#किसानों के विरोध पर राकेश टिकैत
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सरकार के पास 26 नवंबर तक का समय, नहीं तो किसान पहुंचेंगे दिल्ली सीमा पर विरोध: राकेश टिकैत ने केंद्र को दी चेतावनी
सरकार के पास 26 नवंबर तक का समय, नहीं तो किसान पहुंचेंगे दिल्ली सीमा पर विरोध: राकेश टिकैत ने केंद्र को दी चेतावनी
केंद्र को एक अल्टीमेटम देते हुए, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को 26 नवंबर तक तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक संकल्प के लिए कहा, जिसमें विफल रहने पर देश भर के किसान ट्रैक्टरों में दिल्ली के विरोध स्थलों पर इकट्ठा होंगे। टिकैत ने कहा, “केंद्र सरकार के पास 26 नवंबर तक का समय है, उसके बाद 27 नवंबर से गांवों के किसान ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली की सीमा पर पहुंचेंगे और विरोध…
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#इंडियन एक्सप्रेस न्��ूज&039;#किसानों के विरोध पर राकेश टिकैत#राकेश टिकैत#राकेश टिकैत किसान मार्च#राकेश टिकैत ताजा खबर#राकेश टिकैत न्यूज़
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Rakesh Tikait Exclusive: टिकैत ने कही बड़ी बात- 'आज पुरे देश में गवर्नर को ज्ञापन भेजा जाएगा'
Rakesh Tikait Exclusive: टिकैत ने कही बड़ी बात- ‘आज पुरे देश में गवर्नर को ज्ञापन भेजा जाएगा’
ताजा खबर और पुष्टि के लिए ए लाइव लाइव चालू किसी भी समय सेटिंग I बाद में सहमत . Source link
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राकेश टिकैत जीवट वाले किसान-
राकेश टिकैत वैसे कोई चर्चा के मोहताज़ नहीं है |इनकी कई पीढ़ी आंदोलन में शामिल रही है | लेकिन गाज़ीपुर बॉर्डर पर जो आंदोलन के समय वो भावुक हुए |उसने उनको और भी चर्चित बना दिया है | और ये देखकर कई किसानो का दिल कचोट गया |कई लोगों उनके बारे में ज्यादा -ज्यादा से जानने चाहते है |लोग ये भी सोचते है की एक आंदोलन जो समाप्ति उसको उनके आँशु ने पुनर्जीवित किया है |सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में वो दो महीने से ज्यादा दिन से किसान इस ठिठुरती ठण्ड में बैठे रहे है |और उन्होंने कई किसानो को यहाँ पर खो दिया है |आये जानते इतने जीवट वाले किसान के बारे में |
राकेश टिकैत की प्रारंभिक जीवन -
राकेश टिकैत हैं जिनका जन्म 4 जून 1969 को मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के सिसौली गाँव में हुआ|ये टिकैत परिवार का पैतृक गाँव है|टिकैत ने मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है |इनके पिता महेंद्र टिकैत किसानो के बहुत बड़े नेता थे |उनके कई इतिहास है और उस समय की सरकार उनके एक आव्हान से काँप उठती थी |महेंद्र सिंह टिकैत एक सामान्य किसान थे जिनका जीवन अपने गाँव में ही गुज़रा और लेकिन किसान आंदोलनों की वजह से और अपने बयानों की वजह से, कई बार सरकारों के साथ उनका टकराव हुआ था |कई बारे पिछले सरकारों ने महेंद्र टिकैत को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस भेजी लेकिन पुलिस उनको गिरफ्तार नहीं कर सकी|
बाबा टिकैत क्या इनकी प्रेरणा - आप इससे उनके लोकप्रियता को समझ सकते है |बाबा टिकैत को जब भी याद किया जायेगा तो उनके 1988 में दिल्ली के बोट क्लब में हुए किसानों के प्रदर्शन को ज़रूर याद किया जायेगा |कुर्ता-धोती पहने किसानों की एक पूरी फ़ौज बोट क्लब पर जमा हो गई थी जिनका नेतृत्व कर रहे लोगों में बाबा टिकैत एक मुख्य चेहरा थे|ऐसे व्यक्ति के पुत्र होने पर आपको भी कई जिम्मेदारी खुद -बी खुद लेनी पड़ती है |उस जिम्मेदारी को राकेश टिकैत ने रखा है |मेरठ में पढ़ाई के बाद 1992 में दिल्ली पुलिस में तत्कालीन सब इंस्पेक्टर के रूप में कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए| लेकिन 1993-1994 में लाल किले पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस को छोड़ दिया और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्य के रूप में विरोध में शामिल हो गये|
