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लखनऊ, 13.11.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में नवयुग कन्या महाविद्यालय, राजेंद्र नगर, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 68 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्रोफेसर गीताली रस्तोगी, प्रोफेसर मनजुला यादव, डॉ. वनदना द्विवेदी, डॉ. मनीषा बडौनिया, डॉ. सीमा पाण्डेय, मिशन शक्ति समिति एवं रेड ब्रिगेड से सुश्री खुशी शुक्ला ने दीप प्रज्वलित किया l
नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद देते हुए कहा कि, "आत्मरक्षा का यह प्रशिक्षण केवल शारीरिक तकनीकों तक सीमित नहीं है यह एक मानसिक और आत्मिक शक्ति का निर्माण है, जो आपको हर परिस्थिति में सक्षम बना��गा । यह जानना बेहद आवश्यक है कि जीवन की हर चुनौती का सामना करने के लिए हमें खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाना होगा । आत्मरक्षा के जो गुर आपको सिखाए जा रहे हैं, वे केवल संकट के समय आपकी रक्षा के लिए नहीं, बल्कि आपके आत्मविश्वास और स्वाभिमान को मजबूत करने के लिए हैं । यह कौशल आपको मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाएगा, ताकि आप हर चुनौती का डटकर सामना कर सकें । इस प्रशिक्षण से जो भी आपने सीखा है, उसे अपने जीवन में आत्मसात करें और अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं उठाएं । खुद को स्वस्थ और सुरक्षित रखें और आत्मनिर्भरता के इस मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ें ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण ��ी प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर, सुश्री खुशी शुक्ला ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय, प्रोफेसर गीताली रस्तोगी, प्रोफेसर मनजुला यादव, डॉ. वनदना द्विवेदी, डॉ. मनीषा बडौनिया, डॉ. सीमा पाण्डेय, मिशन शक्ति समिति, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर, सुश्री खुशी शुक्ला तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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"दोस्तो, मेरा नाम युग है और मैं मध्यप्रदेश राज्य के भोपाल शहर में रहता हूँ.
मैं अक्सर चूत चुदाई की कहानी पढ़ता रहता हूं और दिन में दो बार हिला लेता हूँ.
यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी छोटी बहन वर्षा की चुदाई की कहानी है.
इसमें आप पढ़ेंगे कि कैसे मैंने अपनी ही सगी बहन को चोदकर अपनी रंडी बना लिया.
यह Xxx सिस फक कहानी आज से एक साल पहले की उस समय की है जब मैंने 12 वीं के बोर्ड के इम्तिहान दिए थे.
एग्जाम के बाद से स्कूल की छुट्टी चल रही थीं.
मैं अपने परिवार के बारे में बता दूं.
मेरे घर में पाँच सदस्य हैं. मम्मी-पापा, दीदी और एक छोटी बहन.
मेरे पापा का नाम सुदेश है. उनकी उम्र 44 साल है.
मेरी मम्मी का नाम अदिति है. उनकी उम्र 42 साल है. लेकिन वे 30 से ज्यादा की नहीं लगती हैं.
उनका फिगर 32-28-36 का है. वे पारदर्शी साड़ी पहनती हैं और नाभि से नीचे साड़ी को बांधती हैं.
पारदर्शी साड़ी के साथ टू बाय टू की रुबिया के झीने ब्लाउज में से उनकी ब्रा साफ दिखाई देती है.
उनकी थिरकती चूचियों और मटकती गांड को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए.
मेरी एक बड़ी बहन है, जिसका का नाम दीपाली है.
वह मुझसे एक साल बड़ी है और वह भी बहुत सेक्सी दिखती है.
दीपाली के बाद मैं हूँ और मुझसे छोटी बहन है.
उसका नाम वर्षा है.
वह मुझसे एक साल छोटी है.
उसकी उम्र 18 साल की है. उसने अभी जवानी की दहलीज पर अपना पहला कदम रखा ही है.
उसके दूध मस्त गोरे हैं और बहुत ही कांटा आइटम है.
उसकी फूली हुई गांड के बीच की दरार को देखकर मेरा उसे चोदने का मन करता है.
मैंने कई बार उसकी ब्रा पैंटी को सूंघकर लंड हिलाया है.
उन दिनों मैं उसकी चूत और गांड में लंड डालने की प्लानिंग कर रहा था.
वैसे सपनों में तो मैं उसे कई बार चोद चुका था पर हकीकत में उसे चोदने में डर लगता था कि कहीं उसने शोर मचा दिया तो सारी इज्��त की मां चुद जाएगी.
यों तो हम दोनों काफी खुले हुए हैं और हमें एक दूसरे के सारे सीक्रेट पता हैं.
कभी कभी वह मुझे गले लगाती है, तो उसके दूध मेरे सीने से लग कर एक मीठी रगड़ दे जाते हैं.
मैं उसके चूतड़ भी सहला देता था.
उस वक्त मन ही मन मैं उसे चोदने का सोचने लगता था.
ऐसा लगता था कि इसे यहीं घोड़ी बना कर इसकी गांड मार दूं.
एक रात को हम सब मिलकर टीवी देख रहे थे और वह हमेशा की तरह मेरी बगल में बैठी टीवी देख रही थी.
