#कुछ भी तो नहीं
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#Who_Is_AadiRamपरिश्रम से ही सब काम बनते हैं#बिना परिश्रम त�� कहीं भी कुछ नहीं प्राप्त हो सकता। जमा हुआ घी सीधी उंगली से कभी नहीं निकलता।
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DAY 6135
Jalsa, Mumbai Dec 6, 2024/Dec 7 Fri/Sat 12:32 pm
🪔 ,
December 07 .. birthday greetings to Ef Binay Kumar Pandey .. 🙏🏽❤️🚩
💐 .. wedding anniversary greetings to Ef Dr. Pratik Vora .. for their 11 years of togetherness .. blessings and happiness .. from the Ef Family .. 💐🙏🏽❤️🚩
the wonder of time and company .. and the inquisitiveness of the coming times ..
the desire and expectation of the audience as they assist in the process of encouragement .. they are .. so we are ..
and the DAY ends very late .. it can become so, when the episodes at work are 4 .. and the time limits and the compulsions are immense ..
the plodding and the protocol of professionalism ride ahead of all else and the mind and body though in retaliation and reversal , complies ..
कुछ बातें कह के मान लेनी चाहिएँ , कुछ बातें कह के कहने दो वाली होती हैं । सब की सब बातें होती हैं । वजह क्या है, ये जानना और मानना कठिन है । कठिन ही रहने दें ।
ख़ुद बातें बनाना जिनका कोई भी आधार नहीं, वो उनका व्यवसाय होता है । धन्दा मंदा पड़ जाये, तो कुछ ना कुछ हरकत बनानी पड़ती हैं, नहीं तो धन्दा ग़ायब । दयनीय दशा है उनकी । थूक कर चाटना । 'थूक कर चाटना' से क्या तात्पर्य ? जिस वस्तु या कार्य को बुरा कहकर छोड़ दिया था उसे ही स्वीकार कर लेना।।और निगल गये अपनी ही बनी बनायी बात को ।
😀😀
जी हाँ हुज़ूर मैं काम करता हूँ ;
मैं रात के दो बजे तक काम करता हूँ
पचता नहीं यदि आपको मेरा व्यवहार ,
न जानो गे तुम, मेरे जीवन का सार ⁉️
my gratitude ever that bear with me the exigencies of my work and time .. they give me their time too .. they are then supreme and valiant to bear .. they are the audience .. they shall ever be supreme ..
and this Ef family that breathes with me .. you give your strength , your time and energy .. and I survive ..
Love ..
Amitabh Bachchan
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वाणी:- गुरु बिनु काहु न पाया ज्ञाना। ज्यों थोथा भुस छड़े किसाना।। सरलार्थ:- गुरु जी के बिना किसी को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त नहीं होता। जो नकली गुरु से ज्ञान प्राप्त करके शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं या मनमुखी साधना स्वयं एक-दूसरे को देखकर करते हैं, वे तो ऐसा कर रहे हैं कि जैसे मूर्ख किसान थोथे भूस अर्थात् धान की पराल (भूसा) या सरसों का झोड़ा (भूसा) जिसमें से चावल या धान तथा सरसों निकल गयी हो और भूखा पड़ा हो, इस भूसे को कूट रहा हो या छिड़ रहा हो। वर्तमान में धान को पटक-पटककर धान तथा भूसा भिन्न-भिन्न करते हैं, परन्तु केवल भूस को छिड़ाने यानि कूटने से धान-सरसों प्राप्त नहीं होती। प्रयत्न मेहनत उतनी ही करता है जो व्यर्थ रहती है और कुछ हाथ नहीं लगता। ठीक उसी प्रकार पूर्ण गुरु से दीक्षा तथा ज्ञान प्राप्त किए बिना किया गया भक्ति कर्म उसी प्रकार व्यर्थ है जैसे भूसा छिड़ाने (कूटने) वाले को कुछ भी प्राप्ति नहीं होती।
