर्य रह जाता है धरा का धरा।   बुद्ध ने तीन दृश्‍य देखे थे दुख के और भाग गए थे जंगल में मेरे सामने पिक्‍चर चल रही है सुदीर्घ काले दृश्‍यों वाली मुसलसल लेकिन मैं मनुष्‍य ही मरूंगा इसी गली मोहल्‍ले में किराया भरते हुए।     कैसे कहूं दोस्‍तों से यार मरने-मारने की बातें इतनी मत करो मत दिखाओ बार-बार खून से लिथड़ी लाशों की तस्‍वीरें मत बनाओ डराने वाले पोस्‍टर मत लिखो ये किसका लहू है कौन मरा क्‍या आपके दिमाग के कैनवास पर भी एक स्‍थायी कोलाज सा बन गया है लाशों का? क्‍या आप भी करते हैं महसूस कि जीते जी मौत के अलावा न कुछ सोचने दिया जाता है, न बोलने और यह सब हम इसलिए कर रहे हैं क्‍योंकि हमें जिंदगी पर यकीन है?   ढेर लगते जा रहे हैं लाशों के आज एक, कल एक, परसों एक एक-एक कर के मर रहे हैं लोग और यही सबसे बुरी बात है वरना जहां सबसे ज्‍यादा किसान मर चुके हों सबसे ज्‍यादा बच्‍चे मरते हों हर साल और सबसे ज्‍यादा ��ांएं भी मर जाती हों बिना जने उन बच्‍चों को जिन्‍हें वैसे भी मरना था वहां रोज़ एक मौत कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए लेकिन देखिए कि भय कितना है इससे अकेले मुझे ही नहीं बहुत और से लोगों को कि प्रधानमंत्री को लिख भेजा है मशावरत ने एक ख़त कि हुज़ूर तय कर दें कोटा बामहरबानी हर महीने के लिए हत्‍याओं का ताकि बड़ी राहत मिले जलते हुए जिगर को ख़त्‍म हो रोज़ का टंटा कि चैन से जी सकें हम भी जिन्‍हें रस्‍म-ए-दुआ याद नहीं।   मैं राजनीति कर रहा होता तो बात और होती मैं कविता कर रहा होता तो झूठ लिख देता सजाकर थोड़े से सच के साथ   मैं केवल डर रहा हूं और डर-डर के थोड़ा-थोड़ा सब कुछ कर रहा हूं मुझे डर है कि मैं ज़रूरत से ज्‍यादा डर रहा हूं या डराया जा रहा हूं मुझे डर है कि डर के मारे में छलांग न मार दूं किसी अविवेकपूर्ण क्षण में या सुप्‍त न हो जाऊं या कि डर के मारे डर को तोड़ने के लिए कोई ऐसा काम न कर बैठूं जिसे बाद में क्रांतिकारी दुस्‍साहसवाद कह कर खारिज कर दिया जाए या फिर यह भी मुमकिन है बहुत कि डर के मारे वाकई डर ही जाऊं जबकि मेरे डरने से किसी का कोई भला नहीं होने वाला।   एक आदमी मारने की योजना बना रहा है कुछ लोग मार रहे हैं कुछ और लोग हैं जो कर रहे हैं मौतों का प्रचार ताकि बची रह सकें जिंदगियां, ऐसा वे खुद कहते हैं मैं इस तीसरे शख्‍स को जानने में ज्‍यादा दिलचस्‍पी रखता हूं क्‍योंकि हत्‍यारों की शिनाख्‍त़ मुझे बराबर है कौन है जो जिंदगी के हक़ में सजाता है बाज़ार मौत की छ��ियों का और बना देता है हर उस आदमी को ग्राहक जो थोड़ा-बहुत सभ्‍य है, बेहतर है, देख सकता है अब भी जिंदा लोगों की तादाद अब भी बहुत बहुत ज्‍यादा है और उन्‍हें जिंदा रखना कहीं ज्‍यादा ज़रूरी है बजाय इसके कि उन्‍हें दिखाया जाए मौत का डर जब मरा हुआ आदमी ज्‍यादा बोलने लगे तो यह काम थोड़ा मुश्किल हो जाता है।   मुझे फि़लहाल कुछ नहीं चाहिए किसी से सिवाय इसके कि मेरे मन को, मस्तिष्‍क को कुछ देर छोड़ दिया जाए मैं बाहर देख सकूं उस बारिश को जिसने बीते तीन आषाढ़ दिया है केवल धोखा पानी से भरे हुए पार्क में फुटबॉल खेलते बच्‍चों को निहार सकूं बिजली के तार पर बैठे हरे तोते को भी जिस पर नहीं पड़ी है नज़र किसी के पालतू कुत्‍ते की अब तक।   