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todaypostlive · 1 year ago
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Palamu: कुख्यात आपराधिक सरगना अमन साहू एक बार फिर पलामू सेंट्रल जेल में किया गया शिफ्ट
Palamu:  कुख्यात आपराधिक गिरोह का सरगना अमन साहू को केन्द्रीय कारा मेदिनीनगर में शिफ्ट किया गया है। बुधवार की शाम उसे चाईबासा से यहां लाया गया। कारा अधीक्षक जितेन्द्र कुमार ने इसकी पुष्टि की है। अमन साहू को लाने से पहले उसे रखने के लिए विशेष निगरानी में एक प्रकोष्ठ (सेल) को रिक्त करा लिया गया था। यह सीसीटीवी कैमरे के दायरे में होगा। इसकी हरकत पर मानवीय एवं यांत्रिक नजर रखी जाएगी। 50 से अधिक…
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rebel-bulletin · 2 years ago
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कुख्यात बदमाश को तीन जिलों से किया गया तडीपार
गोंदिया : हत्या, हत्या का प्रयास, छेड़छाड़, बलात्कार, चोरी, अवैध शराब बिक्री करने वाले आरोपी को उपविभागीय अधिकारी पर्वणी पाटिल ने 19 मई को आदेश जारी कर तीन महीने के लिए गोंदिया, भंडारा एवं बालाघाट जिले से तडीपार कर दिया है. Notorious crook was trafficked from three districts रामनगर थाना अंतर्गत ग्राम कुड़वा के वार्ड क्रमांक-3 निवासी कुख्यात अपराधी संदेश मधुकर खोब्रागड़े के खिलाफ हत्या, हत्या के…
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nikhil27110 · 2 years ago
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Untold fact
नीली जीन्स- उत्तरी कोरिया (North Korea) अपनी तानाशाही सत्ता के लिए तो कुख��यात है. यहां कई ऐसे नियम हैं जो बेहद अजीबोगरीब हैं. ऐसा ही एक नियम, या यूं कहें कि एक प्रतिबंध चर्चा में रहता है. उत्तर कोरिया में नीली जीन्स (Blue Jeans ban North Korea) पहनने पर बैन लगा है. नीली जीन्स को अमेरिकी धनदौलत और कल्चर से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए इसपर प्रतिबंध लगा है. कुत्तों के मालिक- इटली के रोम (Rome, Italy) में अगर आप कुत्तों का ध्यान नहीं रख सकते, तो आपको उनके मालिक बनने का हक नहीं है. खराब डॉग ओनर होने पर यहां प्रतिबंध लगा हुआ है. कुत्तों को रोज बाहर टहलाना, उनकी अच्छे से देखभाल करना यहां का कानून है. ऐसा ना करने पर लोगों के ऊपर 57 हजार रुपये तक का फाइन लगा दिया जाता है. (
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easyhindiblogs · 2 years ago
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Shaheed Diwas 2023: 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए
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Shaheed Diwas : 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी थी
हर साल 23 मार्च को भारत शहादत दिवस मनाया जाता है।  भारत के तीन वीर सपूतों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे । ये तीनों ही युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है।  भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु भारत की आजादी के लिए अपनी जान देने वाले क्रांतिकारियों में से एक थे। 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु नाम के तीन युवकों को ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी। वह 23 वर्ष के थे। इसलिए ,शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में, भारत सरकार ने 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में घोषित किया। लेकिन क्या आपको पता है कि इन तीनों शहीदों की मौत भी अंग्रेजी हुकूमत की एक साजिश थी? भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव सभी को 24 मार्च को फाँसी देनी तय  हुई थी, लेकिन अंग्रेजों ने एक दिन पहले 23 मार्च को भारत के तीनों वीर पुत्रो  को फांसी पर लटका दिया। आखिर इसकी वजह क्या थी? आखिर भगत सिंह और उनके साथियों ने ऐसा क्या अपराध किया था कि उन्हें फांसी की सजा दी गई। भगत सिंह की पुण्यतिथि पर जानिए उनके जीवन के बारे में कई दिलचस्प बातें।
देश की आजादी के लिए सेंट्रल असेंबली में बम फेंका गया।
