#कैमरा एक्सेस करने वाले ऐप्स
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indinews · 4 years ago
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Tech Tricks: My iPhone On iOS 14 Shows A Green Or Orange Dot In The Status Bar; What Does It Mean? यदि आपने अपने Apple iPhone या Apple iPad को नवीनतम iOS 14 या iPadOS 14 के साथ अपडेट किया है, तो आपने समय-समय पर स्क्रीन के शीर्ष दाईं ओर कुछ नया पॉप अप देखा होगा। ऊपर जहां मोबाइल नेटवर्क, वाई-फाई और बैटरी संकेतक हैं। ये नई चीजें जो आप कभी-कभार देख सकते हैं उनमें एक नारंगी डॉट या एक ग्रीन डॉट शामिल हो सकता है। चिंता करने की कोई बात नहीं है, लेकिन ये डॉट्स आपको अपने फोन पर कुछ ऐप व्यवहार के बारे में चेतावनी देने के लिए हैं, जो ज्ञात या अज्ञात हैं। नए iOS 14 सॉफ्टवेयर अपडेट के साथ, ऐप्पल ने इन नोटिफिकेशन को तब एकीकृत किया है जब फोन पर कोई ऐप माइक्रोफ़ोन या कैमरा, फ्रंट या बैक एक्सेस कर रहा हो। अक्सर, आप वास्तव में वीडियो कॉल के लिए एक ऐप का उपयोग कर सकते हैं, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट कर सकते हैं और बहुत कुछ कर सकते हैं, लेकिन कई बार ऐसा भी हो सकता है कि ऐप गलत व्यवहार कर सकता है या आपके आईफोन के कैमरे या माइक्रोफ़ोन तक पहुंचने की कोशिश में दुर्भावनापूर्ण ऐप हो सकता है। यह आपको तुरंत चेतावनी देगा, कि कुछ एमिस है।
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trendswire · 2 years ago
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lazypenguinearthquake · 3 years ago
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व्यक्तिगत जानकारी तक पहुँचने वाले ऐप्स को ट्रैक करने के लिए यह iPhone सुविधा: यहाँ उपयोग करने का तरीका बताया गया है
व्यक्तिगत जानकारी तक पहुँचने वाले ऐप्स को ट्रैक करने के लिए यह iPhone सुविधा: यहाँ उपयोग करने का तरीका बताया गया है
नई दिल्ली: ऐप्पल ने ऐप गोपनीयता रिपोर्ट को वितरित करना शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य ग्राहकों को ऐप डाउनलोड करने से पहले उसकी गोपनीयता प्रथाओं को समझने में सहायता करना है। ��प्पल ऐप स्टोर लेबलिंग ��र एलईडी संकेतों (फ्रंट कैमरा और माइक्रोफ़ोन एक्सेस के लिए) के साथ संयुक्त होने पर यह सुविधा उपभोक्ताओं को सूचित करने का इरादा रखती है कि कौन से ऐप्स व्यक्तिगत डेटा एकत्र कर रहे हैं। IOS 15.2 की रिलीज़…
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shaileshg · 4 years ago
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क्या आपको पता है कि 10वीं में डिस्टिंक्शन के साथ पास होने वाला एक लड़का 12वीं क्लास में सिर्फ इसलिए फेल हो गया, क्योंकि वो इकोनॉमिक्स के पेपर में पबजी कैसे खेलते हैं? कैसे डाउनलोड करते हैं? ये लिख आया था। 10वीं उसे 73% मिले थे।
ये मामला कर्नाटक का था। उस समय उस लड़के ने मीडिया को बताया कि 10वीं में अच्छे नंबरों से पास होने के बाद उसके घरवालों ने उसे फोन दिलाया। फोन आते ही उसे पबजी खेलने की लत लग गई। लत भी ऐसी कि इसके लिए क्लासेस तक बंक कर देता था। लड़के का कहना था कि उसके दिमाग में हमेशा पबजी ही चलता रहता था और इससे ही उसे समझ आया कि ये गेम कितना खतरनाक है।