मैं भी हमेशा की तरह उसकी टांग से टांग रगड़ कर मस्त हो गया था. मेरा हाथ भी उसकी टांग पर घूम रहा था.
उस दिन काफी रात हो गई थी तो हम सब सोने के लिए जाने लगे.
वर्षा मेरे साथ सोती थी.
मैं भी उसके सो जाने के बाद उसके दूध दबाता, गांड में लंड रगड़ता … लेकिन कभी चोद नहीं सका था.
एक दिन मम्मी और दीदी मौसी के घर निकल गईं वे दो दिन के लिए गई थीं.
कुछ देर बाद पापा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे.
पापा को दारू पीने की आदत है और आज मम्मी के न होने से उनके लिए यह किसी त्यौहार के जैसा दिन था.
मैं जानता था कि पक्के में आज पापा दोस्तों के साथ अपनी महफ़िल जमाएंगे.
मुझे पूरी उम्मीद थी कि वे मुझे फोन करके घर आने से मना करेंगे.
वही हुआ भी … एक घंटा बाद उनका फोन आ गया कि वे ऑफिस के काम से बाहर जा रहे हैं और कल शाम तक या परसों वापस आ जाएंगे.
उनके फोन से मुझे बेहद खुशी हुई कि अब बहन की चूत चोदी जा सकती है.
अब घर मैं और वर्षा अकेले थे.
आज चुदाई का सही समय था.
मैं हॉल में टीवी देख रहा था और वर्षा कमरे में थी.
मैंने सोचा कि चल कर देखूँ कि वर्षा क्या कर रही है.
मैं कमरे में गया तो वर्षा तौलिया में मेरे सामने थी. वह नहा कर निकली थी.
उसकी तौलिया छोटी थी, जिससे उसके दूध दिख रहे थे.
उसने गुस्से से मुझे बाहर जाने को कहा, मैं बाहर आ गया.
लेकिन अब उसे चोदने का मन कर रहा था.
शाम हो गई, मैं छत पर बैठा था कि तभी वह आई.
वर्षा- सॉरी भैया, मैं आज आप पर चिल्लायी.
मैं- कोई बात नहीं. वैसे तुम बहुत खूबसूरत हो!
वर्षा- आपको कैसे पता कि मैं खूबसूरत हूं?
मैं- आज तुम्हें बिना कपड़ों के देखा, तब से जाना कि तुम बेहद खूबसूरत हो … आई लव यू वर्षा. सच में मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं.
मैंने न जाने किस आवेश में उससे यह कह तो दिया लेकिन मुझे डर लग रहा था कि अब वह क्या कहती है.
वह मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी और फिर एकदम से आगे बढ़ कर मुझे किस करने लगी.
मैं भी उसका साथ देने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा.
हम दोनों की 5 मिनट के किस के बाद वह ह�� गई और शर्माने लगी.
मैंने उसकी तरफ देख कर उसे वापस अपनी गोदी में लेने के लिए हाथ बढ़ाया.
तो वह कहने लगी- आज रात को आपके लिए मेरे पास कुछ बहुत खास है.
मैं समझ गया कि आज मैं इसकी चूत का रस ले सकूँगा.
मैंने कहा- आज खाना मत बनाना, मैं बाहर से ले आऊंगा.
उसने पूछा- क्या पापा का खाना भी लेकर आओगे?
मैंने उसे आंख मारते हुए बताया- नहीं, आज पापा अपनी दारू के प्रोग्राम में व्यस्त रहेंगे शायद … उनका फोन आया था कि वे कल शाम तक वापस आएंगे या हो सकता है कि परसों ही घर आ पाएं!
यह सुनकर मेरी छोटी बहन मुस्कुरा दी और बोली- ओके, इस खबर के लिए अब आपको और भी बढ़िया उपहार मिलेगा.
मैं समझ गया कि शायद अब यह और ज्यादा कामुक होकर चुदना चाहती है.
कुछ देर बाद मैं बाजार गया और वहां से खाना पैक करवा कर मेडिकल स्टोर से सेक्स की गोली लेता हुआ घर के लिए निकल पड़ा.
घर वापस आया तो 8 बज गए थे.
मैं घर पहुंचा तो मैंने देखा कि वर्षा ने लाल रंग की शॉर्ट नाइटी पहन रखी थी.
उसने मुझे देख कर आंख मारी और पूछा- मैं कैसी लग रही हूं?
मैं- बहुत सेक्सी लग रही हो मेरी जान!
यह कह क�� मैं उस पर झपटने को हुआ.
वर्षा- चलो, पहले खाना खाना खाते हैं. आज की रात मैं तुम्हारी हूं, जो करना है … कर लेना.
फिर हम दोनों ने खाना खाया और मैं कमरे में गया.
मैंने देखा कि कमरा तो एकदम करीने से सजा हुआ था. उसने तकियों और कुशन से बेड सजाया था.
मैं मन ही मन खुश हुआ.
वर्षा- सजावट कैसी लग रही है?
मैं- अच्छी है, पर क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो!
वर्षा- मैं तो आपसे कबसे प्यार करती हूं, बस आप ही देर कर रहे थे.
मैं उसकी तरफ मादक भाव से देखने लगा.
मैं वर्षा को किस करने लगा.
