#कृषि नवाचार
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ऊर्ध्वाधर कृषि: शहरी खेती के लिए एक समाधान
ऊर्ध्वाधर कृषि (Vertical Farming) एक आधुनिक और टिकाऊ कृषि तकनीक है, जो पारंपरिक खेती की तुलना में कम जगह, पानी और संसाधनों में अधिक उत्पादकता प्रदान करती है। यह तकनीक खासतौर पर शहरी क्षेत्रों में लोकप्रिय हो रही है, जहां खेती के लिए जमीन कम उपलब्ध है। इसमें फसलों को ऊर्ध्व (वर्टिकल) दिशा में, यानी भवनों, टावरों या विशेष रूप से डिजाइन किए गए ढांचे में विभिन्न स्तरों पर उगाया जाता है। मुख्य…
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पीएम मोदी ने ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024’ का किया उद्धाटन, प्रदेश को बताया पर्यटन का केंद्र
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2024 को जयपुर में आयोजित ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024’ का उद्घाटन किया। इस समिट में प्रधानमंत्री ने राजस्थान के विकास की दिशा में अहम कदम उठाने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की और प्रदेश को न केवल एक निवेश केंद्र, बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी स्थापित करने की दिशा में अपनी राय साझा की।
राजस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम
‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024’ ने प्रदेश को वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बनाते हुए विभिन्न उद्��ोगों में निवेश को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि राजस्थान में अत्यधिक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व के स्थल हैं, जो दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। उन्होंने राजस्थान को एक नए पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के राज्य सरकार के प्रयासों को भी सराहा और इस दिशा में सरकार की योजनाओं को तेजी से लागू करने की बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान की विशाल ऐतिहासिक धरोहर, अनूठी संस्कृति, और प्राकृतिक सौंदर्य न केवल भारतीय पर्यटकों बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर, और जोधपुर जैसे शहरों में पर्यटन के विस्तार के साथ ही रोजगार के अवसरों का सृजन भी हो सकता है।
निवेश के लिए आकर्षक बन रहा राजस्थान
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समिट के जरिए राजस्थान को एक निवेश केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने राज्य के विकास में निवेशकों की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि राजस्थान के पास सौर ऊर्जा, खनिज संसाधन, और कृषि जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएँ हैं। मोदी ने कहा कि राज्य में निवेश के लिए कई नई नीतियाँ और योजनाएँ बनाई गई हैं, जो यहाँ के उद्योगों को मजबूत करने के साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेंगी।
प्रधानमंत्री ने राजस्थान सरकार के “एक्सपोर्ट प्रमोशन” और “अर्थव्यवस्था में विविधता लाने” के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। साथ ही, उन्होंने कृषि, आईटी, और विनिर्माण क्षेत्र में राज्य की मौजूदा स्थिति को और बेहतर बनाने की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का जिक्र किया।
पर्यटन क्षेत्र में नवाचार और विकास
प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र को “नया आयाम” देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य को दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख स्थल बनाने के लिए ��हां के ऐतिहासिक किलों, मंदिरों, और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय ��ानकों के अनुसार सहेजने और प्रचारित करने की जरूरत है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ने “इको-टूरिज़्म” और “अडवेंचर टूरिज़्म” जैसी नई श्रेणियों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिससे पर्यटक एक नई अनुभव की तलाश में राज्य का रुख करें। उन्होंने राज्य सरकार को इन क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार करने की सलाह दी, जिससे पर्यटन उद्योग को एक नई दिशा मिले।
समिट के प्रमुख उद्देश्य
इस समिट का उद्देश्य राजस्थान में निवेश को बढ़ावा देना, रोजगार के अवसर सृजित करना, और राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है। राज्य सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में निवेशकों के लिए कई अवसरों को पेश किया, जिनमें पर्यटन, सौर ऊर्जा, खनिज, और इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।
राजस्थान सरकार ने राज्य में कारोबार को और सरल बनाने के लिए कई नीतिगत सुधारों की घोषणा की, जिनसे राज्य में व्यवसाय करने में आसानी होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन सुधारों से राजस्थान को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी का ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024’ का उद्घाटन राजस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह राज्य की बढ़ती वैश्विक पहचान को और मजबूती देगा। समिट में दिए गए संदेश से यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान न केवल निवेश के लिए एक आकर्षक स्थल है, बल्कि अपने अद्वितीय पर्यटन संसाधनों के माध्यम से विश्वभर में एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
राजस्थान का यह प्रयास न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को बल देगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगा। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इन योजनाओं को कितनी प्रभावी ढंग से लागू करती है और राजस्थान को एक प्रमुख पर्यटन और निवेश स्थल के रूप में स्थापित करने में कितनी सफलता प्राप्त करती है।
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चार दिवसीय सफल कृषि प्रदर्शनी: किसानों के लिए तकनीकी नवाचार और नई संभावनाओं का मंच
Successful four-day agricultural exhibition: A platform for technological innovation and new possibilities for farmers *23 देशों की कंपनियों के प्रतिनिधि, किसान करेंगे भागीदारी * नई हाइब्रिड बीज किस्मों से उगने वाली सब्जियों को प्रत्यक्ष देखने का मिलेगा मौका जालना : भारत और विदेशों में हाइब्रिड सब्जियों, कपास, ज्वार, मक्का, बाजरा और सोयाबीन जैसे उन्नत बीजों के माध्यम से पिछले 23 वर्षों से…
