#कुछ भी तो नहीं
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mwsnewshindi · 2 years ago
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जबड़ा छोड़ने का सौदा! नथिंग फोन 1 की फ्लिपकार्ट पर कीमत में 33,999 रुपये से 6,500 रुपये तक की भारी कटौती; ऑफ़र जांचें
जबड़ा छोड़ने का सौदा! नथिंग फोन 1 की फ्लिपकार्ट पर कीमत में 33,999 रुपये से 6,500 रुपये तक की भारी कटौती; ऑफ़र जांचें
नई दिल्ली: बहुचर्चित नथिंग फोन (1) की कीमत में गिरावट आई है। ऑनलाइन रिटेलर फ्लिपकार्ट पर इस पर 1,500 रुपये का वन टाइम डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है। स्मार्टफोन, जिसकी शुरुआती कीमत 33,999 रुपये थी, फिलहाल फ्लिपकार्ट पर 27,499 रुपये में बिक रहा है। यदि आप कुछ भी नहीं फोन (1) प्राप्त करना चाहते हैं तो आप यहां एक बेहतर ऑफर पा सकते हैं। जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया था, नथिंग फोन (1) के 8GB + 128GB…
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subhashdagar123 · 7 months ago
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sakshiiiisingh · 2 years ago
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#मूर्ख कछुआ | The foolish tortoise#questkahaniya#story#quest#kahani#बलवान कछुए की मूर्खता#एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता#एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उ#यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहि#मुझे कवच की जरूरत नहीं है।#विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।#अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी#उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी#वह रोने लगा।#आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।#विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया। कम से कम कवच से जान तो बचती है।#मोरल –#प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।#Popular Stories#⦿ लालची शेर की कहानी : https://www.youtube.com/watch?v=ZlMYa...#⦿ एक चिड़िया ने गाँव मे लगी आग को कैसे भुझायी : https://www.youtube.com/watch?v=sb95O...#⦿ जीवन संघर्ष : https://www.youtube.com/watch?v=pNfdH...#Youtube
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satlokashram · 7 months ago
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वाणी:- गुरु बिनु काहु न पाया ज्ञाना। ज्यों थोथा भुस छड़े किसाना।। सरलार्थ:- गुरु जी के बिना किसी को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त नहीं होता। जो नकली गुरु से ज्ञान प्राप्त करके शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं या मनमुखी साधना स्वयं एक-दूसरे को देखकर करते हैं, वे तो ऐसा कर रहे हैं कि जैसे मूर्ख किसान थोथे भूस अर्थात् धान की पराल (भूसा) या सरसों का झोड़ा (भूसा) जिसमें से चावल या धान तथा सरसों निकल गयी हो और भूखा पड़ा हो, इस भूसे को कूट रहा हो या छिड़ रहा हो। वर्तमान में धान को पटक-पटककर धान तथा भूसा भिन्न-भिन्न करते हैं, परन्तु केवल भूस को छिड़ाने यानि कूटने से धान-सरसों प्राप्त नहीं होती। प्रयत्न मेहनत उतनी ही करता है जो व्यर्थ रहती है और कुछ हाथ नहीं लगता। ठीक उसी प्रकार पूर्ण गुरु से दीक्षा तथा ज्ञान प्राप्त किए बिना किया गया भक्ति कर्म उसी प्रकार व्यर्थ है जैसे भूसा छिड़ाने (कूटने) वाले को कुछ भी प्राप्ति नहीं होती।
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sonikasmeer · 5 months ago