वह भी मेरा साथ देने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उसकी नाइटी उतार कर फेंक दी. उसने नाइटी के नीचे कुछ नहीं पहना था, शायद वह पूरी तरह नंगी होकर चुदवाना चाहती थी.
उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लंड चूसने लगी.
वह एकदम पेशेवर रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी.
उसका लंड चूसना देख कर मुझे संदेह हुआ कि कहीं इसकी चूत पहले से ही तो खुली हुई नहीं है!
पर अगले ही पल मैं शांत हो गया कि कमसिन लड़की की चूत को सीलबंद चूत समझ कर ही चोदना चाहिए.
मैंने उसके सर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने लौड़े पर दबाते हुए कहा- मेरी रानी, इतना अच्छा लंड चूसना कहां से सीखा?
वर्षा- मैंने बहुत सारी पोर्न फिल्में देखी हैं. भैया मैं जानबूझ कर अपनी पैंटी और ब्रा बाथरूम में छोड़ देती थी ताकि आप उसे सूंघकर अपना लंड हिला सकें.
मैं- तुम मुझसे कबसे प्यार करती हो?
वर्षा- जब से मैंने आपका 7 इन्च लम्बा लंड देखा है, बस तभी से आपसे चुदवाना चाहती हूं.
यह कह���े हुए उसने खड़े होकर अपनी सफ़ाचट चूत मुझे दिखाई.
मैंने उसकी चूत की महक को अपने नथुनों में भरा और कामोन्मत्त हो गया.
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गए.
वह मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा.
कुछ मिनट बाद उसने मुझसे कहा- भाई, अब रहा नहीं जा रहा है, जल्दी से अपना लंड डाल दो.
मैंने चुदाई की स्थिति बनाई और उसकी चूत की तरफ देखने लगा कि इतनी संकरी चूत में मेरा मूसल कैसे घुस सकता है.
तभी उसने मेरा लंड अपने हाथ से अपनी चूत पर सैट कर दिया.
मेरा सुपारा उसकी चूत की बंद लकीर पर मुँह मारने लगा.
वह भी सुपारे की गर्मी पाकर अपनी गांड हिलाती हुई मेरे लंड को अन्दर बुलाने लगी थी.
मुझसे रहा न गया और मैंने एक जोरदार धक्का लगा दिया.
शॉट एकदम सही समय पर और सही जगह पर लगा था तो करीब ढाई इंच लंड चूत को फाड़ कर अन्दर घुस गया था.
लंड क्या घुसा, उसकी तो चीख ही निकल गई.
उसकी चीख बता रही थी कि पक्का यह उसका पहली बार वाला हमला था.
मैं सजग हो गया और अन्दर ही अन्दर बेहद खुश भी हो गया था कि आज चूत फाड़ने का पहला मौका मिला है.
अब मैं उसे किस करने लगा और उसे सहलाने लगा, उसका एक दूध अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.
अपने चूचे चुसवाने से उसे अच्छा लगने लगा.
थोड़ी देर बाद वह खुद अपनी कमर उठा कर लंड लेने लगी.
उसका दर्द कम हो गया था.
मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया और अपना पूरा लंड उसकी चूत की जड़ तक उतार दिया.
उसकी दर्द भरी चीख निकल गई पर इस बार मेरे होंठ चूसने की वजह से आवाज नहीं निकल पाई.
इस बार मैंने बिना रुके धक्कों की स्पीड तेज कर दी.
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे.
फिर 5 मिनट तक चुदाई के बाद उसे भी मजा आने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगी- आह हहह हहह आज मेरी चूत फ़ाड़ कर इसका भोसड़ा बना दो … बड़ा मजा आ रहा है भैया … आहह आज मेरी चूत की माँ चुद गईई ईई आह.
मुझे अपनी बहन की चूत रगड़ने में बेहद सुकून मिल रहा था.
मैं भी सांड की तरह अपनी छोटी बहन को बकरी समझ कर चोदने में लगा हुआ था.
काफी देर की जोरदार चुदाई के बाद मैंने चूत से लंड निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया.
वह अच्छी तरह से लंड चूसने लगी.
मैंने उसके मुँह में ही जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और 5 मिनट बाद उसके मुँह में ही झड़ गया.
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा, दो बार उसकी चूत और एक बार गांड बजाई.
Xxx सिस फक के बाद हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए.
अगली सुबह मैं 12 बजे उठा.
तब तक वर्षा नहाकर तैयार हो गई थी.
उसने मुझे जगाया और एक किस किया.
मैं जागा तो उसने मुझसे फ्रेश होने को ��हा.
उस दिन के बाद ��ब भी मौका मिलता, हम दोनों दबा कर चुदाई करते.
मैंने वर्षा की मदद से अपनी मम्मी को भी चोदा.
यह सब कैसे हुआ था, उसे मैं अपनी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
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मुझ पर थोड़ा तो रहम करो मैं भी तो तुम्हारा ही हूँ
मैं कोई गैर तो हूं नहीं, जैसा भी हूं बस तुम्हारा ही हूं
मैं किस तरह कहूं कि ज़िम्मेदारियां मेरे साथ कैसी हैं
मैं किस तरह कहूं कि इन घर के झगड़ों में मेरी हाल-बीती कैसी है
-वाजिद शेख
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मुस्लिम धर्म के प्रवक्ता मानते हैं कि क़यामत/प्रलय के बाद जिंदा किये जायेंगे। लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे किस आयु के होंगे यानि कोई 10 वर्ष का, कोई कम, कोई 20, 30, 40, 50 या इससे अधिक आयु में मरेंगे। कब्रों में दबाया जायेगा। फिर उनको उसी आयु में जीवित किया जायेगा या शिशु रूप में जीवित किये जायेंगे ?