8 अप्रैल, 1929 को दो क्रांतिकारियों, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका और ‘साइमन गो बैक’ नारे में भी संदर्भित किया गया था। जहां कुख्यात आयोग के प्रमुख सर जॉन साइमन मौजूद थे। साइमन कमीशन को भारत  में व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा था। बम फेंकने के बाद दोनों ने भागने की कोशिश नहीं की और सभा में पर्चे फेंक कर आजादी के नारे लगाते रहे और अपनी गिरफ्तारी दी। जो पर्चे गिराए उनमें पहला शब्द “नोटिस” था। उसके बाद उनमें पहला वाक्य फ्रेंच शहीद अगस्त वैलां का था। लेकिन दोनों क्रांतिकारियों द्वारा दिया गया प्रमुख नारा ‘’इंकलाब जिंदाबाद’’ था । इस दौरान उन्हें करीब दो साल की सजा हुई।
करीब दो साल की मिली कैद
भगत सिंह करीब दो साल तक जेल में रहे। उन्होंने बहुत सारे क्रांतिकारी लेख लिखे, जिनमें से कुछ ब्रिटिश लोगों के बारे में थे, और अन्य पूंजीपतियों के बारे में थे। जिन्हें वह अपना और देश का दुश्मन मानते थे।  उन्होंने कहा कि श्रमिकों का शोषण करने वाला कोई भी व्यक्ति उनका दुश्मन है, चाहे वह व्यक्ति भारतीय ही क्यों न हो।
जेल में भी जारी रखा विरोध
भगत सिंह बहुत बुद्धिमान थे और कई भाषाएँ जानते थे। वह हिंदी, पंजाबी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी आती जानते थे । उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से बंगाली भी सीखी थी। भगत सिंह अक्सर अपने लेखों में भारतीय समाज में लिपि, जाति और धर्म के कारण आई लोगों के बीच की दूरी के बारे में चिंता और दुख व्यक्त करते थे।
राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव की फांसी की तारीख तय की गई
दो साल तक कैद में रहने के बाद, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च, 1931 को फाँसी दी जानी थी। हालाँकि, उनकी फाँसी की ख़बर से देश में बहुत हंगामा हुआ और ब्रिटिश सरकार प्रतिक्रिया से डर गई। वह तीनों सपूतों की फांसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। भारतीयों का आक्रोश और विरोध देख अंग्रेज सरकार डर गई थी।
डर गई अंग्रेज सरकार
ब्रिटिश सरकार को इस बात की चिंता थी कि भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु की फाँसी के दिन भारतीयों का गुस्सा उबलने की स्थिति में पहुँच जाएगा, और स्थिति और भी बदतर हो सकती है। इसलिए, उन्होंने उसकी फांसी की तारीख और समय को बदलने का फैसला किया।
तय समय से पहले दी भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी
ब्रिटिश सरकार ने जनता के विरोध को देखते हुए 24 मार्च जो फांसी का दिन था उसे 11  घंटे पहले 23 मार्च का दिन कर दिया। इसका पता भगत सिंह को नहीं था। 22 मार्च की रात सभी कैदी मैदान में बैठे थे। तभी वार्डन चरत सिंह आए और बंदियों को अपनी-अपनी कोठरियों में जाने को कहा।  कुछ ही समय बाद नाई बरकत की बात कैदियों के कानों में पड़ी  कि उस रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।
23 मार्च 1931 को शाम 7.30 बजे फांसी दे दी जायगी । कहते है कि जब भगत सिंह  से उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन (Reminiscences of Leni) की जीवनी पढ़ रहे थे और उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए। लेकिन जेल के अधिकारियों ने चलने को कहा तो उन्होंने किताब को हवा में उछाला और कहा – ’’ठीक है अब चलो।’’
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 7 बजकर 33 मिनट पर 23 मार्च 1931 को शाम में  लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव एक दूसरे से मिले और उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामे आजादी का गीत गाया।
”मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे। मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग इे बसन्ती चोला।।’’
साथ ही ’इंक़लाब ज़िन्दाबाद’ और ’हिंदुस्तान आजाद हो’ का नारा लगये ।
उनके नारे सुनते ही जेल के कैदी भी इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। कहा जाता है कि फांसी का फंदा पुराना था लेकिन जिसे फांसी दी गई वह काफी तंदुरुस्त था। मसीद जलाद को फाँसी के लिए लाहौर के पास शाहदरा से बुलाया गया था।  भगतसिंह बीच में खङे थे और अगल-बगल में राजगुरु और सुखदेव खङे थे। जब मसीद जल्लाद ने पूछा कि, ’सबसे पहले कौन जाएगा?’