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Smart Agriculture: Aapake Liye Rojagaar ke Dwar
परिचय भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का विशेष स्थान है। यहां की एक बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। बदलते समय के साथ खेती में भी तकनीकी परिवर्तन हो रहे हैं और इसे अब "स्मार्ट एग्रीकल्चर" के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल खेती के तरीकों में क्रांति ला रहा है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर रहा है। स्मार्ट एग्रीकल्चर से तात्पर्य है ऐसी तकनीकें और प्रणालियां जो पारंपरिक कृषि को अधिक प्रभावी, उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाती हैं। इस आधुनिक कृषि प्रणाली ने रोजगार के कई नए द्वार खोले हैं, विशेष रूप से उन युवाओं के लिए जो आधुनिक तकनीक और नवाचार में रुचि रखते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर क्या है? स्मार्ट एग्रीकल्चर या स्मार्ट खेती आधुनिक प्रौद्योगिकी और कृषि के सम्मिलन का एक ऐसा मॉडल है जिसमें सटीक उपकरणों, सेंसर, ड्रोन्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का इस्तेमाल क���या जाता है। इसके तहत किसानों को जमीन की उपजाऊता, मौसम की जानकारी, फसल की स्थिति और बाजार के रुझानों के बारे में सटीक जानकारी मिलती है। इससे कृषि के सभी पहलुओं को सही ढंग से मॉनिटर कर बेहतर परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत आधुनिक यंत्रों और नई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जिससे किसानों को अपने खेतों की बेहतर देखभाल करने में मदद मिलती है। इससे न केवल उत्पादकता में वृद्धि होती है बल्कि पानी, खाद, बीज और अन्य संसाधनों का सही उपयोग भी सुनिश्चित होता है।
खेती में रोजगार के अवसर स्मार्ट एग्रीकल्चर के बढ़ते प्रसार के साथ खेती में रोजगार के अवसरों में भी व्यापक विस्तार हुआ है। पहले जहां कृषि में मुख्य रूप से शारीरिक श्रम का महत्व था, अब तकनीकी ज्ञान रखने वाले युवाओं के लिए भी यहां संभावनाएं खुल रही हैं। नीचे कुछ प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की जा रही है, जहां स्मार्ट एग्रीकल्चर के माध्यम से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं:
प्रौद्योगिकी आधारित कृषि उपकरणों का निर्माण और वितरण
स्मार्ट एग्रीकल्चर में विभिन्न प्रकार के सेंसर, ड्रोन्स, और स्वचालित उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। इन उपकरणों के निर्माण, वितरण और मरम्मत के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। युवा उद्यमी इस क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं या बड़े उद्योगों से जुड़ सकते हैं जो ऐसे उपकरणों का निर्माण और विपणन करते हैं।
कृषि सलाहकार सेवाएं
कृषि सलाहकार सेवाएं एक और प्रमुख क्षेत्र है, जहां तकनीकी ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों के लिए रोजगार के नए अवसर हैं। स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य, बीज के चयन, जल प्रबंधन, फसल की देखभाल और बाजार की जानकारी देने वाले कृषि सलाहकारों की मांग बढ़ी है। यदि किसी व्यक्ति के पास कृषि और तकनीक का ज्ञान है, तो वे इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
डेटा एनालिसिस और कृषि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट
स्मार्ट एग्रीकल्चर में सेंसर और अन्य उपकरणों से लगातार डेटा उत्पन्न होता है। इस डेटा का सही ढंग से विश्लेषण करना और इसके आधार पर निर्णय लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। डेटा एनालिसिस के क्षेत्र में कृषि तकनीशियनों की मांग तेजी से बढ़ी है। साथ ही, ऐसे सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की भी आवश्यकता है जो किसानों के लिए अनुकूल ऐप्स और सॉफ्टवेयर विकसित कर सकें। ये ऐप्स किसानों को मौसम की जानकारी, फसल की स्थिति, बाजार के दाम आदि की सटीक जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे उनकी खेती को और बेहतर बना��ा जा सके।
कृषि में ड्रोन और रोबोटिक्स तकनीक
ड्रोन्स का इस्तेमाल कृषि में तेजी से बढ़ रहा है। फसलों की निगरानी, कीटनाशक का छिड़काव, और अन्य गतिविधियों के लिए ड्रोन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। ड्रोन ऑपरेटर्स, मेनटेनेंस इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए यहां रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। इसके अलावा, रोबोटिक्स तकनीक का इस्तेमाल भी कृषि में बढ़ रहा है, जिससे फसलों की देखभाल और उत्पादन की प्रक्रिया को स्वचालित किया जा रहा है।
सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और ग्रीन जॉब्स
आज के समय में पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता पर जोर दिया जा रहा है। सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए कृषि की तकनीकों का विकास किया जाता है। इसके अंतर्गत जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी एक्सपर्ट्स, पर्यावरण वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ी है। ग्रीन जॉब्स के रूप में इसे देखा जा सकता है।
कृषि उत्पादों का प्रोसेसिंग और मार्केटिंग
स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत बेहतर उत्पादन प्राप्त होने पर उसे प्रोसेस कर बाजार में बेचना भी महत्वपूर्ण है। कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों के लिए यहां अपार संभावनाएं हैं। स्मार्ट मार्केटिंग तकनीकों का उपयोग करके किसान अपने उत्पादों को सही कीमत पर बेच सकते हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में उद्यमिता को भी बढ़ावा मिल रहा है, जिससे नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
स्मार्ट इरिगेशन और जल प्रबंधन