जबकि क़ुरान शरीफ़ (मजीद) सूरह अंबिया 21 आयत 104, सूरह अर रूम 30 आयत 11, सूरह अल बकराह 2 आयत 28, 243 में स्पष्ट है कि अल्लाह ने पहले जिस तरह सृष्टि किया है उसे दोहरायेगा।
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क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता
आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता
तू छोड़ रहा है तो ख़ता इस में तेरी क्या
हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता
प्यासे रहे जाते हैं ज़माने के सवालात
किस के लिए ज़िंदा हूँ बता भी नहीं सकता
घर ढूँढ़ हैं मेरा रातों के पुजारी
मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता
वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता
-वसीम बरेलवी
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#अध्यात्म_में_गुरु_का_महत्व
स्वामी रामानंद जी को कबीर परमेश्वर ने किस तरह गुरु बनाया उसका वर्णन करते हुए संत गरीबदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी ने स्वामी रामानंद जी के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा।
💐💐
9Days Left Kabir Prakat Diwas
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Best word processing software and
Introduction of Libreoffice word processing writerदोस्तों, आज का हमारा topics वर्ड प्रोसेसिंग पर है और आज पढ़ेंगे और सीखेंगे कि वर्ड प्रोसेसिंग क्या है इसका इस्तेमाल कम्प्यूटर पर किस लिए किया जाता है और इसको हम कैसे कर सकते हैं Let,s startयह लिब्रेऑफिस का एक word processor एप्लीकेशन है इसमें हम बहुत से काम करते हैं यह Microsoft word ,Abi word, jarte word processor इत्यादि इन सब प्रोग्राम की तरह है राइटर आपको चिठ्ठी से लेकर एम्बेडेड इल्टेशन के साथ मुश्किल डाक्यूमेंट्स तक और ग्रंथ सूची के साथ कुछ भी बनाने का आदेश देते हैं ऑटो स्पेशल चेक और ऑटो पूर्ति वर्ड प्रोसेसिंग एप्लिकेशन को ओर सुविधा जनक बनाते हैं माइक्रोसॉफ्ट वर्ड प्रोसेसर के विपरित राइटर ज्यादातर वर्तनी श्रुटियो का पता लगाते हैं
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پوچھا جو ان سے چاند نکلتا ہے کس طرح
زلفوں کو رخ پہ ڈال کر جھٹکا دیا کہ یوں
पूछा जो उनसे चाँद निकलता है किस तरह
ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे ड़ाल कर झटका दिया कि यूँ.
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क्या राहु-केतु से भी राजयोग बनता है, यदि हाँ तो उसकी परिस्थिति किस प्रकार बनती है?
हाँ, राहु-केतु से भी राजयोग बन सकता है, लेकिन इसकी स्थिति और परिणाम विशिष्ट और असामान्य होते हैं। यहां 5 मुख्य बिंदु दिए गए हैं जो राहु-केतु से बनने वाले राजयोग की परिस्थिति को दर्शाते हैं:
विपरीत राजयोग: जब राहु या केतु केंद्र (1st, 4th, 7th, 10th घर) में स्थित होते हैं और शुभ ग्रहों जैसे कि बृहस्पति, शुक्र, या चंद्रमा से संबंध बनाते हैं, तो "विपरीत राजयोग" बन सकता है। इसका अर्थ यह है कि शुरू में व्यक्ति को संघर्ष या कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अंततः वह सफल और शक्तिशाली बनता है।
गुरु-चांडाल योग: जब राहु गुरु (बृहस्पति) के साथ संयोजन में होता है, तो इसे "गुरु-चांडाल योग" कहा जाता है। अगर यह योग शुभ ग्रहों से प्रभावित हो और मजबूत स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति को उच्च बुद्धिमत्ता, अद्वितीय दृष्टिकोण, और समाज में प्रभावशाली स्थान दिला सकता है।
कालसर्प योग के सकारात्मक परिणाम: हालांकि कालसर्प योग को आमतौर पर अशुभ माना जाता है, कुछ स्थितियों में यह राजयोग की तरह कार्य कर सकता है। यदि कालसर्प योग में राहु-केतु अच्छे घरों में हों और शुभ ग्रहों से प्रभावित हों, तो व्यक्ति को अप्रत्याशित रूप से सफलता, सत्ता और संपत्ति मिल सकती है।
इन योगों में राहु-केतु से राजयोग बनने की संभावना तब होती है जब ये ग्रह शुभ ग्रहों से संयोजन, दृष्टि या स्थिति के द्वारा सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। यदि आपको आपकी कुंडली के आधार पर जाना चाहते है। तो आप Kundli for Android - Astrology App का प्रयोग कर सकते है। जो आपको आपकी कुंडली के आधार पर बेहतर जानकारी दे सकता है।
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लखनऊ, 12.11.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज, कश्मीरी मोहल्ला, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 54 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका श्रीमती पूनम मिश्रा, श्रीमती रुचि किशोर, श्रीमती सरिता गौतम, श्रीमती प्रीति सिंह एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया l
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका श्रीमती पूनम मिश्रा, श्रीमती रुचि किशोर, श्रीमती सरिता गौतम, श्रीमती प्रीति सिंह, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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ज्योतिष और सरकारी नौकरी: ग्रहों की चाल और आपकी करियर योजना
अपने करियर को लेकर कई तरह के प्रश्न मन में उठ सकते हैं, जिसमें बहुत से लोगों के मन में सरकारी नौकरी की इच्छा बहुत अधिक मायने रखती है. एक अच्छी सरकारी नौकरी को पाने के लिए भी युवाओं में होड़ मची हुई देखी जा सकती है. ऐसे में वो कौन से योग होते हैं जो सरकारी नौकरी दिलाने में मदद करते हैं, तो इस बारे में ज्योतिष अनुसार कुछ विशेष ग्रह योगों की स्थिति विशेष भूमिका निभाने वाली होती है. तो चलिए जान लेते हैं की सरकारी नौकरी दिलाने में ज्योतिष कैसे मदद करता है और ग्रहों की चाल कैसे आपकी करियर योजना बनाने में मदद कर सकती है बल्कि आपको उस योजनाओं में सफलता भी दिला सकती है.