टिकैत अपने पिता की मृत्यु के बाद आधिकारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) में शामिल हो गए और बाद में प्रवक्ता बन गए।उनके एक भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष है |उनके दो भाई है जो शुगर मीलों में काम करते है |राकेश और नरेश की बाकि भाइयों से समाजिक पहचान ज्यादा है |दोनों ने सरकारी नौकरी पायी थी लेकिन दोनों ने सरकार की नौकरी छोड़ कर अपने पिता के विरासत को आगे ले जाने का निर्णय लिया है |
गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के आँशु -
जो शख़्स किसानों के आंदोलनों में शामिल होने की वजह से 43 बार जेल जा चुका है, उसे 44वीं बार जेल जाते देखना कोई हैरानी की बात नहीं थी| पर हमने इस परिस्थिति का सामना पहले नहीं किया था -ये कहना उनके परिवार का था |उस दिन टिकैत के गांव में कई घरों में लोगों ने खाना नहीं खाया है |उनके बारे में कहा जाता है कि बड़े भाई नरेश टिकैत इसलिए अध्यक्ष हैं, क्योंकि वो बड़े हैं, वरना संगठन के अधिकांश निर्णायक फ़ैसले राकेश ही लेते हैं|भारतीय किसान न्यूनतम समर्थनमूल्य(एमएसपी) के कानूनी आश्वासन और कृषि विधेयक को हटाने के समर्थन में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए| राकेश टिकैत की राजनीति महत्वाकांक्षा-
राकेश टिकैत ने राजनीति से परहे��़ नहीं रखा| साल 2007 में पहली बार उन्होंने मुज़फ़्फ़रनगर की बुढ़ाना विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा जिसे वो हार गये थे|उसके बाद टिकैत ने 2014 में अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से चौधरी चरण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा, पर वहाँ भी उनकी बुरी हार हुई|राकेश को यह पता है कि उनकी दो ताक़त हैं| एक है किसानों का कैडर, और दूसरा है 'खाप' नामक सामाजिक संगठन जिसमें टिकैत परिवार की काफ़ी इज़्ज़त है|
अजित सिंह और राकेश टिकैत क्यों है प्रतिद्वंद्वीता -
कुछ लोग मानते हैं कि अजित सिंह का परिवार टिकैत परिवार को बिरादरी में अपना प्रतिद्वंद्वी मानता है वहीं ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर के लोग चौधरी चरण सिंह के वारिस चौधरी अजित सिंह के 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता संजीव बालियान से हारने की एक वजह राकेश टिकैत को भी मानते हैं बताया जाता है कि राकेश टिकैत ने अजित सिंह के ख़िलाफ़ बालियान को चुनाव लड़ाया था, और गुरुवार को रोते हुए राकेश टिकैत ने इसकी पुष्टि भी की|बहरहाल, केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस ने लाल क़िले पर हुई हिंसा के बाद राकेश टिकैत के ख़िलाफ़ कुछ गंभीर धाराओं के तहत मुक़दमे दर्ज किये हैं और दिल्ली पुलिस ने अपने नोटिस में उनसे सवाल किया है कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों ना की जाये?हमारा उद्देश्य हमेशा रहा है की आप कुछ और जानकारिया दी जा सके |
#सब इंस्पेक्टर#4जून1969#rakesh#rakeshtikait#आंदोलनजोसमाप्ति#आँशुनेपुनर्जीवित#एकइंस्पेक्टरसेकिसाननेता#कईपीढ़ीआंदोलन#किसानइसठिठुरतीठण्ड#किसाननेताकासफर#किसानोकादिलकचोटगया#किसानोंकेविरोधप्रदर्शन#गाज़ीपुरबॉर्डर#तीनकृषिकानूनों#तीनकृषिकानूनोंकेविरोध#दिल्लीपुलिस#पितामहेंद्रटिकैत#बाबाटिकैत#बीकेयू#भारतीयकि���ानयूनियन#भारतीयकिसानयूनियनकेअध्यक्ष#भावुकहुएमहेंद्रटिकैत#मुज़फ़्फ़रनगरज़िले#मेरठविश्वविद्यालयसेस्नातक#राकेशटिकैत#राकेशटिकैतकीप्रारंभिकजीवन#राकेशटिकैतजीवटवालेकिसान