कृषि में पानी का सही उपयोग करना हमेशा से एक चुनौती रहा है। स्मार्ट इरिगेशन और जल प्रबंधन तकनीकों के माध्यम से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। पानी की कमी से ��ूझ रहे क्षेत्रों में सटीक सिंचाई प्रणाली और जल प्रबंधन सेवाओं की मांग बढ़ी है। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों और इरिगेशन इंजीनियरों की आवश्यकता होती है, जो इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर में रोजगार के अवसरों की संभावनाएं स्मार्ट एग्रीकल्चर में न केवल तकनीकी विशेषज्ञों के लिए बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर हैं। वे जो अपने खेतों में नई तकनीकों को अपनाकर उत्पादन में वृद्धि करना चाहते हैं, वे भी इस क्रांति के हिस्सेदार बन सकते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र में वित्तीय सेवाओं, बीमा, और कृषि से जुड़ी कानूनी सेवाओं में भी रोजगार की संभावनाएं हैं। सरकार और निजी क्षेत्र की ओर से भी इस क्षेत्र में निवेश किया जा रहा है, जिससे रोजगार के अवसर और भी बढ़ेंगे।
निष्कर्ष स्मार्ट एग्रीकल्चर न केवल कृषि के तरीके को बदल रहा है, बल्कि यह एक नया रोजगार क्षेत्र भी बना रहा है। "खेती में रोजगार के अवसर" अब केवल पारंपरिक श्रमिकों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि तकनीकी विशेषज्ञों, उद्यमियों और नवाचारकर्ताओं के लिए भी इसमें असीमित संभावनाएं हैं। भारत जैसे देश में, जहां कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, स्मार्ट एग्रीकल्चर रोजगार के नए द्वार खोलकर युवाओं को बेहतर भविष्य की दिशा में ले जा रहा है।
यह स्पष्ट है कि भविष्य की खेती तकनीकी नवाचारों पर आधारित होगी, और इसके साथ ही रोजगार के नए रूप सामने आएंगे। स्मार्ट एग्रीकल्चर एक ऐसी ही दिशा है, जो रोजगार के साथ-साथ समृद्धि की ओर भी ले जा रही है।
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छोटी/कम जमीन में अधिक पैदावार तथा कमाई वाली फसलें - DeHaat गाइड
भारतीय कृषि (Indian Agriculture) की बात करें तो छोटी जमीन पर खेती करना एक आम चुनौती है। लेकिन, इस चुनौती को अवसर में बदलने की क्षमता भी हमारे पास है। ‘DeHaat: Seeds to Market’ आपको इस दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए सदैव तत्पर है। हम आपको अपनी कम जमीन के माध्यम से अच्छी पैदावार वाली फसलों की पूरी जानकारी प्रदान कर रहे हैं। यदि आप भी एक किसान हैं और अपनी खेती की आय को बढ़ने के इच्छुक हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए काफी लाभदायक हो सकता है।
छोटी जमीन पर खेती की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
Challenges and Opportunities in Farming on Small Land: -
छोटी जमीन पर खेती करते समय किसानों को अक्सर उत्पादन (Production) में सीमितता का सामना करना पड़ता है। लेकिन, उचित योजना और तकनीकों के उपयोग से इस सीमित जगह को भी अधिकतम उत्पादकता का स्थान बनाया जा सकता है। वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming), मल्टी-लेयर फार्मिंग (Multi-layer Farming), और प्रिसिजन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture) जैसी नवीन तकनीकें इसमें सहायक हो सकती हैं।
अधिक पैदावार और आय के लिए नवीन तकनीकों का महत्व
Importance of Innovative Techniques for Higher Yield and Income:-
आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किसान न केवल अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation), हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics), और एक्वापोनिक्स (Aquaponics) जैसी तकनीकें जल संरक्षण के साथ-साथ फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में भी सुधार लाती हैं। इन तकनीकों को अपनाकर किसान बाजार (Farmer Market) में बेहतर स्थान प्राप्त कर सकते हैं और अपने उत्पादों को उचित मूल्य (Fair Price Sale) पर बेच सकते हैं।
इस ब्लॉग के माध्यम से, हम आपको छोटी जमीन पर अधिक पैदावार और आय (Higher production and income on small land) प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी और तकनीकों से परिचित कराएंगे। पढ़ें, DeHaat’ का यह ब्लॉग पूरा और अपने खेती के सपनों को साकार बनायें।
उन्नत बुआई तकनीकें और फसल चयन
कृषि क्षेत्र में नवाचार और प्रगति के साथ, उन्नत बुआई तकनीकें (Advanced Sowing Techniques) और सही फसल चयन (Crop Selection) का महत्व बढ़ गया है। आइए जानते हैं कि कैसे ये तकनीकें और चयन आपकी खेती को लाभकारी बना सकते हैं।
विभिन्न प्रकार की फसलें जो कम जमीन में अधिक लाभ देती हैं।
छोटी जमीन पर अधिकतम उत्पादन (Maximizing Production) और लाभ (Profit) प्राप्त करने के लिए, फसलों का सही चयन अत्यंत आवश्यक है। ऐसी फसलें जो कम जगह में उगाई जा सकती हैं और अच्छी आय देती हैं, उनमें शामिल हैं:
मूल�� (Radish): यह तेजी से उगने वाली फसल है जो कम समय में तैयार होती है और बाजार में इसकी अच्छी मांग होती है।
बैंगन (Eggplant): यह फसल विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकती है और इसे वर्ष भर बोया जा सकता है।
मिर्च (Chili): यह उच्च मूल्य वाली फसल है जो छोटे क्षेत्र में भी अच्छी आय दे सकती है।
धनिया (Coriander): यह फसल जल्दी उगती है और इसकी पत्तियों का उपयोग मसाले के रूप में होता है।
केला (Banana): यह फसल लंबे समय तक फल देती है और इसकी खेती से नियमित आय हो सकती है।
पपीता (Papaya): यह फसल कम समय में उगती है और इसके फलों की बाजार में अच्छी मांग होती है।
मौसम और मिट्टी के अनुसार फसलों का चयन।
फसलों का चयन करते समय मौसम (Weather) और मिट्टी के प्रकार (Soil Type) का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए:
रेतीली मिट्टी (Sandy Soil) में बाजरा और मूंगफली अच्छी उपज देती हैं।
दोमट मिट्टी (Loamy Soil) में गेहूं और चना जैसी फसलें बेहतर उपज देती हैं।
��ीजों की गुणवत्ता और उनका प्रबंधन।
बीजों की गुणवत्ता (Seed Quality) और उनके प्रबंधन (Management) से फसलों की उपज में काफी अंतर आता है। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना और उन्हें सही तरीके से भंडारित (Storage) करना फसल की सफलता के लिए अनिवार्य है।
इन तकनीकों और चयनों का उपयोग करके आप अपनी कम जमीन से भी अधिकतम उत्पादन (Maximum production from less land) और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। खेती की और अधिक उन्नत तकनीकों और फसलों के चयन के बारे में जानने के लिए, हमारे इस ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़ें।
सिंचाई और जल प्रबंधन