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एक शादी शुदा स्त्री , जब किसी पुरूष से मिलती है ... उसे जाने अनजाने में अपना दोस्त बनाती है .... तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है .... और न ही वो उसका हो सकता है .... वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती .. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है .... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती ? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती ? जी नहीं .... !! वो समाज के नियमो को भी मानती है .... और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है ... मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है ... !! कुछ खट्टा ... कुछ मीठा .... आपस मे बांटना चाहती है .. जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है .वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है ... जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से ... थोडा हँसना चाहती है . खिलखिलाना चाहती हैं ... वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे ... सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे ... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है ... जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो ... कुछ पल बिताना चाहती है ... जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो , न राशन का जिक्र हो .... न EMI की कोई तारीख हो .... आज क्या बनाना है , ना इसकी कोई तैयारी हो .... बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है .... कभी उल्टी सीधी , बिना सर पैर की बाते ... तो कभी छोटी सी हंसी और कुछ पल की खुशी ... बस इतना ही तो चाहती है .... आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है .. .. जो जिम्मेदारी से मुक्त हो ... ,
एक सुहागन औरत की रणभूमि उसके सुहाग का बिस्तर होता है,
जहा वो हर जीत को भूल बस अपने यद्ध कला का भरपूर प्रदर्शन करती,🔥🔥🔥🔥
अपने यौवन के तीर को कामुकता भरे अंदाज में प्रहार करती है,🔥🔥🔥
अपने वस्त्रों को त्याग कर रणभूमि में निडर हो कर अपने कामवासनाओं के शास्त्रो के साथ रणभुमि में अपने यौवन 🥵का भार पुर जौहर दिखती है,💋
अपने तन के शास्त्रो को एक एक कर ऐसे प्रहार करती है कि रणभुमि भी उसके वीरता ��ी गवाही देने पर मजबूर हो जाती है,
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पति चाहे कितना भी ओपन माइंड हो लेकिन फिर भी औरत ग़ैर मर्द की बाहों में एकदम ओपन फ़ील करती है वाह उसे जज करने जैसी फ़ीलिंग नहीं आती…वो खुलके बोल सकती है की वो कितनी बड़ी चुद्दक्क*ड है और उसे ल*ड से कितना प्यार है.. ग़ैर मर्द के झटके खाते हुए वो उसे चिल्ला के कह सकती है की और ज़ोर से मारो जबकि यही बात पति से कहने में हिचकिचाती है क्यूँकि उसे डर होता है की ऐसा कहने से पति क्या सोचेगा या फिर चुद्दक्क*ड समझेगा तो डाउट करेगा..ये डर उसे ग़ैर मर्द के साथ नहीं होता बस यही कारण है की औरात की मन पसंद चुदा*ई अक्सर ग़ैर मर्द के साथ होती है.. इसपे अगर वो मर्द उसे अपनी पसंद का मिल जाए और उसे भी वो मर्द प्यार करता हो सच्चे दिल से तो फिर एक औरत के लिए इससे बड़कर कुछ नहीं.. लेकिन ऐसी ख़ुशक़िस्मत औरतें बहुत कम होती हैं।।
#delhi cpl#indian cpl#real cpl#sexy wives#shared wives#couple#mature wives#sharing wife#my wife#wife#house wife#wife fantasy#cam sex#body swap#sareelove
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एक 'Hi!' एक 'Hello!'