मेरी इस तुच्‍छतम चाह को कह सकते हैं आप पलायन कह ही देगा कोई दोस्‍त कि लोग मारे जा रहे हैं और तुम्‍हें सूझ रही है बारिश की? क्‍या दोस्‍त और क्‍या अदोस्‍त, सब ऐंकर बन गए हैं और हर महफि़ल टीवी का जगमग ��्‍टूडियो जहां असंभव से दिखने वाले रिश्‍ते कायम किए जाते हैं जैसे चीज़ों के दाम बढ़ेंगे लेकिन महंगाई नहीं जैसे जिंदगी के हक़ में मौत की तस्‍वीरों का किया जाता है प्रचार और हर ओर से आते हैं आदेश 'बी डेफिनिट'!!! कहने वाला कभी अनुपम खेर होता है तो कभी नसीरुद्दीन शाह और ऐसा सिर्फ वेडनेसडे को ही नहीं होता जब मैं सब भूल-भुला कर लगा रहता हूं दिहाड़ी में हर दिन होता है हर पल, बिस्‍तर से लेकर चौराहे तक कि सोचता हुआ आदमी ठिठका हुआ आदमी एक ज़रूरी अभिशाप बन चुका है समाज में।     मैं कहना चाहता हूं दिल से और शिद्दत से और तसल्‍लीबख्‍श ढंग से और ऐलानिया मुझे जल्‍दी नहीं है डे‍फिनिट होने से इनकार करता हूं मैं! किताबों को छोड़ दें जिनका काम है उलझाए रखना तो बाकी सबकी समझदारियां हो गई हैं रेज़र शार्प शमशीरे सुलेमानी जैसी कि देखते ही काटती है दोस्‍त हो कि दुश्‍मन तत्‍क्षण और यह आलोचना सबसे पहले मेरी होनी चाहिए यह भी मैं समझता हूं न मैं रेफ़री हूं न खिलाड़ी फिर भी सुनाता हूं फ़तवे और अगले ही पल डूब जाता हूं अफ़सोस में विद्वान कह गए थे कि अंतर्विरोध तीखे करो और इन्‍हीं अंतर्विरोधों ने कर लिया है मेरा पुंसत्‍व-हरण अलेक्‍सांद्रिया के हठी ओरिजेन* की तरह मैं भी संत नहीं बन पाऊंगा आजन्‍म और यह न्‍यायोचित भी है।   और लंबे हो चुके इस बयान को खत्‍म करने के लिए मुझे किसी शिल्‍प की ज़रूरत भी नहीं होनी चाहिए जब चीज़ें न मुकम्‍मल हो पा रही हैं न ही खूबसूरत लिंगभंग की अवस्‍था में छटपटाता मनुष्‍य मेरे समय की पहचान है और दुनिया की किसी भी अदालत में मुझसे इसकी गवाही ली जा सकती है।       *ओरिजेन एदेमेंतियोस (इस्‍पात पुरुष) ग्रीस के अलेक्‍सांद्रिया शहर में 184/185 ईसा पूर्व जन्‍मे एक महान दार्शनिक थे जो प्‍लेटो से प्रभावित थे और चर्च के रूढि़वादी विचारों के आलोचक थे। इसीलिए चर्च में पादरी रहते हुए भी उन्‍हें चर्च ने संत का दरजा कभी नहीं दिया। ओरिजेन ने जीते जी खुद अपना लिंगभंग कर लिया था।  
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pksaini · 4 years ago
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#कबीरसाहेब_की_52_लीलाएं Brutalities on God Kabir#100likes #gainparty #kerala #chuvadelikes #mallu #baghieworld #malayalam #gainwithbaghie #india #malayali #keralagodsowncountry #sdvtodos #followtrain #kochi #kozhikode #100 #likeforlikes #gainwithcarlz #photography #gainwithmchina #garrybruh #keralatourism #sdv #likeforfollow #keralagram #gaintrick #instagram #gaintrain 🏹 मुसलमानों के पीर शेखतकी ने कबीर साहेब को बांध कर एक गहरे झेरे कुएं में डलवा दिया। उसके बाद उस कुएं को मिट्टी, गोबर, कांटे आदि डाल कर 150 फ़ीट ऊपर तक भरवा दिया। कबीर साहेब को मृत मानकर शेख तकि सिकंदर लोदी के पास ये खुशखबरी सुनाने के लिए गया। वहां परमात्मा कबीर साहेब को सिकंदर लोदी के पास ही आसन पर बैठा पाया। 