ज्योतिष और सरकारी नौकरी
ज्योतिष शास्त्र करियर के चयन करने और साथ ही एक बेहतर करियर निर्माण करने में मदद करता है. ज्योतिष अनुसार कुछ विशेष ग्रह और जन्म कुंडली के कुछ विशेष भाव एवं नक्षत्र योग इत्यादि का अगर किसी जातक की कुंडली में अच्छा प्रभाव हो तो इसका परिणाम एक बेहतरीन करियर बनाने के रूप में मिलता है.
ज्योतिष अनुसार सूर्य और गुरु जैसे ग्रह सरकारी पक्ष को दर्शाते हैं. सूर्य को राजा एवं सरकार के रूप में देखा जाता है. कुंडली में मौजूद प्रबल सूर्य व्यक्ति को सरकार से मिलने वाले लाभ दिलाने में काफी सहायक होता है. इसी के साथ चंद्रमा, गुरु जैसे ग्रह भी सरकार पक्ष की ओर से आपको बेहतर परिणाम दिलाने में सहायक बनते हैं.
ग्रहों की चाल और आपकी करियर योजना
ग्रहों की चाल का असर सभी पर पड़ता है. कुंडली एवं गोचर की स्थिति ही ग्रहों की चाल को समझने में मदद करती है. जब कुंडली में ग्रह अपनी वक्रता, पाप प्रभाव से मुक्त होते हुए शुभ स्थिति में रहते हैं अथवा दशा करियर भाव से संबंध बना रही हो और साथ में गोचर का शुभ असर भी करियर पर हो तब उस स्थिति में करियर की योजना सफलता की ओर अग्रसर होती है.
कुंडली में दशम भाव आपके करियर के लिए विशेष होता है, इसी के साथ छठा भाव आपके जीवन में प्रतिस्पर्धा एवं प्रतियोगिताओं में सफलता की भूमिका को दिखाता है. आप कौन सा करियर चयन करेंगे यह दशम भाव दिखाता है और आप अपने जीवन में कैसे प्रतिस्पर्धा को जीतेंगे यह छठे भाव के प्रभाव से दिखाई देता है. इन भावों की स्थिति अगर कमजोर है तब उस स्थिति में व्यक्ति के लिए बेहतर करियर योजना का निर्माण भी कुछ कमजोर होता चला जाता है.
कुंडली में सरकारी नौकरी के योग
कुंडली में सरकारी नौकरी के योग का निर्माण कुछ शुभ योगों के प्रभाव से, कुंडली के नौकरी भाव के ग्रह एवं भाव स्वामियों की स्थिति, दशा और गोचर के प्रभाव से फलित होता है. सरकारी नौकरी के योग में आपकी कुंडली में सूर्य, गुरु जैसे ग्रहों की अनुकूल स्थिति काम करती है. इसी के साथ करियर भाव का मजबूत होना आपको सरकारी पक्ष से काम दिलाने में मदद करता है. कुंडली में लग्न भाव की स्थिति मजबूत है, बृहस्पति और सूर्य जैसे ग्रहों का लग्न पर असर है मंगल दशम भाव को प्रभावित करता है शनि छठे भाव को प्रभाव देता है तो इस स्थिति में यह सरकारी नौकरी को दिलाने में अच्छे योग की स्थिति दिखाता है।
बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में सरकारी नौकरी पाने क��� लिए गुरु एवं बुध की स्थिति अगर प्रबल है तो परिणाम अनुकूल देने वाली होती है. वहीं सेना पुलिस इत्यादि जैसे स्थानों में सरकारी नौकरी पाने के लिए मंगल का प्रबल होना उच्च सरकारी पद दिलाने वाला होता है और जब इन ग्रहों का संबंध दशम भाव से बनता है तो सरकारी नौकरी का योग अधिक मजबूत बन जाता है.