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किसानों को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक सरकार से हमारी लड़ाई जारी रहेगी- टिकैत
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के तिकुनिया में आज से एक साल पहले तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में मारे गए किसानों की याद में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में कस्बा स्थित कौड़ियाला गुरुद्वारा में बरसी मनाई गई। इस दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। टिकैत ने कहा कि किसानों को न्याय नहीं मिल जाता है तब तक सरकार से हमारी लड़ाई जारी रहेगी।किसान नेता राकेश टिकैत ने तीन अक्टूबर की घटना को दुखद घटना और हादसा बताया, वहीं किसान नेता ने बताया कि हादसे में कुल आठ लोगों की हत्याएं हुई थीं। जिसमें से तीन लोग मंत्री से सबंधित लोग थे। किसानों से किए हुए वादों को लेकर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी की भी मांग की और कहा जब तक किसानों को न्याय नहीं मिल जाता है तब तक सरकार से हमारी लड़ाई जारी रहेगी।उन्होंने कहा कि शांति का सप्ताह चल रहा है। दो अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई गई है। इसमें तो क्रांति होनी चाहिए। सरकार देश के संविधान को नहीं मानती और सत्ता का दुरुपयोग करती है। किसानों के साथ अन्याय किया गया है। राकेश टिकैत ने कहा कि जनता क्या कर सकती है। जनता तो सिर्फ आवाज उठा सकती है। पूरा सिस्टम दिल्ली से चल रहा है। अधिकारी भी कुछ नहीं कर सकते। उन्हें दिल्ली के रास्ते लखनऊ होते हुए जो आदेश मिलता उसका पालन होता है। एक साल पहले जो कुछ हुआ वह बहुत दुखद घटना थी।राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसानों ने एक बार फिर से मंत्री टेनी को बर्खास्त करने, यूपी के बाहर केस का ट्रायल चलाने क�� मांग की। राकेश टिकैत ने कहा कि वह यहां पर शांति का स��देश लेकर आए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी की मांग करते हुए सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और पीएम को संबोधित एक ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। संयुक्त किसान मर्चा ने आगे की रणनीति के बारे में बताते हुए कहा कि प्रदेश की राजधानी में 26 नवम्बर को किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन तेज किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से जेल में बंद किसानों के परिवार के लोगों को दो-दो लाख रुपये की चेक देने का एलान किया। ज्ञात हो कि यूपी के लखीमपुर के तिकुनिया में तीन अक्टूबर 2021 को कृषि कानून के विरोध आयोजित आंदोलन के दौरान भीषण हिंसा हो गई थी। इसमें चार किसानों और एक पत्रकार समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र समेत 14 आरोपित जेल में बंद हैं। Read the full article
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live aaj tak news channel hindi
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live aaj tak news channel hindi दिल्ली: राकेश टिकैत पुलिस हिरासत में, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन में शामिल होने आ रहे थेकिसान नेता राकेश टिकैत को दिल्ली में एहतियातन हिरासत में ले लिया गया है. वे यहां जंतर-मतर पर एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने आ रहे थे. टिकैत ने ट्वीट भी किया है. इसमें उन्होंने कहा कि सरकार के इशारे पर काम कर रही दिल्ली पुलिस किसानों की आवाज को नहीं दबा सकती है.पुतिन के राइट हैंड…
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कई लंबित मांगों को लेकर किसान 31 जनवरी को पूरे देश में 'विरोध दिवस' मनाएंगे | समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