जमीन चाहे छोटी हो या बड़ी, अच्छी फसल के लिए सिंचाई और जल प्रबंधन (irrigation and water management) बेहद अहम है। पारंपरिक सिंचाई विधियों में 50% से भी ज्यादा पानी बर्बाद हो जाता है! आइए देखें कैसे हम जल संरक्षण की तकनीकों (water conservation techniques) और आधुनिक सिंचाई पद्धतियों (modern irrigation methods) को अपनाकर कम पानी में भी अच्छी पैदावार (high yield) ले सकते हैं।
जल संरक्षण
फलों और सब्जियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से पानी देना ही समझदारी है। हर फसल को अलग मात्रा में पानी चाहिए।
जल संरक्षण की तकनीकें:
फसल जरूरत के अनुसार सिंचाई (मिट्टी जांच उपकरण) (crop water requirement, soil moisture meter)
मल्चिंग (सूखी घास/पुआल) - 30% तक पानी की बचत (mulching)
जल निकास - जमीन की सेहत के लिए जरूरी (drainage)
वर्षा जल संचयन (खेत के आसपास गड्��े/तालाब) (rainwater harvesting)
आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ
पानी बचाना ही पैसा बचाना है! आधुनिक सिंचाई पद्धतियां कम पानी में ज़्यादा फसल उगाने में मदद करती हैं।
सिंचाई पद्धति (Irrigation method)
विवरण (Description)
लाभ (Benefits)
ड्रिप सिंचाई (Drip irrigation)
पौधों की जड़ों के पास पानी की बूंदें टपकती रहें
50% तक पानी की बचत, कम खरपतवार (water saving, weeds)
स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler irrigation)
पानी को हवा में छिड़का जाता है
पारंपरिक सिंचाई से कम पानी बर्बादी (water waste)
फरो सिंचाई (Furrow irrigation)
खेत में छोटी-छोटी नालियां बनाकर पानी बहे
कम लागत (low cost)
दिलचस्प बात ये है कि दुनिया में उपयोग होने वाले मीठे पानी का 70% सिंचाई में ही खर्च हो जाता है। इसलिए जल संरक्षण और आधुनिक सिंचाई अपनाना बहुत ज़रूरी है।
फसलों की देखभाल और बाजार तक पहुँच
फल लगने से लेकर बाजार तक पहुंचाने तक फसल की देखभाल अहम है। कीटों और रोगों से बचाव (pest and disease management), जैविक खेती (organic farming) अपनाना और सही बाजार का चुनाव अधिक पैदावार (high yield) और कमाई (income) सुनिश्चित करता है।
कीट और रोग प्रबंधन
नियमित जांच से शुरुआत करें ताकि शुरुआती अवस्था में ही कीटों और रोगों का पता लगाया जा सके। रासायनिक दवाओं (chemical pesticides) के अत्यधिक प्रयोग से बचें। जैविक कीटनाशकों (organic pesticides) का इस्तेमाल करें, लाभकारी कीटों (beneficial insects) को बढ़ावा दें और फसल चक्र (crop rotation) अपनाकर रोगों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करें।
गौर करें (Fact): भारत में फसल नुकसान का 30-40% हिस्सा कीटों और रोगों के कारण होता है। प्रभावी प्रबंधन से इस नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जैविक खेती
पर्यावरण के अनुकूल खेती, स्वस्थ भोजन का उत्पादन, उर्वर भूमि (fertile soil) का निर्माण और बेहतर मुनाफा - ये हैं जैविक खेती के कुछ लाभ। साथ ही मिट्टी के जैविक पदार्थों (organic matter) में वृद्धि से जलधारण क्षमता (water holding capacity) बढ़ती है, जिससे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।
जानें (Did You Know?): जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और पारंपरिक उत्पादों की तुलना में 20-30% अधिक कीमत मिलती है। जैविक खेती अपनाकर आप न सिर्फ पर्यावरण बचाते हैं बल्कि अच्छी कमाई भी करते हैं।
"किसानों की सफलता ही देश की सफलता है" - देहात (DeHaat)
अपनी फसल बेचने के लिए सही बाजार का चुनाव फा��देमंद है। आइए देखें कैसे बाजार अनुसंधान (market research) और सही चैनल चुनकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है
निष्कर्ष
छोटी जमीन में भी अधिक पैदावार और कमाई संभव है! सही फसल चयन, उन्नत खेती विधियों को अपनाने और फसल को उचित बाजार तक पहुँचाने से आप अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। देहात (DeHaat) हर कदम पर आपका साथी है। हम आपको बीजों से लेकर बाजार तक हर जरूरी जानकारी और सहायता प्रदान करते हैं।
DeHaat - Seeds to Market Imp Links:
देहात की वेबसाइट (URL HERE) पर जाएं और अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त फसलों की जानकारी प्राप्त करें।
देहात विशेषज्ञों से जुड़ें (Connect with DeHaat experts) - हमारे हेल्पलाइन नंबर HELPLINEHERE पर कॉल करें या हमारी वेबसाइट पर चैट करें।
देहात ऐप डाउनलोड करें (Download the DeHaat app) - URL HERE
आप सफल किसान बन सकते हैं! देहात के साथ जुड़ें और अपनी खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
“अस्वीकरण (Disclaimer): इस ब्लॉग में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी निर्णय लेने से पहले हमेशा किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें।
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कंबाइन हार्वेस्टर मशीन की कीमत: फील्डकिंग द्वारा प्रस्तुत एक कृषि उपकरण
कृषि उत्पादन में नवाचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कृषि उपकरणों का उपयोग है। इन उपकरणों में कंबाइन हार्वेस्टर एक उच्च प्रदर्शन और ऊर्जावान उपकरण है जो फसलों को कटाई और अलग करने में मदद करता है। यह उपकरण फील्डकिंग द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जो कृषि क्षेत्र में अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है।
कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग किसानों को फसलों की कटाई के लिए आसान और तेज़ तरीके से करने में मदद करता है। यह उपकरण विभिन्न फसलों की कटाई के लिए उपयुक्त है, जैसे कि धान, गेहूं, मक्का, जौ, दालें और सोयाबीन। इसके साथ, यह हार्वेस्टर फसलों की कटाई को तेजी से करता है, जिससे किसानों का समय और मेहनत बचता है। अगर आप हार्वेस्टर मशीन की कीमत की जानकारी लेना चा��ते हैं तो हमारी टीम से कांटेक्ट कर सकते हैं।
फील्डकिंग कंबाइन हार्वेस्टर की विशेषताएँ उसके ऊर्जावान डिज़ाइन और प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करती हैं। इसके एक्सट्रा-लार्ज ग्रेन टैंक की क्षमता 1600 लीटर होती है, जिससे किसानों को अधिक प्रोडक्टिविटी के साथ अधिक समय बचाने में मदद मिलती है। इसके अक्सियल फ्लो थ्रेशर तकनीक की वजह से अनाज का कम नुकसान होता है और हार्वेस्टिंग प्रक्रिया में अनाज अधिक साफ और अधिक समृद्ध होता है।
फील्डकिंग कंबाइन हार्वेस्टर भारत के किसानों के लिए एक वास्तविक उपकरण है.
