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Jitin Prasad के छोड़कर जाने पर MLA Aditi Singh ने Congress को दी बड़ी सलाह | Baat To Chubegi
Jitin Prasad के छोड़कर जाने पर MLA Aditi Singh ने Congress को दी बड़ी सलाह | Baat To Chubegi
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कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद भाजपा में हुए शामिल
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद भाजपा में हुए शामिल
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में वह भाजपा में शामिल हुए। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले हलचल शुरू हो गई है। बता दें कि भाजपा के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने बुधवार सुबह एक ट्वीट कर जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने की ओर इशारा कर दिया था। कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरों में से एक जितिन प्रसाद…
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Pilot & Sonia Meeting : सचिन पायलट के राजस्थान के CM बनने के आसार
New Delhi : इन दिनों कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा है। प्रशांत कुमार से लम्बी मुलाकात के अलावा वे उन राज्यों में भी मतभेद ख़त्म करना चाहती हैं, जहाँ कांग्रेस की सरकार है। इसी क्रम में आज उन्होंने राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई, जब सचिन पायलट को अशोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा है।
सोनिया और सचिन के बीच हुई बैठक का मुद्दा राजस्थान और पार्टी में सचिन पायलट की भूमिका को लेकर थी। जब कांग्रेस अगले साल राज्य में चुनाव की तैयारी कर रही है। सचिन पायलट पहले राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री थे। लेकिन, 2020 में जब उन्होंने पार्टी से बगावत की तो, उन्हें दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा। अब उन्हें नई भूमिका और जिम्मेदारी देने का निर्णय सोनिया गांधी करेंगी।
पिछले दो साल में कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। ऐसे ��ें इसे अहम माना जा रहा है। जब राहुल गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों की बात आती है तो अब केवल सचिन पायलट ही बचे हैं। क्योंकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे नेता भाजपा में चले गए।
जानकारी बताती है कि सचिन पायलट ने स्पष्ट कर दिया है कि वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। जब कांग्रेस ने 2018 का राजस्थान चुनाव जीता था, तब उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। उनकी जगह अनुभवी अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके दो साल बाद वह अपने समर्थक 18 विधायकों को लेकर दिल्ली में डेरा डाल लिया, हालांकि, उन्हें फिर मनाया गया। सचिन पायलट की बगावत ने अशोक गहलोत की सरकार को पतन के कगार पर ला दिया था।
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केरल से कश्मीर तक... जिधर देखो बगावत से जूझ रही है कांग्रेस, देखें कहां किस-किस में भिड़ंत Divya Sandesh
#Divyasandesh
केरल से कश्मीर तक... जिधर देखो बगावत से जूझ रही है कांग्रेस, देखें कहां किस-किस में भिड़ंत
यह सब कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्यों, पार्टी महासचिवों (AICC General Secretaries), सचिवों, प्रदेश कांग्रेस कमिटी (PCC) प्रमुखों की ‘हमें चाहिए गांधी परिवार’ की बनावटी चित्कार की आड़ में हो रहा है। ध्यान रहे कि ये कार्यसमिति से लेकर पीसीसी तक के सदस्य और प्रमुख प्रभावी तौर पर ‘नामित’ हैं, चयनित नहीं। यही वजह है कि वो सभी सोनिया गांधी की कृपा से पद पर आसीन रहते हैं जबकि चुनाव होते तो जीतने वाले कार्यसमिति सदस्यों या संसदीय बोर्ड के सदस्यों को हटाने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष के पास नहीं होता। नेतृत्व के मोर्चे पर ‘आप नामित करें, हमें समर्थन देंगे’ की व्यवस्था के बावजूद विभिन्न प्रदेशों में कांग्रेस आंतरिक मारधाड़ से लहूलुहान है। कांग्रेस नेता पार्टी नेतृत्व से मायूस हो रहे हैं, इसलिए उनमें निराशा का भाव गहरा हो रहा है। वहीं, पार्टी नेतृत्व ‘पीढ़ीगत बदलाव’, ‘बुजुर्ग नेताओं’ को किनारे करने और ‘टीम राहुल-प्रियंका’ को मजबूत करने के लुभावने दावे कर रहा है। इन सबके बीच केरल से लेकर कश्मीर तक कांग्रेस पार्टी के अंदर विद्रोह की ज्वाला धधक रही है…कांग्रेस पार्टी दो वर्षों से नेतृत्व विहीन है। सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पार्टी का पहिया खींच रही हैं। अभूतपूर्व चुनावी एवं संगठनात्मक उलटफेर के बीच पुत्र राहुल गांधी और पुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी नेतृत्व में परिवारिक हितों की रक्षा कर रहे हैं।यह सब कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्यों, पार्टी महासचिवों (AICC General Secretaries), सचिवों, प्रदेश कांग्रेस कमिटी (PCC) प्रमुखों की ‘हमें चाहिए गांधी परिवार’ की बनावटी चित्कार की आड़ में हो रहा है। ध्यान रहे कि ये कार्यसमिति से लेकर पीसीसी तक के सदस्य और प्रमुख प्रभावी तौर पर ‘नामित’ हैं, चयनित नहीं। यही वजह है कि वो सभी सोनिया गांधी की कृपा से पद पर आसीन रहते हैं जबकि चुनाव होते तो जीतने वाले कार्यसमिति सदस्यों या संसदीय बोर्ड के सदस्यों को हटाने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष के पास नहीं होता। नेतृत्व के मोर्चे पर ‘आप नामित करें, हमें समर्थन देंगे’ की व्यवस्था के बावजूद विभिन्न प्रदेशों में कांग्रेस आंतरिक मारधाड़ से लहूलुहान है। कांग्रेस नेता पार्टी नेतृत्व से मायूस हो रहे हैं, इसलिए उनमें निराशा का भाव गहरा हो रहा है। वहीं, पार्टी नेतृत्व ‘पीढ़ीगत बदलाव’, ‘बुजुर्ग नेताओं’ को किनारे करने और ‘टीम राहुल-प्रियंका’ को मजबूत करने के लुभावने दावे कर रहा है। इन सबके बीच केरल से लेकर कश्मीर तक कांग्रेस पार्टी के अंदर विद्रोह की ज्वाला धधक रही है…केरलगांधी परिवार को ओमन चांडी और रमेश चेन्निताला की जुगलबंदी भा रही है। वहां केसी वेणुगोपाल की सलाह पर सामूहिक नेतृत्व की जगह एक से ज्यादा मोर्चों का प्रयोग आजमाया जा रहा है। दूसरी तरफ, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के. सुधाकरण और विधानसभा में संसदीय दल के नेता वीडी सतीशन का जोड़ा है। ऐसे में केरल कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि नई धुरी पार्टी पर चांडी-चेन्निताला की पकड़ मजबूत करना चाहता है तो सुधाकरण-सतीशन की जोड़ी किसी भी सूरत में अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देना चाहती है। कर्नाटकसिद्धारमैया बनाम डीके शिवकुमार की लड़ाई ही प्रदेश कांग्रेस की सुर्खियां रहती हैं। बीजेपी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया है, इस कारण प्रदेश कांग्रेस से उसका आसान निशाना ही छिन गया। अब उसके पास भ्रष्टाचार विरोधी अभियान भी औंधे मुंह गिर चुका है। ऐसे में पूरा फोकस सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच खुद को मुख्यमंत्री पद का हकदार साबित करने पर चला गया है। भविष्य में यह गुटबाजी बढ़ने के भरपूर संकेत मिल रहे हैं।महाराष्ट्रटीम राहुल ने ‘वफादारों’ को नजरअ���दाज करके बीजेपी से लौटे नाना पटोले को महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया तो उन्होंने महाविकास अघाड़ी गठबंधन में अपनी चाल चलनी शुरू कर दी। तब गठबंधन के साथियों- शिवसेना और एनसीपी ने कांग्रेस को हिदायत दी कि वह पटोले को अनुशासन में रखे। नितिन राउत समेत कांग्रेस के अन्य मंत्रियों के साथ पटोले का मनमुटाव भी सार्वजनिक हो चुका है। मुंबई कांग्रेस में आंतरिक कलह को हवा संजय निरुपम और गुरुदास कामत के झगड़े से मिली थी। कामत की अब मृत्यु हो चुकी है। उसके बाद यूथ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सूरज ठाकुर ने मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति (MRCC) और भाई जगताप के साथ अनबन के कारण पद से इस्तीफा दे दिया। भाई जगताप राहुल गांधी की खोज हैं। मुंबई कांग्रेस में यह तब हो रहा है जब बीएमसी चुनाव माथे पर है।