कई लंबित मांगों को लेकर किसान 31 जनवरी को पूरे देश में ‘विरोध दिवस’ मनाएंगे | समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
30 जनवरी 2022, 11:00 PM ISTस्रोत: एएनआई भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने 30 जनवरी को कहा कि किसान कल पूरे देश में ‘विरोध दिवस’ मनाएंगे। देश भर में 31 जनवरी को ‘विरोध दिवस’ मनाया जाएगा। हमारी मांग है कि केंद्र उनके द्वारा दिल्ली में किए गए एमएसपी पर किए गए वादे को पूरा करे। और साल भर के विरोध के दौरान दर्ज किए गए किसानों के खिलाफ मामलों को भी रद्द करें, ”टिकैत ने कहा। . Source…
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ऑस्ट्रेलिया से रियायती दरों पर दूध आयात करने का कोई प्रस्ताव नहीं : मंत्री रूपाला | Minister Rupala says No proposal to import milk from Australia at subsidized rates
ऑस्ट्रेलिया से रियायती दरों पर दूध आयात करने का कोई प्रस्ताव नहीं : मंत्री रूपाला | Minister Rupala says No proposal to import milk from Australia at subsidized rates
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने मंगलवार को कृषि नेता राकेश टिकैत के इस आरोप का खंडन किया कि ऑस्ट्रेलिया से दूध आयात करने का कोई प्रस्ताव है। रूपाला ने टिकैत के आरोपों के जवाब में ट्वीट किया, कुछ संगठन ऐसे हैं जो क��वल विरोध-आधारित राजनीति के आधार पर काम कर रहे हैं और गलत सूचना फैला रहे हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य किसानों को विचलित करना है।…
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किसान संगठन कृषि विरोध में मारे गए लोगों के लिए मुआवजे पर चर्चा करेगा
किसान संगठन कृषि विरोध में मारे गए लोगों के लिए मुआवजे पर चर्चा करेगा
किसान नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। (फाइल) गाजीपुर: भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक में एजेंडे में किसानों की जान गंवाने वाले किसानों के लिए मुआवजा, विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना और किसानों के अन्य मुद्दे शामिल होंगे। . “कृषि कानूनों को निरस्त कर…
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राकेश टिकैत: केंद्र से नाराज किसानों के 'अगुवा', जिन्होंने आंसुओं से बदली आंदोलन की तस्वीर
राकेश टिकैत: केंद्र से नाराज किसानों के ‘अगुवा’, जिन्होंने आंसुओं से बदली आंदोलन की तस्वीर
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों (Three Farm Laws) का किस्सा खत्म करने का ऐलान तो कर दिया, लेकिन दिल्ली की सरहदों पर प्रदर्शन की कहानी बाकी है. यह कहा जा सकता है कि इस कहानी के सबसे बड़े किरदार भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत रहे. शुक्रवार को ऐतिहासिक दिन पर यूपी गेट पर जारी विरोध प्रदर्शन में मौजूद किसानों का ऐसा कोई बयान नहीं था, जिसमें ‘टिकैत बाबा’ का…
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राकेश टिकैत जीवट वाले किसान-
राकेश टिकैत वैसे कोई चर्चा के मोहताज़ नहीं है |इनकी कई पीढ़ी आंदोलन में शामिल रही है | लेकिन गाज़ीपुर बॉर्डर पर जो आंदोलन के समय वो भावुक हुए |उसने उनको और भी चर्चित बना दिया है | और ये देखकर कई किसानो का दिल कचोट गया |कई लोगों उनके बारे में ज्यादा -ज्यादा से जानने चाहते है |लोग ये भी सोचते है की एक आंदोलन जो समाप्ति उसको उनके आँशु ने पुनर्जीवित किया है |सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में वो दो महीने से ज्यादा दिन से किसान इस ठिठुरती ठण्ड में बैठे रहे है |और उन्होंने कई किसानो को यहाँ पर खो दिया है |आये जानते इतने जीवट वाले किसान के बारे में |