तब सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकाने की सहमति दी। मसीद जल्लाद ने सावधानी से एक-एक करके रस्सियों को खींचा और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मारकर हटा दिया। लगभग 1 घंटे तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे, उसके बाद उन्हें नीचे उतारा गया और लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट एनएस सोढ़ी द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
तीन क्रांतिकारियों, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अंतिम संस्कार
ब्रिटिश सरकार की योजना थी इन सबका अंतिम दाह संस्कार जेल में करने की योजना बनाई थी। हालांकि, अधिकारियों को चिंता हुई कि अगर जेल से दाह संस्कार की प्रक्रिया से निकलने वाले धुएं को देखा तो जनता नाराज हो जाएगी। इसलिए, उन्होंने जेल की दीवार को तोड़ने और कैदियों के शवों को जेल के बाहर ट्रकों पर फेंकने का फैसला किया।
इससे पहले ब्रिटिश सरकार ने तय किया था कि भगत सिंह राजगुरु सुखदेव का अंतिम संस्कार रावी नदी के तट पर किया जाएगा, लेकिन उस समय रावी में पानी नहीं था। इसलिए उनके शव को फिरोजपुर के पास सतलुज नदी के किनारे लाया गया। उनके शवों को आग लगाई गई। इसके बारे में जब आस-पास के गाँव के लोगों को पता चल गया, तब ब्रिटिश सैनिक शवों को वहीं छोङकर भाग गये। कहा जाता है कि सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया था।
अगले दिन जब तीनों क्रांतिकारियों की मौत की खबर फैली तो उनके सम्मान में तीन मील लंबा जुलूस निकाला था। इसको लेकर लोगों ने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया ।
फांसी से पहले भगत सिंह ने अपने साथियों को एक पत्र लिखा था।
साथियों,
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ कि मैं कैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता।
मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊँचा उठा दिया है- इतना ऊँचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊँचा मैं हर्गिज नहीं हो सकता। आज मेरी कमजोरियाँ जनता के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया ��ो वे जाहिर हो जाएँगी और क्रांति का प्रतीक चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए।
लेकिन दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते मेरे फाँसी चढ़ने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगतसिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी।
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sharpbharat · 2 hours ago
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Jamshedpur accident - कदमा मरीन ड्राइव में डिवाइडर से टकराई कार, कुख्यात अपराधी रोहित मिश्रा की मौत, साथी गंभीर
जमशेदपुर:  रविवार देर रात जमशेदपुर के कदमा थाना अंतर्गत मरीन ड्राइव के समीप हुए सड़क हादसे में कुख्यात अपराधी रोहित मिश्रा की मौके पर ही मौत हो गयी, जबकि उसका एक अन्य साथी भोलटू गंभीर रूप से घायल हुआ है. उसका इलाज टाटा मुख्य अस्पताल में चल रहा है. घटना देर रात करीब 1:30 बजे के आसपास की बताई जा रही है. मिली जानकारी के अनुसार रविवार देर रात लगभग 1:30 के आसपास रोहित अपने स्विफ्ट कार से जमशेदपुर की…
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praysure · 1 day ago
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कुख्यात रेडलाइट एरिया में बड़ी कार्रवाई: पुलिस ने 11 लड़कियों को मुक्त कराया, 32 गिरफ्तार
कुख्यात रेडलाइट एरिया में बड़ी कार्रवाई: पुलिस ने 11 लड़कियों को मुक्त कराया, 32 गिरफ्तार—मुख्य सरगना कार में युवतियों के साथ पकड़ा गया!