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एक शादी शुदा स्त्री , जब किसी पुरूष से मिलती है ... उसे जाने अनजाने में अपना दोस्त बनाती है .... तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है .... और न ही वो उसका हो सकता है .... वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती .. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है .... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती ? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती ? जी नहीं .... !! वो समाज के नियमो को भी मानती है .... और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है ... मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है ... !! कुछ खट्टा ... कुछ मीठा .... आपस मे बांटना चाहती है .. जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है .वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है ... जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से ... थोडा हँसना चाहती है . खिलखिलाना चाहती हैं ... वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे ... सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे ... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है ... जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो ... कुछ पल बिताना चाहती है ... जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो , न राशन का जिक्र हो .... न EMI की कोई तारीख हो .... आज क्या बनाना है , ना इसकी कोई तैयारी हो .... बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है .... कभी उल्टी सीधी , बिना सर पैर की बाते ... तो कभी छोटी सी हंसी और कुछ पल की खुशी ... बस इतना ही तो चाहती है .... आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है .. .. जो जिम्मेदारी से मुक्त हो ... ,
एक सुहागन औरत की रणभूमि उसके सुहाग का बिस्तर होता है,
जहा वो हर जीत को भूल बस अपने यद्ध कला का भरपूर प्रदर्शन करती,🔥🔥🔥🔥
अपने यौवन के तीर को कामुकता भरे अंदाज में प्रहार करती है,🔥🔥🔥
अपने वस्त्रों को त्याग कर रणभूमि में निडर हो कर अपने कामवासनाओं के शास्त्रो के साथ रणभुमि में अपने यौवन 🥵का भार पुर जौहर दिखती है,💋
अपने तन के शास्त्रो को एक एक कर ऐसे प्रहार करती है कि रणभुमि भी उसके वीरता की गवाही देने पर मजबूर हो जाती है,
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rajpujarajasthan · 2 months ago
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पति चाहे कितना भी ओपन माइंड हो लेकिन फिर भी औरत ग़ैर मर्द की बाहों में एकदम ओपन फ़ील करती है वाह उसे जज करने जैसी फ़ीलिंग नहीं आती…वो खुलके बोल सकती है की वो कितनी बड़ी चुद्दक्क*ड है और उसे ल*ड से कितना प्यार है.. ग़ैर मर्द के झटके खाते हुए वो उसे चिल्ला के कह सकती है की और ज़ोर से मारो जबकि यही बात पति से कहने में हिचकिचाती है क्यूँकि उसे डर होता है की ऐसा कहने से पति क्या सोचेगा या फिर चुद्दक्क*ड समझेगा तो डाउट करेगा..ये डर उसे ग़ैर मर्द के साथ नहीं होता बस यही कारण है की औरात की मन पसंद चुदा*ई अक्सर ग़ैर मर्द के साथ होती है.. इसपे अगर वो मर्द उसे अपनी पसंद का मिल जाए और उसे भी वो मर्द प्यार करता हो सच्चे दिल से तो फिर एक औरत के लिए इससे बड़कर कुछ नहीं.. लेकिन ऐसी ख़ुशक़िस्मत औरतें बहुत कम होती हैं।।
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stainedpoetry · 7 months ago
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हम कुछ समझने या समझाने के लिए नहीं लिखते हैं
हम कुछ समझ ना आने पर लिखते हैं
अगर हम भी समझदार होते तो समझ की चादर में लिपटे दुनियादारी निभा रहे होते
ना कि अपनी कलम की सियाही से चीख-चिल्ला रहे होते