गोवादलबदल की राजनीति के प्रतीक इस राज्य में कांग्रेस के पास करीब आधे दर्जन पूर्व मुख्यमंत्री और पर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन टीम राहुल ने गिरीश चोडंकर, चंद्रकांत कावलकर और चेल्लाकुमार (अब उनकी जगह दिनेश गुंडुराव आ गए हैं) को क्रमशः पार्टी प्रमुख, विधानसभा में कांग्रेस संसदीय दल का नेता और पार्टी प्रभारी बनाया। इससे वहां के वरिष्ठ कांग्रेसियों में बगावत हो गई और कई विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। हाल ही में, प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने गांधी से मिलकर गोवा के नेतृत्व में बदलाव की मांग की।गुजरातपिछले विधानसभा चुनाव में बढ़िया प्रदर्शन करने के बाद राहुल गांधी ने गुजरात में अपनी टीम बनाई। ऐसा करते वक्त उन्होंने तत्कालीन नेतृत्व को पूरी तरह नजरअंदाज किया जिसमें अहमद पटेल के भी कई समर्थक शामिल ��े। अमित चावड़ा, परेश धान��� और हार्दिक पटेल को क्रमशः प्रदेश कांग्रेस प्रमुख, विधानसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष का पोस्ट दिया। वहीं, अशोक गहलोत की जगह राजीव सातव को गुजरात का प्रभारी बनाया गया। उसके बाद लोकसभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। वहां पार्टी की हार का सिलसिला आगे बढ़ा और स्थानीय निकायों के चुनावों में भी कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। अब पार्टी में आंतरिक कलह जोरों पर है। वहां पार्टी के कई नेता एक-दूसरे को दुश्मन की नजर से देखते हैं। राजस्थानमुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच ‘हम बड़े, हम बड़े’ की लड़ाई परंपरागत तरीके से आगे बढ़ रही है। प्रदेश प्रभारी अजय माकन जुलाई में जयपुर गए और हरेक विधायक से अकेले में मुलाकात की। उन्होंने पार्टी को दिल्ली नेतृत्व का संदेश दिया कि राजस्थान कैबिनेट में बदलाव किया जाए। मीटिंग में कई प्रमुख विधायकों और नेताओं ने माकन को चेताया कि दिल्ली नेतृत्व ‘गद्दारों’ की पीठ पर हाथ रखकर उन वफादारों को चिढ़ाना छोड़ दे जिन्होंने उस वक्त गहलोत की सरकार बचाई जब बीजेपी ने घात लगाने की कोशिश की थी।पंजाबपंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच का झगड़ा इस बात का प्रतीक है कि गांधी परिवार किस तरह संकट पैदा करने में माहिर हो चुका है। वहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिनमें कैप्टन की अगुवाई में कांग्रेस की आसान जीत की भविष्यवाणी हो रही थी। प्रदेश कांग्रेस में इस बात की चर्चा है कि कैप्टन को विरासत में कई संकट मिले, लेकिन उन्होंने गांधी परिवार के नाक में दम कभी नहीं किया लेकिन सिद्धू और उनके सलाहकारों ने सीमा लांघ दी।हरियाणाविधानसभा में कांग्रेस ससंदीय दल के नेता और पूर्व मुख्यंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा बनाम प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा की लड़ाई के बीच हाल ही में हुड्डा के समर्थक कांग्रेस हेडक्वॉर्टर पहुंच गए। वहां उन्होंने कांग्रेस के संगठन महासचिव और प्रदेश प्रभारी से प्रदेश संगठन की शिकायत की। उन्होंने अपनी शिकायत में जो तथ्य सामने रखे, उससे लगता है कि हुड्डा कैंप को गांधी और वाड्रा परिवार का समर्थन हासिल है। कहा जा रहा है कि हुड्डा अपने बेटे को शैलजा की जगह प्रदेश कांग्रेस प्रमुख का पद दिलाना चाहते हैं जबकि शैलजा पुरानी वफादार हैं और उनके समर्थक एवं दलित मतदाताओं की मजबूत जमीन कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण है।