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अडानी ग्रुप बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, कृषि, रसद और डिजिटल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है। प्रत्येक क्षेत्र में, समूह ने न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, बल्कि नवाचार, सतत विकास और सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पण के माध्यम से एक अग्रणी भूमिका भी निभाई है। आइए, इन क्षेत्रों में अडानी ग्रुप के योगदान पर करीब से नज़र डालें:
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महिलाओं की बहुमुखी भूमिका लचीलेपन, नवाचार और अप्रयुक्त क्षमता की कहानी है अनूप शुक्ला का लिखित अध्याय प्रोग्रेसिव आउटरीच इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन पुस्तक मे बदलते कृषि विस्तार में महिलाओं की भूमिका का विमोचन
सतना। बदलते कृषि विस्तार में महिलाओं की भूमिका शीर्षक मे मुख्य बाते इस विषय मे संकलित की गई है। भारत में कृषि विस्तार को बदलने में महिलाओं की बहुमुखी भूमिका, लचीलेपन, नवाचार और अप्रयुक्त क्षमता की कहानी को रेखांकित करती है। इस क्षेत्र में महिलाओं को ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रखने वाले मजबूत,सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों और प्रणालीगत बाधाओं के बावजूद उनके योगदान को पहचानने और उनका उपयोग करने की दिशा…
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संस्कृति विवि में एग्री क्लीनिक एवं एग्री बिजनेस के दूसरे बैच का प्रशिक्षण शुरू
संस्कृति विवि में एग्री क्लीनिक एवं एग्री बिजनेस के दूसरे बैच का प्रशिक्षण शुरू
मथुरा। भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रायोजित संस्कृति नोडल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में 45 दिवसीय प्रशिक्षण के दूसरे बैच के 35 विद्यार्थियों का प्रशिक्षण शुरू हुआ। नए सत्र के शुभारंभ के अवसर पर वक्ताओं द्वारा कहा गया कि भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित इस प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षणार्थियों को 20 लाख रुपये तक का बैंक लोन एवं 36-44 प्रतिशत सब्सिडी भी प्राप्त होती है। वे स्वयं उद्यमी बनकर लोगों को रोजगार भी प्रदान कर सकते हैं। एसीएबीसी प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी डा. रजनीश त्यागी ने प्रशिक्षण में भाग ले रहे प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन मैनेज (राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान) द्वारा शुरू हुए 45 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में महत्वाकांक्षी उद्यमियों को व्यापक प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना है। इसके माध्यम से छात्र, किसान सरकारी सहायता से स्वयं उद्यमी बनने का सपना पूरा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थियों के लिए उद्यमी बनने का एक सुनहरा अवसर है और उन्हें इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना चाहिए। हमारा विश्वविद्यालय हमारे छात्रों के बीच एक उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देने और उन्हें कृषि क्षेत्र में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों को ज्ञान और उपकरणों से लैस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है। हम मानते हैं कि उनकी उद्यमशीलता की भावना का पोषण करके, हम नवाचार चला सकते हैं और कृषि उद्योग के विकास में योगदान कर सकते हैं। संस्कृति इंक्युबेशन एंड स्टार्टअप कार्यक्रम के सीईओ प्रोफेसर अरुन त्यागी ने कृषि क्षेत्र में उपलब्ध कई स्वरोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कृषि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के महत्व पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को विभिन्न विकसित तरीकों के बारे में बताया जो इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकते हैं। संस्कृ��ि स्कूल आफ एग्रीकल्चर के डीन डा. केके सिंह ने भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी दी और एग्री क्लीनिक की उपयोगिता को समझाया। कार्यक्रम के दौरान मौजूद संस्कृति विवि के डाइरेक्टर जनरल डा. जेपी शर्मा, एकेडमिक डीन डा. मीनू गुप्ता ने भी प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के लाभ और प्रशिक्षण के बारे में विस्तृत जानकारी दी। ट्रेनिंग कोर्डिनेटर दाऊदयाल शर्मा ने सभी का स्वागत किया और प्रशिक्षणार्थियों को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया
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आज किसान महोत्सव के अंतर्गत कृषि प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में कृषक बंधुओं के श्रम व नवाचार से उत्पन्न कई उत्पादों को देखकर उत्सुकता व प्रसन्नता हुई।
#जन_सम्मान_जय_किसान
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भूमि का अधिकतम उपयोग: मल्टी-लेयर खेती के लाभ
क्या आप जानते हैं कि हम जिस तरीके से खेती करते हैं, वह पूरी दुनिया को बदल सकता है? 🌍 मल्टी-लेयर फार्मिंग के जरिए हम कम भूमि पर अधिक फसलें उगा सकते हैं, क्योंकि इस पद्धति में हम भूमि को ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) रूप से उपयोग कर��े हैं।
मल्टी-लेयर फार्मिंग (Multi-Layer Farming) एक उन्नत कृषि पद्धति है जिसमें फसलों को विभिन्न ऊँचाईयों (परतों) में उगाया जाता है। इस प्रणाली में परतों का उपयोग करके अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करने की कोशिश की जाती है, जिससे एक ही जमीन पर विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन हो सके। इसे वर्टिकल फार्मिंग या लेयर फार्मिंग भी कहा जाता है, और यह पारंपरिक खेती से अलग है, क्योंकि इसमें भूमि का उपयोग केवल…