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hi-avathisside · 2 months ago
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Trigger Warning: Mental health, indications of suıcıde
Sept aa gaya aur pata bhi nahi chala, aaj teachers day hai aur pichla teacher's day mujhe bakhoobi yaad hai. yaar yeh samay bhi na kitni ajeeb cheez hai jitni upma se upma karu kam hai, kahu ki yeh samay inn ghirte- hatte baadlon ki tarah hai aur inn patton ke girne ki tarah hai aur iss toofan ke jaane ki tarah hai. yeh samay woh pighalti ice-cream ki tarah hai, woh signal badalne ki tarah hai, achaanak aane waali modoslaadhar baarish ki tarah hai aur aasmaan mai. ek indradhanush ki tarah hai toh bhi shayad kam hoga. Yeh saal kaise beeta pata hi nahinchala, yoon bhadrapad aa gaya aur keval kuch mahine hi bache hain yeh saal khatam hone main. yeh samay bhi na bohot kamaal hai. Pichle septmeber mujhe laga tha, ki shayad nahi ho paayega. Yeh zindagi, mujhse nahi ho paayegi, kyonki yaar mushkil hota hai, har din hospital jaana aur phir kaam, kaam aur hospital, lekin humne kiya. September guzra, ek ek din gine the humne ungliyon par zaroor, lekin kab december aa gaya pata hi nahi chala. Naye saal ki kuch zyada khushi nahi thi, bas yahi dua thi ki yeh sal khishiyaan laaye. January, fervary ek aisi hawa ka jhonka laaye jisse hum aaj tak waakif hi nahi the. Aur yeh hawa ka jhonka jis dhara se aaya tha humari zulfe udane ke liye, waise hi chala gaya, shayad kuch bikhri zulfe chhod gaya. Yeh saal guzar toh raha tha, lekin aisa lag raha tha ki hum sthir haim kuch badal nahi raha tha. Jitni bhi koshish kar lo yeh patthar hil hi nahi raha, yeh dhakkan khul hi nahi raha. Phir kya, socha aise rote hue raatein guzaarna thik nahi hai, yoon ghar main band rehna thik nahi hai, kuch toh galat hai. Madad li, shayad kuch behtar hua, shayad nahi. lekin inn sab ke beech, maine bohot yaadein banayi. Woh ek baarish, woh ek sunset, aur na jaane kitne saari hassi joh shayad nahi hoti agar maine zindagi ka haath chhod diya hota. Kuch din aise bhi the jinmein mujhe laga ki isse khush toh main nahi jo sakti, kuch raatein iss kadar thi ki mujhe laga ki mujhse dukhi koi nahi ho sakta. Ho sakta ho ki aapka samay itna achha na chal raha ho, lekin phir bhi, samay kaisa bhi ho, yeh chhoti chhoti khudhiyaan zaroor laata hain. September aa gaya aaj aur pata bhi nahi chala. Shayad, woh dhakkan thoda dheela ho gaya.
सितंबर आ गया और पता भी नहीं चला, आज टीचर्स दे है और इससे पिछला शिक्षक दिवस मुझे याद है। यार ये समय भी ना कितनी अजीब चीज़ है, जितनी उपमा से उपमा कम है, कहू की ये समय इन घिरते-हटते बादलों की तरह है और इन पत्तों के गिरने की तरह है और इस तूफ़ान के जाने की तरह है। ये समय वो पिगलती आइसक्रीम की तरह है, वो सिग्नल बदलने की तरह है, अचानक आने वाली मूसलाधार बारिश की तरह है और आसमान में एक इंद्रधनुष की तरह है तो शायद काम होगा। ये साल कैसे बीता पता ही नहीं, यूं भाद्रपद आ गया और केवल कुछ महीने ही बचे हैं ये साल खत्म होने में। ये समय भी ना बहुत कमाल है। पिछले सितंबर मुझे लगा था, शायद नहीं हो पाएगा। ये जिंदगी, मुझसे नहीं हो पाएगी, क्योंकि यार मुश्किल होता है, हर दिन हॉस्पिटल जाना और फिर काम, काम और हॉस्पिटल, लेकिन हमने किया। सितंबर गुजरा, एक एक दिन गिनें थे हमने उंगलियों पर जरूर, लेकिन दिसंबर कब आ गया पता ही नहीं चला। नए साल की कुछ ज्यादा खुशी नहीं थी, बस यहीं दुआ थी कि ये साल खुशियां लाए। जनवरी, फरवरी एक ऐसी हवा का झोंका लाए जिसे हम आज तक वाकिफ ही नहीं थे। और ये हवा का झोंका जिस धारा से आया था हमारी जुल्फे उड़ान के लिए, वैसे ही चला गया, शायद कुछ बिखरी जुल्फे छोड़ गया। ये साल गुजर तो रहा था, लेकिन ऐसा लग रहा था कि हम स्थिर हैं, कुछ बदल नहीं रहा था। जितनी भी कोशिश कर लो ये पत्थर हिल ही नहीं रहा, ये धक्कन खुल ही नहीं रहा। फिर क्या, सोचा ऐसे रोते हुए रातें गुज़ारना ठीक नहीं है, यूं घर में बंद रहना ठीक नहीं है, कुछ तो गलत है। मदद ली, शायद कुछ बेहतर हुआ, शायद नहीं। लेकिन इन सब के बीच, मैंने बहुत यादें बनाईं। वो एक बारिश, वो एक सनसैट, और ना जाने कितनी सारी हंसी जो शायद नहीं होती अगर मैंने जिंदगी का हाथ छोड़ दिया होता। कुछ दिन ऐसे भी थे जिनमें मुझे लगा कि मुझसे ज्यादा खुश कोई ��हीं है, कुछ रातें इस कदर थी कि मुझे लगा कि मुझसे दुखी कोई नहीं हो सकता। हो सकता है कि आपका समय इतना अच्छा न चल रहा हो, लेकिन फिर भी, समय कैसा भी हो, ये छोटी-छोटी खुशियां जरूर लाता है। सितंबर आ गया आज और पता भी नहीं चला। शायद, वो धक्कन थोड़ा ढीला हो गया।
wrote this at 8:30 am, first thought in the morning. It's because I never thought I could make it to September. I'm glad. Life throws shit at you, but please remember to breathe, and it'll pass on. Sept-Dec patch was very rough for me, but it passed and I'm glad it did. This is your reminder that it'll pass.
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misti31 · 5 months ago
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तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ पर
इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन
मुज़्दा-ए-इशरत-ए-अंजाम नहीं पा सकता
ज़िंदगी में कभी आराम नहीं पा सकता
- जौन एलिया
This nazm speaks to my soul
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cybergardenturtle · 1 year ago
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार ��रवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगे��� इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर क�� अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
#trending
#viralpost
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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chand-ki-priyatama · 4 months ago
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आखिर चाहिए क्या तुम्हें ?
यूं तो तुम्हारा सवेरा , तुम्हारी शाम चाहिए
हर वक्त तुम्हारा साथ चाहिए, तुम्हारी मुस्कान चाहिए
परंतु सिर्फ मुस्कान नहीं उसके पीछे छुपा गम भी चाहिए
यूं तो तुम्हारे आंसू और तुम्हारे गम चाहिए
बस तुम्हारे दिल मे घर बनाने का ख्वाब है
और तुम्हारे घर की लक्ष्मी बनने का रबाब
रोज़ सुबह तुम्हारा चेहरा और शाम में तुम्हारी बाहें
सुबह तुम्हारी बातें और शाम में तुम्हारी आहें
ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए
बस तुम्हारे दिल में जगह चाहती हूँ
जब मैं थक कर आउ तो तुम्हारा साथ
और मेरे सर पर तुम्हारा हाथ चाहिए
बारिश में तुम्हारे लिए चाय बनाना चाहती हूँ
तुम्हारी किताबों की अलमारी मे अपनी किताबें
और तुम्हारे बटुए मे अपनी तसवीर सजाना चाहती हूँ
तुम्हें कहानियाँ सुनाना चाहती हूँ
तुम्हारे लिए कविताएँ लिखना चाहती हूँ
तुम्हें गाना सुनाना चाहती हूँ
तुम रूठो तो तुम्हें मनाना चाहती हूँ
तुम्हें तहे दिल से चाहना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ एक कल का ख्वाब सजाना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ घर बसाना चाहती हूँ