🏹परमात्मा कबीर साहेब को 52 बार मरवाने की कोशिश की गयी। पर परमात्मा को कोई हानि नहीं पहुंची। क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब अजर अमर अविनाशी हैं। 🏹कबीर परमेश्वर को शेखतकी ने उबलते हुए तेल में बिठाया। लेकिन कबीर साहेब ऐसे बैठे थे जैसे कि तेल गर्म ही ना हो। सिकन्दर बादशाह ने तेल के परीक्षण के लिए अपनी उंगली डाली तो उसकी उंगली जल गई। लेकिन अविनाशी कबीर परमेश्वर जी को कुछ भी नहीं हुआ। 🏹शेखतकी द्वारा सो रहे कबीर साहेब पर हमला। जालिम शेखतकी ने जब कबीर जी सो रहे थे तब उन पर जानलेवा हमला करवाया लेकिन वह मूर्ख अविनाशी परमात्मा का कुछ नही बिगाड़ पाया। 🏹शेखतकी ने कबीर साहेब को मारने के ���िए जंजीर से बंधवाकर गंगा नदी में डाल दिया, लेकिन कुछ देर बाद कबीर साहेब नदी के तट पर जाकर बैठ गए। तब सभी लोगों ने देखा की कबीर साहेब बच गए हैं क्योंकि कबीर साहेब अविनाशी प्रभु हैं। 🏹 शेखतकी ने विचार किया कि चक्र बनाकर कबीर साहेब के सिर को काट दिया जाये। फिर एक दिन शेखतकी का इशारा पाकर ��क्र चालक ने वार किया लेकिन उसका ही सिर कट गया। फिर कबीर साहेब ने उसे जिन्दा कर दिया अपनी शक्ति से क्योंकि कबीर परमात्मा समर्थ हैं। 🏹परमात्मा के शरीर में कीलें ठोकने का व्यर्थ प्रयत्न कबीर साहेब को मारने के लिए एक दिन शेखतकी ने सिपाहियों को आदेश दिया कि कबीर साहेब को पेड़ से बांधकर शरीर पर बड़ी-बड़ी कील ठोक दो। लेकिन जब कील ठोकने चले तो सिपाहियों के हाथ-पैर काम करना बंद हो गए और वो वहाँ से भाग गए और शेखतकी को फिर परमात्मा कबीर साहेब के सामने लज्जित होना पड़ा। 🏹शेखतकी ने अष्टधातु की गदा से कबीर साहेब पर वार करवाया लेकिन कबीर साहेब को कुछ नहीं हुआ। क्योंकि कबीर साहेब अविनाशी प्रभु हैं और उनका शरीर नूरी शरीर है। (at तुम्हारे यार का ठिकाना कोटा Rj 20) https://www.instagram.com/p/CQD0ZB5FDfv/?utm_medium=tumblr
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khabargarh · 5 years ago
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IOC ने टोक्यो ओलंपिक के लिए ISSF योग्यता प्रणाली अपडेट की मंजूरी दी, जिससे भारत को टैली में मदद मिल सके
IOC ने टोक्यो ओलंपिक के लिए ISSF योग्यता प्रणाली अपडेट की मंजूरी दी, जिससे भारत को टैली में मदद मिल सके
ख़बरगढ़ रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति टोक्यो ओलंपिक के लिए शरीर की अद्यतन योग्यता प्रणाली को नियंत्रित करने वाली विश्व शूटिंग को मंजूरी दे दी है, जो भारत को अब तक सुरक्षित 15 में से कम से कम एक और कोटा जोड़ सकता है। भारत ने अब तक क्वालीफिकेशन चक्र में रिकॉर्ड संख्या में कोटा स्थान अर्जित किया है जो कोरिया में 2018 विश्व चैम्पियनशिप के साथ शुरू हुआ। अभूतपूर्व से पहले टोक्यो खेलों में सफलता के…