राकेश टिकैत की प्रारंभिक जीवन -
राकेश टिकैत हैं जिनका जन्म 4 जून 1969 को मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के सिसौली गाँव में हुआ|ये टिकैत परिवार का पैतृक गाँव है|टिकैत ने मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है |इनके पिता महेंद्र टिकैत किसानो के बहुत बड़े नेता थे |उनके कई इतिहास है और उस समय की सरकार उनके एक आव्हान से काँप उठती थी |महेंद्र सिंह टिकैत एक सामान्य किसान थे जिनका जीवन अपने गाँव में ही गुज़रा और लेकिन किसान आंदोलनों की वजह से और अपने बयानों की वजह से, कई बार सरकारों के साथ उनका टकराव हुआ था |कई बारे पिछले सरकारों ने महेंद्र टिकैत को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस भेजी लेकिन पुलिस उनको गिरफ्तार नहीं कर सकी|
बाबा टिकैत क्या इनकी प्रेरणा - आप इससे उनके लोकप्रियता को समझ सकते है |बाबा टिकैत को जब भी याद किया जायेगा तो उनके 1988 में दिल्ली के बोट क्लब में हुए किसानों के प्रदर्शन को ज़रूर याद किया जायेगा |कुर्ता-धोती पहने किसानों की एक पूरी फ़ौज बोट क्लब पर जमा हो गई थी जिनका नेतृत्व कर रहे लोगों में बाबा टिकैत एक मुख्य चेहरा थे|ऐसे व्यक्ति के पुत्र होने पर आपको भी कई जिम्मेदारी खुद -बी खुद लेनी पड़ती है |उस जिम्मेदारी को राकेश टिकैत ने रखा है |मेरठ में पढ़ाई के बाद 1992 में दिल्ली पुलिस में तत्कालीन सब इंस्पेक्टर के रूप में कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए| लेकिन 1993-1994 में लाल किले पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस को छोड़ दिया और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्य के रूप में विरोध में शामिल हो गये|
टिकैत अपने पिता की मृत्यु के बाद आधिकारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) में शामिल हो गए और बाद में प्रवक्ता बन गए।उनके एक भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष है |उनके दो भाई है जो शुगर मीलों में काम करते है |राकेश और नरेश की बाकि भाइयों से समाजिक पहचान ज्यादा है |दोनों ने सरकारी नौकरी पायी थी लेकिन दोनों ने सरकार की नौकरी छोड़ कर अपने पिता के विरासत को आगे ले जाने का निर्णय लिया है |
गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के आँशु -
जो शख़्स किसानों के आंदोलनों में शामिल होने की वजह से 43 बार जेल जा चुका है, उसे 44वीं बार जेल जाते देखना कोई हैरानी की बात नहीं थी| पर हमने इस परिस्थिति का सामना पहले नहीं किया था -ये कहना उनके परिवार का था |उस दिन टिकैत के गांव में कई घरों में लोगों ने खाना नहीं खाया है |उनके बारे में कहा जाता है कि बड़े भाई नरेश टिकैत इसलिए अध्यक्ष हैं, क्योंकि वो बड़े हैं, वरना संगठन के अधिकांश निर्णायक फ़ैसले राकेश ही लेते हैं|भारतीय किसान न्यूनतम समर्थनमूल्य(एमएसपी) के कानूनी आश्वासन और कृषि विधेयक को हटाने के समर्थन में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए| राकेश टिकैत की राजनीति महत्वाकांक्षा-
राकेश टिकैत ने राजनीति से परहेज़ नहीं रखा| साल 2007 में पहली बार उन्होंने मुज़फ़्फ़रनगर की बुढ़ाना विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा जिसे वो हार गये थे|उसके बाद टिकैत ने 2014 में अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से चौधरी चरण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा, पर वहाँ भी उनकी बुरी हार हुई|राकेश को यह पता है कि उनकी दो ताक़त हैं| एक है किसानों का कैडर, और दूसरा है 'खाप' नामक सामाजिक संगठन जिसमें टिकैत परिवार की काफ़ी इज़्ज़त है|
अजित सिंह और राकेश टिकैत क्यों है प्रतिद्वंद्वीता -