ऐसे ही तो बनते है दोस्त २
जब गिर जाऊ में तो पहले हंसकर फिर हाथ बढ़ाते हो
और जो रो जाऊ में तो चंद लफ्जों में मुस्कान ले आते हो
ना रुबरु मिलकर भी हमेशा एक साथ ��ा
यह जो नंबर हैं फोन में लागे कांधे पर हाथ सा
हर अनकही बात समझ जाना
हर खामोशी को बड़ी आसानी से पढ़ जाना
दोस्ती ही तो है जो अब तक है साथ हमारा
वरना यूं तो काफी आए, काफी गए पर यादों में सिर्फ एक नाम तुम्हारा
बचपन का वो फ्रेंडशिप बैंड तो नहीं
ना है लंचबॉक्स जो बाट ले तुमसे
पर जो न्योछावर करना हो कुछ तो
चाहेंगे हमारे हिस्से की खुशियों में भी एक भाग तुम्हारा
#so wrote this for an online friend but am too shy to send this to them cause oh well this sounds super cheesy and cringe aghh#also the bond is just not the same anymore#texts stopped a long time ago but at least ik kiddo is doing good so that's enough ig#writers on tumblr#writings#poetry#poets on tumblr#hindi shayari#spilled poetry#hindi poetry
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देखा जाए तो ये लाइफस्टाइल कपल्स और सिंगल्स के लिए तबतक अधूरा है जबतक कपल्स को उनके मनमुताबिक सिंगल्स या सिंगल्स को उनके मनमुताबिक कोई अच्छा कपल्स नहीं मिल जाता, अच्छा होने का मतलब सिर्फ ये नही है कि दोनो गुड लुकिंग और डिसेंट हो बल्कि अच्छा होने का मतलब की दोनो की सोच मैच करती हो, इस लाइफस्टाइल में जितनी भी फैंटसी है उनको एन्जॉय करने का तरीका और सोच मैच करता हो दोनो एक-दूसरे के साथ ऐसे कोम्फर्टेबल फील करे जैसे वो रियल लाइफस्टाइल में अपने दोस्तों के साथ करते है, वक़्त-बेवक्त कभी भी काल कर लेना घर आ जाना चाय डिनर या ड्रिंक के बहाने वाइफ को सिंगल को फोन करने में पति से परमिशन ना लेना पड़े ना सिंगल्स को वाइफ को कॉल करने के लिए सोचना पड़े, दोनों रात को फ्री रहे दोनो ड्रिंक करते हो अगर सिंगल का मन हुआ तो वो रात में भी फोन करके कहे चलिए लांगड्राइव पर घूम कर आते है और कपल्स कोई बहाना ना दे, मतलब कोई सा भी बहाना नहीं अगर पति फ्री नही तो वाइफ के साथ चला जाये मग़र जाए जरूर बाहर ड्रिंक करे एकाध बियर या फ़ूड स्ट्रीट पर कुछ खा ले गाड़ी में ही वाईफ के साथ हल्का फुल्का रोमेंस हो जाये फिर अपने अपने घर सिर्फ़ एक रात साथ में सो लिए सेक्स कर लिए वही फेंटसी नही होती एक अच्छे कपल्स और सिंगल्स रियल फेंटसी का मतलब अच्छे से समझते है वे जानते है कि सिर्फ सेक्स करने की रियल फेंटसी नही कहते बल्कि एक-दूसरे के साथ बिताया वक़्त एक दूसरे को छूना चूमना साथ मे हैंगऑयर करना बातें करना ये सारी बाते फेंटसी होती है ��ो गिने चुने कुछ ही लोग एन्जॉय कर पाते बहुतों को ये सारी बाते बकवास लगेंगी मग़र उनकी गलती नहीं है वे कभी चूत और लण्ड से ज्यादा सोच ही नही पाते ऐसे लोगों से रियल प्लेजर की क्या उम्मीद करना और ये क्या ही मजा देंगे आपको...खैर मैं भी ऐसे एक दो कपल्स से मिला हूँ पर बदकिस्मती से वे मेरे शहर के नही है मुझे आज भी तलाश है ऐसे ही एक कपल्स की जो मेरे अच्छे दोस्त बने और सेक्स से पहले बाकी चीजों को मेरे साथ एन्जॉय करे और सबसे बड़ी बात जो मेरे ही शहर के हो....आपका लक बहुत तगड़ा होना चाहिए तभी आपको ऐसे सिंगल्स और कपल्स मिलेंगे जो कि आपके ही शहर के होने चाहिए क्योंकि ये सारी फीलिंग्स दूर रहकर पॉसिबल नही....!!!!!
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लेनी होगी अब जुदाई...
जा रहे हो ?
~हाँ
जाना ज़रूरी है क्या ?