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newswave-kota · 5 years ago
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हमारे पास पैसा नहीं परमात्मा ही रहेगा- संत कमल किशोर नागरजी
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धर्मसभा: झालावाड में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के अंतिम सौपान में पहुंचेे एक लाख श्रद्धालु। राष्ट्रगान के साथ वीर सैनिकों को किया सैल्यूट। न्यूजवेव @ झालावाड खेल संकुल मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम सोपान में मंगलवार को गौसेवक संत पूज्य कमल किशोर नागरजी ने कहा कि जीवन में कमाया धन अच्छा है तो उसका अच्छे कार्यों में सदुपयोग करो। ‘यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लार्निभवति भारतम्..’ श्लोक सुनाते हुये उन्होंने कहा कि हमें केवल बैंक की पासबुक नहीं, गीता ही जीवन से तारेगी। जब पैसा खराब होगा तो वह बैंकों के तालों में ही बंद रहेगा। हम सक्षम होकर क्लब, पार्टी या संगठनों में सदस्य बन जाते हैं फिर धार्मिक कार्य में आगे क्यों नहीं आते हैं। धार्मिकता और सेवा में भी अग्रणी बनो। हमारे रोम-रोम से पाप हो रहे हैं, इसलिये कथा में साढे़ तीन करोड़ जप करके धनी बनो।
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मंगलवार को एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के सैलाब से खेल संकुल परिसर में वृंदावन जैसा दृश्य दिखाई दिया। दोपहर 12 से 3 बजे तक खचाखच भरे विशाल पांडाल में अनुशासन व शांति के वातावरण में संत कमल किशोर नागरजी ने राजस्थान की भक्ति, शोर्य और दान की धरा को नमन करते हुये कहा कि जिसका धन पुण्य कार्य में लगता है वह धन्य हो जाता है। कथा केवल विश्राम लेती है, कभी पूर्ण नहीं होती है। कथा का अगला श्रंगार मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के सेमलीधाम आश्रम में 20 दिसंबर से होगा। उन्होंने सभी कृष्णभक्तों को पीले चांवल से न्यौता दिया। हृदय में चक्रधर को बिठाओ
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पूज्य संत नागरजी ने कहा कि मनुष्य जीवन तीन घरों में बीतता है। पहला, छोटी उम्र में पिता का, जवानी में अपना और बुजुर्ग होने पर बेटे का। यदि हमने अच्छे संस्कार दिये तो बेटे हमें वृद्धाश्रम की राह नहीं दिखायेंगे। घड़ी हमारे हाथा में होती है लेकिन समय तो उसके हाथ में रहता है। सबके जीवन में समय बदलता रहता है। जिस हृदय में चक्रधर रहता हो, जिसके अंतःकरण में पारदर्शिता होगी वह अवश्य छलकेगी। कभी यह मत कहो कि मैने अपने घर में भगवान का घर बनाया है। बल्कि भगवान के घर में हमारा घर है तो कभी दुख या पराधीनता नहीं आयेगी। जो आपके हृदय में बैठा है, चेहरे पर वही दिखाई देगा। एक लाख ने किया वीर सैनिकों को सैल्यूट