कर्नाटक का ये केस बताता है कि पबजी किस तरह दिमाग पर असर डालता है और कैसे एक अच्छा-खासा पढ़ने-लिखने वाला लड़का फेल हो सकता है।
ऐसे कई मामले हैं, जो साबित करते हैं कि पबजी एक गेम नहीं, बल्कि एक बीमारी था। जैसे एक मामला पंजाब का है। यहां एक 17 साल के लड़के ने अपने मां-बाप के अकाउंट से 16 लाख रुपए पबजी पर उड़ा दिए। उसने ये पैसे गेम के अंदर मिलने वाली एसेसरीज और हथियार जैसी चीजें खरीदने पर खर्च किए थे।
ताज्जुब की बात तो ये भी थी कि माता-पिता को इस बारे में पता न चले, इसके लिए बैंक की तरफ से आने वाले मैसेज डिलीट ही कर दिए।
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ज्यादा गेम खेलना भी मानसिक रोग, इसे गेमिंग डिसऑर्डर कहते हैं पिछले साल जनवरी में जम्मू-कश्मीर में एक फिटनेस ट्रेनर को पबजी की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। कारण ये था कि वो लगातार 10 दिन से पबजी खेल रहा था, जिस वजह से उसके दिमाग पर इस गेम का असर इस कदर हावी हो गया कि वो अपना मानिसक संतुलन खो बैठा। उस समय डॉक्टरों ने बताया था कि उसका दिमाग ठीक तरह से काम नहीं कर रहा था और वो खुद को भी नुकसान पहुंचा रहा था।
ऐसे कई मामले आते हैं, जब गेम खेलने वाला खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने लगता है या उसकी मानसिक हालत बिगड़ने लगती है। डब्ल्यूएचओ ने ऑनलाइन गेम खेलने की लत को मानसिक रोग की कैटेगरी में शामिल किया है, जिसे 'गेमिंग डिसऑर्डर' कहते हैं। गेमिंग डिसऑर्डर से जूझ रहे व्यक्ति का गेमिंग के ऊपर कोई कंट्रोल नहीं रहता और वो किसी भी जरूरी चीज से पहले गेम को ही प्रायोरिटी देता है।
पबजी खेलने की वजह से ऐसे मामले सामने आने के बाद भी आखिर इसे इतना क्यों खेला जाता है? डॉक्टर शिखा शर्मा इसके दो कारण बताती हैं। डॉ. शिखा राजस्थान के उदयपुर के गीतांजली हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और साइकोलॉजिस्ट भी हैं। उनके मुताबिक, इसके दो बड़े कारण होते हैं। पहला अचीवमेंट और दूसरा मोटिवेशन।
वो बताती हैं, 'गेम में चैलेंज होने के कारण बच्चे इसकी तरफ अट्रेक्ट होते हैं। इसमें ग्रुपिंग होती है। लेवल्स को क्रॉस करना है और बच्चे स्टेज पार करने के बाद मोटिवेट महसूस करते हैं। साथ ही इसे खेलने वाले खुद को अपने साथियों के बीच उनसे बेहतर साबित करने की कोशिश करते हैं।'
पबजी पर बैन लगाना क्यों सही था, इसके 4 कारण सिक्योरिटी रिसर्चर अविनाश जैन बताते हैं कि पबजी समेत चीन की जिन 118 ऐप्स पर बैन लगाया गया है, वो आईटी एक्ट की धारा-69ए के ��हत लगा है। इस धारा के तहत अगर सरकार को लगता है कि किसी वेबसाइट या ऐप से देश की सुरक्षा या अखंडता को खतरा है, तो वो उसे ब्लॉक कर सकती है।
अविनाश के मुताबिक, सरकार ने पबजी मोबाइल लाइट और पबजी लाइट पर बैन लगाया है, क्योंकि इन्हें चीनी कंपनी टेंसेंट ने डेवलप किया है। जबकि, पबजी के पीसी और कंसोल वर्जन पर कोई बैन नहीं है, क्योंकि ये कोरियाई कंपनी ब्लूहोल के बनाए गए हैं।
इसके अलावा अविनाश पबजी पर बैन लगाने के कुछ कारण भी गिनाते है...