कुछ लोग मानते हैं कि अजित सिंह का परिवार टिकैत परिवार को बिरादरी में अपना प्रतिद्वंद्वी मानता है वहीं ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर के लोग चौधरी चरण सिंह के वारिस चौधरी अजित सिंह के 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता संजीव बालियान से हारने की एक वजह राकेश टिकैत को भी मानते हैं बताया जाता है कि राकेश टिकैत ने अजित सिंह के ख़िलाफ़ बालियान को चुनाव लड़ाया था, और गुरुवार को रोते हुए राकेश टिकैत ने इसकी पुष्टि भी की|बहरहाल, केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस ने लाल क़िले पर हुई हिंसा के बाद राकेश टिकैत के ख़िलाफ़ कुछ गंभीर धाराओं के तहत मुक़दमे दर्ज किये हैं और दिल्ली पुलिस ने अपने नोटिस में उनसे सवाल किया है कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों ना की जाये?हमारा उद्देश्य हमेशा रहा है की आप कुछ और जानकारिया दी जा सके |
#सबइंस्पेक्टर#राकेशटिकैतजीवटवालेकिसान#राकेशटिकैतकीप्रारंभिकजीवन#राकेशटिकैत#मेरठविश्वविद्यालयसेस्नातक#मुज़फ़्फ़रनगरज़िले#भावुकहुएमहेंद्रटिकैत#भारतीयकिसानयूनियनकेअध्यक्ष#भारतीयकिसानयूनियन#बीकेयू#बाबाटिकैत#पितामहेंद्रटिकैत#दिल्लीपुलिस#तीनकृषिकानूनोंकेविरोध#तीनकृषिकानूनों#गाज़ीपुरबॉर्डर#किसानोंकेविरोधप्रदर्शन#किसानोकादिलकचोटगया#किसाननेताकासफर#किसानइसठिठुरतीठण्ड#कईपीढ़ीआंदोलन#एकइंस्पेक्टरसेकिसाननेता#आँशुनेपुनर्जीवित#आंदोलनजोसमाप्ति#rakeshtikait#rakesh#4जून1969
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संसद में कृषि कानूनों को निरस्त करने पर विरोध खत्म हो जाएगा: राकेश टिकैत
संसद में कृषि कानूनों को निरस्त करने पर विरोध खत्म हो जाएगा: राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को एक शुरुआत करार देते हुए दोहराया कि संसद द्वारा विधिवत निर्णय पारित होने के बाद ही प्रदर्शनकारी किसान अपने घरों को लौटेंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य मामलों पर किसानों से बात करनी…
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वादे पूरे नहीं हुए, 31 जनवरी को किसान मनाएंगे 'विश्वासघात दिवस': राकेश टिकैत | समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
वादे पूरे नहीं हुए, 31 जनवरी को किसान मनाएंगे ‘विश्वासघात दिवस’: राकेश टिकैत | समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
जनवरी 30, 2022, 05:47 PM ISTस्रोत: टाइम्स नाउ बीकेयू नेता राकेश टिकैत और अन्य किसान संघों ने किसानों से 31 जनवरी को फिर से सड़कों पर उतरने का आह्वान किया है. केंद्र द्वारा विश्वासघात का आरोप लगाते हुए, यूनियनों ने 31 जनवरी को देश भर में ‘विश्वासघाट दिवस’ (विश्वासघात दिवस) मनाने की घोषणा की। टिकैत ने एक ट्वीट में कहा कि एक साल से अधिक समय से किए गए वादों के आधार पर विरोध वापस ले लिया गया था। 9…
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Protest against the arrest-dismissal of Minister Teni, the agitation took place and preparations for the Parliament march intensified | मंत्री टेनी की गिरफ्तारी-बर्खास्तगी नहीं होने का विरोध, आंदोलन बरसी और संसद मार्च की तैयारी तेज
Protest against the arrest-dismissal of Minister Teni, the agitation took place and preparations for the Parliament march intensified | मंत्री टेनी की गिरफ्तारी-बर्खास्तगी नहीं होने का विरोध, आंदोलन बरसी और संसद मार्च की तैयारी तेज
गाजियाबाद2 घंटे पहले कॉपी लिंक गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की बैठक को संबोधित करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत। संयुक्त किसान मोर्चा का घटक संगठन 14 नवंबर को यूपी के पीलीभीत जिला स्थित पूरनपुर में किसान सभा करेगा। इसको ‘लखीमपुर न्याय महापंचायत’ नाम दिया गया है। इस सभा में एसकेएम के कई नेता दिल्ली के बॉर्डरों से जाएंगे। तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में केंद्रीय गृह…