~दोबारा मिलने के लिए अभी जुदाई तो लेनी होगी ना
रह लोगे मेरे बिना ?
~मेरी हर सांस तुम्हारे नाम है, इस बदन का कतरा कतरा तुम्हें पुकारेगा , मेरे सीने में जो ये दिल है वो मेरा नहीं तुम्हारा है,तुम्हारी हर याद को अपने साथ लिये जा रहा हूँ, इन आँखों को अपने दिल में बसाये जा रहा हूँ , तुम मेरे ज़ेहन में हमेशा रहती हो, आँखों से ओझल हुई तो क्या?
कभी भूलना मत मुझे....
~इस दिल में खंजर की तरह रहती हो तुम, दिल में हो तो जान ले रही हो और अगर दिल से निकाल दिया तो जान भी निकल जाएगी , तुम्हें कैसे निकालूँ दिल से, प्राण भी चले जायेंगे
कभी खफा मत होना मुझसे, गुस्से में कुछ बोल भी दूं तो भी नहीं
~जब खता नहीं हुई तो ख़फ़ा क्यों होना ?
और अगर कभी खता हुई तो?
~तो तुम मुझे मना लेना
मान जाओगे ना ?
~हाँ मान जाऊँगा
अच्छा सुनो
~बोलिये
जा रहे हो ?
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हम कुछ समझने या समझाने के लिए नहीं लिखते हैं
हम कुछ समझ ना आने पर लिखते हैं
अगर हम भी समझदार होते तो समझ की चादर में लिपटे दुनियादारी निभा रहे होते
ना कि अपनी कलम की सियाही से चीख-चिल्ला रहे होते
#clearing my drafts#journalsofanaesthete#spilled journal#spilled thoughts#random thoughts#hindi kavita#hindiblr#hindi poem#spilled poem#poetsandwriters#हिंदी कविता#desi tag#indian tumblr#indian writers#desi side of tumblr#artists on tumblr#spilled words#writers and poets#desi tumblr#dishaa writes#desiblr
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Trigger Warning: Mental health, indications of suıcıde
Sept aa gaya aur pata bhi nahi chala, aaj teachers day hai aur pichla teacher's day mujhe bakhoobi yaad hai. yaar yeh samay bhi na kitni ajeeb cheez hai jitni upma se upma karu kam hai, kahu ki yeh samay inn ghirte- hatte baadlon ki tarah hai aur inn patton ke girne ki tarah hai aur iss toofan ke jaane ki tarah hai. yeh samay woh pighalti ice-cream ki tarah hai, woh signal badalne ki tarah hai, achaanak aane waali modoslaadhar baarish ki tarah hai aur aasmaan mai. ek indradhanush ki tarah hai toh bhi shayad kam hoga. Yeh saal kaise beeta pata hi nahinchala, yoon bhadrapad aa gaya aur keval kuch mahine hi bache hain yeh saal khatam hone main. yeh samay bhi na bohot kamaal hai. Pichle septmeber mujhe laga tha, ki shayad nahi ho paayega. Yeh zindagi, mujhse nahi ho paayegi, kyonki yaar mushkil hota hai, har din hospital jaana aur phir kaam, kaam aur hospital, lekin humne kiya. September guzra, ek ek din gine the humne ungliyon par zaroor, lekin kab december aa gaya pata hi nahi chala. Naye saal ki kuch zyada khushi nahi thi, bas yahi dua thi ki yeh sal khishiyaan laaye. January, fervary ek aisi hawa ka jhonka laaye jisse hum aaj tak waakif hi nahi the. Aur yeh hawa ka jhonka jis dhara se aaya tha humari zulfe udane ke liye, waise hi chala gaya, shayad kuch bikhri zulfe chhod gaya. Yeh saal guzar toh raha tha, lekin aisa lag raha tha ki hum sthir haim kuch badal nahi raha tha. Jitni bhi koshish kar lo yeh patthar hil hi nahi raha, yeh dhakkan khul hi nahi raha. Phir kya, socha aise rote hue raatein guzaarna thik nahi hai, yoon ghar main band rehna thik nahi hai, kuch toh galat hai. Madad li, shayad kuch behtar hua, shayad nahi. lekin inn sab ke beech, maine bohot yaadein banayi. Woh ek baarish, woh ek sunset, aur na jaane kitne saari hassi joh shayad nahi hoti agar maine zindagi ka haath chhod diya hota. Kuch din aise bhi the jinmein mujhe laga ki isse khush toh main nahi jo sakti, kuch raatein iss kadar thi ki mujhe laga ki mujhse dukhi koi nahi ho sakta. Ho sakta ho ki aapka samay itna achha na chal raha ho, lekin phir bhi, samay kaisa bhi ho, yeh chhoti chhoti khudhiyaan zaroor laata hain. September aa gaya aaj aur pata bhi nahi chala. Shayad, woh dhakkan thoda dheela ho gaya.