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा : ये ऐप डेटा सिक्योरिटी के लिए हार्मफुल हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसके साथ ही इनसे जासूसी होने का भी खतरा है। ऐप के जरिए चीन की सरकार पॉलिटिकल और मिलिट्री इन्फॉर्मेशन हासिल कर सकती हैं।
यूजर्स की प्राइवेसी को खतरा : ये ऐप कैमरा, माइक्रोफोन और लोकेशन का एक्सेस मांगती हैं और ऐसा शक है कि इस डेटा को चीन की एजेंसियों से साझा किया जाता है।
डेटा लीक होने का खतरा : क्योंकि इन ऐप्स के सर्वर बाहर हैं, इसलिए ये यूजर्स की डिटेल, लोकेशन और पर्सनल डेटा एडवरटाइजर को बेच सकते हैं।
साइबर अटैक का खतरा : पहले भी चीन की ऐप्स में कई स्पाई वेयर मिले हैं, जिसके जरिए यूजर्स के फोन में ट्रोजन आ जाता है। ट्रोजन एक तरह का माल वेयर होता है, जिससे आपका सारा डेटा लिया जा सकता है।
कितना बड़ा है पबजी का साम्राज्य? साल 2000 में जापान में एक फिल्म आई थी 'बैटल रॉयल'। इस फिल्म में सरकार 100 स्टूडेंट्स को जबरन मौत से लड़ने भेज देती है। इसी फिल्म से प्रभावित होकर ये गेम बनाया गया है। इस गेम को एक साथ 100 लोग भी खेल सकते हैं और एक-दूसरे को तब तक मारते रहते हैं, जब तक कि उनमें से सिर्फ एक न बचा रह जाए।
इस गेम को दक्षिण कोरियाई कंपनी ब्लूहोल ने बनाया था। लेकिन, ब्लूहोल ने इसका सिर्फ डेस्कटॉप और कंसोल वर्जन ही बनाया था। मार्च 2018 में चीनी कंपनी टेंसेंट ने इसका मोबाइल वर्जन भी उतार दिया।
डाउनलोड्स : पबजी दुनिया में सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाले गेम्स की लिस्ट में टॉप-5 में है। सेंसर टॉवर की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में पजबी को 73 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है। इसमें से 17.5 करोड़ बार यानी 24% बार भारतीयों ने डाउनलोड किया है। इस हिसाब से पबजी खेलने वालों में हर 4 में से 1 भारतीय है।
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रेवेन्यू : गेमिंग की दुनिया में सबसे ज्यादा रेवेन्यू कमाने वाला गेम है पबजी। सेंसर टॉवर के मुताबिक, अभी तक पबजी 3 अरब डॉलर यानी 23 हजार 745 करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमा चुका है। पबजी का 50% से ज्यादा चीन से ही मिलता है। जुलाई में पबजी ने 208 मिलियन डॉलर (1,545 करोड़ रुपए) का रेवेन्यू कमाया है। यानी जुलाई में पबजी ने हर 50 करोड़ रुपए कमाए हैं।
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भारत में कितना बड़ा है गेमिंग मार्केट? स्टेटिस्टा का डेटा बताता है कि 2019 में दुनिया में गेमिंग का मार्केट 16.9 अरब डॉलर (करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए) का था। ग्लोबल गेमिंग मार्केट में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है।
भारत के डिजिटल फ्यूचर पर आई केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 में देश में गेमिंग इंडस्ट्री 62 अरब रुपए की थी। जबकि, 5 साल पहले 2015-16 में 24.3 अरब रुपए की थी।
वहीं, एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में 2.5 अरब से ज्यादा गेमर्स हैं, इनमें से 30 करोड़ के आस पास गेमर्स अकेले भारत में ही हैं। अगले साल मार्च तक भारत में गेमर्स की संख्या 36 करोड़ के पार पहुंचने का अनुमान है।
भारत में ऑनलाइन गेमिंग का मार्केट बढ़ने के दो कारण हैं। पहला, हमारे देश में यंग पॉपुलेशन बाकी देशों के मुकाबले ज्यादा है। हमारे यहां 75% आबादी 45 साल से कम उम्र की है। दूसरा, हमारे देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 56 करोड़ से ज्यादा है। 2025 तक देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 100 करोड़ के पार पहुंचने का अनुमान है।