पूर्णिया के कुख्यात रेडलाइट एरिया में बड़ी कार्रवाई: पुलिस ने 11 लड़कियों को मुक्त कराया, 32 गिरफ्तार—मुख्य सरगना कार में युवतियों के साथ पकड़ा गया! (Agency Input) पूर्णिया के कटिहार मोड़ स्थित कुख्यात रेडलाइट एरिया में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 युवतियों को देह व्यापार के दलदल से मुक्त कराया और 32 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक, इस गिरोह का संचालन ऋषभ साह और राजीव साह नामक…
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rightnewshindi · 2 days ago
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शिमला पुलिस को नशे के खिलाफ मिली बड़ी सफलता, जनवरी महीने में पकड़े 85 तस्कर; कुल 46 मामले दर्ज
#News शिमला पुलिस को नशे के खिलाफ मिली बड़ी सफलता, जनवरी महीने में पकड़े 85 तस्कर; कुल 46 मामले दर्ज
Shimla News: शिमला पुलिस ने नशे के खिलाफ मिशन क्लीन की बड़ी मुहिम के तहत जनवरी महीने में 85 तस्करों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने नशे से जुड़े 46 मामले दर्ज किए हैं और कई बड़े गिरोहों का भंडाफोड़ किया है। इस मुहिम में शाही महात्मा गैंग, संदीप शाह गैंग, रंजन और राधे गैंग जैसे कुख्यात गिरोहों पर कार्रवाई की गई है। पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने शनिवार को बताया कि नशे के खिलाफ यह मुहिम आगे भी जारी…
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createdworldchori · 6 days ago
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वीर सावरकर (पूरा नाम: विनायक दामोदर सावरकर) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी, लेखक, कवि, और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें हिंदुत्व विचारधारा के जनक के रूप में भी जाना जाता है। उनका जीवन साहस, संघर्ष और देशभक्ति का प्रतीक है। चलिए जानते है वीर सावरकर का जीवन परिचय के बारे में
प्रारंभिक जीवन
जन्म: 28 मई 1883, भगूर गाँव, नासिक, महाराष्ट्र।
परिवार: वे एक चितपावन ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उनके माता-पिता दामोदर और राधाबाई सावरकर थे।
शिक्षा: सावरकर ने प्रारंभिक शिक्षा नासिक में प्राप्त की और बाद में पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से स्नातक किया। उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड के ग्रेइन्स इन में दाखिला मिला।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ
इंग्लैंड में उन्होंने फ्री इंडिया सोसाइटी की स्थापना की, ज�� भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करती थी।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर उनकी पुस्तक "द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, 1857" ने क्रांतिकारी गतिविधियों को नई प्रेरणा दी। ब्रिटिश सरकार ने इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया था।
वे हथियारों के ज़रिए ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के समर्थक थे।
जेल जीवन
1909: लंदन में क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए सावरकर को गिरफ्तार कर भारत लाया गया।
1910: उन्हें अंडमान और निकोबार की कुख्यात सेलुलर जेल में दो आजीवन कारावास (50 साल) की सज़ा दी गई।
जेल में रहते हुए उन्होंने कमला और सागर जैसे प्रसिद्ध मराठी कविताएँ लिखीं।
राजनीतिक जीवन और हिंदुत्व
1924 में रिहा होने के बाद, वे हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने और हिंदुत्व विचारधारा को प्रचारित किया।
उनकी पुस्तक "हिंदुत्व: हू इज ए हिंदू" (1923) में हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना की गई।
वे सामाजिक सुधारों के पक्षधर थे, जैसे कि छुआछूत का उन्मूलन और जातिगत भेदभाव को समाप्त करना।
विवाद
1948 में महात्मा गांधी की हत्या के मामले में सावरकर पर साजिश का आरोप लगाया गया, लेकिन सबूतों के अभाव में वे बरी हो गए।
उनकी हिंदुत्व विचारधारा और उनकी ब्रिटिश सरकार से समझौता करने वाली याचिकाएँ उनके आलोचकों के लिए विवाद का विषय रहीं।
साहित्यिक योगदान
सावरकर एक बहुमुखी लेखक थे। उनके साहित्यिक योगदान में शामिल हैं:
1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
हिंदुत्व: हू इज ए हिंदू
मराठी कविताएँ और नाटक।
निधन
सावरकर ने 26 फरवरी 1966 को स्वेच्छा से अन्न-जल त्यागकर प्राण त्याग दिए।
उनका अंतिम संस्कार मुंबई में हुआ।
विरासत
वीर सावरकर को भारत में साहस, देशभक्ति और क्रांतिकारी विचारों का प्रतीक माना जाता है।
उनकी विचारधारा और भूमिका को लेकर आज भी बहस जारी है।
यदि आप वीर सावरकर के किसी विशेष पहलू के बारे में और जानकारी चाहते हैं, तो बताएं!