सितंबर आ गया और पता भी नहीं चला, आज टीचर्स दे है और इससे पिछला शिक्षक दिवस मुझे याद है। यार ये समय भी ना कितनी अजीब चीज़ है, जितनी उपमा से उपमा कम है, कहू की ये समय इन घिरते-हटते बादलों की तरह है और इन पत्तों के गिरने की तरह है और इस तूफ़ान के जाने की तरह है। ये समय वो पिगलती आइसक्रीम की तरह है, वो सिग्नल बदलने की तरह है, अचानक आने वाली मूसलाधार बारिश की तरह है और आसमान में एक इंद्रधनुष की तरह है तो शायद काम होगा। ये साल कैसे बीता पता ही नहीं, यूं भाद्रपद आ गया और केवल कुछ महीने ही बचे हैं ये साल खत्म होने में। ये समय भी ना बहुत कमाल है। पिछले सितंबर मुझे लगा था, शायद नहीं हो पाएगा। ये जिंदगी, मुझसे नहीं हो पाएगी, क्योंकि यार मुश्किल होता है, हर दिन हॉस्पिटल जाना और फिर काम, काम और हॉस्पिटल, लेकिन हमने किया। सितंबर गुजरा, एक एक दिन गिनें थे हमने उंगलियों पर जरूर, लेकिन दिसंबर कब आ गया पता ही नहीं चला। नए साल की कुछ ज्यादा खुशी नहीं थी, बस यहीं दुआ थी कि ये साल खुशियां लाए। जनवरी, फरवरी एक ऐसी हवा का झोंका लाए जिसे हम आज तक वाकिफ ही नहीं थे। और ये हवा का झोंका जिस धारा से आया था हमारी जुल्फे उड़ान के लिए, वैसे ही चला गया, शायद कुछ बिखरी जुल्फे छोड़ गया। ये साल गुजर तो रहा था, लेकिन ऐसा लग रहा था कि हम स्थिर हैं, कुछ बदल नहीं रहा था। जितनी भी कोशिश कर लो ये पत्थर हिल ही नहीं रहा, ये धक्कन खुल ही नहीं रहा। फिर क्या, सोचा ऐसे रोते हुए रातें गुज़ारना ठीक नहीं है, यूं घर में बंद रहना ठीक नहीं है, कुछ तो गलत है। मदद ली, शायद कुछ बेहतर हुआ, शायद नहीं। लेकिन इन सब के बीच, मैंने बहुत यादें बनाईं। वो एक बारिश, वो एक सनसैट, और ना जाने कितनी सारी हंसी जो शायद नहीं होती अगर मैंने जिंदगी का हाथ छोड़ दिया होता। कुछ दिन ऐसे भी थे जिनमें मुझे लगा कि मुझसे ज्यादा खुश कोई नहीं है, कुछ रातें इस कदर थी कि मुझे लगा कि मुझसे दुखी कोई नहीं हो सकता। हो सकता है कि आपका समय इतना अच्छा न चल रहा हो, लेकिन फिर भी, समय कैसा भी हो, ये छोटी-छोटी खुशियां जरूर लाता है। सितंबर आ गया आज और पता भी नहीं चला। शायद, वो धक्कन थोड़ा ढीला हो गया।
wrote this at 8:30 am, first thought in the morning. It's because I never thought I could make it to September. I'm glad. Life throws shit at you, but please remember to breathe, and it'll pass on. Sept-Dec patch was very rough for me, but it passed and I'm glad it did. This is your reminder that it'll pass.