जन्म कुंडली में सरकारी नौकरी के संकेत
जन्म कुंडली में सरकारी नौकरी के संकेत कई तरह से दिखाई देते हैं इनमें सभी का अपना अपना असर होता है. कुंडली में बन रहे शुभ योग और शुभ ग्रहों का प्रभाव आपको सरकारी क्षेत्र में अच्छे काम दिलाने वाला होगा. वहीं सरकारी नौकरी के संकेत हमें वर्ग चार्ट से भी मिलते हैं. सरकारी नौकरी हेतु लग्न कुंडली के साथ साथ वर्ग कुंडली को जांच लेना भी जरूरी होता है. इसमें नवमांश कुंडली और दशमांश कुंडली का सूक्ष्म विश्लेषण बताता है की सरकारी क्षेत्र में आप कितने सफल रहेंगे और आप के लिए सरकारी नौकरी का योग किस प्रकार के प्रभाव देगा.
सरकारी नौकरी के लिए ज्योतिष परामर्श
कुंडली के उचित अध्ययन से हम जान सकते हैं कि सरकारी नौकरी कब मिल सकती है या अगर सरकारी नौकरी के योग कुछ कमजोर बन रहे हैं तो उन्हें कैसे मजबूत किया जाए जिससे हम सरकारी नौकरी को पाने में सफल रह सकते हैं. इन सभी बातों के लिए सरकारी नौकरी के लिए ज्योतिष परामर्श लेना एक उचित और बेहतर विकल्प होता है.
एक कुशल ज्योतिषी ही आपको सटीक रूप में बता सकता है कि आप कब अपने लिए सरकारी नौकरी पाने में सक्षम होंगे. ज्योतिषी परामर्श द्वारा न केवल आप अवसर को पाने का उचित समय पाते हैं बल्कि आप अपने अवसरों को बेहतर ज्योतिषी उपायों से मजबूत कर सकते हैं जिससे आप सरकारी नौकरी पाने में सफल रहें.
अधिक जानकारी के लिए अवश्य जाएँ -
कोर्ट केस | मेरी शादी कब होगी ? | आज का राशिफल
Source URL - https://karmaastro.medium.com/jyotish-mai-sarkari-naukri-ki-bhavishyavani-1287199e41ee
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चाहिए थोड़ा दुख
खबरें देखता रहता हूं दिन भर और
कुछ नहीं लिखता मैं
देखता हूं रील, तस्वीर और वीडियो
दूसरों का नाच गाना सोना नहाना
सब कुछ पर बेमन
सीने में जाने किसका है वजन
जो काटे नहीं कटता वक्त की तरह
गोकि मैं हूं बहुत बहुत व्यस्त और
ऐसा सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है चूंकि
मैं फोन नहीं उठाता किसी का
मैं वाकई व्यस्त हूं, और जाने
किन खयालों में मस्त हूं कि अब
कुछ भी छू कर नहीं जाता
निकल लेता है ऊपर से या नीचे से
या दाएं से और बाएं से
सर्र से पर मेरी रूह को तो छोड़ दें
त्वचा तक को कष्ट नहीं होता।
ये जो वजन है
यही दुख का सहन है
वैसे कारण कम नहीं हैं दुखी होने के
दूसरी सहस्राब्दि के तीसरे दशक में, लेकिन
दुख की कमी अखरती है रोज-ब-रोज
जबकि समृद्धि इतनी भी नहीं आई
कि खा पी लें दो चार पुश्तें
या फिर कम से कम जी जाएं विशुद्ध
हरामखोर बन के ही बेटा बेटी
या अकेले मैं ही।
मैंने सिकोड़ लिया खुद को बेहद
तितली से लार्वा बनने के बाद भी
फोन आ जाते हैं दिन में दो चार
और सभी उड़ते हुए से करते हैं बात
चुनाव आ गया बॉस, क्या प्लान है
मेरा मन तो कतई म्लान है यह कह देना
हास्यास्पद बन जाने की हद तक
संन्यस्त हो जाने की उलाहना को आमंत्रित करता
बेकल आदमी का एकल गान है।
एक कल्पना है
जिसका ठोस प्रारूप कागज पर उतारना
इतना कठिन है कि महीनों हो गए
और इतना आसान, कि लगता है
एक रोज बैठूंगा और लिख दूंगा
रोज आता है वह एक रोज
और बीत जाता है रोज
अब उसकी भी तीव्रता चुक रही है
तारीख करीब आ रही है और धौंकनी
धुक धुक रही है
कि क्या 4 जून के बाद भी करते रहना होगा
वही सब चूतियापा
जिसके सहारे काट दिए दस साल
अत्यंत सुरक्षित, सुविधाजनक
बिना खोए एक क्षण भी आपा
बदले में उपजा लिए कुछ रोग जिन्हें
डॉक्टर साहब जीवनशैली जनित कहते हैं
जबकि इस बीच न जीवन ही खास रहा
न कोई शैली, सिवाय खुद को
बचाने की एक अदद थैली
आदमी से बन गए कंगारू
स्वस्थ से हो गए बीमारू
कीड़े पनपते रहे भीतर ही भीतर
बाहर चिल्लाते रहे फासीवाद और
भरता रहा मन में दुचित्तेपन का
गंदा पीला मवाद।
यार, ऐसे तो नहीं जीना था
सिवाय इस राहत के कि
जीने की भौतिक परिस्थितियां ही
गढ़ती हैं मनुष्य को
यह दलील चाहे जितना डिस्काउंट दे दे