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#Agri Tech#Agriculture Innovation#ऊर्ध्वाधर खेती#कृषि का भविष्य#कृषि नवाचार#कृषि प्रौद्योगिकी#खेती का भविष्य#खेती क्रांति#जल संरक्षण#जैव विविधता#जैविक खेती#नवाचारपूर्ण खेती#पर्यावरण मित्र#मल्टी लेयर फार्मिंग#स्थायी कृषि#स्थायी खेती#स्मार्ट खेती#स्मार्ट तरीके से उगाएं#हरा भविष्य#Biodiversity#Eco Friendly#Farm The Future#Farming Revolution#Future Of Farming#Green Future#Grow Smarter#Innovative Farming#Multi Layer Farming#Organic Farming#Smart Farming
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दंतेवाड़ा । फाल्गुन मंडई कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल CM Bhupesh Baghel ने जिला प्रशासन के नवाचार तेंदू फल के आइसक्रीम का स्वाद लिया। मुख्यमंत्री ने तेन्दु फल से निर्मित आइसक्रीम की प्रशंसा करते हुए एक अच्छा पहल बताया। जिला प्रशासन, दन्तेवाड़ा के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र दन्तेवाड़ा द्वारा मौसमी तेंदू के फल से आइसक्रीम बनाने का पहल किया गया। तेंदू का पेड़ लघु वनोपज के श्रेणी में आता है। इसके पत्तियों को बीडी बनाने के उपयोग में लाया जाता है। जो कि बस्तर में हरा सोना के नाम से प्रचलित है। यह भारत के पूर्वी हिस्सों एवं मध्य भारत में बहुतायत में पाया जाता है। अभी तक व्यावसायिक रूप से इसके पत्तियों का उपयोग किया जाता रहा है व फल का उपयोग ग्रामीण जन अपने खाने में तथा उसी मौसम में लोकल बाजारों में ही बेच कर आय प्राप्त करते है। ताजा पके फल को सुरक्षित रखने की अवधि बहुत कम होती है। अगर ताजे फल के गुदा को प्रसंस्कृत कर माईनस 20-40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखते है तो पूरे वर्ष भर तेन्दू फल का स्वाद लिया जा सकता है। जिसके तारतम्य में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा तेंदू फल का प्रसंस्करण कर आइसक्रीम व तेन्दू सेक बनाने का अन्वेषी कार्य प्रारंभ किया गया है। तेन्दू फल में किये गये अनुसंधान के अनुसार तेन्दू फल एक प्रभावी एन्टीआक्सीडें��, रेशे का अच्छा स्त्रोत, हृदय रोग के लिये लाभदायक तथा मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक है। साथ ही इस फल में खनिज तत्व अच्छा मात्रा में पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस एवं खनिज तत्व पाया जाता है।
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तेंदू फल से निर्मित आइसक्रीम चखकर, सीएम ने की सराहना
फाल्गुन मंडई कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिला प्रशासन दंतेवाड़ा के नवाचार पहल के तहत तेंदू फल से निर्मित आइसक्रीम का भी स्वाद लिया. स्वाद की प्रशंसा करते हुए इसे एक सराहनीय पहल बताया। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन, दन्तेवाड़ा के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र दन्तेवाड़ा द्वारा मौसमी तेंदू के फल से आइसक्रीम बनाने का कार्य…
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Khetee se Kamaen: Jaanen Kaise Milate Hain Rojagaar ke Nae Avasar
भारत एक कृषि प्रधान देश है, और सदियों से खेती यहां के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। हालांकि बदलते समय के साथ, लोग अन्य उद्योगों की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन खेती में रोजगार के अवसर आज भी अपार ��ैं। नई तकनीकों, नवाचारों और सरकारी योजनाओं के साथ, खेती में रोजगार के कई नए दरवाज़े खुल चुके हैं। आइए जानते हैं, खेती के क्षेत्र में कैसे रोजगार के नए अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं और यह क्षेत्र क्यों आज भी एक स्थायी और लाभकारी करियर विकल्प है।
खेती में रोजगार के अवसर: एक व्यापक दृष्टिकोण
खेती केवल खाद्यान्न उत्पादन तक सीमित नहीं है। यह एक व्यापक उद्योग है जिसमें कृषि प्रबंधन, बागवानी, पशुपालन, डेयरी उद्योग, मछली पालन, और औषधीय पौधों की खेती जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं। इन सभी में रोजगार के ढेरों अवसर छिपे हुए हैं। आधुनिक तकनीक और बाजार की मांग ने खेती को सिर्फ पर��परागत खेती से आगे बढ़ाते हुए नए व्यवसायिक संभावनाओं के साथ जोड़ा है।
संगठित कृषि उद्योग
खेती अब सिर्फ छोटे किसानों तक सीमित नहीं है। बड़ी कंपनियां और कॉर्पोरेट संस्थाएं भी इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं। संगठित कृषि उद्योग के बढ़ने से रोजगार के अवसरों में भारी वृद्धि हुई है। खेती से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट्स, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, एग्रीबिजनेस और एक्सपोर्ट कंपनियां युवाओं के लिए नए अवसर प्रदान कर रही हैं। इस उद्योग में कई तरह के विशेषज्ञों की मांग है, जैसे कृषि वैज्ञानिक, मैनेजमेंट विशेषज्ञ, मार्केटिंग प्रोफेशनल्स, और तकनीकी विशेषज्ञ।
ऑर्गेनिक खेती
आजकल ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। उपभोक्ता अब जैविक और स्वस्थ्य भोजन की ओर झुकाव दिखा रहे हैं। ऑर्गेनिक खेती का बाजार बढ़ने के साथ ही इस क्षेत्र में रोजगार के कई नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। ऑर्गेनिक फार्मिंग में बेहतर लाभ मिलने की संभावना अधिक होती है, और इससे जुड़ी मार्केटिंग, पैकेजिंग और वितरण सेवाओं में भी रोजगार के अवसर मिलते हैं। इसके लिए किसानों को उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, और कई संस्थान इसे मुफ्त में भी प्रदान कर रहे हैं।