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संसद में कृषि कानून निरस्त होने पर समाप्त होगा विरोध: किसान नेता
संसद में कृषि कानून निरस्त होने पर समाप्त होगा विरोध: किसान नेता
राकेश टिकैत ने कहा कि विरोध तुरंत वापस नहीं लिया जाएगा। गाज़ियाबाद: भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि संसद में विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के बाद ही चल रहे कृषि विरोधी कानूनों का विरोध वापस लिया जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य मामलों पर किसानों से बात करनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी…
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पूर्व PM चौधरी चरण सिंह और महेन्द्र सिंह टिकैत के नाम पर रखे गए दो सड़कों के नाम
पूर्व PM चौधरी चरण सिंह और महेन्द्र सिंह टिकैत के नाम पर रखे गए दो सड़कों के नाम
किसानों का विरोध : उत्तर प्रदेश के बागपत के नाम पर डायल करेंगें। इस बात की जानकारी प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दी। जैसा कि कहा गया है, केशव प्रसाद मौर्य ने-बागपति मौर्य ने अपने नाम का नया नाम समाचार चौधरी सिंह और किसान नेता महेन्द्र सिंह टिट (भारतीय किसान के नेता राकेश टिट के पिता) के रूप में चुना। गौरतलब है कि चौधरी चरण सिंह को किसानों के अभूतपूर्व विकास के लिए याद किया जाता…
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#केशव प्रसाद मौर्य#चौधरी चरण सिंह#महेन्द्र टिकैत#यूपी#यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य#यूपी चुनाव 2022#यूपी डिप्टी सीएम
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राकेश टिकैत :एक इंस्पेक्टर से किसान नेता का सफर -
राकेश टिकैत जीवट वाले किसान-
राकेश टिकैत वैसे कोई चर्चा के मोहताज़ नहीं है |इनकी कई पीढ़ी आंदोलन में शामिल रही है | लेकिन गाज़ीपुर बॉर्डर पर जो आंदोलन के समय वो भावुक हुए |उसने उनको और भी चर्चित बना दिया है | और ये देखकर कई किसानो का दिल कचोट गया |कई लोगों उनके बारे में ज्यादा -ज्यादा से जानने चाहते है |लोग ये भी सोचते है की एक आंदोलन जो समाप्ति उसको उनके आँशु ने पुनर्जीवित किया है |सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में वो दो महीने से ज्यादा दिन से किसान इस ठिठुरती ठण्ड में बैठे रहे है |और उन्होंने कई किसानो को यहाँ पर खो दिया है |आये जानते इतने जीवट वाले किसान के बारे में |
राकेश टिकैत की प्रारंभिक जीवन -
राकेश टिकैत हैं जिनका जन्म 4 जून 1969 को मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के सिसौली गाँव में हुआ|ये टिकैत परिवार का पैतृक गाँव है|टिकैत ने मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है |इनके पिता महेंद्र टिकैत किसानो के बहुत बड़े नेता थे |उनके कई इतिहास है और उस समय की सरकार उनके एक आव्हान से काँप उठती थी |महेंद्र सिंह टिकैत एक सामान्य किसान थे जिनका जीवन अपने गाँव में ही गुज़रा और लेकिन किसान आंदोलनों की वजह से और अपने बयानों की वजह से, कई बार सरकारों के साथ उनका टकराव हुआ था |कई बारे पिछले सरकारों ने महेंद्र टिकैत को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस भेजी लेकिन पुलिस उनको गिरफ्तार नहीं कर सकी|