लेकिन मन तो जानता है (न) कि
दुनिया के सामने आदमी कितनी फानता है
और घर के भीतर चादर कितनी तानता है।
अगर ये सरकार बदल भी जाए तो क्या होगा मेरा
यही सोच सोच कर हलकान हुआ जाता हूं
जबकि सभी दोस्त ठीक उलटा सोच रहे हैं
जरूरी नहीं कि दोस्त एक जैसा सोचें
बिलकुल इसी लोकतांत्रिक आस्था ने दोस्त
कम कर दिए हैं और जो बच रहे हैं
वे फोन करते हैं और मानकर चलते हैं
मैं उनके जैसी बात कहूंगा हुंकारी भरूंगा
मैं तो अब किसी को फोन नहीं करता
न बाहर जाता हूं मिलने
बहुत जिच की किसी ने तो घर
बुला लेता हूं और जानता हूं कि
दस में से दो आ जाएं तो बहुत
इस तरह कटता है मेरा क्लेश और
बच जाता है वक्त
चूंकि मैं हूं बहुत बहुत व्यस्त
बचे हुए वक्त में मैं कुछ नहीं करता
यह जानते हुए भी लगातार लोगों से बचता
फिरता हूं क्योंकि वे जब मिलते हैं तो
ऐसा लगता है कि बेहतर होता कुछ न करते
घर पर ही रहते और ऐसा
तकरीबन हर बार होता है
हर दिन बस यही संतोष
मुझे बचा ले जाता है
कि मेरा खाली समय कोई बददिमाग
पॉलिटिक���ी करेक्ट
बुनियादी रूप से मूर्ख और अतिमहत्वाकांक्षी
लेकिन अनिवार्यत: मुझे जानने वाला मनुष्य
नहीं खाता है।
लोगों को ना करते दुख होता है
ना नहीं करने के अपने दुख हैं
आखिर कितनों की इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं
और मूर्खतापूर्ण लिप्साओं की आत्यंन्तिक रूप से
मौद्रिक परियोजनाओं में
आदमी कंसल्टेंट बन सकता है एक साथ?
आपके बगैर तो ये नहीं होगा
आपका होना तो जरूरी है
रोज दो चार लोग ऐसी बातें कह के मुझे
फुलाते रहते हैं और घंटे भर की ऊर्जा
उनके निजी स्वार्थों की भेंट चढ़ जाती है
इतने में दस आदमी कांग्रेस से भाजपा में और
चार आदमी भाजपा से कांग्रेस में चले जाते हैं
हेडलाइन बदल जाती है
किसी के यहां छापा पड़ जाता है
तो किसी को जेल हो जाती है
फिर अचानक कोई ऐसा नाम ट्रेंड करने लगता है
जिसे जानने में बची हुई ऊर्जा खप जाती है।
मुझे वाकई ये बातें जानने का शौक नहीं
ज्यादा जरूरी यह सोचना है कि अगले टाइम
क्या छौंकना है लौकी, करेला या भिंडी
और किस विधि से उन्हें बनना है
यह और भी अहम है पर संतों के कहे
ये दुनिया एक वहम है और मैं
इस वहम का अनिवार्य नागरिक हूं
और औसत लोगों से दस ग्राम ज्यादा
जागरिक हूं और यह विशिष्टता 2014 के बाद
अर्जित की हुई नहीं है क्योंकि उससे पहले भी
मैं जग रहा था जब सौ करोड़ हिंदू
सो रहा था इस देश का जो आज मुझसे
कहीं ज्यादा जाग चुका है और
मेरे जैसा आदमी बाजार से भाग चुका है
भागा हुआ आदमी घर में दुबक कर
खबरें ही देख सकता है और गाहे-बगाहे सजने वाली
महफिलों में अपने प्रासंगिक होने के सुबूत
उछाल के फेंक सकता है।
दरअसल मैं इसी की तैयारी करता हूं
इसीलिए खबरें देखता रहता हूं
पर लिखता कुछ नहीं
बस देखता हूं दूसरों का नाच गाना
सोना नहाना सब कुछ
नियमित लेकिन बेमन।
कब आ जाए परीक्षा की घड़ी
खींच लिया जाए सरेबाजार और
पूछ दिया जाए बताओ क्या है खबर
और कह सकूं बेधड़क मैं कि सरकार बहादुर
गरीबों में बांटने वाले हैं ईडी के पास आया धन।
छुपा ले जाऊं वो बात जो पता है
सारे जमाने को लेकिन कहने की है मनाही
कि एक स्वतंत्र देश का लोकतांत्रिक ढंग से
चुना गया प्रधानमंत्री कर रहा था सात साल से
धनकुबेरों से हजारों करोड़ रुपये की उगाही
खुलवाकर कुछ लाख गरीबों का खाता जनधन।
सच बोलने और प्रिय बोलने के द्वंद्व का समाधान
मैंने इस तरह किया है
बीते बरसों में जमकर झूठ को जिया है
स्वांग किया है, अभिनय किया है
जहां गाली देनी थी वहां जय-जय किया है
और सीने पर रख लिया है एक पत्थर
विशालकाय
अकेले बैठा पीटता रहता हूं छाती हाय हाय
कि कुछ तो दुख मने, एकाध कविता बने
लगे हाथ कम से कम भ्रम ही हो कि वही हैं हम
जो हुआ करते थे पहले और अकसर सोचा करते थे
किसके बाप में है दम जो साला हमको बदले।
ये तैंतालीस की उम्र का लफड़ा है या जमाने की हवा
छूछी देह ही बरामद हुई हर बार जब-जब