आशा है यह ब्लॉग वीर सावरकर की जीवनी आपकी कुछ मदद कर सके
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indianfasttrack · 11 days ago
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अंडरवर्ल्ड गैंगस्टर डीके राव चढ़ा पुलिस के हत्थे। छोटा राजन का करीबी, साथ में 6 और गिरफ्तार।
मुंबई पुलिस के हाथ एक बड़ी सफलता मिली है। क्राइम ब्रांच ने जबरन वसूली के एक मामले में छोटा राजन के करीबी कुख्यात गैंगस्टर डीके राव को गिरफ्तार किया है। (Underworld gangster DK Rao caught by police. Chhota Rajan’s close aide, along with 6 more arrested) न्यूज़ डेस्कमुंबई- माटुंगा के झुग्गी बस्तियों मे रहने वाले अंडरवर्ल्ड गैंगस्टर डीके राव को पुलिस ने ढ़ाई करोड़ की फिरौती और जान से मारने की धमकी…
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deshbandhu · 18 days ago
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Gurugram Ke Ashok Vihar Phase Teen Me Badmashon Ki Tabadtod Firing, Elake Mein Dehashat
गुरुग्राम। गुरुग्राम के अशोक विहार फेस तीन इलाके में मंगलवार को एक मकान में बदमाशों की ताबड़तोड़ फायरिंग से सनसनी फैल गई। सुबह 5:30 बजे बाइक सवार दो बदमाशों ने तीन मंजिला मकान को निशाना बनाते हुए दो दर्जन से ज्यादा राउंड फायर किए।
फायरिंग करने के बाद बदमाशों ने मकान में एक पर्ची छोड़ी। इसमें कौशल गैंग के कई नाम लिखे गए थे। पर्ची पर इलाके के कुख्यात कौशल चौधरी, पवन शौकीन, सौरव गाडोली, भभिया ग्रुप, भुप्पी राणा और सुखदीप बुद्धा के नाम थे।
Click to read more: https://www.deshbandhu.co.in/states/miscreants-opened-fire-in-gurugram-ashok-vihar-phase-3-creating-panic-in-the-area-528455-1
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news-34 · 22 days ago
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vedantbhoomidigital · 25 days ago
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CG Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ में कुख्यात नक्सली हिड़मा की बटालियन से मुठभेड़, अब तक 3 को मार गिराया, गोलीबारी जारी
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी है। ताजा ऑपरेशन सुकमा और बीजापुर जिले की बॉर्डर पर हो रहा है, जिसमें दोनों जिले की जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), कोबरा बटालियन, स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) व सीआरपीएफ के जवान शामिल है।By Arvind Dubey Publish Date: Thu, 09 Jan 2025 01:28:12 PM (IST)Updated Date: Thu, 09 Jan 2025 01:37:22 PM (IST)नईदुनिया, सुकमा (CG Naxal Encounter)। छत्तीसगढ़ में…
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mrrachnakar · 30 days ago
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।। साल 2024 ।।
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sharpbharat · 21 days ago
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Jharkhand big catch : कुख्यात अपराधी सुजीत सिन्हा गिरोह के 6 अपराधकर्मियों की गिरफ्तारी, हथियार एवं नगदी बरामद
��ांची : रात्रि गुप्त सूचना प्राप्त हुई कि सुजीत सिन्हा गिरोह के कुछ सदस्य बैरिया स्थित हाउसिंग कॉलोनी में केके मेमोरियल स्कूल के बगल के एक खाली मकान में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं. पलामू के पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार शहर थाना प्रभारी पुलिस निरीक्षक देवव्रत पोद्दार के नेतृत्व में एक छापेमारी दल का गठन किया गया. छापेमारी दल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उक्त स्थान की…
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ainnewsone · 3 days ago
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25 हजार के इनामी कादिर बड्डा ने पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में किया सरेंडर?