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कथा पांडाल में उस समय देशभक्ति का अभूतपूर्व दृश्य दिखाई दिया, जब एक लाख से अधिक महिलाओं व पुरूषों ने खडे़ होकर तिरंगे को सैल्यूट करते हुये देश के वीर सैनिकों को राष्ट्रगान के साथ सामूहिक नमन किया। संत नागरजी ने व्यासपीठ से तिलक व पुष्�� अर्पित कर राष्ट्रध्वज तिरंगे की पूजा की। मानव सेवा समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र यादव तिरंगा लेकर खडे़ रहे। मुंबई से पधारे हीरालाल ने काव्य पाठ ‘लो संभालो अब ये प्यारा वतन साथियों, हम तो चले ये जहां छोड़कर, हम से बना जो हमने किया, बाकी तुम्हे करना होगा, वतन की खातिर जीना होगा, वतन की खातिर मरना होगा..’ सुनाया तो भारत माता की जय और वंदे मातरम से पांडाल गूंज उठा। हीरालाल ने 17 वर्ष तक देशभर में सैनिक सम्मान, बेटी बचाओ और पर्यावरण सरंक्षण के लिये बिना सीट वाली साइकिल से भारत यात्रा की है। उन्होंने कहा कि जो सैनिक 0 से 50 डिग्री तापमान में सीमा पर हमारी रक्षा कर रहे हैं, हम रोज एक माला उनके सम्मान में भी करें। जब द्वारिकाधीश चरण चौकी पधारे संत नागरजी ने कहा कि द्वारिकाधीश का राजस्थान व मप्र की धरती से गहरा रिश्ता है। वे द्वारिका से कोटा में चरण चौकी होकर निकले थेे। उन्होेने चंबल किनारे स्नान किया इसलिये इसका नाम चर्मन्यवती हुआ। फिर प्रतापगढ़ के पास उगरान में जाकर उग्र हुये। मप्र में नीमच, नागदा होते हुये उज्जैन पहुंचे। वहां महाकाल का चक्र है। हर ने नेत्र कमल चढाये तो प्रसन्न होकर महाकाल ने उन्हें कालचक्र दे दिया। महादेव बोले, जो मेरा दर्शन करके आपके पास आये, उसके नियमों में शिथिलता कर समय ठीक कर देना। इसीलिये भारत में जहां श्रीकष्ण हैं, वहां शिवधाम भी है। पूर्व में जगन्नाथ और भुवनेश्वर महादेव। पश्चिम में द्वारिका-सोमनाथ, उत्तर में बद्रीनाथ-कैदारनाथ और दक्षिण में रामेश्वरम के साथ तिरूपति बालाजी हैं। उन्होंने ‘ठाकुर एक भरोसो मेरो, बैठा हूं पंगत में तेरी, अब सुख-दुख कुछ भी परोसो..’ गाया तो पांडाल भक्तिभाव में गूंज उठा। मेरा देश-मेरी देह कभी पराधीन न रहे ‘मेरी नैया पडी मझधार, प्रभू इसे पार लगा देना..’ भजन सुनाते हुये उन्होंने कहा कि ईश्वर के आगे हमेशा प्रणम्य भाव में रहो। भक्ति मार्ग त्याग वृत्ति सिखाता है। ईश्वर से यही प्रार्थना करें कि प्रभू मेरा देश और मेरी देह कभी पराधीन न रहे। भजन ‘प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभू को नियम बदलते देखा..‘ सुनाकर उन्होंने कहा कि भक्ति का रिमोट हाथ में लेकर उसके मंदिर जाकर देखो। वह बहुत दयालु है, सब ठीक कर देगा।
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संत नागरजी ने अंत में भावपूर्ण भजन ‘गिरधर नहीं आयो रे..’ सुनाया तो पांडाल में भक्तों की आंखें नम हो उठीं। उन्होंने कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजन से महिमा बढे़ तो भारत की, यश बढे़ तो ब्राह्मण का और कीर्ति बढे़ तो यजमान को जाती है। हम दक्षिणा में तुलसी पत्र लेकर पिछले 42 वर्षों से गांव और गरीब के लिये श्रीमद भागवत कथा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को मोबाइल से बचाइये। 19 वर्ष की उम्र में इसने इतना चरित्रहीन बना दिया है जितनी गिरावट पिछले 300 वर्षो में नहीं हुई है। इसलिये बच्चों को मां और माला से जोडे़ं, उससे चैतन्य स्पर्श होगा। Read the full article