#desi#desi teen#pyaar#poetry#love#shayari#desi love#desi aesthetic#being desi#desi tumblr#desiblr#spilled poetry#spilled feelings#spilled thoughts#spilled words#heartbreak era#ava writes#written by ava
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तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ पर
इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन
मुज़्दा-ए-इशरत-ए-अंजाम नहीं पा सकता
ज़िंदगी में कभी आराम नहीं पा सकता
- जौन एलिया
This nazm speaks to my soul
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती ��म्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, नि���शुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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तमन्ना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
ये मौसम भी बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
मुझे ग़म है कि मैं ने ज़िंदगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
ये दुनिया-भर के झगड़े घर के क़िस्से काम की बातें बला हर एक टल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
नहीं मिलते हो मुझ से तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे.
ज़माना मुझ से जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
~ जावेदअख्तर
#desiblr#desi tumblr#desi aesthetic#hindi poetry#poetry#Hindipoets#hindi cinema#ग़ज़ल#urdu literature#hindi literature
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वाणी:- कबीर, जान बूझ साची तजै, करैं झूठे से नेह। जाकि संगत हे प्रभु, स्वपन में भी ना देह।। सरलार्थ:- सूक्ष्मवेद में परमेश्वर कबीर जी की वाणी में भी कहा है कि शिष्य वही होता है जो गुरुजी को तथा उनके भक्ति ज्ञान को उत्तम मानकर दीक्षा लेता है। फिर लालच या अभिमानवश गुरु जी को त्यागकर चला आता है जहाँ उसको सम्मान मिलता है। जो कुछ दान कर देता है, नकली गुरु उसको विशेष सम्मान देते हैं। जिस कारण से वह मंदभागी व्यक्ति गुरु जी को त्यागकर झूठे गुरु तथा झूठे ज्ञान को स्वीकार कर लेता है। परमात्मा कबीर जी ने कहा है कि हे परमात्मा! ऐसे दुष्ट व्यक्ति के दर्शन जगत में तो बुरे होते ही हैं, परंतु स्वपन में भी दर्शन नहीं हों अर्थात् ऐसे व्यक्ति का संग स्वपन में भी न देना।
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आज भी मुझे याद है एक दिन तुमने बातों बातों में कहा था कि तुम्हें हिंदी बहोत पसंद है। तो में ये जन्मदिन की शुभेच्छा तुम्हें हिंदी में ही दूंगा।
उन्नीस साल पहले
तुम्हें पता हो न हो पर
अरबों सालों तक ब्रह्मांड में
सारे ग्रहों- आकाशगंगाओं के निर्माण के बाद
धरती पर भी जीवन के करोड़ों सालों के बाद
ईश्वर को ब्रह्मांड में कुछ कमी लगी
और इसलिए कुछ उन्नीस साल पहले उसने बनाया तुम्हें।
तवारीख का ये दिन हमेशा से मेरे लिए खास रहेगा क्योंकि इसी दिन भगवान ने अपनी सर्वोष्ट उत्कृष्टता का प्रयोग करके तुम्हें बनाया।
मेरी प्यारी प्यारी @siya-sayani के लिए