उत्तर प्रदेश और बिहारराहुल-प्रियंका के नेतृत्व में लड़े गए पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद यूपी कांग्रेस गहमागहमी बढ़ी। कई बुजुर्ग नेताओं को किनारे लगा दिया गया और जितिन प्रसाद ने तो पार्टी ही छोड़ दी। वहीं, बिहार में पार्टी को यह समझ ही नहीं आ रहा है कि वो किसी दलित को प्रदेश नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपे या फिर सवर्ण को। ऐसे में क�� कांग्रेस विधायक मुख्यमंत्री नीतीश कुमारे के पार्टी (जेडीयू) मजबूत करो अभियान के शिकार हो सकते हैं। छत्तीसगढ़राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलने का वादा किया था जो अब उनकी गले ही हड्डी बन रहा है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव वादा पूरा नहीं होने से खफा हैं जबकि भूपेश बघेल अपने प्रतिस्पर्धी टीएस सिंह देव के प्रभाव वाले दलित बहुल इलाकों के नेताओं को भड़काने में जुटे हैं। दिल्ली नेतृत्व ने देव को और बड़ा मंत्रालय देने का ऑफर दिया, लेकिन बघेल की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बनाना संभव नहीं दिख रहा है। कारण बड़े सपोर्ट बेस वाले बघेल का विधायकों के बीच भी अच्छी पकड़ का होना है। झारखंडप्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी कलह बढ़ने के बीच प्राटी ने वहां नया अध्यक्ष बना दिया। प्रदेश में इस बात की चर्चा तेज हो गई थी कि कुछ विधायक बीजेपी के फेंके पासे में फंसते दिख रहे हैं। नए प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी को संभालने में सफलता नहीं पाई तो जेएमएम के साथ गठबंधन वाली उसकी सरकार भी संकट में आ सकती है।असम और पूर्वोत्तर राज्यअसम विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई चरम पर पहुंच गई। यहां तक कि राहुल गांधी की वफादार सुष्मिता देव ने कांग्रेस छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया। असम के कुछ कांग्रेसी विधायकों और नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी। बीजेपी और उसके गठबंधन साथियों के शासित कई पूर्वोत्तर राज्य आंतिरक संकट से जूझ रहे हैं, फिर भी कांग्रेस मौके का फायदा नहीं उठा पा रही है।जम्मू-कश्मीरकांग्रेस पार्टी ने गुलाम नबी आजाद से किनारा करके जम्मू-कश्मीर में पार्टी के समीकरण को नया मोड़ दे दिया है। राहुल ने वहां आजाद के आलोचक गुलाम मोहम्मद मीर को प्रदेश प्रमुख का ओहदा दे दिया है। बदले में आजाद पिछली दो बार से अपने प्रदेश दौरे पर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी उनके पास पार्टी में प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचाने की पूरी क्षमता है।खुर्शीद की कांग्रेसियों को सलाहकांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि पार्टी नेताओं को पहले आरएसएस और बीजेपी से लड़ना चाहिए और फिर अपने मतभेदों को दूर करना चाहिए। उन्होंने यह टिप्पणी कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से संगठन में व्यापक बदलाव की मांग से जुड़े विवाद को लेकर की है। खुर्शीद ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विधि विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘जब समय आएगा तो हम बता देंगे हमारा अध्यक्ष कौन हैं। फिलहाल सोनिया जी हमारी अध्यक्ष हैं और अगर कोई कोई बदलाव होगा तो आपको बताया जाएगा।’ खुर्शीद ने कहा, ‘अगर हम आपस में ही लड़ते रहेंगे तो फिर आरएसएस और भाजपा से कैसे लड़ेंगे। पहले आरएसएस और भाजपा से लड़िय��� और फिर अपने मतभेदों को को दूर करिये।’
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Brahmin Votes : यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले "ब्राह्मण वोटों" के लिए छिड़ा सियासी संग्राम
Brahmin Votes : यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले “ब्राह्मण वोटों” के लिए छिड़ा सियासी संग्राम
लखनऊ : 2022 में होने वाले यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर ब्राम्हण वोटों के लिए सियासी संग्राम छिड़ गया है। भाजपा ने कांग्रेस के नेता जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल कर ब्राह्मणों को संदेश देने का प्रयास किया है। तो वहीं बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मणों को ध्यान में रखकर अयोध्या से प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत की है। सपा भी अब पीछे नहीं रहना चाहती है। यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले सभी दलों ने…
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Pilot & Sonia Meeting : सचिन पायलट के राजस्थान के CM बनने के आसार