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AIN NEWS 1: मेरठ में कुख्यात अपराधी और अमित मरिंडा गैंग का सदस्य कादिर बड्डा, जिस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था, ने पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया। पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी, लेकिन वह उनकी आंखों में धूल झोंककर अदालत पहुंचा और आत्मसमर्पण कर दिया। अदालत ने उसे एक अन्य मामले में जेल भेज दिया। कादिर बड्डा पर संगीन आपराधिक मुकदमे दर्ज कादिर बड्डा पर हत्या, फायरिंग और जेल में अवैध गतिविधियों जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं। टीपीनगर के वेदव्यासपुरी निवासी जयभगवान, जो सिंचाई विभाग में कार्यरत हैं, उनके बेटे सचिन यादव की हत्या में कादिर का नाम सामने आया था। सचिन गंगानगर स्थित आईआईएमटी कॉलेज से बीए एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था। भावनपुर थाना क्षेत्र के अब्दुल्लापुर में सचिन की कनपटी पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। अपराधी कादिर बड्डा का जुर्मों से भरा इतिहास सचिन यादव की हत्या में कादिर बड्डा को मुख्य आरोपी बनाया गया था। उसे इस हत्या के लिए अमित मरिंडा ने पिस्टल मुहैया कराई थी। इसके अलावा, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में मंत्री के सामने फायरिंग करने और पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने के मामले में भी वह शामिल रहा है। उस दौरान पुलिस मुठभेड़ में उसके पैर में गोली लगी थी। जेल में भी जारी रखा आपराधिक नेटवर्क कादिर बड्डा और उसके साथी नदीम ने 13 जनवरी को जेल में बं�� कुख्यात बदमाश मशरूफ और सुरेंद्र गुर्जर से मुलाकात की थी। इस मुलाकात का वीडियो बनाकर वायरल किया गया था, जिससे जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। जेल में वेबकैम फोटो और आधार कार्ड की प्रति भी बरामद की गई थी। इस मामले में जेलर ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद कादिर के मेरठ जेल में भी वीडियो बनाने की जानकारी सामने आई। एडीजी डीके ठाकुर ने मामले की रिपोर्ट मांगी और मेडिकल थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। रिपोर्ट के अनुसार, कादिर बड्डा भाजपा अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष बासित अली का चचेरा भाई है और सोशल मीडिया पर अपनी पुरानी तस्वीरें अपलोड करके आम जनता में डर फैलाना चाहता था। जेल से भी जारी रखा दहशत फैलाने का खेल कादिर बड्डा मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में 30 जून 2022 से 24 मई 2024 और 31 अगस्त 2024 से 8 जनवरी 2025 तक बंद रहा। जेल में रहते हुए भी उसने अन्य अपराधियों के साथ मिलकर आम लोगों में दहशत फैलाने के लिए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित कीं। हत्या और हमले के मामले में आरोपी एलएलबी छात्र सचिन यादव की हत्या के आरोपी कादिर बड्डा पर मेरठ में दो मुकदमे दर्ज हैं। एक मुकदमा मेरठ जेल में वीडियो बनाने से जुड़ा है और दूसरा किठौर थाने में जानलेवा हमले का मामला दर्ज हुआ है। एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने इस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। कादिर बड्डा का अपराधों का इतिहास बहुत लंबा है। उसने हत्या, जेल में अवैध गतिविधियां और फायरिंग जैसे कई संगीन अपराध किए हैं। पुलिस लगातार उसे पकड़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह चकमा देकर कोर्ट में आत्मसमर्पण करने में सफल रहा। अब पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि वह इतने लंबे समय तक पुलिस से कैसे बचा रहा। Qadir Badda, a notorious criminal associated with the Amit Marinda gang, has once again made headlines by escaping police and surrendering in court. Wanted for multiple crimes, including the murder of LLB student Sachin Yadav and illegal activities inside jail, Badda had a ₹25,000 bounty on his head. His involvement in jail video scandals and past encounters with the police highlight his deep-rooted criminal background. Stay updated with the latest Meerut crime news and UP police actions. Read the full article
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praysure · 22 days ago
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ट्रिपल मर्डर केस: कुख्यात चंदन सिंह गिरफ्तार, STF और दरभंगा पुलिस की बड़ी कार्रवाई से सनसनी!
इस गिरफ्तारी के साथ, दरभंगा पुलिस ने इस चर्चित ट्रिपल मर्डर केस में एक अहम सफलता हासिल की है। इलाके के लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि चंदन सिंह के गिरोह और अन्य अपराधियों पर भी सख्त कार्रवाई होगी। #darbhanga #darbhanganews #biharnews #baherihatyakand #news
दरभंगा: ट्रिपल मर्डर केस का मुख्य आरोपी चंदन सिंह गिरफ्तार, STF और पुलिस का संयुक्त ऑपरेशन सफल बिहार के दरभंगा जिले में बहेरी थाना क्षेत्र में हुए ट्रिपल मर्डर केस के मुख्य आरोपी चंदन सिंह को दरभंगा पुलिस ने एसटीएफ की मदद से गिरफ्तार कर लिया है। चंदन सिंह, जो लंबे समय से फरार चल रहा था, पर पहले से ही छह आपराधिक मामले दर्ज हैं। ��ुलिस ने गिरफ्तारी से पहले उसके घर की कुर्की-जब्ती की कार्रवाई भी की…
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