ज़्यादा कुछ नहीं
बस , तुम्हें अपना बनाना चाहती हूँ .... ~K.Y 💗
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natkhat-sa-shyam · 4 months ago
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आज भी मुझे याद है एक दिन तुमने बातों बातों में कहा था कि तुम्हें हिंदी बहोत पसंद है। तो में ये जन्मदिन की शुभेच्छा तुम्हें हिंदी में ही दूंगा।
उन्नीस साल पहले
तुम्हें पता हो न हो पर
अरबों सालों तक ब्रह्मांड में
सारे ग्रहों- आकाशगंगाओं के निर्माण के बाद
धरती पर भी जीवन के करोड़ों सालों के बाद
ईश्वर को ब्रह्मांड में कुछ कमी लगी
और इसलिए कुछ उन्नीस साल पहले उसने बनाया तुम्हें।
तवारीख का ये दिन हमेशा से मेरे लिए खास रहेगा क्योंकि इसी दिन भगवान ने अपनी सर्वो��्ट उत्कृष्टता का प्रयोग करके तुम्हें बनाया।
मेरी प्यारी प्यारी @siya-sayani के लिए
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मेरी प्यारी प्यारी siyuuuuu तुम्हें पता है तुम सबसे अलग हो क्योंकि तुम असली हो। तुम निडर हो - तुम खुद को बाहर रखने से न��ीं डरते। तुम एक खुली किताब होने से नहीं डरती। तुम दुनिया को यह दिखाने से नहीं डरती कि तुम वास्तव में कौन हो। तुम अलग हो क्योंकि तुम मौलिक हो। तुम अलग हो, क्योंकि तुम अनूठे और प्रामाणिक हो। तुम अलग हो, क्योंकि तुम पागलपन को क्लास के साथ (that classy woman) और आत्मविश्वास को भेद्यता के साथ मिलाती हो। तुम अलग हो, क्योंकि तुम मज़ेदार हो। तुम अलग हो, क्योंकि तुम आज़ाद हो, तुम बेफिक्र हो, तुम प्रभावित नहीं हो किसी और से और तुम्हें दूसरो की राय की परवाह नहीं है। तुम अलग हो, क्योंकि तुम जो बन रही हो उससे तुम्हें प्यार है, तुम कई मायनों में अलग हो।
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sakshiiiisingh · 2 years ago
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#रावण के 5 उपदेश || 5 teachings of Ravana#questbhakti#ravan#ravandahan#best#ramayan#kahani#रावण ने मरने से पहले भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण को कुछ उपदेश दिए थे#जो आज के समय में भी लोगों के लिए सफलता की कुंजी है।#तो रावण जिस समय मरणासन्न अवस्था में था#तब भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि इस संसार से नीति#राजनीति और शक्ति का महान पंडित विदा ले रहा है#तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता।#ऐसी और भी मजेदार कहानिओ के जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें हमारे चैनल Quest भक्ति को#Ravana had given some teachings to Lord Rama's younger brother Lakshmana before he died#which is the key to success for people even in today's time.#So when Ravana was dying#Lord Rama said to Laxman that the great scholar of policy#politics and power is leaving this world#you should go to him and take some life lessons from him that no one else can. Can give#The channel on a Bhakti karma of spirituality and Peace. Dedicate yourself to spread god love.#Quest - Bhakti हिंदी being the motivational top Bhakti Music Channel. Quest - Bhakti हिंदी is dedicated to bring an experience of Divine s#Ishta Devata-Bhakti#Guru-Bhakti#all gods#satsang and many more#The channel on a Bhakti karma of spirituality and Peace. Dedicate yourself to spread god love with Quest - Bhakti हिंदी.#The source of spirituality and peace through Bhakti karma.#Ensure that you spread the love of God#The most inspirational Bhakti music channel is Quest-Bhakti.