New Delhi : इन दिनों कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा है। प्रशांत कुमार से लम्बी मुलाकात के अलावा वे उन राज्यों में भी मतभेद ख़त्म करना चाहती हैं, जहाँ कांग्रेस की सरकार है। इसी क्रम में आज उन्होंने राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई, जब सचिन पायलट को अशोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा है।
सोनिया और सचिन के बीच हुई बैठक का मुद्दा राजस्थान और पार्टी में सचिन पायलट की भूमिका को लेकर थी। जब कांग्रेस अगले साल राज्य में चुनाव की तैयारी कर रही है। सचिन पायलट पहले राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री थे। लेकिन, 2020 में जब उन्होंने पार्टी से बगावत की तो, उन्हें दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा। अब उन्हें नई भूमिका और जिम्मेदारी देने का निर्णय सोनिया गांधी करेंगी।
पिछले दो साल में कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। ऐसे में इसे अहम माना जा रहा है। जब राहुल गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों की बात आती है तो अब केवल सचिन पायलट ही बचे हैं। क्योंकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे नेता भाजपा में चले गए।
जानकारी बताती है कि सचिन पायलट ने स्पष्ट कर दिया है कि वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। जब कांग्रेस ने 2018 का राजस्थान चुनाव जीता था, तब उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। उनकी जगह अनुभवी अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके दो साल बाद वह अपने समर्थक 18 विधायकों को लेकर दिल्ली में डेरा डाल लिया, हालांकि, उन्हें फिर मनाया गया। सचिन पायलट की बगावत ने अशोक गहलोत की सरकार को पतन के कगार पर ला दिया था।
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डरपोक नेता चले जाएं, RSS वालों की कांग्रेस में जरूरत नहीं - राहुल गांधी
डरपोक नेता चले जाएं, RSS वालों की कांग्रेस में जरूरत नहीं – राहुल गांधी
राहुल गांधी की टिप्पणी इस मायने में महत्वपूर्ण है क��� पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए। इनमें सिंधिया और जितिन प्रसाद प्रमुख हैं। यह पहली बार है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने पार्टी के सोशल मीडिया विभाग के 3,500 कार्यकर्ताओं को ‘जूम’ के माध्यम से संबोधित किया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि जो लोग हकीकत और भारतीय जनता पार्टी का सामना…
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Many Bsp Mlas Are In Touch With Samajwadi Party Ahead Of Up Assembly Polls - उत्तर प्रदेश: धीरे-धीरे अखिलेश यादव ने 'बुआ' मायावती की परेशानी बढ़ानी कर शुरू दी है
Many Bsp Mlas Are In Touch With Samajwadi Party Ahead Of Up Assembly Polls – उत्तर प्रदेश: धीरे-धीरे अखिलेश यादव ने ‘बुआ’ मायावती की परेशानी बढ़ानी कर शुरू दी है
सार अखिलेश के एक अन्य करीबी विधायक का कहना है कि कांग्रेस के नेता जितिन प्रसाद भाजपा में जाने से पहले सपा में आना चाह रहे थे। उन्होंने कोशिश की लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ग्रीन सिग्नल नहीं दिया। लिहाजा भाजपा में चले गए… बीएसपी, बीजेपी,कांग्रेस के नेताओं ने सपा ज्वाइन की – फोटो : Agency ख़बर सुनें ख़बर सुनें बसपा प्रमुख मायावती ने सुबह-सुबह दो ट्वीट किए, जिसमें उनकी पीड़ा साफ नज़र आती है। इस…
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West Bengal: कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची जारी, ‘G-23’ के बड़े नामों को नहीं मिली जगह
West Bengal: कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची जारी, ‘G-23’ के बड़े नामों को नहीं मिली जगह
कांग्रेस (Congress) की ओर से 40 स्टार प्रचारकों की जो सूची चुनाव आयोग (Election Commission) को सौंपी गई है, उनमें सिर्फ मनीष तिवारी और जितिन प्रसाद ऐसे नेता हैं जो उस ‘G-23’ समूह में शामिल थे. इस गुट के नेताओं ने कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की पैरवी की थी.