खुद को छुवा
हर सुबह चेहरे पर उग आती है फुंसी गोया
दुख का निशान देह पर उभर आता हो
मिटाने में जिसे आधा दिन गुजर जाता हो
दुख हो या न हो, दिखना नहीं चाहिए
ऐसी मॉडेस्टी ने हमें किसी का नहीं छोड़ा
भरता गया मवाद बढ़ता गया फोड़ा
अल्ला से मेघ पानी छाया कुछ न मांगिए
बस थोड़ा सा जेनुइन दुख जिसे हम भी
गा सकें, बजा सकें और हताशाओं के
अपने मिट्टी के गमले में सजा सकें
और उसे साक्षी मानकर आवाहन करें
प्रकृति का कि लौट आओ ओ आत्मा
कम से कम कुछ तो दो करुणा कि
स्पर्श कर सकें वे लोग, वे जगहें, वे हादसे
जिनकी खबरें देखता रहता हूं मैं
दिन भर और कुछ भी नहीं लिख पाता।
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जो ग़म से हार जाओगे तो किस तरह निभाओगे
ख़ुशी मिले हमें की ग़म
जो होगा बाँट लेंगे हम मुझे तुम आज़माओ तो जरा नजर मिलाओ तो
ये जिस्म तो सही मगर दिलो में नहीं
जहां में ऐसा कौन है कि जिसको गम मिला नहीं
—Jahan Mein Aisa Kon Hai,
movie: Hum Dono
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हेलो दोस्तों आज हम बात करेंगे कि यूट्यूब में और फेसबुक में किस तरह से पैसा कमाया जा सकता है
आपको पता ही होगा कि यूट्यूब में और फेसबुक में वीडियो डालकर या यूट्यूब में शॉर्ट वीडियो डालकर और फेसबुक में रियल डालकर भी पैसा कमाया जा सकता है
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Urfi Javed:इस मिस्टी संग रिलेशनशिप में आई है ऊर्फी जावेद, किस करते हुए शेयर
Urfi Javed:इस मिस्टी संग रिलेशनशिप में आई है ऊर्फी जावेद, किस करते हुए शेयर
Urfi Javed New Photo: टीवी एक्ट्रेस और वर्जन उर्फी जावेद अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। उर्फी जावेद अपने स्टाइल से लेकर अपने बयानों के कारण लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रहती हैं। इसी बीच उर्फी जावेद ने सोशल मीडिया पर एक ऐसी तस्वीर शेयर की है, जिसे लेकर उनके बारे में कई तरह की बातें कही जा रही हैं। दरअसल उर्फी जावेद ने लकड़ी की छड़ी के साथ एक तस्वीर शेयर की है। यह तस्वीर ऐसी है कि उर्फी जावेद की रिलेशनशिप लाइफ को लेकर एक बार फिर अटकलें लगने लगीं। आइए जानते हैं कि उर्फी जावेद को लेकर नई मुसीबत क्या है।
उर्फी जावेद और काजोल का है खास कनेक्शन
उर्फी जावेद ने गुरुवार को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से स्टोरी से एक तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि उर्फी जावेद एक छड़ी को लिपकिस करती हुई दिखाई दे रही हैं। इस फोटो में उर्फी जावेद ने काजोल को टैग किया है। इससे पता चलता है कि उर्फी जावेद ने अपनी खास दोस्त काजोल को लिप किस किया है।
इसके बाद लोग कयास लगा रहे हैं कि उर्फी जावेद और काजोल एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं। उर्फी जावेद और काजोल अक्सर एक साथ नजर आते हैं और काफी वक्त साथ बिताते हैं। उर्फी जावेद और काजोल की तस्वीरें और फिल्में सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं। उर्फी जावेद और काजोल के रिश्ते को लेकर भले ही चर्चाएं होती रहती हैं। लेकिन दोनों ने इस बात का खुलासा नहीं किया है।
उर्फी जावेद ने टीवी से शुरू किया था करियर
बता दें कि उर्फी जावेद हाल ही में ‘बिग बॉस ओटीटी 2’ में गेस्ट बनकर पहुंची थीं। उर्फी जावेद ने ‘बिग बॉस ओटीटी 2” के घर के अंदर प्रतियोगियों के साथ बातचीत की। काम के मोर्चे की बात करें तो उर्फी जावेद ने टीवी इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत साल 2016 में शो ‘बड़े भैया की दुल्हनिया’ से की थी। उन्होंने कई टीवी शोज में काम किया है। हालाँकि, उर्फी जावेद को ‘बिग बॉस ओटीटी 1’ में प्रदर्शन करने के बाद शीर्ष पायदान की प्रतिष्ठा मिली। उर्फी जावेद अन्य रियलिटी शो में भी नजर आ चुकी हैं।
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