खेती में तकनीकी नवाचार
खेती में तकनीकी नवाचारों का उपयोग बढ़ रहा है। स्मार्ट फार्मिंग, ड्रिप इरिगेशन, और ड्रोन जैसी नई तकनीकों ने खेती को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया है। इन तकनीकों के सही उपयोग के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित लोगों की जरूरत होती है। ऐसे में कृषि तकनीकी विशेषज्ञ, आईटी प्रोफेशनल्स, और मशीनरी ऑपरेटर्स के लिए खेती में रोजगार के अवसर बढ़ गए हैं। कृषि मशीनीकरण के साथ, किसानों को खेती में अधिक उत्पादन और कम श्रम के साथ बेहतर परिणाम मिल रहे हैं।
डेयरी और पशुपालन
खेती के साथ-साथ पशुपालन और डेयरी उद्योग भी रोजगार के बेहतर ��िकल्प प्रदान करते हैं। डेयरी उद्योग में रोजगार के कई विकल्प हैं जैसे दूध उत्पादन, पैकेजिंग, और वितरण सेवाएं। इसके अलावा, पशुपालन में मवेशियों की देखभाल, आहार प्रबंधन, और पशु चिकित्सा सेवाओं से भी रोजगार मिलता है। आजकल आधुनिक डेयरी फार्म्स उन्नत तकनीकों के साथ चल रहे हैं, और इसके लिए विशेषज्ञता की जरूरत होती है।
कृषि आधारित उद्योग
खेती से जुड़े अन्य उद्योग भी रोजगार का एक बड़ा स्रोत हैं। कृषि आधारित उद्योग जैसे फूड प्रोसेसिंग, कृषि उपकरण निर्माण, उर्वरक उत्पादन, और कीटनाशक उद्योग में भी रोजगार के अनगिनत अवसर उपलब्ध हैं। ये उद्योग किसानों को सीधे रोजगार प्रदान करते हैं, साथ ही कृषि उत्पादों के बाजार तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन उद्योगों में कृषि अभियंता, मैनेजर, और तकनीशियनों की मांग रहती है।
बागवानी और फूलों की खेती
बागवानी और फूलों की खेती भी एक लाभदायक व्यवसाय है, जिसमें रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। फल और सब्जियों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश करने वालों के लिए सुनहरे मौके हैं। फूलों की खेती भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें निर्यात के लिए बड़े अवसर उपलब्ध हैं। इसके साथ ही पौध नर्सरी, ग्रीनहाउस खेती, और लैंडस्केपिंग सेवाओं में भी रोजगार के कई अवसर होते हैं।
मछली पालन और मत्स्य पालन
मछली पालन और मत्स्य पालन भी खेती के क्षेत्र में उभरते हुए रोजगार के अवसर हैं। आजकल मत्स्य पालन के नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिनसे उत्पादन में वृद्धि हो रही है। मछली पालन में निवेश कम है और लाभ अधिक, जिससे यह एक आकर्षक व्यवसाय बनता जा रहा है। मत्स्य पालन के साथ जुड़े तकनीकी विशेषज्ञ, प्रोसेसिंग यूनिट्स, और मार्केटिंग में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।
सरकारी योजनाएं और समर्थन
भारत सरकार कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चला रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, और कृषि मशीनीकरण योजनाएं किसानों को आर्थिक मदद और संसाधन प्रदान करती हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाकर युवा किसान खेती में नए रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं। इसके अलावा, सरकार की ओर से कृषि संबंधित प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं, जिससे युवाओं को खेती में रोजगार के लिए तैयार किया जा सके।
कृषि में स्टार्टअप्स
खेती में रोजगार के अवसर अब पारंपरिक तरीकों से हटकर स्टार्टअप्स की ओर भी बढ़ रहे हैं। आजकल कई युवा कृषि स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं, जो किसानों को तकनीकी सहायता, बाजार पहुंच, और वित्तीय मदद प्रदान कर रहे हैं। इन स्टार्टअप्स में नौकरी के कई अवसर होते हैं, जैसे डिजिटल मार्केटिंग, डेटा एनालिसिस, एग्रीटेक सॉल्यूशंस, और फाइनेंशियल प्लानिंग।
खेती में स्वरोजगार के अवसर
खेती में स्वरोजगार के भी असीमित अवसर हैं। अगर आपके पास जमीन है, तो आप खुद की खेती कर सकते हैं और अपने उत्पादों को सीधे बाजार में बेच सकते हैं। खेती में स्वरोजगार करने के लिए बहुत ज्यादा निवेश की जरूरत नहीं होती, लेकिन इसके लिए सही तकनीक और बाजार की जानकारी आवश्यक होती है। छोटे किसान भी उन्नत तकनीकों ��र सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष
खेती में रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं, और यह क्षेत्र न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। नई तकनीक, सरकारी योजनाएं, और बदलते बाजार की मांगों ने खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना दिया है। चाहे आप किसान हों, कृषि वैज्ञानिक हों, या कृषि क्षेत्र में नौकरी की तलाश कर रहे हों, खेती में रोजगार के कई नए और उभरते हुए अवसर आपके लिए हैं। खेती में करियर बनाने का मतलब न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाना है, बल्कि समाज और देश की समृद्धि में योगदान देना भी है।
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जनजातीय किसानों को जिंक और डीएपी का सही उपयोग सिखाने वाले को बनाया विकास दूत
ग्राम कृषि अधिकारी का विकास यात्रा में हुआ सम्मान लोकतंत्र उद्घोष-संजय बाबा यादव-खरगोन – – – विकास यात्रा में नवाचार कर ऐसे अधिकारी या कर्मचारियों का सम्मान किया जा रहा है। जो वर्षाे से किसानों के साथ या स्कूलों में या किसी शासकीय कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर विकास में सहभागी बने है। भीकनगांव विधान सभा की विकास यात्रा में गत दिवस ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी बिहारीलाल डावर का सम्मान…
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पीएम नरेंद्र मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की; 9 करोड़ किसान परिवारों को लाभ, 18000 करोड़ रुपये DBT के माध्यम से जमा.