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mrdevsu · 3 years ago
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केकेआर के कोच मैकुलम ने कहा- भारत में आईपीएल के पहले फेज के दौरान बेहद डरे हुए थे सभी लोग
केकेआर के कोच मैकुलम ने कहा- भारत में आईपीएल के पहले फेज के दौरान बेहद डरे हुए थे सभी लोग
आईपीएल 2021: जुलाई 2021 का दूसरा चरण 19. कोटा नाइट्स (विभिन्न) टीम के सभी खिलाड़ी और खिलाड़ी इस समय को देख रहे हैं। केकेआर के हेड ब्रेक्स और पूरी तरह से पूर्व मौसम ने पहली बार कहा था कि, भारत में खतरनाक मौसम के बाद के मौसम में पहली बार जब भी चक्र के दौरान ऐसा ही होगा। मानसिक रूप से मजबूत होने पर यह वेबसाइट पर लिखा जाएगा। जब वे सक्रिय होते हैं, तो “पचीली बार में सक्रिय होने के बाद वे तेज हो गए थे।…
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ajitnehrano0haryana · 5 years ago
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कोटा। हम शिक्षा से डॉक्टर व इंजीनियर तो बन सकते हैं लेकिन अच्छा इंसान बनना है तो संस्कारित होना जरूरी है। हम संस्कारों से ही परिवार, समाज और देश का महत्व समझते हैं। दूसरों के लिए जीना सीखते हैं। श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने यह बात शुक्रवार को एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के दो दिवसीय संस्कार महोत्सव के दूसरे दिन विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कही। इस आयोजन में दो दिन में एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स, पेरेन्ट्स, फेकल्टीज व आमजन शामिल हुए।
स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने राजीव गांधी नगर में हुए संस्कार महोत्सव में कहा कि संस्कार ही हैं जो हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं, हमारे चरित्र को निर्मल रखते हैं, हमें कर्तव्यपरायणता की याद दिलाते हैं। ईश्वर की अनुकम्पा के साथ सभी का विश्वास और साथ भी जुड़ा होता है। हमारा विश्वास कितना मजबूत है, यह हमें आगे ले जाता है। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से दानपुण्य अवश्य करें और इसकी निरन्तरता बनाए रखें, हो सकता है इससे कुछ लाभ नहीं हो रहा हो लेकिन एक दिन इसका पुण्य प्राप्त होगा।
विद्यार्थियों को सफलता का मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को पंच लक्ष्ण का ध्यान रखना होगा। काग चेष्ठा, बको ध्यानम, श्वान निद्रा, अल्पहारी व गृहत्यागी अर्थात ��क विद्यार्थी को कौए की तरह चेष्टावान और बगुले की तरह एकाग्र होना चाहिए। श्वान के समान संतुलित नींद लेनी होगी और सात्विक आहार लेना चाहिए और घर का मोह त्यागते हुए लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाएं। सात्विक आहार के साथ जो विद्या ग्रहण करते हैं, वही आपके पास रहती है।
इस दिव्य आयोजन में शहर के शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी शामिल हुए। शास्त्रीय गायिका सूर्यागायत्री ने गुरूवंदना प्रस्तुत की तथा एलन के पूर्व छात्र पीयूष पंवार ने देशभक्ति गीत भी गाए। कार्यक्रम में महाराज स्वामी जी घनश्यामाचार्य जी ने एलन के ब्रोशर का विमोचन किया।