बाबा टिकैत क्या इनकी प्रेरणा - आप इससे उनके लोकप्रियता को समझ सकते है |बाबा टिकैत को जब भी याद किया जायेगा तो उनके 1988 में दिल्ली के बोट क्लब में हुए किसानों के प्रदर्शन को ज़रूर याद किया जायेगा |कुर्ता-धोती पहने किसानों की एक पूरी फ़ौज बोट क्लब पर जमा हो गई थी जिनका नेतृत्व कर रहे लोगों में बाबा टिकैत एक मुख्य चेहरा थे|ऐसे व्यक्ति के पुत्र होने पर आपको भी कई जिम्मेदारी खुद -बी खुद लेनी पड़ती है |उस जिम्मेदारी को राकेश टिकैत ने रखा है |मेरठ में पढ़ाई के बाद 1992 में दिल्ली पुलिस में तत्कालीन सब इंस्पेक्टर के रूप में कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए| लेकिन 1993-1994 में लाल किले पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस को छोड़ दिया और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्य के रूप में विरोध में शामिल हो गये|
टिकैत अपने पिता की मृत्यु के बाद आधिकारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) में शामिल हो गए और बाद में प्रवक्ता बन गए।उनके एक भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष है |उनके दो भाई है जो शुगर मीलों में काम करते है |राकेश और नरेश की बाकि भाइयों से समाजिक पहचान ज्यादा है |दोनों ने सरकारी नौकरी पायी थी लेकिन दोनों ने सरकार की नौकरी छोड़ कर अपने पिता के विरासत को आगे ले जाने का निर्णय लिया है |
गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के आँशु -
जो शख़्स किसानों के आंदोलनों में शामिल होने की वजह से 43 बार जेल जा चुका है, उसे 44वीं बार जेल जाते देखना कोई हैरानी की बात नहीं थी| पर हमने इस परिस्थिति का सामना पहले नहीं किया था -ये कहना उनके परिवार का था |उस दिन टिकैत के गांव में कई घरों में लोगों ने खाना नहीं खाया है |उनके बारे में कहा जाता है कि बड़े भाई नरेश टिकैत इसलिए अध्यक्ष हैं, क्योंकि वो बड़े हैं, वरना संगठन के अधिकांश निर्णायक फ़ैसले राकेश ही लेते हैं|भारतीय किसान न्यूनतम समर्थनमूल्य(एमएसपी) के कानूनी आश्वासन और कृषि विधेयक को हटाने के समर्थन में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए| राकेश टिकैत की राजनीति महत्वाकांक्षा-
राकेश टिकैत ने राजनीति से परहेज़ नहीं रखा| साल 2007 में पहली बार उन्होंने मुज़फ़्फ़रनगर की बुढ़ाना विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा जिसे वो हार गये थे|उसके बाद टिकैत ने 2014 में अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से चौधरी चरण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा, पर वहाँ भी उनकी बुरी हार हुई|राकेश को यह पता है कि उनकी दो ताक़त हैं| एक है किसानों का कैडर, और दूसरा है 'खाप' नामक सामाजिक संगठन जिसमें टिकैत परिवार की काफ़ी इज़्ज़त है|
अजित सिंह और राकेश टिकैत क्यों है प्रतिद्वंद्वीता -
कुछ लोग मानते हैं कि अजित सिंह का परिवार टिकैत परिवार को बिरादरी में अपना प्रतिद्वंद्वी मानता है वहीं ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर के लोग चौधरी चरण सिंह के वारिस चौधरी अजित सिंह के 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता संजीव बालियान से हारने की एक वजह राकेश टिकैत को भी मानते हैं बताया जाता है कि राकेश टिकैत ने अजित सिंह के ख़िलाफ़ बालियान को चुनाव लड़ाया था, और गुरुवार को रोते हुए राकेश टिकैत ने इसकी पुष्टि भी की|बहरहाल, केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस ने लाल क़िले पर हुई हिंसा के बाद राकेश टिकैत के ख़िलाफ़ कुछ गंभीर धाराओं के तहत मुक़दमे दर्ज किये हैं और दिल्ली पुलिस ने अपने नोटिस में उनसे सवाल किया है कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों ना की जाये?हमारा उद्देश्य हमेशा रहा है की आप कुछ और जानकारिया दी जा सके |
पूरा जानने के लिए-http://bit.ly/3aeQi77
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