मेरी प्यारी प्यारी siyuuuuu तुम्हें पता है तुम सबसे अलग हो क्योंकि तुम असली हो। तुम निडर हो - तुम खुद को बाहर रखने से नहीं डरते। तुम एक खुली किताब होने से नहीं डरती। तुम दुनिया को यह दि��ाने से नहीं डरती कि तुम वास्तव में कौन हो। तुम अलग हो क्योंकि तुम मौलिक हो। तुम अलग हो, क्योंकि तुम अनूठे और प्रामाणिक हो। तुम अलग हो, क्योंकि तुम पागलपन को क्लास के साथ (that classy woman) और आत्मविश्वास को भेद्यता के साथ मिलाती हो। तुम अलग हो, क्योंकि तुम मज़ेदार हो। तुम अलग हो, क्योंकि तुम आज़ाद हो, तुम बेफिक्र हो, तुम प्रभावित नहीं हो किसी और से और तुम्हें दूसरो की राय की परवाह नहीं है। तुम अलग हो, क्योंकि तुम जो बन रही हो उससे तुम्हें प्यार है, तुम कई मायनों में अलग हो।
#मेरी प्यारी siyuuu के लिए✨️#she's my flower#siyuuu ka bday 🎂#shyam k mutuals#ufff#pyare mutual ki pyari baatein
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!! चार मोमबत्तियां !! Story of the Week
रात का समय था। चारों ओर पूरा अंधेरा छाया हुआ था। केवल एक ही कमरा प्रकाशित था। वहाँ चार मोमबत्तियाँ जल रही थी।
चारों मोमबत्तियाँ एकांत देख आपस में बातें करने लगी। पहली मोमबत्ती बोली, “मैं शांति हूँ, जब मैं इस दुनिया को देखती हूँ, तो बहुत दु:खी होती हूँ। चारों ओर आपा-धापी, लूट-खसोट और हिंसा का बोलबाला है। ऐसे में यहाँ रहना बहुत मुश्किल है। मैं अब यहाँ और नहीं रह सकती।” इतना कहकर मोमबत्ती बुझ गई।
दूसरी मोमबत्ती भी अपने मन की बात कहने लगी, “मैं विश्वास हूँ, मुझे लगता है कि झूठ, धोखा, फरेब, बेईमानी मेरा वजूद ख़त्म करते जा रहे हैं। ये जगह अब मेरे लायक नहीं रही। मैं भी जा रही हूँ।” इतना कहकर दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गई।
तीसरी मोमबत्ती भी दु:खी थी। वह बोली, “मैं प्रेम हूँ, मैं हर किसी के लिए हर पल जल सकती हूँ। लेकिन अब किसी के पास मेरे लिए वक़्त नहीं बचा। स्वार्थ और नफरत का भाव मेरा स्थान लेता जा रहा है। लोगों के मन में अपनों के प्रति भी प्रेम-भावना नहीं बची। अब ये सहना मेरे बस की बात नहीं। मेरे लिए जाना ही ठीक होगा।” कहकर तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गई।
तीसरी बत्ती बुझी ही थी कि कमरे में एक बालक ने प्रवेश किया। मोमबत्तियों को बुझा हुआ देख उसे बहुत दुःख हुआ। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। दु:खी मन से वो बोला, “इस तरह बीच में ही मेरे जीवन में अंधेरा कर कैसे जा सकती हो तुम। तुम्हें तो अंत तक पूरा जलना था। लेकिन तुमने मेरा साथ छोड़ दिया। अब मैं क्या करूंगा?”
बालक की बात सुन चौथी मोमबत्ती बोली, “घबराओ नहीं बालक, मैं आशा हूँ और मैं तुम्हारे साथ हूँ। जब तक मैं जल रही हूँ, तुम मेरी लौ से दूसरी मोमबत्तियों को जला सकते हो।”
चौथी मोमबत्ती की बात सुनकर बालक का ढांढस बंध गया। उसने आशा के साथ शांति, विश्वास और प्रेम को पुनः प्रकाशित कर लिया।
शिक्षा:- जीवन में समय ��क जैसा नहीं रहता। कभी उजाला रहता है, तो कभी अँधेरा। जब जीवन में अंधकार आये, मन अशांत हो जाये, विश्वास डगमगाने लगे और दुनिया पराई लगने लगे। तब आशा का दीपक जला लेना। जब तक आशा का दीपक जलता रहेगा, जीवन में कभी अँधेरा नहीं हो सकता। आशा के बल पर जीवन में सब कुछ पाया जा सकता है। इसलिए आशा का साथ कभी ना छोड़ें।
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