भक्ति भजनों की बही सरिता कार्यक्रम की शुरुआत एलन प्रार्थना के साथ हुई। निदेशक गोविन्द माहेश्वरी के साथ, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व बृजेश माहेश्वरी ने एलन प्रार्थना गाई। इसके बाद गोविन्द माहेश्वरी ने ‘महाराज गजानन आओ नी, म्हारी सभा में रंग बरसाओ नी…..‘ से भक्ति गीतों की शुरूआत की। इसके बाद एक के बाद एक भजनों की सरिता बहना शुरू हो गई। निदेशक राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व बृजेश माहेश्वरी ने भी भजनों में पूरा साथ दिया।
गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज….., झुक जाओ श्रीरंग जी नाथ झुकनो पड़ सी….., राम नाम अति मीठा है कोई गाकर देख ले…., छोटी-छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल….., छम-छम नाचे देखो वीर हनुमाना….. सहित कई भजनों पर विद्यार्थी झूमे। भक्ति भजनों के दौरान झांकियां और आकर्षक नृत्य के बीच स्टूडेंट्स पर खूब पुष्पवर्षा भी हुई।
मस्ती में झूमे स्टूडेंट्स कंधे पर बैग और हाथों में किताबें लिए नजर आने वाले इन स्टूडेंट्स के हाथों में भजनों की पुस्तक थी और कंधे पर कोई बोझ नहीं था। एक के बाद एक भक्ति भजन शुरू होते और हर स्टूडेंट अपनी धुन में थिरक उठता, कोई अकेला तो कोई समूह में नाचने में मगन हो गया। कोटा में विश्व की सबसे बड़ी भक्ति की पाठशाला का आयोजन एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा संस्कार महोत्सव के रूप में किया गया।
दो दिवसीय इस संस्कार महोत्सव में पहले दिन का आयोजन लैंडमार्क सिटी कुन्हाड़ी में तथा दूसरे दिन का आयोजन राजीव गांधी नगर में हुआ। दोनों दिन स्टूडेंट्स ने बड़े उत्साह के साथ इस आयोजन में भाग लिया। स्टूडेंट्स के साथ-साथ फेकल्टी मैंबर्स भी इस आयोजन में अलग ही रूप में परम्परागत वस्त्रों में नजर आए। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा संस्कार महोत्सव वार्षिकोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
भगवान लक्ष्मी-वैंकटेश के विवाहोत्सव का आकर्षण कार्यक्रम में श्री तिरूपति बालाजी के कल्याणोत्सव की तर्ज पर भगवान लक्ष्मी-वेंकटेश का विवाहोत्सव वैष्णव परंपरा के अनुसार मनाया गया। यहां पहले आकर्षक सजे पाण्डाल में माता लक्ष्मी जी ��िराजे, इसके बाद भगवान वैंकटेश की सवारी लाई गई। सवारी के आगे वर पक्ष के सदस्य भक्ति भजनों पर झूमते रहे।
इस पारंपरिक वातावरण में दुल्हे रूप में सजे शंख चक्रधारी भगवान श्रीवेंकटेश की एक झलक देखने के लिए सभी अपने स्थान पर खड़े हो गए। इस दौरान जमकर पुष्पवर्षा की गई। गीतों के साथ परिसर तक सवारी पहुंची तो युवाओं का उत्साह हिलौरे लेने लगा। स्वर्ण मंगलगिरी में सुसज्जित भगवत विग्रह, राज्योपचार (छडी, छत्र, चंवर, झंडे, शंख चक्र आदि) से शोभायमान थे। पूरे परिसर में सवारी को घुमाने के बाद माता लक्ष्मी के पास ले जाया गया, जहां से विवाहोत्सव हुआ।
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