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West Bengal में ‘अहम की लड़ाई’ लड़ रहे हैं तृणमूल-भाजपा, कांग्रेस नेता Jitin Prasad का आरोप
West Bengal में ‘अहम की लड़ाई’ लड़ रहे हैं तृणमूल-भाजपा, कांग्रेस नेता Jitin Prasad का आरोप
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल ( West Bengal) में इस साल होने वाले विधान सभा चुनावों से पहले बीजेपी (BJP) और टीएमसी (TMC) के बीच चल रही रस्साकशी में अब कांग्रेस (Congress) भी कूद पड़ी है. कांग्रेस के पश्चिम बंगाल के प्रभारी जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) ने आरोप लगाया कि बीजेपी और टीएमसी दोनों बंगाल में अहम की लड़ाई लड़ रहे हैं. ‘बंगाल में लोगों को विकल्प प्रदान करेगा कांग्रेस-वाम गठबंधन’ जितिन प्रसाद…
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बंगाल में 70 लाख किसानों को सम्मान निधि की राशि तत्काल जारी करें : जितिन
बंगाल में 70 लाख किसानों को सम्मान निधि की राशि तत्काल जारी करें : जितिन
नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के 70 लाख किसानों को ‘किसान सम्मान निधि’ योजना में शामिल न किए जाने पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें तत्काल धन जारी किए जाने की ��ांग भी की। कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने कहा, “यह जानकर दुख होता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के अहंकारी रवैये के कारण पश्चिम बंगाल के 70 लाख किसान…
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को अपनी नई टीम घोषित कर दी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी टीम में उप्र के 11 लोगों को जगह देकर राज्य का दबदबा बरकार रखा है। कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद को दो बार शिकस्त देने वाली लोकसभा सदस्य रेखा वर्मा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनकर बड़ा इनाम दिया गया है
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सोनिया ने कांग्रेस में किए बड़े बदलाव, गुलाम नबी से छिना महासचिव पद नई दिल्ली: कांग्रेस ने नई नियुक्ति करते हुए असंतुष्टों में से एक पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को महासचिव पद से हटा दिया है। एक अन्य असंतुष्ट नेता जितिन प्रसाद को हालांकि पश्चिम बंगाल और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का प्रभारी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
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Kurukshetra: Bjp Has Made Yogi Adityanath And Congress Uncomfortable By Joining Jitin Prasada In The Party - कुरुक्षेत्र: कांग्रेस और योगी आदित्यनाथ दोनों पर पड़ी भाजपा के 'ऑपरेशन जितिन' की दोहरी मार
Kurukshetra: Bjp Has Made Yogi Adityanath And Congress Uncomfortable By Joining Jitin Prasada In The Party – कुरुक्षेत्र: कांग्रेस और योगी आदित्यनाथ दोनों पर पड़ी भाजपा के ‘ऑपरेशन जितिन’ की दोहरी मार
सार भाजपा के ऑपरेशन जितिन ने एक तरफ तो कांग्रेस और सोनिया राहुल प्रियंका को चोट दी है, तो दूसरी तरफ पार्टी के भीतर ही बगावती मूड में चल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस कदर असहज किया कि अगले दिन ही यानी गुरुवार की दोपहर योगी आदित्यनाथ को अचानक दिल्ली आकर गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक जाने को मजबूर होना पड़ा है… कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद और…
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सोनिया ने आजाद को महासचिव के पद से हटाया, जितिन प्रसाद बंगाल के प्रभारी बने नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने नई नियुक्ति करते हुए असंतुष्टों में से एक पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को महासचिव पद से हटा दिया है।
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