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satlokashram · 4 months ago
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वाणी:- कबीर, जान बूझ साची तजै, करैं झूठे से नेह। जाकि संगत हे प्रभु, स्वपन में भी ना देह।। सरलार्थ:- सूक्ष्मवेद में परमेश्वर कबीर जी की वाणी में भी कहा है कि शिष्य वही होता है जो गुरुजी को तथा उनके भक्ति ज्ञान को उत्तम मानकर दीक्षा लेता है। फिर लालच या अभिमानवश गुरु जी को त्यागकर चला आता है जहाँ उसको सम्मान मिलता है। जो कुछ दान कर देता है, नकली गुरु उसको विशेष सम्मान देते हैं। जिस कारण से वह मंदभागी व्यक्ति गुरु जी को त्यागकर झूठे गुरु तथा झूठे ज्ञान को स्वीकार कर लेता है। परमात्मा कबीर जी ने कहा है कि हे परमात्मा! ऐसे दुष्ट व्यक्ति के दर्शन जगत में तो बुरे होते ही हैं, परंतु स्वपन में भी दर्शन नहीं हों अर्थात् ऐसे व्यक्ति का संग स्वपन में भी न देना।
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oyeevarnika · 4 months ago
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तमन्ना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
ये मौसम भी बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
मुझे ग़म है कि मैं ने ज़िंदगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
ये दुनिया-भर के झगड़े घर के क़िस्से काम की बातें बला हर एक टल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
नहीं मिलते हो मुझ से तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे.
ज़माना मुझ से जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
~ जावेदअख्तर
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sonikasmeer · 6 months ago
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सम्भोग जीवन का सत्य हैं ?
एक औरत कितनी प्यासी कितनी कामवासनाओं से भरी है एक औरत अपने मन के अश्लील और कामुक विचार को
सिर्फ बिस्तर पर किसी मर्द की बाहों में लिपट कर अपनी अदाओं से व्यक्त करती है
जो मर्द उसकी इन अदाओ को समझ जाता है सिर्फ वही मर्द चरमसुख ��ाने का हकदार होता हैं
तुम कामुक लगती सुंदर सी यौवन आकर्षण करते हैं कामुक सी कोई हूर लगे देखें तो जलते रहते हैं
मेरी इतनी सी कसक मेरे पावन मन में अभी बाकी है मुझे सपने आते रातों में संभोग को तडपते हैं
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता हैं रोता है दिल जब वो पास नहीं होताहै
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता हैं
वासना उम्र नही देखती,चेहरा बता देता है प्यास कितनी है
वैसे बड़ी उम्र की स्त्र��यां उनका शरीर बहुत चंचल और कामुक होती है
बड़ी उम्र की औरते छोटी उम्र के मर्दों को आनंद देना और लेना दोनो जानती है
भरा हुआ बदन बता देता है कि इमारत अभी मजबूत है
यह जिस्म लगे सुलगे शोला चिंगारी किसने भडकाई बस सहलाने की आदत है ठंडी चलती जब पुरवाई
हर तरफ़ फिजाओं में महके खुशबू गोरे गोरे तन की गली सडक बाजारें और जन मानस भी महकते हैंबहुत खूबसूरत है तेरे इन्तजार का आलम बेकरार सी आँखों में इश्क बेहिसाब लिए बैठे है
महिलाएं संभोग के दौरान उन पुरुषों को पंसद नही करती है जो पुरुष उन्की तुलना
किसी दूसरी महिलाओं से करते है महिलाएं सिर्फ अपनी तारीफ करने वाले को पंसद करती है
जंग में कागज़ी अफ़रात से क्या होता है हिम्मतें लड़ती हैं तादाद से क्या होता है
आपके होठों को चूमने का आदमी करता है आ��के साथ जिंदगी जीने का मन करता है
आपके जैसा हजारो होंगे इस दुनिया में लेकिन रात आपके साथ गुज़रने का मन करता है
प्यार की परीक्षा कहाँ होती है खुशी एक छोटा सा स्पर्श है!
कुछ पल तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ बाकी बल कहा किया गया है ...
क्या आपको किसी से बेइंतहा प्यार है इनमें से थोड़ा सा बाजार में बिक जाता है!
भले ही आप दे सकते हैं और अगर आप दे नहीं सकते तो भी मुझे जो एहसास है,
क्या मैं अपने सामने पैदा हो सकता हूँ मेरे पास खुशी नहीं है अब मेरे पास कोई है,
पहले जैसा प्यार अब कहा किया जाता है सुख हो या दुख हाथ से छू रहा है
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