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पीएम किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की।इस अवसर पर बोलते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि आज एक बटन के क्लिक पर देश के 9 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे 18000 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जब से यह योजना शुरू हुई है, तब से 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं।प्रधान मंत्री ने खेद व्यक्त किया कि पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसानों को यह लाभ नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि बंगाल के 23 लाख से अधिक किसानों ने इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। लेकिन राज्य सरकार ने सत्यापन प्रक्रिया को इतने समय के लिए रोक दिया है। उन्होंने कहा कि जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के हित में नहीं बोलते हैं, वे दिल्ली आकर किसान की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां आजकल एपीएमसी-मंडियों को याद कर रही हैं, लेकिन ये पार्टियां बार-बार यह भूल जाती हैं कि केरल में एपीएमसी-मंडियां नहीं हैं और ये लोग कभी केरल में आंदोलन नहीं करते।प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों की इनपुट लागत को कम करने के उद्देश्य से काम किया है। उन्होंने सरकार की कुछ किसान केंद्रित पहलें मसलन मृदा स्वास्थ्य कार्ड, यूरिया की नीम कोटिंग, सौर पंपों के वितरण की योजना को सूचीबद्ध किया, जिससे किसानों के लिए इनपुट लागत को कम करने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि किसानों को बेहतर फसल बीमा कवर मिले। आज करोड़ों किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ मिल रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि देश के किसानों को फसल का उचित मूल्य मिले। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के लिए एमएसपी के रूप में उत्पादन लागत का डेढ़ गुना मूल्य तय किया है। उन्होंने उन फसलों की संख्या को जोड़ा जिनके लिए एमएसपी उपलब्ध है उन्हें भी बढ़ाया गया था।प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों के लिए नई फसलें खोलने का लक्ष्य बनाया है ताकि वे 9 फसल बेच सकें। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश की एक हजार से अधिक कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा है। इनमें रु। से अधिक रु। एक लाख करोड़ का कारोबार किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने छोटे किसानों के समूह बनाने की दिशा में काम किया है ताकि वे अपने क्षेत्र में एक सामूहिक शक्ति के रूप में काम कर सकें। आज देश में 10000 से अधिक किसान निर्माता संगठनों - एफपीओ के गठन के लिए एक अभियान चल रहा है, उन्हें वित्तीय मदद दी जा रही है।प्रधानमंत्री ने आज कहा, किसानों को पक्के घर, शौचालय और स्वच्छ पाइप पेयजल मिल रहा है। मुफ्त बिजली कनेक्शन, मुफ्त गैस कनेक्शन से उन्हें बहुत फायदा हुआ है। तक का मुफ्त इलाज। आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख ने किसानों के जीवन की प्रमुख चिंता को कम कर दिया है।प्रधान मंत्री ने कहा कि इन कृषि सुधारों के माध्यम से किसानों को बेहतर विकल्प प्रदान किए गए। इन कानूनों के बाद किसान अपनी उपज को अपनी इच्छानुसार बेच सकते हैं। वे जहां भी उचित मूल्य प्राप्त करते हैं, अपनी उपज बेच सकते हैं। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के बाद, किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकते हैं या इसे बाजार में बेच या निर्यात कर सकते हैं या व्यापारी को बेच सकते हैं, या इसे दूसरे राज्य में बेच सकते हैं, या इसे एफपीओ के माध्यम से बेच सकते हैं या बिस्कुट के मूल्य श्रृंखला का हिस्सा हो सकते हैं, चिप्स, जाम, अन्य उपभोक्ता उत्पाद।प्रधान मंत्री ने कहा कि अन्य क्षेत्रों में निवेश और नवाचार में सुधार हुआ है, आय में वृद्धि हुई है और उस क्षेत्र में ब्रांड इंडिया की स्थापना हुई है। उन्होंने कहा कि अब ब्रांड इंडिया के लिए समय आ गया है कि वह समान प्रतिष्ठा के साथ दुनिया के कृषि बाजारों में खुद को स्थापित करे।प्रधानमंत्री ने देश भर के उन सभी किसानों को धन्यवाद दिया जिन्होंने कृषि सुधारों का पूरा समर्थन और स्वागत किया है और आश्वासन दिया है कि वह उन्हें निराश नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि असम, राजस्थान, जम्म��� और कश्मीर में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने भाग लिया और एक तरह से किसानों को गुमराह करने वाली सभी पार्टियों को खारिज कर दिया।>आज देश के 9 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे, एक क्लिक पर 18 हज़ार करोड़ रुपए जमा हुए हैं।जब से ये योजना शुरू हुई है, तब से 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं: PMमुझे आज इस बात का अफसोस है कि मेरे पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है।>बंगाल के 23 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं।लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को इतने लंबे समय से रोक रखा है:
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