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ivxnews · 5 years ago
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गैजेट डेस्क. अपने एंड्रॉइड फोन पर एप डाउनलोड करते समय उसे फोन में स्टोर की हुई निजी जानकारी जैसे आपके फोन नंबर, कॉल हिस्ट्री, एसएमएस और फोटोज की एक्सेस देना, आपकी मुश्किलें बढ़ा सकता है। साइबर सिक्योरिटी फर्म कैस्पर��्की के रिसर्चर्स का कहना है कि ऐसा करके आप हैकर्स को अपने ऊपर नजर रखने, आपको स्पैम मैसेजेज भेजने, आपके खर्च पर कहीं भी कॉल करने और यहां तक कि किसी प्रीमियम सर्विस के लिए आपको साइन अप करने का मौका देते हैं। इसी के मद्देनजर सिक्योरिटी विशेषज्ञ आपको किसी एप को एक्सेस देने से पहले दो बार विचार करने का सुझाव देते हैं, खासतौर से जब एप को काम में लेने के लिए इस एक्सेस की जरूरत ही न हो। मसलन, ज्यादातर गेम्स को आपके कॉन्टैक्ट नंबर्स, कैमरा व मैसेंजर्स को आपकी लोकेशन और कैमरा के कुछ फिल्टर्स को आपकी कॉल हिस्ट्री की कोई आवश्यकता नहीं होती है। अगर आप भी अपने डेटा को सिक्योर रखने के लिए डेटा के एक्सेस को कम करना चाहते हैं तो एंड्रॉइड की सेटिंग्स में जाकर एप परमिशंस को कॉन्फिगर कर सकते हैं।
एसएमएस : वह एप जिसे आप एसएमएस व एमएमएस भेजने व रिसीव करने के साथ ही स्मार्टफोन की मेमोरी में मैसेजेज पढ़ने की परमिशन देते हैं, वह आपके सभी एसएमएस कॉरेस्पॉन्डेंस जिसमें आपके ऑनलाइन बैंकिंग और कन्फर्मिंग ट्रांजेक्शंस के वन-टाइम कोड्स वाले मैसेजेज भी शामिल हैं, तक पहुंच सकते हैं। इस अनुमति के बाद वह एप आपसे जुड़े हुए लोगों को आपके नाम से स्पैम मैसेजेज भेज सकता है या किसी प्रीमियम सर्विस के लिए आपको साइन अप कर सकता है। आप अपनी सेटिंग्स में जाकर यह देख और कंट्रोल कर सकते हैं कि कौन-कौन से एप्स को आपने यह अधिकार दिया है।
कैलेंडर : आपके कैलेंडर में इवेंट्स को देखने, डिलीट करने, बदलने या फिर कोई नया इवेंट एड करने की परमिशन लेकर कोई भी एप आसानी से यह देख सकता है कि आप क्या कर चुके हैं, आज क्या करने वाले हैं और भविष्य में क्या करेंगे। स्पायवेयर्स की यह पसंदीदा परमिशन है।
कैमरा : फोटोज व वीडियोज के लिए एप्स, कैमरा एक्सेस करने की अनुमति मांगते हैं। हालांकि ये एप्स किसी भी समय आपकी फोटो या वीडियो ले सकते हैं और वह भी बिना किसी वॉर्निंग के। कैस्परस्की के अनुसार, अटैक करने वाले आपकी इन इमेजेज के जरिए आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
कॉन्टैक्ट्स : एड्रेस बुक में कॉन्टैक्ट्स देखने, बदलने या एड करने के अलावा आपके स्मार्टफोन में रजिस्टर्ड अकाउंट्स की लिस्ट को एक्सेस करने की परमिशन मांगने वाले एप्स आपकी पूरी एड्रेस बुक को अपने सर्वर पर भेज सकते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि स्कैमर्स और स्पैमर्स के अलावा इस एक्सेस का दुरुपयोग फेसबुक और गूगल जैसी नामी सर्विसेज ने भी किया है।
फोन : किसी भी एप को आपके फोन की एक्सेस के साथ कॉल हिस्ट्री को देखने और मोडिफाई ��रने, आपका फोन नंबर और कॉल्स की जानकारी हासिल करने की परमिशन मिल जाती है। इसका दुरुपयोग करते हुए कोई स्पायवेयर आपकी कॉल को बीच में बंद कर सकता है, उसे किसी दूसरे नंबर पर रीडायरेक्ट कर सकता है या किसी दूसरे नंबर पर कॉल कर सकता है।
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